सृती : (मुस्कुराते) मोम.. मुजे मेरी मांका मीन्स.. आपका दुध पीना हे..
मंजुला : (मुस्कुराते ब्रा नीकालते) ले मेरी बच्ची.. पीले.. आज अपनी ये इच्छा भी पुरी करले.. देखना मेरे दुधमे बहुत ताकत हे.. फीर तु बहुत कामी होजायेगी.. तेरे पतीके बीना नही रेह पाओगी..
सृती : (मुस्कुराते बुब्सकी ओर मुह लेजाते) मोम.. मे भाइके बीना रहेना भी नही चाहती.. चाहे कुछ भी हो.. मुजे आपका दुध पीना हे.. क्या पुनो दीदीको पीलाया हे..?
मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. उसी दिन जब उनको भी मेरा परीचय करवाया था.. तभी तो वो इतनी कामी हे.. जो उनको सम्हालनेके लीये धिरेनके बसका काम नही था.. तभी तो उसे लखनसे मीलवा रही हु.. ओर उसे बहुत कुछ देना हे.. जो मेरे पोतेके लीये होगा.. ले पीले मेरा दुध..
कहातो सृती मंजुकी गोदमे सर रख देती हे.. ओर अपना मुह मंजुके बुब्सपे लगा लीया.. वो अेक छोटी बच्चीकी तराह मंजुका दुध पीने लगी.. जैसे जैसे वो मंजुका दुध पी रही थी.. उसे अपना पीछला जन्म याद आने लगा.. ओर साथ ही साथ उनकी काम शक्ति भी बढने लगी.. सृती अपने आपको अेक कवारी लढकीकी तराह महेसुस करने लगी.. मंजु ये सब जान बुजके कर रही थी.. जो कभी यही काम शक्ति उसने पुनमको शक्तिया देते बढाइ थी..
इस रात सृतीके कमरेमे देर रात तीन बजे तक लेस्बीयनका खेल चला.. जो दोनोने अपनी चुतको आपसमे रगडते अेक दुसरेको संतुस्ट कीया.. फीर मंजुने सृतीको उनके कपडे पहेना दीये ओर खुदने भी पहेन लीये.. फीर दोनो अेक ही बीस्तरपे सो गइ.. मंजुने सृतीके हाथ ओर पैरका बहुत खयाल रखा.. सृतीको ताजुब हुआकी इतना कुछ करनेके बावजुद उनके हाथ पैरमे दर्द क्यु नही हुआ..?
क्युकी अेक अनजान शक्तिकी वजहसे सृतीके हाथ पैरमे जटसे रीकवरी होने लगी थी.. लेकीन उसने इस बारेमे मंजुको कुछभी नही पुछा.. क्युकी उनको यकीन हो गयाथा की मंजु कुछ भी कर सकती हे.. फीर दोनो गहेरी नींद सो गइ.. सृतीको सीर्फ यही सपने आने लगे.. जो उसने कभी मालतीके रुपमे अपने भाइ बबलुके साथ कइ राते रंगीन की थी.. तब अेक बार फीर सृतीकी चुत लखनके लीये फडफडाने लगी..
तो दुसरी ओर पुनमको भी सब पता चल गयाकी सृतीको उनके पीछले जन्मकी पहेचान करवादी गइ हे.. आज उनके साथ पहेली बार विजय सो रहा था.. पुनमको पता थाकी विजय कैसे सोयेगा.. वो विजयको थोडी देर तो अेक नजरसे देखती रही.. वो जानती थीकी विजय भी कामका अंस हे.. फीर धीरेसे अपना टोप उचा करते अपनी ब्राको भी उठालीया.. ओर विजयके मुहमे अपने बुब्सकी नीपलको देदी.. तो विजय उनको चुसने लगा..
जैसे जैसे विजय पुनमके बुब्सको चुमने लगा.. पुनमके मनमे अेक नसा छाने लगा.. वो अपनी आंखोकी पुतलीया पलटते मदहोस होने लगी.. ओर अेक हाथ नीचेकी ओर लेजाते अपने नीकरमे हाथ घुसा देती हे.. ओर दो उंगलीसे अपनी चुतको रगडने लगी.. तब उनके मनमे सीर्फ लखनका खयाल ही आ रहा था.. ओर वो धीरेसे मनमे बडबडाते चुतमे उगलीको अंदर बहार करने लगी.. ओर स्खलीत होगइ..
अैसे ही रात बीत गइ.. आज सुबहका सुरज कुछ अलगही दीख रहा था.. जैसे उनको भी पता होगया हो.. की आजसे कइ लोगोकी जींदगी बदलने वाली हे.. आज अेक नइ सुरुआत होने जा रही थी.. सुबह सबलोग थोडा देरसे जागे.. लेकीन चंदा अब भी गुमसुम बैठी थी.. मंजुने उनको नहेलाया फीर कंपलीट करवाके चाइ नास्ता दीया.. ओर दवाइ पीलादी..
