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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
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बहुत बहुत धन्यबाद मित्र
बहुत बहुत धन्यबाद
आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा थी मुझे
निश्चय ही इस कहानी में कोर्ट रूम की महत्तवपूर्ण भूमिका है
आगे चल कर सब सामने आयेंगी
आभार
क्या कहूं यार ! आप ने मुझे भौंचक्का कर दिया है ।
आप को दिल से बधाई ।
ज्ञानी भाई , हरिया भाई , वैम्पायर जी , वि जे भाई , और इस फोरम के सभी बड़े राइटर्स यदि आप की स्टोरी पढ़ेंगे तो वो भी मेरे बात से सहमत होंगे ।
Naina जी को आमंत्रित करता हूं इस कहानी पर ।
 

Kala Nag

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क्या कहूं यार ! आप ने मुझे भौंचक्का कर दिया है ।
आप को दिल से बधाई ।
ज्ञानी भाई , हरिया भाई , वैम्पायर जी , वि जे भाई , और इस फोरम के सभी बड़े राइटर्स यदि आप की स्टोरी पढ़ेंगे तो वो भी मेरे बात से सहमत होंगे ।
Naina जी को आमंत्रित करता हूं इस कहानी पर ।
अब आपने मुझे लाज़वाब कर दिया
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hee umda likh rahe ho mitr main pahle ki gayi kuch request ki trah aap se kahunga court room wale scene bahut hee jaruri hissa hai is khani main or abhi tak aapne bahut hee umda likha …
 

Kala Nag

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Bahut hee umda likh rahe ho mitr main pahle ki gayi kuch request ki trah aap se kahunga court room wale scene bahut hee jaruri hissa hai is khani main or abhi tak aapne bahut hee umda likha …
बहुत बहुत धन्यबाद
हाँ कोर्ट रूम सीन इस कहानी का अहम भाग है
 

Kala Nag

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👉पच्चीसवां अपडेट
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नाश्ते के टेबल से बर्तन समेट रही है प्रतिभा, तापस अपने यूनीफॉर्म पहन रहा है और प्रत्युष घर से अपने कॉलेज के लिए निकलने की तैयारी कर रहा है l
प्रत्युष - बाइ माँ, बाइ डैड...
कह कर दरवाज़े तक पहुंचता है तभी कॉलिंग बेल बजती है, प्रत्युष झट से दरवाजा खोल देता है तो बाहर दो अजनबियों को देखता है l
एक - क्या... प्रतिभा सेनापति जी घर में हैं...
प्रत्युष - हाँ जी हैं... माँ कोई आए हैं... आपसे मिलने...
प्रतिभा किचन से दरवाजे के पास आती है तो वह दो अजनबियों को देख कर हैरान हो जाती है l
प्रतिभा - (प्रत्युष से) अब तुझे टाइम नहीं हो रहा है क्या.... जा जल्दी अपने कॉलेज... (प्रत्युष चला जाता है, तो उनको देख कर) जी कहिए... मुझसे आपको क्या काम है....
एक - क्या हम अंदर आ कर बात करें.....
प्रतिभा - ठीक है... आइए...
प्रतिभा बैठक के अंदर आती है और उसके पीछे पीछे वह दोनों भी आते हैं l
प्रतिभा - बैठिए... (वह दोनों बैठ जाते हैं) हाँ तो अब बताइए.... आप लोग कौन हैं और... मुझसे आप लोगों का क्या काम है...
एक - जी मेरा नाम बल्लभ प्रधान है... मैं पेशे से आपके ही बिरादरी से हूँ... आई मिन मैं एडवोकेट हूँ यशपुर से.... और यह हैं अनिकेत रोणा आई.आई.सी मेरा मतलब इंस्पेक्टर इन चार्ज राजगड़....
इतने में तापस अपने यूनीफॉर्म पहने बैठक में आता है l आते ही उसकी नजर रोणा पर पड़ता है l तो उसकी भोवैं सिकुड़ जाती हैं l रोणा भी तापस को देख कर थोड़ा नर्वस हो जाता है l
प्रतिभा - कमाल है... आप इतने बड़े लोगों का... मेरे पास क्या काम आन पड़ा....
बल्लभ - जी कोर्ट में आपके केस के प्रेजेंटेशन के बाद गवाहों की क्रॉस एक्जामीन होगी.... चूंकि सारे गवाह या तो राजगड़ या यश पुर से ही हैं.... तो उन गवाहों से कम्युनिकेशन सहित सभी प्रकार के सहायता के लिए.... हमे राजा साहब जी ने आपकी मदत के लिए भेजा है...
और जब तक केस की सुनवाई व कारवाई पूरी नहीं हो जाती हम इसी सहर में हैं... और आप हमसे जो भी मदत चाहें ले सकते हैं....
प्रतिभा - ठीक है... इस केस में... आपके राजा साहब जी की.... कोई निजी दिलचस्पी है क्या....
बल्लभ - जी पूरी... ओड़िशा को हिला देने वाली.... हो कांड हुआ है... इससे हमारा प्रांत की छबी खराब हुई है.... इसलिए राजा साहब ने हमे कहा है कि आपकी पूरी तरह से मदद करने के लिए....
प्रतिभा - जी बेहतर... मुझे जरूरत हुई तो... मैं आपसे कंटैक्ट करूंगी... आप अपना फोन नंबर दे कर जाइए...

बल्लभ - जी जरूर... (कह कर एक काग़ज़ निकाल कर उसमें दोनों का नंबर लिख कर प्रतिभा को देता है) अच्छा प्रतिभा जी धन्यबाद.... अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होती ही रहेंगी....
प्रतिभा - जरूर...
फिर दोनों उठ कर बाहर चले जाते हैं l तापस कुछ सोच में डूबा हुआ है l
प्रतिभा - सेनापति जी क्या हुआ.... आप किस गहरी सोच में पड़ गए...
तापस - हाँ... ह्म्म.. यह दोनों.. मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... उस इंस्पेक्टर से पहले भी मिल चुका हूँ... बहुत ही कमीना किस्म का है.... चुकी यह वकील उसके साथ है... इसलिए दोनों के गठजोड़ साफ नहीं लग रहा है....
प्रतिभा - कर दी ना पुलिस वाली बात... उस पुलिस वाले का नाम मैंने रिपोर्ट में पढ़ा है... इसको वैसे भी समन जाने वाला था... तो आ गया... अगर कोर्ट में मुझे मदद कर सकते हैं... इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है...

