लखन : (बुब्सको चुमते) ठीक हे दीदी.. मुजे साहीलकी फेमीलीके बारेमे जानना हे.. जो यहा सहेरमे हे..
पुनम : (मुस्कुराते) भाइ.. मे दोनो बहेनको मील चुकी हु.. मे उनके बारेमे सबकुछ जानती हु.. कहानी थोडी लंबी हे.. मे सोर्टमे बताती हु..
लखन : (सामने देखते) हंम.. बतादो.. तबतक ये अंदर ही रहेगा.. हें..हें..हें..
पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) भाइ.. आपभीनां.. सुनो.. साहीलका बडा भाइ बहुत ही कमीना हे.. वो सुरुसे ही अपनी बहेन ओर अपनी मां के उपर गंदी नजर रखता था.. ओर साहीलकी बडी बहेन भी मोर्डन खयालात ओर घुमने फीरनेकी सौकीन थी..
लखन : (मुस्कुराते) हां जानता हु उनको.. बडी बहेन उनसे छोटी हे..
पुनम : वो इतनी मोर्डन ओ सौकीन हे जो इनके बडे भाइको भी पता था.. ओर उसीका फायदा उठाते सबसे पहेले वो अपनी बहेनकी हर जरुरतको पुरी करने लगा.. ओर धीरे धीरे उसने अपनी बहेनको अपने वसमे करलीया..
लखन : (होंठ चुमते) हंम.. समज गया.. फीर..
पुनम : (मुस्कुराते) भाइ.. फीर क्या.. दोनो अेक दुसरेको प्यार करने लगे.. ओर जब साहीलके पीता पहेली बार बीमार हुअे.. ओर उनके चाचा चाची गांव आये.. तब साहीलके बडे भाइको मोका मील गया.. ओर उसी रात दोनो भाइ बहेन पहेली बार फीजीकल हुअे.. दुसरे दिन दोनोने नीकाह करलीया.. फीर घरमे ही सबसे छुपकर अेक मीया बीवीकी तराह रहेने लगे..
लखन : (आस्चर्यसे देखते) दीदी.. फीर भी उनकी मम्मीको पता नही चला..? क्युकी मेने सुना हे ओरतोकी नजरसे कोइ बच नही सकता.. मीन्स.. उनकी बहेनमे तो कोइ बदलाव हुआ होगा..
पुनम : (मुस्कुराते) हां भाइ.. सच कहा आपने.. लेकीन उनकी मांकी नजरोमे बहुत देरसे आया.. ओर जब आया तब बहुत देर हो चुकी थी.. क्युकी तब वोभी उनके बेटेके नीचे आ चुकी थी.. जीस तराह उनके बडे भाइने अपनी बहेनको पटाया उसी तराह उसने अपनी मांको भी पटालीया था.. हांलाकी पहेली बार उसने अपनी मांके साथ जबरदस्ती की.. लेकीन फीर तो उनकी मां भी अपने बेटेके साथ फीजीकल होनेके लीये राजी थी..
लखन : (सोक्त होते धीरेसे) क्या..? आंटी भी..? अपने ही बेटेके साथ..? दिखनेमे कीतनी भोली लगती हे..
पुनम : (मुस्कुराते) हां भाइ.. मेभी मीली हु उनसे.. ओरत जीतनी भोली दीखती हे उतनी ही कामी होती हे.. लेकीन क्या करे.. ओरतोकी भी कुछ जरुरते होती हे.. जो कमी उनके पती कामकी वजहसे पुरी नही करता था.. उनकी सारी नीड्स उनका बेटा पुरी करने लगा.. ओर पता ही नही चला उनको कब अपने बेटेसे प्यार हो गया.. अेक दिन उनके बेटेने उनका गलत फायदा उठा लीया.. फीर तो आटीं भी अपनी नीड्स अपने बेटेसे पुरी करने लगी..
