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Erotica लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत ]

कितने पुरुष पाठको ने अपनी पत्नी को या अपनी महिला मित्र को ब्रा या पेंटी ला कर दी है बिना उसको बताये

  • खुश हुई

    Votes: 4 40.0%
  • आश्चर्य चकित .... आपसे उम्मीद नहीं थी .. सही साइज़ ले आओगे

    Votes: 1 10.0%
  • मेरी साइज़ आपको याद रही

    Votes: 1 10.0%
  • शुक्रिया लाये तो ... पर साइज़ ठीक नहीं या कलर पसंद नहीं आया

    Votes: 0 0.0%
  • इतने नखरे है ..... कौन लाये ...

    Votes: 2 20.0%
  • एक तो लाओ फिर सरदर्दी वापस बदलवाने कि

    Votes: 2 20.0%

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    10
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Niharika

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Awesome update
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Iron Man जी,

शुक्रिया आपका ,

इतने कम समय मैं, यहाँ पर आप लोगो का भरपूर साथ व् प्यार मिल रहा है, मेरे जैसी एक नयी औरत जो केवल अपने मनकि भावना शब्दों मैं उकेर देती है. आप सब का साथ व् प्यार मिलता रहे इसी आशा मैं ...... जल्दी मिलती हूँ .......

ब्रा खरीदते हए एक लड़की को किस तरह कि परिस्थिथि मैं से गुजरना पड़ता है वो भी अगर पहेली बार हो .......... जुड़े रहिये .
 

kamdev99008

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जैसा की हम सभी चाहते है , एक खूबसूरत व् आकर्षक जिस्म जो सुन्दर दिखे , जो ड्रेस हम पहने वो आकर्षक दिखे। ..... सारी इच्छाओ की पूर्ति मैं बड़ा योगदान होता है, स्तन का।
--------------------------------------------

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

" खूबसूरत व् सुडोल स्तन", जब जवानी दस्तक देती है , तो असर जोबन पर होता है , कच्ची अमिया , अनार व् अनार संतरो मैं बदल जाती हैं.

यह परिवर्तन , आकर्षक, उत्तेजक रोमांचित करने वाला होता हैं , सबकी निगह उभरते जोबन हैं, माँ की हिदायत , सहेली की चुहल बाज़ी , मन की आकांशा। ......


अपने बचपन की यादों से कुछ पल। .......

जब मैं ***** साल की थी , छोटे - छोटे उभार आने शुरू हुए थे , ब्रा तो नहीं थी , पर समीज़ मैं से दिखने , हलके से शुरू हुए थे , अनजाने मैं हाथ लगना , सहलाना , नाहते समय हलके से दबाना , सोचना कब बड़े होंगे , कितने बड़े होंगे , भाभी के कितने, बड़े हो गए , क्या माँ जैसे होंगे। ....... तभी आवाज़ आती है माँ की। ....... अंदर ही रहेगी बाथरूम मैं बहार आ......


सहेली से आधी अधूरी बात , जान् ने की कोशिश, पड़ोस की भाभी के साथ बात करने की कोशिश , उनके ब्लाउज मैं देखने की कोशिश , कितने बढ़ गए , मैं क्या खाऊ जो मेरे भी बड़े हो जाए। .......................

उलझन। ...........
समय साथ बढे , मेरी पहेली ब्रा , चोरी से मा की बाथरूम मैं पहनी थी , बड़ी थी, ढीली थी, पर उत्तेजना भरपूर। ................

उफ़ गिला पन महसूस हुआ था। ... पहेली बार। ..
"कच्ची अमिया , अनार व् अनार संतरो मैं बदल जाती हैं." लेकिन नींबू तो भूल ही गईं आप ............................सबसे पहली फसल :lol1:
 
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वर्षा [रितु ] जी

स्वागत हैं आपका आपके अपने आँगन मैं , यह मंच महिलाओ को ध्यान मैं रख कर बनाया था मैंने पर सभी का भरपूर प्यार व् साथ मिल रहा है .

आप भी अपने अनुभव शेयर करे
निहारिका जी , आप की लेखनी अद्भुत है । हिंदी में लिखना और पाठकों के उपर प्रभाव डालना बड़ी ही विकट होती है । अंग्रेजी में सिर्फ २६ अक्षर होते हैं पर हिंदी में तो ५२ अक्षर होते हैं । लेकिन ५२ अक्षर के ये शब्द हमारी भावनाओं को परिभाषित करते हैं । यहां ऐसी बहुत सारी प्रतिभाएं मैंने देखी है जिनके लेखनी के उपर कुछ भी कहना अतिश्योक्ति होगी । और एक बात जो मैं कहना चाहता हूं -

मैं नर हूं लेकिन छद्म नाम बर्षा ऋतु है और ये नाम कोई कल्पना नहीं बल्कि भुली बिसरी स्मृतियां हैं जो आज भी मेरे वक्षस्थल में दीपावली के जगमगाते दियों की तरह प्रज्वलित है ।

