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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३५

बहार सब बाते कर रही थी.. तब धीरे धीरे भावना लता भी पुनमके रुममे चली गइ.. ओर भावना अपनी बच्चीको दुध पीलाने लगी.. लता भावनाको देवायतके बारेमे कुछ पुछना चाहती थी.. जो पुछनेसे हीचकीचा रही थी.. तो दुसरी ओर पुनम अब भी चंदाके कंधेपे सर रखते बैठी थी.. ओर चंदा विजयको दुध पीलाते पुनमके सरपे हाथ घुमा रही थी.. आखीर उनसे रहा नही गया.. ओर पुछ ही लीया.... अब आगे

चंदा : (आंख गीली करते) दीदी.. मुजे माफ करदो.. आखीर वो कीस लडकीसे प्यार करता था..? आपको तो सब पता ही होगा..

पुनम : (सही बैठते जुठ बोलते) भाभी.. पता नही.. केह रहेथे वो सहेरमे रहेती हे.. भाभी.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? धिरेन अगर उन लडकीसे सादी भी करलेतानां.. फीर भी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही था.. आपको तो पता हे हमारे खानदानमे भी मर्द कीतनी सादीया करते हे.. मुजे उस लडकीसे कोइ अ‍ेतराज नही था.. लेकीन उसने मेरे ओर आपके चरीत्रके बारेमे गलत बोला.. मेरे बच्चेके बारेमे गलत बोला.. जो अभी इस दुनीयामे आया भी नही..

चंदा : (आंसु बहाते) दीदी.. मुजे माफ करदो.. ये सब मेरी वजहसे हुआ हे.. आप मुजे खुलकर बताइअ‍े.. धिरेनने आपको क्या बोला..

पुनम : (आंख गीली करते) भाभी.. इसने मुजे चरीत्रहिन कहा.. कहेता था.. तेरा चकर मायकेमे कही चल रहा हे.. तभी तो मायकेमे पडी रहेती हो.. ओर ये बच्चा भी तेरे उन यारका होगा.. जीनके साथ तुमने मुह काला कीया हे.. उनके साथ मुह काला करते उनका पाप मेरे गले डाल रही हो.. ओर आपको तो पता हे.. मे यहा कीसलीये रुकी थी.. भाभी.. वो मेरे साथ रहेना ही नही चाहते थे.. तो मेने साइन कर दीया..

चंदा : (आंसु बहाते) दीदी.. धिरेनने बहुत बडी गलती करदी.. मे उसे कभी माफ नही करुगी.. पता नही अब मे देवुसे भी कैसे नजरे मीलाउगी.. मुजे बार बार याद आता रहेगा..

पुनम : भाभी.. इस बारेमे दोनो भैयाको सब कुछ पता हे.. वो आपको कुछ नही कहेगे.. आप अपने दिमागसे ये बात नीकालदो.. हमे आपसे कोइ गीला सीकवा नही.. ओर हां.. मेने धिरेनको वो साइन वाला पेपर नही दिया.. कहाथा जब भाभी आजायेगी.. तब सबकी हाजरीमे दे दुगी..

चंदा : (गाल सहेलाते) दीदी.. ये आपने सही कीया.. आनेदो उस कुतेको.. मे उनकी मार मारके चमडी उखाढ दुगी..

पुनम : (सही बेठते) नही भाभी.. आपको मेरी कसम.. आप उसे कुछ मत कहीयेगा.. माफ करदीजीये उनको.. दे देजीये उनको पेपर.. अब मुजे अ‍ैसे आदमीके साथ नही रहेना..

चंदा : दीदी.. मे कीतनी खुस नसीब हु.. जो आप जैसा परीवार मुजे मीला.. आप लोग कीतने विसाल र्हदयके हो.. आपके साथ इतना कुछ हो गया.. फीर भी उसे माफ करनेके लीये केह रही हो.. मुजसे इतनी बडी बात मुजे भुलनेके लीये केह रहे हो.. क्या ये बात कोइ इतनी आसानीसे भुल सकता हे..?

पुनम : (मुस्कुराते हग करते) भाभी.. आपको भुलना ही होगा.. मेरे खातीर.. आप मेरी प्यारी भाभी हो.. क्या अपनी ननंदकी इतनीसी बात नही मानोगी..? वरना मे आपसे बात नही करुगी..

चंदा : (जोरोसे बाहोमे भीचते) अरे नही नही.. दीदी.. आप अ‍ैसा मत बोलीये.. अगर आप मेरे साथ नही बोलोगी तो मे धुट धुटके मर जाउगी.. अ‍ैसा कभी मत करना.. मे आपसे बहुत प्यार करती हु.. ठीक हे.. देखना अब जो भी करना हे मे करुगी.. उस कुतेको अब फुटी कोडी भी नही मीलेगी.. मे सबकुछ आपके नाम करदुगी..

पुनम : (जटसे अलग होते) नही भाभी.. मुजे कुछ भी नही चाहीये.. सबकुछ उनको दे दीजीये..