तापस चुप रहता है, फिर कुछ सोच कर अपना सर हिलाता है और जैल के लिए निकल जाता है l प्रतिभा दरवाज़ा बंद कर अपनी फाइलें खोल कर बैठ जाती है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____*

त्रिशूलीया ब्रिज के पास लेकर अपनी गाड़ी को रोक देता है इंस्पेक्टर रोणा l बल्लभ देखता है रोणा कुछ चिढ़ा हुआ है l
बल्लभ - क्या हुआ... इतने चिढ़े हुए क्यूँ हो...
रोणा - जल्दबाजी में... एक गलती हो गई....
बल्लभ - क्या... कौनसी गलती....
रोणा - कहते हैं... फर्स्ट इंप्रेशन इस अल्वेज लास्ट इंप्रेशन....
इससे पहले... उस वकील की पति से मुलाकात हो चुकी है.... और अच्छी नहीं गई थी... वह मुलाकात....
बल्लभ - मतलब...
रोणा गाड़ी से उतर कर ब्रिज के फुटपाथ पर बनें सिमेंट की कुर्सी पर बैठ जाता है, बल्लभ भी आकर उसके पास बैठ जाता है l
बल्लभ - क्या हुआ
रोणा अपनी जेब से सिगरेट निकालता है, एक खुद लेता है और एक बल्लभ को देता है और लाइटर निकाल कर दोनों के सिगरेट सुलगा देता है l
बल्लभ - क्या हुआ...
रोणा - अररे.. यार... तुम वकील हो... इतना भी अनुमान लगा नहीं पा रहे हो.... वह जैल सुपरिटेंडेंट है... और विश्व को मैंने उसके हवाले किया था....
बल्लभ - ह्म्म्म्म... तो यह बात है....
रोणा - हाँ...
बल्लभ - कोई नहीं... हमे उस सुपरिटेंडेंट से कोई मतलब नहीं है... उसे उतने सिरीयसली मत लो.... अब सारा ध्यान केस पर समेटो.... राजा साहब गुस्से में है... हमे यहाँ रह कर कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट लगाना होगा... कोर्ट के हर कम्युनिकेशन को अपने कंट्रोल में लेना होगा....
रोणा - बड़े बड़े बांध टूटते हैं... छोटे छोटे कमजोर ईंटों के वजह से...
बल्लभ - मतलब...
रोणा - हम.. छोटे छोटे कर्मचारियों को हाथ में लेंगे... तो सारे कम्युनिकेशन को हम ही हैंडल कर पाएंगे... हमारे जानकारी के बगैर... कोई मूवमेंट ना हो...
बल्लभ - ठीक बिल्कुल ठीक....
रोणा - क्या हम... छोटे राजा जी से मदद ले सकते हैं....
बल्लभ - नहीं... फ़िलहाल तो नहीं...
रोणा - यार एक बात समझ में नहीं आ रहा.... यह राजा साहब कभी कभी हम कहते हैं... और कभी कभी मैं....
बल्लभ - जब अहं में होते हैं... हम कहते हैं... जब अंदर का जानवर बाहर निकलने को होता है... तब मैं कहते हैं... जब वह हम कहते हैं... कोई खतरा नहीं होता है... पर जब वह मैं में होते हैं... तब खतरा बहुत होता है...
रोणा - ओ....
बल्लभ - फ़िर क्या हुआ...
रोणा - उस हराम खोर विश्व को... किसी मर्डर केस में फंसा कर ठोक दिए होते... तो साला यह झंझट ही नहीं रहता... कहीं उसे फंसान के चक्कर में... हम ही फंस तो नहीं रहे...
बल्लभ - देख.... विश्व... जिन गड़े मुर्दों को उखाड़ रहा था.... राजा साहब ने... उन्हीं मुर्दों के साथ उसे लपेट दिया.... अब चाहे कुछ भी हो.... विश्व को सज़ा दिलाना ही होगा....
रोणा - यह बुढ़ा जयंत... आदमी कैसा है... क्यूँ ना हम उसे... अपने पाले में ले लेते...

बल्लभ - नहीं... यह पूरी तरह से.. आत्मघाती होगा... बुढ़ा बहुत ही ईमानदार है.... मैंने उसकी रिपोर्ट ली है... देखा नहीं पहले ही दिन क्या तमाशा बना दिया...
रोणा - राजा साहब का स्टेट पालिटिक्स में इतना दखल है.... तो सरकारी वकील के लिए उन्हों ने कुछ किया क्यूँ नहीं....
बल्लभ - वह... इसलिए के उन्हें अपने जुबान पर नियंत्रण भले ही न हो.... पर उनके बनाए टीम पर उन्हें भरोसा है.... वह अपनी हुकूमत में हुकुम देते हैं.... और उनके वफादार राजा साहब के हुकुम की तामील करते हैं....


