• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
4,279
16,628
144
IMG-20211022-084409


*Index *
 
Last edited:

Kala Nag

Mr. X
4,279
16,628
144
कल दोपहर बारह बजे या उससे पहले पोस्ट करने की कोशिश करता हूँ
कहानी के यह शनिवार बहुत ही खास है एक अपडेट में संभव नहीं हो रहा है l फिर भी कोशिश मेरी पूरी है कल तक अगला अपडेट प्रस्तुत करने की
धन्यबाद
और
आभार
 

Kala Nag

Mr. X
4,279
16,628
144
superb update he bhai, gazab likh rahe ho aap, waiting for next
धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
कहानी का अगला अपडेट कल दोपहर बारह बजने से पहले आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाएगी
कहानी का यह शनिवार बहुत ही खास व बहुत ही घटनाएं घटित होने वाली है
एक अपडेट में समेट ने की कोशिश की पर हुआ नहीं
इसलिए थोड़ा रिफाइनींग करने के बाद पोस्ट कर दूँगा
साथ देने के लिए और जुड़े रह कर उत्साह बढ़ाने के लिए फिरसे आभार व धन्यबाद
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,351
8,936
159
धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
कहानी का अगला अपडेट कल दोपहर बारह बजने से पहले आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाएगी
कहानी का यह शनिवार बहुत ही खास व बहुत ही घटनाएं घटित होने वाली है
एक अपडेट में समेट ने की कोशिश की पर हुआ नहीं
इसलिए थोड़ा रिफाइनींग करने के बाद पोस्ट कर दूँगा
साथ देने के लिए और जुड़े रह कर उत्साह बढ़ाने के लिए फिरसे आभार व धन्यबाद

Waiting for next dhamakedar update …
 

Death Kiñg

Active Member
1,408
7,068
144
धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
कहानी का अगला अपडेट कल दोपहर बारह बजने से पहले आपके समक्ष प्रस्तुत हो जाएगी
कहानी का यह शनिवार बहुत ही खास व बहुत ही घटनाएं घटित होने वाली है
एक अपडेट में समेट ने की कोशिश की पर हुआ नहीं
इसलिए थोड़ा रिफाइनींग करने के बाद पोस्ट कर दूँगा
साथ देने के लिए और जुड़े रह कर उत्साह बढ़ाने के लिए फिरसे आभार व धन्यबाद
Intezaar rahega.
 
  • Like
  • Love
Reactions: Kala Nag and parkas

ANUJ KUMAR

Well-Known Member
2,669
13,382
158
👉सत्तावनवां अपडेट
----------------------
XXXXX कॉलेज
बुधवार

कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ है l अभी तक कोई नहीं आया है l पर असेंबली हॉल के स्टेज पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ लकी ड्रॉ निकालने वाली ग्लोब नुमा जालीदार बॉल को चेक कर रहा है l

रॉकी - सुशील... क्या यह अब ठीक है...
सुशील - (खीज कर) अबे ऑए.. मजनू की छटी औलाद... सुबह सुबह हमारी नींद खराब कर यहाँ लेकर आया है... कमीने हमें कुली की तरह लगया हुआ है... साले कमीने आशिकी तेरी... पर नींद और चैन हमारी खराब है....
रॉकी - तो क्या हुआ कमीने... बदले में खाने पीने की पार्टी भी तो देता हूँ.... वह भी अपने होटल के रॉयल शूट में...
सुशील - उसकी कीमत भी तो वसूल करता है... हमे गधे की तरह दौड़ा कर काम करवा कर....
रॉकी - ठीक है... ठीक है.. वक़्त जाया ना करो... बोलो कहाँ तक यह प्लान वर्क आउट करेगा...
सुशील - अबे जब प्लान आशीष का है... तो काम उससे ही लेना चाहिए था...
आशीष - ऑए... कब से बड़बड़ कर रहा है... काम पुरा कर अपना...
रवि - हाँ यार सुबह से लगा हुआ है... पर उखड़ा उससे कुछ भी नहीं...
सुशील - अबे तुम सब काओं काओं बंद करो... लो यह अब हो गया...
सब - क्या... हो गया...
सुशील - हाँ... हो गया..
रॉकी - चलो डेमो दिखाओ...

सुशील - यह देखो... इसमें कुछ काग़ज़ के चिट डालेंगे.... ऐसे (काग़ज़ के चिट डालते हुए) अब मैं स्विच ऑन करता हूँ...

स्विच ऑन करते ही वह ग्लोब आढ़ा टेढ़ा सीधा उल्टा हो कर घूमने लगता है फिर उसमें से एक चिट बाहर निकालता है l रॉकी वह चिट उठा कर देखता है उसमें नंदिनी का नाम लिखा हुआ है l यह देख कर सभी ताली बजाते हैं l

आशीष - फ़िर भी एक लोचा है...
सब - क्या...
आशीष - बीएससी फर्स्ट ईयर बैच के स्टूडेंट्स के बीच यह कंपटीशन है... क्या सभी अपना नाम चिट पर लिख कर डालेंगे...
रवी - हाँ.. यह एक पॉइंट है...
रॉकी - ठीक है... एक तरकीब लगाऊंगा... प्रिन्सिपल से करवाऊंगा...
राजु - क्या तेरा तरकीब... काम करेगा... वह रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है...
रॉकी - मुझे तो लगता है... जरूर करेगी... पहले से ही हम जानते हैं... वह अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है... इसलिए मेरा दिल कहता है... वह ज़रूर करेगी...
रवि - लो कर लो बात... दिल कह रहा है इसका...
आशीष - हाँ उसके दिल के हिसाब से चलते हैं... आखिर यह तो मानना ही पड़ेगा... लड़की अपने हीरो से अभी अभी इम्प्रेस तो हुई है...
सब - ह्म्म्म्म... तो फिर ठीक है...
रॉकी - कोई दुसरा पॉइंट भी है क्या...
आशीष - हाँ... वह खुद को रूप कहलाना पसंद नहीं करती... तो उसकी चिट में वह अपना क्या नाम लिखेगी... रूप नंदिनी.. या सिर्फ़ नंदिनी...
रवि - वह जो भी लिखे... नाम तो उसका ही आना है ना...
सुशील - लो लग गए लौड़े.... अबे तो अब तक मैं क्या यहाँ झक् मार रहा था... (रॉकी के तरफ देख कर) आशीष सही बोल रहा है हीरो... लड़की पहले ही दिन से अपने नाम पर सबको कंफ्यूज कर रखा है...
रॉकी - हाँ यह भी पॉइंट है...
आशीष - और एक बात... चिट निकलने के बाद... अगर लड़की ने यह कहा कि... चिट उसकी नहीं है... तो...
रॉकी - ह्म्म्म्म... फ़िर...
राजु - फ़िर क्या... उसका भाई वीर सिंह और विक्रम सिंह... हमारी ही हाथों से... हमारी मैयत उठवाएंगे...
रॉकी - हम्म्म....
सभी - देख रॉकी... हम कहीं जोश जोश में... लोचा कर गए... तो लेने के देने पड़ जाएंगे...
रॉकी - ठीक है... देखो अपना सिस्टम तैयार है... बाकी उन लड़कियों की बैच.... कैसे इनवल्व होगी... मैं प्रिन्सिपल से मिलकर कोई रास्ता बनाता हूँ....

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ESS ऑफिस

वीर अपनी कैबिन में चहल कदम कर रहा है l उसे एक कोने से दुसरे कोने तक चहल कदम करते हुए अनु अपने दाएं हाथ की नाखुन को दांतों तले दबा कर देख रही है I वीर अपनी दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ की हथेली पर मारते हुए घूमना शुरू कर देता है l यह देख कर अनु घबराते हुए अपनी वैनिटी पर्स से स्माइली बॉल्स झट से निकाल कर वीर को देखने लगती है l जब वीर उसे नहीं देखता तो धीरे से अनु वीर को आवाज देती है

अनु - राज कुमार जी... (वीर नहीं सुनता) अहेम... अहेम... (वीर फिर भी नहीं सुनता) राजकुमार जी... (थोड़ी ऊँची आवाज़ में)
वीर - (अनु की ओर देखते हुए) क्या हुआ अनु जी...
अनु - (रुक रुक कर) वह.. आप... कुछ... त.. तनाव में दिख रहे हैं... (बॉल दिखा कर) यह.. यह लीजिए...
वीर - (उसे देखने लगता है, क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आता) हूँ... (बस इतना ही कह पाता है)
अनु - लीजिए ना...
वीर - (थोड़ा मुस्कराते हुए) अनु.. जी.. मैं एक दिन बॉल पकड़ुंगा... पर अभी टाइम नहीं आया है... जब आएगा... जमके पकड़ुंगा... कसके पकड़ुंगा और दबाके पकड़ुंगा.... वादा रहा... पर अब मैं कुछ और सोच रहा हूँ...
अनु - क्या.. आप और क्या सोच रहे हैं...
वीर - मैं यह सोच रहा हूँ... की कौनसा भेष बदलुं... और कितने बजे जाऊँ... सब को चेक करने के लिए...
अनु - (अपना सिर हिलाते हुए) ओ... ह्म्म्म्म...

तभी टेबल पर रखी वीर की मोबाइल बजने लगती है l अनु जाती है और मोबाइल फोन लाकर वीर को देती है l

वीर - अरे अनु जी... आप हमारी पीए हैं... आप रीसीव लीजिए... और बात कीजिए... पूछिए कौन है... क्या काम है... सब समझने के बाद... हमे दीजिए...
अनु - जी... (तब तक रिंग बंद हो जाती है) ओह... लगता है फोन कट गया...
वीर - कोई नहीं... मोबाइल पर नाम दिखा तो होगा ना...
अनु - हाँ... महांती कमीना... ऐसा कुछ लिखा था...
वीर - (फौरन अनु की हाथ से मोबाइल ले लेता है) देखो अनु... अब मैं जो कहूँ... उसे ध्यान से सुनना और याद रखना... महांती, युवराज और छोटे राजा नाम दिखे तो सीधे फोन को मुझे दे देना... बाकी जिसकी भी आए... तो तुम ही उठाना... बात करना... समझना और मुझे समझा कर दे देना... समझी...

