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thanks komal bhabhiजबरदस्त,
नाम ही काफी है, वही उपमाएं एकदम टटकी, जिसे किसी ने सोचा भी न हो लेकिन एकदम सटीक,
" मोरनी बन कर बैठ गयी, और गाढ़े सुनहरे रंग के झरने को बाहर फेंकने लगी "
और एक लाइन में गाँव के माहौल के खुलेपन से किशोरियों के जवान होने का चित्र खींच दिया,
" वो उनकी टांगों के बीच ऐसे झूल रहा था जैसा मैंने अपने बैल हीरा का देखा था "
और पहली बार आप की कहानी में कुछ तंत्र मंत्र, जादू टोने सा दिखा लेकिन कहानी के नाम से ही यह साफ़ था , दो गुड़िया
तो क्या ये पापा की ही दो गुड़िया हैं चंदा और चन्द्रिका और उसके बाद ' सफ़ेद जादू '
" दोनों गुड़िया सफ़ेद पानी से रंग कर सराबोर हो गयीं '
काला जादू से कम ताकतवर ये सफ़ेद जादू नहीं होता, बस करना आना चाहिए
लेकिन काले और सफ़ेद जादू से भी बढ़कर है आपकी कहानी का जादू, बस अपडेट नियमित अंतराल पर आते रहें
एक बार फिर से आभार और बधाई एकदम नए विषय पर लिखने का
aapka dil ki gehraiyo se swagat hai
aap sabhi ka pyar hi hai jo mujhe yaha banaye rakhne me madad karta hai
ye aapka vashikaran hai jo mai aisi kahani likhne par vivash hu
thanks again