सुबह का समय ठंडी ठंडी हवाएं बदन में मीठा अहसास दिला रही थी,,, सड़क बिल्कुल सुनसान थी,,, शायद अभी मॉर्निंग वॉक पर निकलने वालों का समय नहीं हुआ था लेकिन यही समय मॉर्निंग वॉक करने का बिल्कुल सही था,,, क्योंकि समय बिल्कुल भी भीड़भाड़ नहीं होती हवा एकदम शुद्ध होती है,,,, संध्या के बदन में आज अलग ही निखार था,,,,, आज कपड़ों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह खुद ही अपने आप में बहुत ही सेक्सी महसूस कर रही थी,,, औरतों में यह एहसास की खूबसूरती में और व्यक्तित्व में एक अलग ही निखार पैदा कर देता है,,, ऐसा ही कुछ संध्या भी अपने अंदर महसूस कर रही थी वह निश्चिंत होकर धीरे-धीरे दौड़ लगा रही थी वह जानती थी कि इस तरह से दौड़ने में उसकी भारी-भरकम गांड के दोनों कुल्हे बड़े-बड़े तरबूज की तरह आपस में रगड़ खा रहे होंगे,,, और यह देखकर उसका बेटा पानी पानी हो रहा होगा यही देखने के लिए वह पीछे नजर घुमाकर अपने बेटे को देख ले रही थी, और, उसके सोचने के मुताबिक ही उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को घुर रहा था,,, यह देखकर संख्या के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, संध्या को मजा आ रहा था जिस तरह से वह दौड़ रही थी उसकी दोनों चूचियां जो कि टी-शर्ट के अंदर बिना लगाम की थी,,, वह टेनिस के गेंद की तरह ऊछल रही थी,,, संध्या यह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी उछलती हुई चुचीयों को देखने के लिए उत्सुक है या नहीं,,, इसलिए वह दौड़ लगाते हुए बोली,,,,
मर्द होकर औरतों के पीछे रहता है थोड़ा तेज दौड़,,,,(संध्या के मुंह से अचानक ही मर्द शब्द निकल गया था,,, जिसकी वजह से वास्तव में उसे अपने बेटे में एक मर्द होने का एहसास हो रहा था सोनू भी अपनी मां के मुंह से अपने लिए मर्द शब्द सुनकर उत्साहित हो गया,,, वह अपनी मां के बराबर आ कर दौड़ लगाना नहीं चाहता था क्योंकि अपनी मां के पीछे खड़े होने में ही उसे अद्भुत सुख का एहसास और प्राप्ति हो रही थी,,,, वाकई में स्किन टाइट पजामी में उसकी मां की गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी लग रही थी,,, सोनू का आगे आने का मन बिल्कुल भी नहीं कहा था वैसे भी औरतों के पीछे रहने में ही मर्दों को ज्यादा मजा आता है,,,लेकिन फिर भी एक बार फिर से कहने पर सोनू थोड़ा तेज दोड कर अपनी मां के बराबर आ गया,,, लेकिन आगेआते ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह एक और बेहद खूबसूरत कामुकता भरा हुआ दृश्य को नजरअंदाज कर रहा था जैसे ही वह अपनी मां के बराबर आ कर दौड़ लगाते हुए अपनी मां की तरफ देखा तो वैसे ही उसे अपनी मां की टीशर्ट में ऊछलती हुई चुचियां साफ नजर आने लगी,,,। सोनू का दील जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि वाकई में उसकी मां की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी और बेहद गोल थी,,, सोनू की नजर नहीं हट रही थी,,, अपनी मां की टेनिस के गेंद की तरह चलती हुई चुचियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि अभी टी-शर्ट फाड़कर दोनों चूचियां बाहर आ जाएंगी,,, सोनू को दोनों तरफ से मजा मिल रहा था आगे से भी और पीछे से भी,,, इस बात का एहसास सोनू को हो चुका था कि उसकी मां हर तरफ से देखने लायक चीज थी,,, सोनू अपनी मां की खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए बोला,,।
कैसा लग रहा है मम्मी,,,,?
