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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
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Kala Nag

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Nice and beautiful update...
प्रिय prakas भाई मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यबाद
 

Sauravb

Victory 💯
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👉पांचवां अपडेट
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एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिनी देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिनी चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिनी इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिनी अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिनी को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
Fantastic update...nandini freely apni college life enjoy karne lagi he.biswa ko tapas ki patni ne jail me dala indirectly aur tapas usko nikalna chahata he.akhir biswa ka galti he kya.
 
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Sauravb

Victory 💯
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👉छटा अपडेट
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नंदिनी घर पहुंच कर सीधे अपनी भाभी शुभ्रा के पास जाती है l शुभ्रा देखती है कि आज नंदिनी का चेहरा थोड़ा उतरा हुआ है l
शुभ्रा - क्या बात है ननद जी, आज आपका चेहरा उतरा क्यूँ है....
नंदिनी - आज... वीर भैया कॉलेज आए थे...
शुभ्रा - ओह तो यह बात है.... ह्म्म्म्म मतलब आज तेरे दोस्त तुझसे दूर भाग गए होंगे....
नंदिनी - (अपनी भाभी के गोद में अपना सर रख कर) हाँ.... भाभी(थोड़ा उखड़े हुए) बड़ी मुस्किल से मैंने ना चार दोस्त बनाए थे....
शुभ्रा - ह्म्म्म्म तुम्हारे राजकुमार भाई के जाने से सब बिगड़ गया ह्म्म्म्म...
नंदिनी अपना सिर हिला कर हाँ कहती है....
शुभ्रा - (शरारत करते हुए) तो अब क्या होगा मेरी ननद जी का... जानेंगे ब्रेक के बाद...
नंदिनी - भा.... भी... उहन् हूं...
शुभ्रा -(हा हा हा) अब तू ही बता अब हम क्या कर सकते हैं....
नंदिनी - भाभी.... भाई साहब की इमेज क्या इतना खराब है...
शुभ्रा - (हंसती है, और कहती है) यह इमेज क्या होती है.... इसे चरित्र कहते हैं...
नंदिनी - उं... हुँ... हूँ अब मैं क्या करूं भाभी...
शुभ्रा - अगर मेरी माने तो, तु अपने दोस्तों को सब सच बता दे.... उन्हें अगर तेरी फिलिंगस का कदर होगी... तो वे... अपनी दोस्ती जरूर निभाएंगे.... बरकरार रखेंगे....
नंदिनी -(चुप रहती है)
शुभ्रा - ऐ... क्या हुआ... बहुत दुख हो रहा है...
नंदिनी - नहीं भाभी थोड़ा बुरा लग रहा है... पर दुख नहीं हो रहा है.... क्यूंकि ऐसा तो बचपन से ही मेरे साथ होता आ रहा है... फिर अब क्या नया हो गया....
शुभ्रा नंदिनी के बालों को प्यार से सहला देती है l नंदिनी उसके गोद से अपना चेहरा उठाती है और शुभ्रा को देख कर पूछती है l
नंदिनी - भाभी आप बुरा ना मानों... तो... एक बात पूछूं l
शुभ्रा - ह्म्म्म्म पुछ..
नंदिनी - आप और विक्रम भैया में कुछ...
शुभ्रा - (शुभ्रा झट से खड़ी हो जाती है) रूप कुछ बातेँ बहुत दर्द देते हैं....
नंदिनी - सॉरी भाभी...
शुभ्रा - देख तूने पूछा है तो तुझे बताऊंगी जरूर.... लेकिन फिर कभी.... आज नहीं...
और इस घर में तेरे सिवा मेरा है ही कौन....
नंदिनी उसके पास जाती है और उसके गले लग जाती है l

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

होटल BLUE Inn..
कमरा नंबर 504 में हल्का अंधेरा है और अंधेरे में रॉकी और उसके चार दोस्त सब महफ़िल ज़माये हुए हैं, सारे मॉकटेल की मस्ती में महफ़िल जमाए हुए हैं, सिवाय रॉकी के, म्यूजिक भी बज रहा है और सब धुन के साथ थिरक रहे हैं l कमरे के बीचों-बीच एक व्हाइट बोर्ड रखा हुआ है l सब अपना अपना ड्रिंक खतम करते हैं तो रॉकी जाकर लाइट्स ऑन करता है l जैसे ही कमरे में उजाला होता है तो सबका थिरकना बंद हो जाता है l सब रॉकी को देखते हैं तो रॉकी सबको चीयर करते हुए उनके बीच से जाते हुए म्यूजिक भी बंद कर देता है l

रॉकी - तो भाई लोग... अपना जिगर मजबुत कर लो और अपने जिगरी यार के लिए एक मिशन है जिसको पूरा करना है.....
सब चुप रहते हैं l सब को चुप देख कर रॉकी कहता है - अरे पहले अपना अपना पिछवाड़ा तो सोफा पर रख लो यारों...
सब बैठ जाते हैं, सबके बैठते ही रॉकी एक मार्कर पेन लेकर व्हाइट बोर्ड तक पहुंचता है, और बोर्ड में एक सर्कल बनाता है l
रॉकी - मित्रों यह है नंदिनी.... तो इससे पहले कि हम यह मिशन आरंभ करें.... यह मेरा दोस्त, मेरा यार, मेरा दिलदार मेरा जिगर मेरे फेफड़ा राजु कुछ तथ्यों पर रौशनी डालेगा....
राजू - हाँ तो मित्रों मैं इससे पहले इस पागल के पागलपन में साथ देना नहीं चाहता था..... पर इस मरदूत ने मुझे इतना मजबूर कर दिया..... कहा कि मैं इसका बड़ा चड्डी वाला बड्डी हूँ क्यूँ के तुम सब इसके छोटे चड्डी वाले बड्डी हो..... बस यह जान के मैं इसका काम करने को तैयार हो गया....

राजू की बात खतम होते ही सब हंसते हुए ताली मारते हैं l
रॉकी - (सबको हाथ दिखा कर) अरे रुको यारों रुको..... यहां छोटे मतलब बचपन और बड़ा मतलब इंटर कॉलेज... हाँ अब राजु आगे बढ़....
रॉकी की बात खतम होते ही राजु व्हाइट बोर्ड के पास पहुंचता है और मार्कर पेन लेकर रॉकी के बनाये उस सर्कल के पास कुछ लकीरें खिंचता है और कहता है - जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि नंदिनी विक्रम व वीर की बहन है l तीन पीढ़ियों के बाद क्षेत्रपाल परिवार में लड़की हुई है.... पर रूप नंदिनी जब चार साल की थी तब उसकी माँ का देहांत हुआ था l अब इसपर भी कुछ विवाद है हमारे राजगड में दबे स्वर में कुछ बुजुर्ग आज भी कहते हैं कि रूप कि माँ ने आत्महत्या की थी.... खैर अब वह इस दुनियां में नहीं हैं और रूप के पिता भैरव सिंह क्षेत्रपाल दूसरी शादी भी नहीं की..... अब क्यूँ नहीं की... वेल यह उनका निजी मामला है.....
तो अब परिवार में रूप के दादा जी नागेंद्र सिंह हैं पर वह अब पैरालाइज हैं... ना चल फिर सकते हैं ना ही किसीको कुछ कह पाते हैं...
फिर आते हैं उनके पिता भैरव सिंह पर.... तो यह शख्स पूरे स्टेट में किंग व किंग् मेकर की स्टेटस रखते हैं.... या यूँ कहें कि भैरव सिंह पुरे राज्य में एक पैरलल सरकार हैं....
फिर आते हैं रूप नंदिनी जी के चाचाजी पिनाक सिंह जी के पास...

