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कहेते पुनमने फोन रखदीया.. तभी उनको ढुंढती हुइ मंजु वहा आ गइ.. ओर उसने पुनमको लखनके साथ बात करनेको बोल दीया.. तो पुनमने उसे बोल दीयाकी बात होचुकी हे.. तो इधर लखन भी फोन रखकर सभी दरवाजा लाइट बंध करके उपरकी ओर चला गया.. तो सृती लखनका इन्तजार करते बेठी थी.. जैसे ही लखन वहासे गुजरा उसने लखनको आवाज देकर अंदर बुलाया.. ओर बाथरुम जानेकी बात की.... अब आगे
तो लखन सृतीको गोदमे उठाकर अंदर ले गया.. ओर सृतीको पीसाब करना था.. लेकीन आज सृतीने लखनको बहार जानेके लीये नही बोला.. ओर वो कामुक नजरोसे लखनकी ओर देखती रही.. जैसे ही लखन बहार जाने लगा.. सृतीने उनका हाथ पकडकर वही रोक लीया.. ओर सृती पीसाब करने लगी.. ओर लखनकी ओर देखते सरमाते हसती रही.. लखन भी मुस्कुराते दुसरी ओर देख लेता हे..
सृती : (मुस्कुराते) नजर क्यु फेरली..? कैसे मजनु हो आप..? आपकी मासुका आपसे मीलन करनेके लीये तरस रही हे.. ओर आप सरमा रहे हो..?
लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. पता हे आप क्या चाहती हो.. लेकीन कुछ दिन इन्तजार नही कर सकती..? मेने कहाना वो आपके लीये सरप्राइज होगा.. आप मान क्यु नही रही..?
सृती : (सरमाते धीरेसे) लेकीन कब..? कितने दिन..? यहा आग लगी हुइ हे.. ओर आप टालते रहेते हो.. अरे बाबु वही इन्तजार तो नही होता.. मेरी अेक गलतीकी इतनी बढी सजा क्यु दे रहे हे आप..? कास.. उस दिन ही मेने थोडी हींमत करली होती.. ओर हम मील गये होते.. तो आज मुजे इतना तडपना नही पडता.. अब ले चलो मुजे बहार..
लखन : (गोदमे उठाकर होंठ चुमते) दीदी बस.. कुछ घंटे.. देखना मेरी सरप्राइज देखकर आप रो पडोगी.. सृती : (गाल चुमते) भाइ.. प्यारकी तडप क्या होती हे.. आज देख भी लीया.. कास.. पुनो दीदी आपके प्यारको समज पाती.. आप उनके लीये बहुत तडपे होनां..?
लखन : (बेडपे सुलाते) हंम.. ओर आज भी तडप रहा हु.. दीदी.. अभी उनसे बात हुइ.. कारके बारेमे.. तो वो इनोवा लेनेको केह रही थी.. व्हाइट या फीर मेटालीक चेरी रेड.. आप क्या कहेती हो..?
सृती : (खुस होते) वा..व.. इनोवा.. माइ डिड्ढम कार.. भाइ.. वो बहुत महेंगी आती हेनां..? दोनो कलर मस्त हे.. आपको जो पसंद हो वोही लेना..
सृती : (सरमाते लखनके सीनेपे मुका मारते) क्या हम दोनो कारसे भी महेंगी हे..? अभी तो हमने खर्या करवाया ही कहा हे..?
लखन : (मुस्कुराते) तो फीर ये आपहीके लीये तो ले रहा हु.. वरना मेरे पास तो मेरी बाइक हेनां.. ठीक हे अब आप सोजाओ.. मे अभी रजीयाको यहा भेजता हु..
सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. बेचारी कामसे थकी होगी.. उसे वही सोने दोनां.. अगर मुजे जरुरत पडी तो मे आपको फोन करके बुला लुगी..
लखन : (हसते धीरेसे) हंम.. ठीक हे.. लगता हे.. आज आपकी नीयत कुछ ठीक नही हे.. हें..हें..हें..
सृती : (मुस्कुराते) आप मेरे होने वाले पती हो.. तो फीर नीयत बीगड जाये भी तो क्या फर्क पडता हे.. वक्त आनेदो.. देखना मे इसका बदला जरुर लुगी.. हें..हें..हें..
लखन : (मुस्कुराते बेडसे खडे होते) अच्छा दीदी.. आप आराम करो मे नीलुसे बात करके आता हु..
सृती : (हाथ पकडते) सीर्फ बाते करोगे..? ओर कुछ नही..
लखन : (वापस बैठते आंखोमे देखते) नही.. सीर्फ बाते.. ज्वेलेसी फील हो रही हे..? वो मुजे आज कुछ कहेने वाली हे.. इस बारेमे हम कल बात करेगे..
सृती : (कंधेपे सर रखते) भाइ.. सच कहु..? अब बहोत ज्वेलेसी फील होती हे.. अैसा लगता हे आप सीर्फ मेरे हो.. कास.. पहेले मेने आपसे सादी करली होती..
लखन : (मुस्कुराते खडा होते) हंम.. तो फीर आपकी ओर सोतने हे वो कहा जायेगी..?
सृती : (मुस्कुराते) हंम.. आइ नो.. ठीक हे.. मे मेरी सरप्राइजका इन्तजार करुगी..
फीर लखन वहासे चला जाता हे.. ओर रजीयाके पास जाकर उसे देखता हे.. तो वो घोडे बेचकर गहेरी नींद सो रही थी.. तो लखन नीलमके रुममे चला जाता हे.. नीलम उनका ही इन्तजार करते जाग रही थी.. जैसे ही लखन अंदर आया ओर दरवाजा बंध कीया तो नीलम बेडसे उतर गइ.. ओर आज पहेली बार दोडकर लखनकी बाहोमे समा गइ.. तो लखनने उसे वही अपनी बाहोमे भर लीया..
