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पंद्रह दिन बाद कैपिटल हॉस्पिटल में दास को लेकर तापस पहुंचता है l
तापस - यह क्या है दास... हमें आज विश्व को लेकर कोर्ट जाना है.... यह रंगा का सिरदर्द क्या है....
दास - सर... उसके वकील ने बुलाया है.... रंगा किसी बात पर आनाकानी कर रहा है.....
दोनों स्पेशल ट्रीटमेंट सेल में पहुंच कर देखते हैं, बिस्तर पर रंगा पेट के बल लेटा हुआ है l और खिड़की के पास एक कुर्सी पर एक वकील बैठा हुआ है l इन दोनों को देखते ही वकील अपने हाथ में फाइल ले कर खड़ा होता है l वकील - रंगा... सुपरिटेंडेंट सर आ गए हैं...
रंगा - (आवाज़ में थोड़ी दर्द व कराह है) सुपरिटेंडेंट साहब....
तापस - हाँ रंगा... क्या बात है... कहो...
रंगा - मेरी हेल्थ इशू लिख कर.... यह वकील मुझे अलग जैल में शिफ्ट करवा रहा है....
तापस - ओ... अच्छा... तो मैं इसमे क्या कर सकता हूं....
रंगा - पर.... सुपरिटेंडेंट सर.... मैं.... ठीक होने के बाद.... आपके जैल में जाना चाहता हूँ.... अपना बचा खुचा सजा आपके जैल में... पूरा करना चाहता हूँ....
तापस के कान खड़े हो जाते हैं l वह दास की ओर देखता है l दास भी अपना सर हिला कर कुछ इशारा करता है l फ़िर तापस रंगा की ओर देखता है,
तापस - रंगा.... यह तुम और तुम्हारे वकील के बीच की बात है.... इसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
रंगा - आप कुछ भी कीजिए.... मुझे मेरे ठीक होने के बाद... आपके जैल में ही पहुंचा दीजिए.... भले ही एक महीने के लिए ही क्यूँ नहीं.....
तापस - एक महीने के लिए.... वह क्यूँ... रंगा...
रंगा - (हंसने की कोशिश) हा हा हा.. आ... ह... आप इतने बेवकुफ तो लगते नहीं है.... सुपरिटेंडेंट साहब...
तापस रंगा की मंशा को समझ जाता है
तापस - रंगा.... मेरे जैल में... नशा करने वालों की... कोई जगह नहीं है...
रंगा - और हाफ मर्डर करने वालों की जगह है.... आपके जैल में...
तापस अब एक कुर्सी खिंच कर रंगा के पास बैठता है l तापस - रंगा... तुम भी... मासूम बनने की कोशिश ना ही करो... तो बेहतर होगा.... मत भूलो... इस पर तुमने कोई स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड नहीं कराया है... और ना ही कोई सबूत है..... इसलिएतुम अपने वकील का कहा मानों और दुसरे जैल में शिफ्ट हो जाओ... वहीँ पर तुम अपना बाकी की सजा पूरा करो... यही तुम्हारे लिए अच्छा होगा..... रंगा - तो इसमें आप मेरी कोई मदद नहीं करेंगे....
तापस - रंगा.... अब तक... मैं तुझे... इंसानियत के नाते मान दे रहा था... तू मुझे समझता क्या है.... जो तू कहेगा और मैं तेरी बात मान लूँगा.... अपनी औकात और हद भूलना मत....
वकील - सुपरिटेंडेंट साहब... जरा तमीज के साथ बात किजिए... मेरे क्लाइंट से...
तापस ग़ुस्से के साथ वकील को देखता है l वकील की फट जाती है, तापस की आंख जलते हुए भट्टी की तरह लाल दिख रहा है l
तापस - मिस्टर लॉयर.... यह तो अच्छा हुआ कि तुमने इसे शिफ्ट कराने की पहल की है.... वरना इसकी खून की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर.... मैं भी ऑफिसियली किसी दूसरे जैल में शिफ्ट करवा सकता था....
वकील की बोलती बंद हो जाती है l
तापस - सुन बे रंगा... उर्फ़ रंग चरण सेठी.... तु होगा कोई तोप... पर तेरी तोप गिरी.... मुझ पर झाड़ने की कोशिश भी मत करना.... इससे पहले मैं फील्ड ऑफिसर था.... और तेरे जैसों को ना सिर्फ़ अपने जुतों के तले रौंदा है.... बल्कि ठोका भी है.... अब दुबारा कभी मुझे यहाँ बुलाया तो तेरी गांड में ही दो चार बुलेट उतार दूँगा....
इतना कह कर तापस बाहर निकल जाता है l दास भी उसके पीछे पीछे बाहर निकल जाता है l
बाहर कॉरिडोर में तापस को खड़ा पाता है l दास उसके करीब आता है l
दास - वेल डॉन सर.... बहुत ही अच्छे से हैंडल किया आपने...... तापस - दास... तुम ठीक कह रहे थे.... वैसे मैंने सिचुएशन को थोड़े समय के लिए अवॉइड किया है.... पर सच यह भी है.... विश्व को शायद एक लंबी सजा होगी.... आज नहीं तो कल रंगा ठीक भी हो जाएगा.... उसने अब अपने मन में ठान लिया है.... इसलिए अभी के लिए वह सब जैल में सजा पूरा ज़रूर करेगा..... पर सजा पूरा करने के बाद.... वह फिर एक जुर्म करेगा.... सेंट्रल जैल में आएगा.... और शायद तब....
दास - येस सर.... यू आर.. एब्सोल्युटली करेक्ट सर..
तापस - नो... दास.. नो.. यू आर करेक्ट.... और थैंक्स... के तुमने मुझे पहले से ही आगाह कर दिया था....
दास - इटस ओके सर...
तापस - तुम तो समझ ही चुके होगे.... रंगा क्यूँ... थोड़े दिनों के लिए भी... हमारे जैल में आना चाहता है....
दास - हाँ सर.... अच्छी तरह से.... रंगा... एक आखिरी बार... अपना बिखरा हुआ इज़्ज़त को समेटना चाहता है.... क्यूंकि इस ज़ख़्म को लेकर.... वह कहीं भी चला जाए.... इस वक्त उसकी औकात एक गली के बीमार कुत्ते से ज्यादा नहीं है...
तापस - ह्म्म्म्म... हमे आने वाले कल के लिए.... सावधानी बरतनी होगी... लेटस गो...
दोनों हस्पताल से अब जैल की ओर निकल जाते हैं l जैल में पहुंचते ही,
तापस - दास.... आज शायद विश्व की सुनवाई है हाई कोर्ट में...
दास - येस सर....
तापस - वैन निकाल ने के लिए कहो.... और कागजात तैयार करो.... मैं खुद विश्व को लेकर जाना चाहता हूँ....
दास - ठीक है सर... पर आज आप ना जाएं तो शायद ठीक रहेगा....
तापस - क्यूँ...
दास - सर... डोंट.. माइंड... आज सुबह सुबह आपका मुड़ को रंगा ने खराब कर दिया....
तापस - लिव इट... कोई जंग को नहीं जा रहा हूँ... तुम जानते हो ना... पिछली बार... हमारे वैन पर पेट्रोल बम से हमला हुआ था..... इसलिए जब तक विश्व के केस की सुनवाई नहीं हो जाती.... तब तक विश्व मेरी जिम्मेदारी है....
दास कुछ नहीं कहता है, वहाँ से चला जाता है l
थोड़ी देर के बाद वैन में विश्व को बिठा दिया जाता है l और वैन के आगे टोयोटा की लीवा सरकारी गाड़ी में तापस और एक अधिकारी निकलते हैं l
हाई कोर्ट के बाहर जबर्दस्त भीड़ इक्कठा हुआ है l ज्यादातर लोगों के हाथ में प्लाकार्ड दिख रहा है l हर प्लाकार्ड में विश्व के खिलाफ़ लिखा हुआ है l लुटेरा विश्व को फांसी दो जनता के पैसे खाने वाले को सजा दो मनरेगा के दुश्मन विश्व को बीच चौराहे पर सजा दो
ऐसे नजाने कितने प्लाकार्डस देखने को मिले l तापस पहले अपने गाड़ी से उतरता है, उधर वैन से विश्व भी उतरता है l तापस विश्व के उतरते ही सीधे विश्व के सामने खड़ा हो जाता है l कुछ लोग भीड़ के बीच से पत्थर मारने की कोशिश करते हैं l पर फाइबर के आरमर से ढक के विश्व को कोर्ट के भीतर ले लिया जाता है l यह सब देख कर भीड़ पुलिस के विरुद्ध नारा बाजी करने लगती है l
तापस विश्व को कोर्ट रूम के भीतर ले आता है l कोर्ट रूम के भीतर सब अपने अपने जगह बैठे हुए हैं l सिर्फ दो ही कुर्सी खाली है l पहला जज की और दुसरा डिफेंस लॉयर की l
कुछ देर बाद जज का आगमन होता है l अपने कुर्सी पर बैठने के बाद
जज - अदालत की कारवाई शुरू की जाए....
एक हॉकर आवाज़ लगाता "मुज़रिम को हाजिर किया जाए l"
विश्व को एक अधिकारी मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर देता है l
जज - हाँ तो विश्व प्रताप... आपका स्वस्थ्य पिछले बार से कुछ अच्छा लग रहा है....
विश्व - जी....
जज - तो आज की कारवाई में अभियोजन की पक्ष की तैयारी दिख रही है.... पर अभियुक्त पक्ष की कोई तैयारी नहीं है l तो जनाब विश्व प्रताप... आपके तरफ से कोई रिस्तेदार मौजूद हैं..
वैदेही - (अपने बेंच से खड़े हो कर) जी मैं हूं.. जज साहब...
जज - आप विटनेस बॉक्स में आइये और बताईये....
वैदेही को एक मुलाजिम रास्ता दिखाता है और वैदेही विटनेस बॉक्स में पहुंचती है l
जज - हाँ तो मोहतरमा.. पहले अपना परिचय दीजिए और कहिए... आपके वकील कहाँ हैं...
वैदेही - (आखों में आंसू लिए, हाथ जोड़ कर) जज साहब.... मैं वैदेही महापात्र... वह सामने जो खड़ा है... मैं उसकी बड़ी बहन हूँ...
जज साहब.... पिछले दो महीनों से मैं इस सहर की हर गली... हर नुक्कड़ पर घुम घुम कर अपने जीवन भर की जमा पूंजी साथ लिए...... वकीलों के पास दर दर भटक रही हूँ.... पर कोई भी वकील हमारा केस हाथों लेना नहीं चाहता.... इसलिए आपसे मेरी बिनती है.... आप ही हमारे लिए कोई वकील की बंदोबस्त कर दीजिए.... (इतना कहने के बाद वैदेही की रुलाई फुट पड़ती है)
जज - ऑर्डर... ऑर्डर... यह एक पेचीदा मामला है.... इस मामले में प्रोसिक्युशन की क्या राय है....
प्रतिभा - (अपनी कुर्सी से उठ कर) माय लॉर्ड... हमारा कानून में इसकी व्यवस्था है... राइट टू कउंसल के तहत..... आप सरकार को आदेश दे सकते हैं कि वह मक्तुल की राइट टू फेयर ट्रायल के लिए एक सरकारी वकील मुकर्रर करें.......
जज - क्या इससे प्रोसिक्युशन को आपत्ति है....
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड... नो...
जज - ठीक है.... यह अदालत... सरकार को आदेश देती है... की अगले महीने *** तारीख़ से पहले मक्तुल को एक वकील मुहैया कराए.... ताकि जल्द से जल्द इस केस की सुनवाई हो और न्याय हो..... इसीके साथ ही आज की अदालत यहीं स्थगित की जाती है......
जज इतना कह कर कोर्ट रूम से प्रस्थान करता है l उसके जाते ही वैदेही अपने जगह से निकल कर प्रतिभा के पैरों में आकर गिर जाती है l
प्रतिभा - अरे अरे.. यह क्या कर रही हो...
वैदेही के आँखों में कृतज्ञता दिख रही है l
वैदेही - धन्यबाद... वकील साहिबा... आज आपके वजह से विशु के लिए.... खुद सरकार अब वकील देगी....
प्रतिभा - (अपनी पैरों को छुड़ाते हुए) देखो मैंने कुछ नहीं किया.... यह तुम्हारे भाई को मिला हुआ संवैधानिक अधिकार है....
वैदेही - फिर भी आपने जज साहब से कहा.... और जज साहब ने तुरंत मान भी लिया... इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद....
प्रतिभा - ओ.... हो.... बेवक़ूफ़ लड़की.... ठीक है जाओ.. अगले महीने आना....
वैदेही - (खुशी के मारे उठती है) ठीक है...
इतना कह कर प्रतिभा के गले लग जाती है, इससे पहले प्रतिभा इस शॉक से बाहर निकल कर होश में आती, वैदेही खुशी के मारे वहाँ से बाहर चली जाती है l प्रतिभा को कुछ समझ में नहीं आता l वह एक गहरी सांस छोड़ती है जैसे कहीं दूर से भाग के आयी हो l
उस तरफ विश्व को मीडिया वालों से बचाते हुए, तापस विश्व को वैन में बिठाता है, और खुद जा कर अपने सरकारी गाड़ी में बैठ जाता है l फिर दोनों गाड़ी भुवनेश्वर का रुख करते हैं l
मीडिया वाले फिरभी कटक हाई कोर्ट से पीछे लग जाते हैं और भुवनेश्वर के सेंट्रल जैल तक पीछा करते हैं l
शाम को घर में टीवी पर दिन भर की खबर प्रसारित हो रही है l प्रत्युष बड़े चाव से न्यूज देख रहा है l
तापस उस वक़्त घर के अंदर आता है l प्रत्युष को टीवी देखता देख,
तापस - क्यूँ माँ के लाडले..... आज आपकी पढ़ाई से छुट्टी है क्या....
प्रत्युष - डैड... आज टीवी पर सिर्फ माँ ही छाई हुई है.... देखना तो बनता है ना....
तापस - क्यूँ तेरी माँ ने आज ऐसा कौनसा तीर मार डाला.... के टीवी वाले अपना चैनल महानदी में डुबो रहे हैं....
प्रत्युष - देखीये डैड..... इस वक्त आप जे-सींड्रोम से पीड़ित हैं.... आई मिन टू से... आप ग्रसित हैं... जे-सींड्रोम से
तापस - अछा.... वह होता क्या है....
प्रत्युष - जलन डैड जलन... आप माँ की नेम और फेम से जल रहे हैं....
तापस प्रत्युष को देख कर मुस्कराता है और अपना बेल्ट निकालता है l इससे पहले कि तापस अपना बेल्ट पुरी तरह से निकाल पता, प्रत्युष तापस के पैरों के नीचे गिर जाता है और चिल्लाता है,
प्रत्युष - आ.. ह... मर गया.. मर गया... आ.. ह.. माँ बचाओ...
प्रतिभा दौड़कर आती है और देखती है प्रत्युष तापस के पैरों के पास पड़ा है,और तापस के हाथों में बेल्ट है l प्रतिभा को देखते ही तापस की हालत पतली हो जाती है l
प्रतिभा - सेनापति जी.... यह आप क्या कर रहे हैं....
तापस - अरे भाग्यवान.... अभी तक किया कहाँ है.... इससे पहले कुछ करता.... आपके लाडले ने मेरी वाट लगा दी.....
प्रतिभा - अच्छा... यह बात है... दीजिए मुझे यह बेल्ट...
तापस - (खिसियाते हुए) देखो भाग्यवान बेटे के सामने नहीं.....
प्रतिभा - मैं कहती हूँ.... दीजिए बेल्ट....
तापस बड़ी मुश्किल से बेल्ट प्रतिभा को थमाता है....
अपनी माँ का यह अवतार देख कर खुश होते हुए और हैरानी से प्रत्युष मुहँ और आँखे फाड़े अपनी माँ के पास खड़ा हो जाता है और इंतजार करता है कि अब आगे क्या होगा l
प्रतिभा बेल्ट हाथो में लेती है और मारने के लिए उठाती है l तापस, प्रतिभा को हैरान हो कर देख रहा है कि तभी प्रत्युष की चीख निकल जाती है l क्यूंकि बेल्ट की मार प्रत्युष के पिछवाड़े पर लगती है l
प्रत्युष - आ... ह... माँ... मुझे लगा...
प्रतिभा - तुझे लगना ही चाहिए..... नालायक अपने बाप की टांगे... खिंचता है... (कह कर प्रतिभा प्रत्युष के पीछे भागती है)
प्रत्युष- डैड मुझे बचाओ...
तापस - अरे... भाग्यवान रुक जाओ....
प्रतिभा रुक जाती है, तो प्रत्युष तापस के पास आकर गले लग जाता है l
प्रतिभा - सेनापति जी... क्या आप बताने की कष्ट करेंगे... इस नालायक की तरफदारी क्यूँ कर रहे हैं....
तापस - अरे जान... कौन इस नालायक की तरफदारी कर रहा है.... मैं तो कह रहा था... की क्यूँ ना तुम... बेल्ट को उल्टा पकड़ कर.. बकल के तरफ से मारो....
प्रत्युष - डैड... मैं सोच भी नहीं सकता था... के आप इतने कठोर हृदय वाले निकलोगे.....
तापस - कठोर वह क्या होता है....(फिर प्रत्युष को गले लगा कर) अरे यार... तू ही तो एक है... जो इस घर का रौनक है... तु जिस दिन मुझे छेड़ेगा नहीं... तो उस दिन मेरा दिन ही खराब हो जाएगा...
प्रत्युष - जानता हूँ डैड... माँ भी मुझे कहाँ मारती है.... पर कभी कभी दुसरे लड़कों को देखता हूँ... तो उनके किस्मत से रस्क होता है मुझे.... उन्हें अपने माँ बाप का प्यार ही नहीं मार भी मिलाता है.... पर मेरे किस्मत में तो सिर्फ़.. प्यार ही प्यार वह भी बेशुमार मिलता है.... इसलिए मार खाने के लिए यह सब करता हूँ... फिर भी देखिए ना माँ जब बेल्ट से मारती है..... तो ऐसा लगता है जैसे वह मार नहीं रही है .. गुदगुदी कर रही है...
प्रतिभा - ऐ... देख मैं... सच में तुझे मारूंगी... हाँ..
फिर प्रतिभा दोनों के गले लग जाती है l तभी घर की लैंड लाइन बजने लगती है l सबका ध्यान फोन के तरफ जाती है l प्रतिभा दोनों को सोफ़े पर बैठने के लिए कह कर फोन उठाती है,
प्रतिभा - हैलो...
- क्या आप... पब्लिक प्रोसिक्यूटर प्रतिभा जी बोल रहे हैं...
प्रतिभा - जी बोल रही हूँ...
- यह आप लगा क्या रखी हैं...
प्रतिभा - व्हाट डु यु मीन.... और आप हो कौन...
तापस प्रतिभा का मुड़ बदलते देख उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l
प्रतिभा - आप कौन हैं... और आपको किस बात की तकलीफ़ है मुझसे....
- हम... छोटे राजा... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल... बोल रहे हैं....
प्रतिभा - छोटे राजा जी... आप मुझसे ऐसे क्यूँ....
पिनाक - आप को कहा गया था... विश्व को सजा देने के लिए... आप उसे बचाने का फार्मूला जज को दे आईं...
प्रतिभा - देखिए... मनानीय क्षेत्रपाल जी... विश्व की मैंने कोई मदद नहीं की... ना ही जज साहब को मैंने कोई सुझाव दिया है.... वह एक कानूनी प्रक्रिया है... जिसे कोर्ट में कारवाई के अपनाया गया.... और आप इतने बड़े राजनीतिज्ञ हैं..... आपको इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए...
पिनाक - हाँ है... हम तो सिर्फ इस केस के प्रति.. प्रतिबद्धता माप रहे थे...
प्रतिभा - तो क्या देखा आपने....
पिनाक - आगे पता चलेगा..... (कह कर फोन काट देता है)
प्रतिभा भी फोन रख देती है l और मूड कर तापस से कहती है
प्रतिभा - सेनापति जी पता नहीं क्यूँ.... उसने जैसे ही अपना नाम क्षेत्रपाल बताया.... मेरे भीतर से कंपकंपी छूट गई...
तापस उसे गले लगा लेता है, और प्रत्युष भी प्रतिभा के गले लग जाता है l
प्रतिभा से बात चित के बाद पिनाक अपने कमरे में टीवी पर न्यूज पर ध्यान देता है, और वीर के और देखता है तो देखता है वीर बेड पर लेटा मोबाइल पर गेम खेल रहा है l
पिनाक अपना मोबाइल फोन उठा कर यशपुर में अपने लीगल एडवाइजर बल्लभ प्रधान का नंबर डायल करता है l उस तरफ बल्लभ के फोन उठाते ही,
पिनाक - प्रधान....
बल्लभ - जी... छोटे राजा जी...
पिनाक - तुमने... न्यूज देखा...
बल्लभ - जी देख रहा हूँ... छोटे राजा जी...
