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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Fhari

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २

तब दुसरी ओर देवायत ओर भानु लखन ओर पूनमको छोडने सहेरपे पहोंच गये रास्तेमे दोनोके लीये खानेके लीये नास्ताभी लीया ओर देवायतने दोनोको कुछ पैसेभी दीये फीर अ‍ेकही जगाह दोनोकी होस्टेलथी तो वहा पहोच गये तब लखन दोनोके पैर छुके सामान लेने लगा तब पूनम देवायतसे लीपट गइ फीर भानुके पैर छुके दोनो भाइ बहेन अंदर चले गये ओर देवायत भानु वापस मुडके आश्रमकी ओर नीकल गये जब वहा पहोंचे तब अ‍ेकल दोकलही आदमी दीखाइ दीये दोनोही सीधे बाबा के पास चले गये ओर दंडवत करके बेठ गये....अब आगे

बाबा : (हसते) आ गया बेटा..क्या बापुजी चल बसे..सब अच्छेसे हो गयानां..?

देवायत : जी बाबा उनकीभी उमर हो गइथी दो दीन बीमार रहे ओर अचानक चले गये इसीलीये नही आ सका कहीये क्या हुकुम हे मेरे लीये..

बाबा : बस अ‍ेकही समस्या आस पासके दोनो गांवके आदीवासी कबीलेकी, वोही समस्या अ‍ेक दुसरेकी ओरतोको भगाके लेजाते हे ओर आपसमे अ‍ेक दुसरेके कबीलेको हडपनेकी कोसीस करते रहेते हे अब वो सीर्फ तेरी ही सुनते हे तुम दोनोको समजा आपसमे जगडा ना करे..

भानु : (हसते) बाबा येतो बरसोसे चला आ रहा हे सबको कबीलेका सरदार बनना हे ओर वहाके सरदारकी बीवी ओर लडकीयोको रानीया बनाके रखना हे हें..हें..हें..बाबा क्या कोइ ओर उपाय नही हे..?

बाबा : (हसते) हे..बस कुछ साल इन्तजार करना हे..इस महासयके(देवायत) खानदानमेही अ‍ेक अ‍ेसा वारीस आयेगा जो वहाकी समस्याका समाधान करेगा सब इन्हीकी खानदानसे होगा..

देवायत : (हसते) बाबा आपतो आये दीन कहेतेहे हमारे खानदानमे बहुत बडा बदलाव होगा तब लोग खुलके जीयेगे आपने बहुत कुछ बाते कीथी पर मेरी समजमे कुछभी नही आया..

बाबा : सुन बेटा..मेने तेरे पीताजीको सब खुलके बता दीयाथा लेकीन तब बहुत टाइम था, अब वो टाइम नजदीक आ गया हे तेरेही घरमे तेरा वारीस पोता आयेगा जो वो अ‍ेक इश्वरीय अंस होगा फीर वोही सब सम्सयाका समाधान करेगा जो पुर्व जन्ममे हिमाचलका राजा था उनकी कइ रानीया थी जो सब इस जन्ममे वापस तेरेही घर जन्म लेके आयेगे तब तु विचलीत मत होना क्युकी तुजे रीस्तेमे बहुत बडा बदलाव देखनेको मीलेगा जो सब होकेही रहेगा..

भानु : (हसते) बस.. बाबा यही बात इनकी समजमे नही आती आप इनको जरा खुलके बताइअ‍े..

बाबा : (हसते) अगर इनको सब खुलके बता दीयातो इनको रातमे नींदही नही आयेगी..हें..हें..हें..सुन.. रीस्तोमे बदलाव मतलब वो आपसी रीस्तोमेही सादी करेगा क्युकी वो सब प्रकृतीके हीसाबसे जीने वाले होगे जो ये रीस्ते नातेको ज्यादा तवजुब नही देते वो हर रीस्तेमे केवल पुरुष ओर स्त्री ही समजते होगे तुजे सीर्फ अ‍ेकही रीस्ता बताता हु इनकी बहेनही इनकी बीवी होगी..

देवायत : (थोडा गंभीर होते) बाबा क्या ये सब रीस्ते जायज होते हे..? ये सब गलत नही हे..?

बाबा : भानु बेटा अंदर जाके वो सेवकको कुछ चाइ बायके लीये बोलदे (भानु अंदर चला गया तब..) नही बेटा आपके लीये सब गलत होते होगे जो लोग प्रकृतीके नीयमसे जीते हे इनके लीये कुछभी गलत नही बस कुछ समयकी राह देखले फीर तुम खुदही अ‍ेसे रीस्तेसे बंधे होगे जोभी होगा सब होने देना कीसीमे हस्तक्षेप नही करना अभी सीर्फ इतनाही जानले बाकी सब जब तु अकेला आयेगा तब खुलके बात करेगे

देवायत : जी..बाबा समज गया..अगली बार अकेलाही आउगा..येतो छोटे भाइ बहेनको होस्टेल छोडने आयेथे तो चले आये..

बाबा : सुन तेरे भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदेना बस अभी सीर्फ इतनाही कहेना हे..

भानु : (वापस आके बेठते) बाबा इन्होनेतो चाइ बनाभी लीया आतेही हे..हमे आते देखलीया था..हें..हें..हें..

तब देवायतके मनमे विचारोका धमासान युध्ध चल रहाथा तभी सेवक चाइ लेकर आगये फीर सबने चाइ पीली, तब दोनो बाबाको दक्षीणा देकर नीकल गये ओर वापस गांवकी ओर चलने लगे तब देवायत पुरे रास्ते खामोस बेठा रहा ओर सोचता रहा की आगे उनको क्या क्या दीखनेको मीलेगा ओर बाबाने अ‍ैसा क्यु कहाकी तुम खुद अ‍ेसे रीस्तेसे बंधे होगे..?, तब भानुने तंद्गासे जगादीया

भानु : (देवायतकी ओर देखते) यार..कहा खो गया तु.. लगता हे बाबाने कुछ गंभीर बात बताइ हे..

देवायत : (भानुकी ओर हसते) नही यार..बस यही समजले आनेवाले वक्तमे हमारे घर बहुत बडा बदलाव होगा जो हमारे घर बडी सक्तीया आने वाली हे बस यही सोचते रोमांचीत हो रहा था..

भानु : भाइ मे जब आया तब बाबा कुछ सादीकी बात कर रहेथे..कीसकी सादीकी बात कर रहे थे..?

देवायत : (हसते) अरे वो लखन ओर पूनमकी बात कर रहेथे..कहेतेथे उमर होतेही दोनोकी सादी करदेना..

भानु : (हसते) हां..यार..लडकीयातो जटसे सादीके लायक होजाती हे देखोना पूनम कीतनी बडी हो गइ हे ओर हमारी लता भी जवानीके देहलीजपे कदम रखतेही कीतनी बडी दीखती हे..हें..हें..हें..मुजेतो इनकी अभीसे चीन्ता हो रही हे..हें..हें..हें..

देवायत : (कुछ सोचते) अरे यार भानु..मेरे दीमागमे अ‍ेक बात आ रहीहे..हमारी लताकी चीन्ता तु छोडही दे, मे चाहता हु हमारे लखनके लीये लताका हाथ तुमसे मांगता हु..बोल क्या कहेता हे..?

भानु : (मनमे खुस होते) भाइ तुमनेतो मेरी मुहकी बात छीनली, दोनो अ‍ेक दुसरेसे जाने पहेचानतेभी हे बाकी कहा कुछ देखना पुछना हे.. बस अ‍ेक बार लताका मन जानलु फीर मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

देवायत : यार लखनभीतो पढ रहा हे बस ये बात तु अभी सीर्फ हम दोनोके बीच रख हम सीर्फ अपनी बीवीयोसे बात करेगे फीर बात पकी करके रख देगे जब दोनोकी उमर होगी तब दोनोकी सादी करदेगे..

भानु : (खुस होते हसते) डन..भाइ, सब तैय रहा हम वोही करेगे..

अ‍ेसीही बाते करते दोनो वापस हवेलीपे आगये तब साम ढल चुकीथी आतेही दोनो फ्रेस हो गये तब मंजुला ओर भावनाभी आगइ ओर दोनोको खानेके लीये केह दीया तो दोनो सीधेही डाइनींगपे बेठ गये तब मंजुला ओर भावनाभी इनके साथ बेठ गइ तब दया ओर रजीयाने खाना परोस दीया ओर चारो खाने लगे तबभी देवायत खाना खाते सोचमे डुबाथा तब मंजुला सब बाते भांप गइकी कुछतो बात हे जो इनको परेसान कर रहीहे उसने मनही मन रातमे बात करनेकी ठानली ओर चारोने खाना फीनीस कीया

भानु : यार..अब हम कल सुबह चले जायेगे इतने दीन हो गये घरपे मां ओर लता अकेले हे..

देवायत : भानु जोभी हो तु तेरी दुकानका दो दीनमे कुछ करले फीर इधर चलेआना ओर सब सम्हाल ले..

मंजुला : हां भानुभाइ बहुत चलाली दुकान अब दोनो भाइ मीलके सब वहीवट सम्हाललो..

भानु : ठीक हे भाभी अबतो यही करना हे मे दो दीनके बाद आजाउगा..

देवायत : (हसते) यार..तु इधरही रहेने आजा इतनी बडी हवेली हे दोनोके परीवार आरामसे रेह लेगे..

भानु : नही यार..पासमे हीतो गांव हे इधर आनेमे १० मीनीटभी नही लगती फीर हमारा मकानभीतो बडा हे वो अ‍ेसेही पडे रहेके खंढहर होजायेगा हम सब आते जाते रेहेगेनां..

अ‍ेसीही बाते करते आधे घंटेके बाद सब सोने जाने लगे तब मंजुलाने छुपकेसे हसते हुअ‍े भावनाको अ‍ेक गोली देदी तो भावना कीचनमे चली गइ फीर अ‍ेक दुधका ग्लास लेकर अपने रुममे चली गइ ओर उसने वो गोली मीलाके दुध भानुको पीला दीया तो भानु दुध पीके सोनेके लीये बेडपे आगया ओर लेटतेही..

भानु : (हसते) क्या बात हे आज पतीपे इतना प्यार आ रहाहेकी दुध देदीया इरादातो नेक हेनां..?हें..हें..हें..

भावना : (सरमाके हसते) हां..जाओजी..येतो दीदीने कहाकी रातमे सोते वक्त पतीको दुध पीलाना चाहीये तो पीला दीया, क्या आपको अच्छा नही लगा..?

भानु : (भावनाको बाहोमे भरते) अरे डार्लींग बहुत अच्छा लगा, बस अ‍ेसेही रोज मेरी सेवा करती रहे..

भावना : (सरमाते सीनेपे सर रखते) सुनीयेजी दीदी केह रहीथी दुसरा बच्चा करलो उनकी पढाइकी चीन्ता मत करना तो मुजेतो बहुत सरम आइ..

भानु : (बाहोमे कसते होंठ चुमते) तो सहीतो केह रही हे..मेतो कबसे केह रहा हु तु मानती नही थी दोनो बच्चे अ‍ेक साथ बडे हो जायेगे चल आजा आजतो दुसरा बच्चा देदी देता हु.. चलना.. सब कपडे नीकालदे आज दोनो खुब मजे करेगे देख नीचे अभीसे खडा हो गया फटाफट कपडे नीकाल..

तब भावना समज जातीहेकी गोलीने अपना असर सुरु करदीया दरसल दोनो अकेली बेठीथीतो भावनाने प्यासी रहेनेकी फरीयाद करली तो मंजुलाने उसे अ‍ेक वायग्राकी गोली देदी जो देवायत अक्सर घरपे रखता था ओर कभी कभी इनका उपयोग करके पुरी रात मंजुलाकी चुदाइ करताथा तब सुबह मंजुलाकी हालत खराब हो जातीथी तो आज भावनाकी फरीयाद सुनके उसे गोली देदी..तब भावनाने सब कपडे नीकाल दीया

भावना : (बेडपे लेटते अपने बाल खुले करते) आज बडा जोस चडा हुआ हे देखना फीर मुजे प्यासी मत रखना आजतो पुरी रात जबरदस्तीसे करवाउगी भलेही सुबह मेरी हालत खराब हो जाये..

भानु : (भावनाके उपर लेटते होंठ चुमते) डार्लींग दुधमे क्या खीला दीया हे जो लंड फटा जा रहा हे अ‍ेसा लगताहे आजतो पुरी रात तेरी चुतमे रखते तेरी बजाताही रहु

भावना : सीइइइ..आहइइ धीरे चुसोना मे कहा भागी जा रहीहु..

तब भानु भावनाके होठोको पागलकी तराह जोरोसे चुस रहाथा ओर अ‍ेक हाथसे भावनाके बुब्सको मसल रहाथा तब भावनाकोभी अपने उरोजोपे हल्का दर्द होने लगा आज भानुका जोस देखते मनही मन खुस हो रहीथी की चलो आज मे प्यासी नही रहुगी तब अपनी चुतके अंदर भानुने अ‍ेक उंगली घुसादी ओर चुतमे अंदर बहार करने लगा तब भावना पागल जेसी होगइ ओर जोरोसे सीसकारीया करने लगी उसने वासनाके नसेमे अपनी आधी आंख चडाली ओर भानुको वासना भरी नजरोसे देखती रही

भानु : आइ..केसा लग रहा हे डार्लींग जीतो चाहता हे आज तेरी चुतका भोसडा करदु आजतो दुसरा बच्चा पका डालुगा तुने बहुत नखरे कीये हे चल अब इसे मुहमे लेके चुस..

