piyanuan
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ye story b aa gayi yaha
kayi saal ho gaye ise read kiye hue, fir se slowly
kayi saal ho gaye ise read kiye hue, fir se slowly
अपडेट ४
नेक्स्ट डे सुबह 8:30 बजे, मैने उसे मेसेज करा
मेरा मेसेज : हाई , गूडमॉर्निंग, वेर आर यू ?
अंश’स रिप्लाइ: गूडमॉर्निंग, गोयिंग कॉलेज ,ऑन दा वे , बड़ी जल्दी उठ गये
मे: हाँ, जल्दी सो गया रात को,
अंश : ओक, मैने तुमसे कल शायद कुछ पूछा था उसका जवाब कब मिलेगा?
मे: हाँ हाँ याद है, आई नो, पर मेसेज पर नहीं दूँगा जवाब, कॉल पर ही दूँगा
अंश: क्यूँ, मेसेज मैं क्या प्राब्लम है?
मे: मुझे भी तो सुनना है तुम्हारा रीएक्शन क्या होगा मेरे आन्सर पर
अंश: ह्म, चलो ठेके है फोन पर ही बता देना
अंश: अछा मैं अब बिज़ी हूँ, बाद मैं बात करते हैं ओक
मे: ह्म, ठीक है बाइ
उस दिन, नून मैं मेरा दोस्त घर आया, बड़ा खुश नज़र आ रहा था, मैने पूछा क्या हुआ भाई इतना खुश क्यूँ है? हू बोला यार बड़े दिनों बाद चूत ली मज़ा आ गया.
जब भी कोई मेरा दोस्त मुझे ये बोलता था की उसने लड़की को चोदा है तो मेरी झाँते जल जाती थी क्यूंकी मैं अभी तक वर्जिन था, पर मुझे प्रोस्तितुएस को चोदने का मन भी नहीं था वो सब उन्हे ही चोदते थे ज़्यादातर. मैने उसे पूछा किसे चोद आया?
बोला -यार एक हाउसवाइफ थी, बड़ी मस्त उसके यहाँ गये थे मैं और मेरा दोस्त, बड़ी मस्त थी यार. मुझे दूसरों की चुदाई की कहानी सुनने मैं बड़ा आता था तो मैने उसे पूछा बता कैसे चोदा , कैसी थी वो.उसने बताना शुरू किया ----
हम कल रात को 9 बजे उसके घर गये साउथ एक्स मैं, पहले मेरा दोस्त गया उसके साथ रूम मैं उसे चोदने, उसका पति बैठा न्यूज़ देख रहा था और मैं तब तक उनकी 8 साल की बेटी के साथ बाहर खेल रहा था, फिर आधे घंटे बाद मेरा दोस्त बाहर आया और मैं अंदर चला गया. मैने देखा वो बेड पर नंगी पड़ी है और पसीने से तर बतर है, और उसके मोटे मोटे बूब्स उपर नीचे हो रहे हैं, वो ज़ोर ज़ोर के साँस ले रही थी, मैं उसे देख रहा था की उसकी नज़र मेरे उपर पड़ी और बोली – “ साले सिर्फ़ देखेगा क्या? जल्दी से कपड़े उतार और चढ़ जा , बाहर घूमने भी जाना है आज मुझे फॅमिली के साथ जल्दी आ”, तो मैने जल्दी से कपड़े उतरे और उसके पास गया और उसको ज़ोर का किस करा, उसकी साँसे ऑलरेडी गरम थी, 5 मिनट उसको किस करता रहा और उसके बूब्स को दबाता रहा और फिर उसकी नेक को चूमते हुए उसके बूब्स को चूमा और उसके निपल मुँह मैं लेकर काटे, उसने ड्रॉयर मैं से कॉंडम निकल मुझे दिया, मैने कॉंडम चदयया और उसे चोदने लगा, 15 मीं चोदा और मैं झड़ गया.
