रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १
तो आइअे कहानीकी सुरुआत करतेहे गुजरातका अेक छोटा गांव हे जो कहानी इसी गांवसे सुरु होती हे इस गांवके सबसे बडे जमीनदार देवायत हे जीनके पास पुर्खोकी बहुत बडी हवेलीके साथ खेतीकी तकरीबन सभी मीलाके २०० अेकर जमीन हे जो आस पास गांवके जमीनदारके पासभी इतनी जमीन नहीथी आजादी से पहेले इन्हीकी ४थी पीढी यहा राज करतीथी इनकी कइ पीढीयोसे अेकही संतान होतीथी पौत्रके जन्मके बाद छे महीनेमे दादाकी मृत्यृ हो जातीथी
इसके लीये देवायतके पीताजीने दोरे धागे मे कडी महेनत की हर मंदिर हर मस्जीद हर साधु संत फकीर कीसीको नही छोडा तब जाके इनको बाबा मीले ओर बाबाने उनके घरपे हवन करके श्रापसे मुक्ती दीलवाइ तब जाके काफी समयके बाद उनके यहा अेक और लडका फीर अेक लडकीकाभी जन्म हुआ यानीके देवायत का छोटा भाइ (लखन) ओर छोटी बहेन (पूनम) पैदा हुअे तब देवायतकी उमर १२ सालकीथी तीनोही भाइ बहेन बडे होते गये
जब देवायकी सादी होगइ तब दो सालमेही उनके माता पीता चल बसे ओर सब जीम्वेवारी देवायतके कंधेके उपर आगइ तब देवायतका बचपनका दोस्त उनकी सहायताके लीये आगया वेसेतो कामके लीये दो (रजीया ओर दया) नोकरानी ओर अेक बडी उमरका नोकर (रामु) था जो उनके पीताका चहीताथा जो देवायतभी उनको काका कहेके मानसे बुलाता था तो आइअे पहेले कुछ पात्रोके परीचय करवा देता हुं
देवायत - जीनके पुर्खो अेक जमानेमे यहा राज करतेथे इस ---गांव ना बल्के आजुबाजुके सब गावमे सबसे बडा जमीनदार हे सभी गांवोमे इनकी बहुत इजत हे बस सीर्फ उनके गांवके सरपंचसे उनकी नही बनती हांलाकी उनके सामनेतो सरपंचभी कुछ नही बोलता ओर उनकी इजत करता हे बस पीठ पीछे उनके खीलाफ साजीस करता रहेता हे देवायतकी बस अेकही कमजोरी हे वो हे दारु, जब वो दारुका नसा करलेता हे तब उनको कुछ भान नही रहेता ओर वो कीसीभी ओरतको नही पहेचानता ओर उनसे जबरन फीजीकल होनेकी कोसीस करता हे, बस यही इनकी कमजोरीथी ओर यही वजहसे सरपंचसे दुस्मनी मोडली वो बात आगे कहानीमे पता चल जायेगी
मंजुला - बाजुके गांवके जमीनदारकी सीर्फ दो लडकीथी जो बडी लडकीकी देवायसे आंख मील गइ ओर उनसे प्यार कर बेठी बादमे उन दोनोके पीताजीने दोनोकी सादी करदी बहुतही सरल स्वभाव ओर हसमुख थी देवायतसे जीजानसे प्यार कतीथी ओर देवायतभी उनको बहुत प्यार करताथा ओर हर रात दोनोकी सुहागरात होतीथी देवायत उनकी देर रात तक चुदाइ करता रहेता ओर नतीजा ये हुआकी उनको अेक लडका (विजय) हुआ ओर बडेही लाड प्यारसे अपने देवर ननंद ओर अपने बेटे विजयको पालनेमे बीजी रहेने लगी
विजय - जो देवायत ओर मंजुलाका बेटाथा पढनेमे होशीयार पुर्खोकी खेतीबाडीमे कोइ इन्टरेस्ट नहीथा अपने तरीकेसे बहुतही बडा बीझनेसमेन बनना चाहताथा इसीलीये पढाइमे खुब मन लगाके पढताथा ताकी विदेशमे जाके बसना चाहताथा बस थोडा अैयास कीसमका आदमी था ओर बचपनमे खुब आवारागर्दीकी ओर लडकी को पटानेकी कोसीस करता रहेता था बस लडकी पटी नही ओर तुरंत उनके नीचे लीटानेकी फीराकमे रहेता गांवकी बहुत सारी औरते ओर लडकीया चौद चुकाथा