_____×_____×_____×_____*_____×_____×

तापस जैल पहुंच कर देखता है जयंत दो लोगों को साथ लिए ऑफिस में उसीका इंतजार कर रहे हैं l
तापस - अरे सर आप... इतनी सुबह...
जयंत - आज एक वकील नहीं.... एक विजिटर की तरह आया हूँ... अपने क्लाइंट से मिलने...
तापस - अच्छा.. तो विजिटिंग हॉल में मिलेंगे.. या और कहीं व्यवस्था करूँ...
जयंत - इस बात पर मैं आपसे छोटा सा फेवर लेना चाहता हूँ....
तापस - जी कहिए...
जयंत - मैं विश्व से आपके जैल के लाइब्रेरी में मिलना चाहता हूँ... जहां पहली बार उससे मिला था... पर्सनल तो है पर.... अगर आप चाहें तो साथ रह सकते हैं....
तापस - अगर बात पर्सनल है तो मैं क्यूँ.... वैसे आप तीनों मिलना चाहेंगे क्या...
जयंत - अरे... नहीं.. नहीं... यह मेरे बॉडीगार्ड्स हैं... जो सरकार ने मुझे मुहैया किया है.... यह लोग यहीं मेरी प्रतीक्षा करेंगे...
तापस - ठीक है सर.... आप लाइब्रेरी में प्रतीक्षा कीजिए... मैं विश्व तक खबर पहुंचाता हूँ...
जयंत अपनी जगह से उठ कर लाइब्रेरी में पहुंचता है l जयंत को विश्व के आने तक कुछ देर इंतजार करना होगा, इसलिए इधर उधर नजर दौड़ा रहा है l कभी घड़ी देख रहा है तो कभी दीवारों पर टंगे महापुरुषों की तस्वीरों को देख रहा है l
नमस्ते सर...
आवाज़ आती है l जयंत उस तरफ मूड कर देखता है l विश्व दरवाजे पर खड़ा है l
जयंत - आओ विश्व आओ... मैं तुमसे ही मिलने आया हूँ...
विश्व - जी कहिए....
जयंत - विश्व... कल से आधिकारिक तौर पर तुम्हारे केस की सुनवाई शुरू होगी....
विश्व - जी...
जयंत - देखो विश्व... तुम अब बाइस के होने वाले हो... सिर्फ़ तीन दिन बाद.... तुम्हारे भीतर अब परीपक्वता आनी चाहिए... तुमको कोर्ट रूम में... प्रोवोक किया जा सकता है.... पर तुम उन पर ध्यान मत देना... उत्तेजित मत हो जाना.... और अपनी जवाब कभी भी... बीच में बात काट कर कभी मत देना..... जब तुमसे पूछा जाए.... तभी तुम अपना जबाव देना.....
विश्व - जी...
जयंत - अच्छा विश्व... अगर मैं अपनी इच्छा से कुछ दूँ... क्या तुम लोगे....
विश्व कुछ समझ नहीं पाता और कहता है
विश्व - ठीक है... पर आप देना क्या चाहते हैं...
जयंत - कुछ निजी है... पर अभी नहीं... पर जब दूँ तो ले लेना....
विश्व - जी... ठीक है...
जयंत - देखो विश्व तुम्हारा यह केस... मेरी नौकरी पेशा जीवन की अंतिम केस है...
विश्व यह सुन कर उसे मुहँ फाड़े देखे जाता है l
जयंत - अरे भाई... मैं कुछ महीनों बाद... रिटायर होने जा रहा हूँ.... इसलिए यह आखिरी केस लेने को तैयार हुआ....
विश्व - ओ...तो क्या इसलिए आप कुछ देना चाहते हैं....
जयंत - अरे नहीं... तुम चूंकि मेरे अंतिम क्लाइंट हो... इसलिए जो भी दूँ उसे रख लेना....
विश्व - आप दिलसे दे रहे हैं... तो जरूर रख लूँगा...
जयंत - हाँ.. अब यह तो वक्त ही बतायेगा... इस केस में क्या होगा...
विश्व - आप शायद कुछ और कहना चाहते हैं.... पर कह नहीं पा रहे हैं...
जयंत - हाँ... यही लक्षण होते हैं... परिपक्व होने के... जानते हो... अगर मैंने शादी कर ली होती... तो मेरा पोता तुम्हारे उम्र का होता ....
विश्व - क्या...
जयंत - इसमें चौंकने की क्या बात है... हाँ मतलब... तुमसे बहुत छोटा होता.... आठ दस साल.... खैर वह सब छोड़ो.... क्या तुम मुझे छोड़ने गेट तक आओगे....
विश्व - जी जरूर...
जयंत और विश्व लाइब्रेरी से उतर कर नीचे आते हैं l
जयंत - थैंक्यू... सुपरिटेंडेंट साहब... थैंक्यू... बस और एक छोटा सा फेवर कर दीजिए....
तापस - जी जरूर....
जयंत - मुझे गेट तक छोड़ने तक विश्व को इजाज़त दें...
जयंत की यह हरकत ना विश्व के ना तापस के, किसीके समझ में कुछ भी नहीं आया l जयंत अपने बॉडीगार्ड्स के साथ बाहर की ओर जाता है और उनके पीछे तापस और विश्व गेट तक पहुंचते हैं l जयंत गेट के पास रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है l विश्व को देख कर मुस्कराता है l विश्व को महसूस होता है जयंत के मुस्कराहट में एक अद्भुत तेज है l विश्व उसकी मुस्कराहट के जबाव में विश्व भी मुस्करा देता है l
फिर जयंत मूड कर वापस बाहर चला जाता है l
विश्व और तापस कन्फ्यूज हो कर थोड़ी देर वहीँ खड़े रहते हैं l फिर वापस अपने अपने रास्ते लौट जाते हैं l

