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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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मैंने उनकी कमर पकड़ ली और अपने खड़े हुए स्तनों से उनकी कमर की मालिश करने लगी
हालांकी हमारे बीच खुलकर उस रिश्ते के बारे में मेरी बात नहीं हुई थी जो रात के अंधेर में वशीकरण की आड़ में पिता जी मुझसे बना चुके थे
पर मेरी हरकतों से साफ पता चल रहा था कि हमारे रिश्ते को पाकर मैं कितनी खुश हूं
पिताजी भी कुछ नहीं बोले
वो भला क्यू बोलते
उनको तो मजा आ रहा था

उनकी जवान बेटी अपने नन्हें स्तन उनकी कड़क पीठ पर घिसकर उनके सोए हुए शेर को जो उठाने का काम कर रही थी
वो रिश्ता छुपा हुआ ना होता तो पिताजी अभी उसे किसी खेत के अंदर लेजाकर चोद देते शायद
पर ऐसा अभी के लिए तो संभव नहीं था

कुछ ही देर में बैंक आ गया, और उन्होंने खानापूर्ति वाला कुछ काम करवाया
उसके बाद हम दोनों फिर से बुलेट पर बैठ कर बाबा से मिलने चल दिये

कल दीदी भी उनसे मिलकर आई थी
वो तो काफी खुश थी
कहीं कुछ और वजह नहीं है ना उसे वहां ले जाने की
नहीं नहीं
उसके पापा भला अपनी जवान बेटी को ऐसे किसी और के साथ क्यों भेजेंगे
उसने ये विचार अपने जहन से निकाला फेंका

कुछ ही देर में वो बाबा की झोपड़ी के बाहर पहुंच गए
अंदर 3-4 लोग थे
उनको आया देखकर घेसू बाबा ने जल्दी-2 उनकी बातें सुनी और उनकी समस्याओं का समाधान करा
आधे घंटे में ही वो झोपड़ी खाली हो चुकी थी

मैं उठकर पापा के साथ आगे गई और घेसू बाबा के सामने बैठ गई
उनकी नजरें मेरे नन्हें स्तनों को घूर रही थी
शायद मेरे खड़े हुए निप्पल उन्हें नजर आ चुके हैं
पिताजी के साथ मस्ती करती जो आई थी मैं
ऊपर से रात को जो मेरे जिस्म की प्यास अधूरी रह गई थी
वो अब सर उठने लगी थी

पता नहीं क्यों अंदर से मुझे लग रहा था कि पापा मुझे सिर्फ आशीर्वाद दिलाने नहीं बल्कि बाबाजी का घंटा बजवाने लाये हैं

मेरी नजर सीधी उनकी धोती के बीच गई
उनका नाग फन उठाकर नाभि को टच कर रहा था
मेरी तो सांसे रुकने को हो गई ये देखकर
इतना लंबा लंड तो हमारे खानदान में किसी का नहीं था
मेरा मतलब है मेरे पापा या भाई का

इतने लंबे लंड भी होते हैं
मेरी चूत से तो चिंगारियां निकलने लगी

तभी पिताजी बोले: "घेसू बाबा, ये मेरी सबसे प्यारी, सबसे लाडली और सबसे समझदार बेटी है, आप ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे इसका प्यार और साथ हमारे साथ सदा बना रहे..."

घेसू बाबा अपनी जगह से उठ खड़े हुए और मेरी आँखों में देखकर बोले

"ऐसी सुंदर, आज्ञाकारी बेटी पाकर तो तू धन्य हो गया सुमेर, मेरा आशीर्वाद है, ये तेरे हर दुख ऐसे में तेरा साथ देगी और बड़ों की सेवा करती रहेगी"

उनका भारी भरकम हाथ मेरे सर से होता हुआ मेरे कंधों पर आकार रुक गया
वो बोले: "इसे मेरे झोपड़े में लेकर आओ, मैं इसे कुछ विशेष देना चाहता हूं..."

इतना कहकर वो पीछे बने झोपड़े की तरफ चल दिए
मैं भी रोबोट सी चलती हुई उनके पीछे चल दी
उनका दूसरा झोपड़ा तो किसी होटल के कमरे जैसा था

एकदम आलीशान
ठंडा
बड़ा सा बिस्तर
और पूरे झोपड़े में खुशबू बिखरी हुई थी

वो एक कोने में बनी आलमारी की तरफ गई और वहां से कुछ निकाला
वो एक पोटली थी
मैंने पापा की तरफ देखा, उन्होंने आंखें बंद करके मुझे सांत्वना दी

बाबा मेरे करीब आये और उस पोटली में से कुछ सूखे फूलों को निकाला
और मुझे हाथ दिया
मैंने जैसे ही उसे सूंघा मेरा सिर चकराने लगा
और मेरा शरीर सुन्न हो गया

अब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पा रही थी
हाथ पैर भी नहीं हिला पा रही थी
मेरे मुँह से भी कुछ नहीं निकल पा रहा था
बाबा ये देखकर मुस्कुराए और उन्होंने पापा की तरफ देखा

उन्होंने भी कुटिल मुस्कान के साथ बाबा का साथ दिया
ओह्ह मायी गॉड
तो ये इन दोनों का मिला जुला प्लान था
पर ये चाहते क्या है

उसका जवाब भी मुझे जल्दी मिल गया
बाबा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और मुझे लेकर पलंग पर पटक दिया
उस गद्देदार पलंग पर मेरा फूल सा शरीर 3 बार उछला और शांत हो गया
मेरे दिल और चूत में एक साथ धाड़ -2 की आवाजें आ रही थी
घेसू बाबा ने सबसे पहले तो अपने कपड़े उतारे और जैसा मुझे पहले महसूस हुआ था उनका लंड सही में काफी लंबा और मोटा था
एकदम कड़क और ऊपर की तरफ खड़ा हुआ
जैसे कमर से कोई धागा बाँध कर खड़ा किया हो



फिर वो मेरे करीब आये और मेरे शरीर को किसी शिकारी कुत्ते की तरह सूंघने लगे
मुझे तो ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी
पर इस निगोड़े ने मुझे बुत्त सा बना कर रख दिया था
इस वक्त अगर मैं होश में भी होती तो पापा के सामने ही इसके पोल को पकड़ कर डांस करने लगती
पर मैं मजबूर थी
भगवान ऐसी मजबूरी किसी को ना दे
मैं चिल्ला कर कहना चाहती थी कि मैं भी यही सब करना चाहती हूँ
पर मेरी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी
बाबा ने मेरे टॉप को धीरे-2 मेरे बदन से अलग किया

नीचे मैंने शमीज पहनी हुई थी वो भी उन्होंने निकाल फेंकी

अब मेरी नन्हीं बुबियां उनकी भूखी नजरों के सामने थीं



पापा भी दूर खड़े मेरे खड़े निप्पल देखकर समझ पा रहे हैं कि यह वक्त मैं कितनी उत्तेजित हूं
उन्होंने अपने होठों पर जीभ फेरी जो दर्शाती थी वो भी मेरी चुचियाँ छूना चाहते थे
मैं भी तो यहीं चाहती हूं पापा

फिर आप इस घेसू बाबा को बीच में क्यों ले आएं
क्या मजबूरी थी आपकी जो मुझे इस तरह इनके सामने परोस दिया
हालांकी मैं खुश भी थी कि मेरे शरीर को एक नया अनुभव मिलेगा
जवानी का यही तो फ़ायदा है
जितने लोगो के साथ शेयर करो उतनी ही निखरती है
देखा जाए तो आप मेरी जवानी को निखारने का ही काम कर रहे हैं
पर अभी तो आपने भी मुझे ढंग से नहीं चोदा है
ऐसे में शुरूवाती दिनों में ही मुझे किसी और को सौंप देना, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा

खैर, वो उनकी प्रॉब्लम थी
मेरी चूत में तो इस वक्त गर्म चाशनी उबल-2 कर कैरामलाइज्ड हो चुकी थी
मेरे स्तन को किस्स करने के बाद बाबा ने मेरी पायजामी को भी निकाला फेंका
अब मैं पूरी नंगी पड़ी थी उनके और पापा के सामने उस बिस्तर पर



ठीक वैसे ही जैसे कोई स्वादिष्ट पकवान टेबल पर सजा होता है
मुझे देखकर उनके मुंह में भी पानी भर आया
ख़ासकर मेरी गुलाबी चूत से निकल रहे गाड़े पानी को देखकर



वो लपलपाती जीभ लेकर मेरी चूत की तरफ आए और डुबकी मारकर अपनी जीभ से वो सारा रस इकठ्ठा करके पी गए जो व्यर्थ जा रहा था
सदप-2 की आवाज से पूरी झोपड़ी गूंज उठी
मैं भी तड़प उठी
मेरी चूत का वो गर्म गर्म रस घेसू बाबा ऐसे पी रहे थे जैसे कोई कोल्ड ड्रिंक
उनकी जीभ भी नहीं जल रही थी
बल्कि उनको मजा आ रहा था
मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था
पर मैं कुछ बोलने और व्यक्त करने की स्थिति में ही नहीं थी
वर्ना ये मजा तो ऐसा था कि चीख-2 कर झोपड़े की कच्ची दीवारें गिरा देनी थी मैंने

 

Ashokafun30

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कुछ ही देर में वो जान गए कि अब टाइम हो गया है लंड अंदर डालने का
क्योंकि उनसे भी अब नहीं रहा जा रहा था
मेरी आँखो की सिर्फ पुतलिया घूम रही थी
जिस से मैं देख रही थी कि उन्होंने अपने खीरे जैसे लंड को पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखा
उसकी गर्मी मुझे भी महसूस हुई चूत पर

और फिर उसी चूत के रसीले रस का इस्तमाल करके उन्हें जब धक्का लगाना शुरू किया तो वो मोटा लोढ़ा एक-2 इंच करके मेरी चूत की सुरंग में घुसने लगा
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़
क्या मज़ा और दर्द मिला एक साथ
और साथ ही मेरे स्तनों को उनके तरस रहे होठों का भी
जिसे उन्होंने अभी तक ठीक से चूसा नही था

एक साथ दोहरा हमला और वह भी मेरे सबसे संवेदनशील क्षेत्र पर
ये मेरे बस की बात नहीं थी
मेरा शरीर ऐंठने लगा
लंड धीरे-2 अंदर घुसने लगा
और जब वो पूरा अंदर घुस गया तो मेरी आंखे बाहर निकलने को हो गई
ऐसा भरंवापन
ऐसा मजा
ऐसी उत्तेजना
मुझे आज तक कभी नहीं मिली थी



यार पापा
आपका ये दोस्त कितना शानदार है
और उतना ही शानदार इसका मोटा लंड
हाय्यय
मन कर रहा था कि अपनी बाहों में लेकर पूरी चिपक जाऊं
पर मुझे तो उसने बेबस करके रखा हुआ था
अब घेसू बाबा मेरे होठों पर भी टूट पड़े
पहले मेरे स्तन, और अब मेरे होंठ
साला एक नंबर का इमरान हाशमी है ये तो
और मुझे किस्स भी उसी अंदाज़ में कर रहा था



एकदम चूस चूसकर मेरे होंठ और जीभ का सारा रस निकाल कर अपने मुँह में ले जा रहा था
मैंने भी अपने होठों को ढीला छोड़ दिया ताकि उन्हें अच्छे से निचोड़ कर उनका रस पी सके
अब घेसू बाबा के लंड के झटके तेज होने लगे
और साथ ही मेरी सांसों की आवाज भी
क्योंकि सिर्फ तेज सांसे ही निकल पा रही थी उन झटकों के जवाब में मैं

उम्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह



कुछ देर बाद बाबा को शायद एहसास हुआ कि मेरे गन्ने की मशीन में उनके लंड का रस ज्यादा देर नहीं टिकेगा
वो निकलने वाला है
इसलिए उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया
मैं तो एकदम से खाली सी हो गई
मैं आंखे फाड़कर उन्हें देखने लगी
शिक़ायत करने लगी कि क्यों किया ऐसा
डालो वापिस अपना मोटा लंड मेरे अंदर

ये मेरा हक़ है
साडा हक़ , एथे रख

मेरी शिकायती लहजा देखकर उन्हें भी तरस आ गया और उन्होंने फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया
पर इस बार उन्होंने मुझे पलट कर उल्टा कर दिया
और मेरे कुल्हो को किसी स्टेयरिंग की तरह ऊपर उठा कर अपने लंड के सामने किया और अंदर डाला

एक बार फिर से मेरी सांसे रुकने को हो गई
क्योंकि इस पोजीशन में उनका लंड और भी गहराई तक घुस पा रहा था



अब उन्हें मेरे कुल्हो को पकड़ा और जोरों से मेरी चूत का बैंड बजाने लगे
मेरी नज़र सामने बैठे पापा पर आ गयी
जिन्होनें अपना मोटा लंड मुझे चोदते देख कर बाहर निकाल लिया था
काश वो आगे आकर उसे मेरे मुंह में घुसेड़ दे और मुझे तब तक चोदे जब तक उनका सारा रस मेरे मुंह में ना निकल जाए
पर पता नहीं क्यों वो बाबा के सामने कुछ कर क्यों नहीं रहे
पर इस वक्त तो मैं भी होश में नहीं रह गई थी

क्योंकि मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी
बाबा ने अपना जंगलीपन दिखाते हुए मेरे कुल्हे पकड़े और दे दना दन 8-10 शॉट मारे
मैं तो झड़ी ही
वो भी उसी पल झड़ने लगे

आखिरी वक्त में उन्हें अपनी पिचकारी बाहर निकाली और मेरी पीठ पर उससे चित्रकारी कर दी
दोनों के शरीर शांत हो चुके थे
मैं और कुछ न समझ पाई क्योंकि उसके बाद मैं गहरी बेहोशी में डूबती चली गई

और जब मुझे होश आया तो मैं उसी बिस्तार पर अकेली पड़ी थी
मेरे कपड़े अपने आप मेरे शरीर पर आ चुके हैं
और पिताजी मेरे सिरहाने बैठे थे

पापा: "अरे बेटा, क्या हुआ था तुझे... एकदम से बेहोश हो गई थी... तेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही, चल घर चलते है..."

इतना कहकर उन्हें मुझे सहारा दिया और मुझे बाइक तक ले आये
बाहर घेसू बाबा एक चट्टान पर बैठ कर आराम से चिलम पी रहे थे

और अभी मिले मजे में डूबकर अपनी किस्मत पर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे

जाने से पहले पिताजी उनके पास गए और बाबा ने उन्हें वही पोटली दे दी
जिसे उन्होंने अपनी जेब में रख लिया
उनके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी वो पोटली पाकर

अब इस पोटली का क्या फंडा है, ये भी जल्दी पता लगाना पड़ेगा
पर अभी के लिए तो हम दोनो घर की तरफ चल दिये

आज मेरा शरीर चूर -2 कर दिया था बाबा ने
अब मैं सोना चाहती थी
पर मुझे क्या पता था कि पापा ने आज रात के लिए क्या प्लान बना रखा है...
 