चंदा : (मुस्कुराते) ठीक हे.. वो सब मे बादमे देख लुगी.. की मुजे क्या करना हे..

घरपे इतना कुछ हो गया.. लखन ओर देवायत अब भी जवेरीलालके घरपे थे.. वहा भी सीर्फ घरके लोग ही रहे गये थे.. जवेरीलाल अपने घरका बटवारा देवायत ओर पंचायत सदस्योकी हाजरीमे ही नीपटा देना चाहता था.. रमेश भोजन पंडालमे सब समेटने लगा.. लखन ओर उनके दोस्तो श्रीधर जयश्री आज सादी थी.. तो सभी दोस्तो सुहागरातकी तैयारीया करनेमे जुट गये..

जवेरीलाल देवायत ओर पंचायतके दो ओर सदस्यको लेकर अपने घरमे चले गये.. ओर सबलोग होलमे आकर बेठ गये.. जवेरीलालने ब्रीन्दा वृंन्दा ओर जीतुलालाको भी बुला लीया.. तो आज ब्रीन्दाने श्रीधर ओर जयश्रीको भी अपने साथ रखा.. ओर जवेरीलालने ब्रीन्दाको घरके कागजात ओर श्रीधरके बीजनेसमे पार्टनरके रुपमे कागजात सोपे.. ओर पंचोके सामने घरका बटवारा करदीया..

तो जीतुलालने भी मौकेका फायदा उठाकर डीवोर्स पेपरपे ब्रीन्दाकी साइन करवाली.. ओर दोनो अलग हो गये.. तभी वृन्दाने कोइ बडा तीर मारलीया हो.. अ‍ैसे ब्र्रीन्दाके सामने देखकर कातील स्माइल करने लगी.. तो ब्र्रीन्दा भी वृन्दाकी ओर देखते अ‍ेक रहस्यमइ स्माइल करने लगी.. वृन्दाको पता नही थाकी ब्रीन्दाने जीतुलालके साथ क्या कांड करदीया था.. ओर उनके मनमे कीतने खतरनाक मनसुबे जन्म ले चुके थे..
 

dilavar

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फीर सबलोग अपने अपने घरकी ओर नीकल गये.. देवायत भी लखनको जल्दी घर आनेको कहेकर घरपे चला गया.. तो लखनके सभी दोस्त काम नीपटाकर श्रीधर जयश्रीकी टांग खीचाइ करने लगे.. फीर श्रीधरको छोडकर सभी दोस्तो चोराहेपे जाकर बैठ गये.. ओर जीतुलाल वृन्दाके चकरके बारेमे चर्चा करने लगे.. फीर लखनने साहीलसे बात करके उनके चाचा चाचीको गांवमे लानेकी आगेकी प्लानींग करली..

उस रात श्रीधरने अपनी सुहागरातकी सभी तैयारीया करली थी.. उसने मुनासे कामोतेजककी देसी गोलीया मंगवाकर खाली थी.. ओर इस रात श्रीधर जयश्रीकी पुरी रात चुदाइ करते उनकी अलग अलग पोजीसनमे बजाता रहा.. जयश्रीका अ‍ेक अ‍ेक अंग श्रीधरने तोडके रख दीया.. फीर भी श्रीधर जयश्रीको ओर चोदना चाहता था.. जयश्रीने हाथ जोडकर श्रीधरको ओर ना चोदनेकी मनते की..

तो दुसरी ओर आज सांती ओर जागृती जब अपने घरपे गइ.. तब जया दोनोका इन्तजार करते बेठी थी.. जैसे ही दोनोको देखा वो जटसे खडी होगइ.. ओर उनकी आंख गीली होगइ.. तो दोनो उसे देखती ही रही.. तभी जया सांतीका हाथ पकडकर उसे अपने रुममे ले गइ.. तो वहा बेडकी हालत देखकर सांती सबकुछ समज गइ.. ओर जयाकी ओर सवालीया नजरोसे देखने लगी.. तभी..

जया : (आंख पोछते नजरे चुराते) बेटा.. वो.. वो..

सांती : (मुस्कुराते धीरेसे) मम्मी.. जानती हुमे.. क्या रमेश अंकल आये थेनां..? अपने बेडकी चदर तो बदल देती.. देखकर कीसीको भी पता चल जायेगाकी वहा क्या हुआ हे.. कहीये.. क्या केह रहेथे वो..

जया : (धीरेसे) बेटी.. वो.. वो मे चदर बदलना भुल गइ.. सुनो.. कल वो मुजे लेजानेकी बात करने आये थे.. तो कल मे उनके साथ जा रही हु.. बस.. सीर्फ तुजे ही बताना था.. तुम बादमे जागुसे बात करलेना.. क्युकी मे उसे ये सब केह नही पाउगी..