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विक्रम अपने कार से **** कॉलेज जा रहा है l बगल में वीर भी बैठा हुआ है l वीर अपने मोबाइल फोन पर टेंपल रन गेम खेल रहा है और विक्रम कार ड्राइविंग कर रहा है l तभी विक्रम की फोन बजने लगती है l
विक्रम - हैलो छोटे राजा जी.... कहिए क्यूँ याद कर रहे हैं....
पिनाक - हमने ब्रोकर से बात कर ली है.... दो दिन बाद प्रॉपर्टी का ओनर शिप ट्रांसफर हो जाएगा... आपको परसों रजिस्ट्रार ऑफिस में ठीक दस बजे पहुंचना है...
विक्रम - जी और कुछ...
पिनाक - हाँ युवराज... वह आपके डेविल आर्मी के लिए ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर कहाँ तक पहुंचा....
विक्रम - मेरा आदमी लगा हुआ है... बहुत जल्द खबर करेगा...
पिनाक - और आपके कॉलेज इलेक्शन....
विक्रम - कुछ ही दिनों में... नॉमिनेशन फाइल शुरू हो जाएगी...
पिनाक - अच्छी बात है... इलेक्शन कैंपेनिंग के लिए कुछ चमचे बनाए हैं... या नहीं....
विक्रम - नहीं... उसके लिए मैंने कुत्ते पाले हैं... और उन्हीं कुत्तों को छोड़ा है... इस काम के लिए....
पिनाक - अच्छा ठीक है... हम अब पार्टी ऑफिस को जा रहे हैं... कुछ ज़रूरत पड़े तो कॉल कीजिएगा....
विक्रम - जी बेहतर...
यह कह कर विक्रम फोन काट देता है l इतने में कॉलेज भी आ जाती है l कॉलेज में पहुंचते ही वीर अपने क्लास के तरफ निकल जाता है l विक्रम अपना गाड़ी पार्किंग में लगा कर महांती को फोन लगाता है l
विक्रम - हैलो...
महांती - बोलिए युवराज...
विक्रम - महांती... हमारे नए ऑफिस के लिए... जगह का क्या हुआ....
महांती - युवराज जी... जगह सिलेक्शन हो चुका है... एक छोटा सा लिटिगेशन है... मैं आज एक आखिरी कोशिश करता हूँ.... वरना... एक... नया जगह फाइनल करेंगे... वह सहर के बाहर है... इसलिए उसे होल्ड पर रखा है....
विक्रम - ठीक है... जो भी डेवेलपमेंट हो... मुझे खबर करना...
महांती - जी युवराज जी...
विक्रम अपना फोन काट कर जेब में रखता है l विक्रम अपने चारो तरफ नजर घुमाता है, तो पाता है कि बहुत सी आँखे उसकी ओर नजरें गड़ाए उसे ही देख रही हैं l वह अपना गॉगल निकाल कर पहनता है, तो बहुतों की आह निकल जाता है l विक्रम एक ओर चला जा रहा है, तो उसके कदमों को एक आवाज़ रोक देता है l वह पलट कर देखता है, आवाज देने वाला प्रिन्सिपल ऑफिस का पियोन है l
विक्रम उसके पास जाता है,
पीयोन - विक्रम सर.. आपको प्रिन्सिपल सर ने बुलाया है...
विक्रम कुछ नहीं कहता पियोन को आगे चलने का इशारा करता है और उसके पीछे प्रिन्सिपल ऑफिस की ओर जाता है l विक्रम सीधे प्रिन्सिपल ऑफिस के अंदर घुस जाता है l विक्रम को यूँ अंदर घुस आने पर प्रिन्सिपल,
प्रिन्सिपल - देखिए विक्रम, यह आपकी महल नहीं है... कॉलेज है.. और प्रिन्सिपल के कैबिन में आने से पहले परमिशन मांगी जाती है... इतना मैनर्स तो आप में होनी चाहिए..
विक्रम - सुनिए.. प्रिन्सिपल जी... आपको अभी 'जी' कहा... मतलब इसको मैनर्स कहते हैं...
हमे युवराज कहा जाता है... यह आप भी ध्यान रखिए.... और रही मांगने की बात.... तो मांगना हमारी फ़ितरत नहीं है..... छीनना या दे देना हमारी आदत है...
जैसे अभी मैं तुम्हारी इज़्ज़त तुमको दे रहा हूँ... कोशिश करो छीनने की नौबत ना आए.. क्यूंकि जिस दिन फाड़ुंगा... उस दिन ओड़िशा के सारे टेक्सटाइल उद्योग भी तुम्हारी इज़्ज़त नहीं बचा पाएगी....
प्रिन्सिपल इतना सुनने के बाद क्या कहे कुछ समझ नहीं पाता क्यूंकि जिस रौब के साथ विक्रम ने इतना सुनाया, वह डर के मारे पसीने से लथपथ हो जाता है l
विक्रम - कहिये.. किस लिए याद किया...
प्रिन्सिपल - वह... आप इलेक्शन में कांटेस्ट कर रहे हैं....
विक्रम - यह अब तक किसीको नहीं पता... आपको कैसे मालुम हुआ....
प्रिन्सिपल अगल बगल झांकने लगता है
विक्रम - सुनो प्रिन्सिपल... तुमको जिसके साथ अपना कंफर्ट जोन मैंटैंन करना है करो.... पर हमेशा कोशिश में रहना मेरे कंफर्ट जोन की लाइन तुमसे गलती से भी क्रॉस ना हो....
इतना कह कर विक्रम विनय को फोन लगाता है l
विक्रम - कहाँ है...
विनय - वह.. युवराज जी... मैं कैन्टीन में हूँ... यहाँ कुछ लड़के और लड़की... इलेक्शन में खड़े होने की बात कर रहे हैं.... उन्हें समझा रहा हूँ...
विक्रम - ह्म्म्म्म उनको मेरे बारे में कुछ बताया तो नहीं...
विनय - जी नहीं युवराज...
विक्रम - ठीक है... हम अभी कैन्टीन में आ रहे हैं... और खबरदार किसीको अभी मालूम नहीं होनी चाहिए... हमारे बारे में...
विनय - जी जैसा आप कहें....
विक्रम फोन कट कर सीधे कैन्टीन की ओर चल देता है l उसे कॉलेज के बहुत सी आंखें फॉलो कर रही हैं l उसकी चाल और व्यक्तित्व सब पर छाप छोड़ रही है l
विक्रम कैन्टीन में पहुंचता तो उसे महसूस होता है जैसे उसके जिस्म को एक मीठी सी, मखमली सी, सुगंध भरी हवा छू गई l वह देखता है सलवार कुरती पहने विक्रम की तरफ पीठ कर एक लड़की और विनय बहस कर रहे हैं l
विनय - देखिए... मैं आप सब स्टूडेंट्स की भलाई के लिए कह रहा हूँ.... आप सब यहाँ पढ़ने आए हो तो पढ़ो.... यह इलेक्शन के चक्कर में क्यों पढ़ रहे हो...
वह लड़की - क्यूँ... हम तो पढ़ने आते हैं.... पर तुम यहाँ क्या करने आते हो.... गुंडागर्दी....
विनय - ऐ लड़की... नई लगती हो.... कॉलेज के बारे में कुछ नहीं जानती हो.... यूँ बीच में मत घूसो....
लड़की - डिग्री में अभी आई हूँ... पर यहाँ के स्टूडेंट्स से पता किया है.... तुम कितने कमीने हो...
विनय - मैं तुझसे... इज़्ज़त देके बात कर रहा हूँ... तु गाली देने पर उतर आयी.... कमीनी...
लड़की - ऑए... अपना जुबान सम्भाल... वरना तेरी वह पिटाई होगी... के तुझे तेरी नानी याद आ जाएगी....
विनय - यहाँ... इतने स्टूडेंट्स हैं.... किसी के मुहँ में जु नहीं रेंग रही.... तुझे बड़ी चूल मची है...
यह कह कर विनय उस लड़की की तरफ बढ़ता है l
लड़की - देखो... मैं कह देती हूँ... मेरे पास आओगे... तो बहुत पचताओगे....
तभी विक्रम उन दोनों के बीच पहुंचता है और विनय से
विक्रम - क्यूँ भई.... क्या परेशानी है इस लड़की से...
विनय - यह मुझे कमीना बोल रही है....
तभी वह लड़की विक्रम को खिंच कर अपने पीछे लाती है और,
लड़की - कमीने को कमीना बोल रही हूँ... समझा...
विक्रम उस लड़की के बगल में आता है और उसे देखता है, उस देखते ही हैरानी से उसकी आँखे चौड़ी हो जाती हैं l विक्रम को अंदर ही अंदर खुशी महसूस होती l
विक्रम - (अपने मन में) अरे... यह लड़की... इस कॉलेज में है... मेरी लकी चार्म.... (लड़की से) जी आपने इसे कमीना क्यूँ कहा....
लड़की - कमीने को कमीना ना कहूँ तो और क्या कहूँ....
विक्रम - क्या मैं... वजह... जान सकता हूँ...
लड़की - यह कह रहा था... इस बार इस कॉलेज में इलेक्शन ऑनकंटेस्ट होगा.... जैसे इसीने जीवन भर कॉलेज की प्रेसिडेंट बनने की ठान रखी है....
विक्रम - अच्छा... तो यह बात है... (विनय से) क्यूँ भई.. यह लड़की तो बात सही कह रही हैं..... भाई देश में डेमोक्रेसी है... किसीको भी चुनाव कहीं भी लड़ने का अधिकार है.... तुम ऐसे कैसे किसीकी डेमोक्रेटिक राइट्स छिन सकते हो... नहीं नहीं यह गलत बात है... मैं तो इनका साथ दूँगा...
विनय को कुछ समझ में नहीं आता, वह बेवकुफों की तरह सर खुजाता है, वह तो यहाँ किसीको भी नॉमिनेशन ना डालने के लिए मनाने की कोशिश में आया था, ताकि आगे चलकर विक्रम से किसीकी टकराव ना हो l फिर उसके दिमाग की ट्यूब लाइट जलती है l वह बिना कुछ कहे वहाँ से अपने चमचों के साथ कैन्टीन से निकल लेता है l
विक्रम - लीजिए आप की परेशानी वह चला जा रहा है....
लड़की - थैंक्यू... वैसे क्या आप इस कॉलेज में पढ़ते हैं...
विक्रम - हाँ... अभी कुछ ही दिन हुए हैं... कॉमर्स फाइनल ईयर....
लड़की - वाव.... वैसे आपका नाम क्या है...
विक्रम - विक्रम... विक्रम सिंह क...
लड़की - (बड़ी आवाज़ से) तो डियर स्टूडेंट्स... यह रहे आपके नए प्रेसिडेंट कैंडिडेट श्री विक्रम सिंह.....
सभी स्टूडेंट्स ताली मारने लग जाते हैं l विक्रम हक्का-बक्का सा रह जाता है पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता l
तभी कैन्टीन में बैठी और एक दूसरी लड़की इस लड़की को अपने पास खिंच कर एक कोने में ले जाती है l विक्रम देखता है दुसरी लड़की इस पहली लड़की से कुछ कहती है पर पहली वाली लड़की विक्रम की ओर देख कर कुछ ऐसी प्रतिक्रिया देती है जैसे उसे कुछ फर्क़ नहीं पड़ा l विक्रम उससे अपनी नजर फ़ेर कर एक खाली टेबल की ओर बढ़ता है l तभी ब्रेक खतम होने की बेल बजती है l पांच मिनिट में पूरी कैन्टीन खाली हो जाती है l विक्रम देखता है पूरी कैन्टीन खाली हो गई है और वह लड़की भी जाने की तैयारी कर रही है l विक्रम उठ कर उसके पास जाने की सोचता है l पर जा नहीं पाता है और वापस अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है l लड़की बाहर जाने को होती है कि उसकी नजर विक्रम पर पड़ती है l वह विक्रम के पास आती है,
लड़की - अरे.... आप गए नहीं अपने क्लास में...(मजाकिया अंदाज में) डर लग रहा है क्या....
विक्रम हंस देता है l
विक्रम - आप भी तो नहीं गई... अपनी क्लास में....
लड़की - (खिल खिला कर हंसते हुए) मैं इस कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हूँ... (विक्रम के टेबल के पास एक कुर्सी पर बैठ जाती है)
विक्रम - क्या.. (हैरानी से अपनी कुर्सी से उछल पड़ता है) क्या... आ.. आप इस.... कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हो...
लड़की - (उसी अंदाज में हंसते हुए) जी नहीं...
विक्रम - फिर.. यह... मतलब इलेक्शन...
लड़की - अच्छा वह... वह तो मैं अपनी सहेली से मिलने आयी थी यहाँ..... तो उसने ही मुझे कैन्टीन ले आयी.... और यहां का हॉट टॉपिक था... इस बार की कॉलेज इलेक्शन..... सब विनय से नाराज़ थे... क्यूंकि वह एक गुंडा टाइप का है... कॉलेज में सिवाय गुंडागर्दी के कुछ नहीं करता..... और यह मैं नहीं... इस कैन्टीन में बैठा हर शख्स कह रहा था.... सब चेंज चाह रहे थे.... चेंज की बात भी कर रहे थे... पर हिम्मत कोई नहीं कर रहा था... तभी वह कमीना आया और... इलेक्शन अब इस बार ऑनकंटेस्ट होगा... ऐसा बोला... इसलिए मैं उससे झगड़ा कर रही थी........
विक्रम उसे हैरानी से देखे जा रहा है और मुहँ फाड़े सुन रहा है l
लड़की - (विक्रम के आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए) हैलो.... क्या सोचने लगे...
विक्रम - हाँ...(होश में आते हुए) हाँ.... आप इस कॉलेज की नहीं हो... इस कॉलेज इलेक्शन की कैंडिडेट से... झगड़ा मोल ले लिए हो... और तो और.... इलेक्शन के शूली पर... मुझे चढ़ा भी दिया.... मेरी आपसे ऐसी क्या दुश्मनी है...
वह लड़की फिर से हंसने लगती है और कैन्टीन के एक लड़के को इशारे से दो कॉफी के लिए कहती है l
लड़की - सॉरी... हाँ... सॉरी... लेकिन इसका मतलब यह नहीं.... की आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे...
विक्रम - क्यूँ... क्यूँ...
लड़की - अगर आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे.... अभी आपने जितनी तालियां बटोरे हैं .... उससे कई गुना गालियाँ बटोरेंगे... मर्जी आपकी.... चॉएस आपकी....
इतने में कॉफी आ जाती है, लड़की विक्रम को कॉफी पीने के लिए इशारा करती है l कॉफी का एक सीप लेते ही विक्रम का मुहँ बिगड जाता है l लड़की फिर से हंसती है l
लड़की - लगता है.... इलेक्शन ने दिमाग को ठिकाने लगा दी है....