Ajju Landwalia

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अब वक़्त था भाई को उठाकर उसे अपने वश में करने का
मैने उपर वाले का नाम लिया और झंझोड़ कर भाई को उठाने लगी
“भाई…….ओ भाई……सूरज भाई …उठो…..उठो ना…..”
ऐसा करते-2 मैने उनके चेहरे पर हल्की चपत भी लगा दी
अगले ही पल वो हड़बड़ा कर उठ बैठा
और उठते ही जो उसने देखा, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी
उसकी दोनो बहने पूरी नंगी होकर उसके कमरे में उसी के सामने बैठी थी
वो कुछ बोल पाता इस से पहले ही मैने वो सिक्का उसके चेहरे के सामने लहरा दिया और बोली

"इसे देखो…..देखो इसे….देखते रहो ........ "

और मैने जल्दी से गिनती चालू कर दी
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10
भाई कुछ देर तक तो मुझे घूरता रहा
फिर उस सिक्के को देखकर उसी में खो सा गया
मेरा और दीदी का दिल धाड़-2 करके बाज रहा था
इस वक़्त कोई ग़लती हो जाती तो भाई ने हम दोनो की जान ले लेनी थी
हम दोनो दम साधे अगले पल की प्रतीक्षा करने लगे
**************
अब आगे
**************
सूरज अवाक सा होकर उन्हें देख रहा था
समझ नहीं आ रहा था कि ये सपना है या हकीकत
सपना ही होगा
क्योंकि हकीकत में उसकी बहनें ऐसा हरगिज नहीं करेंगी
ऐसे नंगी होकर उसके कमरे में आकार भला वो क्यों एकसाथ उसके ऊपर हमला बोलेंगी
वो अपनी बहन को अच्छे से जानता था
चंदा तो पिछले कुछ दिनों से भले ही उसे अपना जिस्म दिखाने में लगी थी
पर चंद्रिका तो ऐसा बिलकुल भी नहीं कर सकती

वो घर की बड़ी भी थी और उसमें चंदा से ज्यादा अक्ल भी थी
ऐसी समझदार लड़की भला ये क्यों करेगी
उसने हाथ पर चूंटी काटी
उसे दर्द हुआ
यानी ये सपना नहीं था

अगले ही पल वो चिल्ला उठा
“चंदा…चंद्रिका….ये…ये क्या हो रहा है….ऐसे क्यों तुम दोनों बिना कपड़ो के यहाँ हो”

उसे ये बोलते हुए शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी
क्योंकि अपनी बहन से ऐसी बेशर्मी की उम्मीद हरगिज़ नहीं थी

वो उनका बड़ा भाई था
भले ही उसके मन में कई बार उन्हें लेकर गंदे विचार आये
पर आख़िरकार वो था तो उनका भाई ही

अपनी बहनों की इस बचकानी हरकतों पर वो उन्हें नहीं डाँटेगा तो कौन डाँटेगा
अब उसके अंदर एक भाई जाग चुका था
हालांकी ये मौका ऐसा था कि वो उनकी लय में लय बनाकर मजे ले सकता था
पर पता नहीं क्यों उसके अंतरमन से यही आवाज आई कि एक भाई होने के नाते ये करना सही नहीं है

अंदर ही अंदर समाज का और माता पिता का भी डर था
क्योंकि उसे लग रहा था कि अभी तो ये जवानी के जोश में आकर ऐसी हरकतें कर रही है
बाद में जब उन्हें पछतावा होगा तो वो भला क्या जवाब देगा
बड़ा होने के नाते ये उसका फर्ज था कि वो खुद समझदारी से काम ले
जवान बहनों का बड़ा भाई होना भी किसी टॉर्चर से कम नहीं है
उनको चोदने का मन भी करता है और समाज से डर भी लगता है

पर इस वक़्त तो एक भाई जगा हुआ था
चंदा भी ये सब देख कर हैरान परेशान हो रही थी

“हे भगवान….ये क्या हो गया….भाई पर तो वशीकरण का कोई असर हुआ ही नहीं….पर….पर ये कैसा हो सकता है…..ये किताब ने तो आजतक हमेशा काम किया है…”

अब तो सिर्फ एक ही तरकीब रह गई है
दोनों मिलकर एक साथ कूदती हैं भाई पर
जो होगा देखा जाएगा

मैंने सर घुमा कर चंद्रिका दीदी को देखा तो वो डर से थर-2 कांप रही थी
शायद भाई की डांट का कुछ ज्यादा ही असर हुआ था उसपर
मैं कुछ बोलती, इस से पहले ही उसने अपने कपडे समेटे और वहां से नंगी भी भागती हुई अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी

मेरा सारा प्लान चौपट हो गया
अब मेरे पास भी कोई और चारा नहीं था
सिवाय वहां से भागने के
मैंने भी अपनी टी शर्ट और शॉर्ट्स उठाई और दीदी के पीछे भाग पड़ी
पीछे से भाई कुछ-2 बोल रहा था
जिसे मैं सुन नहीं पाई

कमरे में पहुंची तो दीदी अपने बिस्तर पर ओंधी पड़ी रो रही थी
शायद इस योजना की नाकामयाबी का गहरा धक्का लगा था
एक तो भाई वशीकरण में नहीं आया और ऊपर से उसने उन्हें डांट भी दिया

मैं : “अरे दीदी….रो क्यों रही हो….अब जो हो गया तो हो गया ना….इसमें रोने वाली क्या बात है…”

दीदी (गुस्से में बिफरती हुई): “ये सब तेरी वजह से ही हुआ है…तू तो बोल रही थी कि वशीकरण की किताब में जो लिखा है वो करने से काम करेगी…देख लिया ना…उसपर कोई असर नहीं हुआ…ऊपर से हमें रंगे हाथो नंगा पकड़ लिया भाई ने....अब पूरी जिंदगी मैं उनसे कैसे आंख मिला पाऊँगी ..."

इतना कहते हुए वो फिर से रो पड़ी
बात तो सही थी
हमारा प्लान धाराशायी जो हो गया था

मैं : "दीदी...ये इतनी मशहूर किताब है...जरूर हमारे से कोई क्रिया मिस हो गई है, वरना ये जरूर काम करती...।"

दीदी: “काम करती है…आजकल के आधुनिक जमाने में भी तुझे बातों पर भरोसा है कि कोई वशीकरण किसी से कुछ भी करवा सकता है…ये सिर्फ किताबों और कहानियों में होता है…और काम करता है ये तुझे कैसे मालूम….जब पापा ने तुझपर या मुझपर इस्तेमाल किया तो क्या इस वशीकरण ने काम किया...जी नहीं...नहीं किया...क्योंकि हम दोनों ही जाग रहे थे , इसलिए हम दोनों ने जान बुझकर पिता जी का साथ दिया, उन्हें ये विश्वास दिलाया कि उनकी ये किताब काम कर रही है...वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हम दोनों भी यहीं चाहते थे...''

मैं सोच में पड़ गई
बात तो वो सही कह रही थी
पिताजी ने जब भी हमारे साथ मजे लिये हैं
यही किताब की मदद ली है
और हर बार हम दोनो पहले से तैयार भी थी और जाग भी रही थी
उनका पूरा साथ दिया हमने

पर भाई के साथ जब असल में वशीकरण के असर की बात आई तो वो उसपर हुआ नहीं
और परिणामस्वरूप आज ये सारा रायता फेल गया
मैं भी अपना सर पकड़ कर बैठ गयी
केवल अति आत्मविश्वास की वजह से ही ये सब हुआ था

वो पूरी रात मैने जागकर निकाल दी
सुबह स्कूल के लिए जल्दी निकल गई ताकि भाई से सामना न हो सके
दीदी भी मेरे साथ ही अपनी नौकरी पर निकल गई
वो मुझसे बात तक नहीं कर रही थी
पता नहीं उनकी ये नाराजगी मैं कैसे दूर कर पाऊंगी

स्कूल में भी मेरा मन नहीं लग रहा था
रह कर रात की सारी घटना मेरी आँखों के सामने चल रही थी
आज नहीं तो कल भाई से सामना तो होगा ही
उनसे नजरें कैसे मिला पाऊंगी मैं

यही सोचती हुई मैं जैसे ही स्कूल की छुट्टी के बाद बाहर निकली तो पापा को बाहर खड़े पाया
वो अपनी बुलेट बाइक पर मेरा ही इंतज़ार कर रहे हैं

मैं उन्हें देखता ही चहक उठी: “अरे….पापा….आप…आज मुझे लेने कैसे आ गए”