मैने कहा बस? ये तो यार KLPD है. बस गये और चोद आए. मेरा दोस्त बोला तो क्या पूरी सुहग्रात बनता उसके साथ? मेरी बीवी नहीं है हू. मैने कहा फिर भी यार कुछ मज़े तो करता ये क्या की बस जाओ और झाड़ कर आ जाओ, इससे अछा है की मूठ ही मार लो,
वो बोला सेयेल तूने अभी चूत का सवद चखा नहीं है तो ज़्यादा बकवास मत कर, यह सुनकर मेरी गांड सुलग गयी, पर मैने मन मैं सोचा – “ साले जिस माल को पटाने मैं मैं लगा हूँ अगर वो मान गयी तो मेरी रोज़ दीवाली है और तुम साले प्रोस्तितुएस को ही चोदते रहना ”.
थोड़ी देर बाद मेरा दोस्त चला गया, मैने फिर आंशिका को मेसेज करा – “फ्री हो गयी क्या?” उसने रिप्लाइ करा – “नहीं अभी नहीं, सी यु लेटर, बाइ”.
मैं यही सोच रहा था साली क्या कर रही होगी कॉलेज मैं जो इतनी बिज़ी है, ज़रूर किस स्टूडेंट से चुद रही होगी, और ये सोचकर मैने मूठ मारी उसकी याद मैं.
. 4 बजे मैने फिर उसको मेसेज करा – “ अब फ्री क्या? या अभी भी बिज़ी?”
5मीं बाद उसकी कॉल आई
आंशिका: हेलो, क्या यार पेशियेन्स नहीं है तुम मे? मैने कहा था ना की मेसेज कर दूँगी जब फ्री होंगी.
मे: ओक सॉरी बाइ
और मैने फोन कट कर दिया, उसने फिर से कॉल करा, मैं कट करता गया. देन उसका मेसेज आया.
अंसिका’स मेसेज – क्या यार तुम तो बुरा मान गये, दोस्त से कुछ बोल भी नहीं सकते अब
मेरा रिप्लाइ : नो सॉरी, इट्स ओक यु डू युवर वर्क, मैं तो फ्री हूँ ना तो परेशन ही करूँगा
आंशिका’स रिप्लाइ : सॉरी यार, लड़की की तरह नखरे कर रहे हो, मैं अब कॉल कर रही हूँ
अगर नहीं उठाई तो मैं भी बात नहीं करूँगी
देन उसने कॉल करा, मैने रिसीव कर लिया
आंशिका: हेलो, मिस्टर सडू
मे :हाँ भाई हूँ सडू
आंशिका: अरे सॉरी ना बाबा,तुम तो बहुत जल्दी बुरा मान जाते हो
मे : नहीं ऐसी बात नहीं है
आंशिका: अछा, चलो छोड़ो ये बताओ क्या करा पूरे दिन?
मे : कुछ ख़ास नहीं, बोर होता रहा, दिन मैं दोस्त आया था, उससे बातें करी , देन बाहर घूमने गया. तुम्हारा दिन कैसा रहा?
आंशिका: हाँ ठीक ही था, काम था आज भी
मे : हाँ वो तो मैं जानता ही हूँ की आज ज़्यादा काम था
आंशिका: हहेहहे, बस भी कर यार अब क्या मारेगा , ग़लती हो गयी बस
मे : ह्म्*म्म्म, और बताओ अब क्या करोगी?
आंशिका: कुछ नहीं फिलहाल, हाँ तू मेरको बताने वाला था कुछ
मे : (जानभुजकर अंजान बन कर) अछा! क्या बताने वाला था?
आंशिका: (मुझे रोकते हुए) और उसी पर अटक जाती थी नज़र है ना?
(मैने सोचा चलो जब खुद ओपन हो रही है तो क्यूँ ना और ओपन होकर बात करूँ, सो मैं भी शुरू हो गया)
मे: अब क्या करूँ, लड़कियाँ जब वहाँ भी ऐसे कपड़े पहेंकर आएँगी तो नज़र तो जाईगी ही, रोज़ तो शॉर्ट टॉप्स पहेंकर आती थी
आंशिका: ह्म, ये तो है, अब मिस्टर. का दिल भी तो कंट्रोल मैं कैसे रहे
मे: ( फ्लर्ट करते हुए) वैसे सिफ उसी को नहीं देखता था मैं एग्ज़ॅम मैं
आंशिका: अछा जी, और कौन थी ऐसी वहाँ, और तो कोई नहीं थी जो शॉर्ट मैं
Awesome storyupdate 190
अंशिका : मुझे पता है...की तुम्हारी अपनी जिन्दगी है...पर फिर भी..ये मेरा एक प्रोपोसल है....तुम अपने हिसाब से देख लेना...पर अगर ऐसा हो जाए तो अच्छा है...हम सभी के लिए..