रजनी - विजयकी सौतेली बहेन जो विजयकी सादीसे तीन साल पहेलेही पैदा हुइथी नीहायती खुबसुरत मानो कामदेवकी रतीका अंस थी अेकदम गोरी पतली कमर, तीखे नैन नक्स, रसीले होंठ, घुटनो तक लंबे बाल ओर ५.११ फीट लंबी हाइट, कीसीकाभी मन डोलने लगजाये, पढनेमे बहुतही होशीयार हमेसा फस्ट आतीथी ओर अेम.बी.अे. कर रहीथी वो सादी करना नही चाहतीथी बस रीजन अेकहीथा वो अपाहीज थी वो दो धोडी (बैसाखी)की सहायतासे चलतीथी जोभी लडका देखने आता उनकी अपंगताकी वजहसे उनको रीजेक्ट करदेता था तभी सादी ना करनेका मन बनालीया ओर आगे अपने भाइका बीझनेस जोइन्ट करने वालीथी वो देवायत ओर लताकी लडकीथी इनके बारेमे हम आगे बात करेगे
लखन - देवायतका छोटा भाइ जब देवायत १२ सालका हुआ तब इन्हीका जन्म हुआ पढाइ लीखाइमे कुछ खास नहीथा तो अपनीही खेतीबाडीमे ध्याान रखने लगा जब जवान हुआ तब देवायतने अपने दोस्त (विरभानु जो हम इस कहानीमे सीर्फ भानुके नामसे जानेगे)की बहेन लतासे इनकी सादी करवादी वेसेभी कहानीमे इनका कोइ खास रोल नहीहे
लता - लखनकी बीवी ओर भानुकी सबसे छोटी बहेन जो देवायतके कहेनेपे लखनसे सादी करदी गइ बहुतही खुबसुरत लंबी हाइट सरीर थोडा भरावदार बहुतही चंचल ओर कामी ओरत जो लखनसे संतुस्ट नही होतीथी वो अपने घरपे ही हे इनके बारेमे आगे हम बात करेगे
पूनम - देवायत ओर लखनसे सबसे छोटी बहेन लखनके जन्मके तीन साल बाद पैदा हुइ बहुतही चंचल स्वभाव ओर मस्खरीकोर थी पढाइ लीखाइमे बहुतही होशीयार तीखे नैन नक्स लंबे घुटनो तक बाल अेक दम गोरी कमर पतली मानो कीसीभी हीरोइनको टकर देदे बहुतही कामी जो कीसीकाभी दील इनपे आजाये पर आजतक अपने पैर कभी नही लडखडाने दीया जो बडे भैया कहे वही सादी करना चाहतीथी
तो येथी देवायतकी फेमीली जो हमारे हिरोके दादा हे आगे सीर्फ देवायतके दोस्त ओर उनकी बीवीकाही परीचय करवाउगा बाकी पात्रोका परीचय जरुरतके हीसाबसे देता रहुगा
भानु (विरभानु) -देवायतका बचपनका दोस्त सुखी सम्पन परीवारसे तालुक रखताहे दोस्तीपे जान दावपे लगानेको तैयार ओर बहुतही इमानदार ओर महेनती जीनकी वजहसे देवायतने अपनी सारी जमीन ओर दुसरा कारोबार इनके हवाले करदीया देवायतभी इनको अपना भाइ मानताथा ओर आगे जाके अपना रीस्तेदार (समधी) तक बनालीया ओर वेसेभी देवायत रीस्तेमे इनका साढुभाइ लगता था क्युकी देवायतके कहेनेपेही उनकी सालीकी सादी अपने दोस्तसे करवादीथी
भावना - भानुकी बीवी जो देवायतकी बीवी मंजुलाकी छोटी बहेन हे दीखनेके कयामत कीसीकाभी लंड देखतेही खडा होजाये बहुतही कामी ओरत जो रातमे भानुको थका देतीहे फीरभी हरदीन प्यासीही रहेतीहे नतीजा ये रहाकी भानुसे संतुस्ट नही होतीथीतो अपने जीजाजीसे नैन लडाते उनकी बहुतही मस्करी करती ओर आखीर अेक दीन देवायतके नीचे आही गइ तो भानुसे दो बच्चे पैदा करके बाकीके तीन बच्चे देवायतसे पैदा करलीये भानुसे भावेश ओर विभा फीर देवायतसे मनोज दामीनी ओर अंजली पैदा करलीये जीनके बारेमे सीर्फ देवायत ओर भावनाही जातीथी वो बात हम कहानीमे जानेगे