पापा: “चंदा, कल ही बताया था वो बैंक का काम और वो बाबाजी…।”

मैं : “ओह…..ठीक है…ठीक है, चलिए फिर…”

इतना कहते हुए मैं उछलकर उनके पीछे बैठ गई
मेरा स्कूल बैग पेरी पीठ पर था और मेरे स्तन पापा की पीठ पर

अब वक़्त था भाई को उठाकर उसे अपने वश में करने का
मैने उपर वाले का नाम लिया और झंझोड़ कर भाई को उठाने लगी
“भाई…….ओ भाई……सूरज भाई …उठो…..उठो ना…..”
ऐसा करते-2 मैने उनके चेहरे पर हल्की चपत भी लगा दी
अगले ही पल वो हड़बड़ा कर उठ बैठा
और उठते ही जो उसने देखा, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी
उसकी दोनो बहने पूरी नंगी होकर उसके कमरे में उसी के सामने बैठी थी
वो कुछ बोल पाता इस से पहले ही मैने वो सिक्का उसके चेहरे के सामने लहरा दिया और बोली

"इसे देखो…..देखो इसे….देखते रहो ........ "

और मैने जल्दी से गिनती चालू कर दी
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10
भाई कुछ देर तक तो मुझे घूरता रहा
फिर उस सिक्के को देखकर उसी में खो सा गया
मेरा और दीदी का दिल धाड़-2 करके बाज रहा था
इस वक़्त कोई ग़लती हो जाती तो भाई ने हम दोनो की जान ले लेनी थी
हम दोनो दम साधे अगले पल की प्रतीक्षा करने लगे
**************
अब आगे
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सूरज अवाक सा होकर उन्हें देख रहा था
समझ नहीं आ रहा था कि ये सपना है या हकीकत
सपना ही होगा
क्योंकि हकीकत में उसकी बहनें ऐसा हरगिज नहीं करेंगी
ऐसे नंगी होकर उसके कमरे में आकार भला वो क्यों एकसाथ उसके ऊपर हमला बोलेंगी
वो अपनी बहन को अच्छे से जानता था
चंदा तो पिछले कुछ दिनों से भले ही उसे अपना जिस्म दिखाने में लगी थी
पर चंद्रिका तो ऐसा बिलकुल भी नहीं कर सकती

वो घर की बड़ी भी थी और उसमें चंदा से ज्यादा अक्ल भी थी
ऐसी समझदार लड़की भला ये क्यों करेगी
उसने हाथ पर चूंटी काटी
उसे दर्द हुआ
यानी ये सपना नहीं था

अगले ही पल वो चिल्ला उठा
“चंदा…चंद्रिका….ये…ये क्या हो रहा है….ऐसे क्यों तुम दोनों बिना कपड़ो के यहाँ हो”

उसे ये बोलते हुए शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी
क्योंकि अपनी बहन से ऐसी बेशर्मी की उम्मीद हरगिज़ नहीं थी

वो उनका बड़ा भाई था
भले ही उसके मन में कई बार उन्हें लेकर गंदे विचार आये
पर आख़िरकार वो था तो उनका भाई ही

अपनी बहनों की इस बचकानी हरकतों पर वो उन्हें नहीं डाँटेगा तो कौन डाँटेगा
अब उसके अंदर एक भाई जाग चुका था
हालांकी ये मौका ऐसा था कि वो उनकी लय में लय बनाकर मजे ले सकता था
पर पता नहीं क्यों उसके अंतरमन से यही आवाज आई कि एक भाई होने के नाते ये करना सही नहीं है

अंदर ही अंदर समाज का और माता पिता का भी डर था
क्योंकि उसे लग रहा था कि अभी तो ये जवानी के जोश में आकर ऐसी हरकतें कर रही है
बाद में जब उन्हें पछतावा होगा तो वो भला क्या जवाब देगा
बड़ा होने के नाते ये उसका फर्ज था कि वो खुद समझदारी से काम ले
जवान बहनों का बड़ा भाई होना भी किसी टॉर्चर से कम नहीं है
उनको चोदने का मन भी करता है और समाज से डर भी लगता है

पर इस वक़्त तो एक भाई जगा हुआ था
चंदा भी ये सब देख कर हैरान परेशान हो रही थी

“हे भगवान….ये क्या हो गया….भाई पर तो वशीकरण का कोई असर हुआ ही नहीं….पर….पर ये कैसा हो सकता है…..ये किताब ने तो आजतक हमेशा काम किया है…”

अब तो सिर्फ एक ही तरकीब रह गई है
दोनों मिलकर एक साथ कूदती हैं भाई पर
जो होगा देखा जाएगा

मैंने सर घुमा कर चंद्रिका दीदी को देखा तो वो डर से थर-2 कांप रही थी
शायद भाई की डांट का कुछ ज्यादा ही असर हुआ था उसपर
मैं कुछ बोलती, इस से पहले ही उसने अपने कपडे समेटे और वहां से नंगी भी भागती हुई अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी

मेरा सारा प्लान चौपट हो गया
अब मेरे पास भी कोई और चारा नहीं था
सिवाय वहां से भागने के
मैंने भी अपनी टी शर्ट और शॉर्ट्स उठाई और दीदी के पीछे भाग पड़ी
पीछे से भाई कुछ-2 बोल रहा था
जिसे मैं सुन नहीं पाई

कमरे में पहुंची तो दीदी अपने बिस्तर पर ओंधी पड़ी रो रही थी
शायद इस योजना की नाकामयाबी का गहरा धक्का लगा था
एक तो भाई वशीकरण में नहीं आया और ऊपर से उसने उन्हें डांट भी दिया

मैं : “अरे दीदी….रो क्यों रही हो….अब जो हो गया तो हो गया ना….इसमें रोने वाली क्या बात है…”

दीदी (गुस्से में बिफरती हुई): “ये सब तेरी वजह से ही हुआ है…तू तो बोल रही थी कि वशीकरण की किताब में जो लिखा है वो करने से काम करेगी…देख लिया ना…उसपर कोई असर नहीं हुआ…ऊपर से हमें रंगे हाथो नंगा पकड़ लिया भाई ने....अब पूरी जिंदगी मैं उनसे कैसे आंख मिला पाऊँगी ..."

इतना कहते हुए वो फिर से रो पड़ी
बात तो सही थी
हमारा प्लान धाराशायी जो हो गया था

मैं : "दीदी...ये इतनी मशहूर किताब है...जरूर हमारे से कोई क्रिया मिस हो गई है, वरना ये जरूर काम करती...।"

दीदी: “काम करती है…आजकल के आधुनिक जमाने में भी तुझे बातों पर भरोसा है कि कोई वशीकरण किसी से कुछ भी करवा सकता है…ये सिर्फ किताबों और कहानियों में होता है…और काम करता है ये तुझे कैसे मालूम….जब पापा ने तुझपर या मुझपर इस्तेमाल किया तो क्या इस वशीकरण ने काम किया...जी नहीं...नहीं किया...क्योंकि हम दोनों ही जाग रहे थे , इसलिए हम दोनों ने जान बुझकर पिता जी का साथ दिया, उन्हें ये विश्वास दिलाया कि उनकी ये किताब काम कर रही है...वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हम दोनों भी यहीं चाहते थे...''