पिनाक - यह कहाँ तक सही है..... वह औरत जज को कैसे सिफारिश कर सकती है... उस विश्व के लिए सरकारी वकील के लिए...
बल्लभ - छोटे राजा जी... आप जिस औरत की बात कर रहे हैं... वह निहायत ही शरीफ और ईमानदार है.... और उसने जो किया वह कोर्ट के प्रोसिजर में... ऐसा ही होता है.... जज प्रोसिक्यूशन को टटोलने के लिए भी ऐसा करते हैं.... कहीं वह विरोध ना करे किसी निजी हित साधने के लिए....
पिनाक - ह्म्म्म्म अच्छा... तो यह बात है...
बल्लभ - हाँ... और यह सच है.... अगर कानूनी कार्रवाई कोर्ट तक पहुंचती है... उस हालत में... बिना डिफेंस लॉयर के..... मक्तुल को कोई भी अदालत सजा नहीं दे सकती....
पिनाक - वह तो ठीक है.... पर अदालत ने उसके लिए सरकार को आदेश दिया है.... विश्व के लिए... सरकारी वकील मुकर्रर करने के लिए.... जानते हो ना... यह केस राजा साहब की नाक और मूछ है...
बल्लभ - जानता हूं.... उससे कुछ नहीं होता... छोटे राजा जी... कानून और कोर्ट हमेशा... सबूतों के बैसाखी के सहारे रेंगते हैं... और विश्व के खिलाफ़ हमने इतने सबूत बनाए हैं... के उसे राष्ट्रपति तक सजा दिलाने से नहीं बचा सकते हैं.....
पिनाक - ह्म्म्म्म... तो फिर... ठीक है....
प्रधान से बात करने के बाद फोन रख कर कमरे में पिनाक चहल कदम कर रहा है l वीर उसे देखता,
वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी.... आप किस बात से इतना परेशान लग रहे हैं.... आप इधर उधर फोन कर... अपना टाइम पास करने की कोशिश कर रहे हैं....
पिनाक वीर की ओर देखता है और पूछता है,
पिनाक - आज आपका कॉलेज कैसा गया राजकुमार....
वीर - हम कब तक... होटल में रहेंगे... छोटे राजा जी... युवराज ने आपको घर या घर के लिए जगह देखने के लिए कहा था....
पिनाक - (बिदक कर) हमने आपसे पहले कुछ पूछा है....
वीर - कॉलेज में होता क्या है.... छोटे राजा जी... कुछ भी तो नहीं....
पिनाक - क्या आप जानते हैं.... युवराज अब कहाँ हो सकते हैं...
वीर - युवराज जी अपने मिशन के अगले पड़ाव पर पहुंच चुके हैं....
पिनाक - क्या मतलब....
वीर - आज युवराज जी... कॉलेज के ... तुर्रम खान को... और उसके के चेलों को..... होटल ऐरा.. में पार्टी दे रहे हैं.... और आज ऑफिसियली डिक्लेर होगा... अगला प्रेसिडेंट कॉलेज इलेक्शन का... वह भी अन-कंटेस्टेंट....
पिनाक - ओ....
वीर - इसलिए तो आपसे... मैंने घर की बात पुछा.... युवराज अपने मिशन पर बढ़ते ही जा रहे हैं....
पिनाक - मैंने अपने आदमियों को दौड़ाया है... बहुत जल्द... प्लॉट या घर देख कर... हमे इत्तला करेंगे.... घर मिल जाए तो हम अपना मोडिफीकेशन कर सकते हैं....
यह सुन कर वीर चुप रहा और मोबाइल पर गेम में डूब जाता है l
होटल ऐरा....
विक्रम अपनी गाड़ी से आकर गाड़ी की चाबी गार्ड को देता है और टीप में उसे पांच सौ रुपये देता है l गार्ड विक्रम को सैल्यूट कर गाड़ी पार्किंग में ले जाता है और रजिस्टर में गाड़ी के नंबर लिख कर अपने पास चाबी जमा कर देता है l विक्रम आकर सीधे लॉबी में पड़े सोफ़े पर बैठ जाता है l
उधर होटल के एक रॉयल शूट नंबर 702 में बारह तेरह लड़कों का ग्रुप बैठ कर आपस में बात कर रहे हैं l
उनमे से एक ने पूछा....
एक - अरे यार... विनय... तुने उसे क्या टाइम बताया था....
विनय - अबे.. मैंने उसे करेक्ट आठ बजे पहुंचने को बोला था....
दुसरा - अबे तो आठ कबका बज चुका है.... कहीं वह हमें सैंडी तो नहीं लगा दिया होगा.....
विनय - अबे क्या पता.... लगाया भी हो....
एक - अबे.... तो इतना माल हम..... किसके बाप का हम ठूंस रहे हैं....
विनय - रिलैक्स... गयज.... वह... पार्टी देगा पार्टी देगा बोल रहा था... तो मैंने भी अपनी शर्तों पर पार्टी को राजी हो गया.... मैं उसे बोला मुझे और मेरे यार लोगों को सेवन स्टार वाला होटल ऐरा.. के रॉयल शूट में पार्टी चाहिए.... तो मैंने ही उसके सामने यह शूट बुक कराया है... और उसने तुरंत पेमेंट भी कर दिया था....
तीसरा - अबे... तो उस हालत में.... हमे उससे इंतजार करवाना चाहिए था.... हम बेकार में... उसका इंतजार कर रहे हैं.....
पांचवां - हाँ यार विनय... उसका हमारे पास काम था तो हमे.... उससे इंतजार करवाना चाहिए था....
एक - और नहीं तो क्या... वह नया लौंडा हमे इंतजार करवा रहा है... वह भी कॉलेज प्रेसिडेंट विनय कुमार महानायक से....
दूसरा - वही तो.... यार यह खाने पीने की बात अलग.... और इज़्ज़त अलग....
छटा - लगा... उसे फोन लगा.... हम क्या उसके दिए पार्टी के बगैर मर जायेंगे.... साला होस्ट ही गायब है....
दुसरा - और नहीं तो... देख विनय.... लगता है... उसका कोई जरूरी काम है तुझसे... इसलिए यहाँ लाकर हमे पार्टी दे रहा है.... साला उसे अपना उल्लू सीधा करवाना है... वह भी हमसे.... और खुद गायब है... लगा उसको फोन.... और बोल तू कौन है....
विनय यह सब सुनकर अपना मोबाइल निकालता है और विक्रम को फोन लगाता है l
विक्रम होटल के लॉबी में बैठा कोई मैग्ज़ीन खोले पढ़ रहा था कि उसका फोन बजने लगा l विक्रम फोन निकाल कर देखता है, उसमें विनय का नंबर देख कर मुस्कराता है, पर फोन नहीं उठाता है l फोन कट होने पर अब विक्रम भी खीजने लगता है l
एक - देखा... वह महा कमीना निकला.... मादरचोद हमे इस रूम के और खाने के बिल में फंसा दिया....
विनय अब फ़िर से विक्रम को फोन लगाता है l विक्रम देखता है और इसबार फोन उठाता है
विक्रम - हैलो...
विनय - ऑए... हमे आठ बजे बुलाकर तू किधर है रे ...
विक्रम - आठ बजे... विनय साहब.... वेन्यू और मेन्यू और टाइम आपका और बिल मेरा... यही डिसाइड हुआ था...
विनय - हाँ... तो.. तुझे... आठ बजे आ जाना चाहिए था.. ना...
विक्रम - क्या... आठ बजे.... मुझे लगा कि आप आठ बजे घर से निकल ने के लिए बोले हो....
विनय - क्या... अभी तू बता.. कहाँ है तू...
विक्रम - आरे विनय साहब... मैं इस वक़्त गाड़ी में हूँ और गाड़ी चला भी रहा हूँ....
विनय - तो कब तक पहुंच सकता है.....
विक्रम - शायद साढ़े आठ बज जाएंगे.... आप एक काम करो... मैनेजर से बात करके रूम की चाबी ले लो... मैं आकर आपको सीधे जॉइन करता हूँ.....
विनय - ठीक है ... अगर तू साढ़े आठ बजे ना आया.... तो हम सब चले जाएंगे....
विक्रम - ठीक है विनय साहब......
इतना कह कर विक्रम मुस्करा देता है, और अपना घड़ी देखता है साढ़े आठ बजने को है l विक्रम मैग्जीन को रखता है और रिसेप्शन की ओर जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है l मैनेजर अपने कमरे से बाहर निकल कर रिसेप्शन पहुंचता है l विक्रम - मैनेजर साहब..... रॉयल शूट नंबर 702 का जो भी बिल हुआ कहिए.... हम अभी पेमेंट कर देंगे...
मैनेजर - जी बहुत अच्छा...
मैनेजर रिसेप्शन से बिल पूछता है और पूछता है - सर क्या आप चेक आउट करने वाले हैं...
विक्रम - नहीं... बिल पेमेंट अभी हो जाएगा.... पर चेक आउट कल ही होगा....
मैनेजर - जी बहुत अच्छा....
फिर बिल बना कर विक्रम को देता है l विक्रम 92 हजार का बिल देख कर मुस्करा देता है l
विक्रम अपना क्रेडिट कार्ड रिसेप्शनीष्ट को देते हुए मैनेजर से
विक्रम - अच्छा मैनेजर... उस कमरे का इंश्योरेंस है...
मैनेजर विक्रम को घूर कर देखता है l
रिसेप्शनीष्ट पेमेंट क्लीयर कर बिल मैनेजर को दे देती है l मैनेजर बिल में क्षेत्रपाल नाम पढ़ते ही आँखे फाड़ कर विक्रम को देखने लगता है l
मैनेजर - स... स... सर आप...
विक्रम - इस स्टेट में... एक ही राजा साहब हैं... जानते हो...
मैनेजर - ज.. ज.. जी.. भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी..
विक्रम - हम उनके युवराज हैं...
मैनेजर - जी...
विक्रम - अब बोलो... क्या उस कमरे का इंश्योरेंस है....
मैनेजर - जी है... बिल्कुल है....
विक्रम - गुड... कल अपने इंश्योरेंस एजेंट को बुला लेना....
मैनेजर - जी...
इतना कह कर विक्रम अपना कार्ड लेकर पलट कर लिफ्ट की ओर बढ़ता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम अपने जेब से फोन निकालने को होता ही है कि उससे कोई टकरा जाता है l इम्पैक्ट ऐसा था के दोनों ही गिर जाते हैं l विक्रम गुस्से से उसे देखता है कि देखता ही रह जाता है l एक बहुत ही खूबसूरत लड़की l उसकी खूबसूरती देख कर विक्रम का मुहँ खुला रह जाता है l वह लड़की उठती है और विक्रम की ओर अपना हाथ बढ़ाती है l विक्रम उस लड़की का हाथ थाम लेता है और धीरे धीरे उठता है l
लड़की - सॉरी सॉरी... वह मैं थोड़ी जल्दी में थी इसलिए... डोंट माइंड...
इतना कह कर वह लड़की होटल के रेस्टोरेंट की और भाग जाती है l विक्रम भी उसके पीछे जाता है l तभी फिरसे विक्रम का फोन बजता है, विक्रम जो हिप्नोटाइज हो गया था, उसे होश आता है l
विक्रम - (फोन उठा कर) हैलो
विनय - अबे कहाँ मर गया तु.... जल्दी आ... वरना...
विक्रम - (चेहरे का भाव अचानक बदल कर) सिर्फ़ दो मिनट... (फोन काट कर लिफ्ट में घुस जाता है)
उधर कमरे में
विनय - अबे वह... होटल में पहुंच गया है... दो मिनट में पहुंचने वाला है.... सो एंजॉय... फ्रेंड्स..
सब खुशी से चिल्लाने लगते हैं l
कॉलिंग बेल बजती है, उनमे से एक जाकर दरवाजा खोलता है l
एक - अबे तू यहाँ लड़की देखने आया है क्या बे.... जो तु लेट करेगा... और हम तेरी राह ताकते रहेंगे...
विनय - अरे... जाने दे यार... यह पार्टी यही दे रहा है.... लेटस् चीयर हिम...
विनय, विक्रम को अंदर आने को कहता है l विक्रम आकर विनय के सामने पड़ा एक कुर्सी पर बैठ जाता है l
विनय - यार... मजा आ गया... हम मैनेजर से चाबी ले कर आए तो देखा सब पहले से ही अरेंजमेंट है... बस क्या.... हम शुरू हो गए... हा हा हा हा
विक्रम भी मुस्करा देता है l
विनय - अच्छा बोल... तुझे क्या चाहिए... हम लोग सब बहुत खुश हैं तुझसे....
विक्रम - ह्म्म्म्म, मैं कभी मांगता नहीं हूँ....
विनय - ओके... जो तुझे चाहिए लेले फिर.... हा हा हा हा...
विक्रम - ह्म्म्म्म इसबार... विनय तु स्टूडेंट इलेक्शन नहीं लड़ेगा.... इसबार मैं प्रेसिडेंट कैंडीडेट हूँ..
वह भी अनकंटेस्ट...
सब खामोश हो जाते हैं, कमरे में इतनी शांति छा जाती है, के अगर सुई गिर जाए तो सुनाई दे l
फिर अचानक से विनय हंसने लगता है l उसे हंसता देख कर उसके साथी भी हंसने लगते हैं l
विनय - ओह कॉम ऑन... विक्रम.... यार यह खाने पीने का टाइम है.... ऐसे जोक मत मारो के हंसते हंसते पेट भर जाए (कह कर जोर जोर से हंसने लगता है)
विनय के साथ उसके सारे दोस्त भी हंसने लगते हैं l
विक्रम एक ग्लास हाथ में लेता है और नीचे छोटे टी पोए पर गिरा देता है l ग्लास एक आवाज़ के साथ टूट जाता है l ग्लास के टूटने के साथ ही विनय व साथियों की हंसी रुक जाती है l विनय पहले अपने दोस्तों को देखता है और फिर विक्रम को घूरते हुए देखता है l
विक्रम - क्यूँ बे.. तु मेरा साला लगता है क्या... जो मैं तुझे जोक मरूंगा....
विनय का चेहरा गुस्से से तमतमा जाता है और उसके हाथ में जो ग्लास था उसे नीचे फेंक मारता है l
विनय - एक पार्टी की कीमत पर तुझे प्रेसिडेंट बनना है... भोषड़ी के... तुने यहाँ मुझे और मेरे साथियों को नहीं बुलाया है.... तुने अपनी मौत का अरेंजमेंट खुद किया है.... तु मुझे जानता नहीं है.... आज इस कमरे से तेरी लाश बाहर जाएगी.... क्यूंकि आज मैं तुझे मार डालूंगा कुत्ते विक्रम, विनय की बात सुनकर, उसे देखकर मुस्कराता है l उसे मुस्कराते देख कर विनय की सुलग जाती है l विनय जो विक्रम के बैठा हुआ है अपना पैर विक्रम के आगे टी पोए पर रख देता है l
विनय - बे कुत्ते... नाम के आगे सिंह लगा लेने से कोई सिंह नहीं हो जाता.... शेर के मांद में आया है.... और शेर से कुर्सी छोड़ने को कह रहा है...
विश्व उसकी बातों को अनसुना कर अपना बायां पैर दाहिने घुटने पर रखता है और और अपने दाएं हाथ के नाखूनों को देखने लगता है l
विनय - बे कुत्ते..... चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
पंद्रह दिन बाद कैपिटल हॉस्पिटल में दास को लेकर तापस पहुंचता है l
तापस - यह क्या है दास... हमें आज विश्व को लेकर कोर्ट जाना है.... यह रंगा का सिरदर्द क्या है....
दास - सर... उसके वकील ने बुलाया है.... रंगा किसी बात पर आनाकानी कर रहा है.....
दोनों स्पेशल ट्रीटमेंट सेल में पहुंच कर देखते हैं, बिस्तर पर रंगा पेट के बल लेटा हुआ है l और खिड़की के पास एक कुर्सी पर एक वकील बैठा हुआ है l इन दोनों को देखते ही वकील अपने हाथ में फाइल ले कर खड़ा होता है l वकील - रंगा... सुपरिटेंडेंट सर आ गए हैं...
रंगा - (आवाज़ में थोड़ी दर्द व कराह है) सुपरिटेंडेंट साहब....
तापस - हाँ रंगा... क्या बात है... कहो...
रंगा - मेरी हेल्थ इशू लिख कर.... यह वकील मुझे अलग जैल में शिफ्ट करवा रहा है....
तापस - ओ... अच्छा... तो मैं इसमे क्या कर सकता हूं....
रंगा - पर.... सुपरिटेंडेंट सर.... मैं.... ठीक होने के बाद.... आपके जैल में जाना चाहता हूँ.... अपना बचा खुचा सजा आपके जैल में... पूरा करना चाहता हूँ....
तापस के कान खड़े हो जाते हैं l वह दास की ओर देखता है l दास भी अपना सर हिला कर कुछ इशारा करता है l फ़िर तापस रंगा की ओर देखता है,
तापस - रंगा.... यह तुम और तुम्हारे वकील के बीच की बात है.... इसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
रंगा - आप कुछ भी कीजिए.... मुझे मेरे ठीक होने के बाद... आपके जैल में ही पहुंचा दीजिए.... भले ही एक महीने के लिए ही क्यूँ नहीं.....
तापस - एक महीने के लिए.... वह क्यूँ... रंगा...
रंगा - (हंसने की कोशिश) हा हा हा.. आ... ह... आप इतने बेवकुफ तो लगते नहीं है.... सुपरिटेंडेंट साहब...
तापस रंगा की मंशा को समझ जाता है
तापस - रंगा.... मेरे जैल में... नशा करने वालों की... कोई जगह नहीं है...
रंगा - और हाफ मर्डर करने वालों की जगह है.... आपके जैल में...
तापस अब एक कुर्सी खिंच कर रंगा के पास बैठता है l तापस - रंगा... तुम भी... मासूम बनने की कोशिश ना ही करो... तो बेहतर होगा.... मत भूलो... इस पर तुमने कोई स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड नहीं कराया है... और ना ही कोई सबूत है..... इसलिएतुम अपने वकील का कहा मानों और दुसरे जैल में शिफ्ट हो जाओ... वहीँ पर तुम अपना बाकी की सजा पूरा करो... यही तुम्हारे लिए अच्छा होगा..... रंगा - तो इसमें आप मेरी कोई मदद नहीं करेंगे....
तापस - रंगा.... अब तक... मैं तुझे... इंसानियत के नाते मान दे रहा था... तू मुझे समझता क्या है.... जो तू कहेगा और मैं तेरी बात मान लूँगा.... अपनी औकात और हद भूलना मत....
वकील - सुपरिटेंडेंट साहब... जरा तमीज के साथ बात किजिए... मेरे क्लाइंट से...
तापस ग़ुस्से के साथ वकील को देखता है l वकील की फट जाती है, तापस की आंख जलते हुए भट्टी की तरह लाल दिख रहा है l
तापस - मिस्टर लॉयर.... यह तो अच्छा हुआ कि तुमने इसे शिफ्ट कराने की पहल की है.... वरना इसकी खून की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर.... मैं भी ऑफिसियली किसी दूसरे जैल में शिफ्ट करवा सकता था....
वकील की बोलती बंद हो जाती है l
तापस - सुन बे रंगा... उर्फ़ रंग चरण सेठी.... तु होगा कोई तोप... पर तेरी तोप गिरी.... मुझ पर झाड़ने की कोशिश भी मत करना.... इससे पहले मैं फील्ड ऑफिसर था.... और तेरे जैसों को ना सिर्फ़ अपने जुतों के तले रौंदा है.... बल्कि ठोका भी है.... अब दुबारा कभी मुझे यहाँ बुलाया तो तेरी गांड में ही दो चार बुलेट उतार दूँगा....
इतना कह कर तापस बाहर निकल जाता है l दास भी उसके पीछे पीछे बाहर निकल जाता है l
बाहर कॉरिडोर में तापस को खड़ा पाता है l दास उसके करीब आता है l
दास - वेल डॉन सर.... बहुत ही अच्छे से हैंडल किया आपने...... तापस - दास... तुम ठीक कह रहे थे.... वैसे मैंने सिचुएशन को थोड़े समय के लिए अवॉइड किया है.... पर सच यह भी है.... विश्व को शायद एक लंबी सजा होगी.... आज नहीं तो कल रंगा ठीक भी हो जाएगा.... उसने अब अपने मन में ठान लिया है.... इसलिए अभी के लिए वह सब जैल में सजा पूरा ज़रूर करेगा..... पर सजा पूरा करने के बाद.... वह फिर एक जुर्म करेगा.... सेंट्रल जैल में आएगा.... और शायद तब....
दास - येस सर.... यू आर.. एब्सोल्युटली करेक्ट सर..
तापस - नो... दास.. नो.. यू आर करेक्ट.... और थैंक्स... के तुमने मुझे पहले से ही आगाह कर दिया था....
दास - इटस ओके सर...
तापस - तुम तो समझ ही चुके होगे.... रंगा क्यूँ... थोड़े दिनों के लिए भी... हमारे जैल में आना चाहता है....
