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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८
फीर दोनोही कुछ प्लानींग करते वापस घरकी ओर चल देते हे.. आज मंजुने धिरेनसे सब बाते खुलके बतादी थी.. अब उसे सीर्फ चंदासे इस बारेमे बात करनी थी.., दोनोही जब गयेथे तब उनके जातेही चंदा मंजुके रुममे सबसे छुपके चली गइ, तब दया ओर रजीया दोनोही उपरकी मंजीलमे घरके काममे लगी हुइ थी.. तो चंदाने अंदर जातेही दरवाजा बंध करलीया ओर जटसे मंजुके कपडे अलमारीमे रखेथे उसे खंगालने लगी....अब आगे

वो अ‍ेक अ‍ेक सारीकी घडी खोलके देखने लगी तची अचानक उसे अ‍ेक सारीकी घडीमे मंजुके कागजात मील गये तो वो उसे लेके सब सारीको अच्छेसे सम्हालके रखने लगी फीर धीरेसे अलमारी बंध करके सब पेपर लेके अपने रुममे आगइ ओर दरवाजा बंध करके बेडपे बेठ गइ ओर सब रीपोर्ट देखने लगी.. तब वो रीपोर्ट देखके उनकी आंखोसे आंसुओकी धारा बहेती रही.. फीर पेपर सम्हालके रख दीये ओर मुह साफ करके लेट गइ ओर मंजुसे बात करनेके बारे मे सोचती रही.. तबतक धिरेन ओर मंजुभी घरकी ओर आ रहे थे..

तो दुसरी ओर देवायत ओर भानु सहेर पहोच गये तब भानु देवायतको होस्पीटल छोडके अपना सामान लेने चला गया ओर देवायत अंदर आगया तो रश्मी उनको अपने रुममे अकेले देखतेही दोड पडी ओर आंसु बहाते उनके गले लग गइ.. तब उनके पती राघवकोभी होंस आ चुकाथा बस वो हील नही सकताथा तो टेडी आंख करते देवायत ओर अपनी बीवीको गले मीलते देखता रहा.. ओर अंदरसे जलता रहा..

रश्मी : (धीरेसे) देवु.. आगये आप.. अब हम आजाद होगये.. अब इस कमीना कुछ नही कर सकता..

देवायत : भाभी.. बस तु अपना खयाल रखना मे घरपे आता जाता रहुगा..

रश्मी : देवु.. मेने अ‍ेक बात सोची हे पुरा प्लान तैयार करके रखा हे.. बस आप दो तीन दीनमे ही आजाना मे समय जानेसे पहेलेही सब खत्म कर देना चाहती हु..

देवायत : भाभी केसा प्लान..? कही इनको मारनेकी तो नही सोच रही..?

रश्मी : (जटसे) अरे नही नही.., सुनोतो.. इस कमीना केह रहा था कमी मुजमे नही तुजमे हे मुजे बांज कहेताथा.. अब इस कमीनेको दीखा दुगी मे बांज नही हु.. बस अब इनको बच्चा पैदा करके दीखा दुगी.. ओर ये सब इस कमीनेके सामनेही करना हे.. (धीरेसे सरमाते) बस.. आप मुजे प्रेगनेन्ट करदो..

देवायत : (लंड खडा होगया तो अ‍ेडजेस्ट करते) भाभी क्या ये सही हे.. लोग क्या कहेगे..? इनमे आपकीही बदनामी होगी.. लोग तरेह तरेहकी बाते बनायेगे..

रश्मी : इसीलीये केह रहीथी हमारे पास टाइम नही हे.. सब सही समयपे होजाये तो सबको केहतो सकुगी आपके भाइनेही मुजे प्रेगनेन्ट कीया हे.. जब मे प्रेगनेन्ट थी तबही ये हादसा होगया.. समज गये..

देवायत : (कातील मुस्कानके साथ धीरेसे) ठीक हे भाभी तो फीर घर जातेही चुदनेके लीये तैयार होजाइअ‍े.. इनके सामनेही पुरा दीन हम सुहागदीन मनायेगे.. आप दुल्हन बन जाना.. हें..हें..हें..

रशमी : (सरमाके हसते) अरे अ‍ेक बार घरतो जानेदो.. फीर आप जब चाहे तब हम सुहागदीन ओर सुहागरात मनाते रहेगे.. बस अबतो मुजे सीर्फ आपसे मतलब हे.. मेने आपको अपना पती मानलीया हे..
madchen-amick
कहेते अपनेही नैनसे सहमती देते होठोको अपने दातोसे दबाके देवायतके सामने हसने लगी तब बेडपे लेटे राघव उन दोनोकी बात सुनते अपनीही बीवीका रंडीपन रुप देखके गुसेसे आग बबलुला होने लगा.. लेकीन उनकी मजबुरीथी वो कीसीकी मददके बगैर अपना हाथ तक नही हीला सकता.. ओर नाही पैर हीला सकता.. उनका मुहभी टेडा हो चुकाथा ओर अपनी जीभ मेभी लकवा मार चुका था.. वो बस देखता रहा..

फीर दोनोही बहार चले गये ओर कांउन्टर पर आके खडे होगये तब वहाकी लेडीने कहा..

लडकी : मेम.. आगये आपके हस्बन्ड तो आपके भाइको डीस्चार्ज करदे..

रश्मी : (देवायतकी ओर सरमाके हसते धीरेसे) हां आगये.. यही हे वो.. आप फोर्मालीटी पुरी करदे..

कहातो देवायत रश्मीके सामनेही देखता रहा तब रश्मी उनके सामने देखते सरमाते हसती रही तब देवायतभी उनके सामने देखके हसने लगा ओर लेडीने सब फोर्मालीटी पुरी करते पेपर देदीये..

लडीस : लीजीये मेम यहा साइन कर दीजीये.. ओर ये पेपर वहाकी नर्सको दीजीयेगा फीर आप अपने भाइको घर लेजा सकती हे..

फीर रश्मीने साइन करदीया ओर दोनोही वापस रुममे आगये ओर सब पेपेर वहाकी नर्सको दे देदीये तब नर्सने वहाके कर्मचारी राघवको घरके कपडे पहेनाने लगे ओर सब रेडी करदीया ओर अ‍ेक स्ट्रेचरभी लेकर आगये तबतक भानुभी आगया था ओर होस्पीटल वालोने अ‍ेम्ब्युलन्सका इन्तजाम करदीया ओर राघवको लेके बहार आगये फीर राघवको अ‍ेम्ब्युलन्स मे सुला दीया ओर साथमे रश्मीकोभी बीठा दीया..

देवायत : भाभी आरामसे बेठीये हम दोनो आपके साथही चल रहे हे..

रश्मी : (कातील स्माइल करते) हां अब साथमे ही रहीयेगा..(डबल मीनींग बोलते हसने लगी)

फीर वो अ‍ेम्ब्युलन्स मे बेठ गइ ओर सब अपने गांवकी ओर चल पडे ररश्मीने अपनी पुरी लाइफके बारेमे सोच लीयाथा वो अब देवायतकी इलीगल बीवी बनकेही पुरी जींदगी बीताना चाहती थी वो देवायतके बच्चेभी पैदा करना चाहती थी.. उनको अब कीसीका डर नहीथा वो पुरी तराह बीन्दास हो चुकी थी.. जेसे वहा मुनीमकी बीवी चंपा होगइ थी.. वोतो अपने पतीके मोतके बाद दुसरे ही दीन देवायतसे सरीरसुख भोगनेमे कामयाब भी होगइ थी.. इसी तराह सब गांवमे आगये तो सब गांव वाले इकठा हो गये..

फीर सब रश्मीसे राघवकी खबर पुछने लगे ओर राघवको उनके रुममे जाके सुला दीया.. तब देवायत ओर भानुभी वापस खेतोपे चले गये तो गांवकी सब लेडीस रश्मीको राघवकी खबर पुछती रही.. तब बातो बातोमे ही रश्मीने कुछ लेडीसको केह दीयाकी उनके पेटमे सरपंचका बच्चा पल रहा हे ओर वो पेटसे हे.. तो सब लेडीस उसे सांत्वना देके घरकी ओर चली गइ ओर इस बातको दुसरी लेडीससे सेर करने लगी..

लेडीस १ : बेचारी.. कीतने दीनोके बाद पेटसे हुइ ओर अब ये पतीका हादसा होगया.. पता नही अब पुरी जींदगी केसे काटेगी..

लेडीस २ : होनीको कोन टाल सकता हे.. जब सुख आया तब पती कामका नही रहा.. सब कीस्मतका खेल हे.. सब अपना नसीब लेके आते हे ओर चले जाते हे.. वहा चंपाकाभी वही हाल हे..

लेडीस १ : भगवान भला करे इन ठाकुरसाबका दोनोही उनके दुस्मन होते हुअ‍ेभी उनकी मदद कर रहे हे..

अ‍ेसीही बाते पुरे गांवमे होने लगी.. देवायतको अब नइ चुतके साथ इजतभी मीलने लगी फीर भानु वही खानेपे बेठ गया उनको मालती खानेकी थाली देगइ तो देवायतभी उनको कहेके घरपे आगया तब सभी खाना खाके होलमे बेठे थे.. सबको पता था देवायत सहेर गया हे तो देर लगेगी तो सबने खा लीया था फीर देवायत फ्रेस होके खाना खाने बेठता हे.. तब दया उनको खाना परोसती हे..

तब आज पहेली बार धिरेन देवायतको दुसरी नजरसे देखता रहा.. ओर सोचता रहा.. की मम्मी जीजुके साथ खुस रहेगी.. जीस तराह देवायत सबके साथ बाते कर रहाथा तब धिरेनको कही नही लगाकी उनकी दुसरी सादीके बारमे उनको पता हो.. तब धिरेनको उनकी मम्मीके लीये देवायत परफेक्ट लगा.. तभी खाना खाते देवायत सबसे सरपंचके बारेमे बाते करता रहा तभी उसे अचानक पुनमकी बात याद आगइ..

