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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Aamer khan

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Kahani to ek dum hot hai par ye jo kirdar hai thode jiyada hone chahiye ismain old lady ka bhi role hona chahiye aur dusri baat bhasha thodi saral honi chahiye update jaldi aana aur dadi nani ka ka bhi sex hona mangta kon szhemat hai meri ray se
 
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dilavar

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Kahani to ek dum hot hai par ye jo kirdar hai thode jiyada hone chahiye ismain old lady ka bhi role hona chahiye aur dusri baat bhasha thodi saral honi chahiye update jaldi aana aur dadi nani ka ka bhi sex hona mangta kon szhemat hai meri ray se
Bhai kahani padhte rahiye aage pata chal jayega jo aap keh rahe ho sab kuch hai bas padhte rahiye
 

Bittoo

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ३

तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अ‍ेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....अब आगे

बाजुके रुममे भानु ओर भावना भी अ‍ेक दुसरसे चीपकके सोयेथे तब दुसरे कमरेमे रजीया ओर दयाभी नंगीही अ‍ेक दुसरे से चीपकके सोइ थी तब यहासे तकरीबन ४ कीमी दुसरे गांवमे भानुके घर उनकी बुढी माता बहार सो रहीथी तब रुमके अंदर नइ नइ जवान हुइ लता भानुके बेटे भावेशको अपने साथ सुलाके गहेरी नींदमे सो रहीथी वो पीछले ६ महीनेसे पीरीयडमे आ रहीथी उनके सरीरमे काफी बदलाव आने लगाथा

लताके बुब्सभी अब बडे होते सीनेपे उभार दीखने लगाथा उनके चहेरेपे भी काफी नीखार आ गयाथा वो दीन भर दीन खुबसुरतीकी ओर ढल रहीथी जबभी उनका भतीजा भावेश उनके सीनेपे हाथ लगा देता तब उसे अपने तनमे बेचेनी महेसुस होने लगतीथी ओर वो रोमांचीत होती थी उसेभी नही पताथाकी ये सब क्या हो रहा हे तब अचानक छोटा भावेश रोने लगता हे तब लता करवट लेके बच्चेकी ओर पलट जाती हे

ओर उसे अपने सीनेसे चीपका देती हे तब बच्चा (भावेश) उनके सीनेमे मुह लगाते उनके बुब्सको अपने मुहमे लेनेकी कोसीस करता हे तब लता नींदसे जागके उनकी हरकत देखती रहती हे तो भावेश उनके बुब्स मुहमे लेनेकी कोसीस कर रहाथा तब लता सरमसे पानी पानी होगइ वहा रुममे अंधेरा छाया हुआथा ओर बहार उनकी मां सोते खरराटे मार रहीथी तब ना जाने क्या सुजी लताने अपना कुर्ता उचा कर दीया

तो उनका अ‍ेक बुब्स बहार आगया तब भावेशने अपना मुह बुब्सपे लगादीया ओर चुसने लगा दुधतो आता नही था फीरभी वो आंख बंध करते चुसता रहा तब लताको कुछ अजीबसा लगने लगा ओर वो मदहोस होने लगी तभी अपना अ‍ेक हाथ अनायासही अपनी चुतपे चला गया ओर वो धीरे धीरे सहेलाने लगी उसे इस हरकतसे बहुत आनंद आने लगा ओर उसने हमेसाके लीये बच्चेको अपने पास सुलानेकी ठानली

वेसेतो वो कइ बार छुप छुपके अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखती रहेती थी कइ बार उसने अपने भाइ भानुका लंडभी अपनी आंखोसे अपनी भाभी भावनाकी चुतमे डालते हुअ‍े देखाथा तबसेही वो बहुतही कामुक होने लगीथी उपरसे जबसे देवायतके पीताकी मौत हुइहे तबसे वो भानुके बच्चेको अपने साथ सुलातीथी ओर ये हरकत हर रात करतीथी फीर धीरे धीरे चुतमे उंगली डालके अपने आपको सांत करने लगी

वो अब दीनभर दीन ठरकी होते जा रहीथी पर अपनी मांसे बहुत डरतीथी क्युकी उनकी मांने सब दुनीयादीरी देखीथी उनको पताथा जब लडकी जवानीके दोरसे गुजरे तब उसे सम्हालना बहुत जरुरी था वरना वो सुरुआतसेही भटक जाती हे ओर सारी जींदगी लंडकी दीवानी रहेती हे जो वो अपनी जवानीमे सब करचुकी हे उसनेभी जवानीमे कइ लंड खायेथे उसमे देवायतके पीताजीका नाम सबसे उपर था मानो वो उनकी रखैलही थी ओर ये बात आज तक कीसीको पता नही थीकी भानु ओर लता उन्हीकी संतान थी

सुबह सुरजकी पहेली कीरण नीकलनेसे पहेलेही रजीया ओर दया हवेलीका सारा काम करने लगी तब मंजुलाकी आंख खुल गइ ओर अपनी हालत देखके सरमसे पानी पानी होगइ ओर उसे देवायतकी ओर देखके हसी आ गइ तो उसने देवायतके होंठ चुमलीया तभी देवायतकी आंख खुल गइ तब उसने फोरन मंजुलाको बाहोमे भीचलीया तो मंजुला सरमाती उनके छुटनेकी कोसीस करने लगी

मंजुला : (सरमाते हसते) छोडीयेना सुबह होगइ हे..आपको उठना नही हे क्या..? छोडीये मुजे..

देवायत : अरे डार्लींग सुबह सुबह तेरे चहेरेका दीदार होगया..चलना थोडा प्यार करते हे बस अ‍ेक बार..

मंजुला : (हसते) कोइ जरुरत नही रातमेभी मेरी हालत खराब करदीथी ओर अभीभी जी नही भरा..

देवायत : डार्लींग तुजे देखते कभी जी रही भरता..चलना अभी फटाफट अ‍ेक राउन्ड हो जायेगा..

मंजुला : पलीज..देवु समज तु.. वो दोनो जाग गइ होगी कही हमारा लाइव सो ना देखले हें..हें..हें..

तब देवायत हसते हुअ‍े मंजुलाको खीचके बाहोमे भरलेता हे ओर उसे पलटके पीठके बल लीटाते उनके उपर चड जाता हे दोनोही नंगेतो थेही देवायत अ‍ेकही जटकेमे मंजुलाकी चुतमे लंड घुसा देता हे ओर उसे धनाधन चोदने लगता हे मंजुलाभी जानतीथी देवायत अ‍ेक बार डीमांड करता हे तो उसे चोदकेही रहेता हे तब उसनेभी ज्यादा विरोध नही कीया ओर वो देवायतसे चुदने लगी थोडी देरमे वोभी गरम होगइ

ओर देवायतका साथ देने लगी तब थोडीही देरकी धमासान चुदाइके बाद दोनोही साथमे जड गये तो मंजुला उठके बाथरुममे भाग गइ तब देवायत हसने लगा ओर वोभी उठके बेडपे बेठा रहा जब मंजुला नहाके बहार आगइ तब वोभी बाथरुममे घुस गया ओर सब नीत्य करके नहाके बहार आ गया तबतक मंजुलाने उनके कपडे दीये ओर वो तैयार होगया तो दुसरी ओर भानु ओर भावनाभी तैयार हो चुके थे

भानु बहार होलमे चला गया तो पीछे भावनाभी बाल बनाके जुडा बना रहीथी तब मंजुलाभी देवायतको हमेसाकी तराह होंठेपे कीस करके मंदिरमे चली गइ ओर देवायतभी बहार आने लगा तब बाजुके रुमसे भावना भी धीरे धीरे चलके बहार आ रहीथी तब देवायतका सामना हुआ तो देवायत उनकी सालीकी चाल देखतेही हसने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होके मुस्कराती रही

जब भानुकी सादी नही हुइथी तब वो देवायतकी खुब मस्करी करतीथी तबसे देवायत उनको नामसेही बुलाता था ओर भानुभी मंजुलाको भाभीही कहेता था तब भानुकी सादीके बादभी सब वोही कहेके बुलाते हे तब देवायतको भावनाकी हालत देखके मस्करी सुजी ओर वो आते हसते हुअ‍े कहेने लगा

देवायत : (हसते सरारतसे) क्यु साली साहीबा अ‍ेसे क्यु चल रहीहो कही पेरमे मोचतो नही आगइ हें..हें..हें..

भावना : (सरमसे पानी पानी होते कातील समइल करते) जीजाजी अ‍ेक लगाउगीनां..आप बहुतही कमीने हो..अकेले मीलो तब बताती हु जेसे आपको कुछ मालुमही नही..

देवायत : (हसते) अबतो भानु आता जाता रहेगा तो साथमे चली आना अकेले मील लेगे..हें..हें..हें..

भावना : (धीमी आवाजमे) जीजु..प्लीज..ठीक हे आजाउगी तब मीलेगे..आपसे कुछ बातभीतो करनी हे..

कहेके वो देवायतकी ओर कातील स्माइल करते मंजुलाके पास कीचनमे चली गइ तो मंजुलाभी इनकी चाल देखते हसने लगी तब भावना फीरसे सरमसे पनी पानी होगइ तब मंजुलाने कहा

मंजुला : (हसते) कहो दीदी केसी रही रात..लगता हे दोनोने खुब मजे कीये हे.., हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते) क्या..दीदी..आपने कोनसी गोली दीथी देखोना मेरी हालत खराब करके रखदी..

मंजुला : (हसते) क्यु..? मजा नही आया क्या..?

भावना : (सरमसे धीमेसे) क्या दीदी..अ‍ेसा लगा कल मेरी सुहागरात हुइ.. इनको कीतना जोस चडा हुआ था.., सब आपकी वजहसे मुमकीन हुआ.. वरना मुजे क्या पता था इनमे इतना मजा आता हे अबतो मेने इनकोभी केह दीया हे वो गोली धरपे रखे..हप्तेमे अ‍ेक बार दुगी..वरनातो रोज अ‍ेसी हालत करेगे हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) चल ठीक हे दोनो आगये..? तो चाइ नास्ता देदे..ओर कभी कभी इनके साथ आती रहेना मुजेभी अकेला ना लगे..फीर सामको भानुभाइके साथ चली जाना.., ओर सुन..बच्चा होवे तो होने देना..

भावना : (हसते) दीदी मेरी मानो..अब आपभी करलो..

मंजुला : (सरमसे हसते) चल..ठीक हे..देखते हे..कर लेगे..

दोनोही धीरे धीरे बात कर रहीथी तब मंजुलाको नही पताथा आज रात देवायतने उनको तीन तीन बार चोदके उनकी चुतको भराथा तो वोभी प्रेगनेन्ट हो चुकीथी वोतो कुछ दीनके बादही पता चलने वालाथा जब इस बार दोनोका पीरीयड मीस होजायेगा, तब पता चलेगाकी दोनो अ‍ेकही रातमे साथमे प्रेगनेन्ट हुइ हे फीर दोनो चाइ नास्ता लेके डाइनींगपे आजाती हे ओर चारो साथमे चाइ नास्ता करते हे तब भावना बातको छेडती हे..

भावना : (धीरेसे) दीदी क्या जीजुको लताके बारेमे पुछा था..?

मंजुला : (हसते) अरे वोतो तेरे जीजाने खुद भानुभाइसे लताका हाथ मांग लीया हे पुछले..हें..हें..हें..

भानु : हां भावना हमने तैय करलीया हे दोनोकी उमर होतेही हम हमारी लताकी सादी लखनसे कर देगे..

देवायत : (हसते) यार वो सबतो ठीक हे फीरभी तु अ‍ेक बार लताका मन जानले.. फीर हम रीस्ता पका करके दोनोकी सगाइ कर देगे क्या कहेती हो मंजु..?

मंजुला : (खुसीसे हसते) हा भानुभाइ अ‍ेक बार लतासे पुछलो फीर दोनोकी सगाइ करदेगे..(देवायतकी ओर देखते) सुनीये अब आपभी कोइ अच्छे लडकेको ध्यानमे रखीयेगा हमारी पुनमभी बडी होती जा रही हे..

देवायत : (हसते) हां भाइ हां..मेरे ध्यानमे अ‍ेक लडका हे..बडेही जमीनदार हे सीर्फ मां बेटा ही हे पती कबका गुजर गया हे ओर उनके ज्यादा रीस्तेदारभी नही हे..पुर्खोका बडा घरभी हे जब जाउगा तब बात कर लुगा..

भानु : भाइ मेरी मानोतो दोनो भाइ बहेनका रीस्ता होता हेतो दोनोकी सादी साथमेही करदो, क्या कहेती हो भाभी..सब अ‍ेकही बारमे हो जायेगा हमारी पुनमभी सरसुराल चली जायेगी..

मंजुला : (हसते) आपतो बडे छुपे रुस्तम नीकले पुनमके लीये लडका देखभी लीया ओर मुजेही नही पता..

देवायत : अरे इसमे क्या बताना अभी हमारी पुनम छोटीहे तो बताके क्या फायदा..तभी नही बताया.., (मनमे सोचता हे - मंजु तुजे क्या पता वो कोन हे, उस गांवकी सरपंच हे ओर विधवा हे, उसे तुमभी जानती हो, तो मे उसे अक्सर मीलता हु ओर उसे कइ बार चोद चुका हु, वोभी मेरी पत्नीही हे वो मुजे ही पती मानती हे, वो मेरी बात कभी नही टालेगी)

मंजुला : (हसते) ठीक हे ठीक हे..मेतो अ‍ेसेही केह रहीथी..क्या आप भानुभाइको ओर दीदीको छोडने जा रहेहो नां..?

देवायच : (हसते) हां..क्या तुजेभी साथ चलना हे..? चलना दोनो छोडके आजायेगे..माजीको भी मील लेगे..

भानु : हां भाभी आपभी चलो यहा अकेली बोर होजाओगी.., मां को भी मील लेना..

मंजुला : (हसते) भानुभाइ अबतो ये रोजका होगा..फीरभी चलती हु.. माजी कोभी मीलना हे..काफी दीन हो गये नही मीली.., लता ओर लखनकी उनसेभी बात होजायेगी..चलो..

