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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
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ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मित्र - रॉकी का ऐक नया ही चरित्र निकल कर आ रहा है, देखे किस मोड़ पर पहुंचता है
विश्व का मेजर को विस्तृत रूप में समझाना रोचक लगा, रूप को अब प्रतिभा के जरिए विश्व तक पहुचने की राह बनती दिख रही है
मेरे कुछ हिन्दी उपन्यास के लेखक पसंदीदा रहे हैं सुरेंद्र मोहन पाठक जी, वेद प्रकाश शर्मा जी, पूरे तथ्यों के साथ लिखते हैं थे, आप भी सच में वहीं कोशिश करते हैं, मेरी शुभकामनाएं है आपको, अगले एपिसोड के इंतजार में
🙏
 

Lib am

Well-Known Member
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👉छियासठवां अपडेट
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शनिवार का दिन
XXXX कॉलेज कैंपस

बाइक स्टैंड पर राजु, सुशील और आशिष रॉकी के गाड़ी के पास खड़े हैं l रवि उनके पास भागता हुआ आता है l

राजु - (पूछता है) कैन्टीन में मिला...
रवि - नहीं... नहीं यारों... रॉकी कैन्टीन में भी नहीं है...
सुशील - तो फिर गया कहाँ... बाइक स्टैंड पर पार्क किया है... मतलब कॉलेज तो आया है... पर दिख क्यूँ नहीं रहा है...
राजु - कहीं... वह... उनके हथ्यै...
रवि - ऑए... चुप कर.. चुप... साले शुभ शुभ बोल...
सुशील - हाँ यार... डरा मत... पहले से ही फटी पड़ी है... तु और फाड़ क्यूँ रहा है...
राजु - (झिझकते हुए) सॉरी... सॉरी...
आशीष - हमने सभी जगह तलाश लिए... सिवाय स्क्वाश कोर्ट के...
रवि - हाँ यार... यह तो हम भूल ही गए थे... वह जब भी टेंशन में होता है... वह स्क्वाश कोर्ट चला जाता है...
सुशील - चलो फिर सब....

सभी कॉलेज के पीछे वाले फील्ड की ओर जाते हैं l वहाँ पर बने इंडोर स्टेडियम के स्क्वाश कोर्ट में उन सबको रॉकी पसीना बहाते हुए दिख जाता है l सभी कोर्ट के पास वाले बेंच पर बैठ जाते हैं l रॉकी अपनी राकेट से बॉल को हिट करते हुए अपना फ्रस्ट्रेशन निकाल रहा है, जो उसके दोस्तों को मालुम हो जाता है l रवि से रहा नहीं जाता वह रॉकी के पास जाता है और उसे रोक देता है l रॉकी गुस्से से रवि को देखता है तो रवि उसे छोड़ देता है l रॉकी के बाकी सभी दोस्त रवि के पास पहुँच जाते हैं l रॉकी नॉर्मल होने की कोशिश करता है l अपने वॉटर बॉटल से पानी निकाल कर अपने मुहँ पर डालने के बाद टवेल से पोंछ कर

रॉकी - सॉरी...
रवि - इट्स ओके... पर आज तु इतना... फ्रस्ट्रेड क्यूँ है...
रॉकी - (चुप रहता है)
आशीष - हाँ यार... अपना मनमौजी यार... इतना ग़म जादा क्यूँ है...
रॉकी - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) कुछ समझ में नहीं आ रहा...
राजु - क्या...
रॉकी - अच्छा रवि... इन तीन दिनों में... क्या डेवलपमेंट हुआ है... तेरी वाली ने कुछ बताया है...
रवि - मतलब किस बारे में....
रॉकी - नंदिनी और उसके ग्रुप की... कोई खास खबर...
रवि - नहीं... सिवाय इसके कि... कल दोपहर को... नंदिनी अपनी भाभी के साथ मिलकर.... उसके दोस्तों को... अपने घर पर पार्टी दे रही है... क्यूँ क्या हुआ...
रॉकी - (कुछ सोच में पड़ जाता है और चुप रहता है)
सुशील - रॉकी.... है.. रॉकी... (रॉकी का ध्यान टूटता है) कहाँ खो गया....
रॉकी - अच्छा बताओ... हमारा मिशन नंदिनी को बाइक पर बिठाओ का... क्या डेवलपमेंट है...
आशीष - ऑल मोस्ट जीरो.... हम जहां थे... वहीं हैं...
राजु - हाँ... तुझे अपनी बातों और मुलाक़ातों के जरिए... अपने और नंदिनी के बीच एक कंफर्ट जोन बनाना चाहिए था... तब हम आगे की सोच पाते... पर...
रवि - हाँ... तुने उस दिन मुझसे... नंदिनी का फोन नंबर मांगा... फिर लेने से मना कर दिया... क्यूँ... डर गया था ना... इसलिए मुझे लगता है... मिशन वहीँ फूस हो गया...
रॉकी - नहीं ऐसा नहीं है... मेरी नंदिनी से बातों का सिलसिला जारी है....
सब - (हैरानी से) क्या...
रॉकी - हाँ...
राजु - क... क.. कैसे...
रॉकी - फोन पर...
रवि - त... त त... तुने... क... कहाँ से और कैसे.. न..न... नंबर हासिल की...
रॉकी - नंदिनी ने ही मुझे फोन किया था...
सब - (हैरान हो कर) व्हाट...
रॉकी - हाँ... (रवि से) इसलिए मैंने तुझ से पुछा... उनके ग्रुप में हलचल के बारे में...
रवि - तेरे नंदिनी से बातचीत का... उस ग्रुप की हलचल से क्या संबंध...
राजु - (रवि से) तु रुक... एक मिनट के लिए... (रॉकी से) तुझसे पक्का... नंदिनी ही बात कर रही है ना...
रॉकी - हाँ... पहले मुझे भी यकीन नहीं हुआ... पर बाद में नंबर से कंफर्म किया... और आवाज़ तो पहचानता हूँ...
सुशील - यह तो बहुत ही अच्छी खबर है... पहले नंदिनी ने अपनी तरफ से... दोस्ती का हाथ बढ़ाया... और उसके बाद फोन पर बात कर रही है... फिर फ्रस्ट्रेशन किस बात की है तुझे....
रॉकी - पहली बात... नंदिनी ने मेरा नंबर... अपने ग्रुप से बाहर किसी और से हासिल की है... अगर ग्रुप में से किसी से हासिल की होती... तो हमें मालुम हो गया होता... राइट...
सब - राइट....
रॉकी - पर ऐसा नहीं हुआ... मतलब हमारी बातों को वह अपने ग्रुप से भी छुपा रही है...
रवि - यह कोई इशू नहीं... तुझे उसने घड़ी दी है... यह बात भी तो उसके ग्रुप में किसीको मालुम नहीं है...
राजु - यह पॉइंट है....
रॉकी - क्यूँ...
राजु - सिंपल... ताकि यह बात किसी को भी पता ना चले... ना कॉलेज में... ना घर या दोस्तों में...
रॉकी - (राजु से) ठीक है... उसके ग्रुप को ना सही.... पर हमारे ग्रुप को तो मालुम है...
आशीष - तु कहना क्या चाहता है...
रॉकी - यही... की हमारी दोस्ती की बात... वह अपने ग्रुप से छिपा क्यूँ रही है... पर हमारे ग्रुप के सामने घड़ी देते हुए ना झिझक रही थी... ना ही डर रही थी...

रॉकी की बात सुनकर सब चुप हो जाते हैं l किसीको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है l

राजु - रॉकी... अब वाकई... सब कंफ्यूजन सा लग रहा है... वैसे तुझे क्या लग रहा है...
रॉकी - उसे किस बात की झिझक है... अगर है... तो मैं उसकी झिझक खतम करना चाहता हूँ... उसके मन को टटोलना चाहता हूँ...
रवि - पर कैसे...
रॉकी - मिशन बाइक के पीछे नंदिनी को बिठाओ को.... अंजाम दे कर...
राजु - अररे यार... तु... घुम फिर कर वहीँ पहुँच गया...
रवि - ठीक है... ठीक है... पर मिशन के लिये... नंदिनी को अपने आप तेरे पीछे बैठना होगा... पर कब...
रॉकी - जब बीच रास्ते में... उसकी कार ख़राब हो जाए...
सुशील - हाँ... दिल बहलाने के लिए खयाल अच्छा है... पर कार बीच रास्ते में खराब होगी क्यूँ और कैसे...
आशीष - कहीं तु भूल तो नहीं रहा... वह रुप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है... उनके घर पर गाड़ियों की कमी तो बिल्कुल नहीं होगी... सिर्फ फोन कॉल की देरी होगी... उसकी सेवा में गाड़ी चुटकी में पहुँच जाएगी...
राजु - और नहीं तो... वैसे भी उसके लिए गाड़ी खराब करना पड़ेगा... हम कोई मेकेनिक तो नहीं हैं...
रवि - हाँ... और गाड़ी खराब करने के लिए... उस बुढ़े ड्राइवर को गाड़ी के पास से हटाना होगा... और भाई मेरे... यह नामुमकिन है... इसलिए बात मान ले... भले ही इंतजार की घड़ी लंबा क्यूँ ना हो... पर बातों और मुलाक़ातों के सिलसिला को जारी रख... उसके बाद... जब वह तुझ पर पुरा भरोसा करने लगेगी... तब... तब वह तेरे बाइक के पीछे बैठ सकती है...
सब - हाँ बिल्कुल...
रॉकी - मैंने बात कहाँ से शुरु की... तुमने बात कहाँ तक पहुँचा दी...
रवि - क्या मतलब...
रॉकी - वह मुझसे बात तो कर रही है... पर अपने दोस्तों से छुपा रही है... मैं उसके तरफ हर रोज एक कदम बढ़ाता हूँ... उसके दिल में अपने लिए भावनाओं को जगाने के लिए... पर ऐसा लगता है कि वह हर रोज.... एक कदम पीछे चली जाती है... हमारे दरम्यान दूरी रोज उतनी ही रह जाती है... यार... वह भले ही.... मेरे हर बढ़ते हुए कदम के साथ... अपनी कदम को आगे ना बढ़ाए... पर पीछे तो ना जाए... कास... कास के वह वहीँ पर रुक जाती... मैं अपने हर एक कदम के साथ यह दूरियां... यह झिझक सब खतम कर देता... इसलिए मैं एक बार अपनी बाइक के पीछे बिठा कर उसके घर तक जाना चाहता हूँ...
राजु - तो ठीक है ना... जल्दी क्या है... बातों का सिलसिला जारी रख.... फिर कॉलेज में मुलाकातें का सिलसिला शुरू कर... तेरे ख्वाब पुरे होने से... भगवान भी नहीं रोकेगा....
रॉकी - (एक निराशा भरी श्वास छोड़ते हुए) क्या आज... तुम लोग कुछ नहीं कर सकते...
रवि - क्या... यार पहली बात यह बाइक वाली लॉजिक समझ में नहीं आ रहा है... उस पर... पागल हो गया है क्या तु.... कैसे होगा... कौन करेगा... अबे... हम स्टूडेंट हैं.. कोई प्रोफेशनल क्रिमिनल नहीं हैं...
रॉकी - यह डायलॉग... पुराना है... सुन चुका हूँ...
आशीष - पर खतरा तो नया है ना...
सुशील - चल मान भी ले... हम कोई ना कोई तिकड़म भीड़ा कर गाड़ी को खराब कर भी देंगे... पर भाई मेरे कैसे... उसके लिए उस बुढ़े ड्राइवर को गाड़ी के पास से हटना तो पड़ेगा ना...
रवि - और यह होने से रहा...
रॉकी - यही... यही तो मेरी फ्रस्ट्रेशन की वजह थी...
सब - ओ... अच्छा...
राजु - रॉकी... मैं फिर से कह रहा हूँ... सब्र से काम ले... बड़े बुज़ुर्ग कह गए हैं... सब्र का फल मीठा होता है...
रवि - हाँ... बिल्कुल...
रॉकी - बुजुर्ग यह भी कह कर गए हैं... कल करे सो आज कर... आज करे सो अब...
रवि - इन साले बुजुर्गों की...
आशीष - (रॉकी से) फिर भी... तुझे जल्दी क्यूँ पड़ी है... जब कि हम सब जानते हैं... और तु भी मानता है... इस रेस में तु अकेला है....
रॉकी - (कुछ देर चुप रहता है, फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) पता नहीं... पर... मुझे लगता है... की मैं अकेला नहीं हूँ... कोई तो है...
सब - क्या... क्या मतलब हुआ...
रॉकी - मैं जब जब नंदिनी को अपनी ख्वाबों में देखना चाहता हूँ... नंदिनी के साथ साथ धुँधला सा एक अक्स... मुझे दिखाई देता है... जो मुझे एहसास दिलाता है... की वह मुझसे कई गुना बेहतर है... जो नंदिनी से.... शायद गहराई से जुड़ा हुआ है....
सब - क्या...
रॉकी - हाँ... यह मेरी वहम भी हो सकता है... पर मेरी सिक्स्थ सेंस कह रहा है... कोई तो है... कहीं तो है...
सब - अच्छा... ऐसा कौन हो सकता है वह... कहाँ हो सकता है वह...


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सेंट्रल जैल
स्किल अपग्रेड सेंटर
एक कटर को हाथ में लिए विश्व लकडिय़ों को साइज में काट रहा है l तभी उसके सामने एक संत्री आकर खड़ा हो जाता है l संत्री इशारे से कटर को बंद करने के लिए कहता है l विश्व कटर मशीन को रोक कर

विश्व - क्या हुआ संत्री साहब... क्या बात है...
संत्री - सुपरिटेंडेंट साहब ने तुम्हें खबर करने के लिए कहा...
विश्व - कैसा खबर...
संत्री - कोई आया है... तुमसे मिलने... तुम्हारा इंतजार कर रहा है... लाइब्रेरी में...
विश्व - मेरा इंतजार... कौन और क्यूँ...
संत्री - यह तो मुझे नहीं पता...
विश्व - ठीक है... आप एक काम करो... उन्हें यह खबर दो की मुझे सिर्फ पांच मिनट लगेंगे...

संत्री यह सुनते ही वापस मुड़ कर चला जाता है l विश्व अपनी वर्कशॉप वाली कपड़े उतार कर वर्कशॉप के वॉशरुम रिफ्रेश होने जाता है l रिफ्रेश होने के बाद अपनी जैल यूनीफॉर्म पहन कर लाइब्रेरी पहुँचता है l लाइब्रेरी में दाखिल होते ही उसे एक शख्स दिखता है l वह शख्स खिड़की पास खड़े होकर बाहर की ओर देख रहा है l उस शख्स को विश्व के आने की एहसास होता है तो मुड़ कर विश्व को सिर से लेकर पावों तक घूर कर देखता है l विश्व भी उस शख्स पर एक सरसरी निगाह डालता है l उस शख्स की उम्र पचपन से साठ के बीच लगती है, उस शख्स के सिर पर एक ग्रै कलर के आस्कॉट इवी कैप है, आँखों पर मोटे फ्रेम वाला ब्लू टेक रेक्टांगुलार गॉगल पहना हुआ है, चेहरा क्लीन शेव्ड, गले में हिसडर्म स्ट्राइप चेक क्रैवेट स्कार्फ पहना हुआ है, बदन पर जर्जिओ अर्मानी ब्लेजर, दाहिने हाथ में एल्बो क्लचर और पैरों में मैपल ऑक्सफोर्ड शू l

विश्व - माफ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं....
शख्स - (भारी मगर रौबदार आवाज़ में) हम पहली बार मिल रहे हैं... यंगमैन...
विश्व - पहली बार मिल रहे हैं... आइए... हम बैठ कर बातेँ करते हैं... (वह आदमी आकर चेयर पर बैठता है) (विश्व भी उसके सामने वाले चेयर पर बैठ कर) ऐसी कौनसी खास काम... निकल आया आपका मेरे पास..
शख्स - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) मेरा नाम... स्वपन जौडर है... मैं किसी के पास गया था... एक काम के सिलसिले में... तो उन्होंने मुझे तुम्हारे लिए रिकमेंड किया...
विश्व - अच्छा...
स्वपन - ह्म्म्म्म...
विश्व - हूँ... पर सर... जितना मैं समझ पा रहा हूँ... आप मुझसे मिलकर खुश नहीं हुए हैं...
स्वपन - हाँ... जिन्होंने तुम्हारे नाम की रिकमेंड की है... उनके लिए... जब मैं यहाँ से जाऊँ... तुम पर कैसा ओपीनीयन लेकर जाऊँ... यह तुम पर डिपेंड करता है... उनके किए गए रिकमेंडेशन की क्या वैल्यू है...
विश्व - अच्छा.. तो आप क्या चाहते हैं मुझसे...
स्वपन - मैंने सिर्फ़ अपना नाम बताया है... अब तुम मेरे बारे में क्या खयाल बना पाए हो... बताओ...
विश्व - (एका एक थोड़ा सीरियस हो कर) सर आप एक्स सर्विस मैन हैं... आपकी उम्र पचपन से साठ के बीच है... आप एज अ राइफल मैन सर्विस शरू की थी.... पर अपनी क़ाबिलियत के दम पर मेजर रैंक तक पहुँचे होंगे... आपकी दाहिने पैर के घुटने के जरा सा उपर गोली लगी थी... इसलिए आप यह एल्बो क्लचर इस्तमाल कर रहे हैं... पर आपको चलने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है... पर चूँकि आपके पैरों के पेशियों में खिंचाव सा है... इसलिए आप बैठते वक़्त कभी पैरों को सीधा कर रहे हैं... और कभी फ़ोल्ड कर बाएं पैर पर रख रहे हैं.... आप यूँ तो राइट हैंडेड हैं... पर सिर्फ़ लिखने का काम... आप अपनी बाएं हाथ से करते हैं... और टेबल पर लिखते हुए हमेशा अपन दाएं कुहनि पर भार दे कर लिखते हैं....

