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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २२१

अब वासनाका तुफान तांडव मचाकर सांत हो चुका था.. लखन रमाके सीनेपे ढेर होकर पडा था.. ओर रमा अपनी सांस दुरस्त करते उनकी पीठ सहेला रही थी.. दोनो पुरी तराह पसीनेसे भीग चुके थे.. तब बहारकी ओर नीलम अपनी चुतमे उगली डालकर अपने आपको सांत कर चुकी थी.. तो बहार आंगनमे सृती ओर लता होठोको चुमते अ‍ेक दुसरेकेबुब्स ओर चुतको सहेलाते सांत हो चुकी थी.. फीर दोनो अंदरका नजारा देखने लगी.. तब.... अब आगे

लखन : (सामने देखकर मुस्कुराते) भाभी.. कैसा लगा हमारा पहेला मीलन..? मजा आया की नही..?

रमा : (सरमाकर नजरे चुराते मुस्कुराते) ओ बापरे.. लखनजी.. आप बहुत गंदे हो.. कोइ इतना जोसमे करता हे क्या..? देखो आपने तो अ‍ेक ही बारमे मेरी हालत बीगाडदी.. आज पहेली बार पता चला की सुहागरातक क्या होती हे.. इतना तो आपके भाइने भी कभी प्यार नही कीया.. मेने आपको अपनाकर कोइ गलती नही की.. आज आपने अपनी इस भाभीका दिल जीत लीया..

लखन : (होंठ चुमते) भाभी.. अब तो आपको अ‍ैसा ही प्यार मीलेगा.. आज तो हम सुबह तक प्यार करेगे.. जी तो चाहता हे मे सुबह तक आपके उपर पडा रहु.. ओर आपको प्यार करता रहु..

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रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनजी.. ये तो अभी भी अंदर सख्त लग रहा हे.. कुछ गोली बोली खाइ हे क्या..? नीकालीयेनां.. मुजे बाथरुममे जाना हे.. आपने कीतना पानी अंदर छोडा हे.. जो अभी भी नीचे बहुत चीप चीपासा लग रहा हे..

लखन : (बुब्स चुमते) अरे भाभी.. अ‍ैसे कैसे बहार नीकालु.. अभी तो अ‍ेक ही बार आपको चोदा हे.. आपको अ‍ेक बार ओर चोदना हे.. अब मेने भी ठान लीया हे.. की जबतक कीसीको दो बार चोद नही लेता तबतक उपरसे उतरना नही हे.. हें..हें..हें.. ओर आजतो मुजे पुरी रात आपको अ‍ैसे ही प्यार करना हे.. अभी आगे.. फीर पीछे भी तो करना हे..

रमा : (थोडा डरते) अरे नही नही.. वहा नही प्लीज.. मैने पीछे कभी नही कीया.. आपके भाइने भी अ‍ेक दो बार कोसीस की.. बहुत दर्द करने लगा था.. अ‍ैसा लगता था कही फटनां जाये..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. अ‍ैसे तो आज भी आप डर रही थी.. क्या कुछ हुआ आपको..? नहीनां..? तो फीर पीछे भी सीर्फ अ‍ेक ही बार दर्द होगा.. फीर तो हम दोनोके मजे ही मजे हे..

रमा : (सरमाते धीरेसे रीक्वेस्ट करते) लखनजी.. मान जाओनां प्ली..ज.. आपको आगे जीतनी मर्जी हो कर लीजीयेगा.. भले ही मेरी हालत बीगड जाये.. पर पीछे..? नही प्ली..ज.. प्ली...ज...

लखन : (थोडा नाटक करते) ठीक हे भाभी.. तो फीर मे जा रहा हु.. आप आराम कीजीये.. मेने देखलीया आपका प्यार..

रमा : (बाहोमे भीचते) नही लखनजी.. अ‍ैसे रुठीये मत.. मुजे मजधारमे अकेला छोडकर मत जाइअ‍े.. मेतो आपको पुरी समर्पीत होचुकी हु.. आपको जो भी करना हो करलीजीये.. मे उह.. तक नही करुगी.. प्लीज.. अ‍ैसे मुजसे नाराज मत हो.. आजसे ये भाभी.. पुरी तराह आपकी होगइ हे.. इसके लीये मुजे आपके भाइको भी क्यु ना छोडना पडे.. अब मुजे ओर नीलुको सीर्फ आपहीका सहारा हे..

तभी बहारकी ओर..

सृती : (धीरेसे कानमे) देखा लता.. कमीने बीलकुल अपने बडे भाइकी तराह हो गये हे.. उनको भी दो बार करना होता हे.. ओर येभी कमीनी कैसे लाइनमे आगइ.. आजतो मेरा देवर पका इनकी गांड भाडेगा.. कमीनी सुबह चलने लायक नही होगी.. कास मेने अपना मोबाइल लीया होता.. तो इनकी पुरी विडीयो फील्म बनाकर पुनो दीदीको भेजती.. वो भी देखकर खुस होजाती..

लता : (बुब्स मसलते) भाभी.. इनका छोडो.. मेरे लखनको देखो.. अब तो येभी मेरा सेर मर्द हो गया हे.. कमीनीको तीन तीन बार आउट करके भी अभी बेटींगके लीये मैदानमे खडा हे.. रजुदीदीकी भी अ‍ैसी हालत करदी थी.. उस दिन मे बच गइ.. वरना मेरी भी अ‍ैसी हालत होती..