उसकी इस बात में छुपी हुई बात सोचकर मैं मुस्कुराने लगा...
मेरे सामने अपने भविष्य की तस्वीरे घूमने लगी....जिसमे मेरी और कनिष्का की शादी हो चुकी है....और अंशिका हमारे घर पर रहने आई है...और हम तीनो एक साथ...एक ही बिस्तर में....वाव.....
थोड़ी देर तक बात करने के बाद अंशिका ने फोन रख दिया..
अंशिका के दिखाए हुए सपने को दिल में संजोकर मैंने भी फोन रख दिया....और अपनी आने वाली जिन्दगी के बारे में सोचने लगा.
Mastupdate 31
मैने उस पार्किंग मैं बाईक खड़ी करी और आंशिका को लेकर उस पंडाल के पीछे चला गया, पंडाल के ठीक पीछे सेंटर मैं केटरिंग वाले बैठे थे, पीछे एक बहुत लंबी दीवार थी जो पार्क की बौंड्री थी, कॉर्नर से वो दीवार टूटी हुई थी जिससे आसानी से पार्क मैं जाया जा सकता था. मैने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे उस दीवार के पीछे ले गया, पीछे जाके देखा तो गांड फट गयी. पूरा पार्क सुनसान पड़ा था और कोई ऐसी जगह नहीं थी की जहाँ छिप के आराम से हम कुछ कर सकें, मैने पार्क मैं नज़र दौड़ाई, तभी मुझे अपने एक्सट्रीम लेफ्ट पर एक बाथरूम दिखा, मैने आंशिका को लेकर उस तरफ जाने लगा, वो डरे जा रही थी और कह रही थी – वहाँ कोई हुआ तो? रात को पार्क मैं अफ़ीमची घूमते रहते हैं, प्लीज़ कहीं और चलो. पर मेरे कानों मैं तो लंड घुसा हुआ था, मैं उसी तरफ जाने लगा, वहाँ पहुंचकर मैने देखा की बाथरूम के पास काफ़ी गंदगी थी और वहाँ पर किसी के आने का डर भी था, पर उस बाथरूम के ठीक पीछे एक काफ़ी उँची दीवार थी जिसके पीछे घर थे और स्ट्रीट लाइट जली हुई थी. मैं उस बाथरूम के पीछे गया, वहाँ पीछे काफ़ी स्पेस था और सुनसान भी था अगर कोई उस तरफ आता भी तो वो बाथरूम करके वापस चला जाता उसके पीछे नहीं आता, और लकिली पीछे काफ़ी लाइट भी थी उस स्ट्रीट लाइट की वजह से. मैं और आंशिका बाथरूम के पीछे और उस उँची दीवार की बीच मैं थे. वो चुपचाप खड़ी थी, उसके होंठ काँप रहे थे शायद डर के मारे, मैने उसे उपर से नीचे देखा, साली मस्त लग रही थी, मेरा लंड टन के टाईट हो गया एकद्ूम. उसना अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया नाराज़गी से, मैने कहा क्या हुआ?
आंशिका: रहने दो तुम
मे: आओ न प्लीज़
आंशिका: जब से मिले हो तब से फूटे मुंह तारीफ़ भी नहीं करी गयी की कैसी लग रही हूँ.
मे: ओह सॉरी जान, यार मैं तब से सोच रहा हूँ की कौनसा वर्ड सही रहेगा तुम्हारे लिए, सेक्सी, ब’फूल वगेरह वगेरह तो काफ़ी छोटे हैं तुम्हारे सामने.
