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मैंने उनकी कमर पकड़ ली और अपने खड़े हुए स्तनों से उनकी कमर की मालिश करने लगी
हालांकी हमारे बीच खुलकर उस रिश्ते के बारे में मेरी बात नहीं हुई थी जो रात के अंधेर में वशीकरण की आड़ में पिता जी मुझसे बना चुके थे
पर मेरी हरकतों से साफ पता चल रहा था कि हमारे रिश्ते को पाकर मैं कितनी खुश हूं
पिताजी भी कुछ नहीं बोले
वो भला क्यू बोलते
उनको तो मजा आ रहा था
उनकी जवान बेटी अपने नन्हें स्तन उनकी कड़क पीठ पर घिसकर उनके सोए हुए शेर को जो उठाने का काम कर रही थी
वो रिश्ता छुपा हुआ ना होता तो पिताजी अभी उसे किसी खेत के अंदर लेजाकर चोद देते शायद
पर ऐसा अभी के लिए तो संभव नहीं था
कुछ ही देर में बैंक आ गया, और उन्होंने खानापूर्ति वाला कुछ काम करवाया
उसके बाद हम दोनों फिर से बुलेट पर बैठ कर बाबा से मिलने चल दिये
कल दीदी भी उनसे मिलकर आई थी
वो तो काफी खुश थी
कहीं कुछ और वजह नहीं है ना उसे वहां ले जाने की
नहीं नहीं
उसके पापा भला अपनी जवान बेटी को ऐसे किसी और के साथ क्यों भेजेंगे
उसने ये विचार अपने जहन से निकाला फेंका
कुछ ही देर में वो बाबा की झोपड़ी के बाहर पहुंच गए
अंदर 3-4 लोग थे
उनको आया देखकर घेसू बाबा ने जल्दी-2 उनकी बातें सुनी और उनकी समस्याओं का समाधान करा
आधे घंटे में ही वो झोपड़ी खाली हो चुकी थी
मैं उठकर पापा के साथ आगे गई और घेसू बाबा के सामने बैठ गई
उनकी नजरें मेरे नन्हें स्तनों को घूर रही थी
शायद मेरे खड़े हुए निप्पल उन्हें नजर आ चुके हैं
पिताजी के साथ मस्ती करती जो आई थी मैं
ऊपर से रात को जो मेरे जिस्म की प्यास अधूरी रह गई थी
वो अब सर उठने लगी थी
पता नहीं क्यों अंदर से मुझे लग रहा था कि पापा मुझे सिर्फ आशीर्वाद दिलाने नहीं बल्कि बाबाजी का घंटा बजवाने लाये हैं
मेरी नजर सीधी उनकी धोती के बीच गई
उनका नाग फन उठाकर नाभि को टच कर रहा था
मेरी तो सांसे रुकने को हो गई ये देखकर
इतना लंबा लंड तो हमारे खानदान में किसी का नहीं था
मेरा मतलब है मेरे पापा या भाई का
इतने लंबे लंड भी होते हैं
मेरी चूत से तो चिंगारियां निकलने लगी
तभी पिताजी बोले: "घेसू बाबा, ये मेरी सबसे प्यारी, सबसे लाडली और सबसे समझदार बेटी है, आप ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे इसका प्यार और साथ हमारे साथ सदा बना रहे..."
घेसू बाबा अपनी जगह से उठ खड़े हुए और मेरी आँखों में देखकर बोले
"ऐसी सुंदर, आज्ञाकारी बेटी पाकर तो तू धन्य हो गया सुमेर, मेरा आशीर्वाद है, ये तेरे हर दुख ऐसे में तेरा साथ देगी और बड़ों की सेवा करती रहेगी"
उनका भारी भरकम हाथ मेरे सर से होता हुआ मेरे कंधों पर आकार रुक गया
वो बोले: "इसे मेरे झोपड़े में लेकर आओ, मैं इसे कुछ विशेष देना चाहता हूं..."
