थोड़ी ही देर में संध्या कपड़े पहन कर नीचे आ गई आसमानी रंग की साड़ी में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा नजर आ रही थी,,, सोनू तो देखता ही रह गया,,,, गीले बालों की खुशबू सोनू के तन बदन में मादकता का एहसास दिला रही थी,,,सोनू की आंखों के सामने इस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत खड़ी थी जिसे देख कर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, इस समय संध्या संपूर्ण रुप से भारतीय नारी का परिवेश धारण किए हुए थे जो कि कुछ दिन पहले ही सोनू अपनी आंखों से अपनी मां के नंगे खूबसूरत बदन के हर एक अंग के भूगोल को नाप चुका था,,,।,, और इस समय सोनू को अपनी मां कयामत लग रही थी संध्या जानबूझकर कर अपनी साड़ी को कमर से कुछ ज्यादा ही कसके बांधी हुई थी जिससे उसके गोलाकार नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही उबाल मार रहा था,,, लो कट ब्लाउज में उसके दोनों दशहरी आम अपना मीठा रस छलका रहे थे,,,, बैकलेस ब्लाउज उसकी नंगी चिकनी पीठ को और ज्यादा उजागर कर रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो संध्या किसी पार्टी में जाने के लिए तैयार हुई है,,,,। लेकिन वह तो अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से रिझाने के लिए तैयार हुई थी और वैसे भी संध्या को कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी थी अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए वह पहले से ही अपनी मां के खूबसूरत बदन के आकर्षण में बंध चुका था,,,, और कुछ मिनटों पहले ही संध्या अपने कमरे में अपने बेटे को अपनी जवानी का जलवा दिखा चुकी थी,,, वह तो बस हैरान इस बात से थी किउसे संपूर्ण रूप से नंगी देखने के बावजूद भी उसका बेटा अपने आप पर कंट्रोल कैसे कर लिया,,,,क्योंकि संध्या मर्दों की फितरत को अच्छी तरह से जानती थी,,,जिस तरह से वह अपने बेटे के सामने जान मुझको रमता बल्कि आकर अपने नंगे बदन का प्रदर्शन की थी अगर उसके बेटे की जगह कोई और होता तो शायद न जाने कब का उसके ऊपर चढ़ चुका होता,,,, खैर खाने की तैयारी चल रही थी,,,अपनी मां की खूबसूरत और रूप सौंदर्य को देखकर सोनू से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की तारीफ करते हुए बोला,,,,
आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मम्मी,,,,,,
चल रहने दे बआते मत बना,,,,
मैं बातें नहीं बना रहा हूं मैं सच कह रहा हूं,,,, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,,
पहले नहीं लगती थी क्या,,,?
ऐसी बात नहीं है मम्मी लेकिन आज की बात कुछ और है,,,
क्यों आज की बात कुछ और है मैं तो वही हूं पहले जो थी कहीं ऐसा तो नहीं कि आज मुझे पूरी तरह से नंगी देखने के बाद तेरा नजरिया बदल गया हो,,,
(अपनी मां की तरह की बात सुनते ही सोनु एकदम से सब पका गया उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह से उसके सामने नंगी शब्द का प्रयोग करें कि लेकिन उसकी बातें सुनकर एक तरफ उसके तन बदन झनझनाहट होने लगी और दूसरी तरफ वह शर्मा गया था,,, ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर मुस्कान खीलने लगी,,, संध्या को समझते देर नहीं लगी की उसके नंगे पन का यह नतीजा है,,, फिर भी अपनी मां की बात सुनकर अपना बचाव करते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम पहले से ही बहुत खूबसूरत हो,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर संध्या अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगी,,, और वैसे भी दुनिया की कोई भी ऐसी औरत नहीं होगी जिसे अपनी खूबसूरती की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता हो,,,चालाक मर्दों का यही सबसे बड़ा तरीका भी होता है औरतों को अपने वश में करने का,,, लेकिन इस चालाकी से सोनू अनजान का लेकिन फिर भी वह अपनी मां की तारीफ कर रहा था,,,, जिसे सुनना संध्या को बहुत अच्छा लग रहा था,,,,वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अच्छा चल छोड़ चल खाना खाते हैं,,,,
