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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४२

कहेते लखन सृतीके होठोको चुमते वहासे नीकल गया तो सृती बहुत ही सरमाइ.. ओर मनमे बहुत खुस होते फोन उठालेती हे.. ओर पुनमसे बाते करने लगती हे.. फीर बातो ही बातोमे पुनमको बता दीयाकी वो ओर लखन अ‍ेक दुसरेके प्यारको कबुल कर चुके हे जीसे सुनकर पुनम भी बहुत खुस होजाती हे.. फीर सृतीने रातमे मंजुके साथ हुइ घटनाके बारेमे भी बात करलेती हे.. हालाकी पुनमको सबकुछ पता था.. फीर भी वो सृतीकी खुसीके लीये उनकी बाते सुनती रही.... अब आगे

सृती : (खुसीसे फोनपे) दीदी.. आज मे बहुत बहुत खुस हु.. आपको बया नही कर सकती.. हमारे भाइने मेरा प्यार कबुल करलीया हे.. दीदी पता हे..? वो मुजसे नाराज भी नही थे..

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. वो तो आपकी बातोसे ही पता चल जाता हेकी आप कीतनी खुस हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. क्या आपको अपनी पहेचान होगइ..?

सृती : (खुसीसे) हां दीदी.. रातमे मम्मीने मुजे उनकी भी पहेचान करवाइ.. ओर मेरी भी पहेचान करवाइ.. ओह गोड.. कीतना अदभुत था.. अब मुजे कोइ संदेह नही हेकी अ‍ैसा कुछ नही होता.. दीदी.. सब बाते सच हे.. बस.. अब आप जल्दीसे इधर आजाइअ‍े..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. आजाउगी.. लेकीन तीन चार दिनके बाद.. अभी कुछ देर पहेले ही सबलोग घरपे आये हे.. बडी दीदीने मुजे वहा सादीकी खरीदी करनेको कहा हे.. तो मे तब आउगी.. दीदी.. क्या कर रही हे राधीका भाभी..

सृती : (मुस्कुराते) बेचारी.. बहुत अच्छी हे.. आज ही अपनी होस्टेलपे गइ हे.. आपको बहुत मीस कर रही हे.. अ‍ेक बार आकर उनसे मीललो..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. आना ही पडेगा.. अबतो वो भी हमारी सौतन हो रही हे.. कुछ दिन भाभीका मजा लेनेदो.. फीर तो उनको भी दीदी दीदी कहेना पडेगा.. हें..हें..हें..

दोनो बाते करती रही.. तो दुसरी ओर गांवमे चारु नीशा ओर अब सुधीरसे वसुधा बनकर तीनो वापस आ चुके थे.. जो इस वक्त सुधीरके घरपे ही आराम कर रहे थे.. तो चारुने फोन करके मंजु रश्मी ओर वंदनाको अपने आनेकी जानकारी देदी.. तो दुसरी ओर रश्मी ओर वंदना अब भी सहेरमे टीनाके घरपे थी.. अब रश्मीका पेट भी काफी बढ गया था.. उनका भी डीलीवरीका टाइम जनदीक था..

तो वंदनाको भी सहेरमे दो बार उल्टीया हुइ.. तो टीना ओर रश्मी उनको लेकर होस्पीटलपे दीखाने गये.. तो पता चला वंदना भी प्रेगनेन्ट हो गइ थी.. जीसे सुनकर रश्मी ओर टीनातो खुस हुइ.. लेकीन वंदनाको अपनी देवायतकी सादीकी चीन्ता सताने लगी.. क्युकी अभी तक वंदना ओर देवायतकी सादी नही हुइ थी.. तो रश्मीने उसे सादीका आस्वाशन देकर समजाया तब जाके वंदनाको राहत महेसुस हुइ.. ओर रश्मीने ये बात मंजु ओर पुनमको बतादी..

रश्मी : (फोनपे) हेलो.. मंजुदीदी.. कैसे हे सबलोग.. मजेमे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां रश्मी भाभी.. सब मजेमे.. तुम कहो.. बहुत रुकी दोनो..? लगता हे वही राच आ गया हे..

रश्मी : (मुस्कुराते) नही दीदी.. अ‍ेक दो दिनमे वापस आ रही हे.. सुनो.. अ‍ेक खुस खबर देनी थी..

मंजुला : (मुस्कुराते) अच्छा..? बोलो.. कोनसी खुस खबर हे..?

रश्मी : (मुस्कुराते) दीदी.. हमारी वंदना.. सी इस प्रेगनेन्ट.. आज ही रीपोर्ट करवाइ हे.. थोडी सादीको लेकर चीन्तामे थी..

मंजुला : (खुस होते) अच्छा..? सुनो.. उनको कहेना कोइ चीन्ता ना करे.. यहा आओगी तब उनकी सादी जल्द देवुसे करवा दुगी..

रश्मी : (खुस होते) ठीक हे दीदी.. मे उनको बता दुगी.. चलो बाय..

तो सहेरमे भी जवेरीलाल जीतुलाल ओर वृन्दा अपने नये घरमे आ चुके थे.. जीतुलाल ओर वृन्दाने मीलकर धीरे धीरे घरका सब सामान सेट करलीया.. जवेरीलाल अपने बीजनेसपे चले जाते तब वृन्दा सामान सेट करनेके बहाने जीतुलालको घरपे ही रोक लेती.. फीर दोनो खुलकर खुब चुदाइ करते.. ओर आराम करते साथमे सामान भी सेट करते.. अब दोनो ही अ‍ेक पती पत्नीकी तराह रहेने लगे थे..