फ़िलहाल यह महानुभव भुवनेश्वर के मेयर हैं...
इनकी पत्नी श्रीमती सुषमा सिंह जो सिर्फ राजगढ़ महल में ही रहती हैं....
फिर विक्रम सिंह, रूप के सगे भाई व बड़े भाई यह अब भुवनेश्वर में रूलिंग पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं और इनकी पत्नी हैं शुभ्रा सिंह.... इनसे विक्रम सिंह की प्रेम विवाह हुआ है... पर इनके विवाह पर भी लोग तरह तरह की कहानियाँ कह रहे हैं.... खैर अब आते हैं रूप जी के चचेरे भाई वीर सिंह जी...
यह हमारे कालेज के छात्रों के अपराजेय अध्यक्ष हैं...
अब आगे हमारे रॉकी साहब कहेंगे....
इतना कह कर राजू चुप हो जाता है l अब रॉकी अपने जगह से उठता है और अपने सारे दोस्तों को कहता है - यारों सब दुआ करो..
मिलके फ़रियाद करो...
दिल जो चला गया है....
उसे आबाद करो... यारो तुम मेरा साथ दो जरा....
आशीष - बस रॉकी बस ... हम यहाँ तेरे दोस्त इसी लिए ही तो आए हुए हैं और तेरी धुलाई की सोच कर मेरा मतलब है कि तुझे नंदिनी तक पहुंचने की रास्ता बताने वाले हैं.....
पर यार भले ही वह क्षेत्रपाल बहुत पैसे वाले हैं पर यार तु भी तो कम नहीं है....
ठीक हैं पार्टी से जुड़े हुए हैं इसलिए रुतबा बहुत है.... पर समाज में तुम्हारा खानदान का भी बहुत बड़ा नाम है.....
चल माना रूप बहुत सुंदर है..... पर सुंदरता रूप पर खतम हो जाए ऐसा तो नहीं...
तुझे रूप से भी ज्यादा खूबसूरत लड़की मिल सकती है....
पर तुझ पर यह कैसा पागलपन है और क्यूँ है..... के तु... रूप को हासिल करना चाहता है....
देख दोस्त सब सच सच बताना क्यूंकि हम तेरे साथ थे हैं पर कल को अगर कुछ गडबड हुआ तो यह भी सच है कि हमारे जान पर भी आएगा....
आशीष के इतना कहते ही रॉकी अपने अतीत को याद करने लगता है

फ्लैश बैक........

