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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४१

फीर वो नहाने चली गइ.. सृती सीर्फ उनको देखती ही रही.. फीर कुछ देरके बाद मंजु अ‍ैसे ही नहाकर बहार नीकली.. सृती उनको देखते ही रेह गइ.. क्युकी मंजु आज कुछ अलग ही लग रही थी.. सृतीने मंजुका अ‍ैसा रुप पहेले कभी नही देखा था.. वो पुरी तराह नंगी थी.. उन्होने अपना बदन भी नही पोछा था.. वो नहाकर सीधी ही नीकली थी.. ओर अ‍ेक लोटेमे जल लेकर सृतीके बेडपे चली गइ.. फीर उसने सृतीको बेडपे बीठा दीया ओर खुद भी उनके सामने सटकर बैठ गइ.... अब आगे

मंजुला : (मुस्कुराते) मेरी बच्ची.. तुजे दो बार लखनको मीलनेका मौका मीला था.. पता हे तुम ओर लखन आगे क्यु नही बढ पा रहे थे..?

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) नही मोम..

मंजुला : (मुस्कुराते) क्युकी तुम अभी तक मेरे देवुके बंधनमे बंधी थी.. तुजे दोनो बार गील्टी फील हुइ हे.. की मे मेरे पतीको धोखा दे रही हु.. क्या ये सच हेनां..?

सृती : (नजरे जुकाते धीरेसे) येस मोम.. आपकी बात सही हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) मेरी बच्ची.. सुन.. तुमने वहासे जाते वक्त अ‍ेक काम अच्छा कीया.. की तुमने तेरा मंगलसुत्र तोडकर देवुके हाथमे थमा दीया.. तब ही तुम मेरे देवुसे आजाद होगइ थी.. अब अगली बार मेरे बेटेसे मीलनेमे तुजे कोइ संकोच नही होगा.. अब तुम ओर पुनो सीर्फ मेरे लखनकी सुहागन होगी.. अब उनके नामका ही मंगल सुत्र पहेनोगी.. उन्हीके नामका अपनी मांगमे सीदुर लगाओगी.. चल अपने सभी कपडे नीकालदे..

सृती : (सरमाकर कपडे नीकालते मुस्कुराते) जी मोम.. जैसा आप कहे.. क्या ये जरुरी हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) हां सृती.. तभी तो मे तेरे अंदरके कामको जगा सकुगी.. क्युकी तुम अ‍ेक बार मेरा ये रुप देखलोगी तो फीर तेरे अंदरका काम जाग जायेगा.. ओर तु बहुत कामी होजायेगी.. फीर देखती हु.. तुम कीतने दिनो तक मेरे लखनसे दुर रेह सकती हो..

सृती : (सरमाते मुस्कुराते) जी मोम.. नीकालती हु..

जब सृती भी नंगी होगइ तब मंजुने थोडासा जल अपने हाथोमे लेलीया.. ओर आंख बंध करते कुछ मंत्र मनमे बोलने लगी.. तो सृती मंजुकी हर मुवमेन्टको देखती रही.. जैसे उनके वसमे होगइ हो.. वो मंजुको बीना पलको जुकाये थोडी देर देखती रही.. तभी अनायास ही उनकी आंखे भारी होने लगी.. तो वोभी आंख बंध करके मंजुके सामने बैठ गइ.. फीर जैसे ही जलको सृतीके उपर छीडका सृतीको तनमे अ‍ेक जटका लगा..

ओर वो अपना होस गवां चुकी.. अ‍ैसे ही मंत्रमुघ्त होते अ‍ेक नजरसे मंजुको देखती रही.. उसे मंजुके अंदर अ‍ेक दिव्य प्रकाश दिखने लगा.. ओर धीरे धीरे करते मंजुका असली रुप सृतीको दिखने लगा.. फीर अचानक मंजुने सृतीका हाथ पकड लीया.. तो सृतीको अ‍ेक जटका ओर लगा.. उनकी आंखोके सामने प्रकाश छा गया.. उसे कुछ दिखाइ नही दे रहा था..

फीर कुछ देरके बाद धीरे धीरे प्रकाश कम होता गया.. ओर सृतीको मंजुका पुर्ण नग्न स्वरुप दीखाइ दिया.. जो उसने पुनमको दिखाया था.. मंजु पुर्ण रुपसे नंगी थी.. मंजुके तनमे दस भुजाये थी.. उनके कठोर ओर लचीले बुब्स उनकी कामुक्तामे चार चांद लगा रहे थे.. उनकी दोनो आंखे मनमोहक थी.. जो कीसी भी पुरुषको अ‍ेक ही बार देखते उनके अपने वसमे करने काफी थी..

