रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ४
फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आगया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....अब आगे
बाबा : कहो बेटा..क्या वो कबीलोके लोगोसे मीलके आये हो..? सब सही हो गया..?
देवायत : (हसते) हां बाबा इन लोगोकी बात कभी दीलसे नही लेनी चाहीये वरना हमतो दुखी होते रहेगे ओर वो दुसरेही दीन साथमे होते हे हें..हें..हें..गलती दोनोकी ओरसे थी तो सही करके आ गया..
बाबा : चलो ठीक हे..क्या तु अकेला आया हे..?
देवायत : हां बाबा कल आपने कहाथानां.., ओर इधरसे गुजर रहाथा तो आ गया..कहो क्या हुकुम हे मेरे लीये कल कुछ आप बताने वालेथे..कोइ गंभीर बात तो नही..?
बाबा : (हसते) अरे..नही नही, अेसी कोइ गंभीर बात नही बस कुछ बात अेसी हे जो तुजे वीचलीत कर सकती हे बस उन्हीकी बात समजानेके लीये तुजे अकेलेमे मीलने बुलाया था..
देवायत : बाबा अेसी क्या बात हे..? आप केह रहेथे हमारे यहा बहुत बडा बदलाव आने वाला हे ओर हमारे खानदानमे कोइ इश्वरीय अंसकी बातभी केह रहेथे..
बाबा : हां बेटा सुन..तेरा अेक पोता होगा, वो पीछले जन्म मे अेक बहुत बडा राजा था इनकी कइ रानीया थी जो इनसे बहुत प्यार करतीथी हमारे हिमाचलमे जो महादेवका वो प्रसीध्ध मंदिर हेना जो लोग उनको देखने जाते हे उनकी स्थापना उन्होनेही कीथी उनकी सब रानीओके साथ.. जो हर रानी हर जन्ममे इनसे मीलनेकी कामना करती थी बस इस जन्म मे भी उसे ज्यादातर रानी मीलेगी ओर तेरा पोता सबसे सादी करेगा..
देवायत : बाबा वोतो बहुत बडे राजा थे..वो बीजलीकी मशीन उसीनेतो बनाइथी.., मेने पढा हे कइ रानीयातो उनकी खुदकी बहेने थी.. ओर अेकतो उनकी दादीभी थी..
बाबा : (हसते) हां वोही..हें..हें..हें.., सुन इस बार उसे जो रानीया मीलेगी उनमेभी अेसे कइ रीस्ते होगे..तो तुम अेसे रीस्तोसे वीचलीत मत होना..ये सबतो होकेही रहेगा.., ओर अेसे रीस्तोमे सादीकीतो उन्होने वहा अेक परंपराभी सुरु कीथी इसीलीयेतो आजभी हिमाचलमे अेकभी विधवा ओर त्यक्तता नही मीलती..
देवायत : हां बाबा इसके बारेमेतो मेनेभी सुना हे वहा सब सुहागनही हे..ओर वहा मां भी विधवा होते अपने बेटे या देवर कीसीसेभी सादी करलेते हे ओर ज्यादातर बहेन भाइ ही आपसमे सादी करते हे..
बाबा : हां..बस अब वोही सब तुम्हारे घरमे होने वाला हे..इसीलीये मेने तुजे बुलाया था, तेरे पीताको सब मालुम था बस तुजे बताना था क्युकी तेरा जो बेटा होगा वो ज्यादा यहा रहेने वाला नही वो विदेशमे सेटल हो जायेगा इसीलीये सीर्फ तुजेही बता रहा हु बस कभी मन विचलीत होवे तो इधर चले आना..
देवायत : बाबा मे ज्यादा तर बात समज गया..यानी हमारे घरमे बहुत कुछ रीस्तोमे देखनेको मीलेगा..हें..हें..हें..
बाबा : बेटा तेरा पोता बहुतही होशीयार ओर बहादुर होगा तेरी सब समस्याका वो सामना करके समाधान करेगा सबको बरोबर न्याय दीलायेगा बस अेक बातको स्वीकार करना हे..वो कीसीभी रीस्तेको नही मानता होगा, क्युकी वो काम का अंस होगा ओर काम कोन हे वो तुजे बतानेकी जरुरततो हे नही.. तु खुद जानता हे उनके लीये हर लडकी ओर ओरत केवल अेक स्त्री हे..जो सब उनको ओर वो सबको प्यार करता होगा..
देवायत : (हसते) बस बाबा..मे सबकुछ समज गया..आपने मुजे वीचलीत होनेकी बात कहीथी वोभी मे सब समज गया, कोसीस करुगाकी इनके हर रीस्तेको स्वीकार करलु..लेकीन आपने मेरे भाइ बहेनकी सादीकी जल्दी करनेको क्यु कहा..? ओर मुजेभी अेसे रीस्तेके बंधनके लीये कहाथा..
बाबा : (हसते) सुन..तेरी बहेनकी बेटी होगी तबसेही सब सुरुआत हो जायेगी, ओर तुम खुद अेसे रीस्तोसे बंधे होगे..क्या अभी तुम्हारी दो बीवी नही हे..? मुजे पता हे तुम्हारे साथ कोन अेसे रीस्तेसे बंधी हे..तो क्या तु तब वीचलीत होता हे..? अेकतो तेरे दोस्तकी मांभी हे..तुम चीन्ता मत कर ये बात सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगी..बस सीर्फ तुजे आने वाले रीस्तोमे कोइ अेतराज नही करना, ओर नाही अेसे रीस्तोसे वीचलीत होना हे यही समजले इनकी सुरुआत तुम्हारेसे ही होगइ हे..जो आगे बहुत कुछ होगा..