भावना : आहइइ..सीइइइइमममममआआआअइइइइआह..घुम जाओ..

कहातो भानु भावनाकी दोनो ओर पैर करके बेठ गया ओर चुतकी ओर मुह करते जुक गया ओर मुह सीधा चुतपे लगा दीया तब भावना सरसे पांव तक हील गइ ओर सीसकारीया करते भानुका लंड मुठीमे पकड लीया फीर हल्केसे सहेलाते अपने जीभसे चाटने लगी जब लंड गीला हो गया तब धीरेसे मुहमे भरने लगी आज उसे भानुका लंड अ‍ेकदम सख्त महेसुस हो रहाथा ओर मजेसे लंडको मुहमे अंदर बहार करने लगी

तब भानुभी चुतमे जीभ डालके उसे अंबर बहार करने लगा तब थोडीदेरकी धमासानके बाद भावना अकडने लगी ओर अपनी कमरको जटके देने लगी तब अचानक चुतसे फवारा छुट गया ओर भानुका पुरा मुह भर गया तबजाके भावना सांत हुइ ओर अपनी सांसको कंटड्ढोल करने लगी तब भानु उठके बाथरुममे चला गया ओर मुह साफ करके लंड हीलाते वापस आगया ओर भावनाके पैरके बीच बेठ गया

भावना : भानु आज पहेला बार तुमने बीना डालेही मुजे जडा दीया बस रोज अ‍ेसेही करना..

भानु : चल अब असली मजेके लीये तैयार होजा आजतो तेरी चुतको फाडकेही रहुगा..

भावना : कीतना जोस चडा हे लगता हे आजतो तुम मुजे पेटसे करकेही छोडोगे..हें..हें..हें..

भानु : (लंडको चुतपे सेट करते) तो फीर..क्या मस्त चुत हे तेरी चल आजा..

कहेते धीरे धीरे लंडको पकडके चुतमे धकेलने लगता हे तब भावना कांपने लगती हे आज उसे भानुका लंड अपनी चुतमे बहुत सख्त लग रहाथा वो सीसकारीया करते दोनो हाथसे चदर पकडते मुहको इधर उधर करने लगती हे तब भानु उनके उपर जुकके लेट जाता हे ओर भावनाकी गरदनके नीचे अ‍ेक हाथ डालके दुसरा हाथ उनके उरोजपे रखते जोरसे मसल देता हे ओर कमर उची करके अ‍ेक जोरका जटका मारता हे तब आज पहेली बार भावनाके मुहसे चीख नीकल गइ ओर जो भानुके मुहमेही दब गइ तब भावनाकी दोनो आंखसे आंसु नीकल आये ओर वो देवायतकी आंखोमे सरमसे पानी पानी होते देखने लगी

भानु : (हसते) क्यु डार्लींग केसी रही..आज तेरी चुतको ना फाडदुतो मेरा नाम भानु नही..

भावना : सीइइ..आह..आह..इइसीइइइइमंमंमंममुमुमुइइइससससस भानु क्या होगया हे तुजे..

भानु : कमीनी मुजे पता हे तुने दुधमे मुजे वायग्रा मीलाके पीलाइ हे..हें..हें..हें..आजतो तेरी चुतका भोसडा बना दुगा तुजे बहुत ठरक चडती हेनां..? आजतो सबह तक तेरी बजाता रहुगा..

भावना : प्लीज..भानु..मुजे नही पताथा इन गोलीमे इतनी ताकात हे वरना कभी नही पीलाती..

भानु : क्या नही पीलाती अबतो हर रात गोली पीके तेरी बजाउगा तुजे रोज लंड चाहीयेनां..?

कहेके भानु हाथके बल उचा होके जोरोसे भावनाको चोदने लगता हे तब भावनाके बुब्स उछलने लगते हे ओर भावना दर्दके बारे मुहको इधर उधर करने लगती हे ओर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगती हे तब रुममे केवल भावनाकी चुडीयोकी खनखनाहट ओर फच..फच..फच..की आवाज आ रही हे तब थोडीही देरमे भावना कमरको जटके देने लगी ओर कमर उची करते दोनो हाथसे चदर पकडते जडने लगी

तबभी भानु उसे जोरोसे चोदेकी जा रहाथा तब भानु वापस भावनाके उपर लेट गया ओर अ‍ेक हाथ भावनाकी गरदनके नीचे डालके जोरोसे कमर हीलाने लगा ओर भावनाके होंठ जोरोसे चुसने लगा तब कुछ देरके बाद भावनाकी आंख बडी होगइ ओर भानुकी आंखमे देखते दोनो हाथ भानुकी पीठमे रखते भानुको जोरोसे बाहोमे भीचलीया ओर अ‍ेक बार फीर जडने लगी तबभी भानु उसे चोदेही जा रहाथा

भानुका लंड भावनाकी चुतमे कीसी मशीनके माफीक अंदर बहार हो रहाथा तब भानुने अचानक भावनाके होंठ जोरोसे भीचलीया ओर कमरको जटके मारते भावनाकी चुतको अपने गाढे पानीसे भरने लगा तब भावनानेभी उसे कसके बाहोमे भीचलीया ओर उनकी पीठ सहेलाती रही तब धमासान चुदाइका तुफान सांत हुआ ओर दोनोही अपनी सांसे दुरस्त करने लगे तब भानु भावनाके उरोजोपे सर रखके ढेर हो गया ओर भावनाभी धीरे धीरे उनकी पीठ सहेलाती रही तब भावना सरमके मारे भानुसे आंख नही मीला पा रहीथी

भानु : भावु..क्या..आज मजा आया..?

भावना : (धीरेसे थकी आवाजमे) भानु तुनेतो आज मुजे तोडके रख दीया मुजे पता होताकी गोलीमे इतनी ताकत हेतो मे कभी नही देती आजतो चोद चोदके मुजे पुरी नीचोड ली चल उपरसे हट मुजे बाथरुम जाना हे

भानु : (हसते) नही देखती नही लंड अभीभी खडा हे आजतो दो राउन्डके बगैर तेरे उपरसे हटने वाला नही हु

भावना : पागल हे क्या..? अरे बाबा तुमने अ‍ेकही बारमे मुजे थका दीया.मुजे नही चुदना..

भानु : अरे बेबी आजतो तुजे छोडने वाला नहीहुं तु हर रात प्यासी रहेती हेनां चल आज तेरी सारी कशर पुरी करता हु फीर तुजे अ‍ेक बातभी कहेनी हे हमारी लताके बारेमे..

भावना : (भानुकी ओर सवालीया नजरसे देखते) कोनसी बात..उसने कुछ कांडतो नही कीया..?

भानु : (थोडा गुसा होते) पागल हे क्या..? अ‍ेसा कुछ नहीहे..बस उनके रीस्तेकी बात आइहे..हें..हें..हें..

भावना : जानु मुजेतो पहेले बताते मेनेभी अ‍ेक जगह उनकी बात चलाइ हे..कोन हे वो...?

भानु : (खुस होते) देवायतने खुद लखनके लीये हाथ मांगा हे..बस अ‍ेक बार लताका मन जानले..

भावना : (खुस होते) सच..? अरे बाबा हमारी लताके बारेमे मेने खुद बडी दीदीसे आज बातकी तो कहेतीथी तेरे जीजाजीसे पुछके बताउगी..ओर आज जीजाजीने खुद आपसे बात करली..आप हां कहेदो ओर ये रीस्ता पका करलो मे लतासे बात करलुगी..आजतो दील खुस करदीया आपने (हसती हे)

भानु : (हसते) तो चलो इसी खुसीमे अ‍ेक राउन्ड होजाये..

कहेते भानु अपनी कमर हीलाने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होगइ ओर भानुकी पीठमे दोनो हाथ रखके भानुको बाहोमे भीच लीया तब भानु उनकी गरदनमे मुह डालके गरदनको चुमते कमरको जटके मारने लगा ओर भावनाभी अपनी कमर उछालते तालमेलमे भानुका साथ देने लगी ओर अ‍ेक बार फीर दोनोके बीच धुआधार चुदाइ होने लगी तब भावना सीसकारीया करते वासनाके भवंडरमे खो गइ

भावना : येस..भानु ओर जोरसेइइइइइआह..आह..आह..इइइससससससममममजाजाजजाआआरररहाहाहेहेहे..

भानु : डार्लींग..क्या मस्त चीज हे..जी चाहताहे तुजे..चो..द..ता..र..हु..सीइइइआइइइमुंहा..

भावना : जानु नीचोड डालो मुजे..मेरे दर्दकी..परवाह..मत..क..रो..इइइइसससससस..ग..इइइइइइइइ

कहेके भावना जोरोसे भानुको बाहोमे भीजते जडने लगी तब भानु हाथके बल उचा होके भावनाको दोनो टांगे पेरमे फसाके जोरोसे चोदने लगा वायग्राकी वजहसे भानुभी थकने लगा पर लंड अभीभी सख्त था तब भावना दो बार ओर जडके पुरी तराह थकके चकनाचुर होचुकीथी फीरभी भानु जडनेका नाम नही ले रहा था बस उसे चोदेही जा रहाथा तब अचानक भानु उनके उपर लेट गया तब भावना समज गइ

ओर उसने भानुको जोरोसे बाहोमे भीचलीया तो भानुभी भावनाके होठोपे होंठ रखके जोरोसे भीचते अपनी कमरको जटके मारने लगा तब अपने गाढे पानीसे भावनाकी चुत भरने लगा ओर आखीर लंडको जड तक घुसा दीया ओर भावनाके सीनेपे सर रखके ढेर हो गया ओर बेहोसी जेसी हालतमे चला गया तब भावना अपनी सांस कंटड्ढोल करते उनकी पीठ सहेलाती रही तब वोभी कुछ बोलनेकी स्थीतीमे नही थी

दोनोही काफी देर अ‍ेसेही रहे आज भावनाका तन पुरी तराह टुट चुकाथा, तब उसे पता नही थाकी चुतके अंदर दोनोके बीज मीलनके लीये धमासान युध्ध कर रहेथे ओर काफी मसकसके बाद दोनोके बीज मील गये ओर भावनाके गर्भमे भानुका बीजका रोपन होगया था तब भावना थोडी देरके बाद हीली ओर भानुको अपने उपरसे हटानेकी कोसीस करने लगी तब भानु साइडमे लुढक गया

तो भावना बेडपे बेठ गइ ओर अपने बालोका जुडा बनाते बेडसे उतरनेकी कोसीस करने लगी तब उसकी चुतमे काफी जलन महेसुस होते वापस बेडपे बेठ गइ ओर गुस्से से भानुकी ओर देखने लगी फीर बेडपे दोनो हाथके सहारे फीर खडी होगइ ओर धीरे धीरे बाथरुमकी ओर जाने लगी तब उनकी चाल बीलकुल बदल चुकीथी ओर वो लडखडाते बाथरुममे घुस गइ

सादीके इतने दीनोमे इनकी अ‍ेसी धमासान चुदाइ कभी नही हुइ थी मानो आज उनकी सुहागरात हुइहो वो मनही मन बहुतही खुस हो रहीथी जब बाथरुममे घुसते जुक गइ ओर अपनी चुतकी ओर देखने लगी तब उनकी चुत सुजके पांव जेसी हो गइथी इनको अभीभी यकीन नही हो रहाथाकी उनके पती भानुने इनकी जबरदस्त चुदाइ करली हे फीर वो पीसाब करके चुतको साफ करने लगी ओर सही होके बहार आगइ

आतेही भानुसे चीपकके सो गइ पता नही दोनोको कब नींद आगइ तब दुसरी ओर मंजुला ओर देवायत रुममे जातेही दोनो आपसमे चीपकके अ‍ेक दुसरोकी बाहोमे समा गये ओर काफी देर खडे रहेके अ‍ेक दुसरेके होंठ स्मुच करते रहे तब देवायत उसे गोदमे उठा लेता हे ओर बेडकी ओर चलने लगता हे फीर बेडपे लीटाते खुदभी उनकी बगलमे उनपे जुकके लेट जाता हे ओर दोनोही कीस करने लगते हे

मंजुला : (हसते) लगता हे आज मेरा आसीक कुछ ज्यादाही परेसान दीखते हे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां डार्लींग आज बातही कुछ अ‍ेसी हुइकी बाबाने दील जंजोरके रख दीया..

मंजुला : (सरमाके हसते) क्या अ‍ेसेही बात करोगे..? सभी बातेतो आप मेरे उपर लेटतेही करते हे हें..हें..हें..पहेले आपका हथीयार डालोनां फीर हम आरामसे बात करेगे अबतो मुजेभी आदत हो गइ हे

देवायत : (हसते) चल कोइ बात नही पहेले मेरी जानुको थोडा प्यार करलु फीर बात करेगे..

तब देवायत मंजुलाके ब्लाउसका बटन खोलने लगा तो मंजुलाभी देवायतके सर्टके बटन खोलने लगी तब थोडीही दीरमे दोनो नंगे हो गये तब मंजुलाने देवायतका हाथ पकडके बेडपे लेटते अपने उपर खीच लीया तो देवायतभी अ‍ेक टांग मंजुलाके उपर डालके उनके उपर चड गया ओर उनके बुब्स पकडके मसलने लगा फीर अपना मुह जुकाके उनके उरोजोको चुसने लगा तब मंजुला उनके सरपे हाथ घुमाते सरको सहेलाने लगी

मंजुला : (हसते प्यारसे) देवु आज दीदीने मुजसे अ‍ेक बात की हे..हमारे लखनके बारेमे..

देवायत : (आस्चर्यसे मुह हटाके देखते) क्या..? कही लताके बारेमेतो बात नही की..?