आप के अगले प्रस्तुति का हम बेसब्री से इंतज़ार करेंगे ।
 

kamdev99008

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और बिना बहस -बार्गेन के हम लड़किया कुछ नहीं खरीदती।
............................हम्म .............ये बात सबको पता है...............लेकिन लड़कियों को पता है............यही खतरनाक है :hehe:
 

Ssking

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प्रिय पाठिकाओं ,

नमस्कार,

मैं
निहारिका, आप सभी पठीकाओ का स्वागत है , एक कोशिश - कुछ बाते, कुछ किस्से , कुछ विचारो का आदान प्रदान हम सभी करना चाहते हैं किन्तु कहानी की विषय वास्तु से अलग नहीं जा पाते, या कभी कोशिश करी भी तो संतोषप्रद जबाब न मिला।

जैसा की हम सभी जानते हैं की कहानी पर विचार या कमेंट देने का अधिकार सभी को है चाहे व् स्त्री हो या पुरष , मुझे यह विचार इसलिए भी आया की मुझे कुछ पूछना था एक साड़ी के बारे मैं , कहानी की सीक्वेंस मैं एक पिक्चर थी, मॉडल की पर किस्से पुछु ?

अपनी जवानी के किस्से , चटपटी - मसालेदार बाते , पड़ोस वाली भाभी से "वो" जानकारी हासिल करना या उसकी कोशिश करना और भी कई बाते हैं हम औरतो कि जिन्दगी मैं जैसे लिपस्टिक के शेड , डिज़ाइनर ब्लाउज , मेकअप टिप्स , होम टिप्स। .......... आपस की नटखट - चुलबुली बाते , जो अक्सर ननद - भाभी / सहेली के बीच होती हैं , यहाँ हम भी एक परिवार के जैसे आपस मैं विचरो का आदान प्रदान करे।

केवल औरत ही समझ सकती है। ..........

हमारी बाते कभी ख़तम न हुई हैं न होंगी। .......

सभी महिला पठीकाओ की सहमति व् विचार के इंतज़ार मैं। ........



आपकी ,


निहारिका
Shadarbyar sabse alag lag rha hai keep it up
 
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Ssking

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मैं - पिंक, वाइट, रेड, ब्लैक

सहेली - पूरी दुकान लेनी है क्या। ...........
.....................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

हम दोनों चलते हुए , बाज़ार तक आ गए।

मैं - कौन सी दुकान पर चलना है?

सहेली - चल, "सोनिया कलेक्शन" पर चलते हैं, वहां अच्छी डिज़ाइनर ब्रा मिलती हैं , रेट भी ठीक है.

मैं - अच्छा , चल जैसा तू कहे।

सहेली - हम्म,

हम दोनों दुकान पर आ गए , वाहन मैंने देखा की एक से एक डिज़ाइनर ब्रा का कलेक्शन है, मेकअप का सामान है, हेयर बैंड , लिपस्टिक, फाउंडेशन, नेलपेंट, और न जाने जाने क्या - क्या , उफ़ मैं तो आंखे खोल के देखती ही रह गयी ,ऐसा नहीं है की, मैं पहेली बार बाज़ार गई थी, माँ के साथ बस झोला पकड़ी और साथ - साथ चल दी, जायदा ध्यान नहीं दिया , पर आज जब मैं अकेली थी, तब कुछ अलग अहसास था.

सहेली - पागल, क्या देख रही है , कहाँ खो गई ?

मैं - हम्म, कुछ नहीं, [ अपने आप को सम्हालते हुए ]

काउंटर पर देखा कोई महिला नहीं दिख रही, अब एक और मुसीबत,

मैंने सहेली से कहा - सुन , कोई लेडीज नहीं है, अब क्या करे ?

एक लड़का था , दिखने मैं ठीक , हलकी दाढ़ी - मूछ ब्लू - चेक की शर्ट व् जीन्स पहने था , गोरा , हाइट भी ठीक थी, मुज़से तो लम्बा ही था.

सहेली - क्या बात यही, ब्रा के साथ ब्रा वाला भी लेना है , ही ही ही फिर तो पूरी दुकान तेरी

मैं - पागल , कुछ भी बोलती है, पर अब क्या करे , इसको बोले ब्रा के लिए? तूने ली है यहाँ से ब्रा ?

सहेली - हम्म, कई बार , रेट ठीक है, फिर डिस्काउंट भी देता है , पर बहस करनी पड़ती है ,
और बिना बहस -बार्गेन के हम लड़किया कुछ नहीं खरीदती।

मैं - हमम, वो सब तो ठीक है, पर बोले कैसे , अच्छा तू बोल दे। .......