अनु अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, फोन फिर से बजने लगती है, इसबार भी डिस्प्ले में महांती कमीना दिखता है l अनु वीर को मोबाइल बढ़ा देती है l

वीर - (मोबाइल लेते हुए) गुड... (महांती का कॉल उठाते हुए) हाँ महांती बोल... क्या बात है...
महांती - एक बहुत बड़ी इंफॉर्मेशन हाथ लगी है... मेयर साहब... मेरा मतलब छोटे राजाजी पर आज हमला हो सकता है... युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ पर पर वह मिल नहीं रहे हैं... वह कहाँ हैं...
वीर - हाँ वह... छोटे राजा जी के साथ पार्टी मीटिंग अटेंड करने... पुरी में स्थित पार्टी ऑफिस गए हैं... वह छोटे राजाजी के साथ हैं...
महांती - छोटे राजा जी पर हमला हो सकता है... उन लोगों ने स्पॉट देख ली है... रूट पर वह लोग थोड़े कंफ्यूज हैं... यह बात युवराज जी का जानना जरूरी है...
वीर - ठीक है... वह लोग पार्टी मीटिंग में होंगे... इसलिए उनके फोन शायद रीसेप्शन में डिपोजिट होंगे... मैं मैसेज किए देता हूँ... आप भी कर कीजिए...
महांती - क्या हम पार्टी ऑफिस में मैसेज कर दें...
वीर - नहीं... नहीं हो सकता है... कोई वहाँ पर उनकी रेकी कर रहा हो... मैं मैसेज कर देता हूँ... और कोशिश करता हूँ... वहाँ मीटिंग में पहुंचने की...
महांती - हाँ यह बढ़िया है... पर जल्दबाजी में मत जाइएगा... हो सकता है.... आपकी जल्दबाजी देख कर वह अपना प्लान बदल दें... एक काम लीजिए... आप पूरी कनाल रोड पर जाइए.... मैं ओल्ड भुवनेश्वर रोड से पूरी जाता हूँ...
वीर - ठीक है...(फोन काट देता है, और अनु को देखते हुए) तुम यहाँ पर रुको... और फोन वगैरह आए तो अटेंड करो... ठीक है...
अनु - जी ठीक है...

वीर वहाँ से हल्दी में निकल जाता है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

XXX पार्टी ऑफिस
मीटिंग खतम हो जाता है l उसके बाद पिनाक सिंह और विक्रम सिंह रीसेप्शन में जमा किए हुए अपने फोन वापस लेते हैं l विक्रम अपने फोन पर देखता है महांती और वीर के बहुत से मिस कॉल हैं l विक्रम महांती को फोन लगाता है l

महांती - (फोन उठाकर) हैलो युवराज जी...
विक्रम - हाँ महांती... इतने मिस कॉल...
महांती - सर... उन्होंने... अपना स्पॉट चुन लिया है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... एक मिनट... पहले मैं गाड़ी में पहुँच जाऊँ... (विक्रम अपनी गाड़ी में आ जाता है) हाँ अब बोलो...
महांती - मैं यह कह रहा था... उन लोगों ने स्पॉट फिक्स कर लिया है...
विक्रम - कौनसे रूट पर...
महांती - वे लोग दो रूट पर... घात लगाएंगे... पहला पुरी कनाल रोड पर... दुसरी भुवनेश्वर पुरी रोड पर...
विक्रम - मतलब... छोटे राजा जी के पुरी से आते वक़्त... हमला हो सकता है...(मोबाइल पर वीर की कॉल आ रहा है) यह राजकुमार भी बार बार फोन कर रहे हैं...
महांती - वह आप ही के पास जा रहे हैं... मैं भी ऑन द रोड हूँ...
विक्रम - ठीक है... मैं उन्हें भी कंफेरेंश में ले लेता हूँ.... (वीर को कंफेरेंश में ऐड करने के बाद) हाँ राजकुमार जी...
वीर - क्या आपकी महांती से बात हो गई...
विक्रम - हाँ हो रहा है... और आप अभी कांफ्रेंस में हैं...
वीर - ठीक है... फिर आप छोटे राजा जी को... कांफ्रेंस में ले लीजिए... हम भी अपना प्लान सेट करते हैं...
विक्रम - ओके... लाइन पर रहीए... (विक्रम पिनाक को कंफेरेंश में लेने की कोशिश करता है पर उसका फोन बिजी आता है) शीट...
महांती और वीर - क्या हुआ...
विक्रम - उनका फोन बिजी आ रहा है...
महांती - ठीक है... आप तो उनके साथ हैं ना...
विक्रम - हाँ.. पर दुसरे गाड़ी में...
महांती - ठीक है... अब हमें मालूम है क्या होने वाला है... वह लोग हमारे सर्विलांस में हैं... अब बताइए हमे क्या करना है...
विक्रम - महांती... हम उन्हें इसबार फैल करते हैं....
वीर - फैल करते हैं मतलब...
विक्रम - इस बार हम उन्हें नहीं दबोचेंगे... बल्कि हम रास्ता बदल देंगे...
महांती - कौनसा रास्ता लेंगे फिर...
विक्रम - पुरी रामेश्वर रोड पर... हम रामेश्वर रोड से जा कर एनएच पर निकलेंगे...
वीर - इससे फायदा...
विक्रम - हमारा दुश्मन एक घोस्ट है... वह कौन है... उसकी प्लानिंग क्या है... हम नहीं जानते... जैसा कि महांती ने पहले ही बता चुका है... वह घोस्ट, अपने ही आदमियों से भी छुपा हुआ है... उसके एक दो प्लान ऐसे फैल कर देने से... वह बौखलाएगा... बिलबिलाएगा... तब वह गलती करेगा...
महांती - तब शायद वह बाहर भी निकल सकता है...
विक्रम - हाँ...
वीर - बढ़िया... तो अब हम क्या करें...
विक्रम - एक मिनट छोटे राजा जी का कॉल आ रहा है... मैं उन्हें कांफ्रेंस में लेता हूँ... (कांफ्रेंस में लेने के बाद) छोटे राजा जी... आज आप पर दोबारा हमला होने वाला है...
पिनाक - तो चलो धर दबोच कर नर्क दिखाते हैं उन्हें...
विक्रम - नहीं छोटे राजा जी... हमे उस हराम खोर के चमचों के बारे में पता है... पर उस अदृश्य दुश्मन के बारे में नहीं... हम उसका प्लान फैल कर देते हैं...
पिनाक - नहीं ऐसा नहीं हो सकता... अगर उसे मालुम हुआ तो खिल्ली उड़ाएगा...
विक्रम - नहीं उड़ाएगा... हम एक रुटीन प्रोसिजर बना कर रूट बदलेंगे... आज उसका प्लान फैल हुआ तो... वह चिढ़ जाएगा... तब शायद कोई गलती भी करेगा... हो सकता है... उसे सामने आना पड़े...
पिनाक - ठीक है युवराज... चाहे कुछ भी हो... मुझ पर भगोड़ा का छाप लगनी नहीं चाहिए...
विक्रम - नहीं लगेगा... आप अपने ड्राइवर से कहिए... वह गाड़ी को रामेश्वर रोड पर ले जाए... और राजकुमार... आप वापस ऑफिस जाओ... महांती तुम भी पहुंचो... हम रामेश्वर रोड पर छोटे राजा जी को लेकर ऑफिस पहुँचते हैं....
दोनों - ओके...

विक्रम फोन काट देता है l पिनाक सिंह अपने ड्राइवर को रामेश्वर रोड पर ले जाने को बोलता है l ड्राइवर भी अपनी गाड़ी को रामेश्वर रोड की ओर मोड़ देता है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____*

कॉलेज की कैन्टीन में छटी गैंग मस्ती कर रही है l तभी कैन्टीन की माइक पर प्रिन्सिपल की आवाज गूंजने लगती है l

प्रिन्सिपल - हैलो स्टूडेंट्स... मैं आपका प्रिन्सिपल बोल रहा हूँ... बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स आप लोग तुरंत असेंबली हॉल में पहुंचे... आपके पास सिर्फ़ दस मिनट है... जो नहीं आयेंगे... उनको पनीश्मेंट दी जाएगी... सो डोंट बी लेट... बी हर्री...
बनानी - व्हाट... लो फ्रेंड्स... ब्रेक का सत्यानाश हो गया...
दीप्ति - कुछ भी हो... जाना तो पड़ेगा ही... वरना पता नहीं बुढ़उ ने क्या पनीश्मेंट सोचा होगा...
तब्बसुम - हाँ यार... बुड्ढे को सिर्फ बनानी को ही शॉक से उबार ने का प्लान बनाना चाहिए था... क्यूँ के शॉक तो उसे लगा था ना...
बनानी - अपना मुहँ बंद रख... यह मत भूलो... मेरे साथ तुम सभी भी शॉक्ड थे...
भाश्वती - पर फायदा क्या... चिट में तो किसी एक का नाम आएगा... कितना अच्छा होता ना... अगर हम सब मिलकर एफएम में टास्क पुरा करते...
इतिश्री - कमाल है... हम सब तब से चपड़ चपड़ करते जा रहे हैं... पर राजकुमारी जी हैं कि चुप्पी साधे हुए हैं...
नंदिनी - (इतिश्री की हाथ में जोर से चिकोटी काटते हुए) कमीनी अगर फिर कभी नंदिनी के वजाए...
इतिश्री - आ... आ... ह्ह्ह्... (चिल्लाने लगती है)
नंदिनी - राजकुमारी कहा तो... तेरी ऐसी कुटाई करूंगी के तुझे तेरी छटी का दुध याद आ जाएगी...(छोड़ देती है)
इतिश्री - उई माँ... (अपने हाथ को मलते हुए) डायन कहीं की... थोड़ी देर और ऐसे ही रहती तो... मांस ही बाहर आ जाती...
बनानी - ओह ओ... अब छोड़ो भी यह सब... इससे पहले कि प्रिन्सिपल दोबारा माइक पर भोंकने लगे... हमें असेंबली हॉल में पहुँच जाना चाहिए...
दीप्ति - हाँ हाँ... जल्दी चलो... देखें तो सही वहाँ होता क्या है...
नंदिनी - ठीक है.. चलो... अपनी पंचायत हम कल बिठायेंगे...
सब - हाँ हाँ चलो चलो...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी

दास एक अर्दली के साथ अंदर आता है l अर्दली के हाथ में खाने की थाली है वह विश्व के पास थाली रखते कर बाहर चला जाता है l विश्व एक नजर दास को देखता है फ़िर किताबों में घुस जाता है l