कह कर हंसती है, विक्रम से उसकी कॉफी का कप लेती है और शुगर पाउच फाड़ कर कॉफी में डाल कर कॉफी स्टिक से घोलने के बाद विक्रम को कॉफी का कप बढ़ाती है l विक्रम किसी रोबोट की तरह उससे कॉफी लेकर पीने लगता है l
लड़की - अब ठीक है...
विक्रम सर हिला कर हाँ कहता है l
लड़की - (अपनी कॉफी पीते हुए) अब और कुछ पूछना है...
विक्रम - हाँ... यह कॉलेज आपका नहीं है... आप यहां अपनी दोस्त से मिलने आते हो... किसी और के मामले में घुस जाते हो... और लड़ाई झगड़ा भी करते हो.... फिर इस कॉलेज में आपको कोई नहीं दिखता.... आप मुझे बकरा बना देती हो... यह मेरे साथ क्या हुआ....
लड़की कॉफी पी कर टेबल पर कप रख देती है, कॉफी पी लेने के बाद वह लड़की के होठों पर एक सफेद रंग की लाइन दिखती है, उस सफेद लाइन को देख कर विक्रम का दिल मचलने लगती है, क्यूँ पर उसे समझमें नहीं आता l वह लड़की विक्रम की आँखों में देखते हुए, टीसु पेपर से अपने होठों को पोंछती है, विक्रम उसकी चेहरे को देख कर खोया हुआ है l
लड़की - अच्छा मैं चलती हूँ...
विक्रम - जी... सुनिए... आपकी यह दोस्त वही हैं ना... जिसके घर के लिए मुझसे उस रात को लिफ्ट मांगी थी....
लड़की - हाँ....
विक्रम - इसका मतलब... मैं आपको याद हूँ....
लड़की - हाँ... न... नहीं तो तो...
विक्रम - क्या.. अभी तो कहा आपने लिफ्ट ली थी...
लड़की - हाँ आप से ली थी... यह कब कहा....
विक्रम - ओह... ह्म्म्म्म... इत्तेफाकन यह हमारी... तीसरी मुलाकात है...
लड़की - तीसरी.... ओ हैलो... हम आज पहली बार मिल रहे हैं.......
विक्रम - आपके जनम दिन में.. होटल ऐरा के लॉबी में... टकराए थे... और आपने हमे गिरा भी दिया था...
लड़की - क्या... हाथ बढ़ा कर उठाया भी था...
विक्रम - अच्छा...
लड़की अपनी दांतों तले जीभ दबा देती है और होठों पर हंसी को लाते हुए अपनी आँखे बंद कर देती है l उसकी यह एक्सप्रेशन देख कर
विक्रम - मतलब मैं याद हूँ....
लड़की अपने होठों को सिकुड़ कर अपनी मुस्कान को छिपाते हुए
लड़की - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आपने कहा था... फिर संयोग से मुलाकात हुई... तो आप अपना नाम बतायेंगे...
लड़की - इतनी जल्दी क्या है..... क्यूँ ना और एक इत्तेफाक का इंतजार किया जाए.... तब तक एक और बार अजनबी बन कर देखते हैं....

