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मैने चाची की कमर पकड़ कर जोर से शॉट लगाए और उसकी चुत में जड़ तक लण्ड गाड़ कर चाची की कोख़ को अपने पानी से सींचने लगा कुछ झटकों के बाद मैं चाची के ऊपर ही ढेर हो गया था।।
Update 61
हम दोनों थक गए थे एक लम्बी और मजेदार चुदाई हुई थी इस तरह सुबह सवेरे के उजाले में घर की छत पर खुलकर चुदाई का मज़ा वो ही जान सकते हैं जिन्होंने इसे अनुभव किया हो… चाची ने मुझे अपने सीने पर कस लिया और बोली सच में राज तुझसे चुदाई के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं, अगर तू चाहे तो अभी के अभी मेरी गाँड़ भी मार दे तुझसे चुदवा कर जितना दर्द होता है उससे कहीं ज्यादा सुख मिलता है… तभी माँ बोल उठी चलो अब कपड़े पहन लो सुबह हो गई है एक बार करवा लिया ना कोमल अभी चेन नहीं मिला जो उसे गाँड़ मारने के लिए उकसाने लगी जल्दी से कपड़े पहन कर निचे चलो…
चाची बोली क्या दीदी ख़ुद तो रात को हथियार डाल दिये अब मुझे भी रोक रही हो ये सुनकर माँ ने टाँगे चौड़ी कर दी और अपनी चुत खोल दी और चाची से बोली देख तेरे खसम ने कैसे मेरी चुत की धज्जियां उड़ा दी… मैने ओर चाची ने माँ की चुत की तरफ देखा तो पाया कि वो बुरी तरह सूजी हुईं थी, चाची ने देखा तो बोली दीदी ये तो सूज कर डबलरोटी बन गई है नीचे चल कर इसपर गर्म पानी से सिकाई कर लेना वरना दर्द होता रहेगा और दो दिन चुदाई मत करवाना तभी आराम मिलेगा… माँ बोली कोमल सिकाई तो करनी ही पड़ेगी वरना आज चुदवाउंगी कैसे… चाची बोली यहाँ तुम्हारी चुत फटी पड़ी है और फिर भी तुम्हें चुदाई की पड़ी है आज मैं राज से दो बार चुड़वाँ लुंगी तुम आराम करो… माँ बोली अरे नहीं कोमल अब तो जब से राज ने करना शुरू किया है हर वक़्त चुत में कुलबुलाहट लगी रहती है लगता है राज हर वक़्त करता रहे जब तक कि चुत फट नहीं जाती लेकिन क्या करूँ जब बर्दाश्त नहीं होता तो उसे मना करने पड़ता है।
ये बात करते हुए हमने कपड़े पहने और बिस्तर लेकर नीचे आ गए तो माँ बोली चाय बाद में बनाती हूँ पहले नहा धो लें तो चाची ने कहा चलो फिर एकसाथ नहाते हैं… हम सब ने एकबार फिर कपड़े उतारे ओर गुसलखाने में घुस गए हम तीनों ने अपने ऊपर पानी डाला और चाची मुझे साबुन लगाने लगी और मैं माँ के बदन पर साबुन मलने लगा … अब सिन कुछ ऐसा था कि मैं माँ के पीछे ओर चाची मेरे पीछे खड़े होकर एक दूसरे को साबुन मल रहे थे चाची का एक हाथ मेरे सीने पर ओर दूसरा मेरे लण्ड पर चल रहा था और वो अपनी चुचियाँ मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और मैं एक हाथ माँ की चुचियों पर चलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी चुत पर साबुन लगा रहा था.… चाची के द्वारा मेरे छाती और लण्ड की साबुन से मालिश के कारण मेरा लण्ड फिर एक बार फुफकार मारने लगा था और माँ अपनी चुचियाँ ओर चुत घिसवाने से आहे भरने लगी थी लेकिन चाची मेरे पीछे कुछ शांत नजर आ रही थी।
