फीर सबलोग अपने अपने घरकी ओर नीकल गये.. देवायत भी लखनको जल्दी घर आनेको कहेकर घरपे चला गया.. तो लखनके सभी दोस्त काम नीपटाकर श्रीधर जयश्रीकी टांग खीचाइ करने लगे.. फीर श्रीधरको छोडकर सभी दोस्तो चोराहेपे जाकर बैठ गये.. ओर जीतुलाल वृन्दाके चकरके बारेमे चर्चा करने लगे.. फीर लखनने साहीलसे बात करके उनके चाचा चाचीको गांवमे लानेकी आगेकी प्लानींग करली..
उस रात श्रीधरने अपनी सुहागरातकी सभी तैयारीया करली थी.. उसने मुनासे कामोतेजककी देसी गोलीया मंगवाकर खाली थी.. ओर इस रात श्रीधर जयश्रीकी पुरी रात चुदाइ करते उनकी अलग अलग पोजीसनमे बजाता रहा.. जयश्रीका अेक अेक अंग श्रीधरने तोडके रख दीया.. फीर भी श्रीधर जयश्रीको ओर चोदना चाहता था.. जयश्रीने हाथ जोडकर श्रीधरको ओर ना चोदनेकी मनते की..
तो दुसरी ओर आज सांती ओर जागृती जब अपने घरपे गइ.. तब जया दोनोका इन्तजार करते बेठी थी.. जैसे ही दोनोको देखा वो जटसे खडी होगइ.. ओर उनकी आंख गीली होगइ.. तो दोनो उसे देखती ही रही.. तभी जया सांतीका हाथ पकडकर उसे अपने रुममे ले गइ.. तो वहा बेडकी हालत देखकर सांती सबकुछ समज गइ.. ओर जयाकी ओर सवालीया नजरोसे देखने लगी.. तभी..
जया : (आंख पोछते नजरे चुराते) बेटा.. वो.. वो..
सांती : (मुस्कुराते धीरेसे) मम्मी.. जानती हुमे.. क्या रमेश अंकल आये थेनां..? अपने बेडकी चदर तो बदल देती.. देखकर कीसीको भी पता चल जायेगाकी वहा क्या हुआ हे.. कहीये.. क्या केह रहेथे वो..
जया : (धीरेसे) बेटी.. वो.. वो मे चदर बदलना भुल गइ.. सुनो.. कल वो मुजे लेजानेकी बात करने आये थे.. तो कल मे उनके साथ जा रही हु.. बस.. सीर्फ तुजे ही बताना था.. तुम बादमे जागुसे बात करलेना.. क्युकी मे उसे ये सब केह नही पाउगी..
सांती : (मुस्कुराते) नही मम्मी.. आपकी बेटी हे वो.. ओर अब तो वो भी आपको समजने लगी हे.. आपको बरखासे डरनेकी कोइ जरुरत नही हे.. ठहेरो.. मे अभी आपके सामने ही उसे बता देती हु.. (जोरोसे) जागु..
जागृती : (अंदर आते) जी भाभी.. कहीये.. कुछ काम था क्या..? मम्मी.. सब ठीक तो हेनां..?
सांती : (मुस्कुराते) हां सब ठीक ही हे.. सुन.. कल मम्मी ओर रमेश अंकल जा रहे हे.. (जयाकी ओर देखते) मम्मी.. दोनो सुबह कीतने बजे जा रहे हे..
जया : (नजरे जुकाते धीरेसे) जी.. वो.. वो सुबह चार बजे जानेका बोल रहे थे..
जागृती : (जटसे आकर जयाके गले लगते) मम्मी.. आइ अेम सोरी.. मेने आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार कीया.. आप आरामसे जाओ.. जीलो अपनी जींदगी.. हमे आपसे कोइ अेतराज नही हे..
जया : (जोरोसे बाहोमे भरते रोते) बेटी.. मुजे माफ करदे.. मे जीस रास्तेपे चल पडी हु.. वहासे वापस आना मेरे लीये बहुत मुस्कील हे.. मुजे माफ कर देना.. बस.. तुम दोनो मेरे बंसीको सम्हाल लेना..
सांती : (जागृतीकी ओर कातील मुस्कानसे) जी मम्मी.. आप आरामसे जाइअे.. मे ओर जागु दोनो आपके बेटेको सम्हाल लेगी.. क्यु जागु..? हम दोनो उसे अच्छेसे समजा देगी.. वो कुछ नही कहेगे..
जया : (जटसे अलग होते) नही बेटा.. तुम दोनो खयाल रखना.. मेरे जानेकी बात अभी बंसीको मत बताना.. वरना मे जा नही पाउगी.. मेरे जानेके बाद उसे सब बता देना..
जागृती : (मुस्कुराते) ठीक हे मोम.. जैसा आप चाहो.. हम नही बतायेगे भाइको.. बस.. कभी कभी हमसे फोनपे बात करलीया करना..
जया : (प्यारसे गाल सहेलाते) ठीक हे बेटा.. मे तुम सबसे रीस्ता तोडकर थोडीना जा रही हु.. मे तुम दोनोसे बात करलीया करुगी.. अब जाओ दोनो.. सादीमे थक गइ होगी.. तो आराम करलो.. आप दोनो मेरी फीकर मत करना.. मे सुबह चली जाउगी..
कहा तो सांती ओर जागृती दोनो बारी बारी जयाको गले लगा लेती हे.. देर रात बंसीभी घरपे आजाता हे.. तबतक जया भी उनका अपने रुममे इन्तजार करते जाग रही थी.. जब बंसी घरपे आया तो वो दरवाजेके पास छुपकर बंसीको जी भरके देखने लगी.. जब बंसी अपने रुममे चला गया तो जया भी वापस अपने बीस्तपे आजाती हे.. आज जयाकी आंखोसे नींद कोलो दुर थी.. वो सुबह तीन बजे तक करवटे बदती रही.. फीर वो नहाने चली गइ..
तो बंसी भी आज दिनभर जागृती ओर जयाको देखकर बहुत उतेजीत हो चुका था.. तो वो आते ही सांतीकी गुफामे घुसकर धमाका करने लगा.. उसने सांतीको बीना नीचे उतरे ही दो दो बार चोद लीया.. फीर दोनो नंगे ही अेक दुसरेसे चीपकके सो गये.. दोनोका लाइव सो देखकर जागृती भी अपनी उंगलीसे अपने आपको सांत करके सो गइ.. जागृती ओर सांतीने दोनोने सोनेसे पहेले चार बजेका अेलार्म अपने फोनपे सीर्फ वाइबे्रटमे सेट करलीया था..
तो दुसरी ओर आज मुनाने भी दो पहोरको अपनी मां बसंतीको भी घरपे बुलाकर चोद लीया था.. ओर बसंतीकी हालत खराब करदी थी.. तो अभी इस वक्त बसंती भी घोडे बेचकर सो रही थी.. ओर मुना भी बरखाकी दो दो बार धमाकेदार चुदाइ करके उनसे चीपककर सो गया था.. तो आज साहीलने भी अपनी बडी अम्माकी गुफामे दो दो बार जमकर धमाके करलीये.. जो इस वक्त दोनो अेक दुसरेकी बाहोमे सो रहे थे..