मंजुला : (खुसीसे हसते) हां..उसीके बारेमे बातकी..वो अपनी लताका हाथ हमारे लखनके हाथोमे देना चाहती हे..तो मेने केह दीया आपसे पुछके बताउगी..

देवायत : (जोरोसे बाहोमे भीचते कीस करते) अरे डार्लींग आज खुद मेने भानुसे इस बारेमे बात की मेनेभी लता का हाथ लखनके लीये मांग लीया..कहेताथा अ‍ेक बार लताका मन जानले उसे कोइ अ‍ेतराज नही..

मंजुलाकी चुत लगातार पानी छोड रहीथी तब देवायतका लंडभी चुतपे दस्चक देने लगा तभी मंजुलाने हाथ नीचे लेजाके लंड को मुठीमे पकडलीया ओर चुतपे घीसके लव होलमे फसादीया तब देवायतने जोसमे आके अ‍ेक जोरका जटका मारके पुरा लंड चुतमे घुसा दीया तब मंजुलाकी हल्कीसी चीख नीकल गइ तब चार आंखे थोडी खुली हुइ खीडकीकी दरारमे जम गइ जो रजीया ओर दयाकी थी जो दोनोकी चुदाइ अक्सर देखतीथी तब अ‍ेक दीन दोनोही देवायतकी नजरमे चुदाइ देखते पकडी गइ तबसे देवायत दोनोकी चुदाइ करने लगा ओर वे दोनोभी देवायतके लंडकी आदी हो गइ अब उसेभी देवायतके लंडके बगैर नही चलता

मंजुला : (कामुक आवाजमे) आहहहहह सीइइइइइइ चोदो..मु..जे..सीइइइइआइइइइइइइमममममंहहहहसीसीइइ

तब देवायत उसे धीरे धीरे कमर हीलाके चोदने लगा ओर मंजुला देवायतकी पीठपे दोनो हाथ घुमाने लगी आज देवायत लबे लबें चुतके जड तक सोट मारने लगा तब हर घके के साथ मंजुलाकी आहे नीकल जाती थी आज देवायत कुछ अलगही मुडमे था वो लगातार मंजुलाकी गरदन गाल होंठ सब जगाह चुमेही जा रहाथा तब मंजुलाभी पुरी तराह कामाग्नीमे जलने लगी ओर अपनी कमर उछालने लगी

देवायत : मंजु जी चाहता हे आज तुजे बच्चा देदु..(जोरोसे सोट मारते चोदने लगता हे)

मंजुला : देवु कुछ दीन ओर मजे करने दोनां..फीर हम करलेगे बच्चा..आइइ..धीरे करोनां..क्या होगया हे तुजे

देवायत : बस तुजे देखतेही पागल हो जाता हु..जी चाहता हे तुजे चोदताही रहु..(फच..फच..फच..फच..)

मंजुला : (हसते) लगता हे आज मेरी चुतकी धजीया उडने वाली हे हें..हें..हें..

देवायत : कुछ मत बोल..बस..मुजे चोदने दे..क्या कडक माल हे तु..मुंहा..बुच..बुच..बुच..सीइइइआह...

मंजुला : सीइइइआह..इइइइइससससहहहममममं दे..वु..मे..ग..इइइइइइइइ

कहेते मंजुला जड गइ तबभी देवायत उसे जोदेही जा रहाथा दोनोकी सांसे तेज चल रही थी दोनोके बीच घमासान चुदाइ चल रहीथी तब दया रजीयाके पीछे चीपकके खडी रहेके दोनोकी चुदाइ देख रहीथी तब दोनोही गरम होगइथी ओर अ‍ेक हाथसे अपनी चुत सहेलाती रही तब दयाने दुसरा हाथ रजीयाके आगे लेजाके उनके बुब्स पकडलीये तब रजीयाकी सीसकारी नीकल गइ ओर वो पलट गइ फीर दयाका हाथ पकडके लगभग अपने रुमकी ओर दोडही पडी दोनो अंदर आगइ तब रजीयाने फटाफट दरवाजा बंध करलीया ओर दयाको बेडपे लेगइ ओर धका मारके उसे बेडपे गीरा दीया ओर खुद उनके उपर लेटके दयाका होंट चुमने लगी

रजीया : कुती तुमनेतो मुजे गरम करदीया चल फटाफट कपडे नीकाल..

दया : रंडी मेभीतो गरम हु चल घुमजा ओर आजा मेरे उपर दोनो हमेसाकी तराह अ‍ेक दुसरेकी चुतको मुहसे चोदके सांत करते हे कीतने दीन हो गये मालीकने हमे नही चोदा..

रजीया : देखती नही अभी मालकीन चुदवा रहीहे कल हम मालीकको पकड लेगे अभीतो चाट मेरी चुतको..

दोनोही लेस्बीयन खेलने लगी ओर थोडीही देरमे अ‍ेक दुसरेके सामने बेठते अ‍ेक दुसरेकी चुतमे उंगली डालके जोरोसे हीलाने लगी इधर देवायत ओर मंजलाके बीच धुआधार चुदाइ होने लगी दो बार मंजुलाको जडा दीया फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहाथा आखीर लंडको जड तक घुसाते मंजुलाको जोरोसे बाहोमे बरते उनके होंठ भीच लीये तब मंजुलानेभी अपने दोनो पैर देवायतकी कमरके उपर आंटी लगाके उसे बाहोमे भीचलीया ओर देवायतका लंड मंजुलाकी चुतमे उल्टीया करने लगा ओर दोनोकी सांसे तेज चल रहीथी

दोनोही अपनी सांस कंटड्ढोल करने लगे तब मंजुला देवायतका सर ओर पीठ सहेलाती रही ओर देवायत मंजुलाके उरोजोपे सर रखके ढेर हो गया ओर अपनी सांस कंटड्ढोल करने लगा फीर थोडी देरके बाद मंजुलाका बुब्स चुसने लगा ओर मंजुला सरको सहेलाते सीसकाया करने लगी तब मंजुलाने कहा

मंजुला : सुनीयेजी आज आप परेसान क्यु लग रहेथे..कुछ बात हे क्या..

देवायत : (उनके सामने देखते हसते) देखा..तु मेरी परेसानीभी पहेचान गइ इसीलीयेतो तुजपे फीदा हु..

फीर देवायत उनको बाबाके मीलनेकी सारी बात बता देता हे तब मंजुलाभी सुनके सोचमे पड जाती हे की बाबाने अ‍ेसा क्यु कहाकी तेरे भाइ बहेनकी उमर होतेही सादी करदेना कुछतो रीजन होगा उसे भाइ बहेन की सादीका सुनके कोइ अचरज नही हुआ क्युकी वो खुद गांवमे अ‍ेसे कइ रीस्ते देख चुकीथी अ‍ेकतो खुद इनके मामाका लडका उनकी बहेनको ठोकता था ओर अ‍ेक बारतो उनका अ‍ेबोर्सन करवा चुकाथा

मंजुला : सुनीयेजी..ये भाइ बहेनकी सादीकातो ठीक हे पर लखन ओर पूनमकी सादीके लीये जल्दी क्यु कहा कही वो वहा तो दोनो आपसमे..नही..नही..पूनमतो अभी छोटी हे..सुनीये उन दोनोको वापस इधर बुला लीजीये हमे कोइ रीस्क नही लेना..

देवायत : पागल हो गइ हो क्या..? दोनोकी पढाइके बारेमेतो सोच..दोनोही अलग रेहते हे..

मंजुला : तो फीर बाबाने अ‍ेसा क्यु कहा..?

देवायत : अरे जानेमन वो सायद हमारे पोते पोतीके लीये केह रहे थे अगली बार अकेला जाउगा तब मुजे पुरी बात बतायेगे ओर सुन बाबा केह रहेथे वो कोइ इश्वरीय अंस होगा अ‍ेसा केह रहेथे..

मंजुला : (हसते) चलो ठीक हे भगवानभी हमे क्या क्या दीखायेगे..पता नही तब हम होगे की नही..

देवायत : इसीलीये केह रहाथाकी हमे अ‍ेक बच्चा करलेना चाहीये ताकी वो बडा होजायेतो हम इनके बच्चेतो देख सके ताकी हम उसे अच्छी सीक्षा दे सके..क्या कहेती हो..?

मंजुला : (सरमाके हसते) मे क्या कहु..जेसे आपको ठीक लगे..पता नही दोनो दोस्तको बच्चे पेदा करनेकी क्या जल्दी हे दीदीभी वोही केह रहीथी..सुनीये आप भानुभाइको अच्छे डोक्टरके पास लोयेइनां..भावना केह रहीथी उनका सब जल्दी होजाता हे..पता नही अ‍ेक लडका केसे पैदा करलीया..

देवायत : क्या भावनाने तुजे कहा..?

मंजुला : (सरमाके हसते) हां जब आप दोनो गयेथे तब बता रहीथी..हें..हें..हें..आज आपकी अ‍ेक गोली देदी हें..हें..हें..पता नही सुबह केसी हालत होगी उनकी..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) तुभी पागल हे हें..हें..हें.. कोइ अपनी बहेनकी अ‍ेसी हालत करवाती हे क्या..?

मंजुला : (हसते) क्या करती फरीयाद कर रहीथी तो देदी हें..हें..हें..

तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अ‍ेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....कन्टीन्यु


bhai bahot badhiya kahani likh rahe ho ,
good work
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक कहानी है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ३

तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अ‍ेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....अब आगे

बाजुके रुममे भानु ओर भावना भी अ‍ेक दुसरसे चीपकके सोयेथे तब दुसरे कमरेमे रजीया ओर दयाभी नंगीही अ‍ेक दुसरे से चीपकके सोइ थी तब यहासे तकरीबन ४ कीमी दुसरे गांवमे भानुके घर उनकी बुढी माता बहार सो रहीथी तब रुमके अंदर नइ नइ जवान हुइ लता भानुके बेटे भावेशको अपने साथ सुलाके गहेरी नींदमे सो रहीथी वो पीछले ६ महीनेसे पीरीयडमे आ रहीथी उनके सरीरमे काफी बदलाव आने लगाथा

लताके बुब्सभी अब बडे होते सीनेपे उभार दीखने लगाथा उनके चहेरेपे भी काफी नीखार आ गयाथा वो दीन भर दीन खुबसुरतीकी ओर ढल रहीथी जबभी उनका भतीजा भावेश उनके सीनेपे हाथ लगा देता तब उसे अपने तनमे बेचेनी महेसुस होने लगतीथी ओर वो रोमांचीत होती थी उसेभी नही पताथाकी ये सब क्या हो रहा हे तब अचानक छोटा भावेश रोने लगता हे तब लता करवट लेके बच्चेकी ओर पलट जाती हे

ओर उसे अपने सीनेसे चीपका देती हे तब बच्चा (भावेश) उनके सीनेमे मुह लगाते उनके बुब्सको अपने मुहमे लेनेकी कोसीस करता हे तब लता नींदसे जागके उनकी हरकत देखती रहती हे तो भावेश उनके बुब्स मुहमे लेनेकी कोसीस कर रहाथा तब लता सरमसे पानी पानी होगइ वहा रुममे अंधेरा छाया हुआथा ओर बहार उनकी मां सोते खरराटे मार रहीथी तब ना जाने क्या सुजी लताने अपना कुर्ता उचा कर दीया

तो उनका अ‍ेक बुब्स बहार आगया तब भावेशने अपना मुह बुब्सपे लगादीया ओर चुसने लगा दुधतो आता नही था फीरभी वो आंख बंध करते चुसता रहा तब लताको कुछ अजीबसा लगने लगा ओर वो मदहोस होने लगी तभी अपना अ‍ेक हाथ अनायासही अपनी चुतपे चला गया ओर वो धीरे धीरे सहेलाने लगी उसे इस हरकतसे बहुत आनंद आने लगा ओर उसने हमेसाके लीये बच्चेको अपने पास सुलानेकी ठानली

वेसेतो वो कइ बार छुप छुपके अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखती रहेती थी कइ बार उसने अपने भाइ भानुका लंडभी अपनी आंखोसे अपनी भाभी भावनाकी चुतमे डालते हुअ‍े देखाथा तबसेही वो बहुतही कामुक होने लगीथी उपरसे जबसे देवायतके पीताकी मौत हुइहे तबसे वो भानुके बच्चेको अपने साथ सुलातीथी ओर ये हरकत हर रात करतीथी फीर धीरे धीरे चुतमे उंगली डालके अपने आपको सांत करने लगी

वो अब दीनभर दीन ठरकी होते जा रहीथी पर अपनी मांसे बहुत डरतीथी क्युकी उनकी मांने सब दुनीयादीरी देखीथी उनको पताथा जब लडकी जवानीके दोरसे गुजरे तब उसे सम्हालना बहुत जरुरी था वरना वो सुरुआतसेही भटक जाती हे ओर सारी जींदगी लंडकी दीवानी रहेती हे जो वो अपनी जवानीमे सब करचुकी हे उसनेभी जवानीमे कइ लंड खायेथे उसमे देवायतके पीताजीका नाम सबसे उपर था मानो वो उनकी रखैलही थी ओर ये बात आज तक कीसीको पता नही थीकी भानु ओर लता उन्हीकी संतान थी

सुबह सुरजकी पहेली कीरण नीकलनेसे पहेलेही रजीया ओर दया हवेलीका सारा काम करने लगी तब मंजुलाकी आंख खुल गइ ओर अपनी हालत देखके सरमसे पानी पानी होगइ ओर उसे देवायतकी ओर देखके हसी आ गइ तो उसने देवायतके होंठ चुमलीया तभी देवायतकी आंख खुल गइ तब उसने फोरन मंजुलाको बाहोमे भीचलीया तो मंजुला सरमाती उनके छुटनेकी कोसीस करने लगी

मंजुला : (सरमाते हसते) छोडीयेना सुबह होगइ हे..आपको उठना नही हे क्या..? छोडीये मुजे..

