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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rohnny4545

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, सोनू की जवानी उबाल मार रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिल जाएगा अपनी मां की नंगी बुर को देखकर वह अपने आप को रोक नहीं पाया था और उसे छूने की उसी गरमाहट को महसूस करने की और उसने अपनी उंगली डालने की लालच को वह रोक नहीं पाया और डरते हुए लेकिन वासियों के अधीन होकर वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर में डालकर उसकी गर्माहट को पूरी तरह से अपने अंदर महसूस करने लगा था जिसकी वजह से उसका लंड लोहे की रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था,,,। अपनी मां के बदन में कसमसाहट महसूस करते ही सोनू वहां से वापस आ गया लेकिन अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए बात करने के लिए और अपने सारे कपड़े उतार कर टॉयलेट के कमोड पर बैठ गया,,,,,,उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,अपनी मां की चिकनी बुर को देखकर अपने लंड के इर्द-गिर्द ऊगे हुए घूंघराले बालों को साफ करने का उसका भी मन हो गया,,, इसलिए वह,,बाथरूम के ड्रोवर में से रखी हुई वीट क्रीम को बाहर निकाल लिया,,, और अपनी दोनों टांगों के बीच अपने झांठ के बाल पर क्रीम लगाने लगा वह कम उसके इर्द-गिर्द अपनी दोनों टांग करके खड़ा था,,,
दूसरी तरफ संध्या अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से पूरी तरह से स्तब्ध थी,,, लेकिन उसे अपने बेटे की यह हरकत,,, बहुत अच्छी लगी अपने बेटे की इस हरकत पर वह पूरी तरह से खुमारी के रंग में चढ़ने लगी थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था ऊसका बेटा अपनी ऊंगली को ऊसकी बुर में डाल देगा,,, लेकिन उसके लिए वह पल बेहद अद्भुत था,,, कामोत्तेजना से भरा हुआ,,, अपने पति के मोटे तगड़े लंड को वह ना जाने कितनी बार अपनी बुर की गहराई में उतार चुकी थी,,, लेकिन जो सुख जो एहसास उसे अपने बेटे की ऊंगली से हुआ उसका वर्णन शायद वह अपने शब्दों में नहीं कर सकती थी,,,,। पल भर में ही उसके बेटे ने उसे उत्तेजना के परम शिखर पर लाकर पटक दिया था,,,, जैसे ही उसे सोनू कमरे से बाहर जाता हुआ नजर आया वैसे ही वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और थोड़ी देर बाद वह भी सोनू के पीछे पीछे बाथरूम तक आ गई वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बाथरूम में क्या करता है क्योंकि वह पूरी तरह से उत्तेजित था और संध्या इतना तो जानती थी कि उत्तेजित अवस्था में मर्द क्या करता है,,,, संध्या की किस्मत अच्छी थी कि दरवाजा खुला हुआ था पूरा नहीं लेकिन थोड़ा सा ,,, जिसमें से अंदर का सब कुछ नजर आ रहा था,,,, और संध्या इस मौके को अपने हाथ से कैसे जाने देना चाहती थी,,, उसे इतना तो एहसास था ही की,, उसकी गर्म जवानी और बुर देखकर वह अपना पानी निकाले बिना नहीं रह सकता इसलिए आज उसके मन में अपने बेटे के मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को देखने की हसरत जाग उठी थी और जैसे ही दरवाजे की ओट में से एक बाथरूम के अंदर का नजारा देखी तो दंग रह गई,,, अंदर का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था कमोड के ईर्द-गिर्द अपना पांव रखकर सोनू खड़ा था और साथ ही उसका लंड की पूरी औकात में था संध्या तो अपने बेटे के खड़े लंबे लंड को देखकर हैरान रह गई,,, वाकई में सोनू का लंड बेहद लंबा और मोटा था,,,, यह एहसास ऊसे अपने बेटे के नंगे लंड को देखकर हो गया,,,,,,, उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी और इस समय सोनू भी अपने झांठ के बाल पर वीट क्रीम लगा रहा था यह देखकर उसे पता चल गया कि उसका बेटा अपने झांठ के बाल साफ करने जा रहा है,,, संध्या की सांसे ऊपर नीचे होने लगी सोनू क्रीम लगा चुका था और कुछ देर तक क्रीम लगे हुए ही अपने लंड को मुट्ठी में भरकर आगे पीछे करने लगा यह नजारा संध्या के लिए बेहद उत्तेजनात्मक था,,, शायद ऐसा नजारा संध्या ने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी सोनू मस्त होकर अपने लंड को आगे पीछे करके मुठिया रहा था संध्या अपने मन में ही सोचने लगे कि उसका बेटा अपने लंड को हिलाते हुए उसके ही बारे में सोच रहा है जो कि यह सच था,,,। सोनू के मन में उस समय उसकी मां का खूबसूरत बदन नाच रहा था खास करके वह दृश्य उसकी आंखों के सामने बार बार घूम रहा था जब वह अपनी मां की नींद में होने का फायदा उठाते हुए अपनी उंगली को उसकी रसीली गुलाबी बुर के अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,,,। सोनू मदहोश हो चुका था दरवाजे पर खड़ी संध्या अपने होश खो रही थी अपने बेटे के लंड को देखकर वह पूरी तरह से अपने बेटे के प्रति आकर्षित होती जा रही थी अपने बेटे के लैंड के आकार को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में वो किसी भी औरत को पानी-पानी कर देने में पूरी तरह से सक्षम है संध्या को वह दिन याद आने लगा जब वह बगीचे में खड़ी होकर झाड़ियों के अंदर मां बेटे की चुदाई देख रही थी,,,। उसका बेटा ठीक उसके पीछे खड़ा था और अंदर के नजारे को देखकर एकदम मस्त हो गया था,,, दोनों मां-बेटे तुम गर्म हो चुके थे और सोनू अपनी मां के भजन की गर्मी और अंदर से गरम नजारे को देखकर एकदम चुदवासा हो गया था और पैंट के अंदर ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, जोकि साड़ी के ऊपर से ही संध्या की गांड पर रगड़ खा रहा था और साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर मर्दाना ताकत से भरे हुए अपने बेटे के लंड की ठोकर को महसुस करके वह एकदम मस्त हो गई थी,, आज अपनी आंखों से अपने बेटे के खड़े लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि किस लिए साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को एकदम साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी उसे यकीन हो गया कि उसके बेटे की लैंड में बहुत ताकत है और दूसरों की तुलना में उसके बेटे का लंड मोटा और लंबा कुछ ज्यादा ही है,,, दूसरों का क्या वह खुद अपने पति के लंड की तुलना अपने बेटे के लंड से करने लगी थी जो कि संध्या को भी मानना पड़ रहा था कि उसके बेटे का लंड उसके पति से ज्यादा दमदार है,,,।


