संध्या आहीस्ता आहीस्ता अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी बस आखरी बटन खोलने की तैयारी में थी संध्या के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी बेहद अद्भुत अहसास से वह भरी जा रही थी,,, एक औरत के लिए जवान लड़के के सामने और अभी खुद के अपने सगे बेटे के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी भारी-भरकम चुचियों का प्रदर्शन करना अजीब होता है लेकिन उत्तेजनात्मक यह क्रिया औरत के तन बदन में मादकता के अद्भुत नशे को भर देता है,,,, सोनू की आंखें एकाग्र हो चुकी थी अपनी मां के ब्लाउज पर और संध्या अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपने ब्लाउज का आखरी बटन खोल चुकी थी,,,, और ब्लाउज के दोनों चोर को पकड़ कर उसे फैलाते हुए अपनी विशाल काय छाती को अपने बेटे को दिखाने लगी और बोली,,,
देख ले तुझे विश्वास नहीं हो रहा है ना जो ब्रा तेरे हाथ में है जिस साइज की है वही ब्रा में पहनी हूं उसी साइज की थोड़ा सा भी माप इधर-उधर नहीं है बोल अब क्या कहता है,,,(ऐसा कहकर संध्या अपने बेटे की तरफ मादकता भरी निगाह से देखने लगी,,, सोनू की तो आंखें फटी की फटी रह गई उसकी आंखों के सामने बेहद अद्भुत नजारा था ,,, उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फुट रहे थे,,,, बोलने के लिए कुछ बचा ही नहीं था,,,।उत्तेजना के मारे सोनू का गला सूख रहा था और वह अपने थुक से अपने गले को गीला करने की कोशिश कर रहा था,,, सोनू अपनी मां की चूचियों के बेहद नजदीक था जहां से जालीदार ब्रा में से लगभग लगभग सब कुछ नजर आ रहा था,,,, वाकई में सोनू को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां की चुचियों के साइज से ब्रा का साइज बहुत कम है,,,, सोनू की नजरें सब कुछ देख पा रही थी,,, सोनू को अपनी मां के जालीदार ब्रा में से सब कुछ झलक रहा था गोरे रंग का खरबूजा तनी हुई निप्पल जो कि दिखाई नहीं दे रही थी लेकिन ब्रा के ऊपर भाले की तरह निकली हुई थी जो कि इस बात का एहसास दिला रही थी कि उस जगह पर उसकी मां की निप्पल है,,, और जालीदार ब्रा में से निप्पल के इर्द-गिर्द का भूरे रंग का वह गोलाकार अंग साफ तौर पर एक मदमस्त चुची की परिभाषा को फलीभूत कर रहा था,,,,। सूचियों का साइज बड़ा और ब्रा का साइज छोटा होने की वजह से संध्या की मदमस्त बड़ी-बड़ी चूचियां छोटे से ब्रां मे बड़ी मुश्किल से समा जा रही थी लेकिन ब्रा से बाहर शराब की तरह छलक जा रही थी,,,। जिससे दोनों की चीजों के बीच गहरी खाई की तरह गहरी दरार से लेकिन बेहद लंबी नजर आ रही थी सोनू का मन अपनी मां की चूचियों के बीच की दरार में डूब जाने को कर रहा था,,,। चलो अपनी मां की चुचियों को मादकता भरी निगाहों से देख रहा था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूचियों को खा जाएगा जिस तरह की ब्रा सोनू के हाथ में ठीक उसी तरह की ब्रा उसकी मां पहनी हुई थी,,, संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उत्तेजना के मारे उसके दोनों घुटने कांप रहे थे,,,उसे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर उसे अपनी चूचियां दिखा रही है जो कि इस समय जालीदार ब्रा के अंदर कैद थी,,,,,, संध्या को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि उसका बेटा ब्रा में छिपी उसकी चुचियों के दर्शन करके एक दम मस्त हो गया है लेकिन ना तो वह वापस ब्लाउज के बटन लगाना चाहती थी और ना ही सोनू अपनी नजरों को उसकी मदमस्त छातियों से हटाना चाहता था,,,,,सोनू जिस तरह से बदहवास होकर मदहोशी के आलम में उसकी चूचियों को आंखें फाड़े देख रहा था संध्या को लग रहा था कि वह किसी भी वक्त उसकी चूची को अपने हाथ में भर लेना और वो खुद ऐसा चाहती थी,,,,।