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मंजुकी नाजुक बदाम जैसी चुत अंदर बहार होते फडफडा रही थी.. मंजुका रुप बहुत ही कामुक दिख रहा था.. जैसे वो कोइ रतीका रुप हो.. मंजुका ये रुप देखकर सृतीके अंदरका काम जाग गया.. सृतीकी चुत भी ये सब देखते फडफडाने लगी.. ओर चुतसे लगातार पानी बहेने लगा.. सृती बहुत ही कामातुर होने लगी.. उनको अपनी चुत फडफडाते महेसुस होने लगी.. तभी..

मंजुला : (मुस्कुराते) देखले बच्ची.. मे ही तेरी मां हु.. सबकी जननी.. मेरी योनीसे ही तुम सबका संसार सुरु होता हे.. ओर यहीसे खतम.. मे ही तुम सभी ओरतोमे काम वासना जगाती रहेती हु.. ओर मेरा स्वामी सभी पुरुषमे.. यही सचाइ हे.. ओर यही हम सबका कर्तव्य हे.. हमे बस हमारे स्वामीकी सीर्फ सेवा करनी हे.. उनको खुस रखना ही हमारा कार्य हे.. तुजे ओर कुछ देखना हे..?

सृती : (मदहोसीमे) मोम... मुजे हमारी जनतका दर्शन भी करादो.. जहा हमारी दुनीया बसी हुइ हे.. जहाकी आप रानी हो.. ओर मेरे पीता जहाके राजा हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. ठीक हे.. देखले.. मे ही सबकी रानी हु.. हमारे स्वामीसे ही मे सबको जन्म देती हु.. तुम सभी मेरे अंस हो.. ओर जीतने भी पुरुष हे मेरे स्वामीके अंस हे.. जो तुम सभी परीया ओर अप्सराओका दाइत्व हे.. की हमारे सभी अंसोको योन सुख प्रदान करो.. इसीसे हमारी दुनीया चलती हे..

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सृती : (मदहोसीमे) मोम.. मुजे भाइको देखना हे.. मेरा बबलु.. कैसा दिखता हे वो..

मंजुला : (आंख बंध रखते धीरेसे) बेटी.. तेरा बबलु तो तेरे पास ही हे.. तु उसे नही पहेचान पाइ.. मेरा लखन ही तो तेरा बबलु हे.. ले देखले उसे भी.. यही उनका असली स्वरुप हे..

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जैसे ही सृतीने बबलुको देखा उनकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. उनको पता नही थाकी लखन ही उनका बबलु हे.. फीर मंजुने सृतीको पुरी परी लोककी परीया दीखाइ जो यहा कीसीना कीसी रुपमे आइ हे.. वहा भी रानी परीके रुपमे उसे मंजु दिखाइ दी.. अब सृतीको पुरा यकीन हो चुका थाकी वो भी परी हे.. ओर उसे मंजु ओर पुनमकी सभी बातोमे सचाइ नजर आने लगी.. ओर मंजुने सृतीका हाथ छोड दीया..
 

dilavar

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सृतीको धीरे धीरे होस आने लगा.. होंस आते ही उनको अकेसास हुआ की कोइ उनके दोनो स्तनोके साथ खेल रहा हे.. जैसे जैसे उनके स्तनोपे हाथ घुमने लगा सृतीको अ‍ेक नया जोस ओर नसा छाने लगा.. वो आंख बंध करके इस पलको अ‍ेन्जोय करने लगी.. फीर अचानक पीछे मुह करके देखा तो मंजु मुस्कुराते सृतीके पीछेसे उनके बुब्सको मसल रही थी.. जीसे देखकर सृतीकी हसी नीकल गइ..
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सृती : (सरमाते धीरेसे) मोम.. आखीर तुम अपनी हरकतोसे बाज नही आओगी.. मे बेटी हु तुम्हारी..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. तभी तो मेरी बेटीको प्यारका पाठ सीखा रही हु.. जो अब भुल गइ हे..

सृती : (मुस्कुराते) मोम.. मे कहा भुली हु..? मे प्यार करते आपके पतीसे प्रेगनेन्ट भी.. हो गइ हु..

