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Erotica लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत ]

कितने पुरुष पाठको ने अपनी पत्नी को या अपनी महिला मित्र को ब्रा या पेंटी ला कर दी है बिना उसको बताये

  • खुश हुई

    Votes: 4 40.0%
  • आश्चर्य चकित .... आपसे उम्मीद नहीं थी .. सही साइज़ ले आओगे

    Votes: 1 10.0%
  • मेरी साइज़ आपको याद रही

    Votes: 1 10.0%
  • शुक्रिया लाये तो ... पर साइज़ ठीक नहीं या कलर पसंद नहीं आया

    Votes: 0 0.0%
  • इतने नखरे है ..... कौन लाये ...

    Votes: 2 20.0%
  • एक तो लाओ फिर सरदर्दी वापस बदलवाने कि

    Votes: 2 20.0%

  • Total voters
    10
  • Poll closed .

chintu222

Sab Moh Maya Hai
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158
मैं - टेंशन मैं, करुँगी क्या वहां जाकर, माँ साथ होती तो ठीक था, सुमन भाभी के साथ, अब क्या। .......

तभी माँ बोली - निहारिका क्या हुआ,

मैं - कुछ नहीं, वो मुझे करना क्या है, वहां, " गोद - भराई " ...................
..................................

प्रिय सहेलिओं ,


निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

मैं, टेंशन मैं थी, वहां जाकर करना क्या है, साथ मैं तो ठीक था, सुन लेती माँ के भजन, रोज का है. पर सुमन भाभी उफ़,
पूरी मोहल्ले की डाकिया है, जब तक एक बात पुरे मोहल्ले की औरतो को न बता दे खाना हजम नहीं होता।

अगर, मेरी कोई बेवकूफी या कोइ गलती हो गयी,
तो समझ लो, "डाकिया डाक लाया"- हो जायेगा।

अब मैं क्या करू?

इतने मैं माँ बोली - निहारिका , सुन. तेरा सूट निकल ले, प्रेस कर लेना अगर जरुरत लगे तो। और यह गिफ्ट, "साड़ी" सुमन के साथ उसे दे देना। समझी।

मैं - हा , माँ ठीक है,एकदम धीरे से बोली, और करती भी क्या।

फिर याद आया, छोटे - छोटे कंगन।

मैं - माँ,वो कंगन भी तो लाये थे न, वो नहीं देने क्या ?

माँ - अरे , पागल अभी नहीं, वो तो बच्चा हो जाये तब, देने के लिए मैंने पहले ही ले लिए , कौन जाता बाद मैं फिर.

मैं - "बच्चा" ,
अब यह "बच्चा" कहाँ से आ गया , "गोद - भराई " मैं. और बाद मैं क्यों, छुट्टी पाओ अभी देकर।

पर,अब कुछ पूछने की हिम्मत नहीं थी, पारा वैसे ही चढ़ा हुआ था .माँ का. सोचा भलाई इसी मैं है की चलो सूट निकलने।

मैं - माँ, मैं सूट को देखती हूँ, शायद प्रेस की जरुरत हो.

मैं गयी, अलमारी के पास, खोला, निकला सूट , देखा खोलकर, ठीक लगा मुझे तो. फिर बेड पर रख दिया। फिर सोचा हाथ - मुँह धो कर फ्रेश हो जाती हूँ, अभी तो टाइम है.

गयी, बाथरूम, दुपट्टा निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर टांगा और लगी मुँह धोने, ठंडे पानी से एकदम ताज़गी आ गयी , दोनों हाथो पानी लेकर छपाक सीधा मुँह पर , कुछ पानी मेरे जोबन पर भी गिर गया , अब क्या ?

माँ ने देखा तो फिर भजन, दुपट्टा लिया, डाला कंधे पर , टॉवल से मुँह पोंछते हुए, सीधा कमरे मैं. अब क्या करू, अगर माँ ने बुला लिया तो , कर लेती हूँ चेंज टॉप को.

एक पीली टी - शर्ट निकली और पहन ली, थोड़ी पुरानी थी, गले से कुछ ढीली हो गयी थी, इसे अक्सर रात को सोते समय ही पहन लेती थी,
गले की साइड से ब्रा का स्ट्राप दिख रहा था , पर जल्दी मैं ध्यान नहीं दिया। सोचा माँ को चाय बना कर दू , कुछ मूड ठीक होगा, साथ मैं भी पी लुंगी।

आ गई माँ के पास, बोली, माँ चाय बना दू, पियोगी ?