इतना कहकर वो पीछे बने झोपड़े की तरफ चल दिए
मैं भी रोबोट सी चलती हुई उनके पीछे चल दी
उनका दूसरा झोपड़ा तो किसी होटल के कमरे जैसा था
एकदम आलीशान
ठंडा
बड़ा सा बिस्तर
और पूरे झोपड़े में खुशबू बिखरी हुई थी
वो एक कोने में बनी आलमारी की तरफ गई और वहां से कुछ निकाला
वो एक पोटली थी
मैंने पापा की तरफ देखा, उन्होंने आंखें बंद करके मुझे सांत्वना दी
बाबा मेरे करीब आये और उस पोटली में से कुछ सूखे फूलों को निकाला
और मुझे हाथ दिया
मैंने जैसे ही उसे सूंघा मेरा सिर चकराने लगा
और मेरा शरीर सुन्न हो गया
अब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पा रही थी
हाथ पैर भी नहीं हिला पा रही थी
मेरे मुँह से भी कुछ नहीं निकल पा रहा था
बाबा ये देखकर मुस्कुराए और उन्होंने पापा की तरफ देखा
उन्होंने भी कुटिल मुस्कान के साथ बाबा का साथ दिया
ओह्ह मायी गॉड
तो ये इन दोनों का मिला जुला प्लान था
पर ये चाहते क्या है
उसका जवाब भी मुझे जल्दी मिल गया
बाबा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और मुझे लेकर पलंग पर पटक दिया
उस गद्देदार पलंग पर मेरा फूल सा शरीर 3 बार उछला और शांत हो गया
मेरे दिल और चूत में एक साथ धाड़ -2 की आवाजें आ रही थी
घेसू बाबा ने सबसे पहले तो अपने कपड़े उतारे और जैसा मुझे पहले महसूस हुआ था उनका लंड सही में काफी लंबा और मोटा था
एकदम कड़क और ऊपर की तरफ खड़ा हुआ
जैसे कमर से कोई धागा बाँध कर खड़ा किया हो
फिर वो मेरे करीब आये और मेरे शरीर को किसी शिकारी कुत्ते की तरह सूंघने लगे
मुझे तो ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी
पर इस निगोड़े ने मुझे बुत्त सा बना कर रख दिया था
इस वक्त अगर मैं होश में भी होती तो पापा के सामने ही इसके पोल को पकड़ कर डांस करने लगती
पर मैं मजबूर थी
भगवान ऐसी मजबूरी किसी को ना दे
मैं चिल्ला कर कहना चाहती थी कि मैं भी यही सब करना चाहती हूँ
पर मेरी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी
बाबा ने मेरे टॉप को धीरे-2 मेरे बदन से अलग किया
नीचे मैंने शमीज पहनी हुई थी वो भी उन्होंने निकाल फेंकी
अब मेरी नन्हीं बुबियां उनकी भूखी नजरों के सामने थीं
पापा भी दूर खड़े मेरे खड़े निप्पल देखकर समझ पा रहे हैं कि यह वक्त मैं कितनी उत्तेजित हूं
उन्होंने अपने होठों पर जीभ फेरी जो दर्शाती थी वो भी मेरी चुचियाँ छूना चाहते थे
मैं भी तो यहीं चाहती हूं पापा
फिर आप इस घेसू बाबा को बीच में क्यों ले आएं
क्या मजबूरी थी आपकी जो मुझे इस तरह इनके सामने परोस दिया
हालांकी मैं खुश भी थी कि मेरे शरीर को एक नया अनुभव मिलेगा
जवानी का यही तो फ़ायदा है
जितने लोगो के साथ शेयर करो उतनी ही निखरती है
देखा जाए तो आप मेरी जवानी को निखारने का ही काम कर रहे हैं
पर अभी तो आपने भी मुझे ढंग से नहीं चोदा है
ऐसे में शुरूवाती दिनों में ही मुझे किसी और को सौंप देना, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा
खैर, वो उनकी प्रॉब्लम थी
मेरी चूत में तो इस वक्त गर्म चाशनी उबल-2 कर कैरामलाइज्ड हो चुकी थी
मेरे स्तन को किस्स करने के बाद बाबा ने मेरी पायजामी को भी निकाला फेंका
अब मैं पूरी नंगी पड़ी थी उनके और पापा के सामने उस बिस्तर पर
ठीक वैसे ही जैसे कोई स्वादिष्ट पकवान टेबल पर सजा होता है