बहुत अच्छा लग रहा है पहली बार में इतनी सुबह-सुबह दौड़ लगा रही हुं,,,
मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है मम्मी तुम्हारे साथ दोड लगाते हुए,,,
शुरू शुरू में मैं बहुत ध्यान रखती थी अपने शरीर का लेकिन तेरे होने के बाद से घर के कामकाज में ही उलझ कर रह गई,,,।
लेकिन फिर भी मम्मी आपकी कद काठी आपका बदन अभी भी पूरी तरह से गठीला है,,,।
तू झूठ बोल रहा है,,,।
नहीं मम्मी मैं सच कह रहा हूं,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए इस तरह की बातें सुनकर संध्या मन ही मन खुश होने लगी क्योंकि वह जानती थी कि औरतों की खूबसूरती के बारे में सबसे ज्यादा मर्दों को ही पता होता है और सोनू की बातें उसकी नजरिया से कह रहा था इसलिए संध्या खुशी से फूले नहीं समा रही थी क्योंकि हर औरत का सपना होता है कि उसे चलते फिरते आते जाते लोग देखकर गरम आहे भरे,,,, और एक जवान लड़का जब यह बात कह रहा है तो जरूर कुछ बात होगी संध्या को अपने आप में अभी भी पूरी तरह से दूसरे मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित कर देने की क्षमता थी,,, अपने बेटै की बातें सुनकर संध्या दौड़ते दौड़ते रुक गई और गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)
क्या सच में मैं और मेरा बदन खूबसूरत है,,,?
हां मम्मी इसमें कोई दो राय नहीं है तुम बहुत खूबसूरत हो,,,
(संध्या अपने बेटे की बात सुनकर खुश हो रही थी वह दोनों बगीचे के गेट तक पहुंच चुके थे,,, तभी संध्या को बगीचे के गेट के अंदर उस दिन वाली औरत और वही लड़का जाते हुए दिखाई दिए,,, उन दोनों को देखते ही संध्या का दिमाग चकराने लगा क्योंकि पल भर में ही संध्या को उस दिन की घटना उसकी आंखों के सामने घूमती हुई नजर आने लगी जब वह उस औरत को झुका कर पीछे से उसकी बुर में लंड पेल रहा था,,,, सोनू भी उन दोनों को पहचान लिया था लेकिन शर्म के मारे वह अपनी मां से कुछ बोल नहीं पाया,,,, दोनों बगीचे के अंदर जा रहे थे तभी संध्या बोली,,,)
वह देख सोनु उस दिन वाली औरत,,,
किस दिन वाली मम्मी,,,(सोनू जानता था लेकिन अनजान बनते हुए बोला)
अरे उसी दिन वाली,,,, चल फिर बताती हूं देखु तो सही आज ये दोनों क्या करने वाले हैं,,,,
(इतना कहने के साथ ही संध्या अपने बेटे का हाथ पकड़ी और बगीचे के अंदर की तरफ जाने लगी,,, बगीचे में जगह-जगह पर एक लैंप लगा हुआ था जिसकी हल्की रोशनी बगीचे में फैली हुई थी लेकिन घनी झाड़ियों में अभी भ6 पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,,, जिस तरह से उसकी मां हाथ पकड़ कर उसे अंदर की तरफ ले जा रही थी सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था खास करके उस औरत और उस लड़के के पीछे जो कि सोनू अच्छी तरह से जानता था कि उस दिन झाड़ियों में वह दोनों क्या कर रहे थे और उसकी मां की अपनी आंखों से देखी थी,,, सोनू के मन में यही चल रहा था कि आज भी उन दोनों की चुदाई का नजारा देखने को मिल जाता तो मजा आ जाता क्योंकि वह उस कामोत्तेजक नजारे को अपनी मां के साथ देखना चाहता था यही ख्याल संध्या के भी मन में आ रहा था,,,संध्या अपने बेटे को साथ में लेकर धीरे-धीरे उस औरत की तरफ आगे बढ़ने लगी जोकी घनी झाड़ियों की करीब जा रही थी,,,। संध्या और सोनू दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उन दोनों का घनी झाड़ियों की तरफ जाना है इस