दास - हाँ सर.... अच्छी तरह से.... रंगा... एक आखिरी बार... अपना बिखरा हुआ इज़्ज़त को समेटना चाहता है.... क्यूंकि इस ज़ख़्म को लेकर.... वह कहीं भी चला जाए.... इस वक्त उसकी औकात एक गली के बीमार कुत्ते से ज्यादा नहीं है...
तापस - ह्म्म्म्म... हमे आने वाले कल के लिए.... सावधानी बरतनी होगी... लेटस गो...
दोनों हस्पताल से अब जैल की ओर निकल जाते हैं l जैल में पहुंचते ही,
तापस - दास.... आज शायद विश्व की सुनवाई है हाई कोर्ट में...
दास - येस सर....
तापस - वैन निकाल ने के लिए कहो.... और कागजात तैयार करो.... मैं खुद विश्व को लेकर जाना चाहता हूँ....
दास - ठीक है सर... पर आज आप ना जाएं तो शायद ठीक रहेगा....
तापस - क्यूँ...
दास - सर... डोंट.. माइंड... आज सुबह सुबह आपका मुड़ को रंगा ने खराब कर दिया....
तापस - लिव इट... कोई जंग को नहीं जा रहा हूँ... तुम जानते हो ना... पिछली बार... हमारे वैन पर पेट्रोल बम से हमला हुआ था..... इसलिए जब तक विश्व के केस की सुनवाई नहीं हो जाती.... तब तक विश्व मेरी जिम्मेदारी है....
दास कुछ नहीं कहता है, वहाँ से चला जाता है l
थोड़ी देर के बाद वैन में विश्व को बिठा दिया जाता है l और वैन के आगे टोयोटा की लीवा सरकारी गाड़ी में तापस और एक अधिकारी निकलते हैं l
हाई कोर्ट के बाहर जबर्दस्त भीड़ इक्कठा हुआ है l ज्यादातर लोगों के हाथ में प्लाकार्ड दिख रहा है l हर प्लाकार्ड में विश्व के खिलाफ़ लिखा हुआ है l लुटेरा विश्व को फांसी दो जनता के पैसे खाने वाले को सजा दो मनरेगा के दुश्मन विश्व को बीच चौराहे पर सजा दो
ऐसे नजाने कितने प्लाकार्डस देखने को मिले l तापस पहले अपने गाड़ी से उतरता है, उधर वैन से विश्व भी उतरता है l तापस विश्व के उतरते ही सीधे विश्व के सामने खड़ा हो जाता है l कुछ लोग भीड़ के बीच से पत्थर मारने की कोशिश करते हैं l पर फाइबर के आरमर से ढक के विश्व को कोर्ट के भीतर ले लिया जाता है l यह सब देख कर भीड़ पुलिस के विरुद्ध नारा बाजी करने लगती है l
तापस विश्व को कोर्ट रूम के भीतर ले आता है l कोर्ट रूम के भीतर सब अपने अपने जगह बैठे हुए हैं l सिर्फ दो ही कुर्सी खाली है l पहला जज की और दुसरा डिफेंस लॉयर की l
कुछ देर बाद जज का आगमन होता है l अपने कुर्सी पर बैठने के बाद
जज - अदालत की कारवाई शुरू की जाए....
एक हॉकर आवाज़ लगाता "मुज़रिम को हाजिर किया जाए l"
विश्व को एक अधिकारी मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर देता है l
जज - हाँ तो विश्व प्रताप... आपका स्वस्थ्य पिछले बार से कुछ अच्छा लग रहा है....
विश्व - जी....
जज - तो आज की कारवाई में अभियोजन की पक्ष की तैयारी दिख रही है.... पर अभियुक्त पक्ष की कोई तैयारी नहीं है l तो जनाब विश्व प्रताप... आपके तरफ से कोई रिस्तेदार मौजूद हैं..
वैदेही - (अपने बेंच से खड़े हो कर) जी मैं हूं.. जज साहब...
जज - आप विटनेस बॉक्स में आइये और बताईये....
वैदेही को एक मुलाजिम रास्ता दिखाता है और वैदेही विटनेस बॉक्स में पहुंचती है l
जज - हाँ तो मोहतरमा.. पहले अपना परिचय दीजिए और कहिए... आपके वकील कहाँ हैं...
वैदेही - (आखों में आंसू लिए, हाथ जोड़ कर) जज साहब.... मैं वैदेही महापात्र... वह सामने जो खड़ा है... मैं उसकी बड़ी बहन हूँ...
जज साहब.... पिछले दो महीनों से मैं इस सहर की हर गली... हर नुक्कड़ पर घुम घुम कर अपने जीवन भर की जमा पूंजी साथ लिए...... वकीलों के पास दर दर भटक रही हूँ.... पर कोई भी वकील हमारा केस हाथों लेना नहीं चाहता.... इसलिए आपसे मेरी बिनती है.... आप ही हमारे लिए कोई वकील की बंदोबस्त कर दीजिए.... (इतना कहने के बाद वैदेही की रुलाई फुट पड़ती है)
जज - ऑर्डर... ऑर्डर... यह एक पेचीदा मामला है.... इस मामले में प्रोसिक्युशन की क्या राय है....
प्रतिभा - (अपनी कुर्सी से उठ कर) माय लॉर्ड... हमारा कानून में इसकी व्यवस्था है... राइट टू कउंसल के तहत..... आप सरकार को आदेश दे सकते हैं कि वह मक्तुल की राइट टू फेयर ट्रायल के लिए एक सरकारी वकील मुकर्रर करें.......
जज - क्या इससे प्रोसिक्युशन को आपत्ति है....
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड... नो...
जज - ठीक है.... यह अदालत... सरकार को आदेश देती है... की अगले महीने *** तारीख़ से पहले मक्तुल को एक वकील मुहैया कराए.... ताकि जल्द से जल्द इस केस की सुनवाई हो और न्याय हो..... इसीके साथ ही आज की अदालत यहीं स्थगित की जाती है......
जज इतना कह कर कोर्ट रूम से प्रस्थान करता है l उसके जाते ही वैदेही अपने जगह से निकल कर प्रतिभा के पैरों में आकर गिर जाती है l
प्रतिभा - अरे अरे.. यह क्या कर रही हो...
वैदेही के आँखों में कृतज्ञता दिख रही है l
वैदेही - धन्यबाद... वकील साहिबा... आज आपके वजह से विशु के लिए.... खुद सरकार अब वकील देगी....
प्रतिभा - (अपनी पैरों को छुड़ाते हुए) देखो मैंने कुछ नहीं किया.... यह तुम्हारे भाई को मिला हुआ संवैधानिक अधिकार है....
वैदेही - फिर भी आपने जज साहब से कहा.... और जज साहब ने तुरंत मान भी लिया... इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद....
प्रतिभा - ओ.... हो.... बेवक़ूफ़ लड़की.... ठीक है जाओ.. अगले महीने आना....
वैदेही - (खुशी के मारे उठती है) ठीक है...
इतना कह कर प्रतिभा के गले लग जाती है, इससे पहले प्रतिभा इस शॉक से बाहर निकल कर होश में आती, वैदेही खुशी के मारे वहाँ से बाहर चली जाती है l प्रतिभा को कुछ समझ में नहीं आता l वह एक गहरी सांस छोड़ती है जैसे कहीं दूर से भाग के आयी हो l
उस तरफ विश्व को मीडिया वालों से बचाते हुए, तापस विश्व को वैन में बिठाता है, और खुद जा कर अपने सरकारी गाड़ी में बैठ जाता है l फिर दोनों गाड़ी भुवनेश्वर का रुख करते हैं l
मीडिया वाले फिरभी कटक हाई कोर्ट से पीछे लग जाते हैं और भुवनेश्वर के सेंट्रल जैल तक पीछा करते हैं l
शाम को घर में टीवी पर दिन भर की खबर प्रसारित हो रही है l प्रत्युष बड़े चाव से न्यूज देख रहा है l
तापस उस वक़्त घर के अंदर आता है l प्रत्युष को टीवी देखता देख,
तापस - क्यूँ माँ के लाडले..... आज आपकी पढ़ाई से छुट्टी है क्या....
प्रत्युष - डैड... आज टीवी पर सिर्फ माँ ही छाई हुई है.... देखना तो बनता है ना....
तापस - क्यूँ तेरी माँ ने आज ऐसा कौनसा तीर मार डाला.... के टीवी वाले अपना चैनल महानदी में डुबो रहे हैं....
प्रत्युष - देखीये डैड..... इस वक्त आप जे-सींड्रोम से पीड़ित हैं.... आई मिन टू से... आप ग्रसित हैं... जे-सींड्रोम से
तापस - अछा.... वह होता क्या है....
प्रत्युष - जलन डैड जलन... आप माँ की नेम और फेम से जल रहे हैं....
तापस प्रत्युष को देख कर मुस्कराता है और अपना बेल्ट निकालता है l इससे पहले कि तापस अपना बेल्ट पुरी तरह से निकाल पता, प्रत्युष तापस के पैरों के नीचे गिर जाता है और चिल्लाता है,
प्रत्युष - आ.. ह... मर गया.. मर गया... आ.. ह.. माँ बचाओ...
प्रतिभा दौड़कर आती है और देखती है प्रत्युष तापस के पैरों के पास पड़ा है,और तापस के हाथों में बेल्ट है l प्रतिभा को देखते ही तापस की हालत पतली हो जाती है l
प्रतिभा - सेनापति जी.... यह आप क्या कर रहे हैं....
तापस - अरे भाग्यवान.... अभी तक किया कहाँ है.... इससे पहले कुछ करता.... आपके लाडले ने मेरी वाट लगा दी.....
प्रतिभा - अच्छा... यह बात है... दीजिए मुझे यह बेल्ट...
तापस - (खिसियाते हुए) देखो भाग्यवान बेटे के सामने नहीं.....
प्रतिभा - मैं कहती हूँ.... दीजिए बेल्ट....
तापस बड़ी मुश्किल से बेल्ट प्रतिभा को थमाता है....
अपनी माँ का यह अवतार देख कर खुश होते हुए और हैरानी से प्रत्युष मुहँ और आँखे फाड़े अपनी माँ के पास खड़ा हो जाता है और इंतजार करता है कि अब आगे क्या होगा l
प्रतिभा बेल्ट हाथो में लेती है और मारने के लिए उठाती है l तापस, प्रतिभा को हैरान हो कर देख रहा है कि तभी प्रत्युष की चीख निकल जाती है l क्यूंकि बेल्ट की मार प्रत्युष के पिछवाड़े पर लगती है l
प्रत्युष - आ... ह... माँ... मुझे लगा...
प्रतिभा - तुझे लगना ही चाहिए..... नालायक अपने बाप की टांगे... खिंचता है... (कह कर प्रतिभा प्रत्युष के पीछे भागती है)
प्रत्युष- डैड मुझे बचाओ...
तापस - अरे... भाग्यवान रुक जाओ....
प्रतिभा रुक जाती है, तो प्रत्युष तापस के पास आकर गले लग जाता है l
प्रतिभा - सेनापति जी... क्या आप बताने की कष्ट करेंगे... इस नालायक की तरफदारी क्यूँ कर रहे हैं....
तापस - अरे जान... कौन इस नालायक की तरफदारी कर रहा है.... मैं तो कह रहा था... की क्यूँ ना तुम... बेल्ट को उल्टा पकड़ कर.. बकल के तरफ से मारो....
प्रत्युष - डैड... मैं सोच भी नहीं सकता था... के आप इतने कठोर हृदय वाले निकलोगे.....
तापस - कठोर वह क्या होता है....(फिर प्रत्युष को गले लगा कर) अरे यार... तू ही तो एक है... जो इस घर का रौनक है... तु जिस दिन मुझे छेड़ेगा नहीं... तो उस दिन मेरा दिन ही खराब हो जाएगा...
प्रत्युष - जानता हूँ डैड... माँ भी मुझे कहाँ मारती है.... पर कभी कभी दुसरे लड़कों को देखता हूँ... तो उनके किस्मत से रस्क होता है मुझे.... उन्हें अपने माँ बाप का प्यार ही नहीं मार भी मिलाता है.... पर मेरे किस्मत में तो सिर्फ़.. प्यार ही प्यार वह भी बेशुमार मिलता है.... इसलिए मार खाने के लिए यह सब करता हूँ... फिर भी देखिए ना माँ जब बेल्ट से मारती है..... तो ऐसा लगता है जैसे वह मार नहीं रही है .. गुदगुदी कर रही है...
प्रतिभा - ऐ... देख मैं... सच में तुझे मारूंगी... हाँ..
फिर प्रतिभा दोनों के गले लग जाती है l तभी घर की लैंड लाइन बजने लगती है l सबका ध्यान फोन के तरफ जाती है l प्रतिभा दोनों को सोफ़े पर बैठने के लिए कह कर फोन उठाती है,
प्रतिभा - हैलो...
- क्या आप... पब्लिक प्रोसिक्यूटर प्रतिभा जी बोल रहे हैं...
प्रतिभा - जी बोल रही हूँ...
- यह आप लगा क्या रखी हैं...
प्रतिभा - व्हाट डु यु मीन.... और आप हो कौन...
तापस प्रतिभा का मुड़ बदलते देख उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l
प्रतिभा - आप कौन हैं... और आपको किस बात की तकलीफ़ है मुझसे....
- हम... छोटे राजा... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल... बोल रहे हैं....
प्रतिभा - छोटे राजा जी... आप मुझसे ऐसे क्यूँ....
पिनाक - आप को कहा गया था... विश्व को सजा देने के लिए... आप उसे बचाने का फार्मूला जज को दे आईं...
प्रतिभा - देखिए... मनानीय क्षेत्रपाल जी... विश्व की मैंने कोई मदद नहीं की... ना ही जज साहब को मैंने कोई सुझाव दिया है.... वह एक कानूनी प्रक्रिया है... जिसे कोर्ट में कारवाई के अपनाया गया.... और आप इतने बड़े राजनीतिज्ञ हैं..... आपको इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए...
पिनाक - हाँ है... हम तो सिर्फ इस केस के प्रति.. प्रतिबद्धता माप रहे थे...
प्रतिभा - तो क्या देखा आपने....
पिनाक - आगे पता चलेगा..... (कह कर फोन काट देता है)
प्रतिभा भी फोन रख देती है l और मूड कर तापस से कहती है
प्रतिभा - सेनापति जी पता नहीं क्यूँ.... उसने जैसे ही अपना नाम क्षेत्रपाल बताया.... मेरे भीतर से कंपकंपी छूट गई...
तापस उसे गले लगा लेता है, और प्रत्युष भी प्रतिभा के गले लग जाता है l
प्रतिभा से बात चित के बाद पिनाक अपने कमरे में टीवी पर न्यूज पर ध्यान देता है, और वीर के और देखता है तो देखता है वीर बेड पर लेटा मोबाइल पर गेम खेल रहा है l
पिनाक अपना मोबाइल फोन उठा कर यशपुर में अपने लीगल एडवाइजर बल्लभ प्रधान का नंबर डायल करता है l उस तरफ बल्लभ के फोन उठाते ही,
पिनाक - प्रधान....
बल्लभ - जी... छोटे राजा जी...
पिनाक - तुमने... न्यूज देखा...
बल्लभ - जी देख रहा हूँ... छोटे राजा जी...
पिनाक - यह कहाँ तक सही है..... वह औरत जज को कैसे सिफारिश कर सकती है... उस विश्व के लिए सरकारी वकील के लिए...
बल्लभ - छोटे राजा जी... आप जिस औरत की बात कर रहे हैं... वह निहायत ही शरीफ और ईमानदार है.... और उसने जो किया वह कोर्ट के प्रोसिजर में... ऐसा ही होता है.... जज प्रोसिक्यूशन को टटोलने के लिए भी ऐसा करते हैं.... कहीं वह विरोध ना करे किसी निजी हित साधने के लिए....
पिनाक - ह्म्म्म्म अच्छा... तो यह बात है...
बल्लभ - हाँ... और यह सच है.... अगर कानूनी कार्रवाई कोर्ट तक पहुंचती है... उस हालत में... बिना डिफेंस लॉयर के..... मक्तुल को कोई भी अदालत सजा नहीं दे सकती....
पिनाक - वह तो ठीक है.... पर अदालत ने उसके लिए सरकार को आदेश दिया है.... विश्व के लिए... सरकारी वकील मुकर्रर करने के लिए.... जानते हो ना... यह केस राजा साहब की नाक और मूछ है...
बल्लभ - जानता हूं.... उससे कुछ नहीं होता... छोटे राजा जी... कानून और कोर्ट हमेशा... सबूतों के बैसाखी के सहारे रेंगते हैं... और विश्व के खिलाफ़ हमने इतने सबूत बनाए हैं... के उसे राष्ट्रपति तक सजा दिलाने से नहीं बचा सकते हैं.....
पिनाक - ह्म्म्म्म... तो फिर... ठीक है....
प्रधान से बात करने के बाद फोन रख कर कमरे में पिनाक चहल कदम कर रहा है l वीर उसे देखता,
वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी.... आप किस बात से इतना परेशान लग रहे हैं.... आप इधर उधर फोन कर... अपना टाइम पास करने की कोशिश कर रहे हैं....
पिनाक वीर की ओर देखता है और पूछता है,
पिनाक - आज आपका कॉलेज कैसा गया राजकुमार....
वीर - हम कब तक... होटल में रहेंगे... छोटे राजा जी... युवराज ने आपको घर या घर के लिए जगह देखने के लिए कहा था....
पिनाक - (बिदक कर) हमने आपसे पहले कुछ पूछा है....
वीर - कॉलेज में होता क्या है.... छोटे राजा जी... कुछ भी तो नहीं....
पिनाक - क्या आप जानते हैं.... युवराज अब कहाँ हो सकते हैं...
वीर - युवराज जी अपने मिशन के अगले पड़ाव पर पहुंच चुके हैं....
पिनाक - क्या मतलब....
वीर - आज युवराज जी... कॉलेज के ... तुर्रम खान को... और उसके के चेलों को..... होटल ऐरा.. में पार्टी दे रहे हैं.... और आज ऑफिसियली डिक्लेर होगा... अगला प्रेसिडेंट कॉलेज इलेक्शन का... वह भी अन-कंटेस्टेंट....
पिनाक - ओ....
वीर - इसलिए तो आपसे... मैंने घर की बात पुछा.... युवराज अपने मिशन पर बढ़ते ही जा रहे हैं....
पिनाक - मैंने अपने आदमियों को दौड़ाया है... बहुत जल्द... प्लॉट या घर देख कर... हमे इत्तला करेंगे.... घर मिल जाए तो हम अपना मोडिफीकेशन कर सकते हैं....
यह सुन कर वीर चुप रहा और मोबाइल पर गेम में डूब जाता है l
होटल ऐरा....
विक्रम अपनी गाड़ी से आकर गाड़ी की चाबी गार्ड को देता है और टीप में उसे पांच सौ रुपये देता है l गार्ड विक्रम को सैल्यूट कर गाड़ी पार्किंग में ले जाता है और रजिस्टर में गाड़ी के नंबर लिख कर अपने पास चाबी जमा कर देता है l विक्रम आकर सीधे लॉबी में पड़े सोफ़े पर बैठ जाता है l
उधर होटल के एक रॉयल शूट नंबर 702 में बारह तेरह लड़कों का ग्रुप बैठ कर आपस में बात कर रहे हैं l
उनमे से एक ने पूछा....
एक - अरे यार... विनय... तुने उसे क्या टाइम बताया था....
विनय - अबे.. मैंने उसे करेक्ट आठ बजे पहुंचने को बोला था....
दुसरा - अबे तो आठ कबका बज चुका है.... कहीं वह हमें सैंडी तो नहीं लगा दिया होगा.....
विनय - अबे क्या पता.... लगाया भी हो....
एक - अबे.... तो इतना माल हम..... किसके बाप का हम ठूंस रहे हैं....
विनय - रिलैक्स... गयज.... वह... पार्टी देगा पार्टी देगा बोल रहा था... तो मैंने भी अपनी शर्तों पर पार्टी को राजी हो गया.... मैं उसे बोला मुझे और मेरे यार लोगों को सेवन स्टार वाला होटल ऐरा.. के रॉयल शूट में पार्टी चाहिए.... तो मैंने ही उसके सामने यह शूट बुक कराया है... और उसने तुरंत पेमेंट भी कर दिया था....
तीसरा - अबे... तो उस हालत में.... हमे उससे इंतजार करवाना चाहिए था.... हम बेकार में... उसका इंतजार कर रहे हैं.....
पांचवां - हाँ यार विनय... उसका हमारे पास काम था तो हमे.... उससे इंतजार करवाना चाहिए था....
एक - और नहीं तो क्या... वह नया लौंडा हमे इंतजार करवा रहा है... वह भी कॉलेज प्रेसिडेंट विनय कुमार महानायक से....
दूसरा - वही तो.... यार यह खाने पीने की बात अलग.... और इज़्ज़त अलग....
छटा - लगा... उसे फोन लगा.... हम क्या उसके दिए पार्टी के बगैर मर जायेंगे.... साला होस्ट ही गायब है....