दास - विश्व... खाना खा लो यार...
विश्व - (किताबों से सिर बाहर निकाल कर) दास बाबु... जो आप कहने आए हैं... वह कह दीजिए... मैं बाद में खा लूँगा...
दास - तुम्हें कैसे मालुम हुआ... मैं कुछ कहने आया हूँ...
विश्व - रोज आप अर्दली के साथ चले जाते थे... आज आप रुक गए हैं...
दास - तकल्लुफ मत करो... तुम खाना खा लो... मैं... मैं यहाँ इंतजार कर लेता हूँ...
विश्व - दास बाबु... बात तकल्लुफ की ही है... साथ खाना खाने बैठे होते... तो बात अलग थी... मैं खाना खाऊँ और आप खड़े हो कर देखते रहें... मुझे ऐंबार्समेंट फील होगा... प्लीज... आप ही का जैल है... और मैं यहाँ कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ...
दास - हमारे संस्कार में... मेहमान का दर्जा जानते हो ना...
विश्व - गलती हो गई... खुद को मेहमान कह गया... मुहँ से निकल गया... फिर भी... खाना बाद में हो जाएगा... आप पहले क्या कहने आए थे... यह बताइए...
दास - ओके... तुम जीते मैं हारा... (कह कर विश्व के सामने बैठ जाता है)
विश्व - अब तो कह ही दीजिए... बात क्या है...
दास - यह... आज... हमारा... आखिरी मुलाकात है...
विश्व - क्यूँ... आपका कहीं ट्रांसफ़र हो गया क्या....
दास - हाँ... मैंने पहले भी... सेनापति सर जी से मना किया था... पर उन्होंने मेरे बारे में कुछ रिपोर्ट बना कर... डीपीसी भेज दिया था...
विश्व - डीपीसी... यह डीपीसी क्या होता है...
दास - डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी...
विश्व - ओ... तो... आप प्रमोशन में जा रहे हैं...
दास - हाँ... डबल प्रमोशन... आईआईसी बन जाऊँगा... कल ही मुझे अंगुल ट्रेनिंग ऑफिस में तीन महीने ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना है... और जब ट्रेनिंग खतम होगी... पता नहीं फिर कहाँ पर पोस्टिंग होगी... फिर मिलना होगा या नहीं... इसलिए...
विश्व - ओ.. वाव... कंग्रेचुलेशन दास सर... यह तो खुशी की बात है...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - (उसे देख कर) क्यूँ आपको यह प्रोमोशन नहीं चाहिए था क्या...
दास - नहीं ऐसी बात नहीं... मुझे यह थोड़ी देर बाद मिलता तो अच्छा लगता...
विश्व - (अपना सिर थोड़ा पीछे लेता फिर आगे कर हँसते हुए कहता है) दास बाबु... थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
दास - किस बात के लिए थैंक्यू...
विश्व - दास बाबु... आपने मुझे अपना दोस्त समझा इसलिए...
दास - (अपना सिर नीचे कर लेता है)
विश्व - सच पूछिये तो आप जैसा ईमानदार, साहसी लोग.. समाज के उन हिस्सों में होना चाहिए... जहां... लोग पुलिस के बारे में चुटकुले बनाने के वजाए...या गाली देने के वजाए.. उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ें...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - आप तो जानते हैं ना दास बाबु... सैनिकों को प्रथम पंक्ति के सुरक्षा बल कहा जाता है... क्यूंकि वह लोग देश की सीमा व अखंडता का रक्षा करते हैं... और पुलिस को द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा बल... क्यूंकि वह आंतरिक धर्म, विश्वास व न्याय की रक्षा करते हैं... जरा सोचिए अगर राजगड़ में एक ऑफिसर आप जैसा होता... तो... आज विश्व कभी यहाँ विश्वा भाई ना होता...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - जानते हैं... मुझे दीदी हमेशा एक बात कहा करती थी... हम जिस समाज का हिस्सा हैं... वह समाज भले ही हमें छोड़ दे... पर उस समाज को हम छोड़ नहीं सकते... खास कर तब.. जब समाज को हमारी जरूरत हो... पर यह निर्णय समाज को नहीं हमे खुद करना चाहिए...
दास - ठीक है ... ठीक है... अगर ज्यादा देर यहाँ बैठा... तो तुम्हारा भाषण बंद नहीं होगा... मैं चलता हूँ... मैं बस यह कहने आया था... की मैं कहीं भी रहूँ... किसी तरह की काम पड़ जाए... तो हिचकिचाना मत... (आवाज़ भर्रा जाता है)

बड़ी कोशिशों के बावजूद दास अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाता इसलिए जल्दी से उठ कर वहाँ से जाने लगता है l विश्व अपनी जगह से उठ कर दास के बैठे हुए जगह पर जाता है l वहाँ टेबल पर कुछ आँसुओं के बूंद दिखाई देती है l विश्व उन बूँदों पर अपना हाथ फेरते हुए

विश्व - एक मिनट दास बाबु... (दास रुक जाता है) आप का मैं आभारी रहूँगा...
दास - (बिना पीछे मुड़े) वह क्यूँ...
विश्व - आप चौथे व्यक्ति हैं... जो मेरे लिए दिल से आँसू बहाए हैं...

दास ना कुछ कहता है ना ही कुछ सुनता है l बिना पीछे मुड़े बिना विश्व को देखे उस लाइब्रेरी से निकल जाता है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

असेंबली हॉल,
स्टेज पर माइक पर प्रिन्सिपल खड़ा है और स्टेज के बीचों-बीच रॉकी एंड ग्रुप खड़े हैं l उनके सामने एक बड़ा सा ग्लोब जैसा जाली नुमा बॉल एक स्टैंड के साथ अटैच है l

प्रिन्सिपल - वेलकम टु ऑल... अब एक काम कीजिए... मेरे बाएँ तरफ सभी लड़के आ जाएं... और मेरे दाएँ तरफ सभी लड़कियाँ आ जाएं...

हॉल में मौजूद सभी स्टूडेंट्स वही करते हैं l लड़के एक तरफ आ जाते हैं और लड़किया एक तरफ हो जाती हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप सबको वल्युंटीयर्स एक एक चिट देंगे... आप सब अपने अपने दोस्त का नाम लिखें... और हाँ जो भी यहाँ मौजूद है उनके नाम की चिट हमारे पास मिलनी चाहिए... अगर नहीं मिली... तो उनको पनीश किया जाएगा...

स्टेज से राजू और सुशील काग़ज़ लेकर सभी स्टूडेंट्स को देने लगते हैं l

आशीष - तो यह तेरा प्लान था... जाहिर सी बात है उसके दोस्त उसका नाम जो लिखेंगे... तुमको खबर हो जाएगा...
रॉकी - (हँसते हुए) हाँ...
आशीष - अगर उसकी चिट गायब हो गई तो...
रॉकी - नहीं होगी...
आशीष - कैसे....
रॉकी - तु बस देखता जा...

राजु और सुशील सारे चिट बांट कर वापस स्टेज पर पहुँच जाते हैं l

प्रिन्सिपल - अब सब अपने अपने दोस्त के नाम लिखो... और ध्यान रहे जिसका नाम नहीं मिलेगा... उसको पनीश्मेंट मिलेगा...

ल़डकियों के बीच
तब्बसुम - चलो चलो हम में से डिसाइड करो... कौन किसका नाम लिखेगा...
दीप्ति - हाँ... हम छह हैं... पर हमे तीन जोड़ी में बंट जाना है...
नंदिनी - ठीक है... मैं बनानी का नाम लिखती हूँ... बनानी मेरा नाम लिखेगी... तब्बसुम दीप्ति का नाम लिखेगी और दीप्ति तब्बसुम का नाम... और फाइनली.. भाश्वती इतिश्री का नाम और इतिश्री भाश्वती का नाम...
सभी - ओके

लड़कियाँ अपनी अपनी चिट लिख कर फ़ोल्ड कर देते हैं l

प्रिन्सिपल - अब उन चिट को... ल़डकियों के तरफ से नंदिनी कलेक्ट करेंगी... और लड़कों के तरफ से xxxxx कलेक्ट करेंगे... इसलिए आप सब उन्हें अपनी अपनी चिट दें....

नंदिनी पहले हैरान हो जाती है फिर खुशी से सबकी चिट कलेक्ट करती है l दोनों ग्रुप की चिट कलेक्शन हो जाने के बाद नंदिनी और xxxxx स्टेज पर आते हैं l रॉकी उस ग्लोब का ढक्कन खोल देता है l और सारे चिट्स उसमें डालने को कहता है l दोनों वही करते हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप दोनों अपने दोस्तों के पास जा कर बैठ जाएं... (दोनों स्टेज से उतर कर अपने अपने दोस्तों के पास चले जाते हैं) आज इन चिट्स के बीच एक नाम को लकी ड्रॉ के जरिए एफएम रेडियो के जॉकी सुरेश साहब निकलेंगे... (सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाने लगते हैं) आइए सुरेश साहब...

सुरेश स्टेज पर आता है l और उस सिस्टम को ऑन करता है जिसमें वह ग्लोब अटैच था l ग्लोब थोड़ी देर घूमने के बाद एक चिट बाहर गिरती है l सुरेश वह चिट प्रिन्सिपल को दे देता है l

प्रिन्सिपल - हाँ तो इस चिट में जिनका नाम आया है... मैं उनको पहले बधाई देता हूँ... आप हैं... मिस रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल...

सभी स्टूडेंट्स तालियाँ बजाने लगते हैं l स्टेज पर मौजूद सभी लोग और प्रिन्सिपल भी ताली बजाने लगते हैं l लड़कियाँ सभी नंदिनी को बधाई देते हैं और चीयर करने लगते हैं l

नंदिनी अपना नाम सुन कर पहले से ही शॉक थी l उस पर सब उसे जिस तरह से बधाई दे रहे हैं l वह नर्वस फिल करने लगती है l

प्रिन्सिपल - आइए नंदिनी जी... स्टेज पर आइए...

नंदिनी बड़ी नर्वस नेस के साथ स्टेज पर जाति है l स्टेज पर पहुंचते ही उसके सारे दोस्त चीयर करते हुए हूटिंग करते हैं l

प्रिन्सिपल - मिस. नंदिनी.. क्या आप नर्वस फिल कर रही हैं...
नंदिनी - जी.. जी सर...
प्रिन्सिपल - जीवन में कई चुनौतियाँ आयेंगी... इससे भी बड़े बड़े... इसे आप स्वीकार करने का साहस करें... फिर सभी आसान हो जाएगा...
नंदिनी - जी...
प्रिन्सिपल - तो आपको आज टास्क सुरेश जी देंगे... और इन दो दिनों में यहाँ पर एक टेंपोररी साउंड प्रूफ़ स्टूडियो बनाया जाएगा... आप लोग यहाँ पर लाइव देख व सुन सकें... (सभी स्टूडेंट्स फिर से तालियां बजाने लगते हैं) (प्रिन्सिपल हाथ दिखा कर इशारे से ताली रोकने को कहता है, ताली रुक जाती है) हाँ... तो सुरेश साहब... दीजिए इन्हें एक टास्क...(माइक से हट जाता है)
सुरेश - (माइक पर आकर) पहली बात... नंदिनी जी आप घबराएँ नहीं... यह टास्क ही सही... पर यह एक एक्सपोजर भी है... आप अपने भीतर एक नए व्यक्तित्व को ढूंढेंगी... सो प्लीज बी नॉर्मल... शांत हो जाइए...
नंदिनी - जी... जी मैं.. ठीक हुँ...
सुरेश - गुड... तो क्या मैं आपको टास्क दूँ...
नंदिनी - श्योर...
सुरेश - तो दोस्तों... मैं आज आपके सामने मिस नंदिनी जी को... एक टास्क दे रहा हूँ... वह शनिवार को बारह बजे के बाद... रेडियो एफएम 97 में... मेरे साथ लाइव रहेंगी... और उस दिन वह प्रेजेंट करेंगी एक विषय
"HUMAN EVOLUTION TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMEN"
यानी मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत...