अ‍ेक सुबह प्लानके मुताबीक जैसे ही जवेरीलाल ओर जीुलाल अ‍ेक ही स्कुटरपे अपनी दुकानपे चले गये.. तो कुछ ही देरमे वृन्दाने जवेरीलालको फोन करके जीतुलालको घरपे कामके बहाने बुला लीया.. तो जवेरीलालने जीतुको घर भेज दिया.. जैसे ही जीतुलाल घरपे आया वृन्दा सजधजके दुल्हनके लीबासमे कंपलीट होकर जीतुलालके इन्तजारमे बैठी थी.. तो जीतुलालने आकर चेन्ज करलीया..

फीर दोनो घरको ताला लगाकर नीकल गये.. ओर सहेरसे दुर अ‍ेक मंदिरपे पहोंच गये.. जहा अगले ही दिन जीतुलाल सबकुछ तैय करके आया था.. वहा पंडीतने दोनोकी सादी करवाइ.. इनसे पहेले ही वृन्दाने जवेरीलालका मंगलसुत्र खीचकर तोड दीया.. फीर जीतुलालने वृन्दाको नया मंगलसुत्र पहेनाया ओर उनकी मांग भी भरदी.. फीर दोनो पंडीतको दक्षीणा देकर घर आ गये..

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उस रात वृन्दाने जवेरीलालको खानेमे दो नींदकी गोलीया पीलादी.. तो आधे ही घंटेमे जवेरीलाल नींदकी आगोसमे चले गये.. तो वृन्दा फीरसे सज सवरके दुल्हनके लीबासमे जीतुलालके कमरेमे चली गइ.. ओर वहा सुबह चार बजे तक दोनोने अपनी सुहागरात मनाइ.. जीतुलाल वायग्रा खाकर पुरी रात वृन्दाको पेलता रहा.. ओर सुबह तक वृन्दाकी हालत खराब करदी..
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वृन्दाका तो बस अ‍ेक ही मक्सद था.. वो था अ‍ेक लडकेकी चाहत.. जो लडकेको वो जीतुलालसे प्रेगनेन्ट होकर पैदा करना चाहती थी.. लेकीन उनको क्या पता.. की इतनी बार अ‍ेबोर्सन करवाके अपनी बच्चेदानी खराब करली थी.. जो इतनी चुदाइके बाद भी वो जीतुलालसे प्रेगनेन्ट नही होपाइ.. फीर सुबह चेन्ज करके वृन्दा अपने कमरेमे जाकर सो गइ.. तो जवेरीलाल भी देरसे जागे.. तो उनको कुछ पता नही चला..
 

dilavar

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तो गांवमे भी जबसे जीतुलाल ब्रीन्दाको डीवोर्स देकर चला गयाथा तबसे ब्रीन्दा जयश्री ओर श्रीधर भी बीन्दास्त हो चुके थे.. अब श्रीधर ब्रीन्दाकी हाजरीमे ही जयश्रीको हग करके चुम लेता.. तो कभी कभी ब्रीन्दाको भी पीछेसे बाहोमे भरकर गालको चुम लेताथा.. तब जयश्री दोनोका अ‍ेक महज मां बेटेका प्यार ही समज रही थी.. तब उनको नही पता थाकी दोनो मां बेटे कीस रीस्तेसे मील रहे हे..

तो दुसरी ओर बंसीके घरपे भी सामतभाइ ओर जयाके जानेसे जो तनाव था.. वो अब सामान्य होने लगा था.. जैसे ही सांती इधर उधर होती बंसी ओर जागृती अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमने लगते.. इस बातका सांतीको भी पता था.. ओर वो हमेसा दोनोको मीलनेका मौका देने दोनोसे दुर होजाती.. ताकी दोनो अ‍ेक दुसरेको मील सके.. ओर गमके माहोलसे बहार नीकल सके..

इसी तराह बरखा भी अपनी मां बसंती ओर मुनाको मीलनेका मौका देती.. मौका मीलते ही मुना बसंतीको जमकर चोद लेता.. अ‍ैसे ही दिन बीतने लगे.. इसी दौरान धिरेनने भी अपनी ओर नीलमकी सादीकी अ‍ेप्लीकेशन कोर्टमे डालदी थी.. तो इधर लखन भी हर दिन सृतीकी सेवा करता.. ज्यादातर रजीया भी साथ रहेती.. तो लखन ओर सृतीको प्यार करनेका बहुत ही कम मौका मीलता..

तो दुसरी ओर लखन ओर पुनमके बीच भी ज्यादातर चेटमे बाते होने लगी थी.. ओर बाते करते दोनो काफी हद तक आगे बढ चुके थे.. कभी कभी लखनकी जीदकी वजहसे पुनम अपने बुब्सकी फोटो तो कभी खुदकी टु पीसमे फोटो भेजती.. फीर धीरे धीरे करते बात फोन सेक्स तक आ पहुची.. ओर रातमे पुनम अकेली बाथरुममे घुस जाती.. ओर लखनसे फोनपे सेक्सकी बाते करते अपनी चुतमे उंगली करते जड जाती..