अब चंदा सांत हो चुकी थी.. वो बस बैठी रही.. उनका कीसीभी बातमे मन नही लग रहा था.. तभी राधीकाने उनकी मम्मीको तो रजीयाने सृती को भी कंपलीट करवाके चाइ नास्ता करवा दीया.. फीर सबलोग कंपलीट होकर आगये तो सब चाइ नास्ता करने बैठ गये.. आज देवायत मंजु सबलोग जाने वाले थे.. तो राधीकाको भी अपने घरपे जाना था.. तो उसने धीरेसे मंजुकी ओर देखते बातको छेडदी..
राधीका : (सरमाते धीरेसे) भाभीमां.. मे सोच रही थी अब मम्मी भी काफी ठीक हो गइ हे.. ओर हमारी होस्टेलपे भी कोइ नही हे.. तो सोच रही हु अब मे भी घरपे चली जाउ..
मंजुला : (मुस्कुराते) राधु.. ये बात तो तुम अपने पतीको भी केह चुकी हो.. फीर भी सुनना चाहती होतो सुन.. अब यही तेरा ससुराल हे.. तुम यहीसे अपनी होस्टेल आती जाती रहेना.. क्या हेनां.. वहा तेरे घरपे तो तेरी मम्मी अकेली होगी.. ओर वहा रजु.. नीलु.. सब हे.. तो उनको भी अच्छा लगेगा.. ओर उनका सबसे बाते करते समय नीकल जायेगा.. ओर उनकी देखभाल भी होती रहेगी.. तो तुजे कही जानेकी जरुरत नही हे..
लखन : (सामने देखकर हसते) सुनलीया..? लो करली भाभीमांसे बात.. हें..हें..हें..
देवायत : (मुस्कुराते) हां राधीका.. तुम अब यही रहोगी.. ओर सुनो.. वहा अपने घरपे सब सामान अक रुममे रखकर लोकर करदो.. ओर घरको कीरायेपे देदो.. बाकी यहा छे छे रुम हे.. तो फीकर करनेकी जरुरत नही हे..
नीर्मला (हसते) ले.. अब तो तेरे जेठजीका भी ओर्डर आ गया.. तो तुजे कही जानेकी जरुरत नही हे..
राधीका : (लखनकी ओर सरमाकर देखते हसते) जी मांजी.. लेकीन आज मे होस्टेल जाना चाहती हु..
रजीया : (सरमाते हसते) हां राधु दीदी.. तो सामको जल्दी आजाना.. वरना मुजे ओर नीलुको स्कुटर सीखायेगे कौन..? हें..हें..हें..
राधीका : (मुस्कुराते) हां.. लेकीन अब तो तुम दोनो अकेले चला लेती हो.. मेरी क्या जरुरत हे..? फीर भी जल्दी आजाउगी..
भुमीका : (हसते) क्या.. रजीया ओर नीलु स्कुटर सीख रही हे..? हें..हें..हें..
लखन : (मुस्कुराते) हां आंटी.. अब रोज रोज तो मे दोनोकी सेवा नही करुगानां.. अब मुजे भी हमारी ओफीसपे जाना हे.. मे कीतने दिन नीलुको छोडने लेने जाउगा.. ओर रजुको भी कुछ सब्जी बब्जी लेने जाना होतो अकेली जा सकती हे.. तो हमने अेक स्कुटर लेलीया हे..
मंजुला : (जोरोसे हसते) लखन बेटा.. अब अेक कार भी लेलो.. सृतीने तो उनकी कार ठोकदी हे.. हाथमे तो मामुली चोट हे.. तो कुछ दिनमे वहाका प्लास्टर नीकल जायेगा.. तो वो भी वहा अकेली बोर होजायेगी.. तो कुछ दिन तुजे ही उनको छोडने लेने जाना पडेगा.. क्युकी वहा उनका पेसन्टका भीतो देखना हे..
लखन : (हसते) हां.. अब तो मेरा यही काम रेह गया हे.. ठीक हे.. लेलुगा.. वो.. पुनोदी.. कुछ कारका सजेस कर रही थी.. तो सोचा.. वो यहा आयेगी तो दोनो साथमे ले आयेगे..
नीर्मला : (जोरोसे हसते) हां भइ.. अब तो नइ बीवी कहेगी वोही लेगे.. हें..हें..हें..
कहातो सबलोग लखनकी ओर देखते जोरोसे हसने लगे.. तो लखन भी सरमाके हसने लगा.. फीर सब लोगोने चाइ नास्ता करलीया तो सबलोग जानेकी तैयारीया करने लगे.. तभी मंजुने सबसे छुपकर लखनको तीन चार दिनोके बाद पुनम ओर भावना दयाको सादीकी खरीदारी करने यहा भेजनेकी बात कही.. तो लखन सुनकर सरमा गया.. ओर हसने लगा.. जीसे देखकर मंजु भी हसने लगी..