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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १

तो आइअ‍े कहानीकी सुरुआत करतेहे गुजरातका अ‍ेक छोटा गांव हे जो कहानी इसी गांवसे सुरु होती हे इस गांवके सबसे बडे जमीनदार देवायत हे जीनके पास पुर्खोकी बहुत बडी हवेलीके साथ खेतीकी तकरीबन सभी मीलाके २०० अ‍ेकर जमीन हे जो आस पास गांवके जमीनदारके पासभी इतनी जमीन नहीथी आजादी से पहेले इन्हीकी ४थी पीढी यहा राज करतीथी इनकी कइ पीढीयोसे अ‍ेकही संतान होतीथी पौत्रके जन्मके बाद छे महीनेमे दादाकी मृत्यृ हो जातीथी

इसके लीये देवायतके पीताजीने दोरे धागे मे कडी महेनत की हर मंदिर हर मस्जीद हर साधु संत फकीर कीसीको नही छोडा तब जाके इनको बाबा मीले ओर बाबाने उनके घरपे हवन करके श्रापसे मुक्ती दीलवाइ तब जाके काफी समयके बाद उनके यहा अ‍ेक और लडका फीर अ‍ेक लडकीकाभी जन्म हुआ यानीके देवायत का छोटा भाइ (लखन) ओर छोटी बहेन (पूनम) पैदा हुअ‍े तब देवायतकी उमर १२ सालकीथी तीनोही भाइ बहेन बडे होते गये

जब देवायकी सादी होगइ तब दो सालमेही उनके माता पीता चल बसे ओर सब जीम्वेवारी देवायतके कंधेके उपर आगइ तब देवायतका बचपनका दोस्त उनकी सहायताके लीये आगया वेसेतो कामके लीये दो (रजीया ओर दया) नोकरानी ओर अ‍ेक बडी उमरका नोकर (रामु) था जो उनके पीताका चहीताथा जो देवायतभी उनको काका कहेके मानसे बुलाता था तो आइअ‍े पहेले कुछ पात्रोके परीचय करवा देता हुं


देवायत - जीनके पुर्खो अ‍ेक जमानेमे यहा राज करतेथे इस ---गांव ना बल्के आजुबाजुके सब गावमे सबसे बडा जमीनदार हे सभी गांवोमे इनकी बहुत इजत हे बस सीर्फ उनके गांवके सरपंचसे उनकी नही बनती हांलाकी उनके सामनेतो सरपंचभी कुछ नही बोलता ओर उनकी इजत करता हे बस पीठ पीछे उनके खीलाफ साजीस करता रहेता हे देवायतकी बस अ‍ेकही कमजोरी हे वो हे दारु, जब वो दारुका नसा करलेता हे तब उनको कुछ भान नही रहेता ओर वो कीसीभी ओरतको नही पहेचानता ओर उनसे जबरन फीजीकल होनेकी कोसीस करता हे, बस यही इनकी कमजोरीथी ओर यही वजहसे सरपंचसे दुस्मनी मोडली वो बात आगे कहानीमे पता चल जायेगी

मंजुला - बाजुके गांवके जमीनदारकी सीर्फ दो लडकीथी जो बडी लडकीकी देवायसे आंख मील गइ ओर उनसे प्यार कर बेठी बादमे उन दोनोके पीताजीने दोनोकी सादी करदी बहुतही सरल स्वभाव ओर हसमुख थी देवायतसे जीजानसे प्यार कतीथी ओर देवायतभी उनको बहुत प्यार करताथा ओर हर रात दोनोकी सुहागरात होतीथी देवायत उनकी देर रात तक चुदाइ करता रहेता ओर नतीजा ये हुआकी उनको अ‍ेक लडका (विजय) हुआ ओर बडेही लाड प्यारसे अपने देवर ननंद ओर अपने बेटे विजयको पालनेमे बीजी रहेने लगी

विजय - जो देवायत ओर मंजुलाका बेटाथा पढनेमे होशीयार पुर्खोकी खेतीबाडीमे कोइ इन्टरेस्ट नहीथा अपने तरीकेसे बहुतही बडा बीझनेसमेन बनना चाहताथा इसीलीये पढाइमे खुब मन लगाके पढताथा ताकी विदेशमे जाके बसना चाहताथा बस थोडा अ‍ैयास कीसमका आदमी था ओर बचपनमे खुब आवारागर्दीकी ओर लडकी को पटानेकी कोसीस करता रहेता था बस लडकी पटी नही ओर तुरंत उनके नीचे लीटानेकी फीराकमे रहेता गांवकी बहुत सारी औरते ओर लडकीया चौद चुकाथा

रजनी - विजयकी सौतेली बहेन जो विजयकी सादीसे तीन साल पहेलेही पैदा हुइथी नीहायती खुबसुरत मानो कामदेवकी रतीका अंस थी अ‍ेकदम गोरी पतली कमर, तीखे नैन नक्स, रसीले होंठ, घुटनो तक लंबे बाल ओर ५.११ फीट लंबी हाइट, कीसीकाभी मन डोलने लगजाये, पढनेमे बहुतही होशीयार हमेसा फस्ट आतीथी ओर अ‍ेम.बी.अ‍े. कर रहीथी वो सादी करना नही चाहतीथी बस रीजन अ‍ेकहीथा वो अपाहीज थी वो दो धोडी (बैसाखी)की सहायतासे चलतीथी जोभी लडका देखने आता उनकी अपंगताकी वजहसे उनको रीजेक्ट करदेता था तभी सादी ना करनेका मन बनालीया ओर आगे अपने भाइका बीझनेस जोइन्ट करने वालीथी वो देवायत ओर लताकी लडकीथी इनके बारेमे हम आगे बात करेगे

लखन - देवायतका छोटा भाइ जब देवायत १२ सालका हुआ तब इन्हीका जन्म हुआ पढाइ लीखाइमे कुछ खास नहीथा तो अपनीही खेतीबाडीमे ध्याान रखने लगा जब जवान हुआ तब देवायतने अपने दोस्त (विरभानु जो हम इस कहानीमे सीर्फ भानुके नामसे जानेगे)की बहेन लतासे इनकी सादी करवादी वेसेभी कहानीमे इनका कोइ खास रोल नहीहे

लता - लखनकी बीवी ओर भानुकी सबसे छोटी बहेन जो देवायतके कहेनेपे लखनसे सादी करदी गइ बहुतही खुबसुरत लंबी हाइट सरीर थोडा भरावदार बहुतही चंचल ओर कामी ओरत जो लखनसे संतुस्ट नही होतीथी वो अपने घरपे ही हे इनके बारेमे आगे हम बात करेगे

पूनम - देवायत ओर लखनसे सबसे छोटी बहेन लखनके जन्मके तीन साल बाद पैदा हुइ बहुतही चंचल स्वभाव ओर मस्खरीकोर थी पढाइ लीखाइमे बहुतही होशीयार तीखे नैन नक्स लंबे घुटनो तक बाल अ‍ेक दम गोरी कमर पतली मानो कीसीभी हीरोइनको टकर देदे बहुतही कामी जो कीसीकाभी दील इनपे आजाये पर आजतक अपने पैर कभी नही लडखडाने दीया जो बडे भैया कहे वही सादी करना चाहतीथी

तो येथी देवायतकी फेमीली जो हमारे हिरोके दादा हे आगे सीर्फ देवायतके दोस्त ओर उनकी बीवीकाही परीचय करवाउगा बाकी पात्रोका परीचय जरुरतके हीसाबसे देता रहुगा

भानु (विरभानु) -देवायतका बचपनका दोस्त सुखी सम्पन परीवारसे तालुक रखताहे दोस्तीपे जान दावपे लगानेको तैयार ओर बहुतही इमानदार ओर महेनती जीनकी वजहसे देवायतने अपनी सारी जमीन ओर दुसरा कारोबार इनके हवाले करदीया देवायतभी इनको अपना भाइ मानताथा ओर आगे जाके अपना रीस्तेदार (समधी) तक बनालीया ओर वेसेभी देवायत रीस्तेमे इनका साढुभाइ लगता था क्युकी देवायतके कहेनेपेही उनकी सालीकी सादी अपने दोस्तसे करवादीथी

भावना - भानुकी बीवी जो देवायतकी बीवी मंजुलाकी छोटी बहेन हे दीखनेके कयामत कीसीकाभी लंड देखतेही खडा होजाये बहुतही कामी ओरत जो रातमे भानुको थका देतीहे फीरभी हरदीन प्यासीही रहेतीहे नतीजा ये रहाकी भानुसे संतुस्ट नही होतीथीतो अपने जीजाजीसे नैन लडाते उनकी बहुतही मस्करी करती ओर आखीर अ‍ेक दीन देवायतके नीचे आही गइ तो भानुसे दो बच्चे पैदा करके बाकीके तीन बच्चे देवायतसे पैदा करलीये भानुसे भावेश ओर विभा फीर देवायतसे मनोज दामीनी ओर अंजली पैदा करलीये जीनके बारेमे सीर्फ देवायत ओर भावनाही जातीथी वो बात हम कहानीमे जानेगे