गांवकी हेलीमे आज बडाही मातम छाया हुआथा देवायतने आज अपने सरका छाया खो दीया आज उनकी माताके बाद पीताभी चल बसे सभी गांववाले आज सौक मनाने आयेथे आज लखन १६ सालका ओर पूनम १२ सालकी होगइथी तब दोनोही भाइ बहेन सहेरकी होस्टेलमे रहेके पढ रहेथे उनके पीताजीकी तबीयत बीगडतेही देवायतने दोनो भाइ बहेनको गांवमे बुला लीया था, उनका खास दोस्त ओर साढु भानु ओर उनकी साली भावनाभी हवेलीमे सब कामकाज ओर व्यवस्था देख रहेथे अब देवायतके पीताकी सब क्रिया तक दोनो यही रुकने वालेथे रात होतेही सब खाना खाके अपने अपने रुममे चले गये ओर सोनेकी तैयारीया करने लगे
देवायत : (पलंगपे लेटते) मंजु सब बीखर गया अब सब जीम्वेवारी हमारे उपर आगइ ओर मुजेतो खेतीबाडीमे कुजभी नही पता बस सब चीजोका सौदा करनाही आता हे
मंजुला : (अपने रुमका दरवाजा बंध करते) अरे क्यु चीन्ता करतेहो वोभीतो अपना कारोबारहीहे मेरी मानो आप भानुभाइको अपने साथ रखलो वो सब खेतीबाडी सम्हाल लेगे वेसेभी उनकी दुकान कुछ खास नही चलती भावु बता रहीथी ओर आपके बचपनका दोस्तभी हे ओर बहुतही इमानदारभी हे
देवायत : (खुस होते) अरे भाग्यवान तुमने क्या बात कहीहे, मेरे मुहकी बातही छीनली मेभी यही सोच रहाथा
मंजुला : (देवायतके साथ सोनेके लीये कंबलमे धुसते हसते) तो फीर..कभी कभी बीवीकी बात मानलीया करो फायदेमे रहोगे..चलो सो जाओ १२वी खतम होतेही लखन ओर पूनमको वापस भेजदो दोनोकी पढाइ डीस्टर्ब होती हे बस दोनो कुछ पढ लीखके सीखले तो उनका जीवन सुधर जाये..
देवायत : (मंजुलाको बाहोमे भरते) तुम दोनोकी बहुत चीन्ता करतीहो तो फीर अेक बच्चा हमभी पैदा करले..?
मंजुला : (देवायतके सीनेपे सर रखते) ना बाबा ना अभी मेरी पूनम बच्ची हे वो जब सादीके लायक होजायेगी तब सोचेगे तबतक मुजे आपके साथ मजे करनेदो..चलो आज सोजाओ आज कुछभी नही सुबहसे लगेहे थक गये होगे हम कल प्यार करेगे अबतो आपकी आदत होगइ हे
देवायत : (होठोपे कीस करते) तो चलना अेक बार कर लेतेहे मुजेभी तो तेरी आदत लग गइ हे आजभी तेरी चुत कसी हुइ लगती हे बीलकुल कुआरी लडकीकी तराह..हें..हें..हें..
मंजुला : (सरमाते सीनेपे मुका मारते) कुछतो सरम करो बापुजी गुजर गयेहे ओर आपको प्यार करना हे
देवायत : (मंजुलाके उरोज दबाते) तो बापुजी कहा मना कर गयेहे उनकीभी पुरी उमर हो चुकथी
मंजुला : सीइइइइइ आहइइइ धीरे दबाओना दुखता हे..बाबु मानजाओ हम कल करेगे आज बाजुमे बच्चेभी सोयेहे प्लीज..कल पक्का दुगी.. हम दो बार करेगे बस..पलीज..चलो मे आपको अेसेही ठंडा कर देतीहु
देवायत हसके मान जाता हे ओर मंजुला उनको अपने हाथसे हीलाके सांत करतीहे फीर दोनो अेक दुसरेसे चीपकके सो जातेहे तब बाजुके रुममे भानु भावनाकी जबरदस्त चुदाइ कर रहाथा तब भावनाभी कमर उछाल उछालके भानुका साथ दे रहीथी तब थोडी देरकी धमासान चुदाइके बाद भानु अकडने लगा ओर भावनाकी चुतमे गाढा पानीकी पीचकारीया मारने लगा ओर भावनाके सीनेपे सर रखके ढेर हो गया तब भावना आज अधुरी रेह गइ ओर मनही मन भानुको गालीया देते उनका सर सहेलाती रही
भावना : भानु तुम कीसी डोक्टरको दीखादो मे आजभी प्यासी रेह गइ वरना तुम सहेर जाके वो दवाइ लेकर आओ जो अेक बार लायेथे तब तुमने पुरी रात करके मुजे थका दीयाथा
भानु : ठीक हे बाबा जब सहेर जाउगा तब लेकर आउगा चल सोजा कल सब गांव वाले आयेगे मुजे सुबह जल्दी जगा देना तुम बहोत ठरकी होगइ हो..