फीर चारो चाइनास्ता करके देवायतकी गाडीमे नीकल जाते हे ओर १० मीनीटमेही भानुके घर पहोंच जाते हे तब चारो अंदर आजातेहे तो लता भावनासे लीपट गइ फीर सबके पैर छुके सरमाते खडी रही तब आज पहेली बार मंजुला ओर देवायत लताको अपने लखनकी बहुके रुपमे देखते खुस हो रहेथे तब लताको अहेसास हुआ की दोनो मुजे कुछ अजीब नीगाहोसे देख रहे हे तो वो खुब सरमाइ ओर भागके अंदर चली गइ, तब चारोही हसने लगे

हसनेकी आवाज आइ तब भानुकी मा रुमसे बहार आइ तो मंजुको देखतेही दोडके उनको गले लग गइ ओर फुट फुटके रोने लगी क्युकी उसे देवायतके पीताके जानेका बहुत ही सोक लगाथा क्युकी असली कारण सीर्फ वोही जानतीथी तब मंजुलाभी साथमे रोइ ओर भावनाने दोनोको सांत कीया तब लता सबके लीये पानी लेके आइ ओर सबको पानी पीलाया तब जाके सब सांत हुअ‍े

तभी मंजुलाने उनके पाव छुअ‍े तो उनको आशीर्वाद दीया पर देवायतके पाव छुनेसे पहेले उनसे दुर हो गइ क्युकी वो बात सीर्फ देवायत ओर भानुकी मां ही जानतीथी फीर सब बेठ गये तो भानुकी मांने मंजु ओर देवायतसे उनके पीताके जानेका सौक व्यक्त कीया तब माहोलको हल्का करनेके लीये भावनाने अपनी सांससे लता ओर लखनके रीस्तेकी बात छेडदी तो लता वही खडीथी तो बात सुनके सरमसे पानी पानी हो गइ ओर भावनाके रुममे भाग गइ तब अ‍ेक बार फीर सब हसने लगे तो भानुकी मां देवायतको देखके थोडा अतीकमे चली गइ उनको सब घटनाक्रम याद आने लगा

(फ्लेसबेक)

न्यु केरेक्टर


सरला : भानुकी मां जो विधवा हे बहुतही कामुक ओरत थी भानुके पीता उनको ठीकसे संतुस्ट नही करपाते थे तब वो अपने तनकी जरुरतको देवायतके पीतासे पुरी करने लगी नतीजा ये हुआकी उनके पेटमे देवायतके पीताकी नीशानी यानी भानु पलने लगा ओर भानुके पैदा होनेसे पहेलेही देवायतका जन्म हो चुकाथा, भानुके पीता ओर देवायतके पीता खास दोस्त थे तबसेही खानदानकी दोस्ती चली आ रही हे, उनके रीस्तेदारमे बहुतही कम लोगथे तब देवायतके पीतानेही उनकी देखभालकी ओर उनकी सारी जीम्वेवारी उठाली

तब सरलाकी उमर महज २३ सालकी होगी फीर भानुका जन्म हुआ फीर थोडे बडे हो गये तब देवायत ओर भानु दोनो खास दोस्त होगये, देवायतके पीताने दोनोको पढनेके लीये सहेरमे भेज दीया जब दोनो १०/१२ सालके हो गये तब देवायतके पीताने सरलाको फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया तब भानुके पीताकी तबीयत बीगड गइ ओर उनको पता चल गयाथा की सरलाके सबंध देवायके पीतासे हे ओर वो सदमा बरदास्त नही कर पाये ओर चल बसे,

सरला भर जवानीमे विधवा हो गइ, फीर लताका जन्म हुआ ओर देवायतके पीताने भानु ओर देवायतको वापस बुला लीया फीर समयके साथ वोभी बुढे हो गये..तब सरला अ‍ेक बार फीर अकेली होगइ तब भानु ओर देवायत जवानीके देहलीजपे कदम रख चुकेथे ओर वो देवायतका गठीला ओर कसरती बदन देखते बहेकने लगी ओर देवायतकी ओर ढलने लगी तब उनकी उमर ४२ के आस पास हो चुकीथी देवायत उनके घर अक्सर आता जाता रहेता था तब अ‍ेक बार सबकुछ हो गया जो नही होना था..तो वो ये सब सोचते खडी थी तब..

(फ्लेसबेक खत्म)

मंजुला : मांजी तो क्या हम लता ओर लखनके रीस्तेकी बात पकी करदे..?

सरला : बेटा तबतो सोनेपे सुहागा..धन्यभाग जो मेरी लता आपके घरकी बहु बनेगी..हमे ये रीस्ता मंजुर हे..

कहातो भावना लताके पास अंदर चली गइ तो लता इनको देखते खुब सरमाइ ओर हसती रही तब भावना उनके पास बेठ गइ तो लता सर नीचे करते सरमाती हसती रही तब भावनाने उनके सरपे हाथ रखा ओर उनके गालको सहेलाया तब लताने नजर उची करते भावनाकी ओर देखा फीर नजर जुकाके ओर सरमाते हसती रही

भावना : लता क्या तुजे ये रीस्ता मंजुर हे..? तो बता हम तुजपे कोइ जबरदस्ती नही करेगे..

लता : (सरमसे पानी पानी होते) भाभी मे क्या बोलु..जो आप ओर भाइ करो वो सही हे..

भावना : (हसते) अरे गुडीया फीरभी बता दे..तेरे मनमे कोइ ओर होता..

लता : (गभराते) अरे नही नही..भाभी..मुजे मंजुर हे..(सरमाने लगती हे)

भावना : (हसते) चल ठीक हे..मे उनको बता देती हु..क्या तेरे बेटेने तुजे तंग तो नही कीया..हें..हें..हें..

लता : (हसते) क्या..भाभी मेरा भतीजा हे वो..हें..हें..हें.., बस मेरे साथ घुलमील गया हे..हें..हें..हें..

तब भावना हसती हुइ बहार आजाती हे ओर सबको लताकी बात बताती हे तो सब सुनके खुस होजाते हे तब सरला भावनाको कहेती हे..

सरला : (हसते) बहु..जा जरा गुड ओर धनीया लेके आ हमारे समधीका मुह मीठा करवाना हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते कीचनकी ओर जाते) जी माजी अभी लाइ..

देवायत : (हसते) माइ मे थोडी समधी हु..मेतो आपका बेटा ही हु ओर ये मंजुभी आपकी बहुही हे..

सरला : (हसते देवायतके कंधेपे हाथ रखते) पता हे बेटा मुजे, मेतो मजाक कर रहीथी तुभीतो मेरा बेटा हे ओर वोभी बडा मेने तुजमे ओर भानुमे कोइ फर्क नही कीया..

मंजुला : (हसते) मांजी चलो आप हमारे साथ रहेने आजाओ.., अब घर सुना सुना लग रहा हे..

सरला : (हसते) अब वहा आके क्या करुगी अबतो हमारी बेटीका घर होने जा रहा हे उमर भीतो हो गइ हे अब जी के क्या करुगी देखा नही अबतो तुम्हारे ससुरभी चले गये..मेरा भानु छोटाथा तबही उनके बापुजी चल बसे तब तेरे ससुरने हमारी खुब मदद की मेरे भानुको पढाया लीखाया तबसे दोनो दोस्त हे..भाइकी तराह

देवायत : (हसते) माइ भाइकी तराह नही हम दोनो भाइही हे..आपको पता हे मे भानुको अपने साथ लेजा रहा हु अब वोही हमारी सब खेती बाडी देखेगा मुजे कहा इन सब चीजोमे पता..बस हमारा लखन ओर भानुही सब वहीवट करेगे बस यही बात कहेनेही मे आयाथा लताकी बाततो अ‍ेसेही कल हो गइतो बता दीया

भावना : (हसते गुड धनीया लाते) लीजीये माजी हमारे समधीका मुह मीठा करवाइअ‍े..हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते भावनाको मुका मारते) समधीकी बची..हम घरकेही लोग हे समजी..मेरीभी ये सास हे..

सरला : बेटी येतो तुम लोगोका बडपन हे..मेरा देवायत भी उनके पीताकी तराह दीलावर हे जो लोगोकी मदद करते रहेता हे चल आजा मुह खोल..

कहेते रसीलाने मंजुलाके मुहमे गुड देदीया तो मंजुलानेभी सामने उनका मुह मीठा करवाया फीर देयावका मुह मुठा करवाया फीर भानु ओर भावनाने भी बारी बारी सबका मुह मीठा करवाया तब मंजुला ओर भावना गुडकी थाली लेके रुममे लताके पास चली गइ, तब लता दोनोको देखके खुब सरमाइ ओर दोनोने लताका मुह मीठा करवाया तब भावना थालीको वापस रखने कीचनमे चली गइ तो मंजुला लताके पास बेठ गइ.., ओर उसे प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. फीर हसते हुअ‍े कहा..

मंजुला : (हसते) क्युजी देवरानी..आप खुसतो हेनां..?

लता : (सरमाके हसते) जी दीदी..

मंजुला : (हसते धीरेसे) क्यु हमारे देवरका फोटो बोटो चाहीये..? तो भावुके हाथ भीजवा दुगी..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे पानीपानी होते) जी..भाभीसे लेलुगी..

जुला : (हसते सरपे हाथ घुमाते) चल ठीक हे भीजवा दुगी..ओर तेरे पास तेरा कोइ फोटो होतो दे देना..

लता : (सरमसे हसते) जी..हे भाभीके पास..

भावना : (अंदर जाकते) चलो दीदी चाइ बन गइ हे आजाओ बहार..फीर अपनी देवरानीसे बात करना..

कहातो लता फीरसे सरमसे पानी पानी होगइ ओर तीरछी नजरोसे भावनाकी ओर देखते हसने लगी..तब मंजुलाभी हसती हुइ बहार आगइ ओर सबने चाइ नास्ता कीया तब मंजुलाने सबसे छुपके लताकी फोटो भावनासे लेली फीर देवायतने जानेकी बातकी तो सरला उनको खाना खाके जानेकी बात करने लगी तब देवायतने बहार जानेकी बातकी फीर वो लोग लताको सगुनके पैसे देके नीकल गये ओर भानुभी दुकान देखने चला गया तब भावना रुममे चली गइ

भावना : (अंदर आते हसते) क्यु ननंदजी मनमेतो बहुत लडु फुट रहे हे हें..हें..हें..क्या कहेतीथी तेरी जेठानी..

लता : (सरमाते दोडके अपनी भाभीको गले लगते) क्या भाभी..जाओ मुजे आपसे बात नही करनी..

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रहीथी बेठ इधर..(बेडपे बीठाते) तुमनेतो लखनको देखा हेनां..वो सहेरमे पढ रहा हे वो वहाके राजाके खानदानसे हे तु वहा राज करेगी..ओर लखनभी अच्छा लडका हे..

लता : (सरमाते) देखा हे भाभी..बस काफी महीने हो गये तो नही देखा..

भावना : अरे वोभी तेरे माफीक जवान हो गया हे क्या मस्त दीखता हे अबतो मीलना जुलना चलताही रहेगा..दोनोकी उमर होतेही हम सादी करदेगे..अब खुस..? चल ये बता तुमको भावेशने तंगतो नही कीया..अ‍ेक बारभी तेरा फोन नही आया..लगता हे उनकी मां मे नही तुम हो..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे लताको अ‍ेक चपत लगाके) क्या भाभी..वो मेरा भतीजाही हे समजी..अब नही रखुगी मे..(जुठ मुठ नाराज होते)

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रही हु..कहा हे वो..

लता : (सरमाते हसते) जी..वो मेरे रुम मे सो गया हे..तुमने क्या लडका पैदा कीया हे रात भर जागता रहेता हे ओर दीनमे सोते रहेता हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते) हसले बच्चु जब तेरा बेटा होगा तब तुजे पता चलेगा..हें..हें..हें..

कहातो लता उनको मारनेके लीये दोडी तब भावना कीचनमे भाग गइ फीर दोनो भाभी ननंद खाना बनानेकी तैयारीया करने लगी तब दुसरी ओर उनकी सासभी आज बहुतही खुस हो रहीथी ओर भाभी ननंदकी मस्करीया देखते हस रहीथी क्युकी आज उनको अपनी बेटीके लीये अच्छा खानदान मील गया था वोभी अपने यारका लडका तब वोभी पुराने दीन याद करते बेठी रही ओर मुस्कराती रही

कैसे देवायतके बापु उमर होनेके बावजुदभी उनको रगड रगडके चोदते थे कभी कभी तो पुरी रात यहा रुकके उनकी चुदाइ करते रहेते थे या फीर हवेलीपे कोइ नही होता तब वो वहा बुला लेतेथे ओर उनकी खुब चुदाइ करते थे तब देवायत सीर्फ तीन सालका था भानुके पापाकातो तब ठीकसे खडाही नही होताथा वोभीतो उनके दोस्त थे भानु ओर लता दोनोही उनकी संतान थी दोनोने कीसीको नही बतानेकी कसमभी खाइथी ओर दोनोने आजतक ये बात सबसे छीपाइथी तब आज लताकी बात सुनके बहुतही

रोमांचीत होगइथी क्युकी रीस्तेमे लता लखनकी बहेनही लगती थी, वोभीतो जवानीमे सादीसे पहेले अपने भाइसे खुब चुदवाती थी तबसे उसे लंडकी आदत पड गइथी ओर वो लताका बरोबर खयाल रखती थी अ‍ेसेही सोचते बेठी रही

तभी दुसरी ओर देवायत मंजुलाके साथ मस्ती करते हवेली पहोंच गया तब देवायत मंजुलाको छोडके सीधेही आदीवासी कबीलेमे चला गया जो आधे घंटेकी डड्ढाइवके बाद पहोंच गया तब सब कबीले वाले उनको देखतेही हाथ जोडके अ‍ेकठा होगये सब

कबीले वाले देवायतको बहुत मानते थे क्युकी सब बाबाको गुरु मानतेथे ओर देवायत अक्सर सबकी ममद करता रहेता था सबको होस्पीटल के काममे, सादीमे ओर वेसेभी सबको अनाज देते बहुत मदद करता हे इसी वजहसे सब उसे भगवानकी तराह मानते हे
देवायत : कहो हरीया क्या नइ मुसीबत हे..बाबा बता रहेथे इधर कुछ प्रोबलेम आगइ थी..

हरीया : (कबीलेका सरदार) आइअ‍े मालीक कुछ नही वो बाजुके कबीले वाले हमारी अ‍ेक लडकीको उठाके ले गये ओर हमारे गांवमेभी दस बारह आदमीने आकर हमला करदीया ओर हमारी ओरतोके साथ खुब छेडखानी की..मतलब..आपसे क्या कहु..

देवायत : हं..समज गया कोनथा वो..कमीना..तुम ठहेरो कीधरके कबीले वालेथे..?

हरीया : (हाथ जोडते) वो..मंगीयाके कबीले वाले थे..मालीक हमभी तीन चार लोग आतेहे अकेले जाना ठीक नही वरना वो कमीना आपको अकेला देखके हमला कर सकता हे..

देवायत : हरीया चीन्ता मत कर मेरे पास घोडा (पीस्तोल) हे, तीन चारकोतो अ‍ेसेही ठोक दुगा..

तब तीन लोग ओर हरीया कुछ हथीयार लेके देवायतकी जीपमे पीछे बेठ जाते हे देवायत अपनी खुली जीप लेके पासही १५ मीनीटकी दुरीपे कबीलेकी ओर चल पडा तब हरीया उसे सब बाते बता देताहे की वो लोगोने हमारी ओरतोपे जबरदस्तीसे रेप कीया ओर मेरी लडकीको उठाके ले गया वगैरे..वो वहा पहोच गये तब मंगीया देवायतको देखतेही ठंडा हो गया ओर हाथ जोडके दोडके आ गया ओर हरीयाकी ओर घुरने लगा

देवायत : क्युरे भडवे..तुजे बहुत चरबी चडी हे..? जो दुसरोकी बहु बेटीकोपे जबरदस्ती करता हे कहाहे हरीयाकी बेटी? कोन उठा लाया बहेन.., उनको यहा पकडके ला मादर..को

मंगीया : (हरीयाकी ओर घुरते) मालीक वो गवला होगा..अभी बुलाता हु..ओर लडकीको भी लेआता हु..

