malikarman
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Waahऔर वो सब ध्यान आते ही एक बार फिर से मेरे निप्पल्स उसी आकार में आ गये जैसे अभी कुछ देर पहले तक थे
और तभी घेसू बाबा ने सीधा हमला उन्ही निप्पल्स पर बोल दिया और अपने दाढ़ी मूँछ से भरे चेहरे को मेरे स्तनों पर रखकर उसे ज़ोर से चुभलाने लगे
अब मैं चीख तो सकती नही थी
वरना मेरी सिसकारी ही निकल जाती कुछ इस तरह से
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………………………..आआआआआआआआआआआआआआआहह……. ओह बाबा……भेंन चोद ……मजाआाआआआ आआआआआआ गय्ाआआआआआ रे”
हालाँकि घेसू बाबा की दाढ़ी मूँछे मुझे बुरी तरह से चुभ रही थी
पर वो जिस अंदाज से मेरे बूब्स को चूस रहे थे उसका भी अलग ही मज़ा मिल रहा था
मेरा मन तो कर रहा था की उनके सिर को पकड़ कर अपनी छाती पर घिस डालु
पर हाथ उठाने की ताक़त नही छोड़ी थी उस निगोड़े धुंवे ने
कुछ देर तक मेरे दोनो बूब्स को अच्छे से चूसकर लाल करने के बाद वो मेरे होंठो की तरफ आए और उनपर धावा बोल दिया
डर के मारे मैने अपनी आँखे बंद कर ली
क्योंकि उनका चेहरा और दाँत इतने डरावने से लग रहे थे की आँखे खोलकर मैं स्मूच नही कर सकती थी
पर स्मूच करने की क्रिया में वो माहिर थे
जिस अंदाज से उन्होने मेरे बूब्स को चूसा था उसी जोशीले अंदाज से मेरे लिप्स को भी चूसा…
चबाया …
खाया…
और इतना मज़ा मिला मुझे की आँखे खोलनी ही पड़ी मुझे
और सामने उनकी हंसती हुई आँखे सॉफ दर्शा रही थी की उनकी कला की आगे मुझे हारता हुआ देखकर वो कितना खुश है
मैं भी मसूकुरा उठी और उनकी किस्स को एंजाय करने लगी
और फिर कुछ देर बाद नंबर आया उनके काले भुसन्ड लॅंड का
जो अपने विकराल रूप में आ चूका था
वो अपने लॅंड को मेरे चेहरे तक लेकर आए और उस लार टपकाते लॅंड को मेरे चेहरे से टकराकर उसकी कठोरता का एहसास मुझे दिलाने लगे
उनके लॅंड से भी वही मादकता से भरी खुश्बू आ रही थी
उस लॅंड पर हल्की सी सफेद पपड़ी जमी हुई थी
जो इस बात का सबूत था की शायद कुछ घंटो पहले ही उन्होने किसी की चूत मारी थी
और अपना लॅंड धोया तक नही था उसके बाद
घेसू बाबा ने उस मोटे लॅंड को मेरे गुलाबी होंठो के बीच फँसाया और धक्का मारकर उसे अंदर डालने लगे
वो इतना मोटा था की मैने पूरा मुँह खोल लिया फिर भी रगड़ - 2 कर बड़ी मुश्किल से वो अंदर जा पा रही था मेरे दांतो से रगड़ाई करवाता हुआ
और मादकता से भरी वो महक इसलिए भी थी क्योंकि उस लॅंड पर घेसू बाबा के वीर्य के साथ-2 किसी औरत की चूत से निकला पानी भी लगा हुआ था
पपड़ी अब पिघल कर रस बन चुकी थी
मेरे गरम मुँह मे जाने के बाद वो पिघलकर फिर से रस बन गया और मेरे गले से नीचे उतरता चला गया
उफफफफ्फ़
क्या मिठास थी उस लॅंड के पानी मे
ऐसा लगा जैसे ठंडा नारियल पानी पी लिया हो मैने
अपना पूरा लॅंड मेरी हलक तक उतारने के बाद वो रुके और फिर धीरे-2 उसे वापिस खींचने लगे