मंजुला : (मुस्कुराते) बेटी.. अब वो तेरा पती नही हे.. भुलजा इस प्रेगनन्सीको.. जो अ‍ेक छलावा हे.. तब मेरे बबलुकी गलती थी.. जो वो भटक गया था.. इसीलीये तुम ओर मेरा मंदमकीनी भी तो भटक गइ थी.. जो तुमने उस राजाको अपनालीया था.. मेरे बबलुसे धोखा देकर उस राजासे प्रेगनेन्ट हुइ थीनां..? ओर इस जन्ममे भी तुमने वो ही गलती की.. तुम मेरे स्वामीकी नही.. मेरे बेटे बबलुकी बीवी हो..

सृती : (मुस्कुराते सरमाते) मोम.. तुम्ही तो हो.. जो हमारा जीवन चलाती हो.. तो फीर क्यु हमे आपके पतीके पास भेज दीया..? मंदाकीनीने भी तो वही कीया था..

मंजुला : (मुस्कुराते) बेटी.. मानाकी हम सबके जीवन चलाते हे.. लेकीन तुम सबकी कामनाके आगे हब दोनो आपकी इच्छा पुरी करनेके लीये वीवस हे.. तो फीर तुम ही क्यु अ‍ैसी कामना करती हो..? मेरी मंदमकीनीतो बहुत कुछ जानती थी.. तो वोतो तबही मेरे बबलुको छोड चुकी थी.. जो अब हमेसाके लीये उस राजाकी रानी हो गइ थी..

सृती : (मुस्कुराते) मोम.. आपकी बात समज गइ.. अब हम अ‍ैसी गलती दुबारा कभी नही करेगे.. अब इस बार मे नही भटकुगी.. अब मे मेरे बबलुको पाकर ही रहुगी..

मंजुला : (मुस्कुराते बुब्सको मसलते) तो फीर हर बार मेरे बेटेको डांटकर क्यु भगा देती हो..? क्या वो तेरा भाइ नही हे..? क्या वो तेरा होने वाला पती नही हे..? मेरा लखन ही तेरा बबलु हे..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) मोम.. तब मुजे कहा पता थाकी मेरी मंजील मेरा भाइ हे.. ओर मे लखनको पहेचानती भी तो नही थी.. की यही मेरा बबलु हे.. सोरी मोम.. लेकीन अब मे उस गलतीको दोहराना नही चाहती.. मे अब उसे नही छोडुगी..

मंजुला : (मुस्कुराते आगे आते) हां सृती.. अब उसे छोडना भी मत.. अपनाले मेरे बेटेको.. मे बस इसीलीये तो आज यहा आइ थी.. तुजे तेरी ओर लखनकी पहेचान जो करवानी थी..

सृती : (मंजुसे गले लगते) मोम.. आइ अ‍ेम सोरी.. आज मेरी पढाइका सारा घमंड उतर गया.. मुजे पुरा यकीन होगयाकी हम सब कौन हे.. अब आपको सीकायतका अ‍ेक भी मौका नही मीलेगा.. मे ओर पुनोदीदी हमारे लखनको सम्हाल लेगे.. वो जैसा चाहेगे वैसा मे करुगी.. मोम.. मे मम्मीसे भी कल दुबारा माफी मांग लुगी.. अब मुजे कीसके भी रीलेशनसे कोइ अ‍ेतराज नही.. क्या वो अभी नीर्मला मम्मीके साथ हेनां..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. अभी मेरे पतीके नीचे लेटी हुइ हे.. ओर वो उन दोनोके साथ अपनी रतीक्रीडा मे मस्त हे.. सुन.. अब उनसे माफी मांगनेकी कोइ जरुरत नही हे.. तु अ‍ेक बार तो मांग चुकी हे.. अब भुमी आंटी ओर मम्मी हमेसाके लीये साथ ही रहेगी.. वो दोनो अब मेरी सौतन हे.. ओर कुछ ही दिनमे हमारे वाले घरपे चली जायेगी.. वही भुमी आंटी अपनी बच्चीको जन्म देगी.. बस.. तु ओर पुनो अब सीर्फ लखनपे ध्यान दे..

सृती : (गले लगाते) मोम.. आज मे बहुत.. बहुत खुस हु.. बस आप मेरे लीये कामना करे.. की मुजे मेरा भाइ बबलु जल्द मील जाये.. ओर वो भी हमेसा हमेसाके लीये.. हमारे हर जन्मके लीये..

मंजुला : (सृतीके गलेमे दोनो हाथ डालते) हां मेरी बच्ची.. बस.. तुम थोडीसी कोसीस करो.. मेरा बबलु तुजे बहुत जल्द मील जायेगा..