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तो दुसरी ओर नीलमके साथ भी लखन कइ बार छेडखानी करलेता.. ओर मौका मीलते ही वो नीलमसे ब्लु जोब करवाता.. ओर नीलमकी चुतपे मुह लगाकर नीलमको जडा देता.. तब नीलम बहुत ही उतेजीत होजाती ओर वो नीलमके कहेने पर भी इनके आगे नही बढता..
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तो राधीका ज्यादातर हमेसाकी तराह होस्टेलमे ही रहेती.. लखन वही जाकर अपनी ओफीसमे पर्सनल रुममे ही राधीकाकी चुदाइ करलेता.. दोनो दो दो तीन तीन घंटे तक प्यार करते रहेते.. ओर रातमे राधीका अपनी मम्मीके पास सोजाती..
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रातमे लखन रजीयाके साथ मजे लुटता.. फीर रजीया सृतीके पास सोने चली जाती.. ओर लखनको नीलमके पास जानेका मौका मील जाता.. रातमे कभी जरुरत पडती तो रजीया लखनको सृतीके पास बुला लेती.. ओर लखन सृतीको बाथरुममे ले जाता.. अब तो रजीया ओर राधीकाको भी पता चल गयाथा.. की सृती ओर लखन प्यार करने लगे हे.. लेकीन अब अ‍ैसे रीस्तोसे सब आदी बन चुके थे..

इसी दौरान अ‍ेक बार देवायत ओर मंजु दोनो साथमे सुधीरके घरपे चले गये थे.. तो वहा सुधीरका नया रुप देखकर दोनोही दंग रेह गये.. अब सुधीर बीलकुल अ‍ेक ओरतकी तराह दीख रहा था.. उनके बुब्स काफी बढ चुके थे.. ओर बाल भी काफी लंबे हो चुके थे.. जब सुधीर देवायतको गले मीला तब उसे पहेलीबार अपनी चुतपे देवायतका लंड ठोकर मारते महेसुस हुआ.. जीसे देखकर सुधीर.. ओर सोरी.. अब वसुधा बहुत सरमाइ..

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फीर मंजु भी नीशा ओर रश्मीको गले मीली.. ओर अपनी प्रेगनन्सीकी बाते करने लगी.. मंजुने दोनोको बधाइखा देते खुदका ख्याल रखनेकी हिदायत दी.. ओर देवायतने भी अब वसुधाको अपनी क्लीनीक सम्हालनेको कहा.. फीर उसने सबको रमेश ओर जया भाभीकी पुरी कहानी सुनाइ.. लेकीन चारुको इस बातसे कोइ फर्क नही पडा.. क्युकी उनका पती तो अब देवायत था..

देवायत : (अ‍ेक फाइल देते) चारु.. ये ले फाइल.. ये तुम्हारे घरके कागजात हे.. जो रमेश तुम्हारे ओर वंदुके नाम करके गया हे.. ओर बेन्ककी रसीद भी हे.. जो वो भी तुम दोनोके नामकी हे..

चारु : (मुस्कुराते) देवु.. इसे आप अपने पास ही रखो.. मे सब वंदुके नाम कर देना चाहती हु.. मुजे उस आदमीकी फुटी कोडी भी नही चाहीये.. अगर उसे पता चलता की मेने आपसे सादी करलीहे तो वो कमीना मेरे नम कभी नही करता..

देवायत : (मुस्कुराते) उसे सब पता हे.. की तुम ओर वंदु मेरी बीवी हो.. मेने ही उनको सबकुछ बता दीया.. जब तुम दोनोका डीवोर्स हुआ..

चारु : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? उनको सब पता हे..? तो फीर वो कुछ नही बोला..?

देवायत : (मुस्कुराते) नही.. क्युकी उनको तुमसे ज्यादा जया भाभीकी फीकर थी.. वो दोनो जल्दसे जल्द सादी करलेना चाहते थे.. क्युकी जया भाभी रमेशसे प्रेगनेन्ट होगइ थी..

नीशा : (आस्चर्यसे) क्या..? जया भाभी प्रेगनेन्ट थी..?

चारु : (फीकी मुस्कानसे) नीशा.. छोडना इस बातको.. अब हमारा उनसे कोइ लेना देना नही..

मंजुला : चारु दीदी.. तो फीर आपके मायके वाले..? उनको भी कुछ पता हे..?

चारु : (आंख गीली करते) दीदी.. क्या आपने कभी मेरे मायके वालोको वहा आते कभी देखा हे..? येतो छोडो मे जब बोम्बे गइ तब भी वो मुजसे मीलने नही आये.. तो फीर मे उनकी फीकर क्यु करु..? फीर भी भाइका फोन आयेगा तो मे उनको साफ साफ केह दुगी.. की हमारा डीवोर्स हो गया हे.. ओर मेने दुसरी सादी करली हे..
 

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फीर देवायत थोडी देर वहा बैठकर चाइ पीकर अपने खेतोकी ओर नीकल गया.. तो मंजुने चारुको सरंपच बननेकी बात कही.. जो चारुने बातको स्वीकार करलीया.. अब तो सुधीर (वसुधा) भी तीनोके पास बैठकर सभी बाते सुन रहा था.. आज उसने सलवार सुट पहेना हुआ था.. मंजुने धीरे धीरे बातकी सुरुआत करते चारु ओर नीशाको सबकुछ बता दीयाकी हम सब वास्तवमे कौन हे..

ओर देवायत मंजुने मीलकर हवेलीपे रीस्तोमे बदलावके बारेमे जो फैसला लीया था.. मंजुने तीनोको सबकुछ बता दीया.. जीसे सुनकर चारु नीशाके साथ वसुधा (सुधीर) भी सोक्ट होगइ.. ओर ये फैसला कीस मजबुरीके कारण लेना पडा वोभी बता दीया.. इस बातका सुधीरको तो कोइ फर्क नही पडा लेकीन चारु ओर नीशा.. दोनोही असहज महेसुस करने लगी.. तो मंजु दोनोकी मनोदसा समज गइ.. तब..