देवायत : (सरमाते हसते) बाबा मे सब कुछ समज गया आपतो मेरी सारी कुंडली जानते हे..हें..हें..हें..
बाबा : बस मेरे लीये यही काफी हे जो तु समज गया, ओर सुन आने वाले समयमे तुभी कोइ गील्टी फील मत करना, क्युकी तु खुद अेसे रीस्तोसे बंधा होगा बस मुजे आज सीर्फ इतनाही कहेना हे समज गया..
देवायत : (आस्चर्यसे) बाबा क्या मे..,
बाबा : हां बस ओर कोइ सवाल नही, क्या सब आजही उगलवा लेगा, कुछ बाते बादके लीयेभी रख.., हें..हें..हें..
देवायत : बाबा तो अब क्या आदेश हे मेरे लीये..
बाबा : बस..कुछ नही.. अपने भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदे..क्युकी इनकेही माध्यमसे बहुत कुछ होने वाला हे, ओर अब समय होगया हे अब तुभी अेक बच्चा करले..
फीर देवायत कुछ ओर बात करके बाबाको दक्षीणा देकर वापस हवेलीकी ओर चल पडा आज बाबाने अेक बार ओर उसे जंजोरके रखदीया ओर आने वाले वक्तके लीये अपने आपको ओर अपने मनको मजबुत बनानेकी सोचने लगा उनके मनमे विचारोका युध्ध होने लगा वो बाबाकी हर बात याद करके उनके बारेमे पुरे रास्ते सोचता रहाकी बाबाने लखन ओर पुनकी सादी जल्दी करनेको क्यु कहा यही विचारोके साथ वो हवेली पहोच गया उसे पताभी नही चला ओर जीप अंदर लेके वो थोडी देर वही बेठा रहा फीर उठके अंदर गया
मंजुला : (बहार आते हसते) आ गये आप..? चलो फटाफट फ्रेस होजाओ बहुत देर करदी भुख लगी हे..
देवायत : (बाथरुम मे जाते मंजुलाकी ओर देखते) तो तुम्हे खाना खालेना चाहीनां..क्यु भुखी रहेती हो..
कहेके अंदर चला गया ओर मुह हाथ धोके फ्रेस हो गया ओर बहार आतेही मंजुलाने उसे टोलीया दीया ओर उनके सामने देखते स्माइल करती रही फीर धीरेसे कहा..
मंजुला : क्या मेने आपके खानेके बगैर कभी खाया हे..? चलो खाना रेडी हे
देवायत : (हाथ पोछके उसे बाहोमे भरते) डार्लींग क्या इतना प्यार करती हे मुजसे..?
मंजुला : (उनके सीनेमे मुका मारते) कीतने कमीने हो..क्या अेभी कोइ पुछनेकी बात हे..?
देवायत : (हसते होंठ चुमते) सोरी..बेबी..गलत प्रस्न पुछ लीया..चल खाना खाते हे..
कहेके देवायत मंजुलाको गोदमे उठा लेता हे ओर डाइनींगकी ओर चलने लगता हे तो दया ओर मंजुला देखके हसने लगती हे..अेसा कइ बार देवायत कर चुकाथा दोनोही बाते करते खाना खाने लगे तब दया ओर रजीया मंजुलासे छुपके देवायतको अपने रुममे आनेका इसारा कर रहीथी फीर खाना खाके आराम करने चले गये तब जातेही मंजुला गहेरी नींदमे सो गइ तब देवायत उठके दया ओर रजीयाके रुमकी ओर चल पडा..
फीर बारी बारी दया ओर रजीयाकी चुदाइ करके दोनोको संतुस्ट करता हे फीर वापस आके मंजुके बगलमे सो जाता हे, चार दीनके बाद भानुभी अपनी दुकान समेटके देवायतके साथ आगया खेतीबाडीका सब वहीवट सम्हाल लीया, ओर देवायतभी अपने कारोबारमे बीजी होगया समय बीतने लगा देवायत मंजुकी हर रात जबरदस्त चुदाइ करता रहा ओर भावनाभी हप्तेमे दो बार भानुको वायग्रा खीलाके संतुस्ट होती रही..
तब लताभी अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखनेकी आदी होगइ ओर वोभी ठरकी होती जा रहीथी वो भानुका लंड कइ बार देख चुकीथी ओर अब अपनेही भाइको अेक मर्दकी तराह देखती थी क्युकी लखनसे फोनपे बहुतही कम बाते होतीथी ओर दुसरे मर्दको अपनी मांके डरसे देखती नहीथी, बस उनके करीब भानुही अेक मर्द था, जो इनकी ओर खीची ही चली जाती थी, सब अपने रुटीन लाइफमे बीजी हो गये इसी बीच पुनम लखन लता सब जवानीकी ओर बढते अपनी पढाइ करते रहे..
तब अेक दीन मंजुलाका पीरीयड मीस हो गया ओर दुसरे दीन उसे उल्टीया होने लगी तब वहा भावनाकाभी यही हाल हुआ दोनो अपने पतीके साथ होस्पीटल चली गइ ओर रीपोर्ट करवाइ तो पता चला दोनोही प्रेगनेन्ट हो चुकीथी तब देवायत बहुतही खुस हुआ ओर अपने सब मजदुरोको नये कपडे दीलवाये..
