रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ३
तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....अब आगे
बाजुके रुममे भानु ओर भावना भी अेक दुसरसे चीपकके सोयेथे तब दुसरे कमरेमे रजीया ओर दयाभी नंगीही अेक दुसरे से चीपकके सोइ थी तब यहासे तकरीबन ४ कीमी दुसरे गांवमे भानुके घर उनकी बुढी माता बहार सो रहीथी तब रुमके अंदर नइ नइ जवान हुइ लता भानुके बेटे भावेशको अपने साथ सुलाके गहेरी नींदमे सो रहीथी वो पीछले ६ महीनेसे पीरीयडमे आ रहीथी उनके सरीरमे काफी बदलाव आने लगाथा
लताके बुब्सभी अब बडे होते सीनेपे उभार दीखने लगाथा उनके चहेरेपे भी काफी नीखार आ गयाथा वो दीन भर दीन खुबसुरतीकी ओर ढल रहीथी जबभी उनका भतीजा भावेश उनके सीनेपे हाथ लगा देता तब उसे अपने तनमे बेचेनी महेसुस होने लगतीथी ओर वो रोमांचीत होती थी उसेभी नही पताथाकी ये सब क्या हो रहा हे तब अचानक छोटा भावेश रोने लगता हे तब लता करवट लेके बच्चेकी ओर पलट जाती हे
ओर उसे अपने सीनेसे चीपका देती हे तब बच्चा (भावेश) उनके सीनेमे मुह लगाते उनके बुब्सको अपने मुहमे लेनेकी कोसीस करता हे तब लता नींदसे जागके उनकी हरकत देखती रहती हे तो भावेश उनके बुब्स मुहमे लेनेकी कोसीस कर रहाथा तब लता सरमसे पानी पानी होगइ वहा रुममे अंधेरा छाया हुआथा ओर बहार उनकी मां सोते खरराटे मार रहीथी तब ना जाने क्या सुजी लताने अपना कुर्ता उचा कर दीया
तो उनका अेक बुब्स बहार आगया तब भावेशने अपना मुह बुब्सपे लगादीया ओर चुसने लगा दुधतो आता नही था फीरभी वो आंख बंध करते चुसता रहा तब लताको कुछ अजीबसा लगने लगा ओर वो मदहोस होने लगी तभी अपना अेक हाथ अनायासही अपनी चुतपे चला गया ओर वो धीरे धीरे सहेलाने लगी उसे इस हरकतसे बहुत आनंद आने लगा ओर उसने हमेसाके लीये बच्चेको अपने पास सुलानेकी ठानली
वेसेतो वो कइ बार छुप छुपके अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखती रहेती थी कइ बार उसने अपने भाइ भानुका लंडभी अपनी आंखोसे अपनी भाभी भावनाकी चुतमे डालते हुअे देखाथा तबसेही वो बहुतही कामुक होने लगीथी उपरसे जबसे देवायतके पीताकी मौत हुइहे तबसे वो भानुके बच्चेको अपने साथ सुलातीथी ओर ये हरकत हर रात करतीथी फीर धीरे धीरे चुतमे उंगली डालके अपने आपको सांत करने लगी
वो अब दीनभर दीन ठरकी होते जा रहीथी पर अपनी मांसे बहुत डरतीथी क्युकी उनकी मांने सब दुनीयादीरी देखीथी उनको पताथा जब लडकी जवानीके दोरसे गुजरे तब उसे सम्हालना बहुत जरुरी था वरना वो सुरुआतसेही भटक जाती हे ओर सारी जींदगी लंडकी दीवानी रहेती हे जो वो अपनी जवानीमे सब करचुकी हे उसनेभी जवानीमे कइ लंड खायेथे उसमे देवायतके पीताजीका नाम सबसे उपर था मानो वो उनकी रखैलही थी ओर ये बात आज तक कीसीको पता नही थीकी भानु ओर लता उन्हीकी संतान थी
सुबह सुरजकी पहेली कीरण नीकलनेसे पहेलेही रजीया ओर दया हवेलीका सारा काम करने लगी तब मंजुलाकी आंख खुल गइ ओर अपनी हालत देखके सरमसे पानी पानी होगइ ओर उसे देवायतकी ओर देखके हसी आ गइ तो उसने देवायतके होंठ चुमलीया तभी देवायतकी आंख खुल गइ तब उसने फोरन मंजुलाको बाहोमे भीचलीया तो मंजुला सरमाती उनके छुटनेकी कोसीस करने लगी
मंजुला : (सरमाते हसते) छोडीयेना सुबह होगइ हे..आपको उठना नही हे क्या..? छोडीये मुजे..
