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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Update kab de rahe ho sir

इसको कहते हैं the perfect weathercock :)
आज कल तो ऐसे ही लोग दिख रहे हैं चहुंओर!



बहुत बढ़िया भाई साहेब!



बढ़िया! सीधा, और सरल होना दोष है, ऐसे समाज में।



इस बात का दो तीन बार इस्तेमाल हुआ है! बहुत बढ़िया!



हा हा हा!! :) सही है!



वो जेल में बाद में जो दंगा फसाद हुआ है, शायद इसी कारण से?


एक से बढ़ कर एक नगीने हैं इस बार तो भाई! बहुत उम्दा! बहुत उम्दा!

Are kaya kare sir ap ki story hahi Entni achhi


itni-khushi-bollywood
 
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ANUJ KUMAR

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👉सत्रहवां अपडेट
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तापस की नजर उस बेड पर स्थिर हो गई, जिस तरफ इंस्पेक्टर ने इशारा कर दिखाया l तापस उसके पास जाकर देखा, वह मुज़रिम आधी बेहोशी की हालत में पड़ा हुआ है, उसके चेहरे की हालत बहुत बुरी लग रही है l दाहिना जबड़ा सूजा हुआ है l बायीं आँख इतनी सूजी हुई है कि शायद उसकी आँखे खुल ही नहीं पा रहा हो, दायीं आँख की हालत भी ठीक नहीं लग रही है l बदन के हर हिस्से पर थर्ड डिग्री टॉर्चर साफ दिख रहा है l और दायीं जांघ पर पट्टी की गई है, शायद वहीँ गोली लगी है l

अपनी नौकरी जीवन में हमेशा अपराधियों से असंवेदनशील रहने वाला तापस भी उसकी हालत देख कर हिल गया l
तापस - यह उसकी ऐसी हालत किसने की....
इंस्पेक्टर - किसने की मतलब.... साढ़े सात सौ करोड़ रुपये का लुटेरा है... गोदी में रख कर पुचकारते हुए पूछ तो नहीं सकते थे... बोल वह पैसे कहाँ है.....
तापस को उसका इस लहजे में बात करना और ऐसे ज़वाब देना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा l पास खड़े डॉक्टर से पूछा,
तापस - डॉक्टर साहब कैसी हालत है इसकी...
डॉक्टर - थोड़ी खराब है...
तापस - ह्म्म्म्म... कब तक ठीक होने के चांसेस है...
डॉक्टर - यह तो जांच करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं....
इंस्पेक्टर - अरे डॉक्टर साहब... इसमें जांच करने वाली बात क्या है... लौंडा ( अपना हाथ उस मुजरिम के जांघ के ज़ख़्म पर रख कर जोर से मसलते हुए) बहुत मजबूत है....
मुजरिम की आंखे खुल जाती है l वह दर्द के मारे कराहने लगता है l
इंस्पेक्टर - देखा... साला बहुत ऐक्टिंग कर रहा है.... बहुत खेला खाया हुआ जो है....
तापस इंस्पेक्टर को डॉक्टर और उसके सामने मुज़रिम के साथ ऐसा करते हुए देख कर रह नहीं पाता, पर हैरानी उसे और भी होती है, जब डॉक्टर कुछ प्रतिक्रिया दिए बगैर ऐसे खड़ा है, जैसे मुज़रिम की तकलीफ से कोई मतलब ही ना हो l
तापस उस मुजरिम की तकलीफ नहीं देख पाता है,
तापस- (इंस्पेक्टर को रोकते हुए) यह तुम कर क्या रहे हो...
इंस्पेक्टर - इलाज .... इस लाइलाज नासूर का इलाज...
तापस - स्टॉप इट.... (इंस्पेक्टर रुक जाता है) तुमने इसे मेरे हवाले कर दिया है... अब यह मेरी जिम्मेदारी में है.... और तुम यह मत भूलो... तुम सामने किस रैंक वाले ऑफिसर के सामने खड़े हो...
इंस्पेक्टर - ओह सॉरी सर.... वो काग़ज़ी कारवाई बाकी है...
तापस - दास... इनकी हैंड ओवर कागजात चेक कर लो...
दास उस इंस्पेक्टर से काग़ज़ात लेकर देखता है, और तापस को साइन करने के लिए कहता है l तापस साइन कर कागजात दे देता है l
तापस - अब तुम जा सकते हो इंस्पेक्टर...
इंस्पेक्टर अपना सर हिलाते हुए सैल्यूट कर वहाँ से अपनी सिपाहियों को लेकर निकलने होता है, कि वह डॉक्टर को भी इशारे से बाहर बुलाता है l डॉक्टर उस इंस्पेक्टर के साथ बाहर चला जाता है l यह सब देख कर तापस कुछ सोच कर दास को सारे काग़ज़ात मांगता है और एक काग़ज़ पर कुछ लिख कर दास के कानों में कुछ कहता है l दास अपना सर हिलाता है जैसे सब कुछ समझ गया हो, फिर दास भी सारे कागजात ले कर बाहर निकल जाता है l
दास के जाते ही तापस उस मुज़रिम पर नजर डालता है, वह ज़ख़्म जहां गोली लगी थी और जिस ज़ख़्म को इंस्पेक्टर ने बेरहमी से मसला था वहाँ पर खुन की ताज़ा दाग नजर आ रहा था l
कुछ देर बाद वह डॉक्टर अंदर आता है,

तापस - डॉक्टर... क्या मैं आपसे कुछ पुछ सकता हूँ...
डॉक्टर - जी सर... पूछिये...
तापस - यह कानून का मुज़रिम बेशक है... पर जब तक यह इस हस्पताल के बेड पर है तब तक आपका मरीज़ आपकी जिम्मेदारी है... जब इंस्पेक्टर ने इसकी ज़ख्मों को मसल रहा था... आप इतने शांत कैसे और क्यूँ खड़े थे....
डॉक्टर - (पहले तो सकपका गया, फ़िर खुदको सम्भाल कर) सर एक मुज़रिम के लिए कौन अपने दिल में कोई भावना रखेगा....
उसकी सकपकाहट तापस की पारखी नजर से बच ना पाया
तापस - यह मुजरिम अभीतक एकयुसड है... कंविक्टेड नहीं है... अदालत अभी तक नतीजे पर नहीं पहुची है.... आप कैसे नतीजे पर पहुंच गए....
तापस की इस सवाल पर डॉक्टर अपना अगल बगल झांकने लगा l उससे कुछ जवाब ना मिलने पर
तापस - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं.... मैं इस मुज़रिम को अपनी कस्टडी में भुवनेश्वर कैपिटल हॉस्पिटल ले जाना चाहता हूँ... आप कागजात तैयार कीजिए...
डॉक्टर - य.. यह... यह कैसे हो सकता है.... मैं इसकी इजाजत नहीं दे सकता....
तापस - डॉक्टर साहब क्यूँ.... यह सरकारी मेहमान है... और सेंट्रल जैल भुवनेश्वर में है.... और मुझे इसकी हिफाज़त भी करनी है...
डॉक्टर - नहीं... आप इसे नहीं ले जा सकते...
तभी एक लड़की पच्चीस छब्बीस साल की आती है और डाक्टर से कहती है - हाँ ताकि उसके पैर को काट कर उसे तू अपाहिज कर सके....
तापस - ऐ लड़की... कौन हो तुम... और ऐसे अंदर आ कर किसी पर इल्ज़ाम कैसे लगा सकती हो...
लड़की - साहब... नमस्ते (अपनी दोनों हाथ जोड़ कर) यह मेरा भाई है... (मुज़रिम को दिखा कर)
अभी अभी यह डॉक्टर उस इंस्पेक्टर से बात करते हुए मैंने सुना है.... यह लोग मेरे भाई की पैर काट कर हमेशा के लिए अपाहिज कर देना चाहते हैं.... इसके लिए इस डॉक्टर को पैसे मिलने वाले हैं....
डॉक्टर - व्हाट... स.. सर... यह सरासर झूट बोल रही है... शी इज़ एब्युसिंग माय प्रोफेशन...
इतना कह कर डॉक्टर उस लड़की की तरफ बढ़ने लगा, तापस उसे रोक देता है l
तापस - मुझे इस लड़की से कोई मतलब नहीं है.... डॉक्टर... मैंने बस आप से कहा कि मैं अपने मुज़रिम को यहां से ले जाऊँगा...
डॉक्टर - न.... नहीं...
आप ऐसे नहीं ले जा सकते.... मैं आपको ऐसे इसे ले जाने नहीं दूँगा....
तभी दास अंदर आता है, तापस इशारे से पूछता है, दास भी इशारे से अपना सर हिला कर हाँ में इशारा करता है
तापस - डॉक्टर... अब मेरे पास सरकारी फरमान है... (दास की तरफ हाथ बढ़ाता है, तो दास उसके हाथ में एक काग़ज़ रख देता है) यह अदालत से लाई गई फरमान और आपके सीडीएमएओ जी की दस्तखत....
डॉक्टर की आंखें हैरानी से आँखे फैल जाती है, वह एक हारे हुए आदमी की तरह तापस को देखता है, तापस भी उसके सारे भावों को समझ जाता है
तापस - अब आप एंबुलेंस से मेरे मुजरिम को कैपिटल हॉस्पिटल भेजने की कागजात तैयार कीजिए...वह भी सिर्फ आधे घंटे में....
डॉक्टर अपना सर झुकाए बाहर निकल जाता है, वह लड़की बहुत ही कृतज्ञ दृष्टि से तापस देख रही थी, जैसे ही तापस की नजर उस पड़ी तो वह लड़की हाथ जोड़ कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है l
तापस - (उस लड़की से नजर हटा कर) गुड जॉब दास...
दास - थैंक्यू... सर...
तापस - (उस लड़की को देखते हुए) हम्म तो तुम इसकी बहन हो... (लड़की अपना सर हाँ में हिलती है) क्या नाम है तुम्हारा...
लड़की - जी वैदेही...
तापस - हाँ तो वैदेही... यह तुम्हारा भाई है...
लड़की - जी विश्वा मेरा भाई है, स.. सगा नहीं है... पर सगे से भी बढ़ कर है....
तापस - देखो वैदेही... हम तुम्हारे भाई विश्वा को अपने साथ भुवनेश्वर ले जाएंगे.... जब इसके हालत में सुधार होगी.... तब हम अदालत में पेश करेंगे... चूंकि यह हमारी निगरानी में रहेगा.... इसलिए तुम अपने घर चले जाओ....
वैदेही - मैं अपने भाई को छोड़ कर.... कहीं नहीं जाऊँगी....

तापस - देखो तुम्हारा भाई है... ज़ख्मी है... तुम्हारी भावनायें समझ सकता हूँ... पर चूंकि यह अब कानून की निगरानी में रहेगा.... इसलिए जिद मत करो....
वैदेही - (अपनी हाथ जोड़ कर) साहब मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है... सिवाय इसके.... इसपर झूठे इल्ज़ाम लगाया गया है.... अपराध के पीछे बहुत बड़े बड़े लोग हैं.... अपनी करनी को इस बेगुनाह के माथे मढ दिया है.... और अब इसकी जान लेने पर तूल गए हैं.... नहीं साहब मैं इसे छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगी....
तापस - देखो वैदेही... हो सकता है जो तुम कह रही हो... वह सब सच हो... और अदालत में इसे साबित भी तो करना है.... देखो अब यह मेरे जिम्मे है... मुझे अदालत में इसे सही सलामत खड़ा करना है.... इस बीच तुम किसी अच्छे वकील से बात करो.... ताकि अपने भाई को बेगुनाह साबित कर सको.....इसकी इलाज की फ़िक्र ना करो... सरकार इसकी इलाज करवायेगी... इसलिए अभी तुम वापस जाओ...
वैदेही - ठीक है साहब.... मैं आप पर भरोसा करती हूँ... पर अगली बार मिलना चाहूँ तो... मेरा मतलब है... मैं उससे मिलकर खैर ख़बर लेना चाहूँ तो....
तापस - अच्छा एक काम करो.... तुम मेरा मोबाइल नंबर रख लो आज से ठीक सात दिन बाद मुझसे जानकारी ले लो.... अगर मुझ पर भरोसा है तो...
वैदेही - कैसी बातेँ कर रहे हैं साहब.... आपने अभी अभी मेरे भाई को अपाहिज होने से बचाया है.... मैंने आपकी और उस डॉक्टर की सारी बातेँ भी सुनी है....
तापस - तो मुझ पर भरोसा रखो.... और मेरी बात मानो... जाओ यहां से... अगली बार जब आओ एक अच्छे वकील से बात कर अपने भाई को बचाने की कोशिश करना....
वैदेही कुछ नहीं कहती, अपनी दोनों हाथों को जोड़ कर कृतज्ञता से अपना सर हाँ में हिलाती है l
कुछ देर मैं वह डॉक्टर अपने हाथों में विश्वा के ट्रांसफ़र कागजात ले कर आता है और स्ट्रेचर के साथ दो लोग आते हैं l जब वे लोग विश्वा को स्ट्रेचर पर सुलाते हैं, विश्वा के मुहँ से दर्द भरे कराह निकलता है l उसकी कराह सुन कर वैदेही की रुलाई फुट पड़ती है l वह विश्वा के माथे पर एक चुंबन देती है, और तापस को आँखों में आंसू लिए याचना भरे दृष्टि से देखती है l
तापस - वैदेही... तुम्हारा भाई अब मेरे जिम्मे है.... मैं सिर्फ इतना वादा कर सकता हूँ... तुम्हारा भाई स्वस्थ हो कर अदालत में खड़ा होगा.... इसलिए मैंने अभी जो तुमसे कहा है... तुम जा कर उस पर अमल करो...
फिर सब स्ट्रेचर के साथ बाहर एम्बुलेंस में विश्वा को चढ़ा देते हैं l एम्बुलेंस भुवनेश्वर की ओर चली जाती है l तापस भी अपनी सरकारी गाड़ी से हस्पताल के बाहर निकल जाता है, ड्राइवर को हाई कोर्ट ले जाने को कहता है l हाई कोर्ट के बाहर बार काउंसिल के बाहर पहुंच कर फोन लगाता है l थोड़ी देर बाद प्रतिभा हाथों में कुछ फाइलें व गाउन ले कर आती है और तापस के बगल में बैठ जाती है l
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... तो सेनापति जी... अपने दास को भेज कर मेरे जरिए उस मुजरिम को कैपिटल हॉस्पिटल क्यूँ शिफ्ट करा दिया....
तापस - यहां मुजरिम की जान को खतरा था... मैंने मेहसूस कर लिया... इसलिए उसे शिफ्ट करवा दिया....
प्रतिभा - तुम ने एक मुजरिम के लिए ऐसा किया...
तापस - देखो... जान... वह जब मेरे कस्टडी में आ गया... तो उसे सही सलामत अदालत में पेश करना मेरा काम है.... तुम जानती हो... डिपार्टमेंट की राय मेरे बारे क्या है या रही है... जब वह मेरे कस्टडी में आ गया तो जब तक अदालत में उसे सही सलामत खड़ा नहीं कर देता... तब तक तो मैं...

प्रतिभा - अच्छा अच्छा ठीक है....
तापस - वैसे थैंक्स...
प्रतिभा - वह किसलिए...
तापस - वह इसलिए के तुमने... बहुत ही जल्दी विश्वा की शिफ्ट करने की ऑर्डर निकलवाने के लिए...
प्रतिभा - वह इसलिए हो पाया.... क्यूंकि विश्वा के खिलाफ सरकारी वकील मैं हूँ...
तापस - ओ....
ऐसे बात चित करते हुए दोनों भुवनेश्वर पहुंच जाते हैं l प्रतिभा को क्वार्टर में उतार देता है और जा कर कैपिटल हॉस्पिटल पहुंच जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर पूछ ताछ के बाद एक कमरे में पहुंचता है जहां एक डॉक्टर विश्वा को चेक कर रहा था l
तापस - हाँ तो डॉक्टर विजय जी... कैसा हाल है इस मरीज़ का...
डॉ. विजय - आओ तापस... बिल्कुल सही टाइम पर आए हो.... तुम्हारे इस मुजरिम की हालत बहुत ही खराब है.... गोली अभी भी पांव में है अगर जल्दी निकाला ना गया तो इन्फेक्शन हो जाएगा.... तब शायद पैर काटना पड़े.. इसको प्राइमरी फर्स्ट ऐड भी प्रॉवाइड नहीं किया गया है....
तापस - ह्म्म्म्म मुझे भी देख कर यही शक हुआ.... ठीक है... तुम इसका ऑपरेशन कर दो... जो फॉर्मालिटी है मैं पूरा कर देता हूँ...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म चलो...
तापस हस्पताल में सारी फॉर्मालिटी पूरा कर लॉबी में बैठ जाता है l लॉबी में बहुत सारे लोग बैठे हुए हैं और दीवार पर लगी टीवी पर न्यूज चल रहा है

"पुरे राज्य को हिला कर रख देने वाले मनरेगा के पैसों की हेर-फेर पर सरकार की तरफ से बैठक पर बैठक हो रही है l कभी अंग्रेजों से लोहा लेने वाले राजगड़ के प्रतिष्ठित परिवार के पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी ने हमारे संवाददाता के साथ इस बारे में बात की
सम्वाददाता - आज हमारे साथ पूरे राज्य की सम्मानित परिवार के एक महत्त्वपूर्ण सदस्य श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी उपस्थित हैं...
हाँ तो श्री क्षेत्रपाल जी... यह जो अभी कांड हुआ है... जो पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है... हमारे राज्य की भाव मूर्ति मैली हुई है... और विडंबना यह है कि यह क्षेत्रपाल जी क्षेत्र में हुआ है...
पिनाक - यह वाकई बहुत क्षोभ का विषय है... इतिहास कहता है... हमारा परिवार कैसे अंग्रेजों से लोहा लिया था... इसलिए आज जो हमारा हमारे क्षेत्र का मान सम्मान इस राज्य में है हमारे उन पुरखों की देन है.... पर आज हम बहुत दुखी हैं... पूरे ओड़िशा में जो अनैतिक अर्थ का हेर-फेर हुआ हमारे प्रांत में हुआ... इसलिए हम पुरे राज्य की जनता को और राज्य सरकार को आस्वस्त करना चाहते हैं.... वह पाखंडी विश्व प्रताप जो जनता की पाई पाई को लुटा है... उससे कानून तो हिसाब करेगा... हम भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे कि उसे सजा पर्याप्त मिले और जनता को न्याय मिले...
सम्वाददाता - तो यह थे श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी... कैमरा मैन अभिजीत के साथ....
न्यूज सुनने के बाद तापस वहाँ से उठता है और ऑपरेशन थिएटर के सामने खड़ा हो जाता है l पुरे तीन घंटे के बाद डॉ. विजय बाहर निकालता है तापस की और देखता है और कहता है
डॉ. विजय - यार तापस, एक बात बोलूँ... तुमने सही समय पर उसे यहां ले आए... उसके पैर में इंफेक्शन शुरू हो गया था.... हमने सही टाइम में ऑपरेशन किया.... वरना इसका पैर काटने की नौबत आ जाती...
तापस - थैंक्स यार.... सच कहूँ तो मुझे भी ऐसा ही कुछ लगा था... इसलिए मैं इसे यहाँ शिफ्ट कर दिया....
डॉ. विजय - बहुत अच्छा किया....
तापस - ह्म्म्म्म वैसे कब तक यह ठीक हो जाएगा...
डॉ. विजय - यह मेडिसन पर रेस्पांस कैसे करता है उसपर डिपेंड करता है... पर एक महीने के अंदर ठीक हो जाएगा पर दो तीन महीने तक लंगड़ा कर चलेगा क्यूंकि मांस पेशियां सूखने से और सिकुड़ ने में टाइम लगेगा
तापस - ओह... ह्म्म्म्म
डॉ. विजय - अच्छा इन बातों को साइड में लगा और बोल मेरा होने वाला जमाई कैसा है....