मैं सोच में पड़ गई
बात तो वो सही कह रही थी
पिताजी ने जब भी हमारे साथ मजे लिये हैं
यही किताब की मदद ली है
और हर बार हम दोनो पहले से तैयार भी थी और जाग भी रही थी
उनका पूरा साथ दिया हमने

पर भाई के साथ जब असल में वशीकरण के असर की बात आई तो वो उसपर हुआ नहीं
और परिणामस्वरूप आज ये सारा रायता फेल गया
मैं भी अपना सर पकड़ कर बैठ गयी
केवल अति आत्मविश्वास की वजह से ही ये सब हुआ था

वो पूरी रात मैने जागकर निकाल दी
सुबह स्कूल के लिए जल्दी निकल गई ताकि भाई से सामना न हो सके
दीदी भी मेरे साथ ही अपनी नौकरी पर निकल गई
वो मुझसे बात तक नहीं कर रही थी
पता नहीं उनकी ये नाराजगी मैं कैसे दूर कर पाऊंगी

स्कूल में भी मेरा मन नहीं लग रहा था
रह कर रात की सारी घटना मेरी आँखों के सामने चल रही थी
आज नहीं तो कल भाई से सामना तो होगा ही
उनसे नजरें कैसे मिला पाऊंगी मैं

यही सोचती हुई मैं जैसे ही स्कूल की छुट्टी के बाद बाहर निकली तो पापा को बाहर खड़े पाया
वो अपनी बुलेट बाइक पर मेरा ही इंतज़ार कर रहे हैं

मैं उन्हें देखता ही चहक उठी: “अरे….पापा….आप…आज मुझे लेने कैसे आ गए”

पापा: “चंदा, कल ही बताया था वो बैंक का काम और वो बाबाजी…।”

मैं : “ओह…..ठीक है…ठीक है, चलिए फिर…”

इतना कहते हुए मैं उछलकर उनके पीछे बैठ गई
मेरा स्कूल बैग पेरी पीठ पर था और मेरे स्तन पापा की पीठ पर

Shandar update he Ashokafun30 Bhai,

over confidence ne marwa diya dono behno ko...............

Ab dekhna ye he ki suraj milne par kaise react karega..........

Ab chhoti wali ki mulaqat hone he baba se...........

Keep rocking Bro
 

sunoanuj

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Bahut hi jabardast or shandar update …, 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Ajju Landwalia

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कुछ ही देर में वो जान गए कि अब टाइम हो गया है लंड अंदर डालने का
क्योंकि उनसे भी अब नहीं रहा जा रहा था
मेरी आँखो की सिर्फ पुतलिया घूम रही थी
जिस से मैं देख रही थी कि उन्होंने अपने खीरे जैसे लंड को पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखा
उसकी गर्मी मुझे भी महसूस हुई चूत पर

और फिर उसी चूत के रसीले रस का इस्तमाल करके उन्हें जब धक्का लगाना शुरू किया तो वो मोटा लोढ़ा एक-2 इंच करके मेरी चूत की सुरंग में घुसने लगा
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़
क्या मज़ा और दर्द मिला एक साथ
और साथ ही मेरे स्तनों को उनके तरस रहे होठों का भी
जिसे उन्होंने अभी तक ठीक से चूसा नही था

एक साथ दोहरा हमला और वह भी मेरे सबसे संवेदनशील क्षेत्र पर
ये मेरे बस की बात नहीं थी
मेरा शरीर ऐंठने लगा
लंड धीरे-2 अंदर घुसने लगा
और जब वो पूरा अंदर घुस गया तो मेरी आंखे बाहर निकलने को हो गई
ऐसा भरंवापन
ऐसा मजा
ऐसी उत्तेजना
मुझे आज तक कभी नहीं मिली थी



यार पापा
आपका ये दोस्त कितना शानदार है
और उतना ही शानदार इसका मोटा लंड
हाय्यय
मन कर रहा था कि अपनी बाहों में लेकर पूरी चिपक जाऊं
पर मुझे तो उसने बेबस करके रखा हुआ था
अब घेसू बाबा मेरे होठों पर भी टूट पड़े
पहले मेरे स्तन, और अब मेरे होंठ
साला एक नंबर का इमरान हाशमी है ये तो
और मुझे किस्स भी उसी अंदाज़ में कर रहा था



एकदम चूस चूसकर मेरे होंठ और जीभ का सारा रस निकाल कर अपने मुँह में ले जा रहा था
मैंने भी अपने होठों को ढीला छोड़ दिया ताकि उन्हें अच्छे से निचोड़ कर उनका रस पी सके
अब घेसू बाबा के लंड के झटके तेज होने लगे
और साथ ही मेरी सांसों की आवाज भी
क्योंकि सिर्फ तेज सांसे ही निकल पा रही थी उन झटकों के जवाब में मैं

उम्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह



कुछ देर बाद बाबा को शायद एहसास हुआ कि मेरे गन्ने की मशीन में उनके लंड का रस ज्यादा देर नहीं टिकेगा
वो निकलने वाला है
इसलिए उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया
मैं तो एकदम से खाली सी हो गई
मैं आंखे फाड़कर उन्हें देखने लगी
शिक़ायत करने लगी कि क्यों किया ऐसा
डालो वापिस अपना मोटा लंड मेरे अंदर

ये मेरा हक़ है
साडा हक़ , एथे रख

मेरी शिकायती लहजा देखकर उन्हें भी तरस आ गया और उन्होंने फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया
पर इस बार उन्होंने मुझे पलट कर उल्टा कर दिया
और मेरे कुल्हो को किसी स्टेयरिंग की तरह ऊपर उठा कर अपने लंड के सामने किया और अंदर डाला

एक बार फिर से मेरी सांसे रुकने को हो गई
क्योंकि इस पोजीशन में उनका लंड और भी गहराई तक घुस पा रहा था



अब उन्हें मेरे कुल्हो को पकड़ा और जोरों से मेरी चूत का बैंड बजाने लगे
मेरी नज़र सामने बैठे पापा पर आ गयी
जिन्होनें अपना मोटा लंड मुझे चोदते देख कर बाहर निकाल लिया था
काश वो आगे आकर उसे मेरे मुंह में घुसेड़ दे और मुझे तब तक चोदे जब तक उनका सारा रस मेरे मुंह में ना निकल जाए
पर पता नहीं क्यों वो बाबा के सामने कुछ कर क्यों नहीं रहे
पर इस वक्त तो मैं भी होश में नहीं रह गई थी

क्योंकि मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी
बाबा ने अपना जंगलीपन दिखाते हुए मेरे कुल्हे पकड़े और दे दना दन 8-10 शॉट मारे
मैं तो झड़ी ही
वो भी उसी पल झड़ने लगे

आखिरी वक्त में उन्हें अपनी पिचकारी बाहर निकाली और मेरी पीठ पर उससे चित्रकारी कर दी
दोनों के शरीर शांत हो चुके थे
मैं और कुछ न समझ पाई क्योंकि उसके बाद मैं गहरी बेहोशी में डूबती चली गई

और जब मुझे होश आया तो मैं उसी बिस्तार पर अकेली पड़ी थी
मेरे कपड़े अपने आप मेरे शरीर पर आ चुके हैं
और पिताजी मेरे सिरहाने बैठे थे

पापा: "अरे बेटा, क्या हुआ था तुझे... एकदम से बेहोश हो गई थी... तेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही, चल घर चलते है..."

इतना कहकर उन्हें मुझे सहारा दिया और मुझे बाइक तक ले आये
बाहर घेसू बाबा एक चट्टान पर बैठ कर आराम से चिलम पी रहे थे

और अभी मिले मजे में डूबकर अपनी किस्मत पर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे

जाने से पहले पिताजी उनके पास गए और बाबा ने उन्हें वही पोटली दे दी
जिसे उन्होंने अपनी जेब में रख लिया
उनके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी वो पोटली पाकर

अब इस पोटली का क्या फंडा है, ये भी जल्दी पता लगाना पड़ेगा
पर अभी के लिए तो हम दोनो घर की तरफ चल दिये

आज मेरा शरीर चूर -2 कर दिया था बाबा ने
अब मैं सोना चाहती थी
पर मुझे क्या पता था कि पापा ने आज रात के लिए क्या प्लान बना रखा है...

Jaandar, shandar zindabad

Gazab hi dha rahe ho Ashokafun30 Bhai.............