माँ - हाँ, मेरी बच्ची , कितनी समझदार है, जा बना ले.

मैं, खुश , अब डांट नहीं पड़ेगी। बच गयी.

माँ - निहारिका, तेरे दूसरी टी- शर्ट नहीं है,
देख तो जरा, ब्रा का स्ट्राप दिख रहा है, पागल अब तो नादानी छोड़ , जवान हो गयी है. इधर बैठ, मेरे पास, फिर मेरी टी - शर्ट को ठीक करती हुई बोली।

माँ -
बेटा, जमाना ख़राब है, लड़कियों को ही सम्भल कर चलना होता है, बोलने वाले नहीं चूका करते, चल घर मैं तो ठीक है, सोने के लिए, पर रूम से बहार आये तो ठीक कपडे पहना कर. अब जा , अच्छी सी चाय बना ला.

-मैं - जी,माँ. ।अभी लायी।

मैं, गयी किचन मैं, चाय का पानी चढ़ा दिया गैस पर , पत्ती डाली, थोड़ी अदरक डाली कूट कर, माँ को पसंद थी अदरक वाली चाय, दूध और शक्कर डाल कर इंतज़ार किया , दो - चार उफान आने पर गैस बंद करि, और कप मैं चाय डाली और ले आयी माँ के पास.

माँ - निहारिका, वाह अच्छी चाय बनाई तूने, चलो कुछ तो आया तुझे, फिर हंसने लगी,....

मैं - क्या माँ,
खाना भी तो बना लेती हूँ, वो बात अलग है, रोटी कभी - कभी जल जाती हैं. ही , ही

ऐसे ही हंसी - मजाक मैं चाय ख़तम हुई, फिर माँ बोली, तू जा सूट चेक कर ले , एक बार प्रेस घुमा ही ले, मैं किचन मैं रख के थोड़ा आराम कर लेती हूँ.

अरे,सुमन को फ़ोन भी करना था, पहले वो ही कर लू, तू रख आ कप किचन मैं.

मैं - ठीक है, लाओ माँ.

माँ , फोन लगाती है, सुमन भाभी को.

माँ - हेलो, सुमन , कैसी है, सब आनंद - मंगल।

सुमन भाभी - हाँ जी, सब कुशल - मंगल, आप बताओ। कैसे फोन किया ?

माँ - अरे , सुबह तुझे बताना भूल गयी , मैं अभी साफ़ नहीं हुई पूरी तरह, मैं नहीं आ पाऊँगी आज.

सुमन भाभी - ओह, अब क्या, अब क्या करे मैंने तो उसे बोल दिया की मैं निहारिका और उसकी माँ को लेती आउंगी।

माँ - ऐसा कर , सुमन
निहारिका को ही ले जाना , पागल कुछ तो सीखेगी। , ही ही,

सुमन भाभी - हाँ भाभी, शादी लायक हो गयी है, पर समझ इतनी नहीं है

माँ - हाँ री , अब क्या करू, कोशिश तो करती हूँ, पर अटक जाती हूँ, एक बाद एक बेवकुफो वाली हरकत मेरा दिमाग ही चढ़ जाता है.

सुमन भाभी - अच्छा , आप आराम करो , मैं आ कर ले जाउंगी निहारिका को.

माँ - अच्छा , सुमन मैं रखती हूँ।

सुमन भाभी - जी भाभी।

हो गयी थी दोनों की बात ,
मुझ बकरी को हलाल करने प्लानिंग। अभी शाम को समय था, माँ गयी आराम करने, मैंने सोचा , सूट प्रेस कर के मैं भी कुछ देर आराम कर लू.

सूट को फैलाया, देखा, जायदा सल नहीं थे पर गुंजाईश थी प्रेस की. सो निकाल ली प्रेस ही देर मैं, सूट ठीक, उसे टांगा
हेंगर पर और प्रेस साइड मैं रख कर पर.

आँख बंद करते ही , टेंशन, वहां जाकर करना क्या है, अरे अभी पूछ लेती माँ से, अब तक सो गयी होंगी , कहाँ फंसा दिया।


थोड़ी देर के बाद ,उठ गयी, नींद आयी पर थोड़ा आराम मिल गया, मार्किट की थकन जो थी.