कुछ देर के लिए हॉल में सन्नाटा पसर जाता है l पहले प्रिन्सिपल ताली बजाता है फिर सभी लोग ताली बजाने लगते हैं l पुरा का पुरा हॉल तालियों से गूंजने लगती है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ESS ऑफिस
कंफेरेंश रूम में महांती, विक्रम, वीर और पिनाक बैठे हुए हैं l पिनाक सिंह अपनी मुट्ठी को टेबल पर धीरे धीरे ठोक रहा है l

विक्रम - आप इतना खीज क्यूँ रहे हैं...
पिनाक - आप समझ नहीं रहे हैं युवराज... ऐसा लग रहा है... जैसे हम अपना रास्ता इसलिए बदल दिया... वह भी किसीके डर से...
विक्रम - हम चाहे कितने भी सहरी क्यूँ ना हो जाये... हम हैं तो जंगली ही... यह खेल शिकार और शिकारी वाला है... हमारा शिकार छुपा हुआ है... वह हमे छकाये हुए है... बस एक बार वह बाहर निकल जाए... फिर ऐसा शिकार होगा कि उसके पुश्तों तक के रूह कांप उठेगी...
पिनाक - खेल अगर शिकार और शिकारी वाला है... तो हमें उसे मौका देना चाहिए था... हम उसे बाहर निकालने के लिए चारा बनने के लिए तैयार हैं... पर बेचारा बन कर नहीं रह सकते...
महांती - गुस्ताखी माफ छोटे राजा जी... शेर भी कभी कभी शिकार करने से पहले दो कदम पीछे जाता ही है... हम डर कर नहीं... बल्कि उसे बौखलाने के लिए रास्ता बदला है... वह आपको ज़रूर फोन करेगा... आप बस उसे एहसास मत होने दीजियेगा... के हमें उसके प्लान का अंदाजा हो चुका था... वह आपको उसकायेगा... पर आप शांत रहें... आपका शांत रहना उसे और भी बौखलाएगा... और बौखलाहट उससे गलती करवाएगा...
वीर - हाँ... बहुत ही बढ़िया प्लान है... महांती बिल्कुल सही कह रहा है...
पिनाक - बस महफ़िल में आप ही की कमी थी... अच्छा हुआ... उगल दिए आपने वरना बदहजमी हो जाती आपको...
वीर - ओ... मेरे कुछ कहने से आपको अगर पसंद नहीं आ रहा... तो मेरा यहाँ रुकना बेकार है...
पिनाक - मैं नहीं हम कहिए... आप राजकुमार हैं...
वीर - हम का दम तब भरते... जब बंदे का इज़्ज़त हो...
विक्रम - राजकुमार... आप आपे से बाहर हो रहे हैं...
वीर - नहीं... अपने आप में आ रहे हैं... सॉरी

वीर वहाँ पर सबको बैठा छोड़ कर कांफ्रेंस रूम से निकल जाता है l

विक्रम - (पिनाक सिंह से) आखिर आप अपनी खीज... राजकुमार पर उतार ही दिया...
महांती - हाँ छोटे राजा जी... खबर मिलते ही... राजकुमार जी फौरन पुरी के लिए निकल पड़े थे...
पिनाक - वह हम थोड़ा... सॉरी... हम बाद में उनसे बात कर लेंगे...

तभी पिनाक सिंह की मोबाइल बजने लगता है l पिनाक मोबाइल के डिस्प्ले पर अन नोन कॉल देखता है l उस पर कोई नंबर नहीं दिखता है वह उस डिस्प्ले को विक्रम और महांती को दिखाता है l दोनों इशारे में बात करते रहने के लिए कहते हैं I

पिनाक - हैलो...
-X- क्या बात है... फोन उठाने में इतनी देरी... क्यूँ फट रही थी क्या...
पिनाक - फट तो तेरी रही है हरामजादे... सामने नहीं आ रहा है...
-X- बहुत जल्दी है मुझसे मिलने की... जिस देखेगा... उस दिन आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा...
पिनाक - अब एक बात का कंफर्म हो गया... तु ज़रूर किसी फटीचर सर्कस में जोकर रहा होगा... सिर्फ़ जोक मारने के सिवा कुछ भी नहीं आता तुझे...
-X- उस दिन की गोली बारी मजाक लग रहा है तुझे... याद है ना... गाड़ी बदली थी तुने... हाँ यह बात और है... घर जा कर चड्डी भी बदला होगा तुने... जो न्यूज वालों ने बताया नहीं किसी को...
पिनाक - तो भोषड़ी के... फिर हमला क्यूँ नहीं करवा रहा है... कौनसे बिल में छुप कर भौंक रहा है....
-X- भौंक नहीं रहा हूँ... दहाड़ रहा हूँ... बहुत जल्द... सारा सहर देखेगा... तु रोड पर जान बचा कर भाग रहा होगा.... और कसम से टीवी पर यह लाइव चल रहा होगा...
पिनाक - क्षेत्रपाल से बात कर रहा है... मादरचोद क्षेत्रपाल से... बस एक बार मेरे सामने आजा... तुझे तेरी ही जुबान से फांसी पर टांग ना दिया... तो हम क्षेत्रपाल नहीं...
-X- ठीक है फिर बहुत जल्द तेरे सामने आऊँगा... पहचानना तो दूर तु जान भी नहीं पाएगा... तेरी ऐसी गांड मार कर जाऊँगा...
पिनाक - ठीक है आजा फिर...
-X- अरे वाह... बड़ी जल्दी है... मुझसे मरवाने की...
पिनाक - (चिल्लाता है) हरामजादे.... (फोन कट हो जाता है) तु बस एक बार सामने आ... हैलो.. हैलो...
विक्रम - क्या पता चला महांती....
महांती - यह एक इंटेरनेट कॉल था... बहुत चालाक है.... ना सिर्फ़ इसकी लोकेशन हर दस सेकंड में बाउंस कर रहा था... बल्कि उलझाने के लिए अपनी कॉल को हर नेटवर्क पर बारी बारी से शिफ्ट कर रहा था...
विक्रम - तो क्या हम उसे ट्रेस नहीं कर सकते...
महांती - क्यूँ नहीं कर सकते... अगली बार कॉल करेगा तो... उसकी एक्जाक्ट लोकेशन मिल जाएगी...
पिनाक - ठीक है... महांती... तुम बस उसका लोकेशन का पता लगाओ... फ़िर हम उसकी वह हश्र करेंगे... वह हश्र करेंगे....

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

वीर गुस्सा और नाराज होकर कांफ्रेंस रूम से निकल कर अपने कैबिन में आ कर बैठा हुआ है l कुछ देर बाद उसके कमरे में अनु कॉफी की कप लेकर अंदर आती है और वीर के सामने रख देती है l वीर के मन में पिनाक की कही बातें चल रही है l इसलिए उसे ध्यान नहीं रहता की उसके टेबल पर अनु ने कॉफी रख दिया है l अनु को एहसास होता है, वीर का मन ठीक नहीं है इसलिए वह फिर से अपनी पर्स से स्माइली बॉल निकाल कर वीर देखती है l उसे समझ में नहीं आता कि कैसे उन बॉल्स को वीर के हाथों में दे l इसलिए टेंशन में वह बॉल्स को दबाने लगती है l
कुछ देर बाद वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है तो अनु को स्माइली बॉल्स को दबाते हुए देखता है l

वीर - यह तुम क्या कर रही हो...
अनु - जी (अपने हाथ में बॉल देख कर) जी यह.. मैं वह.. आप.. कैसे...
वीर - क्या कह रही हो...
अनु - जी...मु.. मम्म्म्म.. मुझे समझ में नहीं आया.. यह बॉल कब और क.. कैसे.. आपके हाथ में दूँ...
वीर - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) लाओ बॉल दो... (अनु दे देती है)(वीर बॉल्स दबाने लगता है) तुम अभी दबा रही थी ना... क्यूँ...
अनु - वह आपको टेंशन में देख कर... मेरे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं...
वीर - (बॉल्स को दबाते हुए) अच्छा जब मैं यहाँ नहीं था... कुछ फोन वगैरह आया था...
अनु - जी.. जी नहीं... नहीं आया था...
वीर - (बॉल्स अनु को देते हुए) ह्म्म्म्म यह लो... रख लो... (अनु बॉल्स रख लेती है) अच्छा अनु... तुम मेरी क्या हो...
अनु - जी मैं आपकी... पीएस और पीए दोनों हूँ..
वीर - अच्छा.. तुम मेरे लिए यहाँ क्या करती हो...
अनु - जी आपके खाने पीने से लेकर वह सभी काम... जो आप मुझसे कहते हैं...
वीर - और छुट्टी के दिन...
अनु - छुट्टी के दिन तो छुट्टी होता है ना...
वीर - हाँ होता तो है... पर जानती हो... जो पर्सनल सेक्रेटरी या पर्सनल अस्सिटेंट होते हैं... वह चौबीस घंटे ड्यूटी पर होते हैं...
अनु - (हैरान हो कर) हे भगवान... तो फिर वह लोग खाते पीते सोते कब होंगे...
वीर - सब उनके बॉस के साथ ही करते हैं...
अनु - क्या...(और भी हैरान हो जाती है) सब उनके बॉस के साथ करते हैं...
वीर - अरे मेरा मतलब है... जब वह लोग अपने बॉस के साथ होते हैं... तो खयाल रखते हैं... और जब साथ नहीं होते तो फोन पर बात करते हुए खयाल रखते हैं...
अनु - ओ.. अच्छा... पर मेरे पास तो फोन है ही नहीं...
वीर - (अपनी टेबल का ड्रयर खिंचता है उसमे से एक मोबाइल निकाल कर अनु को देता है) यह लो... यह कंपनी के तरफ से... अपने बॉस के साथ चौबीसों घंटे टच में रहने के लिए...
अनु - (झिझकते हुए फोन लेती है) वह... असल में... मुझे मोबाइल चलानी नहीं आती...
वीर - क्या... तुम मेरी असिस्टेंट हो... सेक्रेटरी हो... तुम को यह सब नहीं आती...
अनु - (अपना सिर हिला कर ना कहती है)
वीर - व्हाट... तुम्हारा पनीश्मेंट में एक और पनीश्मेंट ऐड हुआ...
अनु - (रुआँसी हो जाती है)
वीर - (उसकी रुआँसी सुरत देख कर) ठीक है ठीक है... मैं इसबार माफ करता हूँ... यहाँ मेरे पास आकर बैठो... मैं तुम्हें मोबाइल चलाना सीखा देता हूँ... आओ यहाँ...

वीर अनु के हाथ खिंच कर अपनी कुर्सी के आर्म रेस्ट पर बिठा देता है और अनु के हाथ में मोबाइल थमा कर उसे चैटिंग और कॉल करने के बारे में समझाने लगता है
Nice update
 
  • Love
Reactions: Kala Nag

Kala Nag

Mr. X
4,279
16,628
144
👉अट्ठावनवां अपडेट
---------------------
शनिवार
सेंट्रल जैल
सुपरिटेंडेंट कैबिन

विश्व - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...
खान - आओ विश्व आओ... यार तुम अब सिर्फ़ महीने भर के लिए मेहमान हो... परमीशन लेने की कोई जरूरत नहीं है...
विश्व - सर यह ऑफिस है... यहाँ पर मिनिमम डेकोरम तो मेंटेन करना ही चाहिए...
खान - हर सवाल का जवाब... तुम्हारे पास तैयार रहता है...
विश्व - (कुछ नहीं कहता है, बस एक फीकी मुस्कान मुस्करा देता है)
खान - विश्व... एक बात पूछूं...
विश्व - जी...
खान - तुम आखिरी बार... कब हँसे थे...
विश्व - (थोड़ा असमंजस हो जाता है) (फिर थोड़ा संभल कर) पता नहीं सर...
खान - बुरा मत मानना... तुम्हारे चेहरे पर मुस्कराहट एक मुखौटा लगता है...
विश्व - जी... मैं मानता हूँ... पर सच, यह है सर... मुस्कराने के लिए या हँसने के लिए मेरे पास अभी कोई जायज वजह नहीँ है...