इतना कह कर विश्व चुप हो जाता है l यह सब सुनने के बाद स्वपन का मुहँ खुला का खुला रह जाता है l जब उसे इस बात का एहसास होता है कि विश्व कहना बंद कर दिया है l तब व

स्वपन - (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए, और होठों पर एक हल्की मुस्कान बिखेरते हुए) इंप्रेसीव... रियली आई एम इंप्रेस्ड..
विश्व - क्या अब आप बतायेंगे... आप मेरे पास किस काम के लिए आए हैं...
स्वपन - श्योर... यंग मैन श्योर... मैं भुवनेश्वर में दो सालों से अपना बिजनैस सेट करने में लगा हुआ हूँ... बाय द ग्रेस ऑफ ऑल माइटी... मैं कामयाब भी हुआ हूँ... पर अब कुछ लीगल प्रॉब्लम्स आ रहे हैं... मुझे उसके लिए एक लीगल एडवाइजर की जरूरत है...
विश्व - अब समझा... आप को यहाँ... मिसेज़ प्रतिभा सेनापति जी ने भेजा है...
स्वपन - हाँ... उन्होंने मुझे तुम्हारा नाम सुझाया... तुम्हारे क्वालिफीकेशन, एक्सपेरियंस के बारे में ब्रिफली बताया.... और यह भी बताया... के तुम्हें ढाई तीन महीने के भीतर बार लाइसेंस भी मिलने वाला है.... पर उसके बावजूद... मैं सच कहता हूँ... पहली मुलाकात में... तुम मुझे बिलकुल भी अच्छे नहीं लगे.... पर नाउ आई एम रेडी टू हायर यु...
विश्व - पर मैं यहाँ... भुवनेश्वर में... ज्यादा दिन रहने वाला नहीं हूँ...
स्वपन - वह मैं जानता हूँ... तुम सिर्फ हफ्ते में... वीकेंड को ही आओ... अपनी एडवाइज दो... और जब ज़रूरत पड़े.... कोर्ट में केस फाइल करो...
विश्व - (कुछ सोच में पड़ जाता है और चुप रहता है
स्वपन - क्या सोचने लगे यंग मैन..
विश्व - (स्वपन की ओर देख कर) मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था... क्या आप मुझे थोड़ा वक़्त देंगे..
स्वपन - हा हा हा हा... क्यूँ नहीं... तुम्हारे पास लाइसेंस नंबर आने में अभी वक़्त है... तब तक सोच सकते हो..
विश्व - थैंक्यू..

स्वपन जाने के लिए उठता है, विश्व भी अपनी जगह उठ खड़ा होता है, पर दरवाजे पर स्वपन पहुँच कर विश्व के ओर मुड़ता है

स्वपन - मिस्टर विश्व प्रताप... मेरे मन में जिज्ञासा है.... तुमने मेरे बारे में इतना सटीक कैसे अनुमान लगाया... क्या मुझे बताना चाहोगे.
विश्व - सर आपकी फिजीक,... आपकी पर्सनैलिटी,... आपकी एपीयरेंस.... आपके आर्मी बैकग्राउंड के बारे में खुद ब खुद बखान कर देती है...
स्वपन - यह कोई भी आदमी कह सकता है... पर मेरे सर्विस रिकार्ड के बारे में... कैसे
विश्व - आप जब भी चलते हैं... बयां कंधा दाएं कंधे से थोड़ा सा झुका रहता है... सटीक देखने पर पता चलता है... मतलब शुरुआती दिनों में आप राइफल पकड़ कर गार्ड स्टैंस लेते थे.... और सलामी भी दिया करते थे... किसी कॉमबैट के बाद... आपकी तरक्की हुई... आप मेजर रैंक तक पहुँचे... यह आपकी पहनावे और आवाज में कमांड वाली रौब... आपकी जर्नी बता दिया... फिर उसके बाद आपको गोली लगी... फिर रिटायर्मेंट..
स्वपन - वेल वेल वेल... अगेन आई एम इंप्रेस्ड... और उम्मीद करता हूँ... तुम मेरे ऑफर पर गौर करोगे...

इतना कह कर स्वपन लाइब्रेरी से निकल जाता है l विश्व उसे जाते हुए देखता है l स्वपन के चले जाने के बा

विश्व - तुम छुपी हुई क्यूँ हो... बाहर आ जाओ माँ
प्रतिभा - (वॉशरुम से बाहर निकल कर) तुने यह कैसे पता कर लिया... मैं वॉशरुम में हूँ..
विश्व - यह तुम क्या कर रही हो... क्यूँ कर रही हो..
प्रतिभा - अररे... मैं तेरे लिए कैरियर ऑपर्चुनिटी ले कर आयी हूँ.. और तु... (मायूस हो कर) मुझसे ऐसी बातें कर रहा है...
विश्व - बस माँ बस... तुमसे ऐक्टिंग नहीं होगा... प्लीज..
प्रतिभा - ठीक है... तो सुन... यह कल मेरे पास आए थे... अपनी प्रॉब्लम के बारे में बताया... तब मैंने इन्हें तेरा नाम इसलिए सुझाया... क्यूंकि तु... हर हफ्ते काम के बहाने भुवनेश्वर आया करे...(रूठ कर मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (प्रतिभा के आगे जा कर) माँ... क्या मेरे वादों पर भी भरोसा नहीं था... (गले से लग जाता है)
प्रतिभा - छोड़ मुझे... और यह बता... स्वपन जोडार की ऑफर करेगा या नहीं..
विश्व - अगर ना कहूँ भी तो... क्या तुम मानोगी... करना ही पड़ेगा...
प्रतिभा - शाबाश... (कह कर विश्व को गले से लगा लेती है)
विश्व - अच्छा माँ...
प्रतिभा - हूँ...
विश्व - भूख लगी है...
प्रतिभा - (विश्व से अलग हो कर) मैं जानती थी... इसलिए खाना साथ में लाई हूँ... चल मिलकर खाते हैं...
विश्व - ठीक है...

प्रतिभा लाइब्रेरी के टेबल पर खाना लगा देती है l दोनों आमने सामने बैठ कर खाना खाने लगते हैं

विश्व - माँ... फिर से पुछ रहा हूँ..
प्रतिभा - क्या... यही ना.. के तेरे वादों पर भरोसा था या नहीं... तो सुन... था... है... और रहेगा... पर... मैं चाहती थी... तेरे पास अपनी कैरियर ऑपर्चुनिटी हो... वह भी अपनी काबिलियत पर तु हासिल करे... इसलिए मैंने उसे तेरे क़ाबिलियत के बारे में जानकारी दी... और मुझे खुशी है कि तुने उसे इम्प्रेस कर दिया....
विश्व - मैंने उसे अपने लिए नहीं.... तुम्हारी खुशी के ख़ातिर इम्प्रेस किया...
प्रतिभा - जानती हूँ... पर मेरी खुशी की वजह दुसरी है...
विश्व - ओह... फॉर गॉड शेक... आप फिरसे शादी की बात मत छेड़ देना....
प्रतिभा - अररे वाह... बेटा हो तो तेरे जैसा...
विश्व - ओह नो...
प्रतिभा - ओह यस...
विश्व - कहीं इसे दिखा कर... तुम कोई लड़की तो नहीं ढूंढने वाली...
प्रतिभा - (मुस्कराते हुए) कितना सही अनुमान लगा लेता है....
विश्व - ठीक है माँ... मेरे लिए हाथ किससे माँगोंगी... कोई परिवार वाला तो मुझे अपनी जमाई नहीं बनाएगा... और कोई लड़की भी क्यूँ कर राजी होगी...
प्रतिभा - अररे... फिर वही नेगेटिव बातेँ... (विश्व की ठुड्डी पकड़ते हुए) मेरे इस बेटे के लिए तो चांद से उतर कर कोई परी आएगी... (फिर अपने दोनों हाथों मोड़ कर अपनी ठुड्डी के नीचे रख कर) वह कोई आम लड़की नहीं होगी.... कोई राजकुमारी होगी... देख लेना...

विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और उसकी खांसी निकलने लगती है l प्रतिभा झट से उसे पानी की बोतल से पानी पिलाती है

प्रतिभा - (विश्व की पीठ को सहलाते हुए) क्या हुआ... कौन याद कर रहा है तुझे..
विश्व - कुछ नहीं...(हँस कर छेड़ते हुए) शायद तुम्हारे ख्वाब की राजकुमारी....
प्रतिभा - तु मेरा मज़ाक उड़ा रहा है... हूँ..ह्

प्रतिभा अपनी जगह पर जा कर मुहँ को मोड़ कर खाना खाने लगती है l विश्व प्रतिभा के पास जाकर अपना चेहरा प्रतिभा के कंधे पर रख देता है l प्रतिभा भी मुस्कुराते हुए विश्व के मुहँ में खाने की कोर देने लगती है l विश्व खाते हुए अपनी आँखे बंद कर लेता है


दस साल पहले
क्षेत्रपाल महल
छोटी रुप को अट्ठारह साल का अनाम पढ़ा रहा है I पर रुप पढ़ने के वजाए अनाम को गुस्से से घूर रही है l अनाम पढ़ाने में व्यस्त है l रुप की गुस्से को नोटिस ना करने के वजह से रुप जोर जोर से सांस लेने लगती है और फु फु कर सांस छोड़ने लगती है l रुप की इस हरकत ने अनाम का ध्यान खींचती है

अनाम - क्या बात है... राजकुमारी जी... लगता है आप आज किसी पर बहुत गुस्सा हैं... अगर पढ़ने का मन ना हो तो आज पढ़ाई यहीं रोक दें.

रुप कुछ कहने के वजाए और भी गुस्से से अनाम को देखती है l अनाम अब थोड़ा डरते हुए किताबें समेटने लगता है l सब समेट कर अनाम रुप के सामने खड़ा होता

अनाम - अच्छा... राजकुमारी जी... आज की पढ़ाई बस इतनी... मैं अब चलता हूँ..

रुप अचानक अपनी कुर्सी पर खड़ी हो जाती है और अनाम के ऊपर छलांग लगा देती है l अनाम बैलेंस नहीं कर पाता और पीठ के बल नीचे गिर जाता है l रुप अपनी कमर पर हाथ रखकर उसके छाती पर बैठ जाती है

अनाम - (हकलाते हुए) क... क.. क्या... ब... ब.. बात है... र... र.. राजकुमारी जी....
रुप - तुम सीधे पढ़ाने नहीं आ सकते थे... उस लता के साथ बातें क्यूँ कर रहे थे..
अनाम - क क क कौन लता...
रुप - अच्छा... कौन लता... कितनी देर तक उसके साथ फें फें कर हँसते हुए बातेँ कर रहे थे... अब पुछ रहे हो कौन लता.... हूँ..ह्.
अनाम - अच्छा तो उनका नाम लता है... पर.. मुझे तो मालुम ही नहीं था...
रुप - झूठ मत बोलो...
अनाम - मै मै मै... मैं झू झू झूठ... क्यूँ बोलूंगा... वह.. लता ने ही मुझे रोक लिया था... बेवजह बातेँ भी कर रही थी... पर मैं जल्दी आ गया ना आपको पढ़ाने..
रुप - क्या... जल्दी... पुरे आधा घंटा लेट थे...
अनाम - प्लीज राजकुमारी जी प्लीज.... भगवान से डरीए... सिर्फ़ पांच मिनट ही लेट हुआ मैं...
रुप - वह मैं नहीं जानती... अगर कल से... किसी लड़की से बातेँ करते हुए दिखे... तो मैं खिड़की से बाहर कुद जाऊँगी.... पूछने पर बताऊंगी के तुमने मुझे धक्का दिया..
अनाम - क्या... (आँखे फैल जाती है) नहीं... सिर्फ बात ही तो कर रहा था..
रुप - वह मैं नहीं जानती... (नीचे पड़े अनाम की कलर पकड़ कर) तुम सिर्फ मुझसे बातेँ किया करोगे..
अनाम - पर... अगर कोई मुझसे बात करने की कोशिश करेंगे... तो जवाब तो देना पड़ेगा ना..
रुप - नहीं... इस महल में... तुम सिर्फ़ मुझसे और मेरे चाची माँ से बात करोगे... किसी और लड़की या औरत से बात की... तो देख लेना... (कह कर अनाम की नाक काट लेती है
अनाम - आ.. ह्... मेरी नाक... यह क्या कर रहीं हैं आप..
रुप - धीरे से काटा है... अगली बार उखाड़ लुंगी..
अनाम - नहीं नहीं... पर यह तो बताइए... मैं क्यूँ किसी से बात नहीं कर सकता..
रुप - क्यूँकी मैं बड़ी हो कर तुमसे शादी जो करने वाली हूँ..

यह सुन कर अनाम झट से उठ खड़ा होता है पर रुप अनाम की कलर को पकड़े हुए उसके कमर के इर्द-गिर्द अपनी पैरों को मोड़ कर बांध देती है

अनाम - यह क्या कह रही हैं... राजकुमारी जी... आप जानती हैं... आप कितनी छोटी हैं... और मैं आपसे कितना बड़ा हूँ..

रुप के आँखों में आँसू आ जाते हैं l वह रोनी चेहरा बना कर सुबकने लगती है

अनाम - (डरते हुए) रा.. राज... कुमारी जी... प्लीज... रोइए मत प्लीज.
रुप - नहीं रोउंगी...(सुबकती हुई) अगर मेरे सिर पर हाथ रख कर कसम खाओ..
अनाम - (डर के मारे जल्दी जल्दी रुप के सिर पर हाथ रखकर) ठीक है मैं आपके सिर पर हाथ रखकर.... बोलिए क्या कसम खाउं..
रूप - मेरे साथ कहो..
अनाम - ठीक है....
रुप - जब मैं शादी के उम्र की हो जाऊँगी... तुम मुझसे शादी करोगे...
अनाम - क्या... (अपना हाथ रुप की सिर से हटा देता है)
रुप - तुमने मेरी कसम खाई है... अगर नहीं माने तो मेरा मरा हुआ मुहँ देखोगे...
अनाम - (हकलाते हुए) क.. क्या... ये.. यह चीटिंग है...
रुप - यह चीटिंग नहीं फिटिंग है... अब या तो कसम उठाओ या फिर मेरा मरा हुआ मुहँ देखो...
अनाम - (बड़ी अनीच्छा से) ठीक है.... (रुप की सिर पर हाथ रखकर) मैं आपकी सिर की कसम खा कर कहता हूँ... आप की शादी की उम्र हो जाने के बाद... मैं आपसे शादी करूँगा..

रुप खुश हो कर अनाम के गालों को चूम लेती है

"यह देखो... राजकुमारी किसी के ख़यालों में खोई हुई हैं... और मन ही मन मुस्करा रहीं हैं...

यह आवाज थी दीप्ति की l रुप अपनी ख़यालों से बाहर आती है l तो देखती है उसकी छटी गैंग की पुरी पलटन उसके सामने खड़ी है l उसके पास बैठते हु

बनानी - क्या बात है... नंदिनी... तु आज कैन्टीन क्यूँ नहीं आयी... और लाइब्रेरी में क्या कर रही है... हमसे कोई भूल हो गई क्या.
तब्बसुम - हाँ यार... क्या बात है... हम तेरा इंतजार करते रह गए...
दीप्ति -तेरी गाड़ी देखी पार्किंग पर... तब आइडिया लगाया और यहाँ पहुँचे...
रुप - थोड़ी जल्दी आ गई थी... सोचा लाइब्रेरी में थोड़ी रिवीजन कर लूं...
इतिश्री - पर तु तो आँखे बंद कर किसीके ख़यालों में खोई हुई थी... (मजाकिया हो कर) कौन है वह....
रुप - तुम जो सोच रही हो... ऐसा कुछ भी नहीं है... मैं बस अपनी बचपन की यादों में खोई हुई थी....
भाश्वती - व्हाट... दिन है जवानी के... और याद किए जा रहे हैं... दिन बचपन के...
रुप - हाँ.. बचपन जब याद आती है... तो बड़ा दुख होता है... की कास हम कभी बड़े ना हुए होते... कितना पाक... कितना साफ.. निष्पाप... निःसंकोच... विश्वास इतना... जितना कि भगवान... स्वल्प ज्ञान था... पर कितना सच्चा था.. पर जब जवान हुए तो मालुम हो रहा है... छल... दगा... पता नहीं क्या क्या... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) अब जितना ज्ञान बढ़ रहा है... उतना ही अविश्वास बढ़ रहा है... (फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) कास के हम... कभी बड़े ही नहीं होते....

