Jay1990
Active Member
- 638
- 867
- 93
Nice updateमेरे लण ने उसकी गाँड़ में पहली बारिश करना शुरू कर दिया और मैं बेला की पीठ पर ही गिर कर अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा ।
Update 67
पहले शॉट में ही इतना टाइम लग गया कि अब दूसरे के लिए वक़्त नहीं बचा था तो मैंने घर जाने का सोचा ओर बेला को उठाकर दरवाजे के लिए केहने लगा तो देखा कि वो अपनी गाँड़ पर हाथ रखकर लेटी हुई थी… मैंने उसे दरवाजा बंद करने को बोला तो उसने मेरी तरफ देखा और बोली, राज ये तुमने क्या किया मेरी गाँड़ के साथ, हिला भी नहीं जा रहा है, मैंने कहा मेरी जान अभी टाइम नहीं है वरना थोड़ी सिकाई कर देता तो आराम मिल जाता, बेल बोली एक तो जान निकाल दी अब सिकाई करोगे जाओ मैं कर लूंगी ओर दरवाजा बंद कर देना मैं कुंडी लगा लूँगी, तो में घर चला आया…
घर पहुंचने पर चाची ने मुस्कुरा कर तिरछी नजर से मुझे देखा और बोली कर आया सैर तंग गलियों की, मैं चाची का मतलब समझ कर मुस्कुराते हुए बोला हाँ चाची कर आया हूँ और जरा थक गया हूँ तो थोड़ा आराम कर लूं… चाची आँख मारते हुए बोली हाँ आराम करले फिर रात को मेहनत भी तो करनी है और ये कहते हुए चाची अपने हाथ अपनी चुत पर फेरने लगी… मैं जाकर लेट गया और पिछले कुछ समय से हुए घटना क्रम के बारे में सोचने लगा कि कैसे पहले चाची, माँ और अब बेला कहाँ मै चुत के लिए सोचता रहता था और अब दिन रात सिर्फ चुदाई करता हूँ वो भी अपनी चाची ओर माँ की जो हर वक़्त मुझसे चुदने के लिए तैयार रहती हैं… माँ के अंदर इतनी चुदास भरी हुई है ये अंदाज मैं उनको चोदने से पहले नहीं लगा सकता था लेकिन जब से उनकी चुदाई शुरू करी है तब पता चला कि उनके अन्दर कितना सेक्स भरा हुआ है…
ये सब सोचते हुए मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन गर्मी के कारण नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि नहा लिया जाये ताकि गर्मी से तो राहत मिले ही ओर बेला की हुई भीषण चुदाई की थकान भी दूर हो जाये
मैं नहाने जा ही रह था कि माँ ने आवाज लगा कर पूछा, राज आज क्या खाने का मन है, मैंने भी मस्ती में बोल दिया आज तो चाची के साथ तुम्हें खाना है तो माँ ने मुस्कुरा कर कहा देखते हैं और फिर अपने काम में लग गई और मैं नहाने चला गया… रात को खाना खाते हुए चाची बोली कि आज भी छत पर ही सोते हैं क्योंकि गर्मी बहुत है तो मैंने कहा और खुले आसमान के नीचे कुश्ती का मजा भी अलग ही आता है तो चाची ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा कि ये बात तो सही कही राज तुमने रात को दीदी क्या मस्त होकर पिलवा रही थी… तो माँ बोली क्यों तुमने कुछ नहीं किया क्या खुद तो रांड की तरह करवा रही थी उसका क्या , तो चाची बोली मैं तो हूँ ही राज की रंडी तो वैसे ही चुदूँगी ना…