अब देवायत मंजुलाका बहुत खयाल रखने लगा क्युकी इस हवेलीका वारीस जो आने वाला था वो ओर भानु अपनी दोनो बीवीओको लेके महीनेमे दो बार सहेरमे डोक्टरके पास चेकअपके लीये जाते थे इसी तराह दीन बीतने लगे अबतो दोनोका पेट बहार नीकलके दीखने लगाथा तब अेक दीन देवायतके फोनकी रींग बजने लगी उसने मोबाइलमे नाम देखातो चहेरेपे मुस्कान आगइ ओर फोन उठाके धीरेसे बात करने लगा
न्यु केरेक्टर
चंद्गीका उर्फे (चंदा) - जो मंजुलाकी सबसे छोटी मौसी हे जो नीहायती पतली ओर खुबसुरत थी भरी जवानीमे सादीके महज ८ साल बाद ही विधवा होगइ थी तब उनको अेक लडका हो चुका था ओर गांवमे तब विधवाकी दुसरी सादी नही होतीथी उनके ससुर वहाके सरपंच थे ओर गांववालो उनको बहुत मानते थे ओर उनके पास अच्छी खासी जमीनभी थी जो खुद मजदुर रखके सब काम करवातीथी जब उनके सास ससुर गुजर गये तब सब वहीवट चंदाके पास आ गया तब देवायतको मंजुलाकी सादीमे देखा तबही दोनोके नैन मील गये तब वो विधवा हो चुकीथी फीर अेक हप्तेके बाद मंजु भावनाको अपने घर खानेपे बुला लीया ओर तबही दोनोने पहेली बार मीलके प्यारका इजहार करदीया बाकी बाते हम आगे करेगे..
धिरेन : चंदाका अेक लौता बेटा जो अभी पासके सहेरमे पढाइके लीये जाता हे इस कहानीमे इनका कोइ खास रोल नही हे तो आइअे कहानीका दोर आगे बढाते हे
देवायत : (हसते फोनपे) क्या बात हे आज बहुत दिनोके बाद मेरी याद आ गइ..मेरी रानीको..हें..हें..हें..
चंदा : (हसते) तो क्या करती..मेरा पतीतो मुजे फोन तक नही करता तो यादतो करना पडेगानां..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) कहो मौसी केसे याद कीया..?
चंदा : (जोरोसे हसते) लगता हे बाजुमे मेरी भांजी हे..तभीतो मौसी कहेते हो..
देवायत : (हसते) नही हमारे गोडाउनमे अकेला हु मजदुर काम कर रहेहे येतो मजाकमे बोल दीया..
चंदा : (हसते) बाबा अेसा मजाक अकेले हो तबतो मत करो..आपकी बीवी हु..मेरी मांग भरीहे आपने..
देवायत : सोरी..बाबा..बोल केसे याद कीया..मंजु याद कर रही हे..ओर सुनो वो पेटसे हे..
चंदा : (आंखोमे चमक लाते) सुनो..तबतो हमे मीलनेका बहोत मौका मीलेगा..मे डीलीवरीके लीये उधर आजाउगी..उसी बहाने हम मीलते रहेगे..कीतने दीन हो गये..क्या मेरी याद नही आती..?
देवायत : बहोत आतीहे अेक तुहीतो मेरी दुसरी बीवी हे..ओर अबतो मंजुके साथभी कुछ नही कर सकता चलना इधर आजा हम खुब मजे करेगे मे आजभी वो दीन नही भुला जब हम पहेली बार मीलेथे आजभी तुजे याद करता हुतो नीचे फटने लगता हे..चंदा डार्लीग आजानां मंजुकी तबीयत पुछनेके बहाने..खुब मजे करेगे..
चंदा : (गरम होते अपनी चुत सहेलाते) सुनो..वो धिरेन स्कुलके प्रवासमे गया हे चार दीनके बाद लोटेगा इधर आजाओना.., फीर सारा दीन मजे करेगे ओर सामको आपके साथही आजाउगी वहा दो दीन ठहेरुगी फीर वापस छोडने आजाना..क्या कहेतेहो..? तो सुबह उधरसे कामके बहाने नीकल जाना..
देवायत : (हसते) चल ठीक हे..कल मीलता हु फीर तुमसे अेक बातभीतो करनी हे जो मीलके बताउगा..
चंदा : (सरमाते धीरेसे) सुनो..वो आइपील (गर्भनीरोधक गोलीया) लेके आना मेरे पास खतम होगइ हे..
देवायत : (मजाक करते) अरे उनकी क्या जरुरत हे मेरी बीवी अेक बच्चा पैदा नही कर सकती हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते चीडके) हसो..मत..जब धिरेन छोटाथा तब कहाथा..तब करदेना चाहीयेना, मेने थोडी मना कीयाथा..अबवो बडा होगया हे मे उनको क्या कहुगी..(धीरेसे) क्या बहुत मन करता हे तो कुछ सोचती हु..
देवायत : (हसते) नही डार्लींग मुजे पता हे मेरी इस बीवी मेरेलीये कुछभी कर सकती हे लेकीन बेबी मुजे तेरी इजतका भीतो खयाल रखना पडेगा, आखीर तुभीतो वहाकी सरपंच हे..