देवायत : अरे डार्लींग सुबह सुबह तेरे चहेरेका दीदार होगया..चलना थोडा प्यार करते हे बस अेक बार..
मंजुला : (हसते) कोइ जरुरत नही रातमेभी मेरी हालत खराब करदीथी ओर अभीभी जी नही भरा..
देवायत : डार्लींग तुजे देखते कभी जी रही भरता..चलना अभी फटाफट अेक राउन्ड हो जायेगा..
मंजुला : पलीज..देवु समज तु.. वो दोनो जाग गइ होगी कही हमारा लाइव सो ना देखले हें..हें..हें..
तब देवायत हसते हुअे मंजुलाको खीचके बाहोमे भरलेता हे ओर उसे पलटके पीठके बल लीटाते उनके उपर चड जाता हे दोनोही नंगेतो थेही देवायत अेकही जटकेमे मंजुलाकी चुतमे लंड घुसा देता हे ओर उसे धनाधन चोदने लगता हे मंजुलाभी जानतीथी देवायत अेक बार डीमांड करता हे तो उसे चोदकेही रहेता हे तब उसनेभी ज्यादा विरोध नही कीया ओर वो देवायतसे चुदने लगी थोडी देरमे वोभी गरम होगइ
ओर देवायतका साथ देने लगी तब थोडीही देरकी धमासान चुदाइके बाद दोनोही साथमे जड गये तो मंजुला उठके बाथरुममे भाग गइ तब देवायत हसने लगा ओर वोभी उठके बेडपे बेठा रहा जब मंजुला नहाके बहार आगइ तब वोभी बाथरुममे घुस गया ओर सब नीत्य करके नहाके बहार आ गया तबतक मंजुलाने उनके कपडे दीये ओर वो तैयार होगया तो दुसरी ओर भानु ओर भावनाभी तैयार हो चुके थे
भानु बहार होलमे चला गया तो पीछे भावनाभी बाल बनाके जुडा बना रहीथी तब मंजुलाभी देवायतको हमेसाकी तराह होंठेपे कीस करके मंदिरमे चली गइ ओर देवायतभी बहार आने लगा तब बाजुके रुमसे भावना भी धीरे धीरे चलके बहार आ रहीथी तब देवायतका सामना हुआ तो देवायत उनकी सालीकी चाल देखतेही हसने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होके मुस्कराती रही
जब भानुकी सादी नही हुइथी तब वो देवायतकी खुब मस्करी करतीथी तबसे देवायत उनको नामसेही बुलाता था ओर भानुभी मंजुलाको भाभीही कहेता था तब भानुकी सादीके बादभी सब वोही कहेके बुलाते हे तब देवायतको भावनाकी हालत देखके मस्करी सुजी ओर वो आते हसते हुअे कहेने लगा
देवायत : (हसते सरारतसे) क्यु साली साहीबा अेसे क्यु चल रहीहो कही पेरमे मोचतो नही आगइ हें..हें..हें..
भावना : (सरमसे पानी पानी होते कातील समइल करते) जीजाजी अेक लगाउगीनां..आप बहुतही कमीने हो..अकेले मीलो तब बताती हु जेसे आपको कुछ मालुमही नही..
देवायत : (हसते) अबतो भानु आता जाता रहेगा तो साथमे चली आना अकेले मील लेगे..हें..हें..हें..
भावना : (धीमी आवाजमे) जीजु..प्लीज..ठीक हे आजाउगी तब मीलेगे..आपसे कुछ बातभीतो करनी हे..
कहेके वो देवायतकी ओर कातील स्माइल करते मंजुलाके पास कीचनमे चली गइ तो मंजुलाभी इनकी चाल देखते हसने लगी तब भावना फीरसे सरमसे पनी पानी होगइ तब मंजुलाने कहा
मंजुला : (हसते) कहो दीदी केसी रही रात..लगता हे दोनोने खुब मजे कीये हे.., हें..हें..हें..
भावना : (सरमाते) क्या..दीदी..आपने कोनसी गोली दीथी देखोना मेरी हालत खराब करके रखदी..
मंजुला : (हसते) क्यु..? मजा नही आया क्या..?