देवायत : अरे डार्लींग सुबह सुबह तेरे चहेरेका दीदार होगया..चलना थोडा प्यार करते हे बस अ‍ेक बार..

मंजुला : (हसते) कोइ जरुरत नही रातमेभी मेरी हालत खराब करदीथी ओर अभीभी जी नही भरा..

देवायत : डार्लींग तुजे देखते कभी जी रही भरता..चलना अभी फटाफट अ‍ेक राउन्ड हो जायेगा..

मंजुला : पलीज..देवु समज तु.. वो दोनो जाग गइ होगी कही हमारा लाइव सो ना देखले हें..हें..हें..

तब देवायत हसते हुअ‍े मंजुलाको खीचके बाहोमे भरलेता हे ओर उसे पलटके पीठके बल लीटाते उनके उपर चड जाता हे दोनोही नंगेतो थेही देवायत अ‍ेकही जटकेमे मंजुलाकी चुतमे लंड घुसा देता हे ओर उसे धनाधन चोदने लगता हे मंजुलाभी जानतीथी देवायत अ‍ेक बार डीमांड करता हे तो उसे चोदकेही रहेता हे तब उसनेभी ज्यादा विरोध नही कीया ओर वो देवायतसे चुदने लगी थोडी देरमे वोभी गरम होगइ

ओर देवायतका साथ देने लगी तब थोडीही देरकी धमासान चुदाइके बाद दोनोही साथमे जड गये तो मंजुला उठके बाथरुममे भाग गइ तब देवायत हसने लगा ओर वोभी उठके बेडपे बेठा रहा जब मंजुला नहाके बहार आगइ तब वोभी बाथरुममे घुस गया ओर सब नीत्य करके नहाके बहार आ गया तबतक मंजुलाने उनके कपडे दीये ओर वो तैयार होगया तो दुसरी ओर भानु ओर भावनाभी तैयार हो चुके थे

भानु बहार होलमे चला गया तो पीछे भावनाभी बाल बनाके जुडा बना रहीथी तब मंजुलाभी देवायतको हमेसाकी तराह होंठेपे कीस करके मंदिरमे चली गइ ओर देवायतभी बहार आने लगा तब बाजुके रुमसे भावना भी धीरे धीरे चलके बहार आ रहीथी तब देवायतका सामना हुआ तो देवायत उनकी सालीकी चाल देखतेही हसने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होके मुस्कराती रही

जब भानुकी सादी नही हुइथी तब वो देवायतकी खुब मस्करी करतीथी तबसे देवायत उनको नामसेही बुलाता था ओर भानुभी मंजुलाको भाभीही कहेता था तब भानुकी सादीके बादभी सब वोही कहेके बुलाते हे तब देवायतको भावनाकी हालत देखके मस्करी सुजी ओर वो आते हसते हुअ‍े कहेने लगा

देवायत : (हसते सरारतसे) क्यु साली साहीबा अ‍ेसे क्यु चल रहीहो कही पेरमे मोचतो नही आगइ हें..हें..हें..

भावना : (सरमसे पानी पानी होते कातील समइल करते) जीजाजी अ‍ेक लगाउगीनां..आप बहुतही कमीने हो..अकेले मीलो तब बताती हु जेसे आपको कुछ मालुमही नही..

देवायत : (हसते) अबतो भानु आता जाता रहेगा तो साथमे चली आना अकेले मील लेगे..हें..हें..हें..

भावना : (धीमी आवाजमे) जीजु..प्लीज..ठीक हे आजाउगी तब मीलेगे..आपसे कुछ बातभीतो करनी हे..

कहेके वो देवायतकी ओर कातील स्माइल करते मंजुलाके पास कीचनमे चली गइ तो मंजुलाभी इनकी चाल देखते हसने लगी तब भावना फीरसे सरमसे पनी पानी होगइ तब मंजुलाने कहा

मंजुला : (हसते) कहो दीदी केसी रही रात..लगता हे दोनोने खुब मजे कीये हे.., हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते) क्या..दीदी..आपने कोनसी गोली दीथी देखोना मेरी हालत खराब करके रखदी..

मंजुला : (हसते) क्यु..? मजा नही आया क्या..?

भावना : (सरमसे धीमेसे) क्या दीदी..अ‍ेसा लगा कल मेरी सुहागरात हुइ.. इनको कीतना जोस चडा हुआ था.., सब आपकी वजहसे मुमकीन हुआ.. वरना मुजे क्या पता था इनमे इतना मजा आता हे अबतो मेने इनकोभी केह दीया हे वो गोली धरपे रखे..हप्तेमे अ‍ेक बार दुगी..वरनातो रोज अ‍ेसी हालत करेगे हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) चल ठीक हे दोनो आगये..? तो चाइ नास्ता देदे..ओर कभी कभी इनके साथ आती रहेना मुजेभी अकेला ना लगे..फीर सामको भानुभाइके साथ चली जाना.., ओर सुन..बच्चा होवे तो होने देना..

भावना : (हसते) दीदी मेरी मानो..अब आपभी करलो..

मंजुला : (सरमसे हसते) चल..ठीक हे..देखते हे..कर लेगे..

दोनोही धीरे धीरे बात कर रहीथी तब मंजुलाको नही पताथा आज रात देवायतने उनको तीन तीन बार चोदके उनकी चुतको भराथा तो वोभी प्रेगनेन्ट हो चुकीथी वोतो कुछ दीनके बादही पता चलने वालाथा जब इस बार दोनोका पीरीयड मीस होजायेगा, तब पता चलेगाकी दोनो अ‍ेकही रातमे साथमे प्रेगनेन्ट हुइ हे फीर दोनो चाइ नास्ता लेके डाइनींगपे आजाती हे ओर चारो साथमे चाइ नास्ता करते हे तब भावना बातको छेडती हे..

भावना : (धीरेसे) दीदी क्या जीजुको लताके बारेमे पुछा था..?

मंजुला : (हसते) अरे वोतो तेरे जीजाने खुद भानुभाइसे लताका हाथ मांग लीया हे पुछले..हें..हें..हें..

भानु : हां भावना हमने तैय करलीया हे दोनोकी उमर होतेही हम हमारी लताकी सादी लखनसे कर देगे..

देवायत : (हसते) यार वो सबतो ठीक हे फीरभी तु अ‍ेक बार लताका मन जानले.. फीर हम रीस्ता पका करके दोनोकी सगाइ कर देगे क्या कहेती हो मंजु..?

मंजुला : (खुसीसे हसते) हा भानुभाइ अ‍ेक बार लतासे पुछलो फीर दोनोकी सगाइ करदेगे..(देवायतकी ओर देखते) सुनीये अब आपभी कोइ अच्छे लडकेको ध्यानमे रखीयेगा हमारी पुनमभी बडी होती जा रही हे..

देवायत : (हसते) हां भाइ हां..मेरे ध्यानमे अ‍ेक लडका हे..बडेही जमीनदार हे सीर्फ मां बेटा ही हे पती कबका गुजर गया हे ओर उनके ज्यादा रीस्तेदारभी नही हे..पुर्खोका बडा घरभी हे जब जाउगा तब बात कर लुगा..

भानु : भाइ मेरी मानोतो दोनो भाइ बहेनका रीस्ता होता हेतो दोनोकी सादी साथमेही करदो, क्या कहेती हो भाभी..सब अ‍ेकही बारमे हो जायेगा हमारी पुनमभी सरसुराल चली जायेगी..

मंजुला : (हसते) आपतो बडे छुपे रुस्तम नीकले पुनमके लीये लडका देखभी लीया ओर मुजेही नही पता..

देवायत : अरे इसमे क्या बताना अभी हमारी पुनम छोटीहे तो बताके क्या फायदा..तभी नही बताया.., (मनमे सोचता हे - मंजु तुजे क्या पता वो कोन हे, उस गांवकी सरपंच हे ओर विधवा हे, उसे तुमभी जानती हो, तो मे उसे अक्सर मीलता हु ओर उसे कइ बार चोद चुका हु, वोभी मेरी पत्नीही हे वो मुजे ही पती मानती हे, वो मेरी बात कभी नही टालेगी)

मंजुला : (हसते) ठीक हे ठीक हे..मेतो अ‍ेसेही केह रहीथी..क्या आप भानुभाइको ओर दीदीको छोडने जा रहेहो नां..?

देवायच : (हसते) हां..क्या तुजेभी साथ चलना हे..? चलना दोनो छोडके आजायेगे..माजीको भी मील लेगे..

भानु : हां भाभी आपभी चलो यहा अकेली बोर होजाओगी.., मां को भी मील लेना..

मंजुला : (हसते) भानुभाइ अबतो ये रोजका होगा..फीरभी चलती हु.. माजी कोभी मीलना हे..काफी दीन हो गये नही मीली.., लता ओर लखनकी उनसेभी बात होजायेगी..चलो..

फीर चारो चाइनास्ता करके देवायतकी गाडीमे नीकल जाते हे ओर १० मीनीटमेही भानुके घर पहोंच जाते हे तब चारो अंदर आजातेहे तो लता भावनासे लीपट गइ फीर सबके पैर छुके सरमाते खडी रही तब आज पहेली बार मंजुला ओर देवायत लताको अपने लखनकी बहुके रुपमे देखते खुस हो रहेथे तब लताको अहेसास हुआ की दोनो मुजे कुछ अजीब नीगाहोसे देख रहे हे तो वो खुब सरमाइ ओर भागके अंदर चली गइ, तब चारोही हसने लगे

हसनेकी आवाज आइ तब भानुकी मा रुमसे बहार आइ तो मंजुको देखतेही दोडके उनको गले लग गइ ओर फुट फुटके रोने लगी क्युकी उसे देवायतके पीताके जानेका बहुत ही सोक लगाथा क्युकी असली कारण सीर्फ वोही जानतीथी तब मंजुलाभी साथमे रोइ ओर भावनाने दोनोको सांत कीया तब लता सबके लीये पानी लेके आइ ओर सबको पानी पीलाया तब जाके सब सांत हुअ‍े

तभी मंजुलाने उनके पाव छुअ‍े तो उनको आशीर्वाद दीया पर देवायतके पाव छुनेसे पहेले उनसे दुर हो गइ क्युकी वो बात सीर्फ देवायत ओर भानुकी मां ही जानतीथी फीर सब बेठ गये तो भानुकी मांने मंजु ओर देवायतसे उनके पीताके जानेका सौक व्यक्त कीया तब माहोलको हल्का करनेके लीये भावनाने अपनी सांससे लता ओर लखनके रीस्तेकी बात छेडदी तो लता वही खडीथी तो बात सुनके सरमसे पानी पानी हो गइ ओर भावनाके रुममे भाग गइ तब अ‍ेक बार फीर सब हसने लगे तो भानुकी मां देवायतको देखके थोडा अतीकमे चली गइ उनको सब घटनाक्रम याद आने लगा

(फ्लेसबेक)

न्यु केरेक्टर


सरला : भानुकी मां जो विधवा हे बहुतही कामुक ओरत थी भानुके पीता उनको ठीकसे संतुस्ट नही करपाते थे तब वो अपने तनकी जरुरतको देवायतके पीतासे पुरी करने लगी नतीजा ये हुआकी उनके पेटमे देवायतके पीताकी नीशानी यानी भानु पलने लगा ओर भानुके पैदा होनेसे पहेलेही देवायतका जन्म हो चुकाथा, भानुके पीता ओर देवायतके पीता खास दोस्त थे तबसेही खानदानकी दोस्ती चली आ रही हे, उनके रीस्तेदारमे बहुतही कम लोगथे तब देवायतके पीतानेही उनकी देखभालकी ओर उनकी सारी जीम्वेवारी उठाली

तब सरलाकी उमर महज २३ सालकी होगी फीर भानुका जन्म हुआ फीर थोडे बडे हो गये तब देवायत ओर भानु दोनो खास दोस्त होगये, देवायतके पीताने दोनोको पढनेके लीये सहेरमे भेज दीया जब दोनो १०/१२ सालके हो गये तब देवायतके पीताने सरलाको फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया तब भानुके पीताकी तबीयत बीगड गइ ओर उनको पता चल गयाथा की सरलाके सबंध देवायके पीतासे हे ओर वो सदमा बरदास्त नही कर पाये ओर चल बसे,

सरला भर जवानीमे विधवा हो गइ, फीर लताका जन्म हुआ ओर देवायतके पीताने भानु ओर देवायतको वापस बुला लीया फीर समयके साथ वोभी बुढे हो गये..तब सरला अ‍ेक बार फीर अकेली होगइ तब भानु ओर देवायत जवानीके देहलीजपे कदम रख चुकेथे ओर वो देवायतका गठीला ओर कसरती बदन देखते बहेकने लगी ओर देवायतकी ओर ढलने लगी तब उनकी उमर ४२ के आस पास हो चुकीथी देवायत उनके घर अक्सर आता जाता रहेता था तब अ‍ेक बार सबकुछ हो गया जो नही होना था..तो वो ये सब सोचते खडी थी तब..

(फ्लेसबेक खत्म)

मंजुला : मांजी तो क्या हम लता ओर लखनके रीस्तेकी बात पकी करदे..?