तापस - हाँ मालूम है...उसे भड़का कर मेडिकल पढ़ने का आइडिया तेरा ही था...
डॉ. विजय - अररे बंधु... एक सिंपल सा लॉजिक है.... एमबीबीएस सर्टिफिकेट हाथ में हो तो एक कैबिन में भी बैठ कर स्वरोजगार हो सकता है....
तापस - बस बस यह क्यूँ नहीं बता रहे... की ढलती उम्र में जो नर्सिंग होम बनाने वाले हो उसे चलाने के लिए एक डॉक्टर दामाद की जरूरत है....
डॉ. विजय - तो गलत क्या कर रहा हूँ.... जब बेटी और दामाद दोनों डॉक्टर होंगे तो दहेज में नर्सिंग होम दे ही सकता हूँ...
तापस - पुलिस वाले को दहेज का लालच दे रहे हो....
दोनों कुछ देर के लिए ख़ामोश हो जाते हैं फिर दोनों हंस देते हैं l
तापस - अच्छा और एक सवाल का जवाब दो.... उसे गोली कब मारी गई होगी... टॉर्चर से पहले या बाद....
डॉ. विजय - बंधु मैं कोई फॉरेंसिक डॉक्टर नहीं हूँ..... पर अपने अनुभव के दम पर कह सकता हूँ... पहले बुरी तरह से टॉर्चर किया गया फिर उसे गोली मारी गई...
तापस - ओह.... ओके... (हाथ मिलाने के लिए बढ़ाते हुए) मैं चलता हूँ...
डॉ. विजय से विदा ले कर घर तापस पहुंचता है l प्रत्युष कहीं बाहर जाने की तैयार हो रहा है l प्रत्युष को इशारे से पूछता है कहाँ जा रहा है, प्रत्युष भी इशारे से तापस से चुप रहने को कहता है और इशारे से बताता है हॉकी देखने को जा रहा है l तापस इशारे से प्रतिभा के बारे में पूछता है, प्रत्युष भी इशारे से बताता है कि प्रतिभा फाइल पलट कर देख रही है और कुछ लिख रही है l तापस ऐसे अपना सर हिलाता है जैसे उसे सब मालूम हो गया फिर इशारे से प्रत्युष को बाहर जाने को कहता है, जिसे देख कर प्रत्युष इशारे से अपनी खुशी जाहिर करता है और प्रतिभा को सम्भालने के लिए तापस से इशारे से अनुरोध करता है, तापस उसे इशारे अपनी सहमती देता है तो प्रत्युष तापस को फ्लाइंग किस देता है और चुपके से बाहर निकल जाता है l प्रत्युष के जाने के बाद तापस अपने कपड़े बदल कर फ्रेश होता है और बैठक में आता है l इतने में प्रतिभा एक चाय की प्याली लाकर तापस को देती है l तापस चाय पीते हुए प्रतिभा को देखता है l प्रतिभा उसे देख कर मुस्करा रही है l
तापस - ऐसे क्यूँ देख रही हो.... और ऐसे हंस रहे हो जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ ली है तुमने...
प्रतिभा - कोई शक़...
तापस - क्या मतलब....
प्रतिभा - तुम जब घर आए.. तब मैं अपना काम रोक कर तुम्हारे पास आ रही थी.... तब तुम बाप बेटे की मूक गुफ़्तगू देख ली थी...
तापस - ओह... तो ऐसा हो गया.... मतलब स्टेडियम में फ्लॉड लाइट लगा कर लुका छुपी खेल रहे थे....
प्रतिभा - हा हा हा हा हा.. जी जनाब...
तापस - तो तुमने रोका क्यूँ नहीं.... तुम्हें तो उसका बाहर जाना पसंद नहीं है ना...
प्रतिभा - ऐसी बात नहीं है... हाँ उसके बाहर जाने पर थोड़ा प्रतिबंध लगाती हूँ... क्यूंकि वह मेडिकल पढ़ रहा है... मस्तियाँ ठीक है पर ज्यादा बाहर घूमने पर पढ़ाई पर असर हो सकता है... इसलिए उसके बाहर जाने पर रोकती हूँ.... वैसे तो बिल्ली आँख मूँद कर दूध पीती है पर इधर बाप बेटे बिल्ला बन कर आँखे मूँद कर दूध पी कर खुश हो रहे थे... की माँ को कुछ पता नहीं चल पा रहा है... तो तुम बेवकुफ हो.... मैं आपको यह बताने आई थी सेनापति जी....
तापस - अच्छा ठीक है... पर उसे फोन कर के बता दो... के रात को जल्दी आ जाए... वरना कल उसके टांगे तोड़ दूँगा...
प्रतिभा - वैसे सेनापति जी... यह आपने लगता है एक सौ इक्कीस बार कह चुके हैं...
तापस - पर यह आखिरी बार है...
प्रतिभा - तो फिर ठीक है... मैं अभी उसको फोन कर बताती हूँ..
तापस - हाँ... अच्छी बात है... और आज तुम्हारा क्या हुआ...
प्रतिभा - आज जैसे ही कोर्ट पहुंची.. मुझे विश्व प्रताप महापात्र की केस फाइल थमा दी गई... मैं सोच रही थी... बहुत बड़ी केस है.... कोई और देख ले तो अच्छा होगा... पर इतने में तुम्हारा दास आया तुम्हारा रिक्वेस्ट लेटर ले कर... तो मैंने अपनी चैनल लगा कर तुम्हारा काम कर दिआ... तो बदले में मुझे यह केस लेने के इमोशनल बाध्य किया गया...
तापस प्रतिभा का हाथ पकड़ कर - सॉरी...
प्रतिभा - अरे कोई नहीं..... आखिर मैं भी तो पब्लिक प्रोसिक्यूटर हूँ...
तभी बैठक में लैंड लाइन फोन रिंग होती है l प्रतिभा फोन उठाती है फिर तापस को देती है l फोन पर बात कर लेने के बाद तापस प्रतिभा से कहता है - अच्छा मैं ऑफिस जा रहा हूँ... ऑडिट चल रहा है... आते आते देर हो सकती है...
प्रतिभा - कोई बात नहीं... ड्यूटी आफ्टर ऑल ड्यूटी.... आप जाइए... आपके आने का इंतजार करूंगी... और आने के बाद मिलकर ही डिनर करेंगे...
तापस - ठीक है जान...
इतना कह कर तैयार हो कर तापस निकल जाता है
तापस के जाने के बाद प्रतिभा वह केस की फाइल निकाल कर अपनी तैयारी करने लगती है l इस तरह वक्त कुछ बीत जाती है l फिर फाइल रख कर खाना बनाने के लिए किचन में आती है l
तभी घर की लैंड लाइन बजने लगती है, प्रतिभा जाकर फोन उठाती है तो दूसरे तरफ से तापस था
तापस - हाँ जान मुझे आते आते साढ़े दस बज जाएंगे तो तुम माँ बेटे खा लो... और मेरे लिए टेबल पर खाना लगा कर सो जाना l
इतना सुनते ही प्रतिभा अपनी दांतों तले जीभ दबा लेती है और कहती है - हाँ ठीक है....
और फोन रख देती है l
फिर प्रत्युष को तुरंत फोन लगाती है, और फोन लगते ही
प्रतिभा - तू कहाँ है...
प्रत्युष - माँ हॉकी की प्रिमीयर लीग चल रही है... अभी हम स्टेडियम के बाहर आये हैं... दूसरा मैच खत्म होते ही आ जाऊँगा और हाँ मैं आज बाहर ही खा लूँगा....
प्रतिभा - क्या.... तेरे डैडी तुझे बाहर क्या भेजे... तेरे पंख निकल आये हैं.... तु अपने डैडी से इजाज़त लेले....
प्रत्युष - माँ... मेरी प्यारी माँ... तु... कितनी अच्छी है... तु कितनी प्यारी है.... ओ माँ प्यारी माँ...
प्रतिभा - अच्छा तु मस्का मार रहा है... या उल्लू बना रहा है...
प्लीज माँ प्लीज... सिचुएशन थोड़ी है टाइट ... क्या मिलेगा तुम्हें देख कर बाप बेटे की फाइट... मैं जानता हूँ.. मेरा बाहर आना आप अच्छी तरह से जानते हो... पर यह देर से आने वाली सिचुएशन सम्भाल लो ना प्लीज....
प्रतिभा - अच्छा ठीक है... मैं कुछ करती हूँ... और सुन... घर आकर कॉलिंग बेल मत बजाना... मैं फोन को वाइब्रेशन मोड़ में रखूंगी... घर पहुंचते ही कॉल करना...
प्रत्युष - ओह.. थैंक्यू मोम.. थैंक्यू... एंड आई लव यू.. उम्म्म्म्म् आ...
प्रतिभा - लव यू ठु... पर यह लास्ट टाइम है....
प्रत्युष - ओह यीएह...
प्रतिभा हंसते हुए फोन रख देती है l और सीधे जा कर प्रत्युष के कमरे में आती है l दो तकिये और चादरों को बिस्तर पर कुछ ऐसे सजाती है कि कोई देखेगा तो उसे लगेगा कोई सोया हुआ है l फिर आकर किचन में बिजी हो जाती है l
ठीक साढ़े दस बजे तापस घर आता है तो पाता है प्रतिभा उसकी इंतजार कर रही है l
तापस - अरे जान तुम सोई नहीं... प्रत्युष अभी तक आया नहीं है क्या....
प्रतिभा - वह कब का आकार.. खाना खा कर सो गया है....
तापस - अच्छा... इतना फर्माबर्दार हो गया है... जरा देखूँ तो...
तापस, प्रत्युष के कमरे की और बढ़ता है और दरवाजा खोल कर अंदर झांकता है तो उसे तापस अपने बिस्तर पर चादर ढक कर सोया हुआ मिलता है, तापस आगे बढ़ने ही वाला होता है कि प्रतिभा पीछे से उसका हाथ पकड़ लेती है,
प्रतिभा -(धीमी आवाज़ में) खबरदार जो मेरे बच्चे को जगाया तो....
तापस अपना सर हिला कर कमरे से बाहर निकालता है और अपने हाथ पैर और मुहँ धो लेता है l फ़िर पति पत्नी अपना डिनर खतम कर अपने कमरे में सोने जाते हैं l बिस्तर पर गिरते ही तापस को नींद आ जाती है, पर प्रतिभा सो नहीं पाती l ठीक साढ़े बारह बजे उसकी फोन वाइब्रेट होने लगती है l प्रतिभा फोन निकालती है और कॉल काट देती है l फिर तापस की ओर देखती है l उसे यक़ीन हो जाता है कि तापस घोड़े बेच कर सोया हुआ है
प्रतिभा बहुत धीरे से अपने बिस्तर से उठती है l और बाहर बैठक में आकर दरवाजे के पास खड़ी होती है l फिर वह पीछे मुड़ कर देखती है कि कोई नहीं है l एक गहरी चैन की साँस लेती है फिर धीरे धीरे दरवाजे की हूक खोलती है l हूक भी बिना आवाज किए खुल जाती है l प्रतिभा कोशिश करती है कि दरवाजा खुलते वक्त कोई आवाज़ ना करे पर किसी हॉरर फ़िल्म की सीन की तरह कर्र्र्र्र्र्र्र् की आवाज़ से खुलती है l बाहर प्रत्युष खड़ा हुआ है, वह प्रतिभा को इशारे से तापस के बारे में पूछता है तो उसे प्रतिभा इशारे से तापस सोया हुआ है बताती है और प्रत्युष को पहले जुते खोलने को बोलती है l प्रत्युष अपना जुते उतार देता है l अब प्रतिभा उसे चुप चाप अंदर आने को इशारा करती है l प्रत्युष कोई आवाज़ किए बिना अंदर आता है और अपने कमरे में पहुंच जाता है, उसके कमरे में जाते ही प्रतिभा धीरे से बाहर का दरवाजा बंद कर देती है l दरवाजा बंद होते ही प्रतिभा एक गहरी सांस छोड़ती है और प्रत्युष के कमरे में आती है, अंदर आते ही प्रत्युष के पीठ पर एक थप्पड़ मारती जिससे थोड़ी धप की आवाज़ आती है, मार लगते ही प्रत्युष मुड़ता है तो प्रतिभा उसे इशारे से चुप रहने की इशारा करती है, प्रत्युष भी अपने मुहँ पर उंगली रख कर चुप रहता है और फ़िर प्रतिभा धीरे से कमरे का दरवाजा बंद कर के प्रत्युष की कान खींचती है... प्रत्युष हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता है, प्रतिभा उसका कान छोड़ देती है और चुप चाप बिस्तर पर जाने को कहती है, बिस्तर पर पहले से ही अरेंजमेंट देख कर अपनी माँ को फ्लाइंग किस देता है l प्रतिभा मुस्कराते हुए फ़िर मारने की इशारा करते हुए बाहर निकल जाती है और अपने कमरे में वापस आती है l वह तापस को जैसा छोड़ गई थी तापस वैसा ही लेता हुआ है l प्रतिभा अपने सीने में हाथ रख कर एक चैन सांस लेती है और चादर ओढ़ कर तापस के बगल में लेट जाती है l
"हाँ तो बिल्ला की माँ बिल्ली आँखे मूँद कर दुध पी आई" कमरे में तापस की आवाज़ आती है l
प्रतिभा - (धीरे से) क्यूँ जी आप अभी तक सोये नहीं...
तापस - (प्रतिभा की ओर मुड़कर, धीरे से ) भई बेटा बाहर है... मुझे नींद कैसे आएगी....
प्रतिभा - (धीमी आवाज़ में) तो आप मुझे बेवकुफ बनाया...
तापस - जान... शाम को तुमने मुझे बिल्ला बनाया... मैंने रात को तुम्हें बिल्ली बनाया...
प्रतिभा - अजी.. एक बात कहूँ आज ना... आपका शरारत देख कर ना मुझे आप पर बड़ा प्यार आ रहा है.....
तापस-अरे जान.... आज मुझे भी तुम पर बड़ा प्यार आ रहा है..
प्रतिभा - अच्छा जी.... आज बुढ़ापे में हम पर फिर प्यार आया है....
तापस - वह कहते हैं हमसे
अभी उमर नहीं है प्यार की
नादां है वह क्या जाने
कब खिली कली बाहर की
प्रतिभा - यह कौनसी फिल्म का गाना है...
तापस - पता नहीं आज जैल में सुना था इसलिए तुम्हें चेप दिआ..
प्रतिभा उसके गाल पर प्यार से हाथ फ़ेरती है और अपना होंठ बढ़ाती है,तापस भी अपना होंठ उसके होंठो पर रख देता है और अपनी बाहों में जोर से भिंच लेता है l
इस तरह से कुछ दिन बीत जाते हैं l इन कुछ दिन में हर रोज तापस हस्पताल जा कर विश्वा की खैर खबर लेता रहा l आज सुबह अपना ऑफिस जाने से पहले हस्पताल पहुंच कर डॉ. विजय से मिल कर विश्वा की हालत जानना चाहा
डॉ. विजय - आओ जैलर आओ... क्या खबर लेने आए हो.... जो भी खबर सुनोगे... बहुत खुश होगे.... शाबासी भी दोगे...
तापस - क्यूँ.. भाई... मैं तो सिर्फ विश्वा की खैरियत जानने आया हूँ....
डॉ. विजय - अररे बंधु.... यह जो तुम्हारा मुजरिम है.... बड़ा ही जबर्दस्त प्राणी है.... मेडिसन और ट्रीटमेंट पर उसकी बॉडी बढ़िया रेस्पांस कर रही है.... तुम फिटनेस का हवाला देते हुए केस की तारीख़ निकाल सकते हो...
तापस - चलो... अच्छी खबर दी है तुमने... तुम्हारा हस्पताल का बिल सरकारी खाते से जल्दी मिल जाए मैं कोशिश करूंगा...
डॉ. विजय - आ.. ह... लिव ईट... अब बताओ अपना हीरो कैसा है...
तापस - हाँ... यह हॉकी ला लीग खत्म हो जाए तो वह पढ़ाई में ध्यान देगा....
डॉ. विजय - ओह.. कॉम ऑन... यार पढ़ाई के प्रेसर से इस तरह की लीग रिलैक्स करते हैं... अब इस उम्र में यह नहीं करेगा तो कब करेगा... जिस दिन जिम्मेदारी सम्भाल लेगा... यह सब भी छुट जाएगा....
तापस - हाँ शायद तुम ठीक कह रहे हो....
फिर डॉ. विजय से हाथ मिला कर अपने क्वार्टर की तरफ निकल जाता है l क्वार्टर पहुंचते ही उसे अपने क्वार्टर के गेट के गेट बाहर वैदेही को खड़ी हुई दिखती है l
तापस - तुम.... विश्व की बहन.. हो... वैदेही.. है नाम तुम्हारा... हैं ना..
वैदेही - जी... सुप्रीनटेंडेंट साहब...
तापस - पर तुम यहाँ...
वैदेही - जी वो... अपने कहा था... विश्वा की खबर लेने के लिए... आपसे...
तापस - पर तुम्हें... मैंने अपना फोन नंबर दिया था... ना... तुम फोन पर उसकी खबर ले सकती थी... यहाँ तक आने की क्या जरूरत थी...
वैदेही - वो... आपने विशु के लिए एक अच्छा वकील देखने के लिए कहा था ना... इसलिए..
तापस - विशु.... ओ.. अच्छा... तुम विश्वा की बात कर रही हो...
वैदेही - जी....
तापस - देखो हम कब तक यहाँ गेट पर खड़े होकर बात करते रहेंगे... एक काम करो अंदर आओ... वहीँ बात चित करते हैं और मुझे ड्यूटी भी जाना है...
वैदेही अपने हाथ में लाई बोतल की पानी से अपने पैर धोती है और फिर तापस के साथ बैठक में आती है l प्रतिभा बैठक में आकर तापस से कुछ कहने को होती है कि वैदेही को देख कर चुप हो जाती है और तापस को आँखों के इशारे से वैदेही के बारे में पूछती है l
तापस - यह वैदेही है... तुम्हारे उस मुज़रिम की बहन लगती है... मुझसे उसका हाल चाल पूछने आई है...
वैदेही प्रतिभा को नमस्कार करती है l प्रतिभा भी उसका ज़वाब नमस्कार से देती है l
तापस - हाँ तो वैदेही....बैठो (वैदेही और कहो.... तुमने अपने विशु के लिए वकील मुकर्रर कर ली...
वैदेही - जी अभी तक कोई नहीं है.... मैंने जितने वकीलों से बात की... सारे इतने पैसे मांग रहे हैं कि... अब हम इतने पैसे कहाँ से लाएँ.... अगर आपकी पहचान की कोई वकील हो तो....
तापस - देखो वैदेही... नाउ दिस इस लिमिट.... ना तो तुम पहचान की हो और ना ही कोई रिश्तेदार.... अगर होती भी... तब भी मैं तुम्हारी कोई मदत नहीं करता.... यह मेरी वसूल और जॉब प्रोफेशन के विरुद्ध है....
वैदेही - (अपनी दोनों हाथ जोड़ कर) साहब मेरा भाई निर्दोष है.... उसे सब सफ़ेद पोश लोगों ने मिलकर फंसाया है.... इसलिए मैं.... मेरा मतलब है.... आप ने देखा ना... कैसे वह लोग मेरे भाई के जान के पीछे पड़े हुए हैं.... चूंकि आप अच्छे हैं और आपने मेरे भाई को बचाया है..... इसलिए आपसे मदत मांग रही हूँ....
तापस - जितनी मेरी ड्यूटी थी... मैंने उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है... और वह एक्वुशड है... उसके लिए वकील तुम्हें ढूंढना है.... मैं कैसे बता सकता हूँ....
वैदेही कुछ कह नहीं पाती अपने आंखों में आंसू लिए हाथ जोड़कर तापस की ओर उम्मीद भरी नजरों से ताक रही होती है l प्रतिभा जो इतनी देर से देख व सुन रही थी, उससे रहा ना गया,
प्रतिभा - वैदेही.... तुम अपनी भाई को निर्दोष मान सकती हो... पर पुलिस तहकीकात व रिपोर्ट कुछ और ही बयान कर रही है... तुम्हारा भाई एक चालाक और शातिर मुज़रिम है जो कुछ सरकारी अधिकारियों के मिली भगत से साढ़े सात सौ करोड़ रुपयों का गवन किया है...
वैदेही - मेम साहब.... जब तक अदालत में अपराध साबित ना हो जाए... उसे कोई भी दोषी नहीं ठहरा सकता है....
प्रतिभा - ठीक.... बिल्कुल... ठीक कहा तुमने.... पर तुम तुम जिस घर में आई हो वह एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर का घर है.... जिसका काम है पुलिस की छानबीन को सही साबित करना.... शूकर करो उसके ऊपर हत्या का संदेह है... अगर छानबीन में आगे पता चले या सबूत मिले तो मैं उसके लिए फांसी की सजा तक कि मांग कर सकती हूँ....
वैदेही - (थोड़े गुस्से में) वह बेगुनाह है.... आप जानती हैं... जिस रकम की बात कर रही हैं... उसमें कितने शुन्य है... हमे नहीं पता....... और मैं यहां इसलिए आई थी... के उस दिन सुपरिटेंडेंट साहब को शायद एहसास हो गया कि... विशु निर्दोष है और उसे कुछ लोग क्यूँ मारना चाहते हैं..... पर आप लोग तो उसे दोषी मान कर चल रहे हैं.....
प्रतिभा - (थोड़ी ऊंची आवाज में) आवाज़ नीचे... सुपरिटेंडेंट साहब अगर तुम्हारे विशु को बचाए हैं.... तो यह उनका फ़र्ज़ था.... और तुम्हारे विशु को दोषी अदालत में ठहराउं... यह मेरा फ़र्ज़ है.... और हम दोनों अपने अपने जॉब प्रोफेशन के प्रति समर्पित व ईमानदार हैं.... कानून कभी जज्बातों को नहीं देखती... सिर्फ़ सबूत देखती है और सुनती है.... और मेरे पास जितने सबूत हैं... उसके बिना पर कह सकती हूँ... तुम्हारा भाई अपने कुकर्म से किसी भी पेशेवर मुज़रिम को मात दी है....
वैदेही - वाह... वकील साहिबा वाह.... एक इक्कीस साल का नौजवान... इतना बड़ा रकम लूट ले आप इसपर यक़ीन कर सकती हैं....
प्रतिभा - इक्कीस साल.... तुमने दिल्ली के डीटीसी बस में हुई बलात्कार कांड सुनी है ना.... कितने उम्र के थे वह अपराधी.... एक तो नाबालिग था... इसलिए यह बहस बेकार है...
वैदेही - (अपने हाथ जोड़ कर) मुझे माफ कर दीजिए.... मैं बस इतना कहना चाहती हूं.... आप अपने जॉब के प्रति समर्पित हैं... ईमानदार हैं... आज जिस ओहदे पर हैं, समाज के प्रति कुछ जिम्मेदारियां भी है.... हर सिक्के का दूसरा पहलू भी होता है.... आज आप वही एक पहलू देख रहे हैं... जो आपको दिखाया गया है... जिसके आधार पर आप विशु को दोषी मान रहे हैं.... पर एक सवाल है.... जब विशु को सजा हो जाए.... और आपको मालूम पड़े के आपने जिसे सजा दिलवाई है... वह निर्दोष था... और असली अपराधी तो कोई और था... तब क्या आप अपने आपको क्षमा कर पाएँगी.....
प्रतिभा - लुक... आई नो व्हाट आई एम डुइंग.... सिक्के का दूसरा पहलु देखना या दिखाना डिफेंस लॉयर का काम है... एंड आई कैन नॉट एडवाइस यु... हू कैन बी गुड फॉर योर केस... आई एम अ पब्लिक प्रोसिक्यूटर एंड आई एम प्रोफेशनल...
तापस - बस.... बहुत हुआ.... वैदेही.... तुम्हें अपनी भावनाओं पर काबु रखना चाहिए.... और प्रतिभा तुम्हें भी....
वैदेही तुम्हें हमारी पेशावर मजबूरी को समझना चाहिए.... इसलिए प्लीज.... हमसे तुम ऐसा कुछ उम्मीद मत करो... यह लड़ाई तुम्हारी और तुम्हारे भाई की है.... सो प्लीज....
वैदेही - मैं फिर से माफ़ी चाहूँगी..... मैं वाकई भूल गई... जब अपने गांव में किसीने हमारा साथ ना दिया... तो मैं कैसे आपसे उम्मीद लगा बैठी.... पर भगवान से यह दुआ जरूर मांगूंगी... न्याय की बिजली कभी भी आपके इस घर पर ना गिरे..... के आपकी ईमानदारी जो आज आपकी ताकत भले ही है... पर आज इसे आपने अपना अहम बना दिया है.... वह कभी आपकी बेबसी ना बन जाएं.... अब मैं चलती हूँ सुपरिटेंडेंट साहब... अब जो भाग्य में लिखा होगा वह होगा.... आपने मेरी इतनी मदत की इसलिए तह दिल से धन्यबाद....