बात की पूर्ति कर रहा था कि दोनों के बीच फिर कुछ होने वाला है,,,, लेकिन दोनों के बीच क्या रिश्ता है इस बारे में दोनों को कुछ भी पता नहीं था,,,, बगीचा अभी भी पूरी तरह से खाली था इसका मतलब मॉर्निंग वॉक करने वाले इस समय यहां नहीं आते थे,,,वह दोनों की पूरी तरह से निश्चिंत होकर झाड़ियों की तरफ जा रहे थे क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि इस समय यहां कोई नहीं होता है,,, देखते ही देखते दोनों झाड़ियों के बीच चले गए,,,। सोनू का लंड खड़ा होने लगा,,, संध्या की भी हालत खराब होने लगी उन दोनों के बीच होने वाली चुदाई को देखने के लिए सोनू का मन मचल रहा था लेकिन फिर भी वह जानबूझकर अपनी मां से बोला,,,।
कहां जा रही हो मम्मी वह दोनों वही है जो उस दिन झाड़ियों के अंदर थे,,,,(सोनू एकदम धीरे से बोला)
जानती हूं,,,, लेकिन देखना चाहती हु कि आज ये दोनों क्या गुल खिलाते हैं,,,
जाने दोना मम्मी,,, दोनों ने हमें देख लिया तो खामखां,,,,, रहने दो चलो अपने चलते हैं,,,।
पागल हो गया है,,,क्या तु,,,, देखने तो दे क्या होता है,,,,।
(संध्या अपने बेटे सोनू को शांत कराते हुए बोली,,,,)
लेकिन मम्मी ऊन दोनों के बीच कुछ गंदा होने वाला है ,,हम दोनों को नहीं देखना चाहिए,,,
तुझे शर्म आ रही है,,ऊन दोनों को बिल्कुल भी नहीं आ रही है और तुझे शर्म आ रही है,,, तुझे जाना है तो जा मैं आज पता लगा कर रहूंगी कि इन दोनों के बीच रिश्ता क्या है,,,,
क्या मम्मी तुम भी,,,,
(सोनू भले ही ऊपरी मन से: देखने के लिए इंकार कर रहा था,,, लेकिन उसका मन अंदर ही अंदर तड़प रहा था उसने चेहरे को देखने के लिए और अपनी मां की उत्सुकता देखकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, क्योंकि वह जानता था कि सामने चल रही चुदाई के दृश्य को अपनी मां के साथ देखने में कितना मजा आता है और तब और ज्यादा मजा बढ जाता है जब मां भी अपनी बेटी के साथ चुदाई के दृश्य को देखकर काफी गर्म हो जाए,,,, सोनू धीरे-धीरे अपनी मां के पीछे पीछे चलने लगा देखते ही देखते दोनों झाड़ियों के बीच कुल करीब पहुंच गए जहां से वह दोनों साफ नजर आ रहे थे,,,5:20 का समय हो रहा था अभी भी अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बगीचे में चल रहे लैंप की वजह से थोड़ा थोड़ा उजाला दिखाई दे रहा था और उस उजाले में वह लड़का और वह औरत साफ नजर आ रहे थे,,,। संध्या और सोनू दोनों का दील जोरों से धड़क रहा था,,, यु तो सोनूअपनी मां को बगीचे में मॉर्निंग वॉक के लिए लाया था ताकि वह उसके खूबसूरत बदन को देख कर अपने बदन की गर्मी तो और ज्यादा उत्तेजित कर सके लेकिन यहां तो कुछ और ही माजरा सामने आ चुका था और यह सोनू के लिए अच्छा ही था,,, इस तरह का नजारा वह पहले अपनी मां के साथ देख कर जिस तरह से उसके पिछवाड़े पर अपना लंड सटाकर खड़ा था,,, आज फिर से उसकी उम्मीद जाग चुकी थी,,,, दोनों मां बेटे झाड़ियों के करीब उसी अवस्था में खड़े थे जिस तरह की उस दिन,,,,
मुझे जोरो की पेशाब लगी है पहले पेशाब कर लु फिर उसके बाद,,, (और इतना कहने के साथ ही वह औरत अपनी साड़ी झटके में पकड़ कर उसे कमर तक उठा ली,, और तुरंत नीचे बैठ गई,,,
is tarah se