ये सब बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया तब चाची ओर माँ रसोई समेटने में लग गई और मैं बिस्तर लेकर छत पर चला आया और बिस्तर लगाने लगा आज गर्मी ज्यादा थी तो मैंने एक टेबल फेन भी लगा दिया… कुछ ही देर में चाची ऊपर आ गई उसने एक मैक्सी पहन रखी थी आते ही चाची मेरा लण्ड पकड़ कर बोली क्यों राज इसे बस बाहर की सैर ही करवाई या बेला के कूँए में डुबकी भी लगवा कर आया है? मैंने हँसकर कहा चाची डुबकी लगाकर नहीं पूरा नहला कर आया हूँ… तभी माँ ऊपर आ गई और हम चुप हो गए माँ ने ब्लाउज ओर पेटीकोट पहना हुआ था और आते ही पंखे के आगे लेटते हुए बोली आज तो गर्मी बहुत है तो चाची ने चुटकी लेते हुए कहा, दीदी कहाँ है गर्मी अंदर या बाहर?… माँ बोली अरी बाहर वाली गर्मी की बात कर रही हूं अंदर वाली तो राज निकाल ही देता है और हसने लगी…
मैंने कहा माँ गर्मीL लग रही है तो कपड़े उतार दे क्यों पहन रखे हैं तो माँ बोली राज तूने मेरे मन की बात कह दी मैं भी यही सोच रही थी और फिर माँ अपना ब्लाउज उतारने लगी ब्लाउज उतरते ही माँ की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गई तो माँ पेटीकोट भी उतारने लगी… ये सब देखकर मेरा बाबूराव भी अपनी औकात दिखाने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतारकर एक तरफ रख दिये ओर चाची की ओर देखकर कहा लगता है कि तुम्हें गर्मी नहीं लग रही… चाची ने आगे बढ़कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और फिर उसे मुठियाते हुए बोली राज तू पहले दीदी की गर्मी उतार मैं तो दोपहर के बाद से आराम से हूँ और फिर मेरा लण्ड चुसने लगी… मैंने भी माँ की चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और माँ ने मेरे होंठ चूसना अब हम तीनों ही अपनी अपनी गर्मी ठंडी करने की कोशिश करने लगे थे… कुछ समय के बाद मेरा लण्ड लोहे जैसे सख्त हो गया था और माँ लम्बी सांसे लेते हुए सिसयां रही थी… तभी चाची माँ को बोली दीदी तुम राज को तैयार रखो मैं तुम्हे तैयार करती हूँ ये बोलकर चाची ने लण्ड माँ के हवाले किया जिसे माँ ने मुँह में भर लिया और चाची ने माँ की टाँगे फैला दी और उसकी चुत की चुसाई शुरू कर दी जिससे माँ जो पहले से ही गर्म थी उसे ओर हवा मिल गई और वो एक हाथ से चाची का सिर अपनी चुत पर दबाते हुए ताबड़तोड़ मेरा लण्ड चुसने लगी…
अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लण्ड माँ के मुँह से निकाल कर चाची को माँ की चुत पर से हटाया ओर लण्ड चुत पर सेट करके एक ही धक्के में बच्चेदानी से भिड़ा दिया… माँ की ज़ोर से आह निकल गई तो चाची ने अपनी चुची माँ के मुंह में भर दी और खुद माँ की चुचियों को मसलने लगी मैं भी धीरे धीरे से धक्के लगाने लगा और उसके साथ साथ एक हाथ से चाची की चुत रगड़ने लगा… माँ मेरे धक्कों और चाची द्वारा चुचियाँ मसले जाने से बहुत उत्तेजित हो गई थी और अपनी गाँड़ उछाल कर मेरे लण्ड को लेने लगी चाची की चुची मुँह से निकाल कर माँ बोली राज ज़ोर से कर जान नहीं है क्या… माँ की बात सुनकर मैंने चाची की चुत से हाथ हटाकर माँ की कमर को थाम लिया और फिर जबरदस्त एक्शन के साथ धक्के लगाने लगा माँ भी गाँड़ उठाके पूरी तरह से लण्ड खाने लगी और उसकी आहों की आवाज़ मुझे ओर ज्यादा उत्तेजित कर रही थी… मैं माँ के भगनसे को सहलाते हुए धक्के लगा रहा था जिससे माँ को दोगुना मजा मिल रहा था और वो चाची की चुचियों को पकड़कर दबाने लगी, चाची ने माँ के निप्पलों को उमेठने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जिसके फलस्वरूप माँ जल्दी ही चरम सुख की ओर बढ़ गई और चाची को अपने सीने पर कसकर झड़ने लगी कुछ ही सेकण्ड में माँ शांत हो गई तो मैंने लण्ड चुत से निकाल लिया और माँ के मुँह में डाल दिया… माँ ने भी इंकार नहीं किया और लण्ड को चूस चूस कर साफ कर दिया और चमका दिया…
