अपनी मां को बिस्तर पर पेट के बल लेट हुए देखकर सोनू की आंखों में एक नई दुनिया का नजारा नजर आ रहा था,,, सोनू अपनी खूबसूरत कामाग्नि से भरी हुई मां को लेकर मदहोश कर देने वाले सपने बुनने शुरू कर दिया था,,,,संध्या जानती थी कि उसका बेटा उसके कमरे में आने वाला है इसलिए वह दरवाजा खुला छोड़ रखी थी और अपने बेटे पर अपनी जवानी का अपने हुस्न का तो छोड़ने के लिए बहुत पेट के बल लेट कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी दोनों टांगों को आपस में हिलाते हैं मोबाइल चला रही थी और अपनी साड़ी को अपनी जान ऊपर नीचे कर दी थी ताकि उसकी गोरी गोरी मक्खन जैसी टांगें उसकी मदहोश कर देने वाली मांसल जांघें,,, उसके बेटे को साफ साफ दिखाई दे और यही तो उसका काम बाण था क्योंकि सीधे उसके बेटे सोनू की दोनों टांगों के बीच जाकर लगा था,,, उत्तेजना के मारे अपने थूक को गले से नीचे निगलते हुई वह कमरे में प्रवेश किया,,,, अपने बेटे की आहट संध्या महसूस कर चुकी थी इसलिए वह बोली,,,।
दरवाजा लॉक कर दे,,,( यह जानते हुए भी कि घर में उन दोनों के सिवा दूसरा कोई भी नहीं था फिर भी संध्या जो कुछ भी करना चाहती थी बंद कमरे के अंदर करना चाहती थी,, दरवाजा लॉक कर देने वाली बात सुनकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, क्योंकि बिस्तर पर लेटी हुई कामदेवी भले ही उसकी मां थी लेकिन इस समय सोनू उसे एक औरत के रूप में देख रहा थाऔर संध्या भी अपने बेटे को अपने बेटे के रूप में ना देख कर उसे एक मर्द के रूप में देख रही थी,,,, जैसे ही सोनू दरवाजा लॉक करके बिस्तर के करीब पहुंचा तो संध्या मोबाइल बंद करके उसे एक तरफ रखते हुए देखा पीछे की तरफ लाकर अपनी कमर पर रख कर बोली,,,)
बहुत दर्द कर रहा है सोनू शायद तेरी मालिश से मुझे आराम मिल जाए,,,।
कोई बात नहीं मम्मी ऐसा ही होगा मैं तुम्हारी अच्छे से मालिश करूंगा,,,,( और इतना कहकर वहां बिस्तर पर अपनी मां के करीब बैठ गया और आयोडेक्स का ढक्कन खोलने लगा और अपनी उंगली में आयोडेक्स निकाल कर उसे अपनी मां की चिकनी कमर पर चारों तरफ मलने लगा,,,अपनी मां की मक्खन जैसी चिकनी कमर पर हाथ रखते हैं सोनू के तन बदन में आग लगने लगे उसका लंड अपनी मां की जवानी को देखकर सलामी भरने लगा,,,सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी पहली बार अपनी मां की कमर पर हाथ रखा था,,,, धीरे-धीरे अपनी उंगलियों के सहारे अपनी मां की कमर की मालिश करना शुरू कर दिया लेकिन सोनू पर पर मदहोश होता चला जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी और यही हाल संध्या का भी था अपने बेटे की हथेलियों को अपनी कमर पर महसुस करते ही उसके तन बदन में गर्मी सी छाने लगी,,
वह गहरी सांस लेते हुए तकिए पर अपना सर रख कर आराम से लेट गई लेकिन इस दौरान वह अपनी दोनों टांगों को घुटनों से ऊपर की तरफ उठाए हुए थी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से उसकी बेटी को उसकी नंगी गोरी टांग और जांघ दोनों नजर आ रही होगी पर यह बात भी भली-भांति जानती थी कि मर्दों के सर्वप्रथम आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है जो कि वह खुद जिस तरह से लेटी हुई थी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी भारी-भरकम गांड पर ही टिकी हुई होगी भले ही वह साड़ी में क्यों न लिपटी हुई हो उसकी पैनी नजर कल्पना के माध्यम से साड़ी के अंदर के नजारे को प्रचलित कर रही होगी,,,।