बनानी और सभी दोस्त रुप को हैरान हो कर देख रहे हैं l

बनानी - नंदिनी... कोई दुख है तुम्हें...
रुप - अरे नहीं... बात ऐसी कुछ भी नहीं... पता नहीं क्यूँ आज मुझे मेरा बचपन बड़ा याद आ रहा है... खैर छोड़ो... बताओ... कैन्टीन की पार्टी हो गई...
दीप्ति - अरे कहाँ... हम तो तुमसे... कल होने वाली पार्टी के बारे में पूछने आए थे...
रुप - और मैं तुम सबको... कल की पार्टी के बारे में बताने के लिए... इतनी उतावली थी... की कॉलेज जल्दी आ गई...
सब - वाव... हाव स्वीट....

इतने में रुप की मोबाइल बजने लगती है l रुप फोन की डिस्प्ले देख कर हैरान हो जाती है, फिर फोन उठा कर

रुप - हाँ काका... बोलिए...
X - _#__#--#
रुप - व्हाट... अच्छा ठीक है... आप फिक्र ना करें... एक काम कीजिए... आप हमारी कैन्टीन में पहुँचें... (रुप फोन काट देती है)
दीप्ति - क्या हुआ नंदिनी...
नंदिनी - कुछ नहीं... वह.. मेरे ड्राइवर अंकल हैं ना... उनके पेट में थोड़ी गड़बड़ हो गई है... वह वॉशरुम युज करना चाहते हैं... तो मैंने उन्हें कैन्टीन की वॉशरुम युज करने के लिए कहा है... चलो थोड़ा कैन्टीन चलते हैं... अगर मैं वहाँ ना पहुँची तो वह भी नहीं आयेंगे....

सब के सब कॉलेज की लाइब्रेरी से निकल कर कैन्टीन की ओर चल देते हैं l

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स्क्वाश कोर्ट में रॉकी और उसके साथी रॉकी के इर्द-गिर्द बैठे हुए हैं l इतने में रवि की मोबाइल पर मैसेज की रिंग टोन बजने लगती है l रवि फोन उठा कर मैसेज पढ़ता है फिर रॉकी से

रवि - रॉकी... मान ले अगर हम कुछ ऐसा करें... कि नंदिनी की गाड़ी जाते जाते बीच रास्ते में पंक्चर हो जाए... फिर भी नंदिनी की तेरी गाड़ी में बैठने की चांस कितना है....

सब रवि को हैरान हो कर देखने लगते हैं I सबको अपने तरफ घूरते हुए देख कर रवि मुस्करा देता है l

रवि - अरे... अपने यार के लिए यह रिस्क भी उठा लेते हैं... पर पहले मालुम तो हो... नंदिनी की बैठने की चांस कितनी है...
रॉकी - शायद जीरो...
सुशील - अगर जीरो है... तो फिर चांस क्यूँ लेना...
आशीष - नहीं सुशील... चांस तो लेना पड़ेगा... आखिर मालुम तो हो... नंदिनी फोन पर ही सही... रॉकी से कितनी खुली है...
राजु - कितनी खुली है... कितनी घुली है... यह सब बाद की बात है... पहले यह बताओ... करोगे क्या...
रवि - गाड़ी पंक्चर....
राजु - पंक्चर... पर करोगे कैसे और कब...
सब - हाँ... हाँ कब...
रवि - अरे यार अभी अभी... मेरी वाली ने मैसेज किया है... की नंदिनी की गाड़ी का ड्राइवर गाड़ी को छोड़ कर कैन्टीन गया है....
सब - व्हाट...
रवि - हाँ यारों... लगता है... तकदीर और खुदा... अपने रॉकी के साथ है... इसलिए तो ड्राइवर को लूज मोशन लगा है... वह भी कॉलेज आने के बाद... हा हा हा हा
सब एक साथ - वाव... हा हा हा...
आशीष - तो यारों... चलो फिर... कोई तिकड़म भिड़ाते हैं...

रॉकी आगे बढ़ कर रवि को गले से लगा लेता है l सब दोस्त आकर उन दोनों को गले लगा लेते हैं l

राजु - किस्मत साथ है या नहीं... चलो फिर आजमाके देखते हैं...

सब स्क्वाश कोर्ट से निकल कर पार्किंग की ओर जाते हैं l वहाँ पहुँच कर देखते हैं वाकई नंदिनी की ड्राइवर गाड़ी के पास नहीं है l

रॉकी - एक मिनट दोस्तों... मैं एक काम करता हूँ... मैं जा कर कैन्टीन में देखता हूँ... सिचुएशन क्या है... तुम लोग अपनी काम में लग जाओ...
राजु - हाँ यह ठीक है... तु वहाँ से हमे अलर्ट कर देना... अगर हमारा काम स्मुथ हो जाता है... हम तुम्हें इंफॉर्म कर देंगे...
सब - हाँ यह ठीक रहेगा...

रॉकी कैन्टीन की ओर चला जाता है l और स्टैंड पर पहुँच कर सुशील और रवि दोनों अपनी अपनी बाइक निकालते हैं l एक राउण्ड मारने कर दोनों अपनी अपनी गाड़ी लेकर नंदिनी के कार के पास पार्क कर देते हैं l सुशील अपनी कम्पास से एक डेढ़ इंच की कील निकाल कर गाड़ी के टायर में घोंप देता है l रवि भी दुसरी तरफ वही करता है I फिर दोनों अपनी अपनी बाइक लेकर बाइक स्टैंड में पार्क कर देते हैं l काम हो जाने के बाद राजु अपनी मोबाइल से 👍अंगूठे की ईमोजी मैसेज कर देता है l
उधर रॉकी कैन्टीन में आकर लड़कियों के टेबल के दुसरी ओर बैठा हुआ था l मोबाइल पर काम पूरा होने के कंफर्मेशन मिल जाने के बाद रॉकी खुश हो जाता है l वह अपने टेबल से उठ कर ल़डकियों के पास जाता है l

रॉकी - व्हाट हैप्पन्ड गर्ल्स... कोई टेंशन वाली बात...
नंदिनी - नॉथिंग...
रॉकी - मैंने सोचा शायद हो... इस टाइम में क्लास छोड़ कर कैन्टीन में...
दीप्ति - सेम क्वेश्चन... आप अभी इस वक़्त... वह भी क्लास छोड़ कर...
रॉकी - मैं इस कॉलेज का जनरल सेक्रेटरी भी हूँ... पढ़ाई पर जितना ध्यान देता हूँ... उतना ही एक्स्ट्रा एक्टिविटी पर भी ध्यान देता हूँ...
नंदिनी - अच्छी बात है...
रॉकी - लगता है... मैंने आप लोगों की मजा किरकिरा कर दिया... सॉरी... हाँ कोई भी तकलीफ़ हो... मुझे याद कर सकते हैं... प्लीज...
नंदिनी - ज़रूर... एंड थैंक्यू... अगर प्रॉब्लम कुछ भी हुआ... तो ज़रूर आपको याद करेंगे...

रॉकी यह सुन कर मन ही मन बहुत खुश हो जाता है l अपनी खुशी को अंदर दबाते हुए बाहर निकल जाता है l

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XX बजे कॉलेज की आखिरी बेल बजती है l सभी लड़कियाँ क्लास से बाहर निकलने लगते हैं l उधर सभी के जाने के इंतजार में रॉकी और उसके सभी साथी स्क्वाश कोर्ट में अपनी अपनी फिंगर क्रॉस किए बैठे हैं l करीब दस मिनट बाद रॉकी रवि को इशारा करता है l रवि अपना सिर हिलाता है और कोर्ट से बाहर निकल जाता है l पांच मिनट बाद भागते हुए आता है l

रवि - सभी चले गए हैं.... कोई नहीं है... सिर्फ हमारी गाडियाँ है... चलो हम भी अब निकलते हैं... रॉकी जा... लेले... अपनी किस्मत का टेस्ट... तु पास हुआ या फैल... आज रात को तेरे होटेल के टेरस पर... मॉकटेल पार्टी में....

सभी दोस्त उसे थंब्सअप करते हैं l रॉकी अब भागते हुए बाइक स्टैंड पर पहुँचता है और अपनी बाइक निकाल कर रास्ते पर दौड़ा देता है l उसे करीब पाँच किलोमीटर दूर जाने के बाद नंदिनी की गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी दिखती है और नंदिनी गाड़ी के बगल में खड़ी हुई है l रॉकी मन ही मन खुश हो जाता है, पर उसे महसूस होने लगता है उसकी दिल की धड़कने बहुत बढ़ गईं हैं l उसका पुरा शरीर में अब कंपकंपी दौड़ने लगी है l एक गहरी सांस लेकर अपनी बाइक को आगे बढ़ाता है l नंदिनी उसे दूर से देख कर हाथ से लिफ्ट के लिए इशारा करती है l लिफ्ट का इशारा देख कर रॉकी बहुत खुश हो जाता है l गाड़ी को स्पीड बढ़ा कर नंदिनी के पास पहुँचता है, और अनजान बनकर बड़ी मासूमियत से पूछता है

रॉकी - क्या बात है नंदिनी... क्या हुआ... यह बीच रास्ते में गाड़ी...
नंदिनी - (झल्ला कर) ओह देखिए ना रॉकी... गाड़ी की दोनों टायर एक साथ पंक्चर हो गई हैं...
रॉकी - लिफ्ट चाहिए...
नंदिनी - हाँ... अरे... आप तो पक्के दोस्त निकले... क्या आप लिफ्ट देंगे...
रॉकी - अरे... यह तो बहुत ही छोटी बात है... दोस्तों के लिए कहीं भी... कभी भी... कुछ भी...
नंदिनी - (ताली मारते हुए) थैंक्यू.. थैंक्यू... प्लीज... प्लीज...
रॉकी - अरे इसमे थैंक्यू... या प्लीज कहने क्या जरूरत है... मैं और मेरी गाड़ी दोनों तैयार हैं... आप बस हुकुम किजिये...
नंदिनी - ठीक है...(अपनी कार की डोर खोल कर) बनानी... सॉरी यार... मेरी गाड़ी की हालत तो देख रही हो... इसलिए एक काम करो... तुम्हें रॉकी जी ड्रॉप कर देंगे... आओ बाहर...

गाड़ी से बनानी थोड़ी सकुचाते हुए उतरती है l बनानी को देख कर रॉकी के चेहरे की रौनक उड़ जाती है l पर खुद को संभल लेता है और मुस्कराने की कोशिश करता है l

नंदिनी - वह क्या है कि... आज मेरा प्लान बनानी को उसके घर ड्रॉप करने का था... पर मेरी गाड़ी ने मुझे धोखा दे दिया... पर देखिए ना... किस्मत से हमारे कॉलेज के हीरो... टाइम पर पहुँच गए... थैंक्यू... थैंक्यू... वेरी मच... आप वाकई बहुत अच्छे और सच्चे दोस्त हैं...
रॉकी - (बड़ी मुश्किल से, अपनी हलक से आवाज निकाल कर) कोई बात नहीं... मैं इन्हें इनके घर ड्रॉप कर दूँगा...
नंदिनी - थैंक्यू अगेन...

रॉकी बुझे मन से गाड़ी स्टार्ट करता है l बनानी रॉकी के पीछे बैठ जाती है l बनानी के बैठने के बाद रॉकी अपनी गाड़ी आगे बढ़ा देता है l जाते हुए बनानी नंदिनी को हाथ हिला कर बाय करती है और जवाब में नंदिनी I उनके जाने के बाद नंदिनी फोन निकालती है कि तभी एक कार चर्र्र्र्र्र् आवाज करती हुई उसके पास आकर रुकती है l कार के भीतर से एक औरत

औरत - अरे नंदिनी... तुम यहाँ... क्या हुआ...

नंदिनी उसे देखते ही घबरा जाती है l उसकी हालत खराब हो जाती है l तब तक वह औरत अपनी गाड़ी को नंदिनी के गाड़ी के आगे सड़क के किनारे रोक देती है l फिर वह औरत नंदिनी के पास आती है l नंदिनी को हैरान देख कर

औरत - क्या बात है नंदिनी... तुमने मुझे पहचाना नहीं...
नंदिनी - (मुस्कराने की कोशिश करते हुए) जी... जी शायद... नहीं...
औरत - हाँ... सिर्फ दो मिनट की मुलाकात थी... वह भी मॉल की कॉफी शॉप में... पर तुम और तुम्हारा नाम मुझे याद है... जानती हो क्यूँ... क्यूंकि उस दिन रेडियो पर मैंने एक नंदिनी का प्रेजेंटेशन सुना था... और एक नंदिनी से मुलाकात हुई थी... आई विश्ड... कास यह दो नंदिनी एक होते...

नंदिनी मुस्कराने की कोशिश करती है l और समझ जाती है कि वह औरत उसके बारे में ज्यादा नहीं जानती l नंदिनी अब अपने अंदर की फिलिंग्स को छुपाने के लिए

नंदिनी - ओह आप... सॉरी आंटी जी... मैंने पहचाना नहीं...
औरत - कोई बात नहीं... समझ सकती हूँ... देख रही हूँ... टायर पंक्चर है... स्टेपनी नहीं है क्या...
नंदिनी - ऐसी बात नहीं है आंटी... दो दो टायर पंक्चर हैं...
औरत - ओ.. अच्छा...
नंदिनी - घर से दुसरी गाड़ी तो बुला लूँ... पर... भैया को मालुम हुआ तो काका पर मुसीबत टूट पड़ेगी...
औरत - घबराओ मत... सर्विस ऑन कॉल पर फोन करो... कुछ दिन पहले हमारी भी गाड़ी बीच रास्ते में खराब हुई थी... उन्होंने ही ठीक किया था... रुको मैं ही कॉल लगा देती हूँ...

इतना कह कर वह औरत एक फोन लगा देती है l कुछ देर बात करने के बाद नंदिनी से कहती है

औरत - लो तुम्हारा प्रॉब्लम सॉल्व... तब तक चलो मैं तुम्हें अपनी गाड़ी से ड्रॉप कर दूंगी...
नंदिनी - (झटका सा लगता है) नहीं... नहीं आंटी जी.. नहीं.. अगर मैं काका के साथ भी नहीं गई... तो भैया काका को माफ नहीं करेंगे... इसलिए... प्लीज...
औरत - ह्म्म्म्म... ठीक है... एक काम तो कर सकती हो...
नंदिनी - क्या...
औरत - यहीं... (हाथ के इशारे से दिखाते हुए) उस मोड़ पर एक कॉफी की दुकान है... चलो एक एक कॉफी हो जाए...
नंदिनी - जी...इ..इ.. इ...
औरत - अरे... इतनी लंबी जी की जरूरत नहीं है... मैं ऑफर कर रही हूँ... ओह कॉमन... मैं कोई पागल औरत नहीं हूँ... एक एडवोकेट हूँ... मेरा नाम... प्रतिभा सेनापति है...
नंदिनी - क्या... (हैरानी से आँखे चौड़ी हो जाती हैं) आ... आप... एडवोकेट प्रतिभा जी हैं...
प्रतिभा - हाँ...
नंदिनी - आप ही... बार काउंसिल के सेक्रेटरी हैं और ओड़िशा वर्किंग वुमेन एसोसिएशन के अध्यक्ष...
प्रतिभा - अरे... तुम मेरे बारे में इतना जानती हो...
नंदिनी - (खुश होते हुए) ओह गॉड... मैंम मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ... आप वीकली मैग्ज़ीन सुचरिता के जो कॉलम लिखती हैं... मैं और मेरी भाभी पढ़ते हैं... हम दोनों आपकी ह्युज फैन हैं...
प्रतिभा - ओह रियली... अच्छा अब बताओ... एक छोटा सा वकींग उस कॉफी स्टॉल तक... एक कॉफी मेरे तरफ से...
नंदिनी - श्योर मैम श्योर...
प्रतिभा - अरे... तुम पहले मुझे यह मैम कहना छोड़ो... आंटी ठीक थी.. है भी...
नंदिनी - जी ठीक है... (ड्राइवर से) काका आप रुकिए यहाँ... थोड़ी देर के लिए... हम वहाँ आगे की मोड़ पर हैं...
गुरु काका - ठीक है... बेटी जी...

