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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rohnny4545

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संध्या कमरे से बाहर जा चुकी थी लेकिन जाते-जाते अपने बेटे के तन बदन में जवानी की आग को सुलगा चुकी थी,,, छोटी सी चड्डी में अपने तने हुए लंड को पकड़ कर वह मसल रहा था,,,। और मन ही मन कल्पना कर रहा था कि काश उसके लंड क9 उसकी मां पकड़कर इसी तरह से दबा दबा कर मसलती तो कितना मजा आता ,,,,,,, जवानी की गर्मी लंड के नीचे दोनों गोटीयों में उबाल मार रही थी,,, जिसे शांत करना बहुत ही जरूरी हो चुका था,,, इसलिए वह अपने कमरे में गया,,, और अपनी छोटी सी चड्डी को भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, आंखों को बंद करके बिस्तर पर बैठ कर अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा जिसमें उसकी मां धीरे-धीरे माता कथा बिखेरते हुए उसकी आंखों के सामने अपने एक एक कपड़ों को अपने हाथों से उतार रही थी,,,, जैसे-जैसे संध्या के बदन पर से वस्त्र कम होते जा रहे थे वैसे वैसे सोनू के लंड में जवानी का उबाल बढ़ता जा रहा है,,,। कल्पना में सोनू को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी कल्पना की रचना इतनी प्रबल थी कि सब कुछ साक्षात नजर आया था सोनू की आंखों के सामने संध्या अपनी ब्लाउज के बटन खोल रही थी जैसे-जैसे बटन खुल रहा था वैसे वैसे उसके दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर ब्लाउज के कैद में से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे,,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, थोड़ी ही देर में संध्या की गोल-गोल चूचियां उसकी आंखों के सामने थी,,, सोनू अपना लैंड हिलाता हुआ मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां की दोनों चुचियों को देखकर उसकी कामवासना और भी ज्यादा प्रबल हो रही थी,,, लेकिन इससे ज्यादा की कल्पना भी नहीं कर पाया क्योंकि वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बस अपनी मां की चूचियों को कल्पना में देखते ही उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ा,,,।

दूसरी तरफ संध्या की भी हालत पतली होती जा रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का कसरत करता हुआ गठीला बदन नजर आ रहा था,,, छोटी सी चड्डी में उसके बेटे का नंगा बदन बहुत ही सेक्सी लग रहा था,,, सोनू संध्या को कामदेव का रूप लग रहा था,,, जिसको देखते ही औरतें काम लिप्त हो जाती हैं,,, और उसके साथ शारीरिक सुख भोगने के लिए मचल उठती हैं,,। वही नजारा संध्या अपनी आंखों से देख कर पूरी तरह से कामविवश हो चुकी थी,,,। लेकिन कर भी क्या सकती थी अपने मन में हो मरते तूफान को शांत करने की कोशिश करते हुए वह किचन में चली गई और खाना बनाने लगी,,, लेकिन रात को संजय ने सारी कसर उतार दिया,,,, शगुन को लेकर जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव संजय अपने तन बदन में कर रहा था,,, उसके चलते कमरे के अंदर पहुंचते ही संजय ने अपनी बीवी संध्या को एक पल काफी टाइम दिए बिना पल भर में उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,, और खुद भी अपने हाथों से ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,इस समय संजय अपने बेडरूम में अपनी बीवी के साथ संपूर्ण नग्न अवस्था में पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था,,, लेकिन दोनों के सोचने का तरीका बदल चुका था देखने का नजरिया बदल चुका है संजय को उसकी बीवी में उसकी खुद की बेटी शगुन नजर आ रही थी और संध्या को अपने पति संजय में अपना बेटा सोनू नजर आ रहा था जिसकी वजह से दोनों अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए एक दूसरे को संभोग सुख दे रहे थे,,,, संजय की कमर लगातार किसी मशीन की तरह चल रही थी जिसमें जरा भी ठहराव नहीं था और संध्या अपने पति से चुदने के बावजूद भी मानोअपने बेटे सपनों के साथ संभोग क्रिया में लिप्त होकर उसका साथ देते हुए नीचे से अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,, तकरीबन संजय ने पूरी पलंग को चरमराते हुए अपनी बीवी संध्या की 25 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके बाद निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया,,,,। शाम की गर्मी संध्या अपनी बुर की गुलाब की पत्तियों के बीच बहता हुआ महसूस कर रही थी,,,,