अब तो विश्वास हो गया ना तुझे कि मेरे छोटी सी ब्रा में मेरी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे आ जाती है,,,(संध्या के मुंह से अनजाने में ही एकदम तपाक से सब निकल गई जिसे सुनकर सोनू और ज्यादा बावला हो गया,,, वह अपनी मां की चूचियों को देखते हुए लंबी आह भरकर बोला,,,)
सच कहूं तो मम्मी मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है क्योंकि देखने से ही तुम्हारी चूचियां,,, सॉरी तुम्हारी यह,,,, बड़ी लग रही है,,,(अपने बेटे के मुंह से अपने दोनों दूध कितने चूचियां शब्द सुनकर उत्तेजना से संध्या एकदम से सिहर उठी,,,) और तुम्हारी ब्रा छोटी लग रही है जैसे कि यह है,,,(एक बार फिर से ब्रा के कप में अपने हाथ का मुक्का बनाकर उसमें डालते हुए) देख रही हो,,,(संध्या अपने बेटे की बातें सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसे अपने बेटे की बातें भोली लग रही थी,,, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि सोनू जानबूझकर यह सब नाटक कर रहा है,,,) रुको मुझे अच्छी तरह से देखने दो,,,(और इतना कहने के साथ ही सुनने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बिना कुछ बोले अपनी दोनों हथेलियों को अपनी मां की दोनों चुचियों पर रख दिया जोकी ब्रा के अंदर कैद थी लेकिन फिर भी सोनू को अपनी मां की सूचियों का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था,,,,सोनू हल्के हल्के अपनी हथेली को अपनी मां की चूचियों के गोलाकार कर रखकर दबा रहा था,,,, संध्या की हालत खराब होने की वह छत पर इधर-उधर देखने लगी कहीं कोई देख तो नहीं रहा है हालांकि उसकी छत बाकी ओके छत से बहुत ऊपर थी जहां पर किसी की भी नजर पहुंच पाना नामुमकिन था लेकिन फिर भी इस तरह की हरकत तो ना छत के ऊपर खड़ी कर रहे थे इस वजह से संध्या को थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं दोनों किसी की निगाह में ना आ जाए,,,, सोनू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी जैसे ही संध्या की नजर अपने बेटे के पजामी पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर तंबू की शक्ल ले चुका था यह नजारा देखते ही संध्या की बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,,,उसका भी मन कर रहा था कि जिस तरह से उसका बेटा उसकी चूचियों के साथ हरकत कर रहा है वही हरकत वह अपने बेटे के लंड के साथ करें,,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि तभी उत्तेजना के मारे सोना ब्रा के ऊपर से ही अपनी मां की चूचियों पर दोनों है तेरी रखे हुए ही जोर से अपनी मां की चूची को दबा दिया और संध्या के मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज निकल गई,,,।
आहहहहह,,,,, क्या कर रहा है,,,?
ककककक,,, कुछ नहीं मम्मी बस मैं देखना चाहता था कि यह कठोर होती है या नरम नरम,,,,
तुझे कैसा लगा,,,,
बहुत नरम नरम देखने में तो खरबूजे जैसी ठोस नजर आती है,,,,
हां यह ऐसी ही होती है,,, दिखती भले ही ठोस हैलेकिन होती नरम नरम है,,,,(संध्या भी बड़ी बेशर्मी से जवाब देते हुए बोली,,, सोनू को मजा आ रहा थाअपनी मां की इस तरह की बातें सुन तो उसके तन बदन में आग लग रही थी वह अभी भी ब्रा के ऊपर से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए था बड़ा ही सुहावना मनमोहक दृश्य था,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, जिस तरह से उत्तेजना के मारे सोनू का लंड खड़ा हो गया था उसी तरह से उत्तेजना तमक स्थिति में संध्या की बुर की पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से उसकी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,, सोनू बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
कसम से मम्मी बहुत ही अद्भुत है,,,,
क्या,,,,?