प्रतिभा और नंदिनी दोनों कॉफी के स्टॉल की ओर चलने लगते हैं

प्रतिभा - अच्छा नंदिनी... सच बताना... उस दिन मेरी हाइपरनेस देख कर तुम डर के मारे भाग गई थी ना...
नंदिनी - (हँसते हुए) हाँ आंटी... उसके लिए सॉरी...
प्रतिभा - अरे.. इसमे सॉरी की कोई बात नहीं है... तुम्हारी जगह कोई भी होती.. तो वह भी भाग जाती... इन फैक्ट अभी भी भाग गई होती... हा हा हा..
नंदिनी - (मुस्करा देती है) वैसे आंटी जी... सॉरी तो मेरा कहाना बनता है...
प्रतिभा - अच्छा... वह कैसे...
नंदिनी - आप उस दिन जिस रेडियो वाली नंदिनी को ढूंढ रही थी... वह मैं हूँ...
प्रतिभा - क्या... (खुश हो जाती है) ओह माय गॉड... लो मैं और मेरा बेटा जिसकी फैन हैं... वह अब मेरे सामने खड़ी है... ह्म्म्म्म... उस दिन तुमने झूठ क्यूँ बोला...
नंदिनी - (शर्माते हुए) आ.. आपसे डर गई थी...
प्रतिभा - (बड़ी जोर से हँसती है) आ हा हा हा... ओके ओके... बहुत सॉरी... फिर भी... मेरा बेटा और मैं... हम दोनों तुम्हें कंप्लीमेंट देना चाहते थे...
नंदिनी - सॉरी आंटी...
प्रतिभा - कोई बात नहीं... अब जो मिल गई हो तो... लो अपनी इस कंप्लीमेंट ले लो...

दोनों कॉफी स्टॉल तक पहुँच जाते हैं l प्रतिभा दो स्पेशल कॉफी ऑर्डर करती है l किसी फ़ुटपाथ पर कॉफी पीना नंदिनी का यह पहला अनुभव था l अब दोनों कॉफी पीते हुए बातेँ करने लगते हैं l

नंदिनी - आंटी... आप खुदको मेरी फैन ना कहें...
प्रतिभा - क्यूँ... क्यूँ ना कहूँ... जो सच है... सो है...
नंदिनी - तब तो आप मेरे आइडल हैं... मैंने जो भी प्रेजेंटेशन दिया वह सब के सब इंसीडेंट आप ही के कॉलम से उठाए थे मैंने...
प्रतिभा - (पूछने के अंदाज में) सच्ची.... पर कोई नहीं... प्रेजेंटेशन तो तुम्हारा अपना था... इसलिए कंग्रेचुलेशन...
नंदिनी - थैंक्यू... आंटी..

प्रतिभा मुस्करा कर नंदिनी के गालों पर अपना हाथ फेरती है, नंदिनी उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर मुस्करा देती है l इतने में नंदिनी की फोन बजने लगती है l नंदिनी फोन उठा कर बात करती है l

नंदिनी - अच्छा आंटी... यह मुलाकात बहुत ही खास रही... थैंक्यू... अगेन... और गाड़ी भी ठीक हो गई है... अब मैं चलती हूँ.... फिर मिलते हैं...
प्रतिभा - शाबाश बेटा... बहुत अच्छे...
नंदिनी - किस बात के लिए आंटी...
प्रतिभा - तुमने... फिर मिलते हैं जो कहा...

उसके बाद दोनों चलते हुए अपनी अपनी गाड़ी के पास आते हैं l आते वक़्त दोनों खामोश रहते हैं l फिर गाड़ी में बैठते वक़्त नंदिनी और प्रतिभा एक दुसरे हाथ हिला कर बाय करते हैं और वहाँ से चले जाते हैं l


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होटल ब्लू इन की टेरस पर रॉकी और उसके साथी बैठे हुए हैं l रॉकी का मुड़ पुरी तरह से उखड़ा हुआ है l सभी दोस्त उसके पोपट होने पर मन ही मन दबा कर हँस रहे हैं l भले ही कोई बाहर यह जाहिर नहीं कर रहे हैं पर रॉकी को यह एहसास हो पा रहा है l भले ही सब मन में हँस रहे हैं पर बात शुरू करने के लिए किसीकी हिम्मत नहीं हो पा रहा है l अंत में

रॉकी - किसने गांड मारी मेरी... तकदीर या नंदिनी... (सब चुप रहते हैं) प्लान परफेक्ट था... गाड़ी रोड पर खड़ी थी... लिफ्ट भी मांग रही थी... साली कमीनी अपने लिए नहीं... कम्बख्त... उस बनानी के लिए...
राजु - यह क्या रॉकी... तु तो नंदिनी को चाहता है ना... फिर उसके लिए ऐसी भाषा क्यूँ...
रॉकी - तो क्या करूँ...
रवि - देख तु ही श्योर नहीं था... की वह बाइक पर बैठेगी या नहीं... चलो एक बात तो अच्छी रही... उसने अपनी दोस्त के लिए ही सही... तुझसे मदत तो मांगी ना...
सुशील - हाँ... बराबर है... जरा सोच अगर नंदिनी की गाड़ी में बनानी ना होती... तो आज तेरा चांस तो था ना...
रॉकी - नहीं... नहीं था...
आशीष - क्यूँ... क्यूँ नहीं था...
रॉकी - मैं जल्दी जल्दी नंदिनी को ड्रॉप कर... एक और चांस की दुआ मांगते हुए जब वापस पहुँचा तो.... नंदिनी और उसकी गाड़ी दोनों गायब थे... वहाँ पर एक वैन थी... सर्विस एट कॉल... तब मुझे समझ में आ गया... अब कोई चांस बाकी नहीं है...
राजु - तो इसमें मायूस होने वाली... कौनसी बात है... तु ही तो कहता है... वह अपने तरफ से फोन करती है... बातेँ करती रहती है...
रवि - हाँ.... आज नहीं तो कल... मौका फिर आएगा... अगली बार कुछ और प्लान करते हैं... जल्दी किस बात की है...
रॉकी - मुझे जल्दी है... हाँ... मुझे जल्दी है... क्यूँ के... ऐन मौके पर... किस्मत मुझे धोखा दे देती है...
सुशील - हौसला रख रॉकी... हौसला रख... जरूरी नहीं कि हर मौका हासिल हो... चुक भी हो सकती है...
रॉकी - आज कॉकटेल पार्टी करने को दिल कर रहा है...
राजु - ऐ... तु अभी से... इतनी सी बात पर टुट कैसे सकता है... आगे पता नहीं क्या क्या देखने को मिले... कैसे कैसे हालत बनें... हिम्मत रख... हौसला रख... यह कॉकटेल वाली चुतिआपा क्यूँ... किस लिए... और एक बात बता... तुझे जल्दी या जल्दबाजी किस लिए है...
रॉकी - (चुप रहता है)
आशिष - राजु ठीक कह रहा है... एक बात बता... तु हर बार... एक टाइम बाउंड टास्क लेता है और हमें देता है... ऐसा क्यूँ... और अभी कह रहा है... तुझे जल्दी है... किस बात की...
सुशील - हाँ रॉकी... बात तो सही कही आशिष ने... तुझे किस बात की जल्दी है...
रॉकी - वह एक ख्वाहिश है.... जो हासिल भी नहीं है.... खो जाएगा... छीन जाएगा मुझसे... ऐसा अब महसुस होने लगा है...
रवि - (रॉकी के कंधे पर हाथ रखकर) यह हमारा रॉकी नहीं है... कहाँ गया वह महान कमीना... जिसके हम यार हैं...
आशीष - हाँ यार... तु... इस कदर कैसे टुट सकता है... (राजु से) ऐ राजु... क्या तुझे कोई आइडिया है...
राजु - किस बात की...
आशीष - अरे... (रॉकी को दिखा कर) इसके सपनों में कोई आ रहा है... यह इसका वहम है... या सच में कोई है...
राजु - जब इसने... मतलब हमने... मिशन नंदिनी शुरू की थी... तब मैंने इसे समझाया था... की कभी भी जल्दबाजी ना करे... लगातार कोशिश करे... उसके दिल में उतरने की... उसकी आत्मा में उतरने की... पर यह हर हफ्ते कोई ना कोई टास्क मिशन नंदिनी के नाम पर टास्क उठा लाता है... अभी अच्छी खबर यह है.... की नंदिनी आगे आ कर इससे दोस्ती की है... पर फिर भी... इस डिवेलपमेंट से यह बिलकुल खुश नहीं है... भूख और लालच बढ़ता ही जा रहा है इसका... अब यह कह रहा है इसे जल्दी है... वजह कोई सपनों में आकर इसके और नंदिनी के बीच खड़ा हो रहा है... मैं सच में नहीं जानता कि कोई और है भी या नहीं... यार वह बड़े लोग हैं... उनके घर के दीवारें भी बहुत ऊंची होती है... मुझे कैसे मालुम होगा... हमने पहले भी कहा था... यही एक लड़की तो नहीं है... दुनिया में... और भी एक से बढ़कर एक लड़की होंगी... पर यह नहीं माना... नंदिनी पर इसकी सुई अटक गई... वहाँ तक भी ठीक था... प्यार में पागलपन जुनून होना चाहिए... पर इसकी... इस हालत को क्या कहा जाए... पागलपन या जुनून तो हरगिज़ नहीँ...
रॉकी - (अपनी जगह से उठता है और राजु की कलर को पकड़ता है) बड़ी लंबी भाषण दे दी तुने... तो बोल मेरे आंखों में... इरादों में तुझे क्या दिखता है....

राजु चुप रहता है l आशिष, रवि और सुशील रॉकी से राजु को छुड़ाते हैं l

रवि - यह क्या है रॉकी... क्या गलत कह दिया राजु ने... हम भी तो हर मौके पर पुरा साथ दिए... और ऐसा क्या होगया... तेरे हाथ राजु के कलर पकड़ लिए....
रॉकी - (चिल्ला कर) दिवाना हो गया हूँ मैं... हाँ मुझे वहम हो गया है... कोई मुझसे नंदिनी को छीन कर ले जा रहा है...
राजु - चल मान भी लूँ... तु दिवाना हो गया है... फिर जिससे अपनी प्यार का दम भर रहा है... तो वह कमीनी कैसे हो गई... क्या यही इज़्ज़त है तेरे दिल में अपने प्यार के लिए....
रॉकी - वह... वह... फ्रस्ट्रेशन में मुहँ से निकल गया....

रॉकी के इतने कह लेने के बाद सब चुप हो जाते हैं l रॉकी सबको देखता है सब उसे किसी और नजर से देख रहे हैं l

रॉकी - भाइयों... कभी कभी जुबान फिसल जाता है यार.... माफ भी कर दो....

सब एक दुसरे को देखने लगते हैं l फिर रवि रॉकी से पूछता है

रवि - रॉकी... मान ले... तुझे मालुम हो... की नंदिनी एंगेज्ड है... तो...
रॉकी - (गुस्से से सबको देखता है, फिर खुद को संभाल कर) तो मैं खुद को उसकी जिंदगी से अलग कर दूँगा ... अपना रास्ता अलग कर लूँगा... आखिर वह जिसे भी चुनेगी... वह मुझसे कई गुना बेहतर होगा...
रवि - यह हुई ना बात...
रॉकी - तो दोस्तों कोई आइडिया दो...
सुशील - यार... अभी तो कोई आइडिया नहीं आ रहा...
आशीष - हाँ... हम अभी तक उसकी पसंद ना पसंद कुछ भी नहीं जानते... वह अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर भी नहीं जाती... सिर्फ़ घर से कॉलेज और कॉलेज से घर... इतनी रेस्ट्रीक्शन में रहने वाली के लिए हम क्या दिमाग लगाएँ...
राजु - वह बाहर नहीं आ सकती... क्या किसी बहाने तु अंदर जा सकता है...
रवि - अबे... पागल तो नहीं हो गया है... वह जगह द हैल है... सिक्युरिटी इतनी तगड़ी के परिंदा अंदर जाए... तो भूनकर सीधे पेट में ही जाए... बाहर ना आए...
रवि - तब तो इंतजार ही बेहतर उपाय है...
रॉकी - मैं एक ट्राय करूँ...
सब - तु....... तु... क्या करेगा....
रॉकी - आखिरी बाजी... आर या पार...
राजु - मतलब...
रॉकी - अगर मेरी बात पर... पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला... तो बात आगे बढ़ेगी... वरना... गुड बाय नमस्ते सलाम सतश्री अकाल...
राजु - इतनी जल्दी हार गया...
रॉकी - तो क्या करूँ... सालों... इंतजार करने को बोल रहे हो...
रवि - हाँ तो कर ना... प्रॉब्लम क्या है... तुम दोनों के बीच जब तक कंफर्ट जोन नहीं बन जाती... तब तक इंतजार ही बढ़िया रास्ता है...
आशीष - हाँ... तु बस लगा रह... बातेँ मुलाकातें बढ़ाते रह...
रॉकी - कब तक...
आशीष - तेरी बर्थ डे तक...
रवि - हाँ... यार... क्या आइडिया दिया तुने... वाव... हाँ रॉकी... इतने दिनों में तु... नंदिनी के साथ अपना कंफर्ट जोन बनाता रह... अगर वह अपनी कंफर्ट जोन में तुझे शामिल कर देती है.... तो वह ज़रूर तेरी बर्थ डे पार्टी में आएगी... और उसी दिन समझले तु सब हासिल कर लेगा...
रॉकी - थैंक्स दोस्तों... थैंक्स... लेट क्लॉज द पार्टी....
रवि - इतनी जल्दी
रॉकी - अबे रात के ग्यारह बजने वाले हैं...
सब - ओके...

पार्टी खतम हो जाती है l रॉकी के सभी दोस्त एक एक करके चले जाते हैं l सबको बिदा करने के बाद रॉकी अपने कमरे में आता है और अपनी हाथों में बंधी वेयर हेल्थ की घड़ी देखता है l रात के ग्यारह बज रहे हैं l रॉकी कुछ सोचता है और फिर अपना मोबाइल निकलता कर कॉल लिस्ट में नंदिनी के नाम पर टच करता है I नंदिनी को कॉल जाता है

नंदिनी - (उबासी लेकर) हैलो... रॉकी जी... कहिए.... इतनी रात गए... फोन क्यूँ किया...
रॉकी - क्या एक दोस्त को फोन करने के लिए... वक़्त देखना जरूरी है...
नंदिनी - बिल्कुल नहीं... पर असमय दोस्त को तब याद किया जाता है.... जब मुसीबत सामने हो...
रॉकी - मुसीबत ही तो है...
नंदिनी - क्या... क्या मुसीबत है...
रॉकी - अच्छा एक बात बतायें...
नंदिनी - जी कहिए...
रॉकी - क्या मुझे आप अपना दोस्त मानतीं हैं...
नंदिनी - कोई शक़...
रॉकी - क्या मैं आपकी दोस्ती आजमा सकता हूँ...
नंदिनी - बेशक...
रॉकी - तो ठीक है कटक भुवनेश्वर रोड पर.... रुद्रपुर में हमारी एक होटल है... सींफोनी हाइट्स... उसके बंकैट हॉल में कल शाम को मैं अपना बर्थ डे मना रहा हूँ... आप मेरे स्पेशल गेस्ट हैं... आपको आना पड़ेगा...
नंदिनी - व्हाट... आप पागल हैं क्या... मैं नहीं आ सकती...
रॉकी - कल शाम सात बजे...
नंदिनी - मैं नहीं आने वाली... सॉरी...
रॉकी - कल शाम ठीक साथ बजे.... गुड नाइट...