दुसरा - और नहीं तो... देख विनय.... लगता है... उसका कोई जरूरी काम है तुझसे... इसलिए यहाँ लाकर हमे पार्टी दे रहा है.... साला उसे अपना उल्लू सीधा करवाना है... वह भी हमसे.... और खुद गायब है... लगा उसको फोन.... और बोल तू कौन है....
विनय यह सब सुनकर अपना मोबाइल निकालता है और विक्रम को फोन लगाता है l
विक्रम होटल के लॉबी में बैठा कोई मैग्ज़ीन खोले पढ़ रहा था कि उसका फोन बजने लगा l विक्रम फोन निकाल कर देखता है, उसमें विनय का नंबर देख कर मुस्कराता है, पर फोन नहीं उठाता है l फोन कट होने पर अब विक्रम भी खीजने लगता है l
एक - देखा... वह महा कमीना निकला.... मादरचोद हमे इस रूम के और खाने के बिल में फंसा दिया....
विनय अब फ़िर से विक्रम को फोन लगाता है l विक्रम देखता है और इसबार फोन उठाता है
विक्रम - हैलो...
विनय - ऑए... हमे आठ बजे बुलाकर तू किधर है रे ...
विक्रम - आठ बजे... विनय साहब.... वेन्यू और मेन्यू और टाइम आपका और बिल मेरा... यही डिसाइड हुआ था...
विनय - हाँ... तो.. तुझे... आठ बजे आ जाना चाहिए था.. ना...
विक्रम - क्या... आठ बजे.... मुझे लगा कि आप आठ बजे घर से निकल ने के लिए बोले हो....
विनय - क्या... अभी तू बता.. कहाँ है तू...
विक्रम - आरे विनय साहब... मैं इस वक़्त गाड़ी में हूँ और गाड़ी चला भी रहा हूँ....
विनय - तो कब तक पहुंच सकता है.....
विक्रम - शायद साढ़े आठ बज जाएंगे.... आप एक काम करो... मैनेजर से बात करके रूम की चाबी ले लो... मैं आकर आपको सीधे जॉइन करता हूँ.....
विनय - ठीक है ... अगर तू साढ़े आठ बजे ना आया.... तो हम सब चले जाएंगे....
विक्रम - ठीक है विनय साहब......
इतना कह कर विक्रम मुस्करा देता है, और अपना घड़ी देखता है साढ़े आठ बजने को है l विक्रम मैग्जीन को रखता है और रिसेप्शन की ओर जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है l मैनेजर अपने कमरे से बाहर निकल कर रिसेप्शन पहुंचता है l विक्रम - मैनेजर साहब..... रॉयल शूट नंबर 702 का जो भी बिल हुआ कहिए.... हम अभी पेमेंट कर देंगे...
मैनेजर - जी बहुत अच्छा...
मैनेजर रिसेप्शन से बिल पूछता है और पूछता है - सर क्या आप चेक आउट करने वाले हैं...
विक्रम - नहीं... बिल पेमेंट अभी हो जाएगा.... पर चेक आउट कल ही होगा....
मैनेजर - जी बहुत अच्छा....
फिर बिल बना कर विक्रम को देता है l विक्रम 92 हजार का बिल देख कर मुस्करा देता है l
विक्रम अपना क्रेडिट कार्ड रिसेप्शनीष्ट को देते हुए मैनेजर से
विक्रम - अच्छा मैनेजर... उस कमरे का इंश्योरेंस है...
मैनेजर विक्रम को घूर कर देखता है l
रिसेप्शनीष्ट पेमेंट क्लीयर कर बिल मैनेजर को दे देती है l मैनेजर बिल में क्षेत्रपाल नाम पढ़ते ही आँखे फाड़ कर विक्रम को देखने लगता है l
मैनेजर - स... स... सर आप...
विक्रम - इस स्टेट में... एक ही राजा साहब हैं... जानते हो...
मैनेजर - ज.. ज.. जी.. भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी..
विक्रम - हम उनके युवराज हैं...
मैनेजर - जी...
विक्रम - अब बोलो... क्या उस कमरे का इंश्योरेंस है....
मैनेजर - जी है... बिल्कुल है....
विक्रम - गुड... कल अपने इंश्योरेंस एजेंट को बुला लेना....
मैनेजर - जी...
इतना कह कर विक्रम अपना कार्ड लेकर पलट कर लिफ्ट की ओर बढ़ता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम अपने जेब से फोन निकालने को होता ही है कि उससे कोई टकरा जाता है l इम्पैक्ट ऐसा था के दोनों ही गिर जाते हैं l विक्रम गुस्से से उसे देखता है कि देखता ही रह जाता है l एक बहुत ही खूबसूरत लड़की l उसकी खूबसूरती देख कर विक्रम का मुहँ खुला रह जाता है l वह लड़की उठती है और विक्रम की ओर अपना हाथ बढ़ाती है l विक्रम उस लड़की का हाथ थाम लेता है और धीरे धीरे उठता है l
लड़की - सॉरी सॉरी... वह मैं थोड़ी जल्दी में थी इसलिए... डोंट माइंड...
इतना कह कर वह लड़की होटल के रेस्टोरेंट की और भाग जाती है l विक्रम भी उसके पीछे जाता है l तभी फिरसे विक्रम का फोन बजता है, विक्रम जो हिप्नोटाइज हो गया था, उसे होश आता है l
विक्रम - (फोन उठा कर) हैलो
विनय - अबे कहाँ मर गया तु.... जल्दी आ... वरना...
विक्रम - (चेहरे का भाव अचानक बदल कर) सिर्फ़ दो मिनट... (फोन काट कर लिफ्ट में घुस जाता है)
उधर कमरे में
विनय - अबे वह... होटल में पहुंच गया है... दो मिनट में पहुंचने वाला है.... सो एंजॉय... फ्रेंड्स..
सब खुशी से चिल्लाने लगते हैं l
कॉलिंग बेल बजती है, उनमे से एक जाकर दरवाजा खोलता है l
एक - अबे तू यहाँ लड़की देखने आया है क्या बे.... जो तु लेट करेगा... और हम तेरी राह ताकते रहेंगे...
विनय - अरे... जाने दे यार... यह पार्टी यही दे रहा है.... लेटस् चीयर हिम...
विनय, विक्रम को अंदर आने को कहता है l विक्रम आकर विनय के सामने पड़ा एक कुर्सी पर बैठ जाता है l
विनय - यार... मजा आ गया... हम मैनेजर से चाबी ले कर आए तो देखा सब पहले से ही अरेंजमेंट है... बस क्या.... हम शुरू हो गए... हा हा हा हा
विक्रम भी मुस्करा देता है l
विनय - अच्छा बोल... तुझे क्या चाहिए... हम लोग सब बहुत खुश हैं तुझसे....
विक्रम - ह्म्म्म्म, मैं कभी मांगता नहीं हूँ....
विनय - ओके... जो तुझे चाहिए लेले फिर.... हा हा हा हा...
विक्रम - ह्म्म्म्म इसबार... विनय तु स्टूडेंट इलेक्शन नहीं लड़ेगा.... इसबार मैं प्रेसिडेंट कैंडीडेट हूँ..
वह भी अनकंटेस्ट...
सब खामोश हो जाते हैं, कमरे में इतनी शांति छा जाती है, के अगर सुई गिर जाए तो सुनाई दे l
फिर अचानक से विनय हंसने लगता है l उसे हंसता देख कर उसके साथी भी हंसने लगते हैं l
विनय - ओह कॉम ऑन... विक्रम.... यार यह खाने पीने का टाइम है.... ऐसे जोक मत मारो के हंसते हंसते पेट भर जाए (कह कर जोर जोर से हंसने लगता है)
विनय के साथ उसके सारे दोस्त भी हंसने लगते हैं l
विक्रम एक ग्लास हाथ में लेता है और नीचे छोटे टी पोए पर गिरा देता है l ग्लास एक आवाज़ के साथ टूट जाता है l ग्लास के टूटने के साथ ही विनय व साथियों की हंसी रुक जाती है l विनय पहले अपने दोस्तों को देखता है और फिर विक्रम को घूरते हुए देखता है l
विक्रम - क्यूँ बे.. तु मेरा साला लगता है क्या... जो मैं तुझे जोक मरूंगा....
विनय का चेहरा गुस्से से तमतमा जाता है और उसके हाथ में जो ग्लास था उसे नीचे फेंक मारता है l
विनय - एक पार्टी की कीमत पर तुझे प्रेसिडेंट बनना है... भोषड़ी के... तुने यहाँ मुझे और मेरे साथियों को नहीं बुलाया है.... तुने अपनी मौत का अरेंजमेंट खुद किया है.... तु मुझे जानता नहीं है.... आज इस कमरे से तेरी लाश बाहर जाएगी.... क्यूंकि आज मैं तुझे मार डालूंगा कुत्ते विक्रम, विनय की बात सुनकर, उसे देखकर मुस्कराता है l उसे मुस्कराते देख कर विनय की सुलग जाती है l विनय जो विक्रम के बैठा हुआ है अपना पैर विक्रम के आगे टी पोए पर रख देता है l
विनय - बे कुत्ते... नाम के आगे सिंह लगा लेने से कोई सिंह नहीं हो जाता.... शेर के मांद में आया है.... और शेर से कुर्सी छोड़ने को कह रहा है...
विश्व उसकी बातों को अनसुना कर अपना बायां पैर दाहिने घुटने पर रखता है और और अपने दाएं हाथ के नाखूनों को देखने लगता है l
विनय - बे कुत्ते..... चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
विनय - बे कुत्ते..... चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
विक्रम - (अपनी होंठ पर उंगली रख कर) श्.. श्.. श्... श् (विनय चुप हो जाता है) जुबान उतना ही लंबा कर... जितना हलक में वापस घुसेड़ सके..... बात उतनी बड़ी कर... जिसके साये में अपनी औकात ढक सके...
विनय अपने बैठे हुए जगह से उठ जाता है और एक खतरनाक हंसी हंसते हुए, विक्रम की उंगली दिखाते हुए
विनय - हे...इ.. हे...इ... यु डोंट नो... मि.. हाँ.. तु यहाँ जिनको मेरे साथ देख कर स्टूडेंट्स समझ रहा है ना.... गौर से देख इन्हें.... यह कोई स्टूडेंट्स नहीं हैं.... यह सारे के सारे छटे हुए क्रिमिनलस हैं... भुवनेश्वर में किसी भी पुलिस स्टेशन में देख लेना... इनके चेहरे वांटेड लिस्ट में दिख जाएंगे... और यह लोग हर वक्त तैयार रहते हैं.....
विक्रम बेफिक्री में बैठा अपने दाहिने हाथ के उंगलियों को अपने अंगूठे से मालिश कर रहा था l उसका ऐसे बिना डरे, बिना भाव दिए अपने में व्यस्त रहना विनय को और भी सुलगा दिया l
विनय - तु... होगा कोई क्षेत्रपाल... राजगड़ वाला... यह भुवनेश्वर है... बच्चे... (विनय अपने साथियों से) आज इसकी दी हुई दारू और कबाब के बदले इस हराम जादे की हड्डी पसली ऐसे तोड़ना... के कोई डॉक्टर जोड़ नहीं पाएगा.... हा हा हा...
इतना कह कर विनय अपने हाथ में शराब का एक ग्लास उठाता है और बड़े स्टाइल में विक्रम के सामने बैठ कर घूंट भरता है।
इतने में चार पांच लड़कों में से एक अपना बेल्ट निकालता है जिसमें छोटेछोटे नुकीले कांटे लगे हुए हैं, और एक अपनी कार्गो प्यांट के जेब से साइकिल चेन निकालता है, और एक साइकिल की चेन की फ्री व्हील से बने एक कांटे दार पंच निकालता है, और एक लोहे की रॉड निकालता है और पांचवां चाकू निकालता है l पांचो विक्रम के तरफ बढ़ते हैं l विनय उन्हें रोक देता है और कहता है
विनय - रुको... यार..इसकी दी हुई दारू पी है... बेचारे पर बिल फाड़ा है... मैं उधर घुम कर खड़ा हो जाता हूँ... तुम लोग शुरू हो जाना... ठीक... हाँ...
सब हंसने लगते हैं, और विनय हाथ में ग्लास लिए कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर थोड़ी दूर जाता है l इतने में कुछ टूटने की आवाज़ आती है l विनय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और वह ग्लास खाली कर जब वापस मुड़ता है तो देखता है उसके पांचो साथी खुन से लथपथ नीचे गिर कर कराह रहे हैं l विक्रम वैसे ही अपने अंदाज में कुर्सी पर बैठा हुआ है पर इस बार उसके दाहिने हाथ में एक टूटी हुई खून से सनी बोतल का मुहँ है l
विनय की आँखें और मुहँ हैरानी से खुल जाती है l वह अपने दुसरे साथियों को देखता है, उनकी भी विनय के जैसा हाल है l सब ऐसे हैरान हो कर विक्रम को देख रहे हैं के जैसे मानो कोई भूत देख रहे हों l
विनय, विक्रम के हाथ में टुटे हुए बोतल को देख कर अपने सर पर खुद चपत लगाता है और अनुमान लगाने की कोशिश करता है l
***जैसे ही विनय मुड़ा, वह पांच आदमी विक्रम के पास पहुंचे, विक्रम तेजी से सामने रखे बोतल को उठा कर पहले के सिर पर दे मारा, बोतल की मार से उसका सर फट गया और नीचे गिर गया, बोतल के सर पर लगने से बोतल टुट भी गया l विक्रम फिर झुक कर टुटे हुए बोतल को दुसरे के जांघ पर घोंप दिया, फ़िर तीसरे के दाहिने बांह में बोतल घोंप दिया, इतने में चौथा अपना चाकू वाला हाथ चलाया विक्रम झुक कर तेजी से उसके पीछे पहुंचा और बोतल को उसके पिछवाड़े घोंप दिया और पांचवां कुछ समझ पाता विक्रम उसके कंधे पर बोतल घोंप कर निकाल देता है और फ़िर अपनी जगह आकर बैठ जाता है l***
हाँ ऐसा ही हुआ है... विनय अपने मन में सोचता है और चिल्ला कर
विनय - आ... ह... मार डालो इस हरामी को... पैसों की चिंता मत करो... इसकी लाश के वजन बराबर पैसों से तोल दूंगा मैं तुम सबको....
सब अपने हाथों में अपना अपना हथियार निकाल कर विक्रम पर टूट पड़ते हैं l अंजाम वही सब के सब कुछ ही देर में फर्श पर गिर कर छटपटा रहे हैं l
यह सब देख कर विनय के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगते हैं l वह ग्लास को विक्रम पर फेंक मारता है और पीछे मुड़ कर दरवाजे की और भागने लगता है l विक्रम भी उसकी फेंकी हुई ग्लास से झुक कर खुदको बचाता है और तेजी से बोतल उठा कर विनय के सर की ओर फेंक मारता है l बोतल सटीक अपने निशाने पर लगता है l विनय गिर जाता है और बेहोश हो जाता है l
विनय जब अपनी आँखे खोलता है तो छत के झूमर नजर आते हैं l उसे अपने चेहरे पर कुछ गिला गिला सा महसूस होता है l अचानक उसके मुहँ से कराह निकालता है l उसे उसके सर के पीछे दर्द महसूस होता है तो अपना हाथ लगा कर देखता है तो उसके हाथ में खुन देख कर झट से उठ बैठता है, तो खुद को फर्श पर पड़े नर्म दरी पर पाता है l अपने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखता है l उसके सारे साथी जिनको ले कर आज जम कर पार्टी कर विक्रम के नाम पर बिल फाड़ने के आया था, सब के सब फर्श गिर कर दर्द से कराह रहे हैं l सारे कमरे की हालत खराब है l कुछ चेयर और कुछ टेबल टुटे हुए हैं, और तो और एक बड़ा सा कांच का दीवार था वह भी टुट कर बिखरा हुआ है l विनय दुसरी तरफ नजर घुमाता है तो देखता है विक्रम डायनिंग टेबल पर खाना खा रहा है l विनय को होश में आया देख कर विक्रम मुस्कराता है,
विक्रम - बड़ी जल्दी होश में आ गए... अकल भी ठिकाने आ गई होगी...
विनय को अब सब याद आता है l उस कमरे में क्या क्या हुआ है और अपने साथियों को देखता है l सभी दर्द के मारे छटपटा रहे हैं l विनय दरवाजे की ओर भागता है l पर दरवाजा बंद मिलता है सेवन लॉक सिस्टम से बंद है दरवाजा l अंदर से विनय चिल्लाता है और दरवाजे पर ठोकर मारता है l विक्रम - ऐ कुत्ते... चु... चु... चु.... इधर आ....
विनय अपना फोन निकालने की कोशिश करता है पर उसे अपना फोन नहीं मिलता l
विक्रम - कहीं इसे तो नहीं ढूंढ रहा है....
विक्रम के हाथ में विनय अपना फोन देखता है l विक्रम डायनिंग टेबल से उठता है और और एक सोफ़े पर आ कर बैठ जाता है l विक्रम, विनय के फोन को टी पोए पर रख देता है और अपने उंगली से इशारे से विनय को पास बुलाता है l विनय डरते हुए विक्रम के पास आता है l
विक्रम - समझाया था... पर... वो एक कहावत है... कुत्तों को घि... और सुवरों को छेनापोडो हज़म नहीं होते.... और तुझे सही बात...
विनय बदहवास विक्रम को देख रहा है l
विक्रम - मैं तेरे... और तेरे चमचों के बारे में... पहले से ही अच्छी तरह से जानता हूँ....
अब तुझे तेरी औकात बताने का वक्त आ गया है..... यह रहा तेरा फोन.... लगा अपने बाप को...
विनय झट से अपना फोन उठा कर अपने बाप को लगाता है l
विक्रम - स्पीकर पर डाल...
विनय फोन का स्पीकर ऑन करता है l फोन पर रिंग जा रही है l उधर से
- हैलो बेटे... और कैसी रही तेरी पार्टी....
विनय - (रोते हुए) पापा यह कमीना... मुझे बहुत मारा... मेरे लोगों को भी बहुत मारा... मुझे यहाँ से ले जाओ पापा... प्लीज...
- अबे कौन है वह... जिसने अपने मौत को छेड़ा है...
विनय - वह... हमारी बात सुन रहा है पापा... फोन स्पीकर पर है...
- बे कौन है बे तु... मेरे बेटे को हाथ लगाने की जुर्रत भी कैसे की... हराम के पिल्लै.... मैं तेरी बोटी बोटी कर सहर के हर कुत्तों को खिलाउंगा... कुत्ते...
अपने बाप की रौबदार धमकी सुनकर विनय बहुत खुश हो जाता है l उसके चेहरे पर हंसी आ जाती है l
विक्रम - मिस्टर. कमल कांत महानायक... हम युवराज बोल रहे हैं....
कमल - कौन युवराज....
विक्रम - इस राज्य में एक ही शेर को राजा साहब कहा जाता है....
कमल - क... क.. कौन... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हाँ... हम उनके युवराज.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल बोल रहे हैं....
कमल - य.. यु.. युवराज जी आप... मेरे बेटे को माफ कर दीजिए.... मैं उसके तरफ से माफी मांगता हूं आपसे....
विक्रम - अभी तो मेरी बोटीयों को कुत्तों में बांटने की बात कर रहे थे....
कमल - जी... जी.. व.. वह... चमड़ी की जुबान थी... फ़िसल गई...
विक्रम - ठीक है.... फोन रख... तेरे बेटे को... दुनियादारी समझा कर छोड़ दूँगा....
कमल - जी.. शुक्रिया... युवराज जी... शुक्रिया...
विक्रम - फोन रख....
उधर से फोन कट जाता है l विक्रम मुस्कराते हुए विनय को देखता है l विनय का चेहरा बुरी तरह उतर गया है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा है l उसे इस हालत में देख कर विक्रम अपना पैर टी पोए पर रखता है l
विक्रम - आज तुम्हारे वजह से.... मेरे जुते खराब हो गए हैं... देखो खुन से सन गए हैं... ऐसे गंदे जुते पहन कर मैं कैसे इस कमरे से बाहर निकालूँगा....
इतना सुनते ही विनय फौरन झुक जाता है और अपने आस्तीन से विक्रम के जुते साफ़ करने लगता है l जुते साफ होते ही,
विक्रम - कुत्ता हमेशा कुत्ता ही रहता है... चाहे नाम में महानायक ही क्यूँ ना हो... और शेर हमेशा शेर ही रहता है... चाहे नाम में सिंह हो या ना हो....
विनय - जी... जी.. युवराज.....
विक्रम - शाबाश... अब आ गए ना लाइन पर... चलो इस बात पर मैं तुझे तेरे जान की टीप देता हूँ....
इतना कह कर विक्रम उठता है और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है,
मैनेजर - जी कहिए... क्षेत्रपाल सर...
विक्रम - मैनेजर... एम्बुलेंस बुलाओ.... और 702 कमरे से सभी लोगों को फायर एक्जिट के रास्ते हस्पताल पहुंचाओ.... और जो भी बिल हो वह... (अपना कार्ड देते हुए) इस नाम पर बना देना....