सरला : बेटा तबतो सोनेपे सुहागा..धन्यभाग जो मेरी लता आपके घरकी बहु बनेगी..हमे ये रीस्ता मंजुर हे..

कहातो भावना लताके पास अंदर चली गइ तो लता इनको देखते खुब सरमाइ ओर हसती रही तब भावना उनके पास बेठ गइ तो लता सर नीचे करते सरमाती हसती रही तब भावनाने उनके सरपे हाथ रखा ओर उनके गालको सहेलाया तब लताने नजर उची करते भावनाकी ओर देखा फीर नजर जुकाके ओर सरमाते हसती रही

भावना : लता क्या तुजे ये रीस्ता मंजुर हे..? तो बता हम तुजपे कोइ जबरदस्ती नही करेगे..

लता : (सरमसे पानी पानी होते) भाभी मे क्या बोलु..जो आप ओर भाइ करो वो सही हे..

भावना : (हसते) अरे गुडीया फीरभी बता दे..तेरे मनमे कोइ ओर होता..

लता : (गभराते) अरे नही नही..भाभी..मुजे मंजुर हे..(सरमाने लगती हे)

भावना : (हसते) चल ठीक हे..मे उनको बता देती हु..क्या तेरे बेटेने तुजे तंग तो नही कीया..हें..हें..हें..

लता : (हसते) क्या..भाभी मेरा भतीजा हे वो..हें..हें..हें.., बस मेरे साथ घुलमील गया हे..हें..हें..हें..

तब भावना हसती हुइ बहार आजाती हे ओर सबको लताकी बात बताती हे तो सब सुनके खुस होजाते हे तब सरला भावनाको कहेती हे..

सरला : (हसते) बहु..जा जरा गुड ओर धनीया लेके आ हमारे समधीका मुह मीठा करवाना हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते कीचनकी ओर जाते) जी माजी अभी लाइ..

देवायत : (हसते) माइ मे थोडी समधी हु..मेतो आपका बेटा ही हु ओर ये मंजुभी आपकी बहुही हे..

सरला : (हसते देवायतके कंधेपे हाथ रखते) पता हे बेटा मुजे, मेतो मजाक कर रहीथी तुभीतो मेरा बेटा हे ओर वोभी बडा मेने तुजमे ओर भानुमे कोइ फर्क नही कीया..

मंजुला : (हसते) मांजी चलो आप हमारे साथ रहेने आजाओ.., अब घर सुना सुना लग रहा हे..

सरला : (हसते) अब वहा आके क्या करुगी अबतो हमारी बेटीका घर होने जा रहा हे उमर भीतो हो गइ हे अब जी के क्या करुगी देखा नही अबतो तुम्हारे ससुरभी चले गये..मेरा भानु छोटाथा तबही उनके बापुजी चल बसे तब तेरे ससुरने हमारी खुब मदद की मेरे भानुको पढाया लीखाया तबसे दोनो दोस्त हे..भाइकी तराह

देवायत : (हसते) माइ भाइकी तराह नही हम दोनो भाइही हे..आपको पता हे मे भानुको अपने साथ लेजा रहा हु अब वोही हमारी सब खेती बाडी देखेगा मुजे कहा इन सब चीजोमे पता..बस हमारा लखन ओर भानुही सब वहीवट करेगे बस यही बात कहेनेही मे आयाथा लताकी बाततो अ‍ेसेही कल हो गइतो बता दीया

भावना : (हसते गुड धनीया लाते) लीजीये माजी हमारे समधीका मुह मीठा करवाइअ‍े..हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते भावनाको मुका मारते) समधीकी बची..हम घरकेही लोग हे समजी..मेरीभी ये सास हे..

सरला : बेटी येतो तुम लोगोका बडपन हे..मेरा देवायत भी उनके पीताकी तराह दीलावर हे जो लोगोकी मदद करते रहेता हे चल आजा मुह खोल..

कहेते रसीलाने मंजुलाके मुहमे गुड देदीया तो मंजुलानेभी सामने उनका मुह मीठा करवाया फीर देयावका मुह मुठा करवाया फीर भानु ओर भावनाने भी बारी बारी सबका मुह मीठा करवाया तब मंजुला ओर भावना गुडकी थाली लेके रुममे लताके पास चली गइ, तब लता दोनोको देखके खुब सरमाइ ओर दोनोने लताका मुह मीठा करवाया तब भावना थालीको वापस रखने कीचनमे चली गइ तो मंजुला लताके पास बेठ गइ.., ओर उसे प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. फीर हसते हुअ‍े कहा..

मंजुला : (हसते) क्युजी देवरानी..आप खुसतो हेनां..?

लता : (सरमाके हसते) जी दीदी..

मंजुला : (हसते धीरेसे) क्यु हमारे देवरका फोटो बोटो चाहीये..? तो भावुके हाथ भीजवा दुगी..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे पानीपानी होते) जी..भाभीसे लेलुगी..

जुला : (हसते सरपे हाथ घुमाते) चल ठीक हे भीजवा दुगी..ओर तेरे पास तेरा कोइ फोटो होतो दे देना..

लता : (सरमसे हसते) जी..हे भाभीके पास..

भावना : (अंदर जाकते) चलो दीदी चाइ बन गइ हे आजाओ बहार..फीर अपनी देवरानीसे बात करना..

कहातो लता फीरसे सरमसे पानी पानी होगइ ओर तीरछी नजरोसे भावनाकी ओर देखते हसने लगी..तब मंजुलाभी हसती हुइ बहार आगइ ओर सबने चाइ नास्ता कीया तब मंजुलाने सबसे छुपके लताकी फोटो भावनासे लेली फीर देवायतने जानेकी बातकी तो सरला उनको खाना खाके जानेकी बात करने लगी तब देवायतने बहार जानेकी बातकी फीर वो लोग लताको सगुनके पैसे देके नीकल गये ओर भानुभी दुकान देखने चला गया तब भावना रुममे चली गइ

भावना : (अंदर आते हसते) क्यु ननंदजी मनमेतो बहुत लडु फुट रहे हे हें..हें..हें..क्या कहेतीथी तेरी जेठानी..

लता : (सरमाते दोडके अपनी भाभीको गले लगते) क्या भाभी..जाओ मुजे आपसे बात नही करनी..

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रहीथी बेठ इधर..(बेडपे बीठाते) तुमनेतो लखनको देखा हेनां..वो सहेरमे पढ रहा हे वो वहाके राजाके खानदानसे हे तु वहा राज करेगी..ओर लखनभी अच्छा लडका हे..

लता : (सरमाते) देखा हे भाभी..बस काफी महीने हो गये तो नही देखा..

भावना : अरे वोभी तेरे माफीक जवान हो गया हे क्या मस्त दीखता हे अबतो मीलना जुलना चलताही रहेगा..दोनोकी उमर होतेही हम सादी करदेगे..अब खुस..? चल ये बता तुमको भावेशने तंगतो नही कीया..अ‍ेक बारभी तेरा फोन नही आया..लगता हे उनकी मां मे नही तुम हो..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे लताको अ‍ेक चपत लगाके) क्या भाभी..वो मेरा भतीजाही हे समजी..अब नही रखुगी मे..(जुठ मुठ नाराज होते)

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रही हु..कहा हे वो..

लता : (सरमाते हसते) जी..वो मेरे रुम मे सो गया हे..तुमने क्या लडका पैदा कीया हे रात भर जागता रहेता हे ओर दीनमे सोते रहेता हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते) हसले बच्चु जब तेरा बेटा होगा तब तुजे पता चलेगा..हें..हें..हें..

कहातो लता उनको मारनेके लीये दोडी तब भावना कीचनमे भाग गइ फीर दोनो भाभी ननंद खाना बनानेकी तैयारीया करने लगी तब दुसरी ओर उनकी सासभी आज बहुतही खुस हो रहीथी ओर भाभी ननंदकी मस्करीया देखते हस रहीथी क्युकी आज उनको अपनी बेटीके लीये अच्छा खानदान मील गया था वोभी अपने यारका लडका तब वोभी पुराने दीन याद करते बेठी रही ओर मुस्कराती रही

कैसे देवायतके बापु उमर होनेके बावजुदभी उनको रगड रगडके चोदते थे कभी कभी तो पुरी रात यहा रुकके उनकी चुदाइ करते रहेते थे या फीर हवेलीपे कोइ नही होता तब वो वहा बुला लेतेथे ओर उनकी खुब चुदाइ करते थे तब देवायत सीर्फ तीन सालका था भानुके पापाकातो तब ठीकसे खडाही नही होताथा वोभीतो उनके दोस्त थे भानु ओर लता दोनोही उनकी संतान थी दोनोने कीसीको नही बतानेकी कसमभी खाइथी ओर दोनोने आजतक ये बात सबसे छीपाइथी तब आज लताकी बात सुनके बहुतही

रोमांचीत होगइथी क्युकी रीस्तेमे लता लखनकी बहेनही लगती थी, वोभीतो जवानीमे सादीसे पहेले अपने भाइसे खुब चुदवाती थी तबसे उसे लंडकी आदत पड गइथी ओर वो लताका बरोबर खयाल रखती थी अ‍ेसेही सोचते बेठी रही

तभी दुसरी ओर देवायत मंजुलाके साथ मस्ती करते हवेली पहोंच गया तब देवायत मंजुलाको छोडके सीधेही आदीवासी कबीलेमे चला गया जो आधे घंटेकी डड्ढाइवके बाद पहोंच गया तब सब कबीले वाले उनको देखतेही हाथ जोडके अ‍ेकठा होगये सब

कबीले वाले देवायतको बहुत मानते थे क्युकी सब बाबाको गुरु मानतेथे ओर देवायत अक्सर सबकी ममद करता रहेता था सबको होस्पीटल के काममे, सादीमे ओर वेसेभी सबको अनाज देते बहुत मदद करता हे इसी वजहसे सब उसे भगवानकी तराह मानते हे
देवायत : कहो हरीया क्या नइ मुसीबत हे..बाबा बता रहेथे इधर कुछ प्रोबलेम आगइ थी..

हरीया : (कबीलेका सरदार) आइअ‍े मालीक कुछ नही वो बाजुके कबीले वाले हमारी अ‍ेक लडकीको उठाके ले गये ओर हमारे गांवमेभी दस बारह आदमीने आकर हमला करदीया ओर हमारी ओरतोके साथ खुब छेडखानी की..मतलब..आपसे क्या कहु..

देवायत : हं..समज गया कोनथा वो..कमीना..तुम ठहेरो कीधरके कबीले वालेथे..?

हरीया : (हाथ जोडते) वो..मंगीयाके कबीले वाले थे..मालीक हमभी तीन चार लोग आतेहे अकेले जाना ठीक नही वरना वो कमीना आपको अकेला देखके हमला कर सकता हे..

देवायत : हरीया चीन्ता मत कर मेरे पास घोडा (पीस्तोल) हे, तीन चारकोतो अ‍ेसेही ठोक दुगा..

तब तीन लोग ओर हरीया कुछ हथीयार लेके देवायतकी जीपमे पीछे बेठ जाते हे देवायत अपनी खुली जीप लेके पासही १५ मीनीटकी दुरीपे कबीलेकी ओर चल पडा तब हरीया उसे सब बाते बता देताहे की वो लोगोने हमारी ओरतोपे जबरदस्तीसे रेप कीया ओर मेरी लडकीको उठाके ले गया वगैरे..वो वहा पहोच गये तब मंगीया देवायतको देखतेही ठंडा हो गया ओर हाथ जोडके दोडके आ गया ओर हरीयाकी ओर घुरने लगा

देवायत : क्युरे भडवे..तुजे बहुत चरबी चडी हे..? जो दुसरोकी बहु बेटीकोपे जबरदस्ती करता हे कहाहे हरीयाकी बेटी? कोन उठा लाया बहेन.., उनको यहा पकडके ला मादर..को

मंगीया : (हरीयाकी ओर घुरते) मालीक वो गवला होगा..अभी बुलाता हु..ओर लडकीको भी लेआता हु..

कहेके वो दोडके अपनी आदमीके पास गया ओर गवलाके साथ हरीयाकी बेटीकोभी लेकर आगया तब लडकीने हरीयाको देखातो उनकी ओर दोड पडी ओर दोडके जीपमे बेठ गइ तब मंगीया गवलाको पकडके खडाथा ओर गवला हरीयाकी ओर घुर रहाथा.. तब हरीया उसकी बेटीको सब उनकी भासामे पुछने लगा तो वो नाना करके सब बताने लगी फीर हरीयाने देवायतकी ओर देखा ओर कहेने लगा

हरीया : मालीक इनके साथ जबरदस्ती करनेकी कोसीसकी वो इनसे सादी करना चाहता हे लेकीन ये लडकी सादीके लीये राजी नही हे वरना मेही इनकी सादी करवा देता पर इसने हमारी ओरतोके साथ गलत कीया..

देवायत : (गुसेसे गन नीकालते गवलाके सरपे रखते) क्यु साले..अभी घोडा दबाउगाना तो यही मां.. जायेगी.. मादर..अगर तेरे लोडेमे इतनीही गरमी चडी हेतो अबनी मां बहेन नही हे क्या..?

गवला : (डरते हाथ जोडके) मालीक पहेले मेरी बाततो सुनीये..इधर आइअ‍े अकेलेमे आपसे कुछ बात करनी हे..फीर आपको ठीक लगेतो मुजे मार देना..

तब देवायतको बात कुछ ओरही लगी ओर उनका गुस्सा थोडा ठंडा हो गया ओर उसने मंगीयाकी ओर देखा तो मंगीयाभी हाथ जोडके अ‍ेक बार बात सुननेकी मनत करते हांमे सर हीलाने लगा तब देवायत जीपसे उतर गया ओर गवलाको लेके थोडे दुर चला गया तब गवला सब बाते बताने लगा..