देवायत : (खाना खाते मंजुकी ओर देखते) मंजु.. आज पुनमका फोन आया था..

मंजुला : (खुसीसे हसते) तो क्या उनकी परीक्षा खतम हो गइ..?

देवायत : हां.., आज उनका लास्ट पेपर हे.., कल उनको लेने जाना हे तो सोचताहु सबकी खरीदी करकेही आये.. क्या कहेती हो..?

मंजुला : हां देवु.. कहा दो दो बार सहेरका चकर काटना.. मे ओर भावुतो इस हालतमे नही आ सकते आप मौसी ओर धिरनको लेकेही चले जाइअ‍े मौसी सबकी खरीदारी करवा देगी.. ओर वो लताकोभी तो साथ लेजाना हे.. भानुभाइको कहेना लताको सुबह इधर छोड जाये..

चंदा : (सरमाके हसते) मंजु.. मे..केसे.. जाउगी..

मंजुला : मौसी सगुनकी सारीया हीतो लेनी हे.. उनमे इन बच्चोको कहा सब मालुम होगा.. धिरेनभी साथ चल रहा हे.., इसीलीये आपको भेज रही हु.. बाकी बच्चोके कपडेतो वोही अपनी पसंदके ले लेगे.. क्यु धिरेन..

धिरेन : (सरमाके हसते) जी.. दीदी..,

देवायत : ठीक हे मंजु मे भानुसे बात करलुगा वो लताको छोड जाये.. तुमभी भावुसे फोनपे बात करलेना..

फीर देवायत खाना खा लेता हे ओर सब अपने अपने रुममे आराम करने चले जाते हे.. बस अब चंदाको इन्तजार थातो मंजुसे अकेले बात करनेका.., ओर वो मौका उसे आजही मील गया जब चार बजे तक आराम करके सब फ्रेस होगये फीर चाइ नास्ता करके धिरेनको लेकर देवायत खेतोकी ओर चला गया तब मंजु ओर चंदा दोनोही बात कर रहेथे तब दयाने आके कहा..

दया : दीदीजी.. कुछ सब्जीया लेनी हे ओर कुछ सामानभी लाना हेतो मे ओर रजीया जरा गांवमे जाते हे..

मंजुला : (पैसे देते) ठीक हे येले पैसे लेके जा.. जोभी कम हे जरा ज्यादा लेकर आना.. अब बच्चोभी आ रहे हे.. ओर सुन.., तुम दोनोके लीयेभी कपडे लेने हे.. तो अपनी पसंद मौसीको बता देना..

दया : (खुस होते) जी दीदी.. दोनोको डड्ढेस हीतो लेनी हे.. नाप दे दुगी.. चलो हम चलती हे..

कहेके दोनो बहार चली गइ तब चंदा जटसे खडी होगइ.. ओर फटाफट बहारका गेइट बंध करके वापस आगइ ओर मंजुका हाथ पकडके उसे अपने कमरेमे लेगइ तब मंजु उसे यंत्रवत देखती ही रही.. तभी अंदर जातेभी चंदाने रुमका दरवाजा बंध करदीया तो मंजु थोडीसी गभराते देखने लगी.. तभी चंदा मंजुके सामने आगइ ओर सब पेपर नीकालके उनके हाथमे थमा दीया ओर अदब लगाके सामने खडी रही.. जब मंजुने सब पेपर देखा तो सब समज गइकी मेरी बीमारीका मौसीको सब पता चल गया हे.. तो..

मंजुला : (पेपेर देखते आंखे नम करली) जी.., मौसी.., मे.. मे.. आपको..

चंदा : क्या मे..मे.., मे जान सकती हुकी ये सब रीपोर्ट कीसके हे..? नाम लीखा हे उसपे..

मंजुला : (गभराते सर जुकाके) जी.. वो.. वो.. मेरे.. हे..

तभी चंदाने अ‍ेक तमाचा मंजुके गालपे जड दीया.. तो मंजु गालपे हाथ रखते सोक्ट होगइ ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे तो दुसरी ओर चंदाभी आंसु बहाके जोरोसे रोने लगी ओर उसने जोरोसे मंजुको गले लगा लीया ओर दोनोही अ‍ेक दुसरेके कंधेपे सर रखके फुटफुटके रोने लगी..
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चंदा : (जोरोसे रोते) क्या अ‍ेकही पलमे अपनी मौसीको पराया कर दीया..? जो इतनी बडी बात मुजसे छुपाइ..

मंजुला : (रोते) नही मौसी.. आप सीर्फ मेरी मौसी थोडी हो मेरी सहेलीभी हो ओर.. बडी बहेन..भी..

चंदा : (रोते) तो फीर इतनी बडी बात तुमने मुजसे क्यु छुपाइ..?

मंजुला : (रोते) मौसी सब बताउगी.. सब बताउगी.. प्ली..ज.. मुजे माफ करदो..

तब चंदा मंजुका चहेरा अपने हाथोसे पकड लेती हे ओर उनकी आंखोमे देखते उनके आंसु पोछने लगती हे.. तो मंजुभी चंदाके आंसु पोछने लगती हे.. तो अ‍ेक बार फीर चंदा उसे जोरोसे बाहोमे भीच लेती हे फीर उनका सर चुमते उनका दोनो हथ पकडके बेडकी ओर लेजाती हे ओर दोनोही बेठ जाती हे तब मंजु चंदाको सब कुछ बताने लगती हे.. ओर चंदा चुपचाप मंजुकी सब बाते सुन रही हे..
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मंजुला : मौसी जब मेरी सादी नही हुइथी उनसे पहेलेही ये सब रीपोर्ट करवाइथी जब पीरीयडमे होतीथी तब नोर्मलसेभी बहुत ज्यादा खुन आने लगाथा तो मेरी कोलेजकी सहेली जो आज अ‍ेक लेडीकी डोक्टर हे डो.सृती मेरी सादीमेभी आइथी.. उनको दीखाके आइ फीर हमने सब रीपोर्ट कीया तो पता चला मेरे बच्चेदानीमेही अ‍ेक गांठ जेसा कुछ हे.. तब उसने मुजसे सादी नही करनेकी सलाह दी ओर तबतक मे देवुसे प्यार कर बेठी थी..

चंदा : पहेतो तुम मुजे मौसी मत कहे.. आजके बाद मे तेरी बडी बहेन हु.. मुजे दीदी केह सकती हे ओर रही बात प्यारकी तो फीर तबही मुजे बता देती.. हम कुछ इलाज करवाते..

मंजुला : नही मौसी..(हसते) सोरी.. दीदी.. मेरा इलाज नही हो सकता.. क्युकी इलाजमे वो बच्चेदानी ही नीकाल देते.. ओर वो मे कतइ नही चाहती थी.. क्युकी मे देवुको क्या कहेती.. की तुम अ‍ेक बांजसे सादी कर रहे हो.., इसीलीये मे ये बात कीसीको नही बताना चाहतीथी.. क्युकी मे मेरी पुरी जींदगी जीलेना चाहती थी.. ओर मेने उसी दीन फैसला करलीया चाहे जो कुछभी हो मे वो हर सुख बटोरना चाहती थी जो अ‍ेक ओरत या लडकीको मीले.. क्युकी मेरेभी बहुत सारे अरमान थे.. मे देवुको खोना नही चाहती थी..

चंदा : अगर देवु तुमको सच्चा प्यार करताहे तो ये सचभी स्वीकार करलेता.. उसे सचाइ क्यु नही बताइ..

मंजुला : (हसते) अ‍ेक बारतो मुजेभी लगा उसे सब सच बतादु.. फीर सोचा.. सचाइ बताके मे क्या साबीत करना चाहती हु.. क्या प्यारमेभी परीक्षाये ली जाती हे..? तो मेने नही बताया ओर उसी दिन मेने अपना कौमार्य देवुको सोंप दीया.. ओर सादी तक हम कइ बार सेक्स कर चुकेथे.. हम दोनोही अ‍ेक दुसरेके प्यारमे पागल थे.. दोनोही हमेसा अ‍ेक दुसरेमे समा जानेकी कोसीस करते थे.. देवु मुजे इतना चाहता हे..

चंदा : (हसते सरमाते) तो क्या कीसीको पता नही चला..?

मंजुला : (हसते) नही दीदी.. ये साली प्यारकी आगही अ‍ेसी जीच हे जीसमे लडका ओर लडकी दोनोही जलनेके लीये बेताब रहेते हे.. हें..हें..हें.. फीर धीरे धीरे समय बीत गया ओर दोनोकी सादीभी होगइ.. ओर आखीर जींदगीकी हकीकत सामने आही गइ.. देवुनेतो नही कहा.. पर मेरे अरमान फीर से जागने लगे.. वोभी मां.. बननेका.. जब मे सादीके बाद पहेली बार मायके गइ.. तब आप उस दीन तबीयतकी वजहसे नही आइ..

चंदा : (सरमाते) हां.. उसी दीन तबीयत खराब थी.. फीर..?

मंजुला : उसी दीन मे धिरेनकी बाइकमे उनको लेके सबसे छुपके सहेर चली गइ मेरी फ्रेन्डके पास उनकी सलाह ली तो मना करदीया.. ओर कहा की बच्चा ठहेरभी गया तो तेरी जान मुस्कीलमे आजायेगी ओर तुजे बच्चा होनेके बाद धीरे धीरे कमजोरी आने लगेगी ओर अ‍ेक दो सालमेही तेरा कार्यक्रम खतम..

चंदा : फीरभी तुने बच्चा ठहेराया..?

मंजुला : हां दीदी.. सब सोच समजकेही कीया हे.. भलेही मेरी अल्प आयुहो.. मे ओरत ओर बीवीका हर सुख मेरे देवुको देना चाहती थी.. बस इतना समजलो वो मेरे प्यारमे नही.. मे उनके प्यारमे पागल हु..