कह कर अपना फोन काट देता है l रॉकी के चेहरे पर एक हल्की सी हँसी आ कर गायब हो जाती है और उसकी जबड़े भींच जाती है वह खुद से कहने लगता है

"आओगी तो तुम ज़रूर... मजबूरी में... या अपनी मर्जी से.... पर तुम्हारा जाना... सिर्फ मेरी मर्जी से होगा... मिस रुप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल"
वाह, विश्व को अपना पहला क्लाइंट मिल गया, और रूप को अनाम याद आ गया। रॉकी का KLPD हो गया है और इसीलिए अब वो पागल हो गया है मगर उसे ये नही पता की जिससे वो नंदिनी समझ कर बात कर रहा है वो शायद बनानी है। अब अगर बनानी रॉकी की पार्टी में जायेगी तो पता नही उसके साथ क्या होगा। प्रतिभा की तो लाटरी निकल गई की दोनो नंदिनी एक ही निकली और वो प्रतिभा की फैन भी है। अब शायद प्रतिभा की राजकुमारी वाली बात सच हो जाए। मजा आ गया।
 

Jaguaar

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शनिवार का दिन
XXXX कॉलेज कैंपस

बाइक स्टैंड पर राजु, सुशील और आशिष रॉकी के गाड़ी के पास खड़े हैं l रवि उनके पास भागता हुआ आता है l

राजु - (पूछता है) कैन्टीन में मिला...
रवि - नहीं... नहीं यारों... रॉकी कैन्टीन में भी नहीं है...
सुशील - तो फिर गया कहाँ... बाइक स्टैंड पर पार्क किया है... मतलब कॉलेज तो आया है... पर दिख क्यूँ नहीं रहा है...
राजु - कहीं... वह... उनके हथ्यै...
रवि - ऑए... चुप कर.. चुप... साले शुभ शुभ बोल...
सुशील - हाँ यार... डरा मत... पहले से ही फटी पड़ी है... तु और फाड़ क्यूँ रहा है...
राजु - (झिझकते हुए) सॉरी... सॉरी...
आशीष - हमने सभी जगह तलाश लिए... सिवाय स्क्वाश कोर्ट के...
रवि - हाँ यार... यह तो हम भूल ही गए थे... वह जब भी टेंशन में होता है... वह स्क्वाश कोर्ट चला जाता है...
सुशील - चलो फिर सब....

सभी कॉलेज के पीछे वाले फील्ड की ओर जाते हैं l वहाँ पर बने इंडोर स्टेडियम के स्क्वाश कोर्ट में उन सबको रॉकी पसीना बहाते हुए दिख जाता है l सभी कोर्ट के पास वाले बेंच पर बैठ जाते हैं l रॉकी अपनी राकेट से बॉल को हिट करते हुए अपना फ्रस्ट्रेशन निकाल रहा है, जो उसके दोस्तों को मालुम हो जाता है l रवि से रहा नहीं जाता वह रॉकी के पास जाता है और उसे रोक देता है l रॉकी गुस्से से रवि को देखता है तो रवि उसे छोड़ देता है l रॉकी के बाकी सभी दोस्त रवि के पास पहुँच जाते हैं l रॉकी नॉर्मल होने की कोशिश करता है l अपने वॉटर बॉटल से पानी निकाल कर अपने मुहँ पर डालने के बाद टवेल से पोंछ कर

रॉकी - सॉरी...
रवि - इट्स ओके... पर आज तु इतना... फ्रस्ट्रेड क्यूँ है...
रॉकी - (चुप रहता है)
आशीष - हाँ यार... अपना मनमौजी यार... इतना ग़म जादा क्यूँ है...
रॉकी - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) कुछ समझ में नहीं आ रहा...
राजु - क्या...
रॉकी - अच्छा रवि... इन तीन दिनों में... क्या डेवलपमेंट हुआ है... तेरी वाली ने कुछ बताया है...
रवि - मतलब किस बारे में....
रॉकी - नंदिनी और उसके ग्रुप की... कोई खास खबर...
रवि - नहीं... सिवाय इसके कि... कल दोपहर को... नंदिनी अपनी भाभी के साथ मिलकर.... उसके दोस्तों को... अपने घर पर पार्टी दे रही है... क्यूँ क्या हुआ...
रॉकी - (कुछ सोच में पड़ जाता है और चुप रहता है)
सुशील - रॉकी.... है.. रॉकी... (रॉकी का ध्यान टूटता है) कहाँ खो गया....
रॉकी - अच्छा बताओ... हमारा मिशन नंदिनी को बाइक पर बिठाओ का... क्या डेवलपमेंट है...
आशीष - ऑल मोस्ट जीरो.... हम जहां थे... वहीं हैं...
राजु - हाँ... तुझे अपनी बातों और मुलाक़ातों के जरिए... अपने और नंदिनी के बीच एक कंफर्ट जोन बनाना चाहिए था... तब हम आगे की सोच पाते... पर...
रवि - हाँ... तुने उस दिन मुझसे... नंदिनी का फोन नंबर मांगा... फिर लेने से मना कर दिया... क्यूँ... डर गया था ना... इसलिए मुझे लगता है... मिशन वहीँ फूस हो गया...
रॉकी - नहीं ऐसा नहीं है... मेरी नंदिनी से बातों का सिलसिला जारी है....
सब - (हैरानी से) क्या...
रॉकी - हाँ...
राजु - क... क.. कैसे...
रॉकी - फोन पर...
रवि - त... त त... तुने... क... कहाँ से और कैसे.. न..न... नंबर हासिल की...
रॉकी - नंदिनी ने ही मुझे फोन किया था...
सब - (हैरान हो कर) व्हाट...
रॉकी - हाँ... (रवि से) इसलिए मैंने तुझ से पुछा... उनके ग्रुप में हलचल के बारे में...
रवि - तेरे नंदिनी से बातचीत का... उस ग्रुप की हलचल से क्या संबंध...
राजु - (रवि से) तु रुक... एक मिनट के लिए... (रॉकी से) तुझसे पक्का... नंदिनी ही बात कर रही है ना...
रॉकी - हाँ... पहले मुझे भी यकीन नहीं हुआ... पर बाद में नंबर से कंफर्म किया... और आवाज़ तो पहचानता हूँ...
सुशील - यह तो बहुत ही अच्छी खबर है... पहले नंदिनी ने अपनी तरफ से... दोस्ती का हाथ बढ़ाया... और उसके बाद फोन पर बात कर रही है... फिर फ्रस्ट्रेशन किस बात की है तुझे....
रॉकी - पहली बात... नंदिनी ने मेरा नंबर... अपने ग्रुप से बाहर किसी और से हासिल की है... अगर ग्रुप में से किसी से हासिल की होती... तो हमें मालुम हो गया होता... राइट...
सब - राइट....
रॉकी - पर ऐसा नहीं हुआ... मतलब हमारी बातों को वह अपने ग्रुप से भी छुपा रही है...
रवि - यह कोई इशू नहीं... तुझे उसने घड़ी दी है... यह बात भी तो उसके ग्रुप में किसीको मालुम नहीं है...
राजु - यह पॉइंट है....
रॉकी - क्यूँ...
राजु - सिंपल... ताकि यह बात किसी को भी पता ना चले... ना कॉलेज में... ना घर या दोस्तों में...
रॉकी - (राजु से) ठीक है... उसके ग्रुप को ना सही.... पर हमारे ग्रुप को तो मालुम है...
आशीष - तु कहना क्या चाहता है...
रॉकी - यही... की हमारी दोस्ती की बात... वह अपने ग्रुप से छिपा क्यूँ रही है... पर हमारे ग्रुप के सामने घड़ी देते हुए ना झिझक रही थी... ना ही डर रही थी...

रॉकी की बात सुनकर सब चुप हो जाते हैं l किसीको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है l

राजु - रॉकी... अब वाकई... सब कंफ्यूजन सा लग रहा है... वैसे तुझे क्या लग रहा है...
रॉकी - उसे किस बात की झिझक है... अगर है... तो मैं उसकी झिझक खतम करना चाहता हूँ... उसके मन को टटोलना चाहता हूँ...
रवि - पर कैसे...
रॉकी - मिशन बाइक के पीछे नंदिनी को बिठाओ को.... अंजाम दे कर...
राजु - अररे यार... तु... घुम फिर कर वहीँ पहुँच गया...
रवि - ठीक है... ठीक है... पर मिशन के लिये... नंदिनी को अपने आप तेरे पीछे बैठना होगा... पर कब...
रॉकी - जब बीच रास्ते में... उसकी कार ख़राब हो जाए...
सुशील - हाँ... दिल बहलाने के लिए खयाल अच्छा है... पर कार बीच रास्ते में खराब होगी क्यूँ और कैसे...
आशीष - कहीं तु भूल तो नहीं रहा... वह रुप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है... उनके घर पर गाड़ियों की कमी तो बिल्कुल नहीं होगी... सिर्फ फोन कॉल की देरी होगी... उसकी सेवा में गाड़ी चुटकी में पहुँच जाएगी...
राजु - और नहीं तो... वैसे भी उसके लिए गाड़ी खराब करना पड़ेगा... हम कोई मेकेनिक तो नहीं हैं...
रवि - हाँ... और गाड़ी खराब करने के लिए... उस बुढ़े ड्राइवर को गाड़ी के पास से हटाना होगा... और भाई मेरे... यह नामुमकिन है... इसलिए बात मान ले... भले ही इंतजार की घड़ी लंबा क्यूँ ना हो... पर बातों और मुलाक़ातों के सिलसिला को जारी रख... उसके बाद... जब वह तुझ पर पुरा भरोसा करने लगेगी... तब... तब वह तेरे बाइक के पीछे बैठ सकती है...
सब - हाँ बिल्कुल...
रॉकी - मैंने बात कहाँ से शुरु की... तुमने बात कहाँ तक पहुँचा दी...
रवि - क्या मतलब...
रॉकी - वह मुझसे बात तो कर रही है... पर अपने दोस्तों से छुपा रही है... मैं उसके तरफ हर रोज एक कदम बढ़ाता हूँ... उसके दिल में अपने लिए भावनाओं को जगाने के लिए... पर ऐसा लगता है कि वह हर रोज.... एक कदम पीछे चली जाती है... हमारे दरम्यान दूरी रोज उतनी ही रह जाती है... यार... वह भले ही.... मेरे हर बढ़ते हुए कदम के साथ... अपनी कदम को आगे ना बढ़ाए... पर पीछे तो ना जाए... कास... कास के वह वहीँ पर रुक जाती... मैं अपने हर एक कदम के साथ यह दूरियां... यह झिझक सब खतम कर देता... इसलिए मैं एक बार अपनी बाइक के पीछे बिठा कर उसके घर तक जाना चाहता हूँ...
राजु - तो ठीक है ना... जल्दी क्या है... बातों का सिलसिला जारी रख.... फिर कॉलेज में मुलाकातें का सिलसिला शुरू कर... तेरे ख्वाब पुरे होने से... भगवान भी नहीं रोकेगा....
रॉकी - (एक निराशा भरी श्वास छोड़ते हुए) क्या आज... तुम लोग कुछ नहीं कर सकते...
रवि - क्या... यार पहली बात यह बाइक वाली लॉजिक समझ में नहीं आ रहा है... उस पर... पागल हो गया है क्या तु.... कैसे होगा... कौन करेगा... अबे... हम स्टूडेंट हैं.. कोई प्रोफेशनल क्रिमिनल नहीं हैं...
रॉकी - यह डायलॉग... पुराना है... सुन चुका हूँ...
आशीष - पर खतरा तो नया है ना...
सुशील - चल मान भी ले... हम कोई ना कोई तिकड़म भीड़ा कर गाड़ी को खराब कर भी देंगे... पर भाई मेरे कैसे... उसके लिए उस बुढ़े ड्राइवर को गाड़ी के पास से हटना तो पड़ेगा ना...
रवि - और यह होने से रहा...
रॉकी - यही... यही तो मेरी फ्रस्ट्रेशन की वजह थी...
सब - ओ... अच्छा...
राजु - रॉकी... मैं फिर से कह रहा हूँ... सब्र से काम ले... बड़े बुज़ुर्ग कह गए हैं... सब्र का फल मीठा होता है...
रवि - हाँ... बिल्कुल...
रॉकी - बुजुर्ग यह भी कह कर गए हैं... कल करे सो आज कर... आज करे सो अब...
रवि - इन साले बुजुर्गों की...
आशीष - (रॉकी से) फिर भी... तुझे जल्दी क्यूँ पड़ी है... जब कि हम सब जानते हैं... और तु भी मानता है... इस रेस में तु अकेला है....
रॉकी - (कुछ देर चुप रहता है, फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) पता नहीं... पर... मुझे लगता है... की मैं अकेला नहीं हूँ... कोई तो है...
सब - क्या... क्या मतलब हुआ...
रॉकी - मैं जब जब नंदिनी को अपनी ख्वाबों में देखना चाहता हूँ... नंदिनी के साथ साथ धुँधला सा एक अक्स... मुझे दिखाई देता है... जो मुझे एहसास दिलाता है... की वह मुझसे कई गुना बेहतर है... जो नंदिनी से.... शायद गहराई से जुड़ा हुआ है....
सब - क्या...
रॉकी - हाँ... यह मेरी वहम भी हो सकता है... पर मेरी सिक्स्थ सेंस कह रहा है... कोई तो है... कहीं तो है...
सब - अच्छा... ऐसा कौन हो सकता है वह... कहाँ हो सकता है वह...


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सेंट्रल जैल
स्किल अपग्रेड सेंटर
एक कटर को हाथ में लिए विश्व लकडिय़ों को साइज में काट रहा है l तभी उसके सामने एक संत्री आकर खड़ा हो जाता है l संत्री इशारे से कटर को बंद करने के लिए कहता है l विश्व कटर मशीन को रोक कर

विश्व - क्या हुआ संत्री साहब... क्या बात है...
संत्री - सुपरिटेंडेंट साहब ने तुम्हें खबर करने के लिए कहा...
विश्व - कैसा खबर...
संत्री - कोई आया है... तुमसे मिलने... तुम्हारा इंतजार कर रहा है... लाइब्रेरी में...
विश्व - मेरा इंतजार... कौन और क्यूँ...
संत्री - यह तो मुझे नहीं पता...
विश्व - ठीक है... आप एक काम करो... उन्हें यह खबर दो की मुझे सिर्फ पांच मिनट लगेंगे...

संत्री यह सुनते ही वापस मुड़ कर चला जाता है l विश्व अपनी वर्कशॉप वाली कपड़े उतार कर वर्कशॉप के वॉशरुम रिफ्रेश होने जाता है l रिफ्रेश होने के बाद अपनी जैल यूनीफॉर्म पहन कर लाइब्रेरी पहुँचता है l लाइब्रेरी में दाखिल होते ही उसे एक शख्स दिखता है l वह शख्स खिड़की पास खड़े होकर बाहर की ओर देख रहा है l उस शख्स को विश्व के आने की एहसास होता है तो मुड़ कर विश्व को सिर से लेकर पावों तक घूर कर देखता है l विश्व भी उस शख्स पर एक सरसरी निगाह डालता है l उस शख्स की उम्र पचपन से साठ के बीच लगती है, उस शख्स के सिर पर एक ग्रै कलर के आस्कॉट इवी कैप है, आँखों पर मोटे फ्रेम वाला ब्लू टेक रेक्टांगुलार गॉगल पहना हुआ है, चेहरा क्लीन शेव्ड, गले में हिसडर्म स्ट्राइप चेक क्रैवेट स्कार्फ पहना हुआ है, बदन पर जर्जिओ अर्मानी ब्लेजर, दाहिने हाथ में एल्बो क्लचर और पैरों में मैपल ऑक्सफोर्ड शू l

विश्व - माफ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं....
शख्स - (भारी मगर रौबदार आवाज़ में) हम पहली बार मिल रहे हैं... यंगमैन...
विश्व - पहली बार मिल रहे हैं... आइए... हम बैठ कर बातेँ करते हैं... (वह आदमी आकर चेयर पर बैठता है) (विश्व भी उसके सामने वाले चेयर पर बैठ कर) ऐसी कौनसी खास काम... निकल आया आपका मेरे पास..
शख्स - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) मेरा नाम... स्वपन जौडर है... मैं किसी के पास गया था... एक काम के सिलसिले में... तो उन्होंने मुझे तुम्हारे लिए रिकमेंड किया...
विश्व - अच्छा...
स्वपन - ह्म्म्म्म...
विश्व - हूँ... पर सर... जितना मैं समझ पा रहा हूँ... आप मुझसे मिलकर खुश नहीं हुए हैं...
स्वपन - हाँ... जिन्होंने तुम्हारे नाम की रिकमेंड की है... उनके लिए... जब मैं यहाँ से जाऊँ... तुम पर कैसा ओपीनीयन लेकर जाऊँ... यह तुम पर डिपेंड करता है... उनके किए गए रिकमेंडेशन की क्या वैल्यू है...
विश्व - अच्छा.. तो आप क्या चाहते हैं मुझसे...
स्वपन - मैंने सिर्फ़ अपना नाम बताया है... अब तुम मेरे बारे में क्या खयाल बना पाए हो... बताओ...
विश्व - (एका एक थोड़ा सीरियस हो कर) सर आप एक्स सर्विस मैन हैं... आपकी उम्र पचपन से साठ के बीच है... आप एज अ राइफल मैन सर्विस शरू की थी.... पर अपनी क़ाबिलियत के दम पर मेजर रैंक तक पहुँचे होंगे... आपकी दाहिने पैर के घुटने के जरा सा उपर गोली लगी थी... इसलिए आप यह एल्बो क्लचर इस्तमाल कर रहे हैं... पर आपको चलने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है... पर चूँकि आपके पैरों के पेशियों में खिंचाव सा है... इसलिए आप बैठते वक़्त कभी पैरों को सीधा कर रहे हैं... और कभी फ़ोल्ड कर बाएं पैर पर रख रहे हैं.... आप यूँ तो राइट हैंडेड हैं... पर सिर्फ़ लिखने का काम... आप अपनी बाएं हाथ से करते हैं... और टेबल पर लिखते हुए हमेशा अपन दाएं कुहनि पर भार दे कर लिखते हैं....

