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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७३

जब वो अपने रुमकी ओर जा रहाथा तब श्रीधरके कमरसे जयश्रीकी सीसकारीयोके साथ दर्दसे कणसनेकी आवाजभी आ रहीथी.. तब जीतुलाल समज गयाकी उनका बेटा श्रीधर उनकी बटी जयश्रीकी जबरदस्त चुदाइ कर रहा हे.. वो अपने रुममे चला गया.. तब कुछ देरके बाद वृन्दाभी दबे पांव थोडी लंगडाते अपने रुममे चली गइ.. ओर बाथरुममे जाकर अपनी चुतको साफ करके अपने पतीके पास जाकर सोगइ....अब आगे

ना सीर्फ देवायतके गांवमे बल्की आजु बाजुके सभी गांवोमे अ‍ेक वासनाकी लहेरसे चुदाइका भवंडर तांडव मचाकर सांत होगया.. ओर सबलोग नींदकी आगोसमे चले गये.. तब सीर्फ अ‍ेक ही सख्सीयत ध्यान लगाकर सभी जगह अपनी शक्तिसे नजर जमाये बैठी हुइथी.. वो थी मंजुला.. जो सबके सोजानेके बाद ध्यान लगाकर बैठे सब जानकारीया ले रहीथी.. तब उसे अपने पापाकी हालत देखी नही गइ..

जब वो कोमाकी ओर ढलने लगे.. तब मंजुकी आंखोसे आंसुओकी धारा बहेने लगी.. वो उनकी मदद करना चाहते हुअ‍ेभी नही कर सकती थी.. क्युकी बाबाने उसे कसम खीलवाकर प्रकृतीके बीच हस्तक्षेप करनेको मना कीया था.. ओर उसे सब पता थाकी अब उनके पापाका समय खतम होचुका हे.. आज उसे पहेली बार अपनी शक्तिया पानेका दुख होने लगा था.. क्युकी वो चाहकर भी कुछ नही कर सकती थी..

आज सुबहका सुरज अपनी सरारत भरी मुस्कानके बीना ही चुपचाप जल्दी जल्दी नीकल गया..हवेलीपे सब लोग देर सुबह तक सोते रहे.. तो लताने तैयार होते ही लखनको जगा दीया.. ओर उसे नीलमको उनके घरपे छोडनेको कहा.. तो नीलमका नाम सुनतेही लखन जाग गया.. ओर फटाफट नहाने चला गया.. तबतक लताने नीलमकोभी जगाकर बाथरुममे नहानेके लीये भेज दिया..

दोनोको जगाकर लता कीचनमे फटाफट चाइ नास्ता तैयार करवाने लगी.. फीर कुछ देरके बाद लखन ओर नीलम दोनोही तैयार होकर नीचे आगये.. तब लखन बहुतही खुस हो रहाथा.. आखीर उनको नीलमसे अकेलेमे मीलनेका मौका जो मील रहाथा.. लखन नीलमको अपनी साली मानकर उनपे अपना पहेला हक जमाते कीसी भी तराह नीलमको सेट करना चाहता था.. लेकीन बीचमे धिरेन बाजी मार गया..

जब उसे पता चलाकी नीलम धिरेनसे चुद गइ हे.. तबसे तो लखन नीलमको पानेके लीये ओर तील मीलाने लगा.. लेकीन लखन आज कल इस मामलेमे बहुत दिमाग चला रहाथा.. इसी वजहसे नीलम ओर धिरेनके कांडसे खुसभी हो रहाथा.. अब वो इस कांडकी वजहसे नीलमको बडीही आसानीसे पा सकता था.. उसे अब नीलमको अपने नीचे लीटानेका रास्ता बहुतही आसान लग रहाथा..

जीसकी वजहसे वो आजही मीशन नीलमपे लग गयाथा.. लता लखन ओर नीलम चाइ नास्ता करने बैठ गये.. तब लता ओर नीलम साथमे बैठकर चाइ नास्ता कर रहीथी.. तब लखन आज लताके सामने ना बैठकर नीलमके सामने बैठ गया.. तब लखनने नीचेसे अपना अ‍ेक पैर आगे बढाया.. ओर नीलमके पैरपे रख दीया.. तभी नीलम चोंक गइ.. ओर गभराते टेडी नजर करते नीचेकी ओर देखने लगी..

तब लखन नीचेसे नीलमके पैरको सहेलाते चाइ नस्ता कर रहाथा.. तो नीलम लखनकी ओर घुरने लगी.. तो लखन उनकी ओर देखते अपने दोनो नैन नचाते मुस्कुराने लगा.. तो नीलमभी सबकुछ समज गइ.. ओर वो सरमाकर मुस्कुराते अपने पैर पीछे लेने लगी.. लेकीन इस बार लखनने उनके पैरोको जोरोसे दबाके रखाथा.. तो नीलम बहुतही सर्मसार होगइ ओर अ‍ैसेही बैठी रही.. उनको लगाकी लखनजीजु उनकी मस्ती कर रहे हे.. तभी..

लता : लखन.. आप भाभीको कहेकर आना.. की हम जब सहेर जायेगे तब भानुभाइको कहे नीलुको इधर छोड जाये.. ओर आप भाभीसे बातभी करलेना.. उनको अच्छा लगेगा.. हें..हें..हें..

लखन : (पैर पीछे लेते मुस्कुराते) लता.. तुमभी साथ चलना.. हम दोनो नीलुको छोडकर वापस आजायेगे..

लता : (मुस्कुराते) अरे ना बाबा नां.. पुनोदीदी ओर सृतीभाभी भी नही हे.. तो वो मुजे घरका खयाल रखनेको कहेकर गइ हे.. मुजे नही आना.. आपही इसे पहेले घर छोडदो फीर खेतोपे चले जाना..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. आपभी साथ चलोनां.. जीजु आपको वापस इधर छोड देगे..