चारु : (आस्चर्यसे) दीदी.. ये आप क्या केह रही हे..? क्या हमारी सभी सौतने मान गइ..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. सभीने इस बातको स्वीकार करलीया हे.. इसका मतलब ये नहीकी अब देवु आपसे प्यार नही करेगे.. मतलब ये सब आपकी मरजी से होगा.. हमने तो सीर्फ छुट दीहे.. बाकी जोभी होगा अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे होगा.. कीसीपे कोइ जोर जबरदस्ती नही.. की सब हमारे देवरसे रीलेशन रखे..

(दोस्तो अब हम सुधीरको वसुधाके नामसे ही पहेचानेगे.. इसीलीये अब सुधीरकी जगारपे वसुधा लीखुगा)

वसुधा : भाभी.. क्या आजके जमानेमे ये सब पोसीबल हे..? मीन्स.. आप जो परीया.. ओर अप्सराकी बाते करती हे.. क्या सचमे आप लोग उस राजाके हीस्से हो..? क्युकी हम पढते थे.. तब भी देवु कइ बार इस बातका जीक्र कर चुका हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां सुधीर भाइ.. ओर सोरी.. सोरी..

नीशा : (सरमाते सुधीरकी ओर मुस्कुराते) दीदी.. अब हमने इनका नाम वसुधा रखदीया हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) अच्छा..? हां वसुधा बहेन.. आप तो उस राजाकी बाते सब जानते हे.. ओर यही सच हे..

वसुधा : (मुस्कुराते) भाभी.. बहेन कहेनेकी जरुरत नही हे.. सीर्फ वसुधा कहीये.. मे देवु सृती हम सब साथमे पढे हे.. ओर मे वो पुरी कहानी जानती हु.. तो मेरे लीये ना माननेका कोइ सवाल ही नही हे.. बस.. आपसे पुछ रहा था..

मंजुला : (मुस्कुराते) वसुधा.. आप फीकर मत करो.. आप भी हममेसे अ‍ेक हे.. जो कभी समय आनेपे बता दुगी.. की आप पीछले जन्ममे कोन थी.. ओर हां.. अ‍ेक दुसरी बात आपको कहेनी थी..

चारु : (मुस्कुराते) हां दीदी कहीये.. आज तो सबकुछ बता दीजीये हमारे जानेके बाद वहा पीछे क्या हुआ..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. तभी तो आज समय नीकालकर आइ हु.. सुनो.. अब हमारी पुनो ओर उनके पतीके बीच डीवोर्स हो गया हे.. तो अब मे पुनोकी सादी हमारे लखनसे करवा रही हु..

चारु : (जोरोसे हसते) चलो अच्छा हुआ.. हमारे देवरके सारे दोस्तोमे सीर्फ लखन भैयाही बाकी रेह गयेथे.. जीन्होने अपनी बहेनसे सादी नही की.. अब वो भी लाइनमे आगये.. तो सभी दोस्तो अ‍ैक जैसे होजायेगे.. अच्छा हे.. वैसे भी आपके.. ओह.. सोरी.. हमारे खानदानकी अपनी बहेनसे सादी करनेकी परंपरा जो हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आपने सही कहा.. हमारे खानदानमे पीछली कइ पीढीयोसे सब अपनी बहेनसेही सादी करते आये हे.. तो लखन पुनोसे सादी करलेगा तो वोही परंपरा कायम रहेगी.. (वसुधाकी ओर देखते) हां तो वसुधा.. अब आपने क्या सोचा हे..? जेन्डरतो चेन्ज करलीया हे.. क्या कीसी लडकेसे सादी करोगी.. की अ‍ैसे ही रहेना हे..? हें..हें..हें..

वसुधा : (सरमाते हसते) नही भाभी.. अभी तो सादीके बारेमे नही सोचा.. फीर भी आगे पता नही.. अभी तो मुजे अब हमारी होस्पीटलके बारेमे ही सोचना हे.. क्या उनका काम कुछ आगे बढाकी नही..?

मंजुला : (मुस्कुराते) पता नही.. क्युकी वो सब देवु देखता हे.. इतना पता हे स्कुल ओर होस्पीटलका काम सुरु हो गया हे..

वसुधा : (मुस्कुराते) चलो अच्छम हुआ.. हमारा भी सपना पुरा होजायेगा..

मंजुको वसुधाके बारेमे सबकुछ पता था.. की इनका रीलेशन कीसके साथ होगा.. मंजुने आज अपनी दो सोतनोको भी जानकारीया देदी.. की क्या बदलाव होने वाला हे.. फीर मंजु वहा कुछ देर बैठकर गांवके बारेमे भी बताती हे.. की गांवमे भी कीतना बदलाव होने लगा हे.. फीर कुछ ओर बाते करके अपने घरपे चली गइ.. तब इस बारेमे चारु नीशा ओर वसुधा बैठकर चर्चा करने लगते हे..

