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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rohnny4545

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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।


दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।

दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,

सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।

घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,

सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,

क्रमशः
 

Naik

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आज शगुन अपने पापा का एक नया रूप देख रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था वह शत-प्रतिशत सत्य था,,,, अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चुदाई का खेल खेल रहे अपने पापा को देखकर से कम इतना तो समझ गई थी कि इसके पापा रंगीन मिजाज के हैं,,,, लेकिन वह यह सोच में पड़ गई कि इतनी खूबसूरत सुंदर सेक्सी बीवी होने के बावजूद भी उसके पापा दूसरी औरतों के साथ इस तरह के संबंध क्यों बनाते हैं,,, इसका जवाब शगुन को खुद ही मिल गया था धीरे-धीरे वह मर्दों की फितरत से वाकिफ होने लगी थी वह समझने लगी थी कि हर औरत को देखकर मर्द का खड़ा हो जाता है,,।

जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे शगुन की बुर कुछ ज्यादा ही फुदकने लगी थी,,, आखिरकार इसमें उसका बिल्कुल भी दोस्त नहीं था यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और वह भी वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और तो और अपनी आंखों से अपनी मां बाप के साथ साथ अपने बाप और अपने बाप की सेक्रेटरी के बीच चुदाई का गरमा गरम खेल जो देख चुकी थी,, इसलिए तो उसके बदन की गर्मी उसे और ज्यादा परेशान कर रही थी,,।


ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह,,, शगुन उठी,,,वह बिस्तर में एकदम नंगी सोई हुई थी,,, उठकर वह तुरंत फ्रॉक पहन ली,,, ना तो वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पहनी और ना ही पेंटिं,,, फ्रॉक के नीचे में पूरी तरह से नंगी थी और वो भी फ्रॉक इतनी छोटी की,,,, बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों का घेराव उससे छुप पा रहा था,,‍ लेकिन शगुन इस कपड़े में अपने आप को बेहद सहज महसूस कर रही थी,,, आज उसका टेस्ट था जिसकी तैयारी करना बहुत जरूरी था,,, टेस्ट दोपहर से शुरू होने वाले थे,, उसके पास अभी भी काफी समय था इसलिए वह वैसे ही बिना फ्रेश हुए बिस्तर पर किताब खोल कर बैठ गई और पढ़ने लगी,,।

उसे एक चैप्टर समझ में नहीं आ रहा था,,, अपने कमरे से बाहर आई और सीढ़ियों पर खड़ी होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ नजर घुमाई जहां पर उसके पापा नाश्ता कर रहे थे उन्हें देखते ही शगुन बोली,,,।


पापा आज मेरा टेस्ट है,,, और मुझे चैप्टर समझ में नहीं आ रहा है आप आकर समझा देते तो अच्छा होता,,,


ठीक है मैं अभी नाश्ता करके आता हूं,,,(संजय एक ही नजर में सीढ़ीयों के पास खड़ी शगुन के खूबसूरत बदन का जायजा ले लिया,,, छोटे से फ्रॉक में उसकी चिकनी मांसल जांघें साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। संजय नाश्ता करते हुए हैं शगुन को जाते हुए देखने लगा छोटे से फ्रॉक में उसकी गोलाकार गांड बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, शगुन वापस अपने कमरे में चली गई,, और वापस जाकर बिस्तर पर बैठ गई पन्नों को इधर-उधर पलटते हुए वह टेस्ट के बारे में ही सोच रही थी,,,, उसके दिमाग में अभी ऐसा कुछ भी नहीं था,,,

दूसरी तरफ संजय नाश्ता करके तुरंत सीढ़ीयो के रास्ते ऊपर जाने लगा,,, शगुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था संजय दरवाजे पर खड़ा होकर पहले बिस्तर पर बैठी शगुन को देखने लगा,, उसकी चिकनी जांघें उसकी नंगी टांगे बड़े आराम से नजर आ रही थी,,, जिसे देख कर संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, दरवाजे पर खड़े अपने पापा को देखकर शगुन बोली,,।


आओ ना पापा यह वाला चैप्टर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है,,,,


कोई बात नहीं मैं अभी समझा देता हूं,,,(इतना कहकर संजय कमरे के अंदर प्रवेश किया और एहतियात के रूप में दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन लोक नहीं किया,,, संजय भी बिस्तर पर बैठ गया था,,,,, संचय उसे उस चैप्टर के बारे में समझाने लगा,,, संजय की नजर अपनी बेटी की चिकनी टांगों पर घूम रही थी और उसकी चिकनी टांग को देखकर संजय का मन फिसल रहा था,,,। संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी देख कर संजय की पेंट में गुबार उठ रहा था,। सगुन अपने पापा के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन ऐसे में इसका पूरा ध्यान से कुछ एक्टर को समझने में लगा हुआ था उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि जाने-अनजाने में उसकी चिकनी नंगी टांग को उसके पापा प्यासी नजरों से देख रहे हैं,,।

उत्तेजना रहित होने के बावजूद भी संजय बड़े अच्छे से शकुन कोर्स चैप्टर के बारे में समझा रहा था ताकि टेस्ट में उसके मार्क कम ना आवे,,,,थोड़ी ही देर में संजय अच्छी तरह से सगुन को उस चैप्टर के बारे में समझा दिया,,,, उसका समय हो रहा था इसलिए वह बोला,,,।