गांवकी हेलीमे आज बडाही मातम छाया हुआथा देवायतने आज अपने सरका छाया खो दीया आज उनकी माताके बाद पीताभी चल बसे सभी गांववाले आज सौक मनाने आयेथे आज लखन १६ सालका ओर पूनम १२ सालकी होगइथी तब दोनोही भाइ बहेन सहेरकी होस्टेलमे रहेके पढ रहेथे उनके पीताजीकी तबीयत बीगडतेही देवायतने दोनो भाइ बहेनको गांवमे बुला लीया था, उनका खास दोस्त ओर साढु भानु ओर उनकी साली भावनाभी हवेलीमे सब कामकाज ओर व्यवस्था देख रहेथे अब देवायतके पीताकी सब क्रिया तक दोनो यही रुकने वालेथे रात होतेही सब खाना खाके अपने अपने रुममे चले गये ओर सोनेकी तैयारीया करने लगे

देवायत : (पलंगपे लेटते) मंजु सब बीखर गया अब सब जीम्वेवारी हमारे उपर आगइ ओर मुजेतो खेतीबाडीमे कुजभी नही पता बस सब चीजोका सौदा करनाही आता हे

मंजुला : (अपने रुमका दरवाजा बंध करते) अरे क्यु चीन्ता करतेहो वोभीतो अपना कारोबारहीहे मेरी मानो आप भानुभाइको अपने साथ रखलो वो सब खेतीबाडी सम्हाल लेगे वेसेभी उनकी दुकान कुछ खास नही चलती भावु बता रहीथी ओर आपके बचपनका दोस्तभी हे ओर बहुतही इमानदारभी हे

देवायत : (खुस होते) अरे भाग्यवान तुमने क्या बात कहीहे, मेरे मुहकी बातही छीनली मेभी यही सोच रहाथा

मंजुला : (देवायतके साथ सोनेके लीये कंबलमे धुसते हसते) तो फीर..कभी कभी बीवीकी बात मानलीया करो फायदेमे रहोगे..चलो सो जाओ १२वी खतम होतेही लखन ओर पूनमको वापस भेजदो दोनोकी पढाइ डीस्टर्ब होती हे बस दोनो कुछ पढ लीखके सीखले तो उनका जीवन सुधर जाये..

देवायत : (मंजुलाको बाहोमे भरते) तुम दोनोकी बहुत चीन्ता करतीहो तो फीर अ‍ेक बच्चा हमभी पैदा करले..?

मंजुला : (देवायतके सीनेपे सर रखते) ना बाबा ना अभी मेरी पूनम बच्ची हे वो जब सादीके लायक होजायेगी तब सोचेगे तबतक मुजे आपके साथ मजे करनेदो..चलो आज सोजाओ आज कुछभी नही सुबहसे लगेहे थक गये होगे हम कल प्यार करेगे अबतो आपकी आदत होगइ हे

देवायत : (होठोपे कीस करते) तो चलना अ‍ेक बार कर लेतेहे मुजेभी तो तेरी आदत लग गइ हे आजभी तेरी चुत कसी हुइ लगती हे बीलकुल कुआरी लडकीकी तराह..हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाते सीनेपे मुका मारते) कुछतो सरम करो बापुजी गुजर गयेहे ओर आपको प्यार करना हे

देवायत : (मंजुलाके उरोज दबाते) तो बापुजी कहा मना कर गयेहे उनकीभी पुरी उमर हो चुकथी

मंजुला : सीइइइइइ आहइइइ धीरे दबाओना दुखता हे..बाबु मानजाओ हम कल करेगे आज बाजुमे बच्चेभी सोयेहे प्लीज..कल पक्का दुगी.. हम दो बार करेगे बस..पलीज..चलो मे आपको अ‍ेसेही ठंडा कर देतीहु

देवायत हसके मान जाता हे ओर मंजुला उनको अपने हाथसे हीलाके सांत करतीहे फीर दोनो अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सो जातेहे तब बाजुके रुममे भानु भावनाकी जबरदस्त चुदाइ कर रहाथा तब भावनाभी कमर उछाल उछालके भानुका साथ दे रहीथी तब थोडी देरकी धमासान चुदाइके बाद भानु अकडने लगा ओर भावनाकी चुतमे गाढा पानीकी पीचकारीया मारने लगा ओर भावनाके सीनेपे सर रखके ढेर हो गया तब भावना आज अधुरी रेह गइ ओर मनही मन भानुको गालीया देते उनका सर सहेलाती रही

भावना : भानु तुम कीसी डोक्टरको दीखादो मे आजभी प्यासी रेह गइ वरना तुम सहेर जाके वो दवाइ लेकर आओ जो अ‍ेक बार लायेथे तब तुमने पुरी रात करके मुजे थका दीयाथा

भानु : ठीक हे बाबा जब सहेर जाउगा तब लेकर आउगा चल सोजा कल सब गांव वाले आयेगे मुजे सुबह जल्दी जगा देना तुम बहोत ठरकी होगइ हो..

तब भावना मनही मन भानुको कोसती अपनी चुत साफ करने लगती हे फीर उठके बाथरुममे जाके कमोडपे बैठ जातीहे ओर आंख बंध करके अपने जीजाजी देवायतको इमेजींग करते अ‍ेक उगली अपनी चुतमे घुसाके जोरोसे अंदर बहार करने लगती हे तब थोडीही देरमे जडके सांत हो जाती हे

दरसल भावनाको देवायत ओर मंजुलाका प्यार देखके बहुतही ज्वेलसी होती हे वो अपने जीजाजी देवायतको सुरुसेही पसंद करतीथी पर मंजुलाने देवायतसे प्यारका इजहार करलीया ओर उनको देवायतके दोस्त भानुसे सादी करके समजोता करलीया ताकी वो देवायतके जनदीक रेह सके भावनाने देवायतके नजदीक जानेकी बहुत कोसीस की लेकीन देवायत उनके सामने कुछ खास नही देखता था

क्युकी अ‍ेकतो रीस्तेमे साली लगतीथी ओर वो मंजुसे बहोत प्यार करता था फीरभी भावनाने कोसीस जारी रखी वो देवायतसे नजदीक जानेका अ‍ेकभी मौका नही जाने देतीथी मौका मीलतेही अपने जीजाजीसे मजाक करते उनको छुनेकी कोसीस करती रहेतीथी अ‍ेसेही दीन गुजरते गये ओर देवायतके पीताकी बारवीभी चली गइ तब दुसरे दीन सब देरसे उठे चाइ नास्ता करते सब साथमे बैठे बाते कर रहेथे

मंजुला : सुनीयेजी अब मेरे लखन ओर पूनमको आप सहेरमे छोड आइअ‍े दोनोकी पढाइ बहुत डीस्टर्ब होगइ हे

लखन : भाभी थोडे दीन यहा रहेने दोना यहा.., कीतना मजा आता हे मुजे नही जाना..

मंजुला : (थोडा गुसा होते) क्या नही जाना..बेटा थोडा बहुत पढले तेरेही काम आयेगा तुजे कहा कलेक्टर बनना हे बस थोडा बहुत हीसाब कीताब समजले फीर ये खेतीबाडी तुम्हेही सम्हालनी हे

पूनम : भाभी मुजेतो जाना हे अभी सरपे अ‍ेक्जाम आ रहा हे मेतो जाउगी..

मंजुला : (हसते उनका सर सहेलाते) साबास मेरी बच्ची..तु पढले येतो पक्का फेल होगा हें..हें..हें..

देवायत : (बातोका दौर सम्हालते) भानु लखनतो अभी छोटा हे मे चाहता हु अब तु मेरे साथ आजा जब लखन पढले तो उनकोभी थोडा बहुत सीखा देना फीर तुम दोनोही हमारी पुरी खेतीबाडी सम्हाललो क्युकी मुजे इन सब चीजोमे ज्यादा जानकारी नहीहे तो पुरी खेतीबाडीका वहीवट तुही देखले..

भानु : लेकीन भाइ..मे दुकानपे कीसको बीठाउगा अभी भावेशभी बहुत छोटा हे जो हम लताके पास छोडके आये हे वो इनके पास बहुत रहेता हे..

देवायत : अरे छोडना दुकान फुकान क्या कमाइ होती हे मुजे पता हे इनमे, बहुत मुस्कीलसे तेरा गुजारा होताहे यहा सब सम्हालले तुजे मे धानकी पैदासमे आधा हीस्सा देदुगा तो तेरीभी लाइफ अच्छेसे गुजरेगी क्या कहेती हो मंजु समजा अपने जमाइको..

मंजुला : हां..भानुभाइ आपके भाइ ठीक कहेते हे लखनतो अभी छोटा हे ओर पढाइ करता हे फीरभी आप दो आदमीभी कम पडेगे इतनी सारी जमीनका वहीवटहीतो करना हे आपको कहा हल लेके काम करना हे सब मजुदुरो सेतो कराना हे ओर हम आपसे ज्यादा कीसीपे वीस्वास भीतो नही कर सकते..

