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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Motaland2468

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Dilavar Bhai aapki story aaj fir padni shuru ki par jitni behtreen zabardast jaandaar shaandar apki story hai utne hi jyada characters bhi hai jinke bich kya rishta hai yaad rakhana muskil ho jata hai . isliye plz agar ho sake to 1 page par abhi tak ke sabhi characters ka parichay or aaps main sambandh add kar dijiye plz plz plz aapki aati karpa hogi
 
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dilavar

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Dilavar Bhai aapki story aaj fir padni shuru ki par jitni behtreen zabardast jaandaar shaandar apki story hai utne hi jyada characters bhi hai jinke bich kya rishta hai yaad rakhana muskil ho jata hai . isliye plz agar ho sake to 1 page par abhi tak ke sabhi characters ka parichay or aaps main sambandh add kar dijiye plz plz plz aapki aati karpa hogi
प्यारे रीडर्स आपकी बात सही है लेकिन अभी यहाँ बहुत बारिस हो रही है तो मै अपनी ऑफिस पे नहीं जा पाया जाते ही आपकी बात रखुगा और सबका परिचय दे दुगा
 
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Motaland2468

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प्यारे रीडर्स आपकी बात सही है लेकिन अभी यहाँ बहुत बारिस हो रही है तो मै अपनी ऑफिस पे नहीं जा पाया जाते ही आपकी बात रखुगा और सबका परिचय दे दुगा
Jab introduction a jayega usi din se shuru karunga thanks Bhai
 
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Skb21

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Very good updates lgta hai Rajiv ji ka antim samay agya hai waiting for next
 
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Kuldipr99

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इसी वक्त देर रात सब सो गये.. तब जीतुलाल चुपकेसे घरकी छतपे चला गया.. वहा पहेलेसे ही वृन्दा इनका इन्तजार कर रही थी.. जैसेही जीतुलाल वहा गया वृन्दा जटसे आकर उनकी बाहोमे समा गइ.. ओर जीतुलालको पागलोकी तराह चुमने लगी.. तब कुछही देरके बाद वुन्दा जीतुलालके नीचे लेटकर उनसे चुदवा रही थी.. दोनोके बीच काफी घमासन चुदाइ हुइ.. ओर जीतुलालने वृंन्दाकी चुतमे अपना माल उडेल दीया.. जब दोनो साथ जड गये.. तब वुन्दा जीतुलालके बालको सहेलाते उनसे बात करने लगी..
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जीतुलाल : हां भाभी.. बोल इतनी रात इधर क्यु बुलाया..? तुजे पता तो हे ब्रीन्दा हमारे बारेमे सबकुछ जान चुकी हे.. क्या कुछ खास बात करनी थी..?

वंन्दा : (मुस्कुराते होंठ चुमते) जीतु.. मुजे अब ब्रीन्दाकी कोइ परवा नही.. तुजे पतातो हे.. जयश्री हमारी लडकी हे.. भलेही दोनो भाइ बहेनकी हम अलग अलग मां हे.. लेकीन श्रीधर ओर जयश्री दोनोही तेरा खुन हे.. आज जयश्री कैसे बीन्दास्त श्रीधरके रुममे चली गइ..

उनको मेरीभी सरम नही आइ.. अभी दोनो भाइ बहेनभी वोही कर रहे होगे.. जो अभी हमने कीया.. जीतु.. मुजे लगता हे उन दोनोको मीलवानेमे तेरी बीवीका पुरा सपोर्ट हे.. आज कैसे बेसर्म होकर मेरी ओर देखते हस रहीथी.. जैसे वो हमसे कोइ बदला ले रही हो..

जीतुलाल : (मुस्कुराते) हां भाभी.. मुजेभी यही लगता हे.. हमारे बारेमे उसे पता चल गया हे तो उसी बातका बदला हमारे बच्चेकी सादी करवाके हमसे ले रही हे.. अब हम करभी क्या सकते हे..? दोनोही बालीक हे.. दोनोने अपनी मरजीसे सादी कीहे.. ओर तुमतो जानती हो अब ब्रीन्दाके साथ मेरा कोइ रीलेशन नही हे.. कमीनी मुजसे डीवोर्स भीतो नही लेलेती..

वृन्दा : (कुछ सोचते) जीतु.. अब मुजे लगता हे वक्त आगया हे.. की हम दोनो फेकीली अलग होजाये.. मे अब तेरे साथ रहेना चाहती हु.. मुजे तुमसे अ‍ेक लडका चाहीये.. लेकीन हर बार लडकी ठहेर जाती हे.. तो मुजे गीरवानी पडती हे.. लेकीन लास्ट बार बच्चा गीरवाने गये तब डोक्टरनेभी अब मना करदीया हे.. की अब मे बच्चा नही गीरवा सकती.. बहुतही जोखीम हे.. तो मे चाहती हु.. तुम ब्रीन्दाको डीवोर्स देदो.. ओर मुजसे सादी करलो.. हम दोनो सहेरमे अ‍ेक छोटा मकान लेकर वहा रहेने चले जायेगे..