सोनू का मजा आ रहा था आनंद के महासागर में गोते लगाने के लिए वह पूरी तरह से तैयार था वह जानता था कि अपनी मां को गंदी नजर से देखना गलत बात है लेकिन फिर भी ना जाने क्यों अपनी मां के आकर्षण से पूरी तरह से बंधता चला जा रहा था,,, थोड़ी देर तक मालिश करने के बाद वह औपचारिक रूप से ही अपनी मां से बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,,।
अच्छा लग रहा है लेकिन अभी भी दर्द हो रहा है,,,
तुम चिंता मत करो कुछ ही देर में दर्द खत्म हो जाएगा,,,।
(दर्द भरी बातें केवल औपचारिक ही थी क्योंकि यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते हैं कि कोई दर्द है बदन में नहीं था बस एक दोनों के प्रति आकर्षण था जिसका व दोनों भरपूर आनंद ले रहे थे सोनू थोड़ा सा आयोडेक्स लेकर अपनी मां की कमर के बीच से उभरी हुई गहरी आई नो माय लकीर में जो की ऊपरी सतह पीठ पर जा रही थी उसके अंदर अधीक्षक आकर मालिश करना शुरू कर दिया उसकी मां की पीठ के बीचोबीच जो लकीर थी वह काफी गहरी थी सोनू का मन उसमें डूब जाने को कर रहा था अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर उसे पीठ की इस गहरी लकीर में भी अपने लंड को रगड़ने का मौका मिले तो भी वह अपने आप को भाग्यशाली समझेगा,,,,,,
धीरे-धीरे समय गुजर रहा था दोनों के पास वक्त काफी था 11:30 का समय हो चुका था और सोनू अपनी मां की कमर की मालिश कर रहा था कमर इतनी चिकनी और मक्खन जैसी थी कि सोनू का मन उसे अपनी जीभ लगाकर चाटने को कर रहा था,,,,,,,, और संध्या अपनी हरकतों से सोनू की हालत और खराब कर रही थी वह आपने घुटनों से काम को मोड़ कर ऊपर करके अपनी पायल को बजा रही थी जिसकी आवाज सोनू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी बार-बार उसकी नजर अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसकी मोटी मोटी जांघों की तरफ चली जा रही थी,,,,सोनू का मन अपनी मां की गांड को और उसकी मोटी मोटी मांसल जांघों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,,
उसे वह नजारा साफ नजर आ रहा था जहां कमर तक उसकी मां ने सारी बातें हुई थी उसके बीचो-बीच उसे वह लकीर नजर आ रही थी जो कि औरतों के दोनों कुल्हो को अलग करने की लकीर होती है,,,, यह नजारा देखते ही उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,उसे इस बात पर यकीन हो गया कि वह नजारा इतनी आसानी से नजर नहीं आता है जरूर उसकी मां ने अपनी साड़ी को जानबूझकर नीचे की तरफ बांधी थी ताकि उसे उसकी गांड की लकीर साफ नजर आए और वह भाग थोड़ा सा उभरा हुआ भी था,,, यह देखकर सोनु की आदत खराब होने लगी,,, वो काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,अपनी मां के कमरे में आने से पहले अपने कपड़ों को उतार कर एक ढीली सी टीशर्ट और ढीला सा पायजामा पहन लिया था और उस पजामे के अंदर उसका लंड लोहे के रोड की तरह टनटनाकर खड़ा हो चुका था,,,,, हालात सोनू के लिए बदतर हुआ जा रहा था,,,, सोनु के लिए अधिकतर उत्तेजना से पाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि वह इस खेल में वह अभी