Keep rocking Bro
 
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malikarman

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अब वक़्त था भाई को उठाकर उसे अपने वश में करने का
मैने उपर वाले का नाम लिया और झंझोड़ कर भाई को उठाने लगी
“भाई…….ओ भाई……सूरज भाई …उठो…..उठो ना…..”
ऐसा करते-2 मैने उनके चेहरे पर हल्की चपत भी लगा दी
अगले ही पल वो हड़बड़ा कर उठ बैठा
और उठते ही जो उसने देखा, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी
उसकी दोनो बहने पूरी नंगी होकर उसके कमरे में उसी के सामने बैठी थी
वो कुछ बोल पाता इस से पहले ही मैने वो सिक्का उसके चेहरे के सामने लहरा दिया और बोली

"इसे देखो…..देखो इसे….देखते रहो ........ "

और मैने जल्दी से गिनती चालू कर दी
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10
भाई कुछ देर तक तो मुझे घूरता रहा
फिर उस सिक्के को देखकर उसी में खो सा गया
मेरा और दीदी का दिल धाड़-2 करके बाज रहा था
इस वक़्त कोई ग़लती हो जाती तो भाई ने हम दोनो की जान ले लेनी थी
हम दोनो दम साधे अगले पल की प्रतीक्षा करने लगे
**************
अब आगे
**************
सूरज अवाक सा होकर उन्हें देख रहा था
समझ नहीं आ रहा था कि ये सपना है या हकीकत
सपना ही होगा
क्योंकि हकीकत में उसकी बहनें ऐसा हरगिज नहीं करेंगी
ऐसे नंगी होकर उसके कमरे में आकार भला वो क्यों एकसाथ उसके ऊपर हमला बोलेंगी
वो अपनी बहन को अच्छे से जानता था
चंदा तो पिछले कुछ दिनों से भले ही उसे अपना जिस्म दिखाने में लगी थी
पर चंद्रिका तो ऐसा बिलकुल भी नहीं कर सकती

वो घर की बड़ी भी थी और उसमें चंदा से ज्यादा अक्ल भी थी
ऐसी समझदार लड़की भला ये क्यों करेगी
उसने हाथ पर चूंटी काटी
उसे दर्द हुआ
यानी ये सपना नहीं था

अगले ही पल वो चिल्ला उठा
“चंदा…चंद्रिका….ये…ये क्या हो रहा है….ऐसे क्यों तुम दोनों बिना कपड़ो के यहाँ हो”

उसे ये बोलते हुए शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी
क्योंकि अपनी बहन से ऐसी बेशर्मी की उम्मीद हरगिज़ नहीं थी

वो उनका बड़ा भाई था
भले ही उसके मन में कई बार उन्हें लेकर गंदे विचार आये
पर आख़िरकार वो था तो उनका भाई ही

अपनी बहनों की इस बचकानी हरकतों पर वो उन्हें नहीं डाँटेगा तो कौन डाँटेगा
अब उसके अंदर एक भाई जाग चुका था
हालांकी ये मौका ऐसा था कि वो उनकी लय में लय बनाकर मजे ले सकता था
पर पता नहीं क्यों उसके अंतरमन से यही आवाज आई कि एक भाई होने के नाते ये करना सही नहीं है

अंदर ही अंदर समाज का और माता पिता का भी डर था
क्योंकि उसे लग रहा था कि अभी तो ये जवानी के जोश में आकर ऐसी हरकतें कर रही है
बाद में जब उन्हें पछतावा होगा तो वो भला क्या जवाब देगा
बड़ा होने के नाते ये उसका फर्ज था कि वो खुद समझदारी से काम ले
जवान बहनों का बड़ा भाई होना भी किसी टॉर्चर से कम नहीं है
उनको चोदने का मन भी करता है और समाज से डर भी लगता है

पर इस वक़्त तो एक भाई जगा हुआ था
चंदा भी ये सब देख कर हैरान परेशान हो रही थी

“हे भगवान….ये क्या हो गया….भाई पर तो वशीकरण का कोई असर हुआ ही नहीं….पर….पर ये कैसा हो सकता है…..ये किताब ने तो आजतक हमेशा काम किया है…”

अब तो सिर्फ एक ही तरकीब रह गई है
दोनों मिलकर एक साथ कूदती हैं भाई पर
जो होगा देखा जाएगा

मैंने सर घुमा कर चंद्रिका दीदी को देखा तो वो डर से थर-2 कांप रही थी
शायद भाई की डांट का कुछ ज्यादा ही असर हुआ था उसपर
मैं कुछ बोलती, इस से पहले ही उसने अपने कपडे समेटे और वहां से नंगी भी भागती हुई अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी

मेरा सारा प्लान चौपट हो गया
अब मेरे पास भी कोई और चारा नहीं था
सिवाय वहां से भागने के
मैंने भी अपनी टी शर्ट और शॉर्ट्स उठाई और दीदी के पीछे भाग पड़ी
पीछे से भाई कुछ-2 बोल रहा था
जिसे मैं सुन नहीं पाई

कमरे में पहुंची तो दीदी अपने बिस्तर पर ओंधी पड़ी रो रही थी
शायद इस योजना की नाकामयाबी का गहरा धक्का लगा था
एक तो भाई वशीकरण में नहीं आया और ऊपर से उसने उन्हें डांट भी दिया

मैं : “अरे दीदी….रो क्यों रही हो….अब जो हो गया तो हो गया ना….इसमें रोने वाली क्या बात है…”

दीदी (गुस्से में बिफरती हुई): “ये सब तेरी वजह से ही हुआ है…तू तो बोल रही थी कि वशीकरण की किताब में जो लिखा है वो करने से काम करेगी…देख लिया ना…उसपर कोई असर नहीं हुआ…ऊपर से हमें रंगे हाथो नंगा पकड़ लिया भाई ने....अब पूरी जिंदगी मैं उनसे कैसे आंख मिला पाऊँगी ..."

इतना कहते हुए वो फिर से रो पड़ी
बात तो सही थी
हमारा प्लान धाराशायी जो हो गया था

मैं : "दीदी...ये इतनी मशहूर किताब है...जरूर हमारे से कोई क्रिया मिस हो गई है, वरना ये जरूर काम करती...।"

दीदी: “काम करती है…आजकल के आधुनिक जमाने में भी तुझे बातों पर भरोसा है कि कोई वशीकरण किसी से कुछ भी करवा सकता है…ये सिर्फ किताबों और कहानियों में होता है…और काम करता है ये तुझे कैसे मालूम….जब पापा ने तुझपर या मुझपर इस्तेमाल किया तो क्या इस वशीकरण ने काम किया...जी नहीं...नहीं किया...क्योंकि हम दोनों ही जाग रहे थे , इसलिए हम दोनों ने जान बुझकर पिता जी का साथ दिया, उन्हें ये विश्वास दिलाया कि उनकी ये किताब काम कर रही है...वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हम दोनों भी यहीं चाहते थे...''

मैं सोच में पड़ गई
बात तो वो सही कह रही थी
पिताजी ने जब भी हमारे साथ मजे लिये हैं
यही किताब की मदद ली है
और हर बार हम दोनो पहले से तैयार भी थी और जाग भी रही थी
उनका पूरा साथ दिया हमने

पर भाई के साथ जब असल में वशीकरण के असर की बात आई तो वो उसपर हुआ नहीं
और परिणामस्वरूप आज ये सारा रायता फेल गया
मैं भी अपना सर पकड़ कर बैठ गयी
केवल अति आत्मविश्वास की वजह से ही ये सब हुआ था

वो पूरी रात मैने जागकर निकाल दी
सुबह स्कूल के लिए जल्दी निकल गई ताकि भाई से सामना न हो सके
दीदी भी मेरे साथ ही अपनी नौकरी पर निकल गई
वो मुझसे बात तक नहीं कर रही थी
पता नहीं उनकी ये नाराजगी मैं कैसे दूर कर पाऊंगी

स्कूल में भी मेरा मन नहीं लग रहा था
रह कर रात की सारी घटना मेरी आँखों के सामने चल रही थी
आज नहीं तो कल भाई से सामना तो होगा ही
उनसे नजरें कैसे मिला पाऊंगी मैं