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पांच साल पहले जब रॉकी इंटर में पढ़ना शुरू किया था l तब एक दिन घरसे कॉलेज जाने के लिए कार में बैठा l कार की खिड़की से अपनी मम्मी को हाथ हिला कर बाइ कह खिड़की का कांच उठा दिया l ड्राइवर गाड़ी घर से निकाल कर कॉलेज के रोड पर दौड़ा दिया l कुछ देर बाद म्यूनिसिपाल्टी के लोग रास्ता खोदते दिखे तो ड्राइवर दिशा बदल कर गाड़ी ले जाने लगा l गाड़ी के भीतर रॉकी अपने धुन में मस्त, आई-पॉड से गाने सुन रहा था l जब गाड़ी एक सुनसान सड़क पर जा रही थी तभी एक एम्बुलेंस सामने आकर रुकी तो ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगा कर गाड़ी रोक दिआ l ड्राइवर एम्बुलेंस के ड्राइवर पर चिल्लाने लगा l गाड़ी के ऐसे रुकते ही और ड्राइवर के चिल्लाते ही रॉकी का भी ध्यान टूटा और उसने देखा कुछ लोग एक स्ट्रेचर लेकर कार की बढ़ रहे हैं l इससे पहले कुछ समझ पाता ड्राइवर के मुहं पर रूमाल डाल कर बेहोश कर दिए और इससे पहले रॉकी कुछ और सोच पाता वैसा ही हाल रॉकी का भी हुआ l रॉकी जब आँखे खोल कर देखा तो अपने आप को एक बिस्तर पर पाया l पास एक आदमी जो काले लिबास में एक चेयर पर बैठ कर कोई फ़िल्मी मैग्जीन देख रहा था l रॉकी अचानक से बेड पर उठ कर बैठ गया l
रॉकी -(डरते हुए) त....त.... तुम... लोग... कौन हो l
वह आदमी - अरे हीरो.... होश आ गया तेरे को...... वाह.... हम लोग तेरे फैन हैं.... हम लोगों ने तेरे नाम पर एक बहुर बड़ा फैन क्लब बनाए हैं.... और तेरे फैन लोग बहुत सोशल सर्विस करते रहते हैं... इसलिए तेरे बाप से उस क्लब के लिए डोनेशन मांगने वाले हैं....
तब रॉकी इतना तो समझदार हो गया था और वह समझ गया कि उसका किडनैप हुआ है और बदले में उसके बाप से पैसा वसूला जाएगा l
वह आदमी उठा और बाहर जा कर दरवाजा बंद कर दिआ l फिर रॉकी चुप चाप उसी बिस्तर पर लेट गया l थोड़ी देर बाद वह आदमी और उसके साथ तीन और आदमी अंदर आए l
(पहला वाला आदमी को आ 1, और वैसे ही सारे लोगों की क्रमिक संख्या दे रहा हूँ)
आ 1- सुन बे हीरो... तेरी उम्र इतनी तो है के... तु अब तक समझ गया होगा कि तु यहाँ क्यूँ है...
रॉकी ने हाँ में सर हिलाया l
आ 2- गुड.... चल अब बिना देरी किए अपना बाप का पर्सनल नंबर बता.....
रॉकी - 98XXXXXXXX
आ 1- (और दोनों से) हीरो को खाना दे दो...
और हीरो खाना खा और चुपचाप सो जा....
दो दिन बाद तुझे तेरे फॅमिली के हवाले कर दिया जाएगा l
रॉकी अपना सर हिला कर हाँ कहा, तो सब उस कमरे से बाहर चले गए और कुछ देर बाद उनमें से एक आदमी एक थाली और एक पार्सल दे कर चला गया l रॉकी ने इधर उधर पानी के लिए नजर घुमाया तो देखा वश बेसिन के ऊपर अक्वागार्ड लगा हुआ है l इसलिए रॉकी चुप चाप खाना खाया और बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा l ऐसे ही दो दिन बीत गए l तीसरे दिन शाम को रॉकी के आँखों में पट्टी बांध कर उसे कहीं ले गए l जब एक जगह उसकी आँखों से पट्टी खुली तो खुदको एक अंजान कंस्ट्रक्शन साइट् पर पाया l उसने गौर किया तो देखा कि असल में वह चार आदमियों की गैंग नहीं थी बल्कि एक बीस पच्चीस लोगों की गैंग थी l सबके हाथों में एसएलआर(Self Loaded Rifle) गनस् थे l थोड़ी देर बाद जिसने रॉकी से उसके बाप का फोन नंबर मांगा था शायद वह उस गिरोह का लीडर था वह बदहवास भागता हुआ आ रहा था और उसके पीछे एक आदमी शिकारी के ड्रेस में चला आ रहा था l गैंग लीडर - (चिल्ला कर) कोई गोली मत चलाओ, कोई गोली मत चलाओ
सब के हाथों में गनस् होने के बावज़ूद उनका लीडर किससे डर कर भाग कर आ रहा है, यह सोच कर गैंग के लोग एक दूसरे को देख रहे हैं l
तभी गैंग लीडर आ कर रुक जाता है और पिछे मुड़ता है l पीछे शिकारी के ड्रेस में काला चश्मा पहने हुए वह शख्स दोनों हाथ जेब में डाले खड़ा हो जाता है l तभी उस गैंग का एक आदमी उस शिकारी के पैरों के पास गोलियां बरसाने लगता है l पर वह शिकारी बिना किसी डर के वहीं खड़ा रहता है l गैंग का लीडर उस गोली चलाने वाले को अपनी जेब से माउजर निकाल कर शूट कर देता है और घुटनों पर बैठ जाता कर अपना सर झुका लेता है l
शिकारी - कल तक तुम लोग क्या करते थे मुझे कोई मतलब नहीं...
पर आज से और अभी से यह हमारा इलाक़ा है... और हमारे इलाके में...
गैंग लीडर - हमे मालुम नहीं था युवराज जी हम आपके इलाके से फिर कभी नजर नहीं आयेंगे...
शिकारी - बहुत अच्छे...
चल छोकरे चल मेरे साथ...
रॉकी उस शिकारी के साथ निकल गया और पीछे वह गुंडे वैसे के वैसे ही रह जाते हैं l
रॉकी उस शिकारी के साथ एक गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी चलती जा रही थी और रॉकी एक टक उस शिकारी को देखे जा रहा था और सोच रहा था क्या ताव है, गोलियों से भी डरता नहीं, एक अकेला आया उस गिरोह के बीच से उसे कितनी आसानी से लेकर आ गया l
रॉकी उस शिकारी की पर्सनैलिटी से काफ़ी इम्प्रेस हो चुका था l कुछ देर बाद रॉकी का घर आया l दोनों अंदर गए तो रॉकी के पिता सिंहाचल पाढ़ी उस शिकारी के सामने घुटनों के बल पर बैठ गए l तब वहाँ पर बैठे दुसरे शख्स ने कहा - अब कोई फ़िकर नहीं पाढ़ी बाबु... आप क्षेत्रपाल जी के संरक्षण में हैं...
सिंहाचल- युवराज विक्रम सिंह जी.... कहिए मुझे क्या करना होगा...
विक्रम सिंह - आप जब तक हमें प्रोटेक्शन टैक्स देते रहेंगे...... तब तक...
इस सहर ही नहीं इस राज्य में भी आपकी तकलीफ़ हमारी तकलीफ़....
इतना कह कर विक्रम और वह आदमी चले जाते हैं l
रात भर रॉकी विक्रम के बारे में सोचता रहा और उसकी चाल, बात और ताव से इम्प्रेस जो था l
अगले दिन वह कॉलेज में मालुम हुआ वह जो दुसरा आदमी उसके घर में था वह राजकुमार वीर सिंह था l
रॉकी की उम्र जितना बढ़ता जा रहा था उतना ही विक्रम उसके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था l
जब बी-कॉम के साथ साथ अपने पिता की बिजनैस में ध्यान देने लगा, तब उसे यह एहसास होने लगा किसी भी फील्ड में हुकुमत करनी है तो आदमी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत, क्षेत्रपाल के परिवार के पास दोनों ही था l एक तरह से रॉकी के मन में इंफेरिअर कॉम्प्लेक्स बढ़ रहा था l हमेशा उसके मन में एक ख्वाहिश पनप रहा था कास ऐसी ताव ऐसी रुतबा उसके पास होता l
ऐसे में उसे रूप दिखती है और उसके बारे में जानते ही वह एक फ़ैसला करता है, अगर कैसे भी वह रूप के जरिए क्षेत्रपाल परिवार से जुड़ जाए तो वह भी ऐसा ही रौब रुतबा मैंटैंन कर पाएगा l

रॉकी.... हे.... रॉकी..... आशीष उसे जगाता है तो रॉकी अपनी फ्लैश बैक से बाहर निकालता है l

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रॉकी - ओह... असल में कैसे कहूँ समझ में नहीं आ रहा है..... ह्म्म्म्म.... ठीक है.... सुनो दोस्तों... आप चाहें जैसे भी हो... आपके जीवन में एक लड़की ऐसी आती है जो आपके जीने की मायने बदल जाते हैं... जब जिंदगी उसके बगैर जिंदगी नहीं लगती..
.. जिसके लिए... जान भी कोई कीमत नहीं रखती...

मेरे जीवन में रूप नंदिनी वही लड़की है जिसके प्यार में मैं मीट जाना चाहता हूँ....
अगर तुम सबको मेरे भावनाओं में सच्चाई दिखे और उसका कद्र हो तो मेरी मदत करो और मेरी राह बनाओ.....

सब चुप रहते हैं

राजु - देख अगर तेरी भावनाएँ सच में रूप के लिए इतनी गहरी है तो..... ठीक है हम तेरी मदत करेंगे...... तेरे लिए हम रास्ता बनाएंगे और तुझे उस पर अमल करना होगा... समझ ले एक रियलिटी गेम है.... तु कंटेस्टेंट है और हम जज जो तुझे पॉइंट्स देते रहेंगे और हर लेवल पर इंप्रुवमेंट के लिए बोलते रहेंगे,.. ताकि ..... तुझे... तेरे हर ऐक्ट पर स्कोर मालुम होता रहे....
"यीये......" सारे दोस्त उसे चीयर्स करते हैं l
रॉकी व्हाइट बोर्ड पर जो भी लिखा था सब मिटाता है और बोर्ड पर मिशन नंदिनी लिखता है l
रॉकी - आशीष पहले तु बता..
आशीष - देखो मुझे जो लगा.... या राजू से जितना मैंने समझा....
नंदिनी अपने पारिवारिक पहचान से दूरी बनाए रखना चाहती है क्यूंकि उसकी पारिवारिक पहचान से उसे दोस्त नहीं मिल रहे हैं l
रॉकी - करेक्ट..
अब... सुशील तु बोल..
सुशील - देख तुझे उसकी बात जानने के लिए उसकी दोस्तों के ग्रुप में एक लड़की स्पाय डेप्लॉय करना होगा...
रॉकी - करेक्ट... पर वह लड़की कौन होगी..
सुशील - रवि की गर्ल फ्रेंड... और कौन...
रवि - क्यों तुम सब रंडवे हो क्या....
सुशील - भोषड़ी के रंडवे नहीं हैं हम.... पर तेरी वाली साइंस मैं है इसलिए...
रवि - ठीक है...
रॉकी - ह्म्म्म्म फिर उसके बाद
राजु - ऑए जरा धीरे... जल्दबाजी मत करियो.... देख कॉलेज में सब जानते हैं कि वह क्षेत्रपाल परिवार से ताल्लुक रखती है...... इसलिए तेरी राह में कोई ट्रैफिक नहीं है... क्यूंकि कोई कंपटीटर नहीं है...
रवि - हाँ यह बात तो है...
रॉकी - अब करना क्या है...
राजु - अबे बोला ना धीरे... जिस तेजी से गाड़ी दौड़ा रहा है ना ब्रेक लगा तु... अबे पुरे स्टेट में जिसके आगे कोई सर भी नहीं उठाता उसकी बेटी है वह.... जिसकी मर्जी से भुवनेश्वर में कंस्ट्रक्शन से लेकर कोई नये प्रोजेक्ट तक हो रहे हैं उसकी भतीजी है वह.... जिसके आगे सारे गुंडे पानी भरते हैं उसकी बहन है वह... और यह मत भूल इस कॉलेज के अनबिटेबल प्रेसिडेंट वीर सिंह भी उसका भाई है....
अगर वह तुझे सिद्दत से चाहेगी तो तब तेरे लिए अपने बाप व भाई से टकराएगी....लड़ जाएगी....
तुझे सिर्फ दोस्ती नहीं करनी है बल्कि तुझे उसके दिल, उसके आत्मा में उतरना है... बसना है...
जल्दबाज़ी बहुत ही घातक सिद्ध होगा....