भावना : सुनीयेजी दीदी ठीक केह रहीहे हम घरके लोग हेतो अच्छा रहेगा, वेसेभी उस दुकानमे क्या लगा रखा हे बस सारादीन बैठे रहेतेहो आप जीजाजीकी बात मान जाओ..

भानु : (हसते) ठीक हे भाइ..घर जाके दुकानका कुछ करता हु फीर अ‍ेक दो दीनमे आजाउगा बस..अबतो खुस..अरे यार..अबतो हसदे..मुजेभी पता हे खेती बाडीमे तेरा काम नही येतो बापुजीथे तो सब मेनेज करतेथे अबतो तुभी अकेला पड गया..चल कोइ बात नही अब हम सब मीलके देख लेगे..बस तु लखन ओर पूनमको छोडके आजा फीर हम परसो मीलतेहे

देवायत : (भावुक होते) बस यार..आजा मे अकेला नही सम्हाल सकता चल लखन तुम दोनो अपनी तैयारी करलो दो पहोरको खाना खाके नीकल जायेगे फीर मुजे बाबाकोभीतो मीलना हे उनकोभी बताना पडेगाकी बापुजी नही रहे तो वापसीमे आश्रम होके आजाउगा

तब मंजुला अपना पलु सरपे ठीकसे रखते देवायतकी ओर मुस्करा देती हे तब भावनाभी मनही मन खुस होजातीहे की चलो अब तंगीसे छुटकारा मील जायेगा ओर जीजाजीसे ओर करीब आनेका मौका मीलता रहेगा यही सब सोचते खुस होजाती हे ओर देवायतको अजीब नीगाहोसे देखते मुस्कराने लगती हे तब दुसरी ओर पूनम ओर लखनभी अपने जानेकी तैयारीया करने लगते हे ओर देवायत ओर भानु अपने खेतोकी ओर बाते करते चले जातेहे

भानु : भाइ वो सरपंच राघवका ध्यान रखना पडेगा जबतक बापुजी थे तबतक तो उनसे डरके रहेताथा बहुतही कमीना आदमी हे, आप ध्यान रखना..दुसरेसे बात कर रहाथा की अब देवायत क्या करलेगा उनकोतो मे जमीनमे गाड दुगा.. उनकी हमारी जमीनपे नजर हे आप सम्हालके रहेना हो सकेतो छोटामोटा हथीयार अपने पास रखना

देवायत : (हसते) अरे वो मादर..क्या करलेगा उनकोतो मे अ‍ेसेही गाड दुगा उनकी दुखती नस हे मेरे पास, तु चीन्ता मत कर..वेसेभी उनकी बीवी मुजपे थोडी ज्यादा महेरबान हे हें..हें..हें..

भानु : (हसते) भाइ लोहा गरमहे तो मारदो हथोडा उनकी फील्म बना डालो..हें..हें..हें..

देवायत : बस मौका मीलनेदे यार..क्या मस्त गदराया माल हे अ‍ेक बार हवेलीपे आइथी मंजुके पास तो जाते वक्त मेरे पास रुकके केह रहीथी कल आपके भाइ सहेर जा रहेहे तो आइअ‍े चाइपानी पीने कमीनी बडीही कातील स्माइल करके गइ तबसे मन मचलने लगा हे बस अ‍ेक बार मीलजाये सालीको अ‍ेसी रगड रगडके चोदुगाकी दुसरी बार चुदवानेके लीये तडपती रहेगी साली क्या चीज हे..

भानु : यार लगता हे तुमपे कुछ ज्यादाही महेरबान हे वरना दुसरोपेतो रोफ जाडती रहेती हे, कीसीको भावही नही देती अपने खसमका सरपंच होनेका बडा धमंड हे साली मीलेतो चोद डालना..यार तुनेतो बाोमेही मुजे गरम करदीया हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) चल खेतपेतो जाही रहेहे वो हरीयाकी बीवी होगी लेके ट्युबवाले रुममे चले जाना हें..हें..हें..

भानु : (हसते) क्या यार..वो बेचारे मजदुर हे हमे उनकी मजबुरीका फायदा नही उठाना चाहीये दुसरे लोग भलेही अ‍ेसा करे भाइ मेतो अ‍ेसेही मजाक कर रहाथा..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अ‍ेकदम फंटुसहो पता नही मेरी सालीको चोदते होकी नही साले जीदगीमे हर मजा लेना चाहीये चल रुममे आजा यहा कुछ मजातो करे १५ दीन होगये दारुको हाथभी नही लगाया..

भानु : रहेनेदे यार..तुजे लखन ओर पूनमको छोडनेभी जाना हे ओर बाबाके पास आश्रममे भी जाना हे तो..

देवायत : (अपना माथा पीटते) अरे हां...भुल गया यार..दारु पीके बाबाके पास जाना ठीक नही..यार भानु तुभी साथ चलना वापसीमे मे अकेला बोर होजाउगा ओर अ‍ेक दीन ओर रुकजा क्या फर्क पडता हे..

भानु : चल ठीक हे यार वेसेभी लता ओर मांहीतो हे मे फोन करके बता देता हुं..की हम कल आयेगे या फीर सामको आश्रमसे जल्दी आयेगेतो सामकोही चले जायेगे

देवायत : तो फीर चल घर चलते हे खाना खाके चले जातेहे सहेर पहोचनेमेभी अ‍ेक घंटा लग जायेगा फीर वापसीमे आश्रम जायेगे बीचमेतो आता हे पता नही बाबाभी कभी कभी रहस्यमयी बाते करते हे मेरेतो कुछ पले नही पडता कहेतेथे तुम्हारे घरमे बहुत बडा बदलाव आने वाला हे सब प्रकृतीके हिसाबसे चलेगा

भानु : (घरकी ओर आते) यार चलते हेना आज बाबासे मेभी कुछ पुछ लुगा सायद मे कुछ जान सकु..

तब देवायत घरपे फोन करते घीरेसे अपनी बहेन लतासे बात करने लगता हे

भानु : हलो केसी हो गुडीया ओर मां क्या कर रही हे..

लता : (मुस्कराते) मां बहार पडोसनके पास बेठी हे आप ओर भाभी कब आ रहेहो..?

भानु : क्या मोहन तंगतो नही करता..हें..हें..हें..

लता : नही भैया वो अच्छेसे मेरे साथ खेलता रहेता हे तुम दोनोको यादभी नही करता हें..हें..हें..

भानु : (हसते) हां..वो सुरुसेही तुम्हारे पास रहेता हे अ‍ेसा लगता हे उनकी मां तेरी भाभी नही तुम हो हें..हें..हें..देखा नही वो तुम्हेभी मां मां करता रहेता हे

लता : (सरमसे पानी पानी होते) क्या..भैया आपभी..मे उनकी बुआ हु..हें..हें..हें..

भानु : (हसते) चल ठीक हे मे सहेर जा रहा हु तुजे कुछ चाहीये क्या..? हम दोनो कलही घर आजायेगे..

लता : भैया क्या लाओगे आपने इतने सारे कपडेजो दीये हे फीरभी आपका मन करे वो लेआना..

भानु : चल ठीक हे फोन रखता हु दोनो कल आजायेगे (फोन काटते जेबमे रखते)

दोनोही बाते करते हवेलीपे आजाते हे तब दो पहोरका खाना बन गयाथा तो मंजु भावनाके अलावा सब खाना खा लेते हे फीर मंजुला ओर भावनाभी खाना खा लेते हे तब लखन ओर पूनम मंजुलाके पैर छुतेहेतो मंजुला दोनोको गले लगाके आंसु बहाने लगती हे फीर दोनोके सर चुमते दोनोको अच्छे पढाइकी नसीहत देने लगती हे फीर दोनो सबके पाव छुके कारकी डीकीमे अपना सामान रख देते हे

मंजुला : सुनीयेजी..दोनोको कुछ रास्तेसे नास्ता बास्ता लेके कुछ पैसे देना वहा काम आयेगे..

पूनम : भाभी हमारी चीन्ता मत करो बडे भैयाने कलही दीये हे ओर आपनेभी कीतना खाना बनाके दीया हे

भावना : हां..तो खानातो होना चाहीयेना वहा दोनोका कोन ध्यान रखेगा दोनो टाइमपे खा लेना..

लखन : अरे मौसी दोनोहीतो आस पासके होस्टेलमे हे आप चीन्ता मत करो मे पूनमदीदी का खयाल रखुगा

देवायत : ठीक हे दोनो चलो चलो देर होजायेगी फीर वापसीमे आश्रम भीतो जाना हे

पूनम : भैया अगली बार हमे लेने आओ तब मुजेभी बाबासे मीलना हे हमभी काफी टाइम होगया उनके दर्शन नही कीये..

देवायत : ठीक हे गुडीया कभी ले चलुगा..चलो अब..

भावना : (देवायतकी ओर कातील मुस्कानसे) जीजाजी जल्दी आजाइगा फीर हमे घरभीतो जाना हे..

देवायत : कोइ जरुरत नही भानुने घरपे लतासे बात करली हे दोनो कल चले जाना हें..हें..हें..