चंदा : तुने कभी ये सोचाकी तेरे जानेके बाद तेरे देवुका क्या होगा..? क्या वो तेरे बीना जी पायेगा..?

मंजुला : (हसते) नही.. पहेले तो नही सोचाथा.. लेकीन अब सोच लीया हे.. की क्या करना हे..

चंदा : (हसते) क्या करेगी..?

मंजुला : (सीरीयस होते) दीदी जबतक जीन्दा हु.. सोचती हु मेरी मौजुदगीमे ही उनकी दुसरी सादी करवादु.. ताकी वो मेरे देवुको सम्हाल सके..

चंदा : (हसते) अच्छा..? कोन होगी वो लडकी.. जो तेरे होते हुअ‍े देवुसे सादी करेगी.. क्या कोइ मील गइ..?

मंजुला : (हसते) नही.. पहेलेतो नही मीलीथी.. लेकीन अब मील गइ हे..

चंदा : (अंदाजातो हो गयाथा की मेरा नाम लेगी फीरभी सीरीयस होते) कोन हे वो.. लडकी..?

मंजुला : (चंदाकी ओर देखते हसते) आप.., आपही हो वो लडकी जो मेरे देवुको सम्हाल सकती हे..

चंदा : (गुसा होकर) व्होट रबीस.. क्या बक रही हो..? तुजे कुछ अंदाजाभी हे तु क्या केह रही हे..

मंजुला : हां दीदी.. सायद पहेले अंदाजा नही था.. लेकीन अब अंदाजा नही यकीन हे.. वो आपही हे.., जो मेरे देवुको सम्हाल लेगी.., ओर मेरे देवुको मुजसेभी ज्यादा प्यार देगी..

चंदा : (दोनो हाथ कानपे रखते चीलाते) ओह.. स्टोप इट.. बंध कर अपनी बकवास.. ये नही हो सकता..

मंजुला : क्यु नही..दी..? क्या आप मेरे देवुसे प्यार नही करती..? मेने देखा हे दोनोकी आंखोमे अ‍ेक दुसरेका प्यार.. (मुह घुमाके) ओर मे वो सब कुछ देख चुकी हु.. आपके कमरेमे.. ओर कीचनमे..

कहातो चंदा सोक्ट होगइ ओर अपनेही दोनो हाथ घुटनोपे टीकाके हाथोमे अपना चहेरा छुपा लीया ओर फुट फुटके रोने लगी.., चंदाको अंदाजाही नही थाकी देवु ओर उनके बीचकी सारी रासलीला मंजु देख चुकी हे.. ओर उसे इन बातोको फेस करना पडेगा..

तभी मंजुने उसे बेठेही अपनी बाहोमे भरलीया तो चंदा उनके कंधेपे सर रखके रोने लगी तबतक मंजुनेभी उनके सरको सहेलाते रोने दीया फीर थोडी देरके बाद चंदा रोते थक गइ तब मंजुने उनके चहेरेको दोनो हाथमे थाम लीया ओर हसते हुअ‍े उनकी आंखोमे देखती रही तब पहेली बार चंदाने अपनी नजर जुकाली..

मंजुला : (हसते) दीदी अ‍ेसे सर्मीन्दा होनेकी जरुरत नही.. मेतो खुस हु की मेरे देवुको कोइ मुजसेभी ज्यादा प्यार करती हे.. ओर इनसे मुजे कोइ अ‍ेतराजभी नही हे.. क्युकी प्यार करना या होना हमारे बसमे हे ही नही..

चंदा : (रुआसी आवाज मे) मंजु मुजे माफ करदे.., मे मेरा अकेलापन नही सम्हाल पाइ, मुजे अ‍ेक सचे दीलसे प्यार करनेवाले साथीकी सख्त जरुरत थी.. ओर मे देवुसे प्यार कर बेठी..

मंजुला : (हसते) मुजे पता हे.. प्यार अ‍ेसेही होता हे.. जब हमारा मन पसंद साथीको देखलेती हे तब हमारा दील हमारे काबुमे नही रहेता.. वोही मेरे साथ हुआ.. ओर अब आपके साथभी हुआ..

चंदा : (मंजुकी ओर देखते) लेकीन मंजु.. फीर भी मे देवुसे सादी नही कर सकती.., हम धिरेनकी सगाइ करने जा रहे हे.., ओर अबतो वोभी जवान ओर जीमेदार होगया हे.. अब सादीका वक्त चला गया हे..

मंजुला : नही दीदी.. कोइ वक्त नही गया.., रही बात धिरेनकी.. तो मेने उनसेभी बात करली हे..

चंदा : (चोंकते) व्होट..? तु पागलतो नही होगइ..? अब मे उनसे केसे नजरे मीलाउगी.. सोचा हे..?

मंजुला : (हसते) दीदी वोतो खुद आपकी सादीके पक्षमे हे.. मुजे कहेता था मम्मीको पहेलेसेही सादी करलेनी चाहीये थी.. उनकोभी पता हे अकेली ओरतकी जींदगी कैसे विरानकी तराह होती हे.. दीदी उसे कोइ अ‍ेतराज नही.. ओर उसेतो आपकी सरमींदगीका भी खयाल हे.., कहेताथा मम्मी सादी करेगीतो मेरी हाजरीसे सरर्मीदगी महेसुस करती रहेगी ओर अपनी लाइफ खुलके नही जी पायेगी इसीलीये सादीके बाद मेरे ही घरमे रहुगा.. हें..हें..हें.. दीदी हमारा धिरेन बहुत समजदार लडका हे..

चंदा : (आस्चर्र्यसे देखते) क्या.. ये सब धिरेन ने कहा..? आइ कान्ट बीलीव..

मंजुला : (हसते खुसीसे हां मे सर हीलाते) हां दीदी.. कहेताथा जीजासे बहेतर मेरी मम्मीको कोइ अच्छा जीवनसाथी नही मीलेगा.. मोम बहुत खुस रहेगी..

कहातो चंदा मंजुके कंधेपे सर रखते फीरसे आंसु बहाने लगी तब मंजु हसते हुअ‍े उनके सरको सहेलाने लगी.. इस बार चंदाके खुसीके मारे आंसु नीकल रहेथे.. वो मनही मन भगवानका सुक्रिया अदा कर रही थी.. फीर भी उसने कुछ सोचके तैय करलीया ओर अपने दीलकी बात मंजुके कंधेपे सर रखकेही कहेने लगी..

चंदा : मंजु.. इस बारेमे मुजे कुछ वक्त चाहीये.. ओर जोभी करना हे हम धिरेनकी सादीके बादही सोचेगे.. ओर वोभी सीर्फ हम दोनो.. अभी ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रखनी हे.. अब धिरेनको कुछ मत बताना.. सब समयपे छोडदे.. जब जरुरत पडेगी तब आजाउगी ओर हमारे देवुका हाथ थाम लुगी..

मंजुला : (खुस होते) ठीक हे दीदी जेसी आपकी मरजी.. मेरे लीयेतो यही काफी हे आपने हां कहेदी..

चंदा : मंजु तुमेसे अ‍ेक बात कहेनी हे.. हम बाबाको मीलने गयेथे.. उनको तुम्हारे बारेमे सबकुछ पता हे.. ओर मेरे बारेमेभी कहाकी मे देवुके साथ जुड जाउगी.. उनकी सब बाते सच साबीत हुइ..

मंजुला : दीदी वो हमारे कुलगुरु हे.. पता नही वो कोन हे.. कीस मक्सदसे आये हे.. देवु कहेताथा वो अ‍ेक खास मक्सदसे आये हे.. उन्होने हमारे पौतेके बारेमे भविष्यवाणी की हे.. वो अ‍ेक इ--का अंस होगा.. ओर हमारे यहा रीस्तोमे बहोत बडा बदलाव आयेगा.. ओर इनकी सुरुआत हमारी पीढीसे ही होगी..

चंदा : (कंधेसे सर उठाते मंजुकी ओर आस्चर्यसे देखते) कैसा बदलाव..?

मंजुला : दीदी बाबा कहेते थे वो लोग प्रकृतीको मानते होगे.. कीसीभी रीस्तेको नही मानेगे उनका बस अ‍ेकही रीस्ता होगा.. स्त्री ओर पुरुषका रीस्ता.. आपने वो मंदिर देखा हेना जो हिमाचलमे हे.. जो राजाने अपनी बहेनो दादी ओर चाचीसे सादी करलीथी.. बस वोही राजा हमारे घर पौतेके रुपमे जन्म लेकर आरहा हे.. ओर उनकी सब रानीयाभी हमारे ही परीवारमे कीसीना कीसी रीस्तोमे जन्म लेके फीरसे वही राजाकी रानी हो जायेगी.. बस मुजे इतनाही बाबाने कहा हे.. पता नही हम कोन हे..

चंदा : कीतना अजीब हेनां..? हमारे गांवमे आज विधवाकीभी सादी नही करते.. ओर इतना बडा बदलाव.. तु उन बाबाको कीतनी बार मीली हो..?

मंजुला : दीदी जब मे देवुके संपर्कमे आइ ओर मेने देवुसे प्यारका इजहार कीया उसी दीन देवु मुजे लेके बाबाको मीलने ले गयाथा.. तब बाबाको पहेली बार मीली जो मुजे देखतेही वो बहुत खुस हो गयेथे..

चंदा : (हसते) अच्छा..? लेकीन तुमतो पहेली बार मीलीथीना.. क्या कहाथा उसने..

मंजुला : पहेली बार गइ तबतो कुछ खास बात नही हुइ.. लेकीन दुसरी बार गइ तब उसने देवुको कामके बहाने अंदर आश्रममे भेज दीया ओर बाबाने मेरा पुरा भुतकाल भविस्यकाल केह दीया.. पीछले जन्ममे मे कोन थी इस जन्ममे ओर इनके बादके जन्ममे मेरा क्या रोल होगा मुजे सब बतादीया ओर कीसीको ना बतानेका वचनभी लीया ओर मेने इस बारेमे देवुसेभी बात नहीकी.. आज सीर्फ आपको थोडा बता रहीहु..