तो नीलमने कसके लखनको बाहोमे भीच लीया.. ओर सरको लखनके सीनेमे छीपा लीया.. फीर कुछ देरके बाद नीलमने सर उठाके लखनकी आंखोमे देखा.. दोनो अेक दुसरेको देखते रहे.. आज नीलम बडी मासुम लग रही थी.. ओर पता ही नही चला कब दोनोके होंट मील गये.. लखन नीलमके बुब्सको थामते उनके होट चुमने लगा.. फीर लखनने नीलमको वही गोदमे उठा लीया ओर बेडकी ओर चल पडा..
लखन : (मुस्कुराते) क्या बात हे नीलु.. आज तो सामनेसे दोडकर आ गइ..?
नीलम : (सरमाते धीरे) जीजु.. आइ लव यु.. मुजे आपसे प्यार हो गया हे.. पता नही अब धिरेनका साथ अच्छा नही लगता..
लखन : (सामने देखते) नीलु.. अैसा क्यु बोल रही हो..? तुजे तो उनके साथ पुरी जींदगी काटनी हे..
नीलम : (आंख गीली करते) नही जीजु.. अब धिरेनके साथ सादी करना मेरी मजबुरी बन चुकी हे.. मेने आपके साथ जीदंगी भर साथ नीभानेका वादा कीया हे.. तो मेरी जींदगी युही गुजर जायेगी.. वरना मे धिरेनसे सादी नही करती.. ओर आपके साथ करलेती.. लेकीन अब मे चाहते हुअे भी आपके साथ सादी नही करुगी..
लखन : (जोरोसे बाहोमे भरते) बस.. रोना नही.. क्या मे वजह जान सकता हु..? तुम मेरे साथ सादी क्यु नही करेगी..? ओर तुमने धिरेनको चुन लीया..
नीलम : (आंख पोछते) हां जीजु.. आज इसीलीये तो आपको यहा बुलाया हे.. अगर मेने आपके साथ सादी करली.. तो आपके साथ गजब होजायेगा.. क्युकी कोइ हे जो आपके खानदानके साथ साजीस कर रहा हे..
लखन : (जानते भी अनजान बनते) कैसी साजीस..? कौन हे जो अैसी साजीस कर रहा हे..?
नीलम : (नजर जुकाते धीरेसे) मेरी मम्मी.. जीजु.. वो मेरी सादी आपके साथ करवाके आपकी आधी जायदाद हडपना चाहती हे.. अगर आप मुजसे सादी नही करते तो वो मेरा इस्तमाल करके मुजे आपसे प्रेगनेन्ट करवाना चाहती हे.. ताकी बडे जीजुको सादीके लीये मजबुर कर सके.. ओर मे आपकी कायदेसे बीवी होजाउ.. बादमे वो दोनो भाइओमे फुट पडावकर जायदादका बटवारा कर सके.. ताकी आपकी आधी जायदाद मेरी होजाये..
लखन : (मुस्कुराते) अच्छा..? इतना बडा प्लान..? लेकीन वो अैसा करना क्यु चाहती थी..? कोइ खास वजह..?
नीलम : (सर जुकाते) जीजु.. लडकीया चाहे अमीर हो या गरीब.. सबके सौक ओर सपने बहुत बडे होते हे.. इनमे भी ये गरीब घरकी लडकीया.. उनके सपने तो बहुत ज्यादा बडे होते हे.. उनको पैसे बहुत प्यारे लगते हे.. उनका सपना हमेसा अमीर घरमे सादी करना होता हे.. उनकी डीमांन्ड बहुत ज्यादा होती हे.. ओर मम्मीके साथ भी यही हुआ..
लखन : (सामने देखते) मतलब..?
नीलम : अेक तो उनके मायके वाले बहुत गरीब थे.. अेक अच्छे परीवारमे सादी हुइ तो पती सराबी नीकला.. जो उनकी ख्वाहीसोको पुरा नही करपाया.. ओर उपरसे उनको जो सुख चाहीयेथा वो नही दे पाया.. फीर मेरे पप्पा इनकी जींदगीमे आये.. जो उनकी हर जरुरतको पुरा करने लगे.. यहा तक उनकी सारीरीक जरुरतको भी पुरी करने लगे.. ओर नतीजा मेरा जन्म हुआ..
लखन : (सामने देखते) लगता हे तेरी मम्मीके बारेमे कुछ ज्यादा ही जानती हो..
नीलम : (फीकी मुस्कानसे) ओर नही तो क्या.. मम्मी समजती थी मे छोटी हु.. नादान हु.. जब भी पप्पा मीलने आते मुजे कीसीभी बहाने खेतोमे भेज देते.. ओर पीछेसे दोनो अपनी प्यास बुजाते.. मेने पीछेकी खीडकीसे कइ बार दोनोको फीजीकल होते देखा हे.. फीर उनसे सादी करली.. ओर यहा आकर देखा तो पापाके पास इतने पैसे नही हे.. ओर उनकी नजर आपपे पड गइ..
लखन : मतलब..?
नीलम : जीजु.. बुरा मत मानना.. पापासे आप लोग अमीर हे.. अच्छी खासी जायदाद हे.. सायद इसीलीये वो आपसे प्यार करबैठी.. ओर मेरी सादी आपसे करवाके अमीर बननेका सपना देखने लगी.. ओर इसी लालसाकी वजहसे वो साजीस कर बैठी..
नीलम : (मुस्कुराते) हंम.. सायद.. क्युकी वो बहुत कामी ओरत हे.. ओर आजकल पापाके साथ भी उनके रीलेशन इतने अच्छे नही हे.. क्युकी पापाके भी कइ ओरतोके साथ चकर हे.. इस बातका माको पता चल गया.. इसीलीये तो उसने आपके साथ रीलेशन बनाया..
लखन : (मुस्कुराते) हंम.. तो फीर तुम मुजे ये सब क्यु बता रही हो..? तुम भी तो उनके साथ थी.. क्या इसीलीये तुमने मेरे साथ रीलेशन रखनेके लीये राजी थी..?