तब भावना मनही मन भानुको कोसती अपनी चुत साफ करने लगती हे फीर उठके बाथरुममे जाके कमोडपे बैठ जातीहे ओर आंख बंध करके अपने जीजाजी देवायतको इमेजींग करते अेक उगली अपनी चुतमे घुसाके जोरोसे अंदर बहार करने लगती हे तब थोडीही देरमे जडके सांत हो जाती हे
दरसल भावनाको देवायत ओर मंजुलाका प्यार देखके बहुतही ज्वेलसी होती हे वो अपने जीजाजी देवायतको सुरुसेही पसंद करतीथी पर मंजुलाने देवायतसे प्यारका इजहार करलीया ओर उनको देवायतके दोस्त भानुसे सादी करके समजोता करलीया ताकी वो देवायतके जनदीक रेह सके भावनाने देवायतके नजदीक जानेकी बहुत कोसीस की लेकीन देवायत उनके सामने कुछ खास नही देखता था
क्युकी अेकतो रीस्तेमे साली लगतीथी ओर वो मंजुसे बहोत प्यार करता था फीरभी भावनाने कोसीस जारी रखी वो देवायतसे नजदीक जानेका अेकभी मौका नही जाने देतीथी मौका मीलतेही अपने जीजाजीसे मजाक करते उनको छुनेकी कोसीस करती रहेतीथी अेसेही दीन गुजरते गये ओर देवायतके पीताकी बारवीभी चली गइ तब दुसरे दीन सब देरसे उठे चाइ नास्ता करते सब साथमे बैठे बाते कर रहेथे
मंजुला : सुनीयेजी अब मेरे लखन ओर पूनमको आप सहेरमे छोड आइअे दोनोकी पढाइ बहुत डीस्टर्ब होगइ हे
लखन : भाभी थोडे दीन यहा रहेने दोना यहा.., कीतना मजा आता हे मुजे नही जाना..
मंजुला : (थोडा गुसा होते) क्या नही जाना..बेटा थोडा बहुत पढले तेरेही काम आयेगा तुजे कहा कलेक्टर बनना हे बस थोडा बहुत हीसाब कीताब समजले फीर ये खेतीबाडी तुम्हेही सम्हालनी हे
पूनम : भाभी मुजेतो जाना हे अभी सरपे अेक्जाम आ रहा हे मेतो जाउगी..
मंजुला : (हसते उनका सर सहेलाते) साबास मेरी बच्ची..तु पढले येतो पक्का फेल होगा हें..हें..हें..
देवायत : (बातोका दौर सम्हालते) भानु लखनतो अभी छोटा हे मे चाहता हु अब तु मेरे साथ आजा जब लखन पढले तो उनकोभी थोडा बहुत सीखा देना फीर तुम दोनोही हमारी पुरी खेतीबाडी सम्हाललो क्युकी मुजे इन सब चीजोमे ज्यादा जानकारी नहीहे तो पुरी खेतीबाडीका वहीवट तुही देखले..
भानु : लेकीन भाइ..मे दुकानपे कीसको बीठाउगा अभी भावेशभी बहुत छोटा हे जो हम लताके पास छोडके आये हे वो इनके पास बहुत रहेता हे..
देवायत : अरे छोडना दुकान फुकान क्या कमाइ होती हे मुजे पता हे इनमे, बहुत मुस्कीलसे तेरा गुजारा होताहे यहा सब सम्हालले तुजे मे धानकी पैदासमे आधा हीस्सा देदुगा तो तेरीभी लाइफ अच्छेसे गुजरेगी क्या कहेती हो मंजु समजा अपने जमाइको..