भावना : (सरमसे धीमेसे) क्या दीदी..अेसा लगा कल मेरी सुहागरात हुइ.. इनको कीतना जोस चडा हुआ था.., सब आपकी वजहसे मुमकीन हुआ.. वरना मुजे क्या पता था इनमे इतना मजा आता हे अबतो मेने इनकोभी केह दीया हे वो गोली धरपे रखे..हप्तेमे अेक बार दुगी..वरनातो रोज अेसी हालत करेगे हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते) चल ठीक हे दोनो आगये..? तो चाइ नास्ता देदे..ओर कभी कभी इनके साथ आती रहेना मुजेभी अकेला ना लगे..फीर सामको भानुभाइके साथ चली जाना.., ओर सुन..बच्चा होवे तो होने देना..
भावना : (हसते) दीदी मेरी मानो..अब आपभी करलो..
मंजुला : (सरमसे हसते) चल..ठीक हे..देखते हे..कर लेगे..
दोनोही धीरे धीरे बात कर रहीथी तब मंजुलाको नही पताथा आज रात देवायतने उनको तीन तीन बार चोदके उनकी चुतको भराथा तो वोभी प्रेगनेन्ट हो चुकीथी वोतो कुछ दीनके बादही पता चलने वालाथा जब इस बार दोनोका पीरीयड मीस होजायेगा, तब पता चलेगाकी दोनो अेकही रातमे साथमे प्रेगनेन्ट हुइ हे फीर दोनो चाइ नास्ता लेके डाइनींगपे आजाती हे ओर चारो साथमे चाइ नास्ता करते हे तब भावना बातको छेडती हे..
भावना : (धीरेसे) दीदी क्या जीजुको लताके बारेमे पुछा था..?
मंजुला : (हसते) अरे वोतो तेरे जीजाने खुद भानुभाइसे लताका हाथ मांग लीया हे पुछले..हें..हें..हें..
भानु : हां भावना हमने तैय करलीया हे दोनोकी उमर होतेही हम हमारी लताकी सादी लखनसे कर देगे..
देवायत : (हसते) यार वो सबतो ठीक हे फीरभी तु अेक बार लताका मन जानले.. फीर हम रीस्ता पका करके दोनोकी सगाइ कर देगे क्या कहेती हो मंजु..?
मंजुला : (खुसीसे हसते) हा भानुभाइ अेक बार लतासे पुछलो फीर दोनोकी सगाइ करदेगे..(देवायतकी ओर देखते) सुनीये अब आपभी कोइ अच्छे लडकेको ध्यानमे रखीयेगा हमारी पुनमभी बडी होती जा रही हे..
देवायत : (हसते) हां भाइ हां..मेरे ध्यानमे अेक लडका हे..बडेही जमीनदार हे सीर्फ मां बेटा ही हे पती कबका गुजर गया हे ओर उनके ज्यादा रीस्तेदारभी नही हे..पुर्खोका बडा घरभी हे जब जाउगा तब बात कर लुगा..
भानु : भाइ मेरी मानोतो दोनो भाइ बहेनका रीस्ता होता हेतो दोनोकी सादी साथमेही करदो, क्या कहेती हो भाभी..सब अेकही बारमे हो जायेगा हमारी पुनमभी सरसुराल चली जायेगी..
मंजुला : (हसते) आपतो बडे छुपे रुस्तम नीकले पुनमके लीये लडका देखभी लीया ओर मुजेही नही पता..
देवायत : अरे इसमे क्या बताना अभी हमारी पुनम छोटीहे तो बताके क्या फायदा..तभी नही बताया.., (मनमे सोचता हे - मंजु तुजे क्या पता वो कोन हे, उस गांवकी सरपंच हे ओर विधवा हे, उसे तुमभी जानती हो, तो मे उसे अक्सर मीलता हु ओर उसे कइ बार चोद चुका हु, वोभी मेरी पत्नीही हे वो मुजे ही पती मानती हे, वो मेरी बात कभी नही टालेगी)
मंजुला : (हसते) ठीक हे ठीक हे..मेतो अेसेही केह रहीथी..क्या आप भानुभाइको ओर दीदीको छोडने जा रहेहो नां..?
देवायच : (हसते) हां..क्या तुजेभी साथ चलना हे..? चलना दोनो छोडके आजायेगे..माजीको भी मील लेगे..
भानु : हां भाभी आपभी चलो यहा अकेली बोर होजाओगी.., मां को भी मील लेना..
मंजुला : (हसते) भानुभाइ अबतो ये रोजका होगा..फीरभी चलती हु.. माजी कोभी मीलना हे..काफी दीन हो गये नही मीली.., लता ओर लखनकी उनसेभी बात होजायेगी..चलो..