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ANUJ KUMAR

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👉उन्नीसवां अपडेट
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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

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अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
Nice update
 
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ANUJ KUMAR

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एक बड़ा सा गल्फ कोर्ट है, बहुत बड़ा तो नहीं है, पर छोटा भी नहीं है l हरे रंग के मैदान को हरे रंग के नेट से चारो ओर से घेर रखा गया है l वहीँ मैदान के एक कोने में एक बड़ा सा छाता गड़ा हुआ है l उस छाते के साये के नीचे भैरव सिंह एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर दोनों हाथों को फैला कर और बाएं पैर पर पैर रख कर बैठा हुआ है l उसके पास भीमा और भीमा के सारे साथी भैरव सिंह के आसपास खड़े हुए हैं l
तब एक लक्जरी कार आकर मैदान के बाहर रुकती है l एक आदमी उस कार में से उतरता है और सीधे भैरव सिंह के पास जा कर पहुंचता है l
उसे देखते ही भैरव सिंह अपना घड़ी देखता है और मुस्करा देता है l
भैरव - आओ ... तहसीलदार ... आओ... वक्त के बड़े पाबंद हो... बिल्कुल घड़ी के सुई की साथ चलते हो....
तहसीलदार - जी राजा साहब.... मैं हमेशा वक्त के साथ चलता हूँ.... और मैं यह भी जनता हूँ... वक्त को आप अपने साथ लिए चलते हैं.... या यूँ कहूँ... वक्त आपके साथ चलता है....
भैरव - बहुत अच्छे... तुम पूरी खबर रखे हुए हो....
तहसीलदार - हाँ... यह हमारे प्रोफेशनल रिक्वेर्मेंट है.... वाकई... यशपुर में तो जैसे व्यक्त रुक गया है.... कछुए ली रफ्तार से रेंग रहा है...
भैरव - ह्म्म्म्म....
तहसीलदार - जबकि... वक्त के साथ दुनिया.... कहाँ से कहाँ पहुंच गया है....
भैरव - तुम्हारा वक्त क्या कह रहा है.... मिस्टर. तहसीलदार...

तहसीलदार - आप तो सबकी खबर रखते हैं.... बिना आपकी मर्जी के... यशपुर और राजगड़ में किसी भी सरकारी अधिकारी की पोस्टिंग हो ही नहीं सकती.... और राजा साहब मेरा वक्त कह रहा है..... मुझे बहुत पैसा कमा लेना चाहिए....
भैरव - हा हा हा हा... तुम बहुत ही शार्प हो... चलो एक एक स्ट्रोक हो जाए.... अपना क्लब चुन लो.... (कह कर भैरव एक बैग के तरफ इशारा करता है) भीमा...
भीमा - हुकुम....
भैरव - देखो तहसीलदार को क्या जरूरत पड़ेगी...
भीमा - जी हुकुम....
भीमा बॉल को सेट कर देता है, तहसीलदार अपना स्टैंड सही करता है और ऐम बना कर स्ट्रोक मारता है l भैरव सिंह ताली मारते हुए
- वाह... बहुत खूब.... बहुत अच्छे...
फिर भैरव एक क्लब लेता है और वह भी अपना स्ट्रोक खेलता है l
कलेक्टर - वाव... राजा साहब... माइंड ब्लोइंग....
भैरव - तुम भी कुछ कम नहीं हो....
तहसीलदार - नॉट गुड एज यु.... राजा साहब...

ज़वाब में भैरव सिंह मुस्करा देता है l
भैरव - (अपना हाथ मिलाने को बढ़ाते हुए) माय... कंप्लीमेंट...

तहसीलदार - ना राजा साहब... ना... मुझे अपनी हद व औकात की पहचान है.... मुझे आपके छत्रछाया में रह कर काम करना है... आपके हाथ के नीचे.... और आपसे हाथ मिलाने के लिए... या तो मुझे आपका दोस्त होना चाहिए.... या फिर आपके बराबर.... और यह दोनों.... इस जनम में तो होने से रहे.....
भैरव सिंह, के चेहरे पर मुस्कान गहरी हो गई l उसने अपना गोल्फ क्लब बैग में रख दिया और कलेक्टर के तरफ मुड़ कर कहा,
-वेलकम मिस्टर. नरोत्तम पत्रि एज मजिस्ट्रेट ऑफ यशपुर...
पत्रि- थैंक्यू... राजा साहब....
तभी एक नौकर हाथ में एक चांदी की थाली में वायर लेस फ़ोन लेकर दौड़ते हुए आता है और भैरव की ओर बढ़ाता है l
नौकर - राजा साहब... छोटी रानी जी.... महल से...
भैरव - (फोन उठा कर अपने कान मेँ लगाता है) हाँ बोलिए.... छोटी रानी...
सुषमा - प्रणाम.... राजा साहब... वह... बड़े राजा जी को सांस लेने मेँ... तकलीफ हो रही है.... कृपया.... डॉक्टर को खबर भिजवा दीजिए....
भैरव - ह्म्म्म्म (फोन काट कर नौकर को देते हुए) डॉक्टर को फोन लगाओ....
नौकर फोन लेकर डॉक्टर को लगाता है और फोन पर डॉक्टर के मिलते ही भैरव सिंह को बढ़ा देता है l
भैरव - हैलो... डॉक्टर... बड़े राजा जी की हालत थोड़ी नासाज़ है.... उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही..... जल्दी महल पहुंच कर उनके लिए कुछ बंदोबस्त करो....
इतना कह कर भैरव सिंह फोन काट देता है और नौकर को दे देता है l
पत्रि - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपने डॉक्टर के ज़वाब का इंतजार नहीं किया....
भैरव - हम किसीके सुनने की आदि नहीं हैं.... तकलीफ उसे है जो हमें ना सुने...
पत्रि - जी समझ गया... और गांठ भी बांध ली...
भैरव - बहुत अच्छे पत्रि..... एंड वन्स ऐगेन वेलकम... टू... राजगड़....

पत्रि - थैंक्यू राजा साहब... थैंक्यू... अ... लॉट....
भैरव - ह्म्म्म्म... अब तुम... जा सकते हो... पत्रि....
पत्रि - जी बेहतर.... थैंक्यू...
पत्रि अपनी गाड़ी के तरफ जाता है और गाड़ी में बैठ कर निकल जाता है l उसके जाने के बाद भीमा भैरव सिंह के पास आता है,
भीमा - हुकुम.... इसे यहाँ बुलाकर.... यह सब करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - भीमा.... आज से तकरीबन आठ या नौ साल पहले.... याद है.... हमने... एक तहसीलदार को उसी के ऑफिस में... सबके सामने... उसीके पियोन के जुतोंसे पिटाई कारवाई थी....
भीमा - हाँ... याद है... हुकुम....
भैरव - तुझे याद है उस कलेक्टर का नाम....
भीमा - नहीं.... हुकुम...
भैरव - उसका नाम राधे श्याम पत्रि था..... यह उसका बेटा है....
भीमा - पर हुकुम.... उसे.. फिर आपने राजगड़ में उसे आने क्यूँ दिया....
भैरव - हम उसे टटोल रहे थे..... हम पहले ही उसका फाइल चेक कर चुके हैं.... यह अपने बाप के उलट... करप्ट और रंडीबाज है.... पर कहीं यह बाप के इगो के लिए यहाँ आया तो नहीं.... बस यही सोच कर उसे यहाँ बुलाया था....
वैसे भी जिंदगी में चैलेंजस होने चाहिए.... वरना कुछ मजा नहीं आयेगा.... इस पर नजर रखो...
भीमा - जी हुकुम....

तभी वह नौकर फ़िर से भागते हुए आता है और थाली को बढ़ाते हुए कहता है - छोटे राजा जी.... हुकुम...
भैरव सिंह थाली से फोन उठाता है - हैलो....
पिनाक - वह... राजा साहब... एक... गड़बड़ हो गई है....
भैरव की भौंहे तन जाती है और पूछता - किसके तरफ से....
पिनाक - हमारे तरफ से नहीं.... वह.... रंगा के तरफ से....
भैरव - कौन रंगा....
पिनाक - रंगा... वह जिसे... हमने... विश्व को तोड़ने के लिए जैल में डाला था....
भैरव - तो....
पिनाक - विश्व ने... रंगा पर हमला कर दिया.... और रंगा अभी हस्पताल में है...
भैरव - क्यूँ...... कैसे... विश्व ने रंगा को... आपने रंगा को आगाह नहीं किया था....... रंगा को विश्व से सावधान रहने को...... रंगा ने ऐसा क्या किया .......
पिनाक - विश्व को देख कर.... रंगा को जोश आ गया... इसलिए वह उसे... बार बार छेड़ने लगा था शायद.... जिससे विश्व ने...... प्रतिक्रिया में उस पर हमला कर दिया.....
भैरव - ह्म्म्म्म... तो फिर कुछ दिनों के लिए विश्व को भूल जाओ...
पिनाक - और रंगा....
भैरव - जो चूक जाए.... उसे थूक दो... अब वह हमारे किसी काम का नहीं है.... उसे भाड़ में भेजो...
पिनाक - मतलब...
भैरव - उसे... किसी सब-जैल में शिफ्ट करा दो... और उसे भी भूल जाओ.....
पिनाक - जी बेहतर....
इतना कहकर पिनाक फोन रख देता है l
पिनाक इस वक्त भुवनेश्वर में एक होटल के कमरे में है l उसके सामने एक वकील बैठा हुआ है l वकील को देख कर,
पिनाक - सुन बे काले कोट वाले.... उस रंगा को किसी दूसरे जैल में शिफ्ट कर दे....
वकील - जी... पर वह अब... हस्पताल में है....
पिनाक - तो हम क्या करें.... ज्यादा चूल मची थी.... हरामी के गांड में... सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा था उसके गांड में... उसे... बोला गया था.... विश्व से सावधान रहे और धीरे धीरे अपने काम को अंजाम दे...... अगर इतना ही चूल मची थी तो बिना देरी किए.... अपना खुजली उतार लेना चाहिए था.... पर नहीं.... खुजली इतनी मची थी कि... इलाज कराने सीधे.... विश्व के पास गया.... अब विश्व ने उसका इलाज कर दी है.... साला हरामी.... अब ना सीधा ना टेढ़ा कैसे भी नहीं सो पा रहा है... बैठ भी नहीं सकता.... चला था विश्व के गांड मारने.... विश्व ने ऐसी मारी है... के साला उसे अब वह गांडु कहलाएगा.... इसलिए उसे किसी और जैल में शिफ्ट करा दो... बादमें देखते हैं.... विश्व का क्या करना है... जाओ...
वकील पिनाक का फ्रस्ट्रेशन भरा भाषण सुनने के बाद रुकना भी मुनासिब नहीं समझा l बिना देरी किए वहाँ से निकल गया l
उसके जाते ही इंटरकॉम में डायल करता है l दुसरे तरफ से हैलो की आवाज़ सुनते ही.,
पिनाक - आप दोनों जल्दी से फ्रेश हो जाएं फ़िर मेरे... मतलब हमारे कमरे में आयें.... (इतना कह कर इंटरकॉम रख देता है I

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जैल में विश्व नाश्ते के लिए डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व के वहाँ पहुँचते ही कुछ कैदी विश्वा भाई कहकर बुलाते हैं और सलाम करते हैं l

विश्व उनके सलाम का जवाब तो देता है पर उसे बड़ा अजीब लगता है l वह अपना थाली में नाश्ता ले कर जैसे ही मुड़ता है l कुछ कैदी उसे अपने टेबल पर बुलाते हैं l पर विश्व देखता है डैनी एक कोने में बैठा अपना नाश्ता कर रहा है, तो सीधे डैनी के टेबल पर पहुंच कर डैनी के सामने बैठ जाता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बड़ा नाम हो गया है तेरा.... सब इज़्ज़त दे रहे हैं तुझे....
विश्व - मुझे इनकी हरकत समझ में नहीं आ रहा है..... जब पहले दिन मैं टेबल ढूंढ रहा था... किसी ने अपने टेबल पर नहीं बुलाया था.... किसी किसी टेबल पर तो इशारे से ना आने को बोला था.... पर आज... सब मुझे अपने टेबल पर बुला रहे हैं....
डैनी - यही तो खेल है... प्यारे.... यह जो इज़्ज़त दे रहे हैं... असल में इनके अंदर का खौफ है... इस खौफ और इज़्ज़त के बीच एक बहुत पतली सी लाइन है.... इसे मेंटेन कर बनाए रखना.... वरना इनके आँखों से इज़्ज़त और खौफ उतरते देर नहीं लगेगी.....
विश्व - मुझे... इनसे इज़्ज़त नहीं लेनी...
डैनी - कल तक तु इस जंगल में एक सुवर था.... तुने एक शेर को ढेर कर दिया.... और अब तेरा इवोल्यूशन हो चुका है.... अब इस जंगल का तु एक शेर है.... और शेर शेर बना रहे यह शेर का धर्म है...
विश्व - (विश्व एक हंसी हंसकर) क्या वक्त आ गया.... इंसानों को अब इंसानी पहचान के वजाए..... जानवरों की पहचान से पहचाना जा रहा है....
डैनी - यही सच है.... कहने को सब इंसान हैं..... मगर सब के सब इंसानी खोल में छुपे जानवर हैं.... और हर कोई इस इंसानी समाज रूपी जंगल में अपना राज कायम करना चाहता है.... कोई धर्म के नाम पर, कोई मजहब के नाम पर, कोई जाति वाद पर कोई समाज वाद के नाम पर, कोई साम्यवाद के नाम पर, कोई एकछत्र वाद पर और कोई गणतंत्र के नाम पर .... बस किसी तरह से इंसानी रूपी जानवर पर शेर बन कर राज करना चाहता है.....
विश्व - मुझे ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनना...
डैनी - यह तुम्हारा भ्रम... है... पूरे संसार में ऐसा कोई समाज नहीं है... जहां इंसानी रूपी जानवर ना रहाता हो.... प्रकृति का नियम है.... मरे हुए को चींटी खाती है... चींटी को टिड्डी, टिड्डी को मेढ़क, मेढ़क को सांप, सांप को नेवला, नेवले को भेड़िया, भेड़िया को बाघ.... यह समाज जहां हम रह रहे हैं.... यह भी इस नियम से अछूता नहीं है...... यहां अपने से कमजोर पर राज करने के लिए हर कोई तैयार रहता है....
हर तरफ सिर्फ़ प्यार विश्वास बसता हो....
हाँ ऐसा समाज मुमकिम हो सकता है.... बशर्ते वहां सिर्फ़ इंसान ही बसते हों.....