कहेके वो दोडके अपनी आदमीके पास गया ओर गवलाके साथ हरीयाकी बेटीकोभी लेकर आगया तब लडकीने हरीयाको देखातो उनकी ओर दोड पडी ओर दोडके जीपमे बेठ गइ तब मंगीया गवलाको पकडके खडाथा ओर गवला हरीयाकी ओर घुर रहाथा.. तब हरीया उसकी बेटीको सब उनकी भासामे पुछने लगा तो वो नाना करके सब बताने लगी फीर हरीयाने देवायतकी ओर देखा ओर कहेने लगा

हरीया : मालीक इनके साथ जबरदस्ती करनेकी कोसीसकी वो इनसे सादी करना चाहता हे लेकीन ये लडकी सादीके लीये राजी नही हे वरना मेही इनकी सादी करवा देता पर इसने हमारी ओरतोके साथ गलत कीया..

देवायत : (गुसेसे गन नीकालते गवलाके सरपे रखते) क्यु साले..अभी घोडा दबाउगाना तो यही मां.. जायेगी.. मादर..अगर तेरे लोडेमे इतनीही गरमी चडी हेतो अबनी मां बहेन नही हे क्या..?

गवला : (डरते हाथ जोडके) मालीक पहेले मेरी बाततो सुनीये..इधर आइअ‍े अकेलेमे आपसे कुछ बात करनी हे..फीर आपको ठीक लगेतो मुजे मार देना..

तब देवायतको बात कुछ ओरही लगी ओर उनका गुस्सा थोडा ठंडा हो गया ओर उसने मंगीयाकी ओर देखा तो मंगीयाभी हाथ जोडके अ‍ेक बार बात सुननेकी मनत करते हांमे सर हीलाने लगा तब देवायत जीपसे उतर गया ओर गवलाको लेके थोडे दुर चला गया तब गवला सब बाते बताने लगा..

गवला : मालीक आपको पता नही ये हरीयाने मेरी भाभीको प्रेगनेन्ट करदीया हे वो अक्सर जंगलमे इनको मीलने आता हे तो मेरे भाइको पता चल गया ओर मुजे कसमदी की मेभी इनकी बेटीको उठाके ले आउ ओर उसेभी प्रेगनेन्ट करदु पर आपतो जानतेहे हम अ‍ेक दुसरेकी रजामंदीसेही सब करतेहे तो मेने इनकी बेटीको हाथ तक नही लगाया अब आपही बताओ मे क्या करता..भाइने कसम दीथी जब ये मुजसे सादीके लीये नही मानीतो भाइ इनके साथीके साथ वहा चला गय ओर उनकी ओरतोके साथ वो सब कुछ करके आया..

देवायत : कहा हे मादर..उसे बुलाके ला..ओर तेरी भाभीभी उनकी मरजीसे आइ होगी तभीभो दोनो जंगलमे मीलते होगे..वो उसे प्यार करतीहे तो हरीयाके साथ भेजदे तुम लोगोमेतो ये सब चलताही रहेता हे..

गवला : मालीक भाइ ओर उनके साथी इधरसे आपके डरसे भाग गये हे.. लगता हे वो कुछ गलत रास्तोपे चल रहा हे अब मेरी गलती क्या हे फीरभी आप कहो मे वही करुगा..

देवायत : चल ठीक हे अगर तेरी भाभी इनके साथ रहेना चाहतीहेतो भेजदे उसे पर तु गलत काम मत करना ओर समजा देना अपने भाइको जब मेरे हाथ चडेगा तो पुछुगाभी नही सीधा ठोक दुगा.. चल जा..

फीर देवायत दोनोको नसीहत देके लडकीको लेके वापस हरीयाके कबीलेपे आ गया तबतक सब लोग जमा हो चुकेथे ओर सब लडकीको देखते खुसीसे चीलाने लगे ओर देवायतके पैर छुने लगे तब देवायत हरीयाको लेके थोडा दुर चला गया ओर उनके कंधेपे हाथ रखके उनसे बाते करने लगा

देवायत : (हसते) हां हरीया बोल उधर गवलाकी भाभीसे क्या कांड करके आया..हें..हें..हें..

हरीया : (सरमाते हसते) मालीक अब क्या कहु..वो मेरे पीछे पागल हे ओर हम प्यार करते हे बस गवलाका भाइ डुंगर अब बुढा हो गया हे..उसे छोडनेके लीये तैयार नही था तो मुजसे प्रेगनेन्ट करनेके लीये कहेतीथी तो करदीया अब वो उसे छोड देगा आपतो जानतेहे हमारे लोगोमे ये सब आम बात हे..

देवायत : चल ठीक हे वो आयेतो उसे अपना लेना मे चलता हु..

हरीया : मालीक अ‍ेसेही चले जाओगे..कुछ कडक माल हे, क्या आपके लीये लेआउ..? ओर वो जमीला आपको याद कर रहीथी..अभी तक कीसीसे सादी नहीकी बस वोतो आपके पीछे पागल हे कहेतीथी सादी करुगीतो मालीकसे वरना उनके बच्चे पैदा करके पालुगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) उसे समजा सादी करले वरना मेरी बीवी देखी हे हमारे यहा तुम्हारे जेसा नही होता ओर मुजे कुछ नही पीना बाबाको मीलने जाना हे पीके वहा जाना ठीक नही ओर जमीलाको कहेना अ‍ेक दीन आउगा वरना उसे हमारे खेतोपे काम करने भेजदे वही मील लेगे..वहा रहेनेका इन्तजाम भीतो हे..

हरीया : (हसते) ठीक हे मालीक मे उस बात करलुगा आपका बहुत बहुत सुक्रीया..

फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आ गया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....कन्टीन्यु

 
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ४

फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आगया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....अब आगे

बाबा : कहो बेटा..क्या वो कबीलोके लोगोसे मीलके आये हो..? सब सही हो गया..?

देवायत : (हसते) हां बाबा इन लोगोकी बात कभी दीलसे नही लेनी चाहीये वरना हमतो दुखी होते रहेगे ओर वो दुसरेही दीन साथमे होते हे हें..हें..हें..गलती दोनोकी ओरसे थी तो सही करके आ गया..

बाबा : चलो ठीक हे..क्या तु अकेला आया हे..?

देवायत : हां बाबा कल आपने कहाथानां.., ओर इधरसे गुजर रहाथा तो आ गया..कहो क्या हुकुम हे मेरे लीये कल कुछ आप बताने वालेथे..कोइ गंभीर बात तो नही..?

बाबा : (हसते) अरे..नही नही, अ‍ेसी कोइ गंभीर बात नही बस कुछ बात अ‍ेसी हे जो तुजे वीचलीत कर सकती हे बस उन्हीकी बात समजानेके लीये तुजे अकेलेमे मीलने बुलाया था..

देवायत : बाबा अ‍ेसी क्या बात हे..? आप केह रहेथे हमारे यहा बहुत बडा बदलाव आने वाला हे ओर हमारे खानदानमे कोइ इश्वरीय अंसकी बातभी केह रहेथे..

बाबा : हां बेटा सुन..तेरा अ‍ेक पोता होगा, वो पीछले जन्म मे अ‍ेक बहुत बडा राजा था इनकी कइ रानीया थी जो इनसे बहुत प्यार करतीथी हमारे हिमाचलमे जो महादेवका वो प्रसीध्ध मंदिर हेना जो लोग उनको देखने जाते हे उनकी स्थापना उन्होनेही कीथी उनकी सब रानीओके साथ.. जो हर रानी हर जन्ममे इनसे मीलनेकी कामना करती थी बस इस जन्म मे भी उसे ज्यादातर रानी मीलेगी ओर तेरा पोता सबसे सादी करेगा..

देवायत : बाबा वोतो बहुत बडे राजा थे..वो बीजलीकी मशीन उसीनेतो बनाइथी.., मेने पढा हे कइ रानीयातो उनकी खुदकी बहेने थी.. ओर अ‍ेकतो उनकी दादीभी थी..

बाबा : (हसते) हां वोही..हें..हें..हें.., सुन इस बार उसे जो रानीया मीलेगी उनमेभी अ‍ेसे कइ रीस्ते होगे..तो तुम अ‍ेसे रीस्तोसे वीचलीत मत होना..ये सबतो होकेही रहेगा.., ओर अ‍ेसे रीस्तोमे सादीकीतो उन्होने वहा अ‍ेक परंपराभी सुरु कीथी इसीलीयेतो आजभी हिमाचलमे अ‍ेकभी विधवा ओर त्यक्तता नही मीलती..

देवायत : हां बाबा इसके बारेमेतो मेनेभी सुना हे वहा सब सुहागनही हे..ओर वहा मां भी विधवा होते अपने बेटे या देवर कीसीसेभी सादी करलेते हे ओर ज्यादातर बहेन भाइ ही आपसमे सादी करते हे..

बाबा : हां..बस अब वोही सब तुम्हारे घरमे होने वाला हे..इसीलीये मेने तुजे बुलाया था, तेरे पीताको सब मालुम था बस तुजे बताना था क्युकी तेरा जो बेटा होगा वो ज्यादा यहा रहेने वाला नही वो विदेशमे सेटल हो जायेगा इसीलीये सीर्फ तुजेही बता रहा हु बस कभी मन विचलीत होवे तो इधर चले आना..

देवायत : बाबा मे ज्यादा तर बात समज गया..यानी हमारे घरमे बहुत कुछ रीस्तोमे देखनेको मीलेगा..हें..हें..हें..

बाबा : बेटा तेरा पोता बहुतही होशीयार ओर बहादुर होगा तेरी सब समस्याका वो सामना करके समाधान करेगा सबको बरोबर न्याय दीलायेगा बस अ‍ेक बातको स्वीकार करना हे..वो कीसीभी रीस्तेको नही मानता होगा, क्युकी वो काम का अंस होगा ओर काम कोन हे वो तुजे बतानेकी जरुरततो हे नही.. तु खुद जानता हे उनके लीये हर लडकी ओर ओरत केवल अ‍ेक स्त्री हे..जो सब उनको ओर वो सबको प्यार करता होगा..

देवायत : (हसते) बस बाबा..मे सबकुछ समज गया..आपने मुजे वीचलीत होनेकी बात कहीथी वोभी मे सब समज गया, कोसीस करुगाकी इनके हर रीस्तेको स्वीकार करलु..लेकीन आपने मेरे भाइ बहेनकी सादीकी जल्दी करनेको क्यु कहा..? ओर मुजेभी अ‍ेसे रीस्तेके बंधनके लीये कहाथा..

बाबा : (हसते) सुन..तेरी बहेनकी बेटी होगी तबसेही सब सुरुआत हो जायेगी, ओर तुम खुद अ‍ेसे रीस्तोसे बंधे होगे..क्या अभी तुम्हारी दो बीवी नही हे..? मुजे पता हे तुम्हारे साथ कोन अ‍ेसे रीस्तेसे बंधी हे..तो क्या तु तब वीचलीत होता हे..? अ‍ेकतो तेरे दोस्तकी मांभी हे..तुम चीन्ता मत कर ये बात सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगी..बस सीर्फ तुजे आने वाले रीस्तोमे कोइ अ‍ेतराज नही करना, ओर नाही अ‍ेसे रीस्तोसे वीचलीत होना हे यही समजले इनकी सुरुआत तुम्हारेसे ही होगइ हे..जो आगे बहुत कुछ होगा..

देवायत : (सरमाते हसते) बाबा मे सब कुछ समज गया आपतो मेरी सारी कुंडली जानते हे..हें..हें..हें..

बाबा : बस मेरे लीये यही काफी हे जो तु समज गया, ओर सुन आने वाले समयमे तुभी कोइ गील्टी फील मत करना, क्युकी तु खुद अ‍ेसे रीस्तोसे बंधा होगा बस मुजे आज सीर्फ इतनाही कहेना हे समज गया..

देवायत : (आस्चर्यसे) बाबा क्या मे..,

बाबा : हां बस ओर कोइ सवाल नही, क्या सब आजही उगलवा लेगा, कुछ बाते बादके लीयेभी रख.., हें..हें..हें..

देवायत : बाबा तो अब क्या आदेश हे मेरे लीये..

बाबा : बस..कुछ नही.. अपने भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदे..क्युकी इनकेही माध्यमसे बहुत कुछ होने वाला हे, ओर अब समय होगया हे अब तुभी अ‍ेक बच्चा करले..

फीर देवायत कुछ ओर बात करके बाबाको दक्षीणा देकर वापस हवेलीकी ओर चल पडा आज बाबाने अ‍ेक बार ओर उसे जंजोरके रखदीया ओर आने वाले वक्तके लीये अपने आपको ओर अपने मनको मजबुत बनानेकी सोचने लगा उनके मनमे विचारोका युध्ध होने लगा वो बाबाकी हर बात याद करके उनके बारेमे पुरे रास्ते सोचता रहाकी बाबाने लखन ओर पुनकी सादी जल्दी करनेको क्यु कहा यही विचारोके साथ वो हवेली पहोच गया उसे पताभी नही चला ओर जीप अंदर लेके वो थोडी देर वही बेठा रहा फीर उठके अंदर गया

मंजुला : (बहार आते हसते) आ गये आप..? चलो फटाफट फ्रेस होजाओ बहुत देर करदी भुख लगी हे..

देवायत : (बाथरुम मे जाते मंजुलाकी ओर देखते) तो तुम्हे खाना खालेना चाहीनां..क्यु भुखी रहेती हो..

कहेके अंदर चला गया ओर मुह हाथ धोके फ्रेस हो गया ओर बहार आतेही मंजुलाने उसे टोलीया दीया ओर उनके सामने देखते स्माइल करती रही फीर धीरेसे कहा..

मंजुला : क्या मेने आपके खानेके बगैर कभी खाया हे..? चलो खाना रेडी हे

देवायत : (हाथ पोछके उसे बाहोमे भरते) डार्लींग क्या इतना प्यार करती हे मुजसे..?

मंजुला : (उनके सीनेमे मुका मारते) कीतने कमीने हो..क्या अ‍ेभी कोइ पुछनेकी बात हे..?

देवायत : (हसते होंठ चुमते) सोरी..बेबी..गलत प्रस्न पुछ लीया..चल खाना खाते हे..

कहेके देवायत मंजुलाको गोदमे उठा लेता हे ओर डाइनींगकी ओर चलने लगता हे तो दया ओर मंजुला देखके हसने लगती हे..अ‍ेसा कइ बार देवायत कर चुकाथा दोनोही बाते करते खाना खाने लगे तब दया ओर रजीया मंजुलासे छुपके देवायतको अपने रुममे आनेका इसारा कर रहीथी फीर खाना खाके आराम करने चले गये तब जातेही मंजुला गहेरी नींदमे सो गइ तब देवायत उठके दया ओर रजीयाके रुमकी ओर चल पडा..

