Nice updateकिताब
ये शब्द सुनते ही मेरे कान खड़े हो गये
पापा तो एकदम से सकपका से गये
जैसे बाबा ने मेरे सामने उनका कोई राज खोल दिया हो
हालाँकि अभी तक वो सिर्फ़ छुपे शब्दों में ही बात कर रहे थे
पर किताब शब्द सुनते ही मेरा दिमाग चलने लगा
हो ना हो ये बाबा उसी वशीकरण की किताब की बात कर रहा है…
यानी वो किताब इसी बाबा ने पापा को दी थी
और पापा उसका इस्तेमाल करके हम दोनो बहनो को वशीकरण में पहुँचा कर हमसे मज़े ले रहे थे
अब पता नही वो किताब सही मे काम भी करती है या नही क्योंकि मैं और चंदा तो हमेशा से ही होश मे रहती थी
और यहाँ ये बाबा उस किताब से आगे बढ़ने की बात कह रहा है
यानी पिताजी को उसने ज़रूर उस किताब से भी बड़ी कोई और विद्या या मंत्र सीखने की बात की होगी
उनकी बातें सुनकर तो यही लग रहा था
तो क्या
ये बाबा उस विद्या के बदले हमारी जवानी के मजे लेने के चक्कर में है
और पिताजी मान भी गए इसके लिए
मैं हैरानी से पिताजी को देख रही थी
पिताजी एकदम से उठकर पास गये और दबे स्वर में बोले : “घेसू….मेरा विश्वास कर, अगली बार पक्का…अभी के लिए तू इसे ही आशीर्वाद दे दे…”
पिताजी जिस अंदाज से उस बाबा से बात कर रहे थे, सॉफ जाहिर था की वो शख्स बाबा से बढ़कर है उनके लिए…
शायद दोस्त..
या कोई रिश्तेदार
क्योंकि मुझे याद आ रहा था की मैने इस घेसू का नाम कही तो सुना है पापा के मुँह से बहुत साल पहले
पर अभी तो मैं उनसे काफ़ी दूर बैठी थी
इसलिए उनकी ख़ुसर फुसर को सिर्फ़ समझकर अपने हिसाब से समझने की कोशिश कर रही थी
पर एक बात सॉफ थी इसमें
बाबा भी एक नंबर का चोदू आदमी है
क्योंकि रह रहकर वो जिस अंदाज से मुझे घूर रहा था
सॉफ दिख रहा था की उसके मन में क्या चल रहा है
मैं तो पहले से ही उत्तेजित होकर आई थी यहाँ
पूरे रास्ते पापा की पीठ पर अपने गुब्बारे रगड़कर मेरे निप्पल्स भी लाल हो चुके थे
ऐसे में चाहे बाबा हो या मेरे खुद का बाप
उन्हे कोई चूस दे बस
इस से ज़्यादा कोई इक्चा नही थी मेरी इस वक़्त
कुछ देर की खुसुर फुसुर के बाद पापा ने मुझसे कहा : “चंद्रिका बेटी, तुम बाबा के साथ जाओ ज़रा इनके साधना कक्ष में , वो तुम्हे आशीर्वाद देंगे, फिर चलते है घर….”
अब कहने को तो मैं कह सकती थी की आशीर्वाद देना है तो यही दे दे,
जैसे अभी तक दूसरे भक्तो को दे रहे थे,
मुझे अलग से उनके साधना कक्ष में जाने की ज़रूरत क्या है भला
पर उनके इरादे तो मैं पहले ही भाँप चुकी थी
इसलिए बिना कोई देरी किए मैं एक आज्ञाकारी बेटी की तरह उठ खड़ी हुई और बाबा के पीछे-2 उनके साधना कक्ष की तरफ चल दी
उन्होने अपनी झोपड़ी के पीछे एक और झोपड़ी बना रखी थी
वो मुझे वहां ले गये
वो अंदर से पूरा महल जैसा था
एकदम ठंडा
बीच में एक बड़ा सा बेड लगा हुआ था
और मोटे-2 तकिये भी थे
मेरा तो मन कर रहा था की उछल कर उसपर चढ़ जाऊं और लेट कर अपनी सारी थकान मिटा दूँ
पर ये काम तो बाबा करेंगे ना
मुझे वहां पटकने का
वैसे ये सब मेरे खुद के विचार थे अभी तक
हो सकता है की मैं ग़लत भी निकलूं
पर माहौल ऐसा बन चुका था की ऐसा ना भी हुआ तो मैने खुद ही बाबा को उस बेड पर पटक कर उनके लॅंड की सवारी कर लेनी है
पर ऐसा होगा नही
क्योंकि इन मर्दों की भूखी नज़रों को हम लड़कियां अच्छे से पहचानती है
और उन्ही भूखी नज़रों से घेसू बाबा ने मुझे देखा और बेड पर बैठने को कहा
और खुद एक अलमारी से कुछ निकालने लगे
वो कोई सूखा हुआ सा जंगली पौधा था
जो उन्होने एक तांबे की प्लेट में रखा और उसे जला दिया
और फिर उसमें से जो धुंवा धीरे-2 निकला उसे मेरे चेहरे के पास लाकर फूँक दिया
सारा धुंवा मेरे चेहरे से टकराया और मेरे नथुनों से होता हुआ मेरे शरीर में दाखिल होता चला गया
एक पल के लिए तो मेरा सिर ही घूम कर रह गया
मैं खांसने लगी
पूरे दिमाग में सतरंगी सा इंद्रधनुष बनता चला गया
आँखे बोझिल सी हो गयी
मेरे पुर शरीर के अंग उत्तेजना के मारे कड़क होते चले गये
ख़ासकर मेरे बूब्स
और मेरी चूत में तो जैसे कोई चूहिया घुस गयी हो