आशीष - राजु बिल्कुल सही कह रहा है.... बेशक क्षेत्रपाल परिवार की ल़डकी है ... शायद तेरे लिए ही तीन पीढ़ीयों बाद आयी हो.....
तेरा बेड़ा पार वही लगाएगी.... मगर तब जब वह तुझे सिद्दत से चाहेगी...
रवि - हाँ अब तक हमने जितना एनालिसिस किया है... उससे इतना तो मालुम हो गया है कि उसके परिवार के रौब के चलते रूप भी ऐसे मामलों से सावधानी बरतती होगी....
राजु - इसलिए पहला काम यह कर के उसके आस पास अपना कोई स्पाय डेप्लॉय कर... जब उसके कुछ पसंद व ना पसंद मालुम पड़ेगा...
हम अगला कदम उसी के हिसाब से उठाना होगा..
रॉकी सबको शांति से सुन रहा था l उसे सबकी बात सही लगी l
रॉकी - ठीक है दोस्तों अब से हर शनिवार यहाँ पर मॉकटेल पार्टी और मिशन नंदिनी की एनालिसिस...

सारे के सारे जो उस कमरे में थे सब अंगूठा दिखा कर उसके बातों का समर्थन किया l
Amazing update but mission nandini safal nehni hogi mujhe lag raha he.
 
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अपने चैम्बर में बैठे खान अपने टाई को थोड़ा ढीला करता है, और रुमाल से अपना चेहरा पोंछता है, फ़िर अचानक - ओ ह्... व्हाट आइ आम डुइंग.... एक मुज़रिम ही तो आ रहा है..... कौन सा VIP आ रहा है... यह... यह मुझे क्या.... हो गया है.... म.. मैं इतना नर्वस क्यूँ फिल कर रहा हूँ.... या.... आ.. आ.. क्या मैं डर रहा हूँ...
ओह... शीट...(टेबल पर एक घूंसा मारता है, फिर अपने दोनों मुट्ठीयों को भिंच कर टेबल पर रगड़ने लगता है )

इतने में एक आवाज़ उसे सुनाई देती है - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ....
खान दरवाज़े पर खड़े विश्वा को देखता है और देखता ही रह जाता है l

सुंदर, सौम्य, शांत व सुदर्शन पर भाव हीन चेहरा लिए एक नौजवान उसके सामने खड़ा था, खान अपने आपको संभाला और कहा
खान - आओ विश्व प्रताप... आओ.. बैठो..
विश्वा - (अपना सर ना में हिलाते हुए) नहीं... सर... आप इस कारागृह के सरकारी अधिकारी हैं... और मैं एक सजायाफ्ता अपराधी.. हाँ अगर साधारण नागरिक होता तो ज़रूर बैठता... माफ लीजिए
मैं नहीं बैठ सकता...
खान - अरे नहीं... देखो बेशक यह केंद्रीय कारागृह है.... पर मैं अभी तुम्हें सरकारी काम से ही बुलाया है.. और क्यूँकी तुम अब यहाँ कुछ ही दिनों में रिहा हो कर जाने वाले हो... तो मुझे तुम पर एक रिपोर्ट बना कर हेड ऑफिस व गृहमंत्रालय को भेजना पड़ेगा... यह प्रोसिजर और प्रोटोकोल भी है ... इसलिए बैठ जाओ...
विश्वा आगे बढ़ता है और एक कुर्सी खिंच कर खान के सामने बैठ जाता है l
खान - सो.. विश्वा... उर्फ़ श्री विश्व प्रताप महापात्र
मेरे लिए यह रिपोर्ट बनाना जितना महत्वपूर्ण है उससे भी ज्यादा तुम्हारे बारे में जानने के लिए मेरी उत्सुकता भी है.......
अगर... बुरा ना मानों तो कुछ पुछ सकता हूँ...
विश्वा - जी...
खान - विश्वा... मुझे पुलिस में नौकरी करते हुए पच्चीस साल से अधिक हो चुका है.... और मेरा कई तरह के लोगों से सामना हुआ है... तुम कुछ अलग हो... शायद बहुत... तुमने जैल में रहकर अपना ग्रेजुएशन किया और लॉ भी...
विश्वा- नहीं मैं जैल में आने से पहले करेस्पंडींग डिस्टेंसिंग एजुकेशन में ग्रेजुएशन शुरु कर चुका था.... यहाँ पर रह कर पुरा किया....
खान - ओह अच्छा... पर तुमने लॉ तो यहाँ रहते शुरू भी किया और पुरा भी किया...
विश्वा - जी.....
खान - वैसे रिहा होने के बाद.... मेरा मतलब है कि तुम दुसरे स्किल में भी माहिर हो.. जैसे कारपेंटरी, प्लंबिंग, गैरेज मेकैनिक तो तुम... उनमें क्यूँ अपना प्रफेशन नहीं बनाना चाहा....
विश्वा - समाज इतना खुला हुआ नहीं है खान साहब..... कि वह किसी सजायाफ्ता मुज़रिम को काम दे...
खान - तो क्या... तुमने
लॉ में ही अपना... आई मिन... यु आर कंविक्टेड... तुम लॉ में अपना प्रोफेशनल कैरियर कैसे बनाओगे...
विश्वा - किसी बड़े एडवोकेट के असिस्टेंट बन कर....
खान - ओह... हाँ... बस एक आखिरी सवाल...
विश्वा -.............
खान - तुम्हारे बैंक अकाउंट में सात लाख पंद्रह हजार एक सौ पैंसठ रुपये है...
जब कि तुमने... सरकारी स्किल युटीलाइजेशन स्कीम में ही काम किया है... जिसमें शायद दो लाख तक बनते हैं... पर अकाउंट में इतना पैसा....
विश्वा - मैंने लॉ करते वक़्त मिसेज़ प्रतिभा सेनापति जी के साथ एक कंट्राक्ट साइन किया था.... उनके कुछ केसस् में उन्हें असिस्ट किया और मदत भी... उसके बदले में उन्होंने मेरे अकाउंट में वह पैसे जमा कराए हैं....