अब मैं फ्रेश थी, सोचा माँ को उठाऊ।
Great update Niharika jii :claps:
Maza aa gaya...alag tarah ki writing skill :good:
मुझ बकरी को हलाल करने प्लानिंग।
Hahaha... bakri toh halal ho gayi..lets see kya hota hai :roflol:
waiting for next :)
 
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Niharika

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मैम प्रणाम। मै xossip पर भी आपकी यह पोस्ट पढ़ हु ,वहां कभी कमेंट नहीं किया। आप बहुत कामुक और उपयुक्त शब्दो के चयन से कहानी लिखत लिखती हैं। मैम Xforum पर आप ,अपने पति के साथ प्रारंभिक यौन रति आकंक्षा और अनुभव साझा नहीं की ,और कहानी बंद कर दी।यहाँ ऐसा मत करियेगा, और पति के साथ रति क्रिया को भी साझा करियेगा। निवेदन है आपसे ,यह मेरी इच्छा है जिसे मैने आपको बता दिया किंतु बहुत से पाठक है ,जो यह चाहते हैं किंतु कमेंट करके बता नहीं रहे हैं

Himalaya rahel जी

शुक्रिया आपका

यह मेरा अनुभव है जो मैंने अपनी अब तक कि जिन्दगी मन सीखा है. अब एक औरत के साथ जो - जो होता है वो सब आप सब से शेयर करने कि कोशिश करुँगी .

एक लेखिका कि लिंदगी उसके पाठक होते हैं ... मेरा आग्रह है कि सभी पाठक - पाठिका खुलेमन से अपनी बात रखे कहद कर महिला पाठक क्यूंकि यह एक औरत कि कहानी है ....
 

Niharika

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Awesome update


Iron Man जी

शुक्रिया आपका

साथ बनाये रखे ... और आनंद लेते रहे ... एक महिला कि नजर से वो क्या और कैसा फील करती है .
 

Niharika

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Mam nice story..but kya isme sex bhi hoga???

malikarman जी

शुक्रिया आपका

यह मेरे जीवन कि लगभग सच्ची कहानी है ... अब कुछ तो होगा ही ..... आखिर औरत हूँ ... अब कब , कहाँ व् कैसे होगा ... अपना साथ व् प्यार बनाये रखे.
 

Niharika

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Soo lovely...


वर्षा रितु जी,

नमस्कार,

हमेशा कि तरह "लवली" कमेंट ...

शुक्रिया

साथ व् प्यार बनाये रखे
 

Niharika

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Great update Niharika jii :claps:


Hahaha... bakri toh halal ho gayi..lets see kya hota hai :roflol:
waiting for next :)

chintu222 जी

शुक्रिया ,

"Maza aa gaya...alag tarah ki writing skill
:good:
" - "जी" खुश हो गया जी, इस पारितोषिक के लिए पुन: शुक्रिया

जी, सही कहा "बकरी" कि मा कब तक खैर मनाएगी ..... कभी न कभी तो उसकी बारी आएगी ....

साथ व् प्यार बनाये रखे ..
 
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Niharika

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प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

बाहर आकर देखा सुमन भाभी - और माँ , चाय पी रहे थे , तभी सुमन भाभी - बोली आजा , निहारिका अभी तेरी बात ही हो रही थी.

मैं - जी भाभी,

माँ - तेरी चाय यही रखी है, बस अभी लाई हूँ.

-मैं - जाकर बैठ गयी, माँ के पास, और ले लिया कप हाथ मैं चाय का. जो स्वाद माँ की चाय मैं था वो मेरी चाय मैं कहाँ, न जाने कब आएगा ऐसा स्वाद मेरी चाय मैं भी.

सुमन भाभी - निहारिका, तू तैयार नहीं हुई, जा, चाय पी कर तैयार हो जा.

मैं - जी भाभी।

फिर , मैंने चाय ख़तम करि, और कप रखे किचन मैं , और गई सीधा बाथरूम,

मुँह धोने को नल चालू किया , आया याद फंक्शन तो लम्बा है शायद , "सु -सु" कर के चलो. नहीं तो दिक्कत होगी। नल बंद करके , स्कर्ट उठायी और पैंटी नीचे करि और बैठ गयी ,
एक हलकी सिटी सी आवाज आयी कुछ देर मैं, फिर मैंने फ्लश को चला दिया जिस से आवाज न जाए बाहर।

उठी , पैंटी पहनी , स्कर्ट नीचे करि, और हाथ मुँह धो कर आ गयी बाहर बाथरूम से.. अपने रूम मैं जाकर अलमारी खोली, सोचा नयी ब्रा - पैंटी पेहेन ,लेती हूँ.