खान टेबल पर रखे एक थैला विश्व की बढ़ाता है l विश्व उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है l

खान - अरे यार... यह तुम्हारे कपड़े हैं... थोड़ी देर बाद... तुम्हारी मुहँ बोली माँ और मेरी मुहँ बोली बहन आ जाएंगी... इसलिए तैयार हो जाओ... हाँ... तुम कपड़े बदलने के लिए... मेरी टॉयलेट इस्तेमाल कर सकते हो...
विश्व - थैंक्यू सर...
खान - इट्स ओके... नाउ गो एंड गेट रेडी..

विश्व अपना सिर हिलाते हुए वह थैला उठा लेता है और अटैच बाथरूम में घुस जाता है l थोड़ी देर बाद कपड़े बदल कर बाहर आता है l तभी अर्दली आकर खबर करता है कि बाहर प्रतिभा आई हुई है l

खान - देखा... तुम्हारी माँ आ गई... चलो कम से कम मैं तुम्हें बाहर तक छोड़ आऊँ...

विश्व और खान बाहर आते हैं l बाहर प्रतिभा बेचैनी भरे निगाह में विश्व की इंतजार कर रही थी l विश्व को देखते ही जल्दी से उसके करीब आती है विश्व भी उसके तरफ जाता है l दोनों एक दुसरे के गले लग जाते हैं l

खान - अहेम अहेम अहेम... अगर माँ बेटे का मिलाप हो गया हो तो... (दोनों अलग होते हैं) थैंक्यू... तो मैं यह कह रहा था... कल शाम छह बजने से पहले... आपके बेटे को...
प्रतिभा - आप फ़िक्र ना करें... खान भाई साहब... अब प्रताप कल शाम को ही आएगा... और थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
खान - अच्छा... तो फिर मैं इजाज़त चाहूँगा... (कह कर खान वापस चला जाता है)

प्रतिभा विश्व की कान खिंचती है l विश्व दर्द से कराहता है l

विश्व - आह.. माँ.. दर्द हो रहा है... प्लीज छोड़ो ना...
प्रतिभा - जैल में तो नाई आता है ना... यह किस लैला के लिए दाढ़ी और बाल छोड़े हैं तुने...
विश्व - माँ.. वह पढ़ाई में बिजी था... इसलिए... प्रतिभा- (कान छोड़ कर) चल मेरे साथ... (विश्व को गाड़ी की ओर खिंच कर ले जाती है)
विश्व - कहाँ... घर...
प्रतिभा - नहीं पहले... सलून... फिर तेरे लिए कपड़ों और जुतों की मार्केटिंग... फिर हम दोनों बाहर खाना खायेंगे... घूमेंगे... फिर थक हार कर शाम को घर जाएंगे...
विश्व - अगर हम शाम को घर जाएंगे... तो सेनापति सर क्या करेंगे दिन भर.. (दोनों गाड़ी में बैठ जाते हैं)
प्रतिभा - तु उनकी चिंता ना कर... (गाड़ी स्टार्ट करते हुए) वह दिन भर नए घर की तलाश में रहेंगे...
विश्व - नए घर.... वह क्यूँ...
प्रतिभा - (गाड़ी चलाते हुए) हमें इसी महीने क्वार्टर खाली करना है... इसलिए रहने के लिए एक भाड़े का घर का इंतजाम करने गए हैं...
विश्व - ओ...
प्रतिभा - तेरे छूटने से पहले... मैंने उन्हें घर ढूंढने में लगा दिया है... इसलिए तु उनकी फिक्र ना कर... वह दिन भर इसी काम में बिजी रहेंगे... और हम माँ बेटे आपनी मस्ती में...

प्रतिभा की बातेँ सुन कर विश्व मुस्करा देता है l उसे अंदर से महसुस हो जाता है l प्रतिभा उसके साथ वक़्त बिताने के लिए कितनी बेताब है l

विश्व - तो माँ... पहले हम कहाँ जा रहे हैं...
प्रतिभा - कहा तो था....सलून... तुझे पहले हैंडसम डैशींग और जेंटलमेन बनाना है...
विश्व - क्यूँ... क्या मैं हैंडसम डैशींग और जेंटलमेन नहीं हूँ...
प्रतिभा - तु... तु अभी मुझे कोई मेंटलमेन लग रहा है...
विश्व - ओह माँ... आप तो ऐसे कह रही हो... जैसे मुझे कोई लड़की देखने जाना है...
प्रतिभा - तेरे मुहँ में घी शक्कर... कास के आज ऐसा ही हो...
विश्व - हे भगवान... क्यूँ ऐसी बातेँ सोच रही हो...
प्रतिभा - तु चुप रह... मैं जानती हूँ.. तु कहना क्या चाहता है... पर सुन ले... जब तक मैं अपनी पोते और पोतीयों को अपनी गोद में नहीं खिलाती... तब तक मैं इस दुनिया से जाने वाली नहीं हूँ...

विश्व अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझता है l वह प्रतिभा को देखने लगता है प्रतिभा गाड़ी चलाते हुए सामने देख रही है पर उसके चेहरे पर जो खुशी के एक अलग भाव झलक रहे हैं वह कितना शुद्ध, कितना निर्मल लग रहा है l विश्व अपनी नजर अब रोड की ओर कर देता है l चर्र्र्र्र्र्र गाड़ी रुक जाती है l विश्व देखता है सामने एक बहुत बड़ा सलून है l सलून को देखते ही विश्व समझ जाता है कि यहाँ बाल कटवाना बहुत महँगा होगा l

विश्व - माँ... कहीं और चलते हैं... यह देखो... सिर्फ़ बाल कटवाने के लिए पाँच सौ रुपये से शुरू हो रही है...
प्रतिभा - देख मार खाएगा मुझसे... तुझे मेरी खुशियों का कुछ भी खयाल नहीं.... चल चुप चाप अंदर चल...

प्रतिभा आगे आगे सलून के अंदर जाती है और विश्व भी उसके पीछे सलून के अंदर पहुँचता है l विश्व देखता है अंदर लड़के और लड़कियाँ सभी एक यूनीफॉर्म में हैं l एक खूबसूरत लड़की प्रतिभा के सामने आती है

लड़की - यस मैम... व्हट कैन वी डु फॉर यु...
प्रतिभा - (विश्व को दिखाते हुए) यह मेरा बेटा है... इसके बाल और दाढ़ी बनवानी है...
लड़की - श्योर मैम...

दो लड़कीयाँ आकर विश्व की बांह पकड़ कर ले जाने लगते हैं तो विश्व अपनी बांह छुड़ा कर प्रतिभा के पीछे चला जाता है l प्रतिभा उसे अपने सामने खिंच कर लाती है

प्रतिभा - अरे... तु शर्मा क्यूँ रहा है... गर्ल्स.. इसे ले जाओ... यह बहुत शर्मिला है...

वहाँ पर जितने भी लड़कियाँ थी सभी खिलखिला कर हँसने लगे l विश्व फिर भी आनाकानी करने लगता है तो प्रतिभा उसे आँखे दिखाती है l विश्व अपना मन मार कर उन लड़कियों के साथ चला जाता है l प्रतिभा वहीँ पर बैठ कर मैग्ज़ीन पलट ने लगती है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

अनु के घर में,
अनु अपनी यूनीफॉर्म पहन कर ऑफिस जाने के लिए तैयार है l अभी वह अपनी हाथ में मोबाइल ले कर नाश्ता कर रही है l खाना खाते वक़्त वह बीच बीच में मोबाइल देख रही है l

दादी - चुप चाप तु नाश्ता नहीं कर सकती... यह बीच बीच में फोन को आईना बना कर क्यूँ देख रही है... जिस दिन से लाई है... उसी दिन से फोनमें घुसी पड़ी है...
अनु - तु नहीं जानती दादी... इस फोन को सम्हालने के लिए भी मुझे तनख्वा मिलती है... इसलिए बार बार देख रही हूँ...
दादी - अरे पागल लड़की... इसे अपने पर्स में रख... जब बजना होगा तब बजेगा... तब निकाल कर देख लेना...
अनु - नहीं नहीं.. मैं ऐसा नहीं कर सकती... कहीं राजकुमार जी का कोई मैसेज आ गया तो...
दादी - हाँ हाँ... एक तुझे ही मिले हैं... राजकुमार... अरे मुई... उनको कोई काम धंधा नहीं है क्या... तुझे ही मैसेज करते फिरेंगे...

तभी अनु की मोबाइल में टुँन.. टुणुन... की ट्यून आती है l मोबाइल स्क्रीन पर राजकुमार डिस्प्ले होता है l अनु मैसेज देखते ही मोबाइल अपनी दादी को दिखा कर

अनु - देखा... अभी अभी राजकुमार जी ने मुझे मैसेज किया है... अगर पर्स में रखती तो मालुम कैसे होता मुझे...
दादी - क्यूँ... सुनाई नहीं देता तुझे...
अनु - हाँ सुनाई तो देता... पर... चलो पहले मैं देख तो लूँ... आखिर उन्होंने मैसेज किया क्या है....

अनु अपना हाथ साफ करने के बाद मोबाइल की लॉक खोल कर मैसेज दिखती है

वीर - कहाँ हो तुम...

जी घर में - अनु

वीर - जानती हो ना... हमें आज भेष बदल कर चेकिंग के लिए जाना है...

हाँ याद है... मैं अभी ऑफिस के लिए निकल रही हूँ... - अनु

वीर - नहीं नहीं... एक काम करो... मैं तुम्हारे मुहल्ले से थोड़ी दुर मार्केट के xxxx दुकान के बाहर गाड़ी लेकर आया हूँ... तुम सीधे आकर गाड़ी में बैठ जाना... और हाँ... यह बहुत सीक्रेट है... किसीको बताना मत...

ठीक है... अभी निकलती हूँ... - अनु

मोबाइल अपनी पर्स में रख कर जल्दी जल्दी निकलती है l उसे जल्दी जल्दी जाते देख उसकी दादी उसे आँखे फाड़े देखती है l

उधर वीर कभी रियर व्यू मिरर तो कभी साइड मिरर पर देख रहा है l उसे कुछ देर बाद रियर मिरर में अनु दीखती है l अनु के दीखते ही वीर की चेहरा खिल जाता है l अनु आकर पहले गाड़ी के पास खड़ी होती है फिर बाएं तरफ जाकर खिड़की से झाँक कर देखती l वीर को देखते ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट खिल उठता है l वह कार की दरवाजा खोल कर वीर के बगल वाली सीट पर बैठ जाती है l अनु के बैठते ही वीर गाड़ी को उस मार्केट से दुर दौड़ा देता है l

वीर - तो अनु तैयार हो...
अनु - जी... पर हम कौनसे भेष बदलेंगे... और हम कहाँ पर भेष बदलेंगे...
वीर - कौनसा भेष... यह तो वहाँ जा कर पता चलेगा... जहां हम जा रहे हैं.. वहाँ पर मैंने तुम्हारे लिए कुछ भेष सिलेक्ट कर लिया है... पहुँचते ही भेष बदलेंगे...
अनु - अच्छा... तो आप क्या बनने का फैसला किया है...
वीर - पता नहीं... वहाँ पहुँच कर डीसाइड करेंगे... (अनु सोच में देख कर) क्या सोच रही हो...
अनु - मैं सोच रही हूँ.... कौनसा भेष बदलना है...
वीर - अच्छा... तुम सोच रही हो... कौनसा...
अनु - माता पार्वती जी का...