ये सुनते ही उसके फेस पर वोही कातिल स्माइल आ गयी, और वो मेरे से गले लग गये, मैने अपने हाथ उसकी मोटी कमर पर रखे और फिर नीचे ले गया उसकी गांड पर, क्या मस्त गांड थी, उसकी गांड पर मैं हाथ फिरने लगा, और धीरे धीरे दबाने लगा. वो मुझसे पीछे हटी, मेरी आँखों मैं आँखें डाली और उपर होकर मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए, मैने वहीं उसकी कमर पकड़ ली कस के और अपने लिप्स से उसके लिप्स पकड़ लिए और उसे ज़ोर से किस करने लगा, मैंने अपनी टंग बाहर निकाली और उसके लिप्स को चाटने लगा. मैने उसे धक्का देते हुए, बाथरूम की दीवार से लगा दिया और उसे चिपक कर फिर से उसको किस करने लगा, वो आहं, अह्ह्ह , आ,एम्म्म की आवाज़ें निकल रही थी. 5मीं तक मैने उसे किस करता रहा, हुमारे लिप्स पूरे गीले हो गये एक दूसरे के सलाइवा से. मैं अपने हाथ से उसके चीक्स को भींचा जिससे उसका मुँह खुल गया और उका मुँह अपने मुँह के नीचे कर के उसमें थूक दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर मैं उसके मुँह मैं जीभ डाल डाल कर चाटने लगा.
आंशिका: विशाल प्लीज़ आराम से, कपड़े खराब हो जाएँगे.
मैने उसके पूरे लिप्स को और उसके मुंह को अच्छी तरह सक और लीक कर चूका था, वो दीवार से चिपकी हुई और ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी, मैने आगे बढ़कर उसकी दोनो चुचियों पर हाथ रखा और उन्हे धीरे से दबाया. और अपने हाथों की पोज़िशन बदल बदल कर उसकी दोनो चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा, मैने उसकी सारी का पल्लू हटाया एक दम से
आंशिका: विशाल प्लीज़, आराम से, कपड़े मत खराब करो, रूको मैं खोलती हूँ
और वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और उसके ब्लाउस के उपर ही दोनो चुचियों को पकड़ कर फिर से फील करने लगा धीरे धीरे, वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मैने अपने हाथ उसकी चुचियों पर ही रहने दिए जिससे वो भी उनके साथ उपर नीचे होने लगे.
आंशिका: विशाल प्लीज़ दबाओ ना इन्हे
मे: खोल ब्लाउस
अंशिका ने आराम से अपने ब्लोसे के बटन खोले और ब्लाउस को थोडा पीछे कर दिया, उसने नेट वाली ब्रा पहनी हुई जैसा मैने उसे कहा था. उसकी चुचियाँ देख कर मैं पागल हो गया, मुझे समझ मैं नहीं आया मैं क्या करूँ. मैने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा ब्रा के उपर से ही, और ज़ोर से दबाने लगा. मैने उसके निप्पल को आगे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचने लगा. मैं नीचे झुका और उसके निपल को ब्रा समेत मुँह मैं भर ज़ोर से काटने लगा
आंशिका: अया, पागल हो गये हो क्याअ???/// एयेए, अरे आराम से करो प्लीज़
आंशिका: विशाल प्लीज़, जानवर मत बनो, आआअहह, आउच, छोड़ूऊऊऊओ, प्लीज़ विशाल दर्द हो रहा है . अहह
मैं काटता रहा .... आहा, उसने पूरे ज़ोर से मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं भी हट गया...वो बोली... आराम से.
उसके निपल्स मैं दर्द हो रहा था बहुत, उसकी आँखों मैं आंसू आ गये थे, वो अपने निपल्स पर आराम से हाथ फिरते हुए बोली
आंशिका: पागल हो क्या? आराम से नहीं कर सकते, जान निकल दी. दर्द हो रहा है बहुत.
मे: अच्छा ब्रा खोल, अभी चूस के दर्द कम कर देता हूँ.
उसने अपना मुँह बातरूम की दीवार की तरफ कर लिया
आंशिका: लो खोलो, और ब्लाउस
Offffupdate 155
अंशिका : उनहू....मिस्टर....आज मैं इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली आपको...