अच्छी तरह से समझ ली हो ना,,,


हां,,, पापा,,,


कोई दिक्कत तो नहीं है ना,,,।


नहीं कोई भी दिक्कत नहीं है,,,,


ठीक है मेरा समय हो रहा है मैं चलता हूं,,,, (इतना कहकर संजय बिस्तर पर से उठ गया लेकिन जैसे ही वहशगुन की दोनों टांगों के बीच रखी हुई किताब पर से अपनी नजर हटाने वाला था कि तभी उसकी नजर ऐसी खास जगह पर पहुंच गई जिसे देखते ही वो एकदम से सन्न रह गया,,,उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,। अपनी बेटी की बुर देख कर संजय की आंखों में चमक आ गई थी,,, संजय ललचाए आंखों से अपनी बेटी की बुर को देख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे जिंदगी में उसने इस तरह की खूबसूरत बुर को कभी नहीं देखा है हालांकि वो अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुका था और भोग भी चुका था लेकिन शायद अपनी बेटी की बुर को देखना उसके लिए सबसे अध्भुत नजारा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,

शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बुर दिखाई दे रही है वह तो अपना पूरा ध्यान चैप्टर को समझने में लगाई हुई थी,,,, पर संजय अपना पूरा ध्यान अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच लगाया हुआ था,,,संजय अपने मन में अपनी बेटी की बुर को देखकर नहीं सोच रहा था कि वाकई में उसकी बेटी की बुर कितनी खूबसूरत है,,, एकदम चिकनी बालों का नामोनिशान नहीं था संजय इतना समझ गया था कि उसकी बेटी रोज क्रीम लगाकर साफ करती है तभी तो उसकी बुर ईतनी चिकनी है,,, एक दम दाग रहीत ,,,
संजय को अपनी बेटी की बुर के रूप में केवल एक पतली दरार ही नजर आ रही थी,,, एकदम अनछुई,,, इस अद्भुत नजारे को देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया,,, साथ ही उसके लंड में भी,,,,जो कि इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखकर धीरे-धीरे अपनी औकात में आ रहा था,,,
संजय की हालत खराब हो रही थी अपनी बेटी की रसीली बुर को देखकर वह यह भी भूल गया कि वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि अपनी ही बेटी की बुर को देख रहा है,,,, संजय का मन शगुन की बुर में अपना लंड डालने को कर रहा था,,, क्योंकि शगुन की दोनों टांगों के बीच का अद्भुत नजारा संजय के दिलो-दिमाग पर छा चुका था,,,।
संजय अपनी बेटी की बुर को छुना चाहता था,, उसे अपनी हथेली में दबाना चाहता था,,, लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमे नहीं थी,,, तभी चैप्टर को समझ रही शगुन का ध्यान अब तक खड़े अपने पापा पर गया तो वह अपने पापा की तरफ देखते हुए बोली,,,।

पापा ,,, आप अभी तक,,,,, यहां,,,,,,,,(इतना कहना था कि,, शगुन अपने पापा की तरफ देखी और उनकी नजर के सिधान की दिशा को जैसे ही समझी वह पूरी तरह से चौक गई,,, वह झटके से अपने पापा की तरफ और फिर अपनी दोनों टांगों की तरफ देखकर स्तब्ध रह गई उसे अब जाकर इस बात का आभास हुआ कि दोनों पानी फैलाने की वजह से उसकी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी,,, यह देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,,,, सगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, क्योंकि उसके पापा उसकी बुर को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे,,, सगुन को अपने पापा की आंखों वासना साफ नजर आ रही थी,,, सगुन अपने पापा की नजरों को देखकर साफ समझ रही थी कि,, उसके पापा उसे चोदने वाली नजर से देख रही थी और यह ख्याल इस बात का आभास शगुन को होते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,
ना जाने क्यों शर्मसार होने के बावजूद भी कुछ देर तक शगुन जानबूझकर अपनी बुर को अपने पापा को देखने का मौका दे रही थी और संजय भी इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,, और अपने पापा के पेंट में बने तंबू पर सगुन की नजर जा चुकी थी,,,यह नजारा शगुन के लिए भी बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था क्योंकि शगुन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,, उसके पापा का लंड उसकी बुर को देखकर ही खड़ा हुआ है,,,,,, लेकिन अब इस नजारे पर परदा डालना बेहद जरूरी हो चुका था ,,,क्योंकि काफी समय हो चुका था और उसकी मम्मी किसी भी समय कमरे में आ सकती थी,,, इसलिए शगुन अपने कपड़ों के साथ-साथ खुद को ठीक तरह से कर ली,,, अब संजय के लिए भी ज्यादा देर तक वहां खड़ा रहना ठीक नहीं था लेकिन जाते जाते दोनों की नजरें एक दूसरे से टकरा गई दोनों की आंखों में एक दूसरे को पाने की ललक और उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,,, लेकिन शगुन अपने पापा की आंखों में एक अद्भुत चमक देखकर शरमा गई और अपनी नजरों को शर्मा कर नीचे कर ली,,, संजय कमरे से बाहर जा चुका था,,, लेकिन उसके तन बदन में शगुन ने अपनी जवानी से आग लगा चुकी थी,,,
अपने पापा के बाहर जाते ही,,, शगुन उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी हथेली को जोर से अपनी बुर पर रगड़ ते हुए लंबी आह भरी और वापस टेस्ट की तैयारी करने लगी,,,।
Aag dono taraf lagne ki deri h bas machis kon dikhaye yahi duwidha m h dono
Bahot behtareen garma garam shaandaar update bhai
 

Naik

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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।


दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।

दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,

सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।

घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,

सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,

क्रमशः
Bahot behtareen shaandaar
Update bhai
Zaberdast
 

Mota Lund

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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।


दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।

दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,

सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।

घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,

सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,

क्रमशः
Yahi sab se maza aata hai aise scene hone bhi chahiye kahani me warna baadme to sabka lund jata hi hs chut me...
 

Deepoonam

Dashing deep
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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।


दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।

दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,

सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।

घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,

सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,

क्रमशः
बहुत ही कामोत्तेजक
 
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