(इतना कहने के साथ ही संध्या मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ गई हो सोनू की सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयआ और खाना खाने लगा,,, जिस होटल से सोनू ने खाना खाया था खाना बेहद स्वादिष्ट था,,,, स्वादिष्ट खाना खाने के बाद दोनों मां-बेटे दो दो रसगुल्ले भी खाए,,,,,, और ठंडा पानी पीने के बाद संध्या बोली,,)
वाह आज तो मजा ही आ गया होटल का खाना मुझे इतना पहले कभी भी अच्छा नहीं लगा था जितना कि आज,,,,
मुझे भी मम्मी,,,
चल अब थोड़ा छत पर चलकर टहल कर आते हैं,,,
ठीक है चलो मम्मी,,,,
(इतना कहकर दोनों कुर्सी से उठ खड़े हुए,,, सीढ़ियों से ऊपर छत की तरफ जाने लगे संध्या आगे-आगे चल रही थी और सोने पीछे-पीछे जिसका उसे एक फायदा मिल रहा था की सीढ़ियों पर चढ़ते समय संध्या की गोलाकार बड़ी-बड़ी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी जो कि सोनू की आंखों में चमक पैदा कर रही थी अपनी मां की हिलती डुलती गांड को देखकर सोनू का लंड खड़ा हो रहा था पहले से ही संध्या ने अपनी साड़ी को कस के बांधी हुई थी जिससे उसकी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर को निकला हुआ था और ऐसा लग रहा था कि जैसे दुश्मनों को ध्वस्त करने के लिए तोप का मुंह किले से बाहर निकाल दिया गया और जोकि धाड धाड करके सोनू पर बरस रहा था,,, सोनू का मनललच रहा था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकडने के लिए उसे थामने के लिए,, लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत सोनू मे अभी नहीं थीउसने इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से सीढ़ियां चल रही थी उसके बेटे की निगाह उसकी बड़ी-बड़ी कांड पर जरूर होगी और यही देखने के लिए अपनी निगाह पीछे घुमाई तो सोनु को अपनी बड़ी बड़ी गांड को देखता ही पाई और यह देखकर संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसे बहुत अच्छा लग रहा था इस तरह से जवान लड़के को अपनी बड़ी बड़ी गांड को घुरता हुआ पाकर,,,, दोनों मां बेटे अपने अपने तरीके से पूरी तरह से उत्तेजित हो रहे थे,,, संध्या जानबूझकर कुछ ज्यादा ही अपनी गांड को मटका कर चल रही थी क्योंकि वह चित्र से जानती थी कि मर्दों की उत्तेजना का और आकर्षण का सर्वप्रथम औरतों की बड़ी बड़ी गांड ही केंद्र बिंदु होती है,,,।
देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच गए,,,, जहां पर ठंडी हवा सांय सांय करके बह रही थी,,, ठंडी हवा का लुफ्त उठाते हुए संध्या बोली,,,।
वाह छत् खुली हवा का मजा लेने में कितना मजा आता है,,,
हां तुम सच कह रही हो मम्मी,,,,और यहां से नजारा देखने में भी कितना मजा आता है दूर-दूर तक देखो सिर्फ बल्ब चमकते हुए नजर आ रहे हैं और अंधेरे में यह चमकते हुए बल्ब कितने खूबसूरत लग रहे हैं,,,,,,,,,
हां तु सच कह रहा है,,, छत पर से नजारा देखने का मजा ही कुछ और होता है और वह भी रात में,,,,(सोनू छत की दीवार को पकड़ कर खड़ा था और इतना कहते हुए संध्या भी उसके करीब आ गई,,, संध्या के बदन से उठ रही मादक खुशबू सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी,,,, छत पर हवा चल रही थी जिसकी वजह से संध्या के रेशमी खूबसूरत बाल हवा में लहरा रहे थे और वह बाल लहराते हुए सोनू के गालों पर स्पर्श कर रहे थे जिसका एहसास सोनू को बेहद उत्तेजनात्मक लग रहा था,,,। और संध्या को भी उसके बालों की हरकत अच्छी लग रही थी,,,,, संध्या भी छत की दीवार को पकड़ कर सोनू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