यह खान के लिए एक और झटका था l

खान - ओह... अच्छा....
ह्म्म्म्म... ठीक है... अब तुम जा सकते
हो.....
इतना सुनते ही विश्वा चुप चाप उठ कर बाहर निकल जाता है, उसके जाते ही खान ऐसे गहरी सांस लेता है जैसे कितने घंटों से सांस दबाए रखा हो फिर उस दरवाजे पर खान की नजर रुक जाती है और बड़बड़ाता है - क्या है यह... जैसे कोई बिजली की नंगी तार... जितना ज्यादा जानने लगा हूँ इसके बारे में... उतना ही ज़ोर का झटका लग रहा है.....

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गाड़ी से उतरते ही नंदिनी तेजी से घर के अंदर जाती है l उसकी खुशी छुपाये नहीं छुप रही है l ऐसा लग रहा है जैसे नंदिनी किसी मजबूरी के तहत चलते हुए घर के भीतर जा रही है, वर्ना वह उड़ते हुए चली जाती l नंदिनी जैसे ही अपनी भाभी के कमरे में पहुंचती है तुरंत ही दरवाज़ा बंद कर देती है और चहकते हुए शुभ्रा के पास आ कर उसे अपने दोनों हाथों से उठा कर नाचने लगती है l
शुभ्रा - अरे.. रुक... देख मैं गिर जाऊँगी... आ.. ह... अरे नीचे उतार मुझे..
नंदिनी शुभ्रा को नीचे उतार देती है और खुद शुभ्रा के बिस्तर पर पीठ के बल गिर जाती है l
शुभ्रा - अरे... रूप.. य.. यह.. तुझे क्या हुआ...
देखा... कहा था उतार दे मुझे... अब तु मेरी वजन नहीं.. सम्भाल पाई ना...
नंदिनी उठ कर बैठती है और शुभ्रा के गालों पर एक चुंबन जड़ देती है l
शुभ्रा - छि... रूप... आज कॉलेज कुछ हुआ क्या... बिगड़ रही तु आज कल...
नंदिनी - अरे भाभी आज मैं बहुत खुश हूँ.... आपने मुझे जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया....(गाते हुए कहती है) और मुझे मेरे दोस्त वापस मिल गए.....
शुभ्रा - अच्छा.... ह्म्म्म्म... यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई तुने...
नंदिनी - और यह क्या भाभी.... आपकी वजन तो फूलों की तरह है... मैं तो अभी भी आपको उठा कर नाच कुद कर सकती हूँ....
शुभ्रा - हाँ... हाँ मालुम है.. पहलवान भाई की बहन जो है....
दोनों हंसते हैं l नंदिनी शुभ्रा के गले लग जाती है और कहती है - थैंक्स भाभी...
शुभ्रा - (उसके गालों को सहलाते हुए) जो किया तूने ही तो किया... मुझे क्यूँ थैंक्स कह रही है....
नंदिनी - आप आज मेरी माँ, दीदी, सहेली बन कर राह दिखाई और मुझे कामयाबी हासिल हुई.... थैंक्यू.... थैंक्यू... थैंक्यू..
शुभ्रा - बस बस आज तेरी गाड़ी वहीँ.... थैंक्यू पर ही रुक गई है....
नंदिनी - तो क्या हुआ भाभी.... जो है.. सो है.. भाभी आज चाची माँ से बात करने को मन कर रहा है.... उनको लगाईये न फोन...
नंदिनी की बात सुन कर शुभ्रा थोड़ा मुस्कराती है और अपना सर हिलाकर सुषमा को फोन लगाती है l
शुभ्रा - प्रणाम चाची माँ...
सुषमा - (फोन से ) जीती रह बहु... और बता... मेरी गुड़िया नंदिनी कैसी है... और कैसी गई उसकी, आज की कॉलेज की दिन.....
शुभ्रा - लो आप ही पुछ लो.... (इतना कहकर फोन नंदिनी को थमा देती है)
नंदिनी - चाची माँ.... प्रणाम... (खुशी से गला थर्रा गई) क.. कैसी हैं आप....
सुषमा - जुग जुग जिए मेरी बच्ची... मैं बहुत अच्छी हूँ... तु बोल.. जाते ही मुझे भूल गई....(नंदिनी अपनी जीभ निकाल कर दांतों तले दबा देती है) आज कैसे याद आ गयी तेरी चाची माँ... ह्म्म्म्म..
नंदिनी - वह चाची माँ. .. सॉरी... वह यहाँ... मेरा मूड हमेशा ख़राब ही रहता था.... इसलिए...
सुषमा - ठीक है... ठीक है.... अब तो मेरी लाडो सहर की रंग में रंग रही है...
नंदिनी - सॉरी... चाची माँ... कसम से... मैं कभी आपको भुला
नहीं सकती हूँ... प्लीज(गला भर आती है)
सुषमा - हे... अरे... पागल लड़की... मैं तो तुझे.. ऐसे ही छेड़ रही थी.... वरना तेरी हर दिन की खबर मैं बहु से लेती रहती थी... और हाँ आज जो तुझे तेरे दोस्त वापस मिले हैं ना.. वह मेरा ही आईडिया था... समझी...
नंदिनी - व्हाट.... मेरा मतलब.. ठीक है कि आप ने भाभी को आईडिया दिया होगा... पर आपको कैसे मालुम हुआ कि मुझे.... आज मेरे दोस्त वापस मिल गए....
सुषमा - बचपन से तुझे पाला है मैंने.... तेरी नस नस से वाकिफ़ हूँ.... तु कब खुलती है और कब सिमट जाती है....
नंदिनी - हाँ... अखिर माँ जो हो आप मेरे..
सुषमा - कोई शक़....
नंदिनी - नहीं.... बिल्कुल नहीं.... फ़िर भी एक शिकायत है और प्रार्थना भी... उपर वाले से... अगले जनम में मुझे आपकी ही कोख से भेजे...
सुषमा - देख यही तेरी अच्छी बात नहीं है... अब तु रोयेगी और मुझे भी रुलाएगी.....अब... अपनी भाभी को फोन दे...
नंदिनी कुछ कह नहीं पाती, उसके आँखों से आंसुओं के धार फुट पड़ते हैं वह चुपचाप फ़ोन शुभ्रा को दे देती है l शुभ्रा उसकी मनःस्थिति को समझ जाती है और नंदिनी से फ़ोन ले लेती है l
शुभ्रा - ह.. हे.. हैलो..
सुषमा - (सिसकते हुए) देखा बहु ऐसी ही है मेरी रूप.. पर मुझे खुशी है कि की तेरे संग रहकर उसके भीतर की लड़की बाहर आ रही है... उसे चहकने दे, उड़ने दे पर थाम के रखना.... बेचारी आजादी मेहसूस कर रही है... बस देखना मेरी बच्ची को.. के वह कहीं बहक ना जाए... कोई उसे बहका ना दे....
शुभ्रा - (बड़ी मुश्किल से भारी गले में) जी... जी... चाची माँ...