तब भावना अ‍ेक कतील समइल करती मंजुलाके पास जाके खडी रेह जाती हे इधर देवायत अपनी कारमे बेठता हे ओर भानु उनके पासमे बेठने लगता हे तब लखन ओर पूनमभी मंजुला ओर भावनाको हाथ हीलाके बाय..बाय.. करते पीछली सीटमे बेठने लगते हे ओर दरवाजा बंध होतेही देवायत गाडी लेकर हवेलीसे नीकल जाता हे तब मंजुला गीली आंख करते भारी मनसे अंदर जाने लगतीहे ओर भावनाभी उनके पीछे जाती हे दोनोही होलमे बेठती हे तब भावना बातको छेडती हे

भावना : दीदी अब घर कीतना सुना सुना लग रहा हे भलेही बापुजीकी उमर हो चुकीथी फीरभी घरके उपरसे जो छत चली गइतो फर्कतो पडता हे ओर आपके देवर ओर ननंदभी बहुत अच्छी हे दोनो कीतना समजदार हे कुछ सालके बादतो पूनमभी ससुराल चली जायेगी..

मंजुला : (हसते) अरे अभीतो दोनो छोटे हे ओर मेरा लखननेतो अभी जवानीके देहलीजपे कदम रखा हे..

भावना : (हसते) दीदी अगर बुरा ना मानोतो अ‍ेक बात कहु..

मंजुला : (हसते) अरे छोटी तेरा क्यु बुरा मानुगी..? जो बोलना हे खुलके बोल..

भावना : दीदी मे चातीहु जब आपका देवर सादीके लायक होजाये तो क्युना हम मेरी ननंदकी सादी आपके देवर लखनसे करदी जाय..क्या कहेतीहो आप..?हें..हें..हें..

मंजुला : (आंखोमे चमक लाते) अरे हां..बाततो तेरी सही हे..ठीक हे मे मौका मीलतेही उनकेभाइसे बात करती हु अभी ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रखना मे उनसे बात करलुगी..लता बहुतही प्यारी लडकी हे..

भावना : (हसते) दीदी पता हे मेरा मोहन मुजसे ज्यादा उनके पासही रहेता हे ओर उनकोही मां मां कहेता रहेता हे जेसे वो मेरा बेटा नही उनका बेटा हो देखा नही हम इतने दीनोसे यहा हे फीरभी अ‍ेकबारभी फोन नही आयाकी मोहन उनको परेसान करता हे हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) वेसे तेरी लता कीतनी उमरकी हुइ..

भावना : (हसते धीरेसे) दीदी अभी अभी पीछले छे महीनेमेही उसकी महामारी हुइ पहेली बार..हें..हें..हें..तब बेचारी बहुत गभरा गइथी फीर मेने उसे सब समजाके सीखाया..

मंजुला : (हसते) तबतो वोभी मेरे लखनकी तराह जवान हुइ..कोइ बात नही मे बात करुगी..

भावना : दीदी आपको नही लगता आप दोनोको अब बच्चा करलेना चाहीये..

मंजुला : (सरमाके हसते) क्या तुभी..अभी मेरी पूनमकी सादी होजानेदे फीर सोचेगे..तेरे जीजाजीभी यही कहेते थे उनकोतो बस मजा करना हे हम दोनोने फेमीली प्लानींग की हे..हें..हें..हें..

भावना : हां..जीजु समजदार जो हे, बस अ‍ेक ये हे उनकोतो अ‍ेक ओर बच्चा चाहीये..

मंजुला : (हसते) हां तो करले मोहनभी तो देड सालका हो गया हे, वो चाहते हेतो तुजे क्या दीकत हे..

भावना : दीदी दो दो बच्चा पालके अभी क्या करेगे फीर खर्चाभी तो आता हे ओर वेसे दुकानभीतो खास नही चलती तो मे मना करती रहेती हु..

मंजुला : देख भावना अब तु वो दुकानतो भुलही जा अब तो आप लोग हमसे जुड गये हो फीरभी तु पैसेकी चींन्ता मत करना तु बस अच्छेसे अपना संसार ओर परीवार चला बाकी मे सब देखलुगी..

भावना : थेन्कस दीदी..देखती हु अब कहेगेतो मे मना नही करुगी, अब आपभी कुछ सोचो हमारी सादीको ढाइ साल होनेको आये..इस महेलकोभी अ‍ेक वारीस देदो..

मंजुला : (हसते) ठीक हे देखेगे वेसे मेरा लखन ओर पूनमभी तो मेरे बच्चे जेसेही हे दोनो मुजे बहुत प्यार करते हे बस अ‍ेक बार बाबाको मीलना हे अकेलेमे तुम साथ चलना हम दोनोही जायेगे हमारे गुरु हे..

भावना : दीदी कोन हे ये बाबा जो आप लोग उनको बहुत मानते हे..

मंजुला : तुजे नही पता..? सुन वो बहुत बडे संत हे, पता नही हमारे खानदानमे कीसीने कोनसा श्राप दीया था बस सबको अ‍ेकही संतान हो रहीथी संतान होते ही अ‍ेक सालमे उनके दादाकी मौत हो जातीथी ओर ये कइ पीढीयोसे चला आ रहाथा तब जाके बाबा मीले ओर यहा हवन बवन करके सब ठीक करदीया ओर श्राप से मुक्ती दीलवादी तब जाके मेरे ससुरको दुसरी संतान हुइ ये लखन ओर पूनम यहीतो हे जो देरसे पैदा हुअ‍े

भावना : अच्छा..तभी मे सोचु जीजाजी के बाद उनके भाइ ओर बहेन इनसे इतने छोटे क्यु हे..

रजीया : (हाथ पोछते पास आते) मालकीन आज खानेमे क्या बनाना हे..?

मंजुला : रजीया तेरे मालीक ओर भानुभाइतो सहेर गयेहे आज कुछभी बनाले..

रजीया : ठीक हे मालकीन क्या छोटे मालीक ओर दीदी चले गये..?

मंजुला : (हसते) हां..उनकी पढाइ चालु हे तो चले गये, क्या कर रहीहे दया..?

रजीया : जी वो जरा हमारे खेतोकी ओर गइ हे कुछ सब्जीया लेने..अभी आजायेगी..

मंजुला : चल ठीक हे खाना बन जाये तो बुला लेना..

रामु काका की उमर तकरीबन ८० साल की हो गइथी दया इन्हीकी बेटी हे जो देवायतके पीताने उनकी सादी अ‍ेक दुसरे गांवके लडकेसे करवादीथी लडका उनकीही बीरादरीका था जो बादमे बहुत सराब पीने लगा ओर लीवर खराब करलीया अभी दो साल पहेलेही उनकी मौत होगइ ओर दयाको रामुकाका इधर लेकर आगये तबसे वो हवेलीमेही काम कर रही हे मुंजलासे महज अ‍ेक सालही छोटी हे

रजीयाभी उनकीही उमरकी हे उनकेही गांवकी हे उनकीभी सादी होगइथी बच्चा ना होनेकी वजहसे उनके पतीने उनको तलाक देदीया था तबसे वोभी यही रहेके काम कर रही हे दया ओर रजीया दोनोही अपने सारीरीक जरुरीयात देवायतसे चुदवाके पुरी करती हे दोनोही हवेलीमे रहेती हे ओर जरुरत होतीतो खेतोमेभी काम करती हे रामुकाका हमेसा खेतोपेही रहेके रखवाली करते हे

तब दुसरी ओर देवायत, भानु लखन ओर पूनमको छोडने सहेरपे पहोंच गये रास्तेमे दोनोके लीये खानेके लीये नास्ताभी लीया ओर देवायतने दोनोको कुछ पैसेभी दीये फीर अ‍ेकही जगाह दोनोकी होस्टेलथी तो वहा पहोच गये तब लखन दोनोके पैर छुके सामान लेने लगा तब पूनम देवायतसे लीपट गइ फीर भानुके पैर छुके दोनो भाइ बहेन अंदर चले गये ओर देवायत भानु वापस मुडके आश्रमकी ओर नीकल गये जब वहा पहोंचे तब अ‍ेकल दोकलही आदमी दीखाइ दीये दोनोही सीधे बाबाके पास चले गये ओर दंडवत करके बेठ गये....कन्टीन्यु
 
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २

तब दुसरी ओर देवायत ओर भानु लखन ओर पूनमको छोडने सहेरपे पहोंच गये रास्तेमे दोनोके लीये खानेके लीये नास्ताभी लीया ओर देवायतने दोनोको कुछ पैसेभी दीये फीर अ‍ेकही जगाह दोनोकी होस्टेलथी तो वहा पहोच गये तब लखन दोनोके पैर छुके सामान लेने लगा तब पूनम देवायतसे लीपट गइ फीर भानुके पैर छुके दोनो भाइ बहेन अंदर चले गये ओर देवायत भानु वापस मुडके आश्रमकी ओर नीकल गये जब वहा पहोंचे तब अ‍ेकल दोकलही आदमी दीखाइ दीये दोनोही सीधे बाबा के पास चले गये ओर दंडवत करके बेठ गये....अब आगे

बाबा : (हसते) आ गया बेटा..क्या बापुजी चल बसे..सब अच्छेसे हो गयानां..?