तकरीबन 5:00 बजे के करीब सोनू की नींद खुल गई,,, वह जोगिंग वाले कपड़े पहन कर तैयार हो रहा था,,, दूसरी तरफ संध्या भी अपने बेटे के साथ जोगिंग करने के लिए सुबह के 5:00 बजे का अलार्म लगा चुकी थी अलार्म बजते ही उसकी नींद खुल गई,,, टेबल पर से अलार्म को अपने हाथों में लेकर उसे बंद करके वापस टेबल पर रख कर संध्या बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि रात को नंगी ही सो गई थी लेकिन उसे कपड़े पहनने की जरा भी उतावल नहीं थी,,, इसलिए संपूर्णा नग्नावस्था में ही वह चहल कदमी करते हुए कमरे में बने अटैच बाथरूम में पेशाब करने के लिए चली गई,,,, संजय नींद की आगोश में चैन की नींद सो रहा था और एक बेहतरीन खूबसूरत नजारे को देखने से चुक गया था,,, गोल गोल भरावदार गांड की लचक कयामत ढा रही थी उसी तरह से अपनी गांड मटकाते हुए बाथरूम में चली गई,,,, जहां पर वह कमोड पर बैठ कर पेशाब करने की जगह,,, बैठकर मुतने लगी,,,,एक जबरदस्त सुमधुर सीटी की आवाज उसकी गुलाबी बुर की गुलाब की पत्तियों को चीरती हुई बाहर आने लगी,,, लेकिन इस सुरीली आवाज को सुनने के लिए इस समय वहां पर कोई भी चेतना अवस्था में नहीं था इतना तो मुमकिन ही था कि सोनू अगर अपनी मां की बुर में से आ रही है मधुर सिटी की आवाज को सुन लेता तो पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगाने लगता और उत्तेजना अवस्था को बर्दाश्त न कर पाने की वजह से अपने लंड से पानी छोड़ दिया होता,,,,,लेकिन शायद इस तरह का खूबसूरत नजारा देखने का मौका अभी सोनू के पास नहीं था,,,, इत्मीनान से पेशाब करने के बाद संध्या बाथरूम से बाहर आ गई हो जोगिंग करने के लिए कपड़े पहनने लगे आमतौर पर वह हमेशा साड़ी ही पहनती थी लेकिन आज वह अपने बेटे की आंखों में अपने पहरावे की वजह से चमक देखना चाहती थी,,, इसलिए वह साड़ी ना पहन कर एक टी-शर्ट पहन ली जिसके अंदर उसकी नंगी चूचियां खरबूजे की तरह नजर आ रही थी और उन्हें बैलेंस करने के लिए उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी क्योंकि संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि पहली बार जब वह जोगिंग कर रही थी तब उसके बेटे की नजर उसकी उछाल खाती हुई चुचियों पर ही थी,,।
आईने में अपने आप को टीशर्ट में देखकर उसकी खुद की आंखों में चमक नजर आ रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि टी-शर्ट के अंदर उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही आकर्षक और बड़ी बड़ी लग रही थी,,,, खाना की कमर के नीचे अभी तक वह पूरी तरह से नंगी थी और वह अलमारी खोलकर एक आरामदायक स्किन टाइट पैजामा निकालकर पहन ले जो की स्किन टाइट होने की वजह से उसकी संपूर्ण कमर से लेकर के नीचे तक वह पजामा चिपका हुआ था और संध्या के खूबसूरत नितंबों के साथ-साथ उसकी सुडोल टांगो का आकार पजामा पहनने के बावजूद भी किसी को भी आराम से समझ आ सकता था एक बार फिर से अपने पूरे अक्स को आईने में निहारने के बाद उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,,,, अपने खुले रेशमी बालों को जुड़ा बनाकर उस पर रबड़ लगा दी जिससे उसके बाल पोनीटेल के रूप में नजर आने लगे जिससे और भी ज्यादा सेक्सी नजर आने लगी,,,, अब वह अपने बेटे के साथ जोगींग करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,। दूसरी तरफ सोनू सोच रहा था कि उसकी मां की नींद नहीं खुली होगी और वह उसे जगाने के चक्कर में था लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि अपने पापा के कमरे में जाकर वह कैसे अपनी मां को जगाएगा,,,,, वह इस बारे में सोच रहा था कि तभी उसके कमरे की बेल बजने लगी,,,,। मजाक से बिस्तर पर से खड़ा हुआ है दरवाजा खोलने लगा,,, दरवाजे खुलते ही दरवाजे पर अपनी मां को खड़ी देखकर सोनू की आंखें फटी की फटी रह गई वह अपनी मां को आज एक नई रूप में देख रहा था इस रूप में उसकी मां आज के जमाने की बहुत ही सेक्सी औरत लग रही थी वैसे भी बहुत पहले से ही सेक्सी थी लेकिन टी-शर्ट और पजामे में वह कयामत लग रही थी,,,। सोनू ऊसे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया,,, खास करके उसकी नजरें अपनी मां की टीशर्ट के अंदर दोनों खरबूजे पर टिकी हुई थी जो कि बहुत ही ज्यादा घेराव दार नजर आ रही थी,,,, सोनू की हालत तो एकदम खराब होती जा रही थी जब उसकी नजरें अपनी मां की टी-शर्ट के अंदर से बाहर झांक रही चूची के निप्पल पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि टी-शर्ट के अंदर उसकी मां ब्रा नहीं पहन रखी है,,,, यह एहसास सोनू के तन बदन में आग लगा गया,,, अपने बेटे की नजरों को भांप कर,,, अपनी नजरों को नीचे लाकर अपने चुचियों के उभारों की तरफ देखी तो उसे भी अपनी तनी हुई निप्पल टी-शर्ट से बाहर जाती हुई नजर आने लगी यह देख कर उसे भी शर्म सी महसूस होने लगी लगी ना जाने कौन सा,,, उमंग उसके तन बदन में अपना असर दिखा रहा था कि शर्म महसूस होने के बावजूद भी उसे अच्छा लग रहा था,,,,। वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसका बेटा उसकी हुस्न के जादू में पूरी तरह से खो चुका था इसलिए उसे होश में लाने के लिए उसकी आंखें चुटकी बजाते हुए बोली,,,