बिल्कुल ही नया था,,,, इस तरह के हालात पर काबू पाना उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था उसे लगने लगा था कि उसके लंड से किसी भी पल पानी निकल जाएगा क्योंकि बार-बार उसकी नजर उसकी मां के लिए कमरों की पत्नी शुरुआती पतली लकीर पर चली जा रही थी,,,, यह लकीर महज एक पतली सी लीटी थी नितंबों के लिए लेकिन मर्दों के लिए यह उत्तेजना और मादकता का वह छलकता जाम था जिसे होठों से लगाने के लिए हर मर्द तड़पता रहता था,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था और वहमालिश करने के बहाने धीरे-धीरे अपनी एक उंगली को उस पतली,,, दरार मे रगडते हुएसाड़ी के अंदर की तरफ सरकार ने लगा इस बात का अहसास होते ही संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी मदहोशी चिकोटी काटने लगी,,,। संध्या को समझ में आ गया कि उसका बेटा मदहोश हो रहा है वरना वह उसकी साड़ी में उंगली डालने की हिम्मत ना करता लेकिन अपने बेटे की इस हरकत से वह खुश थी,,,,,, उसकी उम्मीद का दिया जलता हुआ नजर आ रहा था,,,, मंजिल दूर थी लेकिन रास्ता कठिन बिल्कुल भी नहीं बस एक दूसरे का साथ देकर आगे बढ़ना था,,,,।
कुछ देर तक सोनू बिना कुछ बोले अपनी उंगली को अपनी मां की साड़ी के अंदर सरकार ने की कोशिश करता रहा और जितनी उंगली अंदर जाती थी उससे उसके मक्खन जैसे नितंबों के उभार की शुरुआत को छूकर अपने तन बदन को मदहोश कर रहा था,,,मन तो उसका कर रहा था कि पूरी हथेली अपनी मां की साड़ी के अंदर डाल कर उसके बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर जोर जोर से मसल डाले,,,लेकिन अभी वह ऐसा नहीं कर सकता था लेकिन फिर भी ऐसे बहुत मजा आ रहा था उत्तेजना के परम शिखर करो पूरी तरह से विराजमान हो चुका था आंखों से वह अपनी मां के संपूर्ण बदन के भूगोल को नाप चुका था,,, बस उसे अपने हाथों में लेकर मसलकर छुकर स्पर्श करके महसूस करना बाकी था, ,,,, संध्या का भी हाल यही था,,, उसे भी उत्तेजना के मारे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने बेटे के कारण उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव करना पड़ेगा,,,,,,
संध्या के बदन में दर्द बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के द्वारा की गई मालिश से पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी उसे अच्छा लग रहा था उसका सहलाना दबाना मसल ना,,,, लेकिन संध्या इससे ज्यादा बढ़ना चाहती थी,,,वह अपने बेटे की उंगलियों को हथेलियों को अपने बदन के हर एक हिससे पर महसूस करना चाहती थी,,,। इसलिए वह बोली,,,,
बेटा थोड़ा इधर भी मालिश कर दे,,,,(अपने हाथ को पीछे की तरफ लाकर उंगली से अपनी ब्लाउज के निचले हिस्से से दो अंगुल ऊपर की तरफ इशारा करते हुए बोली क्योंकि वह जानती थी कि उधर पर मालिश करना और वह भी ब्लाउज पहने हुए मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और उधर के मालिश करवाने के लिए सपना ब्लाउज उतारना भी पड़ता इसलिए जानबूझकर संध्या युक्ति रची थी,,,) इधर भी ऐसा लग रहा है कि बहुत दर्द कर रहा है,,,,
हां कर तो दूंगा लेकिन,,,
क्या लेकिन,,,,
ब्लाउज पहने हुए,,,,,,, मालिश नहीं हो पाएगी,,,
तो,,,,