इसबीच चाची जो हमारी चुदाई और अपनी चुची चुसाई के कारण पहले ही उत्तेजित हो गई थी कुत्तिया बन गई और मुझे बोली राज अब जल्दी से आजा मेरी मुनिया का भी पानी बह रहा है… मैंने कहा चाची तुम्हारी तो गाँड़ मारनी है तो चाची बोली पहले चुत को ठंडी कर उसके बाद जो मर्जी कर लियो, तो मैंने भी देर न करते हुए अपना मूसल चाची की चुत पट सेट किया और आगे बढ़ा दिया चाची की सिसकी निकलने लगी ओर मेरी रफ्तार बढ़ने लगी कुछ ही क्षण में चाची पूरी तरह चुदास से भर के अपनी गाँड़ मेरे लण्ड पर पटक कर पूरा लण्ड निगलने लगी… लण्ड की हर चोट गहराई में जाकर चाची की कोख पर दस्तक दे रही थी जिससे चाची का मजा दोगुना हो जाता था मैंने धक्के लगाते हुए चाची की गाँड़ चौड़ी करी और उसके छेद पर थूककर अपनी एक उंगली गाँड़ में घुसा दी जिससे चाची की आह निकल गई… अब चुत में लण्ड के साथ साथ गाँड़ में भी उंगली चल रही थी और चाची आनन्द सागर में गोते लगा रही थी तो मैंने लण्ड चुत से निकाल कर गाँड़ के छेद पर टिकाया तो चाची मचल कर बोल उठी राज पहले मेरा पानी निकाल दे फिर जो मर्जी कर लियो अभी बहुत आग लगी है जल्दी चोद मेरी चुत ये बोलकर चाची पीठ के बल लेटकर टाँगे फैलाकर अपनी चुत रगड़ने लगी… मैंने भी ज़िद नहीं करी और चुत का बैंड बजाने लगा करीब दस मिनट की चुदाई के बाद चाची ने अपना बदन हवा में उठाया और फिर उसने मेरे लण्ड को चुत में कस लिया और मुझे जकड़ कर कांपते हुए झड़ने लगी… मैं भी अब झड़ने के करीब था इसलिए रुक नहीं ओर धक्के लगाता रहा करीब दो मिनट बाद मैंने एक जोरदार धक्का लगा कर लण्ड को जड़ तक ठोक दिया ओर चाची की कोख को अपने रस से सींचने लगा और चाची के ऊपर ही ढ़ेर होकर लम्बी सांसे लेने लगा चाची ने मेरा माथा चुम कर मुझे अपने सीने पर कस लिया और मैं वहीं ढेर होकर कब नींद की आगोश में चला गया मुझे पता भी नहीं चला…
देर आये दुरुस्त आये, जबरदस्त अपडेट।मेरे लण ने उसकी गाँड़ में पहली बारिश करना शुरू कर दिया और मैं बेला की पीठ पर ही गिर कर अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा ।
Update 67
पहले शॉट में ही इतना टाइम लग गया कि अब दूसरे के लिए वक़्त नहीं बचा था तो मैंने घर जाने का सोचा ओर बेला को उठाकर दरवाजे के लिए केहने लगा तो देखा कि वो अपनी गाँड़ पर हाथ रखकर लेटी हुई थी… मैंने उसे दरवाजा बंद करने को बोला तो उसने मेरी तरफ देखा और बोली, राज ये तुमने क्या किया मेरी गाँड़ के साथ, हिला भी नहीं जा रहा है, मैंने कहा मेरी जान अभी टाइम नहीं है वरना थोड़ी सिकाई कर देता तो आराम मिल जाता, बेल बोली एक तो जान निकाल दी अब सिकाई करोगे जाओ मैं कर लूंगी ओर दरवाजा बंद कर देना मैं कुंडी लगा लूँगी, तो में घर चला आया…