मैनेजर का मुहँ डर व हैरानी से खुला रह जाता है l विक्रम उसे उसी हालत में छोड़ कर बाहर निकल कर गार्ड को इशारा करता है l गार्ड गरम जोशी के साथ सैल्यूट मारता है और विक्रम के गाड़ी को लेने पार्किंग के अंदर भाग कर जाता है l थोड़ी देर बाद गार्ड गाड़ी लेकर विक्रम के पास रुकता है और फिर से सैल्यूट कर गाड़ी की चाबी देता है l विक्रम गाड़ी लेकर होटल के गेट तक पहुंचा ही था कि एक लड़की उसकी गाड़ी के आगे दोनों हाथ फैलाए खड़ी हो कर गाड़ी को रोक देती है, जैसे ही विक्रम की गाड़ी रुकती है वह लड़की तुरंत ड्राइविंग साइड पर आकर झुक कर विंडों ग्लास नीचे करने को कहती है l विक्रम ग्लास उतार कर देखता है यह वही लड़की है जो उससे होटल की लॉबी में टकरायी थी l
लड़की - एक्शक्युज मी... क्या आप मुझे वह आगे की जंक्शन पर ड्रॉप कर देंगे....
विक्रम अपना सर हिला कर अपना सहमती देता है l लड़की आकर दूसरे तरफ बैठ जाती है l विक्रम को गाड़ी के अंदर एक जबरदस्त खुशबु महसूस होती है l
लड़की - चलिए.... चलिए... जल्दी... चलिए...
विक्रम गाड़ी स्टार्ट करता है l गाड़ी होटल से बाहर निकल कर सड़क पर दौड़ने लगती है l विक्रम देखता है कि लड़की अपने आप से कुछ बड़बड़ा रही है l उसे यूँ बड़बड़ाते हुए देख विक्रम हंस देता है l विक्रम को हंसता देख लड़की पूछती है,
लड़की - आप क्यूँ बे वजह हंस रहे हैं...
विक्रम - पहली बार देख रहा हूँ... किसीको खुद से बात करते हुए....
लड़की चुप हो जाती है l उसके चुप होते ही विक्रम को बुरा लगता है l
विक्रम - सॉरी... शायद आपको मेरी बात बुरी लगी....
लड़की - नहीं.. ऐसी बात नहीं...
विक्रम - आप... किसी बात से रूठी हुई लग रही हैं..
लड़की - हाँ (उखड़ कर ज़वाब देती है)
विक्रम कुछ नहीं कहता, उसकी उखड़ी हुई जवाब सुन कर l
विक्रम - अगैन.. सॉरी...
लड़की - क्यूँ...
विक्रम - वह शायद आपको मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा....
लड़की - नहीं ऐसी बात नहीं है.... मैं अपने मॉमा और पापा से उखड़ी हुई हूँ... और सॉरी आपसे लिफ्ट ली है... और आप पर उनका गुस्सा उतार दिया...
विक्रम - कोई नहीं... पर आप अपने माँ बाप से क्यूँ गुस्सा हैं...
लड़की - मुझे उनकी पिछड़ी मानसिकता से प्रॉब्लम है.... लड़की अट्ठारह साल की हुई नहीं की उसकी शादी करा दो... जैसे वह बेटी नहीं कोई बोझ है...
विक्रम - कोई माँ बाप ऐसे हो नहीं सकते... आप को शायद कोई गलत फहमी हो गया हो....
लड़की - आप जानते हैं... हम इस होटल में क्यूँ आए हैं... आज मेरा जनम दिन है...
विक्रम - ओ अच्छा... मैनी मैनी हैप्पी रिटर्नस ऑफ दी डे.... माय बेस्ट विश फॉर अ ब्यूटीफुल गर्ल...
लड़की - थैंक्यू... पर आपने मुझे बीच में टोका क्यूँ...
विक्रम - अरे... क्या बात कर रही हैं.... आज आपका जनम दिन है... और मैंने आपको विश भी नहीं करूँ...
लड़की - ठीक है... पर फिलहाल आप चुप रहिए....
विक्रम चुप हो जाता है l
लड़की - हाँ तो.. आज मेरा बर्थ डे... इस होटल में सेलिब्रिट करने के बहाने... मेरे पेरेंट्स आज मेरी मंगनी कराने के लिए प्लान किए थे... इसलिए उन्हें वहीँ छोड़ कर भाग आई... और सीधे अपनी सहेली के घर जा रही हूँ...
विक्रम - ओ... तो यह बात है... वैसे एक ना एक दिन आपको शादी तो करनी पड़ेगी ना...
लड़की - हाँ शायद.. पर शादी से पहले... मुझे जिंदगी में कुछ एचीव करना है... आई वांट टू डु सम थिंग इन माय लाइफ... लड़की होने का मतलब यह तो नहीं कि बालिग होते ही शादी करले और बच्चे पैदा करे... रुकिए.. रुकिए... यहीं गाड़ी रोक दीजिए...
विक्रम गाड़ी रोक देता है l लड़की तुरंत उतर जाती है l
लड़की - थैंक्यू... (कह कर मुड़ने को हुई)
विक्रम - सुनिए....
लड़की - जी कहिए...
विक्रम - आपने अपना नाम बताया नहीं...
लड़की - आपने मुझे लिफ्ट दी... उसके लिए शुक्रिया.... और अगर संयोग से हम फिर कभी मिले तब सोचेंगे.... तब तक के लिए हमे अजनबी ही रहने दीजिए...
इतना कह कर लड़की पलट कर चली जाती है l विक्रम उसे अपनी आँखों से ओझल होते देखता है l फिर विक्रम एक गहरी सांस लेता है l उसके नथुनों में उस लड़की के फ्रैगनेंस की खुशबु खिल जाती है l विक्रम के होठों पर एक मुस्कराहट खिल उठता है l विक्रम उसके खयालों में खोया हुआ था के उसका फोन बजने लगता है l विक्रम फोन उठाता है और कुछ सुनने के बाद वह गाड़ी स्टार्ट कर दौड़ता है l कुछ देर बाद *** पुलिस स्टेशन में पहुंचता है l
पुलिस स्टेशन के अंदर सीधे इंस्पेक्टर के पास पहुँचता है l
विक्रम - हैलो.. इंस्पेक्टर...
इंस्पेक्टर अपना सर उठा कर देखता है l
इंस्पेक्टर - जी... कौन हैं आप... और यहाँ आने की वजह....
विक्रम - अभी कुछ देर पहले... आपके पुलिस वालों ने... एक आदमी को गिरफ्तार किया है... जिसका नाम अशोक महांती है....
इंस्पेक्टर - ओ... तो... तुम... उस शराबी की ज़मानत देने आए हो....
विक्रम - क्या मैं जान सकता हूँ... वह गिरफ्तार हो जाए... ऐसा क्या गुनाह किया है....
इंस्पेक्टर - वह... शराब के नशे में धुत... आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस के ऑफिस में दंगा कर रहा था....
विक्रम - क्या मैं... उनका एफ आई आर की कॉपी देख सकता हूँ....
इंस्पेक्टर - क्यूँ... आप क्या उसके वकील हो... वैसे आपको मालूम कैसे हुआ... वह गिरफ्तार हुआ है....
विक्रम - वह क्या है कि... इंस्पेक्टर... मैं उसका बहुत जबरा फैन हूँ... इसलिए उसके गिरफ्तार होते ही... मुझे खबर लग गई...
इंस्पेक्टर - ऑए... होश में तो है ना... या उसके तरह... तु भी पी कर यहाँ दंगा करने आया है क्या.... चल जा यहाँ से... यह सुबह तक यहाँ बंद रहेगा.... सुबह आ कर ले जाना...
विक्रम - मुझे... अभी... इसी वक्त... इसे लेकर जाना है.... और आप ज्यादा देर तक मेरा वक्त खोटी ना करें... और उसे छोड़ दें...
इंस्पेक्टर - अच्छा... तु तो ऐसे हुकुम दे रहा है ... जैसे तु कोई तोप है.....
विक्रम - हम युवराज हैं...
इंस्पेक्टर - कौन युवराज.... लुक... मिस्टर.. हू द हेल् यू आर.... आई डोंट केयर... कल आ कर अपने सुपर स्टार को ले जाना....
विक्रम अपना मोबाइल निकाल कर कहीं फोन लगाता है l और थाना, थाने का इंचार्ज और अशोक महांती के बारे में बात करता है l यह सब देख कर इंस्पेक्टर को गुस्सा आता है l
इंस्पेक्टर - ऐ... हवलदार... निकालो इसको यहाँ से...
तभी एक हवलदार आता है और विक्रम को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है l विक्रम उसे इशारे से रुकने को कहता है l हवलदार रुक जाता है, फ़िर विक्रम उसे टेबल पर रखे फोन के तरफ इशारा करता है l हवलदार और इंस्पेक्टर दोनों ही फोन के तरफ देखते हैं l फोन बजने लगता है l
इंस्पेक्टर - (फोन उठा कर) हैलो... (अपनी जगह से उठ कर, सैल्यूट मारते हुए) सर... यस सर.... जी सर... ओके सर... यस सर.... कहकर फोन रख देता है और हवलदार को बाहर जाने के लिए हाथ से इशारा करता है l हवलदार के जाते ही, विक्रम धीरे धीरे चल कर इंस्पेक्टर के सीट पर बैठ जाता है, उसका यह रूप देखकर इंस्पेक्टर अपने हलक से थूक निगलता है और,अपना हाथ जोड़ते हुए
इंस्पेक्टर - आप कौन साहब हैं... सर...
विक्रम - इस पुरे राज्य में... एक ही आदमी राजा साहब के नाम से जाने जाते हैं....
इंस्पेक्टर - जी... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं... और इस नाम की आदत डाल लो... इंस्पेक्टर.... क्यूंकि कुछ ही अर्से में यह नाम गूंजने वाली है... जाओ उस अशोक महांती को मेरे हवाले करो....
इंस्पेक्टर - जी... जी युवराज जी...
इंस्पेक्टर खुद चाबी लेकर कमरे से बाहर जाता है और कुछ देर बाद अशोक महांती को लेकर आता है l विक्रम इंस्पेक्टर के सीट से उठ कर अशोक महांती के पास जा कर उसे गौर से देखता है l महांती के चेहरे पर थोड़ी मार पीट की निशानी दिखती है l विक्रम इंस्पेक्टर के तरफ मुड़ता है
विक्रम - क्या मैं इनका ज़मानत कर सकता हूँ...
इंस्पेक्टर - ज़मानत की कोई जरूरत नहीं है.... युवराज जी.... इन पर अभी तक एफ आइ आर नहीं हुआ है.... नशे में थे... सिर्फ सुबह तक हवालात में रख कर छोड़ने के लिए कहा गया था......
विक्रम - ठीक है... इंस्पेक्टर... गुड नाइट...
इंस्पेक्टर - जी... गुड नाइट...
विक्रम और महांती दोनों बाहर आते हैं l बाहर आते ही महांती विक्रम से,
महांती - हे...तुम जो भी हो... थैंक्स... तुम्हारा... उपकार रहा मुझ पर... मौका मिला तो चुका दूँगा....
विक्रम - अभी मौका ले लो....
महांती उसे मुड़ कर देखता है,
विक्रम - यहाँ... थोड़ी दूर... एक बार एंड रेस्टोरेंट है... हाईवे 24/7.... मुझे थोड़ी देर के लिए कंपनी दे दो... तुम्हारा उपकार चुकता हो जाएगा....
महांती उसे घूरते हुए देखता है और अपना सर हिला कर हामी भरता है l विक्रम अपनी गाड़ी में बैठता है और उसके बगल में महांती बैठता है l दोनों हाईवे 24/7 को आते हैं l विक्रम काउन्टर के पास जा कर एक कैबिन बुक करता है, और एक बैरा को पांच सौ का टीप देते हुए ड्रिंक के लिए ऑर्डर करता है l उसके बाद विक्रम, महांती को लेकर एक कैबिन के अंदर आता है l कैबिन के अंदर बैठते ही,
विक्रम - हाँ तो महांती.... क्या लेना पसंद करोगे....
महांती - मुहँ पर तुम्हारे नए नए मूँछ उग रहे हैं... उन्हें भाव देने की आदत डालो.... उनपर ताव देने की उम्र नहीं है तुम्हारी.... मुझे या मेरी पसंद ऑफर्ड कर सको... यह औकात नहीं है... तुम्हारी....
उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्करा देता है l इतने में बैरा एक ट्रे में एक कपड़े से ढका बोतल, एक सोडा बोतल, एक पानी का बोतल और एक खाली ग्लास रख देता है l
बैरा - सर चखने में क्या लेंगे....
विक्रम - सलाद, तंदूर मुर्गा और चिकन 65..
महांती हैरानी से विक्रम को देखता है l बैरा के जाते ही विक्रम बोतल से कवर हटाता है l बोतल को देखते ही महांती की आंखे चौड़ी हो जाती है l वह हैरानी से विक्रम को देखने लगता है l क्यूंकि शराब पीते वक्त उसके पसंदीदा चखना का ऑर्डर हो चुका था और उसके सामने उसका फेवरेट ब्रांड जॉनी वकर था l महांती इसबार जब विक्रम को देखता है तो विक्रम अपने मूँछों पर ताव देता है l
महांती - लगता है तुम... मेरे बारे में... बहुत कुछ जानते हो...
विक्रम - बहुत कुछ नहीं.. सब कुछ....
महांती - सब कुछ या तो दोस्त जानते हैं.... या फिर दुश्मन....
विक्रम - ना मैं दोस्त हूँ... ना दुश्मन.... फ़िलहाल हम एक दुसरे के ज़रूरत हैं...
महांती कुछ नहीं कहता, विक्रम जॉनीवकर खोलता है और ग्लास में एक लार्ज पेग बनाता है l उसमे आधा सोडा और आधा पानी डालता है l
विक्रम - अशोक महांती,... घर आठगड़.... , 2007 के बैच के एन डी ए पास आउट.... मेजर प्रमोशन मिलने के बाद आई बी में सात साल सर्विस दिए.... फिर आर्म्स स्मगलिंग में नाम उछला.... पर कोर्ट मार्शल में साफ बच गए.... नौकरी से वी. आर. एस ले लिया... फिर सुकांत रॉय के साथ मिल कर आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस से एक प्राइवेट संस्था शुरू की..... जिसमें तुम सेक्यूरिटी कंसल्टेंट थे... अब चूँकि धंधा जम चुका था... रॉय को तुम्हारी कोई जरूरत नहीं पड़ी.... इसलिए तुम्हें निकाल दिया और तुम्हारे बकाया पैसे भी नहीं दिया.... उल्टा तुम्हें ऑफिस से धक्के मार कर निकाल दिया.....
इतने में कैबिन का दरवाजा खुलता है l बैरा अंदर आता है और थाली रख कर विक्रम को देखने लगता है l विक्रम उसे और एक पांच सौ देता है तो बैरा खुश हो कर सैल्यूट कर पैसा ले कर बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही,
महांती - ह्म्म्म्म तुम मेरी कुंडली जानते हो.... अब बको.. तुम कौन हो और तुमको मुझसे क्या काम है....
विक्रम - महांती.... अगर सरकार और पालिटिक्स के बारे में कुछ खबर रखते हो.... तो तुम यह जानते ही होगे.... इस स्टेट में राजा साहब किन्हें कहा जाता है....
महांती - हाँ बेशक... स्टेट पालिटिक्स के किंग् मेकर..... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल.....
महांती के चेहरे पर हैरानी छा जाती है l
महांती - आप को मुझसे क्या काम पड़गया....
विक्रम - मुझे... इस सहर में... राज करना है... इसके लिए मुझे.... एक प्राइवेट रजिस्टर्ड आर्मी चाहिए.... और उस आर्मी के तुम कमांडर होगे.....
महांती - मुझे... ब्रीफिंग कर समझायेंगे....
विक्रम - देखो महांती.... हम एक प्राइवेट सिक्युरिटी सर्विस शुरू करेंगे.... तुम उसके पार्टनर, डायरेक्टर और कंसल्टेंट भी रहोगे.... तुमको पूरी आजादी होगी लोगों को चुनने की.... उन्हें ट्रेन्ड करने की.... हमारे सर्विस गार्ड्स किसी भी आर्मी कमांडोज से कम नहीं होंगे.... हमारी अपनी इंटेलिजंस विंग होगी.... हमारे गार्ड्स इतने क़ाबिल होंगे कि... लोग अपनी पर्सनल सेक्यूरिटी तक सरकार के वजाए हमसे मांगेंगे.... एक दिन पुरे ओड़िशा में... हर संस्थान में... हमारे ही सेक्यूरिटी सर्विस के लोग होंगे.... यहां तक सीसी टीवी सर्विलांस के लिए भी... ऑर्गनाइजेशन हमसे सर्विस मांगेंगे....
महांती - कल को आप कहीं रॉय की तरह रंग बदला तो....
विक्रम - रॉय छोटी सोच का है... और मेरा लक्ष... यहाँ के पॉलिटिशियन से लेकर हर ऑर्गनाइजेशन और हर बिजनैस मैन पर मुझे राज करना है... मैं बहुत बड़ी सोच रखने वाला.... युवराज हूँ...
वैसे भी तुमने वह कहावत तो सुनी ही होगी.... दूध का जला... छाछ भी फूंक फूंक कर पिता है....
महांती के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और अपना ग्लास उठाता है पर रुक जाता है
महांती - यह क्या युवराज.... आपका ग्लास कहाँ है.... आपने तो मुझे कंपनी देने के लिए बुलाया था....
विक्रम - आज... तुम्हारा दिन है... महांती... पीलो... आज... हम अभी तक एलीजीबल नहीं हुए हैं.... महांती जिस दिन हमे हमारे राजा साहब... रंग महल को लेके जाएंगे.... उस दिन के बाद हम शराब पीने के लिए एलीजीबल हो जाएंगे.... महांती - ठीक है युवराज जी....
विक्रम - एक बात और महांती... हम क्षेत्रपाल हैं.... हमे अच्छा समझने की भूल मत करना.... महांती - युवराज जी.... मुझे अच्छे लोगों से डर लगता है
.... और मुझे खुशी है कि आप.... अच्छे नहीं है...
विक्रम मुस्कराता है l तभी महांती चिल्ला कर,
महांती - इन द नेम ऑफ... एक मिनिट... हम अपना सिक्योरिटी सर्विस का क्या नाम रखेंगे....
विक्रम - ह्म्म्म्म अभी तक सोचा नहीं है.... अब तुम डायरेक्टर हो... सोचो क्या हो सकता है....
महांती कुछ देर सोचता है और चेहरे पर खुशी छा जाती है l महांती अपना ग्लास उठा कर,
महांती - लेट चीयर्स फॉर एक्जिक्युटीव सिक्योरिटी सर्विस....
विक्रम - चीयर्स... (कहकर ताली मारता है)
महांती - युवराज जी.... अगर बुरा ना मानो तो आज की राज मैं.. इस कैबिन में बिताना चाहता हूँ.... कल आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊँगा...
विक्रम - जरूर... इंजॉय.. द नाइट...
इतना कह कर विक्रम महांती को कैबिन में छोड़ कर बाहर आता है, बाहर उसे वह बैरा खड़ा मिलता है l विक्रम उसे फिरसे दो पांच सौ रुपये देता है और कहता है
विक्रम - मेरा बिल करा दो..... आज रात यह इस कैबिन में रहेगा.... जब होश में आएगा... उसे यह कार्ड दे देना....
बैरा टीप के पैसे लेकर बिल बना कर विक्रम को दे देता है l विक्रम पेमेंट कर बाहर अपनी गाड़ी में आता है l गाड़ी खोल कर ड्राइविंग सीट पर बैठता है और अपने पास सीट के ओर देखता है l अचानक उसे एक मोती की झूमका जैसा मिलता है जिसमें धागों के रेसे दिखते हैं l शायद उस लड़की के लेहंगे से टुट कर गिरा है l विक्रम उस मोती को उठा लेता है और मन ही मन मुस्कराते हुए बुदबुदाता है
मुझे किस्मत पर कभी भरोसा नहीं था... पर तुम आज दो बार मिली... मेरे दोनों काम आज हो गए.... आज ऐसा लग रहा है.... तुम ही मेरी किस्मत हो... और मुझे तुमको हासिल करना ही होगा......
विनय - बे कुत्ते..... चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
विक्रम - (अपनी होंठ पर उंगली रख कर) श्.. श्.. श्... श् (विनय चुप हो जाता है) जुबान उतना ही लंबा कर... जितना हलक में वापस घुसेड़ सके..... बात उतनी बड़ी कर... जिसके साये में अपनी औकात ढक सके...
विनय अपने बैठे हुए जगह से उठ जाता है और एक खतरनाक हंसी हंसते हुए, विक्रम की उंगली दिखाते हुए
विनय - हे...इ.. हे...इ... यु डोंट नो... मि.. हाँ.. तु यहाँ जिनको मेरे साथ देख कर स्टूडेंट्स समझ रहा है ना.... गौर से देख इन्हें.... यह कोई स्टूडेंट्स नहीं हैं.... यह सारे के सारे छटे हुए क्रिमिनलस हैं... भुवनेश्वर में किसी भी पुलिस स्टेशन में देख लेना... इनके चेहरे वांटेड लिस्ट में दिख जाएंगे... और यह लोग हर वक्त तैयार रहते हैं.....