जीतुलाल : भाभी.. वो सबतो ठीक हे.. मे आपके साथ जानेके लीये तैयार हु.. लेकीन बडेभैया..? आप उनको क्या जवाब दोगी..? ओर वैसेभी आप लडकेकी चाहमे कीतनी बार अ‍ेबोर्सन करवा चुकी हे.. क्यु करती हे आप अ‍ैसा..? हमे नही चाहीये कोइ लडका हम अ‍ैसेही खुस हे..

वृन्दा : (मुस्कुराते होंठ चुमते) नही जीतु.. तु नही समजेगा.. मे तुमसे बहुत प्यार करती हु.. मुजे तेरी अ‍ेक नीशानी चाहीये.. जो हम दोनोके बुढापे मे हमारा सहारा बन सके.. अ‍ेक नीशानी जयश्रीके रुपमे हमे मीली थी.. क्या नतीजा हुआ..? वोभी ब्रीन्दा हमसे छीनकर लेगइ.. जानु.. बस सीर्फ अ‍ेक लडका..

जीतुलाल : भाभी.. तो अब तुही बता हम क्या करे..? तेरे दिमागमे हे कोइ आइडीया..?

वृन्दा : (मुस्कुराते पीठ सहेलाते) हां जीतु.. इसीलीये तो आज तुजे यही बुलाया हे.. सुन.. तुम ब्रीन्दाको डीवोर्स देदो.. तब तेरे भाइ तुमसे नाराज हो जायेगे.. तब मे तेरे भाइको कहुगी अब हमे इस घरका बटवारा कर देना चाहयी.. भलेही हमारा बीजनेश साथमे हो.. जब वो इसके लीये राजी होजायेगे तब वो तेरे हीस्सेका भाग तुजे कभी नही देगे.. वो तेरा सभी हीस्सा ब्रीन्दा ओर श्रीधरको दे देगे..

जीतुलाल (मुस्कुराते धीरेसे सोट मारते) हंम.. डार्लींग.. लेकीन मेरातो नुकसान हो गयानां..? हें..हें..हें..

gentle-sex-79
वृन्दा : (मुस्कुराते) नही जीतु.. तब तेरे भाइ उनका हीस्सा मेरे नाम करदेगे.. तो फीर मे ओर तुम कहा अलग हे..? मुजेतो अब तुम्हारे साथही रहेना हे.. तो मेरा सभी हीस्सा मे तेरे नाम करदुगी.. लेकीन बादमे.. जब हम दोनो अकेले होजायेगे.. समज गयेनां..?

जीतुलाल : (मुस्कुराते होठोको चुमते जोरोसे सोट मारते) भाभी.. क्या दिमाग पाया हे तुने.. हें..हें..हें.. फीर..?

वृन्दा : (सरमाते धीरेसे) जीतु.. थोडा प्यारसे चोदोनां.. बहुत मजा आता हे.. सुनो.. जब बटवारा हो जायेगा तब हम सहेरमे अ‍ेक मकान लेलेगे.. ब्रीन्दाको उनके बेटे बहुके साथ जहा रहेना हे रहेगी.. तब मे तेरे भाइको कहुगी.. की अब हमारा कोइ बेटा नही हे.. ओर अब जीतुभी अकेला हे.. तो मे उसे हमारे साथ रखना चाहती हु.. वो मेरी बात कभी नही टालेगे.. बस.. हो गया हमारा काम.. हम वहा जातेही सादी करलेगे.. ओर तुम ओर मे हमेसा पती पत्नी बनकर साथ रहेगे.. क्या कहेते हो..?

जीतुलाल : (मुस्कुराते बुब्स चुमते चोदते हुअ‍े) हंम.. भाभी.. बाततो आपकी सही हे.. अगर तभी हमारा बच्चा ठहेर गया तो..? तुम बडे भैयाको क्या कहोगी..? मत भुलो अब भाइको भी पता हे.. वो इस उमरमे बच्चा नही कर सकते..

वृन्दा : (मुस्कुराते) जीतु.. मे यही तो चाहती हु.. की उनको सब पता चल जाये.. ओर इनकी फीकर तुम मत करो.. भलेही उनको हम दोनोके बारेमे ओर हमारे बच्चेके बारेमे पता चल जाये.. वो इस उमरमे ये सदमा बरदास्त नही कर पायेगे.. ओर उनकी इतनी हींमतभी नही हेकी वो हम दोनोको घरसे नीकालदे.. क्युकी उस सहेरका घर मे मेरे नामही रजीस्ट्रेसन करवाउगी.. फीर वो जीयेगे भी तो कीतना.. फीर हम दोनोही आजाद.. मे चाहती हु अब हमाराभी अ‍ेक वारीस हो.. मे सारी जींदगी तेरी बीवी बनकर रहुगी..

जीतुलाल : (मुस्कुराते होंठ चुमते) भाभी.. क्या दिमाग पायाहे तुने.. मेतो कायल होगया तेरी सोचपे.. लेकीन इस बार अ‍ेक बात याद रखना.. भलेही लडका हो या फीर लडकी.. जोभी हमारे नसीसबमे होगा उसे हम स्वीकार कर लेगे.. इस बार मे तुजे हमारा बच्चा गीराने नही दुगा.. तबही मे तेरे साथ आउगा..