मुझे देखकर उनके मुंह में भी पानी भर आया
ख़ासकर मेरी गुलाबी चूत से निकल रहे गाड़े पानी को देखकर
वो लपलपाती जीभ लेकर मेरी चूत की तरफ आए और डुबकी मारकर अपनी जीभ से वो सारा रस इकठ्ठा करके पी गए जो व्यर्थ जा रहा था
सदप-2 की आवाज से पूरी झोपड़ी गूंज उठी
मैं भी तड़प उठी
मेरी चूत का वो गर्म गर्म रस घेसू बाबा ऐसे पी रहे थे जैसे कोई कोल्ड ड्रिंक
उनकी जीभ भी नहीं जल रही थी
बल्कि उनको मजा आ रहा था
मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था
पर मैं कुछ बोलने और व्यक्त करने की स्थिति में ही नहीं थी
वर्ना ये मजा तो ऐसा था कि चीख-2 कर झोपड़े की कच्ची दीवारें गिरा देनी थी मैंने
हालांकी हमारे बीच खुलकर उस रिश्ते के बारे में मेरी बात नहीं हुई थी जो रात के अंधेर में वशीकरण की आड़ में पिता जी मुझसे बना चुके थे
पर मेरी हरकतों से साफ पता चल रहा था कि हमारे रिश्ते को पाकर मैं कितनी खुश हूं
पिताजी भी कुछ नहीं बोले
वो भला क्यू बोलते
उनको तो मजा आ रहा था
उनकी जवान बेटी अपने नन्हें स्तन उनकी कड़क पीठ पर घिसकर उनके सोए हुए शेर को जो उठाने का काम कर रही थी
वो रिश्ता छुपा हुआ ना होता तो पिताजी अभी उसे किसी खेत के अंदर लेजाकर चोद देते शायद
पर ऐसा अभी के लिए तो संभव नहीं था
कुछ ही देर में बैंक आ गया, और उन्होंने खानापूर्ति वाला कुछ काम करवाया
उसके बाद हम दोनों फिर से बुलेट पर बैठ कर बाबा से मिलने चल दिये
कल दीदी भी उनसे मिलकर आई थी
वो तो काफी खुश थी
कहीं कुछ और वजह नहीं है ना उसे वहां ले जाने की
नहीं नहीं
उसके पापा भला अपनी जवान बेटी को ऐसे किसी और के साथ क्यों भेजेंगे
उसने ये विचार अपने जहन से निकाला फेंका
कुछ ही देर में वो बाबा की झोपड़ी के बाहर पहुंच गए
अंदर 3-4 लोग थे
उनको आया देखकर घेसू बाबा ने जल्दी-2 उनकी बातें सुनी और उनकी समस्याओं का समाधान करा
आधे घंटे में ही वो झोपड़ी खाली हो चुकी थी
मैं उठकर पापा के साथ आगे गई और घेसू बाबा के सामने बैठ गई
उनकी नजरें मेरे नन्हें स्तनों को घूर रही थी
शायद मेरे खड़े हुए निप्पल उन्हें नजर आ चुके हैं
पिताजी के साथ मस्ती करती जो आई थी मैं
ऊपर से रात को जो मेरे जिस्म की प्यास अधूरी रह गई थी
वो अब सर उठने लगी थी
पता नहीं क्यों अंदर से मुझे लग रहा था कि पापा मुझे सिर्फ आशीर्वाद दिलाने नहीं बल्कि बाबाजी का घंटा बजवाने लाये हैं
मेरी नजर सीधी उनकी धोती के बीच गई
उनका नाग फन उठाकर नाभि को टच कर रहा था
मेरी तो सांसे रुकने को हो गई ये देखकर
इतना लंबा लंड तो हमारे खानदान में किसी का नहीं था
मेरा मतलब है मेरे पापा या भाई का
इतने लंबे लंड भी होते हैं
मेरी चूत से तो चिंगारियां निकलने लगी
तभी पिताजी बोले: "घेसू बाबा, ये मेरी सबसे प्यारी, सबसे लाडली और सबसे समझदार बेटी है, आप ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे इसका प्यार और साथ हमारे साथ सदा बना रहे..."
घेसू बाबा अपनी जगह से उठ खड़े हुए और मेरी आँखों में देखकर बोले
"ऐसी सुंदर, आज्ञाकारी बेटी पाकर तो तू धन्य हो गया सुमेर, मेरा आशीर्वाद है, ये तेरे हर दुख ऐसे में तेरा साथ देगी और बड़ों की सेवा करती रहेगी"
उनका भारी भरकम हाथ मेरे सर से होता हुआ मेरे कंधों पर आकार रुक गया
वो बोले: "इसे मेरे झोपड़े में लेकर आओ, मैं इसे कुछ विशेष देना चाहता हूं..."