संध्या गर्म आहें भरते हुए अंदर के नजारे को देखने लगी,,,, सोनू अब टावल लेकर क्रीम को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में सोनू के झांठ के बाल पूरी तरह से गायब हो चुके थे और लंड वाली जगह एकदम चिकनाहट से भर चुकी थी संध्या भी अपने बेटे की संपूर्ण लंड का दर्शन करके मस्त हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में था छत की तरफ उठाएं मानो कि चैलेंज कर रहा हो कि आ जाओ जिसमें दम हो मेरे लंड की ठोकर को बर्दाश्त करने की,,,,

सोनू कमोड पर बैठ नहीं रहा था बल्कि उसी पर खड़ा होकर के अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,, संध्या यह नजारा देखकर एक दम मस्त हो चुकी थी,,,उसकी बुर में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी,,,,,, संध्या का मन कर रहा था कि वह बाथरूम में घुस जाए,,, और आज अपने मन की हसरत मिटा ले,,,, वाकई में सोनु का लंड इतना दमदार था कि उसे कोई भी औरत देख ले तो उसे पाने के लिए तड़प उठे,,,

बाथरूम के अंदर सोनू एकदम नंगा था,,,संध्या के जीवन में यह दूसरा मरता था जिसे वह संपूर्ण रूप से नंगा देख रही थी और वह भी खुद के बेटे को,,,, सोनू की हालत खराब होती जा रही थी वह अपने लंड की गर्मी को निकाल कर शांत होना चाहता था,,। इसलिए अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए मुठीया रहा था,,,। और शायद यह भी संध्या के लिए पहली बार ही था जब वह किसी को मुठिया मारते हुए देख रही थी,,,संध्या से रहा नहीं जा रहा था और उसके यहां की खुद-ब-खुद साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर पहुंच गए,,, और वह जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी,।,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन आगे बढ़कर उसे बुझाने की पहल कोई भी नहीं कर पा रहा था,,,सोनू के दिलो-दिमाग पर उसकी मां का खूबसूरत जिस्म छाया हुआ था,,,,, कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के अर्ध नग्न बदन के साथ-साथ अपनी मां की गुलाबी बुर के दर्शन भी कर चुका था और उसे छूकर उसकी गरमाहट को महसूस कर चुका था और उसी की गर्मी उसके तन बदन में भरी हुई थी जिसे वह बाहर निकाल कर शांत होना चाहता था,,,।
संध्या की आंखें पलके झपका ना भूल चुकी थी,,,, वह अपलक अपने बेटे के चेहरे की तरफ नहीं बल्कि उसकी लंबे लंड की तरफ देखे जा रही थी जो कि बेहद लुभावना लग रहा था संध्या की बुर में चींटियां रेंग रही थी,,,वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,, और उसे यह भी पता था कि उसका चुदासपन अपने बेटे से चुदवाए बिना नहीं मिटने वाला क्योंकि अपने बेटे की आकर्षण के बाद से जो कि वह अपने पति के साथ संभोग रथ होती थी तो उसके मन में उसके पति की जगह केवल उसका बेटा ही रहता था,,,।