नीलम : (नजरे जुकाते) हां जीजु.. आइ अेम सोरी.. लेकीन यकीन मानीये.. तब मुजे नही पता थाकी मां मेरा इस्तमाल आपके खीलाफ कर रही हे.. दरसल जबसे मेने आपका वो देखा.. तबसे मे आपसे प्यार करने लगी थी.. जीजु.. मेरा यकीन मानीये.. इसमे मेरी कोइ गलती नही हे.. मां सीर्फ मेरा इस्तमाल करना चाहती थी.. ओर सचाइ ये हेकी मे आपसे प्यार करने लगी हु.. कसमसे.. वरना मे ये सब आपको क्यु बताती..?
लखन : (जोरोसे बाहोमे भरते) नीलु.. अब तो तुजे पता चल गयानां भाभीमा ओर पुनोदी सबकुछ जानलेती हे.. हमे ये बात पहेलेसे ही पता थी.. आज खुसी हुइ तुमने मुजे सब सचाइ बतादी.. आइ प्रोमीस मे तेरा साथ कभी नही छोडुगा.. लेकीन अेक अफसोस जरुर रहेगा.. की मे तुमसे सादी नही कर सकता..
नीलम : (सामने देखते धीरेसे) जीजु.. यही तो मा चाहती थीकी मे आपसे सादी करलु.. इसीलीये मेने सादीके लीये धिरेनको चुना हे.. वरना मे पुनो दीदीका घर क्यु बरबाद करती..? ओर धिरेनभी मुजसे प्यार करता हे.. मे कइ बार धिरेनके साथ सो चुकी हु.. मुजे पता हे वो सेक्सके मामलेमे बीलकुल अनाडी हे.. वो मुजे कभी संतुस्ट नही कर पाया.. तो पुनो दीदीको क्या खाक संतुस्ट करता होगा..? वैसे अच्छा हुआ पुनो दीदी उनसे अलग होगइ.. कमसे कम आपसे सादी करके वो खुस तो रहेगी..
लखन : (मुस्कुराते) नीलु.. तेरी मम्मी भी मुजसे प्यार करने लगी हे.. मे उसे समजाउगा.. वो मान जायेगी.. उनसे नादानीमे गलत कदम उठालीया हे.. वो भी तेरे पापाकी वजहसे.. वरना पैसे कीसको नही चाहीये..? मेने तेरी मम्मीको भी कहा हे.. की तुम दोनोकी सभी जरुरत को मे पुरी करुगा.. तो फीर उनको ये सब करनेकी क्या जरुरत हे..?
नीलम : जीजु.. वहीतो..? आप सभी लोग कीतने अच्छे हे.. हो सके तो आप मम्मीको भी माफ करदेना.. वो पापासे प्यार ना मीलनेकी वजहसे बोखला गइ हे.. ओर आपको तो पता हे अेक कामी ओरतको सेक्सकी कीतनी जरुरत होती हे.. बस.. वही प्यार उनको पापासे नही मील रहा..
जीजु.. मम्मीका रीलेशन आपके साथ हो तो भी मुजे कोइ अेतराज नही हे.. बस.. आप मुजे खुस रखना.. मे वादा करती हु.. आपका साथ मे कभी नही छोडुगी.. चाहे मुजे आपकी रखैल बनके भी क्यु ना रहेना पडे.. वरना उस धिरेनमे मुजे अब कोइ इन्ट्रेस नही हे.. मे तो बस आपसे प्यार करती हु..
लखन : नही नीलु.. अब सादी तो तेरी धिरेनसे ही होगी.. लेकीन रखैल नही.. मेरी सीक्रेट बीवी कहेलायेगी.. तु वहा खुसी खुसी रहेना.. हम दोनो मीलते रहेगे.. मे तेरा पुरा खयाल रखुगा.. आज तुमने मुजे सब सचाइ बतादी.. मेरा दिल जीत लीया तुमने..
नीलम : (लखनके सीनेपे सर रखते) जीजु.. आइ लव यु.. अब आप जब चाहो हम मील लेगे.. मे आपको प्यार करनेसे कभी मना नही करुगी.. आजसे मनसे मेने आपको पतीके रुपमे स्वीकार करलीया हे.. ओर जब हम मीलेगे तब तनसे भी आपकी होजाउगी..
नीलम : (सरमाते धीरेसे) जीजु.. पता हे..? आइ अेम वर्जीन..
लखन : (चोंकते धीरेसे) व्होट..? लेकीन कैसे..? तुम दोनो तो कइ बार मीले हो..
नीलम : (मुस्कुराते धीरेसे) हंम.. लेकीन उनका इतनासा हे.. अंदर जाता हेकी नही पता भी नही चलता.. पहेली बार हम मीले थे.. उतना दर्द नही हुआ जो अेक लडकीको पहेली बारमे होता हे.. सायद पुनोदी भी..
लखन : (मनमे खुस होते) क्या..? इतना छोटा हे उनका..?
नीलम : (मुस्कुराते होंठ चुमते) छोडो उस नामर्दको.. आजसे ये नीलम आपकी होगइ.. मुजसे प्यार करो.. कहेते नीलम लखनके होठोको चुमने लगी.. ओर दोनो ही प्यार करते बहेकने लगे.. लखनने नीलमका टोप नीकाल दीया.. तो नीलमके संतरे जैसे बुब्स उछलके बहार आगये.. लखनने सीधा वहा मुह लगा दीया ओर नीलमके बुब्सको चुमने लगा.. तो नीलम उतेजीत होते लखनका सर सहेलाते आंखोकी पुतलीया पलटाने लगी.. ओर मदहोसीमे लखनके सरको अपने बुब्सपे दबाने लगी..