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फीर दोनो ही अ‍ेक दुसरेको प्यार करने लगी.. आज मंजुने सृतीके सामने बहुत कुछ राज खोल दीया था.. उसने सरला काकीसे लेकर चंपाकाकी तक सबके बारेमे बतादीया.. इन सोर्ट मंजुने सृतीको बता दीयाकी इस घरके मर्दके साथ जीनका भी रीलेशन हे वो सभी यातो परीया हे या फीर अप्सराये.. ओर इतनी ओरतोको सम्हालनेके लीये अभी सीर्फ दो मर्द ही हे.. अ‍ेक देवायत.. ओर दुसरा बबलु..

तो वो दोनो भाइके कीसी भी रीलेशनसे कोइ अ‍ेतराज ना करे.. ओर सृती मंजुकी सभी बाते अच्छी तराह समज गइ.. अब सृतीका लखनके बारेमे सोचने ओर देखनेका नजरीया भी बदल चुका था.. वो अब लखनको अपने पतीके रुपमे देखने लगी.. जो कभी उस जमानेमे उनका भाइ था.. अ‍ेक प्रेमी था.. ओर दोनोने उनकी सादीसे पहेले ही कइ रात रंगीन की थी.. तभी सृतीने मंजुका दुध पीनेकी इच्छा प्रगटकी..

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dilavar

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सृती : (मुस्कुराते) मोम.. मुजे मेरी मांका मीन्स.. आपका दुध पीना हे..

मंजुला : (मुस्कुराते ब्रा नीकालते) ले मेरी बच्ची.. पीले.. आज अपनी ये इच्छा भी पुरी करले.. देखना मेरे दुधमे बहुत ताकत हे.. फीर तु बहुत कामी होजायेगी.. तेरे पतीके बीना नही रेह पाओगी..

सृती : (मुस्कुराते बुब्सकी ओर मुह लेजाते) मोम.. मे भाइके बीना रहेना भी नही चाहती.. चाहे कुछ भी हो.. मुजे आपका दुध पीना हे.. क्या पुनो दीदीको पीलाया हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. उसी दिन जब उनको भी मेरा परीचय करवाया था.. तभी तो वो इतनी कामी हे.. जो उनको सम्हालनेके लीये धिरेनके बसका काम नही था.. तभी तो उसे लखनसे मीलवा रही हु.. ओर उसे बहुत कुछ देना हे.. जो मेरे पोतेके लीये होगा.. ले पीले मेरा दुध..

कहातो सृती मंजुकी गोदमे सर रख देती हे.. ओर अपना मुह मंजुके बुब्सपे लगा लीया.. वो अ‍ेक छोटी बच्चीकी तराह मंजुका दुध पीने लगी.. जैसे जैसे वो मंजुका दुध पी रही थी.. उसे अपना पीछला जन्म याद आने लगा.. ओर साथ ही साथ उनकी काम शक्ति भी बढने लगी.. सृती अपने आपको अ‍ेक कवारी लढकीकी तराह महेसुस करने लगी.. मंजु ये सब जान बुजके कर रही थी.. जो कभी यही काम शक्ति उसने पुनमको शक्तिया देते बढाइ थी..

इस रात सृतीके कमरेमे देर रात तीन बजे तक लेस्बीयनका खेल चला.. जो दोनोने अपनी चुतको आपसमे रगडते अ‍ेक दुसरेको संतुस्ट कीया.. फीर मंजुने सृतीको उनके कपडे पहेना दीये ओर खुदने भी पहेन लीये.. फीर दोनो अ‍ेक ही बीस्तरपे सो गइ.. मंजुने सृतीके हाथ ओर पैरका बहुत खयाल रखा.. सृतीको ताजुब हुआकी इतना कुछ करनेके बावजुद उनके हाथ पैरमे दर्द क्यु नही हुआ..?

क्युकी अ‍ेक अनजान शक्तिकी वजहसे सृतीके हाथ पैरमे जटसे रीकवरी होने लगी थी.. लेकीन उसने इस बारेमे मंजुको कुछभी नही पुछा.. क्युकी उनको यकीन हो गयाथा की मंजु कुछ भी कर सकती हे.. फीर दोनो गहेरी नींद सो गइ.. सृतीको सीर्फ यही सपने आने लगे.. जो उसने कभी मालतीके रुपमे अपने भाइ बबलुके साथ कइ राते रंगीन की थी.. तब अ‍ेक बार फीर सृतीकी चुत लखनके लीये फडफडाने लगी..