जो अंदर घुसकर उत्पाद मचाने लगी
मैने बड़ी ही बेशर्मी से बाबा के सामने ही अपने बूब्स और चूत को बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया
पर ऐसा करते हुए मेरे मुँह से एक भी शब्द नही निकल रहा था
मैं चाहकर भी कुछ नही बोल पा रही थी
पता नही कैसा नशा था उस धुंवे में
कुछ देर तक रगड़ने के बाद मैं खुद ही शिथिल सी होकर बेड पर गिर गयी
अब मैं पूरी तरह से बेजान सी होकर बेड पर पड़ी थी
मैं चाहकर भी अपने हाथ पाँव नही हिला पा रही थी
बस मेरी आँखे खुली थी और जो कुछ भी मेरे आस पास हो रहा था वो सब मुझे महसूस भी हो रहा था और दिखाई भी दे रहा था
ये क्या जादू कर दिया इन्होने मुझपर
ये तो वशीकरण जैसा ही कुछ है
अपने वश में करके ये तो मेरे साथ कुछ भी कर सकते है
चाहे मेरी इच्छा हो या ना हो
पर अभी के लिए तो मेरी इच्छा यही थी की वो मेरे साथ कुछ करे
पर वो कुछ करते इस से पहले ही वो उस झोपडे से बाहर गये और कुछ ही देर में मेरे पापा को लेकर वापिस आ गये
अब कुछ करना ही है तो अकेले में कर ना घेसू बाबा
ये पापा को क्यों लेकर आया है साथ में
क्या पापा के साथ कुछ करवाना चाहता है मुझे
पर ऐसा तो वो घर पर भी कर सकते है
यहाँ आकर इस जादुई धुंवे में फँसाकर भला वो क्यो ऐसा करेंगे
पर अगले ही पल घेसू और पिताजी की बातों से सब सॉफ होता चला गया
घेसू : “देख ले सुमेर….मैं ना कहता था, मेरे इस दाँव से तू उस वशीकरण से ज़्यादा असरदार तरीके से अपने शिकार के साथ मज़े ले सकता है, और यहां वो आधे घंटे वाला भी कोई बंधन नही है, चाहे तो पूरी रात तू इसकी चुदाई कर सकता है…”
पापा बेचारे सिर्फ़ मुझे असहाए सी हालत मे पड़े देखते रहे
और उधर घेसू बाबा ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए
घेसू : “अब तू देख , अपनी आँखो के सामने, असली चुदाई किसे कहते है…”
और जब नंगे होकर घेसू बाबा मेरी तरफ पलते तो मेरे मुँह से चीख भी ना निकल पाई
ऐसा असर था उस धुंवे का की अपनी लाइफ के सबसे ख़तरनाक, काले, मोटे और लंबे लॅंड को देखकर मैं चिल्ला भी ना पाई
पर डर मेरी आँखो में सॉफ देखा जा सकता था
मैं काम्पती रह गयी और बाबा मेरे करीब पहुँच गये
उन्होने मेरे कुर्ते को पकड़ कर उपर खींचा और उसे निकाल फेंका
और फिर मेरी सलवार भी खींच कर उतार दी
मैने जल्दबाज़ी में कच्छी नही पहनी थी
और वो इस वक़्त पूरी गीली हुई पड़ी थी
मेरी चिकनी चूत पर चमक रहे गाड़े रस को देखकर वो पापा से बोले : “तेरी छोरी तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी है रे सुमेर…लगता है अपनी चुदाई को लेकर ये भी काफ़ी खुश है…
खुश नही हू बे
बस गुस्सा आ रहा है की ऐसे असहाय बनाकर कौन चोदता है भला
पहले वशीकरण की आढ़ में
और अब इस नशीले धुंवे की आढ़ में
हिम्मत है तो खुलकर बात करो और चुदाई करो ना
ताकि मैं भी मज़ा ले सकूँ
यहाँ तो अब मैं चाहकर भी सिसकारियाँ नही मार पाऊँगी
और ना ही इस मोटे लॅंड को अंदर लेते हुए खुशी के मारे चीख पाऊँगी
मैं ये सोच ही रही थी की बाबा ने मुझे उल्टा करके मेरी पीठ पर लगे ब्रा के हुक्स को भी खोल दिया और मुझे पूरा नंगा कर दिया
और फिर जब मैं पलटी तो मैं पूरी नंगी हो चुकी थी
उस ढोंगी बाबा के सामने और अपने पापा के सामने
पापा भी मेरा नंगा और नशीला बदन दिन की रोशनी में पहली बार देख रहे थे
और मेरे फूले हुए मुम्मो को देखकर वो अपने लॅंड को धोती के उपर से ही रगड़ने लगे
पर इस वक़्त उनसे ज़्यादा मेरी नज़र तो बाबा के लॅंड पर थी
जो उसे रगड़ते हुए बेड पर चड़कर मेरी बगल में आकर लेट गये
उनके शरीर से अजीब सी गंध आ रही थी
थोड़ी नशीली सी और थोड़ी सम्मोहन से भरी हुई
मैने अपनी आँखे एक पल के लिए बंद की और मन ही मन सोचा
जब चुदाई ही करवानी है तो पूरी तरह से एंजाय करते हुए करवानी चाहिए
इसलिए मैं आने वाले वार का इंतजार करते हुए फिर से उसी पल के बारे में सोचने लगी जब रास्ते मे मैं अपने निप्पल्स को पापा की पीठ पर रगड़ रही थी और उत्तेजित हो रही थी