हेलो ,,,,कहां खो गए,,
(अपनी आंखों के आगे अपनी मां के द्वारा इस तरह से चुटकी बजाने से वह उसमें आया और एकदम से हड बढ़ाते हुए बोला,,,)


क्या बात है मम्मी आज तो तुम एकदम सेक्सी लग रही हो,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर संध्या एकदम से उत्तेजना से भर गई,,, क्योंकि यह पहली मर्तबा था जब सोनु अपने मुंह से उसकी तारीफ में उसे सेक्सी का दर्जा दे रहा था,,,, सोनू की ईस बात का जवाब देने के लिए संध्या के पास कोई शब्द नहीं मिले तो वह बात को काटते हुए बोली,,,)

चलना नहीं है क्या,,,,?


चलना है ना,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू घर से बाहर की तरफ चलने लगा घर के बाहर आकर संध्या ने सबसे पहले दरवाजे को बंद करके और रोड पर चलने लगी दोनों साथ में चल रहे थे,,, सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए अभी भी अंधेरा ही था,,, लेकिन जगह-जगह पर स्ट्रीट लाइट की वजह से सड़क पर रोशनी थी,,,, सोनू की हालत खराब हो रही थी पहली बार वह अपनी मां को इस तरह के कपड़ों में देखा था,,,, थोड़ी ही दूर पर गार्डन बना हुआ था जहां पर लोग मॉर्निंग वॉक करने के लिए आते थे,,,, सोनू अपनी मां की पानी भरे गुब्बारों की तरह उछलती हुई गांड को देखना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,)

मम्मी यहां से थोड़ा दौड़ते दौड़ते चलते हैं,,,, सुबह का समय है हवा ठंडी चल रही है बदन में थोड़ी कर भी आ जाएगी,,,।


मेरे होते हुए भी तुझे ठंडी लग रही है,,,।(संध्या इतना कहकर मुस्कुराने की लगी,,, पहले तो सोनू अपनी मां को कहने का मतलब समझ नहीं पाया लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां क्या कही,,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, फिर भी संध्या धीरे-धीरे दौड़ना शुरू कर दी सोनू जान बूझकर अपनी मां के पीछे ही था,,, क्योंकि वह अपनी मां की,, गांड को देखकर अपनी आंखों को सेंकना चाहता था,,। और यह बात संध्या को भी अच्छी तरह से मालूम थी,,, इसलिए उसे भी आगे आगे चलने में कोई भी एतराज नहीं था,,,। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा क्यों उसके पीछे चल रहा है,,,