सोनू तु टाइटैनिक मूवी देखा है,,,,
नहीं तो,,,,
उसमे एक सीन था,,, हीरोइन पानी वाली जहाज के सबसे ऊपरी हिस्से पर खड़ी होकर अपने दोनों हाथों को फैला लेती है और हीरो ठीक उसके पीछे खड़ा होकर अपने दोनों हाथों को उसी हीरोइन की तरह फैला लेता है,,,, सच कहती हूं उस समय यह हसीन इतना पॉपुलर हुआ था कि पूछो मत हर कोई लड़का लड़की इस तरह के सीन को क्रिएट करता था और बड़ा मजा आता था,,,,(संध्या मूवी का यह सीन बताते हुए एकदम उत्सुक नजर आ रही थी,,, और अपनी मां की उत्सुकता देखकर सोनू को भी अच्छा लग रहा था,,,)
तुम भी वह सीन क्रिएट करती थी,,,।
हां मैं भी वह सीन क्रिकेट करती थी,,, मैं और मेरी सहेलियां मिलकर किसी ऊंची जगह पर खड़ी हो जाती थी और उसी तरह से हाथ को फैलाकर जोर जोर से आवाज करते थे बहुत मजा आता था,,,,, आज अचानक वह सीन याद आ गया,,,,
लेकिन मैं तो वह मूवी देखा ही नहीं इसलिए मुझे नहीं पता कि वह सीन कैसा था,,,(सोनू थोड़ा निराश होता हुआ बोला)
तो इसमें क्या हुआ,,,, मैं तुझे बताती हूं कि वह सीन कैसा था,,,,(इतना कहने के साथ ही वहां एकदम सीधी खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथों को हवा में फैला दी,,,, संध्या जानबूझकर एकदम सीधी खड़ी थी,,, अपनी छातियों को और ज्यादा फुलाकर,,, अपनी कमर को एकदम सीधी रखते हुएअपनी बड़ी बड़ी गांड को तो ज्यादा ही बाहर की तरफ निकाल कर खड़ी हो गई क्योंकि वह जानती थी कि,,, जिस तरह का वह सीन करने जा रही है उसके बेटे को ठीक उसके पीछे खड़ा रहना होगा और ऐसे में अगर उसकी गांड उसके लंड से स्पर्श खाती है तो वह पूरी तरह से खड़ा हो जाएगा और उसके खड़ेपन को उसके कड़क पन को वह अपनी गांड पर महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए संध्या यह सीन क्रिएट करने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावली नजर आ रही थी और ज्यादा ही उत्सुकता दिखा रही थी,,,, )
देख वह हीरोइन इस तरह से खड़ी रहती है उसके बाल एकदम खुले रहते हैं जो कि हवा में लहराते रहते हैं जैसे कि मेरे लहरा रहे हैं,,, और हीरो ठीक उसके पीछे खड़ा रहता है,,, अरे तु क्यों बगल में खड़ा है,,, इधर आ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो जा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिस तरह से वह खड़ी थी अपनी गांड को बाहर की तरफ निकाल कर सोनू को पक्का यकीन था कि अपनी मां के पीछे खड़े होने पर उसके लंड का स्पर्श उसकी गांड पर जरूर होगा,,, इसलिए सोनू की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,, अपनी मां की बात सुनते ही ठीक है अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां से 4-5 इंच की दूरी बना कर खड़ा हुआ,,,। सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल संध्या का भी था वह चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन से एकदम चिपक कर खड़ा हो जाए लेकिन उसको थोड़ी दूरी बना कर खड़ा हुआ देखकर वह बोली,,,।)
अरे ऐसे नहीं और करीब आ एकदम चिपक कर जैसे कि वह हीरो उस मूवी में हीरोइन से चिपक कर खड़ा रहता है,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर उत्तेजना से सोनू का गला सूखने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें हालांकि वह भी उसी तरह से खड़ा होना चाहता था जिस तरह से उसकी मां उसे बता रही थी वह भी जल्द से जल्द अपनी मां के भराव दार पिछवाड़े का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करना चाहता था,,, इसलिए जैसा उसकी मां बता भी ठीक वैसे ही वह खड़ा हो गया सोनू अपनी मां से एकदम सटा हुआ था उसकी मां की गांड,,, ठीक उसके पेंट के आगे वाले भाग से स्पर्श हो रही थी,,,अपने बेटे को अपनी पीछे इस तरह से बदन से बदन सटाकर खड़े होता हुआ महसूस करते ही संध्या एकदम से उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,,,, और वह अपने थुक को गले के नीचे उतारते हुए बोली,,,)