घर पहुंचने पर चाची ने मुस्कुरा कर तिरछी नजर से मुझे देखा और बोली कर आया सैर तंग गलियों की, मैं चाची का मतलब समझ कर मुस्कुराते हुए बोला हाँ चाची कर आया हूँ और जरा थक गया हूँ तो थोड़ा आराम कर लूं… चाची आँख मारते हुए बोली हाँ आराम करले फिर रात को मेहनत भी तो करनी है और ये कहते हुए चाची अपने हाथ अपनी चुत पर फेरने लगी… मैं जाकर लेट गया और पिछले कुछ समय से हुए घटना क्रम के बारे में सोचने लगा कि कैसे पहले चाची, माँ और अब बेला कहाँ मै चुत के लिए सोचता रहता था और अब दिन रात सिर्फ चुदाई करता हूँ वो भी अपनी चाची ओर माँ की जो हर वक़्त मुझसे चुदने के लिए तैयार रहती हैं… माँ के अंदर इतनी चुदास भरी हुई है ये अंदाज मैं उनको चोदने से पहले नहीं लगा सकता था लेकिन जब से उनकी चुदाई शुरू करी है तब पता चला कि उनके अन्दर कितना सेक्स भरा हुआ है…
ये सब सोचते हुए मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन गर्मी के कारण नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि नहा लिया जाये ताकि गर्मी से तो राहत मिले ही ओर बेला की हुई भीषण चुदाई की थकान भी दूर हो जाये
मैं नहाने जा ही रह था कि माँ ने आवाज लगा कर पूछा, राज आज क्या खाने का मन है, मैंने भी मस्ती में बोल दिया आज तो चाची के साथ तुम्हें खाना है तो माँ ने मुस्कुरा कर कहा देखते हैं और फिर अपने काम में लग गई और मैं नहाने चला गया… रात को खाना खाते हुए चाची बोली कि आज भी छत पर ही सोते हैं क्योंकि गर्मी बहुत है तो मैंने कहा और खुले आसमान के नीचे कुश्ती का मजा भी अलग ही आता है तो चाची ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा कि ये बात तो सही कही राज तुमने रात को दीदी क्या मस्त होकर पिलवा रही थी… तो माँ बोली क्यों तुमने कुछ नहीं किया क्या खुद तो रांड की तरह करवा रही थी उसका क्या , तो चाची बोली मैं तो हूँ ही राज की रंडी तो वैसे ही चुदूँगी ना…
ये सब बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया तब चाची ओर माँ रसोई समेटने में लग गई और मैं बिस्तर लेकर छत पर चला आया और बिस्तर लगाने लगा आज गर्मी ज्यादा थी तो मैंने एक टेबल फेन भी लगा दिया… कुछ ही देर में चाची ऊपर आ गई उसने एक मैक्सी पहन रखी थी आते ही चाची मेरा लण्ड पकड़ कर बोली क्यों राज इसे बस बाहर की सैर ही करवाई या बेला के कूँए में डुबकी भी लगवा कर आया है? मैंने हँसकर कहा चाची डुबकी लगाकर नहीं पूरा नहला कर आया हूँ… तभी माँ ऊपर आ गई और हम चुप हो गए माँ ने ब्लाउज ओर पेटीकोट पहना हुआ था और आते ही पंखे के आगे लेटते हुए बोली आज तो गर्मी बहुत है तो चाची ने चुटकी लेते हुए कहा, दीदी कहाँ है गर्मी अंदर या बाहर?… माँ बोली अरी बाहर वाली गर्मी की बात कर रही हूं अंदर वाली तो राज निकाल ही देता है और हसने लगी…
मैंने कहा माँ गर्मीL लग रही है तो कपड़े उतार दे क्यों पहन रखे हैं तो माँ बोली राज तूने मेरे मन की बात कह दी मैं भी यही सोच रही थी और फिर माँ अपना ब्लाउज उतारने लगी ब्लाउज उतरते ही माँ की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गई तो माँ पेटीकोट भी उतारने लगी… ये सब देखकर मेरा बाबूराव भी अपनी औकात दिखाने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतारकर एक तरफ रख दिये ओर चाची की ओर देखकर कहा लगता है कि तुम्हें गर्मी नहीं लग रही… चाची ने आगे