मंजुला : हां..भानुभाइ आपके भाइ ठीक कहेते हे लखनतो अभी छोटा हे ओर पढाइ करता हे फीरभी आप दो आदमीभी कम पडेगे इतनी सारी जमीनका वहीवटहीतो करना हे आपको कहा हल लेके काम करना हे सब मजुदुरो सेतो कराना हे ओर हम आपसे ज्यादा कीसीपे वीस्वास भीतो नही कर सकते..
भावना : सुनीयेजी दीदी ठीक केह रहीहे हम घरके लोग हेतो अच्छा रहेगा, वेसेभी उस दुकानमे क्या लगा रखा हे बस सारादीन बैठे रहेतेहो आप जीजाजीकी बात मान जाओ..
भानु : (हसते) ठीक हे भाइ..घर जाके दुकानका कुछ करता हु फीर अेक दो दीनमे आजाउगा बस..अबतो खुस..अरे यार..अबतो हसदे..मुजेभी पता हे खेती बाडीमे तेरा काम नही येतो बापुजीथे तो सब मेनेज करतेथे अबतो तुभी अकेला पड गया..चल कोइ बात नही अब हम सब मीलके देख लेगे..बस तु लखन ओर पूनमको छोडके आजा फीर हम परसो मीलतेहे
देवायत : (भावुक होते) बस यार..आजा मे अकेला नही सम्हाल सकता चल लखन तुम दोनो अपनी तैयारी करलो दो पहोरको खाना खाके नीकल जायेगे फीर मुजे बाबाकोभीतो मीलना हे उनकोभी बताना पडेगाकी बापुजी नही रहे तो वापसीमे आश्रम होके आजाउगा
तब मंजुला अपना पलु सरपे ठीकसे रखते देवायतकी ओर मुस्करा देती हे तब भावनाभी मनही मन खुस होजातीहे की चलो अब तंगीसे छुटकारा मील जायेगा ओर जीजाजीसे ओर करीब आनेका मौका मीलता रहेगा यही सब सोचते खुस होजाती हे ओर देवायतको अजीब नीगाहोसे देखते मुस्कराने लगती हे तब दुसरी ओर पूनम ओर लखनभी अपने जानेकी तैयारीया करने लगते हे ओर देवायत ओर भानु अपने खेतोकी ओर बाते करते चले जातेहे
भानु : भाइ वो सरपंच राघवका ध्यान रखना पडेगा जबतक बापुजी थे तबतक तो उनसे डरके रहेताथा बहुतही कमीना आदमी हे, आप ध्यान रखना..दुसरेसे बात कर रहाथा की अब देवायत क्या करलेगा उनकोतो मे जमीनमे गाड दुगा.. उनकी हमारी जमीनपे नजर हे आप सम्हालके रहेना हो सकेतो छोटामोटा हथीयार अपने पास रखना
देवायत : (हसते) अरे वो मादर..क्या करलेगा उनकोतो मे अेसेही गाड दुगा उनकी दुखती नस हे मेरे पास, तु चीन्ता मत कर..वेसेभी उनकी बीवी मुजपे थोडी ज्यादा महेरबान हे हें..हें..हें..
भानु : (हसते) भाइ लोहा गरमहे तो मारदो हथोडा उनकी फील्म बना डालो..हें..हें..हें..
देवायत : बस मौका मीलनेदे यार..क्या मस्त गदराया माल हे अेक बार हवेलीपे आइथी मंजुके पास तो जाते वक्त मेरे पास रुकके केह रहीथी कल आपके भाइ सहेर जा रहेहे तो आइअे चाइपानी पीने कमीनी बडीही कातील स्माइल करके गइ तबसे मन मचलने लगा हे बस अेक बार मीलजाये सालीको अेसी रगड रगडके चोदुगाकी दुसरी बार चुदवानेके लीये तडपती रहेगी साली क्या चीज हे..
भानु : यार लगता हे तुमपे कुछ ज्यादाही महेरबान हे वरना दुसरोपेतो रोफ जाडती रहेती हे, कीसीको भावही नही देती अपने खसमका सरपंच होनेका बडा धमंड हे साली मीलेतो चोद डालना..यार तुनेतो बाोमेही मुजे गरम करदीया हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) चल खेतपेतो जाही रहेहे वो हरीयाकी बीवी होगी लेके ट्युबवाले रुममे चले जाना हें..हें..हें..