हां ऐसे ही अब मेरी तरह तू भी अपने हाथ को फैला ले,,,,
(अपनी मां की बात मानते हुए सोनू अपने दोनों हाथों को अपनी मां की तरह हवा में फैला दिया और बोला)
ऐसे ही ना,,,
हां बिल्कुल सही ऐसे ही,,,,,
अब क्या करना है,,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला लेकिन इतने में ही अपनी मां की गरम गरम गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,, जिसका एहसास संध्या को अपनी गांड पर अच्छी तरह से महसूस होने लगा था और वह खुद उत्तेजित होते जा रही थी,,,।)
अब ,,,,,,अब क्या करना है,,,,, एकदम खुश होते हुए मानो कि जैसे तुम्हें पूरी दुनिया मिल गई हो इस तरह से गहरी गहरी सांस लो और छोडो,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या खुद गहरी सांस लेने लगी और साथ ही अपनी गांड का दबाव हल्के हल्की अपने बेटे के लंड की तरफ बढ़ाने लगी ,,, सोनू को साफ पता चल रहा था कि उसकी मां अपनी गांड का दबाव उसकी तरफ बढ़ा रही है,,,। सोनू की उतेजना बढ़ती जा रही थी,,, उसकी सांसों की गति तेज हो रही थी उसकी मां के बताए अनुसार वह भी गहरी गहरी सांस ले रहा था और छोड़ रहा था,,,, साथ ही अपनी मां की मादकता भरी हरकत की वजह से वह भीधीरे-धीरे अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ाने लगा,,,, दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,, संध्या की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपने बेटे के लैंड के कड़क पन का एहसास उसे अपनी गांड पर बराबर महसूस हो रहा था जिसकी वजह से वह पूरी तरह से मदहोश हो चली थी,,,, गहरी सांस लेते हुए वह उतेजना भरे स्वर में बोली,,,।)
अब कैसा लग रहा है बेटा तुझे,,,,
बहुत अच्छा लग रहा है मम्मी,,,,, मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा है,,,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर संध्या मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे यकीन हो चला था कि उसकी युक्ति काम कर रही थी,,,, क्योंकि रह रह कर उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने बेटे के लंड का दबाव बढता हुआ उसे महसूस हो रहा था जो कि उसके बेटे की तरफ से ही था,,, और संध्या हैरान भी थी,, क्योंकि उसके बेटे का लंड साड़ी के ऊपर से ही गजब का ठोकर मारता हुआ अंदर की तरफ सरक रहा था,,,,,, वह अपने बेटे के लंड की ताकत को नापने की पूरी कोशिश कर रही थी,,, और वह इसी नतीजे पर आई थी कि उसका बेटा अगर उसकी बुर में डालेगा तो उसका लंड बुर में जाकर धमाल मचा देगा,,,, यही सोच कर उसकी बुर से पानी निकलना शुरू हो गया,,,,)
हम लोगों को भी इसी तरह से मजा आता था,,,,(इतना बोली ही थी कि उत्तेजना के मारे उसके पैर लड़खड़ा गए और वाह गीरने को हुई तो तुरंत सोनू अपने हाथ का सहारा देकर अपनी मां को पीछे से थाम लिया और से सहारा देते समय उसके दोनों हाथ उसकी मांसल चिकनी पेट पर थे वह एक तरह से अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरा हुआ था,,,,, संध्या संभल तो गई थी लेकिन खुद को अपने बेटे की बाहों में पाकर एकदम उत्साहित और उत्तेजित हो गई थी और इस तरह से अपनी मां को सहारा देने से सोनू का पैंट के अंदर टन टनाता हुआ लंड एकदम से साड़ी के ऊपर से उसकी मां की गांड के बीचोबीच धंस गया था जोकि संध्या को उसके बेटे का लंड सीधे उसकी बुर के द्वार पर दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, सोनू भी अपनी मां को संभालने के एवज में उसके खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में भर लिया था जिससे सोनू और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, कुछ सेकंड तक सोनू अपनी मां को उसी तरह से अपनी बाहों में भरे खड़ा रहा ठंडी हवा बराबर बह रही थी जिससे संध्या के रेशमी बाल हवा में लहरा रहे थे और लहराते हुए बाल सोनू के चेहरे पर अठखेलियां कर रहे थे,,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।