इतना कह कर विश्व चुप हो जाता है l यह सब सुनने के बाद स्वपन का मुहँ खुला का खुला रह जाता है l जब उसे इस बात का एहसास होता है कि विश्व कहना बंद कर दिया है l तब व

स्वपन - (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए, और होठों पर एक हल्की मुस्कान बिखेरते हुए) इंप्रेसीव... रियली आई एम इंप्रेस्ड..
विश्व - क्या अब आप बतायेंगे... आप मेरे पास किस काम के लिए आए हैं...
स्वपन - श्योर... यंग मैन श्योर... मैं भुवनेश्वर में दो सालों से अपना बिजनैस सेट करने में लगा हुआ हूँ... बाय द ग्रेस ऑफ ऑल माइटी... मैं कामयाब भी हुआ हूँ... पर अब कुछ लीगल प्रॉब्लम्स आ रहे हैं... मुझे उसके लिए एक लीगल एडवाइजर की जरूरत है...
विश्व - अब समझा... आप को यहाँ... मिसेज़ प्रतिभा सेनापति जी ने भेजा है...
स्वपन - हाँ... उन्होंने मुझे तुम्हारा नाम सुझाया... तुम्हारे क्वालिफीकेशन, एक्सपेरियंस के बारे में ब्रिफली बताया.... और यह भी बताया... के तुम्हें ढाई तीन महीने के भीतर बार लाइसेंस भी मिलने वाला है.... पर उसके बावजूद... मैं सच कहता हूँ... पहली मुलाकात में... तुम मुझे बिलकुल भी अच्छे नहीं लगे.... पर नाउ आई एम रेडी टू हायर यु...
विश्व - पर मैं यहाँ... भुवनेश्वर में... ज्यादा दिन रहने वाला नहीं हूँ...
स्वपन - वह मैं जानता हूँ... तुम सिर्फ हफ्ते में... वीकेंड को ही आओ... अपनी एडवाइज दो... और जब ज़रूरत पड़े.... कोर्ट में केस फाइल करो...
विश्व - (कुछ सोच में पड़ जाता है और चुप रहता है
स्वपन - क्या सोचने लगे यंग मैन..
विश्व - (स्वपन की ओर देख कर) मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था... क्या आप मुझे थोड़ा वक़्त देंगे..
स्वपन - हा हा हा हा... क्यूँ नहीं... तुम्हारे पास लाइसेंस नंबर आने में अभी वक़्त है... तब तक सोच सकते हो..
विश्व - थैंक्यू..

स्वपन जाने के लिए उठता है, विश्व भी अपनी जगह उठ खड़ा होता है, पर दरवाजे पर स्वपन पहुँच कर विश्व के ओर मुड़ता है

स्वपन - मिस्टर विश्व प्रताप... मेरे मन में जिज्ञासा है.... तुमने मेरे बारे में इतना सटीक कैसे अनुमान लगाया... क्या मुझे बताना चाहोगे.
विश्व - सर आपकी फिजीक,... आपकी पर्सनैलिटी,... आपकी एपीयरेंस.... आपके आर्मी बैकग्राउंड के बारे में खुद ब खुद बखान कर देती है...
स्वपन - यह कोई भी आदमी कह सकता है... पर मेरे सर्विस रिकार्ड के बारे में... कैसे
विश्व - आप जब भी चलते हैं... बयां कंधा दाएं कंधे से थोड़ा सा झुका रहता है... सटीक देखने पर पता चलता है... मतलब शुरुआती दिनों में आप राइफल पकड़ कर गार्ड स्टैंस लेते थे.... और सलामी भी दिया करते थे... किसी कॉमबैट के बाद... आपकी तरक्की हुई... आप मेजर रैंक तक पहुँचे... यह आपकी पहनावे और आवाज में कमांड वाली रौब... आपकी जर्नी बता दिया... फिर उसके बाद आपको गोली लगी... फिर रिटायर्मेंट..
स्वपन - वेल वेल वेल... अगेन आई एम इंप्रेस्ड... और उम्मीद करता हूँ... तुम मेरे ऑफर पर गौर करोगे...

इतना कह कर स्वपन लाइब्रेरी से निकल जाता है l विश्व उसे जाते हुए देखता है l स्वपन के चले जाने के बा

विश्व - तुम छुपी हुई क्यूँ हो... बाहर आ जाओ माँ
प्रतिभा - (वॉशरुम से बाहर निकल कर) तुने यह कैसे पता कर लिया... मैं वॉशरुम में हूँ..
विश्व - यह तुम क्या कर रही हो... क्यूँ कर रही हो..
प्रतिभा - अररे... मैं तेरे लिए कैरियर ऑपर्चुनिटी ले कर आयी हूँ.. और तु... (मायूस हो कर) मुझसे ऐसी बातें कर रहा है...
विश्व - बस माँ बस... तुमसे ऐक्टिंग नहीं होगा... प्लीज..
प्रतिभा - ठीक है... तो सुन... यह कल मेरे पास आए थे... अपनी प्रॉब्लम के बारे में बताया... तब मैंने इन्हें तेरा नाम इसलिए सुझाया... क्यूंकि तु... हर हफ्ते काम के बहाने भुवनेश्वर आया करे...(रूठ कर मुहँ फ़ेर लेती है)
विश्व - (प्रतिभा के आगे जा कर) माँ... क्या मेरे वादों पर भी भरोसा नहीं था... (गले से लग जाता है)
प्रतिभा - छोड़ मुझे... और यह बता... स्वपन जोडार की ऑफर करेगा या नहीं..
विश्व - अगर ना कहूँ भी तो... क्या तुम मानोगी... करना ही पड़ेगा...
प्रतिभा - शाबाश... (कह कर विश्व को गले से लगा लेती है)
विश्व - अच्छा माँ...
प्रतिभा - हूँ...
विश्व - भूख लगी है...
प्रतिभा - (विश्व से अलग हो कर) मैं जानती थी... इसलिए खाना साथ में लाई हूँ... चल मिलकर खाते हैं...
विश्व - ठीक है...

प्रतिभा लाइब्रेरी के टेबल पर खाना लगा देती है l दोनों आमने सामने बैठ कर खाना खाने लगते हैं

विश्व - माँ... फिर से पुछ रहा हूँ..
प्रतिभा - क्या... यही ना.. के तेरे वादों पर भरोसा था या नहीं... तो सुन... था... है... और रहेगा... पर... मैं चाहती थी... तेरे पास अपनी कैरियर ऑपर्चुनिटी हो... वह भी अपनी काबिलियत पर तु हासिल करे... इसलिए मैंने उसे तेरे क़ाबिलियत के बारे में जानकारी दी... और मुझे खुशी है कि तुने उसे इम्प्रेस कर दिया....
विश्व - मैंने उसे अपने लिए नहीं.... तुम्हारी खुशी के ख़ातिर इम्प्रेस किया...
प्रतिभा - जानती हूँ... पर मेरी खुशी की वजह दुसरी है...
विश्व - ओह... फॉर गॉड शेक... आप फिरसे शादी की बात मत छेड़ देना....
प्रतिभा - अररे वाह... बेटा हो तो तेरे जैसा...
विश्व - ओह नो...
प्रतिभा - ओह यस...
विश्व - कहीं इसे दिखा कर... तुम कोई लड़की तो नहीं ढूंढने वाली...
प्रतिभा - (मुस्कराते हुए) कितना सही अनुमान लगा लेता है....
विश्व - ठीक है माँ... मेरे लिए हाथ किससे माँगोंगी... कोई परिवार वाला तो मुझे अपनी जमाई नहीं बनाएगा... और कोई लड़की भी क्यूँ कर राजी होगी...
प्रतिभा - अररे... फिर वही नेगेटिव बातेँ... (विश्व की ठुड्डी पकड़ते हुए) मेरे इस बेटे के लिए तो चांद से उतर कर कोई परी आएगी... (फिर अपने दोनों हाथों मोड़ कर अपनी ठुड्डी के नीचे रख कर) वह कोई आम लड़की नहीं होगी.... कोई राजकुमारी होगी... देख लेना...

विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और उसकी खांसी निकलने लगती है l प्रतिभा झट से उसे पानी की बोतल से पानी पिलाती है

प्रतिभा - (विश्व की पीठ को सहलाते हुए) क्या हुआ... कौन याद कर रहा है तुझे..
विश्व - कुछ नहीं...(हँस कर छेड़ते हुए) शायद तुम्हारे ख्वाब की राजकुमारी....
प्रतिभा - तु मेरा मज़ाक उड़ा रहा है... हूँ..ह्

प्रतिभा अपनी जगह पर जा कर मुहँ को मोड़ कर खाना खाने लगती है l विश्व प्रतिभा के पास जाकर अपना चेहरा प्रतिभा के कंधे पर रख देता है l प्रतिभा भी मुस्कुराते हुए विश्व के मुहँ में खाने की कोर देने लगती है l विश्व खाते हुए अपनी आँखे बंद कर लेता है


दस साल पहले
क्षेत्रपाल महल
छोटी रुप को अट्ठारह साल का अनाम पढ़ा रहा है I पर रुप पढ़ने के वजाए अनाम को गुस्से से घूर रही है l अनाम पढ़ाने में व्यस्त है l रुप की गुस्से को नोटिस ना करने के वजह से रुप जोर जोर से सांस लेने लगती है और फु फु कर सांस छोड़ने लगती है l रुप की इस हरकत ने अनाम का ध्यान खींचती है

अनाम - क्या बात है... राजकुमारी जी... लगता है आप आज किसी पर बहुत गुस्सा हैं... अगर पढ़ने का मन ना हो तो आज पढ़ाई यहीं रोक दें.

रुप कुछ कहने के वजाए और भी गुस्से से अनाम को देखती है l अनाम अब थोड़ा डरते हुए किताबें समेटने लगता है l सब समेट कर अनाम रुप के सामने खड़ा होता

अनाम - अच्छा... राजकुमारी जी... आज की पढ़ाई बस इतनी... मैं अब चलता हूँ..

रुप अचानक अपनी कुर्सी पर खड़ी हो जाती है और अनाम के ऊपर छलांग लगा देती है l अनाम बैलेंस नहीं कर पाता और पीठ के बल नीचे गिर जाता है l रुप अपनी कमर पर हाथ रखकर उसके छाती पर बैठ जाती है

अनाम - (हकलाते हुए) क... क.. क्या... ब... ब.. बात है... र... र.. राजकुमारी जी....
रुप - तुम सीधे पढ़ाने नहीं आ सकते थे... उस लता के साथ बातें क्यूँ कर रहे थे..
अनाम - क क क कौन लता...
रुप - अच्छा... कौन लता... कितनी देर तक उसके साथ फें फें कर हँसते हुए बातेँ कर रहे थे... अब पुछ रहे हो कौन लता.... हूँ..ह्.
अनाम - अच्छा तो उनका नाम लता है... पर.. मुझे तो मालुम ही नहीं था...
रुप - झूठ मत बोलो...
अनाम - मै मै मै... मैं झू झू झूठ... क्यूँ बोलूंगा... वह.. लता ने ही मुझे रोक लिया था... बेवजह बातेँ भी कर रही थी... पर मैं जल्दी आ गया ना आपको पढ़ाने..
रुप - क्या... जल्दी... पुरे आधा घंटा लेट थे...
अनाम - प्लीज राजकुमारी जी प्लीज.... भगवान से डरीए... सिर्फ़ पांच मिनट ही लेट हुआ मैं...
रुप - वह मैं नहीं जानती... अगर कल से... किसी लड़की से बातेँ करते हुए दिखे... तो मैं खिड़की से बाहर कुद जाऊँगी.... पूछने पर बताऊंगी के तुमने मुझे धक्का दिया..
अनाम - क्या... (आँखे फैल जाती है) नहीं... सिर्फ बात ही तो कर रहा था..
रुप - वह मैं नहीं जानती... (नीचे पड़े अनाम की कलर पकड़ कर) तुम सिर्फ मुझसे बातेँ किया करोगे..
अनाम - पर... अगर कोई मुझसे बात करने की कोशिश करेंगे... तो जवाब तो देना पड़ेगा ना..
रुप - नहीं... इस महल में... तुम सिर्फ़ मुझसे और मेरे चाची माँ से बात करोगे... किसी और लड़की या औरत से बात की... तो देख लेना... (कह कर अनाम की नाक काट लेती है
अनाम - आ.. ह्... मेरी नाक... यह क्या कर रहीं हैं आप..
रुप - धीरे से काटा है... अगली बार उखाड़ लुंगी..
अनाम - नहीं नहीं... पर यह तो बताइए... मैं क्यूँ किसी से बात नहीं कर सकता..
रुप - क्यूँकी मैं बड़ी हो कर तुमसे शादी जो करने वाली हूँ..

यह सुन कर अनाम झट से उठ खड़ा होता है पर रुप अनाम की कलर को पकड़े हुए उसके कमर के इर्द-गिर्द अपनी पैरों को मोड़ कर बांध देती है

अनाम - यह क्या कह रही हैं... राजकुमारी जी... आप जानती हैं... आप कितनी छोटी हैं... और मैं आपसे कितना बड़ा हूँ..

रुप के आँखों में आँसू आ जाते हैं l वह रोनी चेहरा बना कर सुबकने लगती है

अनाम - (डरते हुए) रा.. राज... कुमारी जी... प्लीज... रोइए मत प्लीज.
रुप - नहीं रोउंगी...(सुबकती हुई) अगर मेरे सिर पर हाथ रख कर कसम खाओ..
अनाम - (डर के मारे जल्दी जल्दी रुप के सिर पर हाथ रखकर) ठीक है मैं आपके सिर पर हाथ रखकर.... बोलिए क्या कसम खाउं..
रूप - मेरे साथ कहो..
अनाम - ठीक है....
रुप - जब मैं शादी के उम्र की हो जाऊँगी... तुम मुझसे शादी करोगे...
अनाम - क्या... (अपना हाथ रुप की सिर से हटा देता है)
रुप - तुमने मेरी कसम खाई है... अगर नहीं माने तो मेरा मरा हुआ मुहँ देखोगे...
अनाम - (हकलाते हुए) क.. क्या... ये.. यह चीटिंग है...
रुप - यह चीटिंग नहीं फिटिंग है... अब या तो कसम उठाओ या फिर मेरा मरा हुआ मुहँ देखो...
अनाम - (बड़ी अनीच्छा से) ठीक है.... (रुप की सिर पर हाथ रखकर) मैं आपकी सिर की कसम खा कर कहता हूँ... आप की शादी की उम्र हो जाने के बाद... मैं आपसे शादी करूँगा..

रुप खुश हो कर अनाम के गालों को चूम लेती है

"यह देखो... राजकुमारी किसी के ख़यालों में खोई हुई हैं... और मन ही मन मुस्करा रहीं हैं...

यह आवाज थी दीप्ति की l रुप अपनी ख़यालों से बाहर आती है l तो देखती है उसकी छटी गैंग की पुरी पलटन उसके सामने खड़ी है l उसके पास बैठते हु

बनानी - क्या बात है... नंदिनी... तु आज कैन्टीन क्यूँ नहीं आयी... और लाइब्रेरी में क्या कर रही है... हमसे कोई भूल हो गई क्या.
तब्बसुम - हाँ यार... क्या बात है... हम तेरा इंतजार करते रह गए...
दीप्ति -तेरी गाड़ी देखी पार्किंग पर... तब आइडिया लगाया और यहाँ पहुँचे...
रुप - थोड़ी जल्दी आ गई थी... सोचा लाइब्रेरी में थोड़ी रिवीजन कर लूं...
इतिश्री - पर तु तो आँखे बंद कर किसीके ख़यालों में खोई हुई थी... (मजाकिया हो कर) कौन है वह....
रुप - तुम जो सोच रही हो... ऐसा कुछ भी नहीं है... मैं बस अपनी बचपन की यादों में खोई हुई थी....
भाश्वती - व्हाट... दिन है जवानी के... और याद किए जा रहे हैं... दिन बचपन के...
रुप - हाँ.. बचपन जब याद आती है... तो बड़ा दुख होता है... की कास हम कभी बड़े ना हुए होते... कितना पाक... कितना साफ.. निष्पाप... निःसंकोच... विश्वास इतना... जितना कि भगवान... स्वल्प ज्ञान था... पर कितना सच्चा था.. पर जब जवान हुए तो मालुम हो रहा है... छल... दगा... पता नहीं क्या क्या... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) अब जितना ज्ञान बढ़ रहा है... उतना ही अविश्वास बढ़ रहा है... (फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए) कास के हम... कभी बड़े ही नहीं होते....