ओहहहह,,, मम्मी,,,,,, आई लव यू मम्मी,,, तुम बहुत सेक्सी हो ,,, मम्मी,,,,, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं ,,,,,,तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,,(सोनू की आंखें बंद थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आगोश में चला गया था उसे बिलकुल भी होश नहीं था,,, संध्या उसके मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से चौकते हुए मदहोश हो गई,,, उसी पक्के तौर पर यकीन हो गया कि उसका बेटा उसके बारे में ही सोच कर मुठिया रहा है,,,, उसकी बातें संध्या के आज का बदन में आग लगाने लगी,,, अपने बेटे के मन के अंदर की बात को जानकर संध्या की हसरतें और ज्यादा बढ़ने लगी उसके चेहरे पर उत्तेजना और खुशी के भाव नजर आने लगी अपने बेटे की बात सुनकर उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे चोदना चाहता है,,,,लेकिन शायद मां बेटे के पवित्र रिश्ते की वजह से अभी तक वह शांत है उसे बस एक ही सहारे की जरूरत है और दोनों की हसरत पूरी हो जाएगी क्योंकि जितना उत्सुक वह अपनी मां को चोदने के लिए था उससे ज्यादा उत्सुकता संध्या की अपने बेटे से चुदवाने की थी,,,, सोनू की बातें संध्या के तन बदन में काम ज्वाला को भड़काने लगी अपने बेटे को अपना नाम लेकर गंदी गंदी बात करते हुए मुठीयाते हुए देखकर संध्या से भी नहीं रहा गया और वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी नंगी पुर में दो उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी,,,,,,

सोनू के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ झलक रही थी और उसकी बातें बेहद मादकता फैला रही थी,,,।

ओहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर मुझे चाहिए तुम्हारी बुर में में अपना लंड डालना चाहता हूं,,,,,, तुम्हारी जैसी कोई नहीं है मम्मी,,,,,, तुम बहुत सेक्सी हो,,,, आ जाओ प्लीज आ जाओ मम्मी,,,,मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने इसे अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में डालो मम्मी,,,आहहहहह,,,आहहहहहहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर में पानी निकलने वाले मैं झड़ने वाला हूं मम्मी,,,,,आहहहह,,,,आहहहहह,,,,और इतना कहते हैं सोनू के लंड से पानी की पिचकारी निकलने लगी जो कि इतनी जबरदस्त और तीव्र थी कि सामने की दीवार की टाइल्स पर गिरने लगी,,, यह नजारा,,,,और अपने बेटे की बातें संध्या के लिए अद्भुत थी ,,,, उसका खुद का पानी निकालने के लिए काफी था,,, और यही हुआ भी जैसे ही सोनू के नंबर से पानी की पिचकारी बाहर निकली वैसे ही संध्या की बुर ने भी पानी छोड़ दिया,,, पहली बार संध्या इतनी जल्दी चढ़ी थी यह शायद सोनू की गंदी बातें जो कि उसके खुद के लिए थी और अपने ही बेटे के खड़े लंड को देखकर उसके प्रति आकर्षण का नतीजा तो संध्या इतनी जल्दी अपना पानी निकाल दी थी,,,, सोनू भी शांत हो चुका था,,, वासना का तूफान गुजर चुका था लेकिन अपने निशान छोड़ गया था,,, सोनू जोर-जोर से हांफ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां के बारे में सोच सोच कर अपना पानी नहीं बल्कि अपनी मां को चोद कर अपना पानी निकाल दिया हो,,, संध्या का अब यहां खड़ा रहना उचित नहीं था इसलिए वह अपने कदम पीछे ले चुकी थी और कमर तक उठाई हुई साड़ी को नीचे कदमों में गिरा दी थी लेकिन चूड़ियों की खनक ने की आवाज सोनू के कानों तक पहुंच चुकी थी क्योंकि इस बात का एहसास हो गया को बिल्कुल भी नहीं पापा तो वापस जाने लगी थी लेकिन चूड़ियों की आवाज को सुनकर सोनू सतर्क हो चुका था,,, वह तुरंत दरवाजे की तरफ देखा जो कि थोड़ा सा खुला ही था वह उसी तरह से नंगा ही दरवाजे तक आया और अपना सिर बाहर निकाल कर गैलरी की तरफ देखने लगा चुकी उसे अपनी मां जाती हुई दिखाई दे रही थी उसे समझते देर नहीं लगी कि खुले दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी मां क्या देख रही थी,,,। सोनू के बदन में एकदम से हलचल सी दौड़ने लगी वह बर्फ की तरह ठंडा पड़ने लगा,,, वह घबराने लगा,,, लेकिन तभी उसे कुछ दिनों कि सारी घटनाएं याद आने लगी बगीचे वाली अपनी मां से किए गए 2 अर्थ वाली बातें,,, और ऐसी कई बातें थी जो कि सोनू को राहत पहुंचा रही थी उसका डर कम होने लगा था उसका एहसास नहीं लगा था कि अगर उसकी मां को यह सब गलत लगता तो वह कब से रोक चुकी होती और उसपर डांट फटकार भी लगाती,,,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां भी यही चाहती थी,,,तभी तो बगीचे में सब कुछ साफ़ साफ़ महसूस करते हुए भी उसकी मां ने उसे रोकी नहीं थी,,,