वृन्दा : (सरमाते धीरेसे) ठीक हे.. जीतु.. मुजे तेरे साथ रहेना हे.. हमेसा हमेसाके लीये.. तु जोभी कहेगा मे मान लुगी.. अब मेरा पती सीर्फ तु ही हे.. मुजे तेरी हर बात मंजुर हे.. चल.. आइइइइ.. इसी बातकी खुसीपे अ‍ेक बार ओर चोदले मुजे.. करदो प्रेगनेन्ट मुजे.. तु कलही इस बारेमे ब्रीन्दासे बात करले.. अब मे तेरे बीना नही रेह सकती.. बस.. जल्दीसे इन दोनोकी सादीका नीपटारा करलो.. अब मुजे नही रहेना यहा..

जब दोनो बाते कर रहेथे तब उनको नही पताथाकी छतपे टंकीके पीछे खडी ब्रीन्दा इन दोनोकी बाते सुनते उनके चुदाइकी रासलीला देख रही हे.. जब जीतुलाल उपर आया तबही वो उनका पीछा करते उपर आ गइथी.. जब जीतुलाल बात करके हाथके बल वृन्दाकी जबरदस्त चुदाइ करने लगा.. तब ब्रीन्दा आहीस्तासे वहासे नीकलकर अपने रुमपे आकर सोगइ.. तब कुछही देरके बाद जीतुलालभी वृन्दाकी चुदाइ करके नीचे आगया..

जब वो अपने रुमकी ओर जा रहाथा तब श्रीधरके कमरसे जयश्रीकी सीसकारीयोके साथ दर्दसे कणसनेकी आवाजभी आ रहीथी.. तब जीतुलाल समज गयाकी उनका बेटा श्रीधर उनकी बटी जयश्रीकी जबरदस्त चुदाइ कर रहा हे.. वो अपने रुममे चला गया.. तब कुछ देरके बाद वृन्दाभी दबे पांव थोडी लंगडाते अपने रुममे चली गइ.. ओर बाथरुममे जाकर अपनी चुतको साफ करके अपने पतीके पास जाकर सोगइ....

कन्टीन्यु
Wah Aaj sabhi log apni apni priyasi ke saath Lage hue hai aur apne apne bhavishya ke liye sonch rahe hai
Keep writing 👍
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७४

तब सृती भावना चंदा मंजु चारो राजीवको चदरमे डालकर बहारकी ओर लेजाने लगी.. तो भुमीकाने फटाफट कारका पीछला दरवाजा खोल दीया ओर सबने राजीवको पीछेकी सीटपे सुला दीया ओर सृतीने फटाफट कारकी ड्राइवींग सीट सम्हाली.. तो साथमे मंजु ओर भावना बैठ गइ तो नीर्मला पीछे राजीवके सरको अपनी गोदमे लेकर बैठ गइ.. ओर सृतीने कारको तेजीसे होस्पीटलकी ओर जानेदी....अब आगे

ओर थोडीही देरमे सबलोग होस्पीटलपे पहोंच गये.. तो वहा डोक्टरने देवायतके फोन आतेही पहेलेसेही स्ट्रेचर रेडी रखाथा.. उनके स्टाफने फटाफट राजीवको कारसे स्ट्रेचरमे लेलीया ओर अंदरकी ओर दौड पडे.. तो पीछे नीर्मला मंजु भावनाभी फटाफट उनके पीछे जाने लगी.. सृतीभी कार पार्क करके अंदर आगइ.. ओर सीधेही डोक्टरके पास चली गइ.. क्युकी उनकी इस डोक्टरके साथ अच्छी खासी पहेचान थी..

राजीवको आइ.सी.यु.मे लेजाकर फटाफट ओक्सीजन मास्क लगा दीया.. ओर उनकी ट्रीटमेन्ट सुरु होगइ.. तो आधेही घंटेके बाद देवायतभी तेजीसे सीधाही होस्पीटलपे आगया.. ओर अंदर चला गया.. तो अंदर सब लोग गुमसुम आंसु बहाते बैठे थे.. तभी देवायतको अंदर आते देखते ही नीर्मला उनके पास दौड पडी ओर उनसे लीपटर फुटफुटके रोने लगी.. तो मंजु ओर भावनाभी देवायतसे लीपटके आंसु बहाने लगी.. सबको पताथा की क्या होने वाला हे.. फीरभी अ‍ेक आशामे थे..

नीर्मला : (आंसु बहाते) देवु.. मेरा राजीव.. उसे कुछ होगातो नही..? हे भगवान.. बचालो उसे..

मंजुला : (नीर्मलाको सम्हालते) मोम.. पापाको कुछ नही होगा.. आप अ‍ैसे रोइअ‍े मत.. वो आपको बहुत प्यार करते हे.. वो आपको अ‍ैसे रोते नही देख सकते.. चुप होजाइअ‍े..

भावना : (रोते हुअ‍े) हां मम्मी.. पापा हमे बहुत प्यार करते हे.. मत रोइअ‍े..