फीर चारो चाइनास्ता करके देवायतकी गाडीमे नीकल जाते हे ओर १० मीनीटमेही भानुके घर पहोंच जाते हे तब चारो अंदर आजातेहे तो लता भावनासे लीपट गइ फीर सबके पैर छुके सरमाते खडी रही तब आज पहेली बार मंजुला ओर देवायत लताको अपने लखनकी बहुके रुपमे देखते खुस हो रहेथे तब लताको अहेसास हुआ की दोनो मुजे कुछ अजीब नीगाहोसे देख रहे हे तो वो खुब सरमाइ ओर भागके अंदर चली गइ, तब चारोही हसने लगे
हसनेकी आवाज आइ तब भानुकी मा रुमसे बहार आइ तो मंजुको देखतेही दोडके उनको गले लग गइ ओर फुट फुटके रोने लगी क्युकी उसे देवायतके पीताके जानेका बहुत ही सोक लगाथा क्युकी असली कारण सीर्फ वोही जानतीथी तब मंजुलाभी साथमे रोइ ओर भावनाने दोनोको सांत कीया तब लता सबके लीये पानी लेके आइ ओर सबको पानी पीलाया तब जाके सब सांत हुअे
तभी मंजुलाने उनके पाव छुअे तो उनको आशीर्वाद दीया पर देवायतके पाव छुनेसे पहेले उनसे दुर हो गइ क्युकी वो बात सीर्फ देवायत ओर भानुकी मां ही जानतीथी फीर सब बेठ गये तो भानुकी मांने मंजु ओर देवायतसे उनके पीताके जानेका सौक व्यक्त कीया तब माहोलको हल्का करनेके लीये भावनाने अपनी सांससे लता ओर लखनके रीस्तेकी बात छेडदी तो लता वही खडीथी तो बात सुनके सरमसे पानी पानी हो गइ ओर भावनाके रुममे भाग गइ तब अेक बार फीर सब हसने लगे तो भानुकी मां देवायतको देखके थोडा अतीकमे चली गइ उनको सब घटनाक्रम याद आने लगा
(फ्लेसबेक)
न्यु केरेक्टर
सरला : भानुकी मां जो विधवा हे बहुतही कामुक ओरत थी भानुके पीता उनको ठीकसे संतुस्ट नही करपाते थे तब वो अपने तनकी जरुरतको देवायतके पीतासे पुरी करने लगी नतीजा ये हुआकी उनके पेटमे देवायतके पीताकी नीशानी यानी भानु पलने लगा ओर भानुके पैदा होनेसे पहेलेही देवायतका जन्म हो चुकाथा, भानुके पीता ओर देवायतके पीता खास दोस्त थे तबसेही खानदानकी दोस्ती चली आ रही हे, उनके रीस्तेदारमे बहुतही कम लोगथे तब देवायतके पीतानेही उनकी देखभालकी ओर उनकी सारी जीम्वेवारी उठाली
तब सरलाकी उमर महज २३ सालकी होगी फीर भानुका जन्म हुआ फीर थोडे बडे हो गये तब देवायत ओर भानु दोनो खास दोस्त होगये, देवायतके पीताने दोनोको पढनेके लीये सहेरमे भेज दीया जब दोनो १०/१२ सालके हो गये तब देवायतके पीताने सरलाको फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया तब भानुके पीताकी तबीयत बीगड गइ ओर उनको पता चल गयाथा की सरलाके सबंध देवायके पीतासे हे ओर वो सदमा बरदास्त नही कर पाये ओर चल बसे,
सरला भर जवानीमे विधवा हो गइ, फीर लताका जन्म हुआ ओर देवायतके पीताने भानु ओर देवायतको वापस बुला लीया फीर समयके साथ वोभी बुढे हो गये..तब सरला अेक बार फीर अकेली होगइ तब भानु ओर देवायत जवानीके देहलीजपे कदम रख चुकेथे ओर वो देवायतका गठीला ओर कसरती बदन देखते बहेकने लगी ओर देवायतकी ओर ढलने लगी तब उनकी उमर ४२ के आस पास हो चुकीथी देवायत उनके घर अक्सर आता जाता रहेता था तब अेक बार सबकुछ हो गया जो नही होना था..तो वो ये सब सोचते खडी थी तब..
(फ्लेसबेक खत्म)
मंजुला : मांजी तो क्या हम लता ओर लखनके रीस्तेकी बात पकी करदे..?