इतना कहकर वो पीछे बने झोपड़े की तरफ चल दिए
मैं भी रोबोट सी चलती हुई उनके पीछे चल दी
उनका दूसरा झोपड़ा तो किसी होटल के कमरे जैसा था
एकदम आलीशान
ठंडा
बड़ा सा बिस्तर
और पूरे झोपड़े में खुशबू बिखरी हुई थी
वो एक कोने में बनी आलमारी की तरफ गई और वहां से कुछ निकाला
वो एक पोटली थी
मैंने पापा की तरफ देखा, उन्होंने आंखें बंद करके मुझे सांत्वना दी
बाबा मेरे करीब आये और उस पोटली में से कुछ सूखे फूलों को निकाला
और मुझे हाथ दिया
मैंने जैसे ही उसे सूंघा मेरा सिर चकराने लगा
और मेरा शरीर सुन्न हो गया
अब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पा रही थी
हाथ पैर भी नहीं हिला पा रही थी
मेरे मुँह से भी कुछ नहीं निकल पा रहा था
बाबा ये देखकर मुस्कुराए और उन्होंने पापा की तरफ देखा
उन्होंने भी कुटिल मुस्कान के साथ बाबा का साथ दिया
ओह्ह मायी गॉड
तो ये इन दोनों का मिला जुला प्लान था
पर ये चाहते क्या है
उसका जवाब भी मुझे जल्दी मिल गया
बाबा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और मुझे लेकर पलंग पर पटक दिया
उस गद्देदार पलंग पर मेरा फूल सा शरीर 3 बार उछला और शांत हो गया
मेरे दिल और चूत में एक साथ धाड़ -2 की आवाजें आ रही थी
घेसू बाबा ने सबसे पहले तो अपने कपड़े उतारे और जैसा मुझे पहले महसूस हुआ था उनका लंड सही में काफी लंबा और मोटा था
एकदम कड़क और ऊपर की तरफ खड़ा हुआ
जैसे कमर से कोई धागा बाँध कर खड़ा किया हो
फिर वो मेरे करीब आये और मेरे शरीर को किसी शिकारी कुत्ते की तरह सूंघने लगे
मुझे तो ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी
पर इस निगोड़े ने मुझे बुत्त सा बना कर रख दिया था
इस वक्त अगर मैं होश में भी होती तो पापा के सामने ही इसके पोल को पकड़ कर डांस करने लगती
पर मैं मजबूर थी
भगवान ऐसी मजबूरी किसी को ना दे
मैं चिल्ला कर कहना चाहती थी कि मैं भी यही सब करना चाहती हूँ
पर मेरी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी
बाबा ने मेरे टॉप को धीरे-2 मेरे बदन से अलग किया
नीचे मैंने शमीज पहनी हुई थी वो भी उन्होंने निकाल फेंकी
अब मेरी नन्हीं बुबियां उनकी भूखी नजरों के सामने थीं
पापा भी दूर खड़े मेरे खड़े निप्पल देखकर समझ पा रहे हैं कि यह वक्त मैं कितनी उत्तेजित हूं
उन्होंने अपने होठों पर जीभ फेरी जो दर्शाती थी वो भी मेरी चुचियाँ छूना चाहते थे
मैं भी तो यहीं चाहती हूं पापा
फिर आप इस घेसू बाबा को बीच में क्यों ले आएं
क्या मजबूरी थी आपकी जो मुझे इस तरह इनके सामने परोस दिया
हालांकी मैं खुश भी थी कि मेरे शरीर को एक नया अनुभव मिलेगा
जवानी का यही तो फ़ायदा है
जितने लोगो के साथ शेयर करो उतनी ही निखरती है
देखा जाए तो आप मेरी जवानी को निखारने का ही काम कर रहे हैं
पर अभी तो आपने भी मुझे ढंग से नहीं चोदा है
ऐसे में शुरूवाती दिनों में ही मुझे किसी और को सौंप देना, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा
खैर, वो उनकी प्रॉब्लम थी
मेरी चूत में तो इस वक्त गर्म चाशनी उबल-2 कर कैरामलाइज्ड हो चुकी थी
मेरे स्तन को किस्स करने के बाद बाबा ने मेरी पायजामी को भी निकाला फेंका
अब मैं पूरी नंगी पड़ी थी उनके और पापा के सामने उस बिस्तर पर
ठीक वैसे ही जैसे कोई स्वादिष्ट पकवान टेबल पर सजा होता है
मुझे देखकर उनके मुंह में भी पानी भर आया
ख़ासकर मेरी गुलाबी चूत से निकल रहे गाड़े पानी को देखकर
वो लपलपाती जीभ लेकर मेरी चूत की तरफ आए और डुबकी मारकर अपनी जीभ से वो सारा रस इकठ्ठा करके पी गए जो व्यर्थ जा रहा था
सदप-2 की आवाज से पूरी झोपड़ी गूंज उठी
मैं भी तड़प उठी
मेरी चूत का वो गर्म गर्म रस घेसू बाबा ऐसे पी रहे थे जैसे कोई कोल्ड ड्रिंक
उनकी जीभ भी नहीं जल रही थी
बल्कि उनको मजा आ रहा था
मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था
पर मैं कुछ बोलने और व्यक्त करने की स्थिति में ही नहीं थी
वर्ना ये मजा तो ऐसा था कि चीख-2 कर झोपड़े की कच्ची दीवारें गिरा देनी थी मैंने