भानु : (हसते) क्या यार..वो बेचारे मजदुर हे हमे उनकी मजबुरीका फायदा नही उठाना चाहीये दुसरे लोग भलेही अेसा करे भाइ मेतो अेसेही मजाक कर रहाथा..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) अेकदम फंटुसहो पता नही मेरी सालीको चोदते होकी नही साले जीदगीमे हर मजा लेना चाहीये चल रुममे आजा यहा कुछ मजातो करे १५ दीन होगये दारुको हाथभी नही लगाया..
भानु : रहेनेदे यार..तुजे लखन ओर पूनमको छोडनेभी जाना हे ओर बाबाके पास आश्रममे भी जाना हे तो..
देवायत : (अपना माथा पीटते) अरे हां...भुल गया यार..दारु पीके बाबाके पास जाना ठीक नही..यार भानु तुभी साथ चलना वापसीमे मे अकेला बोर होजाउगा ओर अेक दीन ओर रुकजा क्या फर्क पडता हे..
भानु : चल ठीक हे यार वेसेभी लता ओर मांहीतो हे मे फोन करके बता देता हुं..की हम कल आयेगे या फीर सामको आश्रमसे जल्दी आयेगेतो सामकोही चले जायेगे
देवायत : तो फीर चल घर चलते हे खाना खाके चले जातेहे सहेर पहोचनेमेभी अेक घंटा लग जायेगा फीर वापसीमे आश्रम जायेगे बीचमेतो आता हे पता नही बाबाभी कभी कभी रहस्यमयी बाते करते हे मेरेतो कुछ पले नही पडता कहेतेथे तुम्हारे घरमे बहुत बडा बदलाव आने वाला हे सब प्रकृतीके हिसाबसे चलेगा
भानु : (घरकी ओर आते) यार चलते हेना आज बाबासे मेभी कुछ पुछ लुगा सायद मे कुछ जान सकु..
तब देवायत घरपे फोन करते घीरेसे अपनी बहेन लतासे बात करने लगता हे
भानु : हलो केसी हो गुडीया ओर मां क्या कर रही हे..
लता : (मुस्कराते) मां बहार पडोसनके पास बेठी हे आप ओर भाभी कब आ रहेहो..?
भानु : क्या मोहन तंगतो नही करता..हें..हें..हें..
लता : नही भैया वो अच्छेसे मेरे साथ खेलता रहेता हे तुम दोनोको यादभी नही करता हें..हें..हें..
भानु : (हसते) हां..वो सुरुसेही तुम्हारे पास रहेता हे अेसा लगता हे उनकी मां तेरी भाभी नही तुम हो हें..हें..हें..देखा नही वो तुम्हेभी मां मां करता रहेता हे
लता : (सरमसे पानी पानी होते) क्या..भैया आपभी..मे उनकी बुआ हु..हें..हें..हें..
भानु : (हसते) चल ठीक हे मे सहेर जा रहा हु तुजे कुछ चाहीये क्या..? हम दोनो कलही घर आजायेगे..
लता : भैया क्या लाओगे आपने इतने सारे कपडेजो दीये हे फीरभी आपका मन करे वो लेआना..
भानु : चल ठीक हे फोन रखता हु दोनो कल आजायेगे (फोन काटते जेबमे रखते)
दोनोही बाते करते हवेलीपे आजाते हे तब दो पहोरका खाना बन गयाथा तो मंजु भावनाके अलावा सब खाना खा लेते हे फीर मंजुला ओर भावनाभी खाना खा लेते हे तब लखन ओर पूनम मंजुलाके पैर छुतेहेतो मंजुला दोनोको गले लगाके आंसु बहाने लगती हे फीर दोनोके सर चुमते दोनोको अच्छे पढाइकी नसीहत देने लगती हे फीर दोनो सबके पाव छुके कारकी डीकीमे अपना सामान रख देते हे
मंजुला : सुनीयेजी..दोनोको कुछ रास्तेसे नास्ता बास्ता लेके कुछ पैसे देना वहा काम आयेगे..
पूनम : भाभी हमारी चीन्ता मत करो बडे भैयाने कलही दीये हे ओर आपनेभी कीतना खाना बनाके दीया हे
भावना : हां..तो खानातो होना चाहीयेना वहा दोनोका कोन ध्यान रखेगा दोनो टाइमपे खा लेना..