सहेली - तुझे ब्रा चाईए , तू ही बोल , मैं नहीं


तभी। . दुकान वाला बोला। .....
Hanji jise chahiye wahibkahega...........dheere dheere excitment badhta ja rha hai lagata hai bahut maza aane
 
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Niharika

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निहारिका जी , आप की लेखनी अद्भुत है । हिंदी में लिखना और पाठकों के उपर प्रभाव डालना बड़ी ही विकट होती है । अंग्रेजी में सिर्फ २६ अक्षर होते हैं पर हिंदी में तो ५२ अक्षर होते हैं । लेकिन ५२ अक्षर के ये शब्द हमारी भावनाओं को परिभाषित करते हैं । यहां ऐसी बहुत सारी प्रतिभाएं मैंने देखी है जिनके लेखनी के उपर कुछ भी कहना अतिश्योक्ति होगी । और एक बात जो मैं कहना चाहता हूं -

मैं नर हूं लेकिन छद्म नाम बर्षा ऋतु है और ये नाम कोई कल्पना नहीं बल्कि भुली बिसरी स्मृतियां हैं जो आज भी मेरे वक्षस्थल में दीपावली के जगमगाते दियों की तरह प्रज्वलित है ।

आप के अगले प्रस्तुति का हम बेसब्री से इंतज़ार करेंगे ।

वर्षा रितु जी,

सबसे पहले क्षमा कि मैं आपके नाम से कंफ्यूज हो गयी और आपकि हिम्मत कि तहे दिल से दाद देती हूँ कि जो खुलासा आपने अपने नाम के बारे मैं किया है वो यक़ीनन काबिले तारीफ है.

मैं यह समझ सकती हूँ कि यह एक दिल का मसला है जो, दिल मैं ही आपको "उनकी" याद दिलाता रहता है, बीती यादो को जिन्दा रखना और उसे न भूलने का बहाना "उसके नाम को ही अपना बना लेना" यह इस चीज का प्रतीक हैं कि वो यादे किस कादर दिल कि गहरायिओं मैं डूबी हुई हैं.

आछा लगा आपसे मिल कर , अपना प्यार व् साथ बनाये रखे .
 

Niharika

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............................हम्म .............ये बात सबको पता है...............लेकिन लड़कियों को पता है............यही खतरनाक है :hehe:
kamdev99008 जी,

शुक्रिया आपका,

अब यह तो हमारी आदत मैं शुमार हो गया है , चुगली और बार्गेन करना हमारा हक है. दुनिया कि दुकानदारी इसी से चलती है और अगर हम बार्गेन न करे तो सोचो जी दुनिया का क्या होगा ............
 

Niharika

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प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

मैं - सहेली को पिंच करती हूँ, ऊँगली दबा कर हूँ , अरि, बोल न।

सहेली - हम्म, भैया। .

दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू, लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, काजल। ... मैडम ये काजल इम्पोर्टेड है , चौबीस घंटे तक कुछ नहीं बिगड़ता।

मैं - भैया , काजल नहीं , कुछ और दिखाइये।

दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू?

मैं - बोल न , सहेली को फिर पिंच किया , इधर उधर देखते हुए

सहेली - भैया , कुछ ब्रा , दिखाइए।

मैं - उफ़, मैं बिक्कुल शुन्य मैं थी, क्या चल रहा है आस पास कुछ नहीं पता, कुछ सुनाई नहीं कुछ पल के लिए।

सहेली - मेरा हाथ खींचते हुए, पागल साइज बता , तेरी ब्रा का।

- मैं - एक धक्का और , दिल मैं - उफ़, ब्रा का साइज इसको बताना होगा , मैंने उसे देखा मेरे बूब्स देख रहा था , शर्म से लाल हो गई।

हिम्मत कर के धीरे से बोला , जी ३२

दुकान वाला - अच्छा, मैडम।

फिर पीछे मुडा दुकान मैं से कुछ बॉक्सेस लाने के लिए , मैं उसे देखती रही, जब तक वो आखरी कोने मैं न जा पहुंचा।

दुकान वाला -
जोर से बोला "मैडम, कप साइज क्या है " ?

मैं - उफ़,पागल है, इतनी जोर से क्यों बोल रहा है , - में बोली - भइया , बी

दुकानवाला - क्या, मैडम, डी ?

मैं - नहीं, भइया , बी , बी कप. थोड़ा जोर से , मुझे लगा उसे सुनिए नहीं दिया होगा।

मन, मैं सोचा डी कप , उफ़ कितने बड़े होंगे, शायद पड़ोस वाली भाभी के डी कप ही होंगे , लगती मस्त है भाभी।

दुकानवाला - लीजिए मैडम, ३२, बी कप ब्रा , कौन सा कलर दिखाऊ , स्किन कलर या डार्क , प्रिंटेड ,फ्लावर , लैसे ?

मैं, जैसे सपने मैं थी , डी कप ब्रा के, उसकी आवाज़ सुन के एकदम झटके से बहार आयी।

मैं उसको देख नहीं पा रही थी, वो मेरे बूब्स देख रहा था , मैंने अपना आँचल ठीक किया , [ हम लड़कियों को न जाने कैसे पता चल जाता है की अगला इंसान कहा देख रहा है?]
 
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