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next update will come today..Wait for update bhai...... Iss कहानी के update Kuch slow aa rahe h
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sureUpdates are so interesting and full of enthusiasm
Awesome updateदीदी ने मेरे होंठो के बाद मेरे दोनो बूब्स भी चूसे और धीरे-2 नीचे खिसकने लगी
ऐसा करते हुए वो मेरी चूत तक पहुँच गयी और बिस्तर पर घोड़ी बनकर मेरी चूत का रस पीने लगी
पापा हमारे बीच से उठकर खड़े हो चुके थे
उनकी धोती ज़मीन पर थी और उनका खड़ा हुआ लॅंड उनके हाथ में
सामने थी उनकी बड़ी बेटी जो घोड़ी बनकर मेरी चूत की होदी में अपनी जीभ घुसाकर मेरा रास पी रही थी और मुझे मदहोश कर रही थी
अब सिर्फ़ देर थी तो पापा के खेल में शामिल होने की
और हम दोनो बहने धड़कते दिल से उनके अगले मूव की प्रतीक्षा कर रहे थे…
पता नही जैसा हमने सोचा था वैसा होगा या नही.
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अब आगे
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चंद्रिका दीदी की जीभ मेरी चूत में थी और मेरी आँखे पिताजी पर
जो ललचाई नज़रों से चंद्रिका दीदी को अपने सामने घोड़ी बने देखकर उसकी चूत को बड़े प्यार से निहार रहे थे
ऐसा नही था की ये पहली बार था जब वो उनकी चूत देख रहे थे
पर शायद पहले ऐसा मौका नही मिला होगा की उपर वाले का इतनी बारीकी से किया हुआ काम वो देख सके और उसकी प्रशंसा अपनी आँखो से कर सके
मैं भी जानती थी की दीदी की चूत इस वक़्त एकदम पनियाई हुई होगी
जिसे देखकर उनका खुद का बाप इस वक़्त अपने आपको रोकने में कामयाब नही हो पा रहा था
इस वक़्त तक शायद पिताजी के अंदर से वो शर्म और डर निकल चुका था जिस से वो आज तक बचते आए थे
जब उनकी खुद की बेटियाँ उनके लॅंड को सोचकर नींद में भी ऐसी कामुक हरकतें कर रही है तो उन्हे भला किस बात की शर्म
इसलिए उन्होने अपने हाथ पर थूक लगाई और उस थूक से अपने लॅंड को नहला दिया
और फिर उसे मसलते हुए सीधा लेजाकर चंद्रिका दीदी की गरमा गरम चूत पर रख दिया
एक पल के लिए तो जैसे सब कुछ ठहर सा गया
दीदी की लपलपाटी जीभ मेरी चूत में जहां की तहां रुकी रह गयी
उनका पूरा शरीर ऐंठने लगा
और धीरे-2 पिताजी का मोटा लॅंड दीदी की चूत के रिंग को अपने चारों तरफ कसावट के साथ लपेटता हुआ अंदर घुसने लगा
दीदी के मुँह से ना चाहते हुए भी आह्हह निकल गयी
ये इतनी तेज और करारी आहह थी की पूरे कमरे में गूँज उठी
इतना तेज तो वो पहली बार पिताजी का लॅंड अंदर लेने में भी नही कराही थी
पर आज की बात अलग थी
यही तो मैं कह रही थी की लॅंड अंदर जाने पर जब खुलकर सिसकारी भी ना भर सको तो किस बात की चुदाई
अब पिताजी का लॅंड पूरा का पूरा दीदी की चूत के अंदर था
और वो झटके से उसे निकालते और फिर से उसे अंदर घुसेड़ देते
ऐसा करीब 8-10 बार किया उन्होने
अब तक लॅंड दीदी की चाशनी में भीगकर रंवा हो चूका था
और दर्द भरा एहसास अब मीठी सिसकारियों में बदल चुका था
दीदी का पूरा शरीर हिल रहा था जिसकी वजह से वो अपनी जीभ मेरी चूत में नही रख पा रही थी
पर उसके बदले उन्होने अपना पूरा चेहरा मेरी चूत पर रख दिया और उसे वहाँ घिसने लगी