चंदा : (हसते) कीतना अजीब हेना.. तुजे सब ज्ञात हे.. सायद इसीलीये तेरे मनमे मोतका कोइ भय नही हे.. क्या मुजे बता सकतीहे की तुम कोन हो ओर आगे कोन होगी.. मीन्स..कहा जन्म होगा..

मंजुला : (हसते) दीदी अभीतो मुजे पुरा ज्ञात नही लेकीन अगले जन्ममे मुजे सब ज्ञात होजायेगा.. बस इतना पता हे आप सब मेरीही संतान होगे.. ओर मजेकी बात जीस लडकेको मे जन्म दुगी इनसेही मेरी सादी होगी ओर इनके साथ पुरी जींदगी बीतादुगी ओर मेरीही लडकेके बच्चेकी मां बनुगी..

चंदा : (आस्चर्यसे हसते) क्या..? हम सब तेरी संतान..? मे समजी नही.. इश्रवरभी हमसे केसे केसे रीस्तेके बंधनमे बांधते हे.. देखोना मेभी मेरेही जमाइकी बीवी बनुगी.. कीतना अजीब रीस्ता होगा..

मंजुला : दीदी सच कहु तो मुजेभी अ‍ैसे रीस्तोमे कोइ बुराइ नही लगती.. सब प्रकृतीके हीसाबसे जीयेगे.. ना कीसी चंकोच, ना कोइ क्षोभ, सब अपनी मस्तीमे रहेते होगे.. ओर सायद इसेभी प्यार कहेते हे.. जब आपको देवुसे प्यार हुआ तब आपके दीमागमे ये थाकी ये मेरा जमाइ हे..? फीरभी प्यार हो गया ने..?

चंदा : (हसते) हां.. बाततो तेरी सही हे.. सायद हम प्रकृतीको नही पहेचान पाये.. बस हमभी जीते हेतो उसी प्रकृतीसे..

मंजुला : (सरमाके हसते) दीदी अ‍ेक बात कहु.. जब मे ओर देवु संभोग करते हे तब वो क्षण आता हे.. तब मे मेरे देवुमे इ--को देखती हु.., मुजे यही लगता हे यही मेरे परमात्मा हे जो मुजे स्वर्गकी सेर करता हे..

चंदा : (सरमो हसते) हां.., हां.. मंजु.., मेभी यही फील करती हु.. सायद इसीलीये पतीको परमेश्वर कहेते होगे.. आज तुमसे बाते करते बडाही सुकुन मील रहा हे.. बस.. मे जल्दही हमारे पतीको स्महालने आजाउगी..

अ‍ेसीहो बाते करते दोनो आगेकी सब प्लानींग करते बाते करती रही.. उधर देवायतके साथ आज धिरेनभी खेतोपे चला गया तो अभीतक भानु नही आयाथा तो देवायत धिरेनको अपने सब खेतो ओर गोडाउन दीखाने लगा.. धिरेनभी इतनी सारी जमीन देखके बहुत प्रभावीत ओर खुस होगया.. तभी भानुभी आ गयातो धिरेनको देखतेही खुस होगया ओर गर्मजोसीसे उनके गले लग गया..

भानु : (हसते) अरे सालेसाब आप कब आये..? दिखाइ ही नही देते..

धिरेन : जीजु बस कलहीतो आया.. कहीये केसीहे मेरी भावुदीदी..?

भानु : वोतो तुम्हे वहा आके देखना पडेगा.. सब यहीसे खबर पुछ लेगा क्या..? हें..हें..हें..

धिरेन : (हसते) नही.. अभीतो हम यही हे..मोमभी आइ हेतो अ‍ेक दीन आजायेगे..

देवायत : (हसते) सुन भानु.. कल सुबह मुजे इन सबको लेके सहेर जाना हे.. कुछ कपडे बपडे ओर सगाइका सामान लेना हे.. तो सुबह तुम लताको घर छोड जाना.. अगर माजी साथमे आयेतो अच्छा हे.. मौसीभी साथ चल रही हे.. वरना मे धिरेन लता ओर मौसीतो चल ही रहे हे..

भानु : (हसते) भाइ मे लताको छोड जाउगा अब बा कहा आयेगी.. कहेतीथी सब घरकेही लोग हेतो सीर्फ लताको भेज देना.. उनको जो लेना हे ले लेगी.. हें..हें..हें..

धिरेन : जीजु लता दीदी केसी हे.. क्या वोभी साथ आ रही हे..?

भानु : हां.. अब तेरे सालेसाहेबकी बीवीजो हो जायेगी.. हें..हें..हें..

धिरेन : (सरमाते हसते) क्या जीजु आप भी.. चलो ठीक हे मे कल ही मील लुगा..

देवायत : भानु तुम लोग बाते करो मे वो रमेशको मीलके आता हु अब सरपंचका कुछ करना पडेगा..

भानु : (हसते) ठीक हे यार जो तैय कीया हे वोही करना.. मे ओर धिरेन यही हे.. जाओ..

देवायत : (धिरेनकी ओर देखते) चल धिरेन तुजे आना हे गांवमे..

धिरेन : (हसते) नही जीजु आपही होआओ.. मे ओर जीजु यही बेठे हे.. बडा मजा आता हे इधर..

फीर देवायत गांवमे चला जाता हे ओर सीधेही रमेशकी दुकानपे चला जाता हे तब रमेश देवायतके आते देख उनके सामने हसने लगता हे तब देवायतभी मुस्कराने लगता हे.. दोनोकी हसीका राज सीर्फ ये दोनोही जानते थे.. देवायतको देखतेही रमेश अपने नोकरको सब सोंपके देवायतको सीधे अपने घरमेही लेजाता हे.. ओर दोनो होलमे आके बेठ जाते हे तब..

रमेश : आइअ‍े ठाकुरसाब..हें..हें..हें.. सब काम नीपट गया नां..? हें..हें..हें..

देवायत : हां यार.. पहेलेतो मुजे ठाकुर मत कहे.. हम दोनो दोस्त हे यार.. सीर्फ नामसे बुला.. क्या चाइ बाइ नही पीलायेगा..? हें..हें..हें..

रमेश : अरे नेकी ओर पुछ पुछ अभी मंगवाता हु.. (कीचनकी ओर देखते) चारु.. ओ.. चारु.. देख कोन आया हे.. मेरा दोस्त आया हे जरा दो कप चाइतो बना..

चारु कुछ इस तराह दीखती हे
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तभी चारु जटसे बहार आतीहे.. ओर देवायतको देखतेही सरमाके नमस्ते करते कातील स्माइल करते कीचनमे चली जाती हे ओर फटाफट चाइ बनाने लगती हे.. ओर चाइ बनाते सोचने लगती हे..

चारु : (मनमे) जालीम.., कैसा आदमी हे कीतने दीनोके बाद देखनेको मीला.. अबतो आताभी नही हे.. बस.. मतलब नीकल गया.., उस दीन घर आया जब वंदनाके पापा नहीथे.. तब इनको देखते मे केसे बहेक गइथी.. वोभीतो मुजे देखके बहेक गयाथा.. पता नही इनको देखके मुजे क्या होजाता हे.. इनमे कीतना आकर्सण हे.. जबभी यहा आता हे मुजे अजीब नीगाहोसे देखता रहेता हे.. मे खुदही बहेकते इनको बेडरुममे ले गइथी.. ओर उसदीन सबकुछ होगया.. जालीमने मुजे केसे रगड रगडके चोदलीया था.. दो दीन ठीकसे चलभी नही पाइथी.. कीतना दमदार लंड हे उनका.. पता नही अ‍ैसी चुदाइका मौका अब कब मीलेगा..
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इधर बहार होलमे देवायत रमेशको सरपंच बननेकी बात करता हे तब रमेश मनही मनमे बहुत खुस हो जाता हे ओर साथमे जब राघवकी बीवी रश्मीको मुनीमका पद देनेकी बातकी तबतो रमेशकी खुसी दोगुनी हो गइ ओर वो मनमे रश्मीको चोदनेका सपना देखने लगा ओर उसने फोरन देवायतका प्रस्ताव स्वीकार करलीया..

तब रमेशको नही पताथाकी अंदर कीचनमे उनकी बीवी चारु केसे देवायतसे चुदाइके बारेमे सोच रही थी.. जबसे देवायत घर आया ओर उनको देखा तबसे चारुकी चुतमे हलचल तेज होगइथी ओर लगातार उनकी चुत पानी छीडक रही थी.. अबतक चारु देवायतसे तीन बार चुदाइ करवा चुकी थी.. तबसे देवायतकी दीवानी हो चुकीथी तभी चाइ उबलके बहार आने लगीतो वो तंद्गसे जाग गइ ओर चाइ नीकालने लगी..

देवायत : भाइ अभीतो मे बीजी रहुगा.. मेरे लखन ओर पुनमकी सगाइ हे सबको आना हे.. फीर हम उनमे फ्रि होतेही सहेर जायेगे ओर जीलाकी पंचायतमे सब रजीस्टर करवाके आजायेगे.. क्या कहेते हो..?

रमेश : (खुस होते) क्या दोनो बहेन भाइकी साथमेही सगाइ हे..? दोनोका रीस्ता मील गया..?

देवायत : हां यार लखनकीतो भानुकी बहेनसेही सगाइ हे ओर पुनमके लीयेभी पढा लीखा ओर मेरी मौसीजी का लडका मील गया हे.. दोनोही घरके हे तो रीस्ता पका करलीया..

चारु (चाइ लाते दोनोको देते) लीजीये देवरजी.. चाइ पीजीये.. आपतो दीखतेही नही..? हें..हें..हें..