गवला : मालीक आपको पता नही ये हरीयाने मेरी भाभीको प्रेगनेन्ट करदीया हे वो अक्सर जंगलमे इनको मीलने आता हे तो मेरे भाइको पता चल गया ओर मुजे कसमदी की मेभी इनकी बेटीको उठाके ले आउ ओर उसेभी प्रेगनेन्ट करदु पर आपतो जानतेहे हम अ‍ेक दुसरेकी रजामंदीसेही सब करतेहे तो मेने इनकी बेटीको हाथ तक नही लगाया अब आपही बताओ मे क्या करता..भाइने कसम दीथी जब ये मुजसे सादीके लीये नही मानीतो भाइ इनके साथीके साथ वहा चला गय ओर उनकी ओरतोके साथ वो सब कुछ करके आया..

देवायत : कहा हे मादर..उसे बुलाके ला..ओर तेरी भाभीभी उनकी मरजीसे आइ होगी तभीभो दोनो जंगलमे मीलते होगे..वो उसे प्यार करतीहे तो हरीयाके साथ भेजदे तुम लोगोमेतो ये सब चलताही रहेता हे..

गवला : मालीक भाइ ओर उनके साथी इधरसे आपके डरसे भाग गये हे.. लगता हे वो कुछ गलत रास्तोपे चल रहा हे अब मेरी गलती क्या हे फीरभी आप कहो मे वही करुगा..

देवायत : चल ठीक हे अगर तेरी भाभी इनके साथ रहेना चाहतीहेतो भेजदे उसे पर तु गलत काम मत करना ओर समजा देना अपने भाइको जब मेरे हाथ चडेगा तो पुछुगाभी नही सीधा ठोक दुगा.. चल जा..

फीर देवायत दोनोको नसीहत देके लडकीको लेके वापस हरीयाके कबीलेपे आ गया तबतक सब लोग जमा हो चुकेथे ओर सब लडकीको देखते खुसीसे चीलाने लगे ओर देवायतके पैर छुने लगे तब देवायत हरीयाको लेके थोडा दुर चला गया ओर उनके कंधेपे हाथ रखके उनसे बाते करने लगा

देवायत : (हसते) हां हरीया बोल उधर गवलाकी भाभीसे क्या कांड करके आया..हें..हें..हें..

हरीया : (सरमाते हसते) मालीक अब क्या कहु..वो मेरे पीछे पागल हे ओर हम प्यार करते हे बस गवलाका भाइ डुंगर अब बुढा हो गया हे..उसे छोडनेके लीये तैयार नही था तो मुजसे प्रेगनेन्ट करनेके लीये कहेतीथी तो करदीया अब वो उसे छोड देगा आपतो जानतेहे हमारे लोगोमे ये सब आम बात हे..

देवायत : चल ठीक हे वो आयेतो उसे अपना लेना मे चलता हु..

हरीया : मालीक अ‍ेसेही चले जाओगे..कुछ कडक माल हे, क्या आपके लीये लेआउ..? ओर वो जमीला आपको याद कर रहीथी..अभी तक कीसीसे सादी नहीकी बस वोतो आपके पीछे पागल हे कहेतीथी सादी करुगीतो मालीकसे वरना उनके बच्चे पैदा करके पालुगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) उसे समजा सादी करले वरना मेरी बीवी देखी हे हमारे यहा तुम्हारे जेसा नही होता ओर मुजे कुछ नही पीना बाबाको मीलने जाना हे पीके वहा जाना ठीक नही ओर जमीलाको कहेना अ‍ेक दीन आउगा वरना उसे हमारे खेतोपे काम करने भेजदे वही मील लेगे..वहा रहेनेका इन्तजाम भीतो हे..

हरीया : (हसते) ठीक हे मालीक मे उस बात करलुगा आपका बहुत बहुत सुक्रीया..

फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आ गया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....कन्टीन्यु

 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ३

तब देवायत अपनी सालीकी बातोसे फीरसे गरम हो गया ओर धीरे धीरे कमर हीलाने लगा इस बार मंजुलाको चोद चोदके हालत खराब करदी उनको वापस दो बार जडाके उनकी पुरी चुत भरदी आज दोनो बहेनोकी जबरदस्त चुदाइ हुइ फीर देवायत मंजुलाके उपरही जडके ढेर होगया तब मंजुला उनका सर सहेलाते बेसुध जेसी हालत मे पडी रही ओर दोनो अ‍ेसेही कब नींदकी आगोसमे चले गये पताही नही चला....अब आगे

बाजुके रुममे भानु ओर भावना भी अ‍ेक दुसरसे चीपकके सोयेथे तब दुसरे कमरेमे रजीया ओर दयाभी नंगीही अ‍ेक दुसरे से चीपकके सोइ थी तब यहासे तकरीबन ४ कीमी दुसरे गांवमे भानुके घर उनकी बुढी माता बहार सो रहीथी तब रुमके अंदर नइ नइ जवान हुइ लता भानुके बेटे भावेशको अपने साथ सुलाके गहेरी नींदमे सो रहीथी वो पीछले ६ महीनेसे पीरीयडमे आ रहीथी उनके सरीरमे काफी बदलाव आने लगाथा

लताके बुब्सभी अब बडे होते सीनेपे उभार दीखने लगाथा उनके चहेरेपे भी काफी नीखार आ गयाथा वो दीन भर दीन खुबसुरतीकी ओर ढल रहीथी जबभी उनका भतीजा भावेश उनके सीनेपे हाथ लगा देता तब उसे अपने तनमे बेचेनी महेसुस होने लगतीथी ओर वो रोमांचीत होती थी उसेभी नही पताथाकी ये सब क्या हो रहा हे तब अचानक छोटा भावेश रोने लगता हे तब लता करवट लेके बच्चेकी ओर पलट जाती हे

ओर उसे अपने सीनेसे चीपका देती हे तब बच्चा (भावेश) उनके सीनेमे मुह लगाते उनके बुब्सको अपने मुहमे लेनेकी कोसीस करता हे तब लता नींदसे जागके उनकी हरकत देखती रहती हे तो भावेश उनके बुब्स मुहमे लेनेकी कोसीस कर रहाथा तब लता सरमसे पानी पानी होगइ वहा रुममे अंधेरा छाया हुआथा ओर बहार उनकी मां सोते खरराटे मार रहीथी तब ना जाने क्या सुजी लताने अपना कुर्ता उचा कर दीया

तो उनका अ‍ेक बुब्स बहार आगया तब भावेशने अपना मुह बुब्सपे लगादीया ओर चुसने लगा दुधतो आता नही था फीरभी वो आंख बंध करते चुसता रहा तब लताको कुछ अजीबसा लगने लगा ओर वो मदहोस होने लगी तभी अपना अ‍ेक हाथ अनायासही अपनी चुतपे चला गया ओर वो धीरे धीरे सहेलाने लगी उसे इस हरकतसे बहुत आनंद आने लगा ओर उसने हमेसाके लीये बच्चेको अपने पास सुलानेकी ठानली

वेसेतो वो कइ बार छुप छुपके अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देखती रहेती थी कइ बार उसने अपने भाइ भानुका लंडभी अपनी आंखोसे अपनी भाभी भावनाकी चुतमे डालते हुअ‍े देखाथा तबसेही वो बहुतही कामुक होने लगीथी उपरसे जबसे देवायतके पीताकी मौत हुइहे तबसे वो भानुके बच्चेको अपने साथ सुलातीथी ओर ये हरकत हर रात करतीथी फीर धीरे धीरे चुतमे उंगली डालके अपने आपको सांत करने लगी

वो अब दीनभर दीन ठरकी होते जा रहीथी पर अपनी मांसे बहुत डरतीथी क्युकी उनकी मांने सब दुनीयादीरी देखीथी उनको पताथा जब लडकी जवानीके दोरसे गुजरे तब उसे सम्हालना बहुत जरुरी था वरना वो सुरुआतसेही भटक जाती हे ओर सारी जींदगी लंडकी दीवानी रहेती हे जो वो अपनी जवानीमे सब करचुकी हे उसनेभी जवानीमे कइ लंड खायेथे उसमे देवायतके पीताजीका नाम सबसे उपर था मानो वो उनकी रखैलही थी ओर ये बात आज तक कीसीको पता नही थीकी भानु ओर लता उन्हीकी संतान थी

सुबह सुरजकी पहेली कीरण नीकलनेसे पहेलेही रजीया ओर दया हवेलीका सारा काम करने लगी तब मंजुलाकी आंख खुल गइ ओर अपनी हालत देखके सरमसे पानी पानी होगइ ओर उसे देवायतकी ओर देखके हसी आ गइ तो उसने देवायतके होंठ चुमलीया तभी देवायतकी आंख खुल गइ तब उसने फोरन मंजुलाको बाहोमे भीचलीया तो मंजुला सरमाती उनके छुटनेकी कोसीस करने लगी

मंजुला : (सरमाते हसते) छोडीयेना सुबह होगइ हे..आपको उठना नही हे क्या..? छोडीये मुजे..

देवायत : अरे डार्लींग सुबह सुबह तेरे चहेरेका दीदार होगया..चलना थोडा प्यार करते हे बस अ‍ेक बार..

मंजुला : (हसते) कोइ जरुरत नही रातमेभी मेरी हालत खराब करदीथी ओर अभीभी जी नही भरा..

देवायत : डार्लींग तुजे देखते कभी जी रही भरता..चलना अभी फटाफट अ‍ेक राउन्ड हो जायेगा..

मंजुला : पलीज..देवु समज तु.. वो दोनो जाग गइ होगी कही हमारा लाइव सो ना देखले हें..हें..हें..

तब देवायत हसते हुअ‍े मंजुलाको खीचके बाहोमे भरलेता हे ओर उसे पलटके पीठके बल लीटाते उनके उपर चड जाता हे दोनोही नंगेतो थेही देवायत अ‍ेकही जटकेमे मंजुलाकी चुतमे लंड घुसा देता हे ओर उसे धनाधन चोदने लगता हे मंजुलाभी जानतीथी देवायत अ‍ेक बार डीमांड करता हे तो उसे चोदकेही रहेता हे तब उसनेभी ज्यादा विरोध नही कीया ओर वो देवायतसे चुदने लगी थोडी देरमे वोभी गरम होगइ

ओर देवायतका साथ देने लगी तब थोडीही देरकी धमासान चुदाइके बाद दोनोही साथमे जड गये तो मंजुला उठके बाथरुममे भाग गइ तब देवायत हसने लगा ओर वोभी उठके बेडपे बेठा रहा जब मंजुला नहाके बहार आगइ तब वोभी बाथरुममे घुस गया ओर सब नीत्य करके नहाके बहार आ गया तबतक मंजुलाने उनके कपडे दीये ओर वो तैयार होगया तो दुसरी ओर भानु ओर भावनाभी तैयार हो चुके थे

भानु बहार होलमे चला गया तो पीछे भावनाभी बाल बनाके जुडा बना रहीथी तब मंजुलाभी देवायतको हमेसाकी तराह होंठेपे कीस करके मंदिरमे चली गइ ओर देवायतभी बहार आने लगा तब बाजुके रुमसे भावना भी धीरे धीरे चलके बहार आ रहीथी तब देवायतका सामना हुआ तो देवायत उनकी सालीकी चाल देखतेही हसने लगा तब भावना सरमसे पानी पानी होके मुस्कराती रही

जब भानुकी सादी नही हुइथी तब वो देवायतकी खुब मस्करी करतीथी तबसे देवायत उनको नामसेही बुलाता था ओर भानुभी मंजुलाको भाभीही कहेता था तब भानुकी सादीके बादभी सब वोही कहेके बुलाते हे तब देवायतको भावनाकी हालत देखके मस्करी सुजी ओर वो आते हसते हुअ‍े कहेने लगा

देवायत : (हसते सरारतसे) क्यु साली साहीबा अ‍ेसे क्यु चल रहीहो कही पेरमे मोचतो नही आगइ हें..हें..हें..

भावना : (सरमसे पानी पानी होते कातील समइल करते) जीजाजी अ‍ेक लगाउगीनां..आप बहुतही कमीने हो..अकेले मीलो तब बताती हु जेसे आपको कुछ मालुमही नही..

देवायत : (हसते) अबतो भानु आता जाता रहेगा तो साथमे चली आना अकेले मील लेगे..हें..हें..हें..

भावना : (धीमी आवाजमे) जीजु..प्लीज..ठीक हे आजाउगी तब मीलेगे..आपसे कुछ बातभीतो करनी हे..

कहेके वो देवायतकी ओर कातील स्माइल करते मंजुलाके पास कीचनमे चली गइ तो मंजुलाभी इनकी चाल देखते हसने लगी तब भावना फीरसे सरमसे पनी पानी होगइ तब मंजुलाने कहा

मंजुला : (हसते) कहो दीदी केसी रही रात..लगता हे दोनोने खुब मजे कीये हे.., हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते) क्या..दीदी..आपने कोनसी गोली दीथी देखोना मेरी हालत खराब करके रखदी..

मंजुला : (हसते) क्यु..? मजा नही आया क्या..?