विश्व खामोश हो जाता है, पर डैनी का नाश्ता खतम हो चुका था, वह अपनी थाली लेकर वहाँ से चला जाता है, पर विश्व वहीँ बैठा डैनी के बातों के गहराई को अनुभव कर रहा है l

अपने चैम्बर में तापस बैठा कुछ फाइलों पर काम कर रहा है l तभी जगन वहाँ आता है और एक काग़ज़ की पर्ची देता है l काग़ज़ की पर्ची पर वैदेही महापात्र लिखा हुआ है l कुछ सोचने के बाद तापस जगन को कहता है -
- जाओ उसे ले आओ यहाँ....
जगन बाहर चला जाता है और थोड़ी देर बाद तापस के चैम्बर में वैदेही आती है l
तापस - आओ वैदेही... आओ बैठो....
वैदेही - नहीं सर... मैं ठीक हुँ...
तापस - अरे.. तुम... तुम कोई मुज़रिम नहीं हो... तुम आम नागरिक हो... बैठो तो सही.... वरना मुझे खड़ा होना पड़ेगा....
वैदेही - ठीक है... सर... मैं... बैठ जाती हूँ.... (कह कर बैठ जाती है)
तापस - तो... तुम अपने भाई से मिलने आई हो....
वैदेही - नहीं सर नहीं... मैं बस उसे एक नजर देख कर चली जाना चाहती हूँ....
तापस - क्यूँ.... क्यूँ नहीं मिलना चाहती.....
वैदेही के आँखों में आँसू आ जाते हैं l
वैदेही - उसे मैं.. डॉक्टर बनते देखना चाहती थी... पर भाग्य को मंजूर ना था... तो उसे सरपंच बनते देखा तो सोचा.... डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज ना कर पाया तो क्या हुआ.... सरपंच बन कर अपने लोगों के दुखों का कष्टों का इलाज तो कर पाएगा.... पर भाग्य को यह भी मंजूर नहीं हुआ... आज एक अपराधी के रूप में इस जैल में है....
तापस - तो तुम इसलिए उससे नहीं मिलना चाहती..... सिर्फ़ दूर से एक नजर देख कर चली जाना चाहती हो...
वैदेही - हाँ सर.... माँ ने इसे पैदा कर मेरे ही हाथों में सौंप कर चल बसी थी... मैं इसे माँ, दीदी और गुरु बन कर पाल पोष कर बड़ा किया.... पर यह दिन देखने के लिए तो नहीं.... उसकी ऐसी हालत देखने के लिए तो नहीं....

तापस को उसके दर्द का एहसास होता है, वह एक गहरी सांस छोड़ कर वैदेही को पूछता है,
- ह्म्म्म्म क्या तुम... अपने भाई को देखना चाहोगी....
वैदेही अपना सर हिला कर अपना सम्मति देती है l तापस उसे इशारे से अपने पीछे आने को कहता है l वैदेही उसके पीछे चल देती है और दोनों ऑफिस के दूसरे माले पर पहुंचते हैं l
वैदेही देखती है एक लंबा सा टेबल बीच कमरे में पड़ी है, कम से कम पच्चीस तीस कुर्सियां पड़ी हुई हैं, बीच दीवार पर एक टीवी लगी है, और कमरे अलमारियां भरी हुई हैं और हर आलमारी किताबों से भरी हुई है l
तापस-(वैदेही को कमरे को ऐसे घूरते हुए देख) यह इस जैल की लाइब्रेरी है.... पढ़ कर समय व्यतीत करने के लिए यह लाइब्रेरी बनाई गई.... ह्यूमन राइट्स वालों की डिमांड पर... पर अफ़सोस.... कोई भी यहां नहीं आता....
तापस एक खिड़की के पास खड़े हो कर कॉटन को हल्का सा खिंचता है, फ़िर वैदेही को पास बुलाता है और दूर विश्व को कोई काम करते हुए दिखाता है l विश्व को देखते ही वैदेही के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है पर अगले ही क्षण उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती है l
वैदेही - कितना... भोला... कितना मासूम लग रहा है... मेरा भाई.... भगवान करे वह ऐसे ही हमेशा रहे.....
तापस - नहीं वैदेही.... विश्व जब जैल से निकलेगा.... मुझे अफ़सोस हो रहा है... यह कहते हुए.... वह ना मासूम रहेगा ना भोला....
वैदेही - यह आप.... क्या कह रहे हैं सर....
तापस - मैं सच कह रहा हूँ वैदेही.... हाल के दिनों में क्या हुआ है उसके साथ.... और मैं कहना भी नहीं चाहता... तुम नहीं जानती.... इस जैल में हर कदम पर... हर मोड़ पर उसे तरह तरह के लोग मिलते रहेंगे..... और हर मिलने वाला उससे उसकी मासूमियत और भोला पन को निचोड़ता रहेगा... और जिस दिन वह अपनी सजा काट कर बाहर निकलेगा.... तब वह तुम्हारा मासूम और भोला विश्व नहीं रहेगा.... पता नहीं क्या हो गया होगा.....
वैदेही तापस को एक टक देखे जा रही है, तापस जब वापस वैदेही को देखता है तो वैदेही के आँखों में कुछ पढ़ने की कोशिश करता है l
वैदेही अपनी नजर हटा लेती है और खिड़की से विश्व को देखते हुए तापस से कहती है
- अगर नियति को यही मंजूर है..... तो यही सही.... वह भोला और मासूम बना रहा... इसलिए आज उसकी यह हालत है.... अगर वह भोला और मासूम ना होता तो कहानी कुछ और ही होती ना सर....
तापस वैदेही के आक्रोश को अंदर तक महसूस करता है l

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कुछ देर बाद पिनाक के कमरे के दरवाजे पर धक्का लगता है और उस कमरे में एक नौजवान और एक किशोर प्रवेश करते हैं l
पिनाक - आओ आओ युवराज... आओ राजकुमार....
(यह दोनों सात साल पहले वाले विक्रम और वीर हैं)
विक्रम - छोटे राजा जी... हमे यूँ.. अचानक कलकत्ते से क्यूँ बुलाया गया.... हमे कुछ समझ में नहीं आया....
पिनाक - वही समझाने तो आप लोगों को यहां पर बुलाया गया है.... बैठिए आप दोनों....
विक्रम और वीर दोनों पास के सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
पिनाक - युवराज आप अभी बीस वर्ष के हैं...
और वीर आप सत्रह वर्ष के....
सो युवराज आपकी कॉमर्स की ग्रैजुएशन ख़त्म होने को है.... और राजकुमार आपका इंटर का भी यह आखरी साल है.... पर आप दोनों आपका अपना पढ़ाई अब यहीं पर खतम करेंगे....
दोनों भाई एक दूसरे को देखते हुए - क्या.... पर क्यूँ....
पिनाक - बड़े राजा जी ने... हम तीनों को मिशन दिया है... जिसे हम तीनों मिलकर पुरा करना है.....
विक्रम - कैसा मिशन...
पिनाक - अब आप न्यूज चैनल्स के ज़रिए समझ चुके होंगे.... हम अभी रूलिंग पार्टी की सदस्यता ली है....
विक्रम - जी....
पिनाक - वह इसलिए.... के आने वाले दो साल बाद.... हमे भुवनेश्वर सहर का मेयर बनना है....
विक्रम - क्या.... राजगड़ से बाहर.... राजनीतिक पदवी.... पर क्यूँ...
पिनाक - कुछ हालात ऐसे बन गए हैं... की हमे खुदको राजगढ़ में सीमित रखना असंभव हो गया है.... यह राजधानी है... समूचे राज्य के राजनीतिक गड़.... यहाँ पर नजर भी रखना है... और पीछे रहकर परिचालन भी करना है...
विक्रम - ठीक है.... आपका तो समझ में आ गया.... हमे क्या करना होगा....
पिनाक - आप दोनों को ******* कॉलेज में एडमिशन लेनी होगी.. आगे की पढ़ाई के लिए....
विक्रम - और... कॉलेज में... हमे क्या करना होगा.....
पिनाक - आपको कॉलेज में इलेक्शन लड़ना होगा.... स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसिडेंट बनना होगा....
विक्रम - उससे... होगा क्या...
पिनाक - युवराज.... हमे लक्ष दिया गया है.... दो साल बाद मेयर बनने के लिए.... और आपको सारे स्टूडेंट्स को लीड करना है.... फिर पार्टी में.... युवा मंच का चेहरा बनना है.... उसका अध्यक्ष बनना है....
वीर - और मेरा क्या काम है.....
पिनाक - आप युवराज जी को फॉलो करेंगे... उनके बाद कॉलेज के यूनियन के प्रेसिडेंट बनेंगे... और हाँ आइंदा ध्यान रहे... बड़े राजा जी या राजा साहब जी के सामने मैं, या तुम हरगिज़ मत कहिएगा... सिर्फ हम या आप...
वीर - ठीक है....
विक्रम - इस साल हम कॉलेज में जॉइन करेंगे... और इसी साल हमे स्टूडेंट्स इलेक्शन जितना भी होगा....
पिनाक - हाँ... युवराज... क्यूंकि कॉलेज से ही नई पीढ़ी वोट देने निकलती है... उसी नई पीढ़ी के हीरो बनना है आपको.... बाई हूक ओर क्रुक.... आप अपने कॉलेज के बॉक्सिंग चैंपियन रहे हैं... इसलिए उस जरिए भी आपको काम लेना होगा....
विक्रम - क्या यह आपको इतना आसान लगता है....
पिनाक - नहीं बिल्कुल भी नहीं.... पर जो आसानी से हो जाए... उसे करने में मजा ही क्या....
विक्रम - किसीकी बने बनाए खेल में घुस कर अपने नाम करना है... किसीका जमाया हुआ सिक्का अपने नाम करना है... वह भी एक साल में...
पिनाक - हाँ.... युवराज... आप क्षेत्रपाल हैं.... यह ना भूलें.... आज हमारे वंश का एक महा मंत्र आप दोनों को प्रदान करता हूं.... क्षेत्रपाल परिवार के पुरुषों के हाथ कभी आकाश की ओर नहीं होती..... सिर्फ ज़मीन की ओर होती है.... हम कुछ दे सकते हैं या फिर छीन सकते हैं.... पर हाथ ऊपर कर मांग नहीं सकते.... इसलिए चाहे कोई भी हो..... जिसका बना बनाया या जमाया हुआ सिक्का... आपको छिनना है.... कैसे यह आप तय करें....
विक्रम यह सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है और चल कर खिड़की के पास खड़ा होता है l नीचे जाते हुए गाड़ियों को देखता है l
पिनाक उसके पास आकर खड़ा होता है l
पिनाक - क्या सोचने लगे युवराज....
विक्रम - इस सहर पर राज करना है.... पर कैसे और कहाँ से शुरू करें....
पिनाक - राजगढ़ में जैसा है वैसे तो बिल्कुल नहीं..... सबके मन में खौफ को इज़्ज़त के साथ बिठाना है.... खौफ और इज़्ज़त के बीच एक पतली सी लाइन होनी चाहिए.....
विक्रम पिनाक की ओर देखता है और फिर कमरे में चहल कदम करने लगता है l पिनाक आकर वीर के पास बैठ जाता है और इंटरकॉम में तीन चाय के लिए ऑर्डर करता है l

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वैदेही जा चुकी है, तापस वैदेही को बाहर छोड़ कर अपने चैम्बर की ओर जा रहा है l तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l मोबाइल निकाल कर देखता है तो उसे स्क्रीन पर प्रतिभा का नाम दिखता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l फोन उठा कर - हैलो जान....
प्रतिभा - एक खबर है.... शायद आपको खुश करदे....
तापस को शरारत सूझती है - मुझे खुश करदे.... वाव... अररे.... जान घर पर नया मेहमान आने वाला है... वाव... मुझे तो तुम्हारे फोन से ही मालुम हो गया है.... के मुझे यह खुश खबरी सिर्फ़ अपने स्टाफ वालों से ही नहीं..... बल्कि पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवा देता हूं.... प्रत्युष को भी खबर कर देता हूँ.... आख़िर इतने सालों बाद खुशी का मौका हाथ लगा है....
प्रतिभा - (गुस्से से) हो गया...
तापस - अररे अभी कहाँ.... मैंने जगन के हाथों से मिठाई.. अभी तक मंगवाया नहीं है....
प्रतिभा - (अपनी दांत पिसते हुए) अगर अभी आप चुप नहीं हुए.... तो आज ड्रॉइंग रूम में सोईयेगा....
तापस - इतनी छोटी गुस्ताखी के लिए.... इतना बड़ा सजा.....
प्रतिभा - मैं... अब... अपना फोन काटती हूँ...
तापस - अरे.... गुस्सा... थूक दो.... यार थोड़ा मज़ाक कर रहा था..... सुबह से इधर उधर की सोच सोच कर टेंशन में था.... तुमसे बात की.... तो सारा टेंशन दूर हो गया....
प्रतिभा - ठीक है... ठीक है.....
तापस - अरे यार... थोड़ा मुस्कराते हुए.... कहो ना...

प्रतिभा - हाँ तो सुनो..... तुम्हारे जैल में जो कांड हुआ है ना.... विश्व और रंगा वाला.....
तापस - हाँ क्या हुआ....
प्रतिभा - अरे कुछ नहीं.... उस रंगा का वकील.... रंगा के झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराने के लिए पीटीशन फाइल किया है....
तापस - ओह.... उसने वजह क्या डाला है....
प्रतिभा - यही तो खुशी की बात है......... उसने वजह हेल्थ लिखा है..... कोई सेक्यूरिटी की बात लिखी नहीं है.... और यह भी लिखा है.... डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट देने के तुरंत बाद सेंट्रल जैल के बजाय सीधे... झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराया जाए.....
तापस - यह वाकई.... बहुत अच्छी खबर दी है तुमने....
प्रतिभा - अच्छा ठीक है.... फोन रखती हूँ.... अब.... और हाँ शाम को मिठाई तैयार रखना....
तापस - क्यूँ... मौहल्ले में बंटवाना है क्या....
प्रतिभा - आ..... ह..... आज तो तुम्हें... मैं बेड रूम में घुसने नहीं दूंगी....
इतना कह कर प्रतिभा फोन काट देती है l तापस के चेहरे पर एक शरारत भरा मुस्कान नाच रही है l फोन रख कर मुड़ा तो देखा उसके पास दास खड़ा है l
तापस - अरे दास... आओ... एक अच्छी खबर है...
फिर तापस दास को रंगा के शिफ्ट होने की बात बताता है l
दास - यह अच्छी खबर तो है..... पर....
तापस - पर क्या दास...
दास - सर... सॉरी फॉर अब्युसिव लैंग्वेज... बट.... विथ योर परमिशन... सर....
तापस दास को घूर के देखता है फ़िर अपना सर हिलाते हुए - ओके दास... कंटिन्यु....
दास - सर थ्योरी के हिसाब से बात दिल की होती है.... पर लोग प्रैक्टिकल में लोग गांड की बात करते हैं....
तापस - (आवाज़ को कड़क करते हुए) दास.....
दास - सर इसीलिए तो आपसे..
परमिशन ली थी....
तापस - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) ह्म्म्म्म.... ठीक है..... आगे बोलो......
दास - सर अगर दिल कमजोर हो तो.... किसी किसी परिस्थिति में डर लगना स्वाभाविक है.... यह थ्योरी है.... पर लोग प्रैक्टिकल में गांड फटना कहते हैं....
दास ने जिस तरह से कहा तापस की हंसी छूट जाती है l पर दास नहीं हंस रहा है, तो तापस इशारे में आगे बोलने को कहता है l
दास - और सर अगर कोई डर को जीत जाता है.... आई मिन हरा देता है... तो थ्योरी के हिसाब से दिल मजबुत होना कहते हैं.... पर प्रैक्टिकली लोग गांड में दम होना कहते हैं....
तापस - (अपनी हंसी को रोकते हुए) ह्म्म्म्म तो....
दास - सर अब आते हैं असली मुद्दे पर.... रंगा अपने इलाके में मशहूर था.... आख़िर अपने इलाके का नामचीन पहलवान था.... फिर गुंडागर्दी में नाम और रुतबा कमाया....
तापस अब दास को सिरीयस हो कर सुनने लगा l
दास - रंगा का सब कुछ सही जा रहा था... के उसके गांड के दम में विश्व ने आधा इंच गहरा और चार साढ़े चार इंच चीरा मार दिया...
एक ऐसी जगह.... जहां का तकलीफ ना रंगा खुद देख पा रहा है.... ना आगे चलकर किसीको दिखा पाएगा....
तापस - तुम कहना क्या चाहते हो दास.....
दास - यही.... के विश्व ने रंगा की गांड फाड़ दी है प्रैक्टिकली...
तापस - दास... आखिर कहाना क्या चाहते हो......
दास - रंगा.... वापस आएगा सर.... विश्व से बदला लेने.... अभी तो नहीं.... पर आएगा जरूर.... अपना रौब और रुतबा फिरसे कायम करने..... और तब शायद जैल में एक खूनी मंज़र देखने को मिले.....
तापस के माथे पर अब चिंता दिखने लगता है

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होटल के कमरे में वीर बेड पर लेटा हुआ है, विक्रम एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है और पिनाक एक सोफ़े पर बैठा हुआ है l
पिनाक - युवराज जी... चाय नाश्ता खतम हो चुका है.... कुछ सोच लिए हों... तो प्रकाश करें...
विक्रम - छोटे राजा जी आप हमसे क्या चाहते हैं....
पिनाक - यहाँ के पुराने खिलाड़ियों के बसे बसाये को उजाड़ना और जमे जमाये को हथियाना है....
विक्रम - और यह सब तब होगा... जब इस सहर में हमारा सिक्का चलेगा.... राइट्
पिनाक - राइट्....
विक्रम - और उसके लिए... हमे डेयर एंड डेविल होना पड़ेगा...
पिनाक - राइट्...
विक्रम - इसका मतलब यह हुआ कि.... हमे इस सहर में.... एक पैरालाल सरकार चलानी है...
पिनाक - राइट्....
विक्रम - तो फिर उसके लिए हमे एक डेविल हाउस चाहिए.... ठीक राज भवन के विपरीत दिशा में.... पर सहर के बीचों-बीच.... जहां दो मीटिंग हॉल होने चाहिए.... एक प्राइवेट मीटिंग हॉल... जो नॉर्मली हर घर में होती है.... और एक पब्लिक मीटिंग हॉल जो घर के साथ अटैच हो.... और उस घर के बगल में एक जीम भी हो.....
पिनाक - ह्म्म्म्म पहली बॉल पर छक्का... गुड...
पिनाक - डेविल हाउस का नाम होगा "द हेल"...
वीर - वाव... क्या बात है...
पिनाक - आप शांत रहेंगे.... राजकुमार जी....
विक्रम - डेयर एंड डेविल के लिए एक डेविल आर्मी चाहिए.... वह भी ऑफिसीयल रजिस्टर्ड....