यह सब बातें और बाथरूम के दरवाजे पर अपनी मां की मौजूदगी को महसूस करते ही सोनू किसान से ऊपर नीचे होने लगी उसके तन बदन में फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे इस बात का एहसास होने लगा किअपने लंड में देहाती हुए वह अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था और उसकी मां जरूर उसकी बातों को सुनी होगी अगर ऐसा है तो जो वह उत्तेजना में आकर कह रहा था कि वह मां को चोदना चाहते हैं यह बात सुनकर उसकी मां को अच्छा लगा होगा वरना वह बाथरूम में आकर उसे दो चपत लगा दी होती सोनू यह सब बातें सोच कर अपने मन को राहत दे रहा था और उसे लगने लगा था कि आने वाले समय में मंजिल तक पहुंचना कोई कठिन काम नहीं है वह जरूर अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगा और जो उसके मन में हसरत है अपनी मां को चोदने का वह जरूर पूरी होगी,,,,। यह सब बातें सोच कर एक बार फिर से उसके लंड की अकड़ वापस लौटने लगी थी,,,।

और दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे में पहुंच चुकी थी पर अपने बेटे के बारे में सोच रही थी जो कि अपने लंड को मुठ जाते हुए उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था अपने बेटे की बात को सुनकर संध्या अपने मन में सोच कर खुश हो रही थी कि उसका बेटा भी उसे चोदना चाहता है,,,, और इस बात को सोचकर उसकी आंखों के सामने सोनू का खडा लंड झुलने लगा,,,उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी कि अब बहुत ही जल्द उसके बेटे का खड़ा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करेगा और उसे एक अद्भुत सुख के साथ-साथ एक अद्भुत और अतुल्य एहसास कराएगा,,,,,,।


शाम ढलने लगी थी सगुन घर पर आ चुकी थी,,,बाथरूम वाली घटना के कारण सोनू अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रहा था वही हालत संध्या की भी हो रही थी वह शर्म आ रही थी अपने बेटे के सामने आने के लिए उसे इस बात का बिल्कुल भी नहीं था बाथरूम में उसकी उपस्थिति का एहसास उसके बेटे को हो गया था तू अपने कमरे में अपने बेटे की हरकत की वजह से शर्मा रही थी जिस तरह से उसके बेटे नेउसके नंगे बदन के दर्शन करते हुए खास करके उसकी बुर को देखकर उत्तेजना महसूस किया था और अपनी मोगली को उसकी पूरी की गुलाबी छेद में डालने की कोशिश किया था यह सब बातें सोच कर संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी हालांकि अपने बेटे की हरकत ऊसे बहुत ही अच्छी लगी थी और अपने बेटे की हीम्मत पर उसे गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,,।


जैसे तैसे करके समय गुजरने लगा संध्या की हसरत अपने बेटे के लंड को अपने पूर्व में लेने के लिए बढ़ती जा रही थी और सोनू की चाहत अपनी मां को चोदने के लिए और तीव्र होती जा रही थी दोनों एक दूसरे के प्रति पूरी तरह से आकर्षण मैं बंध चुके थे,,,, और यही हाल शगुन और उसके पापा संजय का भी था,,, संजय जबसे शगुन की चिकनी पुर के दर्शन किया था कब से उसकी हालत खराब हो चुकी थी रात दिन उसकी आंखों के सामने केवल शगुन की बुर ही नजर आती थी सिर्फ पतली दरार और कुछ नहीं,,, शगुन भी अपने पापा को अपनी बुर के दर्शन करा कर अपने आप को धन्य समझने लगी थी और तो और वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपने पापा को अपनी दूर दिखाकर में पूरी तरह से अपने पापा को अपने काबू में कर चुकी है हालांकि अभी भी दोनों के बीच कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन आकर्षण का रिश्ता बढ़ता ही जा रहा था,,,,।

देखते ही देखते सब उनके एग्जाम आ गए और उसे एग्जाम देने के लिए शहर से बाहर जाना पड़ रहा था और वह भी 3 दिनों के लिए संध्या और संजय अच्छी तरह से जानते थे कि शकुन का इस तरह से दूसरे शहर में अकेले जाना ठीक नहीं है इसलिए संध्या के कहने पर ही संजय बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,पहले तो इंकार करता रहा ,,, क्योंकि हॉस्पिटल में काम बहुत था लेकिन शगुन के साथ अकेलेपन के बारे में सोचते हैं उसके दिमाग में उथल-पुथल होने लगा और वह तुरंत बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,।
 