सांती : (मुस्कुराते) नही मम्मी.. आपकी बेटी हे वो.. ओर अब तो वो भी आपको समजने लगी हे.. आपको बरखासे डरनेकी कोइ जरुरत नही हे.. ठहेरो.. मे अभी आपके सामने ही उसे बता देती हु.. (जोरोसे) जागु..

जागृती : (अंदर आते) जी भाभी.. कहीये.. कुछ काम था क्या..? मम्मी.. सब ठीक तो हेनां..?

सांती : (मुस्कुराते) हां सब ठीक ही हे.. सुन.. कल मम्मी ओर रमेश अंकल जा रहे हे.. (जयाकी ओर देखते) मम्मी.. दोनो सुबह कीतने बजे जा रहे हे..

जया : (नजरे जुकाते धीरेसे) जी.. वो.. वो सुबह चार बजे जानेका बोल रहे थे..

जागृती : (जटसे आकर जयाके गले लगते) मम्मी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मेने आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार कीया.. आप आरामसे जाओ.. जीलो अपनी जींदगी.. हमे आपसे कोइ अ‍ेतराज नही हे..

जया : (जोरोसे बाहोमे भरते रोते) बेटी.. मुजे माफ करदे.. मे जीस रास्तेपे चल पडी हु.. वहासे वापस आना मेरे लीये बहुत मुस्कील हे.. मुजे माफ कर देना.. बस.. तुम दोनो मेरे बंसीको सम्हाल लेना..

सांती : (जागृतीकी ओर कातील मुस्कानसे) जी मम्मी.. आप आरामसे जाइअ‍े.. मे ओर जागु दोनो आपके बेटेको सम्हाल लेगी.. क्यु जागु..? हम दोनो उसे अच्छेसे समजा देगी.. वो कुछ नही कहेगे..

जया : (जटसे अलग होते) नही बेटा.. तुम दोनो खयाल रखना.. मेरे जानेकी बात अभी बंसीको मत बताना.. वरना मे जा नही पाउगी.. मेरे जानेके बाद उसे सब बता देना..

जागृती : (मुस्कुराते) ठीक हे मोम.. जैसा आप चाहो.. हम नही बतायेगे भाइको.. बस.. कभी कभी हमसे फोनपे बात करलीया करना..

जया : (प्यारसे गाल सहेलाते) ठीक हे बेटा.. मे तुम सबसे रीस्ता तोडकर थोडीना जा रही हु.. मे तुम दोनोसे बात करलीया करुगी.. अब जाओ दोनो.. सादीमे थक गइ होगी.. तो आराम करलो.. आप दोनो मेरी फीकर मत करना.. मे सुबह चली जाउगी..

कहा तो सांती ओर जागृती दोनो बारी बारी जयाको गले लगा लेती हे.. देर रात बंसीभी घरपे आजाता हे.. तबतक जया भी उनका अपने रुममे इन्तजार करते जाग रही थी.. जब बंसी घरपे आया तो वो दरवाजेके पास छुपकर बंसीको जी भरके देखने लगी.. जब बंसी अपने रुममे चला गया तो जया भी वापस अपने बीस्तपे आजाती हे.. आज जयाकी आंखोसे नींद कोलो दुर थी.. वो सुबह तीन बजे तक करवटे बदती रही.. फीर वो नहाने चली गइ..

तो बंसी भी आज दिनभर जागृती ओर जयाको देखकर बहुत उतेजीत हो चुका था.. तो वो आते ही सांतीकी गुफामे घुसकर धमाका करने लगा.. उसने सांतीको बीना नीचे उतरे ही दो दो बार चोद लीया.. फीर दोनो नंगे ही अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सो गये.. दोनोका लाइव सो देखकर जागृती भी अपनी उंगलीसे अपने आपको सांत करके सो गइ.. जागृती ओर सांतीने दोनोने सोनेसे पहेले चार बजेका अ‍ेलार्म अपने फोनपे सीर्फ वाइबे्रटमे सेट करलीया था..

तो दुसरी ओर आज मुनाने भी दो पहोरको अपनी मां बसंतीको भी घरपे बुलाकर चोद लीया था.. ओर बसंतीकी हालत खराब करदी थी.. तो अभी इस वक्त बसंती भी घोडे बेचकर सो रही थी.. ओर मुना भी बरखाकी दो दो बार धमाकेदार चुदाइ करके उनसे चीपककर सो गया था.. तो आज साहीलने भी अपनी बडी अम्माकी गुफामे दो दो बार जमकर धमाके करलीये.. जो इस वक्त दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे सो रहे थे..
 

dilavar

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तो इधर हवेलीपे भी जब देवायत घरपे आया तब अ‍ेक बार फीर थोडा हंगामा हुआ.. चंदा देवायतसे लीपटकर जोरोसे रोने लगी.. ओर उनकी बार बार माफी मांगने लगी.. मंजुने देवायतको सभी बातोसे अवगत कराया.. तो देवायत भी सबकुछ समज गया.. ओर चंदाको समजाते उसे सब भुलजानेको कहेने लगा.. लेकीन फीर भी चंदा उसे सजा देनेकी बात करते माफी मांगती रही..