चंदा : देवु प्लीज इधर आजाओ.. फीर मे आपसे कुछ बात करुगी..अभी फोनपे ठीक नही हे..
देवायत : (हसते) चल ठीक हे कल मीलता हु जरा हमारा बेड सजाके रखना..हें..हें..हें..
चंदा : अरे अेक बार आओतो सही..हें..हें..हें..चलो रखती हु..
कहेके फोन काट दीया तब देवायत अकेलेही मुस्कराने लगा वो आंख बंध करके वही खुरसीपे पैर लंबा करते अपने दोनो हाथ पीछे लेजाके अपने सरपे तकीयेकी तराह रख दीया ओर बंध आंखसे चंदासे पहेली मुलाकातको याद करते अतीत मे चला गया ओर गहेरी सोच मे डुब गया..
(फ्लेसबेक)
जब बारात लेके गयेथे जब मंजु वरमाला लेके आ रहीथी तब चंदा साथमे हीतो थी जो अपने बालोकी पुरी चोटीमे फुलोकी वेनी ओर आगे बालोकी दो लट लहेराती थी तनसे पतली बडी हाइट ओर सारी पहेनके मंजुका हाथ पकडके आ रहीथी पताही नही चलताथा की दुल्हन कोन हे..
जब मंजुलाने हार पहेनाया तबभी देवायत चंदापे नजर गडाया हुआ था तब चंदाभी उनकी नजरोको भांप गइ ओर मुस्कराते सरमाने लगी फीर अेक दुसरोको हार पहेनाया ओर मंजुको लेके चली गइ जब सादीके पंडपमे आगये तबभी मंजुके साथ वोही
बेठीथी जो बीच बीचमे मंजुका मेकअप सही कर रहीथी तबभी देवायत चोर नजरसे उनको देखताही रहेताथा ये बात चंदा भलीभांती जान चुकीथीकी देवायत उनके पीछे लटु हो गया हे..तब वो सरमसे पानीपानी होगइ..फीर वोभी देवायतको चोर नजरसे देखती रही..
इतने दीनोसे पतीके बगैर रहे रहीथी तो अपने अंदरकी ओरतके होर्मोन्सनेभी जवाब देदीया ओर उनकी चुत गीली होने लगी जब सादी सम्पन हुइ ओर भोजनके लीये साथ जा रहेथे तब देवायतने जान बुजके दो तीन बार उसे छुलीया तब उनका पुरा तन कांप गया, ओर वोभी चोर नजरसे देवायतकी ओर देखती रही ओर भोजन संपन हुआ तब सब साथमे खडेथे तो बात करनेका मोका मील गया, मंजु अपनी सहेलीसे बात कर रहीथी तब देवात इनके पास धीरेसे सरक गया ओर धीरे कहा..
देवायत : (हीमत करके अपने दीलकी बात कहेदी) मौसी आज आप बहुत खुबसुरत लग रही हो..मुजे पहेले क्यु नही मीली..तब आपसेही सादी करलेता..हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते हसते) अच्छा मजाक कर लेते हो हें..हें..हें.., क्यु..मेरी भांजीभी तो खुबसुरत हे..
देवायत : आप मुजे बादमे मीलना आपसे कुछ बाते करनी हे आपसे जल्द मीलना हे..
चंदा : (हसते सरारतसे) क्यु..? मुजे आपसे नही मीलना बहुत खतरा हे हें..हें..हें..
तभी मंजुलाने अपनी मौसीको जानेके लीये कहातो सब चलने लगे तब चंदा बार बार देवायतकी ओर देखके हस रही थी आज उसे देवायतकी बाते बहुत अच्छी लगने लगीथी वो देवायतसे मीलनेका मन बना चुकी थी रुममे जाके मंजुला फ्रेस होगइ जब वो बाथरुमसे नीकली तो चंदा जटसे अंदर घुस गइ ओर सारी कमर तक उची करके कमोडपे बेठ गइ ओर आंख बंध करते अेक उंगली अपनी चुतमे घुसादी..
फीर देवायतको इमेजींग करते जोरोसे अंदर बहार करने लगी आज देवायतने अपनी अंदरकी कामुक ओरतको जगा दीयाथा थोडीही देरमे चुतके अंदरसे फवारा नीकल गया तब वो अपनी तेज चलती सांस को कंटड्ढोल करने लगी ओर मंद मंद मुस्कराती रही फीर चुतको साफ करके फ्रेस हो गइ ओर बहार आकर सबके साथ बेठ गइ जेसे कुछ हुआही नही तब उनको रीयलाइज हुआकी वो देवायतको पसंद करने लगी हे..
सादीके तीन दीनके बाद वो अपने घर आ गइथी तब उनका लडका वेकेशनकी वजहसे उनकी मौसीके यहाही रुक गया क्युकी चंदाने जान बुजको उनको वही रोक लीया फीर तीन दीनके बाद उसने मंजुला ओर देवायतको अपने घर सामको भोजनके लीये बुला लीया जब देवायत ओर मंजुला तीन बजे वहा गये तब उनके घर उनकी साली भावनाभी थी तब देवायतको देखतेही सरमाते हसने लगी ओर उनका स्वागत कीया
तब भावनाने दोनोको होलमे बीठाके पानी पीलाया तब मंजुला अपनी मौसी फीर भावनाको गले मीली फीर कीचनमे चली गइ तब देवायत अकेला पड गया तो चंदा बहार आगइ ओर देवायतके सामने देखके हसने लगी फीर वही सोफेपे अेक कोनेपे बेठके उनसे बाते करने लगी तब भावना सामके खानेकी तैयारीया कर रहीथी तो मंजुभी उनकी मदद करने लगी तब इधर चंदा अबभी सरमा रही थी..