भावना : (सरमसे धीमेसे) क्या दीदी..अ‍ेसा लगा कल मेरी सुहागरात हुइ.. इनको कीतना जोस चडा हुआ था.., सब आपकी वजहसे मुमकीन हुआ.. वरना मुजे क्या पता था इनमे इतना मजा आता हे अबतो मेने इनकोभी केह दीया हे वो गोली धरपे रखे..हप्तेमे अ‍ेक बार दुगी..वरनातो रोज अ‍ेसी हालत करेगे हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) चल ठीक हे दोनो आगये..? तो चाइ नास्ता देदे..ओर कभी कभी इनके साथ आती रहेना मुजेभी अकेला ना लगे..फीर सामको भानुभाइके साथ चली जाना.., ओर सुन..बच्चा होवे तो होने देना..

भावना : (हसते) दीदी मेरी मानो..अब आपभी करलो..

मंजुला : (सरमसे हसते) चल..ठीक हे..देखते हे..कर लेगे..

दोनोही धीरे धीरे बात कर रहीथी तब मंजुलाको नही पताथा आज रात देवायतने उनको तीन तीन बार चोदके उनकी चुतको भराथा तो वोभी प्रेगनेन्ट हो चुकीथी वोतो कुछ दीनके बादही पता चलने वालाथा जब इस बार दोनोका पीरीयड मीस होजायेगा, तब पता चलेगाकी दोनो अ‍ेकही रातमे साथमे प्रेगनेन्ट हुइ हे फीर दोनो चाइ नास्ता लेके डाइनींगपे आजाती हे ओर चारो साथमे चाइ नास्ता करते हे तब भावना बातको छेडती हे..

भावना : (धीरेसे) दीदी क्या जीजुको लताके बारेमे पुछा था..?

मंजुला : (हसते) अरे वोतो तेरे जीजाने खुद भानुभाइसे लताका हाथ मांग लीया हे पुछले..हें..हें..हें..

भानु : हां भावना हमने तैय करलीया हे दोनोकी उमर होतेही हम हमारी लताकी सादी लखनसे कर देगे..

देवायत : (हसते) यार वो सबतो ठीक हे फीरभी तु अ‍ेक बार लताका मन जानले.. फीर हम रीस्ता पका करके दोनोकी सगाइ कर देगे क्या कहेती हो मंजु..?

मंजुला : (खुसीसे हसते) हा भानुभाइ अ‍ेक बार लतासे पुछलो फीर दोनोकी सगाइ करदेगे..(देवायतकी ओर देखते) सुनीये अब आपभी कोइ अच्छे लडकेको ध्यानमे रखीयेगा हमारी पुनमभी बडी होती जा रही हे..

देवायत : (हसते) हां भाइ हां..मेरे ध्यानमे अ‍ेक लडका हे..बडेही जमीनदार हे सीर्फ मां बेटा ही हे पती कबका गुजर गया हे ओर उनके ज्यादा रीस्तेदारभी नही हे..पुर्खोका बडा घरभी हे जब जाउगा तब बात कर लुगा..

भानु : भाइ मेरी मानोतो दोनो भाइ बहेनका रीस्ता होता हेतो दोनोकी सादी साथमेही करदो, क्या कहेती हो भाभी..सब अ‍ेकही बारमे हो जायेगा हमारी पुनमभी सरसुराल चली जायेगी..

मंजुला : (हसते) आपतो बडे छुपे रुस्तम नीकले पुनमके लीये लडका देखभी लीया ओर मुजेही नही पता..

देवायत : अरे इसमे क्या बताना अभी हमारी पुनम छोटीहे तो बताके क्या फायदा..तभी नही बताया.., (मनमे सोचता हे - मंजु तुजे क्या पता वो कोन हे, उस गांवकी सरपंच हे ओर विधवा हे, उसे तुमभी जानती हो, तो मे उसे अक्सर मीलता हु ओर उसे कइ बार चोद चुका हु, वोभी मेरी पत्नीही हे वो मुजे ही पती मानती हे, वो मेरी बात कभी नही टालेगी)

मंजुला : (हसते) ठीक हे ठीक हे..मेतो अ‍ेसेही केह रहीथी..क्या आप भानुभाइको ओर दीदीको छोडने जा रहेहो नां..?

देवायच : (हसते) हां..क्या तुजेभी साथ चलना हे..? चलना दोनो छोडके आजायेगे..माजीको भी मील लेगे..

भानु : हां भाभी आपभी चलो यहा अकेली बोर होजाओगी.., मां को भी मील लेना..

मंजुला : (हसते) भानुभाइ अबतो ये रोजका होगा..फीरभी चलती हु.. माजी कोभी मीलना हे..काफी दीन हो गये नही मीली.., लता ओर लखनकी उनसेभी बात होजायेगी..चलो..

फीर चारो चाइनास्ता करके देवायतकी गाडीमे नीकल जाते हे ओर १० मीनीटमेही भानुके घर पहोंच जाते हे तब चारो अंदर आजातेहे तो लता भावनासे लीपट गइ फीर सबके पैर छुके सरमाते खडी रही तब आज पहेली बार मंजुला ओर देवायत लताको अपने लखनकी बहुके रुपमे देखते खुस हो रहेथे तब लताको अहेसास हुआ की दोनो मुजे कुछ अजीब नीगाहोसे देख रहे हे तो वो खुब सरमाइ ओर भागके अंदर चली गइ, तब चारोही हसने लगे

हसनेकी आवाज आइ तब भानुकी मा रुमसे बहार आइ तो मंजुको देखतेही दोडके उनको गले लग गइ ओर फुट फुटके रोने लगी क्युकी उसे देवायतके पीताके जानेका बहुत ही सोक लगाथा क्युकी असली कारण सीर्फ वोही जानतीथी तब मंजुलाभी साथमे रोइ ओर भावनाने दोनोको सांत कीया तब लता सबके लीये पानी लेके आइ ओर सबको पानी पीलाया तब जाके सब सांत हुअ‍े

तभी मंजुलाने उनके पाव छुअ‍े तो उनको आशीर्वाद दीया पर देवायतके पाव छुनेसे पहेले उनसे दुर हो गइ क्युकी वो बात सीर्फ देवायत ओर भानुकी मां ही जानतीथी फीर सब बेठ गये तो भानुकी मांने मंजु ओर देवायतसे उनके पीताके जानेका सौक व्यक्त कीया तब माहोलको हल्का करनेके लीये भावनाने अपनी सांससे लता ओर लखनके रीस्तेकी बात छेडदी तो लता वही खडीथी तो बात सुनके सरमसे पानी पानी हो गइ ओर भावनाके रुममे भाग गइ तब अ‍ेक बार फीर सब हसने लगे तो भानुकी मां देवायतको देखके थोडा अतीकमे चली गइ उनको सब घटनाक्रम याद आने लगा

(फ्लेसबेक)

न्यु केरेक्टर


सरला : भानुकी मां जो विधवा हे बहुतही कामुक ओरत थी भानुके पीता उनको ठीकसे संतुस्ट नही करपाते थे तब वो अपने तनकी जरुरतको देवायतके पीतासे पुरी करने लगी नतीजा ये हुआकी उनके पेटमे देवायतके पीताकी नीशानी यानी भानु पलने लगा ओर भानुके पैदा होनेसे पहेलेही देवायतका जन्म हो चुकाथा, भानुके पीता ओर देवायतके पीता खास दोस्त थे तबसेही खानदानकी दोस्ती चली आ रही हे, उनके रीस्तेदारमे बहुतही कम लोगथे तब देवायतके पीतानेही उनकी देखभालकी ओर उनकी सारी जीम्वेवारी उठाली

तब सरलाकी उमर महज २३ सालकी होगी फीर भानुका जन्म हुआ फीर थोडे बडे हो गये तब देवायत ओर भानु दोनो खास दोस्त होगये, देवायतके पीताने दोनोको पढनेके लीये सहेरमे भेज दीया जब दोनो १०/१२ सालके हो गये तब देवायतके पीताने सरलाको फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया तब भानुके पीताकी तबीयत बीगड गइ ओर उनको पता चल गयाथा की सरलाके सबंध देवायके पीतासे हे ओर वो सदमा बरदास्त नही कर पाये ओर चल बसे,

सरला भर जवानीमे विधवा हो गइ, फीर लताका जन्म हुआ ओर देवायतके पीताने भानु ओर देवायतको वापस बुला लीया फीर समयके साथ वोभी बुढे हो गये..तब सरला अ‍ेक बार फीर अकेली होगइ तब भानु ओर देवायत जवानीके देहलीजपे कदम रख चुकेथे ओर वो देवायतका गठीला ओर कसरती बदन देखते बहेकने लगी ओर देवायतकी ओर ढलने लगी तब उनकी उमर ४२ के आस पास हो चुकीथी देवायत उनके घर अक्सर आता जाता रहेता था तब अ‍ेक बार सबकुछ हो गया जो नही होना था..तो वो ये सब सोचते खडी थी तब..

(फ्लेसबेक खत्म)

मंजुला : मांजी तो क्या हम लता ओर लखनके रीस्तेकी बात पकी करदे..?

सरला : बेटा तबतो सोनेपे सुहागा..धन्यभाग जो मेरी लता आपके घरकी बहु बनेगी..हमे ये रीस्ता मंजुर हे..

कहातो भावना लताके पास अंदर चली गइ तो लता इनको देखते खुब सरमाइ ओर हसती रही तब भावना उनके पास बेठ गइ तो लता सर नीचे करते सरमाती हसती रही तब भावनाने उनके सरपे हाथ रखा ओर उनके गालको सहेलाया तब लताने नजर उची करते भावनाकी ओर देखा फीर नजर जुकाके ओर सरमाते हसती रही

भावना : लता क्या तुजे ये रीस्ता मंजुर हे..? तो बता हम तुजपे कोइ जबरदस्ती नही करेगे..

लता : (सरमसे पानी पानी होते) भाभी मे क्या बोलु..जो आप ओर भाइ करो वो सही हे..

भावना : (हसते) अरे गुडीया फीरभी बता दे..तेरे मनमे कोइ ओर होता..

लता : (गभराते) अरे नही नही..भाभी..मुजे मंजुर हे..(सरमाने लगती हे)

भावना : (हसते) चल ठीक हे..मे उनको बता देती हु..क्या तेरे बेटेने तुजे तंग तो नही कीया..हें..हें..हें..

लता : (हसते) क्या..भाभी मेरा भतीजा हे वो..हें..हें..हें.., बस मेरे साथ घुलमील गया हे..हें..हें..हें..

तब भावना हसती हुइ बहार आजाती हे ओर सबको लताकी बात बताती हे तो सब सुनके खुस होजाते हे तब सरला भावनाको कहेती हे..

सरला : (हसते) बहु..जा जरा गुड ओर धनीया लेके आ हमारे समधीका मुह मीठा करवाना हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते कीचनकी ओर जाते) जी माजी अभी लाइ..

देवायत : (हसते) माइ मे थोडी समधी हु..मेतो आपका बेटा ही हु ओर ये मंजुभी आपकी बहुही हे..

सरला : (हसते देवायतके कंधेपे हाथ रखते) पता हे बेटा मुजे, मेतो मजाक कर रहीथी तुभीतो मेरा बेटा हे ओर वोभी बडा मेने तुजमे ओर भानुमे कोइ फर्क नही कीया..

मंजुला : (हसते) मांजी चलो आप हमारे साथ रहेने आजाओ.., अब घर सुना सुना लग रहा हे..

सरला : (हसते) अब वहा आके क्या करुगी अबतो हमारी बेटीका घर होने जा रहा हे उमर भीतो हो गइ हे अब जी के क्या करुगी देखा नही अबतो तुम्हारे ससुरभी चले गये..मेरा भानु छोटाथा तबही उनके बापुजी चल बसे तब तेरे ससुरने हमारी खुब मदद की मेरे भानुको पढाया लीखाया तबसे दोनो दोस्त हे..भाइकी तराह

देवायत : (हसते) माइ भाइकी तराह नही हम दोनो भाइही हे..आपको पता हे मे भानुको अपने साथ लेजा रहा हु अब वोही हमारी सब खेती बाडी देखेगा मुजे कहा इन सब चीजोमे पता..बस हमारा लखन ओर भानुही सब वहीवट करेगे बस यही बात कहेनेही मे आयाथा लताकी बाततो अ‍ेसेही कल हो गइतो बता दीया

भावना : (हसते गुड धनीया लाते) लीजीये माजी हमारे समधीका मुह मीठा करवाइअ‍े..हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते भावनाको मुका मारते) समधीकी बची..हम घरकेही लोग हे समजी..मेरीभी ये सास हे..

सरला : बेटी येतो तुम लोगोका बडपन हे..मेरा देवायत भी उनके पीताकी तराह दीलावर हे जो लोगोकी मदद करते रहेता हे चल आजा मुह खोल..

कहेते रसीलाने मंजुलाके मुहमे गुड देदीया तो मंजुलानेभी सामने उनका मुह मीठा करवाया फीर देयावका मुह मुठा करवाया फीर भानु ओर भावनाने भी बारी बारी सबका मुह मीठा करवाया तब मंजुला ओर भावना गुडकी थाली लेके रुममे लताके पास चली गइ, तब लता दोनोको देखके खुब सरमाइ ओर दोनोने लताका मुह मीठा करवाया तब भावना थालीको वापस रखने कीचनमे चली गइ तो मंजुला लताके पास बेठ गइ.., ओर उसे प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. फीर हसते हुअ‍े कहा..

मंजुला : (हसते) क्युजी देवरानी..आप खुसतो हेनां..?

लता : (सरमाके हसते) जी दीदी..

मंजुला : (हसते धीरेसे) क्यु हमारे देवरका फोटो बोटो चाहीये..? तो भावुके हाथ भीजवा दुगी..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे पानीपानी होते) जी..भाभीसे लेलुगी..