तो दुसरी ओर सहेरमे भी अब सबानाकी अ‍ेक्जाम खतम हो चुकी थी.. जो अब फ्रि थी तो घरमे ही अपनी मम्मीका हाथ बटाने लगी थी.. ओर साथ साथ वो बेंगलोर जानेकी भी तैयारीया करने लगी थी.. बीच बीचमे घरपे अकेली होती तो साहीलसे फोनपे बात करलेती थी.. ओर उसने बातो ही बातोमे साहीलको उनकी बहेन ओर बडे भाइको ढुंढकर उनसे बात करते वापस लानेकी बाते की..
 

dilavar

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तो अ‍ेक दिन साहील अकेला ही सीधा लखनके पास आगया.. साहीलने लखनको उनके भाइ कादीर ओर सायराको ढुंढनेकी बातकी.. तो साहीलने फोनसे बात करते सबानासे कादीर जहा नोकरी करता था उनका पता पुछ लीया.. फीर दोनो ही कादीर की ओफीसपे चले गये.. तो वहा पता चलाकी कादीर इस वक्त ओफीसमे ही हे.. तो दोनो उनके पास चले गये.. तो कादीर दोनोको देखकर चोंक गया.. तब..

साहील : (मुस्कुराते गले मीलते) भाइ.. कैसे हो..? आपतो हमे भुल ही गये..

कादीर : (आंख गीली करते) भाइ.. मे आप सबको कैसे फोन करता..? मुजे तुमसे बात करनेमे भी सरम आ रही हे.. क्युकी मेने काम ही अ‍ैसा कीया हे.. यार मुजे माफ करदो..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. कैसी बाते कर रहे हो.. मे भाइ हु तुम्हारा.. फोन करलीया करो..

लखन : (मुस्कुराते) कैसे हो कादीरभाइ..? हें..हें..हें..

कादीर : (हसते गले मीलते) अरे छोटे ठाकुरजी आप..? माफ करना मे आपको पहेचान नही पाया था..

लखन : (मुस्कुराते) अरे यार.. आप मुजे नामसे बुलाइअ‍े.. हम सब अ‍ेक ही उमरके तो हे.. ओर साहीलतो मेरा अच्छा दोस्त भी हे..

साहील : (मुस्कुराते) हां भाइ.. लखन भैयाको हमारे बारेमे सबकुछ पता हे.. ओर हम आपसे इसी सील सीलेमे बात करने आये हे.. भाइ.. कैसी हे सायरा दीदी.. आप दोनो खुस तो हेनां..?

कादीर : (मुस्कुराते) हां बहुत.. हम दोनो बहुत खुस हे.. तुजे बहुत याद करती हे.. अ‍ेक बार आकर मीलले उनसे..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. आज तो पोसीबल नही हे.. लेकीन अगली बार आउगा तब जरुर मीलुगा.. भाइ.. हम आपसे कुछ बात करने आये हे..

कादीर : (मुस्कुराते) भाइ.. यहा नही.. चलो हम बहार चलते हे.. पहेले कुछ चाइ बाइ पीते हे.. वहा बात करेगे..

फीर तीनो बहार नीकलकर अ‍ेक चाइकी दुकानपे चले जाते हे.. वहा साहील कादीरको सबकुछ बता देता हे.. की अब चाचा चाची सबानाके बेंगलोर जाते ही गांवमे चले जायेगे.. ओर ये घर आपको देते जायेगे.. साहील येभी कहेता हेकी अब चाचा चाचीने उनको माफ करदीया हे.. तो कादीर भी अपनी सब बाते साहीलको बता देता हे.. ओर घरपे आनेके लीये राजी होजाता हे..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. बहेनसे सादी करनेका इतना बडा मसला नही हे.. लखन भैयाके खानदानमे तो सभी लोग उनकी बहेनसे ही सादी करते आये हे.. ओर हमारे मेभी तो भाइ बहेनकी सादीया होती हे.. हमारी अम्मीया हमारे अबुकी बहेन नही हे क्या..?

कादीर : (मुस्कुराते) आइ नो साहील.. मेने मम्मीको यही तो समजाया था.. कहेती हे तुम दोनो सगे भाइ बहेन हो तो सादी नही होसकती.. ओर हमे मजबुरीमे ये कदम उठाना पडा.. ओर कुछ बाते अ‍ैसी हे जो मे तुजे नही बता सकता..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. अब तो मसला सुलज गया हेनां..? आप दोनो घर आजाओ..

कादीर : ठीक हे.. मे आज ही सायरासे बात करता हु.. ओर हो सके तो अ‍ेक बार तुम भी उनसे मीललो.. वो तेरी बात मान जायेगी.. अबु ओर मम्मी चली जायेगी तो हम आजायेगे..

लखन : भाइ मेरी मानो.. अब अंकल आंटीने आपको माफ करदीया हेतो कुछ दिन उनके साथ रहो.. उसे भी अच्छा लगेगा..

साहील : (मुस्कुराते) हां भाइ लखन भैया बीलकुल ठीक केह रहे हे..

कादीर : (थोडी परेसानीसे) नही यार.. मेरी कुछ मजबुरीया हे.. कुछ बाते हे जो मे तुम दोनोको नही बता सकता.. हम उनके जानेके बाद आजायेगेनां..

कादीर बारा बार अपनी मजबुरीके बारेमे बताता रहा.. वो अपनी अम्मीके साथ रीलेशनकी बाते छुपाना चाहता था.. जो उसने आज तक अपनी बहेन ओर बीवी जरीनाको भी पता नही लगने दीया.. तो लखनको दालमे कुछ काला लगा.. फीर कादीर अ‍ेक बार फीर दोनोको घरपे आनेके लीये कहेता हे.. तो साहील अभी कुछ कामकी वजहसे समय नही हे.. कहेते घर जानेका टाल देता हे.. फीर दोनोही लखनकी ओफीसपे आजाते हे.. लखनने घरपे फोन करके साहीलके लीये खाना बनानेकी बात करली.. तब..
 