मैं उसकी बात सुनकर थोडा रुक गया और उसके चेहरे को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगा..अभी तो वो इतनी तड़प रही थी...और अब नखरे दिखा रही है.
मैं : क्या मतलब...
अंशिका : आज तुम कुछ नहीं करोगे...मैं जैसा कहूँगी, वैसा करते जाओ तो तुम्हे आज जंगल में जंगलीपन देखने को मिलेगा मेरा...वर्ना कुछ नहीं मिलने वाला आज...
उसने मेरे हाथ को अपनी कमर के ऊपर लेजाकर बुरी तरह से दबा दिया...उसके गुदाज पेट का ठंडा मांस मेरे हाथ की रगड़ से लाल हो उठा.
मैं : देखो अंशिका...टाईम कम है...तुम्हे घर भी जाना है न...
अंशिका :तुम उसकी फिकर मत करो...
और ये कहकर उसने अपना सेल निकाला और फोन मिलाया
अंशिका : हेल्लो...कन्नू...अच्छा सुन, मेरा प्रोग्राम बना है आज विशाल के साथ मूवी देखने का...तू संभाल लेना मम्मी को प्लीस...मैं पांच बजे तक आ जाउंगी...ओके थेंक्स...लव यु...
और उसने फोन रख दिया...यानी अगले २-३ घंटो का इंतजाम कर लिया था उसने...
अंशिका ने फिर से अपने चारो तरफ देखा और बोली : कोई आएगा तो नहीं न यहाँ...
मैं : नहीं आएगा...तुम डरो मत..
अंशिका ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और फिर अपनी साडी खोलने लगी, और उसे निकलकर मेरी बाईक पर रख दिया.
और फिर वो अपने ब्लाउस के हूक खोलने लगी, जैसे-२ उसकी पिंक ब्रा उजागर होती चली गयी, मेरा लंड खड़ा होकर उसकी तरफ देखने लगा.
मैंने हाथ आगे करके उसके मुम्मो को पकड़ना चाह, पर उसने मुझे रोक दिया और बोली : रुको वहीँ...जब तक मैं न कहूँ, कुछ मत करो..
मैंने उसकी बात मान ली.
उसने अपना ब्लाउस उतारा और फिर पेटीकोट भी, अब वो सिर्फ हाई हील में थी, और ऊपर उसने सिर्फ ब्रा और लेस वाली पेंटी पहनी हुई थी...
बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..ब्रा में से झांकते हुए उसके काले निप्पल साफ़ दिखाई दे रहे थे...उसकी आँखों की मदहोशी भी बढ चुकी थी..और वो अब बिना डरे अपने हुस्न को मेरे सामने बेपर्दा करके पुरे मजे लेने के मूड में थी.
मुझे भी उसके खेल में मजा आने लगा था...मैंने अपना लंड अपनी जींस से बाहर निकाल लिया.
मेरे तने हुए लंड को देखते ही उसकी आँखे बंद होती चली गयी....और उसने अपनी बीच वाली ऊँगली अपने मुंह में डाली...और फिर वही ऊँगली अपने पेंटी में डालकर अपनी चूत के रस में डुबोयी और फिर वही गीली ऊँगली वो मेरे पास लेकर आई और मेरे लंड के ऊपर रगड़ डाली और सारा रस मेरे लंड के ऊपर मल दिया.
उसके ठन्डे हाथ अपने गर्म लंड पर पाकर मेरे लंड ने दो-चार जोरदार झटके खाए...मन तो कर रहा था की उसे अपने सामने बिठा कर अपना लंड उसके मुंह में ठूस दू...पर उसने कुछ भी करने को मना किया हुआ था अभी तक..
अंशिका ने अपनी पेंटी को अपनी टांगो से निकाल कर साईड में रख दिया और फिर अपनी ब्रा भी खोल डाली...
अब अंशिका पुरे जंगल में नंगी खड़ी थी...कभी भी कोई आ सकता था, इसके बावजूद वो अपने पुरे कपडे उतार कर खड़ी थी मेरे सामने, दिन की रौशनी में पूरा नंगा शरीर मैंने पहली बार देखा था...उसके शरीर पर एक भी बाल नहीं था, चूत वाला हिस्सा बिलकुल सफाचट था, टाँगे भी बिलकुल स्मूथ थी...और ऊपर उसकी बड़ी-२ ब्रेस्ट के ऊपर चमक रहे दो काले रंग के जामुन, जिन्हें ना जाने मैं कितनी बार खा चूका था, पर उसका रस हर बार मुझे अपनी तरफ खींचता था.