फीर बारी बारी दया ओर रजीयाकी चुदाइ करके दोनोको संतुस्ट करता हे फीर वापस आके मंजुके बगलमे सो जाता हे, चार दीनके बाद भानुभी अपनी दुकान समेटके देवायतके साथ आगया खेतीबाडीका सब वहीवट सम्हाल लीया, ओर देवायतभी अपने कारोबारमे बीजी होगया समय बीतने लगा देवायत मंजुकी हर रात जबरदस्त चुदाइ करता रहा ओर भावनाभी हप्तेमे दो बार भानुको वायग्रा खीलाके संतुस्ट होती रही..

तब लताभी अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखनेकी आदी होगइ ओर वोभी ठरकी होती जा रहीथी वो भानुका लंड कइ बार देख चुकीथी ओर अब अपनेही भाइको अ‍ेक मर्दकी तराह देखती थी क्युकी लखनसे फोनपे बहुतही कम बाते होतीथी ओर दुसरे मर्दको अपनी मांके डरसे देखती नहीथी, बस उनके करीब भानुही अ‍ेक मर्द था, जो इनकी ओर खीची ही चली जाती थी, सब अपने रुटीन लाइफमे बीजी हो गये इसी बीच पुनम लखन लता सब जवानीकी ओर बढते अपनी पढाइ करते रहे..

तब अ‍ेक दीन मंजुलाका पीरीयड मीस हो गया ओर दुसरे दीन उसे उल्टीया होने लगी तब वहा भावनाकाभी यही हाल हुआ दोनो अपने पतीके साथ होस्पीटल चली गइ ओर रीपोर्ट करवाइ तो पता चला दोनोही प्रेगनेन्ट हो चुकीथी तब देवायत बहुतही खुस हुआ ओर अपने सब मजदुरोको नये कपडे दीलवाये..

अब देवायत मंजुलाका बहुत खयाल रखने लगा क्युकी इस हवेलीका वारीस जो आने वाला था वो ओर भानु अपनी दोनो बीवीओको लेके महीनेमे दो बार सहेरमे डोक्टरके पास चेकअपके लीये जाते थे इसी तराह दीन बीतने लगे अबतो दोनोका पेट बहार नीकलके दीखने लगाथा तब अ‍ेक दीन देवायतके फोनकी रींग बजने लगी उसने मोबाइलमे नाम देखातो चहेरेपे मुस्कान आगइ ओर फोन उठाके धीरेसे बात करने लगा

न्यु केरेक्टर

चंद्गीका उर्फे (चंदा) - जो मंजुलाकी सबसे छोटी मौसी हे जो नीहायती पतली ओर खुबसुरत थी भरी जवानीमे सादीके महज ८ साल बाद ही विधवा होगइ थी तब उनको अ‍ेक लडका हो चुका था ओर गांवमे तब विधवाकी दुसरी सादी नही होतीथी उनके ससुर वहाके सरपंच थे ओर गांववालो उनको बहुत मानते थे ओर उनके पास अच्छी खासी जमीनभी थी जो खुद मजदुर रखके सब काम करवातीथी जब उनके सास ससुर गुजर गये तब सब वहीवट चंदाके पास आ गया तब देवायतको मंजुलाकी सादीमे देखा तबही दोनोके नैन मील गये तब वो विधवा हो चुकीथी फीर अ‍ेक हप्तेके बाद मंजु भावनाको अपने घर खानेपे बुला लीया ओर तबही दोनोने पहेली बार मीलके प्यारका इजहार करदीया बाकी बाते हम आगे करेगे..

धिरेन : चंदाका अ‍ेक लौता बेटा जो अभी पासके सहेरमे पढाइके लीये जाता हे इस कहानीमे इनका कोइ खास रोल नही हे तो आइअ‍े कहानीका दोर आगे बढाते हे

देवायत : (हसते फोनपे) क्या बात हे आज बहुत दिनोके बाद मेरी याद आ गइ..मेरी रानीको..हें..हें..हें..

चंदा : (हसते) तो क्या करती..मेरा पतीतो मुजे फोन तक नही करता तो यादतो करना पडेगानां..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) कहो मौसी केसे याद कीया..?

चंदा : (जोरोसे हसते) लगता हे बाजुमे मेरी भांजी हे..तभीतो मौसी कहेते हो..

देवायत : (हसते) नही हमारे गोडाउनमे अकेला हु मजदुर काम कर रहेहे येतो मजाकमे बोल दीया..

चंदा : (हसते) बाबा अ‍ेसा मजाक अकेले हो तबतो मत करो..आपकी बीवी हु..मेरी मांग भरीहे आपने..

देवायत : सोरी..बाबा..बोल केसे याद कीया..मंजु याद कर रही हे..ओर सुनो वो पेटसे हे..

चंदा : (आंखोमे चमक लाते) सुनो..तबतो हमे मीलनेका बहोत मौका मीलेगा..मे डीलीवरीके लीये उधर आजाउगी..उसी बहाने हम मीलते रहेगे..कीतने दीन हो गये..क्या मेरी याद नही आती..?

देवायत : बहोत आतीहे अ‍ेक तुहीतो मेरी दुसरी बीवी हे..ओर अबतो मंजुके साथभी कुछ नही कर सकता चलना इधर आजा हम खुब मजे करेगे मे आजभी वो दीन नही भुला जब हम पहेली बार मीलेथे आजभी तुजे याद करता हुतो नीचे फटने लगता हे..चंदा डार्लीग आजानां मंजुकी तबीयत पुछनेके बहाने..खुब मजे करेगे..

चंदा : (गरम होते अपनी चुत सहेलाते) सुनो..वो धिरेन स्कुलके प्रवासमे गया हे चार दीनके बाद लोटेगा इधर आजाओना.., फीर सारा दीन मजे करेगे ओर सामको आपके साथही आजाउगी वहा दो दीन ठहेरुगी फीर वापस छोडने आजाना..क्या कहेतेहो..? तो सुबह उधरसे कामके बहाने नीकल जाना..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे..कल मीलता हु फीर तुमसे अ‍ेक बातभीतो करनी हे जो मीलके बताउगा..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) सुनो..वो आइपील (गर्भनीरोधक गोलीया) लेके आना मेरे पास खतम होगइ हे..

देवायत : (मजाक करते) अरे उनकी क्या जरुरत हे मेरी बीवी अ‍ेक बच्चा पैदा नही कर सकती हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते चीडके) हसो..मत..जब धिरेन छोटाथा तब कहाथा..तब करदेना चाहीयेना, मेने थोडी मना कीयाथा..अबवो बडा होगया हे मे उनको क्या कहुगी..(धीरेसे) क्या बहुत मन करता हे तो कुछ सोचती हु..

देवायत : (हसते) नही डार्लींग मुजे पता हे मेरी इस बीवी मेरेलीये कुछभी कर सकती हे लेकीन बेबी मुजे तेरी इजतका भीतो खयाल रखना पडेगा, आखीर तुभीतो वहाकी सरपंच हे..

चंदा : देवु प्लीज इधर आजाओ.. फीर मे आपसे कुछ बात करुगी..अभी फोनपे ठीक नही हे..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे कल मीलता हु जरा हमारा बेड सजाके रखना..हें..हें..हें..

चंदा : अरे अ‍ेक बार आओतो सही..हें..हें..हें..चलो रखती हु..

कहेके फोन काट दीया तब देवायत अकेलेही मुस्कराने लगा वो आंख बंध करके वही खुरसीपे पैर लंबा करते अपने दोनो हाथ पीछे लेजाके अपने सरपे तकीयेकी तराह रख दीया ओर बंध आंखसे चंदासे पहेली मुलाकातको याद करते अतीत मे चला गया ओर गहेरी सोच मे डुब गया..

(फ्लेसबेक)

जब बारात लेके गयेथे जब मंजु वरमाला लेके आ रहीथी तब चंदा साथमे हीतो थी जो अपने बालोकी पुरी चोटीमे फुलोकी वेनी ओर आगे बालोकी दो लट लहेराती थी तनसे पतली बडी हाइट ओर सारी पहेनके मंजुका हाथ पकडके आ रहीथी पताही नही चलताथा की दुल्हन कोन हे..

जब मंजुलाने हार पहेनाया तबभी देवायत चंदापे नजर गडाया हुआ था तब चंदाभी उनकी नजरोको भांप गइ ओर मुस्कराते सरमाने लगी फीर अ‍ेक दुसरोको हार पहेनाया ओर मंजुको लेके चली गइ जब सादीके पंडपमे आगये तबभी मंजुके साथ वोही

बेठीथी जो बीच बीचमे मंजुका मेकअप सही कर रहीथी तबभी देवायत चोर नजरसे उनको देखताही रहेताथा ये बात चंदा भलीभांती जान चुकीथीकी देवायत उनके पीछे लटु हो गया हे..तब वो सरमसे पानीपानी होगइ..फीर वोभी देवायतको चोर नजरसे देखती रही..

इतने दीनोसे पतीके बगैर रहे रहीथी तो अपने अंदरकी ओरतके होर्मोन्सनेभी जवाब देदीया ओर उनकी चुत गीली होने लगी जब सादी सम्पन हुइ ओर भोजनके लीये साथ जा रहेथे तब देवायतने जान बुजके दो तीन बार उसे छुलीया तब उनका पुरा तन कांप गया, ओर वोभी चोर नजरसे देवायतकी ओर देखती रही ओर भोजन संपन हुआ तब सब साथमे खडेथे तो बात करनेका मोका मील गया, मंजु अपनी सहेलीसे बात कर रहीथी तब देवात इनके पास धीरेसे सरक गया ओर धीरे कहा..

देवायत : (हीमत करके अपने दीलकी बात कहेदी) मौसी आज आप बहुत खुबसुरत लग रही हो..मुजे पहेले क्यु नही मीली..तब आपसेही सादी करलेता..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) अच्छा मजाक कर लेते हो हें..हें..हें.., क्यु..मेरी भांजीभी तो खुबसुरत हे..

देवायत : आप मुजे बादमे मीलना आपसे कुछ बाते करनी हे आपसे जल्द मीलना हे..

चंदा : (हसते सरारतसे) क्यु..? मुजे आपसे नही मीलना बहुत खतरा हे हें..हें..हें..

तभी मंजुलाने अपनी मौसीको जानेके लीये कहातो सब चलने लगे तब चंदा बार बार देवायतकी ओर देखके हस रही थी आज उसे देवायतकी बाते बहुत अच्छी लगने लगीथी वो देवायतसे मीलनेका मन बना चुकी थी रुममे जाके मंजुला फ्रेस होगइ जब वो बाथरुमसे नीकली तो चंदा जटसे अंदर घुस गइ ओर सारी कमर तक उची करके कमोडपे बेठ गइ ओर आंख बंध करते अ‍ेक उंगली अपनी चुतमे घुसादी..

फीर देवायतको इमेजींग करते जोरोसे अंदर बहार करने लगी आज देवायतने अपनी अंदरकी कामुक ओरतको जगा दीयाथा थोडीही देरमे चुतके अंदरसे फवारा नीकल गया तब वो अपनी तेज चलती सांस को कंटड्ढोल करने लगी ओर मंद मंद मुस्कराती रही फीर चुतको साफ करके फ्रेस हो गइ ओर बहार आकर सबके साथ बेठ गइ जेसे कुछ हुआही नही तब उनको रीयलाइज हुआकी वो देवायतको पसंद करने लगी हे..

सादीके तीन दीनके बाद वो अपने घर आ गइथी तब उनका लडका वेकेशनकी वजहसे उनकी मौसीके यहाही रुक गया क्युकी चंदाने जान बुजको उनको वही रोक लीया फीर तीन दीनके बाद उसने मंजुला ओर देवायतको अपने घर सामको भोजनके लीये बुला लीया जब देवायत ओर मंजुला तीन बजे वहा गये तब उनके घर उनकी साली भावनाभी थी तब देवायतको देखतेही सरमाते हसने लगी ओर उनका स्वागत कीया

तब भावनाने दोनोको होलमे बीठाके पानी पीलाया तब मंजुला अपनी मौसी फीर भावनाको गले मीली फीर कीचनमे चली गइ तब देवायत अकेला पड गया तो चंदा बहार आगइ ओर देवायतके सामने देखके हसने लगी फीर वही सोफेपे अ‍ेक कोनेपे बेठके उनसे बाते करने लगी तब भावना सामके खानेकी तैयारीया कर रहीथी तो मंजुभी उनकी मदद करने लगी तब इधर चंदा अबभी सरमा रही थी..

देवायत : (बंगलो देखते) मौसी आपका बंगलोतो बहुत बडा हे..आप अकेली ही यहा रहेती हे..?

चंदा : (सरमाते हसते) हां..सास ससुरभी चल बसे बस अब मे ओर धिरेनही हे, तभीतो धिरेनको यही रखा हे वरना सहेर होस्टेलमेही भेज देती..फीर मे अकेली बोर होजाती..हें..हें..हें..चलो घर दीखाती हु..अभी आइ..

कहेके वो कीचनमे चली गइ ओर मंजु भावनासे कहेके आइकी मे हमारे जमाइको बंगलो दीखादु.. कहेके वो बहार आ गइ ओर देवायतभी इनके पीछे जाने लगा ओर चंदा उसे सब दीखाने लगी फीर उपरकी ओर जाने लगे तब चंदाका दील जोरोसे धडकने लगा ओर अपनी सांसे तेज होगइ उनको अ‍ेक डरसा लगने लगाकी कही देवायत कोइ सरारत ना करले..क्युकी वो जान चुकीथीकी देवायत बहुतही बीन्दास हे..

जब दोनो सीडीयोसे उपर जा रहेथे तब देवायत पीछे चल रहाथा ओर चंदाके मटकते नीतंबही देख रहाथा जो इनकी लंबी चोटी नीतंबके आस पास लहेरा रहीथी जीसे देखते देवायतका लंड हरकतमे आने लगा ओर खडा होते बगावतपे उतर गया, ये बात चंदाभी जान गइ तब वो बहुतही सरमाइ जब वो उपर घिरेनके रुम दीखाने लगी तब देवायत उनकोही देख रहाथा तबवो सरमसे पानी पानी होगइ ओर मुस्कराते बहार अपने रुममे आ गइ..

चंदा : (सरमाते) ओर ये मेरा रुम हे..हम दोनोही मां बेटे उपर सोते हे..

देवायत : (अचानक बाहोमे भरते) मौसी आप बहुत खुबसुरत लग रही हे..आइ लव यु..

चंदा : (अ‍ेक दम सरमाके जड होगइ) क्या..? क्या केह रहेहो..? मे तुम्हारी मौसीजी हु..सादी सुधा..

देवायत : मौसी मुजे पता हे आपको अ‍ेक साथीकी जरुरत हे जो मे पुरी करुगा..आपसे सबसे छुपकेसे सादी करके..प्लीज..मे आपका हर खयाल रखुगा..मे मंजुको मना लुगा मुजसे सादी करलो..प्लीज..