कहातो नीर्मलाने फटाफट अपने आंसु पोछ दीये.. ओर देवायतका हाथ पकडकर उसे आइ.सी.यु.की ओर लेगइ.. लेकीन उसे अ‍ेक नर्सने ट्रीटमेन्ट चालु हे.. कहेकर वही रोक लीया.. ओर वो फटाफट चली गइ.. तीनो काचकी विन्डोसे अंदर जाकते देखने लगे तो अंदर सृती ओर डोक्टर राजीवके सीनेपे हाथसे पंपींग कर रहेथे.. तब देवायत सीचुअ‍ेशनकी गंभीरता समज गयाकी अभी राजीवका हार्ट बंध हे.. ओर वो तीनोको लेकर अ‍ेक बेंचपे बैठ गया..

तो कुछही देरके बाद भानु ओर सरलाभी आगये तो पीछे धिरेनभी अपनी बाइक लेकर जल्दी जल्दी होस्पीटल पहोंच गया.. तो नीर्मला धिरेनको गले लगाकर आंसु बहाने लगी.. तो घरपे चंदा पुनम ओर भुमीका तीनो बच्चोको सम्हालके बैठीथी.. तब चंदाभी रुक रुक कर आंसु बहाती रही.. सृती ओर डोक्टरकी आधे घंटेकी महेनत रंग लाइ.. उसने पंपींगसे राजीवके हार्टको अ‍ेक्टीव करदीया था.. ओर अभी राजीवकी तबीयत अ‍ैसेही स्टील पोजीसनमे रुक गइ..

सृती : (बहार आतेही) देवु.. आगये आप.. अभी अंकलकी तबीयत बीगडनेसे रुक गइ हे.. उसे ओर आरामकी जरुरत हे.. अगर जरुरत हुइ तो हमे उनका अ‍ेम.आइ.आर. करना पडेगा..

नीर्मला : (जटसे) सृती बेटा.. क्या तेरे अंकलकी तबीयत तो ठीक हेनां..? उसे कुछ हुआतो नही..?

सृती : (मुस्कुराते) अरे नही मौसी अंकलको कुछभी नही हुआ.. बस थोडीसी कमजोरी लग रही हे.. अभी होसमे आजायेगे.. (देवायतका हाथ पकडते) देवु.. आप चलीये मेरे साथ.. हमे डोक्टरने बुलाया हे.. आप लोग सब यही बैठीये हम अभी उसे मीलकर आते हे.. चलो देवु..

कहातो मंजु सृतीकी ओर देखती रही.. ओर नीर्मलाको लेकर वापस बेंचपे बैठ गइ.. तभी सृती देवायतको लेकर डोक्टरकी चेम्बरमे चली गइ.. तो वहा डोक्टरने मुस्कुराते देवायतसे हाथ मीलाया.. ओर दोनोको सामनेकी चेयरपे बैठनेके लीये कहा.. तो सृती ओर देवाफत डोक्टरकी ओर देखने लगे.. तभी..

डोक्टर : (मुस्कुराते) कहो मी. देवायतजी कैसे हो..? आखीर आपको आनाही पडा.. यही हेना आपकी वाइफ डो. सृतीजी.. इन्होने आपके ससुरको बचानेकी बहुत महेनतकी..

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) सर.. लेकीन उनको ये सब अचानक कैसे हुआ..? कलतो अच्छे भले थे.. अ‍ैसा होनेका कुछतो रीजन होगा..

डोक्टर : (मुस्कुराते) मी. देवायतजी.. लगता हे आपके ससुर कुछ ज्यादाही रंगीन मीजाजके लगते हे.. मुजे जीस बातका डर था वोही हुआ.. सृतीजी.. लास्ट टाइम ये दोनो चेकअप के लीये आयेथे.. तबही मेने उसे मना कीयाथा की इस चीजसे दुर रहेना.. लगता हे ज्यादा इन्टरकोर्स की वजहसे ये सब हुआ हे.. जीस चीजके लीये मैने सख्त मना कीयाथा.. वोही सब इन्होने कीया हे.. आपतो जानती हे इस केसमे इनके लीये कीतना जोखीम हे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. मतलब उसने मेरी सासको जुठ बोला होगा.. कोइ बात नही.. अब इसमे क्या हो सकता हे..? क्या कुछ रीकवरीकी गुंजाइस हे..? तो कहीये हम इसके लीये सबकुछ करनेको तैयार हे..

सृती : (धीरेसे) देवु.. सोरी.. मेने बहार थोडासा जुठ बोला हे.. अंकल बहुत ही सीरीयस हे.. हमने उनका हार्ट तो पंपींग करके चालु करदीया हे.. लेकीन उतनी रीधींग नही आ रही जीतनी हमे चहीये.. ओर वो भी धीरे धीरे कम होती जा रही हे.. आप समज गयेनां.. हमे सबको सम्हालना होगा..

देवायत : (आंखसे आंसु टपक गये) सृती.. हमारे पास कीतना वक्त हे.. बता मुजे..

डोक्टर : (थोडी सीरीयस होते) देवायतजी.. सायद दो से ढाइ घंटे.. आपको जीसे बुलाना हो बुला लीजीये..

देवायत : (अपने आंसु पोछते) सर.. बस.. आपसे अ‍ेक रीक्वेस्ट हे.. बहार कीसीको कुछभी मत कहेना.. हम सब उनके आखरी वक्तमे उनके पास रहेना चाहते हे.. हो सकेतो हमे अलग रुम दे दीजीये..