रमेश : (खुसीसे) सुन चारु.. हमारे लखन ओर पुनमका रीस्ता तैय हो गया हे.. दोनोकी सगाइ हे.. तो उनमे ही बीजी हे हमेभी बुलाया हे..

चारु : (खुस होते) हां हां..जरुर.. हम जरुर आयेगे.. मेरी अ‍ेकलोती ननंद ओर देवरकी सगाइ हेतो आनातो पडेगाही.. ओर देवरजी अभी भाभीजीकी डीलेवरीका टाइम हेतो घरमेभी कुछ काम होतो हमे बुला लीजीयेगा.. इनमे क्या हे? हम घरकेही लोग हे.. (कहेते देवायतकी ओर कातील स्माइल करती हे)

देवायत : (चारुकी बात समज जाता हे) हां.. हां.. भाभीजी जरुर बुला लुगा.. सबकी सगाइ इधर हवेलीपेही रखी हे.. बस आप फ्रि हो तब मंजुके पास चली जाइअ‍े.. वहा मेरी मौसीजीभी आइ हे..

चारु : (थोडा सेड होते) ठीक हे.. आपके यहातो रीस्ता तैय होगया पता नही हमारी वंदनाका क्या होगा..

देवायत : क्यु.. रमेश.. क्या हुआ वंदनाको..? कुछ हुआ क्या..?

रमेश : (नीराश होते) पता नही भाइ.. इनकी मम्मीको कहेतीथी मुजे सादी नही करनी.. पता नही उसे क्या प्रोबलेम हे.. हम उसे फोर्सभीतो नही कर सकते.. चारुने उसे खुब समजाया..

देवायत : (हसते) भाभी वेसे.. मेने उनके लीये भी कुछ सोचा हे.. अगर आपकी इजाजत होतो मे उपर बात करलु..?

चारु : देवरजी आपने वंदनाके लीये क्या सोचा हे.. कहीयेनां..

देवायत : (हसते) भाभी वेसेभी वो यहा सबको ट्युशनतो पढाती ही हे.. तो क्युना हम उसे हमारी स्कुलमेही नोकरी दीलवादे.. सरकारी नोकरी होजायेगी.. ओर लडकीभी हमारे सामनेही रहेगी.. क्या कहेते हो..?

रमेश : (खुस होते) भाइ तबतो सोनेपे सुहागा.. क्या अ‍ैसा हो सकता हे..?

चारु : हां देवरजी आप देख लीजीये.. हो सरकता हे सरकारी नोकरीकी वजहसे ही हमे कोइ अच्छा पढालीखा लडका मील जाये.. आप बात करीये..

देवायत : देख यार.. अगर वंदनाकी नोकरी होगइ तो तुमसे पार्टी लुगा.. हें..हें..हें..

चारु : (मोका मीलतेही) हां.. हां.. जरुर आपके भाइ नही देगेतो मे पार्टी दुगी.. हें..हें..हें..

कहेके चारु देवायतके सामने कामुक मुस्कानसे हसती रही.. ओर रमेशकी नजर बचाते देवायतको मीलनेका इसाराभी करलीया तब देवायत सरमाके हांमे गरदन हीलाके खडा होगया.. ओर कहेने लगा..

देवायत : चल यार नीकलता हु.. मेरा साला मेरे साथ आया हे खेतपे हे.. उसे लेनेभी जाना हे..

चारु : (हसते) ठीक हे देवरजी कभी कभी आते रहीये.. अबतो इधरका रास्ता भुलही गये हे.. हें..हें..हें..

रमेश : हां भाइ आपकी भाभी सही केह रही हे.. हें..हें..हें..

देवायत : भाभीजी अबतो आना जाना लगाही रहेगा.. ये महासय सरपंचजो बन रहे हे.. हें..हें..हें..

चारु : (आस्चर्यसे खुसीसे हसते) क्या.. ये सरपंच बनने वाले हे..?

रमेश : (खुसीसे) हां चारु भाइ वोही कहेनेतो आये थे.. हें..हें..हें..

देवायत : (बहार नीकलते) चलो मे चलता हु..

कहेके वो वहासे सीधेही राघवके घर चला गया वहा कोइ नजर नही आ रहाथा तो देवायत सीधेही राधवके कमरेमे चला गया तो रश्की राधवके पास बेठके उसे ज्युस पीला रहीथी.. तो देवायतको देखतेही खुसी से हसने लगी ओर इसारा करते वहा पलंगके पास रखा सोफेपे बेठनेको कहातो देवायत हसते बेठ गया तब उसने राघवको हाल चाल पुछा तब राघवको गुसा आने लगा ओर उसने अपना मुह फेर लीया तो ज्युस नीचे गीरने लगा तब रश्मीने ग्लास साइडमे रखके उनका मुह पोछ दीया ओर कहा....

कन्टीन्यु
 

ashik awara

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १५

तभी देर रात चंदा उठके मंजुके रुमके पास आइ ओर खीडकीसे जांकने लगी तो देखा मंजु देवायतको कसके पकेडके उनकी बाहोमे सोइ हुइ थी तब वो समज गइ देवायत मंजुकी नींद खराब करना नही चाहता तब वो वापस आके अपने बेडपे सो गइ लेकीन आज चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी वो करवटे बदलते सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रही ओर उसे कब नींद आगइ पताही नही चला....अब आगे

सुबह मंजु जल्दी उठ गइ ओर नहाके कंपलीट होगइ फीर देवायतके पास बेठ गइ ओर उसे प्यारसे देखने लगी तो देवायत सोते हुअ‍े बहुतही मासुम लग रहा था तब वो देवायतके कंधेपे हाथ रखके उनको पलटते जगाती हे ओर उनके होंठ चुम लेती हे.. तब देवायत इनको अपने पास खीचके साथमे सुला देता हे तो मंजुभी उनके सीनेमे सर रखते लेट जाती हे तब देवायत दोनोके उपर चदर डालके उनके होंठ चुमने लगता हे
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मंजु : जानु उठ जाओ.. देखो सुबह होगइ हे.. आप अपना सब काम नीपटालो.. फीर टाइमपे खाना खाने आजाना.. वो धिरेनको लेने जाना हे..

देवायत : हां बेबी सुबह सुबह मेरी खुबसुरत बीवीका दीदार होगया.. चल नहाते हे..

मंजुला : (हसते) बाबु मे नहा चुकी हु आप फटाफट नहालो.. पता नही वो महारानी उठी हेकी नही..

देवायत : कोन..?

मंजुला : (हसते) अरे वो आपकी मौसी.. चलो.. फटाफट नहाके आजाओ उनको जगाती हु फीर चाइ नासता करते हे.. (हसते) बेचारी रातमे ठीकसे सोइ नही होगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (बेडसे उतरते) कहासे सोयेगी.. तुने उनको सादीका डोज जो दे दीया हे हें..हें..हें..

मंजुला : देवु प्लीज.. मेने जो कहा हे उनके बारेमे सोचना.. वो बहोत अच्छी हे..

देवायत : (बाथरुमकी ओर जाते) मंजु.. तु फीर सुबह सुबह सुरु होगइ.. चल नहाने दे..

कहेके देवायत बाथरुममे घुस गया ओर ब्रस करते चंदाके बारेमे सोचने लगा.. तब उनका लंड तनके उपरकी ओर जाने लगा जेसे कीसी रोकेटको लोन्च कर रहा हो.. तब दुसरी ओर मंजु चंदाको जगाती हे ओर गुडमोर्नींग वीस करती हे तब चंदा उठके मंजुको हग करलेगी हे फीर उनके सरको चुमके सीधेही बाथरुममे घुस जाती हे.. तबभी उनके मनमे देवायतका दमदार लंड घुम रहा था

तब उनकी चुतभी फडफडा रहीथी ओर अपने आप हरकत करते गीली होने लगीथी तब चंदा आइनेके सामने नंगी होगइ ओर अपना सौन्दर्य देखने लगी फीर खुदही सरमाते हसने लगी फीर नहाते उनके बुब्स साफ करते उतेजीत होने लगी ओर अपनी चुतमे उंगली डालके आंख बंध करली ओर जोरोसे हीलाने लगी तब कुछही देरमे वो जड गइ तब खुब सरमाइ फीर नाहाके बहार आगइ.. ओर तैयार होने लगी..

मंजुला : (तब बेडपेही बेठी थी) मौसी अच्छेसे तैयार होना.. आप पतीके साथ जा रही हो.. आइ मीन मेरे पतीके साथ.. हें..हें..हें..

चंदा : (चोंकते सरमाते) मंजु.. तुम भीना.., कुछ भी बोलती हे.., कुछतो सरम कर..

मंजुला : मौसी.. मुहसे अ‍ेसेही नीकल गया..क्या आपको बुरा लगा.. तो सोरी.. (सर नीचा करते)

चंदा : (उनके पास बेठते हग करलीया) नही बेबी..सोरी मत बोल.. तुतो मेरी भांजी नही मेरी बहेन हे.. ओर बहेनोके बीच अ‍ेसे सोरी माफी कोइ सब्द नही होते.. मुजे अच्छा लगा तुम मेरे बारेमे इतना सोचती हो मेरी केर करती हो.. अरे पगली तेरे जेसी बहेन मुजे कहा मीलेगी.. लेकीन जो तु कहेना चाहती हे वो मे नही कर सकती.. बस मेरी कुछ मजबुरीया हे.. वरना तेरी बात जरुर मानती..

मंजुला : मौसी मुजे पता हे आपकी मजबुरी.. मे उन उलजन को खतम कर दुगी..

कहेके मंजु बहार जाने लगी तब चंदा उसे अ‍ेक नजरसे जाते हुअ‍े देखती रही.., आज उसे मंजुने इस वीसयको छेडके जंजोर दीयाथा ओर उनकी बातोपे सोचनेके लीये मजबुर करदीया था लेकीन वो कीस मुहसे कहेकी मेने तेरे पतीके साथही सादी करली हे.. वो बडीही कस्मकसमे थी, फीर भारी मनसे तैयार होगइ ओर बहार आगइ तब मंजु अकेले सोफेपे बेठी सोचमे डुबी हुइ थी.. तब चंदा उनके पास बेठ गइ..