सरला : बेटा तबतो सोनेपे सुहागा..धन्यभाग जो मेरी लता आपके घरकी बहु बनेगी..हमे ये रीस्ता मंजुर हे..
कहातो भावना लताके पास अंदर चली गइ तो लता इनको देखते खुब सरमाइ ओर हसती रही तब भावना उनके पास बेठ गइ तो लता सर नीचे करते सरमाती हसती रही तब भावनाने उनके सरपे हाथ रखा ओर उनके गालको सहेलाया तब लताने नजर उची करते भावनाकी ओर देखा फीर नजर जुकाके ओर सरमाते हसती रही
भावना : लता क्या तुजे ये रीस्ता मंजुर हे..? तो बता हम तुजपे कोइ जबरदस्ती नही करेगे..
लता : (सरमसे पानी पानी होते) भाभी मे क्या बोलु..जो आप ओर भाइ करो वो सही हे..
भावना : (हसते) अरे गुडीया फीरभी बता दे..तेरे मनमे कोइ ओर होता..
लता : (गभराते) अरे नही नही..भाभी..मुजे मंजुर हे..(सरमाने लगती हे)
भावना : (हसते) चल ठीक हे..मे उनको बता देती हु..क्या तेरे बेटेने तुजे तंग तो नही कीया..हें..हें..हें..
लता : (हसते) क्या..भाभी मेरा भतीजा हे वो..हें..हें..हें.., बस मेरे साथ घुलमील गया हे..हें..हें..हें..
तब भावना हसती हुइ बहार आजाती हे ओर सबको लताकी बात बताती हे तो सब सुनके खुस होजाते हे तब सरला भावनाको कहेती हे..
सरला : (हसते) बहु..जा जरा गुड ओर धनीया लेके आ हमारे समधीका मुह मीठा करवाना हे हें..हें..हें..
भावना : (हसते कीचनकी ओर जाते) जी माजी अभी लाइ..
देवायत : (हसते) माइ मे थोडी समधी हु..मेतो आपका बेटा ही हु ओर ये मंजुभी आपकी बहुही हे..
सरला : (हसते देवायतके कंधेपे हाथ रखते) पता हे बेटा मुजे, मेतो मजाक कर रहीथी तुभीतो मेरा बेटा हे ओर वोभी बडा मेने तुजमे ओर भानुमे कोइ फर्क नही कीया..
मंजुला : (हसते) मांजी चलो आप हमारे साथ रहेने आजाओ.., अब घर सुना सुना लग रहा हे..
सरला : (हसते) अब वहा आके क्या करुगी अबतो हमारी बेटीका घर होने जा रहा हे उमर भीतो हो गइ हे अब जी के क्या करुगी देखा नही अबतो तुम्हारे ससुरभी चले गये..मेरा भानु छोटाथा तबही उनके बापुजी चल बसे तब तेरे ससुरने हमारी खुब मदद की मेरे भानुको पढाया लीखाया तबसे दोनो दोस्त हे..भाइकी तराह
देवायत : (हसते) माइ भाइकी तराह नही हम दोनो भाइही हे..आपको पता हे मे भानुको अपने साथ लेजा रहा हु अब वोही हमारी सब खेती बाडी देखेगा मुजे कहा इन सब चीजोमे पता..बस हमारा लखन ओर भानुही सब वहीवट करेगे बस यही बात कहेनेही मे आयाथा लताकी बाततो अेसेही कल हो गइतो बता दीया
भावना : (हसते गुड धनीया लाते) लीजीये माजी हमारे समधीका मुह मीठा करवाइअे..हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते भावनाको मुका मारते) समधीकी बची..हम घरकेही लोग हे समजी..मेरीभी ये सास हे..
सरला : बेटी येतो तुम लोगोका बडपन हे..मेरा देवायत भी उनके पीताकी तराह दीलावर हे जो लोगोकी मदद करते रहेता हे चल आजा मुह खोल..
कहेते रसीलाने मंजुलाके मुहमे गुड देदीया तो मंजुलानेभी सामने उनका मुह मीठा करवाया फीर देयावका मुह मुठा करवाया फीर भानु ओर भावनाने भी बारी बारी सबका मुह मीठा करवाया तब मंजुला ओर भावना गुडकी थाली लेके रुममे लताके पास चली गइ, तब लता दोनोको देखके खुब सरमाइ ओर दोनोने लताका मुह मीठा करवाया तब भावना थालीको वापस रखने कीचनमे चली गइ तो मंजुला लताके पास बेठ गइ.., ओर उसे प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. फीर हसते हुअे कहा..