देवायत : जी बाबा उनकीभी उमर हो गइथी दो दीन बीमार रहे ओर अचानक चले गये इसीलीये नही आ सका कहीये क्या हुकुम हे मेरे लीये..

बाबा : बस अ‍ेकही समस्या आस पासके दोनो गांवके आदीवासी कबीलेकी, वोही समस्या अ‍ेक दुसरेकी ओरतोको भगाके लेजाते हे ओर आपसमे अ‍ेक दुसरेके कबीलेको हडपनेकी कोसीस करते रहेते हे अब वो सीर्फ तेरी ही सुनते हे तुम दोनोको समजा आपसमे जगडा ना करे..

भानु : (हसते) बाबा येतो बरसोसे चला आ रहा हे सबको कबीलेका सरदार बनना हे ओर वहाके सरदारकी बीवी ओर लडकीयोको रानीया बनाके रखना हे हें..हें..हें..बाबा क्या कोइ ओर उपाय नही हे..?

बाबा : (हसते) हे..बस कुछ साल इन्तजार करना हे..इस महासयके(देवायत) खानदानमेही अ‍ेक अ‍ेसा वारीस आयेगा जो वहाकी समस्याका समाधान करेगा सब इन्हीकी खानदानसे होगा..

देवायत : (हसते) बाबा आपतो आये दीन कहेतेहे हमारे खानदानमे बहुत बडा बदलाव होगा तब लोग खुलके जीयेगे आपने बहुत कुछ बाते कीथी पर मेरी समजमे कुछभी नही आया..

बाबा : सुन बेटा..मेने तेरे पीताजीको सब खुलके बता दीयाथा लेकीन तब बहुत टाइम था, अब वो टाइम नजदीक आ गया हे तेरेही घरमे तेरा वारीस पोता आयेगा जो वो अ‍ेक इश्वरीय अंस होगा फीर वोही सब सम्सयाका समाधान करेगा जो पुर्व जन्ममे हिमाचलका राजा था उनकी कइ रानीया थी जो सब इस जन्ममे वापस तेरेही घर जन्म लेके आयेगे तब तु विचलीत मत होना क्युकी तुजे रीस्तेमे बहुत बडा बदलाव देखनेको मीलेगा जो सब होकेही रहेगा..

भानु : (हसते) बस.. बाबा यही बात इनकी समजमे नही आती आप इनको जरा खुलके बताइअ‍े..

बाबा : (हसते) अगर इनको सब खुलके बता दीयातो इनको रातमे नींदही नही आयेगी..हें..हें..हें..सुन.. रीस्तोमे बदलाव मतलब वो आपसी रीस्तोमेही सादी करेगा क्युकी वो सब प्रकृतीके हीसाबसे जीने वाले होगे जो ये रीस्ते नातेको ज्यादा तवजुब नही देते वो हर रीस्तेमे केवल पुरुष ओर स्त्री ही समजते होगे तुजे सीर्फ अ‍ेकही रीस्ता बताता हु इनकी बहेनही इनकी बीवी होगी..

देवायत : (थोडा गंभीर होते) बाबा क्या ये सब रीस्ते जायज होते हे..? ये सब गलत नही हे..?

बाबा : भानु बेटा अंदर जाके वो सेवकको कुछ चाइ बायके लीये बोलदे (भानु अंदर चला गया तब..) नही बेटा आपके लीये सब गलत होते होगे जो लोग प्रकृतीके नीयमसे जीते हे इनके लीये कुछभी गलत नही बस कुछ समयकी राह देखले फीर तुम खुदही अ‍ेसे रीस्तेसे बंधे होगे जोभी होगा सब होने देना कीसीमे हस्तक्षेप नही करना अभी सीर्फ इतनाही जानले बाकी सब जब तु अकेला आयेगा तब खुलके बात करेगे

देवायत : जी..बाबा समज गया..अगली बार अकेलाही आउगा..येतो छोटे भाइ बहेनको होस्टेल छोडने आयेथे तो चले आये..

बाबा : सुन तेरे भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदेना बस अभी सीर्फ इतनाही कहेना हे..

भानु : (वापस आके बेठते) बाबा इन्होनेतो चाइ बनाभी लीया आतेही हे..हमे आते देखलीया था..हें..हें..हें..

तब देवायतके मनमे विचारोका धमासान युध्ध चल रहाथा तभी सेवक चाइ लेकर आगये फीर सबने चाइ पीली, तब दोनो बाबाको दक्षीणा देकर नीकल गये ओर वापस गांवकी ओर चलने लगे तब देवायत पुरे रास्ते खामोस बेठा रहा ओर सोचता रहा की आगे उनको क्या क्या दीखनेको मीलेगा ओर बाबाने अ‍ैसा क्यु कहाकी तुम खुद अ‍ेसे रीस्तेसे बंधे होगे..?, तब भानुने तंद्गासे जगादीया

भानु : (देवायतकी ओर देखते) यार..कहा खो गया तु.. लगता हे बाबाने कुछ गंभीर बात बताइ हे..

देवायत : (भानुकी ओर हसते) नही यार..बस यही समजले आनेवाले वक्तमे हमारे घर बहुत बडा बदलाव होगा जो हमारे घर बडी सक्तीया आने वाली हे बस यही सोचते रोमांचीत हो रहा था..

भानु : भाइ मे जब आया तब बाबा कुछ सादीकी बात कर रहेथे..कीसकी सादीकी बात कर रहे थे..?

देवायत : (हसते) अरे वो लखन ओर पूनमकी बात कर रहेथे..कहेतेथे उमर होतेही दोनोकी सादी करदेना..

भानु : (हसते) हां..यार..लडकीयातो जटसे सादीके लायक होजाती हे देखोना पूनम कीतनी बडी हो गइ हे ओर हमारी लता भी जवानीके देहलीजपे कदम रखतेही कीतनी बडी दीखती हे..हें..हें..हें..मुजेतो इनकी अभीसे चीन्ता हो रही हे..हें..हें..हें..

देवायत : (कुछ सोचते) अरे यार भानु..मेरे दीमागमे अ‍ेक बात आ रहीहे..हमारी लताकी चीन्ता तु छोडही दे, मे चाहता हु हमारे लखनके लीये लताका हाथ तुमसे मांगता हु..बोल क्या कहेता हे..?

भानु : (मनमे खुस होते) भाइ तुमनेतो मेरी मुहकी बात छीनली, दोनो अ‍ेक दुसरेसे जाने पहेचानतेभी हे बाकी कहा कुछ देखना पुछना हे.. बस अ‍ेक बार लताका मन जानलु फीर मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

देवायत : यार लखनभीतो पढ रहा हे बस ये बात तु अभी सीर्फ हम दोनोके बीच रख हम सीर्फ अपनी बीवीयोसे बात करेगे फीर बात पकी करके रख देगे जब दोनोकी उमर होगी तब दोनोकी सादी करदेगे..

भानु : (खुस होते हसते) डन..भाइ, सब तैय रहा हम वोही करेगे..

अ‍ेसीही बाते करते दोनो वापस हवेलीपे आगये तब साम ढल चुकीथी आतेही दोनो फ्रेस हो गये तब मंजुला ओर भावनाभी आगइ ओर दोनोको खानेके लीये केह दीया तो दोनो सीधेही डाइनींगपे बेठ गये तब मंजुला ओर भावनाभी इनके साथ बेठ गइ तब दया ओर रजीयाने खाना परोस दीया ओर चारो खाने लगे तबभी देवायत खाना खाते सोचमे डुबाथा तब मंजुला सब बाते भांप गइकी कुछतो बात हे जो इनको परेसान कर रहीहे उसने मनही मन रातमे बात करनेकी ठानली ओर चारोने खाना फीनीस कीया

भानु : यार..अब हम कल सुबह चले जायेगे इतने दीन हो गये घरपे मां ओर लता अकेले हे..

देवायत : भानु जोभी हो तु तेरी दुकानका दो दीनमे कुछ करले फीर इधर चलेआना ओर सब सम्हाल ले..

मंजुला : हां भानुभाइ बहुत चलाली दुकान अब दोनो भाइ मीलके सब वहीवट सम्हाललो..

भानु : ठीक हे भाभी अबतो यही करना हे मे दो दीनके बाद आजाउगा..

देवायत : (हसते) यार..तु इधरही रहेने आजा इतनी बडी हवेली हे दोनोके परीवार आरामसे रेह लेगे..

भानु : नही यार..पासमे हीतो गांव हे इधर आनेमे १० मीनीटभी नही लगती फीर हमारा मकानभीतो बडा हे वो अ‍ेसेही पडे रहेके खंढहर होजायेगा हम सब आते जाते रेहेगेनां..