पिनाक - मतलब.....
विक्रम - हम एक प्राइवेट सेक्योरिटी संस्था बनाएंगे.... आज कल बड़े बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस, बड़े बड़े बैंक, बड़े बड़े हस्पताल, बड़े बड़े होटल सब प्राइवेट सेक्यूरिटी एडोप्ट करते हैं....
तो हम भी प्राइवेट सेक्यूरिटी संस्था बनाएंगे और सबको सुरक्षा प्रदान करेंगे.... पर असल में वह हमारी आर्मी होगी....
पिनाक - वाह क्या बात है.... अब तो आपने सेंचुरी मार दी.....
विक्रम - हम जो प्राइवेट आर्मी बनाएंगे.... उसकी ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर भी होगी.... जिसके जरिए हम अपनी आर्मी को सबसे सक्षम बनाएंगे.... जिसकी अपनी इंटेलिजंस विंग भी होगी.... आज की डेट में किसी भी सरकारी एजेंसी को मात दे दे... हम अपनी आर्मी को उतना कॉम्पिटेटीव बनाएंगे....
पिनाक - (ताली मारते हुए) बहुत दूर की सोची है.... शाबाश....
वीर - पर यह इतना आसान नहीं है....
पिनाक - आपको क्यूँ तकलीफ़ हो रही है....
वीर - मुझे नहीं अब आपको होगी.... सेक्योरिटी संस्था का रजिस्ट्रेशन आसान नहीं होता.... उसके लिए एक्स आर्मी पर्सन या किसी बड़े ओहदे वाले एक्स पुलिस पर्सन की जरूरत पड़ेगी....
विक्रम - हाँ यह तो सच है....
पिनाक - तो उसका जुगाड़....
विक्रम - आप पहले घर की तलाश कीजिए.... बाकी मैं तलाशता हूँ....
वीर - और हम... हम क्या करें....
पिनाक - जस्ट फॉलो योर युवराज....
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ANUJ KUMAR

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एक बड़ा सा गल्फ कोर्ट है, बहुत बड़ा तो नहीं है, पर छोटा भी नहीं है l हरे रंग के मैदान को हरे रंग के नेट से चारो ओर से घेर रखा गया है l वहीँ मैदान के एक कोने में एक बड़ा सा छाता गड़ा हुआ है l उस छाते के साये के नीचे भैरव सिंह एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर दोनों हाथों को फैला कर और बाएं पैर पर पैर रख कर बैठा हुआ है l उसके पास भीमा और भीमा के सारे साथी भैरव सिंह के आसपास खड़े हुए हैं l
तब एक लक्जरी कार आकर मैदान के बाहर रुकती है l एक आदमी उस कार में से उतरता है और सीधे भैरव सिंह के पास जा कर पहुंचता है l
उसे देखते ही भैरव सिंह अपना घड़ी देखता है और मुस्करा देता है l
भैरव - आओ ... तहसीलदार ... आओ... वक्त के बड़े पाबंद हो... बिल्कुल घड़ी के सुई की साथ चलते हो....
तहसीलदार - जी राजा साहब.... मैं हमेशा वक्त के साथ चलता हूँ.... और मैं यह भी जनता हूँ... वक्त को आप अपने साथ लिए चलते हैं.... या यूँ कहूँ... वक्त आपके साथ चलता है....
भैरव - बहुत अच्छे... तुम पूरी खबर रखे हुए हो....
तहसीलदार - हाँ... यह हमारे प्रोफेशनल रिक्वेर्मेंट है.... वाकई... यशपुर में तो जैसे व्यक्त रुक गया है.... कछुए ली रफ्तार से रेंग रहा है...
भैरव - ह्म्म्म्म....
तहसीलदार - जबकि... वक्त के साथ दुनिया.... कहाँ से कहाँ पहुंच गया है....
भैरव - तुम्हारा वक्त क्या कह रहा है.... मिस्टर. तहसीलदार...

तहसीलदार - आप तो सबकी खबर रखते हैं.... बिना आपकी मर्जी के... यशपुर और राजगड़ में किसी भी सरकारी अधिकारी की पोस्टिंग हो ही नहीं सकती.... और राजा साहब मेरा वक्त कह रहा है..... मुझे बहुत पैसा कमा लेना चाहिए....
भैरव - हा हा हा हा... तुम बहुत ही शार्प हो... चलो एक एक स्ट्रोक हो जाए.... अपना क्लब चुन लो.... (कह कर भैरव एक बैग के तरफ इशारा करता है) भीमा...
भीमा - हुकुम....
भैरव - देखो तहसीलदार को क्या जरूरत पड़ेगी...
भीमा - जी हुकुम....
भीमा बॉल को सेट कर देता है, तहसीलदार अपना स्टैंड सही करता है और ऐम बना कर स्ट्रोक मारता है l भैरव सिंह ताली मारते हुए
- वाह... बहुत खूब.... बहुत अच्छे...
फिर भैरव एक क्लब लेता है और वह भी अपना स्ट्रोक खेलता है l
कलेक्टर - वाव... राजा साहब... माइंड ब्लोइंग....
भैरव - तुम भी कुछ कम नहीं हो....
तहसीलदार - नॉट गुड एज यु.... राजा साहब...

ज़वाब में भैरव सिंह मुस्करा देता है l
भैरव - (अपना हाथ मिलाने को बढ़ाते हुए) माय... कंप्लीमेंट...

तहसीलदार - ना राजा साहब... ना... मुझे अपनी हद व औकात की पहचान है.... मुझे आपके छत्रछाया में रह कर काम करना है... आपके हाथ के नीचे.... और आपसे हाथ मिलाने के लिए... या तो मुझे आपका दोस्त होना चाहिए.... या फिर आपके बराबर.... और यह दोनों.... इस जनम में तो होने से रहे.....
भैरव सिंह, के चेहरे पर मुस्कान गहरी हो गई l उसने अपना गोल्फ क्लब बैग में रख दिया और कलेक्टर के तरफ मुड़ कर कहा,
-वेलकम मिस्टर. नरोत्तम पत्रि एज मजिस्ट्रेट ऑफ यशपुर...
पत्रि- थैंक्यू... राजा साहब....
तभी एक नौकर हाथ में एक चांदी की थाली में वायर लेस फ़ोन लेकर दौड़ते हुए आता है और भैरव की ओर बढ़ाता है l
नौकर - राजा साहब... छोटी रानी जी.... महल से...
भैरव - (फोन उठा कर अपने कान मेँ लगाता है) हाँ बोलिए.... छोटी रानी...
सुषमा - प्रणाम.... राजा साहब... वह... बड़े राजा जी को सांस लेने मेँ... तकलीफ हो रही है.... कृपया.... डॉक्टर को खबर भिजवा दीजिए....
भैरव - ह्म्म्म्म (फोन काट कर नौकर को देते हुए) डॉक्टर को फोन लगाओ....
नौकर फोन लेकर डॉक्टर को लगाता है और फोन पर डॉक्टर के मिलते ही भैरव सिंह को बढ़ा देता है l
भैरव - हैलो... डॉक्टर... बड़े राजा जी की हालत थोड़ी नासाज़ है.... उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही..... जल्दी महल पहुंच कर उनके लिए कुछ बंदोबस्त करो....
इतना कह कर भैरव सिंह फोन काट देता है और नौकर को दे देता है l
पत्रि - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपने डॉक्टर के ज़वाब का इंतजार नहीं किया....
भैरव - हम किसीके सुनने की आदि नहीं हैं.... तकलीफ उसे है जो हमें ना सुने...
पत्रि - जी समझ गया... और गांठ भी बांध ली...
भैरव - बहुत अच्छे पत्रि..... एंड वन्स ऐगेन वेलकम... टू... राजगड़....

पत्रि - थैंक्यू राजा साहब... थैंक्यू... अ... लॉट....
भैरव - ह्म्म्म्म... अब तुम... जा सकते हो... पत्रि....
पत्रि - जी बेहतर.... थैंक्यू...
पत्रि अपनी गाड़ी के तरफ जाता है और गाड़ी में बैठ कर निकल जाता है l उसके जाने के बाद भीमा भैरव सिंह के पास आता है,
भीमा - हुकुम.... इसे यहाँ बुलाकर.... यह सब करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - भीमा.... आज से तकरीबन आठ या नौ साल पहले.... याद है.... हमने... एक तहसीलदार को उसी के ऑफिस में... सबके सामने... उसीके पियोन के जुतोंसे पिटाई कारवाई थी....
भीमा - हाँ... याद है... हुकुम....
भैरव - तुझे याद है उस कलेक्टर का नाम....
भीमा - नहीं.... हुकुम...
भैरव - उसका नाम राधे श्याम पत्रि था..... यह उसका बेटा है....
भीमा - पर हुकुम.... उसे.. फिर आपने राजगड़ में उसे आने क्यूँ दिया....
भैरव - हम उसे टटोल रहे थे..... हम पहले ही उसका फाइल चेक कर चुके हैं.... यह अपने बाप के उलट... करप्ट और रंडीबाज है.... पर कहीं यह बाप के इगो के लिए यहाँ आया तो नहीं.... बस यही सोच कर उसे यहाँ बुलाया था....
वैसे भी जिंदगी में चैलेंजस होने चाहिए.... वरना कुछ मजा नहीं आयेगा.... इस पर नजर रखो...
भीमा - जी हुकुम....

तभी वह नौकर फ़िर से भागते हुए आता है और थाली को बढ़ाते हुए कहता है - छोटे राजा जी.... हुकुम...
भैरव सिंह थाली से फोन उठाता है - हैलो....
पिनाक - वह... राजा साहब... एक... गड़बड़ हो गई है....
भैरव की भौंहे तन जाती है और पूछता - किसके तरफ से....
पिनाक - हमारे तरफ से नहीं.... वह.... रंगा के तरफ से....
भैरव - कौन रंगा....
पिनाक - रंगा... वह जिसे... हमने... विश्व को तोड़ने के लिए जैल में डाला था....
भैरव - तो....
पिनाक - विश्व ने... रंगा पर हमला कर दिया.... और रंगा अभी हस्पताल में है...
भैरव - क्यूँ...... कैसे... विश्व ने रंगा को... आपने रंगा को आगाह नहीं किया था....... रंगा को विश्व से सावधान रहने को...... रंगा ने ऐसा क्या किया .......
पिनाक - विश्व को देख कर.... रंगा को जोश आ गया... इसलिए वह उसे... बार बार छेड़ने लगा था शायद.... जिससे विश्व ने...... प्रतिक्रिया में उस पर हमला कर दिया.....
भैरव - ह्म्म्म्म... तो फिर कुछ दिनों के लिए विश्व को भूल जाओ...
पिनाक - और रंगा....
भैरव - जो चूक जाए.... उसे थूक दो... अब वह हमारे किसी काम का नहीं है.... उसे भाड़ में भेजो...
पिनाक - मतलब...
भैरव - उसे... किसी सब-जैल में शिफ्ट करा दो... और उसे भी भूल जाओ.....
पिनाक - जी बेहतर....
इतना कहकर पिनाक फोन रख देता है l
पिनाक इस वक्त भुवनेश्वर में एक होटल के कमरे में है l उसके सामने एक वकील बैठा हुआ है l वकील को देख कर,
पिनाक - सुन बे काले कोट वाले.... उस रंगा को किसी दूसरे जैल में शिफ्ट कर दे....
वकील - जी... पर वह अब... हस्पताल में है....
पिनाक - तो हम क्या करें.... ज्यादा चूल मची थी.... हरामी के गांड में... सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा था उसके गांड में... उसे... बोला गया था.... विश्व से सावधान रहे और धीरे धीरे अपने काम को अंजाम दे...... अगर इतना ही चूल मची थी तो बिना देरी किए.... अपना खुजली उतार लेना चाहिए था.... पर नहीं.... खुजली इतनी मची थी कि... इलाज कराने सीधे.... विश्व के पास गया.... अब विश्व ने उसका इलाज कर दी है.... साला हरामी.... अब ना सीधा ना टेढ़ा कैसे भी नहीं सो पा रहा है... बैठ भी नहीं सकता.... चला था विश्व के गांड मारने.... विश्व ने ऐसी मारी है... के साला उसे अब वह गांडु कहलाएगा.... इसलिए उसे किसी और जैल में शिफ्ट करा दो... बादमें देखते हैं.... विश्व का क्या करना है... जाओ...
वकील पिनाक का फ्रस्ट्रेशन भरा भाषण सुनने के बाद रुकना भी मुनासिब नहीं समझा l बिना देरी किए वहाँ से निकल गया l
उसके जाते ही इंटरकॉम में डायल करता है l दुसरे तरफ से हैलो की आवाज़ सुनते ही.,
पिनाक - आप दोनों जल्दी से फ्रेश हो जाएं फ़िर मेरे... मतलब हमारे कमरे में आयें.... (इतना कह कर इंटरकॉम रख देता है I

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जैल में विश्व नाश्ते के लिए डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व के वहाँ पहुँचते ही कुछ कैदी विश्वा भाई कहकर बुलाते हैं और सलाम करते हैं l

विश्व उनके सलाम का जवाब तो देता है पर उसे बड़ा अजीब लगता है l वह अपना थाली में नाश्ता ले कर जैसे ही मुड़ता है l कुछ कैदी उसे अपने टेबल पर बुलाते हैं l पर विश्व देखता है डैनी एक कोने में बैठा अपना नाश्ता कर रहा है, तो सीधे डैनी के टेबल पर पहुंच कर डैनी के सामने बैठ जाता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बड़ा नाम हो गया है तेरा.... सब इज़्ज़त दे रहे हैं तुझे....
विश्व - मुझे इनकी हरकत समझ में नहीं आ रहा है..... जब पहले दिन मैं टेबल ढूंढ रहा था... किसी ने अपने टेबल पर नहीं बुलाया था.... किसी किसी टेबल पर तो इशारे से ना आने को बोला था.... पर आज... सब मुझे अपने टेबल पर बुला रहे हैं....
डैनी - यही तो खेल है... प्यारे.... यह जो इज़्ज़त दे रहे हैं... असल में इनके अंदर का खौफ है... इस खौफ और इज़्ज़त के बीच एक बहुत पतली सी लाइन है.... इसे मेंटेन कर बनाए रखना.... वरना इनके आँखों से इज़्ज़त और खौफ उतरते देर नहीं लगेगी.....
विश्व - मुझे... इनसे इज़्ज़त नहीं लेनी...
डैनी - कल तक तु इस जंगल में एक सुवर था.... तुने एक शेर को ढेर कर दिया.... और अब तेरा इवोल्यूशन हो चुका है.... अब इस जंगल का तु एक शेर है.... और शेर शेर बना रहे यह शेर का धर्म है...
विश्व - (विश्व एक हंसी हंसकर) क्या वक्त आ गया.... इंसानों को अब इंसानी पहचान के वजाए..... जानवरों की पहचान से पहचाना जा रहा है....
डैनी - यही सच है.... कहने को सब इंसान हैं..... मगर सब के सब इंसानी खोल में छुपे जानवर हैं.... और हर कोई इस इंसानी समाज रूपी जंगल में अपना राज कायम करना चाहता है.... कोई धर्म के नाम पर, कोई मजहब के नाम पर, कोई जाति वाद पर कोई समाज वाद के नाम पर, कोई साम्यवाद के नाम पर, कोई एकछत्र वाद पर और कोई गणतंत्र के नाम पर .... बस किसी तरह से इंसानी रूपी जानवर पर शेर बन कर राज करना चाहता है.....
विश्व - मुझे ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनना...
डैनी - यह तुम्हारा भ्रम... है... पूरे संसार में ऐसा कोई समाज नहीं है... जहां इंसानी रूपी जानवर ना रहाता हो.... प्रकृति का नियम है.... मरे हुए को चींटी खाती है... चींटी को टिड्डी, टिड्डी को मेढ़क, मेढ़क को सांप, सांप को नेवला, नेवले को भेड़िया, भेड़िया को बाघ.... यह समाज जहां हम रह रहे हैं.... यह भी इस नियम से अछूता नहीं है...... यहां अपने से कमजोर पर राज करने के लिए हर कोई तैयार रहता है....
हर तरफ सिर्फ़ प्यार विश्वास बसता हो....
हाँ ऐसा समाज मुमकिम हो सकता है.... बशर्ते वहां सिर्फ़ इंसान ही बसते हों.....