नीलम : (मदहोसीमे आंख बंध करते) ओह.. जीजु.. आइ लव यु.. आज सारी हदे पार करदो.. मे आपके लीये बहुत तडपी हु.. मम्मीकी तराह मीललो मुजे.. बनादो मुजे अेक लडकीसे ओरत..
लखन : (बुब्स चुमते) नही नीलु.. आज नही.. वरना तुजे तकलीफ होगी.. इसके लीये हमे दो दिनके लीये वक्त चाहीये.. इसके लीये हमे कही ओर मीलना होगा.. जहा कोइना हो.. वहा सीर्फ मे ओर तुम.. ओर हमारा प्यार.. नीलम : (मदहोसीमे होठ चुमते) जीजु.. तो फीर मुजे कही ले चलो.. अब ओर बरदास्त नही होता.. हम जब भी मीलते हे ओरल सेक्स ही करते हे.. अब मुजे वो सुख चाहीये.. आज ही.. जो मुजे धिरेन कभी नही देपाया.. मे सब दर्द सेह लुगी.. लखन : (जोरोसे उरोज मसलते) नही नीलु.. देखना फीर तु भी तेरी मम्मीकी तराह मेरी दिवानी होजायेगी.. नीलम : (मदहोसीमे धीरेसे) जीजु.. होजायेगी नही होगइ हु.. जबसे आपका वो देखा हे तबसे आपकी दिवानी हो चुकी हु.. मुजे मजबुरन धिरेनके साथ जाना पड रहा हे.. आप मुजसे वो प्यार नही करते.. जो हर लडकी ओर ओरतको चाहीये.. जीजु.. मुजसे करलो मीलन.. आज जी भरके चोदलो मुजे.. मेरी हालत खराब होजाये.. कोइ परवा नही.. मे सेह लुगी..
लखन : (धीरेसे कानकी बुट काटते) नीलु.. थोडासा सबर कर.. तुजे वो प्यार भी मीलेगा जो तु चाहती हे.. बस.. कुछ दिन इन्तजार करले.. तेरी धिरेनके साथ सादी होगी.. उनसे पहेले हम जरुर मीलेगे..
नीलम : (पेन्टके उपरसे ही लंडको पकडते) जीजु.. जीद मत करो.. चोदलो मुजे.. बहुत मन कर रहा हे.. मसल डालो मुजे.. आपकी साली आपसे चुदवानेके लीये तैयार हे.. इस नागको डालदो अंदर.. लखन : (बुब्स चुमते) नीलु.. जीद मत कर.. आइ प्रोमीस हम बहुत जल्द मीलेगे..
नीलम : (मदहोसीमे धीरेसे लंडको चुमते) ठीक हे जीजु.. बस.. थोडासा टच तो करवादे.. बस.. थोडासा अंदर.. पुरा मत डालीयेगा.. नीलम वासनाकी आगमे जलने लगी.. दोनो प्यारकी आगोसमे खोने लगे.. ओर अेक अेक करते दोनोके तनसे कपडे अलग होते गये.. नीलमने लखनके लंडको थाम लीया.. ओर धीरे धीरे सहेलाते मुह लगाकर चुमने लगी.. फीर अचानक लखनको धका मारते बेडपे लीटा दीया.. ओर दोनो पैर पैसारते लखनकी कमरपे बैठ गइ.. लखन उनकी हरकतको देखने लगा..
नीलम नसीली आंदोसे देखते थोडी उची होगइ.. ओर लखनके लंडको सहेलाते मुठीमे पकड लीया.. ओर नसीली आंखोसे देखते अपनी चुतपे घीसने लगी.. वो अंदर डालनेकी कोसीस करे उनसे पहेले ही लखनने नीलमको बाहोमे भीच लीया.. ओर पलटकर लखन सीक्स नाइनमे होते नीलमकी चुतको खरोदने लगा.. दोनोही कामातुर होकर प्यारके सागरमे डुबने लगे.. ओर अपनी मंजीलकी ओर बढते रहे.. नीलम लखनके लंडको लोलीपोपकी तराह चुस रही थी.. फीर कुछ ही देरके बाद दोनो अकडने लगे.. ओर बारी बारी जडने लगे.. लखनने नीलमको सुला दीया ओर उनके सीनेपे बुब्सको मसलते अेक हाथसे अपने लंडको जोरोसे हीलाने लगा.. तो कुछ ही देरमे नीलमके चहेरेपे अपने पानीकी बोछार करदी.. तो नीलमका पुरा चहेरा अपने पानीसे भीगो दीया.. नीलम अपनी जीभ नीकालकर धिरेनके विर्यको चाटने लगी.. फीर दोनो बाथरुममे जाकर सही होगये.. ओर अपने अपने कपडे पहेन लीये.. ओर लखन वहासे अपने रुममे चला गया.. तो दुसरी ओर देर रात पुनम भी नींद ना आनेकी वजहसे करवटे बदलती रही.. आज उसने लखनको फोन करनेको कहा था.. दोनो फोनपे सेक्सकी बाते करते.. ओर पुनम बाते करते अपनी चुतमे उंगली करती.. ओर जड जाती.. पुनमने देखातो भावना ओर लता दोनो सो चुकी थी.. तो पुनमने धिरेसे अपना फोन उठाया.. ओर बाथरुममे चली गइ.. वहा उसने ब्रा पेन्टीके अलावा अपने सभी कपडे नीकाल दीये.. सीर्फ ब्रा पेन्टीमे अपनी अेक सेल्फी लेकर उसने लखनको सेन्ड करदी.. तो लखन नाइट गाउन पहेनकर रजीयाके पास लेटा ही था की उनके मोबाइलकी स्क्रीन जल उठी.. लखन मोबाइल उठाकर देखने लगा.. तो पुनमकी बहुत ही मस्त सेक्सी पीक आइ थी.. तो लखन समज गयाकी पुनम अभी जाग रही हे.. ओर वो मोबाइल लेकर बाथरुममे घुस गया.. ओर पुनमको विडीयो कोल करदीया..