देवायत : (बंगलो देखते) मौसी आपका बंगलोतो बहुत बडा हे..आप अकेली ही यहा रहेती हे..?
चंदा : (सरमाते हसते) हां..सास ससुरभी चल बसे बस अब मे ओर धिरेनही हे, तभीतो धिरेनको यही रखा हे वरना सहेर होस्टेलमेही भेज देती..फीर मे अकेली बोर होजाती..हें..हें..हें..चलो घर दीखाती हु..अभी आइ..
कहेके वो कीचनमे चली गइ ओर मंजु भावनासे कहेके आइकी मे हमारे जमाइको बंगलो दीखादु.. कहेके वो बहार आ गइ ओर देवायतभी इनके पीछे जाने लगा ओर चंदा उसे सब दीखाने लगी फीर उपरकी ओर जाने लगे तब चंदाका दील जोरोसे धडकने लगा ओर अपनी सांसे तेज होगइ उनको अेक डरसा लगने लगाकी कही देवायत कोइ सरारत ना करले..क्युकी वो जान चुकीथीकी देवायत बहुतही बीन्दास हे..
जब दोनो सीडीयोसे उपर जा रहेथे तब देवायत पीछे चल रहाथा ओर चंदाके मटकते नीतंबही देख रहाथा जो इनकी लंबी चोटी नीतंबके आस पास लहेरा रहीथी जीसे देखते देवायतका लंड हरकतमे आने लगा ओर खडा होते बगावतपे उतर गया, ये बात चंदाभी जान गइ तब वो बहुतही सरमाइ जब वो उपर घिरेनके रुम दीखाने लगी तब देवायत उनकोही देख रहाथा तबवो सरमसे पानी पानी होगइ ओर मुस्कराते बहार अपने रुममे आ गइ..
चंदा : (सरमाते) ओर ये मेरा रुम हे..हम दोनोही मां बेटे उपर सोते हे..
देवायत : (अचानक बाहोमे भरते) मौसी आप बहुत खुबसुरत लग रही हे..आइ लव यु..
चंदा : (अेक दम सरमाके जड होगइ) क्या..? क्या केह रहेहो..? मे तुम्हारी मौसीजी हु..सादी सुधा..
देवायत : मौसी मुजे पता हे आपको अेक साथीकी जरुरत हे जो मे पुरी करुगा..आपसे सबसे छुपकेसे सादी करके..प्लीज..मे आपका हर खयाल रखुगा..मे मंजुको मना लुगा मुजसे सादी करलो..प्लीज..
चंदा : (बाहोसे छुटके जटसे बहारकी ओर जाते सरमाते) प्लीज..चलीये नीचे..वो दोनो नीचे हे..(बहार जाने लगी)
अचानक देवायतने उनका हाथ पकडते खीचलीया तो चंदा अेक बार फीर उनकी बाहोमे आगइ तब देवायतने उनकी कमरमे हाथ डालके उनसे चीपका लीया तब चंदा सरमके मारे छुटनेकी कोसीस करते छटपटा ने लगी तब अचानकही देवायतने उनके होंठोपे अपना होंठ रखते होंठ भीचलीया ओर अेक लंबा चुंबन लेलीया तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर छुटनेकी कोसीस करने लगी
जब देवायतने छोड दीया तो जटसे नीचेकी ओर भाग गइ ओर सीधी बाथरुममे घुसके दरवाजा बंध करलीया ओर दीवारके सहारे खडी रेहेके आंख बंध करली, ओर अपनी तेज सांसको कंटड्ढोल करने लगी अपने दोनो हाथ अपने सीनेपे रख दीया तो दीलकी धडकन बढ चुकी थी वो आंख बंध करते सोचने लगी..
हे भगवान ये क्या करदीया..,कीतना प्यारा अहेसास था..क्या वो सचमे मुजसे प्यार करने लगा हे..? अभी अभीतो इनकी सादी हुइहे वो मंजुकोभीतो प्यार करता हे..केहताथा पहेले आप मीलतीतो आपसे सादी करलेता..पागल कहीका..क्या ये सही हे..? नही नही मे मेरी भांजीको धोखा नही दे सकती.., क्या करु..? मुजसे सादी करके मेरा खयाल रखनेको केह रहाथा ओर उपरसे मेरा अकेलापन..मुजेभी साथीकी जरुरत हे..
भावना : (बहारसे आवाज लगाते) मौसी दाल चड गइ हे अब चुले पे क्या रखना हे..?
तब चंदा तंद्गासे जाग गइ ओर अपने आपको सही करने लगी बालोमे हाथ घुमाते आयनेमे देखते कहा
चंदा : भावु तु चल मे आ रहीहु थोडा फ्रेस होके..फीर शीखंडभी तो लेने जाना हे सहेर..
भावना : मौसी जीजुभी गाडी लेके आयेहे क्या मे ओर जीजु लेने चले जाये..?
चंदा : (गभराते जटसे बहार आते) नही नही..सहेरमे तुने नही देखा होगा वो हमारे जान पहेचानके हे, मेने उसे बोल दीया था..(धीरेसे) मेही चली जाती हु..तु चल कीचनमे..बताती हु सब..