तो क्या ब्लाउज उतारना पड़ेगा,,,,(सोनू एक झटके से बोला,,और अपने बेटे की यह बात सुनकर ही संध्या पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई लड़का उसके साथ संबंध बनाने के लिए उसे अपने कपड़े उतारने के लिए कह रहा हो,,,)
हां यह तो तु ठीक कह रहा है,,, रुक अभी उतारती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या धीरे से बैठ गई लेकिन अपना मुंह दूसरी तरफ किए हुए थी,,,मन तो उसका हो रहा था कि अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी छाती ब्लाउज नुमा पर्दे को हटा दें,,, लेकिन अभी भी उसमें शर्मो हया बाकी थी,,,इसलिए दूसरी तरफ मुंह करके अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी सोनू ठीक उसके पीछे बैठा हुआ था जहां से उसे अपनी मां के हाथों की हरकत बराबर नजर आ रही थी वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि इस समय उसकी मां ब्लाउज के बटन खोल रही हैं,,, ब्लाउज के बटन खोलने का एहसास ही सोनू के तन बदन में आग लगा रहा था देखते ही देखते संध्या अपना ब्लाउज उतार कर बिस्तर पर रख दी,,, ब्लाउज के उतारते ही मरून रंग की ब्रा नजर आने लगी,,, और अपनी मां के गोरे बदन पर मरुन रंग की ब्रा देखते ही,,, उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी और उत्तेजना के मारे हो अपनी उंगली को अपनी मां की साड़ी के और अंदर की तरफ सरकार ने लगा तो उसे उसकी मां की पेंटी स्पर्श होने लगी जिसका एहसास उसे मदहोशी के सागर में डूबोए लिए चला जा रहा था,,,। ब्लाउज उतार देने के बाद संध्या का मन अपनी करा दी उतारने का कर रहे थे कि वह अपने दोनों अमरूदों का अपने बेटे को दिखाना चाहती थी हालांकि वह पहले भी देख चुका था लेकिन उस तरह से देखने में और इस तरह से दिखाने में जमीन आसमान का फर्क था,,।फिर भी अपने बेटे की राय लेना चाहती थी कि उसके मन में क्या चल रहा है हालांकि इस बात का एहसास हो सच कहा था कि उसका बेटा भी यही चाहता होगा कि उसकी मां अपनी मां को भी उतार दें और कमर के ऊपर से पूरी तरह से नंगी हो जाए इसलिए वह जानबूझकर बात बनाते हुए बोली,,,।
अब ठीक है ना हो जाएगी ना मालिश,,,,
वह तो जाएगी लेकिन,,,,,,(अपने हाथ को आगे बढ़ाकर ब्रा की पट्टी पर उंगली रखते हुए,,) इस पट्टी की वजह से ठीक से नहीं हो पाएगा,,,, एक काम करो ना मम्मी ब्रा भी उतार दो,,,,..
(बस फिर क्या था यही तो संध्या सुनना चाहती थी,,,)
ठीक है रुक इसे भी उतार देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर ब्रा के हुक खोलने लगी लेकिन वो जानबूझकर उसके हुक को खोल नहीं रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा उसकी ब्रा की हुक को खोले इसलिए थोड़ी देर तक मशक्कत करने के बाद वह बोली,,,)
ओफ्फो,,, यह मुझसे खुल नहीं रहा है बेटा तू ही खोल दे तो,,,।
(इतना सुनते ही सोनू का पूरा बदन गनगना गया,,, उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसके कानों ने सुना था वह बिल्कुल सच था उसे उसकी मां ब्रा का हुक खोलने के लिए कह रही थी जो कि एक औरत अपने प्रेमी या पति को ही यह इजाजत देती है,,,,सोनू की खुशी का ठिकाना ना था पहली बार वह किसी औरत की ब्रा का हुक खोलने जा रहा था,,, फिर भी अपने कानों से सुनी बात को पूरी तरह से निश्चित कर लेने के लिए वह बोला,)
कककक,,,क्या ,,, मैं खोलु,,,,,!
