लता : (आस्चर्यसे देखते) जानु.. क्या केह रहे हे आप..? ये कमीनी अपनी हरकोते बाज नही आयेगी.. कुतीयाको बहुत आग लगी हुइ हे.. स्कुलके पहेले ही दिन चुदवाकर आगइ.. पता नही हम नीलुको तीन साल तक कैसे सम्हालेगे.. लेकीन दोनो मीले कैसे..? नीलुका फोन तो मेरे पास हे..
लखन : लता.. आज कल कीसीका कोन्टेक्ट करना कोइ मुस्कील काम नही हे.. लगता हे उसने अपनी दोस्तके फोनसे कोन्टेक्ट कीया होगा.. क्युकी धिरेन जब घरपे आया था तब ही उसने नीलुको अपना फोन नंबर देदीया होगा..
लता : (थोडी चीन्तासे) जानु.. भैया ओर भाभीने नीलुकी जीम्वेवारी हमे दी हे.. पता नही हम नीलुको तीन साल कैसे सम्हालेगे..
लखन : (मुस्कुराते) सुन.. अब हमे नीलुको सम्हालनेकी जरुरत नही हे.. अब हमे नीलुको धिरेनसे मीलनेमे नही रोकना.. क्युकी अैसा खुद पुनो दीदीने कहा हे..
लता : (आस्चर्यसे देखते) क्या अैसा दीदीने खुद कहा हे..? लेकीन क्यु..?
लखन : हां लता.. सुन.. पुनो दीदी सबकुछ जानती हे.. वो मुजे बता रही थी.. की हम नीलुको रोकनेकी कीतनी भी कोसीस करले.. फीर भी वो धिरेनसे सादी करके ही रहेगी.. तो पुनोदीदी इसीको जरीया बनाके धिरेनसे अलग होना चाहती हे.. ताकी वो जल्दसे जल्द वापस हवेलीपे आजाये.. तु समज गइनां..?
लता : (धीरेसे) अरे हां.. जानु.. इस बारेमे तो मेरी भी पुनो दीदीसे अेक बार बात हुइ थी.. ठीक हे.. अब आप जैसा पुनो दीदी कहे करते जाइअे.. अब हमे नीलुकी परवाह नही करनी.. जो करे करनेदो उसे..
लखन : (मुस्कुराते) लता.. तुम भी मुजसे कुछ बात करने वाली थी.. बताना क्या बात करनी थी..
लता : (सामने देखकर मुस्कुराते धीरेसे) अरे हां जानुं.. मेने सुना हे.. आज कल आप दोनो भाइ बहेन बोलते नही हो..? दोनोके बीच कुछ अन बन चल रही हे..? ओर ये अन बन कीसलीये हे वो भी मुजे पता हे.. तो जानु.. प्लीज.. आप अेक बार पुनोदीदीको माफ करदो.. ओर ये बहेन हे आपकी.. उनसे अेक बार बात करलो.. आपके लीये वो बहुत रोइ हे.. प्लीज.. मेरी खातीर..
लखन : (मुस्कुराते) अच्छा.. तो सृती भाभीने तुजे सब बता दीया.. लता.. सोरी.. पता नही क्यु.. उस दिन हम मस्तीया कर रहे थे.. तो मे थोडा बहेक गया था.. तो पुनोदीदीने मुजे चांटा मार दीया.. ओर कुछ नही..
लता : (जोरोसे हसते) अच्छा कीया उसने.. हें..हें..हें.. अगर मे होती तो आपको डंडेसे पीटती.. हें..हें..हें.. लेकीन जानु.. पता हे.. आपको चाटा मारते ही उसे अपनी गलतीका अहेसास होगया था.. फीर वो खुब रोइ.. आपसे बात करनेके लीये बहुत तरसी.. लेकीन अेक आप हो.. उनके सामने देखते भी नही.. जानु.. आपके जानेके बाद वहा मंजुदीदी आइ थी.. उसने पुनोदीदी ओर सृती भाभीको खुब खरी खोटी सुनाइ.. क्युकी पुनो दीदीको भी पता हे.. आगे क्या होने वाला हे.. फीर भी उसने आपसे बात छुपाइ..
लखन : (थोडा सोचमे) लता.. क्या मुजे सचमे सबके साथ रीलेशनमे आना होगा..? क्या ये सब गलत तो नही हेनां..? क्युकी सब मेरी भाभीया हे.. तो मुजे भी अेक डर लग रहा हे..