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, सोनू की जवानी उबाल मार रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिल जाएगा अपनी मां की नंगी बुर को देखकर वह अपने आप को रोक नहीं पाया था और उसे छूने की उसी गरमाहट को महसूस करने की और उसने अपनी उंगली डालने की लालच को वह रोक नहीं पाया और डरते हुए लेकिन वासियों के अधीन होकर वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर में डालकर उसकी गर्माहट को पूरी तरह से अपने अंदर महसूस करने लगा था जिसकी वजह से उसका लंड लोहे की रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था,,,। अपनी मां के बदन में कसमसाहट महसूस करते ही सोनू वहां से वापस आ गया लेकिन अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए बात करने के लिए और अपने सारे कपड़े उतार कर टॉयलेट के कमोड पर बैठ गया,,,,,,उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,अपनी मां की चिकनी बुर को देखकर अपने लंड के इर्द-गिर्द ऊगे हुए घूंघराले बालों को साफ करने का उसका भी मन हो गया,,, इसलिए वह,,बाथरूम के ड्रोवर में से रखी हुई वीट क्रीम को बाहर निकाल लिया,,, और अपनी दोनों टांगों के बीच अपने झांठ के बाल पर क्रीम लगाने लगा वह कम उसके इर्द-गिर्द अपनी दोनों टांग करके खड़ा था,,,
दूसरी तरफ संध्या अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से पूरी तरह से स्तब्ध थी,,, लेकिन उसे अपने बेटे की यह हरकत,,, बहुत अच्छी लगी अपने बेटे की इस हरकत पर वह पूरी तरह से खुमारी के रंग में चढ़ने लगी थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था ऊसका बेटा अपनी ऊंगली को ऊसकी बुर में डाल देगा,,, लेकिन उसके लिए वह पल बेहद अद्भुत था,,, कामोत्तेजना से भरा हुआ,,, अपने पति के मोटे तगड़े लंड को वह ना जाने कितनी बार अपनी बुर की गहराई में उतार चुकी थी,,, लेकिन जो सुख जो एहसास उसे अपने बेटे की ऊंगली से हुआ उसका वर्णन शायद वह अपने शब्दों में नहीं कर सकती थी,,,,। पल भर में ही उसके बेटे ने उसे उत्तेजना के परम शिखर पर लाकर पटक दिया था,,,, जैसे ही उसे सोनू कमरे से बाहर जाता हुआ नजर आया वैसे ही वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और थोड़ी देर बाद वह भी सोनू के पीछे पीछे बाथरूम तक आ गई वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बाथरूम में क्या करता है क्योंकि वह पूरी तरह से उत्तेजित था और संध्या इतना तो जानती थी कि उत्तेजित अवस्था में मर्द क्या करता है,,,, संध्या की किस्मत अच्छी थी कि दरवाजा खुला हुआ था पूरा नहीं लेकिन थोड़ा सा ,,, जिसमें से अंदर का सब कुछ नजर आ रहा था,,,, और संध्या इस मौके को अपने हाथ से कैसे जाने देना चाहती थी,,, उसे इतना तो एहसास था ही की,, उसकी गर्म जवानी और बुर देखकर वह अपना पानी निकाले बिना नहीं रह सकता इसलिए आज उसके मन में अपने बेटे के मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को देखने की हसरत जाग उठी थी और जैसे ही दरवाजे की ओट में से एक बाथरूम के अंदर का नजारा देखी तो दंग रह गई,,, अंदर का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था कमोड के ईर्द-गिर्द अपना पांव रखकर सोनू खड़ा था और साथ ही उसका लंड की पूरी औकात में था संध्या तो अपने बेटे के खड़े लंबे लंड को देखकर हैरान रह गई,,, वाकई में सोनू का लंड बेहद लंबा और मोटा था,,,, यह एहसास ऊसे अपने बेटे के नंगे लंड को देखकर हो गया,,,,,,, उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी और इस समय सोनू भी अपने झांठ के बाल पर वीट क्रीम लगा रहा था यह देखकर उसे पता चल गया कि उसका बेटा अपने झांठ के बाल साफ करने जा रहा है,,, संध्या की सांसे ऊपर नीचे होने लगी सोनू क्रीम लगा चुका था और कुछ देर तक क्रीम लगे हुए ही अपने लंड को मुट्ठी में भरकर आगे पीछे करने लगा यह नजारा संध्या के लिए बेहद उत्तेजनात्मक था,,, शायद ऐसा नजारा संध्या ने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी सोनू मस्त होकर अपने लंड को आगे पीछे करके मुठिया रहा था संध्या अपने मन में ही सोचने लगे कि उसका बेटा अपने लंड को हिलाते हुए उसके ही बारे में सोच रहा है जो कि यह सच था,,,। सोनू के मन में उस समय उसकी मां का खूबसूरत बदन नाच रहा था खास करके वह दृश्य उसकी आंखों के सामने बार बार घूम रहा था जब वह अपनी मां की नींद में होने का फायदा उठाते हुए अपनी उंगली को उसकी रसीली गुलाबी बुर के अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,,,। सोनू मदहोश हो चुका था दरवाजे पर खड़ी संध्या अपने होश खो रही थी अपने बेटे के लंड को देखकर वह पूरी तरह से अपने बेटे के प्रति आकर्षित होती जा रही थी अपने बेटे के लैंड के आकार को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में वो किसी भी औरत को पानी-पानी कर देने में पूरी तरह से सक्षम है संध्या को वह दिन याद आने लगा जब वह बगीचे में खड़ी होकर झाड़ियों के अंदर मां बेटे की चुदाई देख रही थी,,,। उसका बेटा ठीक उसके पीछे खड़ा था और अंदर के नजारे को देखकर एकदम मस्त हो गया था,,, दोनों मां-बेटे तुम गर्म हो चुके थे और सोनू अपनी मां के भजन की गर्मी और अंदर से गरम नजारे को देखकर एकदम चुदवासा हो गया था और पैंट के अंदर ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, जोकि साड़ी के ऊपर से ही संध्या की गांड पर रगड़ खा रहा था और साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर मर्दाना ताकत से भरे हुए अपने बेटे के लंड की ठोकर को महसुस करके वह एकदम मस्त हो गई थी,, आज अपनी आंखों से अपने बेटे के खड़े लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि किस लिए साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को एकदम साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी उसे यकीन हो गया कि उसके बेटे की लैंड में बहुत ताकत है और दूसरों की तुलना में उसके बेटे का लंड मोटा और लंबा कुछ ज्यादा ही है,,, दूसरों का क्या वह खुद अपने पति के लंड की तुलना अपने बेटे के लंड से करने लगी थी जो कि संध्या को भी मानना पड़ रहा था कि उसके बेटे का लंड उसके पति से ज्यादा दमदार है,,,।