मंजुला : (हसते) क्युजी देवरानी..आप खुसतो हेनां..?
लता : (सरमाके हसते) जी दीदी..
मंजुला : (हसते धीरेसे) क्यु हमारे देवरका फोटो बोटो चाहीये..? तो भावुके हाथ भीजवा दुगी..हें..हें..हें..
लता : (सरमसे पानीपानी होते) जी..भाभीसे लेलुगी..
जुला : (हसते सरपे हाथ घुमाते) चल ठीक हे भीजवा दुगी..ओर तेरे पास तेरा कोइ फोटो होतो दे देना..
लता : (सरमसे हसते) जी..हे भाभीके पास..
भावना : (अंदर जाकते) चलो दीदी चाइ बन गइ हे आजाओ बहार..फीर अपनी देवरानीसे बात करना..
कहातो लता फीरसे सरमसे पानी पानी होगइ ओर तीरछी नजरोसे भावनाकी ओर देखते हसने लगी..तब मंजुलाभी हसती हुइ बहार आगइ ओर सबने चाइ नास्ता कीया तब मंजुलाने सबसे छुपके लताकी फोटो भावनासे लेली फीर देवायतने जानेकी बातकी तो सरला उनको खाना खाके जानेकी बात करने लगी तब देवायतने बहार जानेकी बातकी फीर वो लोग लताको सगुनके पैसे देके नीकल गये ओर भानुभी दुकान देखने चला गया तब भावना रुममे चली गइ
भावना : (अंदर आते हसते) क्यु ननंदजी मनमेतो बहुत लडु फुट रहे हे हें..हें..हें..क्या कहेतीथी तेरी जेठानी..
लता : (सरमाते दोडके अपनी भाभीको गले लगते) क्या भाभी..जाओ मुजे आपसे बात नही करनी..
भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रहीथी बेठ इधर..(बेडपे बीठाते) तुमनेतो लखनको देखा हेनां..वो सहेरमे पढ रहा हे वो वहाके राजाके खानदानसे हे तु वहा राज करेगी..ओर लखनभी अच्छा लडका हे..
लता : (सरमाते) देखा हे भाभी..बस काफी महीने हो गये तो नही देखा..
भावना : अरे वोभी तेरे माफीक जवान हो गया हे क्या मस्त दीखता हे अबतो मीलना जुलना चलताही रहेगा..दोनोकी उमर होतेही हम सादी करदेगे..अब खुस..? चल ये बता तुमको भावेशने तंगतो नही कीया..अेक बारभी तेरा फोन नही आया..लगता हे उनकी मां मे नही तुम हो..हें..हें..हें..
लता : (सरमसे लताको अेक चपत लगाके) क्या भाभी..वो मेरा भतीजाही हे समजी..अब नही रखुगी मे..(जुठ मुठ नाराज होते)
भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रही हु..कहा हे वो..
लता : (सरमाते हसते) जी..वो मेरे रुम मे सो गया हे..तुमने क्या लडका पैदा कीया हे रात भर जागता रहेता हे ओर दीनमे सोते रहेता हे हें..हें..हें..
भावना : (हसते) हसले बच्चु जब तेरा बेटा होगा तब तुजे पता चलेगा..हें..हें..हें..