तो दुसरी ओर पुनमको भी सब पता चल गयाकी सृतीको उनके पीछले जन्मकी पहेचान करवादी गइ हे.. आज उनके साथ पहेली बार विजय सो रहा था.. पुनमको पता थाकी विजय कैसे सोयेगा.. वो विजयको थोडी देर तो अ‍ेक नजरसे देखती रही.. वो जानती थीकी विजय भी कामका अंस हे.. फीर धीरेसे अपना टोप उचा करते अपनी ब्राको भी उठालीया.. ओर विजयके मुहमे अपने बुब्सकी नीपलको देदी.. तो विजय उनको चुसने लगा..

जैसे जैसे विजय पुनमके बुब्सको चुमने लगा.. पुनमके मनमे अ‍ेक नसा छाने लगा.. वो अपनी आंखोकी पुतलीया पलटते मदहोस होने लगी.. ओर अ‍ेक हाथ नीचेकी ओर लेजाते अपने नीकरमे हाथ घुसा देती हे.. ओर दो उंगलीसे अपनी चुतको रगडने लगी.. तब उनके मनमे सीर्फ लखनका खयाल ही आ रहा था.. ओर वो धीरेसे मनमे बडबडाते चुतमे उगलीको अंदर बहार करने लगी.. ओर स्खलीत होगइ..

अ‍ैसे ही रात बीत गइ.. आज सुबहका सुरज कुछ अलगही दीख रहा था.. जैसे उनको भी पता होगया हो.. की आजसे कइ लोगोकी जींदगी बदलने वाली हे.. आज अ‍ेक नइ सुरुआत होने जा रही थी.. सुबह सबलोग थोडा देरसे जागे.. लेकीन चंदा अब भी गुमसुम बैठी थी.. मंजुने उनको नहेलाया फीर कंपलीट करवाके चाइ नास्ता दीया.. ओर दवाइ पीलादी..

अब चंदा सांत हो चुकी थी.. वो बस बैठी रही.. उनका कीसीभी बातमे मन नही लग रहा था.. तभी राधीकाने उनकी मम्मीको तो रजीयाने सृती को भी कंपलीट करवाके चाइ नास्ता करवा दीया.. फीर सबलोग कंपलीट होकर आगये तो सब चाइ नास्ता करने बैठ गये.. आज देवायत मंजु सबलोग जाने वाले थे.. तो राधीकाको भी अपने घरपे जाना था.. तो उसने धीरेसे मंजुकी ओर देखते बातको छेडदी..

राधीका : (सरमाते धीरेसे) भाभीमां.. मे सोच रही थी अब मम्मी भी काफी ठीक हो गइ हे.. ओर हमारी होस्टेलपे भी कोइ नही हे.. तो सोच रही हु अब मे भी घरपे चली जाउ..

मंजुला : (मुस्कुराते) राधु.. ये बात तो तुम अपने पतीको भी केह चुकी हो.. फीर भी सुनना चाहती होतो सुन.. अब यही तेरा ससुराल हे.. तुम यहीसे अपनी होस्टेल आती जाती रहेना.. क्या हेनां.. वहा तेरे घरपे तो तेरी मम्मी अकेली होगी.. ओर वहा रजु.. नीलु.. सब हे.. तो उनको भी अच्छा लगेगा.. ओर उनका सबसे बाते करते समय नीकल जायेगा.. ओर उनकी देखभाल भी होती रहेगी.. तो तुजे कही जानेकी जरुरत नही हे..

लखन : (सामने देखकर हसते) सुनलीया..? लो करली भाभीमांसे बात.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) हां राधीका.. तुम अब यही रहोगी.. ओर सुनो.. वहा अपने घरपे सब सामान अक रुममे रखकर लोकर करदो.. ओर घरको कीरायेपे देदो.. बाकी यहा छे छे रुम हे.. तो फीकर करनेकी जरुरत नही हे..

नीर्मला (हसते) ले.. अब तो तेरे जेठजीका भी ओर्डर आ गया.. तो तुजे कही जानेकी जरुरत नही हे..

राधीका : (लखनकी ओर सरमाकर देखते हसते) जी मांजी.. लेकीन आज मे होस्टेल जाना चाहती हु..

रजीया : (सरमाते हसते) हां राधु दीदी.. तो सामको जल्दी आजाना.. वरना मुजे ओर नीलुको स्कुटर सीखायेगे कौन..? हें..हें..हें..

राधीका : (मुस्कुराते) हां.. लेकीन अब तो तुम दोनो अकेले चला लेती हो.. मेरी क्या जरुरत हे..? फीर भी जल्दी आजाउगी..