संध्या गर्म आहें भरते हुए अंदर के नजारे को देखने लगी,,,, सोनू अब टावल लेकर क्रीम को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में सोनू के झांठ के बाल पूरी तरह से गायब हो चुके थे और लंड वाली जगह एकदम चिकनाहट से भर चुकी थी संध्या भी अपने बेटे की संपूर्ण लंड का दर्शन करके मस्त हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में था छत की तरफ उठाएं मानो कि चैलेंज कर रहा हो कि आ जाओ जिसमें दम हो मेरे लंड की ठोकर को बर्दाश्त करने की,,,,

सोनू कमोड पर बैठ नहीं रहा था बल्कि उसी पर खड़ा होकर के अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,, संध्या यह नजारा देखकर एक दम मस्त हो चुकी थी,,,उसकी बुर में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी,,,,,, संध्या का मन कर रहा था कि वह बाथरूम में घुस जाए,,, और आज अपने मन की हसरत मिटा ले,,,, वाकई में सोनु का लंड इतना दमदार था कि उसे कोई भी औरत देख ले तो उसे पाने के लिए तड़प उठे,,,

बाथरूम के अंदर सोनू एकदम नंगा था,,,संध्या के जीवन में यह दूसरा मरता था जिसे वह संपूर्ण रूप से नंगा देख रही थी और वह भी खुद के बेटे को,,,, सोनू की हालत खराब होती जा रही थी वह अपने लंड की गर्मी को निकाल कर शांत होना चाहता था,,। इसलिए अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए मुठीया रहा था,,,। और शायद यह भी संध्या के लिए पहली बार ही था जब वह किसी को मुठिया मारते हुए देख रही थी,,,संध्या से रहा नहीं जा रहा था और उसके यहां की खुद-ब-खुद साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर पहुंच गए,,, और वह जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी,।,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन आगे बढ़कर उसे बुझाने की पहल कोई भी नहीं कर पा रहा था,,,सोनू के दिलो-दिमाग पर उसकी मां का खूबसूरत जिस्म छाया हुआ था,,,,, कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के अर्ध नग्न बदन के साथ-साथ अपनी मां की गुलाबी बुर के दर्शन भी कर चुका था और उसे छूकर उसकी गरमाहट को महसूस कर चुका था और उसी की गर्मी उसके तन बदन में भरी हुई थी जिसे वह बाहर निकाल कर शांत होना चाहता था,,,।
संध्या की आंखें पलके झपका ना भूल चुकी थी,,,, वह अपलक अपने बेटे के चेहरे की तरफ नहीं बल्कि उसकी लंबे लंड की तरफ देखे जा रही थी जो कि बेहद लुभावना लग रहा था संध्या की बुर में चींटियां रेंग रही थी,,,वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,, और उसे यह भी पता था कि उसका चुदासपन अपने बेटे से चुदवाए बिना नहीं मिटने वाला क्योंकि अपने बेटे की आकर्षण के बाद से जो कि वह अपने पति के साथ संभोग रथ होती थी तो उसके मन में उसके पति की जगह केवल उसका बेटा ही रहता था,,,।