विक्रम बेफिक्री में बैठा अपने दाहिने हाथ के उंगलियों को अपने अंगूठे से मालिश कर रहा था l उसका ऐसे बिना डरे, बिना भाव दिए अपने में व्यस्त रहना विनय को और भी सुलगा दिया l
विनय - तु... होगा कोई क्षेत्रपाल... राजगड़ वाला... यह भुवनेश्वर है... बच्चे... (विनय अपने साथियों से) आज इसकी दी हुई दारू और कबाब के बदले इस हराम जादे की हड्डी पसली ऐसे तोड़ना... के कोई डॉक्टर जोड़ नहीं पाएगा.... हा हा हा...
इतना कह कर विनय अपने हाथ में शराब का एक ग्लास उठाता है और बड़े स्टाइल में विक्रम के सामने बैठ कर घूंट भरता है।
इतने में चार पांच लड़कों में से एक अपना बेल्ट निकालता है जिसमें छोटेछोटे नुकीले कांटे लगे हुए हैं, और एक अपनी कार्गो प्यांट के जेब से साइकिल चेन निकालता है, और एक साइकिल की चेन की फ्री व्हील से बने एक कांटे दार पंच निकालता है, और एक लोहे की रॉड निकालता है और पांचवां चाकू निकालता है l पांचो विक्रम के तरफ बढ़ते हैं l विनय उन्हें रोक देता है और कहता है
विनय - रुको... यार..इसकी दी हुई दारू पी है... बेचारे पर बिल फाड़ा है... मैं उधर घुम कर खड़ा हो जाता हूँ... तुम लोग शुरू हो जाना... ठीक... हाँ...
सब हंसने लगते हैं, और विनय हाथ में ग्लास लिए कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर थोड़ी दूर जाता है l इतने में कुछ टूटने की आवाज़ आती है l विनय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और वह ग्लास खाली कर जब वापस मुड़ता है तो देखता है उसके पांचो साथी खुन से लथपथ नीचे गिर कर कराह रहे हैं l विक्रम वैसे ही अपने अंदाज में कुर्सी पर बैठा हुआ है पर इस बार उसके दाहिने हाथ में एक टूटी हुई खून से सनी बोतल का मुहँ है l
विनय की आँखें और मुहँ हैरानी से खुल जाती है l वह अपने दुसरे साथियों को देखता है, उनकी भी विनय के जैसा हाल है l सब ऐसे हैरान हो कर विक्रम को देख रहे हैं के जैसे मानो कोई भूत देख रहे हों l
विनय, विक्रम के हाथ में टुटे हुए बोतल को देख कर अपने सर पर खुद चपत लगाता है और अनुमान लगाने की कोशिश करता है l
***जैसे ही विनय मुड़ा, वह पांच आदमी विक्रम के पास पहुंचे, विक्रम तेजी से सामने रखे बोतल को उठा कर पहले के सिर पर दे मारा, बोतल की मार से उसका सर फट गया और नीचे गिर गया, बोतल के सर पर लगने से बोतल टुट भी गया l विक्रम फिर झुक कर टुटे हुए बोतल को दुसरे के जांघ पर घोंप दिया, फ़िर तीसरे के दाहिने बांह में बोतल घोंप दिया, इतने में चौथा अपना चाकू वाला हाथ चलाया विक्रम झुक कर तेजी से उसके पीछे पहुंचा और बोतल को उसके पिछवाड़े घोंप दिया और पांचवां कुछ समझ पाता विक्रम उसके कंधे पर बोतल घोंप कर निकाल देता है और फ़िर अपनी जगह आकर बैठ जाता है l***
हाँ ऐसा ही हुआ है... विनय अपने मन में सोचता है और चिल्ला कर
विनय - आ... ह... मार डालो इस हरामी को... पैसों की चिंता मत करो... इसकी लाश के वजन बराबर पैसों से तोल दूंगा मैं तुम सबको....
सब अपने हाथों में अपना अपना हथियार निकाल कर विक्रम पर टूट पड़ते हैं l अंजाम वही सब के सब कुछ ही देर में फर्श पर गिर कर छटपटा रहे हैं l
यह सब देख कर विनय के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगते हैं l वह ग्लास को विक्रम पर फेंक मारता है और पीछे मुड़ कर दरवाजे की और भागने लगता है l विक्रम भी उसकी फेंकी हुई ग्लास से झुक कर खुदको बचाता है और तेजी से बोतल उठा कर विनय के सर की ओर फेंक मारता है l बोतल सटीक अपने निशाने पर लगता है l विनय गिर जाता है और बेहोश हो जाता है l
विनय जब अपनी आँखे खोलता है तो छत के झूमर नजर आते हैं l उसे अपने चेहरे पर कुछ गिला गिला सा महसूस होता है l अचानक उसके मुहँ से कराह निकालता है l उसे उसके सर के पीछे दर्द महसूस होता है तो अपना हाथ लगा कर देखता है तो उसके हाथ में खुन देख कर झट से उठ बैठता है, तो खुद को फर्श पर पड़े नर्म दरी पर पाता है l अपने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखता है l उसके सारे साथी जिनको ले कर आज जम कर पार्टी कर विक्रम के नाम पर बिल फाड़ने के आया था, सब के सब फर्श गिर कर दर्द से कराह रहे हैं l सारे कमरे की हालत खराब है l कुछ चेयर और कुछ टेबल टुटे हुए हैं, और तो और एक बड़ा सा कांच का दीवार था वह भी टुट कर बिखरा हुआ है l विनय दुसरी तरफ नजर घुमाता है तो देखता है विक्रम डायनिंग टेबल पर खाना खा रहा है l विनय को होश में आया देख कर विक्रम मुस्कराता है,
विक्रम - बड़ी जल्दी होश में आ गए... अकल भी ठिकाने आ गई होगी...
विनय को अब सब याद आता है l उस कमरे में क्या क्या हुआ है और अपने साथियों को देखता है l सभी दर्द के मारे छटपटा रहे हैं l विनय दरवाजे की ओर भागता है l पर दरवाजा बंद मिलता है सेवन लॉक सिस्टम से बंद है दरवाजा l अंदर से विनय चिल्लाता है और दरवाजे पर ठोकर मारता है l विक्रम - ऐ कुत्ते... चु... चु... चु.... इधर आ....
विनय अपना फोन निकालने की कोशिश करता है पर उसे अपना फोन नहीं मिलता l
विक्रम - कहीं इसे तो नहीं ढूंढ रहा है....
विक्रम के हाथ में विनय अपना फोन देखता है l विक्रम डायनिंग टेबल से उठता है और और एक सोफ़े पर आ कर बैठ जाता है l विक्रम, विनय के फोन को टी पोए पर रख देता है और अपने उंगली से इशारे से विनय को पास बुलाता है l विनय डरते हुए विक्रम के पास आता है l
विक्रम - समझाया था... पर... वो एक कहावत है... कुत्तों को घि... और सुवरों को छेनापोडो हज़म नहीं होते.... और तुझे सही बात...
विनय बदहवास विक्रम को देख रहा है l
विक्रम - मैं तेरे... और तेरे चमचों के बारे में... पहले से ही अच्छी तरह से जानता हूँ....
अब तुझे तेरी औकात बताने का वक्त आ गया है..... यह रहा तेरा फोन.... लगा अपने बाप को...
विनय झट से अपना फोन उठा कर अपने बाप को लगाता है l
विक्रम - स्पीकर पर डाल...
विनय फोन का स्पीकर ऑन करता है l फोन पर रिंग जा रही है l उधर से
- हैलो बेटे... और कैसी रही तेरी पार्टी....
विनय - (रोते हुए) पापा यह कमीना... मुझे बहुत मारा... मेरे लोगों को भी बहुत मारा... मुझे यहाँ से ले जाओ पापा... प्लीज...
- अबे कौन है वह... जिसने अपने मौत को छेड़ा है...
विनय - वह... हमारी बात सुन रहा है पापा... फोन स्पीकर पर है...
- बे कौन है बे तु... मेरे बेटे को हाथ लगाने की जुर्रत भी कैसे की... हराम के पिल्लै.... मैं तेरी बोटी बोटी कर सहर के हर कुत्तों को खिलाउंगा... कुत्ते...
अपने बाप की रौबदार धमकी सुनकर विनय बहुत खुश हो जाता है l उसके चेहरे पर हंसी आ जाती है l
विक्रम - मिस्टर. कमल कांत महानायक... हम युवराज बोल रहे हैं....
कमल - कौन युवराज....
विक्रम - इस राज्य में एक ही शेर को राजा साहब कहा जाता है....
कमल - क... क.. कौन... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हाँ... हम उनके युवराज.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल बोल रहे हैं....
कमल - य.. यु.. युवराज जी आप... मेरे बेटे को माफ कर दीजिए.... मैं उसके तरफ से माफी मांगता हूं आपसे....
विक्रम - अभी तो मेरी बोटीयों को कुत्तों में बांटने की बात कर रहे थे....
कमल - जी... जी.. व.. वह... चमड़ी की जुबान थी... फ़िसल गई...
विक्रम - ठीक है.... फोन रख... तेरे बेटे को... दुनियादारी समझा कर छोड़ दूँगा....
कमल - जी.. शुक्रिया... युवराज जी... शुक्रिया...
विक्रम - फोन रख....
उधर से फोन कट जाता है l विक्रम मुस्कराते हुए विनय को देखता है l विनय का चेहरा बुरी तरह उतर गया है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा है l उसे इस हालत में देख कर विक्रम अपना पैर टी पोए पर रखता है l
विक्रम - आज तुम्हारे वजह से.... मेरे जुते खराब हो गए हैं... देखो खुन से सन गए हैं... ऐसे गंदे जुते पहन कर मैं कैसे इस कमरे से बाहर निकालूँगा....
इतना सुनते ही विनय फौरन झुक जाता है और अपने आस्तीन से विक्रम के जुते साफ़ करने लगता है l जुते साफ होते ही,
विक्रम - कुत्ता हमेशा कुत्ता ही रहता है... चाहे नाम में महानायक ही क्यूँ ना हो... और शेर हमेशा शेर ही रहता है... चाहे नाम में सिंह हो या ना हो....
विनय - जी... जी.. युवराज.....
विक्रम - शाबाश... अब आ गए ना लाइन पर... चलो इस बात पर मैं तुझे तेरे जान की टीप देता हूँ....
इतना कह कर विक्रम उठता है और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है,
मैनेजर - जी कहिए... क्षेत्रपाल सर...
विक्रम - मैनेजर... एम्बुलेंस बुलाओ.... और 702 कमरे से सभी लोगों को फायर एक्जिट के रास्ते हस्पताल पहुंचाओ.... और जो भी बिल हो वह... (अपना कार्ड देते हुए) इस नाम पर बना देना....
मैनेजर का मुहँ डर व हैरानी से खुला रह जाता है l विक्रम उसे उसी हालत में छोड़ कर बाहर निकल कर गार्ड को इशारा करता है l गार्ड गरम जोशी के साथ सैल्यूट मारता है और विक्रम के गाड़ी को लेने पार्किंग के अंदर भाग कर जाता है l थोड़ी देर बाद गार्ड गाड़ी लेकर विक्रम के पास रुकता है और फिर से सैल्यूट कर गाड़ी की चाबी देता है l विक्रम गाड़ी लेकर होटल के गेट तक पहुंचा ही था कि एक लड़की उसकी गाड़ी के आगे दोनों हाथ फैलाए खड़ी हो कर गाड़ी को रोक देती है, जैसे ही विक्रम की गाड़ी रुकती है वह लड़की तुरंत ड्राइविंग साइड पर आकर झुक कर विंडों ग्लास नीचे करने को कहती है l विक्रम ग्लास उतार कर देखता है यह वही लड़की है जो उससे होटल की लॉबी में टकरायी थी l
लड़की - एक्शक्युज मी... क्या आप मुझे वह आगे की जंक्शन पर ड्रॉप कर देंगे....
विक्रम अपना सर हिला कर अपना सहमती देता है l लड़की आकर दूसरे तरफ बैठ जाती है l विक्रम को गाड़ी के अंदर एक जबरदस्त खुशबु महसूस होती है l
लड़की - चलिए.... चलिए... जल्दी... चलिए...
विक्रम गाड़ी स्टार्ट करता है l गाड़ी होटल से बाहर निकल कर सड़क पर दौड़ने लगती है l विक्रम देखता है कि लड़की अपने आप से कुछ बड़बड़ा रही है l उसे यूँ बड़बड़ाते हुए देख विक्रम हंस देता है l विक्रम को हंसता देख लड़की पूछती है,
लड़की - आप क्यूँ बे वजह हंस रहे हैं...
विक्रम - पहली बार देख रहा हूँ... किसीको खुद से बात करते हुए....
लड़की चुप हो जाती है l उसके चुप होते ही विक्रम को बुरा लगता है l
विक्रम - सॉरी... शायद आपको मेरी बात बुरी लगी....
लड़की - नहीं.. ऐसी बात नहीं...
विक्रम - आप... किसी बात से रूठी हुई लग रही हैं..
लड़की - हाँ (उखड़ कर ज़वाब देती है)
विक्रम कुछ नहीं कहता, उसकी उखड़ी हुई जवाब सुन कर l
विक्रम - अगैन.. सॉरी...
लड़की - क्यूँ...
विक्रम - वह शायद आपको मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा....
लड़की - नहीं ऐसी बात नहीं है.... मैं अपने मॉमा और पापा से उखड़ी हुई हूँ... और सॉरी आपसे लिफ्ट ली है... और आप पर उनका गुस्सा उतार दिया...
विक्रम - कोई नहीं... पर आप अपने माँ बाप से क्यूँ गुस्सा हैं...
लड़की - मुझे उनकी पिछड़ी मानसिकता से प्रॉब्लम है.... लड़की अट्ठारह साल की हुई नहीं की उसकी शादी करा दो... जैसे वह बेटी नहीं कोई बोझ है...
विक्रम - कोई माँ बाप ऐसे हो नहीं सकते... आप को शायद कोई गलत फहमी हो गया हो....
लड़की - आप जानते हैं... हम इस होटल में क्यूँ आए हैं... आज मेरा जनम दिन है...
विक्रम - ओ अच्छा... मैनी मैनी हैप्पी रिटर्नस ऑफ दी डे.... माय बेस्ट विश फॉर अ ब्यूटीफुल गर्ल...
लड़की - थैंक्यू... पर आपने मुझे बीच में टोका क्यूँ...
विक्रम - अरे... क्या बात कर रही हैं.... आज आपका जनम दिन है... और मैंने आपको विश भी नहीं करूँ...
लड़की - ठीक है... पर फिलहाल आप चुप रहिए....
विक्रम चुप हो जाता है l
लड़की - हाँ तो.. आज मेरा बर्थ डे... इस होटल में सेलिब्रिट करने के बहाने... मेरे पेरेंट्स आज मेरी मंगनी कराने के लिए प्लान किए थे... इसलिए उन्हें वहीँ छोड़ कर भाग आई... और सीधे अपनी सहेली के घर जा रही हूँ...
विक्रम - ओ... तो यह बात है... वैसे एक ना एक दिन आपको शादी तो करनी पड़ेगी ना...
लड़की - हाँ शायद.. पर शादी से पहले... मुझे जिंदगी में कुछ एचीव करना है... आई वांट टू डु सम थिंग इन माय लाइफ... लड़की होने का मतलब यह तो नहीं कि बालिग होते ही शादी करले और बच्चे पैदा करे... रुकिए.. रुकिए... यहीं गाड़ी रोक दीजिए...
विक्रम गाड़ी रोक देता है l लड़की तुरंत उतर जाती है l
लड़की - थैंक्यू... (कह कर मुड़ने को हुई)
विक्रम - सुनिए....
लड़की - जी कहिए...
विक्रम - आपने अपना नाम बताया नहीं...
लड़की - आपने मुझे लिफ्ट दी... उसके लिए शुक्रिया.... और अगर संयोग से हम फिर कभी मिले तब सोचेंगे.... तब तक के लिए हमे अजनबी ही रहने दीजिए...
इतना कह कर लड़की पलट कर चली जाती है l विक्रम उसे अपनी आँखों से ओझल होते देखता है l फिर विक्रम एक गहरी सांस लेता है l उसके नथुनों में उस लड़की के फ्रैगनेंस की खुशबु खिल जाती है l विक्रम के होठों पर एक मुस्कराहट खिल उठता है l विक्रम उसके खयालों में खोया हुआ था के उसका फोन बजने लगता है l विक्रम फोन उठाता है और कुछ सुनने के बाद वह गाड़ी स्टार्ट कर दौड़ता है l कुछ देर बाद *** पुलिस स्टेशन में पहुंचता है l
पुलिस स्टेशन के अंदर सीधे इंस्पेक्टर के पास पहुँचता है l
विक्रम - हैलो.. इंस्पेक्टर...
इंस्पेक्टर अपना सर उठा कर देखता है l
इंस्पेक्टर - जी... कौन हैं आप... और यहाँ आने की वजह....
विक्रम - अभी कुछ देर पहले... आपके पुलिस वालों ने... एक आदमी को गिरफ्तार किया है... जिसका नाम अशोक महांती है....
इंस्पेक्टर - ओ... तो... तुम... उस शराबी की ज़मानत देने आए हो....
विक्रम - क्या मैं जान सकता हूँ... वह गिरफ्तार हो जाए... ऐसा क्या गुनाह किया है....
इंस्पेक्टर - वह... शराब के नशे में धुत... आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस के ऑफिस में दंगा कर रहा था....
विक्रम - क्या मैं... उनका एफ आई आर की कॉपी देख सकता हूँ....
इंस्पेक्टर - क्यूँ... आप क्या उसके वकील हो... वैसे आपको मालूम कैसे हुआ... वह गिरफ्तार हुआ है....
विक्रम - वह क्या है कि... इंस्पेक्टर... मैं उसका बहुत जबरा फैन हूँ... इसलिए उसके गिरफ्तार होते ही... मुझे खबर लग गई...
इंस्पेक्टर - ऑए... होश में तो है ना... या उसके तरह... तु भी पी कर यहाँ दंगा करने आया है क्या.... चल जा यहाँ से... यह सुबह तक यहाँ बंद रहेगा.... सुबह आ कर ले जाना...
विक्रम - मुझे... अभी... इसी वक्त... इसे लेकर जाना है.... और आप ज्यादा देर तक मेरा वक्त खोटी ना करें... और उसे छोड़ दें...
इंस्पेक्टर - अच्छा... तु तो ऐसे हुकुम दे रहा है ... जैसे तु कोई तोप है.....
विक्रम - हम युवराज हैं...
इंस्पेक्टर - कौन युवराज.... लुक... मिस्टर.. हू द हेल् यू आर.... आई डोंट केयर... कल आ कर अपने सुपर स्टार को ले जाना....
विक्रम अपना मोबाइल निकाल कर कहीं फोन लगाता है l और थाना, थाने का इंचार्ज और अशोक महांती के बारे में बात करता है l यह सब देख कर इंस्पेक्टर को गुस्सा आता है l
इंस्पेक्टर - ऐ... हवलदार... निकालो इसको यहाँ से...
तभी एक हवलदार आता है और विक्रम को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है l विक्रम उसे इशारे से रुकने को कहता है l हवलदार रुक जाता है, फ़िर विक्रम उसे टेबल पर रखे फोन के तरफ इशारा करता है l हवलदार और इंस्पेक्टर दोनों ही फोन के तरफ देखते हैं l फोन बजने लगता है l
इंस्पेक्टर - (फोन उठा कर) हैलो... (अपनी जगह से उठ कर, सैल्यूट मारते हुए) सर... यस सर.... जी सर... ओके सर... यस सर.... कहकर फोन रख देता है और हवलदार को बाहर जाने के लिए हाथ से इशारा करता है l हवलदार के जाते ही, विक्रम धीरे धीरे चल कर इंस्पेक्टर के सीट पर बैठ जाता है, उसका यह रूप देखकर इंस्पेक्टर अपने हलक से थूक निगलता है और,अपना हाथ जोड़ते हुए
इंस्पेक्टर - आप कौन साहब हैं... सर...
विक्रम - इस पुरे राज्य में... एक ही आदमी राजा साहब के नाम से जाने जाते हैं....
इंस्पेक्टर - जी... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं... और इस नाम की आदत डाल लो... इंस्पेक्टर.... क्यूंकि कुछ ही अर्से में यह नाम गूंजने वाली है... जाओ उस अशोक महांती को मेरे हवाले करो....
इंस्पेक्टर - जी... जी युवराज जी...
इंस्पेक्टर खुद चाबी लेकर कमरे से बाहर जाता है और कुछ देर बाद अशोक महांती को लेकर आता है l विक्रम इंस्पेक्टर के सीट से उठ कर अशोक महांती के पास जा कर उसे गौर से देखता है l महांती के चेहरे पर थोड़ी मार पीट की निशानी दिखती है l विक्रम इंस्पेक्टर के तरफ मुड़ता है
विक्रम - क्या मैं इनका ज़मानत कर सकता हूँ...