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सृती : (सरमाते बुब्स दबाते) कमीनी.. ज्यादा उछल मत.. मेरा देवु भी अ‍ैसा हे.. वो भी अ‍ेक ही ओरतको बीना नीचे उतरे पुरी रात चोद सकता हे.. तेरी भी बारी आयेगी.. तुम तैयार रहेना.. मंजु केह रही थी.. तेरा पीरीयड खतम होते ही तुजे वहा जाना हे.. अब बहुत जल्द देवु तेरे उपर चडेगा.. ओर तुजे गर्भवती करेगा..

लता : (मनमे खुस होते) भाभी.. तब तो आपके मुहमे घी सकर.. मेतो कबसे वहा जानेके लीये तरस रही हु.. बस.. अ‍ेक बार मंजुदीदी लखनसे बात करले.. फीर आप ओर रजुदीदी लखनको यहा सम्हाल लेना.. मे वादा करती हु.. बडेभाइको पुरी रात मेरे उपरसे उतरने नही दुगी.. उनसे खुब जमकर चुदवाउगी..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) कमीनी क्या बोल रही हे..? तुभस मंजुदीकी तराह बहुत चुदकड होगइ हे.. ओर मे कोइ तेरे लखनको सम्हालने वाली नही हु.. देखा नही.. कैसे सबकी हालत बीगाडने लगे हे.. कास पुनो दीदी यहा होती.. तो मे कुछ सोचती.. लता.. चल देखते हे दोनो क्या कर रहे हे..

लता : (बुब्ससे खेलते) भाभी.. देखो.. आपके दुध कीतने मस्त हे.. इसे देखकर मेरी भी नीयत बीगड जाती हे.. अगर मेरा लखन इनको अ‍ेक बार देख लेगा तो वो आपको छोडेगा नही.. वही पटक पटककर आपको चोदलेगा.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) लता.. छोड इसे.. दर्द होता हे.. देख अभी मजाक नही.. लखनको हम बादमे देख लेगे.. अभी अंदर देख.. दोनो फीरसे सुरु होगये हे..

कहेते दोनो अंदर देखने लगी.. तब लखन ओर रमा दोनो अ‍ेक दुसरेके मुहमे मुह डालकर अ‍ेक दुसरेके रसको पी रहे थे.. ओर लखन धीरे धीरे कमर हीलाते रमाको चोदने लगा था.. फीर कुछ ही देरमे दोनोके बीच अ‍ेक बार फीर घमासान चुदाइ होने लगी.. तो रमा भाभी धीरेसे चीलाते लखनको धीरेसे चोदनेके लीये मनते कर रही थी.. पर लखन कहा मानने वाला था.. उसे तो बस.. अपनी पुनम दीदीकी बात माननी थी..
 

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वाकइ लखन रमाकी चीदे नीकलवा रहा था.. जीसे देखकर बहार लता ओर सृतीभी गरम होगइ थी.. ओर दोनोकी चुदाइ देखकर आपसमे अ‍ेक दुसरेको रगडके पुरा मजा ले रही थी.. इस बार भी लखनने रमाको दो दो बार जडादीया था.. ओर अभी आखरी चरणमे दोनो ही बहुत उतेजीत होते जडनेकी कगारपे आ गयेथे.. तब रमाकी हालत बहुत बीगड चुकी थी.. उनकी आंखोसे आंसु नीकल रहे थे..
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आखीर लखनने अपना पुरा लंड रमाकी चुतमे घुसा दीया.. तो रमाकी अ‍ेक बार फीर जोरोकी चीख नीकल गइ.. उनकी आंखसे आसु बहेने लगे.. तभी लखनने लीपलोक करलीया.. ओर अपनी कमरको जटके माते जडने लगा.. तो रमा भी अपने दोनो पैर बेडपे पटकते कांपने लगी.. ओर लखनको बाहोमे भीचते लखनके साथ जडने लगी.. फीर दोनो सांत हो गये.. तब रमा लखनकी पीठ सहेला ही थी..
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फीर कुछ देरके बाद रमाके कहेनेपे लखन उनके उपरसे उतर गया.. तो रमाने जटसे अपना नीकर उठाकर अपनी चुतपे रखदीया.. तो पुरा नीकर दोनोके कामरससे गीला होगया.. ओर साथमे खुन भी लगा हुआ था.. जीसे देखकर रमा थोडी डर गइ.. ओर वो बडी मुस्कीलसे बेडपे बैठ गइ.. ओर अपनी चुतकी ओर देखने लगी.. तो नीचे बेडपे बहुत बडा खुनका धबा दीखाइ दीया.. जीसे देखकर वो गभराते लखनकी ओर देखने लगी..

रमा : (लखनकी ओर देखते) हाये.. देखो.. ये क्या करदीया आपने..?

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. क्या देख रही हे..? क्या कीया मैने..? मेने कहा थानां की आज हम दोनोकी सुहागरात हे.. तो देखीये.. ये हमारे प्यारकी नीसानी हे.. ओर कुछ नही.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमसे पानी पानी होते लखनको बाजुमे अ‍ेक मुका मारते) क्या प्यारकी नीसानी हे..? मेरी तो पुरी चुत फाडके रखदी आपने.. ये प्यारकी नीसानी नही.. ये आपके गध्धे जैसे मुसलसे मेरी फट चुकी हे.. देखो.. अभी भी जलन हो रही हे.. अब आपके भाइको क्या कहुगी मे..? की ये कैसे चौडी होगइ..