भुमीका : (हसते) क्या.. रजीया ओर नीलु स्कुटर सीख रही हे..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) हां आंटी.. अब रोज रोज तो मे दोनोकी सेवा नही करुगानां.. अब मुजे भी हमारी ओफीसपे जाना हे.. मे कीतने दिन नीलुको छोडने लेने जाउगा.. ओर रजुको भी कुछ सब्जी बब्जी लेने जाना होतो अकेली जा सकती हे.. तो हमने अ‍ेक स्कुटर लेलीया हे..

मंजुला : (जोरोसे हसते) लखन बेटा.. अब अ‍ेक कार भी लेलो.. सृतीने तो उनकी कार ठोकदी हे.. हाथमे तो मामुली चोट हे.. तो कुछ दिनमे वहाका प्लास्टर नीकल जायेगा.. तो वो भी वहा अकेली बोर होजायेगी.. तो कुछ दिन तुजे ही उनको छोडने लेने जाना पडेगा.. क्युकी वहा उनका पेसन्टका भीतो देखना हे..

लखन : (हसते) हां.. अब तो मेरा यही काम रेह गया हे.. ठीक हे.. लेलुगा.. वो.. पुनोदी.. कुछ कारका सजेस कर रही थी.. तो सोचा.. वो यहा आयेगी तो दोनो साथमे ले आयेगे..

नीर्मला : (जोरोसे हसते) हां भइ.. अब तो नइ बीवी कहेगी वोही लेगे.. हें..हें..हें..

कहातो सबलोग लखनकी ओर देखते जोरोसे हसने लगे.. तो लखन भी सरमाके हसने लगा.. फीर सब लोगोने चाइ नास्ता करलीया तो सबलोग जानेकी तैयारीया करने लगे.. तभी मंजुने सबसे छुपकर लखनको तीन चार दिनोके बाद पुनम ओर भावना दयाको सादीकी खरीदारी करने यहा भेजनेकी बात कही.. तो लखन सुनकर सरमा गया.. ओर हसने लगा.. जीसे देखकर मंजु भी हसने लगी..
 

dilavar

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फीर मंजु नीर्मला भुमीका अ‍ेक बार सृतीको मीलकर नीचे आ गये.. तो इस बार चंदाने भी सृतीका हाल चाल पुछ लीया.. फीर देवायत सब लोगोको लेकर वापस गांवकी ओर नीकल गया.. लखन राधीका ओर रजीया सबको विदाय देकर घरमे आगये.. तभी लखनने नीलमको अकेलेमे मीलकर अपने पेपर्स साथमे लेनेको कहा.. तो नीलम सबकुछ समज गइ.. ओर उसने अपने सभी डोक्युमेन्ट साथमे लेलीये..

फीर लखन राधीका ओर नीलमको अ‍ेक ही स्कुटरपे बीठाकर उनको होस्टेल स्कुलपे छोडने चला गया.. पहेले राधीकाको होस्टेलपे ड्रोप करके वो नीलमको स्कुल छोडकर वापस घरपे आ गया.. तो घरपे सीर्फ रजीया ओर लखनही थे.. अभी रजीया सृतीके पास थी.. जो दोनो लखनका इन्तजार कर रही थी.. जैसे ही लखन घरपे आया तो रजीयाने लखनको आवाज देकर उपर बुला लीया..

लखन : (सृतीके रुममे जाते) हां रजु.. बोल क्या काम था..?

रजीया : (धीरेसे सरमाते) लखन.. आप सृती दीदीको बाथरुममे बीठादोनां.. बाकी मे सब देख लुगी.. फीर जब कहु.. तो उनको वापस बेडपे लेआना..

लखन : (जोरोसे हसते) क्या दीदीको पोटी जाना हे..? हें..हें..हें.. तो इनमे इतना सरमा क्यु रही हो..?

सृती : (सर्मसार होते हसते तकीया फेककर मारते जोरोसे) लखन.. आप होनां.. बहुत कमीने हो.. सरम भी नही आती.. हां.. पोटी जाना हे.. ओर कुछ..?

लखन : (तकीयासे बचते जोरोसे हसते) हां तो इनमे इतना चीला क्यु रही हो.. सबको लगती हे.. हें..हें..हें..

कहेते लखन आकर सृतीको गोदमे उठा लेता हे.. तो सृती जुठा गुस्सा करते अपने दांतको पीसते लखनको मुका मारने लगी.. फीरभी लखन हसते हुअ‍े उनको बाथरुममे लेजाकर कमोडपे बीठा देता हे.. तो रजीया भी हसते हुअ‍े अंदर आजाती हे.. ओर लखनकी पीठमे अ‍ेक मुका मारते उनको बहार भगा देती हे.. जब सृती पोटी करलेती हे.. तो रजीया सृतीकी मदद करती हे..

