फीर देवायत थोडी देर वहा बैठकर चाइ पीकर अपने खेतोकी ओर नीकल गया.. तो मंजुने चारुको सरंपच बननेकी बात कही.. जो चारुने बातको स्वीकार करलीया.. अब तो सुधीर (वसुधा) भी तीनोके पास बैठकर सभी बाते सुन रहा था.. आज उसने सलवार सुट पहेना हुआ था.. मंजुने धीरे धीरे बातकी सुरुआत करते चारु ओर नीशाको सबकुछ बता दीयाकी हम सब वास्तवमे कौन हे..
ओर देवायत मंजुने मीलकर हवेलीपे रीस्तोमे बदलावके बारेमे जो फैसला लीया था.. मंजुने तीनोको सबकुछ बता दीया.. जीसे सुनकर चारु नीशाके साथ वसुधा (सुधीर) भी सोक्ट होगइ.. ओर ये फैसला कीस मजबुरीके कारण लेना पडा वोभी बता दीया.. इस बातका सुधीरको तो कोइ फर्क नही पडा लेकीन चारु ओर नीशा.. दोनोही असहज महेसुस करने लगी.. तो मंजु दोनोकी मनोदसा समज गइ.. तब..
चारु : (आस्चर्यसे) दीदी.. ये आप क्या केह रही हे..? क्या हमारी सभी सौतने मान गइ..?
मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. सभीने इस बातको स्वीकार करलीया हे.. इसका मतलब ये नहीकी अब देवु आपसे प्यार नही करेगे.. मतलब ये सब आपकी मरजी से होगा.. हमने तो सीर्फ छुट दीहे.. बाकी जोभी होगा अेक दुसरेकी सहमतीसे होगा.. कीसीपे कोइ जोर जबरदस्ती नही.. की सब हमारे देवरसे रीलेशन रखे..
(दोस्तो अब हम सुधीरको वसुधाके नामसे ही पहेचानेगे.. इसीलीये अब सुधीरकी जगारपे वसुधा लीखुगा)
वसुधा : भाभी.. क्या आजके जमानेमे ये सब पोसीबल हे..? मीन्स.. आप जो परीया.. ओर अप्सराकी बाते करती हे.. क्या सचमे आप लोग उस राजाके हीस्से हो..? क्युकी हम पढते थे.. तब भी देवु कइ बार इस बातका जीक्र कर चुका हे..
मंजुला : (मुस्कुराते) हां सुधीर भाइ.. ओर सोरी.. सोरी..
नीशा : (सरमाते सुधीरकी ओर मुस्कुराते) दीदी.. अब हमने इनका नाम वसुधा रखदीया हे.. हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते) अच्छा..? हां वसुधा बहेन.. आप तो उस राजाकी बाते सब जानते हे.. ओर यही सच हे..
वसुधा : (मुस्कुराते) भाभी.. बहेन कहेनेकी जरुरत नही हे.. सीर्फ वसुधा कहीये.. मे देवु सृती हम सब साथमे पढे हे.. ओर मे वो पुरी कहानी जानती हु.. तो मेरे लीये ना माननेका कोइ सवाल ही नही हे.. बस.. आपसे पुछ रहा था..
मंजुला : (मुस्कुराते) वसुधा.. आप फीकर मत करो.. आप भी हममेसे अेक हे.. जो कभी समय आनेपे बता दुगी.. की आप पीछले जन्ममे कोन थी.. ओर हां.. अेक दुसरी बात आपको कहेनी थी..
चारु : (मुस्कुराते) हां दीदी कहीये.. आज तो सबकुछ बता दीजीये हमारे जानेके बाद वहा पीछे क्या हुआ..
मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. तभी तो आज समय नीकालकर आइ हु.. सुनो.. अब हमारी पुनो ओर उनके पतीके बीच डीवोर्स हो गया हे.. तो अब मे पुनोकी सादी हमारे लखनसे करवा रही हु..
चारु : (जोरोसे हसते) चलो अच्छा हुआ.. हमारे देवरके सारे दोस्तोमे सीर्फ लखन भैयाही बाकी रेह गयेथे.. जीन्होने अपनी बहेनसे सादी नही की.. अब वो भी लाइनमे आगये.. तो सभी दोस्तो अैक जैसे होजायेगे.. अच्छा हे.. वैसे भी आपके.. ओह.. सोरी.. हमारे खानदानकी अपनी बहेनसे सादी करनेकी परंपरा जो हे..
मंजुला : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आपने सही कहा.. हमारे खानदानमे पीछली कइ पीढीयोसे सब अपनी बहेनसेही सादी करते आये हे.. तो लखन पुनोसे सादी करलेगा तो वोही परंपरा कायम रहेगी.. (वसुधाकी ओर देखते) हां तो वसुधा.. अब आपने क्या सोचा हे..? जेन्डरतो चेन्ज करलीया हे.. क्या कीसी लडकेसे सादी करोगी.. की अैसे ही रहेना हे..? हें..हें..हें..
वसुधा : (सरमाते हसते) नही भाभी.. अभी तो सादीके बारेमे नही सोचा.. फीर भी आगे पता नही.. अभी तो मुजे अब हमारी होस्पीटलके बारेमे ही सोचना हे.. क्या उनका काम कुछ आगे बढाकी नही..?
मंजुला : (मुस्कुराते) पता नही.. क्युकी वो सब देवु देखता हे.. इतना पता हे स्कुल ओर होस्पीटलका काम सुरु हो गया हे..
वसुधा : (मुस्कुराते) चलो अच्छम हुआ.. हमारा भी सपना पुरा होजायेगा..
मंजुको वसुधाके बारेमे सबकुछ पता था.. की इनका रीलेशन कीसके साथ होगा.. मंजुने आज अपनी दो सोतनोको भी जानकारीया देदी.. की क्या बदलाव होने वाला हे.. फीर मंजु वहा कुछ देर बैठकर गांवके बारेमे भी बताती हे.. की गांवमे भी कीतना बदलाव होने लगा हे.. फीर कुछ ओर बाते करके अपने घरपे चली गइ.. तब इस बारेमे चारु नीशा ओर वसुधा बैठकर चर्चा करने लगते हे..
तो दुसरी ओर सहेरमे भी अब सबानाकी अेक्जाम खतम हो चुकी थी.. जो अब फ्रि थी तो घरमे ही अपनी मम्मीका हाथ बटाने लगी थी.. ओर साथ साथ वो बेंगलोर जानेकी भी तैयारीया करने लगी थी.. बीच बीचमे घरपे अकेली होती तो साहीलसे फोनपे बात करलेती थी.. ओर उसने बातो ही बातोमे साहीलको उनकी बहेन ओर बडे भाइको ढुंढकर उनसे बात करते वापस लानेकी बाते की..