फीर सबने बडी मुस्कीलसे चंदाको सांत कीया.. आज उसने खाना भी नही खाया.. ओर विजयको लेकर अपने रुममे चली गइ.. ओर उसे दुध पीलाते गहेरी सोचमे डुब गइ.. उनकी हालत देखकर देवायतकी आंख भी गीली होगइ.. तभी लखन भी घरपे आगया ओर सब लोग डीनर करने बैठ गये.. तो बातो ही बातोमे लखनको भी सबकुछ पता चल गया.. की चंदाकी हालत क्यु खराब हे..

फीर सबलोग होलमे आकर बैठ गये.. तो देवायतने भी जवेरीलालके घरपे जो कुछ हुआ सब बता दीया.. तो लखन पुनमकी ओर कातील स्माइल करते मुस्कुराने लगा.. ओर सबसे छुपकर उनको फोनपे देखनेके बहाने मेसेज टाइप करके भेजता हे.. फीर भी पुनम अपना फोन नही उठाती ओर वो लखनकी ओर देखते मुस्कुराती हे.. फीर खडी होकर अपने रुममे चली जाती हे.. तभी..

नीर्मला : (थोडी चीन्तासे) देवु.. चंदा कैसा पागलपन करती हे.. मुजे तो इनकी बहुत चीन्ता होने लगी हे..

मंजुला : (धीरेसे) देवु.. क्या हम उसे नींदकी गोली देकर सुलादे..? तो सायद सुबह तक सब ठीक होजायेगा.. वो हमारी पुनोकी वजहसे बहुत टेन्सनमे हे.. देखो.. अभी वो कैसे विजयको लेकर अकेली रुममे बैठी हे.. अगर थोडी देर सबके साथ बैठकर बाते करती तो उनका भी मन डावर्ट होता..

देवायत : (थोडा सीरीयस होते) नही मंजु.. मुजे अ‍ैसी गोलीया देना अच्छा नही लगता.. उसे पुनमका ओर खुदके बारेमे सुनकर बडा सदमा लगा हे.. हम धिरेनको भी तो कुछ नही केह सकते..

नीर्मला : (गुस्सेसे सामने देखते) क्यु..? क्यु नही केह सकते..? कीतनी घटीया सोचवाला इन्सान नीकला.. अच्छा हुआ चंदा सादी करके इधर आगइ.. वरना इस आदमीके भरोसे उसे अकेली छोडना ठीक नही हे.. उनकी तो अब सकल देखनेका भी जी नही करता.. मेनेतो उसे अपना बेटा माना था..

लखन : भैया.. मुजे लगता हे वो अब डरके मारे इधर डीवोर्सके पेपर लेनेभी नही आयेगा..

देवायत : (लखनकी ओर देखते) लखन.. अभी पेपर पुनोके पास हेनां..? जा उसे लेकर आ.. हम सुबह जा रहे हे तो साथ लेजायेगे.. तुम उनको बेंकपे जाकर देदेनां.. उसे यहा बुलाना ठीक नही हे.. वरना उनको देखकर चंदाकी हालत ओर बीगड जायेगी..

भुमीका : नीमु.. देवु ठीक केह रहा हे.. लखन बेटा जा अभी पुनम बेटीके पास पेपर लेकर तुम्हारे पास रखले..

लखन : (मनमे खुस होते) जी बुआ..

लखन खुस होते खडा होगया ओर आरामसे चलते पुनमके रुममे चला गया.. क्युकी सबलोग होलमे थे तो उसे पताथा की पुनम इस वक्त अपने रुममे अकेली होगी.. तो इस बहाने उनसे कुछ बात होजायेगी.. वो अंदर गया तो देखा.. पुनम फोनपे मेसेज टाइप कर रही थी.. जैसे ही लखनको देखा उनके दिलकी धडकन तेज होगइ.. ओर वो जटसे बेडसे खडी होगइ.. ओर सरमाने लगी..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) लखन भैया आप..?

जैसे ही पुनम बेडसे उतर गइ ओर लखनको देखकर सरमा गइ तभी लखनने जटसे आकर पुनमको अपनी बाहोमे भरलीया.. ओर उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगा.. पुनम बहुत ही सर्मसार होगइ.. उसे कीसीके आजानेका डर लगने लगा.. ओर लखनकी बाहोसे छुटनेकी नाकाम कोसीस करते..

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लखन : (मुस्कुराते बाहोमे भरते धीरेसे) हां.. मे मेरी गर्ल फ्रेन्डको मीलने आया हु.. सोचा थोडा मीलकर प्यार करलु.. हें..हें..हें..

पुनम : (बाहोसे छुटनेकी कोसीस छोडदी.. सर्मसार होते हसते) छोडीये मुजे.. क्या कर रहे हे..? बहार सबलोग हे.. ओर दरवाजा भी खुला छोडकर आये.. कमसे कम बंध करके तो आते..