इंस्पेक्टर - ज़मानत की कोई जरूरत नहीं है.... युवराज जी.... इन पर अभी तक एफ आइ आर नहीं हुआ है.... नशे में थे... सिर्फ सुबह तक हवालात में रख कर छोड़ने के लिए कहा गया था......
विक्रम - ठीक है... इंस्पेक्टर... गुड नाइट...
इंस्पेक्टर - जी... गुड नाइट...
विक्रम और महांती दोनों बाहर आते हैं l बाहर आते ही महांती विक्रम से,
महांती - हे...तुम जो भी हो... थैंक्स... तुम्हारा... उपकार रहा मुझ पर... मौका मिला तो चुका दूँगा....
विक्रम - अभी मौका ले लो....
महांती उसे मुड़ कर देखता है,
विक्रम - यहाँ... थोड़ी दूर... एक बार एंड रेस्टोरेंट है... हाईवे 24/7.... मुझे थोड़ी देर के लिए कंपनी दे दो... तुम्हारा उपकार चुकता हो जाएगा....
महांती उसे घूरते हुए देखता है और अपना सर हिला कर हामी भरता है l विक्रम अपनी गाड़ी में बैठता है और उसके बगल में महांती बैठता है l दोनों हाईवे 24/7 को आते हैं l विक्रम काउन्टर के पास जा कर एक कैबिन बुक करता है, और एक बैरा को पांच सौ का टीप देते हुए ड्रिंक के लिए ऑर्डर करता है l उसके बाद विक्रम, महांती को लेकर एक कैबिन के अंदर आता है l कैबिन के अंदर बैठते ही,
विक्रम - हाँ तो महांती.... क्या लेना पसंद करोगे....
महांती - मुहँ पर तुम्हारे नए नए मूँछ उग रहे हैं... उन्हें भाव देने की आदत डालो.... उनपर ताव देने की उम्र नहीं है तुम्हारी.... मुझे या मेरी पसंद ऑफर्ड कर सको... यह औकात नहीं है... तुम्हारी....
उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्करा देता है l इतने में बैरा एक ट्रे में एक कपड़े से ढका बोतल, एक सोडा बोतल, एक पानी का बोतल और एक खाली ग्लास रख देता है l
बैरा - सर चखने में क्या लेंगे....
विक्रम - सलाद, तंदूर मुर्गा और चिकन 65..
महांती हैरानी से विक्रम को देखता है l बैरा के जाते ही विक्रम बोतल से कवर हटाता है l बोतल को देखते ही महांती की आंखे चौड़ी हो जाती है l वह हैरानी से विक्रम को देखने लगता है l क्यूंकि शराब पीते वक्त उसके पसंदीदा चखना का ऑर्डर हो चुका था और उसके सामने उसका फेवरेट ब्रांड जॉनी वकर था l महांती इसबार जब विक्रम को देखता है तो विक्रम अपने मूँछों पर ताव देता है l
महांती - लगता है तुम... मेरे बारे में... बहुत कुछ जानते हो...
विक्रम - बहुत कुछ नहीं.. सब कुछ....
महांती - सब कुछ या तो दोस्त जानते हैं.... या फिर दुश्मन....
विक्रम - ना मैं दोस्त हूँ... ना दुश्मन.... फ़िलहाल हम एक दुसरे के ज़रूरत हैं...
महांती कुछ नहीं कहता, विक्रम जॉनीवकर खोलता है और ग्लास में एक लार्ज पेग बनाता है l उसमे आधा सोडा और आधा पानी डालता है l
विक्रम - अशोक महांती,... घर आठगड़.... , 2007 के बैच के एन डी ए पास आउट.... मेजर प्रमोशन मिलने के बाद आई बी में सात साल सर्विस दिए.... फिर आर्म्स स्मगलिंग में नाम उछला.... पर कोर्ट मार्शल में साफ बच गए.... नौकरी से वी. आर. एस ले लिया... फिर सुकांत रॉय के साथ मिल कर आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस से एक प्राइवेट संस्था शुरू की..... जिसमें तुम सेक्यूरिटी कंसल्टेंट थे... अब चूँकि धंधा जम चुका था... रॉय को तुम्हारी कोई जरूरत नहीं पड़ी.... इसलिए तुम्हें निकाल दिया और तुम्हारे बकाया पैसे भी नहीं दिया.... उल्टा तुम्हें ऑफिस से धक्के मार कर निकाल दिया.....
इतने में कैबिन का दरवाजा खुलता है l बैरा अंदर आता है और थाली रख कर विक्रम को देखने लगता है l विक्रम उसे और एक पांच सौ देता है तो बैरा खुश हो कर सैल्यूट कर पैसा ले कर बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही,
महांती - ह्म्म्म्म तुम मेरी कुंडली जानते हो.... अब बको.. तुम कौन हो और तुमको मुझसे क्या काम है....
विक्रम - महांती.... अगर सरकार और पालिटिक्स के बारे में कुछ खबर रखते हो.... तो तुम यह जानते ही होगे.... इस स्टेट में राजा साहब किन्हें कहा जाता है....
महांती - हाँ बेशक... स्टेट पालिटिक्स के किंग् मेकर..... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल.....
महांती के चेहरे पर हैरानी छा जाती है l
महांती - आप को मुझसे क्या काम पड़गया....
विक्रम - मुझे... इस सहर में... राज करना है... इसके लिए मुझे.... एक प्राइवेट रजिस्टर्ड आर्मी चाहिए.... और उस आर्मी के तुम कमांडर होगे.....
महांती - मुझे... ब्रीफिंग कर समझायेंगे....
विक्रम - देखो महांती.... हम एक प्राइवेट सिक्युरिटी सर्विस शुरू करेंगे.... तुम उसके पार्टनर, डायरेक्टर और कंसल्टेंट भी रहोगे.... तुमको पूरी आजादी होगी लोगों को चुनने की.... उन्हें ट्रेन्ड करने की.... हमारे सर्विस गार्ड्स किसी भी आर्मी कमांडोज से कम नहीं होंगे.... हमारी अपनी इंटेलिजंस विंग होगी.... हमारे गार्ड्स इतने क़ाबिल होंगे कि... लोग अपनी पर्सनल सेक्यूरिटी तक सरकार के वजाए हमसे मांगेंगे.... एक दिन पुरे ओड़िशा में... हर संस्थान में... हमारे ही सेक्यूरिटी सर्विस के लोग होंगे.... यहां तक सीसी टीवी सर्विलांस के लिए भी... ऑर्गनाइजेशन हमसे सर्विस मांगेंगे....
महांती - कल को आप कहीं रॉय की तरह रंग बदला तो....
विक्रम - रॉय छोटी सोच का है... और मेरा लक्ष... यहाँ के पॉलिटिशियन से लेकर हर ऑर्गनाइजेशन और हर बिजनैस मैन पर मुझे राज करना है... मैं बहुत बड़ी सोच रखने वाला.... युवराज हूँ...
वैसे भी तुमने वह कहावत तो सुनी ही होगी.... दूध का जला... छाछ भी फूंक फूंक कर पिता है....
महांती के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और अपना ग्लास उठाता है पर रुक जाता है
महांती - यह क्या युवराज.... आपका ग्लास कहाँ है.... आपने तो मुझे कंपनी देने के लिए बुलाया था....
विक्रम - आज... तुम्हारा दिन है... महांती... पीलो... आज... हम अभी तक एलीजीबल नहीं हुए हैं.... महांती जिस दिन हमे हमारे राजा साहब... रंग महल को लेके जाएंगे.... उस दिन के बाद हम शराब पीने के लिए एलीजीबल हो जाएंगे.... महांती - ठीक है युवराज जी....
विक्रम - एक बात और महांती... हम क्षेत्रपाल हैं.... हमे अच्छा समझने की भूल मत करना.... महांती - युवराज जी.... मुझे अच्छे लोगों से डर लगता है
.... और मुझे खुशी है कि आप.... अच्छे नहीं है...
विक्रम मुस्कराता है l तभी महांती चिल्ला कर,
महांती - इन द नेम ऑफ... एक मिनिट... हम अपना सिक्योरिटी सर्विस का क्या नाम रखेंगे....
विक्रम - ह्म्म्म्म अभी तक सोचा नहीं है.... अब तुम डायरेक्टर हो... सोचो क्या हो सकता है....
महांती कुछ देर सोचता है और चेहरे पर खुशी छा जाती है l महांती अपना ग्लास उठा कर,
महांती - लेट चीयर्स फॉर एक्जिक्युटीव सिक्योरिटी सर्विस....
विक्रम - चीयर्स... (कहकर ताली मारता है)
महांती - युवराज जी.... अगर बुरा ना मानो तो आज की राज मैं.. इस कैबिन में बिताना चाहता हूँ.... कल आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊँगा...
विक्रम - जरूर... इंजॉय.. द नाइट...
इतना कह कर विक्रम महांती को कैबिन में छोड़ कर बाहर आता है, बाहर उसे वह बैरा खड़ा मिलता है l विक्रम उसे फिरसे दो पांच सौ रुपये देता है और कहता है
विक्रम - मेरा बिल करा दो..... आज रात यह इस कैबिन में रहेगा.... जब होश में आएगा... उसे यह कार्ड दे देना....
बैरा टीप के पैसे लेकर बिल बना कर विक्रम को दे देता है l विक्रम पेमेंट कर बाहर अपनी गाड़ी में आता है l गाड़ी खोल कर ड्राइविंग सीट पर बैठता है और अपने पास सीट के ओर देखता है l अचानक उसे एक मोती की झूमका जैसा मिलता है जिसमें धागों के रेसे दिखते हैं l शायद उस लड़की के लेहंगे से टुट कर गिरा है l विक्रम उस मोती को उठा लेता है और मन ही मन मुस्कराते हुए बुदबुदाता है
मुझे किस्मत पर कभी भरोसा नहीं था... पर तुम आज दो बार मिली... मेरे दोनों काम आज हो गए.... आज ऐसा लग रहा है.... तुम ही मेरी किस्मत हो... और मुझे तुमको हासिल करना ही होगा......
विनय - बे कुत्ते..... चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
विक्रम - (अपनी होंठ पर उंगली रख कर) श्.. श्.. श्... श् (विनय चुप हो जाता है) जुबान उतना ही लंबा कर... जितना हलक में वापस घुसेड़ सके..... बात उतनी बड़ी कर... जिसके साये में अपनी औकात ढक सके...
विनय अपने बैठे हुए जगह से उठ जाता है और एक खतरनाक हंसी हंसते हुए, विक्रम की उंगली दिखाते हुए
विनय - हे...इ.. हे...इ... यु डोंट नो... मि.. हाँ.. तु यहाँ जिनको मेरे साथ देख कर स्टूडेंट्स समझ रहा है ना.... गौर से देख इन्हें.... यह कोई स्टूडेंट्स नहीं हैं.... यह सारे के सारे छटे हुए क्रिमिनलस हैं... भुवनेश्वर में किसी भी पुलिस स्टेशन में देख लेना... इनके चेहरे वांटेड लिस्ट में दिख जाएंगे... और यह लोग हर वक्त तैयार रहते हैं.....
विक्रम बेफिक्री में बैठा अपने दाहिने हाथ के उंगलियों को अपने अंगूठे से मालिश कर रहा था l उसका ऐसे बिना डरे, बिना भाव दिए अपने में व्यस्त रहना विनय को और भी सुलगा दिया l
विनय - तु... होगा कोई क्षेत्रपाल... राजगड़ वाला... यह भुवनेश्वर है... बच्चे... (विनय अपने साथियों से) आज इसकी दी हुई दारू और कबाब के बदले इस हराम जादे की हड्डी पसली ऐसे तोड़ना... के कोई डॉक्टर जोड़ नहीं पाएगा.... हा हा हा...
इतना कह कर विनय अपने हाथ में शराब का एक ग्लास उठाता है और बड़े स्टाइल में विक्रम के सामने बैठ कर घूंट भरता है।
इतने में चार पांच लड़कों में से एक अपना बेल्ट निकालता है जिसमें छोटेछोटे नुकीले कांटे लगे हुए हैं, और एक अपनी कार्गो प्यांट के जेब से साइकिल चेन निकालता है, और एक साइकिल की चेन की फ्री व्हील से बने एक कांटे दार पंच निकालता है, और एक लोहे की रॉड निकालता है और पांचवां चाकू निकालता है l पांचो विक्रम के तरफ बढ़ते हैं l विनय उन्हें रोक देता है और कहता है
विनय - रुको... यार..इसकी दी हुई दारू पी है... बेचारे पर बिल फाड़ा है... मैं उधर घुम कर खड़ा हो जाता हूँ... तुम लोग शुरू हो जाना... ठीक... हाँ...
सब हंसने लगते हैं, और विनय हाथ में ग्लास लिए कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर थोड़ी दूर जाता है l इतने में कुछ टूटने की आवाज़ आती है l विनय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और वह ग्लास खाली कर जब वापस मुड़ता है तो देखता है उसके पांचो साथी खुन से लथपथ नीचे गिर कर कराह रहे हैं l विक्रम वैसे ही अपने अंदाज में कुर्सी पर बैठा हुआ है पर इस बार उसके दाहिने हाथ में एक टूटी हुई खून से सनी बोतल का मुहँ है l
विनय की आँखें और मुहँ हैरानी से खुल जाती है l वह अपने दुसरे साथियों को देखता है, उनकी भी विनय के जैसा हाल है l सब ऐसे हैरान हो कर विक्रम को देख रहे हैं के जैसे मानो कोई भूत देख रहे हों l
विनय, विक्रम के हाथ में टुटे हुए बोतल को देख कर अपने सर पर खुद चपत लगाता है और अनुमान लगाने की कोशिश करता है l
***जैसे ही विनय मुड़ा, वह पांच आदमी विक्रम के पास पहुंचे, विक्रम तेजी से सामने रखे बोतल को उठा कर पहले के सिर पर दे मारा, बोतल की मार से उसका सर फट गया और नीचे गिर गया, बोतल के सर पर लगने से बोतल टुट भी गया l विक्रम फिर झुक कर टुटे हुए बोतल को दुसरे के जांघ पर घोंप दिया, फ़िर तीसरे के दाहिने बांह में बोतल घोंप दिया, इतने में चौथा अपना चाकू वाला हाथ चलाया विक्रम झुक कर तेजी से उसके पीछे पहुंचा और बोतल को उसके पिछवाड़े घोंप दिया और पांचवां कुछ समझ पाता विक्रम उसके कंधे पर बोतल घोंप कर निकाल देता है और फ़िर अपनी जगह आकर बैठ जाता है l***
हाँ ऐसा ही हुआ है... विनय अपने मन में सोचता है और चिल्ला कर
विनय - आ... ह... मार डालो इस हरामी को... पैसों की चिंता मत करो... इसकी लाश के वजन बराबर पैसों से तोल दूंगा मैं तुम सबको....
सब अपने हाथों में अपना अपना हथियार निकाल कर विक्रम पर टूट पड़ते हैं l अंजाम वही सब के सब कुछ ही देर में फर्श पर गिर कर छटपटा रहे हैं l
यह सब देख कर विनय के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगते हैं l वह ग्लास को विक्रम पर फेंक मारता है और पीछे मुड़ कर दरवाजे की और भागने लगता है l विक्रम भी उसकी फेंकी हुई ग्लास से झुक कर खुदको बचाता है और तेजी से बोतल उठा कर विनय के सर की ओर फेंक मारता है l बोतल सटीक अपने निशाने पर लगता है l विनय गिर जाता है और बेहोश हो जाता है l
विनय जब अपनी आँखे खोलता है तो छत के झूमर नजर आते हैं l उसे अपने चेहरे पर कुछ गिला गिला सा महसूस होता है l अचानक उसके मुहँ से कराह निकालता है l उसे उसके सर के पीछे दर्द महसूस होता है तो अपना हाथ लगा कर देखता है तो उसके हाथ में खुन देख कर झट से उठ बैठता है, तो खुद को फर्श पर पड़े नर्म दरी पर पाता है l अपने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखता है l उसके सारे साथी जिनको ले कर आज जम कर पार्टी कर विक्रम के नाम पर बिल फाड़ने के आया था, सब के सब फर्श गिर कर दर्द से कराह रहे हैं l सारे कमरे की हालत खराब है l कुछ चेयर और कुछ टेबल टुटे हुए हैं, और तो और एक बड़ा सा कांच का दीवार था वह भी टुट कर बिखरा हुआ है l विनय दुसरी तरफ नजर घुमाता है तो देखता है विक्रम डायनिंग टेबल पर खाना खा रहा है l विनय को होश में आया देख कर विक्रम मुस्कराता है,
विक्रम - बड़ी जल्दी होश में आ गए... अकल भी ठिकाने आ गई होगी...
विनय को अब सब याद आता है l उस कमरे में क्या क्या हुआ है और अपने साथियों को देखता है l सभी दर्द के मारे छटपटा रहे हैं l विनय दरवाजे की ओर भागता है l पर दरवाजा बंद मिलता है सेवन लॉक सिस्टम से बंद है दरवाजा l अंदर से विनय चिल्लाता है और दरवाजे पर ठोकर मारता है l विक्रम - ऐ कुत्ते... चु... चु... चु.... इधर आ....
विनय अपना फोन निकालने की कोशिश करता है पर उसे अपना फोन नहीं मिलता l
विक्रम - कहीं इसे तो नहीं ढूंढ रहा है....
विक्रम के हाथ में विनय अपना फोन देखता है l विक्रम डायनिंग टेबल से उठता है और और एक सोफ़े पर आ कर बैठ जाता है l विक्रम, विनय के फोन को टी पोए पर रख देता है और अपने उंगली से इशारे से विनय को पास बुलाता है l विनय डरते हुए विक्रम के पास आता है l
विक्रम - समझाया था... पर... वो एक कहावत है... कुत्तों को घि... और सुवरों को छेनापोडो हज़म नहीं होते.... और तुझे सही बात...
विनय बदहवास विक्रम को देख रहा है l
विक्रम - मैं तेरे... और तेरे चमचों के बारे में... पहले से ही अच्छी तरह से जानता हूँ....
अब तुझे तेरी औकात बताने का वक्त आ गया है..... यह रहा तेरा फोन.... लगा अपने बाप को...
विनय झट से अपना फोन उठा कर अपने बाप को लगाता है l
विक्रम - स्पीकर पर डाल...
विनय फोन का स्पीकर ऑन करता है l फोन पर रिंग जा रही है l उधर से
- हैलो बेटे... और कैसी रही तेरी पार्टी....
विनय - (रोते हुए) पापा यह कमीना... मुझे बहुत मारा... मेरे लोगों को भी बहुत मारा... मुझे यहाँ से ले जाओ पापा... प्लीज...
- अबे कौन है वह... जिसने अपने मौत को छेड़ा है...
विनय - वह... हमारी बात सुन रहा है पापा... फोन स्पीकर पर है...
- बे कौन है बे तु... मेरे बेटे को हाथ लगाने की जुर्रत भी कैसे की... हराम के पिल्लै.... मैं तेरी बोटी बोटी कर सहर के हर कुत्तों को खिलाउंगा... कुत्ते...
अपने बाप की रौबदार धमकी सुनकर विनय बहुत खुश हो जाता है l उसके चेहरे पर हंसी आ जाती है l
विक्रम - मिस्टर. कमल कांत महानायक... हम युवराज बोल रहे हैं....
कमल - कौन युवराज....
विक्रम - इस राज्य में एक ही शेर को राजा साहब कहा जाता है....
कमल - क... क.. कौन... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हाँ... हम उनके युवराज.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल बोल रहे हैं....
कमल - य.. यु.. युवराज जी आप... मेरे बेटे को माफ कर दीजिए.... मैं उसके तरफ से माफी मांगता हूं आपसे....
विक्रम - अभी तो मेरी बोटीयों को कुत्तों में बांटने की बात कर रहे थे....
कमल - जी... जी.. व.. वह... चमड़ी की जुबान थी... फ़िसल गई...
विक्रम - ठीक है.... फोन रख... तेरे बेटे को... दुनियादारी समझा कर छोड़ दूँगा....
कमल - जी.. शुक्रिया... युवराज जी... शुक्रिया...
विक्रम - फोन रख....
उधर से फोन कट जाता है l विक्रम मुस्कराते हुए विनय को देखता है l विनय का चेहरा बुरी तरह उतर गया है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा है l उसे इस हालत में देख कर विक्रम अपना पैर टी पोए पर रखता है l
विक्रम - आज तुम्हारे वजह से.... मेरे जुते खराब हो गए हैं... देखो खुन से सन गए हैं... ऐसे गंदे जुते पहन कर मैं कैसे इस कमरे से बाहर निकालूँगा....
इतना सुनते ही विनय फौरन झुक जाता है और अपने आस्तीन से विक्रम के जुते साफ़ करने लगता है l जुते साफ होते ही,
विक्रम - कुत्ता हमेशा कुत्ता ही रहता है... चाहे नाम में महानायक ही क्यूँ ना हो... और शेर हमेशा शेर ही रहता है... चाहे नाम में सिंह हो या ना हो....