कहेते रमा बेडसे उतरनेकी कोसीस करने लगी.. वो जैसे ही खडी हुइ उनके दोनो पैर कांपने लगे.. ओर रमा डगमगाने लगी.. वो गीरने ही वाली थी तभी लखनने उसे अपनी बाहोमे थाम लीया.. ओर मुस्कुराते रमाको अपनी गोदमे उठा लीया.. फीर वो रमाको लेकर बाथरुममे चला गया.. तब रमा जुठा गुस्सा करते लखनके सीनेमे मुका मारती रही.. ओर दोनो बाथरुममे चले गये.. ओर लखनने रमाको कमोडपे बीठा दीया..

फीर गरम पानीसे रमाकी चुतकी सीकाइ करने लगा तो रमा लखनको अपनी इतनी केर करते देखकर थोडी भावनाओमे बहेने लगी.. ओर अपनी आंख गीली करते लखनको देखती रही.. वो इतने दिनोसे लखनका इस्तमाल करते जो साजीस कर रही थी.. उनपे रमाको थोडा पछतावा होने लगा.. क्युकी रमा सचमे लखनको प्यार करने लगी थी.. ओर उनकी इतनी केरतो कभी भानुने भी नही की.. वो मनमे सोचने लगी..

रमा : (मनमे) हे भगवान.. मे क्या कर रही थी..? लखन कीतने अच्छे हे.. मेरी जरुरत तो मे उनकी रखेल बनके भी पुरी कर सकती हु.. कास मेरी नीलुकी सादी इनसे हो जाये.. तो हम मां बेटी दोनो की जींदगी सवर जायेगी.. इतना प्यार तो मुजे भानुसे भी नही मीला..

आज मे कीतनी बार संतुस्ट हुइ हु.. मेरी पुरी चुत इनके पानीसे लबालब भरी हुइ हे.. अभी दस दिन पहेले ही मेरा पीरीयड खतम हुआ हे.. अगर मे प्रेगनेन्ट होगइ तो..? तब तो अच्छा हे.. माजी भी कबसे अ‍ेक बच्चेके लीये केह रही थी.. तो उनकी भी तम्मना पुरी होजायेगी..

लखन : (मुस्कुराते सामने देखते) भाभी.. कया सोच रही हे..? मुजसे कोइ गलती होगइ क्या..?

रमा : (जटसे गाल सहेलाते) अरे नही नही.. लखन आप गलत सोच रहे हे.. कास मेरी सादी आपसे हुइ होती.. आप कीतना प्यार करते हे मुजे.. मेरी इतनी कैर तो आपके भाइने भी कभी नही की..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. मे तो कहेता हु जबतक नीलु यहा पढती हे आप भी यही रुक जाइअ‍े.. मे आपको अ‍ैसा ही प्यार हमेसा देता रहुगा..

रमा : (सरमाकर मुस्कुराते) लखनजी.. ये क्या बोल रहे हे..? कास अ‍ैसा हो पाता.. अगर मे यहा रुक गइ तो आपके भाइको हम दोनोपे सक होजायेगा.. ओर मे आपको खोना नही चाहती.. मुजे आपका यही प्यार हमेसाके लीये चाहीये.. आजसे ये भाभीका तन आपका होगया हे.. आप जब भी चाहो इस तनको भोग सकते हो.. मे कभी मना नही करुगी.. बस.. मुजे आपका प्यार मीलते रहेना चाहीये..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. यही होगा जो आप चाहती हे..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनजी.. अ‍ेक प्रोबलेम हे.. मेरा अभी अ‍ेक हप्ते पहेले ही पीरीयड खतम हुआ हे.. अगर मे पेटसे होगइ तो..? आप मेरे अंदर कीतना जडे हो.. पुरी चुत आपके पानीसे लबालब भरी हुइ हे.. लगता हे आज तो आप पका मुजे प्रेगनेन्ट करदोगे..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. तो इसमे गभरानेकी क्या बात हे.. मुजे कोन्डम लगाना अच्छा नही लगता.. आजकल तो मार्केटमे गर्भ नीरोधककी कीतनी गोलीया मीलती हे.. आप खा लेना..

रमा : (मनमे) लखनजी.. मुजे गोली खानेकी कोइ जरुरत नही हे.. अगर आपसे प्रेगनेन्ट होगइ तो मे जरुर आपका बच्चा पैदा करुगी.. मुजे चीन्ता मेरी नही.. मेरी नीलुकी हे.. अगर आपने उसे चोदलीया तो पता नही उनकी क्या हालत करोगे आप.. मेरी चीखे नीकलवादी.. तो नीलुकी क्या होलत हीगी..? वैसे भी वो आपकी होने वाली बीवी हे.. तो मे उसे आपसे चुदवानेके लीये मना भी तो नही कर सकती.. जो भी हो.. आगे देखा जायेगा..

लखन : (सामने देखते) भाभी.. फीरसे कहा खो गइ.. कोइ दिकत हे क्या..?

रमा : (सरमाकर मुस्कुराते) अरे नही रे.. लखनजी.. मे क्या केह रही थी.. मेने गोली खाली.. अगर फीर भी मे प्रेगनेन्ट होगइ तो..? तो फीर आपके भाइको क्या कहुगी..?