कह कर लड़की वहाँ से उठ कर जाने लगती है और फ़िर पीछे मुड़ कर विक्रम से कहती है
- कॉफी का बिल पे कर दीजिएगा....
कह कर वह लड़की वहाँ से चली जाती है l
विक्रम उसको जाते हुए देखता है l फिर काउंटर पर जा कर बिल पे कर देता है l उसके फोन पर रिंग सुनाई देती है, विक्रम फोन पर देखता है महांती का कॉल है l
विक्रम - हाँ... खुश खबरी है.. है ना... जल्दी से बोलो महांती...
महांती - युवराज जी...आपको कैसे मालूम हुआ... खुश खबरी है...
विक्रम - वह... इंट्युशन...
महांती - ओह... गुड न्यूज... है युवराज जी... वह जो जगह... हमारी सिक्युरिटी सर्विस के ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर के लिए देखी थी... उसकी लिटिगेशन भी आज दूर हो गई.... अब जब चाहे हम उस जगह की रजिस्ट्रेशन अपने नाम कर कर सकते हैं...
विक्रम के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है l
विक्रम - ठीक है... महांती.... शुभस्य शीघ्रम... परसों ही रजिस्ट्रेशन रखते हैं... रजिस्ट्रार ऑफिस में दस बजे...
महांती - जी बहुत अच्छा... मैं सारी बंदोबस्त करता हूँ....
विक्रम फोन काट कर अपने चाचा पिनाक को फोन लगाता है l
पिनाक - हाँ.. युवराज.. कहिए क्या खबर है....
विक्रम - परसों हम डेविल हाउस और डेविल आर्मी ऑफिस..... दोनों जगहों का रजिस्ट्रेशन करेंगे....
पिनाक - वाह.. वाह... क्या बात है... युवराज... और आपके कॉलेज इलेक्शन का क्या हुआ...
विक्रम - आज सारे काम ऑनएक्सपेक्टेडली सारे काम हो गए.....
पिनाक - गुड वेरी गुड.... भुवनेश्वर में अपनी हुकूमत की नींव की ईंट रख दिया आपने... मैं यह राजा साहब को बताना चाहूँगा.... ओके.. मैं फ़ोन रख रहा हूँ...
पिनाक के फोन रखते ही विक्रम अपनी अंगुठी को देख कर कहने लगता है
मेरे ख्वाबों के रंग में रंगी एक तस्वीर हो तुम..
तुम चाहे मानों या ना मानों मेरी तकदीर हो तुम...
 
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Kala Nag

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Atisundar update

मित्र बाकी के पात्र अपनी जगह, ये प्रत्युष और उसके मां बाप के साथ की खींचा तानी सबसे ज्यादा मस्त है।
ये जयंत वकील ने तो काफी गहरी बात कही है, ये ही लगता है वो व्यक्ति होगा जिसकी बात विश्व मान कर खुद में बदलाव लाएगा।

Bahut he jabardast kahani hai… 👏🏻👏🏻👏🏻

Bahut hee jabardast update ! Bahut dino baad forum par koi thriller aaya hai aisa feel ho raha jaise “Ved Prakash Sharma Ji “ki koi thriller padh rahe hain… ( kuch shabdon ko chod kar)

Bahut hee umda likh rahe ho… 👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷

एक तजुर्बेकार और दक्ष लेखक की तरह कहानी लिख रहे हैं आप । बिल्कुल उन राइटर्स की तरह जिन्होंने अपना नाम लेखन की दुनिया में अमर कर रखा है ।
प्रत्येक अपडेट , हर डायलॉग , सब कुछ , एवरी थिंग माइंड ब्लोइंग था ।
मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या समीक्षा करूं इन सभी अपडेट्स का ! सभी अपडेट्स के उपर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। लेकिन दिमाग ही जबाव दे गया कि क्या लिखूं ! बस , इतना जरूर कहूंगा , यह स्टोरी मेरे आल टाइम फेवरेट स्टोरी में रहेगी ।

कोर्ट सीन का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं । एक मूवी देखी थी मैंने बी आर चोपड़ा की । पुरा मूवी ही कोर्ट सीन पर आधारित था । इसके अलावा भी कुछ अच्छे मूवी कोर्ट पर देखा है मैंने जो बहुत ही बेहतरीन था ।
सुरेंद्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश शर्मा के भी कुछ उपन्यास पढ़ा है मैंने जिसमें कोर्ट सीन पर ज्यादा फोकस किया गया था । मैं चाहता हूं आप भी कोर्ट वाले सीन को ज्यादा लग्न से लिखें । और यह आप बखूबी कर सकते हैं क्योंकि कन्वर्सेशन लिखने में आप का जबाव नहीं ।

बहुत बहुत आभार आपको । आप ने एक लाजबाव स्टोरी हमारे लिए प्रस्तुत किया ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग , सुपर से भी ऊपर ,
और जगमग जगमग अपडेट भाई ।

Superb update

Bahut hee umda likh rahe ho mitr main pahle ki gayi kuch request ki trah aap se kahunga court room wale scene bahut hee jaruri hissa hai is khani main or abhi tak aapne bahut hee umda likha …
मित्रों पच्चीसवां अपडेट आपकी सेवा में प्रस्तुत कर दिया है
इसके बाद कोर्ट रूम सीन आरंभ होगा
कोशिश रहेगी आपको पुर्ण मनोरंजन मिले
धन्यबाद
 