लखन : अरे मौसी दोनोहीतो आस पासके होस्टेलमे हे आप चीन्ता मत करो मे पूनमदीदी का खयाल रखुगा
देवायत : ठीक हे दोनो चलो चलो देर होजायेगी फीर वापसीमे आश्रम भीतो जाना हे
पूनम : भैया अगली बार हमे लेने आओ तब मुजेभी बाबासे मीलना हे हमभी काफी टाइम होगया उनके दर्शन नही कीये..
देवायत : ठीक हे गुडीया कभी ले चलुगा..चलो अब..
भावना : (देवायतकी ओर कातील मुस्कानसे) जीजाजी जल्दी आजाइगा फीर हमे घरभीतो जाना हे..
देवायत : कोइ जरुरत नही भानुने घरपे लतासे बात करली हे दोनो कल चले जाना हें..हें..हें..
तब भावना अेक कतील समइल करती मंजुलाके पास जाके खडी रेह जाती हे इधर देवायत अपनी कारमे बेठता हे ओर भानु उनके पासमे बेठने लगता हे तब लखन ओर पूनमभी मंजुला ओर भावनाको हाथ हीलाके बाय..बाय.. करते पीछली सीटमे बेठने लगते हे ओर दरवाजा बंध होतेही देवायत गाडी लेकर हवेलीसे नीकल जाता हे तब मंजुला गीली आंख करते भारी मनसे अंदर जाने लगतीहे ओर भावनाभी उनके पीछे जाती हे दोनोही होलमे बेठती हे तब भावना बातको छेडती हे
भावना : दीदी अब घर कीतना सुना सुना लग रहा हे भलेही बापुजीकी उमर हो चुकीथी फीरभी घरके उपरसे जो छत चली गइतो फर्कतो पडता हे ओर आपके देवर ओर ननंदभी बहुत अच्छी हे दोनो कीतना समजदार हे कुछ सालके बादतो पूनमभी ससुराल चली जायेगी..
मंजुला : (हसते) अरे अभीतो दोनो छोटे हे ओर मेरा लखननेतो अभी जवानीके देहलीजपे कदम रखा हे..
भावना : (हसते) दीदी अगर बुरा ना मानोतो अेक बात कहु..
मंजुला : (हसते) अरे छोटी तेरा क्यु बुरा मानुगी..? जो बोलना हे खुलके बोल..
भावना : दीदी मे चातीहु जब आपका देवर सादीके लायक होजाये तो क्युना हम मेरी ननंदकी सादी आपके देवर लखनसे करदी जाय..क्या कहेतीहो आप..?हें..हें..हें..
मंजुला : (आंखोमे चमक लाते) अरे हां..बाततो तेरी सही हे..ठीक हे मे मौका मीलतेही उनकेभाइसे बात करती हु अभी ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रखना मे उनसे बात करलुगी..लता बहुतही प्यारी लडकी हे..
भावना : (हसते) दीदी पता हे मेरा मोहन मुजसे ज्यादा उनके पासही रहेता हे ओर उनकोही मां मां कहेता रहेता हे जेसे वो मेरा बेटा नही उनका बेटा हो देखा नही हम इतने दीनोसे यहा हे फीरभी अेकबारभी फोन नही आयाकी मोहन उनको परेसान करता हे हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते) वेसे तेरी लता कीतनी उमरकी हुइ..
भावना : (हसते धीरेसे) दीदी अभी अभी पीछले छे महीनेमेही उसकी महामारी हुइ पहेली बार..हें..हें..हें..तब बेचारी बहुत गभरा गइथी फीर मेने उसे सब समजाके सीखाया..
मंजुला : (हसते) तबतो वोभी मेरे लखनकी तराह जवान हुइ..कोइ बात नही मे बात करुगी..
भावना : दीदी आपको नही लगता आप दोनोको अब बच्चा करलेना चाहीये..
मंजुला : (सरमाके हसते) क्या तुभी..अभी मेरी पूनमकी सादी होजानेदे फीर सोचेगे..तेरे जीजाजीभी यही कहेते थे उनकोतो बस मजा करना हे हम दोनोने फेमीली प्लानींग की हे..हें..हें..हें..
भावना : हां..जीजु समजदार जो हे, बस अेक ये हे उनकोतो अेक ओर बच्चा चाहीये..
मंजुला : (हसते) हां तो करले मोहनभी तो देड सालका हो गया हे, वो चाहते हेतो तुजे क्या दीकत हे..
भावना : दीदी दो दो बच्चा पालके अभी क्या करेगे फीर खर्चाभी तो आता हे ओर वेसे दुकानभीतो खास नही चलती तो मे मना करती रहेती हु..