लखन : (मुस्कुराते) क्या भाभी आपभी.. तो फीर आप घर जाते ही अ‍ेक दो बार भानुभाइसे चुदवा लेना.. ताकी इनको सक नाहो.. वो कुछ कहे तो केह देना ये आपका बच्चा हे.. इनमे इतना गभरानेकी क्या बात हे..? भानुभाइ आपके पती हे.. तो अ‍ैसा मत सोचीये.. की अब मे उनको ये तनसे छुने नही दुगी.. ये तनपे पहेला हक उनका हे.. समजी..?

रमा : (सरमाकर हसते) जी.. आपकी बात समज गइ.. मे अ‍ैसा ही करुगी..
 

dilavar

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फीर लखन रमाको वापस गोदमे ही बहार लेकर आगया.. तबतक नीलम वहासे अपने रुममे जा चुकी थी.. लेकीन सृती ओर लता.. दोनो ही कामातुर होते उपर सृती वाले कमरेमे चली गइ थी.. सृती पुरी तराह नंगी थी.. तो लताने सेनीटरी पेडके साथ नीकर पहेना हुआ था.. दोनो अ‍ेक दुसरेकी ओर मुह करते अ‍ेक दुसरेके उरोजोसे खेलते होठोको चुम रही थी.. ओर बीच बीचमे चुतको सहेला रही थी.. तभी..

लता : (होंठ चुमते) भाभी.. पता नही जब हम पीरीयडमे होती हे.. तो चुदवानेका बहुत मन करता हे..

सृती : (मुस्कुराते) लता.. ये सीर्फ तेरी समस्या नही हे.. हर ओरतकी यही समस्या हे.. मुजे तो अब देवुके साथ सोनेकी आदत लग चुकी थी.. जबतक वो मुजे दो बार चोद नही लेते तबतक नींद ही नही आती थी.. तो यहा भी करवटे बदलती रहेती हु.. लेकीन तुम फीकर मत करो.. बहुत जल्द सब सही होजायेगा..

लता : (सरमाते धीरेसे होठ चुमते) भाभी.. तो फीर आप कहोतो मे लखनसे बात करु..? वैसे भी दीदीने हम सबको छुटतो देदी हे.. तो आप लखनसे चुदवालो.. नींद अच्छी आयेगी..

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सृती : (सरमाते धीरेसे) नही लता.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. इस बारेमे अभी हमने कुछ नही सोचा.. जब वक्त आयेगा तब हम इस बारेमे सोचेगे.. अभीतो तुमसे ही काम चला लेती हु..

दोनो बाते करते लेस्बीयन खेल खेल रही थी.. जब दोनो संतुस्ट हुइ तो दोनो अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सो गइ.. तो नीचेकी ओर कुछ देर आराम करनेके बाद लखनने फीरसे रमाको जबरदस्त तरीकेसे वापस चोद लीया.. तो रमा चीखती चीलाती रही.. जीनकी चीखे नीलु अपने रुममे साफ सुन रही थी.. तो वो फीरसे की होलसे दोनोकी चुदाइ देखने आगइ.. ओर उतेजीत होते अपनी चुतमे उंगली करती रही..

फीर लखनने बडी सावधानीसे धीरे धीरे करते रमाकी गांडका भी उद्घाटन करदीया.. तब रमा बहुत चीलाइ.. ओर रोने लगी.. लखनको छोडनेकी मनते करने लगी.. तब लखन उनको प्यारसे मनाता रहा.. ओर उसे सांत करते उनकी गांड मारता रहा.. लखनने रमाकी गांडको भी अपने पानीसे भर दीया.. तब रमाकी हालग बहुत बीगड चुकी थी.. उनके सरीरका अ‍ेक अ‍ेक अंग दर्द कर रहा था..

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फीर अ‍ेक घंटेके बाद लखनने अ‍ेक बार ओर रमाको घोडी बनाके पीछेसे चुतमे लंड घुसा दीया.. तब रमाके दोनो पैर कांपने लगे थे.. अब उनमे चुदवानेकी ताकात नही बची थी.. तो वो पेटके बल लेट गइ.. ओर लखन उनको पीछेसे चोदता रहा.. आज ना जाने लखनने कीतनी बार रमाको जडा दीया था.. जब दोनो साथमे जडे तबतक रमा लगभग बेहोसीकी स्थीतीमे चली गइ थी.. वो हील भी नही सकी..
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रमाकी हालत काफी बीगड चुकी थी.. वो वाकइ दो दिन बीस्तरसे उठनेकी स्थीतीमे नही थी.. ओर लखन उनको गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया.. ओर कमोडपे बीटाकर उनको सही करते बहार लाया.. तब भी रमा बेहोसी जैसी हालतमे होगइ थी.. ओर लखनने उनको बेडपे लाकर सुला दीया.. फीर वो भी कपडे पहेनकर उपर अपने रुममे जाकर रजीयासे चीपककर सो गया..

तो दुसरी ओर आज देवायत वापस आया.. तब मंजुने पुनम ओर दयाके बारेमे बात करली.. फीर रात होते ही सबने डीनर करलीया.. फीर थोडी देर बैठकर सब सोने चले गये.. तो मंजुने आज भी भावनाको अपने साथ लेलीया.. फीर देर रात तक मंजु भावनाको बारी बारी चोदता रहा.. देवायतने आज भी मंजु ओर भावनाका चोद चोदके थका दीया.. देवायतने आज भावनाको लगातार बीना नीचे उतरे तीन बार चोद लीया था..

