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Shayari रूप की अभिव्यंजनाए

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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आवरण तन का हटा हर दृश्य दर्पण हो गया
भ्रांत दृष्टि-मरीचिकाए पारदर्शी हो गयी

प्यास कामातुर हुई तो स्वरिणी पतिता हुई
तृप्ति ने तप को वरा पियूषवर्षी हो गई

जब थका पुरुषार्थ ,जब असिधार का पानी घटा
संधि की संभावनाएं चीर-विमर्शी हो गई
:claps: :bow:
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
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Sr. Moderator
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रूप की छवि देखता ही रह गया दर्पण
अनकहे की जाने क्या-क्या कह गया दर्पण

एक दिन जिस रूप का यश-केतु बन फहरा
क्यों उसी को राहु बन कर गह गया दर्पण

जो ह्रदय की धड़कने सुनता रहा छुप कर
रूप की आँखों मैं हो दुर्वह गया दर्पण।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,727
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रूप की छवि देखता ही रह गया दर्पण
अनकहे की जाने क्या-क्या कह गया दर्पण

एक दिन जिस रूप का यश-केतु बन फहरा
क्यों उसी को राहु बन कर गह गया दर्पण

जो ह्रदय की धड़कने सुनता रहा छुप कर
रूप की आँखों मैं हो दुर्वह गया दर्पण।
Zabardast,,,,, :perfect:
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
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कल्पना को नित नए जो रूप देता था
क्यों वाही टूटे सपन का ढह गया दर्पण?

रूप-सरसी मैं नलिन सा जो विहँसता था
क्यों नयन से अश्रु बनकर बह गया दर्पण?

प्राणलेवा तीर से तिरछे कटाछन को
किस सरलता से सहज ही सह गया दर्पण।
 

Rahul

Kingkong
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:congrats: for new thread :dost:
 
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Reactions: Iron Man

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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Bhut hi shaandaar :hukka:
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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