SANJU ( V. R. )
Divine
Awesome updateप्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
बाहर आकर देखा सुमन भाभी - और माँ , चाय पी रहे थे , तभी सुमन भाभी - बोली आजा , निहारिका अभी तेरी बात ही हो रही थी.
मैं - जी भाभी,
माँ - तेरी चाय यही रखी है, बस अभी लाई हूँ.
-मैं - जाकर बैठ गयी, माँ के पास, और ले लिया कप हाथ मैं चाय का. जो स्वाद माँ की चाय मैं था वो मेरी चाय मैं कहाँ, न जाने कब आएगा ऐसा स्वाद मेरी चाय मैं भी.
सुमन भाभी - निहारिका, तू तैयार नहीं हुई, जा, चाय पी कर तैयार हो जा.
मैं - जी भाभी।
फिर , मैंने चाय ख़तम करि, और कप रखे किचन मैं , और गई सीधा बाथरूम,
मुँह धोने को नल चालू किया , आया याद फंक्शन तो लम्बा है शायद , "सु -सु" कर के चलो. नहीं तो दिक्कत होगी। नल बंद करके , स्कर्ट उठायी और पैंटी नीचे करि और बैठ गयी , एक हलकी सिटी सी आवाज आयी कुछ देर मैं, फिर मैंने फ्लश को चला दिया जिस से आवाज न जाए बाहर।
उठी , पैंटी पहनी , स्कर्ट नीचे करि, और हाथ मुँह धो कर आ गयी बाहर बाथरूम से.. अपने रूम मैं जाकर अलमारी खोली, सोचा नयी ब्रा - पैंटी पेहेन ,लेती हूँ.
कौन सी ब्रा निकलू, हम्म,पिंक सूट है, पिंक ब्रा हैं न, मेरे पास, फिर मैंने अपनी टी - शर्ट उतारी फिर ब्रा के स्ट्रैप्स निकले कंधे पर से कर , हुक खोला और निकाल दी.
फिर , पिंक ब्रा ली, घुमा के हुक लगाया और , कंधे पर स्ट्रैप्स चढ़ा लिए, अब जल्दी मैं ऐसे ही करती हूँ, फिर पैंटी निकली पिंक वाली।
अपनी पहनी हुई पैंटी उतारी देखा , कुछ हल्का पीला सा था , कुछ गीला सा भी , वो तो अभी "सु-सु" करा है उस से, उफ़. आया याद, मार्किट मैं , सुनार और रिक्शे पर गीले हुई थी.
जल्दी से , पैंटी को बेड के किनारे दबा दिया , सोचा आ कर धो दूंगी। अभी जल्दी चलो.
नयी पैंटी पहनी, कुर्ती डाली, चूड़ीदार पायजामा उफ़, कुछ टाइट ही था, समय लगना ही था, और आ गयी माँ की आवाज,
माँ - निहारिका - हो गयी तैयार , जल्दी कर.
मैं - अंदर से, माँ, बस बाल बनाने हैं. आयी.
मैंने जल्दी से , बाल सुलझाए और रबर बैंड लगा लिया , सोचा तो चोटी करने का था, टाइट सूट और चूड़ीदार पर अच्छी लगती थी मेरी लम्बी चोटी।
दुपट्टा लिया और लगभग भागते हुए , आ गयी , चलो भाभी। जायदा देर तो नहीं हुई.
सुमन भाभी - अरे निहारिका, मेकउप नहीं किया कुछ.
मैं - उफ़, भूल गयी, चलो रहने दो
सुमन भाभी - अरे जवान लड़की है, कुछ तो कर, जा. जल्दी आना.
मैं , भाग कर गयी, सूट से मैच करती मेजेंटा लिपस्टिक लगा ली और आँखों मैं काजल बस और कुछ नहीं। वार्ना रात हो जाएगी आज तो.
बाहर माँ के पास आयी ,और बोली , - ठीक है?
- माँ - निहारिका, तू तो बड़ी सुन्दर लग रही है. नजर न लगे मेरी बच्ची को. सुमन जरा ध्यान रखना।
सुमन - जी भाभी, अब चले. निहारिका
मैं - जी भाभी, अच्छा माँ , चलती हूँ.
घर से निकलते ही धड़कन तेज़, हाथ मैं गिफ्ट पैक, और पसीना एक साथ आ रहा था , क्या करना है वहां जा कर. सुमन भाभी से पुछु ?
नहीं, " डाकिया डाक लाया " , चुप चलो देखा जायेगा जो होगा, माँ के भजन तो हैं ही सुननेको।
तब सुमन भाभी बोली - निहारिका तुझे पता है, फंक्शन के बारे मैं?
में - नहीं भाभी, जा रही हूँ आपके साथ देख लुंगी वहां।
Waah.....
Mera ek swaal h ladkiyo se.....