विनय - जी... जी.. युवराज.....
विक्रम - शाबाश... अब आ गए ना लाइन पर... चलो इस बात पर मैं तुझे तेरे जान की टीप देता हूँ....
इतना कह कर विक्रम उठता है और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है,
मैनेजर - जी कहिए... क्षेत्रपाल सर...
विक्रम - मैनेजर... एम्बुलेंस बुलाओ.... और 702 कमरे से सभी लोगों को फायर एक्जिट के रास्ते हस्पताल पहुंचाओ.... और जो भी बिल हो वह... (अपना कार्ड देते हुए) इस नाम पर बना देना....
मैनेजर का मुहँ डर व हैरानी से खुला रह जाता है l विक्रम उसे उसी हालत में छोड़ कर बाहर निकल कर गार्ड को इशारा करता है l गार्ड गरम जोशी के साथ सैल्यूट मारता है और विक्रम के गाड़ी को लेने पार्किंग के अंदर भाग कर जाता है l थोड़ी देर बाद गार्ड गाड़ी लेकर विक्रम के पास रुकता है और फिर से सैल्यूट कर गाड़ी की चाबी देता है l विक्रम गाड़ी लेकर होटल के गेट तक पहुंचा ही था कि एक लड़की उसकी गाड़ी के आगे दोनों हाथ फैलाए खड़ी हो कर गाड़ी को रोक देती है, जैसे ही विक्रम की गाड़ी रुकती है वह लड़की तुरंत ड्राइविंग साइड पर आकर झुक कर विंडों ग्लास नीचे करने को कहती है l विक्रम ग्लास उतार कर देखता है यह वही लड़की है जो उससे होटल की लॉबी में टकरायी थी l
लड़की - एक्शक्युज मी... क्या आप मुझे वह आगे की जंक्शन पर ड्रॉप कर देंगे....
विक्रम अपना सर हिला कर अपना सहमती देता है l लड़की आकर दूसरे तरफ बैठ जाती है l विक्रम को गाड़ी के अंदर एक जबरदस्त खुशबु महसूस होती है l
लड़की - चलिए.... चलिए... जल्दी... चलिए...
विक्रम गाड़ी स्टार्ट करता है l गाड़ी होटल से बाहर निकल कर सड़क पर दौड़ने लगती है l विक्रम देखता है कि लड़की अपने आप से कुछ बड़बड़ा रही है l उसे यूँ बड़बड़ाते हुए देख विक्रम हंस देता है l विक्रम को हंसता देख लड़की पूछती है,
लड़की - आप क्यूँ बे वजह हंस रहे हैं...
विक्रम - पहली बार देख रहा हूँ... किसीको खुद से बात करते हुए....
लड़की चुप हो जाती है l उसके चुप होते ही विक्रम को बुरा लगता है l
विक्रम - सॉरी... शायद आपको मेरी बात बुरी लगी....
लड़की - नहीं.. ऐसी बात नहीं...
विक्रम - आप... किसी बात से रूठी हुई लग रही हैं..
लड़की - हाँ (उखड़ कर ज़वाब देती है)
विक्रम कुछ नहीं कहता, उसकी उखड़ी हुई जवाब सुन कर l
विक्रम - अगैन.. सॉरी...
लड़की - क्यूँ...
विक्रम - वह शायद आपको मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा....
लड़की - नहीं ऐसी बात नहीं है.... मैं अपने मॉमा और पापा से उखड़ी हुई हूँ... और सॉरी आपसे लिफ्ट ली है... और आप पर उनका गुस्सा उतार दिया...
विक्रम - कोई नहीं... पर आप अपने माँ बाप से क्यूँ गुस्सा हैं...
लड़की - मुझे उनकी पिछड़ी मानसिकता से प्रॉब्लम है.... लड़की अट्ठारह साल की हुई नहीं की उसकी शादी करा दो... जैसे वह बेटी नहीं कोई बोझ है...
विक्रम - कोई माँ बाप ऐसे हो नहीं सकते... आप को शायद कोई गलत फहमी हो गया हो....
लड़की - आप जानते हैं... हम इस होटल में क्यूँ आए हैं... आज मेरा जनम दिन है...
विक्रम - ओ अच्छा... मैनी मैनी हैप्पी रिटर्नस ऑफ दी डे.... माय बेस्ट विश फॉर अ ब्यूटीफुल गर्ल...
लड़की - थैंक्यू... पर आपने मुझे बीच में टोका क्यूँ...
विक्रम - अरे... क्या बात कर रही हैं.... आज आपका जनम दिन है... और मैंने आपको विश भी नहीं करूँ...
लड़की - ठीक है... पर फिलहाल आप चुप रहिए....
विक्रम चुप हो जाता है l
लड़की - हाँ तो.. आज मेरा बर्थ डे... इस होटल में सेलिब्रिट करने के बहाने... मेरे पेरेंट्स आज मेरी मंगनी कराने के लिए प्लान किए थे... इसलिए उन्हें वहीँ छोड़ कर भाग आई... और सीधे अपनी सहेली के घर जा रही हूँ...
विक्रम - ओ... तो यह बात है... वैसे एक ना एक दिन आपको शादी तो करनी पड़ेगी ना...
लड़की - हाँ शायद.. पर शादी से पहले... मुझे जिंदगी में कुछ एचीव करना है... आई वांट टू डु सम थिंग इन माय लाइफ... लड़की होने का मतलब यह तो नहीं कि बालिग होते ही शादी करले और बच्चे पैदा करे... रुकिए.. रुकिए... यहीं गाड़ी रोक दीजिए...
विक्रम गाड़ी रोक देता है l लड़की तुरंत उतर जाती है l
लड़की - थैंक्यू... (कह कर मुड़ने को हुई)
विक्रम - सुनिए....
लड़की - जी कहिए...
विक्रम - आपने अपना नाम बताया नहीं...
लड़की - आपने मुझे लिफ्ट दी... उसके लिए शुक्रिया.... और अगर संयोग से हम फिर कभी मिले तब सोचेंगे.... तब तक के लिए हमे अजनबी ही रहने दीजिए...
इतना कह कर लड़की पलट कर चली जाती है l विक्रम उसे अपनी आँखों से ओझल होते देखता है l फिर विक्रम एक गहरी सांस लेता है l उसके नथुनों में उस लड़की के फ्रैगनेंस की खुशबु खिल जाती है l विक्रम के होठों पर एक मुस्कराहट खिल उठता है l विक्रम उसके खयालों में खोया हुआ था के उसका फोन बजने लगता है l विक्रम फोन उठाता है और कुछ सुनने के बाद वह गाड़ी स्टार्ट कर दौड़ता है l कुछ देर बाद *** पुलिस स्टेशन में पहुंचता है l
पुलिस स्टेशन के अंदर सीधे इंस्पेक्टर के पास पहुँचता है l
विक्रम - हैलो.. इंस्पेक्टर...
इंस्पेक्टर अपना सर उठा कर देखता है l
इंस्पेक्टर - जी... कौन हैं आप... और यहाँ आने की वजह....
विक्रम - अभी कुछ देर पहले... आपके पुलिस वालों ने... एक आदमी को गिरफ्तार किया है... जिसका नाम अशोक महांती है....
इंस्पेक्टर - ओ... तो... तुम... उस शराबी की ज़मानत देने आए हो....
विक्रम - क्या मैं जान सकता हूँ... वह गिरफ्तार हो जाए... ऐसा क्या गुनाह किया है....
इंस्पेक्टर - वह... शराब के नशे में धुत... आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस के ऑफिस में दंगा कर रहा था....
विक्रम - क्या मैं... उनका एफ आई आर की कॉपी देख सकता हूँ....
इंस्पेक्टर - क्यूँ... आप क्या उसके वकील हो... वैसे आपको मालूम कैसे हुआ... वह गिरफ्तार हुआ है....
विक्रम - वह क्या है कि... इंस्पेक्टर... मैं उसका बहुत जबरा फैन हूँ... इसलिए उसके गिरफ्तार होते ही... मुझे खबर लग गई...
इंस्पेक्टर - ऑए... होश में तो है ना... या उसके तरह... तु भी पी कर यहाँ दंगा करने आया है क्या.... चल जा यहाँ से... यह सुबह तक यहाँ बंद रहेगा.... सुबह आ कर ले जाना...
विक्रम - मुझे... अभी... इसी वक्त... इसे लेकर जाना है.... और आप ज्यादा देर तक मेरा वक्त खोटी ना करें... और उसे छोड़ दें...
इंस्पेक्टर - अच्छा... तु तो ऐसे हुकुम दे रहा है ... जैसे तु कोई तोप है.....
विक्रम - हम युवराज हैं...
इंस्पेक्टर - कौन युवराज.... लुक... मिस्टर.. हू द हेल् यू आर.... आई डोंट केयर... कल आ कर अपने सुपर स्टार को ले जाना....
विक्रम अपना मोबाइल निकाल कर कहीं फोन लगाता है l और थाना, थाने का इंचार्ज और अशोक महांती के बारे में बात करता है l यह सब देख कर इंस्पेक्टर को गुस्सा आता है l
इंस्पेक्टर - ऐ... हवलदार... निकालो इसको यहाँ से...
तभी एक हवलदार आता है और विक्रम को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है l विक्रम उसे इशारे से रुकने को कहता है l हवलदार रुक जाता है, फ़िर विक्रम उसे टेबल पर रखे फोन के तरफ इशारा करता है l हवलदार और इंस्पेक्टर दोनों ही फोन के तरफ देखते हैं l फोन बजने लगता है l
इंस्पेक्टर - (फोन उठा कर) हैलो... (अपनी जगह से उठ कर, सैल्यूट मारते हुए) सर... यस सर.... जी सर... ओके सर... यस सर.... कहकर फोन रख देता है और हवलदार को बाहर जाने के लिए हाथ से इशारा करता है l हवलदार के जाते ही, विक्रम धीरे धीरे चल कर इंस्पेक्टर के सीट पर बैठ जाता है, उसका यह रूप देखकर इंस्पेक्टर अपने हलक से थूक निगलता है और,अपना हाथ जोड़ते हुए
इंस्पेक्टर - आप कौन साहब हैं... सर...
विक्रम - इस पुरे राज्य में... एक ही आदमी राजा साहब के नाम से जाने जाते हैं....
इंस्पेक्टर - जी... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं... और इस नाम की आदत डाल लो... इंस्पेक्टर.... क्यूंकि कुछ ही अर्से में यह नाम गूंजने वाली है... जाओ उस अशोक महांती को मेरे हवाले करो....
इंस्पेक्टर - जी... जी युवराज जी...
इंस्पेक्टर खुद चाबी लेकर कमरे से बाहर जाता है और कुछ देर बाद अशोक महांती को लेकर आता है l विक्रम इंस्पेक्टर के सीट से उठ कर अशोक महांती के पास जा कर उसे गौर से देखता है l महांती के चेहरे पर थोड़ी मार पीट की निशानी दिखती है l विक्रम इंस्पेक्टर के तरफ मुड़ता है
विक्रम - क्या मैं इनका ज़मानत कर सकता हूँ...
इंस्पेक्टर - ज़मानत की कोई जरूरत नहीं है.... युवराज जी.... इन पर अभी तक एफ आइ आर नहीं हुआ है.... नशे में थे... सिर्फ सुबह तक हवालात में रख कर छोड़ने के लिए कहा गया था......
विक्रम - ठीक है... इंस्पेक्टर... गुड नाइट...
इंस्पेक्टर - जी... गुड नाइट...
विक्रम और महांती दोनों बाहर आते हैं l बाहर आते ही महांती विक्रम से,
महांती - हे...तुम जो भी हो... थैंक्स... तुम्हारा... उपकार रहा मुझ पर... मौका मिला तो चुका दूँगा....
विक्रम - अभी मौका ले लो....
महांती उसे मुड़ कर देखता है,
विक्रम - यहाँ... थोड़ी दूर... एक बार एंड रेस्टोरेंट है... हाईवे 24/7.... मुझे थोड़ी देर के लिए कंपनी दे दो... तुम्हारा उपकार चुकता हो जाएगा....
महांती उसे घूरते हुए देखता है और अपना सर हिला कर हामी भरता है l विक्रम अपनी गाड़ी में बैठता है और उसके बगल में महांती बैठता है l दोनों हाईवे 24/7 को आते हैं l विक्रम काउन्टर के पास जा कर एक कैबिन बुक करता है, और एक बैरा को पांच सौ का टीप देते हुए ड्रिंक के लिए ऑर्डर करता है l उसके बाद विक्रम, महांती को लेकर एक कैबिन के अंदर आता है l कैबिन के अंदर बैठते ही,
विक्रम - हाँ तो महांती.... क्या लेना पसंद करोगे....
महांती - मुहँ पर तुम्हारे नए नए मूँछ उग रहे हैं... उन्हें भाव देने की आदत डालो.... उनपर ताव देने की उम्र नहीं है तुम्हारी.... मुझे या मेरी पसंद ऑफर्ड कर सको... यह औकात नहीं है... तुम्हारी....
उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्करा देता है l इतने में बैरा एक ट्रे में एक कपड़े से ढका बोतल, एक सोडा बोतल, एक पानी का बोतल और एक खाली ग्लास रख देता है l
बैरा - सर चखने में क्या लेंगे....
विक्रम - सलाद, तंदूर मुर्गा और चिकन 65..
महांती हैरानी से विक्रम को देखता है l बैरा के जाते ही विक्रम बोतल से कवर हटाता है l बोतल को देखते ही महांती की आंखे चौड़ी हो जाती है l वह हैरानी से विक्रम को देखने लगता है l क्यूंकि शराब पीते वक्त उसके पसंदीदा चखना का ऑर्डर हो चुका था और उसके सामने उसका फेवरेट ब्रांड जॉनी वकर था l महांती इसबार जब विक्रम को देखता है तो विक्रम अपने मूँछों पर ताव देता है l
महांती - लगता है तुम... मेरे बारे में... बहुत कुछ जानते हो...
विक्रम - बहुत कुछ नहीं.. सब कुछ....
महांती - सब कुछ या तो दोस्त जानते हैं.... या फिर दुश्मन....
विक्रम - ना मैं दोस्त हूँ... ना दुश्मन.... फ़िलहाल हम एक दुसरे के ज़रूरत हैं...
महांती कुछ नहीं कहता, विक्रम जॉनीवकर खोलता है और ग्लास में एक लार्ज पेग बनाता है l उसमे आधा सोडा और आधा पानी डालता है l
विक्रम - अशोक महांती,... घर आठगड़.... , 2007 के बैच के एन डी ए पास आउट.... मेजर प्रमोशन मिलने के बाद आई बी में सात साल सर्विस दिए.... फिर आर्म्स स्मगलिंग में नाम उछला.... पर कोर्ट मार्शल में साफ बच गए.... नौकरी से वी. आर. एस ले लिया... फिर सुकांत रॉय के साथ मिल कर आर ग्रुप सिक्योरिटी सर्विस से एक प्राइवेट संस्था शुरू की..... जिसमें तुम सेक्यूरिटी कंसल्टेंट थे... अब चूँकि धंधा जम चुका था... रॉय को तुम्हारी कोई जरूरत नहीं पड़ी.... इसलिए तुम्हें निकाल दिया और तुम्हारे बकाया पैसे भी नहीं दिया.... उल्टा तुम्हें ऑफिस से धक्के मार कर निकाल दिया.....
इतने में कैबिन का दरवाजा खुलता है l बैरा अंदर आता है और थाली रख कर विक्रम को देखने लगता है l विक्रम उसे और एक पांच सौ देता है तो बैरा खुश हो कर सैल्यूट कर पैसा ले कर बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही,
महांती - ह्म्म्म्म तुम मेरी कुंडली जानते हो.... अब बको.. तुम कौन हो और तुमको मुझसे क्या काम है....
विक्रम - महांती.... अगर सरकार और पालिटिक्स के बारे में कुछ खबर रखते हो.... तो तुम यह जानते ही होगे.... इस स्टेट में राजा साहब किन्हें कहा जाता है....
महांती - हाँ बेशक... स्टेट पालिटिक्स के किंग् मेकर..... भैरव सिंह क्षेत्रपाल....
विक्रम - हम उनके युवराज हैं.... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल.....
महांती के चेहरे पर हैरानी छा जाती है l
महांती - आप को मुझसे क्या काम पड़गया....
विक्रम - मुझे... इस सहर में... राज करना है... इसके लिए मुझे.... एक प्राइवेट रजिस्टर्ड आर्मी चाहिए.... और उस आर्मी के तुम कमांडर होगे.....
महांती - मुझे... ब्रीफिंग कर समझायेंगे....
विक्रम - देखो महांती.... हम एक प्राइवेट सिक्युरिटी सर्विस शुरू करेंगे.... तुम उसके पार्टनर, डायरेक्टर और कंसल्टेंट भी रहोगे.... तुमको पूरी आजादी होगी लोगों को चुनने की.... उन्हें ट्रेन्ड करने की.... हमारे सर्विस गार्ड्स किसी भी आर्मी कमांडोज से कम नहीं होंगे.... हमारी अपनी इंटेलिजंस विंग होगी.... हमारे गार्ड्स इतने क़ाबिल होंगे कि... लोग अपनी पर्सनल सेक्यूरिटी तक सरकार के वजाए हमसे मांगेंगे.... एक दिन पुरे ओड़िशा में... हर संस्थान में... हमारे ही सेक्यूरिटी सर्विस के लोग होंगे.... यहां तक सीसी टीवी सर्विलांस के लिए भी... ऑर्गनाइजेशन हमसे सर्विस मांगेंगे....
महांती - कल को आप कहीं रॉय की तरह रंग बदला तो....
विक्रम - रॉय छोटी सोच का है... और मेरा लक्ष... यहाँ के पॉलिटिशियन से लेकर हर ऑर्गनाइजेशन और हर बिजनैस मैन पर मुझे राज करना है... मैं बहुत बड़ी सोच रखने वाला.... युवराज हूँ...
वैसे भी तुमने वह कहावत तो सुनी ही होगी.... दूध का जला... छाछ भी फूंक फूंक कर पिता है....
महांती के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l और अपना ग्लास उठाता है पर रुक जाता है
महांती - यह क्या युवराज.... आपका ग्लास कहाँ है.... आपने तो मुझे कंपनी देने के लिए बुलाया था....
विक्रम - आज... तुम्हारा दिन है... महांती... पीलो... आज... हम अभी तक एलीजीबल नहीं हुए हैं.... महांती जिस दिन हमे हमारे राजा साहब... रंग महल को लेके जाएंगे.... उस दिन के बाद हम शराब पीने के लिए एलीजीबल हो जाएंगे.... महांती - ठीक है युवराज जी....
विक्रम - एक बात और महांती... हम क्षेत्रपाल हैं.... हमे अच्छा समझने की भूल मत करना.... महांती - युवराज जी.... मुझे अच्छे लोगों से डर लगता है
.... और मुझे खुशी है कि आप.... अच्छे नहीं है...
विक्रम मुस्कराता है l तभी महांती चिल्ला कर,
महांती - इन द नेम ऑफ... एक मिनिट... हम अपना सिक्योरिटी सर्विस का क्या नाम रखेंगे....
विक्रम - ह्म्म्म्म अभी तक सोचा नहीं है.... अब तुम डायरेक्टर हो... सोचो क्या हो सकता है....
महांती कुछ देर सोचता है और चेहरे पर खुशी छा जाती है l महांती अपना ग्लास उठा कर,
महांती - लेट चीयर्स फॉर एक्जिक्युटीव सिक्योरिटी सर्विस....
विक्रम - चीयर्स... (कहकर ताली मारता है)
महांती - युवराज जी.... अगर बुरा ना मानो तो आज की राज मैं.. इस कैबिन में बिताना चाहता हूँ.... कल आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊँगा...
विक्रम - जरूर... इंजॉय.. द नाइट...
इतना कह कर विक्रम महांती को कैबिन में छोड़ कर बाहर आता है, बाहर उसे वह बैरा खड़ा मिलता है l विक्रम उसे फिरसे दो पांच सौ रुपये देता है और कहता है
विक्रम - मेरा बिल करा दो..... आज रात यह इस कैबिन में रहेगा.... जब होश में आएगा... उसे यह कार्ड दे देना....
बैरा टीप के पैसे लेकर बिल बना कर विक्रम को दे देता है l विक्रम पेमेंट कर बाहर अपनी गाड़ी में आता है l गाड़ी खोल कर ड्राइविंग सीट पर बैठता है और अपने पास सीट के ओर देखता है l अचानक उसे एक मोती की झूमका जैसा मिलता है जिसमें धागों के रेसे दिखते हैं l शायद उस लड़की के लेहंगे से टुट कर गिरा है l विक्रम उस मोती को उठा लेता है और मन ही मन मुस्कराते हुए बुदबुदाता है
मुझे किस्मत पर कभी भरोसा नहीं था... पर तुम आज दो बार मिली... मेरे दोनों काम आज हो गए.... आज ऐसा लग रहा है.... तुम ही मेरी किस्मत हो... और मुझे तुमको हासिल करना ही होगा......