उसके होंठ बार-२ सूख रहे थे, जिन्हें वो अपनी जीभ से गीला कर रही थी.
अंशिका : क्या देख रहे हो...विशाल..
मैं : यु आर ब्यूटीफुल अंशिका....देखो मेरे लंड की क्या हालत हो गयी है तुम्हारे नंगे जिस्म को देखकर...
मैंने अपने लंड की तरफ इशारा किया..
अंशिका : हालत तो मेरी चूत की भी ऐसी ही है विशाल..पर आज कुछ अलग करने का विचार है मेरा...तुम अपने कपडे उतारो जल्दी से...
उसके कहने की देर थी, मैं एक मिनट में उसके सामने नंगा खड़ा था.
मेरा हाथ अपने लंड के ऊपर था.
अंशिका मेरे पास आई और मेरे हाथ को लंड से हटा दिया और बोली : जब तक मैं न कहूँ, तुम इसे हाथ मत लगाना अब..ओके...
मैं : ओके....पर जो भी करना है, जल्दी करो...मुझसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं होगा अब...
मैंने अपना हाथ हटा लिया लंड से...मेरा लंड हवा में ऊपर नीचे हो रहा था, बड़ा ही भारीपन आ गया था उसमे एक दम से...
वो खुद तो तड़प ही रही थी, मुझे भी तडपाने के मूड में थी शायद...
मैंने आगे हाथ करके उसकी ब्रेस्ट पकडनी चाही, पर उसने मेरा हाथ परे झटक दिया और बोली : वेट करो बेबी.....
उसकी सिडक्टिव स्माईल बड़ी ही कातिलाना लग रही थी...
वो मेरे पीछे आई और अपने हाथो से मेरी पीठ के ऊपर अपनी उंगलियों के नाखुनो से धीरे-२ मुझे गुदगुदाने लगी.
मैं : ओहो......अंशिका...क्या कर रही हो...क्यों तदपा रही हो अपने दीवाने को...
Off kya story yarupdate 175
रीना मेरी तरफ देख रही थी.
मैं : देखो रीना ..मैं समझ सकता हु की इस समय तुम क्या चाहती हो...और सच बताऊ...मैं भी तुम्हे पुरे मजे देना चाहता हु...पर अंशिका को शक न हो जाए...इसलिए कल तक का इन्तजार करो....तुम्हारी प्यास मैं बुझाकर रहूँगा....ओके..
मेरी बात सुनकर वो शर्मा सी गयी...चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी वो भी...पर मेरी बात शायद समझ गयी थी वो...और पहली बार में ज्यादा जिद करके वो बुरी भी नहीं बनना चाहती थी शायद...
मैं वापिस ऊपर की तरफ भागा...अंशिका के पास.
*********
अब आगे
*********
मैंने दरवाजा खोला और अन्दर से बंद करके मैं अंशिका की तरफ मुड़ा, तो उसे देखकर मैं दंग सा रह गया, वो बेड के ऊपर , लाल साडी में सजी हुई, दुल्हन की भाँती बैठी थी, जैसे मैं उसका दूल्हा, सुहागरात वाले दिन, कमरे में आया हु.
वो अपने साथ साडी और ये सब सामान भी लायी थी, यानी वो ये सब करना चाहती थी, और जब मैं पहले भी कमरे में आया था तो उसने अपने ऊपर रजाई ले रखी थी, इसलिए शायद मैं उसके कपडे देख नहीं पाया था.
लाल साडी, बिंदी, लिपिस्टिक और हाथो में चुडा, जो ब्याहता लडकिय पहनती है, मैं तो उसके रंग रूप को देखकर मंत्र्मुघ्ध सा रह गया.
मैं धीरे-२ चलकर बेड के पास पहुंचा, वो उठी और मेरे पैरो को हाथ लगाने लगी, मैंने उसे बीच में ही पकड़ लिया..