क्रमश:
 

hellboy

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संध्या कमरे से बाहर जा चुकी थी लेकिन जाते-जाते अपने बेटे के तन बदन में जवानी की आग को सुलगा चुकी थी,,, छोटी सी चड्डी में अपने तने हुए लंड को पकड़ कर वह मसल रहा था,,,। और मन ही मन कल्पना कर रहा था कि काश उसके लंड क9 उसकी मां पकड़कर इसी तरह से दबा दबा कर मसलती तो कितना मजा आता ,,,,,,, जवानी की गर्मी लंड के नीचे दोनों गोटीयों में उबाल मार रही थी,,, जिसे शांत करना बहुत ही जरूरी हो चुका था,,, इसलिए वह अपने कमरे में गया,,, और अपनी छोटी सी चड्डी को भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, आंखों को बंद करके बिस्तर पर बैठ कर अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा जिसमें उसकी मां धीरे-धीरे माता कथा बिखेरते हुए उसकी आंखों के सामने अपने एक एक कपड़ों को अपने हाथों से उतार रही थी,,,, जैसे-जैसे संध्या के बदन पर से वस्त्र कम होते जा रहे थे वैसे वैसे सोनू के लंड में जवानी का उबाल बढ़ता जा रहा है,,,। कल्पना में सोनू को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी कल्पना की रचना इतनी प्रबल थी कि सब कुछ साक्षात नजर आया था सोनू की आंखों के सामने संध्या अपनी ब्लाउज के बटन खोल रही थी जैसे-जैसे बटन खुल रहा था वैसे वैसे उसके दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर ब्लाउज के कैद में से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे,,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, थोड़ी ही देर में संध्या की गोल-गोल चूचियां उसकी आंखों के सामने थी,,, सोनू अपना लैंड हिलाता हुआ मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां की दोनों चुचियों को देखकर उसकी कामवासना और भी ज्यादा प्रबल हो रही थी,,, लेकिन इससे ज्यादा की कल्पना भी नहीं कर पाया क्योंकि वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बस अपनी मां की चूचियों को कल्पना में देखते ही उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ा,,,।

दूसरी तरफ संध्या की भी हालत पतली होती जा रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का कसरत करता हुआ गठीला बदन नजर आ रहा था,,, छोटी सी चड्डी में उसके बेटे का नंगा बदन बहुत ही सेक्सी लग रहा था,,, सोनू संध्या को कामदेव का रूप लग रहा था,,, जिसको देखते ही औरतें काम लिप्त हो जाती हैं,,, और उसके साथ शारीरिक सुख भोगने के लिए मचल उठती हैं,,। वही नजारा संध्या अपनी आंखों से देख कर पूरी तरह से कामविवश हो चुकी थी,,,। लेकिन कर भी क्या सकती थी अपने मन में हो मरते तूफान को शांत करने की कोशिश करते हुए वह किचन में चली गई और खाना बनाने लगी,,, लेकिन रात को संजय ने सारी कसर उतार दिया,,,, शगुन को लेकर जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव संजय अपने तन बदन में कर रहा था,,, उसके चलते कमरे के अंदर पहुंचते ही संजय ने अपनी बीवी संध्या को एक पल काफी टाइम दिए बिना पल भर में उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,, और खुद भी अपने हाथों से ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,इस समय संजय अपने बेडरूम में अपनी बीवी के साथ संपूर्ण नग्न अवस्था में पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था,,, लेकिन दोनों के सोचने का तरीका बदल चुका था देखने का नजरिया बदल चुका है संजय को उसकी बीवी में उसकी खुद की बेटी शगुन नजर आ रही थी और संध्या को अपने पति संजय में अपना बेटा सोनू नजर आ रहा था जिसकी वजह से दोनों अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए एक दूसरे को संभोग सुख दे रहे थे,,,, संजय की कमर लगातार किसी मशीन की तरह चल रही थी जिसमें जरा भी ठहराव नहीं था और संध्या अपने पति से चुदने के बावजूद भी मानोअपने बेटे सपनों के साथ संभोग क्रिया में लिप्त होकर उसका साथ देते हुए नीचे से अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,, तकरीबन संजय ने पूरी पलंग को चरमराते हुए अपनी बीवी संध्या की 25 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके बाद निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया,,,,। शाम की गर्मी संध्या अपनी बुर की गुलाब की पत्तियों के बीच बहता हुआ महसूस कर रही थी,,,,