लता : (धीरेसे) अरे नही नही.. इधर घरपे कोइ नही हे.. तुम तेरे जीजुके साथही चली जाना.. ओर सुन.. वहा जाकर उस कमीनेके साथ कोन्टेक्ट करनेकी कोसीस मत करना.. वरना मुजसे बुरी कोइ नही होगी.. समजी..? उनका नंबरतो तुजे बखुबी याद होगा..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे) नही दीदी.. आइ प्रोमीस अब अ‍ैसा वैसा कुछभी नही करुगी.. ट्रस्ट मी..

लता : (मुस्कुराते) हंम.. गुड गर्ल.. जाओ अपने कपडे लेलो.. ओर अब मोबाइल मेरे पास ही रहेगा.. ओर हां.. वहा जातेही भाभीको कहेकर मुजे फोनपे बात करवाना की तुम वहा पहोंच गइ.. ओके..?

नीलम : (खडी होते) जी दीदी..

जब चाइ नास्ता खतम होगया तो नीलम उपर अपने कपडेकी बेग लेने चली गइ.. तो लखनने इसारोसे लताको पुनमके रुममे आनेको कहा.. तो लता सरमके मारे पानी पानी होगइ ओर नां मे गरदन हीलाते मना करने लगी.. तो लखन मुह बीगाडते जुठमुठ नाराज होगया.. तो लता जोरोसे हसने लगी.. तभी नीलम अपनी बेग लेकर नीचे आगइ.. तो लखन अपनी बाइक चालु करके बैठ गया ओर नीलम उनके पीछे बैठ गइ.. ओर लखनने बाइकको जाने दी.. तब..

लखन : (मुस्कुराते बाइक चलाते) नीलु.. आज भाइ नही हे.. तो चल हम रामुकाकाको जरा कहेकर जाते हे की मे आउ तबतक खेतोका काम देखले.. क्या तुमने हमारे खेतोको देखा हे..?

नीलम : (सरमाते मुस्कुराते) नही.. कभी नही देखा.. चलो.. जीजु.. थेन्क्स.. आपने हमे लतादीदीके गुस्सेसे बचालीया..

लखन : (हसते) हंम.. चल ठीक हे.. तुजे पहेले हमारा खेत दीखाता हु.. फीर मुजे तुमसे इस बारेमे बात भी करनी हे फीर हम घर चले जायेगे..

कहातो नीलम समज गइ की लखनजीजु जरुर उनके ओर धिरेनके बारेमे पुछेगे.. नीलमके दिलकी धडकन बढने लगी.. उनको लगाकी आज वो बुरी तराह फसी हे.. क्युकी नीलम इतनीभी ना समज नही थी.. की लखनकी हरकते ओर उनकी नजरको पहेचान ना सके.. लखन कलसेही उनके साथ कुछना कुछ हरकत कर रहाथा.. ओर लखन नीलमको लेकर खेतोपे आगया..
 

dilavar

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वहा उसने रामुकाकाको उनके वापस आनेतक खेतोका काम देखनेको कहा.. फीर उसने नीलमका परीचय भानुभाइकी बेटीके रुपमे करवाया.. तो रामुकाकाने नीलमको आशीर्वाद दीये.. ओर लखन नीलमको लेकर गोडाउनकी ओफीसमे चला गया.. तो अ‍ेक बारतो नीलमकी गांड फटने लगी.. की लखनजीजु उनके साथ कुछ उल्टी सीधी हरकत ना करले.. ओर वो गभराते लखनके पीछे जाने लगी..

तो लखन ओफीसके बजाये नीलमको सीधा आराम करनेके कमरेमे ही लेगया.. ओर बेडपे बैठकर नीलमकोभी बैठनेके लीये कहा.. तो नीलम सरमाते धीरेसे बेडके कोनेपे बैठ गइ.. ओर अपनी नजरे जुकाये बैठी रही.. तब लखन धीरेसे रुमका दरवाजा बंध करदेता हे.. ओर नीलमकी ओर मुडकर उनकी ओर देखते हसने लगता हे.. तब नीलमका दिल जोरोसे धडकने लगा.. वो बहुतही सर्मसार होने लगी.. तभी..

लखन : (हसते) अरे अ‍ैसे गभरा क्यु रही हे..? मे तुजे थोडीना डांटनेके लीये इधर लाया हु.. मत भुल मे तेरा जीजु ओर तु मेरी साली हे.. तो मुजे तेरी चीन्ता तो होगीनां..? तुम आरामसे बैठ.. क्या पानी पीयेगी..?

नीलम : (नामें गरदन हीलाते) नही जीजु.. चलीयेना.. यहा कुछ काम था..?

लखन : (मुस्कुराते) हां.. देख नीलु.. मुजे गोल मोल घुमाकर पुछनेकी आदत नही हे.. ये बता.. अब तक तुम ओर धिरेनजीजु इस तराह कीतनी बार मीले हो..? जो सेटरडे सन्डे मीले थे..

नीलम : (सुनतेही नीलम सरमके मारे पानी पानी होकर नजरे जुकाये खामोस बैठी रही)......

लखन : (थोडी सख्तीसे) नीलु.. मे तुजे कुछ पुछ रहा हु.. सच बताना.. वरना मजबुरन मुजे तेरी मम्मी पापाको सबकुछ बताना पडेगा.. फीर मत कहेना लखन जीजुने मुजे नही बचाया..

नीलम : (अ‍ेक बार सामने देखकर नजर जुकाते धीरेसे) अ‍ेक बार गार्डनमे ओर अ‍ेक बार दोनो फील्म देखने गयेथे तब.. लेकीन वोतो अ‍ैसेही मीलेथे.. तब हमने कुछ नही कीयाथा.. अ‍ैसे तो हम पहेली बार ही मीले.. जीजु.. प्लीज.. आप मम्मीको कुछ मत बताना.. वरना वो मेरी खाल उखाड देगी.. ओर मेरी पढाइभी छुडवा देगी.. प्लीज..