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लखन : (मुस्कुराते) साहील.. बुरा मत मानना.. तु जीतना कादीर भाइको सीधा समज रहा हे.. वो उतना हे नही.. मुजे तो बात कुछ ओर ही लग रही हे..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. मुजे भी अ‍ैसा लगता हे.. वो हमसे कुछ छुपा रहा हे.. जो भी हो.. ये घरपे आनेके लीये राजी होगया हे.. वोही मेरे लीये काफी हे.. मे आज ही सबनासे बात कर लुगा.. वो सुनकर खुस होजायेगी..

लखन : (मुस्कुराते) साहील.. सुन.. मे तुमसे अ‍ेक बात कहेना चाहता हु.. सृती भाभीका अ‍ेक्सीडन्ट हो गया था.. तो उनको थोडा हाथ पांवमे फेक्चर आया हे.. तो वो अभी घरपे ही हे.. अगर सबानाको कुछ काम होतो उसे हमारे घरपे ही भेज देना.. ओर दुसरी बात.. पुनोका धिरेनसे डीवोर्स हो गया हे..

साहील : हां भाइ.. वो बात भी हमे अभी पता चली.. लेकीन हुआ क्या था..?

लखन : (मुस्कुराते) सुन.. वही बता रहा हु.. धिरेनका दुसरी जगह चकर हे.. ओर उनकी पुनोदीदीके साथ नही जम रही थी.. तो दोनो अलग हो गये हे..

साहील : दुसरी जगह..? कीसके साथ..?

लखन : (मुस्कुराते) सुन.. कीसीको बताना नही.. हमारे कमीने दोस्तोको भी नही.. तु मेरा खास ओर विस्वासु दोस्त हेतो तुजे बता रहा हु.. वो मेरी साली हेनां.. नीलु.. उनके साथ.. ओर वैसे भी कमीना थोडा हीजडे टाइपका था.. तो पुनोदीने डीवोर्स लेलीया..

साहील : (मुस्कुराते) क्या वो नीलु.. भानुभाइकी नइ बीवीकी लडकी..? साली हेभी पटाका.. श्रीधरकी सादीमे तो तुजे बहुत लाइन दे रही थी.. तो तुमने सेट क्यु नहीकी..? अभी तेरे घरपे ही तो रेह रही हे..

लखन : (कातील मुस्कानसे आंख मारते) भाइ.. सेट करली हे.. बस.. कमीनीकी बजानेकी बाकी हे.. सही मौका मीलनेदे.. सालीकी अ‍ैसी बजाउगा.. वो धिरेनको भी भुल जायेगी.. वोतो बजवानेके लीये बीलकुल रेडी हे.. मे मना कर रहा हु.. बस.. सालीके साथ सीधा हनीमुन ही मनाउगा..

साहील : (जोरोसे हसते) हां ये हुइना बाते अब ठाकुर लग रहा हे.. हें..हें..हें.. सुन.. तो अब पुनोदीदी..?

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. सुन.. अब मे भी पुनो दीदीसे सादी कर रहा हु.. हमारे सभी कमीने दोस्तको बता देना.. मे दो तीन हप्तेके बाद वहा आउगा.. तब हम दोनो सादी करलेगे..

साहील : (खुस होते हसते) भाइ.. क्या खुस खबर सुनाइहे आपने.. आखीर आपको अपना पुराना प्यार मील ही गया.. ये बात सुनते ही दिल बाग बाग हो गया.. हें..हें..हें.. ये आपने अच्छा कीया.. आपको पहेले ही पुनोदीदीसे सादी करलेनी चाहीये थी..

लखन : (मुस्कुराते) नही साहील.. कुछ चीजे समयसे पहेले हमे कभी नही मीलती.. क्या सबानाके साथ बात कुछ आगे बढीकी नही..? कमीने.. अब तो बतादे अपने दिलकी बात..

साहील : (सरमाते हसते) नही भाइ.. पहेले उसे डोक्टर तो बननेदो.. बादमे सोचेगे.. क्या पता डोक्टर बननेके बाद उनका मन बदल जाये.. भाइ.. आप अ‍ेक बार केह रहेथे.. की बडी भाभी.. ओर पुनोदीदीके पास कुछ अ‍ेसी शक्तिया हे.. जो उनको सब पता चल जाता हे.. तो आप पुनोदीदीको पुछकर कादीर भाइकी पुरी कुंडली जान लोनां.. ओर वो सबाना ओर मेरे बारेमे भी जानलेना..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. तु फीकर मत.. मे बस वोही करुगा.. ओर सुन.. तुम खाना खानेके बाद मेरा नया स्कुटर लेकर चाचाके घर चले जाना.. फीर कुछ बहाना बनाकर सबानाको लेकर घरपे आजाना.. तो वो सृती भाभीको भी मील लेगी.. ओर तु उनसे बात भी करलेना.. फीर कही घुमाकर उसे घरपे छोड देना.. ये बता.. अब सलमा भाभीकी तबीयत कैसी हे..? कीतने महीने हुअ‍े उनके..?

साहील : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. तबीयत तो ठीक हे.. बस.. तीन महीने हुअ‍े हे.. अगर इसी बातका चाचा चाचीका डर लग रहा हे.. अगर उनको सब पता चल गया तो बडा हंगामा हाजायेगा..