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लेकीन फीर भी भावनाकी आज इतनी हालत खराब नही हुइ थी.. अब भावनाकी चुत देवायतके लंडको बडी आसानीसे जेल रही थी.. तो दुसरी ओर भानुके घर जबसे रमा नीलु ओर सरला चाची गइ हुइ थी.. तबसे हररात ओर दिनमे भी रीटा भानुका बीस्तर गरम कर रही थी.. सामको भानु रीटाको लेकर घर चला आता ओर सुबह उनको वापस साथ लेजाता.. भानु रीटाको हरदिन कामोतेजक गोलीया खाकर चोदता था..

तो अब रीटाको भी भानु जैसा मुर्गा मील गया था.. वो भानुसे खुब जमकर चुदवाती.. ओर बदलेमे भानु उनको पैसे देकर उनकी हर जरुरतको पुरा करता.. ओर इस बातका रीटाके पती छोटुको भी पता था.. लेकीन भानुभाइ छोटुका भी देसी दारु पीलाकर ओर कुछ पैसे देकर उनका खयाल रखता.. तो छोटुको इन दोनोके रीस्तोसे कोइ प्रोबलेम नही थी.. उल्टा भानु ओर रीटा बीस्तरमे होते तब छोटु उनकी रखवाली करता..

तब भानुको पता नही थाकी मुनाकी दी हुइ दवासे धीरे धीरे उनका हथीयार बेकार होने लगा था.. भानु जब भी रीटाकी चुदाइ करता.. कामोतेजक गोली खाकर करता.. उनसे भानुको पता ही नही चलाकी धीरे धीरे करते उनके लंडकी स्ट्रेन्थ खतम होने लगी हे.. भानु पुरी तराह भोग विलासमे लीप्त था.. उनको आसानीसे ओरतकी चुतका इन्तजाम हो जाता था.. इसीलीये उनको रमाकी याद नही आ रही थी..
 

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तो दुसरी ओर गांवमे भी सब पहेलेकी तराह रुटीन चल रहा था.. बंसी मुना साहील ओर श्रीधर.. लखनके सभी दोस्तो अपनी बीवी ओर मासुकाके साथ मजे ले रहे थे.. तो आजकल सामत भाइके गुजर जानेकी वजहसे जया ओर रमेसका मीलना लगभग बंध हो चुका था.. रमेश हर दिन सामत भाइके घरपे चला जाता.. ओर बंसीके साथ बैठकर सामत भाइके रीस्तेदारोसे सोक व्यक्त करता..

अ‍ैसे ही सुबह होगइ.. मंजु कंपलीट होकर चंपाभाभीकी मदद कर रही थी.. ओर देवायत भावना अ‍ेक दुसरेसे चीपककर सोये हुअ‍े थे.. तो कुछ देरके बाद मंजुने दोनोको जगा दीया.. तो भावना सरमा गइ.. ओर जटसे बाथरुममे घुसने लगी.. तो देवायत भी दोडकर जटसे भावनाके साथ बाथरुममे घुस गया.. ओर दरवाजा बंध करलीया.. तो मंजु दोनोको देखकर जोरोसे हसने लगी..

तो भावना देवायतको उनके साथ देखकर सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर हसते हुअ‍े देवायतको बहार जानेकी मनते करने लगी.. ओर अपनी चुचीओपे हाथ रखते हसते हुअ‍े देवायतसे बचनेकी कोसीस करने लगी.. देवाफतने भावनाको अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर उनके होठोको चुमते भावनाके बुब्सके साथ खेलने लगा.. जीसे भावना गरम होने लगी.. ओर मादक सीसकारीया करने लगी..

फीर देवायतने भावनाकी अ‍ेक टांगको उठालीया.. ओर अपना मुसल हथीयार भावनाकी चुतकी गहेराइओमे उतार दीया.. तब भावनाकी आंखोकी पुतलीया.. पलटने लगी.. ओर वो मदहोस होते सीसकारीया करने लगी.. तब देवायत उसे खडे खडे चोदने लगा.. तो भावनाके गलेमे दोनो हाथ डाल दीया.. ओर मदहोस होकर देवायतका साथ देने लगी.. तभी बहारसे मंजुकी आवाज आइ..

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मंजुला : (जोरसे) भावु.. अगर तुम दोनोका खतम होजाये तो चाइ नास्तेके लीये नीचे आजाना..

भावना : (अंदरसे) दीदी.. हम अभी आ रहे हे.. हमारे पतीको कहोनां मुजे छोडदे.. हें..हें..हें..

कहेते सुनक भावना बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर देवायतकी ओर कातील नजरोसे देखते मुस्कुराने लगी.. तो देवायत बडेही जोसमे भावनाको खडे खडे चोदने लगा.. तो भावना भी मजेसे देवायतका साथ देते उनसे चुदवाती रही.. अब भावना देवायतके साथ काफी खुल चुकी थी.. फीर कुछ देरकी चुदाइके बाद देवायत भावनाकी चुतमे खलास होगया.. ओर दोनो नहाकर कंपलीट होकर नीचे आगये..