पता नही आज चंदाको देवायतके साथ भावनाको भेजना अच्छा नही लगा तब उसे अहेसास होने लगाकी वोभी देवायतसे प्यार करने लगी हे वो देवायतके साथ ज्यादा टाइम स्पेन्ड करना चाहती थी, तो मंजु ओर भावनाको सब दीखाके बताने लगीकी क्या बनाना हे ओर उसने शीखंड लेने जानेकी बात कहेदी..
मंजुला : मौसी इनको लेके चली जाओ वेसेभी फ्रीही बेठे हे हें..हें..हें..अभी इनसे बात करती हु..(बहार आते) सुनीये जी..आप मौसीके साथ थोडा सहेर तक जाओगे..? शीखंड लाना हे..प्लीज..
देवायत : (हसते मनमे खुस होते) हां हां..क्यो नही..वेसेभी बेकार बेठा हु..चलो.. भेजो इनको सहेरभीतो दुर हे..आने जानेमे भी थोडा टाइम लगेगा तो समयपे आजायेगे..भेजो..
मंजुला : (खुसीसे हसते) मौसी जाइअे फटाफट सहेर थोडा दुरभीतो हे..अभी जाइअे टाइमपे आजायेगे तबतक मे ओर भावु सब खाना बना लेगी..आप अेक डीबा लेके जाना..
चंदा : (सरमाते कीचनसे बहार नीकलते) चल ठीक हे..हम जल्दीही आजायेगे..
कहेके चंदाने अेक डीबा उठालीया ओर देवायतकी तरफ अेक नजर करते सरमाते जटसे बहार नीकल गइ ओर सीधी जाके गाडीके पास खडी रेह गइ तब देवायत मंजुको बोलके बहार नीकल गया ओर वोभी गाडीमे बेठके साइडका दरवाजा खोल दीया तब चंदा सरमके मारे देवायतके बाजुमे बेठ गइ ओर दरवाजा बंध करलीया तब देवायतने कार सहेरकी ओर दोडा दी ओर बीच बीचमे चंदाकी ओर देखता रहेता था..
कोइ कुछभी नही बोल रहाथा चंदा बहारकी ओर देख रहीथी ओर बार बार अपने बालोको कानके पीछे करती रही उनकी समजमे नही आ रहाथा की देवायतको क्या कहे..मनतो कर रहाथा उसे फोरन हां कहेदे ओर उनके प्यारको अेक्सेप्ट करले पर डरभी लग रहाथाकी कीसीको पता चल जायेगातो क्या होगा..वो बहुतही उलजनमे फसी थी दील केह रहथा हां कहेदे ओर मन मे डरका भाव था.. आखीर देवायतने चुपी तोडी..
देवायत : मौसी..क्या सोचा आपने..
चंदा : (सरमाते धीरेसे) कीस बारेमे..(वो जानतीथी देवायत क्या पुछना चाहतेथे फीरभी..)
देवायत : मौसी आप जानती हो..मे आपसे प्यार करने लगा हु.. प्लीज..
चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) नही..मे मंजुको धोखा नही दे सकती..कीसीको पता चलेगातो मेरी इजत चली जायेगी..गांवमेभी सब मेरी बहुत इजत करते हे तो डर लग रह हे..
देवायत : मुजेभी पता हे..मे आपकी इजतका खयाल रखुगा..ओर ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी..
चंदा : (रीक्वेस्ट करते) प्लीज..आप जीद छोडदो मुजे पता हे आप मुजसे प्यार करते हो पर मे आपका प्यार अेक्सेप्ट नही कर सकती..प्लीज मेरी मजबुरी हे..
देवायत : प्लीज..मौसी मुजसे आपका अकेला पन नही देखा जा सकता हम सबसे छुपकेसे सादी करलेगे..
चंदा : (थोडा पीघलते आंख गीली करते) मुजे पता हे आप मेरा बहुत खयाल रखेगे, ओर येभी पता हे आपसे बहेतर मुजे जीवनसाथी नही मीलेगा..फीरभी अेक डरसा लग रहा हे की मंजुको मे धोखा दे रही हु..प्लीज.., आइ अेम सोरी..
तब देवायत जेबसे रुमाल नीकालके गाडी चलाते अेक हाथसे उनके आंसु पोछता हे तो चंदा उनकी ओर देखने लगती हे, तब उसे देवायतका मासुम ओर मायुस चहेरा नजर आता हे तो वो वीचलीत होजाती हे ओर देवायतका हाथ पकड लेतीहे ओर धीरेसे हाथको चुम लेती हे तब दोनोही आधे रास्ते जंगलके बीच गुजर रहेथे जेसेही देवायतको अपने हाथमे चंबन महेसुस हुआ तब उनका चहेरा खील उठा ओर उसने चंदाकी ओर देखा.. तब चंदाने मुस्कराके सरमाते हुअे हां मे गरदन हीलाइ तब देवायतने कार सीधी जंगलकी ओर मोड दी..
चंदा : (सरमाते) आप इधर कहा ले जा रहे हे..? हमे देर हो रही हे..प्लीज..