अ‍ेसीही बाते करते आधे घंटेके बाद सब सोने जाने लगे तब मंजुलाने छुपकेसे हसते हुअ‍े भावनाको अ‍ेक गोली देदी तो भावना कीचनमे चली गइ फीर अ‍ेक दुधका ग्लास लेकर अपने रुममे चली गइ ओर उसने वो गोली मीलाके दुध भानुको पीला दीया तो भानु दुध पीके सोनेके लीये बेडपे आगया ओर लेटतेही..

भानु : (हसते) क्या बात हे आज पतीपे इतना प्यार आ रहाहेकी दुध देदीया इरादातो नेक हेनां..?हें..हें..हें..

भावना : (सरमाके हसते) हां..जाओजी..येतो दीदीने कहाकी रातमे सोते वक्त पतीको दुध पीलाना चाहीये तो पीला दीया, क्या आपको अच्छा नही लगा..?

भानु : (भावनाको बाहोमे भरते) अरे डार्लींग बहुत अच्छा लगा, बस अ‍ेसेही रोज मेरी सेवा करती रहे..

भावना : (सरमाते सीनेपे सर रखते) सुनीयेजी दीदी केह रहीथी दुसरा बच्चा करलो उनकी पढाइकी चीन्ता मत करना तो मुजेतो बहुत सरम आइ..

भानु : (बाहोमे कसते होंठ चुमते) तो सहीतो केह रही हे..मेतो कबसे केह रहा हु तु मानती नही थी दोनो बच्चे अ‍ेक साथ बडे हो जायेगे चल आजा आजतो दुसरा बच्चा देदी देता हु.. चलना.. सब कपडे नीकालदे आज दोनो खुब मजे करेगे देख नीचे अभीसे खडा हो गया फटाफट कपडे नीकाल..

तब भावना समज जातीहेकी गोलीने अपना असर सुरु करदीया दरसल दोनो अकेली बेठीथीतो भावनाने प्यासी रहेनेकी फरीयाद करली तो मंजुलाने उसे अ‍ेक वायग्राकी गोली देदी जो देवायत अक्सर घरपे रखता था ओर कभी कभी इनका उपयोग करके पुरी रात मंजुलाकी चुदाइ करताथा तब सुबह मंजुलाकी हालत खराब हो जातीथी तो आज भावनाकी फरीयाद सुनके उसे गोली देदी..तब भावनाने सब कपडे नीकाल दीया

भावना : (बेडपे लेटते अपने बाल खुले करते) आज बडा जोस चडा हुआ हे देखना फीर मुजे प्यासी मत रखना आजतो पुरी रात जबरदस्तीसे करवाउगी भलेही सुबह मेरी हालत खराब हो जाये..

भानु : (भावनाके उपर लेटते होंठ चुमते) डार्लींग दुधमे क्या खीला दीया हे जो लंड फटा जा रहा हे अ‍ेसा लगताहे आजतो पुरी रात तेरी चुतमे रखते तेरी बजाताही रहु

भावना : सीइइइ..आहइइ धीरे चुसोना मे कहा भागी जा रहीहु..

तब भानु भावनाके होठोको पागलकी तराह जोरोसे चुस रहाथा ओर अ‍ेक हाथसे भावनाके बुब्सको मसल रहाथा तब भावनाकोभी अपने उरोजोपे हल्का दर्द होने लगा आज भानुका जोस देखते मनही मन खुस हो रहीथी की चलो आज मे प्यासी नही रहुगी तब अपनी चुतके अंदर भानुने अ‍ेक उंगली घुसादी ओर चुतमे अंदर बहार करने लगा तब भावना पागल जेसी होगइ ओर जोरोसे सीसकारीया करने लगी उसने वासनाके नसेमे अपनी आधी आंख चडाली ओर भानुको वासना भरी नजरोसे देखती रही

भानु : आइ..केसा लग रहा हे डार्लींग जीतो चाहता हे आज तेरी चुतका भोसडा करदु आजतो दुसरा बच्चा पका डालुगा तुने बहुत नखरे कीये हे चल अब इसे मुहमे लेके चुस..

भावना : आहइइ..सीइइइइमममममआआआअइइइइआह..घुम जाओ..

कहातो भानु भावनाकी दोनो ओर पैर करके बेठ गया ओर चुतकी ओर मुह करते जुक गया ओर मुह सीधा चुतपे लगा दीया तब भावना सरसे पांव तक हील गइ ओर सीसकारीया करते भानुका लंड मुठीमे पकड लीया फीर हल्केसे सहेलाते अपने जीभसे चाटने लगी जब लंड गीला हो गया तब धीरेसे मुहमे भरने लगी आज उसे भानुका लंड अ‍ेकदम सख्त महेसुस हो रहाथा ओर मजेसे लंडको मुहमे अंदर बहार करने लगी

तब भानुभी चुतमे जीभ डालके उसे अंबर बहार करने लगा तब थोडीदेरकी धमासानके बाद भावना अकडने लगी ओर अपनी कमरको जटके देने लगी तब अचानक चुतसे फवारा छुट गया ओर भानुका पुरा मुह भर गया तबजाके भावना सांत हुइ ओर अपनी सांसको कंटड्ढोल करने लगी तब भानु उठके बाथरुममे चला गया ओर मुह साफ करके लंड हीलाते वापस आगया ओर भावनाके पैरके बीच बेठ गया

भावना : भानु आज पहेला बार तुमने बीना डालेही मुजे जडा दीया बस रोज अ‍ेसेही करना..

भानु : चल अब असली मजेके लीये तैयार होजा आजतो तेरी चुतको फाडकेही रहुगा..

भावना : कीतना जोस चडा हे लगता हे आजतो तुम मुजे पेटसे करकेही छोडोगे..हें..हें..हें..

भानु : (लंडको चुतपे सेट करते) तो फीर..क्या मस्त चुत हे तेरी चल आजा..

कहेते धीरे धीरे लंडको पकडके चुतमे धकेलने लगता हे तब भावना कांपने लगती हे आज उसे भानुका लंड अपनी चुतमे बहुत सख्त लग रहाथा वो सीसकारीया करते दोनो हाथसे चदर पकडते मुहको इधर उधर करने लगती हे तब भानु उनके उपर जुकके लेट जाता हे ओर भावनाकी गरदनके नीचे अ‍ेक हाथ डालके दुसरा हाथ उनके उरोजपे रखते जोरसे मसल देता हे ओर कमर उची करके अ‍ेक जोरका जटका मारता हे तब आज पहेली बार भावनाके मुहसे चीख नीकल गइ ओर जो भानुके मुहमेही दब गइ तब भावनाकी दोनो आंखसे आंसु नीकल आये ओर वो देवायतकी आंखोमे सरमसे पानी पानी होते देखने लगी

भानु : (हसते) क्यु डार्लींग केसी रही..आज तेरी चुतको ना फाडदुतो मेरा नाम भानु नही..

भावना : सीइइ..आह..आह..इइसीइइइइमंमंमंममुमुमुइइइससससस भानु क्या होगया हे तुजे..

भानु : कमीनी मुजे पता हे तुने दुधमे मुजे वायग्रा मीलाके पीलाइ हे..हें..हें..हें..आजतो तेरी चुतका भोसडा बना दुगा तुजे बहुत ठरक चडती हेनां..? आजतो सबह तक तेरी बजाता रहुगा..

भावना : प्लीज..भानु..मुजे नही पताथा इन गोलीमे इतनी ताकात हे वरना कभी नही पीलाती..

भानु : क्या नही पीलाती अबतो हर रात गोली पीके तेरी बजाउगा तुजे रोज लंड चाहीयेनां..?

कहेके भानु हाथके बल उचा होके जोरोसे भावनाको चोदने लगता हे तब भावनाके बुब्स उछलने लगते हे ओर भावना दर्दके बारे मुहको इधर उधर करने लगती हे ओर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगती हे तब रुममे केवल भावनाकी चुडीयोकी खनखनाहट ओर फच..फच..फच..की आवाज आ रही हे तब थोडीही देरमे भावना कमरको जटके देने लगी ओर कमर उची करते दोनो हाथसे चदर पकडते जडने लगी

तबभी भानु उसे जोरोसे चोदेकी जा रहाथा तब भानु वापस भावनाके उपर लेट गया ओर अ‍ेक हाथ भावनाकी गरदनके नीचे डालके जोरोसे कमर हीलाने लगा ओर भावनाके होंठ जोरोसे चुसने लगा तब कुछ देरके बाद भावनाकी आंख बडी होगइ ओर भानुकी आंखमे देखते दोनो हाथ भानुकी पीठमे रखते भानुको जोरोसे बाहोमे भीचलीया ओर अ‍ेक बार फीर जडने लगी तबभी भानु उसे चोदेही जा रहाथा

भानुका लंड भावनाकी चुतमे कीसी मशीनके माफीक अंदर बहार हो रहाथा तब भानुने अचानक भावनाके होंठ जोरोसे भीचलीया ओर कमरको जटके मारते भावनाकी चुतको अपने गाढे पानीसे भरने लगा तब भावनानेभी उसे कसके बाहोमे भीचलीया ओर उनकी पीठ सहेलाती रही तब धमासान चुदाइका तुफान सांत हुआ ओर दोनोही अपनी सांसे दुरस्त करने लगे तब भानु भावनाके उरोजोपे सर रखके ढेर हो गया ओर भावनाभी धीरे धीरे उनकी पीठ सहेलाती रही तब भावना सरमके मारे भानुसे आंख नही मीला पा रहीथी

भानु : भावु..क्या..आज मजा आया..?