शायद सुषमा से और बातेँ करना संभव ना हुआ इसलिए सुषमा उधर से फ़ोन रख देती है l इधर अपने हाथों से अपना मुहँ छुपाये नंदिनी सिसक रही है l
शुभ्रा - (भारी गले में) देखा आते वक्त चहकते हुए आई थी पर अब माहौल देख... तूने क्या कर दिआ...
नंदिनी - (अपनी आँखे पोछते हुए और खुद को सही करते हुए) सॉरी भाभी... पर जानती हो भाभी...(हंसने की कोशिश करते हुए) आज से हम पांच नहीं छह लड़कियों का ग्रुप है...
शुभ्रा - अच्छा....
नंदिनी - एक नई लड़की.. आज ही मुझसे दोस्ती की... नाम है दीप्ति...
शुभ्रा - अरे वाह कल तक एक एक के लाले पड़ गए थे.... आज तो ऊपर वाले ने छप्पर फाड़ कर छह छह दोस्तों को भेज दिया...
नंदिनी - हाँ भाभी... पर वह दीप्ति ना... (मुहँ बनाते हुए) कुछ ज्यादा ही बोलती है... हाँ...
शुभ्रा - ओ हो... ऐसा क्या कह दिआ उसने...
नंदिनी - वह आज ही दोस्त हुई... मगर सबको सर्टिफिकेट देते घूम रही है.... हूं ह
शुभ्रा - ओ... ह्म्म्म्म... मतलब यह हुआ कि... आज उसने तुम्हें भी कुछ सर्टिफिकेट दिया है...
नंदिनी - हाँ... (कहकर नंदिनी अपना मुहँ फूला कर बिस्तर पर आलती पालती मार कर बैठ जाती है)
उसकी ऐसी हालत देख कर शुभ्रा की हंसी छूट जाती है l शुभ्रा को अपने ऊपर हंसते हुए देख कर नंदिनी भड़क जाती है और
नंदिनी - भाभी....
शुभ्रा नंदिनी के चेहरे को अपने दोनों हाथों से ले कर उसके माथे को चूम लेती है और कहती है - रूप... जरा याद करके बताना.... आखिरी बार... तुमने किस पर मुहँ बनाया था या रूठ गई थी...
नंदिनी इतना सुनते ही शुभ्रा को देखती है और कहती है - पता नहीं भाभी....
शुभ्रा - देखा रूप जब दोस्त जीवन में आते हैं.... विरान जीवन में भी बाहर ले आते हैं.... हर रंग में रंग देते हैं... वैसे.. वह दीप्ति ने तुझे कौनसा सर्टिफिकेट दे दिया है....
नंदिनी - (अपनी दोनों मुट्ठी को कस कर भींच लेती है) वह.... वह... मुहं जली कहती है.... कि मैं जब बातेँ शुरू करती हूँ... तो नन स्टॉप मैं ही बातेँ करती हूँ बिना किसीको मौका दिए....
शुभ्रा जोर जोर से हंसने लगती है नंदिनी को देखते हुए फ़िर अपना पेट पकड़ कर हंसने लगती है और कहती है - सच ही कहा है उसने... हा हा हा...
उसे ऐसे हंसता हुआ देख नंदिनी चिढ़ जाती है और चिल्लाती है- भा.... भी
शुभ्रा अपनी हंसी को काबु करती है l बात बदलने के लिए नंदिनी कहती है - जानती हो भाभी... आज हमने अपने ग्रुप का नाम करण किया है... और नाम भी मैंने दिआ है..
इस वार शुभ्रा फ़िर से हंसने लगी - हाँ... हाँ मालुम है... छटी गैंग...
इतना कहते ही शुभ्रा की हंसी रुक जाती है l उसे लगता है कि उसने यह कह कर गलती कर दी l उधर यह सुनकर हैरानी से नंदिनी की आंखे चौड़ी हो जाती है l
नंदिनी - भाभी क्या आपने मेरे पीछे जासूस लगाए हैं.... या फ़िर किसी और के जरिए मुझ पर नजर रखे हुए हैं....
शुभ्रा -शुभ्रा - देख रूप इस सहर में... जब तक तु है... तब तक तु मेरी जिम्मेदारी है.... और हाँ अभी के लिए बस इतना जान ले... मैंने किसी और को तेरे पीछे नहीं लगाया है.... पर हाँ जो तेरी खबर मुझ तक पहुंचा रही है... वह मेरी और तेरी अपनी है.... और मेरे होते हुए... तुझे कुछ भी होने नहीं दूंगी.... अभी फिलहाल इसे सस्पेंस रखते हैं... पर तुझे एक दिन मिलवाउंगी उससे....
नंदिनी - ठीक है भाभी... सारा मजा किरकिरा कर दिया... अब जब कॉलेज से लौटुंगी तब आपसे शेयर करते वह मजा नहीं आएगा....
शुभ्रा - धत पागल.... मुझे थोड़े ना हर दिन की खबर मिलेगी.... वह तो कभी कभी.... फिर भी रूप... मेरे पास अपने दिल में कभी कुछ मत रखना.... क्यूंकि दिल में कोई बात घर कर गई तो वह रिश्तों पर बुरा असर करती है...
नंदिनी - ठीक है भाभी... अच्छा भाभी.... क्यूँ न आज अपने हाथों से कुछ मीठा बना कर खिलाओ.....
शुभ्रा - श् श्श्श श्श्श.... रूप ऐसी बातें तब करना जब इस घर के मर्द इस सहर में ना हो.....
यह जो क्षेत्रपाल परिवार के मर्द मूछों पर ताव देते रहते हैं ना.... वह असल में एक तरफ दौलत की धौंस और दूसरी तरफ खानदानी पहचान का रौब....
उनको मालुम हुआ तो अपने मूछों पर ताव देते कहेंगे.... क्षेत्रपाल परिवार की औरतें क्यूँ कर रसोई में जाएं... हमने इतने नौकर चाकर रखे किसलिए हैं.....
नंदिनी - सौ फीसद सच कह रही हो आप.... तो आप ही बताओ... कब खाएं... मुझे तो आपके हाथ से खाने को बड़ा मन कर रहा है... चाहे खाना कैसे भी बना हो... पर खाना है...
शुभ्रा - ऐ चाहे कैसे भी बना हो मतलब... मैं खाना बहुत अच्छा बनाती हूँ... अगर मेरे हाथ का बना खाना है..... तो फिर कुछ दिन इंतजार कर..... जब तेरे भाई यहाँ नहीं होंगे.... उस दिन तुझे खिलाउंगी...
नंदिनी - वैसे भाभी..... मेरे दोनों भाई पूनम के चांद हो गए हैं..... कभी कभी ही दिखते हैं इस घर में .... देर रात घर आते हैं.... फिर पता नहीं कब उठते हैं और कहां चले जाते हैं.....
शुभ्रा - हाँ इस घर की नियति यही है.... पता नहीं कहाँ कहाँ घूमते फिरते हैं.... सिर्फ़ रात को आते हैं... जब मन किया खाते हैं वरना....
नंदिनी - अब वे लोग कहाँ हो सकते हैं....
शुभ्रा - पता नहीं.... ज़रूरत भी नहीं....