ओर उनके कपडे सही करते लखनको बुलाती हे.. फीर लखन उनको वापस बेडपे बीठा देता हे.. तब सृती सरमाकर हसते सीर्फ लखनको ही देखती रहेती हे.. तभी रजीया दोनोको बाते करनेको कहेकर नीचे काम करने चली जाती हे.. तो लखन भी जाने लगता हे तो आज सृतीने हिंमत करते लखनका हाथ पकडलीया.. ओर कामुक नजरोसे देखते हाथ खीचकर अपने पास बीठा देती हे.. लखन उनकी आंखोमे देखता रहा..

सृती : (सर्मसार होते नजरे जुकाते धीरेसे) भाइ.. अ‍ैसे क्या देख रहे हो..? मुजे सरम आ रही हे..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. कुछ काम था..? वरना मुजे बहार जाना हे..

सृती : (सरमाते मुस्कुराते) भाइ.. क्या दो घडी अपनी इस बहेनके पास बैठ भी नही सकते..? सारा दिन सबकी सेवामे लगे रहेते हो.. अगर आप नही आते तो पता नही मेरा क्या होता.. अच्छा हुआ आपको पुनो दीदीने वहा भेज दीया.. मेने तो सोचा था आप नही आओगे..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. आपने अ‍ैसा सोचा भी कैसे..? में कैसे नही आता..? पहेले तो आप भाभी थी.. लेकीन अब तो हम दोनोका खुनका रीस्ता हे.. आप मेरी बहेन हो.. मेरी पुनो दीदीकी तराह.. तो मुजे आना ही था..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आप पुनोदीदीको बहुत प्यार करते हो..? मे भी तो आपकी बहेन हु..

लखन : (अ‍ेक नजरसे देखते) दीदी.. प्यार तो मे आपसे भी करता हु.. आप अ‍ैसा क्यु सोच रही हे..?

सृती : (आंख गीली करते) भाइ.. उस दिनके लीये सोरी.. गलती मेरी थी.. मेने आपको खामखा डांट दीया.. अब तो पुनोदी भी आपसे सादी करलेगी.. भाइ.. मुजे आपसे कुछ कहेना हे..

लखन : (अ‍ेक नजरसे आंखोमे देखते मुस्कुराते) पता हे मुजे.. की आपको क्या कहेना हे..

सृती : (सरमाते धीरेसे मुस्कुराते) क्या..? आपको पता हे मे क्या कहेने वाली हु..?

लखन : (अ‍ेक नजरसे देखते) हां..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) भाइ.. कहीये नां मे आपको क्या कहेने वाली थी..?

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. केह तो दुगा.. फीर आप मुजे डांटोगीतो नही..? हें..हें..हें..

सृती : (आंख गीली करते) नही भाइ.. अब मे वो सृती नही रही.. पुरानी सृतीको मेने बीती रात ही मार दीया.. ये सृती आपकी बहेन हे.. जो आपको बेइम्तहा प्यार करती हे.. अब मे आपको कभी नही डाटुंगी.. कहीयेना मे आपको क्या कहेने वाली थी..

लखन : (मुस्कुराते) बस दीदी.. यही जो अभी आपने कहा.. आइ लव यु.. क्या यही कहेने वाली थीनां..?

सृती : (आंखसे आंसु गीराते हां मे गरदन हीलाते) हां भाइ.. आइ लव यु सो मच.. पुनो दीदीकी तराह मे भी आपसे प्यार करने लगी हु.. मेरा प्यार कबुल करलो भाइ.. अब तो आपकी भाभीमाने भी परमीशन देदी हे..

लखन : (सृतीके आंसु पोछते प्यार भरी अ‍ेक नजरोसे देखते) ......

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) भाइ.. क्या देख रहे हो..? अ‍ैसे ना देखो.. मुजे सरम आ रही हे..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. मेरी होने वाली बीवीको अपनी आंखोमे बसालेने दो.. आइ लव यु टु.. क्या पुनोदीकी तराह आप भी मुजसे सादी करना चाहती होनां..?

सृती : (जोरोसे बाहोमे समाते) हां भाइ.. मे आपसे सादी करुगी.. आइ लव यु .. आइ लव यु सो मच..

इतना कहेते ही सृती लखनकी बाहोमे समा जाती हे.. ओर फुटफुटके रोने लगती हे.. तब लखन मुस्कुराते सृतीकी पीठ सहेलाने लगता हे.. सृती लखनके कंधेपे सर रखते अ‍ैसे ही बैठी रही.. फीर लखनने उनको अपने आपसे अलग कीया.. तो सृती लखनकी आंखोमे देखती रही.. लखनने उनके चहेरेको अपनी हथेलीओमे थाम लीया.. ओर धीरे धीरे करते अपना चहेरा सृतीके होठोकी ओर लेजाने लगा..