मेरी चूत के होंठ फडफ़ड़ा कर रह गये
उनमे से भी मीठी चाशनी रिस रिसकर बाहर निकल रही थी
जो अब दीदी के चेहरे पर लगकर उसे जगमगा रही थी
कभी उनकी नाक मेरी चूत से टकराती तो कभी आँख
कभी होंठ उसपर घिसाई करते तो कभी मेरी ठोडी
कुल मिलाकर उसका पूरा का पूरा चेहरा मेरी चूत की रगड़ाई कर रहा था और मैं बाहें फेलाए उसका पूरा आनंद ले रही थी
पर असली मज़ा तो पिताजी और चंद्रिका दीदी ले रहे थे
पिताजी को पता नही अब तक ये एहसास हुआ था या नही की ये सब हम दोनो किसी सपने में नही बल्कि जागते हुए कर रही हैं
पर इस खेल में हमारे साथ उन्हे पूरा मज़ा मिल रहा था
सामने छोटी बेटी का नंगा शरीर
और आगे बड़ी बेटी का
छोटी के शरीर को देखते हुए बड़ी की चूत मारने का मज़ा ही कुछ अलग है
शायद ही कोई बाप ये मज़े ले पाए उनके अलावा
उन्होने आवेश में आकर आगे बढ़कर अपना पूरा लॅंड दीदी की चूत में घुसेड दिया और उनकी पीठ पर झुक कर दीदी के मुम्मे पकड़ लिए और उन्हे दबाते हुए उसकी चूत मारने लगे
शायद पहली बार दीदी ने उनके लॅंड को जड़ तक महसूस किया था
इसलिए उनका मुँह खुला का खुला रह गया
अंदरूनी गहराई तक कोई बाहरी चीज़ ऐसे छू जाए तो उसका एहसास सिर्फ़ एक लड़की ही लगा सकती है
और वो एहसास एक आनंद भी लेकर आता है
क्योंकि औरत की प्यास कभी नही बुझती
Shandaar updateआज पिताजी के लॅंड ने उसे अंदर तक उस बिंदू तक छुवा था जो उसे लग रहा था की शायद आख़िरी होगा
पर आने वाले समय में शायद कोई इस से भी आगे निकल जाए
कौन जाने
पर अभी के लिए तो ये 8 इंची मोटा लॅंड ही उनके लिए बहुत था
जिसने चूत में हाहाकार मचा रखा था
वो चुदाई करवाते हुए एक बार फिर से उसी सुर में बुदबुदाने लगी जैसे कुछ देर पहले नींद में होने का नाटक करते हुए बुदबुदा रही थी
“अहह……. ओह पपाााआआआआ…… मेरे प्यारे पापा…….. उम्म्म्ममममममम ….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह……. कितना मोटा लॅंड है आपका…… अहह….. चोदो …… ज़ोर से चोदो अपनी लाडली बेटी की चूत को…… अहह….. मैं हमेशा से आपकी हूँ पापा…….”
पिताजी का लॅंड भी अपनी प्यारी बेटी की बातें सुनकर डबडबा आया
पर झड़ा नही
क्योंकि अभी तो उसे बहुत देर तक चुदाई करनी थी
दीदी की भी
और मेरी भी
मेरा ख्याल आते ही उन्होने दीदी की चूत से अपना लॅंड बाहर निकाला
और उसे धीरे से धक्का देकर मेरी बगल में लिटा दिया
और अब उनका अगला निशाना मेरी चूत थी
और तब मैने वो किया जिसकी शायद पापा को भी आशा नही थी
मैने उनकी नज़रों से नज़रें मिलाई और उनका लॅंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया
एक पल के लिए तो वो डर से गये
क्योंकि वो जानते थे की कोई नींद में ऐसी सजग हरकत नही कर सकता
उपर से मेरी आँखे भी खुली थी और मैं मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी
उन्होने चंद्रिका दीदी के चेहरे की तरफ भी देखा
वो भी मुस्कुरा थी और अपनी चूत अपनी उंगलियों से मसल रही थी
तब उन्हें पता चला की हम दोनो बहने ये जान बूझकर कर रही है
जागते हुए कर रही है
नींद में नहीं
और हमारे चेहरे की खुशी बता रही थी की ये करते हुए हमें मज़ा भी आ रहा है
इसलिए अब पिताजी भी थोड़ा सामान्य हो गये
उन्होने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया
मैने उनका मोटा और कड़क लॅंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे चूत पर घिसते हुए फुसफुसाई
“ओह्ह्ह्ह पापा……..कितना तरसाया है आपने मुझे और दीदी को…. क्यों बेकार में उस बाबा और वशीकरण के चक्कर में पड़े रहे….हम तो हमेशा से तैयार थे आपके लिए…..आपके इस मोटे लॅंड के लिए….आपसे चुदवाने के लिए पापा……आहह”
पापा का चेहरा देखने लायक था
हमें तो सारी बातें पता थी
इस वक़्त वो अपने आपको दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया इंसान समझ रहे होंगे शायद
पर सबसे लक्की भी क्योंकि उनकी बेटियाँ खुद उनका लॅंड लेने के लिए लालायित थी
इसलिए उन्होने मेरा साथ देते हुए अपना भार धीरे-2 मेरे उपर डालना शुरू कर दिया
लॅंड तो पहले से ही निशाने पर था
चूत भी गीली थी और लॅंड भी धारदार
एक ही झटके में काम हो गया
लॅंड चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर तक जा धंसा
और मेरे मुँह की सिसकारी पूरे कमरे में गूँज उठी
“आआआआआआआअहह ……. ओह यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… पापा…….. मेरे अच्छे पापा……… उम्म्म्मममममममममममम……… मजाआाआआआ आआआअ गय्ाआआअ पापा……. अहह……”
दीदी बगल में पड़ी अपनी चूत खुजा रही थी
जो लॅंड कुछ देर पहले उनकी चूत की मसाज कर रहा था उसकी कमी को अपनी उंगलियों से पूरा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी
पिताजी ने नीचे झुक कर मेरे मुम्मे को अपने मुँह में भरकर चूस लिया
मैने भी उनके गले में बाहें डालकर अपनी छाती पर ज़ोर से दबा दिया
पहले एक चुस्वाया और फिर दूसरा
मेरे खुद के पापा मेरे बूब्स चूस रहे हैं और मैं उनसे खुद ऐसा करवा रही हूँ
ये एहसास बहुत था मुझे झड़ने पर मजबूर करने के लिए
इसलिए जब उन्होने मेरे निप्पल को ज़ोर से काटा और अपना लॅंड पूरा मेरी चूत में अंदर तक डाला तो मैं भरभराकर झड़ने लगी
“ओह पापा……… आह्ह्हहह…… आई एम् कमिंग पापा…….. आई एम कमिंग …….”
उफ्फ्फ
झड़ते हुए चिल्लाकर ये जादुई शब्द कहने में कितना मजा आता है
आज पता चला
पर मेरे झड़ने से वो चुदाई थोड़े ही रुकने वाली थी
क्योंकि पापा का लॅंड अभी तक खड़ा था
वो उसी मस्ती से मेरी चूत में अपना लॅंड पेले जा रहे थे और मेरे छोटे स्तन हर झटके से उपर नीचे होकर उनकी भूखी आँखो को सुखद दृशय प्रदान कर रहे थे
थोड़ी देर तक मुझे चोदने के बाद पापा ने अपना रुख़ एक बार फिर से चंद्रिका दीदी की तरफ किया
क्योंकि मैं तो झड़ ही चुकी थी
उनका झड़ना बाकी था
और इस बार वो खुद बेड पर लेट गये
क्योंकि काफ़ी देर से वो खड़े होकर हम दोनो की चुदाई कर रहे थे
उनके नीचे लेटते ही दीदी उछल कर उनपर सवार हो गयी और उनके लॅंड को अपनी चूत में लेकर उसपर उछलने लगी
एक बार फिर से सिसकारियों का सिलसिला शुरू हो गया
और इस बार तो पापा भी सिसकारियाँ मार रहे थे और बड़बड़ा रहे थे
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… आहहहहह ……. ओह मेरी जाअंन्णाणन्……. साली…….चुदक्कड़ हो तुम दोनो ……एक नंबर की रंडिया…..मेरी पर्सनल रंडिया……आज के बाद रोज चुदाई होगी तुम्हारी …….दिन रात……घर में ….खेतों में ….हर जगह ……शादी के बाद भी तुम्हे चोदता रहूँगा…..तुम मेरी पर्सनल रंडियां हो……समझी ….”