हां तो क्या और कौन खोलेगा,,,,
ठीक है लेकिन मैंने कभी ब्रा का हुक नहीं खोला,,,
तो क्या हुआ अभी खोल ले एक न एक दिन तो खोलेगा ही अपनी बीवी की,,,,,,(संध्या यह बात जानबूझकर मुस्कुराते हुए बोली थी चौकी अपनी मां की यह बात सुनकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड उठी थी,,, अपनी मां की बात मानते हुए,,,वह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था,,, इसलिए वह बोला,,,)
ठीक है मैं कोशिश करता हूं मुझसे खुलती है कि नहीं,,,
अरे खुल जाएगी कोई कठिन काम थोड़ी है,,,
(संध्या अपनी बेटी का हौसला बढ़ाते हुए बॉडी और सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां के ब्रा के हुक को खोलने में लग गया,,,जो कि उसने यह काम कभी भी नहीं किया था इसलिए उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि किस तरह से खोला जाता है फिर भी वह मशक्कत करने लगा और थोड़ी देर मशक्कत करने के बाद वह अपनी मां की ब्रा के हुक को खोलने में कामयाबी हासिल कर लिया,,,,,, और संध्या उसे अपनी बाहों में से बाहर निकालकर ब्लाउज के पास बिस्तर पर रख दी,,, मक्खन जैसी चिकनी नंगी पीठ सोनु की आंखों के सामने चमक रही थी,,, सोनू का मन मक्खन जैसी चिकनी पीठ को जीभ से चाटने को कर रहा था,,।
देखा कितने आराम से खुल गया,,,
हां सच में,,,,
अब तो ठीक से मालिश कर लेगा ना,,,
हां मम्मी अब ठीक है,,,,
चल अच्छा अब सही से मालिश करना,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी ब्रा को जोड़ने का नाटक करते हुए संध्या बांए से हल्का सा घुम कर अपने बेटे की तरफ नजर डाले बिना बोली,,,) अरे मैंने ब्रा कहां रख दी,,,(उसका सिर्फ इतना घूमना ही था कि उसकी बांई चुची सोनू को एकदम से नजर आ गई क्या मदमस्त कर देने वाली चुची थी,,, एकदम हाफुस आम की तरह गजब का नजारा था पल भर में ही सोनु की नजर में बस गया था,,, लेकिन संध्या इस नजारे को देखने के लिए अपने बेटे को दूसरा पल नहीं दी और दूसरी तरफ घूम कर अपनी ब्रा को उठाते हुए बोली,,)
अरे ये रहा,,,,,(उसने कहने के साथ ही वह बिस्तर पर लेट गई,,,,, सोनू की हालत खराब थी सांसो की गति जवाब दे रही क्या पजामे में गदर मचा हुआ था अरमानों का धुंआ,, सांसों से बाहर उड़ रहा था,,, सोनू के सामने जैसे कोई पॉर्न मूवी चल रही हो,,,, सब कुछ गजब था,,, इस पल के लिए सोनू बार-बार अपनी किस्मत पर गर्व कर रहा था 11:30 से ऊपर का समय हो रहा था,,,और सोनू अपनी मां के कमरे में उसके बिस्तर पर बैठा हुआ उसकी चिकनी पेट की मालिश करने जा रहा था,,,, संध्या बड़े आराम से तकिए पर सिर रखकर लेटी हुई थी उसे मालूम था कि किसी भी वक्त उसके बेटे की हथेलियां उसकी चिकनी पीठ पर मक्खन की तरह फिसलने लगेगी,,, उसकी दिल की भी धड़कन भारी हो चलो ठीक टांगों के बीच की पतली दरार में बाढ़ आ चुका था,,, इतना पानी संध्या ने अपनी शादी की पहली रात में भी नहीं छोड़ी थी जितना कि आज अपने बेटे के साथ छोड़ रही थी,,,। संध्या की बुर से निकलने वाला पानी की हर एक मोड़ गवाही दे रहा था कि संध्या हद से ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रही है,,,,,