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शाम ढल रही है और रात गहरी हो रही है l एक फाइट रिंग में विक्रम पांच पांच फाइटरों के साथ लड़ रहा है l
नीचे चेयर पर बैठ कर वीर और एक अधेड़ आदमी बैठ कर विक्रम को लड़ते हुए देख रहे हैं l
वह आदमी - वाह क्या लड़ रहे हैं युवराज....
वीर - हाँ... महांती.... यह तो दूध, बादाम, घि से जो चर्बी बनाया जाता है, फिर उसे उतारने के लिए जबर्दस्त कसरत कर पसीना बहाना पड़ता है और यह रिंग व फाइट उसीका परिणाम है.... जितना ज्यादा खाओगे.... उतना ही ज्यादा पसीना बहाओगे.... यह नियम है.... अच्छे स्वास्थ्य के लिए चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए....
महांती - पर माफ कीजिएगा राजकुमार जी... मैंने आपको ना तो कभी पसीना बहाते देखा है ना ही लड़ते हुए...
वीर - अरे मैं भी पसीना खूब बहाता हूँ.... और कसरत भी बहुत करता हूँ... अरे महांती.... कसरत तो मैं इतना करता हूं ऐसी के ठंडक में भी पसीना पानी की तरह निकालता रहता है....
महांती - क्या.... आप बहुत कसरत भी करते हैं.... कब और कहां...
वीर - तुझे बड़ी उत्सुकता है महांती.... मुझे कसरत व पसीना बहाते हुए.... देखने के लिए... ह्म्म्म्म
महांती - नहीं ऐसी बात नहीं है.... मेरा मतलब है... आपको कभी युवराज जी की तरह रिंग में नहीं देखा है...
महांती - अबे वे युवराज हैं.... आने वाले समय में वे राज करेंगे.... और हमारे हिस्से में सारी काज ही आएंगे....
महांती - मैं कुछ समझा नहीं....
वीर - यह बहुत हाई लेवल की बातेँ है... इसे समझने के लिए लेवल बराबरी का होना चाहिए...
उधर फाइट खतम होता है, सारे फाइटर्स जो विक्रम के साथ लड़ रहे थे,सबके सब नीचे गिरे पड़े हैं l
वीर-(ताली मारते हुए) वाह युवराज जी वाह l
महांती - क्या बात है युवराज जी.... आपने तो इन प्रोफेशनल्स को धुल चटा दिआ....
विक्रम - (चेयर पर बैठते हुए) महांती सिर्फ इन सबकी ही नहीं... बल्कि हमारे सिक्युरिटी सर्विस में काम करने वाले सभी गार्ड्स की ट्रेनिंग थोड़ा टफ कर दो.... इन प्रफेशनल्स के रिफ्लेक्सेस अगर इतने स्लो रहेंगे तो.... हमारे सिक्युरिटी सर्विस की डिमांड कम ही जायेगी....
महांती - जी समझ गया युवराज....
विक्रम - अच्छा... अब बताओ.... वह... नभ वाणी के ऑफिस में जो लड़की प्रवीण के बारे में जानकारी जुटा रही थी.... उसका क्या हुआ...
महांती - जी.... अबतक हमारे हाथ खाली है....
विक्रम - जानता हूँ.... मैं बस यह जानना चाहता हूँ... अब तक तुम लोगों ने क्या क्या उखाड़ा है... वह बता....
महांती - सर माफ़ी के साथ.... पहली बात, हमने सिर्फ एक महीने पहले नभ वाणी ऑफिस की सिक्युरिटी को टेक ओवर किया है.... वह लड़की जरूर पहले आ कर रेकी कर जा चुकी थी... इसलिए पिछली बार जब वह आई थी तब चेहरे को अपने दुपट्टे से ढक कर आई थी.... और उसे पहले से ही कैमरा का अंदाजा था... वह जब भी कैमरा के सामने गुजरी... वह अपनी वैनिटी बैग का सहारा लिया था.... इसलिए वह कैमरा से बच पाई थी.... किसीने उसका चेहरा देखा नहीं था तो स्केच आर्टिस्ट के पास जाना बेकार था...
और राम मंदिर एक पब्लिक प्लेस था वहाँ पर झगड़ा कर अंदर जाना मुश्किल था.... क्यूंकि वह जगह एक धार्मिक जगह है.... और सबसे अहम बात.. बेशक इस सहर में राजा साहब का दबदबा है., दखल भी है ... पर यह भी सच है कि यह यश पुर नहीं है.....
विक्रम - बहुत लंबा चौड़ा एक्सप्लेनेशन दे दिया तूने....
महांती - सर फ़िर भी हमने सभी संस्थाओं में अपने आदमी छोड़ रखे हैं.... अगर उस केस में कहीं भी हलचल होती है... तो हम फौरन एक्शन में आयेंगे....
वीर - पर मुझे नहीं लगता है कि.... अब कोई भी प्रवीण की खैरियत पूछेगा.... तक जितने एक्शन हुए हैं.... पूछ ताछ करने वाले को अब अक्ल आ चुकी होगी.... इसलिए अब वह हमसे टकराने से पहले सौ बार सोचेगा.....
विक्रम - अगर तुम्हारी और महांती की लॉजिक सही है.... तो चलो हम जाल बिछायेंगे.... प्रवीण के इंफॉर्मेशन का रुमर उड़ाओ... तो शायद कुछ हाथ लगे....
वीर - हाँ यह हो सकता है.... क्यों महांती..
महांती - जी सर.... ऐसा हम कर सकते हैं...
विक्रम - तो फिर लग जाओ अपने काम पर....
महांती - जी सर... कहकर सैल्यूट ठोक कर चला जाता है,उसके जाते ही
विक्रम - हाँ तो राज कुमार जी.... वैसे आप कौन कौन से कसरत और कहाँ करते हैं कि आप दूध, बादाम व घि की चर्वी उतारते हैं....
वीर - क्या युवराज जी.... आप भी...
विक्रम - महांती ठीक कह रहा था... तुम्हें खुद को कॅंबैट के तैयार करना चाहिए....
वीर - युवराज जी मैं जब भी कॅंबैट करता हूँ... बहुत ही भयंकर घमासान करता हूं....
विक्रम - (उसे घूरते हुए देखता है)......
वीर - देखिए युवराज जी मैं वात्स्यायन के सभी आसनों को बड़ी शिद्दत के साथ करता हूँ.... और ऐसी कमरे में भी जमकर पसीना बहाता हूँ....
विक्रम - राजकुमार..... आप महांती की एक बात ना भूलें.... भले ही हमारा दबदबा यहाँ पर बहुत है.... फ़िर भी यह ना भूलें... यह भुवनेश्वर है यश पुर नहीं..... जो भी करो.. सोच समझ कर करो...
वीर - हाँ यह आपने सही कही.... पर युवराज एक बात पूछूं....
विक्रम - हाँ पूछिए....
वीर - पिछले कई महीनों से देख रहा हूँ.... आप रंग महल के लिए प्रबंधन करते तो हैं ..... पर डेरा नहीं डाल रहे हैं.... क्या मन भर गया आपका या रावण अब राम के राह पर निकला है....
विक्रम - (कुछ देर खामोश रह कर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) मैं कभी राम नहीं बन सकता.... इस जनम में तो बिलकुल नहीं..... जब तक मैं विक्रम सिंह क्षेत्रपाल हूँ.... मैं रावण ही हूँ....
वीर - तभी तो आप मुझे मेरी तरह रहने दें....
विक्रम - जो मर्जी आए वह करो.... पर इतना ध्यान रहे यहां हमरे दुश्मनों की तादात बहुत है..... आज तक हमने किसी को मौका नहीं दिया है.... तुम भी किसीको मौका मत देना...
वीर - ना ना ना.... मैं सिर्फ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की परिवार को देखता हूँ.... बहुत मदत भी करता हूँ... बदले में वह भी अपनी मर्जी से... मेरी मदत के बदले भेंट देते हैं.... जिन्हें में दिल व बाहें खोल कर स्वीकार करता हूँ....
विक्रम - इसलिए तुम्हें सम्भलने को कह रहा
हूँ.... रंग महल की रस्म हमारे दुश्मनों के लिए है... और यहां पार्टी के कार्यकर्ता अपने हैं.... यह यशपुर नहीं है.... यशपुर में कुछ भी हो जाए कोई नजर नहीं उठा सकता..... पर यहाँ, कहीं उनका गुस्सा हमला तक तो नहीं.... पर कहीं भड़ास गाली बनकर ना निकले....
वीर - हाँ तो क्या हुआ...मैं कौनसा सुदर्शन चक्र धारी भगवान हूँ.... अगर गाली बर्दास्त ना हुआ तो सुदर्शन चक्र निकाल कर छोड़ दूँ.... मैं जो भी कर रहा हूँ गालियाँ बर्दास्त करने के लिए....... अब कोई मुझे मादरचोद या बहनचोद कहेगा.... तो मुझे बड़ा दुख होगा.... इससे पहले कि वह इस तरह की गालियाँ दे कर मेरा मन दुखा दे इसलिए मैं उन सबकी माँ बहन चोद रहा हूँ....
विक्रम - तुमसे बात करना भी बेकार है....
वीर - ठीक है युवराज जी आप घर जाइए.... मैं किसी पार्टी के कार्यकर्ता के घर जा रहा हूँ...
इतना कह कर वीर निकल जाता है, पर वहीं चेयर पर बैठे विक्रम रह जाता है