चर्र्र्र्र्र्र्र वीर गाड़ी में ब्रेक लगाता है l वीर अनु को ऐसे देखता है जैसे उसे जोरदार शॉक लगा हो l

वीर - क्या कहा... माता पार्वती जी का...
अनु - (चहकते हुए) हाँ... एक बार मैंने नाटक में देखा था... उनके केश खुल जाते हैं... आँखे बड़ी हो जाती है और (अपनी माथे की ओर दिखाते हुए) यहाँ पर... ये बड़ा सिंदूर... देखिएगा कोई नहीं पहचान पाएगा...
वीर - अच्छा (हैरानी भरे नजरों से देखते हुए) तो मेरे लिए भी कुछ सोचा है तुमने...
अनु - हाँ (चहक कर) सोचा है ना...
वीर - अच्छा... तो अभी तक बताया क्यूँ नहीं...
अनु - (मुहँ बनाते हुए) अगर आपको गुस्सा आ गया तो...
वीर - (हँसने की कोशिश करते हुए) नहीं.. नहीं करूँगा...
अनु - (चहकते हुए) आप ना... हनुमान बन जाइए... बड़ा मजा आएगा... और कोई पहचान भी ना पायेगा...

वीर इतना सुनते ही जोर जोर से हँसने लगता है l अपनी सीट की लीभर खिंच लेता है जिससे सीट पीछे की ओर लुढ़क जाती है, फिर वीर अपनी पेट पकड़ कर पैर पटकते हुए हँसने लगता है l अनु उसको यूँ हँसता देख कर मुहँ रुआँसी बना लेती है l थोड़ी देर बाद

वीर - (वीर उसकी रुआँसी चेहरा देख कर) ओ.. अनु... अनु.. जरा सोचो... हम छुपने के लिए भेष बदलने वाले हैं... मतलब लोगों के बीच घुल-मिल कर...उन्हीं के जैसे बन कर... तुम अगर पार्वती और मैं हनुमान बना... लोग सब काम धंधा छोड़ हमारे इर्द गिर्द भीड़ जमायेंगे.... है कि नहीं...
अनु - (अपना सिर हिला कर हाँ कहती है)
वीर - चलो वहाँ पहुँच कर देखते हैं... हम क्या बन सकते हैं...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

XXXXकॉलेज

छटी गैंग कैन्टीन में बैठी हुई है l सब के सब नंदिनी को देख रहे हैं l नंदिनी के चेहरे पर टेंशन साफ दिख रहा है l

बनानी - तु... इतनी टेंशन में क्यूँ है...
दीप्ति - हाँ... तुझे प्रीपेयर होने के लिए सब्जेक्ट भी तो मिला था..
नंदिनी - बात अगर पढ़ाई के रिलेटेड होती... शायद इतना डरती भी नहीं... पर यह तो सोशल रिलेटेड है... अब साइंस स्टूडेंट्स को... इस तरह की सब्जेक्ट मिले.... टेंशन तो होगी ही ना...
तब्बसुम - अरे सोशल प्लेटफॉर्म पर... सोशल मैसेज वाली ही टास्क मिल सकती थी ना...
इतिश्री - हाँ... अब अगर.. यह हमारे ग्रुप को मिली होती... तो मजा आ गया होता...
भाश्वती - वह तो हुआ नहीं... अब इस बेचारी की तोते उड़ रहे हैं...
बनानी - ओह स्टॉप इट... यह पहले से ही नर्वस है... तुम लोग इसकी जोश बढ़ाने के वजाए... और भी नर्वस कर रही हो...
रॉकी - यह तो बढ़िया मौका है... अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाने का... (अंदर आते हुए) अपने अंदर की व्यक्तित्व को बाहर लाने का...

सब रॉकी की ओर देखते हैं l रॉकी अपने ग्रुप के साथ थोड़ी ही दूरी पर खड़ा हुआ है l बनानी कुछ कहने को होती है कि तभी प्रिन्सिपल ऑफिस का पियोन आता है और सीधे नंदिनी से कहता है

पियोन - नंदिनी जी... आपको प्रिन्सिपल सर ने बुलाया है...

नंदिनी कुछ नहीं कहती है चुप चाप उठ कर पियोन के साथ चली जाती है l

रॉकी - क्या बात है गर्ल्स... मैंने कुछ गलत कह दिया क्या... आपकी दोस्त ने जवाब दिए वगैर चली गई...
बनानी - नहीं ऐसी बात नहीं है... वह थोड़ी नर्वस है...
रॉकी - हाँ... वह तो दिख ही रहा है...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

मेयर ऑफिस

पिनाक सिंह विक्रम के साथ अपनी ऑफिस में घुसते हुए

पिनाक - अब तीन दिन हो गए हैं... आप मेरे साथ ही चिपके हुए हैं...
विक्रम - हाँ हम अब उस दुश्मन से मिलना चाहते हैं... आखिर वह कौन है... जिसने क्षेत्रपाल के मूछों पर हाथ नहीं.. घात मारने की सोची है...
पिनाक - (अपनी कुर्सी में बैठते हुए) बड़ी बड़ी हाँका है... हमारी तैयारी देख कर... फट गई होगी उसकी....
विक्रम - (पिनाक के सामने बैठते हुए) नहीं... उसे हमारी तैयारी का अंदाजा हो सकता है... बस हमे ही नहीं मालुम उसकी तैयारी क्या क्या है...
पिनाक - महांती... अब तक कहाँ पहुँचा...
विक्रम - मैंने उसे बुलाया है... वह पहुँचता ही होगा... वैसे... क्या आपने राजकुमार से बात की...
पिनाक - उनकी बात छोड़िए युवराज... वह अभी इन सब में जुझने के काबिल नहीं हुए हैं.... नए नए ल़डकियों की तलाश में रहते हैं... जब उससे मन भरेगा... तब शायद कुछ करने के काबिल हो पाएं....
विक्रम - ह्म्म्म्म... पर आप कभी कभी उन्हें झिड़क देते हैं... वह ठीक नहीं लगता...
पिनाक - उन्हें कुछ फर्क़ नहीं पड़ता....
विक्रम - इतने हल्के में मत लीजिए... वह जवानी के उस मोड़ पर हैं... जब खुन में हद से ज्यादा गर्म रहाता है...
पिनाक - वह खानदानी क्षेत्रपाल हैं युवराज... और हम शत प्रतिशत निश्चिंत हैं... हमारे राजकुमार अपनी गर्मी उतारने के लिए... कोई साधन जुगाड़ कर लिया होगा....
विक्रम - क्या मतलब...
पिनाक - आप उस दौर में जहाँ झिझकते थे... राजकुमार उस दौर में चिड़िया फंसा कर हज़म कर जाते हैं....
विक्रम - (कुछ नहीं कहता अपना चेहरा घुमा लेता है)

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

वीर अनु को लेकर एक दुकान पर आता है जहाँ लोगों का मेकअप किया जाता है l वहाँ पर लड़कियों की एक ग्रुप खड़ी थी l वीर उन ल़डकियों के पास आकर

वीर - गर्ल्स... आपको इनका मेकअप कराना है...
लड़कियाँ - यस सर...
वीर - (अनु से) आप इनके साथ जाइए... यह लोग आपका मेकअप कर देंगे...
अनु - (वीर के कान में धीरे से) यह लोग हमारे भेष बदलेंगे...
वीर - (अनु के कान में) हाँ... पर हमारे नहीं... तुम्हारे...
अनु - क्या.. कौनसा भेष..
वीर - वह उन पर छोड़ दो ना... अब कोई बड़बड़ नहीं... सीधे उनके साथ जाओ... (उन लड़कियों से) गर्ल्स प्लीज...

लड़कीयाँ आकर अनु को ले जाने लगती हैं l अनु झिझकते हुए वीर को पीछे मुड़ कर देखते हुए अंदर जाती है l वीर उस दुकान की मालकिन से कहता है

वीर - उनका मेकअप हो जाने के बाद... उनसे कहिएगा मैं नीचे गाड़ी के पास इंतजार कर रहा हूँ...
मालकिन - जी सर...

फिर वीर नीचे चला जाता है और गाड़ी की डिकी खोल कर एक लाल रंग का लेदर जैकेट निकाल कर पहन लेता और एक गॉगल पहन लेता है l फिर गाड़ी पर पीठ लगा कर खड़े होकर उस दुकान की दरवाजे पर नजर गड़ा कर देखने लगता है l करीब एक घंटे बाद दुकान का दरवाजा खुलता है तो वीर की आँखे फटी की फटी रह जाती है l
अनु खूबसूरत तो थी पर आज ऐसा लग रहा था जैसे अनु की खूबसूरती हीरे की तरह कोयले की खदान को चीरते हुए निखर कर आई है l अनु कुछ ल़डकियों के साथ सीढियों से उतर कर ऐसे आ रही थी मानो बादलों पर चल कर आ रही हो l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

माँ...

यह सुन कर प्रतिभा अपना सिर मैग्जीन से निकाल कर विश्व को देखती है l

प्रतिभा - Awwww... कितना हैंडसम है मेरा बच्चा...(खड़े होकर)

प्रतिभा देखती है वहाँ पर काम करने वाली सभी लड़कियाँ विश्व को एक आशा और लालच भरे नजरों से घूर रही हैं l प्रतिभा फौरन अपनी आँख से काजल निकाल कर विश्व के कान के नीचे लगा देती है और विश्व को खिंच कर बाहर ले जा कर खड़ा कर देती है l

प्रतिभा - तु... यहीं पर रुक... मैं पेमेंट कर आती हूँ... (प्रतिभा अंदर वापस जाती है और कुछ देर बाद बाहर आकर) चल अभी चलते हैं...
विश्व - अब कहाँ चलना है...
प्रतिभा - अरे.. तेरे लिए नए कपड़े भी तो लेने हैं... और नए जूते भी...
विश्व - अब यह सब किसलिए माँ...
प्रतिभा - (गाड़ी में बैठते हुए) चल आजा बैठ जा...
विश्व - क्या माँ... आज दिन भर यही करना है क्या...
प्रतिभा - हाँ... अब बैठता है या नहीं...