हम दोनो के मुँह से एक साथ निकला
“हांजीsssssss ....... जीssssssss ........ पापाssssssss ……हम आपकी रंडियाँ है……”
Fantastic updateबस इतना बहुत था पापा को पूर्ण रूप से उत्तेजित करने के लिए
उन्होने अपना लॅंड खूँटा बनाकर दीदी की चूत में गाड़ा और उसकी जांघे पकड़ कर उसे पूरा हवा में उठा लिया और नीचे से लॅंड को अंदर बाहर करने लगे
उसे किसी फूल की तरह अपनी शक्तिशाली बुझाओं पर उठाकर वो उसे चोद रहे थे
बचपन मे जिसे गुड़िया की तरह अपने हाथो में उठाकर खिलाया था
उसे आज रंडी बनाकर उन्ही हाथो में उठाकर चोद रहे थे पापा
मैं भी अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी
क्योंकि एक गुबार फिर से मेरे अंदर पैदा होने लगा था
और दीदी तो उस पोज़िशन में आते ही झड़ गयी
इतनी देर से उन्होने रोक कर रखा था अपने आप को
अब उनसे रहा नही गया और पापा के खड़े लॅंड पर उन्होने अपनी चूत का रज छोड़ दिया
गाड़े रस की लक़ीरें पापा के लॅंड से होती हुई नीचे बिस्तर पर गिरने लगी
उस दृशय को देखकर मैं भी एक जोरदार चीख के साथ झड़ने लगी
“अहह…… पापा……… उम्म्म्ममममममममममम….. मेरे अच्छे पापा…….”
दीदी भी झड़ने के बाद अपनी पोज़िशन को पकड़ के न रख पाई और नीचे लुढ़क गयी
पापा भी झड़ने के बिल्कुल करीब थे
इसलिए उन्होने अपने लॅंड को दीदी की चूत से बाहर निकाला और मेरे चेहरे के करीब लाकर उसे रगड़ने लगे
और फिर जो उनके लॅंड से स्लो मोशन में पिचकारियाँ निकली
उसे मैं पूरी जिंदगी नही भुला सकती
उनके लॅंड से निकली एक-2 बूँद ने मेरे चेहरे की तपिश को ठंडा करके मुझे वो एहसास दिया जो आज से पहले मुझे कभी नही हुआ था
पापा के लॅंड से निकली क्रीम से मेकअप करके मेरा चेहरा किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह दमक उठा था
मैने सारा रस अपनी उंगलियों में इकट्ठा किया और उसे चूस लिया
उम्म्म्ममम
क्या मीठा रस था पापा का
आज के बाद कसम है मुझे जो एक भी बूँद जाया होने दी मैने इस शरबत की
मेरे चेहरे को पोतने के बाद पापा ने बची हुई 3-4 पिचकारियाँ नीचे लेटी दीदी के चेहरे पर भी दे मारी ताकि वो नाराज़ ना हो जाए
दीदी ने भी अपनी जीभ से लपक-2 कर उन बूँदो को पकड़ा
बाकी उन्होने उंगलियों से इकट्ठा करके पी लिया
हम दोनो का पेट उस रस से भर चूका था
पर पापा के लॅंड से रस निकले ही जा रहा था
ये देखकर मैं भी उनके पास आ गयी
और दीदी के साथ मिलकर पापा के लॅंड से निकल रही मछलियों को हवा में पकड़कर उन्हे निगलने लगी
ये खेल तब तक चलता रहा जब तक पापा भी खाली होकर हमारे बीच नही लूड़क गये
और जब वो हमारे बीच लेटे तो हम दोनो भूखी बिल्लियों की तरहा उनपर झपट पड़ी
कभी मैं उनके होंठ चूसती तो कभी उनकी छाती
कभी दीदी उनकी गर्दन चूसती तो कभी उनका मुरझाया हुआ लॅंड
और ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक वो फिर से कड़क नही हो गये
हम तो मज़ाक में ये सब कर रहे थे
पर एक बार फिर से कड़क लॅंड को देखकर हम दोनो बहने एक दूसरे को देखकर मुस्कुराइ और आँखो ही आँखो में इशारा करके एक बार फिर से एक लंबी चुदाई की तरफ चल दिए
उस रात पापा ने हमारे जवान जिस्मों को तोड़कर रख दिया था
और साथ ही उस शर्म की दीवार को भी तोड़ दिया था जिसकी आढ़ में आजतक वो खुलकर हमे चोद नही पाए थे
आने वाले दिन और भी यादगार होने वाले थे
ख़ासकर तब जब भाई भी इस खेल में शामिल होगा
बस इन्ही ख़यालों में कब मुझे नींद आ गयी
पता ही नही चला