तो दुसरी ओर धिरेनके घरपे पुनम ओर दया सुबह जल्दीसे जाकर कंपलीट हो गइ थी.. ओर इस वक्त दोनो कीचनमे चाइ नास्ता बना रही थी.. तो उपरकी मंजीलपे धिरेन नींदकी गोलीकी वजहसे अब भी घोडे बेचकर सो रहा था.. उनको पता ही नही चलता था.. की उसे इतनी नींद कैसे आती हे.. तो नीचेकी ओर कीचनमे पुनम ओर दया नास्ता बनाते आपसमे बाते कर रही थी..

पुनम : (मुस्कुराते) दया बहेन.. अब समय मीले तब अच्छेसे सफाइ करलो.. सायद अ‍ेक दो दिनमे आपकी भाइके साथ सादी हे.. हमारे काका को लेकर भाइ ओर दोनो दीदी हमे लेने आयेगे..

दया : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. क्या इतनी जल्दी..? आपको तो सब पता हे.. क्या सचमे सब लोग हमे लेने आयेगे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. वैसे भी अब हमारे घरपे जानेका वक्त आगया हे.. हम तो सीर्फ यहा दो तीन दिनके लीये ही आये हे.. ताकी धिरेनसे अलग हो सके.. सब इतनी जल्दी होगा पता नही था.. देखना नीचे आते ही कैसा हंगामा करता हे.. उसे तो अब कीसी भी हालमे मुजसे छुटकरा चाहीये..

दया : (हसते धीरेसे) दीदी.. मेनेतो हमारे कपडे भी अलमारीमे सेट करदीये थे.. तो क्या मे वापस जानेकी तैयारीया सुरु करदु..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. सब सामान कंपलीट पेक करके रखदो.. पता नही हमे कब यहासे नीकलना पडे.. मेतो लखन भैयासे मीलनेके लीये तरस रही हु.. लगता हे मेरी मंजील अब बहुत करीब हे..

दया : (सरमाते हसते धीरेसे) दीदी.. मेरी भी.. आखीर वो मुजे कील ही जायेगे..

जैसे ही धिरेन जागकर कंपलीट होकर नीचे आया तो पुनमने बीना कुछ कहे चुपचाप टेबलपे चाइ नास्ता रखदीया.. ओर वापस कीचनमे चली गइ.. तब धिरेन उसे देखता ही रहा.. फीर डाइनींगपे बैठकर चाइ नास्ता करने लगा.. तभी पुनम गरम पराठा लेकर वापस आइ.. ओर बीना कुछ कहे ओर बीना सामने देखे धिरेनकी थालीमे पराठा रखकर जाने लगी.. तो धिरेन अकडने लगा..

ओर उसने पुनमका हाथ पकड लीया.. तो पुनमने रुकते अपना हाथ जटकते छुडालीया.. ओर धिरेनकी ओर गुस्सेल नजरोसे देखने लगी.. तो धिरेन पुनमका ये रुप दुखकर पुनमका हाथ छोड देता हे.. तभी दया दोनोकी बहेस सुनकर कीचनसे अपने मोबाइलपे दोनोका जगडा सुट करने लगी.. तभी..

धिरेन : (जोरोसे चीलाते) पुनो.. क्या तकलीफ हे तुजे..? कुछ बोल क्यु नही रही..? मे कलसे तुमसे बात करनेकी कोसीस कर रहा हु.. ओर तुम होकी कुछ बोलती ही नही.. तेरा प्रोबलेम क्या हे..? मुजसे बात करनां..

पुनम : (गुस्सेसे सामने देखते) प्रोबलेम..? क्या आपको पता नही क्या प्रोबलेम हे..? मे आपसे क्या बात करु..? हंम..? (जोरोसे चीलाते) क्या बात करु..? बोलोनां..? बात करनेके लीये कुछ बचा ही क्या हे.. धिरेन.. आजके बाद मुजसे कभी बात मत करना.. समजे..?

धिरेन : (जोरसे बोलते) ठीक हे.. तो फीर आजसे हम दोनोका रीस्ता भी खतम.. मे नही रहेना चाहता तेरे साथ.. मुजे छोडके चली क्यु नही जाती..?
 

dilavar

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पुनम : (गुस्सेसे देखते) हां.. आखीर अपने दिलकी बात जुबापे आही गइ.. क्यु..? अयासीया करो आप.. ओर छोडके भी मे जाउ..? मे आपको छोडके क्यु जाउ..? मैने तो आपको कुछ भी नही कहा.. मुजे पता हे आप मुजे क्यु छोडना चाहते हे.. ताकी वो नीलुके साथ सहेरमे सादी कर सको..

धिरेन : (सकपाते) क्या.. क्या बक रही हो तुम..? कीसने कहा तुजे..? अ‍ैसा कुछ भी नही हे.. तुम अपना पाप छुपानेके लीये उल्टा मुजपे जुठा इल्जाम लगा रही हो..

पुनम : (पास आते जोरोसे) मेरा पाप..? धिरेन.. तुम कहेना क्या चाहते हो..? साफ साफ बताओ.. आज फैसला हो ही जाये.. बताओ.. वरना आपकी सब करतुत मे भाभीको बता दुगी..

धिरेन : (आपा खोते) सट अप.. मां की धमकी मत दो मुजे.. मे उनसे डरता नही हु समजी..? हां जाके बतादो.. मे नीलुसे सादी करना चाहता हु.. ओर तुजे डिवोर्स देना चाहता हु.. मुजे नही रहेना तेरे साथ..