मंजुला : देख भावना अब तु वो दुकानतो भुलही जा अब तो आप लोग हमसे जुड गये हो फीरभी तु पैसेकी चींन्ता मत करना तु बस अच्छेसे अपना संसार ओर परीवार चला बाकी मे सब देखलुगी..
भावना : थेन्कस दीदी..देखती हु अब कहेगेतो मे मना नही करुगी, अब आपभी कुछ सोचो हमारी सादीको ढाइ साल होनेको आये..इस महेलकोभी अेक वारीस देदो..
मंजुला : (हसते) ठीक हे देखेगे वेसे मेरा लखन ओर पूनमभी तो मेरे बच्चे जेसेही हे दोनो मुजे बहुत प्यार करते हे बस अेक बार बाबाको मीलना हे अकेलेमे तुम साथ चलना हम दोनोही जायेगे हमारे गुरु हे..
भावना : दीदी कोन हे ये बाबा जो आप लोग उनको बहुत मानते हे..
मंजुला : तुजे नही पता..? सुन वो बहुत बडे संत हे, पता नही हमारे खानदानमे कीसीने कोनसा श्राप दीया था बस सबको अेकही संतान हो रहीथी संतान होते ही अेक सालमे उनके दादाकी मौत हो जातीथी ओर ये कइ पीढीयोसे चला आ रहाथा तब जाके बाबा मीले ओर यहा हवन बवन करके सब ठीक करदीया ओर श्राप से मुक्ती दीलवादी तब जाके मेरे ससुरको दुसरी संतान हुइ ये लखन ओर पूनम यहीतो हे जो देरसे पैदा हुअे
भावना : अच्छा..तभी मे सोचु जीजाजी के बाद उनके भाइ ओर बहेन इनसे इतने छोटे क्यु हे..
रजीया : (हाथ पोछते पास आते) मालकीन आज खानेमे क्या बनाना हे..?
मंजुला : रजीया तेरे मालीक ओर भानुभाइतो सहेर गयेहे आज कुछभी बनाले..
रजीया : ठीक हे मालकीन क्या छोटे मालीक ओर दीदी चले गये..?
मंजुला : (हसते) हां..उनकी पढाइ चालु हे तो चले गये, क्या कर रहीहे दया..?
रजीया : जी वो जरा हमारे खेतोकी ओर गइ हे कुछ सब्जीया लेने..अभी आजायेगी..
मंजुला : चल ठीक हे खाना बन जाये तो बुला लेना..
रामु काका की उमर तकरीबन ८० साल की हो गइथी दया इन्हीकी बेटी हे जो देवायतके पीताने उनकी सादी अेक दुसरे गांवके लडकेसे करवादीथी लडका उनकीही बीरादरीका था जो बादमे बहुत सराब पीने लगा ओर लीवर खराब करलीया अभी दो साल पहेलेही उनकी मौत होगइ ओर दयाको रामुकाका इधर लेकर आगये तबसे वो हवेलीमेही काम कर रही हे मुंजलासे महज अेक सालही छोटी हे
रजीयाभी उनकीही उमरकी हे उनकेही गांवकी हे उनकीभी सादी होगइथी बच्चा ना होनेकी वजहसे उनके पतीने उनको तलाक देदीया था तबसे वोभी यही रहेके काम कर रही हे दया ओर रजीया दोनोही अपने सारीरीक जरुरीयात देवायतसे चुदवाके पुरी करती हे दोनोही हवेलीमे रहेती हे ओर जरुरत होतीतो खेतोमेभी काम करती हे रामुकाका हमेसा खेतोपेही रहेके रखवाली करते हे
तब दुसरी ओर देवायत, भानु लखन ओर पूनमको छोडने सहेरपे पहोंच गये रास्तेमे दोनोके लीये खानेके लीये नास्ताभी लीया ओर देवायतने दोनोको कुछ पैसेभी दीये फीर अेकही जगाह दोनोकी होस्टेलथी तो वहा पहोच गये तब लखन दोनोके पैर छुके सामान लेने लगा तब पूनम देवायतसे लीपट गइ फीर भानुके पैर छुके दोनो भाइ बहेन अंदर चले गये ओर देवायत भानु वापस मुडके आश्रमकी ओर नीकल गये जब वहा पहोंचे तब अेकल दोकलही आदमी दीखाइ दीये दोनोही सीधे बाबाके पास चले गये ओर दंडवत करके बेठ गये....कन्टीन्यु