भावना : (धीरेसे थकी आवाजमे) भानु तुनेतो आज मुजे तोडके रख दीया मुजे पता होताकी गोलीमे इतनी ताकत हेतो मे कभी नही देती आजतो चोद चोदके मुजे पुरी नीचोड ली चल उपरसे हट मुजे बाथरुम जाना हे

भानु : (हसते) नही देखती नही लंड अभीभी खडा हे आजतो दो राउन्डके बगैर तेरे उपरसे हटने वाला नही हु

भावना : पागल हे क्या..? अरे बाबा तुमने अ‍ेकही बारमे मुजे थका दीया.मुजे नही चुदना..

भानु : अरे बेबी आजतो तुजे छोडने वाला नहीहुं तु हर रात प्यासी रहेती हेनां चल आज तेरी सारी कशर पुरी करता हु फीर तुजे अ‍ेक बातभी कहेनी हे हमारी लताके बारेमे..

भावना : (भानुकी ओर सवालीया नजरसे देखते) कोनसी बात..उसने कुछ कांडतो नही कीया..?

भानु : (थोडा गुसा होते) पागल हे क्या..? अ‍ेसा कुछ नहीहे..बस उनके रीस्तेकी बात आइहे..हें..हें..हें..

भावना : जानु मुजेतो पहेले बताते मेनेभी अ‍ेक जगह उनकी बात चलाइ हे..कोन हे वो...?

भानु : (खुस होते) देवायतने खुद लखनके लीये हाथ मांगा हे..बस अ‍ेक बार लताका मन जानले..

भावना : (खुस होते) सच..? अरे बाबा हमारी लताके बारेमे मेने खुद बडी दीदीसे आज बातकी तो कहेतीथी तेरे जीजाजीसे पुछके बताउगी..ओर आज जीजाजीने खुद आपसे बात करली..आप हां कहेदो ओर ये रीस्ता पका करलो मे लतासे बात करलुगी..आजतो दील खुस करदीया आपने (हसती हे)

भानु : (हसते) तो चलो इसी खुसीमे अ‍ेक राउन्ड होजाये..

कहेते भानु अपनी कमर हीलाने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होगइ ओर भानुकी पीठमे दोनो हाथ रखके भानुको बाहोमे भीच लीया तब भानु उनकी गरदनमे मुह डालके गरदनको चुमते कमरको जटके मारने लगा ओर भावनाभी अपनी कमर उछालते तालमेलमे भानुका साथ देने लगी ओर अ‍ेक बार फीर दोनोके बीच धुआधार चुदाइ होने लगी तब भावना सीसकारीया करते वासनाके भवंडरमे खो गइ

भावना : येस..भानु ओर जोरसेइइइइइआह..आह..आह..इइइससससससममममजाजाजजाआआरररहाहाहेहेहे..

भानु : डार्लींग..क्या मस्त चीज हे..जी चाहताहे तुजे..चो..द..ता..र..हु..सीइइइआइइइमुंहा..

भावना : जानु नीचोड डालो मुजे..मेरे दर्दकी..परवाह..मत..क..रो..इइइइसससससस..ग..इइइइइइइइ

कहेके भावना जोरोसे भानुको बाहोमे भीजते जडने लगी तब भानु हाथके बल उचा होके भावनाको दोनो टांगे पेरमे फसाके जोरोसे चोदने लगा वायग्राकी वजहसे भानुभी थकने लगा पर लंड अभीभी सख्त था तब भावना दो बार ओर जडके पुरी तराह थकके चकनाचुर होचुकीथी फीरभी भानु जडनेका नाम नही ले रहा था बस उसे चोदेही जा रहाथा तब अचानक भानु उनके उपर लेट गया तब भावना समज गइ

ओर उसने भानुको जोरोसे बाहोमे भीचलीया तो भानुभी भावनाके होठोपे होंठ रखके जोरोसे भीचते अपनी कमरको जटके मारने लगा तब अपने गाढे पानीसे भावनाकी चुत भरने लगा ओर आखीर लंडको जड तक घुसा दीया ओर भावनाके सीनेपे सर रखके ढेर हो गया ओर बेहोसी जेसी हालतमे चला गया तब भावना अपनी सांस कंटड्ढोल करते उनकी पीठ सहेलाती रही तब वोभी कुछ बोलनेकी स्थीतीमे नही थी

दोनोही काफी देर अ‍ेसेही रहे आज भावनाका तन पुरी तराह टुट चुकाथा, तब उसे पता नही थाकी चुतके अंदर दोनोके बीज मीलनके लीये धमासान युध्ध कर रहेथे ओर काफी मसकसके बाद दोनोके बीज मील गये ओर भावनाके गर्भमे भानुका बीजका रोपन होगया था तब भावना थोडी देरके बाद हीली ओर भानुको अपने उपरसे हटानेकी कोसीस करने लगी तब भानु साइडमे लुढक गया

तो भावना बेडपे बेठ गइ ओर अपने बालोका जुडा बनाते बेडसे उतरनेकी कोसीस करने लगी तब उसकी चुतमे काफी जलन महेसुस होते वापस बेडपे बेठ गइ ओर गुस्से से भानुकी ओर देखने लगी फीर बेडपे दोनो हाथके सहारे फीर खडी होगइ ओर धीरे धीरे बाथरुमकी ओर जाने लगी तब उनकी चाल बीलकुल बदल चुकीथी ओर वो लडखडाते बाथरुममे घुस गइ

सादीके इतने दीनोमे इनकी अ‍ेसी धमासान चुदाइ कभी नही हुइ थी मानो आज उनकी सुहागरात हुइहो वो मनही मन बहुतही खुस हो रहीथी जब बाथरुममे घुसते जुक गइ ओर अपनी चुतकी ओर देखने लगी तब उनकी चुत सुजके पांव जेसी हो गइथी इनको अभीभी यकीन नही हो रहाथाकी उनके पती भानुने इनकी जबरदस्त चुदाइ करली हे फीर वो पीसाब करके चुतको साफ करने लगी ओर सही होके बहार आगइ

आतेही भानुसे चीपकके सो गइ पता नही दोनोको कब नींद आगइ तब दुसरी ओर मंजुला ओर देवायत रुममे जातेही दोनो आपसमे चीपकके अ‍ेक दुसरोकी बाहोमे समा गये ओर काफी देर खडे रहेके अ‍ेक दुसरेके होंठ स्मुच करते रहे तब देवायत उसे गोदमे उठा लेता हे ओर बेडकी ओर चलने लगता हे फीर बेडपे लीटाते खुदभी उनकी बगलमे उनपे जुकके लेट जाता हे ओर दोनोही कीस करने लगते हे

मंजुला : (हसते) लगता हे आज मेरा आसीक कुछ ज्यादाही परेसान दीखते हे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां डार्लींग आज बातही कुछ अ‍ेसी हुइकी बाबाने दील जंजोरके रख दीया..

मंजुला : (सरमाके हसते) क्या अ‍ेसेही बात करोगे..? सभी बातेतो आप मेरे उपर लेटतेही करते हे हें..हें..हें..पहेले आपका हथीयार डालोनां फीर हम आरामसे बात करेगे अबतो मुजेभी आदत हो गइ हे

देवायत : (हसते) चल कोइ बात नही पहेले मेरी जानुको थोडा प्यार करलु फीर बात करेगे..

तब देवायत मंजुलाके ब्लाउसका बटन खोलने लगा तो मंजुलाभी देवायतके सर्टके बटन खोलने लगी तब थोडीही दीरमे दोनो नंगे हो गये तब मंजुलाने देवायतका हाथ पकडके बेडपे लेटते अपने उपर खीच लीया तो देवायतभी अ‍ेक टांग मंजुलाके उपर डालके उनके उपर चड गया ओर उनके बुब्स पकडके मसलने लगा फीर अपना मुह जुकाके उनके उरोजोको चुसने लगा तब मंजुला उनके सरपे हाथ घुमाते सरको सहेलाने लगी

मंजुला : (हसते प्यारसे) देवु आज दीदीने मुजसे अ‍ेक बात की हे..हमारे लखनके बारेमे..

देवायत : (आस्चर्यसे मुह हटाके देखते) क्या..? कही लताके बारेमेतो बात नही की..?

मंजुला : (खुसीसे हसते) हां..उसीके बारेमे बातकी..वो अपनी लताका हाथ हमारे लखनके हाथोमे देना चाहती हे..तो मेने केह दीया आपसे पुछके बताउगी..

देवायत : (जोरोसे बाहोमे भीचते कीस करते) अरे डार्लींग आज खुद मेने भानुसे इस बारेमे बात की मेनेभी लता का हाथ लखनके लीये मांग लीया..कहेताथा अ‍ेक बार लताका मन जानले उसे कोइ अ‍ेतराज नही..