पुनम : (स्क्रीनमे देखकर मुस्कुराते धीरेसे) हंम.. तो आखीर मेरे मजनु भाइको मेरी याद आ ही गइ.. कहाथे अबतक..? मील आये मेरी सौतनको..?
लखन : (मुस्कुराते धीरेसे देखते) अरे वो..? हां.. उनसे बात करने गया था.. तो बस.. थोडा ओरल..
पुनम : (थोडा गुस्सेसे) मे फोन रखती हु.. सबकुछ वही करलेते.. क्यु फोन कीया..?
पुनम : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) हंम.. अपनी बहेनको नंगी देखोगे..? थोडा सबर नही कर सकते..?
लखन : (मुस्कुराते) हां तो..? बहेनको ही नंगी देखुगानां.. मेरी मासुका जो हे.. अैसी पीक देखकर कोन सबर करेगा..? मे आपका सबकुछ देखना चाहता हु..
पुनम : (सरमाते धीरेसे) अरे..? मेरा सबकुछ देख तो चुके हे.. ओर क्या देखना हे..?
लखन : दीदी.. यही आजाओनां.. आपसे मीलनेका बहुत मन कर रहा हे..
पुनम : (मुस्कुराते) आ रही हु बाबा.. मेरा भी यही हाल हे जो आपका हे.. भाइ.. आपसे मीलनेका बहुत मन कर रहा हे.. पता नही ये भाभीमांना..? ना जाने कब हम दोनोकी सादी करवायेगी.. भाइ.. वोही खेल.. सुरु करे..?
लखन : (लंडको हीलाते) दीदी.. बस.. हो गया.. अब धीरे धीरे अंदर बहार करो.. समजलो मे आपको चोद रहा हु..
पुनम : (मदहोसीमे आंख बंध रखते) ओह.. या.. यस.. ये..स.. फकमी ब्रधर.. ओर जोरसे.. फकमी हार्ड.. मसल डालो अपनी बहेनको.. ओर जोरोसे चोदो.. आइ.. सी...इइइइ.. लखन : (लंडको जोरोसे हीलाते) दीदी.. दुसरी उंगलो डालो.. समजलो मेने पुरा घुसा दीया..?
पुनम : (उतेजीत होते मदहोसीमे) येस.. येस.. भा..इ.. ओर जोरोसे.. चोदलो अपनी पुनोको.. पुनो सीर्फ आपकी हे.. ओर जोरसे आह.. आह.. आह.. आइइइ.. सीसस... उइइइइ मां... चो..दो.. भा..इइइइ...
लखन : (काफी देर हीलानेके बाद जोरोसे लंड हीलाते) येस.. येस.. पु..नो.. मे तुजे चोद रहा हु.. आइ... आह..
पुनम : (जोरोसे उंगली करते मदहोसीमे) भाइ... आह.. आइ अेम कमींग.. येस.. येस.. आइइइइइ.. मे.. ग..इइइइइ भाइ.. चोदो.. मे गइ..... आह आह.. आइइइइइइ.. सीससस.. भा..इइइइइइ.. लखन : (मदहोसीमे) दीदी.. मेरी.. पु..नो.. लव यु.... येस.. येस.. मे गया.. आह.. आह.. लखन ओर पुनम दोनोही फोन सेक्स करते अपने चरमोपे पहोंच गये.. ओर कुछ ही दरमे साथमे जड गये.. जडते ही पुनम बहुत ही सर्मीन्दा हुइ.. ओर फटाफट अपनी चुतको पानीसे साफ करके अपनस ब्रा नीकरको पहेनने लगी.. वो फोनकी ओर देखते हसती रही.. तो लखन भी पुनमको देखकर हस रहा था.. तभी पुनमने अपना फोन लेलीया ओर लखनसे बाते करने लगी..
पुनम : (सर्मसार होते) भाइ.. आप बहुत गंदे हो.. ना जाने आपने कहासे ये फोन सेक्सकी आदत डालदी..
फीर पुनमने फोन काट दीया ओर कपडे पहेनकर आयनेके सामने चली गइ.. ओर अपना बाल ठीक करते हुलीया सही करलीया.. जैसे सचमे लखनने उसे चोद लीया हो.. ओर फोन लेकर धीरेसे बहार नीकली.. तोभावना ओर लता.. दोनोही अदब लगाते बाथरुमके दरवाजेके पास खडी पुनमको घुरने लगी.. तो पुनम दोनोको देखते अेक पलतो गभरा गइ.. फीर धीरेसे मुस्कुराते सरमा गइ ओर बेडकी ओर जाने लगी तभी..
लता : (सामने देखते) बेसर्म लडकी.. कैसी आवाजे कर रही थी.. जैसे सचमे चुदवा रही हो..
भावना : (मुस्कुराते) इनसे तो अच्छा हे वही जाकर मीललो..
पुनम : (जुठा गुस्सा करते धीरेसे) हां मील लुगी समजी..? दोनोको सरम नही आती अैसे छुपकर मजे ले रही थी.. मेरा होने वाला पती था ओर कोइ नही समजी..?
भावना : (जटसे पास आकर बैठते धीरेसे) दीदी.. दोनोने फोन सेक्स कीया क्या..? कैसा हे उनका..?
पुनम : (मुस्कुराते कानमे) जब आप अंदर लोगीना तब पता चल जायेगा.. फीकर मत करो.. हम साथमे जा रही हे.. आपसे भी मीलवा दुगी..
भावना : (सर्मसार होते धीरेसे) ना बाबा.. मे कोइ नही मीलुगी.. आप ही मील लेना..
लता : (पास आकर बैठते) दीदी.. बडाही कमीना हे वो.. देखना आपको भी छोडेगा नही.. पुनोदी ठीक केह रही हे.. ओर मत भुलो.. इसे सब पता चल जाता हे..