लखन उ (मुस्कुराते) तु उनकी फीकर मत कर.. उसे सब बडैभैया देख लेगे.. ओर बता.. वहा सब कैसे हे..?

साहील : (सरमाते हसते) भाइ.. अब क्या बताउ.. मुना ओर श्रीधर दोनो अपनी मांको सेट करनेमे लगे हुअ‍े हे.. अब तो श्रीधरके पापा ओर उनके ताउ ताइ भी चले गये हे.. तो कमीनेको पुरी छुट मील गइ हे.. ओर ब्रीन्दा आंटी भी बहुत चालु चीज हे.. आज कल वो मुनाकी मम्मीके साथ कुछ ज्यादा ही घुम रही हे.. ओर वो मुजे तीन चार बार आपके बारेमे पुछ चुकी हे.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) हां पता हे.. कमीनी श्रीधरकी सादीमे ही मेरे पीछे पडी थी.. ओर मुजे खुलकर नीमंत्रण भी दे चुकी हे.. लेकीन में श्रीधरकी वजहसे आगे नही बढा.. वरना उनको वही चोद लेता.. कमीनी चुदनेके लीये बीलकुल रेडी थी.. ओर बसंती आंटीके साथ तो घुमेगी ही.. क्युकी दोनो कमीनी अ‍ेक जैसी जो हे.. भानु भाइने खुब ठोका हे उनको..

साहील : (हसते) दोनो अ‍ेक जैसी हे मतलब..? हें..हें..हें..

लखन : (हसते) यार कीसीको कहेना मत.. मतलब दोनोका चकर अपने अपने बेटेके साथ हे.. ओर श्रीधरनेतो उनकी मम्मीके साथ सादी भी करली हे.. ओर मुना भी अपनी मांको ठोकता हे.. समजे..? ओर सुनना हे..?

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. अ‍ेक खबर ओर देनी थी.. वो हमारे सुधीरभाइ डोक्टर.. कही चले गये हे.. तो उनकी जगहपे अ‍ेक मस्त माल आया हे.. साली क्या सेक्सी माल लग रही हे.. अब तो मुना ओर बरखा भाभी दोनो वापस क्लीनीकपे जाने लगे हे.. तो ये सब हमे मुनाने बताया..

लखन : (मुस्कुराते) अच्छा..? तब तो उनको देखना पडेगा.. ओर बता.. क्या वो होस्पीटल ओर स्कुलका काम सुरु हो गया..?

साहील : (मुस्कुराते) हां भाइ.. वोतो कबका सुरु हो गया हे.. रमेश अंकल सबकुछ सेट करके ही गये हे.. बस नये सरपंचकी नीमणुक हो जाये तो अच्छा हे.. ओर पता हे नया सरपंच कौन बन रह हे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां.. वो चारुभाभी बन रही हे.. सुन.. वो रमेशभाइ ओर जया आंटीभी इधर आ गये हे.. बीलकुल हमारी सोसायटीके पीछेकी सोसायटीमे उनका घर हे.. अभी दोनो अपने हनीमुनके लीये कही घुमने गये हे.. क्या बंसीके घरपे सब ठीक होगया..?
 

dilavar

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साहील : (मुस्कुराते) हां.. अब सब ठीक हे.. दुसरे दिन बडेभैया उनको समजाने आयेथे.. तो मान गया.. भाइ.. अब वो भी उनकी बहेनसे सादी कर रहा हे.. बस.. कमीना केह रहा था.. उनको अपनी बहेनसे मीलनेका ठीकसे मौका नही मील रहा.. वरना वो उनका काम तमाम करना चाहता हे.. आप समज गयेनां..?

लखन : (जोरोसे हसते) कमीनो.. तो फीर तुम सब कीस कामके हो..? दोनोको मीलादोनां.. तुम ओर सलमा भाभीतो खेतो मे होते हो तो तेरा घरतो बीलकुल खाली रहेता हे.. उन दोनोको वहा मीलवाना चाहीयेनां.. वरना अ‍ेक दिन तुम सबकी बीवीओको यहा मेरे घरपे खरीदी करने भेजदे.. तब बंसीको कहेना.. जागृतीको कीसी बहाने वहा रोकले.. बस.. उस दिन बंसी उनका काम तमाम करदेगा.. इसमे कोनसी बडी बात हे..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. आपकी बात तो सच हे.. ठीक हे.. मे कुछ जुगाड करता हु.. वरना बंसीको कहुगा.. वो आपसे फोनपे बात करलेगा.. भाइ.. आपसे अ‍ेक बात कहेनी हे.. हो सकता हे वो जुठ भी हो..

लखन : (आस्चर्यसे देखते) कीसके बारेमे..? बता..

साहील : (सामने देखते) भाइ.. भानु भाइकी बात नीकली तो याद आ गया.. फसल कट गइ तो इसी सीलसीलेमे तीन चार बार बडे भैयाको मीलने आपके खेतोपे जाना पडा.. भैया तो नही मीले.. लेकीन भानु भाइ ओर वो आपके मजदुरकी बीवी.. दो बार मुजे ओफीसमे मीले.. ओर आज कल कुछ अजनबी लोग भी भानु भाइको मील रहे हे.. तो थोडा ध्यान रखना..

लखन : (सामने देखते) यार लगता हे वो भानु भाइकी पर्सनल रखैल हो गइ हे.. ओर ये सबतो खेतो पे चलता हे.. लेकीन वो अजनबी लोग वाली बात मेरी समजमे नही आइ.. हो सकता हे भाइसे कुछ धंधेके बारेमे मीलने आइ हो..