हालाँकि अभी करीब 2 इंच और लॅंड बाहर रह गया था उनका
पर मेरा गला पूरा अंत तक भर चुका था
इसके बाद तो मेरे टॉन्सिल्स को फाड़कर अंदर घुस जाना था उसने
वो अपने लॅंड को मेरे मुँह के अंदर बाहर करते रहे और अपनी आँखे बंद करके मज़े लेते रहे
मेरी नज़रें पापा की तरफ गयी
मुझे तो लगा था की अपनी बेटी को इस हालत मे देखकर वो झेंप रहे होंगे
पर वो तो अपने लॅंड को धोती से बाहर निकालकर मसलने में लगे थे और इस सीन का पूरा मज़ा ले रहे थे
पता नही कौनसी साँठगाँठ की थी इन्होने बाबा के साथ जो अपनी जवान बेटी को उनके हवाले कर दिया
पर जो भी था
इस सबमे मुझे मज़ा बहुत आ रहा था इस वक़्त
सिर्फ़ हाथ पैर और ज़ुबान ही तो नही चला पा रही थी
बाकी सब तो सही ही हो रहा था मेरे साथ
अचानक घेसू के लॅंड ने फूलना शुरू कर दिया
और ये इस बात का प्रमाण था की वो झड़ने के करीब है
और वो ऐसा अभी तो हरगिज़ नही होने देना चाहता था
इसलिए उन्होने तुरंत अपना लॅंड मेरे मुँह से निकाल लिया
मेरे मुँह से थूक और लार की एक महीन सी डोर उनके लॅंड से बँधकर दूर तक खींचती चली गयी
फिर कुछ देर के लिए वो शांत हुए और मेरे बूब्स और नंगे पेट पर हाथ फेराते रहे
घेसू : “सुमेर, तेरी ये लड़की कुछ ज़्यादा ही गरम है….लगता है तेरे अलावा भी कई लॅंड ले चुकी है ये अपनी चूत और मुँह में, तभी इतनी गर्मी भरी हुई है इसके अंदर…“
पर पापा को इस वक़्त मेरी ये तारीफ सुनाई ही नही दे रही थी
वो तो मस्ती में अपने लॅंड को पीटने में लगे हुए थे
अब तक वो अपने सारे कपड़े निकाल कर फेंक चुके थे
मेरी नज़रें उनके लॅंड पर थी की अचानक मेरी चूत पर घेसू बाबा ने जीभ रख दी
कसम से
मैं हलक फाड़कर चिल्ला पड़ती उनकी इस हरकत से
पर चाहकर भी घुऊँ-2 के सिवा कुछ ना कर पाई
जो केंचुवा इतनी देर से मेरी चूत को खाने में लगा हुआ था
घेसू ने अपना पूरा मुँह खोलकर उस केंचुवे समेत मेरी चूत को निगल लिया और उसे चौसा आम की तरह चूसने लगे
मेरी चूत की हड्डी को गुठली समझकर बाकी का सारा गुदा वो अपने मुँह में भरकर उसका रस पीने में लगे रहे
मेरी चूत के दोनो होंठ पूरी तरह से उनके मुँह के अंदर थे
और वो उसके अंदर जीभ डालकर उसे रगड़ भी रहे थे और मेरी चूत को पूरा मुँह में डालकर चूस भी रहे थे
हााययय
ये कहाँ से सीख कर आया है इस जंगलिपन से चूत को चूसना
मैं किसी कोमा में पड़े मरीज की तरह उस बिस्तर पर पड़ी हुई सिर्फ़ तड़प रही थी
बाकी सब तो वो घेसू कर रहा था
और अचानक मेरी चूत ने ढेर सारा रस निकाल कर उनके मुँह मे छोड़ दिया
मैं बुरी तरह से झड़ने लगी
और हाँफते हुए मेरी आँखे उपर चढ़ गयी
जैसे मैं बेहोश होने वाली हूँ
पर वो निर्दयी ऐसा नही चाहता था अभी
वो सीधा हुआ और अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक मलकर उसे मेरी चूत पर लगा दिया
और मेरी आँखो में देखते हुए एक तेज और करारे झटके के साथ उसे मेरी चूत की गहराइयों में उतार दिया
मैं मन ही मन चिल्ला उठी