पुनम : (गुस्सेसे) धिरेन.. मुजे भी तेरे साथ रहेनेका कोइ सौक नही हे.. समजे..? लेकीन मे इतनी आसानीसे आपको छोडने वाली नही हु.. पहेले ये बताओ.. मेने क्या पाप कीया हे.. वरना मे अभी सचमे भाभीको कोल करके बताती हु..

धिरेन : (गुस्सेसे) क्या बताओगी..? मेरे मुहसे सुना चाहती हो..? तो सुन.. मुजे तुमपे सक हे.. अरे सक क्या..? मानोनां पुरा यकीन हे.. की तुम कीसी ओरसे प्यार करती हो.. तभी तो इतने दिन मायकेमे पडी रहेती हो.. ताकी अपने यारसे मील सको.. ओर सायद ये बच्चा भी मेरा नही हे.. ये भी तेरे यारका होगा.. जो तुम मेरे पले बांध रही हो.. जा जीसे कहेना हो कहेदो.. ओर मांको भी सब बता देना.. की धिरेनने मुजे ये कहा हे..

पुनम : (आंसु बहाते) धिरेन.. तुम कीतने कमीने हो.. कमसे कम इस बच्चेके बारेमे तो सोचा.. अपनी अयासीओके लीये तुम मुजपे ही इल्जाम लगा रहे हो..?

धिरेन : (गुस्सेसे देखते) हां.. लगा रहा हु.. ओर यही सच हे.. जा.. जाकर बतादे मांको.. की मे नीलुसे सादी कर रहा हु.. वो तेरी बातोपे कभी यकीन नही करेगी.. क्या सबुत हे तेरे पास.. की मे नीलुसे सादी करना चाहता हु..

पुनम : (सांत लहेजेमे) धिरेन.. कीतना घटीया इन्सान हो तुम.. तुमने मुजपे इतना बडा इल्जाम लगाया..? आपको सक हेनां..? तो सुनो.. हां ये सच हे.. मे कीसी ओरको प्यार करती हु.. ओर ये बच्चा भी उसीका हे.. तुम जैसे नामर्दका नही.. समजे..? तुमसे जो हो सके करलो.. लेकीन इसके लीये सबको आपको सबुत देना पडेगा.. जो मेरे पास हे.. (फोन दिखाते) सबुत चाहीयेनां आपको..? येलो.. देखलो अपनी करतुत..

कहेते पुनमने अपने हाथोमे ही मोबाइल रखते धिरेन नीलमकी होस्टल वाली क्लीप दीखाइ.. तो धिरेनके पैरो तले जमीन खीसक गइ.. फीर पुनमने पायल वाली क्लीप दीखाइ.. जीसे दयाने कल ही सुट कीया था.. जीसे देखते धिरेनने अपना माथा पकड लीया.. ओर वो जटसे उपरके रुममे चला गया.. फीर कुछ देरके बाद कुछ पेपर लेकर नीचे आगया.. ओर पुनमकी ओर फेंकते कहा..

धिरेन : (गुस्सेसे) अच्छा हुआ तुजे सब पता चल गया.. येलो.. हमारे डिवोर्सके पेपर हे.. इनपे तुम साइन करदो.. सीर्फ इतना बतादो.. ये नीलुकी क्लीप तेरे पास कहासे आइ..? बस..

पुनम : (कातील मुस्कानसे) क्यु.. देखकर फट गइ..? हंम..? मत भुलो मे वहा होस्टेलमे रेह चुकी हु.. वहाके सीसी केमेराकी लींक मेरे मोबाइलपे हे.. मे जब चाहु वहाका सभी केमेरा देख सकती हु.. मत भुलो.. यहाकी मेडम मेरी बेस्ट फ्रेन्ड हे.. जो अब मेरी भाभी हे.. हां.. लखन भैयाने कुछ दिन पहेले ही उनसे सादी करली हे.. तो ये क्लीप लेना मेरे लीये कोइ मुस्कील काम नही हे..

धिरेन : (थोडा सांत लहेजेमे संकासे) कही ये क्लीप लखन भैयाने तो नही दी..? लेकीन मुजे इनसे कोइ मतलब नही.. की ये तेरे पास कहासे आइ.. तुम बस.. इनपे साइन करदो..

पुनम : (फीकी मुस्कानसे) लखन भैयातो बेचारे इतने भोले हे.. इसेतो इस क्लीपके बारेमे पता भी नही.. रही बात साइनकी.. तो करदुगी.. जरुर करदुगी.. साइन करनेकी इतनी भी क्या जल्दी हे..? पहेले भाभी ओर नीर्मला आंटीको तो आने दो.. अ‍ेक दो दिनमे आजायेगी.. इनको भी अपने सपुतकी करतुतका पता तो चले.. की इनका सपुत अकेलेमे क्या अयासीया करते हे..

धिरेन : (फीकी मुस्कानसे) अच्छा मे अयासीया करता हु..? पता हे अयासी कीसे कहेते हे..? जाकर देखो अपने खानदानमे की अयासीया क्या होती हे.. बडे भाइने तीन तीन सादीया करली.. ओर ना जाने बहार भी कीतनी ओरतोके साथ उनका रीलेशन होगा.. मेरी मांको भी नही छोडा.. उपर.. यही बीस्तरपे वो उनकी सादीसे पहेले ठोकने आते थे.. ओर वो रंडीने भी नाजाने उनमे क्या देख लीया था.. उनको देखकर पागल होजाती थी.. ओर उसे यही बुलाकर उनसे मजेसे चुदवाती थी..