मैंने चाची को पकड़कर माँ के ओर अपने बीच कर लिया और माँ को घुमाते हुए उसका चेहरा चाची की ओर कर दिया अब चाची माँ और मेरे बीच थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी और माँ और चाची का चेहरा आमने सामने आ गया था चाची अब सेन्डविच पोजीशन में थीं… मैं हाथ बढ़ा कर माँ की पीठ पर साबुन लगाने लगा और माँ मेरी पीठ पर और चाची हम दोनों की छातियों के बीच दबने लगी उसकी पीठ पर मेरे सीने और गाँड़ पर मेरे लण्ड से रगड़ लग रही थी और माँ के साथ चुचियाँ ओर चुत घिसने लगी थी… कुछ देर में ही चाची भी माँ के साथ साथ आंहे भर रही थीं और मेरा लण्ड पहले माँ और अब चाची की गाँड़ घिसने से विकराल रूप ले कर चाची की गाँड़ पर ठोकरें मार रहा था…
चाची ने एक बाजू बढ़ा कर माँ को अपने साथ कस लिया और दूसरे हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी गाँड़ के छेद पर घिसते हुई माँ के होंठ चुसने लगी माँ की उत्तेजना भी चरम पर थी तो वह भी चाची का भरपूर साथ देने लगी और माँ ने एक हाथ चाची कि चुत पर रख कर उसे कुरेदने लगी तो चाची भी प्रतिउत्तर में अपना हाथ मेरे लण्ड से हटाकर माँ की चुत रगड़ने लगी… अब माँ और चाची एक दूसरे को गरम कर रही थीं या के ठंडा कर रही थी लेकिन आपस में चुत और छातियाँ रगड़ते हुई और होंठों को चूसती हुए खुद के साथ साथ मुझे भी उत्तेजित कर रही थी… तभी चाची ने चुम्बन तोड़ा ओर मुझे बोली राज जल्दी से मेरी गाँड़ में डाल दे तो माँ ने कहा राज पहले मुझे कर मुझे तेरा लण्ड चुत में चाहिए मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा वैसे बर्दाश्त तो अब मुझसे भी नहीं हो रहा था तो मैंने अपने साथ साथ इन दोनों को भी शांत करने का फैसला किया और गुसलखाने में पड़ी तेल की शीशी उठा ली।
क्रमशः
Update 61
हम दोनों थक गए थे एक लम्बी और मजेदार चुदाई हुई थी इस तरह सुबह सवेरे के उजाले में घर की छत पर खुलकर चुदाई का मज़ा वो ही जान सकते हैं जिन्होंने इसे अनुभव किया हो… चाची ने मुझे अपने सीने पर कस लिया और बोली सच में राज तुझसे चुदाई के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं, अगर तू चाहे तो अभी के अभी मेरी गाँड़ भी मार दे तुझसे चुदवा कर जितना दर्द होता है उससे कहीं ज्यादा सुख मिलता है… तभी माँ बोल उठी चलो अब कपड़े पहन लो सुबह हो गई है एक बार करवा लिया ना कोमल अभी चेन नहीं मिला जो उसे गाँड़ मारने के लिए उकसाने लगी जल्दी से कपड़े पहन कर निचे चलो…
चाची बोली क्या दीदी ख़ुद तो रात को हथियार डाल दिये अब मुझे भी रोक रही हो ये सुनकर माँ ने टाँगे चौड़ी कर दी और अपनी चुत खोल दी और चाची से बोली देख तेरे खसम ने कैसे मेरी चुत की धज्जियां उड़ा दी… मैने ओर चाची ने माँ की चुत की तरफ देखा तो पाया कि वो बुरी तरह सूजी हुईं थी, चाची ने देखा तो बोली दीदी ये तो सूज कर डबलरोटी बन गई है नीचे चल कर इसपर गर्म पानी से सिकाई कर लेना वरना दर्द होता रहेगा और दो दिन चुदाई मत करवाना तभी आराम मिलेगा… माँ बोली कोमल सिकाई तो करनी ही पड़ेगी वरना आज चुदवाउंगी कैसे… चाची बोली यहाँ तुम्हारी चुत फटी पड़ी है और फिर भी तुम्हें चुदाई की पड़ी है आज मैं राज से दो बार चुड़वाँ लुंगी तुम आराम करो… माँ बोली अरे नहीं कोमल अब तो जब से राज ने करना शुरू किया है हर वक़्त चुत में कुलबुलाहट लगी रहती है लगता है राज हर वक़्त करता रहे जब तक कि चुत फट नहीं जाती लेकिन क्या करूँ जब बर्दाश्त नहीं होता तो उसे मना करने पड़ता है।