लखन : नीलु.. तुमने पुनोके साथ अ‍ैसा क्यु कीया..? दोनो उनकी सादीसे पहेले रीलेशनमे होनां..? तुजे पताथा की धिरेनकी सादी पुनो दीदीसे होने वाली हे.. फीरभी उसे प्यार कीया..?

नीलम : (नजर जुकाये धीरेसे) जीजु.. दरसल वो पुनो दीदीसे नाराज थे.. इसीलीये वो मुजसे प्यार करने लगेथे..

लखन : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? लेकीन क्यु..? वो पुनो दीदीसे नाराज थे..? अगर पुनो दीदीसे नाराज थे तो फीर उनसे सादी करके उनकी जींदगी खराब करनेकी क्या जरुरत थी..? तुम दोनो कर लेते सादी.. नीलु.. मुजे उनकी नाराजगीकी वजह जाननी हे.. बता मुजे..

नीलम : (बहुतही सर्मसार होते सर जुकाये बैठी रही..)......

लखन : (थोडी सख्तीसे) नीलु.. मेने तुमसे कुछ पुछा हे.. बता मुजे.. वरना हमे मजबुरन तेरी मम्मी पापाको बताना पडेगा.. बता..

नीलम : (जटसे सामने देखकर नजर जुकाये गभराते) अरे नही नही.. बताती हु.. जीजु.. दरसल.. धिरेन जीजु.. वो.. वो.. अपनी सादीसे पहेले पुनम दीदीके साथ वो.. से..(सरमाते धीरेसे) सेक्स.. करना चाहते थे.. ओर इसके लीये पुनम दीदीने उसे सादीसे पहेले सेक्स करनेको मना कर दीयाथा.. तो वो उनसे नाराज थे..

लखन : (आस्चर्यसे) क्या.. सीर्फ यही रीजनथा क्या..? नीलु.. मुजे सब खुलकर बता..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) नही जीजु.. धिरेन जीजुने मुजसे कुछ बातभी कही हे.. जो मुजे कीसीको ना बतानेकी कसम भी खीलाइ हे.. तो वो मे नही बता सकती.. सीर्फ उनकी ख्वाहीसके बारेमे बता सकती हु..

लखन : ( सामने सख्तीसे देखते) नीलु.. आज मुजे सब सचाइ जाननी हे.. अगर उसने तुजे कसम खीलाइ हे फीरभी मुजे सब बताना पडेगा.. तबही मे तुजे बचा सकता हु.. बता..

नीलम : (डरसे सामने देखते) जीजु.. दरसल धिरेन जीजुकी ख्वाहीस थी.. की वो सादीसे पहेले उनकी बीवीके सथ सेक्स करेगे.. ओर पुनम दीदीने उनका सपना तोड दीया.. इसीलीये वो मुजसे प्यार करने लगेथे.. ओर मेभी उनके प्यारमे बहेक गइ.. ओर उसे प्यार करने लगी.. जीजु.. वो मुजसे सादी करना चाहते हे.. धिरेन जीजुने मुजसेभी वादा लीयाथा.. की मे उनका ये सपना पुरा करु.. इसीलीये हम आगे बढे.. ओर मेने उनका सपना पुरा करदीया..

लखन : हंम.. तो फीर तुमसे ही सादी करलेता.. ओर पुनम दीदीको मना करदेता.. तो पुनोकी जींदगीसे क्यु खीलवाड कीया..? क्या कुछ ओर रीजन हे..? तु वो बात बता जो तुजे कसम खीलवाकर कीसीको ना कहेनेको मना कीया हे.. आज मुजे सब सचाइ जाननी हे..

नीलम : (सर जुकाते धीरेसे) जीजु.. प्लीज ये बात कीसीको मत कहेना.. वरना घरपे हंगामा होजायेगा..

लखन : (मुस्कुराते) नीलु.. आइ प्रोमीस.. बता.. ये बात सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगी..

नीलम : (सरमाते) जीजु.. दरसल धिरेन जीजु पुनम दीदीसे सेक्स करके आपके बडे भैयासे बदला लेना चाहते थे.. अगर पुनम दीदीने सादीसे पहेले धिरेन जीजुके साथ सेक्स कीया होता तो वो सायद उनसे सादी ही ना करते.. वो सीर्फ मेरे साथ सादी करना चाहते थे..

लखन : (आस्चर्यसे चोंकते) क्या..? बडे भैयासे बदला..? लेकीन कीस बात का बदला लेना चाहता था..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे) जीजु.. दरसल.. धिरेन जीजुको पता चल गयाथा.. की उनकी मम्मीका उनके जीजुके साथ सादीसे पहेलेही जीस्मानी तालुकात हे.. फीर उनकी मम्मीकी सादी जीजुसे होगइ.. तब जीजुनेही पुनो दीदीका रीस्ता करवाया था.. तब वो उनकी मम्मी.. ओर बडे भैयाके डरसे पुनो दीदीसे प्यार ना करनेके बावजुद सादी करनेको राजी होगये.. वो सादीसे पहेले पुनम दीदीके साथ फीजीकल होना चाहते थे.. लेकीन अ‍ैसा ना होसका.. इसीलीये धिरेन जीजुको मजबुरन पुनम दीदीसे सादी करनी पडी..