विश्व बिना कुछ कहे चुपचाप बैठ जाता है, प्रतिभा गाड़ी स्टार्ट करती है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

प्रिन्सिपल ऑफिस

नंदिनी - मे आई... कम इन.. सर..
प्रिन्सिपल - यस यस मिस रूप नंदिनी... प्लीज कम इन...
नंदिनी - सर... आपने मुझे अभी यहाँ क्यूँ बुलाया है...
प्रिन्सिपल - देखिए मिस...
नंदिनी - सर नंदिनी... प्लीज नंदिनी...
प्रिन्सिपल - ऐसा क्यूँ...
नंदिनी - (खामोश रहती है)
प्रिन्सिपल - आप उस आइडेंटी से खुद को दूर क्यूँ रखना चाहती हैं... जो आपको आपके पिता ने दी है...
नंदिनी - (सिर झुका कर खामोश रहती है और अगल बगल देखने लगती है)
प्रिन्सिपल - क्यूँकी... एक कशमकश है... आपके भीतर... ख्वाहिश है... एक अलग पहचान बनाने की... खुदको साबित करने के लिए... है ना...
नंदिनी - (अपना सिर उठा कर देखती है)
प्रिन्सिपल - जिस दिन आप पहली बार मुझसे अपनी अलग आइडेंटिटी के बात की... उसी दिन मैं कुछ कुछ समझ गया था...
नंदिनी - (फिर अपना सिर झुका लेती है)
प्रिन्सिपल - चलो मैं इस बात को आगे नहीं खिंचता... बस इतना कहूँगा नंदिनी जी... मैं खुद उस टास्क की सब्जेक्ट से हैरान हूँ... पर इतना ज़रूर कहूँगा... यह वह सब्जेक्ट है... जिससे आपकी अपनी एक विशेष पहचान बनेगी... जो बहुतों को प्रभावित करेगी... इसलिए आप अपना हंड्रेड पर्सेन्ट दें... बस इतना ही कहूँगा...
नंदिनी - (प्रिन्सिपल को देख कर) जी सर... आई वील ट्राय माय लेवल बेस्ट...
प्रिन्सिपल - ओके... गुड.. तो अभी... एक काम कीजिए... सुरेश... वह रेडियो जॉकी... असेंबली हॉल में आपका इंतजार कर रहा है... एक छोटा सा रीहरसल के बाद... ट्रांसमिशन लाइव होगा...
नंदिनी - ठीक है सर... तो मैं जाऊँ...
प्रिन्सिपल - यस... यस.. प्लीज...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

वीर की नजर अनु की पहनावे पर पर ठहर जाती है l ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउस टॉप जो अनु की नाभि तक पहुँच रही है l उसके ऊपर सफेद जाली कारीगरी वाली घुटने तक जोधपुरी एथिनीक जैकेट वीथ फुल लेंथ स्कर्ट l वीर की नजर अनु की खूबसूरती को निहारते निहारते नाभि पर ठहर जाता है l वीर का मुहं खुल जाता है थरथरा कर एक गहरी सांस लेता है l उस दुकान की ल़डकियों की बीच झिझकते हुए अनु वीर के पास पहुंचती है l

एक लड़की - सर यह ड्रेस पहनाने के लिए हमें बहुत मशक्कत करनी पड़ी...

वीर सबको कुछ पैसे देकर विदा करता है l खुद गाड़ी में बैठ कर इशारे से अनु को बैठने के लिए कहता है l अनु बैठती है l वीर गाड़ी स्टार्ट करता है l गाड़ी के चलते ही

वीर - वाव अनु... तुम्हें सच में पहचान नहीं पाया...
अनु - (कुछ नहीं कहती झिझक और शर्म साफ उसके चेहरे पर झलकती है)
वीर - घबराओ नहीं.. कहा ना.. मैं.. जो तुम्हें रोज सुबह से शाम तक देखता हूं... पहचान नहीं पाया... तो तुम्हें कोई भी पहचान नहीं पाएगा...
अनु - (थोड़ी हैरानी भरी भाव से) पर आपने तो खुदको नहीं छुपाया...
वीर - मैं भी खुदको छुपा लूँगा... देखना...
अनु - हम.. कहाँ जा रहे हैं...
वीर - ओरायन मॉल...
अनु - वहाँ हम क्या करेंगे...
वीर - बस दिन भर... वहाँ रहकर हमारे सिक्युरिटी गार्ड्स पर नजर रखेंगे... कौन कैसे ड्यूटी कर रहा है... लोगों से कैसे पेश आ रहे हैं... वगैरह वगैरह...
अनु - ओ अच्छा...

वीर अनु की बात सुन कर हँसता है l और गाड़ी को ओरायन मॉल की ओर ले चलता है l थोड़ी दूर ड्राइविंग करने के बाद वीर की गाड़ी मॉल की अंडरग्राउंड पार्किंग में पहुँचता है l पहले वह उतरता है l जल्दी जल्दी निकलने में उसका एक पैर दुसरे पैर में फंस जाता है l वीर अनबैलंस हो कर आगे की ओर गिरने लगता है तो कोई उसे थाम लेता है l वीर को संभाल कर वह शख्स खड़ा कर देता है l तभी पीछे से अनु भागते हुए आती है और

अनु - राजकुमार जी...
वीर - मैं ठीक हुँ... अनु.. मैं ठीक हुँ...
अनु - (उस शख्स से) आपका शुक्रिया भैया ... बहुत बहुत शुक्रिया...
शख्स - कोई बात नहीं... इसमे शुक्रिया की क्या बात है...
वीर - (उस शख्स को) हैलो आई एम वीर... एंड थैंक्यू...

इससे पहले कि वह शख्स कुछ कहता एक औरत वहाँ पर आती है और कहती है

- यह मेरा बेटा... प्रताप... और मैं एडवोकेट प्रतिभा महापात्र...
वीर - ओह हैलो प्रताप...(अपना हाथ बढ़ाता है)
प्रताप - हैलो (प्रताप भी अपना हाथ बढ़ा कर हाथ मिलाता है)
वीर - आप यहाँ पर...
प्रतिभा - ओवीयसली.. हम यहाँ पर खरीदारी करने आए हैं... और आप दोनों...

वीर और अनु दोनों चुप रहते हैं और एक दुसरे को चोर नजर से देख कर प्रतिभा और विश्व से नजरें चुराने लगते हैं l उनकी हालत देख कर प्रतिभा मुस्कराने लगती है l

प्रतिभा - ओके... ओके मैं समझ गई... अच्छा हम चले अपनी मार्केटिंग पर... मौका हाथ लगा तो... मिलते हैं बाद में...
वीर - जी... जी ज़रूर...

माँ बेटे के वहाँ से चले जाने के बाद अनु वीर की ओर देखती है और पूछती है

अनु - राजकुमार जी... आप ने अभी तक कोई भेष बदला ही नहीं...
वीर - अभी बदल लेता हूँ... एक मिनट...

कह कर वीर अपनी गाड़ी के पिछे चला जाता है l अपनी जेब से एक नकली, मोटा मूँछ निकाल कर अपने मुहँ पर लगा लेता है और बाएं गाल पर आँखों के नीचे एक मस्सा लगा लेता है l उस पर आँखों पर एक गॉगल लगा कर अनु के सामने खड़ा हो जाता है l अनु उसे पहचान नहीं पाती, वीर की यह हुलिया देख कर वह चीखने को होती है कि वीर उसकी मुहँ पर जोर से हाथ रख देता है l

वीर - अनु यह मैं हूँ... (अनु की आँखे बड़ी हो जाती है) अब तुम्हारे मुहँ से हाथ हाटऊँ... (अनु इशारे से अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, तो वीर अपना हाथ हटा लेता है)
अनु - राजकुमार जी... सच में... मैं तो आपको पहचान ही नहीं पाई...
वीर - ह्म्म्म्म... चलो अब अंदर चलते हैं... (लिफ्ट की ओर चलने लगता है)
अनु - ठीक है...(वीर के साथ चलते हुए) पर हम यहाँ पर करेंगे क्या...
वीर - यहाँ पर हम कहीं खाना खाएंगे... कहीं थोड़ी बहुत खरीदारी करेंगे... और जरूरत पड़ी तो... एक फिल्म देख लेंगे...
अनु - ओ माँ... इतना कुछ करेंगे... पर हम तो यहाँ... चेकिंग के लिए आए हैं ना...
वीर - अरे वही तो करेंगे... दिन भर... चलो पहले कहीं बैठ कर... फ्रूट जूस पीते हैं....

अनु और कुछ नहीं कहती अपना सिर हिला कर वीर के साथ हो लेती है l दोनों एक जूस और पुडलींग स्टॉल पर पहुँचते हैं l वीर अनु एक टेबल देख कर बैठने के लिए कहता है और खुद जा कर जूस के लिए ऑर्डर करता है l कुछ मिनट बाद जब जूस लेकर अनु के पास आता है तो देखता है वहाँ पर दो लड़के अनु से बात करने की कोशिश कर रहे हैं l अनु के चेहरे पर झिझक व डर दिखता है l वीर जैसे ही टेबल पर पहुँचता है वह लड़के वीर को देखने लगते हैं I वीर की पर्सनालिटी देख कर थोड़ा डरने लगते हैं l अनु भी वीर को देख कर रीलैक्स फिल करती है l

वीर - कोई तकलीफ़...
एक लड़का - जी.. जी... वह.. हम इन्हें अकेले देखा तो...
वीर - तो... चांस मारने आ गए...
दुसरा - ओह कॉम ऑन ड्युड... जस्ट चील... हम तो बस दोस्ती करने आए थे...
वीर - ऑए चील के बच्चे... जरा स्पीड कम कर... वरना... आँख कान और जुबान सब छिल जाएंगे...

दोनों लड़के वहाँ से उठ कर चले जाते हैं l वीर अनु को जूस की एक ग्लास बढ़ाता है l अनु एक मुस्कराहट के साथ वीर के हाथों से जूस ले लेती है l
उधर उसी मॉल के ड्रेस सेक्शन में विश्व अभी तक पाँच जोड़ी ड्रेस पहन कर प्रतिभा को दिखा चुका है l प्रतिभा सब रिजेक्ट कर विश्व की सिर दर्द बढ़ा चुकी है l आख़िर में एक गहरी काले रंग पेंट के उपर एक सफ़ेद शर्ट पहन कर प्रतिभा के सामने आता है

प्रतिभा - Awww... यह हुई ना बात... अब लग रहे हो... कल के होने वाले मशहूर वकील...
विश्व - माँ पहले की कह देतीं... मैं यही पहन लिया होता... आपने अभी मुझसे पाँच जोड़ी कपड़े बदलवाए...
प्रतिभा - हाँ तो क्या हुआ... अगर यह लोग ड्रेस चुज एंड ट्राए का ऑप्शन दे रखे हैं... तो हमे भी उसका फायदा उठाना चाहिए कि नहीं...
विश्व - (हँसते हुए) माँ... तुम्हारी हरकतें किसी बच्चे जैसी है... अगर तुम ऐसी हरकतें करती रहोगी... कौन मानेगा की तुम्हारा (खुद को दिखाते हुए) इतना बड़ा बेटा है...
प्रतिभा - माँ में बचपना अपनी बच्चों के लिए होता है... और कौन नहीं मानेगा के तु मेरा बेटा है... (शो रुम के अंदर चिल्लाते हुए) हैलो हैलो हैलो... सुनो प्लीज... (सब मौजूद लोग और सेल्स मेन व सेल्स गर्ल्स प्रतिभा की ओर देखते हैं) गौर से देखिए... यह मेरा बेटा है... कितना हैंडसम है... है ना...
विश्व - (प्रतिभा की मुहँ पर हाथ रख देता है) माँ यह क्या कर रही हो... फिर से अगर ऐसा कुछ किया तो मैं यहाँ से भाग जाऊँगा...
प्रतिभा - (मुहं बंद है) उम्म् उम्म्
विश्व - ठीक है हाथ निकालता हूँ... (अपना हाथ निकाल देता है)
प्रतिभा - (ऊंची आवाज़ में) देखिए लोगों...(विश्व से थोड़ी दुर जा कर) आज कल के बच्चें... माँ बाप को छोड़ कर भागने की धमकी दे रहे हैं...