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रात को डिनर के टेबल पर तापस व प्रतिभा दोनों डिनर कर रहे हैं l
प्रतिभा - तो सेनापति जी आपके VRS का क्या स्टेटस है....
तापस - क्यूँ वकील साहिबा... लगता है मुझसे भी ज्यादा जल्दी है आपको....
प्रतिभा - आपसे बात करना मतलब अपना सर फोड़ना.... अगर बताना नहीं है तो मत बताओ...
तापस - ऐ मेरी जानेमन...
तुमको इस डिनर की कसम....
रूठा ना करो.....
रूठा ना करो...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...
प्रतिभा - अब तो बता दीजिए...
तापस - अरे जान... विजिलेंस क्लियरेंस हो गया है l अब सिर्फ खान से नो ड्यू और नो ऑबजेक्सन सर्टिफिकेट लेना है.... उसे लेने में अगले हफ्ते जाऊँगा...
प्रतिभा - क्यूँ... अगले हफ्ते क्यूँ....
तापस - क्यूँकी मैंने वहाँ जैल छोड़ कर जाने से पहले किसीको कुछ देने का वादा किया है.....
प्रतिभा - क्या वादा किया था और किसइस....
तापस - अरे प्रिये प्राणेश्वरी हमारा अर्दली था ना... वह जगन... उसकी हेल्पर कांस्टेबल पोस्ट की अप्रूवल जो बाकी है.....
प्रतिभा - क्या इस हफ्ते हो जाएगा.....
तापस- हाँ लगभग हो चुका है.... बस लेटर मिलते ही.. मैं अपना नो ड्यू व एनओसी ले आऊंगा....
प्रतिभा - अच्छा (कुछ देर रुक कर) और.... वह... नभ वाणी न्यूज रिपोर्टर....
तापस - (गहरी सांस लेते हुए) सच्चाई बहुत कड़वी और पीड़ा दायक होती है.... और सच यह है कि वह और उसके परिवार में से कोई भी जिंदा नहीं हैं...
प्रतिभा - (हैरानी व दुखी हो कर) क्या........
तापस - मुझे पुरा यकीन है... उनकी लाशें ढूंढने से भी नहीं मिलेंगी....
प्रतिभा - मतलब..
तापस - (अपना खाना खतम कर उठते हुए) मैंने कुछ फैक्टस पर गौर किया और अपने सोर्सेस को इस्तेमाल कर के यह नतीज़ा निकाला के.... जिनको क्षेत्रपाल सहर या दुनिया से ग़ायब करता है... उनके गायब होने के एक ही स्थान है...
प्रतिभा - कौनसी जगह....
तापस - राजगड़....
प्रतिभा - (कुछ चिंतित होते हुए) क्या....
तापस - मैं समझता हूँ तुम्हें अब कौनसी चिंता सता रही है....(प्रतिभा के कंधे पर हाथ रखते हुए) उसे कुछ नहीं होगा... कुछ होने नहीं दूँगा... कम से कम मेरे जीते जी तो नहीं....
तुमने जितना उसे देखा है, समझा है ... मैंने उसे तुमसे कहीं ज्यादा किसी और सांचे में ढलते हुए देखा है.....
और उसकी हिफाज़त के लिए हम दोनों तो हैं ना.... हमने अपनी औलाद के लिए भले ही कुछ ना कर पाए.... पर इसबार ऐसा नहीं होगा.... अपना सब कुछ बाजी लगा देंगे... पर उसे कुछ नहीं होने देंगे..
प्रतिभा तापस के हाथ को पकड़ कर उसे पलकें झपका कर अपनी सम्मति देती है....
Fantastic update...
 
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Kala Nag

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Fantastic update...nandini freely apni college life enjoy karne lagi he.biswa ko tapas ki patni ne jail me dala indirectly aur tapas usko nikalna chahata he.akhir biswa ka galti he kya.
यह आगे चलकर पता चलेगा कहानी जब फ्लैशबैक पर चलेगी
अभी थोड़ा टाइम है
 

bapi1234

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nice update
 

Kala Nag

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अगले दो अपडेट में एक संक्षिप्त सा Information वाला फ्लैशबैक होगा जिसमें अतीत व वर्तमान के मध्य ताल मेल बिठाते हुए चरित्र अपनी जुबानी प्रस्तुत करेंगे जो कहानी के लिए अति आवश्यक होगा पर यह पुर्ण फ्लैशबैक देर में आएगा
इसलिए आने वाले दो अपडेट कोई पुर्ण निष्कर्ष नहीं होगा

पाठकों यह अवश्य ध्यान रखियेगा

धन्यबाद
 
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