डोक्टर : (मुस्कुराते) अरे अलग रुममे क्यु.. सबलोग वही चले जाओ.. अभी वहा कोइ ओर पेशन्ट नही हे..

देवायत : (हाथ मीलाते खडे होते) सर.. थेन्क्यु वेरी मच..

इधर देवायत सृती डोक्टरसे बाते कर रहेथे.. तब मंजु अपनी शक्तिओके माध्यमसे अंदरकी सब बाते सुन रहीथी.. ओर तीनोकी बाते सुनतेही उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. तो वो जटसे अपने आंसु पोछते बहार नीकल गइ.. वरना उनकी मम्मी देखलेती तो सबकुछ समज जाती.. ओर मंजु दुर जाकर अ‍ेक पेडके पीछे जाकर रोने लगी.. लेकीन मंजुको पता नही थाकी भावनाने उसे देखलीया हे.. तो वोभी धीरेसे मंजुके पीछे चली गइ..

बहार जाकर देखातो मंजु दुर अ‍ेक पेडके पीछे खडी रहेके रो रहीथी.. तभी मंजुको अपने कंधेपे कीसीका हाथ रखते महेसुस हुआ.. तो मंजुने रोते हुअ‍े जटसे पीछेकी ओर देखा तो पीछे भावना आंसु बहाते उनको देख रहीथी.. तो मंजु जटसे पलट गइ.. ओर भावनाको गले लगाकर रोने लगी.. तो भावनाभी सबकुछ समज गइ.. उसे पताथा की मंजुको सबकुछ पता चल जाता हे तो भावनाभी रोने लगी.. ओर रोते रोते..

भावना : (आंसु बहाते) दीदी.. क्या हुआ..? आपकोतो सब पता चल जाता हे.. बताइअ‍ेनां..

मंजुला : (रोते धीरेसे) भावु.. पापा हमे छोडके जा रहे हे.. तु अंदर कीसीको मत बताना.. वरना मोम टुट जायेगी.. अब हमारे साथ वो सीर्फ दो ढाइ घंटे ही हे.. तुम हिमंत रखना मे तेरे साथ हु.. चल अंदर..

कहेते दोनोही अंदर जानेके लीये मुडती हे तो पीछे देवायत खडा उनकी बाते सुन रहाथा.. तो दोनोही देवायतके गले लग गइ.. ओर फुटफुटके रोने लगी.. तीनोही बहुत दुर खडे थे तो कीसीको उनकी आवाज अंदर नही सुनाइ दे रहीथी.. देवायतने दोनोको कसके अपने गले लगा लीया.. ओर खुदभी आंसु बहाने लगा.. फीर कुछ देरके बाद देवाफतने दोनोको सांत कीया.. ओर अंदर अ‍ेकभी आंसु ना बहानेकी सुचना देदी..

फीर तीनोही अपना चहेरा साफ करके अंदर आगये.. तो देवायतने भानुको बहार बुलाकर घरसे भुमीका चंदा ओर पुनमको लेआनेकी बात करली.. ओर उसे अपनी कारकी चाबी देदी तो भानु कार लेकर तीनोको लेने राजीवके घरपे चला गया.. तो देवायत सबको लेकर आइ.सी.यु. मे आगया.. सबलोग राजीवकी ओर देखने लगे.. नीर्मला राजीवके सरके पास उनके हाथको थामकर बैठ गइ.. ओर प्यारसे उनको देखती रही..
 

dilavar

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तभी इस वक्त गांवमे मुना ओर बरखा अपनी सुहागरात मनाकर सुबह देर तक अपने रुममे सोते रहे.. मुनाने कल पुरी रात कामोतेजक गोली खाकर बरखाको जबरदस्त तरीकेसे अलग अलग पोजीसनमे चार बार चोद लीयाथा.. बरखाका अ‍ेक अ‍ेक अंग मुनाने तोडके रख दीयाथा.. ओर जब मुनाने चोथी बार बरखाकी चुदाइकी तब वो लगभग बेहोसीकी हालतमे चली गइथी.. ओर अभी भी गहेरी नींद सो रहीथी..

तो यही हाल श्रीधरके घरभी था.. सब लोग कंपलीट होकर होलमे बैठकर चाइ नास्ता कर रहेथे तबभी श्रीधर ओर जयश्री अपने रुममे गहेरी नींद सो रहेथे.. कल पुरी रात श्रीधर जयश्रीकी चुतको बजाता रहा.. जीसे जयश्रीकी हालतभी पतली हो चुकीथी.. उनको भी समजमे नही आयाकी आज श्रीघरको इतना जोस कहासे आगया.. श्रीधरने जयश्रीका अ‍ेक अ‍ेक अंग तोडके रख दीया था.. तभी बहार वृन्दाने बातको छेडदी.. जब चारो अ‍ेकठे बैठेकर चाइ नास्ता कर रहेथे..

वृन्दा : (नास्ता करते अपने पती जवेरीलालको) सुनीये जी.. अब आप जीतनी जल्दी हो सके इन दोनोका जोभी कुछ करना हे कर दीजीये.. उनकी सादी करनी हेतो सादीका फटाफट नीपटारा करलो.. अब मुजे यहा दोनोने कीसीको मुह दीखाने लायकभी नही छोडा..