सोनू का दिल तो उत्तेजना के मारे एकदम हलक तक आ गया,,, आश्चर्य और उत्तेजना से उसका मुंह खुला का खुला रह गया सेकंड के दसवें भाग में ही औरत अपनी साड़ी कमर उठाकर नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, पलक झपक ने मात्र के समय में सोनू को उस औरत की भारी-भरकम गोल गोल गांड नजर आ गई,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई,,,पहली बार वह किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था,,, एकदम नंगी,,,, पल भर में सोनू का लंड खड़ा हो गया,,, यह नजारा संध्या की भी नजरों से अछूता नहीं रह पाया,,,, वह भी उस औरत की हिम्मत और बेशर्मी को देखकर हैरान थी,,,, जिस तरह से वह औरत सोनू से लगभग एक 2 साल कम ही होगा,,, उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी कमर तक उठा कर मुतना शुरू कर दी थी,,,
इस बारे में संध्या कभी सोच भी नहीं सकती थी लेकिन उसकी यह हिम्मत को देखकर संध्या की बुर गीली होने लगी,,,, सोनू और संध्या दोनों हैरान थे और दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे पल भर में ही दोनों के कानों में उस औरत के पेशाब करने की वजह से उसकी गुलाबी बुर्के छेद में से सीटी की आवाज पड़ने लगी उस आवाज को सुनकर सोनू पूरी तरह से मस्त हो गया मदहोश होने लगा उसकी आंखों में नशा छाने लगा उसका मन कर रहा था कि अभी उस झाड़ियों में घुस जाए और उस औरत को पकड़कर उसकी चुदाई कर दें,,,,,।)
देख बेटा मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है,,, तेरे लिए ही मैं पेंटी भी नहीं पहनी हूं ताकि सब कुछ जल्दी जल्दी हो जाए तुझे कोई दिक्कत ना हो उसे उतारने में,,,,
मुझे कोई भी दिक्कत नहीं होती मम्मी मुझे तो अच्छा लगता है अपने हाथों से तुम्हारे कपड़े उतारने में,,,, तुम्हें नंगी करने में,,,(वह लड़का पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलता हुआ बोला,,, लड़के की बात सुनते ही दोनों मां बेटे के कान एकदम सुन्न हो गए,,,उन दोनों को भी ऐसा ही लगता था कि उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध को छोड़कर किसी भी प्रकार का रिश्ता शायद नहीं होगा लेकिन उन दोनों की सोच धरी की धरी रह गई थी औरत और वह लड़के के बीच मां बेटे का संबंध था,,,। दोनों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए दोनों एक बार एक दूसरे को देखने के बाद वापस उस झाड़ियों के अंदर के नजारे को देखने लगे और अपने कान को खड़े कर लिए,,,)
लेकिन घर पर यह मुमकिन नहीं है ना बेटा,,,मुझे भी अच्छा लगता है जब तुम अपने हाथों से मेरे एक एक कपड़े उतार कर मुझे नंगी करता है मुझे कितना जोश आ जाता है जब मैं तेरे सामने नंगी हो जाती हूं,,,,
तो घर पर क्यों नहीं करने देती मम्मी,,,,?( इस बार वह लड़का अपनी पेंट की बटन खोल कर अपनी लंड को बाहर निकालकर उसे हीलाते हुए बोला,,,)
घर पर संभव नहीं है बेटा वहा तेरी बड़ी बहन और तेरे पापा भी घर पर रहते हैं अगर तेरे पापा को जरा भी शक हो गया तो तू जानता है ना क्या होगा,,,,
(संध्या पूरी तरह से समझ गई थी कि दोनों मां बेटे हैं और मां बेटे के रिश्ते होने के बावजूद भी दोनों इस तरह से खुले तौर पर एकदम गंदी बातें कर रही थी यह सुनकर संध्या की टांगों के बीच हलचल होने लगी थी और यही हाल सोनू का भी था सोनू का मन कर रहा था किवह अपने लंड को बाहर निकाल कर ही आना शुरू कर दे लेकिन अपनी मां की उपस्थिति में ऐसा करने से उसे डर लग रहा था,,,,)
मम्मी क्या पापा तुम्हें अच्छी तरह से चोद नहीं पाते,,,