कहातो लता उनको मारनेके लीये दोडी तब भावना कीचनमे भाग गइ फीर दोनो भाभी ननंद खाना बनानेकी तैयारीया करने लगी तब दुसरी ओर उनकी सासभी आज बहुतही खुस हो रहीथी ओर भाभी ननंदकी मस्करीया देखते हस रहीथी क्युकी आज उनको अपनी बेटीके लीये अच्छा खानदान मील गया था वोभी अपने यारका लडका तब वोभी पुराने दीन याद करते बेठी रही ओर मुस्कराती रही
कैसे देवायतके बापु उमर होनेके बावजुदभी उनको रगड रगडके चोदते थे कभी कभी तो पुरी रात यहा रुकके उनकी चुदाइ करते रहेते थे या फीर हवेलीपे कोइ नही होता तब वो वहा बुला लेतेथे ओर उनकी खुब चुदाइ करते थे तब देवायत सीर्फ तीन सालका था भानुके पापाकातो तब ठीकसे खडाही नही होताथा वोभीतो उनके दोस्त थे भानु ओर लता दोनोही उनकी संतान थी दोनोने कीसीको नही बतानेकी कसमभी खाइथी ओर दोनोने आजतक ये बात सबसे छीपाइथी तब आज लताकी बात सुनके बहुतही
रोमांचीत होगइथी क्युकी रीस्तेमे लता लखनकी बहेनही लगती थी, वोभीतो जवानीमे सादीसे पहेले अपने भाइसे खुब चुदवाती थी तबसे उसे लंडकी आदत पड गइथी ओर वो लताका बरोबर खयाल रखती थी अेसेही सोचते बेठी रही
तभी दुसरी ओर देवायत मंजुलाके साथ मस्ती करते हवेली पहोंच गया तब देवायत मंजुलाको छोडके सीधेही आदीवासी कबीलेमे चला गया जो आधे घंटेकी डड्ढाइवके बाद पहोंच गया तब सब कबीले वाले उनको देखतेही हाथ जोडके अेकठा होगये सब
कबीले वाले देवायतको बहुत मानते थे क्युकी सब बाबाको गुरु मानतेथे ओर देवायत अक्सर सबकी ममद करता रहेता था सबको होस्पीटल के काममे, सादीमे ओर वेसेभी सबको अनाज देते बहुत मदद करता हे इसी वजहसे सब उसे भगवानकी तराह मानते हे
देवायत : कहो हरीया क्या नइ मुसीबत हे..बाबा बता रहेथे इधर कुछ प्रोबलेम आगइ थी..
हरीया : (कबीलेका सरदार) आइअे मालीक कुछ नही वो बाजुके कबीले वाले हमारी अेक लडकीको उठाके ले गये ओर हमारे गांवमेभी दस बारह आदमीने आकर हमला करदीया ओर हमारी ओरतोके साथ खुब छेडखानी की..मतलब..आपसे क्या कहु..
देवायत : हं..समज गया कोनथा वो..कमीना..तुम ठहेरो कीधरके कबीले वालेथे..?
हरीया : (हाथ जोडते) वो..मंगीयाके कबीले वाले थे..मालीक हमभी तीन चार लोग आतेहे अकेले जाना ठीक नही वरना वो कमीना आपको अकेला देखके हमला कर सकता हे..
देवायत : हरीया चीन्ता मत कर मेरे पास घोडा (पीस्तोल) हे, तीन चारकोतो अेसेही ठोक दुगा..
तब तीन लोग ओर हरीया कुछ हथीयार लेके देवायतकी जीपमे पीछे बेठ जाते हे देवायत अपनी खुली जीप लेके पासही १५ मीनीटकी दुरीपे कबीलेकी ओर चल पडा तब हरीया उसे सब बाते बता देताहे की वो लोगोने हमारी ओरतोपे जबरदस्तीसे रेप कीया ओर मेरी लडकीको उठाके ले गया वगैरे..वो वहा पहोच गये तब मंगीया देवायतको देखतेही ठंडा हो गया ओर हाथ जोडके दोडके आ गया ओर हरीयाकी ओर घुरने लगा
देवायत : क्युरे भडवे..तुजे बहुत चरबी चडी हे..? जो दुसरोकी बहु बेटीकोपे जबरदस्ती करता हे कहाहे हरीयाकी बेटी? कोन उठा लाया बहेन.., उनको यहा पकडके ला मादर..को
मंगीया : (हरीयाकी ओर घुरते) मालीक वो गवला होगा..अभी बुलाता हु..ओर लडकीको भी लेआता हु..
कहेके वो दोडके अपनी आदमीके पास गया ओर गवलाके साथ हरीयाकी बेटीकोभी लेकर आगया तब लडकीने हरीयाको देखातो उनकी ओर दोड पडी ओर दोडके जीपमे बेठ गइ तब मंगीया गवलाको पकडके खडाथा ओर गवला हरीयाकी ओर घुर रहाथा.. तब हरीया उसकी बेटीको सब उनकी भासामे पुछने लगा तो वो नाना करके सब बताने लगी फीर हरीयाने देवायतकी ओर देखा ओर कहेने लगा
हरीया : मालीक इनके साथ जबरदस्ती करनेकी कोसीसकी वो इनसे सादी करना चाहता हे लेकीन ये लडकी सादीके लीये राजी नही हे वरना मेही इनकी सादी करवा देता पर इसने हमारी ओरतोके साथ गलत कीया..
देवायत : (गुसेसे गन नीकालते गवलाके सरपे रखते) क्यु साले..अभी घोडा दबाउगाना तो यही मां.. जायेगी.. मादर..अगर तेरे लोडेमे इतनीही गरमी चडी हेतो अबनी मां बहेन नही हे क्या..?