देवायत : (हसते) मेरी होने वाली बीवीको जी भर आंखोमे बसा लेना चाहता हु..प्लीज..हम अभी चले जायेगे
तब देवायत धने जंगलमे कार रोक देता हे जहा कोइ जानवरभी नही दीख रहाथा बस कुछ पक्षीओकी आवाज आ रहीथी ओर देवायतने कार बंध करदी ओर चंदाकी ओर अेक नजरसे देखता रहा तब चंदा सरमसे पानी पानी हो रहीथी ओर नजर जुकाके सरमाते बेठी रही तब देवायतमे अेक हाथ उनके हाथके उपर रख दीया तो वो कांप गइ ओर धीरेसे हाथ खीचनेकी कोसीस करते नजर टेडी करते देवातयको देखने लगी
चंदा : (सरमाते धीमी आवाजमे) प्लीज..चलीयेना..वो दोनो हमारा वेइट करती होगी..
देवायत : (आाज पहेली बार देवायत नाम लेके बुलाता हे) चंदा..आइ लव यु..अगर तुम मुजे पहेले मीली होतीतो मे तुमसेही सादी करलेता..ओर अभीभी सादीके लीये तैयार हु..हम सादी करेगे..सबसे छुपके..
चंदा : (सरमाते) क्या ये सही होगा..? हम कुछ गलतीतो नही कर रहे..
देवायत : नही चंदा हमारा प्यार पवित्र हे मे जब तक जींदा हु तेरा साथ जींदगीभर नीभाउगा तुजे पत्नीका हर सुख ओर अधीकार दुगा मे हर फर्जको नीभाउगा तेरे बेटेको मे अपने बेटेकी तराह अपनाउगा..
तब चंदा कारमे बेठेही देवायतको लीपट जाती हे ओर आंसु बहाने लगती हे तब देवायतभी उसे बाहोमे भर लेता हे तब आज पहेली बार चंदा अपने पतीके अलावा कीसी गैर मर्दकी बाहोमे थी चंदा खुब सरमाइ तब चंदाके मुखसे अनायासही नीकल गया
चंदा : देवायत..आइ लव यु..सो मच..मेरा साथ कभी मत छोडना..वरना मे जी नही पाउगी..
देवायत : नही चंदा..मेने तुजे ओर मंजुको दीलसे चाहा हे..बस मंजुको हमारे रीस्तेके बारेमे पता ना चले..
ना जाने कबतक दोनो अेक दुसरेकी बाहोमे बेठे रहे तब देवायत ने चंदाका चहेरा दोनो हाथसे पकड लीया ओर गालको सहेलाते उनकी आंखोमे देखता रहा तर चंदाने सरमसे नजर जुकाली ओर देवायत धीरे धीरे मुहको चंदाके मुहकी ओर लेजाने लगा तब अेक बार चंदाने नजर उची करते देख लीयाकी देवायत क्या चाहता हे? तब उसने नजर जुकाके आंख बंध करली ओर दोनोके होंठ मील गये ओर दोनोही स्मुच करने लगे
कीस करते दोनोही बहेकने लगे तब देवायतका दुसरा हाथ चंदाके ब्लाउसके उपरसे ही चंदाके बुब्सपे चला गया ओर हल्केसे दबाके मसलने लगा तब चदा सरसे पांव तक हील गइ ओर आंख बंध करते देवायतके हाथके उपर अपना हाथ रखदीया मानो वो उसे रोकना चाहती थी..
ओर दोनोही चुंबन करनेमे लीप्त थे तब चंदाको अपनी सारीके उपरसे ही चुतपे देवायतका हाथ महेसुस हुआ तो वो सीहर उठी ओर देखा तो देवायत उनकी चुतपे हाथ रखते सहेला रहाथा तब वो जटसे कीस तोडके दुर हट गइ फीरभी देवायत चुत मसल रहाथा तब चंदाने उसका हाथ पकडलीया ओर देवायतकी ओर रीक्वेस्ट करते कहेने लगी..
चंदा : (गभराते रीक्वेस्ट करते) प्लीज..प्लीज..प्लीज..नही नही नही..अभी नही..रुक जाओ..प्लीज..
देवायत : (हाथ हटाते सरमींदगीसे) सोरी..प्लीज..मे बहेक गया था..जब तक आप नही कहोगी तब तक नही छुअुगा..सोरी..मौसी..
चंदा : (सरमाते खुस होगइ..क्युकी देवायत उनकी इजत करता हे) प्लीज..अब हम अकेले हो तब मुजे नामसे बुलाना..बस अेक बार हमारी सादी होजाये..तब मे मेरा सब कुछ आपको सौंप दुगी..प्लीज..बुरा मत मानना..
देवायत : (हसते) ठीकहे चंदा डार्लींग जेसे आपका हुकुम..हें..हें..हें..में आपके फोनका वेइट करुगा..
तब चंदा सरमसे पानी पानी होगइ क्युकी आज पहेली बार उनके यारने उसे डार्लींग कहेके पुकाराथा वो सर जुकाके मुस्कराती रही तब देवायतने उनकी ओर देखते हस दीया ओर कार स्टार्ट करदी ओर वापस सडक की ओर चल दीये तब पुरे रास्ते चंदा बार बार देवायतकी ओर देखते हसती रही.., वो आज बहुतही खुस थी उनको भर जवानीमे अेक साथी मील गयाथा जो उनपे जींदगी लुटानेको तैयार था..