वो,,, चोद पाते तो मुझे तुझसे करवाने की जरूरत ही नहीं पड़ती,,, तू तो जानता है कि तेरे पापा बीमार रहते हैं शरीर भी कमजोर पड़ गया है,,, मेरी प्यास वो नहीं बुझा सकते,,,,,(ऐसा कहते हुए वह खड़ी हो गई लेकिन साड़ी को कमर तक उठाकर पकड़ी ही रह गई,,, और एक हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच,,, ले जाकर अपनी बुर को मसलते हुए बोली,,,) आहहहहह ,,,, बेटा मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है अब तो तेरे लंड के बिना रहा नहीं जाता,,,,
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है मम्मी तुम्हारी चूत में डाले बिना मेरे लंड को चैन नहीं मिलता,,,, बस मम्मी दोनों टांगें खोलकर मुझे अपना गुलाबी छेद दिखा दो,,,,
(इतना सुनते ही उस लड़के की मां अपने बेटे की तरफ गांड करके खड़ी हो गई और धीरे-धीरे झुकते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,, यह नजारा देखकर और उन दोनों मां बेटों की गंदी बातें सुनकर संध्या का दिमाग उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कानों पर भरोसा नहीं हो रहा है बेटा अपनी मां के लिए इतनी गंदी बात और एक मां अपने बेटे से इतनी गंदी बात करते हुए कैसे अपना नंगा बदन उसके सामने कर सकती हैं,,,,यह सब संध्या के गले से नीचे नहीं उतर रहा था लेकिन फिर भी जो उसकी आंखें देख रही थी वह सनातन सत्य था और बेहद कामोत्तेजक भी,,,, सोनू की हालत एकदम खराब हो गई थी झाड़ियों के अंदर का दृश्य देखते हुए एक बार फिर से वो धीरे धीरे अपनी मां की पिछवाड़े से पूरी तरह से सट गया,,,, और जैसे ही सोनू के पेंट में बना तंबू संध्या की गांड के बीचो बीच धंसता हुआ महसूस हुआ वैसे ही तुरंत संध्या चौक पड़ी लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उससे सटा हुआ है और उसका लंड उसकी गुलाबी बुर का गुलाबी छेद ढूंढ रही है,,, संध्या जरा सा भी अपने बदन को आगे की तरफ ले लेने की दरकार नहीं की बल्कि वह अपनी गांड को थोड़ा सा और पीछे दबाने लगी,,,, और अंदर के दृश्य का मजा लूटने लगी,,,।)
बस अब डाल दे बेटा रहा नहीं जाता,,,,
रुक जाओ मम्मी थोड़ा सा तुम्हारी चुत का स्वाद तो चख लुंं
(और इतना कहने के साथ ही वह लड़का अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपना मुंह उसकी गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, यह देखकर सोनू का लंड फटने की कगार पर आ गया,,, उससे यह कामोत्तेजक दृश्य बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा भी नहीं हो रहा था एक बेटा अपनी मां की बुर को इस तरह से मुंह लगाकर चाटेगा इस बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी उसे उस औरत से जलन हो रही थी क्योंकि इस दृश्य को देखकर संध्या अपने मन में अपने बेटे को लेकर कल्पना करने लगी थी कि वह भी इसी तरह से अपनी दोनों टांगे फैलाकर खड़ी है और उसका बेटा सोनू उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपनी जीभ उसकी बुर पर लगाकर चाट रहा है,,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी,,, सोनू पागल हुआ जा रहा वह अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, संध्या को अपने बेटे के लंड के कड़क पन का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था,,,। उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे का लंड पजामा फाड़ कर उसकी बुर में ना घुस जाए,,,,)