विश्व खामोश हो जाता है, पर डैनी का नाश्ता खतम हो चुका था, वह अपनी थाली लेकर वहाँ से चला जाता है, पर विश्व वहीँ बैठा डैनी के बातों के गहराई को अनुभव कर रहा है l

अपने चैम्बर में तापस बैठा कुछ फाइलों पर काम कर रहा है l तभी जगन वहाँ आता है और एक काग़ज़ की पर्ची देता है l काग़ज़ की पर्ची पर वैदेही महापात्र लिखा हुआ है l कुछ सोचने के बाद तापस जगन को कहता है -
- जाओ उसे ले आओ यहाँ....
जगन बाहर चला जाता है और थोड़ी देर बाद तापस के चैम्बर में वैदेही आती है l
तापस - आओ वैदेही... आओ बैठो....
वैदेही - नहीं सर... मैं ठीक हुँ...
तापस - अरे.. तुम... तुम कोई मुज़रिम नहीं हो... तुम आम नागरिक हो... बैठो तो सही.... वरना मुझे खड़ा होना पड़ेगा....
वैदेही - ठीक है... सर... मैं... बैठ जाती हूँ.... (कह कर बैठ जाती है)
तापस - तो... तुम अपने भाई से मिलने आई हो....
वैदेही - नहीं सर नहीं... मैं बस उसे एक नजर देख कर चली जाना चाहती हूँ....
तापस - क्यूँ.... क्यूँ नहीं मिलना चाहती.....
वैदेही के आँखों में आँसू आ जाते हैं l
वैदेही - उसे मैं.. डॉक्टर बनते देखना चाहती थी... पर भाग्य को मंजूर ना था... तो उसे सरपंच बनते देखा तो सोचा.... डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज ना कर पाया तो क्या हुआ.... सरपंच बन कर अपने लोगों के दुखों का कष्टों का इलाज तो कर पाएगा.... पर भाग्य को यह भी मंजूर नहीं हुआ... आज एक अपराधी के रूप में इस जैल में है....
तापस - तो तुम इसलिए उससे नहीं मिलना चाहती..... सिर्फ़ दूर से एक नजर देख कर चली जाना चाहती हो...
वैदेही - हाँ सर.... माँ ने इसे पैदा कर मेरे ही हाथों में सौंप कर चल बसी थी... मैं इसे माँ, दीदी और गुरु बन कर पाल पोष कर बड़ा किया.... पर यह दिन देखने के लिए तो नहीं.... उसकी ऐसी हालत देखने के लिए तो नहीं....

तापस को उसके दर्द का एहसास होता है, वह एक गहरी सांस छोड़ कर वैदेही को पूछता है,
- ह्म्म्म्म क्या तुम... अपने भाई को देखना चाहोगी....
वैदेही अपना सर हिला कर अपना सम्मति देती है l तापस उसे इशारे से अपने पीछे आने को कहता है l वैदेही उसके पीछे चल देती है और दोनों ऑफिस के दूसरे माले पर पहुंचते हैं l
वैदेही देखती है एक लंबा सा टेबल बीच कमरे में पड़ी है, कम से कम पच्चीस तीस कुर्सियां पड़ी हुई हैं, बीच दीवार पर एक टीवी लगी है, और कमरे अलमारियां भरी हुई हैं और हर आलमारी किताबों से भरी हुई है l
तापस-(वैदेही को कमरे को ऐसे घूरते हुए देख) यह इस जैल की लाइब्रेरी है.... पढ़ कर समय व्यतीत करने के लिए यह लाइब्रेरी बनाई गई.... ह्यूमन राइट्स वालों की डिमांड पर... पर अफ़सोस.... कोई भी यहां नहीं आता....
तापस एक खिड़की के पास खड़े हो कर कॉटन को हल्का सा खिंचता है, फ़िर वैदेही को पास बुलाता है और दूर विश्व को कोई काम करते हुए दिखाता है l विश्व को देखते ही वैदेही के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है पर अगले ही क्षण उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती है l
वैदेही - कितना... भोला... कितना मासूम लग रहा है... मेरा भाई.... भगवान करे वह ऐसे ही हमेशा रहे.....
तापस - नहीं वैदेही.... विश्व जब जैल से निकलेगा.... मुझे अफ़सोस हो रहा है... यह कहते हुए.... वह ना मासूम रहेगा ना भोला....
वैदेही - यह आप.... क्या कह रहे हैं सर....
तापस - मैं सच कह रहा हूँ वैदेही.... हाल के दिनों में क्या हुआ है उसके साथ.... और मैं कहना भी नहीं चाहता... तुम नहीं जानती.... इस जैल में हर कदम पर... हर मोड़ पर उसे तरह तरह के लोग मिलते रहेंगे..... और हर मिलने वाला उससे उसकी मासूमियत और भोला पन को निचोड़ता रहेगा... और जिस दिन वह अपनी सजा काट कर बाहर निकलेगा.... तब वह तुम्हारा मासूम और भोला विश्व नहीं रहेगा.... पता नहीं क्या हो गया होगा.....
वैदेही तापस को एक टक देखे जा रही है, तापस जब वापस वैदेही को देखता है तो वैदेही के आँखों में कुछ पढ़ने की कोशिश करता है l
वैदेही अपनी नजर हटा लेती है और खिड़की से विश्व को देखते हुए तापस से कहती है
- अगर नियति को यही मंजूर है..... तो यही सही.... वह भोला और मासूम बना रहा... इसलिए आज उसकी यह हालत है.... अगर वह भोला और मासूम ना होता तो कहानी कुछ और ही होती ना सर....
तापस वैदेही के आक्रोश को अंदर तक महसूस करता है l

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कुछ देर बाद पिनाक के कमरे के दरवाजे पर धक्का लगता है और उस कमरे में एक नौजवान और एक किशोर प्रवेश करते हैं l
पिनाक - आओ आओ युवराज... आओ राजकुमार....
(यह दोनों सात साल पहले वाले विक्रम और वीर हैं)
विक्रम - छोटे राजा जी... हमे यूँ.. अचानक कलकत्ते से क्यूँ बुलाया गया.... हमे कुछ समझ में नहीं आया....
पिनाक - वही समझाने तो आप लोगों को यहां पर बुलाया गया है.... बैठिए आप दोनों....
विक्रम और वीर दोनों पास के सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
पिनाक - युवराज आप अभी बीस वर्ष के हैं...
और वीर आप सत्रह वर्ष के....
सो युवराज आपकी कॉमर्स की ग्रैजुएशन ख़त्म होने को है.... और राजकुमार आपका इंटर का भी यह आखरी साल है.... पर आप दोनों आपका अपना पढ़ाई अब यहीं पर खतम करेंगे....
दोनों भाई एक दूसरे को देखते हुए - क्या.... पर क्यूँ....
पिनाक - बड़े राजा जी ने... हम तीनों को मिशन दिया है... जिसे हम तीनों मिलकर पुरा करना है.....
विक्रम - कैसा मिशन...
पिनाक - अब आप न्यूज चैनल्स के ज़रिए समझ चुके होंगे.... हम अभी रूलिंग पार्टी की सदस्यता ली है....
विक्रम - जी....
पिनाक - वह इसलिए.... के आने वाले दो साल बाद.... हमे भुवनेश्वर सहर का मेयर बनना है....
विक्रम - क्या.... राजगड़ से बाहर.... राजनीतिक पदवी.... पर क्यूँ...
पिनाक - कुछ हालात ऐसे बन गए हैं... की हमे खुदको राजगढ़ में सीमित रखना असंभव हो गया है.... यह राजधानी है... समूचे राज्य के राजनीतिक गड़.... यहाँ पर नजर भी रखना है... और पीछे रहकर परिचालन भी करना है...
विक्रम - ठीक है.... आपका तो समझ में आ गया.... हमे क्या करना होगा....
पिनाक - आप दोनों को ******* कॉलेज में एडमिशन लेनी होगी.. आगे की पढ़ाई के लिए....
विक्रम - और... कॉलेज में... हमे क्या करना होगा.....
पिनाक - आपको कॉलेज में इलेक्शन लड़ना होगा.... स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसिडेंट बनना होगा....
विक्रम - उससे... होगा क्या...
पिनाक - युवराज.... हमे लक्ष दिया गया है.... दो साल बाद मेयर बनने के लिए.... और आपको सारे स्टूडेंट्स को लीड करना है.... फिर पार्टी में.... युवा मंच का चेहरा बनना है.... उसका अध्यक्ष बनना है....
वीर - और मेरा क्या काम है.....
पिनाक - आप युवराज जी को फॉलो करेंगे... उनके बाद कॉलेज के यूनियन के प्रेसिडेंट बनेंगे... और हाँ आइंदा ध्यान रहे... बड़े राजा जी या राजा साहब जी के सामने मैं, या तुम हरगिज़ मत कहिएगा... सिर्फ हम या आप...
वीर - ठीक है....
विक्रम - इस साल हम कॉलेज में जॉइन करेंगे... और इसी साल हमे स्टूडेंट्स इलेक्शन जितना भी होगा....
पिनाक - हाँ... युवराज... क्यूंकि कॉलेज से ही नई पीढ़ी वोट देने निकलती है... उसी नई पीढ़ी के हीरो बनना है आपको.... बाई हूक ओर क्रुक.... आप अपने कॉलेज के बॉक्सिंग चैंपियन रहे हैं... इसलिए उस जरिए भी आपको काम लेना होगा....
विक्रम - क्या यह आपको इतना आसान लगता है....
पिनाक - नहीं बिल्कुल भी नहीं.... पर जो आसानी से हो जाए... उसे करने में मजा ही क्या....
विक्रम - किसीकी बने बनाए खेल में घुस कर अपने नाम करना है... किसीका जमाया हुआ सिक्का अपने नाम करना है... वह भी एक साल में...
पिनाक - हाँ.... युवराज... आप क्षेत्रपाल हैं.... यह ना भूलें.... आज हमारे वंश का एक महा मंत्र आप दोनों को प्रदान करता हूं.... क्षेत्रपाल परिवार के पुरुषों के हाथ कभी आकाश की ओर नहीं होती..... सिर्फ ज़मीन की ओर होती है.... हम कुछ दे सकते हैं या फिर छीन सकते हैं.... पर हाथ ऊपर कर मांग नहीं सकते.... इसलिए चाहे कोई भी हो..... जिसका बना बनाया या जमाया हुआ सिक्का... आपको छिनना है.... कैसे यह आप तय करें....
विक्रम यह सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है और चल कर खिड़की के पास खड़ा होता है l नीचे जाते हुए गाड़ियों को देखता है l
पिनाक उसके पास आकर खड़ा होता है l
पिनाक - क्या सोचने लगे युवराज....
विक्रम - इस सहर पर राज करना है.... पर कैसे और कहाँ से शुरू करें....
पिनाक - राजगढ़ में जैसा है वैसे तो बिल्कुल नहीं..... सबके मन में खौफ को इज़्ज़त के साथ बिठाना है.... खौफ और इज़्ज़त के बीच एक पतली सी लाइन होनी चाहिए.....
विक्रम पिनाक की ओर देखता है और फिर कमरे में चहल कदम करने लगता है l पिनाक आकर वीर के पास बैठ जाता है और इंटरकॉम में तीन चाय के लिए ऑर्डर करता है l

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वैदेही जा चुकी है, तापस वैदेही को बाहर छोड़ कर अपने चैम्बर की ओर जा रहा है l तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l मोबाइल निकाल कर देखता है तो उसे स्क्रीन पर प्रतिभा का नाम दिखता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l फोन उठा कर - हैलो जान....
प्रतिभा - एक खबर है.... शायद आपको खुश करदे....
तापस को शरारत सूझती है - मुझे खुश करदे.... वाव... अररे.... जान घर पर नया मेहमान आने वाला है... वाव... मुझे तो तुम्हारे फोन से ही मालुम हो गया है.... के मुझे यह खुश खबरी सिर्फ़ अपने स्टाफ वालों से ही नहीं..... बल्कि पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवा देता हूं.... प्रत्युष को भी खबर कर देता हूँ.... आख़िर इतने सालों बाद खुशी का मौका हाथ लगा है....
प्रतिभा - (गुस्से से) हो गया...
तापस - अररे अभी कहाँ.... मैंने जगन के हाथों से मिठाई.. अभी तक मंगवाया नहीं है....
प्रतिभा - (अपनी दांत पिसते हुए) अगर अभी आप चुप नहीं हुए.... तो आज ड्रॉइंग रूम में सोईयेगा....
तापस - इतनी छोटी गुस्ताखी के लिए.... इतना बड़ा सजा.....
प्रतिभा - मैं... अब... अपना फोन काटती हूँ...
तापस - अरे.... गुस्सा... थूक दो.... यार थोड़ा मज़ाक कर रहा था..... सुबह से इधर उधर की सोच सोच कर टेंशन में था.... तुमसे बात की.... तो सारा टेंशन दूर हो गया....
प्रतिभा - ठीक है... ठीक है.....
तापस - अरे यार... थोड़ा मुस्कराते हुए.... कहो ना...

प्रतिभा - हाँ तो सुनो..... तुम्हारे जैल में जो कांड हुआ है ना.... विश्व और रंगा वाला.....
तापस - हाँ क्या हुआ....
प्रतिभा - अरे कुछ नहीं.... उस रंगा का वकील.... रंगा के झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराने के लिए पीटीशन फाइल किया है....
तापस - ओह.... उसने वजह क्या डाला है....
प्रतिभा - यही तो खुशी की बात है......... उसने वजह हेल्थ लिखा है..... कोई सेक्यूरिटी की बात लिखी नहीं है.... और यह भी लिखा है.... डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट देने के तुरंत बाद सेंट्रल जैल के बजाय सीधे... झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराया जाए.....
तापस - यह वाकई.... बहुत अच्छी खबर दी है तुमने....
प्रतिभा - अच्छा ठीक है.... फोन रखती हूँ.... अब.... और हाँ शाम को मिठाई तैयार रखना....
तापस - क्यूँ... मौहल्ले में बंटवाना है क्या....
प्रतिभा - आ..... ह..... आज तो तुम्हें... मैं बेड रूम में घुसने नहीं दूंगी....
इतना कह कर प्रतिभा फोन काट देती है l तापस के चेहरे पर एक शरारत भरा मुस्कान नाच रही है l फोन रख कर मुड़ा तो देखा उसके पास दास खड़ा है l
तापस - अरे दास... आओ... एक अच्छी खबर है...
फिर तापस दास को रंगा के शिफ्ट होने की बात बताता है l
दास - यह अच्छी खबर तो है..... पर....
तापस - पर क्या दास...
दास - सर... सॉरी फॉर अब्युसिव लैंग्वेज... बट.... विथ योर परमिशन... सर....
तापस दास को घूर के देखता है फ़िर अपना सर हिलाते हुए - ओके दास... कंटिन्यु....
दास - सर थ्योरी के हिसाब से बात दिल की होती है.... पर लोग प्रैक्टिकल में लोग गांड की बात करते हैं....
तापस - (आवाज़ को कड़क करते हुए) दास.....
दास - सर इसीलिए तो आपसे..
परमिशन ली थी....
तापस - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) ह्म्म्म्म.... ठीक है..... आगे बोलो......
दास - सर अगर दिल कमजोर हो तो.... किसी किसी परिस्थिति में डर लगना स्वाभाविक है.... यह थ्योरी है.... पर लोग प्रैक्टिकल में गांड फटना कहते हैं....
दास ने जिस तरह से कहा तापस की हंसी छूट जाती है l पर दास नहीं हंस रहा है, तो तापस इशारे में आगे बोलने को कहता है l
दास - और सर अगर कोई डर को जीत जाता है.... आई मिन हरा देता है... तो थ्योरी के हिसाब से दिल मजबुत होना कहते हैं.... पर प्रैक्टिकली लोग गांड में दम होना कहते हैं....
तापस - (अपनी हंसी को रोकते हुए) ह्म्म्म्म तो....
दास - सर अब आते हैं असली मुद्दे पर.... रंगा अपने इलाके में मशहूर था.... आख़िर अपने इलाके का नामचीन पहलवान था.... फिर गुंडागर्दी में नाम और रुतबा कमाया....
तापस अब दास को सिरीयस हो कर सुनने लगा l
दास - रंगा का सब कुछ सही जा रहा था... के उसके गांड के दम में विश्व ने आधा इंच गहरा और चार साढ़े चार इंच चीरा मार दिया...
एक ऐसी जगह.... जहां का तकलीफ ना रंगा खुद देख पा रहा है.... ना आगे चलकर किसीको दिखा पाएगा....
तापस - तुम कहना क्या चाहते हो दास.....
दास - यही.... के विश्व ने रंगा की गांड फाड़ दी है प्रैक्टिकली...
तापस - दास... आखिर कहाना क्या चाहते हो......
दास - रंगा.... वापस आएगा सर.... विश्व से बदला लेने.... अभी तो नहीं.... पर आएगा जरूर.... अपना रौब और रुतबा फिरसे कायम करने..... और तब शायद जैल में एक खूनी मंज़र देखने को मिले.....
तापस के माथे पर अब चिंता दिखने लगता है

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होटल के कमरे में वीर बेड पर लेटा हुआ है, विक्रम एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है और पिनाक एक सोफ़े पर बैठा हुआ है l
पिनाक - युवराज जी... चाय नाश्ता खतम हो चुका है.... कुछ सोच लिए हों... तो प्रकाश करें...
विक्रम - छोटे राजा जी आप हमसे क्या चाहते हैं....
पिनाक - यहाँ के पुराने खिलाड़ियों के बसे बसाये को उजाड़ना और जमे जमाये को हथियाना है....
विक्रम - और यह सब तब होगा... जब इस सहर में हमारा सिक्का चलेगा.... राइट्
पिनाक - राइट्....
विक्रम - और उसके लिए... हमे डेयर एंड डेविल होना पड़ेगा...
पिनाक - राइट्...
विक्रम - इसका मतलब यह हुआ कि.... हमे इस सहर में.... एक पैरालाल सरकार चलानी है...
पिनाक - राइट्....
विक्रम - तो फिर उसके लिए हमे एक डेविल हाउस चाहिए.... ठीक राज भवन के विपरीत दिशा में.... पर सहर के बीचों-बीच.... जहां दो मीटिंग हॉल होने चाहिए.... एक प्राइवेट मीटिंग हॉल... जो नॉर्मली हर घर में होती है.... और एक पब्लिक मीटिंग हॉल जो घर के साथ अटैच हो.... और उस घर के बगल में एक जीम भी हो.....
पिनाक - ह्म्म्म्म पहली बॉल पर छक्का... गुड...
पिनाक - डेविल हाउस का नाम होगा "द हेल"...
वीर - वाव... क्या बात है...
पिनाक - आप शांत रहेंगे.... राजकुमार जी....
विक्रम - डेयर एंड डेविल के लिए एक डेविल आर्मी चाहिए.... वह भी ऑफिसीयल रजिस्टर्ड....