भावना : (सामने देखते धीरेसे) कमीनी क्यु डरा रही हे..? अभी मेरे नये पतीसे तो नीपटनेदे.. देवरको बादमे देख लुगी.. चलो अब सो जाओ.. बहुत रात होचुकी हे..
कहेते तीनो सोने लगी.. तो गांवमे भी हर रातकी तराह चुदाइका तांडव चल रहा था.. अब तो सबलोग अपनी मासुकाके साथ खुलकर सेक्स करने लगे थे.. ओर उनकी चर्चा भी करते थे.. अब ज्यादातर लोगोको अैसे रीस्तोमे कोइ अेतराज नही था.. अब तो बडी उमरके पुरुष भी खुलकर सेक्स करने लगे थे.. जीनके साथ उनका जवानीमे टाका भीडा हुआ था.. गांवकी बढी ओरतोमे भी कामुक्ता छाइ हुइ थी..
लगभग हर घरमे कोइना कोइ बडी ओरत होती थी.. कोइ घरमे कीसीकी विधवा भाभी थी.. तो कोइ घरमे बडी बहेन जो अपने पतीने छोड दीयाहो.. या फीर विधवा होकर अपने भाइके साथ रहेती हो.. वो सभी ओरतोने अपनी काम वासना संतोसीके लीये घरके मर्द या घरके मुखीयाको ही सेट करलीया था.. जो उस घरके मर्द अपनी बीवीसे छुपकर अपनी भाभी.. या फीर अपनी बडी बहेनको काम सुख देता था..
बंसीके घरपे भी सब कुछ भुलकर रुटीन हो गया था.. जब भी मौका मीलता बंसी ओर जागृती अेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते ओर बात अेक दुसरेके होठो ओर बुब्सको मसलने तक सीमीत रहेती.. ओर रातमे बंसी जमकर सांतीकी चुदाइ करता.. जागृती दोनोकी चुदाइ बहारसे देखती.. सांतीके कहेनेपे भी जागृती बंसीको मीलनेके लीये सरमके मारे कतरा रही थी.. तो आज भी बंसी सांती के उपर चडा हुआ था.. तभी.. सांती : (मदहोसीमे चुदवाते) बंसी.. धीरेसे चोदनां.. मे कही भागी थोडीना जा रही हु.. आप कीतना जोसमे करते हो.. अब तो मुजसे सहेन भी नही होता.. कही अपनी बहेनकी भडास मुजपे तो नही नीकाल रहे हो..
बंसी : (जोरोसे कमर हीलाते) हां.. उसीकी भडास हे.. कमीनी कीससे आगे बढने ही नही देती.. लगता हे.. वो तुमसे डरती हे.. या फीर तेरी हाजरीकी वजहसे सरमाती हे..
सांती : (मुह बीगाडते) आइ.. बीलकुल सांढ होगये हो.. थोडा धीरे करोनां.. ओर डर काहेका..? मे कहा उनको मना कर रही हु.. उलटा मेतो उसे आपसे मीलनेके लीये कइ बार केह चुकी हु.. लगता हे वो सरमा रही हे.. अब उनकी सरम मीटानेके लीये मुजे ही कुछ करना पडेगा.. लेकीन तब आप मत सरमाना.. ओर हथोडा मार देना.. अेक बार दोनो मील गये.. तो उनकी सरम चली जायगी..
बंसी : (जोरोसे चोदते) सांती.. तुम कुछ करोनां.. मे तुम दोनोको खुस रखुगा.. पता नही उनके दिमागमे क्या हे..
सांती : (मुस्कुराते) जानु.. पहेले मुजे अच्छेसे चोदलो फीर मे आपको बताती हु.. कहातो बंसी सांतीको जोरोसे चोदने लगा.. अबतक सांती ना जाने कीतनी बार जड चुकी थी.. ओर बंसीभी अेक बार सांतीकी चुतको भर चुका था.. ओर ये उनका दुसरा राउन्ड था.. अब तो सांती भी बंसीसे चुदवाते नीढाल होचुकी थी.. उनका अेक अेक अंग दर्द करने लगा था.. ओर वो बंसीसे चुदवाते भी जागृतीको कोस रही थी.. जब दोनो जड गये तो बंसी सांतीके उपर ढेर होके पडा था.. ओर सांती उनकी पीठ सहेला रही थी.. तभी..
सांती : (होंठ चुमते) हां जानु.. सुनो.. आज तो आपने मुजे थका दीया हे.. तो मे चाहती हु.. आज रात आप मेरे साथ नही जागुके कमरेमे सो जाओ.. ओर करदो उनका काम तमाम.. कमीनी बहुत नखरे कर रही हे..
बंसी : (बुब्स चुमते) लेकीन सांती.. मुजे तुम भी चाहीये.. अब तेरे बीना नींद ही नही आती..
सांती : (मुस्कुराते धीरेसे) अरे यार.. मे तो रोज देती हु.. सीर्फ आजके दिन.. ओर आपको आज कहा सोना हे.. जो नींदकी बात करते हो.. यही समजलो आज तुम दोनोकी सुहागरात हे.. आपके पास तो वो गोली भी हे.. आजके दिन खा लेना.. ओर वो कमीनी कोइ नखरे करे तो.. फीर भी आप पीछेहट मत करना.. आज कीसीभी तराह उनको चोदलो.. फीर देखना वो कैसे आपकी दिवानी हो जाती हे.. समजे..?
बंसी : (मुस्कुराते) ठीक हे.. लेकीन देरसे जाउगा.. उनसे पहेले तुजे अेक बार चोदना चाहता हु..
सांती : (सरमाते हसते धीरेसे) बीलकुल पागल हो.. अब नही.. अब चुदेगी तो आपकी बहेन.. कमीनी बहुत सरमा रही हे.. आज करदो इनका काम तमाम.. समज गयेनां..?