ये बात करते हुए हमने कपड़े पहने और बिस्तर लेकर नीचे आ गए तो माँ बोली चाय बाद में बनाती हूँ पहले नहा धो लें तो चाची ने कहा चलो फिर एकसाथ नहाते हैं… हम सब ने एकबार फिर कपड़े उतारे ओर गुसलखाने में घुस गए हम तीनों ने अपने ऊपर पानी डाला और चाची मुझे साबुन लगाने लगी और मैं माँ के बदन पर साबुन मलने लगा … अब सिन कुछ ऐसा था कि मैं माँ के पीछे ओर चाची मेरे पीछे खड़े होकर एक दूसरे को साबुन मल रहे थे चाची का एक हाथ मेरे सीने पर ओर दूसरा मेरे लण्ड पर चल रहा था और वो अपनी चुचियाँ मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और मैं एक हाथ माँ की चुचियों पर चलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी चुत पर साबुन लगा रहा था.… चाची के द्वारा मेरे छाती और लण्ड की साबुन से मालिश के कारण मेरा लण्ड फिर एक बार फुफकार मारने लगा था और माँ अपनी चुचियाँ ओर चुत घिसवाने से आहे भरने लगी थी लेकिन चाची मेरे पीछे कुछ शांत नजर आ रही थी।
मैंने चाची को पकड़कर माँ के ओर अपने बीच कर लिया और माँ को घुमाते हुए उसका चेहरा चाची की ओर कर दिया अब चाची माँ और मेरे बीच थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी और माँ और चाची का चेहरा आमने सामने आ गया था चाची अब सेन्डविच पोजीशन में थीं… मैं हाथ बढ़ा कर माँ की पीठ पर साबुन लगाने लगा और माँ मेरी पीठ पर और चाची हम दोनों की छातियों के बीच दबने लगी उसकी पीठ पर मेरे सीने और गाँड़ पर मेरे लण्ड से रगड़ लग रही थी और माँ के साथ चुचियाँ ओर चुत घिसने लगी थी… कुछ देर में ही चाची भी माँ के साथ साथ आंहे भर रही थीं और मेरा लण्ड पहले माँ और अब चाची की गाँड़ घिसने से विकराल रूप ले कर चाची की गाँड़ पर ठोकरें मार रहा था…
चाची ने एक बाजू बढ़ा कर माँ को अपने साथ कस लिया और दूसरे हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी गाँड़ के छेद पर घिसते हुई माँ के होंठ चुसने लगी माँ की उत्तेजना भी चरम पर थी तो वह भी चाची का भरपूर साथ देने लगी और माँ ने एक हाथ चाची कि चुत पर रख कर उसे कुरेदने लगी तो चाची भी प्रतिउत्तर में अपना हाथ मेरे लण्ड से हटाकर माँ की चुत रगड़ने लगी… अब माँ और चाची एक दूसरे को गरम कर रही थीं या के ठंडा कर रही थी लेकिन आपस में चुत और छातियाँ रगड़ते हुई और होंठों को चूसती हुए खुद के साथ साथ मुझे भी उत्तेजित कर रही थी… तभी चाची ने चुम्बन तोड़ा ओर मुझे बोली राज जल्दी से मेरी गाँड़ में डाल दे तो माँ ने कहा राज पहले मुझे कर मुझे तेरा लण्ड चुत में चाहिए मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा वैसे बर्दाश्त तो अब मुझसे भी नहीं हो रहा था तो मैंने अपने साथ साथ इन दोनों को भी शांत करने का फैसला किया और गुसलखाने में पड़ी तेल की शीशी उठा ली।
क्रमशः