लखन : (सामने देखते) अगर मेरी मम्मीको जीजु सादीसे पहेले ठोकते थे.. तो मेभी उनकी बहेनको सादीसे पहेले ठोकुगा.. क्या सीर्फ यही रीजन था..? लेकीन ये क्या बात हुइ..? येतो कोइ खास रीजन नही हुआ.. तेरे साथभी सादीसे पहेले फीजीकल रीलेशन बनाये.. अगर कल वो तेरे साथ सादी नही करेगातो..? (मुस्कुराते) नीलु.. क्या ये सब करनेकी तेरी उमर हे..? हंम.. कीतने साल हुअ‍े तुजे..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) दो महीने पहेले उनीसवा बैठा.. जीजु.. अब मे बालीक हु.. इस बारेमे मे खुद नीर्णय ले सकती हु.. मुजे कीसीसे पुछनेकी जरुरत नही हे.. हमने जोभी कीया आपसी रजामंदीसे कीया हे..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. मुजे कायदा सीखा रही हे..? देखा हमने.. तु अपने बारेमे बहुत अच्छा नीर्णय ले रही हे.. तभी तुजपे इतनी जवानी चडी हुइ हे.. नीलु.. तुजमे बहुत आग हेनां..? अगर धिरेन तेरा जीजा हे तो.. मेभी तो तेरा सगा जीजा हु.. अगर तुजे अपनी आगही मीटानी थी तो क्या तु पहेले मुजे नही केह सकती थी..? हंम..?

वैसेभी जीजा सालीमे तो ये सब चलता ही रहेता हे.. इसीलीये तो लोग सालीको आधी घरवाली कहेते हे.. मेरी मान तु धिरेनको छोडदे.. मे तुजे खुस रखुगा.. बनजा मेरी आधी घरवाली.. अगर तुम चाहोतो तुजे मे अपनी पुरी घरवाली भी बना सकता हु.. बोल..?
 

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नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) जीजु.. प्लीज.. आप अ‍ैसी बाते कत करीये.. आप लता दीदीके पती हे..

लखन : (नीलमका हाथ पकडते) तो फीर पुनम दीदी कौन थी..? मत भुल वो मेरी बहेन हे.. ओर तु उसीका घर बरबाद करनेमे तुली हइ हो..? हंम..? अगर तुजे अपनी आगही मीटानी थी तो मुजसे कहेती.. इसमे मेरी बहेनका घर क्यु बरबाद कर रही हे..?

नीलम : (धीरेसे) जीजु.. लेकीन हम दोनो अ‍ेक दुसरेको प्यार करते हे.. वो मुजसे सादी करनेके लीये तैयार हे.. तो हम दोनो सादी करने वाले हे.. मे कोइ अ‍ैसी वैसी लडकी नही हु..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे हाथ पकडते) हंम.. अगर तु अ‍ैसी वैसी लडकी नही हे.. तो फीर मेभी तुमसे सादीके लीये तैयार हु.. करले मुजसे सादी.. मे इतना सक्षम तो हुही तुजे ओर तेरी लता दीदी दोनोको खुस रख सकता हु.. अगर यकीन ना होतो पुछ लेना तेरी लता दीदीको.. की मे कैसे बीस्तरमे उनकी चीखे नीकलवाता हु.. यकीन मान.. मे तुजे धिरेनसे ज्यादा खुस रखुगा..

नीलम : (सर्मसार होते परेसानीमे) जीजु.. प्लीज.. मत कीजीये अ‍ैसी बाते.. चलीयेना हमे घर जाना हे..

लखन : (मुस्कुराते नीलमकी जांगोपे हाथ रखते) चलते हे.. चलते हे.. लेकीन आज कुछ बात तो क्लीयर होजाये.. क्या तुमने धिरेनका हथीयार देखा हेनां..? तो फीर अ‍ेक बार ये मेराभी हथीयार देखले.. फीर तुम खुद डीसाइड करना.. की कीसका हथीयार दमदार हे..

नीलम : (टेडी नजरसे लखनके पेन्टमे तंबु देखकर) जीजु.. प्लीज.. अ‍ैसी बाते मत कीजीये.. चलीयेनां..

लखन : (पेन्टकी चेइन खोलकर अपना तना हुआ लंड नीकालकर) नीलु.. अ‍ेक बार देखले इसे.. ये तुजे खुस रख सकता हे.. मुजे पता हे धिरेनका इतना बडा नही हे.. उनका तो इनके सामने नुनी लगता हे.. अ‍ेक बार इसेभी अंदर लेकर देखले.. तु जनतकी सेर करेगी.. ओर खुस होजायेगी.. हें..हें..हें..

कहेते लखन अपना लंड मुठीमे पकडकर हीलाते सहेलाने लगा.. तो लखनका लंड नीलमको देखतेही हवामे सख्त होते लहेराने लगा.. ओर लखन नीलमका हाथ पकडकर उसे अपना लंड पकडाने लगा.. तो नीलम लखनके तगडे लंडको देखते ही हकी बकी रेह गइ.. नीलमने पहेली बार इतना बडा लंड देखा तो वो डरते बहुतही सर्मसार होते टेडी नजरसे लंडको देखते अपना हाथ वापस खीचने लगी..

तभी लखनने जबर दस्तीसे उनका हाथ पकडकर वापस लंडको पकडा दीया.. ओर नीलमकी ओर गुस्से देखने लगा.. तो नीलम अपने मम्मी पापाको बता देनेके डरसे गभरा गइ.. ओर अपनी नजर जुकाये लंडको मुठीमे पकडकर बैठी रही.. तभी लखन भी नीलमकी मुठीको थामते नीलमके हाथोसे लंडको सहेलवाने लगा.. तब नीलम सरमके मारे पानी पानी होने लगी.. नीलमको लखनका लंड वाकइ धीरेनसे बडा ओर मोटा लगा..

नीलम अपने दांतोसे होठोको दबाते टेडी नजरसे लंडको देखती रही.. लखनभी तावमे आते उतेजीत होने लगा.. तो अचानक नीलमके सरको पकडकर उनके होठोपे अपना होठ रखकर भीच लीया.. ओर दुसरे हाथसे नीलमके बुब्सको मसलने लगा.. तो अचानक हुअ‍े हमलेसे नीलम गभरा गइ.. ओर लखनसे छुटनेकी नाकाम कोसीस करने लगी.. तभी लखनने बुब्सको छोडकर नीलमकी चुतको उनके कपडेके उपरसे ही दबोच लीया.. तो नीलम दर्दके मारे उछल पडी..