चंदा : (उनका सर सहेलाते) क्या सोच रहीहे मेरी बहेन..

मंजुला : (चंदाके सामने देखते सर ना मे हीलाते) कुछ नही मौसी ये जींदगीभी बडी अजीब हेनां..?

चंदा : (हसते) हां.. मे इस बारेमे ज्यादा नही सोचती, भगवानने जो हमारी कीस्मतमे लीखा हे वो होकरही रहेता हे.. फीर चाहे मे ओर तुम मानो या ना मानो..

मंजु : ठीक हे मौसी जेसी आपकी मरजी.. चलो चाइनास्ता नही करना..देवुभी नही आया..

देवायत : (आते) आ गया बेबी..चलो चलो.. मुजे जाना भी हे भानु आगया होगा..

फीर तीनो चाइनास्ता करने लगतेहे तब चंदा बार बार चोर नजरसे देवायतको देखती रही तब मंजु बरोबर उनकी नजरका पीछा करते तीरछी नजरोसे देखती रही.. तब मंजुने कहा..

मंजुला : जानु.. आप कीतने बजे नीकलने वाले हो..

देवायत : मंजु तीन बजे वकीलको मीलना फीर आघा अ‍ेक घंटा लग जायेगा.. बस खाना खाके ही नीकलना हे.. पता नही धिरेन कब आने वाला हे..

चंदा : मुजेभी टाइम नही बताया सायद चार पांच बजे आजायेगा..

मंजुला : कोइ बात नही आप लोग उनका वेइट करलेना.. ओर सीधे अहीपे लेआना..

चंदा : नही मंजु अब मे घर जाउगीनां.. इधरभी तीन चार दीन होगये.. फीर तेरी डीलीवरीके टाइम आजाउगी

मंजुला : मौसी वहाभी क्या काम हे.. वेसेभी धिरेनकी छुटीया चल रही हेनां..? वोभी इधर आजायेगा तबतक लखन ओर पुनमभी आजायेगे तो सब बच्चो साथमे रहेगे तो आपसमे मील जुल लेगे.. क्यु देवु..?

देवायत : (हाथ धोते) हां मौसी.. मंजु ठीक केह रही हे.. ओर उन लोगोको लेने जाना हे तब खरीदीभी तो करनी हे तो धिरेनभी साथ चलेगा..उनकी पसंदका सब आजायेगा.. मे दोनोको इधरही ले आउगा..

चंदा : (हसते) अरे मे आजाउगीनां.. क्यु जीद कर रहे हो..?

मंजुला : नही मौसी मेरे पतीने केह दीया सो केह दीया.. देवु वरना जबरदस्ती इनका अपहरण करके लेआना, हें..हें..हें..

तब देवायत हसने लगा तो चंदाभी सरमके मारे सर नीचा करते हसती रही.. अ‍ेसेही मजाक करते सबने चाइ नास्ता फीनीस कीया.. तो देवायत दोनोको हग करके नीकल गया वो गोडाउन गया वहा सब काम देखके मुनीमके घरकी ओर नीकल गया तब वहा बेठनेके लीये कोइ नही था बस उनकी दो पडोसन बेठीथी देवायतको देखतेही नमस्ते करके वापस घर चली गइ तब घरमे सीर्फ देवायत ओर चंपाही थे..

तब चंपाने उसे बेठनेके लीये कहा ओर पानी लेने चली गइ फीर देवायतको पानी पीलाया ओर वही खडी रही.. आज उनके चहेरेपे गम काफी कम दीख रहा था.. उनको अब सीर्फ देवायतपेही उमीद थी..

देवायत : भाभी सब अच्छेसे करना पैसोकी चीन्ता मत करना.. (जेबसे पांच हजार नीकालके देते) ये लीजीये.. इनको रख लीजीये.. जब यहाका कार्य पुरा होजाये तब आप हवेलीपे आजायेगा.. वही काम करीयेगा.. मंजुकोभी कंपनी मील जायेगी..

चंपा : देवरजी क्या उनकीभी डीलेवरीका टाइम होगया हेनां..? होस्पीटल कब जाना हे..?

देवायत : बस अ‍ेक हप्तेके बादकी डेट हे.. मेरी मौसीजी आने वाली हे.. तबतक इधरभी सब कार्य सम्पन हो जायेगा फीर आजाना..

चंपा : आपने मुजपे बडी महेरबानीकी इतनातो कोइ सगे वालेभी नही करते.. देवरजव अब मुनीमजी के कुछ कागजात पडे हे मेरेतो कोइ कामके नही.. अब आपही लेजाइयेगा.. क्या पता कीसी गांवके वहीवटके कामके हो.. पता नही पंचायतका कागज घरपे क्यु रखा हे.. वहा उतनी बडी ओफीस तो हे..

देवायत : भाभी ये कागज आप अभी आपके पासही रखीये अ‍ेक दो दीनमे फ्रि होजाउगा तब लेकर जाउगा.. ओर इनका जीकर कीसीसे मत करना.., भाभी अब मे सोच रहा हु.. रश्मीभाभी को मुनीमकी जगाह रखलु..

चंपा : हां वो अच्छी हे पढीलीखी भी हे.. पता नही ये सरपंचके पले केसे पड गइ.., वेसे क्या हुआ उनका..

देवायत : बस कुछ नही.. अब तो जबतक जींदा रहेगे अ‍ेसेही बीस्तमे रहेगे जेसे होस्पीटलमे थे..

चंपा : चलो अच्छा हुआ.. कभीना.., कभीतो पापका घडा भरेगाही.. जो इनकी सजा मील गइ दोनो को..

देवायत : दोनो को..? इसमे मुनीमजीकी क्या गलती हे..?

चंपा : (दरवाजा बंध करके आइ) देवरजी सारी फसातकी जड आपके भाइसाबही थे.. इन्होनेही सब कागजात सरपंचको नीकालके दीये हे.. तब मेने रुमसे सुना वो आपकी जमीन ओर कुछ खजानेकी बात कर रहेथे.. मे ठीकसे सुन नही पाइ.. इसीलीयेतो सब कागजात आपको दे रही हु.. बस मेरा खयाल रखीयेगा..

कहेते सरमाते देवायतके पास बगलमे सर जुकाके बेठ गइ तब देवायत समज गया ओर उनके हाथपे अपना हाथ रख दीया ओर धीरेसे दबा दीया तब चंपा सरमसे पानीपानी होगइ ओर तीरछी नजरसे देवायतकी ओर देखती हसती रही उसने अपना हाथ हटानेकी कोइ कोसीस नहीकी तब अचानक देवायत उनको बेठे बेठेही बाहोमे कसके भरलेता हे तब चंपा खुब सरमाइ ओर मुस्कराते देवायतकी बाहोमे समा गइ..

अपना अ‍ेक हाथ देवायतके सीनेपे रखके सहेलाने लगी तो देवायतने उनका चहेरा अपनी ओर कीया ओर दोनोके होंठ मील गये ओर स्मुच करने लगे.. तभी देवायतने अ‍ेक हाथ कीस करतेही उनके उरोजोपे रख दीया ओर हल्केसे दबाके मसलने लगा तब चंपाके मुहसे सीसकारीया नीकलने लगी ओर देवायतका पुरा साथ देने लगी.. देवायतभी कल चंदाके पास नही जा सका इसलीये उनको कलसे ठरक चडी हुइ थी..

चंपा : (धिरेसे सरमाते) देवरजी इधर कोइ भी आ सकता हे.. अंदर चलीयेनां..

तब देवायत अलग हो जाते हे ओर चंपा उसे अपने बेडरुममे लेजाती हे ओर पीठके बल लेटतेही अपनी सारीको कमर तक उची करके अपने ब्लाउसके बटन खोलने लगती हे.. तब देवायतने देर ना करते अपने पेन्टकी क्लीप खोलदी फीर पेन्ट ओर नीकर नीचे करलीया तब चंपाकी चुतको देखतेही देवायतका लंड जटके मारने लगा तो देवायत उनके पैरके बीच बेठने लगा तब चंपाने अपने दोनो पैर फैला दीये..

देवायत : (चंपाकी चुतपे लंड घीसते) सरपंचके साथ कीतनी बार चुदी हो..?

चंपा : (सरमाते मुह दुसरी ओर करते) वो मुआ इधर कहा दारु पीने आताथा.. बस मेरे पतीको तीन चार पेग पीलादो उनको कोइ होसही नही रहेता फीर सरपंच अंदर आजाता, वो यहा मेरे साथ मजे करनेही आता था

देवायत : (उतेजनामे आके लंड घुसाते) अब मेरे साथ चुदेगीना.. मे तुजे रोज चोदुगा..

चंपा : देवरजी अबतो सीर्फ आपहीका सहारा हे अब आपके सीवा मेरी प्यास कोन बुजायेगा..? मे अ‍ेसे वेसी ओरत नही हु.. ओर अबतो आपसेही चुदवाउगी.. आपका हथीयारभीतो सबसे बडा हे ओर मोटाभी हे..

तब देवायत चंपाकी चुतमे लंड फसाके उनपे जुक जाता हे ओर होंठ चुमते कमरको अ‍ेक जोरका जटका मारता हे तब लंड चंपाकी चुतको चीरते अंदर घुस जाता हे तो चंदाकी हल्कीसी चीख नीकल गइ ओर आंसुभी टपक गये तब उसने अपने मुहपे हाथ रखदीया ओर छटपटाने लगी ओर देवायतको रुकनेको कहेने लगी.. तब देवायत लंबे लंबे सोट मारते चंपाको चोदने लगा..