लखन : (गालपे कीस करते धीरेसे) अच्छा.. तो अब मेरी गर्लफ्रेन्ड को अपने बोय फ्रेन्डसे प्यार करनेमे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. दीदी.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच..

पुनम : (सर्मसार होते जोरोसे बाहोमे भीचते) भाइ.. आइ लव यु टु.. मे आपसे बहुत बुहत प्यार करती हु.. बस.. थोडे दिन इन्तजार कर लीजीये.. फीर मे वहा आजाउगी.. तब आपको मुजे जीतना प्यार करना हो उतना कर लीजीयेगा.. अब मे सीर्फ आपकी हु.. भाइ.. क्या कुछ काम था..?

लखन : (मुस्कुराते) हां दीदी.. भैयाने आपके वो डीवोर्सके पेपर मंगवाये हे.. तो मुजे दे दीजीये.. मै उस कुतेके मुहपे मारुगा.. ओर देखना उनसे अ‍ैसा बदला लुगा वो जींदगी भर याद रखेगा.. क्युकी उनकी मासुका पुरी तराह मेरे बसमे होगइ हे..

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां भाइ.. मे जानती हु.. आपने उनकी मांके साथ बीलकुल सही कीया.. भाइ.. मे जब वहा आउगी तब मे आपको अ‍ेक बात बताउगी.. आप सुनकर खुस होजायेगे..

मंजुला : (जोरोसे आवाज लगाते) पुनो.. वो लखनको तेरे पेपर दे देनां.. उसे कल लेजाना हे..

पुनम : (जटसे लखनकी बाहोसे छुटते थोडा जोरोसे) जी भाभीमां.. बस.. वो ही दे रही हु.. (धीरेसे) ये भाभीमा भीनां.. उनको सब पता चल जाता हे.. आपसे ठीकसे मीलने भी नही देती..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. कल सुबह मे जा रहा हु.. तो आज देर रात हम उपर.. मीन्स.. मेरे कमरेमे मीले..? हंम..? मे आपका इन्तजार करुगा..

पुनम : (सरमाकर गरदन हांमे मीलाते) हां भाइ.. मे आनेकी पुरी कोसीस करुगी.. लव यु..

ओर पुनम लखनकी बाहोसे छुटकर अपना पेपर बेगसे नीकालकर लखनको देती हे.. पुनमको पता था.. की मंजुने उनको क्यु आवाज देकर लखनसे अलग करदीया.. ताकी दोनो बहेकते आगे ना बढ सके.. मंजुला दोनोको अभी दुर रखते अ‍ेक दुसरेके प्रती प्रेम ओर काम वासनाको बढना चाहती थी.. ताकी दोनो अ‍ेक दुसरेके लीये तडपे.. पुनमने लखनको फटाफट पेपर नीकालकर देदीया..

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ओर जैसे ही लखन जानेको हुआ.. पुनम लखनकी बाहोमे समा गइ.. ओर उनके गालपे कीस करदी.. फीर लखनकी ओर कामुक स्माइल करते हसने लगी.. तो लखन भी मुस्कुराते खुस होकर बहार आ गया.. ओर पेपर देवायतके हाथोमे थमा दीया.. देवायतने पेपर देखकर वापस लखनको देदीया.. ओर उसे अपने पास रखनेको कहते सुबह चार बजे तैयार रहेनेको कहा..
 

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फीर सबलोग अपने अपने रुममे चले गये.. तो मंजुभी देवायतको लेकर अपने रुममे चली गइ.. तो चंदा अ‍ैसे ही ब्लाउस उचा करके बैठी थी.. विजय तो कबका सो चुका था.. तो मंजुने उसे कंधेपे हाथ रखके हीलाया.. तो चंदा हडहबडाती तंद्नासे बहार आगइ.. ओर उनकी आंखसे आंसु नीकलने लगे.. देवायत उनके पास बैठ गया ओर चंदाको अपनी बाहोमे भीचलीया.. तो चंदा देवायतके कंधेपे सर रखके रोने लगी..

ओर मंजुने विजयको उनकी गोदसे लेकर जुलेमे सुला दीया.. तब देवायत चंदाको सांत कते उनके सरको सहेला रहा था.. ओर मंजु दरवाजा लोक करके लाइट बुजाकर बेडपे आकर दोनोके पास बैठ गइ..

मंजुला : (धीरेसे) दीदी.. अब रोना धोना बंध करके सो जाइअ‍े.. आज आपने बहुत रोलीया..

देवायत : हां चंदा.. जो होना था हो गया.. हमे तुमसे कोइ गीला सीकवा नही हे.. तो फीर तुम क्यु अपने आपको दोसी मानती हो..? सायद पुनमकी कीस्मतमे यही लीखा था..

चंदा : (सीनेपे सर रखते) नही देवु.. ना मे आपसे प्यार करती.. ओर ना मे आपसे सादी करती.. तो आज पुनम दीदीको इतनी तकलीफ नही होती.. ये सब मेरे कारण हुआ हे.. वो कमीना भी मुजे अ‍ेक रंडी समजता हे..