गवला : (डरते हाथ जोडके) मालीक पहेले मेरी बाततो सुनीये..इधर आइअे अकेलेमे आपसे कुछ बात करनी हे..फीर आपको ठीक लगेतो मुजे मार देना..
तब देवायतको बात कुछ ओरही लगी ओर उनका गुस्सा थोडा ठंडा हो गया ओर उसने मंगीयाकी ओर देखा तो मंगीयाभी हाथ जोडके अेक बार बात सुननेकी मनत करते हांमे सर हीलाने लगा तब देवायत जीपसे उतर गया ओर गवलाको लेके थोडे दुर चला गया तब गवला सब बाते बताने लगा..
गवला : मालीक आपको पता नही ये हरीयाने मेरी भाभीको प्रेगनेन्ट करदीया हे वो अक्सर जंगलमे इनको मीलने आता हे तो मेरे भाइको पता चल गया ओर मुजे कसमदी की मेभी इनकी बेटीको उठाके ले आउ ओर उसेभी प्रेगनेन्ट करदु पर आपतो जानतेहे हम अेक दुसरेकी रजामंदीसेही सब करतेहे तो मेने इनकी बेटीको हाथ तक नही लगाया अब आपही बताओ मे क्या करता..भाइने कसम दीथी जब ये मुजसे सादीके लीये नही मानीतो भाइ इनके साथीके साथ वहा चला गय ओर उनकी ओरतोके साथ वो सब कुछ करके आया..
देवायत : कहा हे मादर..उसे बुलाके ला..ओर तेरी भाभीभी उनकी मरजीसे आइ होगी तभीभो दोनो जंगलमे मीलते होगे..वो उसे प्यार करतीहे तो हरीयाके साथ भेजदे तुम लोगोमेतो ये सब चलताही रहेता हे..
गवला : मालीक भाइ ओर उनके साथी इधरसे आपके डरसे भाग गये हे.. लगता हे वो कुछ गलत रास्तोपे चल रहा हे अब मेरी गलती क्या हे फीरभी आप कहो मे वही करुगा..
देवायत : चल ठीक हे अगर तेरी भाभी इनके साथ रहेना चाहतीहेतो भेजदे उसे पर तु गलत काम मत करना ओर समजा देना अपने भाइको जब मेरे हाथ चडेगा तो पुछुगाभी नही सीधा ठोक दुगा.. चल जा..
फीर देवायत दोनोको नसीहत देके लडकीको लेके वापस हरीयाके कबीलेपे आ गया तबतक सब लोग जमा हो चुकेथे ओर सब लडकीको देखते खुसीसे चीलाने लगे ओर देवायतके पैर छुने लगे तब देवायत हरीयाको लेके थोडा दुर चला गया ओर उनके कंधेपे हाथ रखके उनसे बाते करने लगा
देवायत : (हसते) हां हरीया बोल उधर गवलाकी भाभीसे क्या कांड करके आया..हें..हें..हें..
हरीया : (सरमाते हसते) मालीक अब क्या कहु..वो मेरे पीछे पागल हे ओर हम प्यार करते हे बस गवलाका भाइ डुंगर अब बुढा हो गया हे..उसे छोडनेके लीये तैयार नही था तो मुजसे प्रेगनेन्ट करनेके लीये कहेतीथी तो करदीया अब वो उसे छोड देगा आपतो जानतेहे हमारे लोगोमे ये सब आम बात हे..
देवायत : चल ठीक हे वो आयेतो उसे अपना लेना मे चलता हु..
हरीया : मालीक अेसेही चले जाओगे..कुछ कडक माल हे, क्या आपके लीये लेआउ..? ओर वो जमीला आपको याद कर रहीथी..अभी तक कीसीसे सादी नहीकी बस वोतो आपके पीछे पागल हे कहेतीथी सादी करुगीतो मालीकसे वरना उनके बच्चे पैदा करके पालुगी.. हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) उसे समजा सादी करले वरना मेरी बीवी देखी हे हमारे यहा तुम्हारे जेसा नही होता ओर मुजे कुछ नही पीना बाबाको मीलने जाना हे पीके वहा जाना ठीक नही ओर जमीलाको कहेना अेक दीन आउगा वरना उसे हमारे खेतोपे काम करने भेजदे वही मील लेगे..वहा रहेनेका इन्तजाम भीतो हे..
हरीया : (हसते) ठीक हे मालीक मे उस बात करलुगा आपका बहुत बहुत सुक्रीया..
फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आ गया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....कन्टीन्यु