कुछ देर तक सोनू नजर भर कर अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देखता ही रह गया जो कि ट्यूबलाइट की सफेद रोशनी में दूधिया रंग की तरह चमक रही थी,,,,सोनू जल्द से जल्द अपनी मां की छिपकली पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए मलहम को अपनी उंगली में अपनी मां की चिकनी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया,,,,,,अपने बेटे की हथेली को अपनी नंगी चिकनी पीठ पर महसूस करते ही संध्या का तन बदन मचल उठा उसके मुंह से आह की आवाज़ निकलते निकलते रह गई,,,,,,सोनू का मजा आ रहा था सोनू अपनी दोनों हथेलियों को अपनी मां की चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ सरका रहा था,,, सोनू का मन अपनी मां को चोदने के लिए प्रबल हुआ जा रहा था,,,, वह अपने मन में ही सोच रहा था कि किस तरह से वह अपनी मां की चुदाई कर सकें लेकिन उसे कोई भी युक्ति नजर नहीं आ रही थी,,, लेकिन संध्या अपने लिए रास्ता बना रहे थे वह जानते थे कि रिश्ते की नई शुरुआत करने के लिए थोड़ा समय लगता जरूर है लेकिन मंजिल तक पहुंचा जा सकता है और इसी आशा से वह अपने बेटे को और ज्यादा उकसाने के लिए बातों का दौर शुरू कर दी,,,।
संध्या अपने बिस्तर पर लेटी हुई
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तू इतना घबरा क्यों रहा था जब वह दुकान वाला तेरे हाथ में आयोडेक्स की जगह कंडोम का पैकेट दे दिया था,,,।
(अपनी मां की इस तरह कि खुली बात सुनते हीसोनू का दिमाग सन्न रह गया,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां अपने मुंह से कंडोम शब्द का प्रयोग करेगी,,, अपनी मां के सवाल का जवाब सोनू कुछ सूझ नहीं रहा था वह खामोश रहा तो फिर उसकी मां बोली,,)
बोलना तु इतना घबरा क्यों रहा था,,,और उस लड़के को देखा नहीं तेरी उम्र का था कैसे बिंदास उस पैकेट को लेकर चला गया,,,।(संध्या लंबी आहें भरते हुए बोली)
मममम,,, मैं कैसे ले सकता था मैंने कभी खरीदा नहीं,,,(अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली फिराते हुए घबराते हुए सोनू बोला,,,)
अरे मैं जानती हूं तूने कभी खरीदा नहीं है लेकिन एक ना एक दिन तो खरीदेगा इसलिए तुझे घबराना नहीं चाहिए,,,,
मममम,,, मैं मैं क्यों खरीदुंगा,,,,
अरे बुद्धू खरीदना ही पड़ेगा सेफ्टी के लिए इतने बड़े डॉक्टर का बेटा होकर भी इतना नहीं समझता,,,, और तूने देखा था कंडोम का पैकेट ले जाकर उसने किस को थमाया था,,,।
हां भाई के पास एक औरत खड़ी थी उसको दिया था,,,,
जरा सोच उस औरत की उम्र और लड़के की उम्र कितना फर्क था ,,, जैसे कि तेरी और मेरी उम्र वह लड़का तेरी उम्र का था और वह औरत मेरी उम्र की,,,,(संध्या जानबूझकर उम्र का अंतर बता कर सोनू को उलझा रही थी और ऐसा भी नहीं था कि सोनू उलझना नहीं चाहता था वह तो खुद ईस टेढ़ी मेढी डगर पर चलने के लिए तैयार हो चुका था,,,)
मैं कुछ समझा नहीं मम्मी,,,,(सोनू अपनी मां की चिकनी पीठ के स्पर्श का आनंद लेते हुए बोला)
अरे बुद्धू,,,, वह औरत ओर कोई नहीं उसकी मां थी,,,,
तुम्हें कैसे मालूम मम्मी उसकी लवर भी तो हो सकती है,,,।
पागल हो गया क्या एक लड़का अपनी मां की उम्र की औरत को अपनी लवर बनाएगा,,,, मैं शत-प्रतिशत दावे के साथ कहती हूं कि वह औरत उसकी मां ही थी,,,,।
लेकिन एक बेटा बेझिझक अपनी मां को कंडोम का पैकेट कैसे दे सकता है,,,।