Jaguaar

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👉पच्चीसवां अपडेट
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नाश्ते के टेबल से बर्तन समेट रही है प्रतिभा, तापस अपने यूनीफॉर्म पहन रहा है और प्रत्युष घर से अपने कॉलेज के लिए निकलने की तैयारी कर रहा है l
प्रत्युष - बाइ माँ, बाइ डैड...
कह कर दरवाज़े तक पहुंचता है तभी कॉलिंग बेल बजती है, प्रत्युष झट से दरवाजा खोल देता है तो बाहर दो अजनबियों को देखता है l
एक - क्या... प्रतिभा सेनापति जी घर में हैं...
प्रत्युष - हाँ जी हैं... माँ कोई आए हैं... आपसे मिलने...
प्रतिभा किचन से दरवाजे के पास आती है तो वह दो अजनबियों को देख कर हैरान हो जाती है l
प्रतिभा - (प्रत्युष से) अब तुझे टाइम नहीं हो रहा है क्या.... जा जल्दी अपने कॉलेज... (प्रत्युष चला जाता है, तो उनको देख कर) जी कहिए... मुझसे आपको क्या काम है....
एक - क्या हम अंदर आ कर बात करें.....
प्रतिभा - ठीक है... आइए...
प्रतिभा बैठक के अंदर आती है और उसके पीछे पीछे वह दोनों भी आते हैं l
प्रतिभा - बैठिए... (वह दोनों बैठ जाते हैं) हाँ तो अब बताइए.... आप लोग कौन हैं और... मुझसे आप लोगों का क्या काम है...
एक - जी मेरा नाम बल्लभ प्रधान है... मैं पेशे से आपके ही बिरादरी से हूँ... आई मिन मैं एडवोकेट हूँ यशपुर से.... और यह हैं अनिकेत रोणा आई.आई.सी मेरा मतलब इंस्पेक्टर इन चार्ज राजगड़....
इतने में तापस अपने यूनीफॉर्म पहने बैठक में आता है l आते ही उसकी नजर रोणा पर पड़ता है l तो उसकी भोवैं सिकुड़ जाती हैं l रोणा भी तापस को देख कर थोड़ा नर्वस हो जाता है l
प्रतिभा - कमाल है... आप इतने बड़े लोगों का... मेरे पास क्या काम आन पड़ा....
बल्लभ - जी कोर्ट में आपके केस के प्रेजेंटेशन के बाद गवाहों की क्रॉस एक्जामीन होगी.... चूंकि सारे गवाह या तो राजगड़ या यश पुर से ही हैं.... तो उन गवाहों से कम्युनिकेशन सहित सभी प्रकार के सहायता के लिए.... हमे राजा साहब जी ने आपकी मदत के लिए भेजा है...
और जब तक केस की सुनवाई व कारवाई पूरी नहीं हो जाती हम इसी सहर में हैं... और आप हमसे जो भी मदत चाहें ले सकते हैं....
प्रतिभा - ठीक है... इस केस में... आपके राजा साहब जी की.... कोई निजी दिलचस्पी है क्या....
बल्लभ - जी पूरी... ओड़िशा को हिला देने वाली.... हो कांड हुआ है... इससे हमारा प्रांत की छबी खराब हुई है.... इसलिए राजा साहब ने हमे कहा है कि आपकी पूरी तरह से मदद करने के लिए....
प्रतिभा - जी बेहतर... मुझे जरूरत हुई तो... मैं आपसे कंटैक्ट करूंगी... आप अपना फोन नंबर दे कर जाइए...

बल्लभ - जी जरूर... (कह कर एक काग़ज़ निकाल कर उसमें दोनों का नंबर लिख कर प्रतिभा को देता है) अच्छा प्रतिभा जी धन्यबाद.... अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होती ही रहेंगी....
प्रतिभा - जरूर...
फिर दोनों उठ कर बाहर चले जाते हैं l तापस कुछ सोच में डूबा हुआ है l
प्रतिभा - सेनापति जी क्या हुआ.... आप किस गहरी सोच में पड़ गए...
तापस - हाँ... ह्म्म.. यह दोनों.. मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... उस इंस्पेक्टर से पहले भी मिल चुका हूँ... बहुत ही कमीना किस्म का है.... चुकी यह वकील उसके साथ है... इसलिए दोनों के गठजोड़ साफ नहीं लग रहा है....
प्रतिभा - कर दी ना पुलिस वाली बात... उस पुलिस वाले का नाम मैंने रिपोर्ट में पढ़ा है... इसको वैसे भी समन जाने वाला था... तो आ गया... अगर कोर्ट में मुझे मदद कर सकते हैं... इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है...

तापस चुप रहता है, फिर कुछ सोच कर अपना सर हिलाता है और जैल के लिए निकल जाता है l प्रतिभा दरवाज़ा बंद कर अपनी फाइलें खोल कर बैठ जाती है l

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त्रिशूलीया ब्रिज के पास लेकर अपनी गाड़ी को रोक देता है इंस्पेक्टर रोणा l बल्लभ देखता है रोणा कुछ चिढ़ा हुआ है l
बल्लभ - क्या हुआ... इतने चिढ़े हुए क्यूँ हो...
रोणा - जल्दबाजी में... एक गलती हो गई....
बल्लभ - क्या... कौनसी गलती....
रोणा - कहते हैं... फर्स्ट इंप्रेशन इस अल्वेज लास्ट इंप्रेशन....
इससे पहले... उस वकील की पति से मुलाकात हो चुकी है.... और अच्छी नहीं गई थी... वह मुलाकात....
बल्लभ - मतलब...
रोणा गाड़ी से उतर कर ब्रिज के फुटपाथ पर बनें सिमेंट की कुर्सी पर बैठ जाता है, बल्लभ भी आकर उसके पास बैठ जाता है l
बल्लभ - क्या हुआ
रोणा अपनी जेब से सिगरेट निकालता है, एक खुद लेता है और एक बल्लभ को देता है और लाइटर निकाल कर दोनों के सिगरेट सुलगा देता है l
बल्लभ - क्या हुआ...
रोणा - अररे.. यार... तुम वकील हो... इतना भी अनुमान लगा नहीं पा रहे हो.... वह जैल सुपरिटेंडेंट है... और विश्व को मैंने उसके हवाले किया था....
बल्लभ - ह्म्म्म्म... तो यह बात है....
रोणा - हाँ...
बल्लभ - कोई नहीं... हमे उस सुपरिटेंडेंट से कोई मतलब नहीं है... उसे उतने सिरीयसली मत लो.... अब सारा ध्यान केस पर समेटो.... राजा साहब गुस्से में है... हमे यहाँ रह कर कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट लगाना होगा... कोर्ट के हर कम्युनिकेशन को अपने कंट्रोल में लेना होगा....
रोणा - बड़े बड़े बांध टूटते हैं... छोटे छोटे कमजोर ईंटों के वजह से...
बल्लभ - मतलब...
रोणा - हम.. छोटे छोटे कर्मचारियों को हाथ में लेंगे... तो सारे कम्युनिकेशन को हम ही हैंडल कर पाएंगे... हमारे जानकारी के बगैर... कोई मूवमेंट ना हो...
बल्लभ - ठीक बिल्कुल ठीक....
रोणा - क्या हम... छोटे राजा जी से मदद ले सकते हैं....
बल्लभ - नहीं... फ़िलहाल तो नहीं...
रोणा - यार एक बात समझ में नहीं आ रहा.... यह राजा साहब कभी कभी हम कहते हैं... और कभी कभी मैं....
बल्लभ - जब अहं में होते हैं... हम कहते हैं... जब अंदर का जानवर बाहर निकलने को होता है... तब मैं कहते हैं... जब वह हम कहते हैं... कोई खतरा नहीं होता है... पर जब वह मैं में होते हैं... तब खतरा बहुत होता है...
रोणा - ओ....
बल्लभ - फ़िर क्या हुआ...
रोणा - उस हराम खोर विश्व को... किसी मर्डर केस में फंसा कर ठोक दिए होते... तो साला यह झंझट ही नहीं रहता... कहीं उसे फंसान के चक्कर में... हम ही फंस तो नहीं रहे...
बल्लभ - देख.... विश्व... जिन गड़े मुर्दों को उखाड़ रहा था.... राजा साहब ने... उन्हीं मुर्दों के साथ उसे लपेट दिया.... अब चाहे कुछ भी हो.... विश्व को सज़ा दिलाना ही होगा....
रोणा - यह बुढ़ा जयंत... आदमी कैसा है... क्यूँ ना हम उसे... अपने पाले में ले लेते...