चंदा : (बाहोसे छुटके जटसे बहारकी ओर जाते सरमाते) प्लीज..चलीये नीचे..वो दोनो नीचे हे..(बहार जाने लगी)

अचानक देवायतने उनका हाथ पकडते खीचलीया तो चंदा अ‍ेक बार फीर उनकी बाहोमे आगइ तब देवायतने उनकी कमरमे हाथ डालके उनसे चीपका लीया तब चंदा सरमके मारे छुटनेकी कोसीस करते छटपटा ने लगी तब अचानकही देवायतने उनके होंठोपे अपना होंठ रखते होंठ भीचलीया ओर अ‍ेक लंबा चुंबन लेलीया तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर छुटनेकी कोसीस करने लगी

जब देवायतने छोड दीया तो जटसे नीचेकी ओर भाग गइ ओर सीधी बाथरुममे घुसके दरवाजा बंध करलीया ओर दीवारके सहारे खडी रेहेके आंख बंध करली, ओर अपनी तेज सांसको कंटड्ढोल करने लगी अपने दोनो हाथ अपने सीनेपे रख दीया तो दीलकी धडकन बढ चुकी थी वो आंख बंध करते सोचने लगी..

हे भगवान ये क्या करदीया..,कीतना प्यारा अहेसास था..क्या वो सचमे मुजसे प्यार करने लगा हे..? अभी अभीतो इनकी सादी हुइहे वो मंजुकोभीतो प्यार करता हे..केहताथा पहेले आप मीलतीतो आपसे सादी करलेता..पागल कहीका..क्या ये सही हे..? नही नही मे मेरी भांजीको धोखा नही दे सकती.., क्या करु..? मुजसे सादी करके मेरा खयाल रखनेको केह रहाथा ओर उपरसे मेरा अकेलापन..मुजेभी साथीकी जरुरत हे..

भावना : (बहारसे आवाज लगाते) मौसी दाल चड गइ हे अब चुले पे क्या रखना हे..?

तब चंदा तंद्गासे जाग गइ ओर अपने आपको सही करने लगी बालोमे हाथ घुमाते आयनेमे देखते कहा

चंदा : भावु तु चल मे आ रहीहु थोडा फ्रेस होके..फीर शीखंडभी तो लेने जाना हे सहेर..

भावना : मौसी जीजुभी गाडी लेके आयेहे क्या मे ओर जीजु लेने चले जाये..?

चंदा : (गभराते जटसे बहार आते) नही नही..सहेरमे तुने नही देखा होगा वो हमारे जान पहेचानके हे, मेने उसे बोल दीया था..(धीरेसे) मेही चली जाती हु..तु चल कीचनमे..बताती हु सब..

पता नही आज चंदाको देवायतके साथ भावनाको भेजना अच्छा नही लगा तब उसे अहेसास होने लगाकी वोभी देवायतसे प्यार करने लगी हे वो देवायतके साथ ज्यादा टाइम स्पेन्ड करना चाहती थी, तो मंजु ओर भावनाको सब दीखाके बताने लगीकी क्या बनाना हे ओर उसने शीखंड लेने जानेकी बात कहेदी..

मंजुला : मौसी इनको लेके चली जाओ वेसेभी फ्रीही बेठे हे हें..हें..हें..अभी इनसे बात करती हु..(बहार आते) सुनीये जी..आप मौसीके साथ थोडा सहेर तक जाओगे..? शीखंड लाना हे..प्लीज..

देवायत : (हसते मनमे खुस होते) हां हां..क्यो नही..वेसेभी बेकार बेठा हु..चलो.. भेजो इनको सहेरभीतो दुर हे..आने जानेमे भी थोडा टाइम लगेगा तो समयपे आजायेगे..भेजो..

मंजुला : (खुसीसे हसते) मौसी जाइअ‍े फटाफट सहेर थोडा दुरभीतो हे..अभी जाइअ‍े टाइमपे आजायेगे तबतक मे ओर भावु सब खाना बना लेगी..आप अ‍ेक डीबा लेके जाना..

चंदा : (सरमाते कीचनसे बहार नीकलते) चल ठीक हे..हम जल्दीही आजायेगे..

कहेके चंदाने अ‍ेक डीबा उठालीया ओर देवायतकी तरफ अ‍ेक नजर करते सरमाते जटसे बहार नीकल गइ ओर सीधी जाके गाडीके पास खडी रेह गइ तब देवायत मंजुको बोलके बहार नीकल गया ओर वोभी गाडीमे बेठके साइडका दरवाजा खोल दीया तब चंदा सरमके मारे देवायतके बाजुमे बेठ गइ ओर दरवाजा बंध करलीया तब देवायतने कार सहेरकी ओर दोडा दी ओर बीच बीचमे चंदाकी ओर देखता रहेता था..

कोइ कुछभी नही बोल रहाथा चंदा बहारकी ओर देख रहीथी ओर बार बार अपने बालोको कानके पीछे करती रही उनकी समजमे नही आ रहाथा की देवायतको क्या कहे..मनतो कर रहाथा उसे फोरन हां कहेदे ओर उनके प्यारको अ‍ेक्सेप्ट करले पर डरभी लग रहाथाकी कीसीको पता चल जायेगातो क्या होगा..वो बहुतही उलजनमे फसी थी दील केह रहथा हां कहेदे ओर मन मे डरका भाव था.. आखीर देवायतने चुपी तोडी..

देवायत : मौसी..क्या सोचा आपने..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) कीस बारेमे..(वो जानतीथी देवायत क्या पुछना चाहतेथे फीरभी..)

देवायत : मौसी आप जानती हो..मे आपसे प्यार करने लगा हु.. प्लीज..

चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) नही..मे मंजुको धोखा नही दे सकती..कीसीको पता चलेगातो मेरी इजत चली जायेगी..गांवमेभी सब मेरी बहुत इजत करते हे तो डर लग रह हे..

देवायत : मुजेभी पता हे..मे आपकी इजतका खयाल रखुगा..ओर ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी..

चंदा : (रीक्वेस्ट करते) प्लीज..आप जीद छोडदो मुजे पता हे आप मुजसे प्यार करते हो पर मे आपका प्यार अ‍ेक्सेप्ट नही कर सकती..प्लीज मेरी मजबुरी हे..

देवायत : प्लीज..मौसी मुजसे आपका अकेला पन नही देखा जा सकता हम सबसे छुपकेसे सादी करलेगे..

चंदा : (थोडा पीघलते आंख गीली करते) मुजे पता हे आप मेरा बहुत खयाल रखेगे, ओर येभी पता हे आपसे बहेतर मुजे जीवनसाथी नही मीलेगा..फीरभी अ‍ेक डरसा लग रहा हे की मंजुको मे धोखा दे रही हु..प्लीज.., आइ अ‍ेम सोरी..

तब देवायत जेबसे रुमाल नीकालके गाडी चलाते अ‍ेक हाथसे उनके आंसु पोछता हे तो चंदा उनकी ओर देखने लगती हे, तब उसे देवायतका मासुम ओर मायुस चहेरा नजर आता हे तो वो वीचलीत होजाती हे ओर देवायतका हाथ पकड लेतीहे ओर धीरेसे हाथको चुम लेती हे तब दोनोही आधे रास्ते जंगलके बीच गुजर रहेथे जेसेही देवायतको अपने हाथमे चंबन महेसुस हुआ तब उनका चहेरा खील उठा ओर उसने चंदाकी ओर देखा.. तब चंदाने मुस्कराके सरमाते हुअ‍े हां मे गरदन हीलाइ तब देवायतने कार सीधी जंगलकी ओर मोड दी..

चंदा : (सरमाते) आप इधर कहा ले जा रहे हे..? हमे देर हो रही हे..प्लीज..

देवायत : (हसते) मेरी होने वाली बीवीको जी भर आंखोमे बसा लेना चाहता हु..प्लीज..हम अभी चले जायेगे

तब देवायत धने जंगलमे कार रोक देता हे जहा कोइ जानवरभी नही दीख रहाथा बस कुछ पक्षीओकी आवाज आ रहीथी ओर देवायतने कार बंध करदी ओर चंदाकी ओर अ‍ेक नजरसे देखता रहा तब चंदा सरमसे पानी पानी हो रहीथी ओर नजर जुकाके सरमाते बेठी रही तब देवायतमे अ‍ेक हाथ उनके हाथके उपर रख दीया तो वो कांप गइ ओर धीरेसे हाथ खीचनेकी कोसीस करते नजर टेडी करते देवातयको देखने लगी

चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) प्लीज..चलीयेना..वो दोनो हमारा वेइट करती होगी..

देवायत : (आाज पहेली बार देवायत नाम लेके बुलाता हे) चंदा..आइ लव यु..अगर तुम मुजे पहेले मीली होतीतो मे तुमसेही सादी करलेता..ओर अभीभी सादीके लीये तैयार हु..हम सादी करेगे..सबसे छुपके..

चंदा : (सरमाते) क्या ये सही होगा..? हम कुछ गलतीतो नही कर रहे..

देवायत : नही चंदा हमारा प्यार पवित्र हे मे जब तक जींदा हु तेरा साथ जींदगीभर नीभाउगा तुजे पत्नीका हर सुख ओर अधीकार दुगा मे हर फर्जको नीभाउगा तेरे बेटेको मे अपने बेटेकी तराह अपनाउगा..

तब चंदा कारमे बेठेही देवायतको लीपट जाती हे ओर आंसु बहाने लगती हे तब देवायतभी उसे बाहोमे भर लेता हे तब आज पहेली बार चंदा अपने पतीके अलावा कीसी गैर मर्दकी बाहोमे थी चंदा खुब सरमाइ तब चंदाके मुखसे अनायासही नीकल गया

चंदा : देवायत..आइ लव यु..सो मच..मेरा साथ कभी मत छोडना..वरना मे जी नही पाउगी..

देवायत : नही चंदा..मेने तुजे ओर मंजुको दीलसे चाहा हे..बस मंजुको हमारे रीस्तेके बारेमे पता ना चले..

ना जाने कबतक दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे बेठे रहे तब देवायत ने चंदाका चहेरा दोनो हाथसे पकड लीया ओर गालको सहेलाते उनकी आंखोमे देखता रहा तर चंदाने सरमसे नजर जुकाली ओर देवायत धीरे धीरे मुहको चंदाके मुहकी ओर लेजाने लगा तब अ‍ेक बार चंदाने नजर उची करते देख लीयाकी देवायत क्या चाहता हे? तब उसने नजर जुकाके आंख बंध करली ओर दोनोके होंठ मील गये ओर दोनोही स्मुच करने लगे

कीस करते दोनोही बहेकने लगे तब देवायतका दुसरा हाथ चंदाके ब्लाउसके उपरसे ही चंदाके बुब्सपे चला गया ओर हल्केसे दबाके मसलने लगा तब चदा सरसे पांव तक हील गइ ओर आंख बंध करते देवायतके हाथके उपर अपना हाथ रखदीया मानो वो उसे रोकना चाहती थी..

ओर दोनोही चुंबन करनेमे लीप्त थे तब चंदाको अपनी सारीके उपरसे ही चुतपे देवायतका हाथ महेसुस हुआ तो वो सीहर उठी ओर देखा तो देवायत उनकी चुतपे हाथ रखते सहेला रहाथा तब वो जटसे कीस तोडके दुर हट गइ फीरभी देवायत चुत मसल रहाथा तब चंदाने उसका हाथ पकडलीया ओर देवायतकी ओर रीक्वेस्ट करते कहेने लगी..

चंदा : (गभराते रीक्वेस्ट करते) प्लीज..प्लीज..प्लीज..नही नही नही..अभी नही..रुक जाओ..प्लीज..

देवायत : (हाथ हटाते सरमींदगीसे) सोरी..प्लीज..मे बहेक गया था..जब तक आप नही कहोगी तब तक नही छुअुगा..सोरी..मौसी..

चंदा : (सरमाते खुस होगइ..क्युकी देवायत उनकी इजत करता हे) प्लीज..अब हम अकेले हो तब मुजे नामसे बुलाना..बस अ‍ेक बार हमारी सादी होजाये..तब मे मेरा सब कुछ आपको सौंप दुगी..प्लीज..बुरा मत मानना..

देवायत : (हसते) ठीकहे चंदा डार्लींग जेसे आपका हुकुम..हें..हें..हें..में आपके फोनका वेइट करुगा..

तब चंदा सरमसे पानी पानी होगइ क्युकी आज पहेली बार उनके यारने उसे डार्लींग कहेके पुकाराथा वो सर जुकाके मुस्कराती रही तब देवायतने उनकी ओर देखते हस दीया ओर कार स्टार्ट करदी ओर वापस सडक की ओर चल दीये तब पुरे रास्ते चंदा बार बार देवायतकी ओर देखते हसती रही.., वो आज बहुतही खुस थी उनको भर जवानीमे अ‍ेक साथी मील गयाथा जो उनपे जींदगी लुटानेको तैयार था..

तभी दोनोही सहेर पहोंच गये ओर उन्होने वहा शीखंड ओर खमन लेलीया जब दोनो वापस आने लगे तब देवायत अ‍ेक सारीके शोरुम मे चंदाको लेके चला गया ओर उनको जबरदस्तीसे अ‍ेक डड्ढेस ओर अ‍ेक सादीका जोडा दीलवा दीया तब चंदा खुब सरमाइ ओर दोनोही कार मे बेठ गये तब चंदा ने कहा..

चंदा : (देवायतकी ओर हसते) मे..डड्ढेस नही पहेनती..गांव.. हेनां..सादीसे पहेले पहेनती थी..इतना खर्चा क्यु कीया..ओर ये सादीका जोडा.., हे मेरे पास..

देवायत : (हसते) यही समजलो..जो सादीके पहेले सगुन देते हे.., मे चाहताहु जब हमारी सादी हो तब तुम यही पहेनो..ओर मेरा नंबर सेव करलो..अपनाभी नंबर देना..जब आप फोन करो..तब आजाउगा..

चंदा : (सरमाते हसते) जी..वो धिरेन घरपे होता हे, दो दीनके लीये कही जायेगा..तब फोन करुगी..

घर आनेसे पहेले अ‍ेक बार रास्तेपे कार रोकते दोनो फीरसे सीर्फ होंठ चुमते प्यार करते हे ओर कुछ वादे कसमे खाते हे पुरी प्लानींग करते दोनो घर आगये तब चंदा आज बहुतही खुस हो रहीथी मानो उनकी नइ नइ सादी हुइ हो ओर वो फीरसे सुहागन होगइ होे अंदर आतेहे तब भावना देवायतको ओर चंदाको पानी पीलाती हे तब भावनाभी पानीका ग्लास लेते देवायतको छु लेती हे वो ये सब जानबुजके कर रही थी

फीर चारो खाना खाने बेठ जातेहे तब चंदा खुब आग्रह कर करके देवायतको खीलाती हे मानो इनके पतीको खीला रही हो तब भावनाकोभी ज्वेलसी होने लगी..सबसे पहेले वोही देवायतको प्यार करने लगीथी पर अपने प्यारका इजहार नही करपाइ ओर मंजुला आगे बढ गइ जब दोनोकी सादीकी बात हुइ उस रात वो सबसे छुपके खुब रोइ..पर अपने दीलकी बात बहार कीसीके सामने जाहीर नही होने दी..

मंजुला : (खाना खाते) मौसी शीखंड तो मस्त लेकर आइहो..कहासे लीया..?