पिनाक - मतलब.....
विक्रम - हम एक प्राइवेट सेक्योरिटी संस्था बनाएंगे.... आज कल बड़े बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस, बड़े बड़े बैंक, बड़े बड़े हस्पताल, बड़े बड़े होटल सब प्राइवेट सेक्यूरिटी एडोप्ट करते हैं....
तो हम भी प्राइवेट सेक्यूरिटी संस्था बनाएंगे और सबको सुरक्षा प्रदान करेंगे.... पर असल में वह हमारी आर्मी होगी....
पिनाक - वाह क्या बात है.... अब तो आपने सेंचुरी मार दी.....
विक्रम - हम जो प्राइवेट आर्मी बनाएंगे.... उसकी ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर भी होगी.... जिसके जरिए हम अपनी आर्मी को सबसे सक्षम बनाएंगे.... जिसकी अपनी इंटेलिजंस विंग भी होगी.... आज की डेट में किसी भी सरकारी एजेंसी को मात दे दे... हम अपनी आर्मी को उतना कॉम्पिटेटीव बनाएंगे....
पिनाक - (ताली मारते हुए) बहुत दूर की सोची है.... शाबाश....
वीर - पर यह इतना आसान नहीं है....
पिनाक - आपको क्यूँ तकलीफ़ हो रही है....
वीर - मुझे नहीं अब आपको होगी.... सेक्योरिटी संस्था का रजिस्ट्रेशन आसान नहीं होता.... उसके लिए एक्स आर्मी पर्सन या किसी बड़े ओहदे वाले एक्स पुलिस पर्सन की जरूरत पड़ेगी....
विक्रम - हाँ यह तो सच है....
पिनाक - तो उसका जुगाड़....
विक्रम - आप पहले घर की तलाश कीजिए.... बाकी मैं तलाशता हूँ....
वीर - और हम... हम क्या करें....
पिनाक - जस्ट फॉलो योर युवराज....
Ex
 
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Kala Nag

Mr. X
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👉इक्कीसवां अपडेट
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पंद्रह दिन बाद कैपिटल हॉस्पिटल में दास को लेकर तापस पहुंचता है l
तापस - यह क्या है दास... हमें आज विश्व को लेकर कोर्ट जाना है.... यह रंगा का सिरदर्द क्या है....
दास - सर... उसके वकील ने बुलाया है.... रंगा किसी बात पर आनाकानी कर रहा है.....
दोनों स्पेशल ट्रीटमेंट सेल में पहुंच कर देखते हैं, बिस्तर पर रंगा पेट के बल लेटा हुआ है l और खिड़की के पास एक कुर्सी पर एक वकील बैठा हुआ है l इन दोनों को देखते ही वकील अपने हाथ में फाइल ले कर खड़ा होता है l

वकील - रंगा... सुपरिटेंडेंट सर आ गए हैं...
रंगा - (आवाज़ में थोड़ी दर्द व कराह है) सुपरिटेंडेंट साहब....
तापस - हाँ रंगा... क्या बात है... कहो...
रंगा - मेरी हेल्थ इशू लिख कर.... यह वकील मुझे अलग जैल में शिफ्ट करवा रहा है....
तापस - ओ... अच्छा... तो मैं इसमे क्या कर सकता हूं....
रंगा - पर.... सुपरिटेंडेंट सर.... मैं.... ठीक होने के बाद.... आपके जैल में जाना चाहता हूँ.... अपना बचा खुचा सजा आपके जैल में... पूरा करना चाहता हूँ....
तापस के कान खड़े हो जाते हैं l वह दास की ओर देखता है l दास भी अपना सर हिला कर कुछ इशारा करता है l फ़िर तापस रंगा की ओर देखता है,
तापस - रंगा.... यह तुम और तुम्हारे वकील के बीच की बात है.... इसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
रंगा - आप कुछ भी कीजिए.... मुझे मेरे ठीक होने के बाद... आपके जैल में ही पहुंचा दीजिए.... भले ही एक महीने के लिए ही क्यूँ नहीं.....
तापस - एक महीने के लिए.... वह क्यूँ... रंगा...
रंगा - (हंसने की कोशिश) हा हा हा.. आ... ह... आप इतने बेवकुफ तो लगते नहीं है.... सुपरिटेंडेंट साहब...
तापस रंगा की मंशा को समझ जाता है
तापस - रंगा.... मेरे जैल में... नशा करने वालों की... कोई जगह नहीं है...
रंगा - और हाफ मर्डर करने वालों की जगह है.... आपके जैल में...
तापस अब एक कुर्सी खिंच कर रंगा के पास बैठता है l

तापस - रंगा... तुम भी... मासूम बनने की कोशिश ना ही करो... तो बेहतर होगा.... मत भूलो... इस पर तुमने कोई स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड नहीं कराया है... और ना ही कोई सबूत है..... इसलिए तुम अपने वकील का कहा मानों और दुसरे जैल में शिफ्ट हो जाओ... वहीँ पर तुम अपना बाकी की सजा पूरा करो... यही तुम्हारे लिए अच्छा होगा.....
रंगा - तो इसमें आप मेरी कोई मदद नहीं करेंगे....
तापस - रंगा.... अब तक... मैं तुझे... इंसानियत के नाते मान दे रहा था... तू मुझे समझता क्या है.... जो तू कहेगा और मैं तेरी बात मान लूँगा.... अपनी औकात और हद भूलना मत....
वकील - सुपरिटेंडेंट साहब... जरा तमीज के साथ बात किजिए... मेरे क्लाइंट से...
तापस ग़ुस्से के साथ वकील को देखता है l वकील की फट जाती है, तापस की आंख जलते हुए भट्टी की तरह लाल दिख रहा है l
तापस - मिस्टर लॉयर.... यह तो अच्छा हुआ कि तुमने इसे शिफ्ट कराने की पहल की है.... वरना इसकी खून की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर.... मैं भी ऑफिसियली किसी दूसरे जैल में शिफ्ट करवा सकता था....
वकील की बोलती बंद हो जाती है l
तापस - सुन बे रंगा... उर्फ़ रंग चरण सेठी.... तु होगा कोई तोप... पर तेरी तोप गिरी.... मुझ पर झाड़ने की कोशिश भी मत करना.... इससे पहले मैं फील्ड ऑफिसर था.... और तेरे जैसों को ना सिर्फ़ अपने जुतों के तले रौंदा है.... बल्कि ठोका भी है.... अब दुबारा कभी मुझे यहाँ बुलाया तो तेरी गांड में ही दो चार बुलेट उतार दूँगा....
इतना कह कर तापस बाहर निकल जाता है l दास भी उसके पीछे पीछे बाहर निकल जाता है l
बाहर कॉरिडोर में तापस को खड़ा पाता है l दास उसके करीब आता है l
दास - वेल डॉन सर.... बहुत ही अच्छे से हैंडल किया आपने......

तापस - दास... तुम ठीक कह रहे थे.... वैसे मैंने सिचुएशन को थोड़े समय के लिए अवॉइड किया है.... पर सच यह भी है.... विश्व को शायद एक लंबी सजा होगी.... आज नहीं तो कल रंगा ठीक भी हो जाएगा.... उसने अब अपने मन में ठान लिया है.... इसलिए अभी के लिए वह सब जैल में सजा पूरा ज़रूर करेगा..... पर सजा पूरा करने के बाद.... वह फिर एक जुर्म करेगा.... सेंट्रल जैल में आएगा.... और शायद तब....
दास - येस सर.... यू आर.. एब्सोल्युटली करेक्ट सर..
तापस - नो... दास.. नो.. यू आर करेक्ट.... और थैंक्स... के तुमने मुझे पहले से ही आगाह कर दिया था....
दास - इटस ओके सर...
तापस - तुम तो समझ ही चुके होगे.... रंगा क्यूँ... थोड़े दिनों के लिए भी... हमारे जैल में आना चाहता है....
दास - हाँ सर.... अच्छी तरह से.... रंगा... एक आखिरी बार... अपना बिखरा हुआ इज़्ज़त को समेटना चाहता है.... क्यूंकि इस ज़ख़्म को लेकर.... वह कहीं भी चला जाए.... इस वक्त उसकी औकात एक गली के बीमार कुत्ते से ज्यादा नहीं है...
तापस - ह्म्म्म्म... हमे आने वाले कल के लिए.... सावधानी बरतनी होगी... लेटस गो...
दोनों हस्पताल से अब जैल की ओर निकल जाते हैं l जैल में पहुंचते ही,
तापस - दास.... आज शायद विश्व की सुनवाई है हाई कोर्ट में...
दास - येस सर....
तापस - वैन निकाल ने के लिए कहो.... और कागजात तैयार करो.... मैं खुद विश्व को लेकर जाना चाहता हूँ....
दास - ठीक है सर... पर आज आप ना जाएं तो शायद ठीक रहेगा....
तापस - क्यूँ...
दास - सर... डोंट.. माइंड... आज सुबह सुबह आपका मुड़ को रंगा ने खराब कर दिया....
तापस - लिव इट... कोई जंग को नहीं जा रहा हूँ... तुम जानते हो ना... पिछली बार... हमारे वैन पर पेट्रोल बम से हमला हुआ था..... इसलिए जब तक विश्व के केस की सुनवाई नहीं हो जाती.... तब तक विश्व मेरी जिम्मेदारी है....
दास कुछ नहीं कहता है, वहाँ से चला जाता है l
थोड़ी देर के बाद वैन में विश्व को बिठा दिया जाता है l और वैन के आगे टोयोटा की लीवा सरकारी गाड़ी में तापस और एक अधिकारी निकलते हैं l
हाई कोर्ट के बाहर जबर्दस्त भीड़ इक्कठा हुआ है l ज्यादातर लोगों के हाथ में प्लाकार्ड दिख रहा है l हर प्लाकार्ड में विश्व के खिलाफ़ लिखा हुआ है l