ओहहहह,,, मम्मी,,,,,, आई लव यू मम्मी,,, तुम बहुत सेक्सी हो ,,, मम्मी,,,,, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं ,,,,,,तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,,(सोनू की आंखें बंद थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आगोश में चला गया था उसे बिलकुल भी होश नहीं था,,, संध्या उसके मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से चौकते हुए मदहोश हो गई,,, उसी पक्के तौर पर यकीन हो गया कि उसका बेटा उसके बारे में ही सोच कर मुठिया रहा है,,,, उसकी बातें संध्या के आज का बदन में आग लगाने लगी,,, अपने बेटे के मन के अंदर की बात को जानकर संध्या की हसरतें और ज्यादा बढ़ने लगी उसके चेहरे पर उत्तेजना और खुशी के भाव नजर आने लगी अपने बेटे की बात सुनकर उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे चोदना चाहता है,,,,लेकिन शायद मां बेटे के पवित्र रिश्ते की वजह से अभी तक वह शांत है उसे बस एक ही सहारे की जरूरत है और दोनों की हसरत पूरी हो जाएगी क्योंकि जितना उत्सुक वह अपनी मां को चोदने के लिए था उससे ज्यादा उत्सुकता संध्या की अपने बेटे से चुदवाने की थी,,,, सोनू की बातें संध्या के तन बदन में काम ज्वाला को भड़काने लगी अपने बेटे को अपना नाम लेकर गंदी गंदी बात करते हुए मुठीयाते हुए देखकर संध्या से भी नहीं रहा गया और वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी नंगी पुर में दो उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी,,,,,,

सोनू के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ झलक रही थी और उसकी बातें बेहद मादकता फैला रही थी,,,।

ओहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर मुझे चाहिए तुम्हारी बुर में में अपना लंड डालना चाहता हूं,,,,,, तुम्हारी जैसी कोई नहीं है मम्मी,,,,,, तुम बहुत सेक्सी हो,,,, आ जाओ प्लीज आ जाओ मम्मी,,,,मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने इसे अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में डालो मम्मी,,,आहहहहह,,,आहहहहहहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर में पानी निकलने वाले मैं झड़ने वाला हूं मम्मी,,,,,आहहहह,,,,आहहहहह,,,,और इतना कहते हैं सोनू के लंड से पानी की पिचकारी निकलने लगी जो कि इतनी जबरदस्त और तीव्र थी कि सामने की दीवार की टाइल्स पर गिरने लगी,,, यह नजारा,,,,और अपने बेटे की बातें संध्या के लिए अद्भुत थी ,,,, उसका खुद का पानी निकालने के लिए काफी था,,, और यही हुआ भी जैसे ही सोनू के नंबर से पानी की पिचकारी बाहर निकली वैसे ही संध्या की बुर ने भी पानी छोड़ दिया,,, पहली बार संध्या इतनी जल्दी चढ़ी थी यह शायद सोनू की गंदी बातें जो कि उसके खुद के लिए थी और अपने ही बेटे के खड़े लंड को देखकर उसके प्रति आकर्षण का नतीजा तो संध्या इतनी जल्दी अपना पानी निकाल दी थी,,,, सोनू भी शांत हो चुका था,,, वासना का तूफान गुजर चुका था लेकिन अपने निशान छोड़ गया था,,, सोनू जोर-जोर से हांफ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां के बारे में सोच सोच कर अपना पानी नहीं बल्कि अपनी मां को चोद कर अपना पानी निकाल दिया हो,,, संध्या का अब यहां खड़ा रहना उचित नहीं था इसलिए वह अपने कदम पीछे ले चुकी थी और कमर तक उठाई हुई साड़ी को नीचे कदमों में गिरा दी थी लेकिन चूड़ियों की खनक ने की आवाज सोनू के कानों तक पहुंच चुकी थी क्योंकि इस बात का एहसास हो गया को बिल्कुल भी नहीं पापा तो वापस जाने लगी थी लेकिन चूड़ियों की आवाज को सुनकर सोनू सतर्क हो चुका था,,, वह तुरंत दरवाजे की तरफ देखा जो कि थोड़ा सा खुला ही था वह उसी तरह से नंगा ही दरवाजे तक आया और अपना सिर बाहर निकाल कर गैलरी की तरफ देखने लगा चुकी उसे अपनी मां जाती हुई दिखाई दे रही थी उसे समझते देर नहीं लगी कि खुले दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी मां क्या देख रही थी,,,। सोनू के बदन में एकदम से हलचल सी दौड़ने लगी वह बर्फ की तरह ठंडा पड़ने लगा,,, वह घबराने लगा,,, लेकिन तभी उसे कुछ दिनों कि सारी घटनाएं याद आने लगी बगीचे वाली अपनी मां से किए गए 2 अर्थ वाली बातें,,, और ऐसी कई बातें थी जो कि सोनू को राहत पहुंचा रही थी उसका डर कम होने लगा था उसका एहसास नहीं लगा था कि अगर उसकी मां को यह सब गलत लगता तो वह कब से रोक चुकी होती और उसपर डांट फटकार भी लगाती,,,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां भी यही चाहती थी,,,तभी तो बगीचे में सब कुछ साफ़ साफ़ महसूस करते हुए भी उसकी मां ने उसे रोकी नहीं थी,,,