मैं : अरे अंशिका...ये क्या..कर रही हो..
अंशिका : वही...जो एक शादीशुदा लड़की करती है, शादी के बाद..
मैं : देखो अंशिका...इन सबकी कोई जरुरत नहीं है...मैं वो सब तो कर ही रहा हु न तुम्हारे साथ ....
मेरा मतलब चुदाई से था...जो वो समझ गयी..और उसके चेहरे पर हल्का सा गुस्सा आ गया..
अंशिका : विशाल...तुम ये बात कभी नहीं समझ सकते, की मेरे दिल में इस समय क्या चल रहा है...मैं जानती हु और तुम भी की हमारी शादी कभी नहीं हो सकती, पर सच मानो, मैंने जब से तुमसे फिसिकल रिलेशन बनाया है, हर लड़की की तरह, मैंने भी तुम्हे अपनी जिन्दगी और दिल का शेह्जादा माना है..और यही कारण है की यहाँ आकर मैंने तुमसे हसबेंड और वाईफ की तरह रहने को कहा, और इन सब के बीच मैंने सोचा की क्यों न अपनी जिन्दगी की सुहागरात भी मैं यही मना लू, तुम्हारे साथ...मुझे मालुम है की अब तुम्हारे लिए इन सबका कोई मतलब नहीं है, पर मेरे लिए ये बहुत मायने रखता है...
ये सब कहते-२ उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..
और सच कहू, आज पहली बार मेरे दिल में एक तीस सी उभरी थी, ये सोचकर की मेरी शादी अंशिका के साथ क्यों नहीं हो सकती...इतना प्यार करने वाली मुझे और कहाँ मिलेगी, हम दोनों एक दुसरे को कितना समझते हैं, एक दुसरे को हर तरह का शारीरिक सुख तो दिया ही है..पर क्या मैंने कभी अंशिका की तरह उसके आगे भी सोचा है...सेक्स के अलावा मैंने क्या कभी अंशिका को अपने प्यार, अपने महबूब की नजर से देखा है....नहीं...ऐसा कभी नहीं किया मैंने...मैं तो हमेशा से सेक्स के पीछे ही भागता रहा और अंशिका ने भी मुझे कभी मना नहीं किया...और आज जब उसके मन में इस तरह के विचार आ रहे है तो मुझे भी उसकी भावनाओ को समझना चाहिए...और उसका साथ देना चाहिए..
मैंने उसे गले से लगा लिया...भरी भरकम साडी में लिप्त उसका बदन मेरी बाहों में आते ही बेकाबू सा हो गया और वो फूट-फूट कर रोने लगी...
अंशिका : ओह्ह्ह....विशाल.....तुम नहीं समझ सकते ...मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचती हु....उनहू.....उनहू....
मैंने उसका चेहरा अपने हाथो में पकड़ा और उसके आंसूओ के ऊपर मैंने जीभ फेरकर उन्हें पी लिया...
मैं : अपनी सुहागरात वाले दिन तुम रो रही हो...लगता है तुम्हे डर लग रहा है की मैं कहीं चुदाई करते वक़्त तुम्हे तकलीफ न पहुँचाऊ...है न..
मेरी बात सुनकर उसके रोते हुए चेहरे पर हंसी आ गयी.
मैं : मैं वादा करता हु अंशिका, मैं तुम्हारे साथ सिर्फ सेक्स नहीं...बल्कि प्यार से भी प्यारा, प्यार करूँगा...जैसा आजतक किसी ने भी नहीं किया होगा...
मैं कहता जा रहा था और उसकी गर्दन और गालो पर किस्स देता जा रहा था.
उसका शरीर कांपने सा लगा...ऐसा लग रहा था की जैसे ये सब उसके साथ पहली बार हो रहा है.
मेरा लंड भी अपने रूप में आने लगा था.
मैंने उसकी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया...और उसकी साडी को खींच कर निकालने लगा, वो साडी के निकलने के साथ-२ घुमती जा रही थी.
और अंत में मैंने उसकी भारी भरकम साडी को निकाल कर एक तरफ रख दिया.