बढ़कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और फिर उसे मुठियाते हुए बोली राज तू पहले दीदी की गर्मी उतार मैं तो दोपहर के बाद से आराम से हूँ और फिर मेरा लण्ड चुसने लगी… मैंने भी माँ की चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और माँ ने मेरे होंठ चूसना अब हम तीनों ही अपनी अपनी गर्मी ठंडी करने की कोशिश करने लगे थे… कुछ समय के बाद मेरा लण्ड लोहे जैसे सख्त हो गया था और माँ लम्बी सांसे लेते हुए सिसयां रही थी… तभी चाची माँ को बोली दीदी तुम राज को तैयार रखो मैं तुम्हे तैयार करती हूँ ये बोलकर चाची ने लण्ड माँ के हवाले किया जिसे माँ ने मुँह में भर लिया और चाची ने माँ की टाँगे फैला दी और उसकी चुत की चुसाई शुरू कर दी जिससे माँ जो पहले से ही गर्म थी उसे ओर हवा मिल गई और वो एक हाथ से चाची का सिर अपनी चुत पर दबाते हुए ताबड़तोड़ मेरा लण्ड चुसने लगी…
अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लण्ड माँ के मुँह से निकाल कर चाची को माँ की चुत पर से हटाया ओर लण्ड चुत पर सेट करके एक ही धक्के में बच्चेदानी से भिड़ा दिया… माँ की ज़ोर से आह निकल गई तो चाची ने अपनी चुची माँ के मुंह में भर दी और खुद माँ की चुचियों को मसलने लगी मैं भी धीरे धीरे से धक्के लगाने लगा और उसके साथ साथ एक हाथ से चाची की चुत रगड़ने लगा… माँ मेरे धक्कों और चाची द्वारा चुचियाँ मसले जाने से बहुत उत्तेजित हो गई थी और अपनी गाँड़ उछाल कर मेरे लण्ड को लेने लगी चाची की चुची मुँह से निकाल कर माँ बोली राज ज़ोर से कर जान नहीं है क्या… माँ की बात सुनकर मैंने चाची की चुत से हाथ हटाकर माँ की कमर को थाम लिया और फिर जबरदस्त एक्शन के साथ धक्के लगाने लगा माँ भी गाँड़ उठाके पूरी तरह से लण्ड खाने लगी और उसकी आहों की आवाज़ मुझे ओर ज्यादा उत्तेजित कर रही थी… मैं माँ के भगनसे को सहलाते हुए धक्के लगा रहा था जिससे माँ को दोगुना मजा मिल रहा था और वो चाची की चुचियों को पकड़कर दबाने लगी, चाची ने माँ के निप्पलों को उमेठने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जिसके फलस्वरूप माँ जल्दी ही चरम सुख की ओर बढ़ गई और चाची को अपने सीने पर कसकर झड़ने लगी कुछ ही सेकण्ड में माँ शांत हो गई तो मैंने लण्ड चुत से निकाल लिया और माँ के मुँह में डाल दिया… माँ ने भी इंकार नहीं किया और लण्ड को चूस चूस कर साफ कर दिया और चमका दिया…
इसबीच चाची जो हमारी चुदाई और अपनी चुची चुसाई के कारण पहले ही उत्तेजित हो गई थी कुत्तिया बन गई और मुझे बोली राज अब जल्दी से आजा मेरी मुनिया का भी पानी बह रहा है… मैंने कहा चाची तुम्हारी तो गाँड़ मारनी है तो चाची बोली पहले चुत को ठंडी कर उसके बाद जो मर्जी कर लियो, तो मैंने भी देर न करते हुए अपना मूसल चाची की चुत पट सेट किया और आगे बढ़ा दिया चाची की सिसकी निकलने लगी ओर मेरी रफ्तार बढ़ने लगी कुछ ही क्षण में चाची पूरी तरह चुदास से भर के अपनी गाँड़ मेरे लण्ड पर पटक कर पूरा लण्ड निगलने लगी… लण्ड की हर चोट गहराई में जाकर चाची की कोख पर दस्तक दे रही थी जिससे चाची का मजा दोगुना हो जाता था मैंने धक्के लगाते हुए चाची की गाँड़ चौड़ी करी और उसके छेद पर थूककर