चंदा : (हसते) वो तेरे मौसाके पहेचान वाले हे..हमारे गांवकेही हे..उनकी दुकानसेही लाइ..

भावना : (हसते) हां.. मौसी लगता हे हमे बार बार इधर खानेके लीये आना पडेग..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते देवायतकी ओर देखते) हां तो आजानांं तेराहीतो घर हे..आती रहेना..खुब खीलाउगी..

मंजुला : (हसते) मौसी भावुका इसी गांवमे रीस्ता ढुंढलो..इधर आती रहेगी..हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते) क्या..दीदी बातको कहासे कहा लेजाती हो.., मुजे नही करनी सादी..

चंदा : (हसते) तो क्या सारी जींदगी बडी दीदीपे बोज बनके रहेगी..हें..हें..हें..(देवायतकी ओर सरमाते) वेसे देवायतजी सादीमे आपके साथ आपका वो दोस्त था..क्या नाम था..? सायद कुछ..भानु भानु आप केह रहेथे..हें..हें..हें..

देवायत : (खुसीसे आंखोमे चमकके साथ मंजुकी ओर देखते) हां..मेरा खास बचपनका दोस्त..मानलो मेरा भाइही हे..घरकी दुकान हे..बडा घर हे..सीर्फ मां ओर अ‍ेक छोटी बहेनही हे..मंजु..कुछ समजी..हें..हें..हें..

मंजुला : (भावनाकी ओर हसते) हां समज गइ..मे मांसे बात करलुगी..हें..हें..हें..

तब भावना सरमसे पानी पानी हो गइ ओर सोचने लगीकी ये रीस्ता हो जायेतो जीजुसे नजदीक रहेनेका मौका मीलता रहेगा बात बन जायेतो मे फोरन हां केह दुगी..मुजेतो जीजुसेही मतलब हे..

चंदा : (हसते भावनाकी ओर देखते) अरे ओ महारानी..क्या सोच रही हे..कहोतो रीस्तेकी बात चलाये..?

भावना : (सरमसे पानीपानी होते) क्या..मौसी आपभी.., मुजे नही पता..

कहेके सरमाती हसती हुइ उठके कीचनमे जाने लगी..तो चंदाने कहा..

चंदा : (हसते) अरे..सरमाती कहा जा रही हे..पहेले खानातो खाले..हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते हसते) खा लीया..आपही खाओ..

कहेके कीचनमे चली गइ फीर थोडी देरके बाद सबके लीये पानी लेके आगइ ओर सबने खाना फीनीस कीया फीर मंजु ओर भावना चंदाने मीलके सब काम समेट लीया फीर होलमे सब आके बेठ गये ओर भावनाकी टांग खीचाइ करते रहे भावना वही रुकने वालीथी तब मंजुलाने जानेकी बात कही तब देवायत ओर मंजुला नीकलने लगे तब गले मीलते चंदा ओर देवायतने आंखोसे बहुत सारी बात करली....

कन्टीन्यु
 

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ४

फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आगया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....अब आगे

बाबा : कहो बेटा..क्या वो कबीलोके लोगोसे मीलके आये हो..? सब सही हो गया..?

देवायत : (हसते) हां बाबा इन लोगोकी बात कभी दीलसे नही लेनी चाहीये वरना हमतो दुखी होते रहेगे ओर वो दुसरेही दीन साथमे होते हे हें..हें..हें..गलती दोनोकी ओरसे थी तो सही करके आ गया..

बाबा : चलो ठीक हे..क्या तु अकेला आया हे..?

देवायत : हां बाबा कल आपने कहाथानां.., ओर इधरसे गुजर रहाथा तो आ गया..कहो क्या हुकुम हे मेरे लीये कल कुछ आप बताने वालेथे..कोइ गंभीर बात तो नही..?

बाबा : (हसते) अरे..नही नही, अ‍ेसी कोइ गंभीर बात नही बस कुछ बात अ‍ेसी हे जो तुजे वीचलीत कर सकती हे बस उन्हीकी बात समजानेके लीये तुजे अकेलेमे मीलने बुलाया था..

देवायत : बाबा अ‍ेसी क्या बात हे..? आप केह रहेथे हमारे यहा बहुत बडा बदलाव आने वाला हे ओर हमारे खानदानमे कोइ इश्वरीय अंसकी बातभी केह रहेथे..

बाबा : हां बेटा सुन..तेरा अ‍ेक पोता होगा, वो पीछले जन्म मे अ‍ेक बहुत बडा राजा था इनकी कइ रानीया थी जो इनसे बहुत प्यार करतीथी हमारे हिमाचलमे जो महादेवका वो प्रसीध्ध मंदिर हेना जो लोग उनको देखने जाते हे उनकी स्थापना उन्होनेही कीथी उनकी सब रानीओके साथ.. जो हर रानी हर जन्ममे इनसे मीलनेकी कामना करती थी बस इस जन्म मे भी उसे ज्यादातर रानी मीलेगी ओर तेरा पोता सबसे सादी करेगा..

देवायत : बाबा वोतो बहुत बडे राजा थे..वो बीजलीकी मशीन उसीनेतो बनाइथी.., मेने पढा हे कइ रानीयातो उनकी खुदकी बहेने थी.. ओर अ‍ेकतो उनकी दादीभी थी..

बाबा : (हसते) हां वोही..हें..हें..हें.., सुन इस बार उसे जो रानीया मीलेगी उनमेभी अ‍ेसे कइ रीस्ते होगे..तो तुम अ‍ेसे रीस्तोसे वीचलीत मत होना..ये सबतो होकेही रहेगा.., ओर अ‍ेसे रीस्तोमे सादीकीतो उन्होने वहा अ‍ेक परंपराभी सुरु कीथी इसीलीयेतो आजभी हिमाचलमे अ‍ेकभी विधवा ओर त्यक्तता नही मीलती..

देवायत : हां बाबा इसके बारेमेतो मेनेभी सुना हे वहा सब सुहागनही हे..ओर वहा मां भी विधवा होते अपने बेटे या देवर कीसीसेभी सादी करलेते हे ओर ज्यादातर बहेन भाइ ही आपसमे सादी करते हे..

बाबा : हां..बस अब वोही सब तुम्हारे घरमे होने वाला हे..इसीलीये मेने तुजे बुलाया था, तेरे पीताको सब मालुम था बस तुजे बताना था क्युकी तेरा जो बेटा होगा वो ज्यादा यहा रहेने वाला नही वो विदेशमे सेटल हो जायेगा इसीलीये सीर्फ तुजेही बता रहा हु बस कभी मन विचलीत होवे तो इधर चले आना..

देवायत : बाबा मे ज्यादा तर बात समज गया..यानी हमारे घरमे बहुत कुछ रीस्तोमे देखनेको मीलेगा..हें..हें..हें..

बाबा : बेटा तेरा पोता बहुतही होशीयार ओर बहादुर होगा तेरी सब समस्याका वो सामना करके समाधान करेगा सबको बरोबर न्याय दीलायेगा बस अ‍ेक बातको स्वीकार करना हे..वो कीसीभी रीस्तेको नही मानता होगा, क्युकी वो काम का अंस होगा ओर काम कोन हे वो तुजे बतानेकी जरुरततो हे नही.. तु खुद जानता हे उनके लीये हर लडकी ओर ओरत केवल अ‍ेक स्त्री हे..जो सब उनको ओर वो सबको प्यार करता होगा..

देवायत : (हसते) बस बाबा..मे सबकुछ समज गया..आपने मुजे वीचलीत होनेकी बात कहीथी वोभी मे सब समज गया, कोसीस करुगाकी इनके हर रीस्तेको स्वीकार करलु..लेकीन आपने मेरे भाइ बहेनकी सादीकी जल्दी करनेको क्यु कहा..? ओर मुजेभी अ‍ेसे रीस्तेके बंधनके लीये कहाथा..

बाबा : (हसते) सुन..तेरी बहेनकी बेटी होगी तबसेही सब सुरुआत हो जायेगी, ओर तुम खुद अ‍ेसे रीस्तोसे बंधे होगे..क्या अभी तुम्हारी दो बीवी नही हे..? मुजे पता हे तुम्हारे साथ कोन अ‍ेसे रीस्तेसे बंधी हे..तो क्या तु तब वीचलीत होता हे..? अ‍ेकतो तेरे दोस्तकी मांभी हे..तुम चीन्ता मत कर ये बात सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगी..बस सीर्फ तुजे आने वाले रीस्तोमे कोइ अ‍ेतराज नही करना, ओर नाही अ‍ेसे रीस्तोसे वीचलीत होना हे यही समजले इनकी सुरुआत तुम्हारेसे ही होगइ हे..जो आगे बहुत कुछ होगा..

देवायत : (सरमाते हसते) बाबा मे सब कुछ समज गया आपतो मेरी सारी कुंडली जानते हे..हें..हें..हें..

बाबा : बस मेरे लीये यही काफी हे जो तु समज गया, ओर सुन आने वाले समयमे तुभी कोइ गील्टी फील मत करना, क्युकी तु खुद अ‍ेसे रीस्तोसे बंधा होगा बस मुजे आज सीर्फ इतनाही कहेना हे समज गया..

देवायत : (आस्चर्यसे) बाबा क्या मे..,

बाबा : हां बस ओर कोइ सवाल नही, क्या सब आजही उगलवा लेगा, कुछ बाते बादके लीयेभी रख.., हें..हें..हें..

देवायत : बाबा तो अब क्या आदेश हे मेरे लीये..

बाबा : बस..कुछ नही.. अपने भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदे..क्युकी इनकेही माध्यमसे बहुत कुछ होने वाला हे, ओर अब समय होगया हे अब तुभी अ‍ेक बच्चा करले..

फीर देवायत कुछ ओर बात करके बाबाको दक्षीणा देकर वापस हवेलीकी ओर चल पडा आज बाबाने अ‍ेक बार ओर उसे जंजोरके रखदीया ओर आने वाले वक्तके लीये अपने आपको ओर अपने मनको मजबुत बनानेकी सोचने लगा उनके मनमे विचारोका युध्ध होने लगा वो बाबाकी हर बात याद करके उनके बारेमे पुरे रास्ते सोचता रहाकी बाबाने लखन ओर पुनकी सादी जल्दी करनेको क्यु कहा यही विचारोके साथ वो हवेली पहोच गया उसे पताभी नही चला ओर जीप अंदर लेके वो थोडी देर वही बेठा रहा फीर उठके अंदर गया

मंजुला : (बहार आते हसते) आ गये आप..? चलो फटाफट फ्रेस होजाओ बहुत देर करदी भुख लगी हे..

देवायत : (बाथरुम मे जाते मंजुलाकी ओर देखते) तो तुम्हे खाना खालेना चाहीनां..क्यु भुखी रहेती हो..

कहेके अंदर चला गया ओर मुह हाथ धोके फ्रेस हो गया ओर बहार आतेही मंजुलाने उसे टोलीया दीया ओर उनके सामने देखते स्माइल करती रही फीर धीरेसे कहा..

मंजुला : क्या मेने आपके खानेके बगैर कभी खाया हे..? चलो खाना रेडी हे

देवायत : (हाथ पोछके उसे बाहोमे भरते) डार्लींग क्या इतना प्यार करती हे मुजसे..?

मंजुला : (उनके सीनेमे मुका मारते) कीतने कमीने हो..क्या अ‍ेभी कोइ पुछनेकी बात हे..?

देवायत : (हसते होंठ चुमते) सोरी..बेबी..गलत प्रस्न पुछ लीया..चल खाना खाते हे..

कहेके देवायत मंजुलाको गोदमे उठा लेता हे ओर डाइनींगकी ओर चलने लगता हे तो दया ओर मंजुला देखके हसने लगती हे..अ‍ेसा कइ बार देवायत कर चुकाथा दोनोही बाते करते खाना खाने लगे तब दया ओर रजीया मंजुलासे छुपके देवायतको अपने रुममे आनेका इसारा कर रहीथी फीर खाना खाके आराम करने चले गये तब जातेही मंजुला गहेरी नींदमे सो गइ तब देवायत उठके दया ओर रजीयाके रुमकी ओर चल पडा..

फीर बारी बारी दया ओर रजीयाकी चुदाइ करके दोनोको संतुस्ट करता हे फीर वापस आके मंजुके बगलमे सो जाता हे, चार दीनके बाद भानुभी अपनी दुकान समेटके देवायतके साथ आगया खेतीबाडीका सब वहीवट सम्हाल लीया, ओर देवायतभी अपने कारोबारमे बीजी होगया समय बीतने लगा देवायत मंजुकी हर रात जबरदस्त चुदाइ करता रहा ओर भावनाभी हप्तेमे दो बार भानुको वायग्रा खीलाके संतुस्ट होती रही..

तब लताभी अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखनेकी आदी होगइ ओर वोभी ठरकी होती जा रहीथी वो भानुका लंड कइ बार देख चुकीथी ओर अब अपनेही भाइको अ‍ेक मर्दकी तराह देखती थी क्युकी लखनसे फोनपे बहुतही कम बाते होतीथी ओर दुसरे मर्दको अपनी मांके डरसे देखती नहीथी, बस उनके करीब भानुही अ‍ेक मर्द था, जो इनकी ओर खीची ही चली जाती थी, सब अपने रुटीन लाइफमे बीजी हो गये इसी बीच पुनम लखन लता सब जवानीकी ओर बढते अपनी पढाइ करते रहे..

तब अ‍ेक दीन मंजुलाका पीरीयड मीस हो गया ओर दुसरे दीन उसे उल्टीया होने लगी तब वहा भावनाकाभी यही हाल हुआ दोनो अपने पतीके साथ होस्पीटल चली गइ ओर रीपोर्ट करवाइ तो पता चला दोनोही प्रेगनेन्ट हो चुकीथी तब देवायत बहुतही खुस हुआ ओर अपने सब मजदुरोको नये कपडे दीलवाये..

अब देवायत मंजुलाका बहुत खयाल रखने लगा क्युकी इस हवेलीका वारीस जो आने वाला था वो ओर भानु अपनी दोनो बीवीओको लेके महीनेमे दो बार सहेरमे डोक्टरके पास चेकअपके लीये जाते थे इसी तराह दीन बीतने लगे अबतो दोनोका पेट बहार नीकलके दीखने लगाथा तब अ‍ेक दीन देवायतके फोनकी रींग बजने लगी उसने मोबाइलमे नाम देखातो चहेरेपे मुस्कान आगइ ओर फोन उठाके धीरेसे बात करने लगा

न्यु केरेक्टर

चंद्गीका उर्फे (चंदा) - जो मंजुलाकी सबसे छोटी मौसी हे जो नीहायती पतली ओर खुबसुरत थी भरी जवानीमे सादीके महज ८ साल बाद ही विधवा होगइ थी तब उनको अ‍ेक लडका हो चुका था ओर गांवमे तब विधवाकी दुसरी सादी नही होतीथी उनके ससुर वहाके सरपंच थे ओर गांववालो उनको बहुत मानते थे ओर उनके पास अच्छी खासी जमीनभी थी जो खुद मजदुर रखके सब काम करवातीथी जब उनके सास ससुर गुजर गये तब सब वहीवट चंदाके पास आ गया तब देवायतको मंजुलाकी सादीमे देखा तबही दोनोके नैन मील गये तब वो विधवा हो चुकीथी फीर अ‍ेक हप्तेके बाद मंजु भावनाको अपने घर खानेपे बुला लीया ओर तबही दोनोने पहेली बार मीलके प्यारका इजहार करदीया बाकी बाते हम आगे करेगे..