लता : (थोडी सही बैठते) लखन.. आप मेरी अेक बात सुनो.. भुल जाओ हमारे घरकी ओरते आपकी क्या लगती हे.. अब हमारे खानदानमे सीर्फ अेक ही रीस्ता होगा.. ओर वो हे अेक मर्द ओर अेक ओरतका रीस्ता.. क्युकी दीदी केह रही थी हम सब कोइ सामान्य मानवी नही हे.. बस.. आप सीर्फ इतना याद रखना.. ओर हां.. भुल जाओ अब पुनोदीदी आपकी बहेन हे.. ओर मे आपकी बीवी हु.. सीर्फ इतना याद रखो.. वो आपका पहेला प्यार हे..
लखन : (आंख गीली करते) लता.. बस.. यही तो नही भुल पा रहा.. बडी मुस्कीलसे उनको भाभी मानने लगा था.. ओर उसने चाटा मारकर अहेसास करवा दीया.. की वो मेरी बहेन ही हे..
लता : (मुस्कुराते) नही लखन.. कभी कभी जल्दबाजीमे बीना सोचे समजे गलती हो जाती हे.. तो क्या इनको इतनी बढी सजा दोगे..? आप फीकर मत करो.. उसने आपके साथ सभी तराहके रीलेशनको स्वीकार करलीया हे.. तो आप उसे माफ करदो.. ओर बाय चान्स वो सब अब भी स्वीकार नही करती.. तो मे आपसे वादा करती हु.. की मे भाइका खयाल हमेसा हमेसाके लीये छोड दुगी..
लखन : (आस्चर्यसे सामने देखते) लता.. ये तुम क्या बोल रही हो..? जीस तराह पुनोदीदी मेरा पहेला प्यार हे.. उसी तराह बडे भैया भी तेरा पहेला प्यार हे.. मे तो खामखा तुम दोनोके बीच आ गया..
लता : (मुस्कुराते) हां लखन.. जानती हुमे.. मे सच केह रही हु.. मे भाइके सामने कभी देखुगी भी नही.. आइ प्रोमीस.. सीर्फ अेक बार माफ करदो उसे.. ओर बात करलो.. मुजे पुरा यकीन हे.. आपकी जींदगी बदल जायेगी.. ओर हां.. अब उल्टा पुल्टा सोचना छोडदो.. जैसा पुनोदीदी कहे करते जाओ.. क्युकी आने वाले समयमे अब सीर्फ पुनो दीदी ही इस हवेलीकी महारानी हे.. ओर इस घरके सभी मर्द राजा.. आप समज गयेनां..
लखन : (सरमाकर मुस्कुराते) हंम.. हां समज गया.. ठीक हे.. मे टाइम मीलेगा तब फुरसतमे पुनोदीदीसे बात करलुगा..
लता : (खुस होकर होठ चुमते) जानु.. थेन्कयु.. चलो इसी बातपे आपको अेक ओर खुस खबरी सुनाती हु.. ओर हां.. अभी इस बारेमे कीसीसे बात मत करना.. क्युकी पकातो हमे कल ही पता चलेगा.. जानु.. आज सृती भाभीको उल्टीया हुइ हे.. हें..हें..हें..
लखन : (मुस्कुराते) अरे.. तो इसमे इतना खुस होनेकी क्या बात हे..? वो तो हम स्कुटर लेने गये थे तब भी इनको उल्टीया हुइ थी.. सायद उनकी तबीयत थोडी ठीक नही हे..
लता : (मुस्कुराते सरपे टपली मारते) अरे बुध्धु.. तबीयत तो बीलकुल ठीक हे.. आप समजे नही..? इसका मतलब सृती भाभी सायद प्रेगनेन्ट होगइ हे.. अब पका तो कल टेस्टके बाद ही पता चलगा.. हें..हें..हें.. सुनो.. कल आपको भाभीके साथ दीखाने जाना हे..
लखन : (खुस होते हसते) क्या..? भाभी प्रेगनेन्ट हे..? थेन्क्स गोड.. अब तो मे दो दो बच्चेका चाचा हो गया हु.. हें..हें..हें.. लता.. कास हमारा भी कोइ बच्चा पैदा होता.. मेने कीतनी कोसीसकी.. लेकीन ना तुम प्रेगनेन्ट हो पाइ.. ओर ना ही रजीया.. क्या मे कभी बाप नही बन सकता..?