अपनी एक उंगली गाँड़ में घुसा दी जिससे चाची की आह निकल गई… अब चुत में लण्ड के साथ साथ गाँड़ में भी उंगली चल रही थी और चाची आनन्द सागर में गोते लगा रही थी तो मैंने लण्ड चुत से निकाल कर गाँड़ के छेद पर टिकाया तो चाची मचल कर बोल उठी राज पहले मेरा पानी निकाल दे फिर जो मर्जी कर लियो अभी बहुत आग लगी है जल्दी चोद मेरी चुत ये बोलकर चाची पीठ के बल लेटकर टाँगे फैलाकर अपनी चुत रगड़ने लगी… मैंने भी ज़िद नहीं करी और चुत का बैंड बजाने लगा करीब दस मिनट की चुदाई के बाद चाची ने अपना बदन हवा में उठाया और फिर उसने मेरे लण्ड को चुत में कस लिया और मुझे जकड़ कर कांपते हुए झड़ने लगी… मैं भी अब झड़ने के करीब था इसलिए रुक नहीं ओर धक्के लगाता रहा करीब दो मिनट बाद मैंने एक जोरदार धक्का लगा कर लण्ड को जड़ तक ठोक दिया ओर चाची की कोख को अपने रस से सींचने लगा और चाची के ऊपर ही ढ़ेर होकर लम्बी सांसे लेने लगा चाची ने मेरा माथा चुम कर मुझे अपने सीने पर कस लिया और मैं वहीं ढेर होकर कब नींद की आगोश में चला गया मुझे पता भी नहीं चला…
Nice updateमेरे लण ने उसकी गाँड़ में पहली बारिश करना शुरू कर दिया और मैं बेला की पीठ पर ही गिर कर अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा ।
Update 67
पहले शॉट में ही इतना टाइम लग गया कि अब दूसरे के लिए वक़्त नहीं बचा था तो मैंने घर जाने का सोचा ओर बेला को उठाकर दरवाजे के लिए केहने लगा तो देखा कि वो अपनी गाँड़ पर हाथ रखकर लेटी हुई थी… मैंने उसे दरवाजा बंद करने को बोला तो उसने मेरी तरफ देखा और बोली, राज ये तुमने क्या किया मेरी गाँड़ के साथ, हिला भी नहीं जा रहा है, मैंने कहा मेरी जान अभी टाइम नहीं है वरना थोड़ी सिकाई कर देता तो आराम मिल जाता, बेल बोली एक तो जान निकाल दी अब सिकाई करोगे जाओ मैं कर लूंगी ओर दरवाजा बंद कर देना मैं कुंडी लगा लूँगी, तो में घर चला आया…
घर पहुंचने पर चाची ने मुस्कुरा कर तिरछी नजर से मुझे देखा और बोली कर आया सैर तंग गलियों की, मैं चाची का मतलब समझ कर मुस्कुराते हुए बोला हाँ चाची कर आया हूँ और जरा थक गया हूँ तो थोड़ा आराम कर लूं… चाची आँख मारते हुए बोली हाँ आराम करले फिर रात को मेहनत भी तो करनी है और ये कहते हुए चाची अपने हाथ अपनी चुत पर फेरने लगी… मैं जाकर लेट गया और पिछले कुछ समय से हुए घटना क्रम के बारे में सोचने लगा कि कैसे पहले चाची, माँ और अब बेला कहाँ मै चुत के लिए सोचता रहता था और अब दिन रात सिर्फ चुदाई करता हूँ वो भी अपनी चाची ओर माँ की जो हर वक़्त मुझसे चुदने के लिए तैयार रहती हैं… माँ के अंदर इतनी चुदास भरी हुई है ये अंदाज मैं उनको चोदने से पहले नहीं लगा सकता था लेकिन जब से उनकी चुदाई शुरू करी है तब पता चला कि उनके अन्दर कितना सेक्स भरा हुआ है…
ये सब सोचते हुए मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन गर्मी के कारण नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि नहा लिया जाये ताकि गर्मी से तो राहत मिले ही ओर बेला की हुई भीषण चुदाई की थकान भी दूर हो जाये