मंजुला : (थोडा गुस्सेसे) दीदी.. आप कीस घटीया इन्सानकी बात लेकर बैठ गइ.. अरे छोडोना उसे.. अब आपका बेटा सीर्फ हमारा विजय हे.. बस.. अब इनसे पालीये..

चंदा : मंजुदी.. अब तुम विजयकी चीन्ता मत करो.. अब मेरा सीर्फ अ‍ेक ही बटा हे.. हमारा विजय.. मे उसे पढा लीखाकर अ‍ेक काबील ओर अच्छा इन्सान बनाउगी.. देखना..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. ये हुइनां बात.. चलो अब चेन्ज करलो.. आज हमारे पतीको भी खुस करदो..

चंदा : (सरमाकर मुस्कुराते) नही मंजुदी.. आज मेरा मुड ठीक नही हे.. तुम दोनोही प्यार करलो..

मंजुला : (चंदाको खडी करते) क्या मुड ठीक नही हे..? आपका मुड ठीक करनेके लीये ही केह रही हु.. आप कहेती थीनां मुजे सजा दो.. सजा दो.. तो यही समजलो.. यही आपकी सजा हे..की हमारे पतीको सुबह तक प्यार करते खुस करदो.. हें..हें..हें..

चंदा : (सर्मसार होते धीरेसे) तुम भसनां.. बहुत कीमीनी हो.. कीसी भी बातपे हमे फसा लेती हो.. ठीक हे.. देवु.. आज मुजे इतना प्यार करो.. इतना प्यार करो.. की समजलो मे सचमे अ‍ेक रंडी हु.. मुजे चोद चोदके मेरी हालत बीगाडदो.. सायद यही मेरी सजा हे..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) चंदा ये तुम क्या बोल रही हो..?

मंजुला : (देवायतकी ओर आंख मारते) हां जानु.. दीदी ठीक केह रही हे.. (चंदाकी ओर देखते) दीदी..ये हुइना बात.. जाइअ‍े.. पहेले जेन्च करके आइअ‍े.. अब तो सुबह तक देवुको आपके उपरसे उतरने ही नही दुगी.. हें..हें..हें..

कहातो चंदा सरमाकर हसते मंजुको अ‍ेक मुका मारते बाथरुममे चेन्ज करने चली गइ.. तभी मंजु देवायतके कानमे चंदाको चोद चोदके थका देनेको कहेती हे.. ताकी चंदा थककर सो जाये.. ओर इस रात देवायतने चंदाको बीना नीचे उतरे ही तीन तीन बार धमाकेदार तरीकेसे चोद लीया.. इसी बीच ना जाने चंदा कीतनी बार जडी होगी.. देवायतने चंदाको चोद चोदके उनके अ‍ेक अ‍ेक अंगको तोड दीया..

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चंदा कुछ भी नही बोली.. ओर चुपचाप अपनी सजा मानकर देवायतसे चुदवाती रही.. फीर दोनो ही दो बजे तक चुदाइ करके अ‍ेक दुसरेसे चीपककर सो गये.. तब मंजु ओल रेडी सो गइ थी..

तो दुसरी ओर आज भी लखनकी हालत बीना चुदाइ पतली होगइ थी.. वो अपने रुममे जाकर चेन्ज करके बेडपे आता हे.. ओर अपना मोबाइल देखने लगता हे.. तब उनमे पुनमका मेसेज आकर पडा था..

पुनम : (मेसेज) भैया.. आइ लव यु.. मे आपके पास होते हुअ‍े भी आपको बहुत मीस करती हु..

पढकर लखन मुस्कुराता हे.. ओर फोनपे टाइप करने लगता हे..

लखन : (सेन्ड करते) दीदी.. आप सो गइ क्या..?

पुनम : (कुछ देरके बाद) नही भाइ.. आपने ये कैसी आग लगाइ हे.. आपकी यादोमे जाग रही हु.. कहीये.. नींद नही आ रही हे क्या..?

लखन : (रीप्लाय) नही दीदी.. मेरी भी हालत आपके जैसी हे.. आपकी बहुत याद आ रही हे.. तो नींद कैसे आयेगी..? सुबह तो मे चला जाउगा.. मे आपका यही इन्तजार कर रहा हु.. आइअ‍ेनां..

तभी नीचेकी ओर पुनमके रुममे पुनम ओर लता बैठे बाते कर रही थी.. तो लखनका रीप्लाय मेसेज आगया.. तो पुनम वापस फोन उठाकर देखने लगी.. ओर मेसेज पढकर स्माइल करती हे.. ओर लतासे बाते करते लखनको मेसेज टाइप करते रीप्लाय देने लगी..

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पुनम : (सरारतसे) क्यु..? क्या करेगे मीलकर..? आपको सरम नही आती.. आधी रात अपनी बहेनको अ‍ैसे अकेले अपने रुममे मीलनेका मेसेज भेजकर..