पुनम : (जोरोसे चीलाते) ओ.. सटाप.. बंध कर कुते अपनी बकवास.. पता हे तु कीसके बारेमे बोल रहा हे..? अरे वो मां हे तेरी.. जो दोनो अ‍ेक दुसरेको प्यार करते थे.. ओर सादीकी हे आपसमे.. तेरी तराह अयासीया नही समजे.. अब तो भाभी ओर नीर्मला आंटीको बताना ही पडेगाकी आपका लाडला आपके बारेमे क्या सोच रखता हे..

धिरेन : (थोडा गुस्सेसे) इनमे मम्मी ओर मौसीको बीचमे क्यु लाती हो..? ये कहोना.. तुजे हमारी ये प्रोपर्टी चाहीये.. ठीक हे.. मील जायेगी.. मुजे इस प्रोर्पटीमे कोइ इन्ट्रेस नही हे.. लेलो सब.. बस तुम साइन करदो.. मुजे तुमसे ओर कोइ बात नही करनी..

पुनम : (फीकी मुस्कानसे) धिरेन.. मुजे नही चाहीये आपकी कोइ प्रोर्पटी.. आप मुजे जीस प्रोर्पटीकी लालाच दे रहे होनां.. इनसे ज्यादा तो हमने अपने मजदुरोको रहेनेके लीये दे रखी हे.. जाओ जाओ.. ये लालच कीसी ओरको देना.. नीलुसे सादी करना चाहते होनां.. तो करलो सादी.. क्या फर्क पडता हे.. अ‍ेक बार सादी तो करलो.. फीर नीलुको भी पता चल जायेगा.. की इनका कीस नामर्द पतीके साथ पाला पडा हे.. वो दो दिनमे भाग जाती हेकी नही..

धिरेन : (गुस्ससे हाथ उठाते रुक गया जोरोसे चीलाते) पुनो.. अब तो हद होगइ.. तुजे मेरी मर्दांगीपे सक हेनां.. देख लेना.. नीलु कीतने मेरे बच्चा पैदा करती हे..

पुनम : (जोरोसे चीलाते) हां हां.. देखलुगी.. कैसे बच्चे पैदा करते हो.. पहेले बीवीसे ठीकसे प्यार (चोदना) करनातो सीखलो.. की कैसे प्यार कीया जाता हे.. फीर बच्चे पैदा करना..

इतना ताना सुनते ही धिरेन गुस्सेसे आग बबुला होगया.. ओर अपने पेपर लेकर अपनी जोबपे सहेरकी ओर नीकल गया.. तो पुनमके चहेरेपे कातील स्माइल आगइ.. ओर वो खुस होतेकीचनमे चली गइ.. तो दया भी हसते हुअ‍े पुनमके गले लग गइ.. क्युकी अब पुनमका धिरेनसे अलग होनेका रास्ता साफ हो गया था.. फीर दयाने पुनमको दोनोके जगडेकी क्लीप दीखाइ.. तो पुनम दयाकी समजदारीपे बहुत खुस होगइ.. पुनम यही तो चाहती थी..

तो दुसरी ओर सहेरमे भी लखनके घरपे सबलोग बहुत देरसे जागे.. सबसे पहेले लता जागी तो उसने अपने आपको पुरी नंगी सृतीसे चीपकते पाया.. तो वो सरमसे पानी पानी होगइ.. उसे कल रातका पुरा वाकया याद आने लगा.. ओर वो जटसे अपने कपडे पहेनकर सृतीको जगाकर अपने रुममे चली गइ.. तो लखन घोडे बेचके सो रहा था.. लताको लखनको देखकर हसी आगइ.. ओर वो बाथरुममे घुस गइ..

तो सृती भी जागके आंख मलते बेडपे बैठ गइ.. तो खुदको पुरी तराह नंगा पाया.. तो वो जटसे गाउन पहेनने लगी.. ओर बाथरुमकी ओर जाने लगी.. तभी उसे अचानक याद आया.. ओर वो टेबलके ड्रोअरसे प्रेगनन्सी टेस्टकी कीट नीकालकर बाथरुममे चली गइ.. ओर कीटको नीचे रखकर उनके उपर पीसाब करते टेस्ट करने लगी.. जब रीजल्ट उभरके आया तब सृतीकी खुसीका कोइ ठीकाना नही रहा.. क्युकी टेस्ट पोजीटीव आया था..

तो नीचेकी ओर नीलु रातमे जागनेकी वजहसे अभी भी सो रही थी.. तो रमाकी हालत अबभी बहुत खराब थी.. रातमे बडी मुस्कीलसे अपना नाइट ड्रेस पहेना था.. जो अभी वो भी घोडे बेचकर गहेरी नींद सो रही थी.. कुछ देरके बाद लता ओर सृती कंपलीट होकर नीचे आगइ.. तो रजीया घरका काम कर रही थी.. तो सृतीने लताको रमाके रुमकी ओर नैन नचाते इसारा कीया.. तो लता हसते हुअ‍े रमाके रुममे चली गइ.. तभी....

कन्टीन्यु
 
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