सससहहहहह,,,आहहहहहहह,,,, बेटा बस कर तूने तो मेरी चूत में आग लगा दीया है,,, अब अपना लंड इसमें डाल कर यह आग बुझा दे,,,,
(उस लड़की की मां तड़प रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए लेकिन उसका बेटा था कि उसकी गुलाबी बुर को चाटने में लगा था शायद चुदाई से ज्यादा उसे अपनी मां की बुर चाटने में आ रहा था,,,, यह नजारा झाड़ियों के बाहर खड़े दोनों मां बेटे के लिए,,, मदहोश कर देने वाला था दोनों की आंखों में मदहोशी और वासना साफ नजर आ रही थी सोनू का मन कर रहा था कि अपनी मां को अपनी बाहों में भर ले और जो वह लड़का कर रहा है वही वह भी करें,,,, लेकिन इतनी हिम्मत उसमें नहीं हो रही थी फिर भी वह अपने दोनों हाथ अपनी मां के कंधों पर रख दिया संध्या को भी अपने बेटे का हाथ अपने कंधों पर बहुत सुकून दे रहा था,,,। और उत्तेजना के मारे सोनू की हथेली का दबाव संध्या के कंधो पर बढ़ता जा रहा था,,,,।
अद्भुत अतुल्य अविश्वसनीय गजब का नजारा बगीचे में नजर आ रहा था सोनू अपनी मां को साथ मॉर्निंग वॉक पर इसलिए लाया था ताकि वाह कपड़ों के अंदर से ही सही अपनी मां के खूबसूरत रंगों को उछलते हुए लहराते हुए देख तो पाएगा लेकिन उसे क्या पता था कि बगीचे में उससे भी गजब का जबरदस्त नजारा ऊन दोनों को देखने को मिलेगा,,, अभी भी सूरज निकला था इसलिए चारों तरफ अंधेरा था केवल स्ट्रीट लाइट का उजाला ही नजर आ रहा है पर अभी तक बगीचे में और कोई भी प्रवेश नहीं किया था,,,, इसलिए थोड़ा बहुत संध्या निश्चिंत और वह दोनों मां-बेटे भी जो झाड़ियों के बीच कामलीला में मस्त थे,,, औरत की हालत को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा जिस तरह से उसकी बुर चाट रहा था उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,और वॉइस मस्ती में पूरी तरह से खो जाना चाहती थी इसीलिए तो उसकी आंखें बंद हो चुकी थी उसके चेहरे की लालिमा पूरी तरह से निखार लिए हुए थी,,,फिर भी शायद वह अपने बेटे से कुछ और ज्यादा की उम्मीद में लगी हुई थी,,,और उसका बेटा उसकी उम्मीद पर खरा भी उतरता आ रहा होगा तभी तो वह दोनों बगीचे में आया करते थे,,,।वह लड़का पुरी मस्ती के साथ,, अपनी मां की बुर को चाटने में लगा हुआ था,,। यह देखकर सोनू की भी हालत खराब हो रही थी,,, जिस तरह से संध्या उस औरत की जगह अपने आप को रखकर महसूस कर रही थी,,उसी तरह सोनू भी उस लड़के की जगह अपने आप को रखकर महसूस कर रहा था,,,, नजारा बेहद गर्म होता जा रहा था एक मां बेटे के सामने एक मां बेटे कामलीला मैं लगे हुए थे उस औरत की प्यास बढ़ती जा रही थी वह अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर रख रही थी,,, आज तक सोनू और संध्या दोनों ने अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य बिल्कुल भी नहीं देखे थे सोनू चोरी-छिपे मोबाइल में देख लिया करता था लेकिन मोबाइल की वीडियो से भी कहीं ज्यादा गरम नजारा झाड़ियों में देखने को मिल रहा था,,,,।
बस बस बेटा जल्दी कर अब दूसरों के आने का समय हो गया है,,,, इसीलिए तुझे यहां लेकर आती हूं क्योंकि इस समय यहां कोई नहीं होता,,,,