विश्व अपना माथा पीट लेता है l वहाँ पर मौजूद सभी विश्व की हालत देख कर मुस्कराने लगते हैं l तभी मॉल के हर दुकान व हर जगह जहाँ माइक थे एनाउंसमेंट होने लगती है l

" यह एक विशेष सूचना है... ओरायन मॉल पर उपस्थित सभी ग्राहक व कर्मचारियों के लिए... अभी कुछ ही देर में एफएम 97 पर आने वाली एक प्रोग्राम का प्रसारण किया किया जाएगा... कृपाया उसे सुनें... यह एफएम सर्विस वालों के अनुरोध पर किया जा रहा है और सुन कर अपना मत fm97xxxxx. Co. In पर व्यक्त रखें...

XXXXX कॉलेज
असेंबली हॉल खचाखच भरा हुआ है l स्टेज पर बने एक कांच की घर के भीतर रेडियो जॉकी सुरेश और नंदिनी बैठे हुए हैं l सुरेश प्रोग्राम को शुरू करता है l

सुरेश - हैलो अउडीयंस.. मैं आपका अपना सुरेश.... आज आपके लिए एक लाइव एंड थ्रिलींग मोमेंट ले कर आया हूँ XXXXX कॉलेज से... मेरे साथ बैठी हैं... मिस नंदिनी... यह अपनी कॉलेज में लकी ड्रॉ के जरिए सिलेक्ट हुई हैं... आपको एक सोशल मैसेज देने के लिए... दोस्तों हमनें इन्हें दो दिन पहले ही टास्क दिया था... HUMAN EVOLUTION, TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMAN...
इसलिए मैं अभी यह माइक यह सिस्टम पूरी तरह से मिस नंदिनी जी के हवाले कर रहा हूँ... अब नंदिनी जी आपके सामने हमारी उसी टास्क को अपने अंदाज में आपके सामने प्रेजेंट करेंगी... मिस नंदिनी... प्लीज...
नंदिनी माइक पर आती है, अपनी आँखे बंद कर एक गहरी सांस लेती है फिर खुद को नॉर्मल करती है l

नंदिनी - हैलो... मैं नंदिनी... नंदिनी सिंह... बीएससी फर्स्ट ईयर की स्टुडेंट.... अभी आपने बात करने से पहले मुझे पता चला... की सुरेश जी ऐसे ही कभी कभी कहीं भी पहुंच कर ऐसे ही चौंका देते हैं... मुझे भी चौंका दिया था... बुधवार को... फ़िर एक टास्क दिया... मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत... पहले जब मानव विकास सुना... एज अ साइंस स्टुडेंट मैं साइंस की नजरिए से समझने की कोशिश की... फिर इक्कीसवीं सदी... इसमे भी साइंस ही दिखी थी मुझे... पर अंत कहा... औरत... तब मुझे लगा कि यह तो एक सोशल सब्जेक्ट है... मैं एक साइंस की स्टूडेंट इसे कैसे प्रेजेंट करूँ... यह बात मैंने अपनी भाभी जी से पूछी... भाभी... मेरी सबसे अच्छी सहेली... दोस्त... माँ... दीदी और गुरु भी... उन्होंने कहा... क्यूँ नहीं... आख़िर मानव सामाजिक प्राणी है... और बात समाज की है... तो क्यूँ नहीं... पर मैं जिसने समाज को ठीक से देखा भी ना हो... समझा भी ना हो वह कैसे समाज की इतनी बड़ी विषय पर टिप्पणी कर सकती हूँ...
तब भाभी जी ने मुझे गुरुवार से लेकर आज तक... अकेले कॉलेज चलते हुए जाने के लिए कहा और लोगों की चारों तरफ की परिस्थितियों में खुद को फिट कर,.. वहाँ पर अपनी स्थिति को समझ कर... एक्सपेरियंस करने के लिए कहा

इन ढाई दिनों में मैंने जो एक्सपीरियंस किया... वही आज मेरे की टास्क की जीस्ट है....

औरत... औरत क्या है... एक वस्तु या एक शख्सियत... मुझे एक ऐसे समाज में... एक ऐसे तथ्य पर राय रखने के लिए कहा गया है... जहां खुद यह समाज ही दीग भ्रमित है... यह समाज वस्तु वादी है... जहां निर्जीव वस्तुओं में अपनी हर्ष ढूंढते हैं... उस समाज की सोच में औरत एक वस्तु ही तो है....

औरत की समाज में आवश्यकता है... वजह एक नई पीढ़ी को लाने के लिए... माँ प्रथम गुरु होती है... दीदी प्रथम मित्र होती है... मौसी माँ सी होती है... भाभी... एक माँ, बहन, सखी और गुरू भी होती है... और हर रुप में वह पहले औरत ही होती है... शास्त्र कहता है
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’
पर सच मानिये इन ढाई दिनों में मैंने ऐसा कुछ भी नहीं देखा....
एक लड़की जो किसी बाप की लाडली, माँ की दुलारी भाई की अभिमान होती है... वह घर से निकलते ही दुसरे मर्दों की आँखों के एक्स्रै से स्कैन की जाती है... यही सच्चाई है... खैर मुझे तो टास्क को प्रेजेंट करना है... तो ढाई दिन की एक्सपीरियंस को एक ही कहानी में पिरो कर बताती हूँ...

एक सुबह घर से निकली.... चलते हुए अपनी घर से कुछ दुर एक पान सिगरेट की दुकान के पास... कॉलेज जाने के लिए बस की इंतजार करने लगी... उस दुकान पर बहुत से लड़के व मर्द खड़े थे... कोई पान खरीद रहा था तो कोई सिगरेट तो कोई गुटखा... सब की भीड़ वहीँ पर इसलिए थी क्यूंकि... वहीँ से बहुत सी लड़कियाँ कॉलेज जाने के लिए बस पकड़ती हैं...
उस पान दुकान वाले की दो बेटियाँ हैं... पर वह खुश नहीं है... क्यूँ... क्यूंकि उसे वंश चलाने के लिए एक बेटा चाहिए... इसलिए वह हर पल अपनी किस्मत, अपनी बीवी और अपनी बेटियों को कोशता रहता है... उसकी बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन के साथ उसी दुकान के पास एक कुत्ते से दोस्ती कर दिन भर खेलती रहती है.... पर उस दिन कुछ बंद था इसलिए कोई बस या ऑटो नहीं चल रहा था... हम कुछ लड़कियाँ फैसला किए... चलते हुए कॉलेज जाने के लिए...
हम ल़डकियों का एक ग्रुप चलते हुए कॉलेज निकले.... एक मोड़ पर आगे जाना मुश्किल हो गया... क्यूंकि उस मोड़ पर बिजली की तार से उलझ कर एक कौवा मर गया था... इसलिए वहाँ पर गुजरने वाले हर इंसान पर कौवे अपने साथी के मरने की गुस्सा उतार रहे थे.... हम ल़डकियों ने रास्ता बदल कर दुसरे रास्ते में जाने लगे... उस रास्ते में हैदराबाद की एक डॉक्टर के बलात्कार के विरुद्ध प्रदर्शन व रैली चल रही थी... हम वहीँ पर खड़े होकर रैली की गुजरने की इंतजार करने लगे... उसी रैली में हिस्सा लिए कुछ क्रांतिकारियों ने हमें देखकर कमेंट करने लगे... कोई हमारी रंग पर... कोई हमारी अंग के कटाव पर टिप्पणी करते हुए गुजरे... एक औरत के साथ हुई दुराचार के विरुद्ध कुछ क्रांतिकारी रास्ते पर खड़े दुसरे औरतों पर फब्तीयाँ गढ रहे थे... एक और जहां अपनी धरना प्रदर्शन से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे... वहीँ दुसरी और वह लोग रास्ते पर खड़े हुए औरतों में मौका तलाश रहे थे... हम लोग किसी तरह कॉलेज पहुँचे... फिर मैंने क्लासेस खतम कर... शेयर ऑटो से घर को निकली... उसी पान दुकान वाली जंक्शन से थोड़ी दूर पर पहुँची....
वहाँ पहुँच कर देखा वह कुत्ता भोंकते हुए लोगों को अपने तरफ आने को मजबूर कर रही है... पर कोई नहीं जा रहा... शायद कोई समझ ही नहीं पा रहा था... मैंने हिम्मत करके कुत्ते के साथ गई... मेरे देखा देखी कुछ लोग कुत्ते के पीछे गए...
वह पान दुकान वाला अपने घर में आग लगा रहा था... उसकी बीवी और बड़ी बेटी उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं... पर वह रुका नहीं हमारे पहुँचते पहुँचते आग लग चुकी थी... वहाँ पर पहुँचे लोगों ने पहले उस पान वाले को पकड़ लिया और कुछ लोग आग को बुझाने की कोशिश करने लगे... तभी औरत चिल्लाने लगी उसकी छोटी बेटी आग में फंस गई है... किसीने हिम्मत नहीं करी आग में घुस कर बच्ची को बचाने के लिए... पर वह कुत्ता जो हमे वहाँ लाया था... वह अचानक आग के भीतर कुद गया... कुछ देर बाद छोटी लड़की को खिंचते हुए बाहर लेकर आया.... कुछ देर बाद पुलिस पहुँच कर हमारी गवाही लेकर उस पान वाले को गिरफ्तार कर लिया.... उस पान वाले की बीवी और बच्चे वहीँ रह गए... हम लोग जो वहाँ पर मौजूद थे ने कुछ पैसे कलेक्शन कर उसे देकर अपने अपने घर चले गए...
मैं घर पर पहुँची... किताबें रख कर पुरी दिन में घटित घटनाओं के बारे में सोच रही थी... तब सोनी मैक्स पर... अमिताभ बच्चन अभिनीत अग्निपथ फिल्म की एक सीन चल रही थी....
उस सीन में विजय चौहान अपनी माँ से कहता है पुरे बांबे में उसकी माँ और बहन को छेड़ने वाला कोई नहीं है... क्यूंकि सब जानते हैं... किसीने ऐसी हिमाकत की... तो वह उन्हें बीच से काट डालेगा...
ज़वाब में उसकी माँ सुहाषीनी चैहान कहती है - वाह क्या खूब तरक्की कर ली है तुने... तेरे पिता कहा करते थे... हज़ारों बरस लग गए... इंसान को जानवर से इंसान बनने के लिए... तुने तो जरा भी देर नहीं लगाई... वापस जानवर बनने के लिए....


यह भले ही एक फिल्मी डायलॉग थी... पर उस दिन घटित हुए सारे घटनाओं के बारे में सोच रही थी... जहाँ एक और इंसान अपने कद से गिर कर... जानवर बन कर... अपनी ही आशियाना को आग में झोंक दिया था... वहीँ एक जानवर अपने कद से उपर उठकर आग से इंसान की अगली पीढ़ी को बचा लाया....
शायद यही मानव का क्रमिक विकास के वस्तुवादी इक्कीसवीं सदी में औरत जिम्मेदारी कम मौका जादा लगती है
 
Top