बाप रे अभी तो मै गिरी होगी अच्छा हुआ तूने मुझे थाम लिया,,,।
हां सच कह रही हो मम्मी ठीक समय पर मैंने तुम्हें पकड़ लिया,,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी मां को अपनी बाहों से आजाद कर दिया हालांकि उसका मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपनी बाहों से अपनी मां को जुदा करने के लिए लेकिन फिर भी करना पड़ा,,,, दोनों की सांसो की गति बता रही थी कि दोनों काफी उत्तेजना का अनुभव कर चुके थे और काफी उत्तेजित भी थे,,, संध्या अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसकी गांड और उसके बेटे के लंड के बीच साड़ी ना होती तो आज वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर,,, एक कामुकता भरे जीवन का शुभारंभ कर देती,,, रात के 11:00 बज रहे थे और दोनों मां बेटे छत पर कुछ और देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे इतना तो दोनों मां-बेटे समझ ही गए थे कि एक दूसरे के मन में क्या चल रहा है सोनू उत्साहित अगले पल के लिए क्योंकि उसे लगने लगा था कि आज की रात में अपनी मां की खूबसूरत हसीन बुर पर कब्जा कर लेगा,,, क्योंकि अभी उसकी मां की मालिश करना बाकी ही था इसलिए अपनी मां को याद दिलाते हुए बोला,,,।)
मम्मी रात के 11:00 बजे अपने कमरे में चलो मैं तुम्हारी आयोडेक्स से मालिश कर देता हूं,,,।
अरे हां मैं तो भूल ही गई थी मेरी कमर में अभी भी बहुत जोरों की दर्द हो रही है,,,(अपनी कमर पर हाथ रखकर दर्द भरा मुंह बनाते हुए बोली,,, सोनू समझ गया था कि उसकी मां को बिल्कुल भी कहीं भी दर्द नहीं है इसका मतलब साफ था कि वह जानबूझकर मालिश करवाना चाहती थी,,,, क्योंकि अभी तक सब कुछ सामान्य था उसकी मां ने जरा भी दर्द का जिक्र तक नहीं की थी और उसके याद दिलाते हैं उसकी मां के कमर में दर्द होने लगा था अपनी मां की युक्ति पर सोनू गदगद हुए जा रहा था क्योंकि फायदा उसी का ही मालिश करने के बहाने वह अपनी मां के खूबसूरत बदन को अच्छे से छु जो पाता,,,,)
ठीक है मम्मी तुम अपने कमरे में चलो,,,, मैं थोड़ी देर में आता हूं,,,,
ठीक है मैं तेरा इंतजार करूंगी,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराते छत से नीचे उतर कर अपने कमरे में चली गई और सोनू कुछ देर तक छत पर खड़ा हूं और छत पर जो कुछ भी टाइटेनिक वाला सीन दोहराने के चक्कर में हुआ था उसके बारे में सोचने लगा,,, जिसके कारण उसका लंड पूरी तरह से टनटना चुका था,,,, इसलिए वह अपना पेंट खोल कर एक नजर अपने अंडरवियर को हल्के से हटाकर अंदर की तरफ डाला तो हैरान रह गया,,,, उसका लंड पूरी तरह से जवानी के जोश से भरा हुआ था,,, क्योंकि अभी अभी वह बुर की खुशबू जो पा गया था भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही,,,।
थोड़ी देर बाद में अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया अंदर से आ रही ट्यूबलाइट की रोशनी से साफ पता चल रहा था कि उसकी मां ने दरवाजा उसके लिए खुला छोड़ रखी थी,,, हल्के से दरवाजे को धक्का देकर जैसे ही सोनू कमरे के अंदर बिस्तर पर नजर डाला तो उसके होश उड़ गए,,,,,,। उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों का घुटनों से मोड़कर इधर-उधर घुमाते हुए मोबाइल चला रही थी,,, जिसकी वजह से इसकी साड़ी जांघो तक आ चुकी थी,,,। उसकी चिकनी गोरी गोरी जांघें उसकी मांसल पिंडलिया ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रही थी,,,।