जानता हूं मम्मी सुबह तुम्हारे साथ चलने के लिए मुझे रात भर नींद नहीं आती मैं रात भर यही सोचता रहता हूं कि कब 5:00 बजे,,,(इतना कहते हुए लडका खड़ा हो गया और अपने हाथ से लंड पकड़ कर हिलाते हुए अपने लिए जगह बनाने लगा तब तक उसकी मां उसकी तरफ अपनी गांड पर की झुकने लगी वह झाड़ियों की डाली को पकड़कर उसका सहारा लेकर झुक कर खड़ी हो गई और वह लड़का अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मां के गुलाबी छेद को बराबर देखकर अपने लंड के सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर रख करहल्के से अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ बढ़ाया और पहले से ही उस लड़के के लंड का सांचा उसकी मां की गुलाबी बुर में बन चुका था,,,इसलिए बिना किसी दिक्कत के पहली बार में उसका लंड अंदर की तरफ घुसना शुरू हो गया यह नजारा देखकर संध्या की बुर चिपचिपी होने लगी,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी और सोनू अपनी मां की कंधों को जोर से पकड़े हुए ही अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा मानो की पजामी के ऊपर से ही वह अपनी मां की बुर में लंड डाल देना चाहता हो,,,,संध्या को भी अपने बेटे के लंड की चुभन अपनी गुलाबी बुर पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,। झाड़ियों के अंदर वह लड़का अपनी मां को चोदना शुरु कर दिया था,,, जैसे-जैसे उस लड़के की कमर आगे पीछे हो रही थी,, वैसे वैसे सोनू की हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह भी अपनी मां को चोद रहा हो,,, संध्या की बुर पानी से लबालब भर चुकी थी,,, पजामी केअंदर उसने भी पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए सोनू को अपने लंड के ऊपर जो कि वह भी पजामे में ही था,,, उसे अपनी मां की बुर की गर्मी साफ महसूस हो रही थी,,।,,।
ओहहहह,,, मम्मी,, बहुत मजा आ रहा है मम्मी,,,, हर बार लगता है कि पहली बार कर रहा हूं,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहह,,, मम्मी,,,,,,,
मुझे भी बेटा,,,,आहहहहहह,,,तेरा लौड़ा बहुत बड़ा है,,,आहहहहह,,,,ऊहहहहहहहह,,,, मां,,,,,,,और जोर से,,,,आहहहहहहहह,,,,,,,
(उस औरत की गरम संस्कारी सोनू और संध्या दोनों के कानों में अच्छी तरह से पड रही थी और यह गरम सिसकारी दोनों के तन बदन में आग लगा रही थी,,, दोनों की प्यास को और ज्यादा बना रही थी,,,, संध्या से अपनी आंखों के सामने का गर्म नजारा सहा नहीं जा रहा था,,।
वह धीरे-धीरे अपनी गदराई गांड को अपने बेटे के लंड पर जोकी पजामे के अंदर था और तंबू बनाया हुआ था उस पर रगड़ रही थी,,। अपनी मां की हरकत को देखकर सोनू पूरी तरह से गर्म हो चुका था और सामने झाड़ियों में वह लड़का लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,, उसकी मां ने अपने बेटे की चुदाई से उसकी मोटे बड़े लंड से बेहद खुश थी और लगातार गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,,, सोनू और संध्या दोनों गरम हो चुके थे,,,, बगीचे में अभी तक किसी दूसरे शख्स ने प्रवेश नहीं किया था,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी आंखों के सामने एक लड़का अपनी मां को चोद रहा था और वो खुद अपनी मां की गांड पर अपना लंड रगड रहा था यह नजारासोनू के तन बदन में आग लगा रहा था उस से बर्दाश्त नहीं हुआ था वह अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की कंधे पर रखकर जोर जोर से दबा रहा था,,, झाड़ियों में हुआ लड़का कब अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी मां की चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया यह सोनू को पता तक नहीं चला लेकिन संध्या सामने के नजारे को बराबर देख रही थी,,, उस लड़के की हरकत अपनी मां के साथ में देखकर संध्या की भी इच्छा कर रही थी कि उसका बेटा भी अपना हाथ उसकी चूची पर जोर जोर से दबाए उसे स्तन मर्दन का आनंद दे,,, और ऐसा हुआ भी जब सोनू की नजर उस लड़के पर पड़ी तो उसकी हरकत को देखकर उसकी भी इच्छा आने लगी और वह अपने दोनों हाथों को कंधे पर से हटाते हुए अपनी मां की छाती का शर्तिया टी-शर्ट के अंदर उसकी चूचियां और ज्यादा बड़ी और गोल लग रही थी यह पहला मौका था जब सोनू किसी औरत की चूची पर अपना हाथ रखा हुआ था और अभी किसी दूसरी औरत की चूची पर नहीं बल्कि अपनी मां की ही चुची पर,,, सोनू की हालत खराब होने लगी बाहर से सख्त और कड़क दिखने वाली चुची अंदर से इतनी गरम होगी यह पहली बार सोनू को एहसास हो रहा था,,, उत्तेजित अवस्था में सोनू अपनी मां की चूची को टीशर्ट के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने फलंडड को अपनी मां की मस्त बड़ी बड़ी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी जिंदगी में पहली बार उसकी चूचियां किसी दूसरे मर्द के हाथों में थी और वह भी खुद के अपने सगे बेटे के हाथों में जिससे संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी,,,,सामने वाला लड़का पूरी जान लगा कर अपनी मां को चोद रहा था,,,,संध्या चाहती थी कि उसका बेटा उसके पजामे को नीचे सरका कर वह भी उस लड़के की तरह अपने लंड को उसकी बुर मे डालकर उसकी चुदाई कर दें,,, सोनू की भी यही इच्छा हो रही थी लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी,,,, सोनू पूरी तरह से गरमा गया था उसके लंड की नसों में मानो विस्फोटक सामग्री भर दी गई है वह कभी भी फट सकता था,,,संध्या की खुद की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और पजामे के आगे वाले भाग को पूरी तरह से गिला कर दिया था,,, सोनू की मदहोशी बढ़ती जा रही थी,,, पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और अपने लंड को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की दरार के बीच में रगड रहा था संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे का लंड बराबर महसूस हो रहा था,,,। सोनूअपनी जवानी के जोश को और अपने बदन की गर्मी को संभाल नहीं पाया और एकाएक उसके लंड से उसका गर्म लावा फूट पड़ा,,,, अपनी मां की चूची को मसलते हुए गहरी गहरी सांसे लेने लगा संजय को इस बात का एहसास होने लगा कि सोनू के लंड से उसका पानी निकल गया है तभी तो उसे भी गीला गीला महसूस हो रहा था जबकि खुद ही उसकी बुर पानी छोड़ कर झड़ चुकी थी,,,,। तभी संध्या को बगीचे का गेट की आवाज सुनाई दी और वह एकदम से सचेत हो गई,,,।
सोनु चल यहां से कोई आ रहा है,,,,(संध्या धीरे से सोनू के कानों में फुसफुसाई सोनू भी मौके की नजाकत को समझते हुए वहां से खिसक लिया,,,, सोनू और संध्या दोनों बगीचे के गेट पर पहुंच चुके थे दोनों एक-दूसरे से नजरें मिलाने से कतरा रहे थे,,,, बगीचे में लोग आना शुरू हो गए थे और अब शर्म के मारे संध्या वहां रुकना नहीं चाहती थी इसलिए धीरे-धीरे दूर लगाते हुए घर की तरफ जाने लगे सोनू भी समझ गया था इसलिए वह भी बिना कुछ बोले अपनी मां के पीछे पीछे दौड़ लगाते हुए घर की तरफ जाने लगा।)