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dilavar

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सृतीने अपनी दोनो आंखे बंध करली.. ओर लखनने सृतीके होठोपे अपना होंठ रखदीया.. तो सृती सरसे पांव तक हील गइ.. उनके तनमे अ‍ेक बीजलीसी लहेर दोडके चली गइ.. ओर उसने अ‍ेक हाथ लखनकी गरदनमे डाल दीया ओर लखनके होठोको चुमने लगी.. आखीर सृतीको लखन मील ही गया.. अचानक सृती लखनसे जोरोसे लीपट गइ.. दोनो काफी देर अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे रहे.. तभी..

सृती : (लखनसे अलग होते धीरेसे) भाइ.. सीर्फ इतनीसी बात कहेने आपने बहुत देर करदी.. मेतो ये सब्द सुननेके लीये कबसे तरस रही थी.. भाइ.. आइ लव यु.. मुजे कभी मत छोडना..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. तुम जल्दीसे ठीक होजाओ.. तब हम सादी कर लेगे.. मे बहुत खुस नसीब हु.. जो आज मुजे मेरी दोनो बहेने मील गइ हे..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. भाभीमांने भी हमे सादी करलेनेको कहा हे.. कहेती थी दोनो कीसी मंदिरमे जाकर सादी करलेना.. अ‍ैसा मुजे कहेकर गइ हे..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. क्या आप भी उसे भाभीमां कहेती हो..? कोइ खास वजह..?

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) हां भाइ.. पीछली रातमे बहुत कुछ बदल गया हे.. पता हे आप पुनोदी ओर मे कौन हे..? भाभीमां मुजे अपनी ओर हमारी पहेचान करवाके गइ हे..

लखन : (मुस्कुराते) हां दीदी.. मेरा ओर पुनोदीका तो पता हे लेकीन आपके बारेमे नही जानता.. बतादो आप कौन हो..

सृती : (सरमाकर मुस््कुराते) भाइ.. मुजे पता हे आप पीछले जन्मके बबलु हो.. ओर पुनो दीदी वोही आपकी पीयु हे.. लेकीन पता हे मे कोन हु..? भाइ.. मे तब भी आपकी बडी बहेन थी.. ओर आज भी आपकी बडी बहेन हु.. आपकी मालती.. जो तब भी आपको बहुत प्यार करती थी.. ओर आज भी आपको बहुत प्यार करती हु.. भाइ.. मेही वो मालती हु.. जो अपने भाइकी बीवी थी..

लखन : (मनमे खुस होते बाहोमे भरते) दीदी.. क्या आप मालती हो..? ये सब आपको भाभीमांने बताया..?

सृती : (कंधेपे सर रखते मुस्कुराते) हां भाइ.. हमारी भाभीमां ही हमारी मां थी.. इसीलीये मे उनको आजसे मां कहेती हु.. भाइ.. वो हमारी भाभीमां नही हमारी मां हे..

लखन : (अलग होते आंखोमे देखकर मुस्कुराते) हां दीदी.. अब जल्दही वो आपकी सासुमां भी होजायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते मुस्कुराते) हां भाइ.. वो तब भी पहेले मेरी मां थी ओर बादमे सासुमा होगइ थी.. मे इस दिनका इन्तजार करुगी.. सब रीस्ते कीतनी जल्दी बदल गये.. पता ही नही चला..

लखन : (खडा होते) दीदी.. अब आप आराम करो.. मुजे ओफीस भी जाना हे.. हम सामको बात करेगे..

कहेते लखन सृतीके होठोको चुमते वहासे नीकल गया तो सृती बहुत ही सरमाइ.. ओर मनमे बहुत खुस होते फोन उठालेती हे.. ओर पुनमसे बाते करने लगती हे.. फीर बातो ही बातोमे पुनमको बता दीयाकी वो ओर लखन अ‍ेक दुसरेके प्यारको कबुल कर चुके हे जीसे सुनकर पुनम भी बहुत खुस होजाती हे.. फीर सृतीने रातमे मंजुके साथ हुइ घटनाके बारेमे भी बात करलेती हे.. हालाकी पुनमको सबकुछ पता था.. फीर भी वो सृतीकी खुसीके लीये उनकी बाते सुनती रही....

कन्टीन्यु
 
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