बनानी और सभी दोस्त रुप को हैरान हो कर देख रहे हैं l

बनानी - नंदिनी... कोई दुख है तुम्हें...
रुप - अरे नहीं... बात ऐसी कुछ भी नहीं... पता नहीं क्यूँ आज मुझे मेरा बचपन बड़ा याद आ रहा है... खैर छोड़ो... बताओ... कैन्टीन की पार्टी हो गई...
दीप्ति - अरे कहाँ... हम तो तुमसे... कल होने वाली पार्टी के बारे में पूछने आए थे...
रुप - और मैं तुम सबको... कल की पार्टी के बारे में बताने के लिए... इतनी उतावली थी... की कॉलेज जल्दी आ गई...
सब - वाव... हाव स्वीट....

इतने में रुप की मोबाइल बजने लगती है l रुप फोन की डिस्प्ले देख कर हैरान हो जाती है, फिर फोन उठा कर

रुप - हाँ काका... बोलिए...
X - _#__#--#
रुप - व्हाट... अच्छा ठीक है... आप फिक्र ना करें... एक काम कीजिए... आप हमारी कैन्टीन में पहुँचें... (रुप फोन काट देती है)
दीप्ति - क्या हुआ नंदिनी...
नंदिनी - कुछ नहीं... वह.. मेरे ड्राइवर अंकल हैं ना... उनके पेट में थोड़ी गड़बड़ हो गई है... वह वॉशरुम युज करना चाहते हैं... तो मैंने उन्हें कैन्टीन की वॉशरुम युज करने के लिए कहा है... चलो थोड़ा कैन्टीन चलते हैं... अगर मैं वहाँ ना पहुँची तो वह भी नहीं आयेंगे....

सब के सब कॉलेज की लाइब्रेरी से निकल कर कैन्टीन की ओर चल देते हैं l

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स्क्वाश कोर्ट में रॉकी और उसके साथी रॉकी के इर्द-गिर्द बैठे हुए हैं l इतने में रवि की मोबाइल पर मैसेज की रिंग टोन बजने लगती है l रवि फोन उठा कर मैसेज पढ़ता है फिर रॉकी से

रवि - रॉकी... मान ले अगर हम कुछ ऐसा करें... कि नंदिनी की गाड़ी जाते जाते बीच रास्ते में पंक्चर हो जाए... फिर भी नंदिनी की तेरी गाड़ी में बैठने की चांस कितना है....

सब रवि को हैरान हो कर देखने लगते हैं I सबको अपने तरफ घूरते हुए देख कर रवि मुस्करा देता है l

रवि - अरे... अपने यार के लिए यह रिस्क भी उठा लेते हैं... पर पहले मालुम तो हो... नंदिनी की बैठने की चांस कितनी है...
रॉकी - शायद जीरो...
सुशील - अगर जीरो है... तो फिर चांस क्यूँ लेना...
आशीष - नहीं सुशील... चांस तो लेना पड़ेगा... आखिर मालुम तो हो... नंदिनी फोन पर ही सही... रॉकी से कितनी खुली है...
राजु - कितनी खुली है... कितनी घुली है... यह सब बाद की बात है... पहले यह बताओ... करोगे क्या...
रवि - गाड़ी पंक्चर....
राजु - पंक्चर... पर करोगे कैसे और कब...
सब - हाँ... हाँ कब...
रवि - अरे यार अभी अभी... मेरी वाली ने मैसेज किया है... की नंदिनी की गाड़ी का ड्राइवर गाड़ी को छोड़ कर कैन्टीन गया है....
सब - व्हाट...
रवि - हाँ यारों... लगता है... तकदीर और खुदा... अपने रॉकी के साथ है... इसलिए तो ड्राइवर को लूज मोशन लगा है... वह भी कॉलेज आने के बाद... हा हा हा हा
सब एक साथ - वाव... हा हा हा...
आशीष - तो यारों... चलो फिर... कोई तिकड़म भिड़ाते हैं...

रॉकी आगे बढ़ कर रवि को गले से लगा लेता है l सब दोस्त आकर उन दोनों को गले लगा लेते हैं l

राजु - किस्मत साथ है या नहीं... चलो फिर आजमाके देखते हैं...

सब स्क्वाश कोर्ट से निकल कर पार्किंग की ओर जाते हैं l वहाँ पहुँच कर देखते हैं वाकई नंदिनी की ड्राइवर गाड़ी के पास नहीं है l

रॉकी - एक मिनट दोस्तों... मैं एक काम करता हूँ... मैं जा कर कैन्टीन में देखता हूँ... सिचुएशन क्या है... तुम लोग अपनी काम में लग जाओ...
राजु - हाँ यह ठीक है... तु वहाँ से हमे अलर्ट कर देना... अगर हमारा काम स्मुथ हो जाता है... हम तुम्हें इंफॉर्म कर देंगे...
सब - हाँ यह ठीक रहेगा...

रॉकी कैन्टीन की ओर चला जाता है l और स्टैंड पर पहुँच कर सुशील और रवि दोनों अपनी अपनी बाइक निकालते हैं l एक राउण्ड मारने कर दोनों अपनी अपनी गाड़ी लेकर नंदिनी के कार के पास पार्क कर देते हैं l सुशील अपनी कम्पास से एक डेढ़ इंच की कील निकाल कर गाड़ी के टायर में घोंप देता है l रवि भी दुसरी तरफ वही करता है I फिर दोनों अपनी अपनी बाइक लेकर बाइक स्टैंड में पार्क कर देते हैं l काम हो जाने के बाद राजु अपनी मोबाइल से 👍अंगूठे की ईमोजी मैसेज कर देता है l
उधर रॉकी कैन्टीन में आकर लड़कियों के टेबल के दुसरी ओर बैठा हुआ था l मोबाइल पर काम पूरा होने के कंफर्मेशन मिल जाने के बाद रॉकी खुश हो जाता है l वह अपने टेबल से उठ कर ल़डकियों के पास जाता है l

रॉकी - व्हाट हैप्पन्ड गर्ल्स... कोई टेंशन वाली बात...
नंदिनी - नॉथिंग...
रॉकी - मैंने सोचा शायद हो... इस टाइम में क्लास छोड़ कर कैन्टीन में...
दीप्ति - सेम क्वेश्चन... आप अभी इस वक़्त... वह भी क्लास छोड़ कर...
रॉकी - मैं इस कॉलेज का जनरल सेक्रेटरी भी हूँ... पढ़ाई पर जितना ध्यान देता हूँ... उतना ही एक्स्ट्रा एक्टिविटी पर भी ध्यान देता हूँ...
नंदिनी - अच्छी बात है...
रॉकी - लगता है... मैंने आप लोगों की मजा किरकिरा कर दिया... सॉरी... हाँ कोई भी तकलीफ़ हो... मुझे याद कर सकते हैं... प्लीज...
नंदिनी - ज़रूर... एंड थैंक्यू... अगर प्रॉब्लम कुछ भी हुआ... तो ज़रूर आपको याद करेंगे...

रॉकी यह सुन कर मन ही मन बहुत खुश हो जाता है l अपनी खुशी को अंदर दबाते हुए बाहर निकल जाता है l

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XX बजे कॉलेज की आखिरी बेल बजती है l सभी लड़कियाँ क्लास से बाहर निकलने लगते हैं l उधर सभी के जाने के इंतजार में रॉकी और उसके सभी साथी स्क्वाश कोर्ट में अपनी अपनी फिंगर क्रॉस किए बैठे हैं l करीब दस मिनट बाद रॉकी रवि को इशारा करता है l रवि अपना सिर हिलाता है और कोर्ट से बाहर निकल जाता है l पांच मिनट बाद भागते हुए आता है l

रवि - सभी चले गए हैं.... कोई नहीं है... सिर्फ हमारी गाडियाँ है... चलो हम भी अब निकलते हैं... रॉकी जा... लेले... अपनी किस्मत का टेस्ट... तु पास हुआ या फैल... आज रात को तेरे होटेल के टेरस पर... मॉकटेल पार्टी में....

सभी दोस्त उसे थंब्सअप करते हैं l रॉकी अब भागते हुए बाइक स्टैंड पर पहुँचता है और अपनी बाइक निकाल कर रास्ते पर दौड़ा देता है l उसे करीब पाँच किलोमीटर दूर जाने के बाद नंदिनी की गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी दिखती है और नंदिनी गाड़ी के बगल में खड़ी हुई है l रॉकी मन ही मन खुश हो जाता है, पर उसे महसूस होने लगता है उसकी दिल की धड़कने बहुत बढ़ गईं हैं l उसका पुरा शरीर में अब कंपकंपी दौड़ने लगी है l एक गहरी सांस लेकर अपनी बाइक को आगे बढ़ाता है l नंदिनी उसे दूर से देख कर हाथ से लिफ्ट के लिए इशारा करती है l लिफ्ट का इशारा देख कर रॉकी बहुत खुश हो जाता है l गाड़ी को स्पीड बढ़ा कर नंदिनी के पास पहुँचता है, और अनजान बनकर बड़ी मासूमियत से पूछता है

रॉकी - क्या बात है नंदिनी... क्या हुआ... यह बीच रास्ते में गाड़ी...
नंदिनी - (झल्ला कर) ओह देखिए ना रॉकी... गाड़ी की दोनों टायर एक साथ पंक्चर हो गई हैं...
रॉकी - लिफ्ट चाहिए...
नंदिनी - हाँ... अरे... आप तो पक्के दोस्त निकले... क्या आप लिफ्ट देंगे...
रॉकी - अरे... यह तो बहुत ही छोटी बात है... दोस्तों के लिए कहीं भी... कभी भी... कुछ भी...
नंदिनी - (ताली मारते हुए) थैंक्यू.. थैंक्यू... प्लीज... प्लीज...
रॉकी - अरे इसमे थैंक्यू... या प्लीज कहने क्या जरूरत है... मैं और मेरी गाड़ी दोनों तैयार हैं... आप बस हुकुम किजिये...
नंदिनी - ठीक है...(अपनी कार की डोर खोल कर) बनानी... सॉरी यार... मेरी गाड़ी की हालत तो देख रही हो... इसलिए एक काम करो... तुम्हें रॉकी जी ड्रॉप कर देंगे... आओ बाहर...

गाड़ी से बनानी थोड़ी सकुचाते हुए उतरती है l बनानी को देख कर रॉकी के चेहरे की रौनक उड़ जाती है l पर खुद को संभल लेता है और मुस्कराने की कोशिश करता है l

नंदिनी - वह क्या है कि... आज मेरा प्लान बनानी को उसके घर ड्रॉप करने का था... पर मेरी गाड़ी ने मुझे धोखा दे दिया... पर देखिए ना... किस्मत से हमारे कॉलेज के हीरो... टाइम पर पहुँच गए... थैंक्यू... थैंक्यू... वेरी मच... आप वाकई बहुत अच्छे और सच्चे दोस्त हैं...
रॉकी - (बड़ी मुश्किल से, अपनी हलक से आवाज निकाल कर) कोई बात नहीं... मैं इन्हें इनके घर ड्रॉप कर दूँगा...
नंदिनी - थैंक्यू अगेन...

रॉकी बुझे मन से गाड़ी स्टार्ट करता है l बनानी रॉकी के पीछे बैठ जाती है l बनानी के बैठने के बाद रॉकी अपनी गाड़ी आगे बढ़ा देता है l जाते हुए बनानी नंदिनी को हाथ हिला कर बाय करती है और जवाब में नंदिनी I उनके जाने के बाद नंदिनी फोन निकालती है कि तभी एक कार चर्र्र्र्र्र् आवाज करती हुई उसके पास आकर रुकती है l कार के भीतर से एक औरत

औरत - अरे नंदिनी... तुम यहाँ... क्या हुआ...

नंदिनी उसे देखते ही घबरा जाती है l उसकी हालत खराब हो जाती है l तब तक वह औरत अपनी गाड़ी को नंदिनी के गाड़ी के आगे सड़क के किनारे रोक देती है l फिर वह औरत नंदिनी के पास आती है l नंदिनी को हैरान देख कर

औरत - क्या बात है नंदिनी... तुमने मुझे पहचाना नहीं...
नंदिनी - (मुस्कराने की कोशिश करते हुए) जी... जी शायद... नहीं...
औरत - हाँ... सिर्फ दो मिनट की मुलाकात थी... वह भी मॉल की कॉफी शॉप में... पर तुम और तुम्हारा नाम मुझे याद है... जानती हो क्यूँ... क्यूंकि उस दिन रेडियो पर मैंने एक नंदिनी का प्रेजेंटेशन सुना था... और एक नंदिनी से मुलाकात हुई थी... आई विश्ड... कास यह दो नंदिनी एक होते...

नंदिनी मुस्कराने की कोशिश करती है l और समझ जाती है कि वह औरत उसके बारे में ज्यादा नहीं जानती l नंदिनी अब अपने अंदर की फिलिंग्स को छुपाने के लिए

नंदिनी - ओह आप... सॉरी आंटी जी... मैंने पहचाना नहीं...
औरत - कोई बात नहीं... समझ सकती हूँ... देख रही हूँ... टायर पंक्चर है... स्टेपनी नहीं है क्या...
नंदिनी - ऐसी बात नहीं है आंटी... दो दो टायर पंक्चर हैं...
औरत - ओ.. अच्छा...
नंदिनी - घर से दुसरी गाड़ी तो बुला लूँ... पर... भैया को मालुम हुआ तो काका पर मुसीबत टूट पड़ेगी...
औरत - घबराओ मत... सर्विस ऑन कॉल पर फोन करो... कुछ दिन पहले हमारी भी गाड़ी बीच रास्ते में खराब हुई थी... उन्होंने ही ठीक किया था... रुको मैं ही कॉल लगा देती हूँ...

इतना कह कर वह औरत एक फोन लगा देती है l कुछ देर बात करने के बाद नंदिनी से कहती है

औरत - लो तुम्हारा प्रॉब्लम सॉल्व... तब तक चलो मैं तुम्हें अपनी गाड़ी से ड्रॉप कर दूंगी...
नंदिनी - (झटका सा लगता है) नहीं... नहीं आंटी जी.. नहीं.. अगर मैं काका के साथ भी नहीं गई... तो भैया काका को माफ नहीं करेंगे... इसलिए... प्लीज...
औरत - ह्म्म्म्म... ठीक है... एक काम तो कर सकती हो...
नंदिनी - क्या...
औरत - यहीं... (हाथ के इशारे से दिखाते हुए) उस मोड़ पर एक कॉफी की दुकान है... चलो एक एक कॉफी हो जाए...
नंदिनी - जी...इ..इ.. इ...
औरत - अरे... इतनी लंबी जी की जरूरत नहीं है... मैं ऑफर कर रही हूँ... ओह कॉमन... मैं कोई पागल औरत नहीं हूँ... एक एडवोकेट हूँ... मेरा नाम... प्रतिभा सेनापति है...
नंदिनी - क्या... (हैरानी से आँखे चौड़ी हो जाती हैं) आ... आप... एडवोकेट प्रतिभा जी हैं...
प्रतिभा - हाँ...
नंदिनी - आप ही... बार काउंसिल के सेक्रेटरी हैं और ओड़िशा वर्किंग वुमेन एसोसिएशन के अध्यक्ष...
प्रतिभा - अरे... तुम मेरे बारे में इतना जानती हो...
नंदिनी - (खुश होते हुए) ओह गॉड... मैंम मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ... आप वीकली मैग्ज़ीन सुचरिता के जो कॉलम लिखती हैं... मैं और मेरी भाभी पढ़ते हैं... हम दोनों आपकी ह्युज फैन हैं...
प्रतिभा - ओह रियली... अच्छा अब बताओ... एक छोटा सा वकींग उस कॉफी स्टॉल तक... एक कॉफी मेरे तरफ से...
नंदिनी - श्योर मैम श्योर...
प्रतिभा - अरे... तुम पहले मुझे यह मैम कहना छोड़ो... आंटी ठीक थी.. है भी...
नंदिनी - जी ठीक है... (ड्राइवर से) काका आप रुकिए यहाँ... थोड़ी देर के लिए... हम वहाँ आगे की मोड़ पर हैं...
गुरु काका - ठीक है... बेटी जी...