तकरीबन 5:00 बजे के करीब सोनू की नींद खुल गई,,, वह जोगिंग वाले कपड़े पहन कर तैयार हो रहा था,,, दूसरी तरफ संध्या भी अपने बेटे के साथ जोगिंग करने के लिए सुबह के 5:00 बजे का अलार्म लगा चुकी थी अलार्म बजते ही उसकी नींद खुल गई,,, टेबल पर से अलार्म को अपने हाथों में लेकर उसे बंद करके वापस टेबल पर रख कर संध्या बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि रात को नंगी ही सो गई थी लेकिन उसे कपड़े पहनने की जरा भी उतावल नहीं थी,,, इसलिए संपूर्णा नग्नावस्था में ही वह चहल कदमी करते हुए कमरे में बने अटैच बाथरूम में पेशाब करने के लिए चली गई,,,, संजय नींद की आगोश में चैन की नींद सो रहा था और एक बेहतरीन खूबसूरत नजारे को देखने से चुक गया था,,, गोल गोल भरावदार गांड की लचक कयामत ढा रही थी उसी तरह से अपनी गांड मटकाते हुए बाथरूम में चली गई,,,, जहां पर वह कमोड पर बैठ कर पेशाब करने की जगह,,, बैठकर मुतने लगी,,,,एक जबरदस्त सुमधुर सीटी की आवाज उसकी गुलाबी बुर की गुलाब की पत्तियों को चीरती हुई बाहर आने लगी,,, लेकिन इस सुरीली आवाज को सुनने के लिए इस समय वहां पर कोई भी चेतना अवस्था में नहीं था इतना तो मुमकिन ही था कि सोनू अगर अपनी मां की बुर में से आ रही है मधुर सिटी की आवाज को सुन लेता तो पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगाने लगता और उत्तेजना अवस्था को बर्दाश्त न कर पाने की वजह से अपने लंड से पानी छोड़ दिया होता,,,,,लेकिन शायद इस तरह का खूबसूरत नजारा देखने का मौका अभी सोनू के पास नहीं था,,,, इत्मीनान से पेशाब करने के बाद संध्या बाथरूम से बाहर आ गई हो जोगिंग करने के लिए कपड़े पहनने लगे आमतौर पर वह हमेशा साड़ी ही पहनती थी लेकिन आज वह अपने बेटे की आंखों में अपने पहरावे की वजह से चमक देखना चाहती थी,,, इसलिए वह साड़ी ना पहन कर एक टी-शर्ट पहन ली जिसके अंदर उसकी नंगी चूचियां खरबूजे की तरह नजर आ रही थी और उन्हें बैलेंस करने के लिए उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी क्योंकि संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि पहली बार जब वह जोगिंग कर रही थी तब उसके बेटे की नजर उसकी उछाल खाती हुई चुचियों पर ही थी,,।
आईने में अपने आप को टीशर्ट में देखकर उसकी खुद की आंखों में चमक नजर आ रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि टी-शर्ट के अंदर उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही आकर्षक और बड़ी बड़ी लग रही थी,,,, खाना की कमर के नीचे अभी तक वह पूरी तरह से नंगी थी और वह अलमारी खोलकर एक आरामदायक स्किन टाइट पैजामा निकालकर पहन ले जो की स्किन टाइट होने की वजह से उसकी संपूर्ण कमर से लेकर के नीचे तक वह पजामा चिपका हुआ था और संध्या के खूबसूरत नितंबों के साथ-साथ उसकी सुडोल टांगो का आकार पजामा पहनने के बावजूद भी किसी को भी आराम से समझ आ सकता था एक बार फिर से अपने पूरे अक्स को आईने में निहारने के बाद उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,,,, अपने खुले रेशमी बालों को जुड़ा बनाकर उस पर रबड़ लगा दी जिससे उसके बाल पोनीटेल के रूप में नजर आने लगे जिससे और भी ज्यादा सेक्सी नजर आने लगी,,,, अब वह अपने बेटे के साथ जोगींग करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,। दूसरी तरफ सोनू सोच रहा था कि उसकी मां की नींद नहीं खुली होगी और वह उसे जगाने के चक्कर में था लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि अपने पापा के कमरे में जाकर वह कैसे अपनी मां को जगाएगा,,,,, वह इस बारे में सोच रहा था कि तभी उसके कमरे की बेल बजने लगी,,,,। मजाक से बिस्तर पर से खड़ा हुआ है दरवाजा खोलने लगा,,, दरवाजे खुलते ही दरवाजे पर अपनी मां को खड़ी देखकर सोनू की आंखें फटी की फटी रह गई वह अपनी मां को आज एक नई रूप में देख रहा था इस रूप में उसकी मां आज के जमाने की बहुत ही सेक्सी औरत लग रही थी वैसे भी बहुत पहले से ही सेक्सी थी लेकिन टी-शर्ट और पजामे में वह कयामत लग रही थी,,,। सोनू ऊसे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया,,, खास करके उसकी नजरें अपनी मां की टीशर्ट के अंदर दोनों खरबूजे पर टिकी हुई थी जो कि बहुत ही ज्यादा घेराव दार नजर आ रही थी,,,, सोनू की हालत तो एकदम खराब होती जा रही थी जब उसकी नजरें अपनी मां की टी-शर्ट के अंदर से बाहर झांक रही चूची के निप्पल पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि टी-शर्ट के अंदर उसकी मां ब्रा नहीं पहन रखी है,,,, यह एहसास सोनू के तन बदन में आग लगा गया,,, अपने बेटे की नजरों को भांप कर,,, अपनी नजरों को नीचे लाकर अपने चुचियों के उभारों की तरफ देखी तो उसे भी अपनी तनी हुई निप्पल टी-शर्ट से बाहर जाती हुई नजर आने लगी यह देख कर उसे भी शर्म सी महसूस होने लगी लगी ना जाने कौन सा,,, उमंग उसके तन बदन में अपना असर दिखा रहा था कि शर्म महसूस होने के बावजूद भी उसे अच्छा लग रहा था,,,,। वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसका बेटा उसकी हुस्न के जादू में पूरी तरह से खो चुका था इसलिए उसे होश में लाने के लिए उसकी आंखें चुटकी बजाते हुए बोली,,,