लखन : (मुस्कुराते मेसेज करते) अरे दीदी..? प्लीज.. मीलोनां.. मे मेरी दीदीको नही.. मेरी मासुकाको देखना चाहता हु.. बस.. उनसे थोडा प्यार करना चाहता हु..

पुनम : (सर्मसार होते रीप्लाय देते) भाइ.. बस थोडासा सबर करलो.. यही हाल मेरा हे.. जो अभी आपका हे.. लेकीन अभी हम नही मील सकते.. भाइ.. लता पासमे हे.. जाग रही हे.. आप समज गयेनां..?

लखन : (थोडा गुस्सा होते) दीदी.. वो कमीनी आपके पास हेनां..? देखो अपने पतीको छोडके कैसे मजेसे रेह रही हे.. यहा तो मेरी तकलीफको समजने वाला कोइ हेही नही..

पुनम : (जटसे मेसेज टाइप करते) भाइ.. उनकी भी वोही मजबुरी हे.. जो मेरी हे.. वो आपको नही मील सकती.. ओर मुजे पता हे आपको क्या तकलीफ हे.. भाइ आइ रीयली मीस यु.. बस.. वही डर सता रहा हे..

लखन : (रीप्लाय देते) दीदी.. डरो मत.. हम अ‍ैसा कोइ काम नही करगे.. जो आपको डर हे.. बस.. सीर्फ अ‍ेक कीस.. वो भी आपके गुलाबी ओर गुलाकी पंखडी जैसे होठोपे..

पुनम : (सर्मसार होते लीखते) नही भाइ.. फीर ना आप कंट्रोल करपाओगे.. ना मे.. मे आपके साथ वो हर लह्मा जीना चाहती हु.. जो कभी स्कुल टाइममे हमने कीस कीया.. भाइ.. क्या मेरे वहा आने तक कंट्रोल नही कर सकते..? हंम..

लखन : (रीप्लाय देते) दीदी.. अब आपके भाइने कंट्रोल करना सीखलीया हे.. मुजपे यकीन कीजीये.. मे अ‍ैसा कुछ भी नही करुगा.. जैसा आप सोच रही हे.. भरोसा कीजीये मुजपे..

पुनम : (कुछ देरके बाद) भाइ.. भरोस तो खुदसे भी ज्यादा हे.. लेकीन मुजे खुदपे भरोसा नही हे.. मेभी आपके पास आना चाहती हु.. मे आपके साथ वो सारी हदे पार करना चाहती हु.. जो हमाने मीस कीहे.. लेकीन मत भुलो.. भाभीमांकी नजर सीर्फ हम दोनोपे टीकी हुइ हे.. वो नही चाहती हम दोनो अभी मीले..

लखन : (मेसेज टाइप करते) लेकीन क्यु..? वो अ‍ैसा क्यु कर रही हे..? आपको तो सब पता होगा..

पुनम : (रीप्लाय) भाइ.. वो सब मे अभी आपको नही बता सकती.. मुजे लीखनेमे भी बहुत सरम आ रही हे.. प्लीज.. मान जाओ प्लीज..

लखन : (लीखते) दीदी.. मुजे सीर्फ अ‍ेक बार आपको देखना हे.. प्लीज..

पुनम : (लताकी ओर देखकर टाइप करते) ठीक हे भाइ.. मे उपर आपके कमरेमे तो नही आपाउगी.. लेकीन कुछ देरके बाद आप होलमे आजाओ.. अंधेरेमे सोफेपे बैठना.. इस वक्त होलमे कोइ नही होगा.. अभी लता दीदी सोनेकी तैयारीया कर रही हे.. वो सोजायेगी तब मे आजाउगी.. बाय..
 

dilavar

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कहेते पुनमने फोनको स्वीच ओफ करदीया.. ओर वो भी लाइट बंध करके सोनेका नाटक करने लगी.. पुनमकी दिलकी धडकन तेज चलने लगी थी.. आज वो लखनको मीलनेके लीये बैचेन होने लगी.. ओर वो भी रातके अंधेरेमे अकेली.. कुछ देरके बाद लता गहेरी नींदमे चली गइ.. तो पुनम लताकी ओर देखते धीरेसे बेडसे उतर गइ.. ओर दबे पांव बहारकी ओर जाने लगी.. ओर उसने धीरेसे दरवाजा खोलदीया..

बहार नीकलते ही दरवाजेको बहारसे कुंडी लगाते बंध करदीया.. ओर होलकी ओर चल पडी.. देखा तो लखन वहा पहेलेसेही पुनमका इन्तजार करते बैठा था.. तो पुनम उनको देखतेही अ‍ेक्साइटेड होने लगी.. उनके दिलकी धडकन तेज होगइ.. उनकी चुतकी नाजुक पंखडीया फडफडाने लगी.. पुनम बहुत ही सर्मसार होने लगी.. ओर वो धीरेसे दबे पाव चारो ओर देखते लखनके पास चली गइ.. ओर उनकी बगलमे सर जुकाते बैठ गइ..