यही सोचती हुई मैं जैसे ही स्कूल की छुट्टी के बाद बाहर निकली तो पापा को बाहर खड़े पाया
वो अपनी बुलेट बाइक पर मेरा ही इंतज़ार कर रहे हैं

मैं उन्हें देखता ही चहक उठी: “अरे….पापा….आप…आज मुझे लेने कैसे आ गए”

पापा: “चंदा, कल ही बताया था वो बैंक का काम और वो बाबाजी…।”

मैं : “ओह…..ठीक है…ठीक है, चलिए फिर…”

इतना कहते हुए मैं उछलकर उनके पीछे बैठ गई
मेरा स्कूल बैग पेरी पीठ पर था और मेरे स्तन पापा की पीठ पर
Lovely update
 

malikarman

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2,930
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158
कुछ ही देर में वो जान गए कि अब टाइम हो गया है लंड अंदर डालने का
क्योंकि उनसे भी अब नहीं रहा जा रहा था
मेरी आँखो की सिर्फ पुतलिया घूम रही थी
जिस से मैं देख रही थी कि उन्होंने अपने खीरे जैसे लंड को पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखा
उसकी गर्मी मुझे भी महसूस हुई चूत पर

और फिर उसी चूत के रसीले रस का इस्तमाल करके उन्हें जब धक्का लगाना शुरू किया तो वो मोटा लोढ़ा एक-2 इंच करके मेरी चूत की सुरंग में घुसने लगा
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़
क्या मज़ा और दर्द मिला एक साथ
और साथ ही मेरे स्तनों को उनके तरस रहे होठों का भी
जिसे उन्होंने अभी तक ठीक से चूसा नही था

एक साथ दोहरा हमला और वह भी मेरे सबसे संवेदनशील क्षेत्र पर
ये मेरे बस की बात नहीं थी
मेरा शरीर ऐंठने लगा
लंड धीरे-2 अंदर घुसने लगा
और जब वो पूरा अंदर घुस गया तो मेरी आंखे बाहर निकलने को हो गई
ऐसा भरंवापन
ऐसा मजा
ऐसी उत्तेजना
मुझे आज तक कभी नहीं मिली थी



यार पापा
आपका ये दोस्त कितना शानदार है
और उतना ही शानदार इसका मोटा लंड
हाय्यय
मन कर रहा था कि अपनी बाहों में लेकर पूरी चिपक जाऊं
पर मुझे तो उसने बेबस करके रखा हुआ था
अब घेसू बाबा मेरे होठों पर भी टूट पड़े
पहले मेरे स्तन, और अब मेरे होंठ
साला एक नंबर का इमरान हाशमी है ये तो
और मुझे किस्स भी उसी अंदाज़ में कर रहा था



एकदम चूस चूसकर मेरे होंठ और जीभ का सारा रस निकाल कर अपने मुँह में ले जा रहा था
मैंने भी अपने होठों को ढीला छोड़ दिया ताकि उन्हें अच्छे से निचोड़ कर उनका रस पी सके
अब घेसू बाबा के लंड के झटके तेज होने लगे
और साथ ही मेरी सांसों की आवाज भी
क्योंकि सिर्फ तेज सांसे ही निकल पा रही थी उन झटकों के जवाब में मैं

उम्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह



कुछ देर बाद बाबा को शायद एहसास हुआ कि मेरे गन्ने की मशीन में उनके लंड का रस ज्यादा देर नहीं टिकेगा
वो निकलने वाला है
इसलिए उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया
मैं तो एकदम से खाली सी हो गई
मैं आंखे फाड़कर उन्हें देखने लगी
शिक़ायत करने लगी कि क्यों किया ऐसा
डालो वापिस अपना मोटा लंड मेरे अंदर

ये मेरा हक़ है
साडा हक़ , एथे रख

मेरी शिकायती लहजा देखकर उन्हें भी तरस आ गया और उन्होंने फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया
पर इस बार उन्होंने मुझे पलट कर उल्टा कर दिया
और मेरे कुल्हो को किसी स्टेयरिंग की तरह ऊपर उठा कर अपने लंड के सामने किया और अंदर डाला

एक बार फिर से मेरी सांसे रुकने को हो गई
क्योंकि इस पोजीशन में उनका लंड और भी गहराई तक घुस पा रहा था



अब उन्हें मेरे कुल्हो को पकड़ा और जोरों से मेरी चूत का बैंड बजाने लगे
मेरी नज़र सामने बैठे पापा पर आ गयी
जिन्होनें अपना मोटा लंड मुझे चोदते देख कर बाहर निकाल लिया था
काश वो आगे आकर उसे मेरे मुंह में घुसेड़ दे और मुझे तब तक चोदे जब तक उनका सारा रस मेरे मुंह में ना निकल जाए
पर पता नहीं क्यों वो बाबा के सामने कुछ कर क्यों नहीं रहे
पर इस वक्त तो मैं भी होश में नहीं रह गई थी

क्योंकि मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी
बाबा ने अपना जंगलीपन दिखाते हुए मेरे कुल्हे पकड़े और दे दना दन 8-10 शॉट मारे
मैं तो झड़ी ही
वो भी उसी पल झड़ने लगे

आखिरी वक्त में उन्हें अपनी पिचकारी बाहर निकाली और मेरी पीठ पर उससे चित्रकारी कर दी
दोनों के शरीर शांत हो चुके थे
मैं और कुछ न समझ पाई क्योंकि उसके बाद मैं गहरी बेहोशी में डूबती चली गई

और जब मुझे होश आया तो मैं उसी बिस्तार पर अकेली पड़ी थी
मेरे कपड़े अपने आप मेरे शरीर पर आ चुके हैं
और पिताजी मेरे सिरहाने बैठे थे

पापा: "अरे बेटा, क्या हुआ था तुझे... एकदम से बेहोश हो गई थी... तेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही, चल घर चलते है..."

इतना कहकर उन्हें मुझे सहारा दिया और मुझे बाइक तक ले आये
बाहर घेसू बाबा एक चट्टान पर बैठ कर आराम से चिलम पी रहे थे

और अभी मिले मजे में डूबकर अपनी किस्मत पर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे

जाने से पहले पिताजी उनके पास गए और बाबा ने उन्हें वही पोटली दे दी
जिसे उन्होंने अपनी जेब में रख लिया
उनके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी वो पोटली पाकर

अब इस पोटली का क्या फंडा है, ये भी जल्दी पता लगाना पड़ेगा
पर अभी के लिए तो हम दोनो घर की तरफ चल दिये

आज मेरा शरीर चूर -2 कर दिया था बाबा ने
अब मैं सोना चाहती थी
पर मुझे क्या पता था कि पापा ने आज रात के लिए क्या प्लान बना रखा है...
Hot update
Par sex ko thoda lamba likhiye
Lund khada ho jata hai par
Pani nhi nikalta
 

Ek number

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अब वक़्त था भाई को उठाकर उसे अपने वश में करने का
मैने उपर वाले का नाम लिया और झंझोड़ कर भाई को उठाने लगी
“भाई…….ओ भाई……सूरज भाई …उठो…..उठो ना…..”
ऐसा करते-2 मैने उनके चेहरे पर हल्की चपत भी लगा दी
अगले ही पल वो हड़बड़ा कर उठ बैठा
और उठते ही जो उसने देखा, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी
उसकी दोनो बहने पूरी नंगी होकर उसके कमरे में उसी के सामने बैठी थी
वो कुछ बोल पाता इस से पहले ही मैने वो सिक्का उसके चेहरे के सामने लहरा दिया और बोली

"इसे देखो…..देखो इसे….देखते रहो ........ "