ओर बेडसे खडी होनेकी कोसीस करने लगी.. तब उनकी आंखसे आंसु नीकल गये.. तो लखनने उसे फौरन छोड दीया.. ओर बेडसे खडा होकर फटाफट लंडको पेन्टमे डालकर जीप लगा देता हे.. तो नीलम रोने लगी.. नीलमने आज पहेली बार धिरेनके अलावा दुसरे मर्दके लंडको देख भी लीया.. ओर हाथोमे पकडकर महेसुस भी करलीया.. की वाकइ लखनका लंड धिरेनके लंडसे मोटा ओर लंबा हे.. तभी..

लखन : (खडा होते) नीलु.. आइ अ‍ेम सोरी.. मे बहेक गयाथा.. चल तुजे घर छोड देता हु.. लेकीन जानेसे पहेले तु अ‍ेक बार इस मोबाइलमे देखले.. फीर ठंडे दिमागसे सोचना.. मे सही केह रहा हु..

कहेते लखनने अपना मोबाइल नीकाला.. ओर धिरेन नीलमकी चुदाइ वाली विडीयो क्लीप चालु करके नीलमके हाथोमे फोन थमाते दीखाने लगा.. तो नीलम गौरसे देखने लगी.. ओर देखतेही नीलमकी सीटीबीटी गुल होगइ.. वो आंसु बहाते जटसे फोन लखनको वापस देती हे.. ओर दोनो हाथसे अपना चहेरा छुपाकर रोने लगती हे.. तब बडी मुस्कीलसे लखनने नीलमको सांत कीया.. फीर उनका मुह पानीसे साफ करवाके पोछ दीया.. तब..

नीलम : जीजु.. प्लीज.. ये डीलीट कर दीजीये.. अगर मम्मी पापाको पता चल गयातो मे बरबाद होजाउगी.. मे मर जाउगी.. मेरे पास ओर कोइ रास्ता नही बचेगा.. प्लीज..

लखन : (फोन जेबमे रखते) नीलु.. तु चल.. तुजे घरपे छोड देता हु.. अब मुजसे बात मत करना.. अब जोभी करना हे मुजे करना हे.. अब जबतक तेरी पढाइ खतम नही होजाती ये क्लीप मेरे पासही रहेगी.. मे तेरी पढाइ डीस्टर्ब करना नही चाहता..

नीलम : (गीड गीडाते) जीजु.. प्लीज.. आप कीसीको मत दीखाना.. वरना मम्मी मुजे मार डालेगी.. प्लीज..

लखन : (हाथ पकडकर गालको सहेलाते) नीलु.. तु फीकर मत कर.. मे इतना कमीना नही हु.. की तुजे ब्लेक मेइल करु.. मुजपे यकीन कर.. मे कीसीको नही दीखाउगा.. ये सीर्फ मेरे पासही रहेगी.. वरना तु फीरसे उस कमीनेको मीलेगी.. ओर मुजे पता हे वोभी तुजे मीले बगैर नही रहेगा.. अगर तुम उसे मीली तो मुजे मजबरुन ये तेरी मम्मी पापाको दीखाना पडेगा.. चल..

नीलम : (गीड गीडाते लखनका हाथ पकडके वापस अंदर खीचते धीरेसे) जीजु.. प्लीज.. मे वादा करती हु.. मे आइन्दा उसे कभी नही मीलुगी.. आप जोभी कहोगे मे करुगी.. लेकीन मम्मी पापाको मत बताना..

लखन : (अचानक रुकते अ‍ेक नजरसे देखते) ठीक हे.. मे नही दीखाउगा.. लेकीन इसके बदले मेरी अ‍ेक सर्त हे.. अगर तु ये सर्त मानती हे तो फीर समजले तु पुरी तराह सेइफ ओर धिरेनसे सादी करनेके लीये आजाद हे.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

नीलम : (सामने देखते) जीजु.. प्लीज.. ये क्लीप कीसीको मत दीखाना.. मुजे आपकी सभी सर्त मंजुर हे.. कहो.. क्या सर्त हे..

लखन : (मुस्कुराते होठ चुमते) नीलु.. अगर तुजे सर्त मंजुर हे तो समजले.. तु हमेसा सेइफ हे.. तु भलेही मुजसे सादी नाकर.. तु चाहे धीनेरके साथ सादी भी करना चाहे तो कर सकती हे.. बस.. मे जब चाहु तु मुजे खुस करती रहेना.. मे तेरे साथ फीजीकल रीलेशन रखना चाहता हु.. अगर तुजे ये सर्त मंजुर हेतो बता.. मे वादा करता हु इस बारेमे हम दोनोके अलावा कीसीको पता नही चलेगा.. फीर तु पढाइके बाद भलेही धिरेनसे सादी करलेनां.. लेकीन तेरी सादीके बादभी हम दोनोके बीच रीलेशन जारी रहेगे..

नीलम : (धीरेनका हाथ छोडते धीरेसे) जीजु.. प्लीज.. मत कीजीये अ‍ैसा.. मे बरबाद होजाउगी.. आप मेरे जीजु हे.. मे ये नही कर सकती..

लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे नीलु.. मे तेरा जीजु हु इसीलीये तो केह रहा हु.. तु मेरी आधी घरवाली हे.. मेरा तुजपे धिरेनसे पहेले हक हे.. मेने आज तक कीसीके साथ जबरदस्ती नहीकी.. मे तुजपे भी जबर दस्ती अपनी सर्त नही मनवाउगा.. अगर तुजे सर्त मंजुर नही हेतो मना करदे मुजे.. फीर तु आजाद.. तु अपने तरीकेसे.. मे अपने तरीकेसे.. जा मे वादा करता हु.. मे ये क्लीप कीसीको नही दीखाउगा.. बस..? ये मत भुलना की हमे तेरी चीन्ता नही हे.. चल..

