Ajju Landwalia
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बस इतना बहुत था पापा को पूर्ण रूप से उत्तेजित करने के लिए
उन्होने अपना लॅंड खूँटा बनाकर दीदी की चूत में गाड़ा और उसकी जांघे पकड़ कर उसे पूरा हवा में उठा लिया और नीचे से लॅंड को अंदर बाहर करने लगे
उसे किसी फूल की तरह अपनी शक्तिशाली बुझाओं पर उठाकर वो उसे चोद रहे थे
बचपन मे जिसे गुड़िया की तरह अपने हाथो में उठाकर खिलाया था
उसे आज रंडी बनाकर उन्ही हाथो में उठाकर चोद रहे थे पापा
मैं भी अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी
क्योंकि एक गुबार फिर से मेरे अंदर पैदा होने लगा था
और दीदी तो उस पोज़िशन में आते ही झड़ गयी
इतनी देर से उन्होने रोक कर रखा था अपने आप को
अब उनसे रहा नही गया और पापा के खड़े लॅंड पर उन्होने अपनी चूत का रज छोड़ दिया
गाड़े रस की लक़ीरें पापा के लॅंड से होती हुई नीचे बिस्तर पर गिरने लगी
उस दृशय को देखकर मैं भी एक जोरदार चीख के साथ झड़ने लगी
“अहह…… पापा……… उम्म्म्ममममममममममम….. मेरे अच्छे पापा…….”
दीदी भी झड़ने के बाद अपनी पोज़िशन को पकड़ के न रख पाई और नीचे लुढ़क गयी
पापा भी झड़ने के बिल्कुल करीब थे
इसलिए उन्होने अपने लॅंड को दीदी की चूत से बाहर निकाला और मेरे चेहरे के करीब लाकर उसे रगड़ने लगे
और फिर जो उनके लॅंड से स्लो मोशन में पिचकारियाँ निकली
उसे मैं पूरी जिंदगी नही भुला सकती
उनके लॅंड से निकली एक-2 बूँद ने मेरे चेहरे की तपिश को ठंडा करके मुझे वो एहसास दिया जो आज से पहले मुझे कभी नही हुआ था
पापा के लॅंड से निकली क्रीम से मेकअप करके मेरा चेहरा किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह दमक उठा था
मैने सारा रस अपनी उंगलियों में इकट्ठा किया और उसे चूस लिया
उम्म्म्ममम
क्या मीठा रस था पापा का
आज के बाद कसम है मुझे जो एक भी बूँद जाया होने दी मैने इस शरबत की
मेरे चेहरे को पोतने के बाद पापा ने बची हुई 3-4 पिचकारियाँ नीचे लेटी दीदी के चेहरे पर भी दे मारी ताकि वो नाराज़ ना हो जाए
दीदी ने भी अपनी जीभ से लपक-2 कर उन बूँदो को पकड़ा
बाकी उन्होने उंगलियों से इकट्ठा करके पी लिया
हम दोनो का पेट उस रस से भर चूका था
पर पापा के लॅंड से रस निकले ही जा रहा था
ये देखकर मैं भी उनके पास आ गयी
और दीदी के साथ मिलकर पापा के लॅंड से निकल रही मछलियों को हवा में पकड़कर उन्हे निगलने लगी
ये खेल तब तक चलता रहा जब तक पापा भी खाली होकर हमारे बीच नही लूड़क गये
और जब वो हमारे बीच लेटे तो हम दोनो भूखी बिल्लियों की तरहा उनपर झपट पड़ी
कभी मैं उनके होंठ चूसती तो कभी उनकी छाती
कभी दीदी उनकी गर्दन चूसती तो कभी उनका मुरझाया हुआ लॅंड
और ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक वो फिर से कड़क नही हो गये
हम तो मज़ाक में ये सब कर रहे थे
पर एक बार फिर से कड़क लॅंड को देखकर हम दोनो बहने एक दूसरे को देखकर मुस्कुराइ और आँखो ही आँखो में इशारा करके एक बार फिर से एक लंबी चुदाई की तरफ चल दिए
उस रात पापा ने हमारे जवान जिस्मों को तोड़कर रख दिया था
और साथ ही उस शर्म की दीवार को भी तोड़ दिया था जिसकी आढ़ में आजतक वो खुलकर हमे चोद नही पाए थे
आने वाले दिन और भी यादगार होने वाले थे
ख़ासकर तब जब भाई भी इस खेल में शामिल होगा
बस इन्ही ख़यालों में कब मुझे नींद आ गयी
पता ही नही चला
Wah Ashokafun30 Bhai,
Kya mast updates post ki he aapne...............
Aag hi laga di bhai, dono behno ne aakhirka asli maja paa hi liya.........
Inke baap ki to mauj hi ho gayi, ab to khula khao tub me nahao wali baat ho gayi he............
Lekin shayad ye ek suhana sapna na ho...............
Keep rocking Bhai