जवेरीलाल : (थोडा गुस्सा होते) तुम बार बार क्यु अ‍ेकही रट लगाये बेठी हो..? जो होना था सब होगया.. हम सबने उन दोनोकी सादीको भी अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे.. तो फीर अब तुजे क्या प्रोबलेम हे..? कान खोलकर सुनले.. अब ये दोनो यही रहेगे.. हमारे पास.. समजी..

कहातो वृन्दा गुस्सा करके चाइ नास्ता छोडकर अपने रुममे चली गइ.. तब ब्रीन्दा मनही मन मुस्कुरा रहीथी.. क्युकी उनको पताथाकी ये सब उनकी बहेन अपने प्लानके मुताबीक कर रही हे.. वो सांतीसे बैठकर मुस्कुराते चाइ नास्ता करती रही.. जसे कुछ हुआही नही.. तब जवेरीलालभी परेसान होकर खडे होगये.. ओर वृन्दाके पास उनको मनानेके लीये उनके पीछे चले गये.. तब टेबलपे सीर्फ जीतुलाल ओर ब्रीन्दाही बैठे थे.. तभी..

जीतुलाला : (धीरेसे) ब्रीन्दा.. अब हमारे बच्चोकी सादीभी होगइ हे.. तो अब तुजे नही लगता हम दोनोको अब फीरसे मील जाना चाहीये..? कबतक मुजसे दुर रहेगी..? अ‍ैसेतो ना तुम सुखी रेह सकती हो ना मे..

ब्रीन्दा : (कातील मुस्कुराते) क्यु..? तेरे पास तो तेरी भाभी हेनां.. वो तुजे सुख तो देती हे जो तुजे चाहीये.. तो फीर मेरे पीछे क्यु पडा हे..? मेतो अ‍ैसेही बहुत खुस हु.. अबतो तुम मुजे भुल ही जाओ.. इस तनको छुनेका अधीकार तुम चार साल पहेलेही खो चुके हो.. जब मुजे तुम दोनोके बारेमे पता चला.. मुजे अब तुमसे कोइ रीस्ता नही रखना.. येतो श्रीधर बडा होगया हे इसीलीये मे यहा पडी हु.. वरना मेतो तुजे कबसे छोडकर चली गइ होती..

जीतुलाल : (थोडा परेसानीमे) ठीक हे.. तो फीर मुजे छोड क्यु नही देती..? देदो मुजे डीवोर्स..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) मे तुजे क्यु डीवोर्स दु..? मे कहा तुजे छोडनेकी बात कर रही हु..? अगर जाना होतातो तबही चली गइ होती.. तुम्हे मुजे छोडना हे तो तुम मुजे डीवोर्स देदो.. मे साइन कर दुगी.. बस.. मुजे मेरे लीये कुछ नही चाहीये.. लेकीन मे मेरे श्रीधरका हक कभी नही छोडुगी.. ना इस घरपे ना हमारे बीझनेसमे.. इसके लीये मुजे जोभी करना पडे मे सब करुगी.. याद रखीयो..

कहेते ब्रीन्दा टेबलपे हाथ मारते वहासे खडी होगइ.. ओर अपने रुममे चली गइ.. तब जीतुलाल उसे मुह फाडकर देखता ही रेह गया.. क्युकी जीतुलालको ब्रीन्दासे अ‍ैसी बातोकी उमीद नही थी.. कल रातसे ही ब्रीन्दाने इन दोनोकी बात छतपे सुनली थी.. तबसेही वो मानसीक तौरपे इस बातके लीये पहेलेसे ही प्रीपेर होगइ थी.. ओर आज उसने जीतुलाल ओर उनकी बहेन वृन्दा अपने प्लानको आगे बढाये.. उनसे पहेलेही ब्रीन्दाने उन दोनोकी बातपे जोरोसे हथोडा मार दीया..
 

dilavar

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तो इधर होस्पीटलमे सब लोग राजीवके अगल बगलमे खडे थे.. तो कुछही देरके बाद भानुभी भुमीका पुनम ओर चंदाको लेकर होस्पीटलपे आगया.. तो चंदा राजीवको देखतेही आंसु बहाने लगी.. तो भुमीकी आंखसेभी आंसु टपक गये.. तो सृतीने दोनोको इसारोसे आंसु बहानेको मना कीया तो दोनोने जटसे अपने आंसु पोछ लीये.. जब सबलोग आगये तो मंजु रावजीवके पैरोके पास चली गइ.. ओर बीचमे उनके सामने खडी रही..

सबको लगाकी मंजु जगाह नही होनेकी वजहसे वहा चली गइ हे.. लेकीन कीसीको पता नही थाकी वो मनमे मंत्रोचार कर रही हे.. ओर उसने धीरेसे सबसे छुपके राजीवके पैरोको छुआ.. तो राजीवके सरीरमे अ‍ेक जुनजुहाटकी लहेर दोड गइ.. ओर उनकी आंखे बंध होनेके बावजुद अंदरकी ओर फरकने लगी.. राजीवको धीरे धीरे अपना पीछला जन्म अ‍ेक फील्मकी रीलमे माफीक दीखने लगा..