चंपा : उउउउउइइइइइ मांमामाआआआ मममररर गगगगइइइइइ मोमोमोटाटाटाट हेहेहेहे.. रुकीयेयेये.. नही नही नही..सीसीसीसइइइइइइइ बस..बस..बस.. कीजीये...रुकीये...जलन हो..ती.. हेहेहेहे..सीसीसीइइइइइ
1722202
लेकीन देवायत कहा रुकने वालाथा, चंपाकी हालत दर्दके मारे खराब होने लगी ओर वो देवायतके सीनेमे दोनो हाथसे धका मारते उनको अपने उपरसे हटानेकी कोसीस करने लगी..तभी थोडीही देरके बाद उनकी दर्द भरी चीखे कामुक आवाजमे बदलने लगी ओर वो आधी आंख चडाते मदहोसीकी हालतमे चली गइ फीरतो वोभी कमर हीलाके देवायतका साथ देने लगी तब अचानक देवायतको बाहोमे भीच लीया..

ओर उनकी चुतने जवाब देदीया.. फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहा था तब थोडी देर वो सीथील होके पडी रही ओर देवायत उसे जटके मारते चोदता रहा तब उनके बुब्स देवायतके हर धकेके साथ उछल रहेथे, चंपाको आज असली मर्द मील गयाथा जो वो जड गइ उनके बावजुद चुद रही थी.. अ‍ेसा सुख ना उसे मुनीमसे पायाथा ओर नाही सरपंचसे पाया था.. वो आज बहुत खुस होगइ.. तब देवायतने स्पीड बढादी.. ओर लंडको जड तक घुसाते जोरोसे लंबे लंबे सोट मारते काफी देर तक चंपाकी चुदाइ करता रहा.. तब चंपाकी हर धकेके साथ आहे नीकलती रही.. तो बीच बीचमे देवायत उनके होंठ ओर उनके दोनो बुब्स चुमता रहा..
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तो चंपा फीरसे गरम होगइ ओर देवायतको बाहोमे भीचलीया ओर अपनी कमर आडी टेडी करके हीलाने लगी तब देवायतके सरीरमे हलचल तेज हो गइ ओर उसने चंपाको चीपकते जोरोसे बाहोमे भीच लीया तब चंपानेभी देवायतको कसके बाहोमे भरलीया ओर देवायत चंपाकी गरदनमे चुमते उनको होठोको भीचके लीपलोक करलीया तब चंपाकी आंखभी बडी होगइ ओर उसको अपने गर्भासयपे देवायतका गरम विर्य महेसुस होने लगा तब देवायत जटके मारते जड रहाथा तो चंपा अ‍ेक बार फीसे उतेजीत होके साथमे जडने लगी..

ओर देवायत चंपाके सीनेपे ढेर होगया दोनोही पसीने पसीने होगये ओर अपनी सांसे दुरस्त करते रहे तबतक चंपा देवायतकी पीठ सहेलाती रही जब दोनोही सांत हुअ‍े तब चंपा देवायतसे नजर नही मीला पा रहीथी उनका कारण देवायतकी दमदार चुदाइ थी चंपाने अ‍ेसी दमदार चुदाइ कभी नही करवाइ थी.. तभी देवायत उनके चहेरेको दोनो हाथसे पकडके अपनी ओर कर लेता हे तब चंपा उनकी ओर नजर करते सरमके मारे अपनी नजरे नीचे करलेती हे तो देवायत उनके होंठ चुमने लगता हे..

देवायत : चंपा अब मुजे जाना चाहीये.. सहेरभीतो जाना हे..

चंपा : (धीरेसे सरमाते) देवरजी आते रहीयेगा.. आज ये चंपा आपकी अमानत होगइ.. अब मे सीर्फ आपसेही चुदवाउगी मेरा खयाल रखीयेगा.. ओर मे रहुगी इधरही.. सीर्फ कामके लीये वहा आउगी.. ताकी हम यहा मील सके.. ओर हो सकेतो हमारी बातका जीक्र कीसीसे नही करीयेगा..

देवायत : (गाल चुमते) ठीक हे चंपा डार्लींग.. चलो मुजे जाना हे..

कहेके देवायत चंपाके उपरसे उतर गया तब लंडसे फच..की आवाज आइ जीसे सुनके चंपा सरमसे पानीपानी हो गइ तब उनकी चुतसे दोनोका काम रस चुतसे बहेने लगा तब चंपा कपडेसे अपनी चुतको साफ करने लगी उनको हीलनेकीभी ताकात नही थी वो वेसेही पडी रही तब देवायत बाथरुममे लंड साफ करने चला गया फीर बहार आगया तबभी चंपा अ‍ेसेही पडीथी तब देवायतने उनकी मदद करनेको कहा तो मना करदीया..

फीर देवायत दरवाजा खोलके बहार आगया ओर अपनी कार लेके गोडाउनपे आगया.. उनको चंपाको चोदनेमे कोइ मुस्कील नही लगा क्युकी उनको मालुम था चंपा बहुतही कामुक ओरत हे ओर हमेसा सरपंचसे चुदती हे इसीलीयेतो चंपा कोइ ना नुकुर करे बगैरही देवायतसे चुदवानेको तैयार होगइ.. देवायत आके बेठाही थाकी भानु आगया.. ओर उनके पास बेठ गया..

भानु : भाइ वो रश्मीभाभीका फोन आयाथा कल उनको छुटी दे रहे हे उसे लेने जाना पडेगा..

देवायत : ठीक हे कल लेके आजायेगे.. वेसेभी अब उनको घरपे हीतो रखना हे.., ओर सुन मे सहेर जा रहा हु.. वो धिरेन आ रहा हे ओर वो वकीलकोभी मीलना हे..

भानु : भाइ जीनका केश चल रहा हे वोतो खटीयामे पडा हे.. आप तारीखही लेलो..अबतो जबतक गुजर नही जाता अ‍ेसेही तारीख लेना हे.. फीर कुछ करते हे.. हम रश्मीभाभीको कहेके सारे कागजात नीकलवा लेगे..

देवायत : चल ठीक हे देखतेहे वकील क्या कहेता हे.. वो हरीयाको चाइकातो कहेदे फीर नीकलनाभी हे..

तभी भानु हरीयाको आवाज लगाता हे फीर दोनो चाइ पीतेहे ओर कुछ बाते करते देवायत नीकल जाता हे जब हवेलीपे पहोचतेहे तब चंदा बीलकुल तैयार होके बेठीथी आज वो कयामत लग रहीथी मंजुने उनके कपडे जबरदस्तीसे बदलवा दीये थे तो देवायत उसे देखता ही रहातो मंजु उनको देखते जोरोसे हसने लगी तब चंदाभी हसते सरमसे पानीपानी हो रहीथी.. तब मंजुने मजाक करते कहा..

मंजुला : (हसते) कंट्रोल पती देव कंट्रोल..आपकी मौसीजी हे अ‍ेसे ताडीये मत.. हें..हें..हें..

चंदा : (जुठे गुसेसे) मंजु.. बस यार कुछ तो सरम कर.. कुजभी बोलती हे..

देवायत : (जेंपते अंदर आते) मंजु तुभीनां.., वेसे मौसीजी सच कहु.. इस कपडेमे आप कयामत लग रही हे.. आप नीकलोगीतो हम नेसे नौजवानोकी लाइन लग जायेगी हें..हें..हें..

चंदा : (अ‍ेकदम सरमाते हसते) क्या देवुजी आपभी.. दोनोके दोनो पती पत्नी अ‍ेक जेसेही हो.. मुजे नही आना बहोत सरम आ रही हे.. मे ये कपडे चेन्ज करती हु..

मंजुला : (जटसे) नही नही नही..मौसी अब हम मस्ती नही करेगे बस..? आइअ‍े खाना रेडी हे देवु आप फ्रेस होके आइअ‍े तबतक खाना नीकलवाती हे फीर दोनोको जानाभी हे..

चंदा : (हसते खडे होते) तुजे हमे भगानेकी बडी जल्दी हे.. तेरा इरादातो नेक हेना..? हें..हें..हें..

मंजुला : अरे मौसी फीकर मत करो मेरे पतीको भगाके लेजाओ तोभी गम नही हे हें..हें..हें..

तब चंदा उसे सरमाते हसते अ‍ेक पीठमे मुका मारदेती हे फीर दोनो खानेपे चली जातीहे तबतक देवायतभी आगया ओर वोभी मंजुके पास बेठ गया तब चंदा बार बार देवुकी ओर देखते सरमा रहीथी फीर हल्की मुस्कानके साथ नजरे जुका लेती थी तब मंजु चंदाकी हर हरकतको नोटीस कर रहीथी ओर मनही मन खुस हो रहीथी उनका नीसाना बीलकुल सही लग रहाथा फीर तीनोने मजाक मस्ती करते खाना फीनीस कीया तो दया सब बरतन उठाके ले गइ ओर तीनो सोफेपे आके बेठ गये तबतक १ बज चुकाथा..

देवायत : तो मौसी हम चले..? सहेरभीतो यहासे दुर हे..

चंदा : (सरमाके हसते) जी.. चलीये..

तब मंजु थोडी मायुस होगइ देवायत उनके चहेरेका भाव फौरन पहेचान गया तीनोही खडे हो गये तब देवायत मंजुके पास चला गया ओर उनकी आंखोमे प्यार भरी नजरोसे देखता रहा ओर बहारकी जानेके लीये नेसेही मुडा तब मंजुने हीमत करके फोरन देवायतका चहेरा अपने हाथोमे लेलीया ओर उनको अ‍ेक होठोपे चुंबन जड दीया तब चंदाभी मुह घुमाते सरमसे पानीपानी होते हसने लगी फीर मंजुके सामने देखके सरारतसे नैन नचाने लथी तब मंजु खुब सरमाइ ओर मुहको दुसरी ओर करते हसने लगी
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फीर देवायत ओर चंदा दोनोही कारमे बेठ गये ओर मंजुको बाय करते हवेलीके बहार नीकल गये तब कार सीधी गांवके रास्तेसे जंगलमे होकर सहेरकी ओर दोड पडी तब चंदा देवायतके सामने देखके हसती रही आज चंदा कारमे बेठते कयामत लग रहीथी ओर बार बार अपने बालोको कानके पीछे लेजा रही थी.. तब देवुभी इनकी ओर हसता रहेता था वो अ‍ेक हाथसे कार चलाता रहा ओर दुसरा हाथ चंदाके हाथोपे रख दीया तब दोनोने अपने हाथोकी उंगलीया आपसमे फसाली..
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चंदा कुछ इस तराह दीखती थी, आखीर देवायतने अपनी चुपकी तोडी..
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देवायत : बेबी देखा तेरी सौतननेही हमे भेजदीया.. क्या तुमसे उन्होने कोइ बात की हे..?