नीलम : (कुछ सोचते) जीजु.. थेन्क्स.. लेकीन प्लीज.. मुजे कुछ सोचनेका वक्त दीजीये.. मे आपको बादमे बता दुगी.. लेकीन प्लीज.. ये आप लता दीदीको मत दीखाना.. चलीये..

कहातो लखन नीलमको लेकर उनके गांवकी ओर चला गया.. नीलम सारे रास्ते गुम सुम बैठी लखनके बारेमे सोचती रही.. आज नीलमने जींदगीमे दुसरा लंड देखा ओर हाथमे पकडकर महेसुस भी कीया.. जो अभी लखनने उसे दिखाया.. लखनका लंड देखकर नीलम मनमे उसे धिरेनके लंडसे कंपैर करने लगी.. तो उसे लखनकी बात सही लगी.. वाकइ आज उसे लखनके लंडके आगे धिरेनका लंड नुनी लग रहाथा.. उसे पताही नही चला की कब उनका घर आगया..
 

dilavar

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जैसेही बाइक खडी रही नीलम बाइकसे उतरके अंदरकी ओर जाने लगी.. तो पीछे लखनभी बाइक खडी करके अंदर चला गया.. तो भानु सरला ओर रमा चाइ नास्ता कर रहेथे.. तो दोनोको देखतेही तीनो खुस होकर हसने लगे.. तो रमाने खडी होकर दोडकर नीलमको गले लगा लीया.. फीर उनके चहेरेको अपने हाथोमे थामकर उसे देखते मुस्कुराती रही.. ओर लखनकी ओर देखतेही वो सरमाकर मुस्कुराते उसे प्यारसे देखती रही..

रमा : (सरमाते) आइअ‍े आइअ‍े लखनजी.. आखीर आपने मुजे नीलुसे मीलवा ही दीया.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) हां भाभी.. क्या मे मेरी भाभीके लीये इतना नही कर सकता..? चलीये सम्हालीये अपनी नीलुको.. ओर मुजे पानी पीला दिजीये मुजे खेतोपे जाना हे..

भानु : (हसते जोरोसे) अरे अ‍ैसे कैसे जाओगे.. चलो तुम दोनोभी चाइ नास्ता करने बैठ जाओ.. फीर हम दोनो साथमे चले जायेगे.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते) हां लखन बेटा.. चल आजा.. ओर नीलु.. तुमभी आजा.. चल कुछ खा पीले..

नीलम : (मुस्कुराते) नही दादी.. हम दोनो घरसे चाइ नास्ता करके ही नीकले हे.. अगर लखन जीजुको करना हे तो आप उसे बीठा दीजीये.. मे अंदर जाती हु..

रमा : (नास्ता करने बैठते) अरे.. अंदर कहा जा रही हे.. तेरे जीजुको कुछ पानी बानीतो पीला.. फीर इधरसे चाइ लेकर उसे पीला.. ओर थोडी देर बैठ हमारे पास.. कीतने दिनोके बादतो आइ हो.. फीर अंदर आराम करने चली जाना..

भानु : (मुस्कुराते) भाइ.. क्या वो होस्टेल वालोने इस आने दिया..? इसे लेने कौन गया था..?

इतना सुनतेही नीलमकी गांड फटने लगी.. उसे लगाकी अभी लखन जीजु मम्मी पापाको सबकुछ बता देगे.. ओर वो लखनकी ओर देखते आंखोसे ना बतानेकी मनते करने लगी.. तो लखन उनकी ओर देखते हसने लगा.. तो नीलमकी सीटी बीटी गुल होने लगी.. ओर उनका चहेरा पीला पडने लगा.. तब लखनने जुठ बोलकर आज अ‍ेक बार फीर नीलमको बचा लीया.. तब नीलमने राहतकी सांस ली..

लखन : (जुठ बोलते वही खटीयापे बैठते) नही भैया.. मे पुनमको लेकर इस लेने गया था.. क्युकी वहा उनकी मेडमके साथ बहुतही पहेचान हे.. बस.. हम जल्द बाजीमे सीर्फ नीलुके कुछ कपडे लेकर आगये.. क्युकी उनको ओर सृती भाभीको भाइके साथ राजीव अंकलके वहा जाना था.. बाकीका सामान हम सहेर रहेने जायेगे तब ले लेगे.. लताने कहा हे अब जबतक हम सहेर नही जाते तबतक नीलु यही रहेगी..

रमा : (सरमाते हसते) लखनजी.. लेकीन येतो बताइअ‍े आप दोनो सहेरमे रहेने कब जा रहे हो..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) बस भाभी.. जब मंजुभाभी.. चंदाभाभी पुनमदीदी.. सबलोग वापस आजायेगे तब हम चले जायेगे.. भानुभाइ.. लताने कहा हे तब आप नीलुको हमारे घरपे छोड जाना.. वो हमारे साथही चलेगी..

सरला : (हसते) लखनबेटा.. तुम हमारे साथ नास्ता करने बैठ जाते.. देख आज तेरी भाभीने मस्त आलुके पराठे बनाये हे.. हें..हें..हें..

लखन : (कामुक नजरोसे रमाकी ओर देखते हसते) चाची फीकर मत करो.. अबतो आयेदिन यहा आना जाना लगाही रहेगा.. तो फीर कभी भाभीके आलु पराठे खालुगा.. वो मुजे खीला देगी.. क्यु भाभी..?