धिरेन : चंदाका अ‍ेक लौता बेटा जो अभी पासके सहेरमे पढाइके लीये जाता हे इस कहानीमे इनका कोइ खास रोल नही हे तो आइअ‍े कहानीका दोर आगे बढाते हे

देवायत : (हसते फोनपे) क्या बात हे आज बहुत दिनोके बाद मेरी याद आ गइ..मेरी रानीको..हें..हें..हें..

चंदा : (हसते) तो क्या करती..मेरा पतीतो मुजे फोन तक नही करता तो यादतो करना पडेगानां..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) कहो मौसी केसे याद कीया..?

चंदा : (जोरोसे हसते) लगता हे बाजुमे मेरी भांजी हे..तभीतो मौसी कहेते हो..

देवायत : (हसते) नही हमारे गोडाउनमे अकेला हु मजदुर काम कर रहेहे येतो मजाकमे बोल दीया..

चंदा : (हसते) बाबा अ‍ेसा मजाक अकेले हो तबतो मत करो..आपकी बीवी हु..मेरी मांग भरीहे आपने..

देवायत : सोरी..बाबा..बोल केसे याद कीया..मंजु याद कर रही हे..ओर सुनो वो पेटसे हे..

चंदा : (आंखोमे चमक लाते) सुनो..तबतो हमे मीलनेका बहोत मौका मीलेगा..मे डीलीवरीके लीये उधर आजाउगी..उसी बहाने हम मीलते रहेगे..कीतने दीन हो गये..क्या मेरी याद नही आती..?

देवायत : बहोत आतीहे अ‍ेक तुहीतो मेरी दुसरी बीवी हे..ओर अबतो मंजुके साथभी कुछ नही कर सकता चलना इधर आजा हम खुब मजे करेगे मे आजभी वो दीन नही भुला जब हम पहेली बार मीलेथे आजभी तुजे याद करता हुतो नीचे फटने लगता हे..चंदा डार्लीग आजानां मंजुकी तबीयत पुछनेके बहाने..खुब मजे करेगे..

चंदा : (गरम होते अपनी चुत सहेलाते) सुनो..वो धिरेन स्कुलके प्रवासमे गया हे चार दीनके बाद लोटेगा इधर आजाओना.., फीर सारा दीन मजे करेगे ओर सामको आपके साथही आजाउगी वहा दो दीन ठहेरुगी फीर वापस छोडने आजाना..क्या कहेतेहो..? तो सुबह उधरसे कामके बहाने नीकल जाना..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे..कल मीलता हु फीर तुमसे अ‍ेक बातभीतो करनी हे जो मीलके बताउगा..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) सुनो..वो आइपील (गर्भनीरोधक गोलीया) लेके आना मेरे पास खतम होगइ हे..

देवायत : (मजाक करते) अरे उनकी क्या जरुरत हे मेरी बीवी अ‍ेक बच्चा पैदा नही कर सकती हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते चीडके) हसो..मत..जब धिरेन छोटाथा तब कहाथा..तब करदेना चाहीयेना, मेने थोडी मना कीयाथा..अबवो बडा होगया हे मे उनको क्या कहुगी..(धीरेसे) क्या बहुत मन करता हे तो कुछ सोचती हु..

देवायत : (हसते) नही डार्लींग मुजे पता हे मेरी इस बीवी मेरेलीये कुछभी कर सकती हे लेकीन बेबी मुजे तेरी इजतका भीतो खयाल रखना पडेगा, आखीर तुभीतो वहाकी सरपंच हे..

चंदा : देवु प्लीज इधर आजाओ.. फीर मे आपसे कुछ बात करुगी..अभी फोनपे ठीक नही हे..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे कल मीलता हु जरा हमारा बेड सजाके रखना..हें..हें..हें..

चंदा : अरे अ‍ेक बार आओतो सही..हें..हें..हें..चलो रखती हु..

कहेके फोन काट दीया तब देवायत अकेलेही मुस्कराने लगा वो आंख बंध करके वही खुरसीपे पैर लंबा करते अपने दोनो हाथ पीछे लेजाके अपने सरपे तकीयेकी तराह रख दीया ओर बंध आंखसे चंदासे पहेली मुलाकातको याद करते अतीत मे चला गया ओर गहेरी सोच मे डुब गया..


(फ्लेसबेक)

जब बारात लेके गयेथे जब मंजु वरमाला लेके आ रहीथी तब चंदा साथमे हीतो थी जो अपने बालोकी पुरी चोटीमे फुलोकी वेनी ओर आगे बालोकी दो लट लहेराती थी तनसे पतली बडी हाइट ओर सारी पहेनके मंजुका हाथ पकडके आ रहीथी पताही नही चलताथा की दुल्हन कोन हे..

जब मंजुलाने हार पहेनाया तबभी देवायत चंदापे नजर गडाया हुआ था तब चंदाभी उनकी नजरोको भांप गइ ओर मुस्कराते सरमाने लगी फीर अ‍ेक दुसरोको हार पहेनाया ओर मंजुको लेके चली गइ जब सादीके पंडपमे आगये तबभी मंजुके साथ वोही

बेठीथी जो बीच बीचमे मंजुका मेकअप सही कर रहीथी तबभी देवायत चोर नजरसे उनको देखताही रहेताथा ये बात चंदा भलीभांती जान चुकीथीकी देवायत उनके पीछे लटु हो गया हे..तब वो सरमसे पानीपानी होगइ..फीर वोभी देवायतको चोर नजरसे देखती रही..

इतने दीनोसे पतीके बगैर रहे रहीथी तो अपने अंदरकी ओरतके होर्मोन्सनेभी जवाब देदीया ओर उनकी चुत गीली होने लगी जब सादी सम्पन हुइ ओर भोजनके लीये साथ जा रहेथे तब देवायतने जान बुजके दो तीन बार उसे छुलीया तब उनका पुरा तन कांप गया, ओर वोभी चोर नजरसे देवायतकी ओर देखती रही ओर भोजन संपन हुआ तब सब साथमे खडेथे तो बात करनेका मोका मील गया, मंजु अपनी सहेलीसे बात कर रहीथी तब देवात इनके पास धीरेसे सरक गया ओर धीरे कहा..

देवायत : (हीमत करके अपने दीलकी बात कहेदी) मौसी आज आप बहुत खुबसुरत लग रही हो..मुजे पहेले क्यु नही मीली..तब आपसेही सादी करलेता..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) अच्छा मजाक कर लेते हो हें..हें..हें.., क्यु..मेरी भांजीभी तो खुबसुरत हे..

देवायत : आप मुजे बादमे मीलना आपसे कुछ बाते करनी हे आपसे जल्द मीलना हे..

चंदा : (हसते सरारतसे) क्यु..? मुजे आपसे नही मीलना बहुत खतरा हे हें..हें..हें..

तभी मंजुलाने अपनी मौसीको जानेके लीये कहातो सब चलने लगे तब चंदा बार बार देवायतकी ओर देखके हस रही थी आज उसे देवायतकी बाते बहुत अच्छी लगने लगीथी वो देवायतसे मीलनेका मन बना चुकी थी रुममे जाके मंजुला फ्रेस होगइ जब वो बाथरुमसे नीकली तो चंदा जटसे अंदर घुस गइ ओर सारी कमर तक उची करके कमोडपे बेठ गइ ओर आंख बंध करते अ‍ेक उंगली अपनी चुतमे घुसादी..

फीर देवायतको इमेजींग करते जोरोसे अंदर बहार करने लगी आज देवायतने अपनी अंदरकी कामुक ओरतको जगा दीयाथा थोडीही देरमे चुतके अंदरसे फवारा नीकल गया तब वो अपनी तेज चलती सांस को कंटड्ढोल करने लगी ओर मंद मंद मुस्कराती रही फीर चुतको साफ करके फ्रेस हो गइ ओर बहार आकर सबके साथ बेठ गइ जेसे कुछ हुआही नही तब उनको रीयलाइज हुआकी वो देवायतको पसंद करने लगी हे..

सादीके तीन दीनके बाद वो अपने घर आ गइथी तब उनका लडका वेकेशनकी वजहसे उनकी मौसीके यहाही रुक गया क्युकी चंदाने जान बुजको उनको वही रोक लीया फीर तीन दीनके बाद उसने मंजुला ओर देवायतको अपने घर सामको भोजनके लीये बुला लीया जब देवायत ओर मंजुला तीन बजे वहा गये तब उनके घर उनकी साली भावनाभी थी तब देवायतको देखतेही सरमाते हसने लगी ओर उनका स्वागत कीया

तब भावनाने दोनोको होलमे बीठाके पानी पीलाया तब मंजुला अपनी मौसी फीर भावनाको गले मीली फीर कीचनमे चली गइ तब देवायत अकेला पड गया तो चंदा बहार आगइ ओर देवायतके सामने देखके हसने लगी फीर वही सोफेपे अ‍ेक कोनेपे बेठके उनसे बाते करने लगी तब भावना सामके खानेकी तैयारीया कर रहीथी तो मंजुभी उनकी मदद करने लगी तब इधर चंदा अबभी सरमा रही थी..

देवायत : (बंगलो देखते) मौसी आपका बंगलोतो बहुत बडा हे..आप अकेली ही यहा रहेती हे..?

चंदा : (सरमाते हसते) हां..सास ससुरभी चल बसे बस अब मे ओर धिरेनही हे, तभीतो धिरेनको यही रखा हे वरना सहेर होस्टेलमेही भेज देती..फीर मे अकेली बोर होजाती..हें..हें..हें..चलो घर दीखाती हु..अभी आइ..

कहेके वो कीचनमे चली गइ ओर मंजु भावनासे कहेके आइकी मे हमारे जमाइको बंगलो दीखादु.. कहेके वो बहार आ गइ ओर देवायतभी इनके पीछे जाने लगा ओर चंदा उसे सब दीखाने लगी फीर उपरकी ओर जाने लगे तब चंदाका दील जोरोसे धडकने लगा ओर अपनी सांसे तेज होगइ उनको अ‍ेक डरसा लगने लगाकी कही देवायत कोइ सरारत ना करले..क्युकी वो जान चुकीथीकी देवायत बहुतही बीन्दास हे..

जब दोनो सीडीयोसे उपर जा रहेथे तब देवायत पीछे चल रहाथा ओर चंदाके मटकते नीतंबही देख रहाथा जो इनकी लंबी चोटी नीतंबके आस पास लहेरा रहीथी जीसे देखते देवायतका लंड हरकतमे आने लगा ओर खडा होते बगावतपे उतर गया, ये बात चंदाभी जान गइ तब वो बहुतही सरमाइ जब वो उपर घिरेनके रुम दीखाने लगी तब देवायत उनकोही देख रहाथा तबवो सरमसे पानी पानी होगइ ओर मुस्कराते बहार अपने रुममे आ गइ..

चंदा : (सरमाते) ओर ये मेरा रुम हे..हम दोनोही मां बेटे उपर सोते हे..

देवायत : (अचानक बाहोमे भरते) मौसी आप बहुत खुबसुरत लग रही हे..आइ लव यु..

चंदा : (अ‍ेक दम सरमाके जड होगइ) क्या..? क्या केह रहेहो..? मे तुम्हारी मौसीजी हु..सादी सुधा..

देवायत : मौसी मुजे पता हे आपको अ‍ेक साथीकी जरुरत हे जो मे पुरी करुगा..आपसे सबसे छुपकेसे सादी करके..प्लीज..मे आपका हर खयाल रखुगा..मे मंजुको मना लुगा मुजसे सादी करलो..प्लीज..

चंदा : (बाहोसे छुटके जटसे बहारकी ओर जाते सरमाते) प्लीज..चलीये नीचे..वो दोनो नीचे हे..(बहार जाने लगी)

अचानक देवायतने उनका हाथ पकडते खीचलीया तो चंदा अ‍ेक बार फीर उनकी बाहोमे आगइ तब देवायतने उनकी कमरमे हाथ डालके उनसे चीपका लीया तब चंदा सरमके मारे छुटनेकी कोसीस करते छटपटा ने लगी तब अचानकही देवायतने उनके होंठोपे अपना होंठ रखते होंठ भीचलीया ओर अ‍ेक लंबा चुंबन लेलीया तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर छुटनेकी कोसीस करने लगी

जब देवायतने छोड दीया तो जटसे नीचेकी ओर भाग गइ ओर सीधी बाथरुममे घुसके दरवाजा बंध करलीया ओर दीवारके सहारे खडी रेहेके आंख बंध करली, ओर अपनी तेज सांसको कंटड्ढोल करने लगी अपने दोनो हाथ अपने सीनेपे रख दीया तो दीलकी धडकन बढ चुकी थी वो आंख बंध करते सोचने लगी..

हे भगवान ये क्या करदीया..,कीतना प्यारा अहेसास था..क्या वो सचमे मुजसे प्यार करने लगा हे..? अभी अभीतो इनकी सादी हुइहे वो मंजुकोभीतो प्यार करता हे..केहताथा पहेले आप मीलतीतो आपसे सादी करलेता..पागल कहीका..क्या ये सही हे..? नही नही मे मेरी भांजीको धोखा नही दे सकती.., क्या करु..? मुजसे सादी करके मेरा खयाल रखनेको केह रहाथा ओर उपरसे मेरा अकेलापन..मुजेभी साथीकी जरुरत हे..

भावना : (बहारसे आवाज लगाते) मौसी दाल चड गइ हे अब चुले पे क्या रखना हे..?

तब चंदा तंद्गासे जाग गइ ओर अपने आपको सही करने लगी बालोमे हाथ घुमाते आयनेमे देखते कहा

चंदा : भावु तु चल मे आ रहीहु थोडा फ्रेस होके..फीर शीखंडभी तो लेने जाना हे सहेर..

भावना : मौसी जीजुभी गाडी लेके आयेहे क्या मे ओर जीजु लेने चले जाये..?

चंदा : (गभराते जटसे बहार आते) नही नही..सहेरमे तुने नही देखा होगा वो हमारे जान पहेचानके हे, मेने उसे बोल दीया था..(धीरेसे) मेही चली जाती हु..तु चल कीचनमे..बताती हु सब..

पता नही आज चंदाको देवायतके साथ भावनाको भेजना अच्छा नही लगा तब उसे अहेसास होने लगाकी वोभी देवायतसे प्यार करने लगी हे वो देवायतके साथ ज्यादा टाइम स्पेन्ड करना चाहती थी, तो मंजु ओर भावनाको सब दीखाके बताने लगीकी क्या बनाना हे ओर उसने शीखंड लेने जानेकी बात कहेदी..

मंजुला : मौसी इनको लेके चली जाओ वेसेभी फ्रीही बेठे हे हें..हें..हें..अभी इनसे बात करती हु..(बहार आते) सुनीये जी..आप मौसीके साथ थोडा सहेर तक जाओगे..? शीखंड लाना हे..प्लीज..