मंजुलाकी चुत लगातार पानी छोड रहीथी तब देवायतका लंडभी चुतपे दस्चक देने लगा तभी मंजुलाने हाथ नीचे लेजाके लंड को मुठीमे पकडलीया ओर चुतपे घीसके लव होलमे फसादीया तब देवायतने जोसमे आके अ‍ेक जोरका जटका मारके पुरा लंड चुतमे घुसा दीया तब मंजुलाकी हल्कीसी चीख नीकल गइ तब चार आंखे थोडी खुली हुइ खीडकीकी दरारमे जम गइ जो रजीया ओर दयाकी थी जो दोनोकी चुदाइ अक्सर देखतीथी तब अ‍ेक दीन दोनोही देवायतकी नजरमे चुदाइ देखते पकडी गइ तबसे देवायत दोनोकी चुदाइ करने लगा ओर वे दोनोभी देवायतके लंडकी आदी हो गइ अब उसेभी देवायतके लंडके बगैर नही चलता

मंजुला : (कामुक आवाजमे) आहहहहह सीइइइइइइ चोदो..मु..जे..सीइइइइआइइइइइइइमममममंहहहहसीसीइइ

तब देवायत उसे धीरे धीरे कमर हीलाके चोदने लगा ओर मंजुला देवायतकी पीठपे दोनो हाथ घुमाने लगी आज देवायत लबे लबें चुतके जड तक सोट मारने लगा तब हर घके के साथ मंजुलाकी आहे नीकल जाती थी आज देवायत कुछ अलगही मुडमे था वो लगातार मंजुलाकी गरदन गाल होंठ सब जगाह चुमेही जा रहाथा तब मंजुलाभी पुरी तराह कामाग्नीमे जलने लगी ओर अपनी कमर उछालने लगी

देवायत : मंजु जी चाहता हे आज तुजे बच्चा देदु..(जोरोसे सोट मारते चोदने लगता हे)

मंजुला : देवु कुछ दीन ओर मजे करने दोनां..फीर हम करलेगे बच्चा..आइइ..धीरे करोनां..क्या होगया हे तुजे

देवायत : बस तुजे देखतेही पागल हो जाता हु..जी चाहता हे तुजे चोदताही रहु..(फच..फच..फच..फच..)

मंजुला : (हसते) लगता हे आज मेरी चुतकी धजीया उडने वाली हे हें..हें..हें..

देवायत : कुछ मत बोल..बस..मुजे चोदने दे..क्या कडक माल हे तु..मुंहा..बुच..बुच..बुच..सीइइइआह...

मंजुला : सीइइइआह..इइइइइससससहहहममममं दे..वु..मे..ग..इइइइइइइइ

कहेते मंजुला जड गइ तबभी देवायत उसे जोदेही जा रहाथा दोनोकी सांसे तेज चल रही थी दोनोके बीच घमासान चुदाइ चल रहीथी तब दया रजीयाके पीछे चीपकके खडी रहेके दोनोकी चुदाइ देख रहीथी तब दोनोही गरम होगइथी ओर अ‍ेक हाथसे अपनी चुत सहेलाती रही तब दयाने दुसरा हाथ रजीयाके आगे लेजाके उनके बुब्स पकडलीये तब रजीयाकी सीसकारी नीकल गइ ओर वो पलट गइ फीर दयाका हाथ पकडके लगभग अपने रुमकी ओर दोडही पडी दोनो अंदर आगइ तब रजीयाने फटाफट दरवाजा बंध करलीया ओर दयाको बेडपे लेगइ ओर धका मारके उसे बेडपे गीरा दीया ओर खुद उनके उपर लेटके दयाका होंट चुमने लगी

रजीया : कुती तुमनेतो मुजे गरम करदीया चल फटाफट कपडे नीकाल..

दया : रंडी मेभीतो गरम हु चल घुमजा ओर आजा मेरे उपर दोनो हमेसाकी तराह अ‍ेक दुसरेकी चुतको मुहसे चोदके सांत करते हे कीतने दीन हो गये मालीकने हमे नही चोदा..

रजीया : देखती नही अभी मालकीन चुदवा रहीहे कल हम मालीकको पकड लेगे अभीतो चाट मेरी चुतको..

दोनोही लेस्बीयन खेलने लगी ओर थोडीही देरमे अ‍ेक दुसरेके सामने बेठते अ‍ेक दुसरेकी चुतमे उंगली डालके जोरोसे हीलाने लगी इधर देवायत ओर मंजलाके बीच धुआधार चुदाइ होने लगी दो बार मंजुलाको जडा दीया फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहाथा आखीर लंडको जड तक घुसाते मंजुलाको जोरोसे बाहोमे बरते उनके होंठ भीच लीये तब मंजुलानेभी अपने दोनो पैर देवायतकी कमरके उपर आंटी लगाके उसे बाहोमे भीचलीया ओर देवायतका लंड मंजुलाकी चुतमे उल्टीया करने लगा ओर दोनोकी सांसे तेज चल रहीथी

दोनोही अपनी सांस कंटड्ढोल करने लगे तब मंजुला देवायतका सर ओर पीठ सहेलाती रही ओर देवायत मंजुलाके उरोजोपे सर रखके ढेर हो गया ओर अपनी सांस कंटड्ढोल करने लगा फीर थोडी देरके बाद मंजुलाका बुब्स चुसने लगा ओर मंजुला सरको सहेलाते सीसकाया करने लगी तब मंजुलाने कहा

मंजुला : सुनीयेजी आज आप परेसान क्यु लग रहेथे..कुछ बात हे क्या..

देवायत : (उनके सामने देखते हसते) देखा..तु मेरी परेसानीभी पहेचान गइ इसीलीयेतो तुजपे फीदा हु..

फीर देवायत उनको बाबाके मीलनेकी सारी बात बता देता हे तब मंजुलाभी सुनके सोचमे पड जाती हे की बाबाने अ‍ेसा क्यु कहाकी तेरे भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदेना कुछतो रीजन होगा उसे भाइ बहेन की सादीका सुनके कोइ अचरज नही हुआ क्युकी वो खुद गांवमे अ‍ेसे कइ रीस्ते देख चुकीथी अ‍ेकतो खुद इनके मामाका लडका उनकी बहेनको ठोकता था ओर अ‍ेक बारतो उनका अ‍ेबोर्सन करवा चुकाथा

मंजुला : सुनीयेजी..ये भाइ बहेनकी सादीकातो ठीक हे पर लखन ओर पूनमकी सादीके लीये जल्दी क्यु कहा कही वो वहा तो दोनो आपसमे..नही..नही..पूनमतो अभी छोटी हे..सुनीये उन दोनोको वापस इधर बुला लीजीये हमे कोइ रीस्क नही लेना..

देवायत : पागल हो गइ हो क्या..? दोनोकी पढाइके बारेमेतो सोच..दोनोही अलग रेहते हे..

मंजुला : तो फीर बाबाने अ‍ेसा क्यु कहा..?

देवायत : अरे जानेमन वो सायद हमारे पोते पोतीके लीये केह रहे थे अगली बार अकेला जाउगा तब मुजे पुरी बात बतायेगे ओर सुन बाबा केह रहेथे वो कोइ इश्वरीय अंस होगा अ‍ेसा केह रहेथे..

मंजुला : (हसते) चलो ठीक हे भगवानभी हमे क्या क्या दीखायेगे..पता नही तब हम होगे की नही..

देवायत : इसीलीये केह रहाथाकी हमे अ‍ेक बच्चा करलेना चाहीये ताकी वो बडा होजायेतो हम इनके बच्चेतो देख सके ताकी हम उसे अच्छी सीक्षा दे सके..क्या कहेती हो..?

मंजुला : (सरमाके हसते) मे क्या कहु..जेसे आपको ठीक लगे..पता नही दोनो दोस्तको बच्चे पेदा करनेकी क्या जल्दी हे दीदीभी वोही केह रहीथी..सुनीये आप भानुभाइको अच्छे डोक्टरके पास लोयेइनां..भावना केह रहीथी उनका सब जल्दी होजाता हे..पता नही अ‍ेक लडका केसे पैदा करलीया..

देवायत : क्या भावनाने तुजे कहा..?

मंजुला : (सरमाके हसते) हां जब आप दोनो गयेथे तब बता रहीथी..हें..हें..हें..आज आपकी अ‍ेक गोली देदी हें..हें..हें..पता नही सुबह केसी हालत होगी उनकी..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) तुभी पागल हे हें..हें..हें.. कोइ अपनी बहेनकी अ‍ेसी हालत करवाती हे क्या..?

मंजुला : (हसते) क्या करती फरीयाद कर रहीथी तो देदी हें..हें..हें..

तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अ‍ेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....कन्टीन्यु
 

Mahesh007

Well-Known Member
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Dilavar bhai aap ki kahani se logo ko judne me 5 se 7 update ka samay lagega jinho ne pichli kahani padhi hogi bo kuch jaldi jud sakte he aap update de te rhiye plz
 
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