जुला : (हसते सरपे हाथ घुमाते) चल ठीक हे भीजवा दुगी..ओर तेरे पास तेरा कोइ फोटो होतो दे देना..

लता : (सरमसे हसते) जी..हे भाभीके पास..

भावना : (अंदर जाकते) चलो दीदी चाइ बन गइ हे आजाओ बहार..फीर अपनी देवरानीसे बात करना..

कहातो लता फीरसे सरमसे पानी पानी होगइ ओर तीरछी नजरोसे भावनाकी ओर देखते हसने लगी..तब मंजुलाभी हसती हुइ बहार आगइ ओर सबने चाइ नास्ता कीया तब मंजुलाने सबसे छुपके लताकी फोटो भावनासे लेली फीर देवायतने जानेकी बातकी तो सरला उनको खाना खाके जानेकी बात करने लगी तब देवायतने बहार जानेकी बातकी फीर वो लोग लताको सगुनके पैसे देके नीकल गये ओर भानुभी दुकान देखने चला गया तब भावना रुममे चली गइ

भावना : (अंदर आते हसते) क्यु ननंदजी मनमेतो बहुत लडु फुट रहे हे हें..हें..हें..क्या कहेतीथी तेरी जेठानी..

लता : (सरमाते दोडके अपनी भाभीको गले लगते) क्या भाभी..जाओ मुजे आपसे बात नही करनी..

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रहीथी बेठ इधर..(बेडपे बीठाते) तुमनेतो लखनको देखा हेनां..वो सहेरमे पढ रहा हे वो वहाके राजाके खानदानसे हे तु वहा राज करेगी..ओर लखनभी अच्छा लडका हे..

लता : (सरमाते) देखा हे भाभी..बस काफी महीने हो गये तो नही देखा..

भावना : अरे वोभी तेरे माफीक जवान हो गया हे क्या मस्त दीखता हे अबतो मीलना जुलना चलताही रहेगा..दोनोकी उमर होतेही हम सादी करदेगे..अब खुस..? चल ये बता तुमको भावेशने तंगतो नही कीया..अ‍ेक बारभी तेरा फोन नही आया..लगता हे उनकी मां मे नही तुम हो..हें..हें..हें..

लता : (सरमसे लताको अ‍ेक चपत लगाके) क्या भाभी..वो मेरा भतीजाही हे समजी..अब नही रखुगी मे..(जुठ मुठ नाराज होते)

भावना : (हसते) अरे..मेतो मजाक कर रही हु..कहा हे वो..

लता : (सरमाते हसते) जी..वो मेरे रुम मे सो गया हे..तुमने क्या लडका पैदा कीया हे रात भर जागता रहेता हे ओर दीनमे सोते रहेता हे हें..हें..हें..

भावना : (हसते) हसले बच्चु जब तेरा बेटा होगा तब तुजे पता चलेगा..हें..हें..हें..

कहातो लता उनको मारनेके लीये दोडी तब भावना कीचनमे भाग गइ फीर दोनो भाभी ननंद खाना बनानेकी तैयारीया करने लगी तब दुसरी ओर उनकी सासभी आज बहुतही खुस हो रहीथी ओर भाभी ननंदकी मस्करीया देखते हस रहीथी क्युकी आज उनको अपनी बेटीके लीये अच्छा खानदान मील गया था वोभी अपने यारका लडका तब वोभी पुराने दीन याद करते बेठी रही ओर मुस्कराती रही

कैसे देवायतके बापु उमर होनेके बावजुदभी उनको रगड रगडके चोदते थे कभी कभी तो पुरी रात यहा रुकके उनकी चुदाइ करते रहेते थे या फीर हवेलीपे कोइ नही होता तब वो वहा बुला लेतेथे ओर उनकी खुब चुदाइ करते थे तब देवायत सीर्फ तीन सालका था भानुके पापाकातो तब ठीकसे खडाही नही होताथा वोभीतो उनके दोस्त थे भानु ओर लता दोनोही उनकी संतान थी दोनोने कीसीको नही बतानेकी कसमभी खाइथी ओर दोनोने आजतक ये बात सबसे छीपाइथी तब आज लताकी बात सुनके बहुतही

रोमांचीत होगइथी क्युकी रीस्तेमे लता लखनकी बहेनही लगती थी, वोभीतो जवानीमे सादीसे पहेले अपने भाइसे खुब चुदवाती थी तबसे उसे लंडकी आदत पड गइथी ओर वो लताका बरोबर खयाल रखती थी अ‍ेसेही सोचते बेठी रही

तभी दुसरी ओर देवायत मंजुलाके साथ मस्ती करते हवेली पहोंच गया तब देवायत मंजुलाको छोडके सीधेही आदीवासी कबीलेमे चला गया जो आधे घंटेकी डड्ढाइवके बाद पहोंच गया तब सब कबीले वाले उनको देखतेही हाथ जोडके अ‍ेकठा होगये सब

कबीले वाले देवायतको बहुत मानते थे क्युकी सब बाबाको गुरु मानतेथे ओर देवायत अक्सर सबकी ममद करता रहेता था सबको होस्पीटल के काममे, सादीमे ओर वेसेभी सबको अनाज देते बहुत मदद करता हे इसी वजहसे सब उसे भगवानकी तराह मानते हे
देवायत : कहो हरीया क्या नइ मुसीबत हे..बाबा बता रहेथे इधर कुछ प्रोबलेम आगइ थी..

हरीया : (कबीलेका सरदार) आइअ‍े मालीक कुछ नही वो बाजुके कबीले वाले हमारी अ‍ेक लडकीको उठाके ले गये ओर हमारे गांवमेभी दस बारह आदमीने आकर हमला करदीया ओर हमारी ओरतोके साथ खुब छेडखानी की..मतलब..आपसे क्या कहु..

देवायत : हं..समज गया कोनथा वो..कमीना..तुम ठहेरो कीधरके कबीले वालेथे..?

हरीया : (हाथ जोडते) वो..मंगीयाके कबीले वाले थे..मालीक हमभी तीन चार लोग आतेहे अकेले जाना ठीक नही वरना वो कमीना आपको अकेला देखके हमला कर सकता हे..

देवायत : हरीया चीन्ता मत कर मेरे पास घोडा (पीस्तोल) हे, तीन चारकोतो अ‍ेसेही ठोक दुगा..

तब तीन लोग ओर हरीया कुछ हथीयार लेके देवायतकी जीपमे पीछे बेठ जाते हे देवायत अपनी खुली जीप लेके पासही १५ मीनीटकी दुरीपे कबीलेकी ओर चल पडा तब हरीया उसे सब बाते बता देताहे की वो लोगोने हमारी ओरतोपे जबरदस्तीसे रेप कीया ओर मेरी लडकीको उठाके ले गया वगैरे..वो वहा पहोच गये तब मंगीया देवायतको देखतेही ठंडा हो गया ओर हाथ जोडके दोडके आ गया ओर हरीयाकी ओर घुरने लगा

देवायत : क्युरे भडवे..तुजे बहुत चरबी चडी हे..? जो दुसरोकी बहु बेटीकोपे जबरदस्ती करता हे कहाहे हरीयाकी बेटी? कोन उठा लाया बहेन.., उनको यहा पकडके ला मादर..को

मंगीया : (हरीयाकी ओर घुरते) मालीक वो गवला होगा..अभी बुलाता हु..ओर लडकीको भी लेआता हु..

कहेके वो दोडके अपनी आदमीके पास गया ओर गवलाके साथ हरीयाकी बेटीकोभी लेकर आगया तब लडकीने हरीयाको देखातो उनकी ओर दोड पडी ओर दोडके जीपमे बेठ गइ तब मंगीया गवलाको पकडके खडाथा ओर गवला हरीयाकी ओर घुर रहाथा.. तब हरीया उसकी बेटीको सब उनकी भासामे पुछने लगा तो वो नाना करके सब बताने लगी फीर हरीयाने देवायतकी ओर देखा ओर कहेने लगा

हरीया : मालीक इनके साथ जबरदस्ती करनेकी कोसीसकी वो इनसे सादी करना चाहता हे लेकीन ये लडकी सादीके लीये राजी नही हे वरना मेही इनकी सादी करवा देता पर इसने हमारी ओरतोके साथ गलत कीया..

देवायत : (गुसेसे गन नीकालते गवलाके सरपे रखते) क्यु साले..अभी घोडा दबाउगाना तो यही मां.. जायेगी.. मादर..अगर तेरे लोडेमे इतनीही गरमी चडी हेतो अबनी मां बहेन नही हे क्या..?

गवला : (डरते हाथ जोडके) मालीक पहेले मेरी बाततो सुनीये..इधर आइअ‍े अकेलेमे आपसे कुछ बात करनी हे..फीर आपको ठीक लगेतो मुजे मार देना..

तब देवायतको बात कुछ ओरही लगी ओर उनका गुस्सा थोडा ठंडा हो गया ओर उसने मंगीयाकी ओर देखा तो मंगीयाभी हाथ जोडके अ‍ेक बार बात सुननेकी मनत करते हांमे सर हीलाने लगा तब देवायत जीपसे उतर गया ओर गवलाको लेके थोडे दुर चला गया तब गवला सब बाते बताने लगा..

गवला : मालीक आपको पता नही ये हरीयाने मेरी भाभीको प्रेगनेन्ट करदीया हे वो अक्सर जंगलमे इनको मीलने आता हे तो मेरे भाइको पता चल गया ओर मुजे कसमदी की मेभी इनकी बेटीको उठाके ले आउ ओर उसेभी प्रेगनेन्ट करदु पर आपतो जानतेहे हम अ‍ेक दुसरेकी रजामंदीसेही सब करतेहे तो मेने इनकी बेटीको हाथ तक नही लगाया अब आपही बताओ मे क्या करता..भाइने कसम दीथी जब ये मुजसे सादीके लीये नही मानीतो भाइ इनके साथीके साथ वहा चला गय ओर उनकी ओरतोके साथ वो सब कुछ करके आया..

देवायत : कहा हे मादर..उसे बुलाके ला..ओर तेरी भाभीभी उनकी मरजीसे आइ होगी तभीभो दोनो जंगलमे मीलते होगे..वो उसे प्यार करतीहे तो हरीयाके साथ भेजदे तुम लोगोमेतो ये सब चलताही रहेता हे..

गवला : मालीक भाइ ओर उनके साथी इधरसे आपके डरसे भाग गये हे.. लगता हे वो कुछ गलत रास्तोपे चल रहा हे अब मेरी गलती क्या हे फीरभी आप कहो मे वही करुगा..

देवायत : चल ठीक हे अगर तेरी भाभी इनके साथ रहेना चाहतीहेतो भेजदे उसे पर तु गलत काम मत करना ओर समजा देना अपने भाइको जब मेरे हाथ चडेगा तो पुछुगाभी नही सीधा ठोक दुगा.. चल जा..

फीर देवायत दोनोको नसीहत देके लडकीको लेके वापस हरीयाके कबीलेपे आ गया तबतक सब लोग जमा हो चुकेथे ओर सब लडकीको देखते खुसीसे चीलाने लगे ओर देवायतके पैर छुने लगे तब देवायत हरीयाको लेके थोडा दुर चला गया ओर उनके कंधेपे हाथ रखके उनसे बाते करने लगा

देवायत : (हसते) हां हरीया बोल उधर गवलाकी भाभीसे क्या कांड करके आया..हें..हें..हें..

हरीया : (सरमाते हसते) मालीक अब क्या कहु..वो मेरे पीछे पागल हे ओर हम प्यार करते हे बस गवलाका भाइ डुंगर अब बुढा हो गया हे..उसे छोडनेके लीये तैयार नही था तो मुजसे प्रेगनेन्ट करनेके लीये कहेतीथी तो करदीया अब वो उसे छोड देगा आपतो जानतेहे हमारे लोगोमे ये सब आम बात हे..

देवायत : चल ठीक हे वो आयेतो उसे अपना लेना मे चलता हु..

हरीया : मालीक अ‍ेसेही चले जाओगे..कुछ कडक माल हे, क्या आपके लीये लेआउ..? ओर वो जमीला आपको याद कर रहीथी..अभी तक कीसीसे सादी नहीकी बस वोतो आपके पीछे पागल हे कहेतीथी सादी करुगीतो मालीकसे वरना उनके बच्चे पैदा करके पालुगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) उसे समजा सादी करले वरना मेरी बीवी देखी हे हमारे यहा तुम्हारे जेसा नही होता ओर मुजे कुछ नही पीना बाबाको मीलने जाना हे पीके वहा जाना ठीक नही ओर जमीलाको कहेना अ‍ेक दीन आउगा वरना उसे हमारे खेतोपे काम करने भेजदे वही मील लेगे..वहा रहेनेका इन्तजाम भीतो हे..

हरीया : (हसते) ठीक हे मालीक मे उस बात करलुगा आपका बहुत बहुत सुक्रीया..

फीर देवायत जीप लेके आश्रमकी ओर नीकल गया पुरे रास्ते जमीलाके बारेमे सोचता रहा, वो वहाके पहेलेके सरदारकी लडकीथी जो देवायतपे लटुथी देवायत उनको कइ बार चोद चुका हे ओर अभीभी मौका मीलतेही उनकी चुदाइ करता रहेता हे मानो वो देवायतकी बीवी हो, वो देवायतके अलावा कीसीको छुने नही देती, २० मीनीट मे आश्रमपे आ गया फीर वहा सब सेवकोसे मीला ओर सबका हाल चाल पुछा फीर बाबाके पास दंडवत करके वही नीचे बेठ गया....कन्टीन्यु

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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