प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मैं - सहेली को पिंच करती हूँ, ऊँगली दबा कर हूँ , अरि, बोल न।
सहेली - हम्म, भैया। .
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू, लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, काजल। ... मैडम ये काजल इम्पोर्टेड है , चौबीस घंटे तक कुछ नहीं बिगड़ता।
मैं - भैया , काजल नहीं , कुछ और दिखाइये।
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू?
मैं - बोल न , सहेली को फिर पिंच किया , इधर उधर देखते हुए
सहेली - भैया , कुछ ब्रा , दिखाइए।
मैं - उफ़, मैं बिक्कुल शुन्य मैं थी, क्या चल रहा है आस पास कुछ नहीं पता, कुछ सुनाई नहीं कुछ पल के लिए।
सहेली - मेरा हाथ खींचते हुए, पागल साइज बता , तेरी ब्रा का।
- मैं - एक धक्का और , दिल मैं - उफ़, ब्रा का साइज इसको बताना होगा , मैंने उसे देखा मेरे बूब्स देख रहा था , शर्म से लाल हो गई।
हिम्मत कर के धीरे से बोला , जी ३२
दुकान वाला - अच्छा, मैडम।
फिर पीछे मुडा दुकान मैं से कुछ बॉक्सेस लाने के लिए , मैं उसे देखती रही, जब तक वो आखरी कोने मैं न जा पहुंचा।
दुकान वाला - जोर से बोला "मैडम, कप साइज क्या है " ?
मैं - उफ़,पागल है, इतनी जोर से क्यों बोल रहा है , - में बोली - भइया , बी
दुकानवाला - क्या, मैडम, डी ?
मैं - नहीं, भइया , बी , बी कप. थोड़ा जोर से , मुझे लगा उसे सुनिए नहीं दिया होगा।
मन, मैं सोचा डी कप , उफ़ कितने बड़े होंगे, शायद पड़ोस वाली भाभी के डी कप ही होंगे , लगती मस्त है भाभी।
दुकानवाला - लीजिए मैडम, ३२, बी कप ब्रा , कौन सा कलर दिखाऊ , स्किन कलर या डार्क , प्रिंटेड ,फ्लावर , लैसे ?
मैं, जैसे सपने मैं थी , डी कप ब्रा के, उसकी आवाज़ सुन के एकदम झटके से बहार आयी।
मैं उसको देख नहीं पा रही थी, वो मेरे बूब्स देख रहा था , मैंने अपना आँचल ठीक किया , [ हम लड़कियों को न जाने कैसे पता चल जाता है की अगला इंसान कहा देख रहा है?]