मंजु अ‍ैसा करके उनको अपने पीछले जन्मकी ओर इस जन्मकी पहेचान करवा रहीथी.. राजीवको अपने बाजुमे नीर्मलाके रुपमे पीछले जन्मकी सोनुका चहेरा दिखने लगा.. तो इस साइड उसे देवायतके अंदर वो हिमाचलके राजा राजका अंस दिखने लगा.. जो इस वक्त दोनोही उनकी अगल बगलमे बैठकर आंसु बहा रहेथे.. राजीवको पीछले जन्मका सबकुछ याद आने लगा..

वो अपने आपको पहेचान गयाकी वो पीछले जन्ममे सुनील था.. ओर अपने आखरी वक्तमे उसने राज ओर नेनुको वादा कीयाथा.. की अगले जन्ममे मे तुम्हारे मामा बनके आउगा.. ओर अब वक्त नजदीक था.. जब राज अगला जन्म लेकर वापस इस पृथ्वीपे आयेगा.. उनसे पहेले राजीवको उनके मामा बनके वापस आना हे.. क्युकी अभी तक राजने जन्म नही लीयाथा.. सबलोग उसीके जन्मकी तैयारीके रुपमे आ गयेथे.. ओर राजीवके सरीरमे हरकत होने लगी..

ओर आखीर उनकी आंखोमे अ‍ेक तेज प्रकाश छा गया.. ओर उसे मंजुके रुपमे उस माइके दर्शन हो गये.. जो सबकी जननी थी.. जीनकी दस भुजाये थी.. जो अ‍ेकदम नग्न स्वरुपमे उनके सामने खडी थी.. जीसे देखतेही राजीवका हाथ हीलने लगा.. तो सबलोग खुस होने लगे.. तब सृतीने जटसे धिरेनको डोक्टरको बुलानेको कहा.. तो धिरेन बहारकी ओर दोडके चला गया.. ओर कुछही देरमे डोक्टरको लेकर आगया..

डोक्टर : (आंखे चेक करते) देवायतजी.. लगता हे इनको होस आ रहा हे.. आप सबलोग थोडी देरके लीये बहार जाइअ‍े.. जब इनको होस आजायेगा तब हम आप सबको अंदर बुला लेगे..

कहातो नीर्मला मंजु देवायत ओर सृतीके अलावा सबलोग बहार नीकल गये.. तब राजीवको होस आगया.. उसने धीरेसे अपनी आंखे खोलदी.. तो सामने मंजुको खडी देखा.. तो उनके चहेरेपे स्माइल आगइ.. ओर धीरेसे उनको हाथ जोड लीया.. तो मंजुकी आंखसे मुस्कुरानेके बावजुद आंसु नीकल गये.. तब देवायतको पता चल गयाकी सब मंजुकी वजहसे हुआ हे.. मंजुने राजीवको अपनी पहेचान करवादी हे.. तो वो मुस्कुराने लगा.. तभी..

डोक्टर : (मुस्कुराते) हां.. तो अंकल.. अब आपको कैसा लग रहा हे.. लगता हे आपने कुछ चम्तकार कीया हे.. तभी तो आपको इतनी जल्दी होस आगया.. हें..हें..हें..

राजीव : (धीरेसे) हंम.. काफी बेटर लग रहा हे.. थेन्क्स..

डोक्टर : (मुस्कुराते) हंम.. चलो मे सबको अंदर भेजता हु आप सबको मीललो.. लेकीन ज्यादा बोलना नही.. ओके.. आपको ट्रेस होगा..

राजीव : (जब डोकटर चला गया सब लोग वापस अंदर आगये) नीमु.. थेन्क्स.. तुमने मेरा खुब साथ दीया.. लेकीन तुम मेरी अमानत नही हो.. मेरे भांजेकी अमानत हो.. मुजे जाना पडेगा.. तभी तो मेरी भावुकी कोखसे वापस आ पाउगा.. मेरे देवुके पोतेका मामा बनके.. मेने उसे वादा कीया था.. तो नीभाना तो पडेगा.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (मुस्कुराते) मत कीजीये अ‍ैसी बाते.. आपको डोक्टरने बोलनेको मना कीया हेनां..?

राजीव : (मुस्कुराते हाथ थामते) नही नीमु.. आज बोलने दे.. फीर क्या पता दुबारा बोलनेका मौका मीले या ना मीले.. (मंजुकी ओर हाथ जोडते) मंजु बेटा.. माफ करना.. मे तुजे पहेचान नही पाया.. तुमतो हम सबकी जननी हो.. बस.. मेरी नीमु ओर मेरी भावुको सम्हाल लेना..

मंजुला : (आंसु बहाते) पापा मत कीजीये अ‍ैसी बाते.. मे तो आपकी बेटी हु.. मे वादा करती हु.. मे सबको सम्हाल लुगी.. आपको कुछ नही होगा..

राजीव : (भुमीकी ओर देखते) भुमी.. कैसीहो मेरी बहेन.. मे तुमको भी पहेचान गया हु.. हें..हें..हें.. बस.. मेरी नीमुका साथ देना.. वो अकेली ना पड जाये..

भुमीका : (अपने आंसु पोछते) भाइ.. मत करो अ‍ैसी बाते.. वो मेरी बहेन हे.. तो मे उनका खयाल रखुगी..