तुम्हारी चूचियां और इन चुचियों को अपने अंदर समा लेने वाली यह छोटी सी ब्रा,,,, बेहद अद्भुत है,,,
तू पागल है तू अभी औरतों के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं है इसलिए ऐसी बातें कर रहा है,,,मेरी छोटी सी ब्रा जानबूझकर पहनती हुं,,,
जानबूझकर मैं कुछ समझा नहीं,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
यह बात मैं तुझे बाद में बताऊंगी,,,,(संध्या अपने ब्लाउज के बटन को बंद करते हुए बोली,,, और सोनू को अपनी मां की यह हरकत अच्छी नहीं लगी वह चाहता था कि उसकी मां ने ब्रा के हुक खोल कर अपनी नंगी चूचियों को उसे दिखाएं लेकिन उसकी मां तो ब्लाउज के बटन बंद करना शुरू कर दी थी,,,सोनू को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि अपनी मां को ऐसा करने से रोक भी नहीं सकता था क्योंकि उसमें हिम्मत नहीं थी लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे हिम्मत दिखा रहा था,,,, संध्या अपने ब्लाउज का आखरी बटन बंद करते हुए बोली,,,,)
अब यह कपड़े तो रससी पर डाल दें,,,
ओहहह सॉरी,,,(अपने हाथ में लिए हुए अपनी मां की ब्रा को देखते हुए बोला और उसे रस्सी पर डाल दिया,,,, बाल्टी में से उसने अपनी मां की पेंटिं निकाल कर उसे अपनी मां की तरफ दिखाने लगा उसे देखकर संध्या बोली,,,)
अभी से देखकर यह मत बोल देना कि मेरी बड़ी बड़ी गां,,,,,(इतना कहकर वह चुप हो गई वह जानबूझकर अधूरा ही शब्द बोली थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास है इस अधूरे शब्दों को अपने मन में सोनू पूरा करके और ज्यादा उत्तेजित हो जाएगा और वैसा हो भी रहा था,,,)
नहीं नहीं यह तो बिल्कुल सही है,,,(पेंटी को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसे फैलाते हुए बोला,,, धीरे-धीरे करके सोनू कपड़ों को रस्सी पर डालने लगा और संध्या वापस जाकर खटिया पर बैठ गई,,,वह जानबूझकर अपने ब्लाउज के बटन बंद करके एक बेहतरीन नाटक पर पर्दा डाल दी थी वह जानती थी और उसे इस बात का चित्र से एहसास हो गया था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके बदन का दीवाना हो चुका है,,,, वह जब चाहे तब अपने बेटे को उसके घुटनों के बल ला सकती थी इस उम्र में भी उसे अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था,,, सोनू सारे कपड़ों को रस्सी पर डाल दिया था खटिया पर बैठी हुई संध्या आगे की युक्ति बना रही थी,,,,सोनू को दिखा कर बार-बार वह अपना हाथ अपनी कमर पर रख ले रही थी और दर्द होने का एहसास दिला रही थी,,,, अपनी मां को देखकर उसके चेहरे पर आए दर्द के भाव को समझकर सोनू अपनी मां से बोला,,,)
बहुत दर्द हो रहा है क्या मम्मी,,,,
हां रे आज मेरी कमर बहुत दर्द कर रही है लगता है बाल्टी उठाने में नस खिंचा गई है,,, मुझे मेरी कमर पर मालिश करना पड़ेगा तब जाकर आराम पड़ेगा,,,।
अरे तुम क्यों करोगी मैं हूं ना मैं तुम्हारी कमर पर मालिश कर दूंगा,,,
तुझे आता है क्या मालिश करना,,,
अरे नहीं आता तो क्या हुआ धीरे-धीरे सीख जाऊंगा,,,
चल ठीक है,,,,
चलो अभी कर देता हूं,,,,(सोनू काफी उत्सुक था मालिश करने के बहाने अपनी मां की चिकनी कमर को छूने के लिए ,,,)
अरे अभी नहीं रात को करना ताकि उसके बाद कोई काम ना करना पड़े,,,,
ठीक है मम्मी मैं कर दूंगा,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर संध्या मुस्कुरा दी,,, और बोली)
चल अब नीचे चलते हैं थोड़ा काम बचा है उसे कर दुं
(इतना कहकर संध्या खाट पर से उठी और आगे आगे चलती हुई सीढ़ियां उतरने लगी पीछे-पीछे सोनू अपनी निगाहों को अपनी मां के संपूर्ण बदन के भूगोल पर इधर-उधर घुमा रहा था खास करके अपनी मां के नितंबों के घेराव पर जोकि सोनू के होश उड़ा रही थी,,, साड़ी में लिपटी हुई अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की थिरकन को देखकर सोनू का लंड बावला हुआ जा रहा था,,,,वह अपने मन में सोच रहा था कि ना जाने कब उसे मौका मिलेगा कि अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी उतार कर उसे नंगी करेगा और उसकी बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कर पाएगा,,, देखते ही देखते दोनों सीढ़ियां उतरकर घर में आ गए और संध्या अधूरे काम को पूरा करने लगी और सोनु अपने कमरे में चला गया,,,)