कहेते लखनने सबसे छुपर रमाकी ओर अ‍ेक आंख मारदी.. तो रमा लखनकी डबल मीनींग बाते सुनकर सब समज गइ.. ओर बहुतही सर्मसार होते हां मे गरदन हीलाते नजरे जुकाते मुस्कुराती रही.. तभी नीलमने लखनको ग्लास भरके पानी दीया.. तो लखनने ग्लास लेते नीलमके हाथको छुकर दबा दीया.. तो नीलमने गभराकर जटसे ग्लासको छोड दीया.. ओर सरमाकर चली गइ.. ओर सबके साथ बैठकर नास्ता करने लगी..

रमा : (खडी होकर चाइ लाते) लखनजी.. आप सहेर जाओतो मेभी आजाउगी.. दो दिन वही रहुगी.. तो घरका सब सामान अच्छी तराह सेट करके सजा देगे.. फीर आप मुजे वापस घर छोड देना.. हें..हें..हें..

जब रमा लखनको चाइ देने आइ तब कप पकडनेके बहाने लखनने रमाके हाथको पकड लीया.. तो रमा गभराते जटसे पीछेकी ओर देखने लगीकी कोइ देखतो नही रहा.. तब भानु सरला नीलम तीनो ही चाइ नास्ता करनेके बीजी थे तो रमाने हाथको अ‍ैसेही रखा.. ओर वो सरमाते लखनकी ओर देखते मुस्कुराती रही.. ओर लखनने धीरेसे हाथ सहेलाते उनके बुब्सको छु लीया.. ओर हल्केसे दबाने लगा.. तो रमा सरसे पांव तक हील गइ.. क्युकी आज उसे लखनने पहेली बार छुकर छेडा था..

रमा बहुतही सर्मसार होगइ.. लखन भीरे धीरे रमाके उरोजोको दबाके मसल रहा था.. तो लखनके हाथ लगतेही रमाके दोनो उरोज कठोर होने लगे.. ओर नीचे चुतमे सुरसुराहट होने लगी.. रमा लखनकी ओर देखकर नां मे गरदन हीलाते मुस्कुराने लगी.. तभी उसे अपनी चुतपे गीलापन महेसुस होने लगा.. ओर चुतमे मीठीसी खुजली होने लगी.. तब रमाका लखनके पास ज्यादा देर तक रहेना मुस्कील होने लगा.. ओर वो बहुतही सर्मसार होते अपना हाथ लखनसे छुडानेकी कोसीस करने लगी.. तभी..

भानु : (हसते) हां लखन.. ये बात तेरी भाभीने ठीक कही.. वहा लता अकेली कब अपना सब सामान सेट कर लेगी..? अगर आपकी भाभी साथ होगीतो उनको कुछ मददभी मील जायेगी.. ओर वो अ‍ेक बार नीलुकी स्कुलभी देख लेगी.. फीर आप उनको सहेरमे घुमा देना.. हें..हें..हें..

रमा : (थोडी दुर हटते सर्मसार होते हसते) जाओजी.. मे वहा घुमने थोडीना जा रही हु..? मेरी ननंदकी मदद करने जा रहीहु.. बात करते हे.. (लखनकी ओर कातील स्माइल करते) हां.. अगर हमारे ननंदोयजी हमे घुमाने लेजायेगे तो हम जरुर जायेगे.. देखते हे ये वहा हमारी कैसी खातेरदारी करते हे.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते पास आकर बैठते) अरे हां बाबा हां.. तु भी चली जाना.. बस.. अबतो खुस.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाते धीरेसे) लखनजी.. जब आप फ्रि होतो इधर आते जाते रहीये.. मे आपको मस्त पराठा खीलाउगी.. हें..हें..हें..

सरला : (मुस्कुराते) हां लखन बेटा.. अगर तुम आते होतो हमारा भी दिल लगा रहेगा.. अबतो देवुको टाइमही नही मीलता वरना वो हप्तेमे कमसे कम अ‍ेक दो बार आजाता था..

भानु : (हसते पास आते) भाइ.. चलो मे रेडी हु.. अब खेतोपे चलना हेनां..?

लखन : (हसते खडा होते) हां हां.. चलीये.. (रमाकी ओर देखते) भाभी.. अगली बार आउगा तो आप अपना आलु पराठा तैयार रखना.. मे फोन करके आजाउगा.. चलो सबको बाय.. हें..हें..हें..

कहातो रमा अ‍ेक बार फीर बहुत सर्मसार होगइ.. ओर सरमाकर हसने लगी.. वो लखनकी सब बाते भली भांती समजती थी.. फीर चाइ पीली तो लखन ओर भानु दोनोही अपने खेतोकी ओर नीकल गये.. तो रमाभी नीलमको अपने रुममे आनेको कहेते जटसे अपने रुमके बाथरुममे घुस गइ.. ओर दरवाजा बंध करतेही वो दरवाजेके पीछे अपने दोनो हाथ अपने उरोजोपे रखते सरमाते मुस्कुराने लगी..

आज पहेली बार लखनने उसे इस तराह छुआथा.. रमाने अपनी पेन्टी नीकालकर उसीसे अपनी चुतको साफ करलीया.. जो उनकी चुत अभी भी लखनके लंडकी यादमे आंसु बहा रहीथी.. रमाने पेन्टीको वही रखदी.. फीर अपने आपको सही करके बहार आगइ.. आतेही वो नीलमको अपने गले लगा लेती हे.. फीर प्यारसे उनके सरको सहेलाते अपने बेडपे बैठ जाती हे.. जैसे नीलमसे लखनके बारेमे बात करनेकी जल्दी हो..
 