लुटेरा विश्व को फांसी दो

जनता के पैसे खाने वाले को सजा दो
मनरेगा के दुश्मन विश्व को बीच चौराहे पर सजा दो

ऐसे नजाने कितने प्लाकार्डस देखने को मिले l तापस पहले अपने गाड़ी से उतरता है, उधर वैन से विश्व भी उतरता है l तापस विश्व के उतरते ही सीधे विश्व के सामने खड़ा हो जाता है l कुछ लोग भीड़ के बीच से पत्थर मारने की कोशिश करते हैं l पर फाइबर के आरमर से ढक के विश्व को कोर्ट के भीतर ले लिया जाता है l यह सब देख कर भीड़ पुलिस के विरुद्ध नारा बाजी करने लगती है l
तापस विश्व को कोर्ट रूम के भीतर ले आता है l कोर्ट रूम के भीतर सब अपने अपने जगह बैठे हुए हैं l सिर्फ दो ही कुर्सी खाली है l पहला जज की और दुसरा डिफेंस लॉयर की l
कुछ देर बाद जज का आगमन होता है l अपने कुर्सी पर बैठने के बाद
जज - अदालत की कारवाई शुरू की जाए....
एक हॉकर आवाज़ लगाता "मुज़रिम को हाजिर किया जाए l"
विश्व को एक अधिकारी मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर देता है l
जज - हाँ तो विश्व प्रताप... आपका स्वस्थ्य पिछले बार से कुछ अच्छा लग रहा है....
विश्व - जी....
जज - तो आज की कारवाई में अभियोजन की पक्ष की तैयारी दिख रही है.... पर अभियुक्त पक्ष की कोई तैयारी नहीं है l तो जनाब विश्व प्रताप... आपके तरफ से कोई रिस्तेदार मौजूद हैं..
वैदेही - (अपने बेंच से खड़े हो कर) जी मैं हूं.. जज साहब...
जज - आप विटनेस बॉक्स में आइये और बताईये....
वैदेही को एक मुलाजिम रास्ता दिखाता है और वैदेही विटनेस बॉक्स में पहुंचती है l
जज - हाँ तो मोहतरमा.. पहले अपना परिचय दीजिए और कहिए... आपके वकील कहाँ हैं...
वैदेही - (आखों में आंसू लिए, हाथ जोड़ कर) जज साहब.... मैं वैदेही महापात्र... वह सामने जो खड़ा है... मैं उसकी बड़ी बहन हूँ...
जज साहब.... पिछले दो महीनों से मैं इस सहर की हर गली... हर नुक्कड़ पर घुम घुम कर अपने जीवन भर की जमा पूंजी साथ लिए...... वकीलों के पास दर दर भटक रही हूँ.... पर कोई भी वकील हमारा केस हाथों लेना नहीं चाहता.... इसलिए आपसे मेरी बिनती है.... आप ही हमारे लिए कोई वकील की बंदोबस्त कर दीजिए.... (इतना कहने के बाद वैदेही की रुलाई फुट पड़ती है)
जज - ऑर्डर... ऑर्डर... यह एक पेचीदा मामला है.... इस मामले में प्रोसिक्युशन की क्या राय है....
प्रतिभा - (अपनी कुर्सी से उठ कर) माय लॉर्ड... हमारा कानून में इसकी व्यवस्था है... राइट टू कउंसल के तहत..... आप सरकार को आदेश दे सकते हैं कि वह मक्तुल की राइट टू फेयर ट्रायल के लिए एक सरकारी वकील मुकर्रर करें.......
जज - क्या इससे प्रोसिक्युशन को आपत्ति है....
प्रतिभा - नो... माय लॉर्ड... नो...
जज - ठीक है.... यह अदालत... सरकार को आदेश देती है... की अगले महीने *** तारीख़ से पहले मक्तुल को एक वकील मुहैया कराए.... ताकि जल्द से जल्द इस केस की सुनवाई हो और न्याय हो..... इसीके साथ ही आज की अदालत यहीं स्थगित की जाती है......
जज इतना कह कर कोर्ट रूम से प्रस्थान करता है l उसके जाते ही वैदेही अपने जगह से निकल कर प्रतिभा के पैरों में आकर गिर जाती है l
प्रतिभा - अरे अरे.. यह क्या कर रही हो...
वैदेही के आँखों में कृतज्ञता दिख रही है l
वैदेही - धन्यबाद... वकील साहिबा... आज आपके वजह से विशु के लिए.... खुद सरकार अब वकील देगी....
प्रतिभा - (अपनी पैरों को छुड़ाते हुए) देखो मैंने कुछ नहीं किया.... यह तुम्हारे भाई को मिला हुआ संवैधानिक अधिकार है....
वैदेही - फिर भी आपने जज साहब से कहा.... और जज साहब ने तुरंत मान भी लिया... इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद....
प्रतिभा - ओ.... हो.... बेवक़ूफ़ लड़की.... ठीक है जाओ.. अगले महीने आना....
वैदेही - (खुशी के मारे उठती है) ठीक है...
इतना कह कर प्रतिभा के गले लग जाती है, इससे पहले प्रतिभा इस शॉक से बाहर निकल कर होश में आती, वैदेही खुशी के मारे वहाँ से बाहर चली जाती है l प्रतिभा को कुछ समझ में नहीं आता l वह एक गहरी सांस छोड़ती है जैसे कहीं दूर से भाग के आयी हो l
उस तरफ विश्व को मीडिया वालों से बचाते हुए, तापस विश्व को वैन में बिठाता है, और खुद जा कर अपने सरकारी गाड़ी में बैठ जाता है l फिर दोनों गाड़ी भुवनेश्वर का रुख करते हैं l
मीडिया वाले फिरभी कटक हाई कोर्ट से पीछे लग जाते हैं और भुवनेश्वर के सेंट्रल जैल तक पीछा करते हैं l
शाम को घर में टीवी पर दिन भर की खबर प्रसारित हो रही है l प्रत्युष बड़े चाव से न्यूज देख रहा है l
तापस उस वक़्त घर के अंदर आता है l प्रत्युष को टीवी देखता देख,
तापस - क्यूँ माँ के लाडले..... आज आपकी पढ़ाई से छुट्टी है क्या....
प्रत्युष - डैड... आज टीवी पर सिर्फ माँ ही छाई हुई है.... देखना तो बनता है ना....
तापस - क्यूँ तेरी माँ ने आज ऐसा कौनसा तीर मार डाला.... के टीवी वाले अपना चैनल महानदी में डुबो रहे हैं....
प्रत्युष - देखीये डैड..... इस वक्त आप जे-सींड्रोम से पीड़ित हैं.... आई मिन टू से... आप ग्रसित हैं... जे-सींड्रोम से
तापस - अछा.... वह होता क्या है....
प्रत्युष - जलन डैड जलन... आप माँ की नेम और फेम से जल रहे हैं....
तापस प्रत्युष को देख कर मुस्कराता है और अपना बेल्ट निकालता है l इससे पहले कि तापस अपना बेल्ट पुरी तरह से निकाल पता, प्रत्युष तापस के पैरों के नीचे गिर जाता है और चिल्लाता है,
प्रत्युष - आ.. ह... मर गया.. मर गया... आ.. ह.. माँ बचाओ...
प्रतिभा दौड़कर आती है और देखती है प्रत्युष तापस के पैरों के पास पड़ा है,और तापस के हाथों में बेल्ट है l प्रतिभा को देखते ही तापस की हालत पतली हो जाती है l
प्रतिभा - सेनापति जी.... यह आप क्या कर रहे हैं....
तापस - अरे भाग्यवान.... अभी तक किया कहाँ है.... इससे पहले कुछ करता.... आपके लाडले ने मेरी वाट लगा दी.....
प्रतिभा - अच्छा... यह बात है... दीजिए मुझे यह बेल्ट...
तापस - (खिसियाते हुए) देखो भाग्यवान बेटे के सामने नहीं.....
प्रतिभा - मैं कहती हूँ.... दीजिए बेल्ट....
तापस बड़ी मुश्किल से बेल्ट प्रतिभा को थमाता है....
अपनी माँ का यह अवतार देख कर खुश होते हुए और हैरानी से प्रत्युष मुहँ और आँखे फाड़े अपनी माँ के पास खड़ा हो जाता है और इंतजार करता है कि अब आगे क्या होगा l
प्रतिभा बेल्ट हाथो में लेती है और मारने के लिए उठाती है l तापस, प्रतिभा को हैरान हो कर देख रहा है कि तभी प्रत्युष की चीख निकल जाती है l क्यूंकि बेल्ट की मार प्रत्युष के पिछवाड़े पर लगती है l
प्रत्युष - आ... ह... माँ... मुझे लगा...
प्रतिभा - तुझे लगना ही चाहिए..... नालायक अपने बाप की टांगे... खिंचता है... (कह कर प्रतिभा प्रत्युष के पीछे भागती है)
प्रत्युष- डैड मुझे बचाओ...
तापस - अरे... भाग्यवान रुक जाओ....
प्रतिभा रुक जाती है, तो प्रत्युष तापस के पास आकर गले लग जाता है l
प्रतिभा - सेनापति जी... क्या आप बताने की कष्ट करेंगे... इस नालायक की तरफदारी क्यूँ कर रहे हैं....
तापस - अरे जान... कौन इस नालायक की तरफदारी कर रहा है.... मैं तो कह रहा था... की क्यूँ ना तुम... बेल्ट को उल्टा पकड़ कर.. बकल के तरफ से मारो....
प्रत्युष - डैड... मैं सोच भी नहीं सकता था... के आप इतने कठोर हृदय वाले निकलोगे.....
तापस - कठोर वह क्या होता है....(फिर प्रत्युष को गले लगा कर) अरे यार... तू ही तो एक है... जो इस घर का रौनक है... तु जिस दिन मुझे छेड़ेगा नहीं... तो उस दिन मेरा दिन ही खराब हो जाएगा...
प्रत्युष - जानता हूँ डैड... माँ भी मुझे कहाँ मारती है.... पर कभी कभी दुसरे लड़कों को देखता हूँ... तो उनके किस्मत से रस्क होता है मुझे.... उन्हें अपने माँ बाप का प्यार ही नहीं मार भी मिलाता है.... पर मेरे किस्मत में तो सिर्फ़.. प्यार ही प्यार वह भी बेशुमार मिलता है.... इसलिए मार खाने के लिए यह सब करता हूँ... फिर भी देखिए ना माँ जब बेल्ट से मारती है..... तो ऐसा लगता है जैसे वह मार नहीं रही है .. गुदगुदी कर रही है...
प्रतिभा - ऐ... देख मैं... सच में तुझे मारूंगी... हाँ..
फिर प्रतिभा दोनों के गले लग जाती है l तभी घर की लैंड लाइन बजने लगती है l सबका ध्यान फोन के तरफ जाती है l प्रतिभा दोनों को सोफ़े पर बैठने के लिए कह कर फोन उठाती है,
प्रतिभा - हैलो...
- क्या आप... पब्लिक प्रोसिक्यूटर प्रतिभा जी बोल रहे हैं...
प्रतिभा - जी बोल रही हूँ...
- यह आप लगा क्या रखी हैं...
प्रतिभा - व्हाट डु यु मीन.... और आप हो कौन...
तापस प्रतिभा का मुड़ बदलते देख उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l
प्रतिभा - आप कौन हैं... और आपको किस बात की तकलीफ़ है मुझसे....
- हम... छोटे राजा... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल... बोल रहे हैं....
प्रतिभा - छोटे राजा जी... आप मुझसे ऐसे क्यूँ....
पिनाक - आप को कहा गया था... विश्व को सजा देने के लिए... आप उसे बचाने का फार्मूला जज को दे आईं...
प्रतिभा - देखिए... मनानीय क्षेत्रपाल जी... विश्व की मैंने कोई मदद नहीं की... ना ही जज साहब को मैंने कोई सुझाव दिया है.... वह एक कानूनी प्रक्रिया है... जिसे कोर्ट में कारवाई के अपनाया गया.... और आप इतने बड़े राजनीतिज्ञ हैं..... आपको इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए...
पिनाक - हाँ है... हम तो सिर्फ इस केस के प्रति.. प्रतिबद्धता माप रहे थे...
प्रतिभा - तो क्या देखा आपने....
पिनाक - आगे पता चलेगा..... (कह कर फोन काट देता है)
प्रतिभा भी फोन रख देती है l और मूड कर तापस से कहती है
प्रतिभा - सेनापति जी पता नहीं क्यूँ.... उसने जैसे ही अपना नाम क्षेत्रपाल बताया.... मेरे भीतर से कंपकंपी छूट गई...
तापस उसे गले लगा लेता है, और प्रत्युष भी प्रतिभा के गले लग जाता है l
प्रतिभा से बात चित के बाद पिनाक अपने कमरे में टीवी पर न्यूज पर ध्यान देता है, और वीर के और देखता है तो देखता है वीर बेड पर लेटा मोबाइल पर गेम खेल रहा है l
पिनाक अपना मोबाइल फोन उठा कर यशपुर में अपने लीगल एडवाइजर बल्लभ प्रधान का नंबर डायल करता है l उस तरफ बल्लभ के फोन उठाते ही,
पिनाक - प्रधान....
बल्लभ - जी... छोटे राजा जी...
पिनाक - तुमने... न्यूज देखा...
बल्लभ - जी देख रहा हूँ... छोटे राजा जी...
पिनाक - यह कहाँ तक सही है..... वह औरत जज को कैसे सिफारिश कर सकती है... उस विश्व के लिए सरकारी वकील के लिए...
बल्लभ - छोटे राजा जी... आप जिस औरत की बात कर रहे हैं... वह निहायत ही शरीफ और ईमानदार है.... और उसने जो किया वह कोर्ट के प्रोसिजर में... ऐसा ही होता है.... जज प्रोसिक्यूशन को टटोलने के लिए भी ऐसा करते हैं.... कहीं वह विरोध ना करे किसी निजी हित साधने के लिए....
पिनाक - ह्म्म्म्म अच्छा... तो यह बात है...
बल्लभ - हाँ... और यह सच है.... अगर कानूनी कार्रवाई कोर्ट तक पहुंचती है... उस हालत में... बिना डिफेंस लॉयर के..... मक्तुल को कोई भी अदालत सजा नहीं दे सकती....
पिनाक - वह तो ठीक है.... पर अदालत ने उसके लिए सरकार को आदेश दिया है.... विश्व के लिए... सरकारी वकील मुकर्रर करने के लिए.... जानते हो ना... यह केस राजा साहब की नाक और मूछ है...
बल्लभ - जानता हूं.... उससे कुछ नहीं होता... छोटे राजा जी... कानून और कोर्ट हमेशा... सबूतों के बैसाखी के सहारे रेंगते हैं... और विश्व के खिलाफ़ हमने इतने सबूत बनाए हैं... के उसे राष्ट्रपति तक सजा दिलाने से नहीं बचा सकते हैं.....
पिनाक - ह्म्म्म्म... तो फिर... ठीक है....
प्रधान से बात करने के बाद फोन रख कर कमरे में पिनाक चहल कदम कर रहा है l वीर उसे देखता,
वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी.... आप किस बात से इतना परेशान लग रहे हैं.... आप इधर उधर फोन कर... अपना टाइम पास करने की कोशिश कर रहे हैं....
पिनाक वीर की ओर देखता है और पूछता है,
पिनाक - आज आपका कॉलेज कैसा गया राजकुमार....
वीर - हम कब तक... होटल में रहेंगे... छोटे राजा जी... युवराज ने आपको घर या घर के लिए जगह देखने के लिए कहा था....
पिनाक - (बिदक कर) हमने आपसे पहले कुछ पूछा है....
वीर - कॉलेज में होता क्या है.... छोटे राजा जी... कुछ भी तो नहीं....
पिनाक - क्या आप जानते हैं.... युवराज अब कहाँ हो सकते हैं...
वीर - युवराज जी अपने मिशन के अगले पड़ाव पर पहुंच चुके हैं....
पिनाक - क्या मतलब....
वीर - आज युवराज जी... कॉलेज के ... तुर्रम खान को... और उसके के चेलों को..... होटल ऐरा.. में पार्टी दे रहे हैं.... और आज ऑफिसियली डिक्लेर होगा... अगला प्रेसिडेंट कॉलेज इलेक्शन का... वह भी अन-कंटेस्टेंट....
पिनाक - ओ....
वीर - इसलिए तो आपसे... मैंने घर की बात पुछा.... युवराज अपने मिशन पर बढ़ते ही जा रहे हैं....
पिनाक - मैंने अपने आदमियों को दौड़ाया है... बहुत जल्द... प्लॉट या घर देख कर... हमे इत्तला करेंगे.... घर मिल जाए तो हम अपना मोडिफीकेशन कर सकते हैं....
यह सुन कर वीर चुप रहा और मोबाइल पर गेम में डूब जाता है l
होटल ऐरा....
विक्रम अपनी गाड़ी से आकर गाड़ी की चाबी गार्ड को देता है और टीप में उसे पांच सौ रुपये देता है l गार्ड विक्रम को सैल्यूट कर गाड़ी पार्किंग में ले जाता है और रजिस्टर में गाड़ी के नंबर लिख कर अपने पास चाबी जमा कर देता है l विक्रम आकर सीधे लॉबी में पड़े सोफ़े पर बैठ जाता है l
उधर होटल के एक रॉयल शूट नंबर 702 में बारह तेरह लड़कों का ग्रुप बैठ कर आपस में बात कर रहे हैं l
उनमे से एक ने पूछा....
एक - अरे यार... विनय... तुने उसे क्या टाइम बताया था....
विनय - अबे.. मैंने उसे करेक्ट आठ बजे पहुंचने को बोला था....
दुसरा - अबे तो आठ कबका बज चुका है.... कहीं वह हमें सैंडी तो नहीं लगा दिया होगा.....
विनय - अबे क्या पता.... लगाया भी हो....
एक - अबे.... तो इतना माल हम..... किसके बाप का हम ठूंस रहे हैं....
विनय - रिलैक्स... गयज.... वह... पार्टी देगा पार्टी देगा बोल रहा था... तो मैंने भी अपनी शर्तों पर पार्टी को राजी हो गया.... मैं उसे बोला मुझे और मेरे यार लोगों को सेवन स्टार वाला होटल ऐरा.. के रॉयल शूट में पार्टी चाहिए.... तो मैंने ही उसके सामने यह शूट बुक कराया है... और उसने तुरंत पेमेंट भी कर दिया था....
तीसरा - अबे... तो उस हालत में.... हमे उससे इंतजार करवाना चाहिए था.... हम बेकार में... उसका इंतजार कर रहे हैं.....
पांचवां - हाँ यार विनय... उसका हमारे पास काम था तो हमे.... उससे इंतजार करवाना चाहिए था....
एक - और नहीं तो क्या... वह नया लौंडा हमे इंतजार करवा रहा है... वह भी कॉलेज प्रेसिडेंट विनय कुमार महानायक से....
दूसरा - वही तो.... यार यह खाने पीने की बात अलग.... और इज़्ज़त अलग....
छटा - लगा... उसे फोन लगा.... हम क्या उसके दिए पार्टी के बगैर मर जायेंगे.... साला होस्ट ही गायब है....
दुसरा - और नहीं तो... देख विनय.... लगता है... उसका कोई जरूरी काम है तुझसे... इसलिए यहाँ लाकर हमे पार्टी दे रहा है.... साला उसे अपना उल्लू सीधा करवाना है... वह भी हमसे.... और खुद गायब है... लगा उसको फोन.... और बोल तू कौन है....
विनय यह सब सुनकर अपना मोबाइल निकालता है और विक्रम को फोन लगाता है l
विक्रम होटल के लॉबी में बैठा कोई मैग्ज़ीन खोले पढ़ रहा था कि उसका फोन बजने लगा l विक्रम फोन निकाल कर देखता है, उसमें विनय का नंबर देख कर मुस्कराता है, पर फोन नहीं उठाता है l फोन कट होने पर अब विक्रम भी खीजने लगता है l
एक - देखा... वह महा कमीना निकला.... मादरचोद हमे इस रूम के और खाने के बिल में फंसा दिया....
विनय अब फ़िर से विक्रम को फोन लगाता है l विक्रम देखता है और इसबार फोन उठाता है
विक्रम - हैलो...
विनय - ऑए... हमे आठ बजे बुलाकर तू किधर है रे ...
विक्रम - आठ बजे... विनय साहब.... वेन्यू और मेन्यू और टाइम आपका और बिल मेरा... यही डिसाइड हुआ था...
विनय - हाँ... तो.. तुझे... आठ बजे आ जाना चाहिए था.. ना...
विक्रम - क्या... आठ बजे.... मुझे लगा कि आप आठ बजे घर से निकल ने के लिए बोले हो....
विनय - क्या... अभी तू बता.. कहाँ है तू...
विक्रम - आरे विनय साहब... मैं इस वक़्त गाड़ी में हूँ और गाड़ी चला भी रहा हूँ....
विनय - तो कब तक पहुंच सकता है.....
विक्रम - शायद साढ़े आठ बज जाएंगे.... आप एक काम करो... मैनेजर से बात करके रूम की चाबी ले लो... मैं आकर आपको सीधे जॉइन करता हूँ.....
विनय - ठीक है ... अगर तू साढ़े आठ बजे ना आया.... तो हम सब चले जाएंगे....
विक्रम - ठीक है विनय साहब......
इतना कह कर विक्रम मुस्करा देता है, और अपना घड़ी देखता है साढ़े आठ बजने को है l विक्रम मैग्जीन को रखता है और रिसेप्शन की ओर जाता है l रिसेप्शन में पहुंच कर मैनेजर को बुलाता है l मैनेजर अपने कमरे से बाहर निकल कर रिसेप्शन पहुंचता है l

विक्रम - मैनेजर साहब..... रॉयल शूट नंबर 702 का जो भी बिल हुआ कहिए.... हम अभी पेमेंट कर देंगे...
मैनेजर - जी बहुत अच्छा...
मैनेजर रिसेप्शन से बिल पूछता है और पूछता है - सर क्या आप चेक आउट करने वाले हैं...
विक्रम - नहीं... बिल पेमेंट अभी हो जाएगा.... पर चेक आउट कल ही होगा....
मैनेजर - जी बहुत अच्छा....
फिर बिल बना कर विक्रम को देता है l विक्रम 92 हजार का बिल देख कर मुस्करा देता है l
विक्रम अपना क्रेडिट कार्ड रिसेप्शनीष्ट को देते हुए मैनेजर से
विक्रम - अच्छा मैनेजर... उस कमरे का इंश्योरेंस है...
मैनेजर विक्रम को घूर कर देखता है l
रिसेप्शनीष्ट पेमेंट क्लीयर कर बिल मैनेजर को दे देती है l मैनेजर बिल में क्षेत्रपाल नाम पढ़ते ही आँखे फाड़ कर विक्रम को देखने लगता है l
मैनेजर - स... स... सर आप...
विक्रम - इस स्टेट में... एक ही राजा साहब हैं... जानते हो...
मैनेजर - ज.. ज.. जी.. भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी..
विक्रम - हम उनके युवराज हैं...
मैनेजर - जी...
विक्रम - अब बोलो... क्या उस कमरे का इंश्योरेंस है....
मैनेजर - जी है... बिल्कुल है....
विक्रम - गुड... कल अपने इंश्योरेंस एजेंट को बुला लेना....
मैनेजर - जी...
इतना कह कर विक्रम अपना कार्ड लेकर पलट कर लिफ्ट की ओर बढ़ता है l तभी उसका फोन बजने लगता है l विक्रम अपने जेब से फोन निकालने को होता ही है कि उससे कोई टकरा जाता है l इम्पैक्ट ऐसा था के दोनों ही गिर जाते हैं l विक्रम गुस्से से उसे देखता है कि देखता ही रह जाता है l एक बहुत ही खूबसूरत लड़की l उसकी खूबसूरती देख कर विक्रम का मुहँ खुला रह जाता है l वह लड़की उठती है और विक्रम की ओर अपना हाथ बढ़ाती है l विक्रम उस लड़की का हाथ थाम लेता है और धीरे धीरे उठता है l
लड़की - सॉरी सॉरी... वह मैं थोड़ी जल्दी में थी इसलिए... डोंट माइंड...
इतना कह कर वह लड़की होटल के रेस्टोरेंट की और भाग जाती है l विक्रम भी उसके पीछे जाता है l तभी फिरसे विक्रम का फोन बजता है, विक्रम जो हिप्नोटाइज हो गया था, उसे होश आता है l
विक्रम - (फोन उठा कर) हैलो
विनय - अबे कहाँ मर गया तु.... जल्दी आ... वरना...
विक्रम - (चेहरे का भाव अचानक बदल कर) सिर्फ़ दो मिनट... (फोन काट कर लिफ्ट में घुस जाता है)
उधर कमरे में
विनय - अबे वह... होटल में पहुंच गया है... दो मिनट में पहुंचने वाला है.... सो एंजॉय... फ्रेंड्स..
सब खुशी से चिल्लाने लगते हैं l
कॉलिंग बेल बजती है, उनमे से एक जाकर दरवाजा खोलता है l
एक - अबे तू यहाँ लड़की देखने आया है क्या बे.... जो तु लेट करेगा... और हम तेरी राह ताकते रहेंगे...
विनय - अरे... जाने दे यार... यह पार्टी यही दे रहा है.... लेटस् चीयर हिम...
विनय, विक्रम को अंदर आने को कहता है l विक्रम आकर विनय के सामने पड़ा एक कुर्सी पर बैठ जाता है l
विनय - यार... मजा आ गया... हम मैनेजर से चाबी ले कर आए तो देखा सब पहले से ही अरेंजमेंट है... बस क्या.... हम शुरू हो गए... हा हा हा हा
विक्रम भी मुस्करा देता है l
विनय - अच्छा बोल... तुझे क्या चाहिए... हम लोग सब बहुत खुश हैं तुझसे....
विक्रम - ह्म्म्म्म, मैं कभी मांगता नहीं हूँ....
विनय - ओके... जो तुझे चाहिए लेले फिर.... हा हा हा हा...
विक्रम - ह्म्म्म्म इसबार... विनय तु स्टूडेंट इलेक्शन नहीं लड़ेगा.... इसबार मैं प्रेसिडेंट कैंडीडेट हूँ..
वह भी अनकंटेस्ट...
सब खामोश हो जाते हैं, कमरे में इतनी शांति छा जाती है, के अगर सुई गिर जाए तो सुनाई दे l
फिर अचानक से विनय हंसने लगता है l उसे हंसता देख कर उसके साथी भी हंसने लगते हैं l
विनय - ओह कॉम ऑन... विक्रम.... यार यह खाने पीने का टाइम है.... ऐसे जोक मत मारो के हंसते हंसते पेट भर जाए (कह कर जोर जोर से हंसने लगता है)
विनय के साथ उसके सारे दोस्त भी हंसने लगते हैं l
विक्रम एक ग्लास हाथ में लेता है और नीचे छोटे टी पोए पर गिरा देता है l ग्लास एक आवाज़ के साथ टूट जाता है l ग्लास के टूटने के साथ ही विनय व साथियों की हंसी रुक जाती है l विनय पहले अपने दोस्तों को देखता है और फिर विक्रम को घूरते हुए देखता है l
विक्रम - क्यूँ बे.. तु मेरा साला लगता है क्या... जो मैं तुझे जोक मरूंगा....
विनय का चेहरा गुस्से से तमतमा जाता है और उसके हाथ में जो ग्लास था उसे नीचे फेंक मारता है l
विनय - एक पार्टी की कीमत पर तुझे प्रेसिडेंट बनना है... भोषड़ी के... तुने यहाँ मुझे और मेरे साथियों को नहीं बुलाया है.... तुने अपनी मौत का अरेंजमेंट खुद किया है.... तु मुझे जानता नहीं है.... आज इस कमरे से तेरी लाश बाहर जाएगी.... क्यूंकि आज मैं तुझे मार डालूंगा कुत्ते

विक्रम, विनय की बात सुनकर, उसे देखकर मुस्कराता है l उसे मुस्कराते देख कर विनय की सुलग जाती है l विनय जो विक्रम के बैठा हुआ है अपना पैर विक्रम के आगे टी पोए पर रख देता है l
विनय - बे कुत्ते... नाम के आगे सिंह लगा लेने से कोई सिंह नहीं हो जाता.... शेर के मांद में आया है.... और शेर से कुर्सी छोड़ने को कह रहा है...
विश्व उसकी बातों को अनसुना कर अपना बायां पैर दाहिने घुटने पर रखता है और और अपने दाएं हाथ के नाखूनों को देखने लगता है l
विनय - बे कुत्ते.....
चल आज मेरे जुते साफ कर.... मैं तुझे तेरे जोक पर तेरी जान बक्स कर जान का टीप दे कर विदा करूंगा... चल जल्दी से साफ कर.... अगर तुने मेरे जुते साफ नहीं किया.... तो आज.......
 
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Kala Nag

Mr. X
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16,781
144
Update kab de rahe ho sir

इसको कहते हैं the perfect weathercock :)
आज कल तो ऐसे ही लोग दिख रहे हैं चहुंओर!



बहुत बढ़िया भाई साहेब!



बढ़िया! सीधा, और सरल होना दोष है, ऐसे समाज में।



इस बात का दो तीन बार इस्तेमाल हुआ है! बहुत बढ़िया!



हा हा हा!! :) सही है!



वो जेल में बाद में जो दंगा फसाद हुआ है, शायद इसी कारण से?


एक से बढ़ कर एक नगीने हैं इस बार तो भाई! बहुत उम्दा! बहुत उम्दा!

Extraordinary update

Excellent update
अगला अपडेट पोस्ट कर दी है मित्रों
 
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