Kya ladkiyon ko bhi kisi ladke ko dekh ke thark machti h. Kya unka ki kisi ladke ko dekh ke sex karna mann hota h kabhi???
Bhadiaa update tha Niharika jiiप्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
बाहर आकर देखा सुमन भाभी - और माँ , चाय पी रहे थे , तभी सुमन भाभी - बोली आजा , निहारिका अभी तेरी बात ही हो रही थी.
मैं - जी भाभी,
माँ - तेरी चाय यही रखी है, बस अभी लाई हूँ.
-मैं - जाकर बैठ गयी, माँ के पास, और ले लिया कप हाथ मैं चाय का. जो स्वाद माँ की चाय मैं था वो मेरी चाय मैं कहाँ, न जाने कब आएगा ऐसा स्वाद मेरी चाय मैं भी.
सुमन भाभी - निहारिका, तू तैयार नहीं हुई, जा, चाय पी कर तैयार हो जा.
मैं - जी भाभी।
फिर , मैंने चाय ख़तम करि, और कप रखे किचन मैं , और गई सीधा बाथरूम,
मुँह धोने को नल चालू किया , आया याद फंक्शन तो लम्बा है शायद , "सु -सु" कर के चलो. नहीं तो दिक्कत होगी। नल बंद करके , स्कर्ट उठायी और पैंटी नीचे करि और बैठ गयी , एक हलकी सिटी सी आवाज आयी कुछ देर मैं, फिर मैंने फ्लश को चला दिया जिस से आवाज न जाए बाहर।
उठी , पैंटी पहनी , स्कर्ट नीचे करि, और हाथ मुँह धो कर आ गयी बाहर बाथरूम से.. अपने रूम मैं जाकर अलमारी खोली, सोचा नयी ब्रा - पैंटी पेहेन ,लेती हूँ.
कौन सी ब्रा निकलू, हम्म,पिंक सूट है, पिंक ब्रा हैं न, मेरे पास, फिर मैंने अपनी टी - शर्ट उतारी फिर ब्रा के स्ट्रैप्स निकले कंधे पर से कर , हुक खोला और निकाल दी.
फिर , पिंक ब्रा ली, घुमा के हुक लगाया और , कंधे पर स्ट्रैप्स चढ़ा लिए, अब जल्दी मैं ऐसे ही करती हूँ, फिर पैंटी निकली पिंक वाली।
अपनी पहनी हुई पैंटी उतारी देखा , कुछ हल्का पीला सा था , कुछ गीला सा भी , वो तो अभी "सु-सु" करा है उस से, उफ़. आया याद, मार्किट मैं , सुनार और रिक्शे पर गीले हुई थी.
जल्दी से , पैंटी को बेड के किनारे दबा दिया , सोचा आ कर धो दूंगी। अभी जल्दी चलो.
नयी पैंटी पहनी, कुर्ती डाली, चूड़ीदार पायजामा उफ़, कुछ टाइट ही था, समय लगना ही था, और आ गयी माँ की आवाज,
माँ - निहारिका - हो गयी तैयार , जल्दी कर.
मैं - अंदर से, माँ, बस बाल बनाने हैं. आयी.
मैंने जल्दी से , बाल सुलझाए और रबर बैंड लगा लिया , सोचा तो चोटी करने का था, टाइट सूट और चूड़ीदार पर अच्छी लगती थी मेरी लम्बी चोटी।
दुपट्टा लिया और लगभग भागते हुए , आ गयी , चलो भाभी। जायदा देर तो नहीं हुई.
सुमन भाभी - अरे निहारिका, मेकउप नहीं किया कुछ.
मैं - उफ़, भूल गयी, चलो रहने दो
सुमन भाभी - अरे जवान लड़की है, कुछ तो कर, जा. जल्दी आना.
मैं , भाग कर गयी, सूट से मैच करती मेजेंटा लिपस्टिक लगा ली और आँखों मैं काजल बस और कुछ नहीं। वार्ना रात हो जाएगी आज तो.
बाहर माँ के पास आयी ,और बोली , - ठीक है?
- माँ - निहारिका, तू तो बड़ी सुन्दर लग रही है. नजर न लगे मेरी बच्ची को. सुमन जरा ध्यान रखना।
सुमन - जी भाभी, अब चले. निहारिका
मैं - जी भाभी, अच्छा माँ , चलती हूँ.
घर से निकलते ही धड़कन तेज़, हाथ मैं गिफ्ट पैक, और पसीना एक साथ आ रहा था , क्या करना है वहां जा कर. सुमन भाभी से पुछु ?
नहीं, " डाकिया डाक लाया " , चुप चलो देखा जायेगा जो होगा, माँ के भजन तो हैं ही सुननेको।
तब सुमन भाभी बोली - निहारिका तुझे पता है, फंक्शन के बारे मैं?
में - नहीं भाभी, जा रही हूँ आपके साथ देख लुंगी वहां।
Awesome update