प्रतिभा और नंदिनी दोनों कॉफी के स्टॉल की ओर चलने लगते हैं

प्रतिभा - अच्छा नंदिनी... सच बताना... उस दिन मेरी हाइपरनेस देख कर तुम डर के मारे भाग गई थी ना...
नंदिनी - (हँसते हुए) हाँ आंटी... उसके लिए सॉरी...
प्रतिभा - अरे.. इसमे सॉरी की कोई बात नहीं है... तुम्हारी जगह कोई भी होती.. तो वह भी भाग जाती... इन फैक्ट अभी भी भाग गई होती... हा हा हा..
नंदिनी - (मुस्करा देती है) वैसे आंटी जी... सॉरी तो मेरा कहाना बनता है...
प्रतिभा - अच्छा... वह कैसे...
नंदिनी - आप उस दिन जिस रेडियो वाली नंदिनी को ढूंढ रही थी... वह मैं हूँ...
प्रतिभा - क्या... (खुश हो जाती है) ओह माय गॉड... लो मैं और मेरा बेटा जिसकी फैन हैं... वह अब मेरे सामने खड़ी है... ह्म्म्म्म... उस दिन तुमने झूठ क्यूँ बोला...
नंदिनी - (शर्माते हुए) आ.. आपसे डर गई थी...
प्रतिभा - (बड़ी जोर से हँसती है) आ हा हा हा... ओके ओके... बहुत सॉरी... फिर भी... मेरा बेटा और मैं... हम दोनों तुम्हें कंप्लीमेंट देना चाहते थे...
नंदिनी - सॉरी आंटी...
प्रतिभा - कोई बात नहीं... अब जो मिल गई हो तो... लो अपनी इस कंप्लीमेंट ले लो...

दोनों कॉफी स्टॉल तक पहुँच जाते हैं l प्रतिभा दो स्पेशल कॉफी ऑर्डर करती है l किसी फ़ुटपाथ पर कॉफी पीना नंदिनी का यह पहला अनुभव था l अब दोनों कॉफी पीते हुए बातेँ करने लगते हैं l

नंदिनी - आंटी... आप खुदको मेरी फैन ना कहें...
प्रतिभा - क्यूँ... क्यूँ ना कहूँ... जो सच है... सो है...
नंदिनी - तब तो आप मेरे आइडल हैं... मैंने जो भी प्रेजेंटेशन दिया वह सब के सब इंसीडेंट आप ही के कॉलम से उठाए थे मैंने...
प्रतिभा - (पूछने के अंदाज में) सच्ची.... पर कोई नहीं... प्रेजेंटेशन तो तुम्हारा अपना था... इसलिए कंग्रेचुलेशन...
नंदिनी - थैंक्यू... आंटी..

प्रतिभा मुस्करा कर नंदिनी के गालों पर अपना हाथ फेरती है, नंदिनी उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर मुस्करा देती है l इतने में नंदिनी की फोन बजने लगती है l नंदिनी फोन उठा कर बात करती है l

नंदिनी - अच्छा आंटी... यह मुलाकात बहुत ही खास रही... थैंक्यू... अगेन... और गाड़ी भी ठीक हो गई है... अब मैं चलती हूँ.... फिर मिलते हैं...
प्रतिभा - शाबाश बेटा... बहुत अच्छे...
नंदिनी - किस बात के लिए आंटी...
प्रतिभा - तुमने... फिर मिलते हैं जो कहा...

उसके बाद दोनों चलते हुए अपनी अपनी गाड़ी के पास आते हैं l आते वक़्त दोनों खामोश रहते हैं l फिर गाड़ी में बैठते वक़्त नंदिनी और प्रतिभा एक दुसरे हाथ हिला कर बाय करते हैं और वहाँ से चले जाते हैं l


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होटल ब्लू इन की टेरस पर रॉकी और उसके साथी बैठे हुए हैं l रॉकी का मुड़ पुरी तरह से उखड़ा हुआ है l सभी दोस्त उसके पोपट होने पर मन ही मन दबा कर हँस रहे हैं l भले ही कोई बाहर यह जाहिर नहीं कर रहे हैं पर रॉकी को यह एहसास हो पा रहा है l भले ही सब मन में हँस रहे हैं पर बात शुरू करने के लिए किसीकी हिम्मत नहीं हो पा रहा है l अंत में

रॉकी - किसने गांड मारी मेरी... तकदीर या नंदिनी... (सब चुप रहते हैं) प्लान परफेक्ट था... गाड़ी रोड पर खड़ी थी... लिफ्ट भी मांग रही थी... साली कमीनी अपने लिए नहीं... कम्बख्त... उस बनानी के लिए...
राजु - यह क्या रॉकी... तु तो नंदिनी को चाहता है ना... फिर उसके लिए ऐसी भाषा क्यूँ...
रॉकी - तो क्या करूँ...
रवि - देख तु ही श्योर नहीं था... की वह बाइक पर बैठेगी या नहीं... चलो एक बात तो अच्छी रही... उसने अपनी दोस्त के लिए ही सही... तुझसे मदत तो मांगी ना...
सुशील - हाँ... बराबर है... जरा सोच अगर नंदिनी की गाड़ी में बनानी ना होती... तो आज तेरा चांस तो था ना...
रॉकी - नहीं... नहीं था...
आशीष - क्यूँ... क्यूँ नहीं था...
रॉकी - मैं जल्दी जल्दी नंदिनी को ड्रॉप कर... एक और चांस की दुआ मांगते हुए जब वापस पहुँचा तो.... नंदिनी और उसकी गाड़ी दोनों गायब थे... वहाँ पर एक वैन थी... सर्विस एट कॉल... तब मुझे समझ में आ गया... अब कोई चांस बाकी नहीं है...
राजु - तो इसमें मायूस होने वाली... कौनसी बात है... तु ही तो कहता है... वह अपने तरफ से फोन करती है... बातेँ करती रहती है...
रवि - हाँ.... आज नहीं तो कल... मौका फिर आएगा... अगली बार कुछ और प्लान करते हैं... जल्दी किस बात की है...
रॉकी - मुझे जल्दी है... हाँ... मुझे जल्दी है... क्यूँ के... ऐन मौके पर... किस्मत मुझे धोखा दे देती है...
सुशील - हौसला रख रॉकी... हौसला रख... जरूरी नहीं कि हर मौका हासिल हो... चुक भी हो सकती है...
रॉकी - आज कॉकटेल पार्टी करने को दिल कर रहा है...
राजु - ऐ... तु अभी से... इतनी सी बात पर टुट कैसे सकता है... आगे पता नहीं क्या क्या देखने को मिले... कैसे कैसे हालत बनें... हिम्मत रख... हौसला रख... यह कॉकटेल वाली चुतिआपा क्यूँ... किस लिए... और एक बात बता... तुझे जल्दी या जल्दबाजी किस लिए है...
रॉकी - (चुप रहता है)
आशिष - राजु ठीक कह रहा है... एक बात बता... तु हर बार... एक टाइम बाउंड टास्क लेता है और हमें देता है... ऐसा क्यूँ... और अभी कह रहा है... तुझे जल्दी है... किस बात की...
सुशील - हाँ रॉकी... बात तो सही कही आशिष ने... तुझे किस बात की जल्दी है...
रॉकी - वह एक ख्वाहिश है.... जो हासिल भी नहीं है.... खो जाएगा... छीन जाएगा मुझसे... ऐसा अब महसुस होने लगा है...
रवि - (रॉकी के कंधे पर हाथ रखकर) यह हमारा रॉकी नहीं है... कहाँ गया वह महान कमीना... जिसके हम यार हैं...
आशीष - हाँ यार... तु... इस कदर कैसे टुट सकता है... (राजु से) ऐ राजु... क्या तुझे कोई आइडिया है...
राजु - किस बात की...
आशीष - अरे... (रॉकी को दिखा कर) इसके सपनों में कोई आ रहा है... यह इसका वहम है... या सच में कोई है...
राजु - जब इसने... मतलब हमने... मिशन नंदिनी शुरू की थी... तब मैंने इसे समझाया था... की कभी भी जल्दबाजी ना करे... लगातार कोशिश करे... उसके दिल में उतरने की... उसकी आत्मा में उतरने की... पर यह हर हफ्ते कोई ना कोई टास्क मिशन नंदिनी के नाम पर टास्क उठा लाता है... अभी अच्छी खबर यह है.... की नंदिनी आगे आ कर इससे दोस्ती की है... पर फिर भी... इस डिवेलपमेंट से यह बिलकुल खुश नहीं है... भूख और लालच बढ़ता ही जा रहा है इसका... अब यह कह रहा है इसे जल्दी है... वजह कोई सपनों में आकर इसके और नंदिनी के बीच खड़ा हो रहा है... मैं सच में नहीं जानता कि कोई और है भी या नहीं... यार वह बड़े लोग हैं... उनके घर के दीवारें भी बहुत ऊंची होती है... मुझे कैसे मालुम होगा... हमने पहले भी कहा था... यही एक लड़की तो नहीं है... दुनिया में... और भी एक से बढ़कर एक लड़की होंगी... पर यह नहीं माना... नंदिनी पर इसकी सुई अटक गई... वहाँ तक भी ठीक था... प्यार में पागलपन जुनून होना चाहिए... पर इसकी... इस हालत को क्या कहा जाए... पागलपन या जुनून तो हरगिज़ नहीँ...
रॉकी - (अपनी जगह से उठता है और राजु की कलर को पकड़ता है) बड़ी लंबी भाषण दे दी तुने... तो बोल मेरे आंखों में... इरादों में तुझे क्या दिखता है....

राजु चुप रहता है l आशिष, रवि और सुशील रॉकी से राजु को छुड़ाते हैं l

रवि - यह क्या है रॉकी... क्या गलत कह दिया राजु ने... हम भी तो हर मौके पर पुरा साथ दिए... और ऐसा क्या होगया... तेरे हाथ राजु के कलर पकड़ लिए....
रॉकी - (चिल्ला कर) दिवाना हो गया हूँ मैं... हाँ मुझे वहम हो गया है... कोई मुझसे नंदिनी को छीन कर ले जा रहा है...
राजु - चल मान भी लूँ... तु दिवाना हो गया है... फिर जिससे अपनी प्यार का दम भर रहा है... तो वह कमीनी कैसे हो गई... क्या यही इज़्ज़त है तेरे दिल में अपने प्यार के लिए....
रॉकी - वह... वह... फ्रस्ट्रेशन में मुहँ से निकल गया....

रॉकी के इतने कह लेने के बाद सब चुप हो जाते हैं l रॉकी सबको देखता है सब उसे किसी और नजर से देख रहे हैं l

रॉकी - भाइयों... कभी कभी जुबान फिसल जाता है यार.... माफ भी कर दो....

सब एक दुसरे को देखने लगते हैं l फिर रवि रॉकी से पूछता है

रवि - रॉकी... मान ले... तुझे मालुम हो... की नंदिनी एंगेज्ड है... तो...
रॉकी - (गुस्से से सबको देखता है, फिर खुद को संभाल कर) तो मैं खुद को उसकी जिंदगी से अलग कर दूँगा ... अपना रास्ता अलग कर लूँगा... आखिर वह जिसे भी चुनेगी... वह मुझसे कई गुना बेहतर होगा...
रवि - यह हुई ना बात...
रॉकी - तो दोस्तों कोई आइडिया दो...
सुशील - यार... अभी तो कोई आइडिया नहीं आ रहा...
आशीष - हाँ... हम अभी तक उसकी पसंद ना पसंद कुछ भी नहीं जानते... वह अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर भी नहीं जाती... सिर्फ़ घर से कॉलेज और कॉलेज से घर... इतनी रेस्ट्रीक्शन में रहने वाली के लिए हम क्या दिमाग लगाएँ...
राजु - वह बाहर नहीं आ सकती... क्या किसी बहाने तु अंदर जा सकता है...
रवि - अबे... पागल तो नहीं हो गया है... वह जगह द हैल है... सिक्युरिटी इतनी तगड़ी के परिंदा अंदर जाए... तो भूनकर सीधे पेट में ही जाए... बाहर ना आए...
रवि - तब तो इंतजार ही बेहतर उपाय है...
रॉकी - मैं एक ट्राय करूँ...
सब - तु....... तु... क्या करेगा....
रॉकी - आखिरी बाजी... आर या पार...
राजु - मतलब...
रॉकी - अगर मेरी बात पर... पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला... तो बात आगे बढ़ेगी... वरना... गुड बाय नमस्ते सलाम सतश्री अकाल...
राजु - इतनी जल्दी हार गया...
रॉकी - तो क्या करूँ... सालों... इंतजार करने को बोल रहे हो...
रवि - हाँ तो कर ना... प्रॉब्लम क्या है... तुम दोनों के बीच जब तक कंफर्ट जोन नहीं बन जाती... तब तक इंतजार ही बढ़िया रास्ता है...
आशीष - हाँ... तु बस लगा रह... बातेँ मुलाकातें बढ़ाते रह...
रॉकी - कब तक...
आशीष - तेरी बर्थ डे तक...
रवि - हाँ... यार... क्या आइडिया दिया तुने... वाव... हाँ रॉकी... इतने दिनों में तु... नंदिनी के साथ अपना कंफर्ट जोन बनाता रह... अगर वह अपनी कंफर्ट जोन में तुझे शामिल कर देती है.... तो वह ज़रूर तेरी बर्थ डे पार्टी में आएगी... और उसी दिन समझले तु सब हासिल कर लेगा...
रॉकी - थैंक्स दोस्तों... थैंक्स... लेट क्लॉज द पार्टी....
रवि - इतनी जल्दी
रॉकी - अबे रात के ग्यारह बजने वाले हैं...
सब - ओके...

पार्टी खतम हो जाती है l रॉकी के सभी दोस्त एक एक करके चले जाते हैं l सबको बिदा करने के बाद रॉकी अपने कमरे में आता है और अपनी हाथों में बंधी वेयर हेल्थ की घड़ी देखता है l रात के ग्यारह बज रहे हैं l रॉकी कुछ सोचता है और फिर अपना मोबाइल निकलता कर कॉल लिस्ट में नंदिनी के नाम पर टच करता है I नंदिनी को कॉल जाता है

नंदिनी - (उबासी लेकर) हैलो... रॉकी जी... कहिए.... इतनी रात गए... फोन क्यूँ किया...
रॉकी - क्या एक दोस्त को फोन करने के लिए... वक़्त देखना जरूरी है...
नंदिनी - बिल्कुल नहीं... पर असमय दोस्त को तब याद किया जाता है.... जब मुसीबत सामने हो...
रॉकी - मुसीबत ही तो है...
नंदिनी - क्या... क्या मुसीबत है...
रॉकी - अच्छा एक बात बतायें...
नंदिनी - जी कहिए...
रॉकी - क्या मुझे आप अपना दोस्त मानतीं हैं...
नंदिनी - कोई शक़...
रॉकी - क्या मैं आपकी दोस्ती आजमा सकता हूँ...
नंदिनी - बेशक...
रॉकी - तो ठीक है कटक भुवनेश्वर रोड पर.... रुद्रपुर में हमारी एक होटल है... सींफोनी हाइट्स... उसके बंकैट हॉल में कल शाम को मैं अपना बर्थ डे मना रहा हूँ... आप मेरे स्पेशल गेस्ट हैं... आपको आना पड़ेगा...
नंदिनी - व्हाट... आप पागल हैं क्या... मैं नहीं आ सकती...
रॉकी - कल शाम सात बजे...
नंदिनी - मैं नहीं आने वाली... सॉरी...
रॉकी - कल शाम ठीक साथ बजे.... गुड नाइट...

कह कर अपना फोन काट देता है l रॉकी के चेहरे पर एक हल्की सी हँसी आ कर गायब हो जाती है और उसकी जबड़े भींच जाती है वह खुद से कहने लगता है

"आओगी तो तुम ज़रूर... मजबूरी में... या अपनी मर्जी से.... पर तुम्हारा जाना... सिर्फ मेरी मर्जी से होगा... मिस रुप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल"
Superbbb Updatee

Aakhir yeh Rocky chahta kyaa hai. Woh Nandini se pyaar nhi karta yeh toh pakka hai. Phir woh kyo Nandini ke pichhe padha hai. Aur jis tarah se usne aaj react kiya hai isse yeh toh pakka hai ke uske mann mein Nandini ke liye jo chal raha hai woh sahi nhi hai. Aur iske dost jab jaante hai ke Nandini kaun hai agar ekbaar Veer ya Vikram ko inke iraado ke baare mein pata chal gaya toh kyaa hosakta hai phir bhi woh Nandini ke pichhe padhe hai. Yeh toh sarasar ektarah se bewakoofi hai. Dosti ek jagah par apni jaan ek jagah. Yehlog jaanmuzz ke apni jaan pe khel rahe hai kisliye ek dhokhe baaz dost ke liye jiska iraada hi galat hai.
 

Kala Nag

Mr. X
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Superb update Bhai, lekin mujhe abhi bhi doubt he ki phone call wali Nandini nahi he, Vir, Vikram ya kisi aur ki planing he ye

Waiting for the next
Ajju Landwalia भाई शुक्रिया
आपकी डाऊट अगले अपडेट में क्लियर हो जाएगी
 
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