दोनो चुदाइ करते जागृतीको चुदवानेका प्लान करने लगे.. तो दुरी ओर जबसे जवेरीलाल जीतुलाल ओर वृन्दा घर छोडकर सहेर चले गये थे तबसे श्रीधर भी हर दिन जयश्रीकी बीना नीचे उतरे दो बार चुदाइ करलेता था.. जयश्रीका अेक अेक ढीला हो जाता.. ओर वो थकके चकनाचुर होकर सो जाती.. श्रीधरको तीसरी बार हाथ भी नही लगाने देथी.. तब गर्मीका मौसम भी चल रहा था..
तो आज भी श्रीधर जयश्रीकी चुदाइ करके गरमीका बहाना बनाकर चदर तकीया लेकर उपर छतपे सोनेका बहाना बनाकर रुमको बहारसे बंध करके चला गया.. ओर सीधा ब्रीन्दाके कमरेमे घुस गया.. तो ब्रीन्दाभी सोइ हुइ थी.. श्रीधर सीधा उनके बेडपे जाकर ब्रीन्दाको बाहोमे भरके सो जाता हे.. फीर कुछ देरके बाद श्रीधर ब्रीन्दाकी गुफामे धमाका करते उनकी घमासान चुदाइ करने लगा.. श्रीधर ब्रीन्दाकी चुतको भी दो दो बार हरी भरी कर देता.. फीर दोनो अेक दुसरेसे लीपटकर नंगे ही सो जाते.. फीर सुबह छे बजे ब्रीन्दा जागती.. ओर श्रीधरको उनके कमरेमे भेज देथी.. अबतो हर दिन यही रुटीन हो गया.. इधर बनवारी लालाने भी कोर्टमे जाकर उनकी बहुसे सादी करली थी.. फीर गांवके सभी दोस्तोको खानेपे बुलाया.. ओर सबको सादीकी जानकारीया देदी.. तो गांवके लोग भी खुस होगये..
अब गांवपे पुरी तराह आपसी रीस्तोका परवाना चडा हुआ था.. सबलोग अब देवायत ओर मंजुकी हर बात मानने लगे थे.. तो दुसरी ओर अब मंजुके जानेका वक्त भी नजदिक आने लगा था.. तो चंदा हर वक्त विजयके साथ ही वक्त बीताने लगी.. उनपे पुनम भी चंदाकी मदद करती.. वो भी विजयका पुरा खयाल रखती.. वो हर दिन उनके सरीरका मालीस करती.. ओर उनकी नुनीकी मालीस करते उनका पुरा खयाल रखती.. तो साथमे भावना भी अपनी बच्चीको सम्हालती..
अैसे ही सुबह होगइ.. आजका सुरज अेक परीवर्तनकी नइ उर्जा लेकर नीकला.. लखन सुबह देर तक सोता रहा.. तो राधीका रजीया ओर नीलम जागकर कंपलीट होकर नीचे आगइ थी.. राधीकाने उनकी मम्मीको तो रजीया नीलमने मीलकर सृतीको भी कंपलीट करके उनको चाइ नास्ता करवा दीया.. फीर रजीयाने लखनको भी जगाया.. तो लखन भी कंपलीट होकर नीचे आगया.. सब लोग चाइ नास्ता करने बैठ गये..
राधीका : (सरमाते धीरेसे) लखन.. वो.. मम्मी.. कुछ पुछ रही थी.. आपने भाभीमासे बात करली..?
लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. मेने भाभीमांसे बात करली हे.. मे सामको तुम दोनोको घरपे छोड दुगा.. साम तक कार आजायेगी.. मे अभी लेने ही जा रहा हु.. क्या तुम चलोगी..?
राधीका : (मुस्कुराते) नही.. मुजे आप होस्टेल पे छोड दीजीये.. क्या हेना.. अभी कोर्पोरेशनका चेकींग बेकींग चल रहा हे.. तो वहा रहेना बहुत जरुरी हे..
रजीया : (सामने देखकर) राधु दीदी.. क्या आप घर जा रही हे..?
राधीका : (मुस्कुराते) हां.. लेकीन मेरा नही.. मम्मीका मन घर जानेको कर रहा हे.. तो जाना पडेगा..
लखन : रजु.. तो फीर तुम ओर नीलु.. चलो मेरे साथ.. हम कार लेने जा रहे हे..
रजीया : यार.. राधीका दीदीभी जा रही हे.. तो मम्मीजीका खयाल कौन रखेगा..? आप ओर नीलु चले जाओ..
नीलम : (खुस होते हसते) वाव.. ठीक हे जीजु.. मे साथ चल रही हु.. फीर देखना मुजे लोंग डड्ढाइवपे लेजना पडेगा.. हें..हें..हें..
रजीया : (हसते) अरे.. तु अकेली थोडीना जायेगी.. हम भी साथ चलेगे.. क्यु राधु दीदी..? हें..हें..हें..
लखन : (हसते) हां चलना.. मे ये तुम सबके लीये तो ले रहा हु.. फीर तो सृती दीदीकी कार भी कंपलीट रीपेर होकर आजायेगी.. फीर कोइ दिकत नही होगी.. अेक छोटी ओर अेक बडी कार होजायेगी..
फीर लखन राधीकाको उनकी होस्टेलपे छोडने चला जाता हे.. तो राधीका वहाका कुछ काम देखकर लखनको लेकर अपने रुममे चली जाती हे.. ओर दोनो अेक दुसरेको प्यार करने लगते हे.. कुछ ही देरके बाद लखन राधीकाकी चुतपे हमला करदेता हे.. ओर बीना नीचे उतरे ही राधीकाकी चुतको दो बार अपने पानीसे सीच देता हे.. फीर दोनो बाथरुममे कंपलीट होकर बहार ओफीसमे आजाते हे.. तब.. राधीका : (सरमाते धीरेसे) जानु.. आप वादा करो.. मे भले ही कुछ दिन मम्मीके वहा चली जाउ.. लेकीन आप हर दिन मुजसे मीलने यहा आओगे.. अब आपके बीना नही रहा जाता.. आपकी आदत जो हो चुकी हे..