और मैने जल्दी से गिनती चालू कर दी
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10
भाई कुछ देर तक तो मुझे घूरता रहा
फिर उस सिक्के को देखकर उसी में खो सा गया
मेरा और दीदी का दिल धाड़-2 करके बाज रहा था
इस वक़्त कोई ग़लती हो जाती तो भाई ने हम दोनो की जान ले लेनी थी
हम दोनो दम साधे अगले पल की प्रतीक्षा करने लगे
**************
अब आगे
**************
सूरज अवाक सा होकर उन्हें देख रहा था
समझ नहीं आ रहा था कि ये सपना है या हकीकत
सपना ही होगा
क्योंकि हकीकत में उसकी बहनें ऐसा हरगिज नहीं करेंगी
ऐसे नंगी होकर उसके कमरे में आकार भला वो क्यों एकसाथ उसके ऊपर हमला बोलेंगी
वो अपनी बहन को अच्छे से जानता था
चंदा तो पिछले कुछ दिनों से भले ही उसे अपना जिस्म दिखाने में लगी थी
पर चंद्रिका तो ऐसा बिलकुल भी नहीं कर सकती

वो घर की बड़ी भी थी और उसमें चंदा से ज्यादा अक्ल भी थी
ऐसी समझदार लड़की भला ये क्यों करेगी
उसने हाथ पर चूंटी काटी
उसे दर्द हुआ
यानी ये सपना नहीं था

अगले ही पल वो चिल्ला उठा
“चंदा…चंद्रिका….ये…ये क्या हो रहा है….ऐसे क्यों तुम दोनों बिना कपड़ो के यहाँ हो”

उसे ये बोलते हुए शर्म भी आ रही थी और गुस्सा भी
क्योंकि अपनी बहन से ऐसी बेशर्मी की उम्मीद हरगिज़ नहीं थी

वो उनका बड़ा भाई था
भले ही उसके मन में कई बार उन्हें लेकर गंदे विचार आये
पर आख़िरकार वो था तो उनका भाई ही

अपनी बहनों की इस बचकानी हरकतों पर वो उन्हें नहीं डाँटेगा तो कौन डाँटेगा
अब उसके अंदर एक भाई जाग चुका था
हालांकी ये मौका ऐसा था कि वो उनकी लय में लय बनाकर मजे ले सकता था
पर पता नहीं क्यों उसके अंतरमन से यही आवाज आई कि एक भाई होने के नाते ये करना सही नहीं है

अंदर ही अंदर समाज का और माता पिता का भी डर था
क्योंकि उसे लग रहा था कि अभी तो ये जवानी के जोश में आकर ऐसी हरकतें कर रही है
बाद में जब उन्हें पछतावा होगा तो वो भला क्या जवाब देगा
बड़ा होने के नाते ये उसका फर्ज था कि वो खुद समझदारी से काम ले
जवान बहनों का बड़ा भाई होना भी किसी टॉर्चर से कम नहीं है
उनको चोदने का मन भी करता है और समाज से डर भी लगता है

पर इस वक़्त तो एक भाई जगा हुआ था
चंदा भी ये सब देख कर हैरान परेशान हो रही थी

“हे भगवान….ये क्या हो गया….भाई पर तो वशीकरण का कोई असर हुआ ही नहीं….पर….पर ये कैसा हो सकता है…..ये किताब ने तो आजतक हमेशा काम किया है…”

अब तो सिर्फ एक ही तरकीब रह गई है
दोनों मिलकर एक साथ कूदती हैं भाई पर
जो होगा देखा जाएगा

मैंने सर घुमा कर चंद्रिका दीदी को देखा तो वो डर से थर-2 कांप रही थी
शायद भाई की डांट का कुछ ज्यादा ही असर हुआ था उसपर
मैं कुछ बोलती, इस से पहले ही उसने अपने कपडे समेटे और वहां से नंगी भी भागती हुई अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी

मेरा सारा प्लान चौपट हो गया
अब मेरे पास भी कोई और चारा नहीं था
सिवाय वहां से भागने के
मैंने भी अपनी टी शर्ट और शॉर्ट्स उठाई और दीदी के पीछे भाग पड़ी
पीछे से भाई कुछ-2 बोल रहा था
जिसे मैं सुन नहीं पाई

कमरे में पहुंची तो दीदी अपने बिस्तर पर ओंधी पड़ी रो रही थी
शायद इस योजना की नाकामयाबी का गहरा धक्का लगा था
एक तो भाई वशीकरण में नहीं आया और ऊपर से उसने उन्हें डांट भी दिया

मैं : “अरे दीदी….रो क्यों रही हो….अब जो हो गया तो हो गया ना….इसमें रोने वाली क्या बात है…”

दीदी (गुस्से में बिफरती हुई): “ये सब तेरी वजह से ही हुआ है…तू तो बोल रही थी कि वशीकरण की किताब में जो लिखा है वो करने से काम करेगी…देख लिया ना…उसपर कोई असर नहीं हुआ…ऊपर से हमें रंगे हाथो नंगा पकड़ लिया भाई ने....अब पूरी जिंदगी मैं उनसे कैसे आंख मिला पाऊँगी ..."

इतना कहते हुए वो फिर से रो पड़ी
बात तो सही थी
हमारा प्लान धाराशायी जो हो गया था

मैं : "दीदी...ये इतनी मशहूर किताब है...जरूर हमारे से कोई क्रिया मिस हो गई है, वरना ये जरूर काम करती...।"

दीदी: “काम करती है…आजकल के आधुनिक जमाने में भी तुझे बातों पर भरोसा है कि कोई वशीकरण किसी से कुछ भी करवा सकता है…ये सिर्फ किताबों और कहानियों में होता है…और काम करता है ये तुझे कैसे मालूम….जब पापा ने तुझपर या मुझपर इस्तेमाल किया तो क्या इस वशीकरण ने काम किया...जी नहीं...नहीं किया...क्योंकि हम दोनों ही जाग रहे थे , इसलिए हम दोनों ने जान बुझकर पिता जी का साथ दिया, उन्हें ये विश्वास दिलाया कि उनकी ये किताब काम कर रही है...वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हम दोनों भी यहीं चाहते थे...''

मैं सोच में पड़ गई
बात तो वो सही कह रही थी
पिताजी ने जब भी हमारे साथ मजे लिये हैं
यही किताब की मदद ली है
और हर बार हम दोनो पहले से तैयार भी थी और जाग भी रही थी
उनका पूरा साथ दिया हमने

पर भाई के साथ जब असल में वशीकरण के असर की बात आई तो वो उसपर हुआ नहीं
और परिणामस्वरूप आज ये सारा रायता फेल गया
मैं भी अपना सर पकड़ कर बैठ गयी
केवल अति आत्मविश्वास की वजह से ही ये सब हुआ था

वो पूरी रात मैने जागकर निकाल दी
सुबह स्कूल के लिए जल्दी निकल गई ताकि भाई से सामना न हो सके
दीदी भी मेरे साथ ही अपनी नौकरी पर निकल गई
वो मुझसे बात तक नहीं कर रही थी
पता नहीं उनकी ये नाराजगी मैं कैसे दूर कर पाऊंगी

स्कूल में भी मेरा मन नहीं लग रहा था
रह कर रात की सारी घटना मेरी आँखों के सामने चल रही थी
आज नहीं तो कल भाई से सामना तो होगा ही
उनसे नजरें कैसे मिला पाऊंगी मैं

यही सोचती हुई मैं जैसे ही स्कूल की छुट्टी के बाद बाहर निकली तो पापा को बाहर खड़े पाया
वो अपनी बुलेट बाइक पर मेरा ही इंतज़ार कर रहे हैं

मैं उन्हें देखता ही चहक उठी: “अरे….पापा….आप…आज मुझे लेने कैसे आ गए”

पापा: “चंदा, कल ही बताया था वो बैंक का काम और वो बाबाजी…।”

मैं : “ओह…..ठीक है…ठीक है, चलिए फिर…”

इतना कहते हुए मैं उछलकर उनके पीछे बैठ गई
मेरा स्कूल बैग पेरी पीठ पर था और मेरे स्तन पापा की पीठ पर
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