मैं नहाने जा ही रह था कि माँ ने आवाज लगा कर पूछा, राज आज क्या खाने का मन है, मैंने भी मस्ती में बोल दिया आज तो चाची के साथ तुम्हें खाना है तो माँ ने मुस्कुरा कर कहा देखते हैं और फिर अपने काम में लग गई और मैं नहाने चला गया… रात को खाना खाते हुए चाची बोली कि आज भी छत पर ही सोते हैं क्योंकि गर्मी बहुत है तो मैंने कहा और खुले आसमान के नीचे कुश्ती का मजा भी अलग ही आता है तो चाची ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा कि ये बात तो सही कही राज तुमने रात को दीदी क्या मस्त होकर पिलवा रही थी… तो माँ बोली क्यों तुमने कुछ नहीं किया क्या खुद तो रांड की तरह करवा रही थी उसका क्या , तो चाची बोली मैं तो हूँ ही राज की रंडी तो वैसे ही चुदूँगी ना…
ये सब बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया तब चाची ओर माँ रसोई समेटने में लग गई और मैं बिस्तर लेकर छत पर चला आया और बिस्तर लगाने लगा आज गर्मी ज्यादा थी तो मैंने एक टेबल फेन भी लगा दिया… कुछ ही देर में चाची ऊपर आ गई उसने एक मैक्सी पहन रखी थी आते ही चाची मेरा लण्ड पकड़ कर बोली क्यों राज इसे बस बाहर की सैर ही करवाई या बेला के कूँए में डुबकी भी लगवा कर आया है? मैंने हँसकर कहा चाची डुबकी लगाकर नहीं पूरा नहला कर आया हूँ… तभी माँ ऊपर आ गई और हम चुप हो गए माँ ने ब्लाउज ओर पेटीकोट पहना हुआ था और आते ही पंखे के आगे लेटते हुए बोली आज तो गर्मी बहुत है तो चाची ने चुटकी लेते हुए कहा, दीदी कहाँ है गर्मी अंदर या बाहर?… माँ बोली अरी बाहर वाली गर्मी की बात कर रही हूं अंदर वाली तो राज निकाल ही देता है और हसने लगी…
मैंने कहा माँ गर्मीL लग रही है तो कपड़े उतार दे क्यों पहन रखे हैं तो माँ बोली राज तूने मेरे मन की बात कह दी मैं भी यही सोच रही थी और फिर माँ अपना ब्लाउज उतारने लगी ब्लाउज उतरते ही माँ की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गई तो माँ पेटीकोट भी उतारने लगी… ये सब देखकर मेरा बाबूराव भी अपनी औकात दिखाने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतारकर एक तरफ रख दिये ओर चाची की ओर देखकर कहा लगता है कि तुम्हें गर्मी नहीं लग रही… चाची ने आगे बढ़कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और फिर उसे मुठियाते हुए बोली राज तू पहले दीदी की गर्मी उतार मैं तो दोपहर के बाद से आराम से हूँ और फिर मेरा लण्ड चुसने लगी… मैंने भी माँ की चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और माँ ने मेरे होंठ चूसना अब हम तीनों ही अपनी अपनी गर्मी ठंडी करने की कोशिश करने लगे थे… कुछ समय के बाद मेरा लण्ड लोहे जैसे सख्त हो गया था और माँ लम्बी सांसे लेते हुए सिसयां रही थी… तभी चाची माँ को बोली दीदी तुम राज को तैयार रखो मैं तुम्हे तैयार करती हूँ ये बोलकर चाची ने लण्ड माँ के हवाले किया जिसे माँ ने मुँह में भर लिया और चाची ने माँ की टाँगे फैला दी और उसकी चुत की चुसाई शुरू कर दी जिससे माँ जो पहले से ही गर्म थी उसे ओर हवा मिल गई और वो एक हाथ से चाची का सिर अपनी चुत पर दबाते हुए ताबड़तोड़ मेरा लण्ड चुसने लगी…
अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लण्ड माँ के मुँह से निकाल कर चाची को माँ की चुत पर से हटाया ओर लण्ड चुत पर सेट करके एक ही धक्के में बच्चेदानी से भिड़ा दिया… माँ की ज़ोर से आह निकल गई तो चाची ने अपनी चुची माँ के मुंह में भर दी और खुद माँ की चुचियों को मसलने लगी मैं भी धीरे धीरे से धक्के लगाने लगा और उसके साथ साथ एक हाथ से चाची की चुत रगड़ने लगा… माँ मेरे धक्कों और चाची द्वारा चुचियाँ मसले जाने से बहुत उत्तेजित हो गई थी और अपनी गाँड़ उछाल कर मेरे लण्ड को लेने लगी चाची की चुची मुँह से निकाल कर माँ बोली राज ज़ोर से कर जान नहीं है क्या… माँ की बात सुनकर मैंने चाची की चुत से हाथ हटाकर माँ की कमर को थाम लिया और फिर जबरदस्त एक्शन के साथ धक्के लगाने लगा माँ भी गाँड़ उठाके पूरी तरह से लण्ड खाने लगी और उसकी आहों की आवाज़ मुझे ओर ज्यादा उत्तेजित कर रही थी… मैं माँ के भगनसे को सहलाते हुए धक्के लगा रहा था जिससे माँ को दोगुना मजा मिल रहा था और वो चाची की चुचियों को पकड़कर दबाने लगी, चाची ने माँ के निप्पलों को उमेठने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जिसके फलस्वरूप माँ जल्दी ही चरम सुख की ओर बढ़ गई और चाची को अपने सीने पर कसकर झड़ने लगी कुछ ही सेकण्ड में माँ शांत हो गई तो मैंने लण्ड चुत से निकाल लिया और माँ के मुँह में डाल दिया… माँ ने भी इंकार नहीं किया और लण्ड को चूस चूस कर साफ कर दिया और चमका दिया…
इसबीच चाची जो हमारी चुदाई और अपनी चुची चुसाई के कारण पहले ही उत्तेजित हो गई थी कुत्तिया बन गई और मुझे बोली राज अब जल्दी से आजा मेरी मुनिया का भी पानी बह रहा है… मैंने कहा चाची तुम्हारी तो गाँड़ मारनी है तो चाची बोली पहले चुत को ठंडी कर उसके बाद जो मर्जी कर लियो, तो मैंने भी देर न करते हुए अपना मूसल चाची की चुत पट सेट किया और आगे बढ़ा दिया चाची की सिसकी निकलने लगी ओर मेरी रफ्तार बढ़ने लगी कुछ ही क्षण में चाची पूरी तरह चुदास से भर के अपनी गाँड़ मेरे लण्ड पर पटक कर पूरा लण्ड निगलने लगी… लण्ड की हर चोट गहराई में जाकर चाची की कोख पर दस्तक दे रही थी जिससे चाची का मजा दोगुना हो जाता था मैंने धक्के लगाते हुए चाची की गाँड़ चौड़ी करी और उसके छेद पर थूककर अपनी एक उंगली गाँड़ में घुसा दी जिससे चाची की आह निकल गई… अब चुत में लण्ड के साथ साथ गाँड़ में भी उंगली चल रही थी और चाची आनन्द सागर में गोते लगा रही थी तो मैंने लण्ड चुत से निकाल कर गाँड़ के छेद पर टिकाया तो चाची मचल कर बोल उठी राज पहले मेरा पानी निकाल दे फिर जो मर्जी कर लियो अभी बहुत आग लगी है जल्दी चोद मेरी चुत ये बोलकर चाची पीठ के बल लेटकर टाँगे फैलाकर अपनी चुत रगड़ने लगी… मैंने भी ज़िद नहीं करी और चुत का बैंड बजाने लगा करीब दस मिनट की चुदाई के बाद चाची ने अपना बदन हवा में उठाया और फिर उसने मेरे लण्ड को चुत में कस लिया और मुझे जकड़ कर कांपते हुए झड़ने लगी… मैं भी अब झड़ने के करीब था इसलिए रुक नहीं ओर धक्के लगाता रहा करीब दो मिनट बाद मैंने एक जोरदार धक्का लगा कर लण्ड को जड़ तक ठोक दिया ओर चाची की कोख को अपने रस से सींचने लगा और चाची के ऊपर ही ढ़ेर होकर लम्बी सांसे लेने लगा चाची ने मेरा माथा चुम कर मुझे अपने सीने पर कस लिया और मैं वहीं ढेर होकर कब नींद की आगोश में चला गया मुझे पता भी नहीं चला…