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इधर गांवमे सुबह देवायत चारु ओर नीशा.. अबभी तीनो अ‍ेक दुसरेसे चीपककर नंगे सोये हुअ‍े थे.. तभी देवायतके फोनकी रींग बजने लगी.. तो चारुने सोते हुअ‍े देवायतके होंठ चुमकर उसे जगा दिया.. ओर देवायत बीना फोनमे देखकर नींदमे ही फोनको कानपे लगाकर बाते करने लगा.. तो सामने मंजुने उनको जल्दीसे नीकल जानेको कहा.. तो देवायत फटाकसे बेडपे बैठ गया.. ओर मंजुकी बाते सुनता रहा..

तब तक नीशा ओर चारुभी बेडपे बैठकर बडेही गौरसे देवायतकी ओर आस्चर्यसे देखती रही.. दोनोही भुल गइ की इस वक्त दोनोही पुरी तराह नंगी हे.. फोन रखतेही देवायत जटसे दोडकर बाथरुममे घुस गया.. ओर नहाने लगा.. तब नीशा ओर चारुभी समज गइकी मामला कुछ गंभीर हे.. तो वो दोनो भी अपने कपडे पहेनने लगी.. तबतक देवायत कंपलीट होकर बहार नीकल गया ओर फटाफट तैयार होने लगा.. तभी..

चारु : (धीरेसे) जानु.. क्या हुआ..? क्या बात हे..? क्या कोइ सीरीयस मेटर तो नही..?

देवायत : (जटसे) चारु.. मुजे जल्दी जाना होगा.. वहा राजीव अंकलकी तबीयत बहुतही खराब होगइ हे.. मंजु ओर सृती उसे होस्पीटल लेजा रही हे.. मे चलता हु.. तुम दोनो हवेलीपे जाती रहेना.. वहा लता अकेली हे..

चारु : ठीक हे जानु.. आप यहाकी चीन्ता मत करना हम सब सम्हाल लेगे.. आप जाओ फटाफट..

देवायत फटाफट तैयार होकर राजीवकी बाइक लेकर उनकी हवेलीकी ओर चला गया.. तो वहा रजीया चंपाभाभी ओर दया सुबहका काम नीपटा रहीथी.. तो लता उपर अपने रुममे थी.. तो देवायत दयाको कहेकर फटाफट बाइक रखकर लखनकी जीप लेकर नीकल गया.. ओर उसने रास्तेमे पहेले वहाके डोक्टरको फोन करके उनसे बात करली.. फीर भानु ओर धिरेनको जल्दी राजीवके गांव पहोचनेके लीये फोन कर दीया.. ओर वो स्पीडसे जाने लगा..

तो उधरसे धिरेनभी फटाफट तैयार होकर नीकल गया.. तो भानु भी अभी अभी लखनके साथ खेतोपे आ रहाथा.. तो वोभी वापस मुडकर घरपे चला गया ओर सरलाको लेकर राजीवके गांवकी ओर चला गया.. तो घरपे सीर्फ रमा नीलम ओर भावेशही रेह गये.. तो उधर राजीवके गांव सुबह होते ही नीर्मला जाग गइथी.. ओर तैयार होकर राजीनके पास आगइ.. तबभी राजीव गहेरी नींद सोया हुआथा.. तो नीर्मलाको लगाकी कल राजीवने उनकी तीन बार जबरदस्त चुदाइ करली हे.. तो थका हुआ होगा..

इसीलीये अभी तक सो रहा हे.. तो वो मुस्कुराकर राजीवके सरको चुमते उनके होठोको चुम लेती हे.. फीर दरवाजा खोलकर बहार नीकली तो भुमीका मंजु चंदा पुनम सबलोग तैयार होकर नीर्मलाके इन्तजारमे बैठे थे.. मंजुके कहेने पे सृतीने पहेलेही देवायतकी कारको बहार रेडी रखाथा.. नीर्मला जब बहार नीकली तो सबलोग तैयार होकर रेडी थे.. तो नीर्मलाको लगाकी सीर्फ वोही देरसे जागी हे.. तो वो सरमाके मुस्कुराने लगी..

तभी मंजु जटसे नीर्मलाके पास चली गइ ओर उनका हाथ पकडकर उसे वापस रुममे लेगइ.. तो पीछे सृतीभी आगइ.. ओर सीधे राजीवके पास चली गइ.. ओर उनका हाथ पकडकर चेक करके उनकी आंख चेक करने लगी.. तो नीर्मला ये सब देखकर गभराने लगी.. ओर वो गभराते मंजु ओर सृतीकी ओर देखती रही.. तब सृतीने जटसे भावना ओर चंदाको आवाज देकर बुलाया.. ओर तो दोनो फटाफट अंदर आगइ..

सृती : (जटसे) भावु चंदादीदी.. आजाओ सब मेरी मदद करो.. हमे मौसाजीको अभी के अभी होस्पीटल लेजाना पडेगा.. ओर मंजु तु देवुको फोन करदे.. की वो फटाफट इधर आजाये..

नीर्मला : (थोडी परेसानीमे उची आवाजमे) अरे कोइ बताओ तो सही मेरे राजीवको क्या हुआ हे..?

सृती : मौसी.. लगता हे मौसाजी फीरसे कोमामे चले गये हे.. हमे अभी होस्पीटल जाना होगा आप हटीये..

नीर्मला : (जटसे साइडमे हटते आंसु बहाते) ओह.. गोड.. मेरे राजीवको बचा लेना..

तब सृती भावना चंदा मंजु चारो राजीवको चदरमे डालकर बहारकी ओर लेजाने लगी.. तो भुमीकाने फटाफट कारका पीछला दरवाजा खोल दीया ओर सबने राजीवको पीछेकी सीटपे सुला दीया ओर सृतीने फटाफट कारकी ड्राइवींग सीट सम्हाली.. तो साथमे मंजु ओर भावना बैठ गइ तो नीर्मला पीछे राजीवके सरको अपनी गोदमे लेकर बैठ गइ.. ओर सृतीने कारको तेजीसे होस्पीटलकी ओर जानेदी....

कन्टीन्यु
 
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