तू सोनू सच में बुद्धू है,,, देखा नहीं था बगीचे में वह लड़का और वह औरत दोनों मां बेटे थे ना,,, वह लड़का कैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,(संध्या जानबूझकर खुले शब्दों में बोलना शुरू कर दी थी क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा आगे बढ़कर कुछ करने वाला नहीं है इसलिए अपनी बातों के जाल में उसे फंसा कर मां बेटे के बीच शारीरिक संबंध स्थापित करना चाहती थी और उन लड़कों का और उन औरतों का उदाहरण देकर उसे समझाना चाहती थी कि मां बेटे के बीच में भी शारीरिक संबंध स्थापित हो सकता है जैसा कि वह अपनी आंखों से देख चुका है,,, अपनी मां की मौसी चुदाई शब्द सुनकर सोनू के अंग का तार तार झनझना उठा,,, पल भर में ही उसका लंड गदर मचाने के लिए तैयार हो गया,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
देखा था कि नहीं देखा था,,,
देखा था मम्मी,,,,
तो फिर तू ही बोल एक बेटा मैं अपनी मां की चुदाई करता है तो वह अपनी मां के सामने कितना खुल जाता है उसे कंडोम का पैकेट भी काम आ सकता है वह भी बेझिझक,,,
लेकिन किसी को पता भी तो चल सकता है कि दोनों मां बेटे हैं,,,।
कैसे पता चल सकता है बाहर की दुनिया वाले थोड़ी जानते हैं कि वह दोनों मां-बेटे हैं उन्हें तो ऐसा ही लगेगा कि वह औरत और आदमी है,,,, जब तक खुद अपने मुंह से बाहर जाकर नहीं बताएंगे कि मैं अपनी मां को चोदता हूं या उसकी मां यह कहेंगी कि मैं अपने बेटे से चुदवाती हूं,,
(सोनू का दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां उससे इतना खुलकर बातें करेगी,,, लेकिन जो कुछ भी हो रहा था सोनू को मजा आ रहा था,, सोनू को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह से उससे बातें करेंगी,,। लेकिन इतने से भी सोनु की मा रुकी नहीं थी,,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि वह लड़का अपनी मां को चोदने के लिए कंडोम लेकर जा रहा था,,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर सोनू एकदम खामोश हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां से क्या मुझे जिस तरह से उसकी मां चुदाई वाली बातें कर रही थी और वह भी एक मां बेटे के बीच की सोनू की हालत खराब होते जा रही थी सोनू बार-बार उस लड़के की जगह अपने आपको और उस औरत की जगह अपनी मां को रखकर कल्पना कर रहा था और इस तरह की कल्पना करने में उसे काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, फिर भी अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)
ममम,,, मुझे नहीं मालूम,,,, लेकिन क्या मां बेटे के बीच चुदाई हो सकती है,,,?(सोनू के सवाल में आश्चर्य और इच्छा दोनों थी,,, अपनी मां से सवाल पूछ रहा था लेकिन इस सवाल में उसकी मां की इच्छा भी जानना चाहता था वह एक तरह से एक मां बेटे की संभोग कि संभावना को जानना भी चाहता था और उसकी मां की तरफ से उसकी सहमति भी चाहता था,,, अपने बेटे का सवाल सुनकर संध्या बोली,,,)
देखा तो था तु अपनी आंखों से,,,, झाड़ियों के बीच उस बगीचे मेंवो लड़का अपनी मां को चोद रहा था परिवार उसकी मां कितने मजे लेकर अपने बेटे से चुदवा रही थी,,,(संध्या अपने बेटे से बेझिझक बोली)
लेकिन मम्मी क्या ऐसा करने पर दोनों को पछतावा नहीं होता,,,,।