चंदा : (सरमाके हसते) हां.. बहोत पीछे पड गइ हे..की सादी करलो सादी करलो.. अब उसे केसे कहुकी मेने तेरेही पतीसे सादी करली हे.. मुजेतो बहोत सरम आरही थी.. ओर देवु पता हे अ‍ेक बार क्या कहा.. कहेतीथी अगर मेरी सौतन बननाहे तोभी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. देवु मुजे लगताहे उनको हम पर सक होगया हे..

देवायत : (सीरीयस होते) नही चंदा.., मुजे लगताहे मामला कुछ ओर ही हे.. कल रातमे भी मुजे यही केह रही थी.. की आप मौसीसे सादी करलो मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. उसनेतो अपनी कसम तक देदी.. इतना फोर्स करतीथी मुजसे.. जरुर कोइ ओर बात हे.. क्या बातो बातोमे तुजे कुछ नही बताया..?

चंदा : (आस्चर्यसे सीरीयस होते) नही जानु.. मुजे कुछभी नही बताया.. अगर प्रोबलेम होती तो कमसे कम मुजेतो बतातीही हे.. हम दोनो सब बाते अ‍ेक दुसरेसे सैर करते हे..

देवायत : बेबी मेरातो जी गभरा रहा हे.. मुजे लगता हे वो हमसे कुछतो छीपाती ही हे..

चंदा : (याद आते) हेय..हेय.. जानु अ‍ेक मीनीट..मुजे कुछ याद आया.. धिरेन केह रहाथा.., कुछ.. याद हे.. हमने सादी की तब हमने दो दीन सुहागरात ओर दीन मनायेथे.. तब धिरेन मंजु भावु सब बडी दीदीके घर थे.. तब धिरेन केह रहाथा वो मंजु दीदीके साथ सहेर गया था.. कुछ तबीयत खराब लग रहीथी अ‍ेसा केह रहाथा.. सायद धिरेनको पता होगा मे छुपकेसे उनसे बात करलुगी..

देवायत : चंदा कुछतो हे तभीतो बार बार मुजे तुमसे सादी करलेनेको केह रहीथी.. अपनी कसम तक देदी..

चंदा : (सीरीयस होते) जानु आप टेन्शन मत लो मे सब जान लुगी.. अगर होस्पीटल गइथी तो इनके पेपर घरपेही कही छुपाके रखे होगे.. आप उसे ढुंढना..

देवायत : (गभराते) हे..भगवान फीर कोइ नइ मुसीबत ना आजाये.. कास हमारा सक जुठा नीकले..

चंदा : (तब चंदा कारमे बेठेही देवुको हग करके उनके कंधेपे सर रख देती हे) जानु मे हुनां जरुरत पडीतो मे वहा आजाउगी.. मुजे धिरेनकी कोइ परवा नही.. वो अब बडा होगया हे अच्छा बुरा सब समजता हे.. मे आपको अ‍ेसे तकलीफ या चीन्तामे नही देख सकती.. ओर जो हमे मालुम ही नही उनके बारेमे गलत क्यु सोचना.. बाबु स्माइल करो.. आपके साथ इतनी खुबसुरत बीवी घुमने आ रही हे, हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हं.., सही केह रही हो.., बेबी तुम घर आजाओ.. मुजे आप दोनोसे बहोत बहोत प्यार करना हे.. अब मे आपके बीना नही रेह सकता.. हो सकेतो धिरेनसे बात करलो..

चंदा : नही नही.. अभी नही.. पहेले उनकी सादी होजानेदो वो अपनी बीवीमे बीजी होजायेगा तब हम बात करेगे.. तब हमारी बात समज भी सकेगा ओर मानभी लेगा..

देवायत : तो फीर जल्दी सादी करवादो.. अब भानुकी मां को नही मुजे जल्दी हे.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाके हसते बाजुमे मुका मारते) नोटी..बोय.. अरे बाबा जीतनी जल्दी आपको हे उतनीही मुजेभी हे.. जानु कुछ दीन इन्तजार करलो.. प्लीज.. मेरे अच्छे बच्चे.. हें..हें..हें..

तब चंदा सरमाते तीरछी नजरसे देवातको देखती रहेती हे.. दोनोही घने जंगलसे गुजर रहेथे तब देवायतने अचानक कारको जंगलकी ओर मोड दी तब चंदा हसते देवायतकी ओर देखने लगी ओर सरमसे पानीपानी होने लगी, उनको पता था देवायतने कार क्यु जंगलमे लेली.. तब नजरे जुकाते सरमाने लगी ओर मंद मंद मुस्कराती रही फीर तीरछी कातील नजरोसे धीरेसे पुछा..

चंदा : (सरमाते) आपने कारको इधर जंगलमे क्यो लेली..? जनाबका इरादातो नेक नही लगता..

देवायत : (पेन्टमे लंडको अ‍ेडजेस्ट करते मजाकमे) बेबी आपतो बहुत समजदार हो.. हें..हें..हें.., (सीरीयस होते) नही हम बाबाके पास जा रहे हे..

चंदा : जानु लेकीन आपको वकीलको मीलना था..

देवायत : नही उनसे सीर्फ तारीख लेनी हे.. वो फोनपे बात होजायेगी.. वेसे आपको भी बाबाको मीलना थाने..?

चंदा : हां लेकीन इतनी जल्दी मुलाकात.. क्या वो हमारे बारेमे सबकुछ जानते हे..?

देवायत : हां.. तुम चलतो रही हो.. खुद देख लेना.. ओर बाबासे सब जानभी लेना..

तब दोनोही अ‍ेक आश्रमके पास रुक जाते हे ओर नीचे उतरने लगते हे तब चंदा तो देखतीही रही.. की इतने घने जंगलमे इतना बडा आश्रम.. वो कुछ घबरासी गइ ओर देवायतके पास जाके उनका हाथ पकडलीया.. तब देवायत समज जाता हे ओर उनके हाथको थाम लेता हे फीर दोनोही अंदरकी ओर चलने लगतेहे तब चंदा यंत्रवत उनके साथ कदम मीलाते चलने लगती हे तब देवायत उनसे सब बताने लगता हे..

देवायत : चंदा तु अपने सरको पलुसे ढकले.. ये हमारे कुलगुरु हे.. पता नही इनकी उमर कीतनी हे.. हमारे परदादाके टाइमसे यही हे.. कहेते मे अ‍ेक मक्सदसे आया हु.. पर हमे बताते नही..

चंदा : हां तबतो कोइ महान संतही होगे.. आज दर्शन करनेका मौका मील गया..

दोनोही बाते करते अंदर जाने लगे तब वहा बहोत सारे सेवक काम कर रहे थे सभी देवायतको देखते नमस्ते ठाकुरसाब.. कहेते अभीवादन करते रहे.. ओर आखीर दोनो अ‍ेक होलमे चले जातेहे वहा सामने अ‍ेक सीहासन जेसी गादीपे बाबा बेठे थे.. तो दोनोको देखतेही मुस्कराने लगे.. तब देवायत ओर चंदा उनके पैर छुने लगे तब बाबाने दोनोके सरपे हाथ रख दीया ओर चंदाकी ओर मुस्कराते कहा....

कन्टीन्यु
बेहतरीन कहानी हे दोस्त
 
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ashik awara

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बेहतरीन कहानी हे दोस्त
दिलावर जी माफ़ी चाहूँगा आपसे की आपकी कहानी "ये केसी अनुभूति " और रिश्तो की अनुभूति मेरी नजरों से ओझल केसे हो गई , में अच्छी कहानियों को पसंद करता हूँ पर अपकी ये कहानीयां नजरों में नही आ पाई अभी तो मेने एक कहानी अपने फोल्डर में सेव की हे और ये केसी अनुभूति का कलेवर और साइज काफी बड़ा हे और लम्बी कहानियों में से मेरी पसंद की एक कहानी हो सकती हे पर कापी करते हुए जितनी कहानी पढने में आ रही हे उससे लग रहा हे पढने में ही काफी समय लग जायेगा कहानी भी मजेदार हे .अंत में इतना ही कहूँगा की आपकी कहानी बहुत बेहतर हे आप इसी तरह लिखते रहें
 
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dilavar

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दिलावर जी माफ़ी चाहूँगा आपसे की आपकी कहानी "ये केसी अनुभूति " और रिश्तो की अनुभूति मेरी नजरों से ओझल केसे हो गई , में अच्छी कहानियों को पसंद करता हूँ पर अपकी ये कहानीयां नजरों में नही आ पाई अभी तो मेने एक कहानी अपने फोल्डर में सेव की हे और ये केसी अनुभूति का कलेवर और साइज काफी बड़ा हे और लम्बी कहानियों में से मेरी पसंद की एक कहानी हो सकती हे पर कापी करते हुए जितनी कहानी पढने में आ रही हे उससे लग रहा हे पढने में ही काफी समय लग जायेगा कहानी भी मजेदार हे .अंत में इतना ही कहूँगा की आपकी कहानी बहुत बेहतर हे आप इसी तरह लिखते रहें
thenks bhai agar kahani achhi lage to or dosto se sair karna aapka aabhari rahuga thanks again
 
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