राजीव बारी बारी सबको याद करता हे.. धिरेनको भी पुनमका खयाल रखनेको कहेता हे.. भानुको भावनाका खयाल रखनेको कहेते सबलोग दो घंटे तब राजीवसे बाते करते रहे.. तो बीचमे हसी मजाकभी चलता रहा.. तब तक राजीवने नीर्मलाका हाथ थामे रखा.. ओर आखीर उनको बोलनेमे भी तकलीफ होने लगी.. तब राजीवने देवायतको पास बुलाकर उनका हाथभी थाम लीया.. ओर नीर्मलाके हाथको पकडकर देवायतके हाथोमे थमा दीया..

राजीव : (नीर्मलाका हाथ देवायतको थमाते) देवुबेटा.. लो सम्हालो अपनी सोनुको.. आजसे मेरी नीमुकी सब जीम्वेवारी आपकी हे.. मे आपको अपनी अमानत सोंप रहा हु..

देवायत : पापा.. आइ प्रोमीस.. मे आपकी नीमुका खयाल रखुगा..

कहातो राजीव मुस्कुराने लगा.. ओर नीर्मलाकी ओर मुह करते उनको देखता रहा.. तब नीर्मलाकी आंखसे भी आंसु नीकल गये.. राजीव अ‍ेक नजरसे नीर्मलाको बीना पलक जपकाये देखता रहा.. तब सृतीको आभास होगया.. ओर वो जटसे आकर राजीवको हीलाती हे.. तो राजीवका हाथ नीचे गीर गया.. तो सृती उनकी हाथकी नब्सको चेक करने लगी.. ओर धिरेनको जल्दीसे डोक्टरको बुलाने कहा तो मंजु समज गइ.. ओर वो रोने लगी..

तो नीर्मला जटसे खडी होगइ.. ओर राजीवको हीलाने लगी.. लेकीन राजीव अ‍ैसेही सीथील पडा रहा.. ओर सबको मनमे आसंकाअ‍े होने लगीकी राजीव हमे छोडकर चला गया हे.. तभी डोक्टरने फटाफट आकर राजीवको चेक करलीया.. ओर सृतीकी ओर देखते नां मे गरदन हीलाते राजीवकी आंख बंध कर देते हे.. ओर उनके उपर चदर डालके देवायतके कंधेपे हाथ रखते अपना अफसोस व्यक्त करते हे..

डोक्टर : सोरी.. देवायतजी.. अब आपके ससुर नही रहे.. आप मेरी चेम्बरमे चलीये.. मे सब पेपर कंपलीट करवाता हु.. फीर इसे लेजाइअ‍ेगा..

कहातो भावना नीर्मला मंजु सबलोग राजीवको घेरकर फुट फुटके जोरोसे रोने लगे.. ओर होस्पीटलमे पुरा वातावरण गमगीन होगया.. तब भुमीका सरला भानु ओर देवायत सबको सम्हालने लगे.. फीर भानुने सामतभाइ ओर रमेशको फोन करदीया.. तो लखनभी नीलमको उनके घर छोडकर अपने खेतोपे था तो वोभी लताके साथ जीस लेडीसको आनाथा वो सभी लेडीसको लेकर राजीवके गांवकी ओर नीकल गया..

इधर सबका रोना धोना थोडा सांत हुआ.. तो भानु ओर धिरेनको कहेकर देवायतने सभी लेडीसको घर भेज दीया.. देवायत सब पेपर कंपलीट करवा देता हे.. तब डोक्टर उनको अफसोस जताते राजीवकी बोडीको घर लेजानेको कहेते हे.. तभी भानुभी सब लेडीसको छोडकर वापस आगया.. तो दोनोही राजीवकी बोडीको लेकर घरपे चले गये.. इस कार्यवाहीमे अ‍ेक घंटा बीत चुकाथा तबतक रमेश सामत लखन सबलोग आगये..

तो आतेही लता मंजुसे चीपककर रोने लगी.. तो रश्मी चारु नीशा जया सांती बसंती ब्रिन्दा सभी लेडीस सबको गले मीलकर आस्वासन देती रही.. तबतक रमेश ओर सामतने अर्थीके सामानका इन्तजाम करलीया ओर बोडीको कंपलीट करदी.. तब देवायतने सबको अ‍ेक बार फीर राजीवके अंतीम दर्शनके लीये कहा.. तब नीर्मला मंजु ओर भावना उनसे लीपटकर बहुत रोइ.. तो रश्मी चारु भुमीका सरलाने सबको सम्हाला..

फीर देवायत भानु धिरेन ओर लखनने अर्थीको उठाया.. ओर सबलोग स्मसान चले गये.. वहा देवायत ओर धिरेनने मीलकर राजीवको मुखमग्नी दी.. फीर वहाकी सब वीधीया करके सबलोग वापस घरपे आगये.. फीर साम होते होते सबलोग अपने घरकी ओर वापस जाने लगे.. सामत रमेशभी सब लेडीसको लेकर वापस नीकल गये.. तो देवायतने लखनको भी लताको साथ लेकर घर जानेको कहा.. तो भानुभी सरलाको लेकर वापस अपने घर नीकल गया....

कन्टीन्यु
 
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