पछतावा अगर होता तो यह सब बिल्कुल ना होता,,, बल्कि शायद इसमें मजा ही ज्यादा आता है,,,,,, ऐसा तभी होता है जब औरत संतुष्ट नहीं होती अपने पति से तभी वह बाहर या घर में इस तरह के रिश्ते कायम कर लेती हैं,,, दुनिया की नजर में भरे रिश्ता गंदा हो पाप हो,,, लेकिन उस औरत की नजर से उस लड़के के नजर से तो सारे रिश्ते से बेहतर ही है,,, बस किसी को कानों कान खबर ना पड़े यह रिश्ता जारी रहता है,,,,
(अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को इतना तो समझ में आ गया था कि मां बेटे के बीच चुदाई संभव है और शायद उसकी मां भी यहीं चाहती हैवरना उसकी मां इस रिश्ते को कभी भी इतना बड़ा चाहना कर नहीं मिलती बल्कि इसके खिलाफ रहती लेकिन वह तो खुद अपने ही बेटे के सामने मां बेटे के बीच चुदाई को संभव और संतुष्टि का नाम दे रही थी,,,,,,अपना की बातें उसके मन की बातों को सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती हैं इस बात का एहसास होते ही,,,, सोनू का लंड जोरो से अकड़ने लगा था,,, और वह उत्तेजना में पूरी तरह से पागल हो जा रहा था उसका चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था वह मदहोश हो चुका था उसकी आंखों में खुमारी छा चुकी थी और अपनी मां की चुदाई करने के लिए अपना मन बना चुका था बार-बार उसका लंड अपनी मां की मस्त जवानी देख कर सलामी दे रहा,, था,,,, और उत्तेजना में आकर वह अपनी मां की साड़ी में ऊपर से अपनी उंगली को सरकाते सरकाते,,, अपनी मां की पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया हालांकि हाथ तो नहीं गया था लेकिन उंगली चली गई थी,,, और ऊंगली सीधे सोनू ने अपनी मां की गांड की दरार के बीचोबीच ऊपरी सतह तक स्पर्श करा दिया और उस गांड की दरार में हल्के हल्के अपनी उंगली को आगे पीछे करते हुए मालिश करने लगा संध्या की हालत अपने बेटे की इस हरकत पर पूरी तरह से खराब हो गई उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट पड़ा,,,, पहली बार वह इस तरह से चुदवाए बिना ही झड़ी थी,,,, सोनू की भी हालत खराब थी अपनी मां की साड़ी के अंदर हो गई को डालकर उसे होली को अपनी मां की गांड की दरार के बीचोबीच रखकर उसे हल्के से आगे पीछे करके मालीश,, करते हुए बोला,,,।
तुम क्या चाहती हो मम्मी,,,,,
(सोनू का इतना ही पूछना था कि वह अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया और उसका लावा फूट पड़ा वह झड़ रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसके चेहरे का रंग बदलने लगा था,,,, अपने बेटे के सवाल पर संध्या को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें,,, एक बार उसका मन कह रहा था कि वह अपने बेटे से कह दे कि वह चुदवाना चाहती है अपने बेटे से,,,लेकिन ना जाने क्यों सब कुछ कहने के बावजूद भी इतना कहने से वह शर्मा रही थी वो कुछ बोली नहींदूसरी तरफ सोनू की हालत खराब थी उसका पैजामा पूरा गीला हो चुका था ढेर सारा लावा जो उसके लंड ने ईगल दिया था,,,वह बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया था उसकी मां उसकी तरफ देखे बिना हीं बोली,,,)
क्या हुआ,,,?
कुछ नहीं जोरो की पिशाब लगी अभी जाकर आता हूं,,,
अरे नीचे मत जा यही बाथरूम यूज कर ले,,,,
ठीक है मम्मी,,,,(और इतना कहते ही सोना रूम से अटैच बाथरूम में घुस गया)