साहील : नही भाइ.. अ‍ेक बार मे भाइसे मीलकर बहार नीकला तो दो आदमी आये.. ओर भाइकी कार देखकर वापस चले गये.. इनमेसे अ‍ेक आदमी बोला भी.. की अभी चलो खेतोका मालीक इधर ही हे..

लखन : (थोडा गंभीर होते) अच्छा..? ठीक हे मे भाइसे बात करलुगा..

दोनो बाते करते काफी देर बैठे.. फीर दोनो घरपे चले गये.. ओर वहा खाना खालीया.. तो साहील लखनका स्कुटर लेकर अपने चाचाके घरपे चला गया.. तो फीरोज अपनी नोकरीपे जा चुका था.. तो घरपे सबाना ओर जरीना अकेली थी.. साहीलको देखते ही सबाना खुसीके मारे उनके गले लीपट गइ.. फीर साहील अपनी चाचीको भी गले मीला.. तो अ‍ेक बार फीर जरीनाको वोही अहेसास हुआ..

फीर जरीनाने पानी पीलाकर वही सोफेपे बीठाया ओर खुद भी उनके पास बैठ गइ.. साहीलने दोनोको सबकुछ बता दीयाकी वो ओर लखन भैया कादीर भाइको मीले थे.. ओर उनसे सब बाते करली हे.. तो कादीरका नाम सुनते ही जरीनाका चहेरा उतर गया.. ओर ये बात साहीलकी नोटीसमे आगइ.. फीर साहीलने सबानाकी पढाइके बारेमे बात करली.. ओर बातो ही बातोमे जुठ बोल दीयाकी सबानाको अ‍ेक बार सृती भाभी मीलना चाहती हे..

तो जरीना खुसी खुसी सबानाको साहीलके साथ भेजनेको राजी होगइ.. ओर साहील कुछ देर वहा बैठकर जरीनाको अब अपने गांव आनेकी तैयारीया करनेकी बात करता हे.. जीसे सुनकर जरीना भी खुस होजाती हे.. तबतक सबाना अपने कमरेमे तैयार होने चली गइ.. आज वो साहीलके ओनेकी वजहसे बहुत खुस थी.. क्युकी उनके दिलके अ‍ेक कोनेपे साहीलके लीये प्यार पनपने लगा था.. तभी..

जरीना : (थोडा संकोच करते धीरेसे) बेटा.. क्या कादीरने कुछ कहा..? मतलब.. वो सायरा..

साहील : (मुस्कुराते) नही चाची.. हम उनकी ओफीसमे मीले थे.. केह रहेथे दोनो सादीसे बहुत खुस हे.. उनके फ्रेन्डके फ्लेटमे ही रहेते हे.. कहेते थे अमी अबु चले जायेगे तब हम आजायेगे.. बाकी कुछ नही कहा..

जरीना : (राहतकी सांस लेते) चलो ठीक हे.. यहा आनेके लीये राजीतो हो गया..

साहील : (धीरेसे) चाची.. यहा ओर कोइ बात हुइ हे जो कादीर भाइ हमसे छुपा रहे हे..?

जरीना : (थोडी गभराते जेंपते) अरे नही नही.. बेटा.. ओर कुछ नही हुआ.. क्या वो कुछ केह रहा था..?

साहील : नही चाची.. वो दो तीन दफा बोलेकी कुछ बात अ‍ैसी हे जो मे आपको नही बता सकता.. इसीलीये पुछ रहा हु..

जरीना : (बातको सम्हालते) बेटा.. दोनोके बीच तीन चार सालसे कांड चल रहा था.. हो सकता हे उनके ओर सायराके बीच कुछ बाते अ‍ैसी हुइ हो जो वो हमे बताना नही चाहता.. बाकी यहा कुछ नही हुआ..

साहील : (मुस्कुराते) कोइ बात नही चाची.. आप टेन्शन मतलो.. अब सब ठीक हो गया हे..

सबाना : (तैयार होकर बहार आते) भाइ.. चलो मे रेडी होगइ हु..

साहील : (मुस्कुराते) चाची.. अगर हमे आनेमे थोडी देर होजाये तो चीन्ता मत करना.. हम दोनो लखन भैयाके घरपे ही हे.. आप हमे फोन करदेना.. हम सबानाको छोडने आजायेगे..

जरीना : (सर्मीन्दा होते) अरे बेटा.. तु ये कैसी बात कर रहा हे..? तु हमारे लीये पराया थोडीना हे..? सबाना तेरी बहेन ही हे.. जा लेजा इसे.. (सबानाको) ओर बेटा.. तु भाभीसे सबकुछ समज लेना.. ताकी तुजे वहा कोइ तकलीफ नाहो.. समजी..? जा बेटा लेजा इसे..

फीर साहील सबानाको लेकर वहासे नीकल जाता हे.. तो जरीना दोनोको जाते हुअ‍े देखती हे.. ओर मनमे खुस होती हेकी दोनोकी जोडी कीतनी सुंदर लग रही हे.. तब उसे सलमाकी कही अ‍ेक अ‍ेक बाते याद आने लगती हे.. तो दुसरी ओर साहील सबानाको स्कुटरके पीछे बीठाकर लेजाने लगा.. तो सबाना बहुत ही सरमा रही थी.. वो साहीलके पीछे उनके कंधेपे हाथ रखकर बैठी थी.. जैसे उनकी गर्लफ्रेन्ड हो.. फीर दोनो लखनके घरपे आगये....

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