यह सब बातें और बाथरूम के दरवाजे पर अपनी मां की मौजूदगी को महसूस करते ही सोनू किसान से ऊपर नीचे होने लगी उसके तन बदन में फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे इस बात का एहसास होने लगा किअपने लंड में देहाती हुए वह अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था और उसकी मां जरूर उसकी बातों को सुनी होगी अगर ऐसा है तो जो वह उत्तेजना में आकर कह रहा था कि वह मां को चोदना चाहते हैं यह बात सुनकर उसकी मां को अच्छा लगा होगा वरना वह बाथरूम में आकर उसे दो चपत लगा दी होती सोनू यह सब बातें सोच कर अपने मन को राहत दे रहा था और उसे लगने लगा था कि आने वाले समय में मंजिल तक पहुंचना कोई कठिन काम नहीं है वह जरूर अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगा और जो उसके मन में हसरत है अपनी मां को चोदने का वह जरूर पूरी होगी,,,,। यह सब बातें सोच कर एक बार फिर से उसके लंड की अकड़ वापस लौटने लगी थी,,,।

और दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे में पहुंच चुकी थी पर अपने बेटे के बारे में सोच रही थी जो कि अपने लंड को मुठ जाते हुए उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था अपने बेटे की बात को सुनकर संध्या अपने मन में सोच कर खुश हो रही थी कि उसका बेटा भी उसे चोदना चाहता है,,,, और इस बात को सोचकर उसकी आंखों के सामने सोनू का खडा लंड झुलने लगा,,,उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी कि अब बहुत ही जल्द उसके बेटे का खड़ा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करेगा और उसे एक अद्भुत सुख के साथ-साथ एक अद्भुत और अतुल्य एहसास कराएगा,,,,,,।


शाम ढलने लगी थी सगुन घर पर आ चुकी थी,,,बाथरूम वाली घटना के कारण सोनू अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रहा था वही हालत संध्या की भी हो रही थी वह शर्म आ रही थी अपने बेटे के सामने आने के लिए उसे इस बात का बिल्कुल भी नहीं था बाथरूम में उसकी उपस्थिति का एहसास उसके बेटे को हो गया था तू अपने कमरे में अपने बेटे की हरकत की वजह से शर्मा रही थी जिस तरह से उसके बेटे नेउसके नंगे बदन के दर्शन करते हुए खास करके उसकी बुर को देखकर उत्तेजना महसूस किया था और अपनी मोगली को उसकी पूरी की गुलाबी छेद में डालने की कोशिश किया था यह सब बातें सोच कर संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी हालांकि अपने बेटे की हरकत ऊसे बहुत ही अच्छी लगी थी और अपने बेटे की हीम्मत पर उसे गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,,।


जैसे तैसे करके समय गुजरने लगा संध्या की हसरत अपने बेटे के लंड को अपने पूर्व में लेने के लिए बढ़ती जा रही थी और सोनू की चाहत अपनी मां को चोदने के लिए और तीव्र होती जा रही थी दोनों एक दूसरे के प्रति पूरी तरह से आकर्षण मैं बंध चुके थे,,,, और यही हाल शगुन और उसके पापा संजय का भी था,,, संजय जबसे शगुन की चिकनी पुर के दर्शन किया था कब से उसकी हालत खराब हो चुकी थी रात दिन उसकी आंखों के सामने केवल शगुन की बुर ही नजर आती थी सिर्फ पतली दरार और कुछ नहीं,,, शगुन भी अपने पापा को अपनी बुर के दर्शन करा कर अपने आप को धन्य समझने लगी थी और तो और वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपने पापा को अपनी दूर दिखाकर में पूरी तरह से अपने पापा को अपने काबू में कर चुकी है हालांकि अभी भी दोनों के बीच कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन आकर्षण का रिश्ता बढ़ता ही जा रहा था,,,,।

देखते ही देखते सब उनके एग्जाम आ गए और उसे एग्जाम देने के लिए शहर से बाहर जाना पड़ रहा था और वह भी 3 दिनों के लिए संध्या और संजय अच्छी तरह से जानते थे कि शकुन का इस तरह से दूसरे शहर में अकेले जाना ठीक नहीं है इसलिए संध्या के कहने पर ही संजय बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,पहले तो इंकार करता रहा ,,, क्योंकि हॉस्पिटल में काम बहुत था लेकिन शगुन के साथ अकेलेपन के बारे में सोचते हैं उसके दिमाग में उथल-पुथल होने लगा और वह तुरंत बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,।
Shagun or Sanjay ke beech Dhamaka hone Wala hai
 
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