फीर पुनमने लखनको साहीलके चाचा फीरोजकी फेमीलीके बारेमे सबकुछ बता दीया.. की कैसे उनके भाइने अपनी बहेन सायरा ओर फीर अपनी मां जरीनाको फासाया था.. ओर उनकी बहेन सायरासे सादी करके उनको कीस हालातमे घर छोडना पडा.. ओर साहील लखनने मीलकर उनकी छोडी बहेन सबानाकी कैसे मददकी.. ओर आखीर साहील ओर सबानाके बीच प्यार होगया..
पुनमने लखनको पुरी स्टोरी सुनादी.. तबतक लखनका लंड अब भी पुनमकी चुतमे था.. बीच बीचमे लखन पुनमके होठोको ओर बुब्सको चुमते कमर हीलाता रहा.. लखन सायरा जरीना ओर कादीरकी बाते करते उतेजीत होगया था..
फीर धीरे धीरे अपनी कमर हीलाते पुनमको फीरसे चोदने लगा.. पुनम भी साहीलके भाइ.. उनकी बहेन ओर मांके साथ चुदाइकी बाते करते उतेजीत हो चुकी थी.. तो वोभी अपनी कमर उछालते लखनका साथ देने लगी.. पीछली बारसे इस बार पुनम बहुत ही कामुक हो चुकी थी..
तो दुसरी ओर दुर गांवमे भी देवायत दुबारा लता की जोरोसे चुदाइ कर रहा था.. कहा देवायत अेक परीपकव मर्द.. ओर लता उनके सामने अेक छोटी बच्ची लग रही थी.. आज देवायतने लताका अेक अेक अंग तोडके रखदीया.. दोनो देर रात तक चुदाइ करते रहे..
पुरी रातमे देवायत लताकी चुतको चार बार अपने पानीसे भर चुका था.. ओर नतीजेके फल स्वरुप लता जो चाहती थी वो होगया.. लताके गर्भमे देवायतका बीज मील चुका था.. ओर लता देवायतसे प्रेगनेन्ट हो चुकी थी.. फीर दोनो नंगेही अेक दुसरेकी बाहोमे चीपकते सो गये..
तो सहेरमे भी लखनने घमासान चुदाइ करते दुसरी बार पुनमको तीन तीन बार जडा दीया.. ओर दोनो साथमे जड गये.. आज लखनने पुनमकी सारी हसरते पुरी करदी.. ओर वो अभी भी पुनमकी चुतमे लंड डाले हुअे उनपे लेटा हुआ था.. ओर रेह रेहकर पुनमके बुब्स होर उनके होठोको चुम रहा था.. तो पुनम उनकी पीठ सहेला रही थी.. दोनो पसीनेसे तरबोर हो चुके थे.. तभी..
पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आज आपने सारी कसर पुरी करदी.. हम बाथरुममे चले..? देखो हम दोनोका पानी बहार नीकल रहा हे..
लखन : (होंट चुमते) दीदी.. जीतो चाहता हे मे इसे बहार ही ना नीकालु.. सारी जींदगी अैसे पडा रहु.. कीतने सालोके बाद मेरी तम्मना पुरी हुइ हे.. फीर भी आपको जाना हेतो अेक बार ओर करते हे..
पुनम : (कातील नजरोसे सरमाते मुस्कुराते) भाइ.. हमारे पास पुरी रात पडी हे.. ओर अब तो अेसी कइ रात हमारी जींदगीमे आयेगी.. आपको जीतना प्यार करना हो करलीजीयेगा.. अब तो मेभी आपके बीना नही रेह सकती.. मे मेरे लखनको खुब प्यार दुगी.. प्लीज.. चलीयेनां.. नीचे कुछ अजीबसा लगता हे..
लखन : (बुब्सको चुमते) दीदी.. बस.. अेक बार.. फीर आप जैसा कहोगी वैसा करुगा.. ओर हां.. मुजे आज धृव मीला तब हमारी बहुत कुछ बाते हुइ.. दीदी.. मुजे लगता हे वो मुजसे कुछ छुपा रहा था.. क्या इसके बारेमे मुजे बता सकती हे..?