तभी दोनोही सहेर पहोंच गये ओर उन्होने वहा शीखंड ओर खमन लेलीया जब दोनो वापस आने लगे तब देवायत अेक सारीके शोरुम मे चंदाको लेके चला गया ओर उनको जबरदस्तीसे अेक डड्ढेस ओर अेक सादीका जोडा दीलवा दीया तब चंदा खुब सरमाइ ओर दोनोही कार मे बेठ गये तब चंदा ने कहा..
चंदा : (देवायतकी ओर हसते) मे..डड्ढेस नही पहेनती..गांव.. हेनां..सादीसे पहेले पहेनती थी..इतना खर्चा क्यु कीया..ओर ये सादीका जोडा.., हे मेरे पास..
देवायत : (हसते) यही समजलो..जो सादीके पहेले सगुन देते हे.., मे चाहताहु जब हमारी सादी हो तब तुम यही पहेनो..ओर मेरा नंबर सेव करलो..अपनाभी नंबर देना..जब आप फोन करो..तब आजाउगा..
चंदा : (सरमाते हसते) जी..वो धिरेन घरपे होता हे, दो दीनके लीये कही जायेगा..तब फोन करुगी..
घर आनेसे पहेले अेक बार रास्तेपे कार रोकते दोनो फीरसे सीर्फ होंठ चुमते प्यार करते हे ओर कुछ वादे कसमे खाते हे पुरी प्लानींग करते दोनो घर आगये तब चंदा आज बहुतही खुस हो रहीथी मानो उनकी नइ नइ सादी हुइ हो ओर वो फीरसे सुहागन होगइ होे अंदर आतेहे तब भावना देवायतको ओर चंदाको पानी पीलाती हे तब भावनाभी पानीका ग्लास लेते देवायतको छु लेती हे वो ये सब जानबुजके कर रही थी
फीर चारो खाना खाने बेठ जातेहे तब चंदा खुब आग्रह कर करके देवायतको खीलाती हे मानो इनके पतीको खीला रही हो तब भावनाकोभी ज्वेलसी होने लगी..सबसे पहेले वोही देवायतको प्यार करने लगीथी पर अपने प्यारका इजहार नही करपाइ ओर मंजुला आगे बढ गइ जब दोनोकी सादीकी बात हुइ उस रात वो सबसे छुपके खुब रोइ..पर अपने दीलकी बात बहार कीसीके सामने जाहीर नही होने दी..
मंजुला : (खाना खाते) मौसी शीखंड तो मस्त लेकर आइहो..कहासे लीया..?
चंदा : (हसते) वो तेरे मौसाके पहेचान वाले हे..हमारे गांवकेही हे..उनकी दुकानसेही लाइ..
भावना : (हसते) हां.. मौसी लगता हे हमे बार बार इधर खानेके लीये आना पडेग..हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते देवायतकी ओर देखते) हां तो आजानांं तेराहीतो घर हे..आती रहेना..खुब खीलाउगी..
मंजुला : (हसते) मौसी भावुका इसी गांवमे रीस्ता ढुंढलो..इधर आती रहेगी..हें..हें..हें..
भावना : (सरमाते) क्या..दीदी बातको कहासे कहा लेजाती हो.., मुजे नही करनी सादी..
चंदा : (हसते) तो क्या सारी जींदगी बडी दीदीपे बोज बनके रहेगी..हें..हें..हें..(देवायतकी ओर सरमाते) वेसे देवायतजी सादीमे आपके साथ आपका वो दोस्त था..क्या नाम था..? सायद कुछ..भानु भानु आप केह रहेथे..हें..हें..हें..
देवायत : (खुसीसे आंखोमे चमकके साथ मंजुकी ओर देखते) हां..मेरा खास बचपनका दोस्त..मानलो मेरा भाइही हे..घरकी दुकान हे..बडा घर हे..सीर्फ मां ओर अेक छोटी बहेनही हे..मंजु..कुछ समजी..हें..हें..हें..
मंजुला : (भावनाकी ओर हसते) हां समज गइ..मे मांसे बात करलुगी..हें..हें..हें..
तब भावना सरमसे पानी पानी हो गइ ओर सोचने लगीकी ये रीस्ता हो जायेतो जीजुसे नजदीक रहेनेका मौका मीलता रहेगा बात बन जायेतो मे फोरन हां केह दुगी..मुजेतो जीजुसेही मतलब हे..
चंदा : (हसते भावनाकी ओर देखते) अरे ओ महारानी..क्या सोच रही हे..कहोतो रीस्तेकी बात चलाये..?
भावना : (सरमसे पानीपानी होते) क्या..मौसी आपभी.., मुजे नही पता..
कहेके सरमाती हसती हुइ उठके कीचनमे जाने लगी..तो चंदाने कहा..
चंदा : (हसते) अरे..सरमाती कहा जा रही हे..पहेले खानातो खाले..हें..हें..हें..
भावना : (सरमाते हसते) खा लीया..आपही खाओ..
कहेके कीचनमे चली गइ फीर थोडी देरके बाद सबके लीये पानी लेके आगइ ओर सबने खाना फीनीस कीया फीर मंजु ओर भावना चंदाने मीलके सब काम समेट लीया फीर होलमे सब आके बेठ गये ओर भावनाकी टांग खीचाइ करते रहे भावना वही रुकने वालीथी तब मंजुलाने जानेकी बात कही तब देवायत ओर मंजुला नीकलने लगे तब गले मीलते चंदा ओर देवायतने आंखोसे बहुत सारी बात करली....
कन्टीन्यु