“आआआआआआआआआआहह……………..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………… माआआआआअर डाआाआाअलाआाआ रीईई…….. उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कितना मोटा लॅंड है तुम्हारा………”
पर ऐसा मैं सिर्फ़ आँखो ही आँखो से कह पाई उन्हे
वो आँखे जो बाहर निकल चुकी थी उस लॅंड के अंदर जाने की वजह से
वो झुके और उन्होने मेरे दाँये मुममे को मुँह में भरा और उसे चूस डाला
नीचे झुकने की वजह से बचा खुचा लॅंड भी मेरी चूत के अंदर घुसता चला गया
अब वो एक फूटा लॅंड पूरा का पूरा मेरी चूत के अंदर था
ऐसा लग रहा था जैसे मैंने एक साथ 2 मोटे खीरे अंदर डाल दिए हो
ऐसा भराव तो आज तक महसूस नही किया था मैने
पर इस कड़क लॅंड को अंदर महसूस करके मेरी उत्तेजना आज एक अलग ही मुकाम पर पहुँच चुकी थी
अभी कुछ देर पहले ही झड़ी थी मैं
पर उस मोटे लॅंड की वजह से एक बार फिर से सेंसेशन सा होने लगा अंदर
घेसू बाबा का लॅंड धीरे-2 अंदर बाहर होने लगा मेरी छूट के
उन्होने मेरी दोनो टांगे उपर उठाई और अपने लॅंड से मेरी चूत को बुरी तहर से पेलने लगे
और बुदबुदाने लगे
“सुमेर…तेरी ये लड़की रांड है रांड….. मेरा लॅंड कितनी आसानी से हर कोई अंदर नही ले पता….साली पहले भी लॅंड ले चुकी है….वरना अभी तक तो लहुलुहान हो जाती…..रांड है ये तेरी लड़की…लिख के ले ले मुझसे…”
वो बड़बड़ाते रहे और मेरी तारीफों के पुल बाँधते रहे
पापा भी उसे सुनकर फूले नही समा रहे थे
क्योंकि मोटा लॅंड तो उनका ही गया था मेरे अंदर
पर उन्हे ये पता नही था की उनका पहला लॅंड नही था मेरी चूत में जाने वाला
पर अभी के लिए तो मुझे अपनी लाइफ के सबसे मोटे और लंबे लॅंड को महसूस करने की फिकर थी
इसलिए मैं उस अंदर बाहर होते लॅंड से मिल रहे सेंसेशन को महसूस करके मन ही मन सिसकारियाँ मारती रही
और कुछ ही देर में वो पल आ गया जिसे घेसू बाबा ने बड़ी मुश्किल से आने से रोका हुआ था
यानी उनके लॅंड का झड़ाव
और पिछली बार की तरह ही आख़िरी वक़्त पर उन्होने लॅंड को बाहर खींच लिया
पर उसमे से निकलने वाले रस को बाहर निकलने से नही रोक सके
परिणामस्वरूप उनके लॅंड से निकला ढेर सारा गाड़ा रस मेरे पुर शरीर पर पिचकारियाँ बनकर बरसने लगा
और ये पिचकारी अकेली नही थी
दूसरे कोने से पापा भी भागते हुए से आए और मेरे चेहरे के उपर आकर उन्होने अपने लॅंड का सारा माल निकालना शुरू कर दिया
जिस आशीर्वाद की बात पापा कर रहे थे वो दोनो ने मिलकर एक साथ दे दिया था मुझे…
और उस आशीर्वाद में नहाई हुई मैं एक बार फिर से झड़कर
बिना कोई आवाज़ निकाले
गहरी साँसे लेती हुई उन दोनो मर्दों के सामने नंगी पड़ी थी
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मेरे पुर शरीर पर उनके लॅंड से निकली स्याही ने अपनी कहानियाँ लिख दी थी
जो बरसों तक मेरे जहन में एक कभी ना भूलने वाली कहानी बनकर रहने वाली थी
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