कौन सी ब्रा निकलू, हम्म,पिंक सूट है, पिंक ब्रा हैं न, मेरे पास, फिर मैंने अपनी टी - शर्ट उतारी फिर ब्रा के स्ट्रैप्स निकले कंधे पर से कर , हुक खोला और निकाल दी.

फिर , पिंक ब्रा ली, घुमा के हुक लगाया और , कंधे पर स्ट्रैप्स चढ़ा लिए, अब जल्दी मैं ऐसे ही करती हूँ, फिर पैंटी निकली पिंक वाली।

अपनी पहनी हुई पैंटी उतारी देखा , कुछ हल्का पीला सा था , कुछ गीला सा भी , वो तो अभी "सु-सु" करा है उस से, उफ़.
आया याद, मार्किट मैं , सुनार और रिक्शे पर गीले हुई थी.

जल्दी से , पैंटी को बेड के किनारे दबा दिया , सोचा आ कर धो दूंगी। अभी जल्दी चलो.

नयी पैंटी पहनी, कुर्ती डाली, चूड़ीदार पायजामा उफ़, कुछ टाइट ही था, समय लगना ही था, और आ गयी माँ की आवाज,

माँ - निहारिका - हो गयी तैयार , जल्दी कर.

मैं - अंदर से, माँ, बस बाल बनाने हैं. आयी.

मैंने जल्दी से , बाल सुलझाए और रबर बैंड लगा लिया , सोचा तो चोटी करने का था, टाइट सूट और चूड़ीदार पर अच्छी लगती थी मेरी लम्बी चोटी।

दुपट्टा लिया और लगभग भागते हुए , आ गयी , चलो भाभी। जायदा देर तो नहीं हुई.

सुमन भाभी - अरे निहारिका, मेकउप नहीं किया कुछ.

मैं - उफ़, भूल गयी, चलो रहने दो

सुमन भाभी - अरे जवान लड़की है, कुछ तो कर, जा. जल्दी आना.

मैं , भाग कर गयी, सूट से मैच करती
मेजेंटा लिपस्टिक लगा ली और आँखों मैं काजल बस और कुछ नहीं। वार्ना रात हो जाएगी आज तो.

बाहर माँ के पास आयी ,और बोली , - ठीक है?

- माँ - निहारिका, तू तो बड़ी सुन्दर लग रही है. नजर न लगे मेरी बच्ची को. सुमन जरा ध्यान रखना।

सुमन - जी भाभी, अब चले. निहारिका

मैं - जी भाभी, अच्छा माँ , चलती हूँ.

घर से निकलते ही धड़कन तेज़, हाथ मैं गिफ्ट पैक, और पसीना एक साथ आ रहा था , क्या करना है वहां जा कर. सुमन भाभी से पुछु ?

नहीं, "
डाकिया डाक लाया " , चुप चलो देखा जायेगा जो होगा, माँ के भजन तो हैं ही सुननेको

तब सुमन भाभी बोली -
निहारिका तुझे पता है, फंक्शन के बारे मैं?


में - नहीं भाभी, जा रही हूँ आपके साथ देख लुंगी वहां।
 
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Himalaya rahel

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Himalaya rahel जी

शुक्रिया आपका

यह मेरा अनुभव है जो मैंने अपनी अब तक कि जिन्दगी मन सीखा है. अब एक औरत के साथ जो - जो होता है वो सब आप सब से शेयर करने कि कोशिश करुँगी .


एक लेखिका कि लिंदगी उसके पाठक होते हैं ... मेरा आग्रह है कि सभी पाठक - पाठिका खुलेमन से अपनी बात रखे कहद कर महिला पाठक क्यूंकि यह एक औरत कि कहानी है ....
You have nice heart with erotic feelings
 

malikarman

Well-Known Member
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malikarman जी

शुक्रिया आपका

यह मेरे जीवन कि लगभग सच्ची कहानी है ... अब कुछ तो होगा ही ..... आखिर औरत हूँ ... अब कब , कहाँ व् कैसे होगा ... अपना साथ व् प्यार बनाये रखे.
Ummeed hai bahut sexy hoga....great
 
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