लखन : (मुस्कुराते) राधु.. अब तु मेरी बीवी हे.. तो मे तुमसे कैसे अलग हो सकता हु.. तु फीकर मत कर मे आता जाता रहुगा.. चल मे अब चलता हु.. वो कार लेने भी जाना हे.. इनसे पहेले आज सृती दीदीको दीखाने भी जाना हे..
फीर लखन वहासे नीकल गया.. ओर सीधा घरपे आगया.. वो सृतीको गोदमे उठाकर नीचेकी ओर ले आया.. फीर ओटो करके वो सृतीको लेकर पहेले होस्पीटल चला गया.. तो वहा डोक्टरने सृतीके हाथ पांवका अेक्सरे लेकर सृतीको देख लीया.. ओर हाथका प्लास्टर नीकाल दीया.. सृतीको वोकरके सहारे चलनेकी अनुमती देकर पंद्नह दिनके बाद फीरसे दीखानेको कहा.. फीर दोनो होस्पीटलसे बहार आगये..
सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. मे आपके साथ कुछ पल टाइम स्पेन्ड करना चाहती हु.. चलोना हम यहीसे सीधे मेरे घरपे चले..
लखन : (मुस्कुराते) नही.. वहा जानेमे जोखीम हे.. हें..हें..हें.. पहेले चुप चाप हमारे घर चलो.. अब आपका घर वोही हे.. समजी..?
सृती : (सरमाते हसते) क्या भाइ आपभीनां.. अरे चलोना.. कुछ नही होगा.. मे आपके साथ थोडा टाइम स्पेन्ड करना चाहती हु.. अब तो डोक्टरने भी पैर नीचे रखनेकी ओर वोकरके सहारे चलनेकी छुट देदी हे.. तो कलसे क्लीनीकपे भी जाना हे.. आप मुजे छोडने लेने आओगेनां..?
लखन : (मुस्कुराते) दीदी येभी कोइ पुछनेकी बात हे..? आप मुजे कीतनी बार पुछ चुकी हो.. मेने कहा तो सहीकी मे लेने छोडने आउगा.. इसीलीये तो आज कार लेने जा रहा हु..
सृती : भाइ.. वो मेरी कारका क्या हुआ..?
लखन : (गोदमे उठाकर बहार लाते) दीदी.. उनको कंपलीट होनेमे अभी दस पंद्नह दिनका टाइम लगेगा.. ओर आज तो हमारी कार भी आजायेगी.. फीर क्या प्रोबलेम हे..? चलो अब..
फीर दोनो ओटो करके सीधा घरपे आगये.. तो सृतीने घरमे जानेके लीये चलनेकी कोसीस की.. तो पैरमे थोडा दर्द होने लगा.. तो लखनने ओटोके पैसे देकर उसे वापस गोदमे उठालीया.. ओर उपर लेजाकर उनके रुममे आ गया.. तो सृतीने सरमाकर मुस्कुराते लखनको बाथरुमकी ओर इसारा कीया.. लखन उनको सीधा बाथरुममे ले गया.. ओर कमोडपे बीठा दीया.. फीर बहार जाने लगा तभी..
सृती : (हाथ पकडकर रोकते धीरेसे) भाइ.. अब होने वाली बीवीसे क्या सरमाना.. आप यही रुकोनां..
लखन : (थोडी मस्तीके मुडमे) अरे जब होगी तब देखा जायेगा.. अभी तो नही होनां..?
सृती : (नजरे जुकाते) भाइ.. लगता हे आप अभी भी मुनसे नाराज हो..? क्या मेरी इतनीसी बात नही मानोगे..?
लखन : (मुस्कुराते) नही.. मे कोइ नाराज नही हु.. ठीक हे.. लेकीन अेक सर्तपे रुकुगा..
सृती : (सरमसे पानी पानी होते जुठा गुस्सा करते) छी.. भाइ.. नही.. आप बहार चले जाओ.. आप बहुत गंदे हो..
लखन : (सामने नीचे घुटनोपे बैठते) क्यु..? कल तो मुजे रोककर मेरे सामने ही मुत रही थी.. तबतो सरम नही आइ..? अब नही जाउगा.. आज तो पका देखकर जाउगा.. ओर मेरी बीवीको देख रहा हु.. कीसी ओरको नही समजी..? चलो लोअर नीचे करो..
सृती : (सरमाते हसते धीरेसे) भाइ.. आप बहुत गंदे हो.. मत भुलो अभी आपहीने कहा मे अभी आपकी बीवी नही हु.. आपकी बहेन हु..
लखन : (मुस्कुराते) हंम.. तब तो पका देखकर ही जाउगा.. क्युकी मेरी पहेली चाहत मेरी बहेन ही हे.. चलो.. नखरे मत करो.. जो बोला हे वोही करो.. हें..हें..हें..
सृती : (सरमाते सलवारका नाडा खोलते) भाइ.. आप बहुत जीदी हो.. नही मानोगे.. यार मुजे सरम आ रही हे.. जब पास रुकनेको बोलती हु.. तब तो भाग जाते हो.. इसीलीये तो मे आपको मेरे घरपे चलनेके लीये बोल रही थी.. ठीक हे देखलो..
कहेते सृती सरमाते धीरेसे सलवार घुटनो तक करती हे.. तो लखनको उनकी दिलवाइ रेड चडी दीखाइ देती हे.. तो सृती बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर उसने हिंमत करते चडीको भी नीचे कीया.. तभी लखन नीचे बैठकर सृतीकी चुतकी ओर ही देख रहा था.. लखनको सृतीकी गुलाबी चुतके दर्शन होगये.. जो उनके आजु बाजु बालोका गुछा लगा हुआ था.. ओर सृती सर्मसार होते मुतने लगी.. लखन मुस्कुराते सृतीकी चुतकी ओर देखता ही रहा....