देवायत : (हसते मनमे खुस होते) हां हां..क्यो नही..वेसेभी बेकार बेठा हु..चलो.. भेजो इनको सहेरभीतो दुर हे..आने जानेमे भी थोडा टाइम लगेगा तो समयपे आजायेगे..भेजो..

मंजुला : (खुसीसे हसते) मौसी जाइअ‍े फटाफट सहेर थोडा दुरभीतो हे..अभी जाइअ‍े टाइमपे आजायेगे तबतक मे ओर भावु सब खाना बना लेगी..आप अ‍ेक डीबा लेके जाना..

चंदा : (सरमाते कीचनसे बहार नीकलते) चल ठीक हे..हम जल्दीही आजायेगे..

कहेके चंदाने अ‍ेक डीबा उठालीया ओर देवायतकी तरफ अ‍ेक नजर करते सरमाते जटसे बहार नीकल गइ ओर सीधी जाके गाडीके पास खडी रेह गइ तब देवायत मंजुको बोलके बहार नीकल गया ओर वोभी गाडीमे बेठके साइडका दरवाजा खोल दीया तब चंदा सरमके मारे देवायतके बाजुमे बेठ गइ ओर दरवाजा बंध करलीया तब देवायतने कार सहेरकी ओर दोडा दी ओर बीच बीचमे चंदाकी ओर देखता रहेता था..

कोइ कुछभी नही बोल रहाथा चंदा बहारकी ओर देख रहीथी ओर बार बार अपने बालोको कानके पीछे करती रही उनकी समजमे नही आ रहाथा की देवायतको क्या कहे..मनतो कर रहाथा उसे फोरन हां कहेदे ओर उनके प्यारको अ‍ेक्सेप्ट करले पर डरभी लग रहाथाकी कीसीको पता चल जायेगातो क्या होगा..वो बहुतही उलजनमे फसी थी दील केह रहथा हां कहेदे ओर मन मे डरका भाव था.. आखीर देवायतने चुपी तोडी..

देवायत : मौसी..क्या सोचा आपने..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) कीस बारेमे..(वो जानतीथी देवायत क्या पुछना चाहतेथे फीरभी..)

देवायत : मौसी आप जानती हो..मे आपसे प्यार करने लगा हु.. प्लीज..

चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) नही..मे मंजुको धोखा नही दे सकती..कीसीको पता चलेगातो मेरी इजत चली जायेगी..गांवमेभी सब मेरी बहुत इजत करते हे तो डर लग रह हे..

देवायत : मुजेभी पता हे..मे आपकी इजतका खयाल रखुगा..ओर ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी..

चंदा : (रीक्वेस्ट करते) प्लीज..आप जीद छोडदो मुजे पता हे आप मुजसे प्यार करते हो पर मे आपका प्यार अ‍ेक्सेप्ट नही कर सकती..प्लीज मेरी मजबुरी हे..

देवायत : प्लीज..मौसी मुजसे आपका अकेला पन नही देखा जा सकता हम सबसे छुपकेसे सादी करलेगे..

चंदा : (थोडा पीघलते आंख गीली करते) मुजे पता हे आप मेरा बहुत खयाल रखेगे, ओर येभी पता हे आपसे बहेतर मुजे जीवनसाथी नही मीलेगा..फीरभी अ‍ेक डरसा लग रहा हे की मंजुको मे धोखा दे रही हु..प्लीज.., आइ अ‍ेम सोरी..

तब देवायत जेबसे रुमाल नीकालके गाडी चलाते अ‍ेक हाथसे उनके आंसु पोछता हे तो चंदा उनकी ओर देखने लगती हे, तब उसे देवायतका मासुम ओर मायुस चहेरा नजर आता हे तो वो वीचलीत होजाती हे ओर देवायतका हाथ पकड लेतीहे ओर धीरेसे हाथको चुम लेती हे तब दोनोही आधे रास्ते जंगलके बीच गुजर रहेथे जेसेही देवायतको अपने हाथमे चंबन महेसुस हुआ तब उनका चहेरा खील उठा ओर उसने चंदाकी ओर देखा.. तब चंदाने मुस्कराके सरमाते हुअ‍े हां मे गरदन हीलाइ तब देवायतने कार सीधी जंगलकी ओर मोड दी..

चंदा : (सरमाते) आप इधर कहा ले जा रहे हे..? हमे देर हो रही हे..प्लीज..

देवायत : (हसते) मेरी होने वाली बीवीको जी भर आंखोमे बसा लेना चाहता हु..प्लीज..हम अभी चले जायेगे

तब देवायत धने जंगलमे कार रोक देता हे जहा कोइ जानवरभी नही दीख रहाथा बस कुछ पक्षीओकी आवाज आ रहीथी ओर देवायतने कार बंध करदी ओर चंदाकी ओर अ‍ेक नजरसे देखता रहा तब चंदा सरमसे पानी पानी हो रहीथी ओर नजर जुकाके सरमाते बेठी रही तब देवायतमे अ‍ेक हाथ उनके हाथके उपर रख दीया तो वो कांप गइ ओर धीरेसे हाथ खीचनेकी कोसीस करते नजर टेडी करते देवातयको देखने लगी

चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) प्लीज..चलीयेना..वो दोनो हमारा वेइट करती होगी..

देवायत : (आाज पहेली बार देवायत नाम लेके बुलाता हे) चंदा..आइ लव यु..अगर तुम मुजे पहेले मीली होतीतो मे तुमसेही सादी करलेता..ओर अभीभी सादीके लीये तैयार हु..हम सादी करेगे..सबसे छुपके..

चंदा : (सरमाते) क्या ये सही होगा..? हम कुछ गलतीतो नही कर रहे..

देवायत : नही चंदा हमारा प्यार पवित्र हे मे जब तक जींदा हु तेरा साथ जींदगीभर नीभाउगा तुजे पत्नीका हर सुख ओर अधीकार दुगा मे हर फर्जको नीभाउगा तेरे बेटेको मे अपने बेटेकी तराह अपनाउगा..

तब चंदा कारमे बेठेही देवायतको लीपट जाती हे ओर आंसु बहाने लगती हे तब देवायतभी उसे बाहोमे भर लेता हे तब आज पहेली बार चंदा अपने पतीके अलावा कीसी गैर मर्दकी बाहोमे थी चंदा खुब सरमाइ तब चंदाके मुखसे अनायासही नीकल गया

चंदा : देवायत..आइ लव यु..सो मच..मेरा साथ कभी मत छोडना..वरना मे जी नही पाउगी..

देवायत : नही चंदा..मेने तुजे ओर मंजुको दीलसे चाहा हे..बस मंजुको हमारे रीस्तेके बारेमे पता ना चले..

ना जाने कबतक दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे बेठे रहे तब देवायत ने चंदाका चहेरा दोनो हाथसे पकड लीया ओर गालको सहेलाते उनकी आंखोमे देखता रहा तर चंदाने सरमसे नजर जुकाली ओर देवायत धीरे धीरे मुहको चंदाके मुहकी ओर लेजाने लगा तब अ‍ेक बार चंदाने नजर उची करते देख लीयाकी देवायत क्या चाहता हे? तब उसने नजर जुकाके आंख बंध करली ओर दोनोके होंठ मील गये ओर दोनोही स्मुच करने लगे

कीस करते दोनोही बहेकने लगे तब देवायतका दुसरा हाथ चंदाके ब्लाउसके उपरसे ही चंदाके बुब्सपे चला गया ओर हल्केसे दबाके मसलने लगा तब चदा सरसे पांव तक हील गइ ओर आंख बंध करते देवायतके हाथके उपर अपना हाथ रखदीया मानो वो उसे रोकना चाहती थी..

ओर दोनोही चुंबन करनेमे लीप्त थे तब चंदाको अपनी सारीके उपरसे ही चुतपे देवायतका हाथ महेसुस हुआ तो वो सीहर उठी ओर देखा तो देवायत उनकी चुतपे हाथ रखते सहेला रहाथा तब वो जटसे कीस तोडके दुर हट गइ फीरभी देवायत चुत मसल रहाथा तब चंदाने उसका हाथ पकडलीया ओर देवायतकी ओर रीक्वेस्ट करते कहेने लगी..

चंदा : (गभराते रीक्वेस्ट करते) प्लीज..प्लीज..प्लीज..नही नही नही..अभी नही..रुक जाओ..प्लीज..

देवायत : (हाथ हटाते सरमींदगीसे) सोरी..प्लीज..मे बहेक गया था..जब तक आप नही कहोगी तब तक नही छुअुगा..सोरी..मौसी..

चंदा : (सरमाते खुस होगइ..क्युकी देवायत उनकी इजत करता हे) प्लीज..अब हम अकेले हो तब मुजे नामसे बुलाना..बस अ‍ेक बार हमारी सादी होजाये..तब मे मेरा सब कुछ आपको सौंप दुगी..प्लीज..बुरा मत मानना..

देवायत : (हसते) ठीकहे चंदा डार्लींग जेसे आपका हुकुम..हें..हें..हें..में आपके फोनका वेइट करुगा..

तब चंदा सरमसे पानी पानी होगइ क्युकी आज पहेली बार उनके यारने उसे डार्लींग कहेके पुकाराथा वो सर जुकाके मुस्कराती रही तब देवायतने उनकी ओर देखते हस दीया ओर कार स्टार्ट करदी ओर वापस सडक की ओर चल दीये तब पुरे रास्ते चंदा बार बार देवायतकी ओर देखते हसती रही.., वो आज बहुतही खुस थी उनको भर जवानीमे अ‍ेक साथी मील गयाथा जो उनपे जींदगी लुटानेको तैयार था..

तभी दोनोही सहेर पहोंच गये ओर उन्होने वहा शीखंड ओर खमन लेलीया जब दोनो वापस आने लगे तब देवायत अ‍ेक सारीके शोरुम मे चंदाको लेके चला गया ओर उनको जबरदस्तीसे अ‍ेक डड्ढेस ओर अ‍ेक सादीका जोडा दीलवा दीया तब चंदा खुब सरमाइ ओर दोनोही कार मे बेठ गये तब चंदा ने कहा..

चंदा : (देवायतकी ओर हसते) मे..डड्ढेस नही पहेनती..गांव.. हेनां..सादीसे पहेले पहेनती थी..इतना खर्चा क्यु कीया..ओर ये सादीका जोडा.., हे मेरे पास..

देवायत : (हसते) यही समजलो..जो सादीके पहेले सगुन देते हे.., मे चाहताहु जब हमारी सादी हो तब तुम यही पहेनो..ओर मेरा नंबर सेव करलो..अपनाभी नंबर देना..जब आप फोन करो..तब आजाउगा..

चंदा : (सरमाते हसते) जी..वो धिरेन घरपे होता हे, दो दीनके लीये कही जायेगा..तब फोन करुगी..

घर आनेसे पहेले अ‍ेक बार रास्तेपे कार रोकते दोनो फीरसे सीर्फ होंठ चुमते प्यार करते हे ओर कुछ वादे कसमे खाते हे पुरी प्लानींग करते दोनो घर आगये तब चंदा आज बहुतही खुस हो रहीथी मानो उनकी नइ नइ सादी हुइ हो ओर वो फीरसे सुहागन होगइ होे अंदर आतेहे तब भावना देवायतको ओर चंदाको पानी पीलाती हे तब भावनाभी पानीका ग्लास लेते देवायतको छु लेती हे वो ये सब जानबुजके कर रही थी

फीर चारो खाना खाने बेठ जातेहे तब चंदा खुब आग्रह कर करके देवायतको खीलाती हे मानो इनके पतीको खीला रही हो तब भावनाकोभी ज्वेलसी होने लगी..सबसे पहेले वोही देवायतको प्यार करने लगीथी पर अपने प्यारका इजहार नही करपाइ ओर मंजुला आगे बढ गइ जब दोनोकी सादीकी बात हुइ उस रात वो सबसे छुपके खुब रोइ..पर अपने दीलकी बात बहार कीसीके सामने जाहीर नही होने दी..

मंजुला : (खाना खाते) मौसी शीखंड तो मस्त लेकर आइहो..कहासे लीया..?

चंदा : (हसते) वो तेरे मौसाके पहेचान वाले हे..हमारे गांवकेही हे..उनकी दुकानसेही लाइ..

भावना : (हसते) हां.. मौसी लगता हे हमे बार बार इधर खानेके लीये आना पडेग..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते देवायतकी ओर देखते) हां तो आजानांं तेराहीतो घर हे..आती रहेना..खुब खीलाउगी..

मंजुला : (हसते) मौसी भावुका इसी गांवमे रीस्ता ढुंढलो..इधर आती रहेगी..हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते) क्या..दीदी बातको कहासे कहा लेजाती हो.., मुजे नही करनी सादी..

चंदा : (हसते) तो क्या सारी जींदगी बडी दीदीपे बोज बनके रहेगी..हें..हें..हें..(देवायतकी ओर सरमाते) वेसे देवायतजी सादीमे आपके साथ आपका वो दोस्त था..क्या नाम था..? सायद कुछ..भानु भानु आप केह रहेथे..हें..हें..हें..

देवायत : (खुसीसे आंखोमे चमकके साथ मंजुकी ओर देखते) हां..मेरा खास बचपनका दोस्त..मानलो मेरा भाइही हे..घरकी दुकान हे..बडा घर हे..सीर्फ मां ओर अ‍ेक छोटी बहेनही हे..मंजु..कुछ समजी..हें..हें..हें..

मंजुला : (भावनाकी ओर हसते) हां समज गइ..मे मांसे बात करलुगी..हें..हें..हें..

तब भावना सरमसे पानी पानी हो गइ ओर सोचने लगीकी ये रीस्ता हो जायेतो जीजुसे नजदीक रहेनेका मौका मीलता रहेगा बात बन जायेतो मे फोरन हां केह दुगी..मुजेतो जीजुसेही मतलब हे..

चंदा : (हसते भावनाकी ओर देखते) अरे ओ महारानी..क्या सोच रही हे..कहोतो रीस्तेकी बात चलाये..?

भावना : (सरमसे पानीपानी होते) क्या..मौसी आपभी.., मुजे नही पता..

कहेके सरमाती हसती हुइ उठके कीचनमे जाने लगी..तो चंदाने कहा..

चंदा : (हसते) अरे..सरमाती कहा जा रही हे..पहेले खानातो खाले..हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते हसते) खा लीया..आपही खाओ..

कहेके कीचनमे चली गइ फीर थोडी देरके बाद सबके लीये पानी लेके आगइ ओर सबने खाना फीनीस कीया फीर मंजु ओर भावना चंदाने मीलके सब काम समेट लीया फीर होलमे सब आके बेठ गये ओर भावनाकी टांग खीचाइ करते रहे भावना वही रुकने वालीथी तब मंजुलाने जानेकी बात कही तब देवायत ओर मंजुला नीकलने लगे तब गले मीलते चंदा ओर देवायतने आंखोसे बहुत सारी बात करली....

कन्टीन्यु
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
देवायत और चंदा का मिलन जल्दी और धमाकेदार होना चाहिए
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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