हेलो ,,,,कहां खो गए,,
(अपनी आंखों के आगे अपनी मां के द्वारा इस तरह से चुटकी बजाने से वह उसमें आया और एकदम से हड बढ़ाते हुए बोला,,,)


क्या बात है मम्मी आज तो तुम एकदम सेक्सी लग रही हो,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर संध्या एकदम से उत्तेजना से भर गई,,, क्योंकि यह पहली मर्तबा था जब सोनु अपने मुंह से उसकी तारीफ में उसे सेक्सी का दर्जा दे रहा था,,,, सोनू की ईस बात का जवाब देने के लिए संध्या के पास कोई शब्द नहीं मिले तो वह बात को काटते हुए बोली,,,)

चलना नहीं है क्या,,,,?


चलना है ना,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू घर से बाहर की तरफ चलने लगा घर के बाहर आकर संध्या ने सबसे पहले दरवाजे को बंद करके और रोड पर चलने लगी दोनों साथ में चल रहे थे,,, सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए अभी भी अंधेरा ही था,,, लेकिन जगह-जगह पर स्ट्रीट लाइट की वजह से सड़क पर रोशनी थी,,,, सोनू की हालत खराब हो रही थी पहली बार वह अपनी मां को इस तरह के कपड़ों में देखा था,,,, थोड़ी ही दूर पर गार्डन बना हुआ था जहां पर लोग मॉर्निंग वॉक करने के लिए आते थे,,,, सोनू अपनी मां की पानी भरे गुब्बारों की तरह उछलती हुई गांड को देखना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,)

मम्मी यहां से थोड़ा दौड़ते दौड़ते चलते हैं,,,, सुबह का समय है हवा ठंडी चल रही है बदन में थोड़ी कर भी आ जाएगी,,,।


मेरे होते हुए भी तुझे ठंडी लग रही है,,,।(संध्या इतना कहकर मुस्कुराने की लगी,,, पहले तो सोनू अपनी मां को कहने का मतलब समझ नहीं पाया लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां क्या कही,,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, फिर भी संध्या धीरे-धीरे दौड़ना शुरू कर दी सोनू जान बूझकर अपनी मां के पीछे ही था,,, क्योंकि वह अपनी मां की,, गांड को देखकर अपनी आंखों को सेंकना चाहता था,,। और यह बात संध्या को भी अच्छी तरह से मालूम थी,,, इसलिए उसे भी आगे आगे चलने में कोई भी एतराज नहीं था,,,। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा क्यों उसके पीछे चल रहा है,,,



क्रमश:
awesome update bro
 
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