1FX5
तो लखनने धीरेसे पुनमका हाथोमे उगलीया फसाली.. जैसे दोनो अक्सर अ‍ेक दुसरेके हाथको पकडते थे.. लखन पुनमकी ओर देखने लगा.. ओर अपने दोनो हाथसे पुनमके चहेरेको अपनी हथेलीमे थाम लीया.. ओर प्यार भरी नजरोसे पुनमकी आंखोमे देखने लगा.. पुनमने सरमाके अपनी नजरे जुकाली.. लखन पुनमके चहेरेको ओर काफी देर तब देखता रहा..
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पुनम लखनकी ओर ढलने लगी.. वो लखनकी ओर प्यार भरी नजरोसे देखने लगी.. आज उसे लखनपे बहुत प्यार आने लगा.. वो भली भांती जानती थी.. की अब उनकी जींदगीमे सीर्फ लखन ही अ‍ेक सहारा हे.. लखनके साथ मीलकर वो सबकुछ करना चाहती थी जो दोनोने स्कुल टाइममे मीस कीया था.. वो मनसे तो चाहती थी की अभी लखन उनके साथ सारी हदे पार करले.. लेकीन इसके लीये पुनमको कुछ ओर दिन इन्तजार करना था.. तभी लखन धीरे धीरे करते पुनमके चहेरेको ओर बढने लगा..
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तो पुनमने सरमके मारे अपनी आंख बंध करली.. ओर उसे अपने होठोपे लखनके गरम होठ महेसुस हुअ‍े.. पुनम अ‍ेक पलके लीये सरसे पांव तक कांप उठी.. ओर उसने उतेजीत होते लखनके गलेके हाथ डालदीया.. तो लखनने भी उनको अपनी बाहोमे भरलीया.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके होठोके रसको पीने लगे.. पुनमके दोनो बुब्स कठोर होते सख्त होगये.. वो मनसे चाहने लगीकी लखन उनको मसलदे..
saqib-saleem
दोनो काफी देर अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमते रहे.. लेकीन लखनने अ‍ेक बार भी पुनमके बुब्सको नही छुआ.. तो पुनम लखनका कंट्रोल देखकर बहुत खुस होगइ.. लेकीन खुद बेकाबु होने लगी.. उनकी चुतसे लगातार पानी बहेने लगा.. ओर पुनमको अपनी पेन्टीपे गीलापन महेसुस हुआ.. तो वो जटसे लखनसे अलग होगइ.. ओर सरमके बारे नजरे जुकाये बैठी रही.. तभी..

लखन : (धीरेसे बाहोमे भरते) दीदी.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच.. थेन्क्स.. मेरे प्यारको कबुल करनेके लीये..

YzYr
पुनम : सोरी भाइ.. मे नादान आपके प्याको समज नही पाइ.. भाइ.. तब आपने थोडीसी हींमत करली होती.. तो आज मे धिरेनके बजाय आपकी बीवी होती.. खैर.. अब भी कुछ नही बीगडा.. अच्छा हुआ सही समयपे धिरेनसे अलग होगइ.. आप फीकर मत करना.. मे वहा आकर आपको इतना प्यार दुगी की आपकी सारी कसर पुरी कर दुगी.. अब ये पुनम आपकी हे..

लखन : (चहेरेको थामते) दीदी.. मे आपका इन्तजार करुगा.. आप वहा कब आ रही हो..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाइ.. बहुत जल्द.. बस.. पहेले हम दोनोको सृती दीदीको सम्हालना होगा.. वो हम सबको छोडकर अपने घरपे चली गइ हे.. तो आपको सुबह जाते ही सृती दीदीको मनाकर वापस हमारे घरपे लाना होगा.. मे उनसे फोनपे बात करलुगी..

लखन : (होंठ चुमते धीरेसे) दीदी.. अब आपके बीना रहेना बहुत मुस्कील होगा.. क्या सृती दीदी मान जायेगी..?

giphy13
पुनम : (खडी होते) भाइ.. अभी बहुत देर होगइ हे.. वो सब मे कल फोनपे आपको बता दुगी.. चलो मे चलती हु.. हम बहुत जल्द वहा मीलेगे.. बाय..

कहेते पुनम जाने लगी.. तो लखनने उनका हाथ पकडलीया ओर खडा होकर अ‍ेक बार फीर पुनमको अपनी बाहोमे भर लीया.. ओर उनके होठोको चुमने लगा.. पुनम अ‍ेक बार फीर सर्मसार होगइ.. ओर लखनकी ओर मुस्कुराते उनकी बाहोसे आजाद होते चली गइ.. लखन उनको जाते हुअ‍े देखता रहा.. तभी पुनमने दरवाजेके पास पलटकर देखा ओर लखनको हसते हुअ‍े फ्लाइंग कीस देकर अंदर चली गइ....

कन्टीन्यु
 
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