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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।
दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।
दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,
सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।
घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,
सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,
क्रमशः
दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।
दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,
सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।
घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,
सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,
क्रमशः