बल्लभ - नहीं... यह पूरी तरह से.. आत्मघाती होगा... बुढ़ा बहुत ही ईमानदार है.... मैंने उसकी रिपोर्ट ली है... देखा नहीं पहले ही दिन क्या तमाशा बना दिया...
रोणा - राजा साहब का स्टेट पालिटिक्स में इतना दखल है.... तो सरकारी वकील के लिए उन्हों ने कुछ किया क्यूँ नहीं....
बल्लभ - वह... इसलिए के उन्हें अपने जुबान पर नियंत्रण भले ही न हो.... पर उनके बनाए टीम पर उन्हें भरोसा है.... वह अपनी हुकूमत में हुकुम देते हैं.... और उनके वफादार राजा साहब के हुकुम की तामील करते हैं....


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तापस जैल पहुंच कर देखता है जयंत दो लोगों को साथ लिए ऑफिस में उसीका इंतजार कर रहे हैं l
तापस - अरे सर आप... इतनी सुबह...
जयंत - आज एक वकील नहीं.... एक विजिटर की तरह आया हूँ... अपने क्लाइंट से मिलने...
तापस - अच्छा.. तो विजिटिंग हॉल में मिलेंगे.. या और कहीं व्यवस्था करूँ...
जयंत - इस बात पर मैं आपसे छोटा सा फेवर लेना चाहता हूँ....
तापस - जी कहिए...
जयंत - मैं विश्व से आपके जैल के लाइब्रेरी में मिलना चाहता हूँ... जहां पहली बार उससे मिला था... पर्सनल तो है पर.... अगर आप चाहें तो साथ रह सकते हैं....
तापस - अगर बात पर्सनल है तो मैं क्यूँ.... वैसे आप तीनों मिलना चाहेंगे क्या...
जयंत - अरे... नहीं.. नहीं... यह मेरे बॉडीगार्ड्स हैं... जो सरकार ने मुझे मुहैया किया है.... यह लोग यहीं मेरी प्रतीक्षा करेंगे...
तापस - ठीक है सर.... आप लाइब्रेरी में प्रतीक्षा कीजिए... मैं विश्व तक खबर पहुंचाता हूँ...
जयंत अपनी जगह से उठ कर लाइब्रेरी में पहुंचता है l जयंत को विश्व के आने तक कुछ देर इंतजार करना होगा, इसलिए इधर उधर नजर दौड़ा रहा है l कभी घड़ी देख रहा है तो कभी दीवारों पर टंगे महापुरुषों की तस्वीरों को देख रहा है l
नमस्ते सर...
आवाज़ आती है l जयंत उस तरफ मूड कर देखता है l विश्व दरवाजे पर खड़ा है l
जयंत - आओ विश्व आओ... मैं तुमसे ही मिलने आया हूँ...
विश्व - जी कहिए....
जयंत - विश्व... कल से आधिकारिक तौर पर तुम्हारे केस की सुनवाई शुरू होगी....
विश्व - जी...
जयंत - देखो विश्व... तुम अब बाइस के होने वाले हो... सिर्फ़ तीन दिन बाद.... तुम्हारे भीतर अब परीपक्वता आनी चाहिए... तुमको कोर्ट रूम में... प्रोवोक किया जा सकता है.... पर तुम उन पर ध्यान मत देना... उत्तेजित मत हो जाना.... और अपनी जवाब कभी भी... बीच में बात काट कर कभी मत देना..... जब तुमसे पूछा जाए.... तभी तुम अपना जबाव देना.....
विश्व - जी...
जयंत - अच्छा विश्व... अगर मैं अपनी इच्छा से कुछ दूँ... क्या तुम लोगे....
विश्व कुछ समझ नहीं पाता और कहता है
विश्व - ठीक है... पर आप देना क्या चाहते हैं...
जयंत - कुछ निजी है... पर अभी नहीं... पर जब दूँ तो ले लेना....
विश्व - जी... ठीक है...
जयंत - देखो विश्व तुम्हारा यह केस... मेरी नौकरी पेशा जीवन की अंतिम केस है...
विश्व यह सुन कर उसे मुहँ फाड़े देखे जाता है l
जयंत - अरे भाई... मैं कुछ महीनों बाद... रिटायर होने जा रहा हूँ.... इसलिए यह आखिरी केस लेने को तैयार हुआ....
विश्व - ओ...तो क्या इसलिए आप कुछ देना चाहते हैं....
जयंत - अरे नहीं... तुम चूंकि मेरे अंतिम क्लाइंट हो... इसलिए जो भी दूँ उसे रख लेना....
विश्व - आप दिलसे दे रहे हैं... तो जरूर रख लूँगा...
जयंत - हाँ.. अब यह तो वक्त ही बतायेगा... इस केस में क्या होगा...
विश्व - आप शायद कुछ और कहना चाहते हैं.... पर कह नहीं पा रहे हैं...
जयंत - हाँ... यही लक्षण होते हैं... परिपक्व होने के... जानते हो... अगर मैंने शादी कर ली होती... तो मेरा पोता तुम्हारे उम्र का होता ....
विश्व - क्या...
जयंत - इसमें चौंकने की क्या बात है... हाँ मतलब... तुमसे बहुत छोटा होता.... आठ दस साल.... खैर वह सब छोड़ो.... क्या तुम मुझे छोड़ने गेट तक आओगे....
विश्व - जी जरूर...
जयंत और विश्व लाइब्रेरी से उतर कर नीचे आते हैं l
जयंत - थैंक्यू... सुपरिटेंडेंट साहब... थैंक्यू... बस और एक छोटा सा फेवर कर दीजिए....
तापस - जी जरूर....
जयंत - मुझे गेट तक छोड़ने तक विश्व को इजाज़त दें...
जयंत की यह हरकत ना विश्व के ना तापस के, किसीके समझ में कुछ भी नहीं आया l जयंत अपने बॉडीगार्ड्स के साथ बाहर की ओर जाता है और उनके पीछे तापस और विश्व गेट तक पहुंचते हैं l जयंत गेट के पास रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है l विश्व को देख कर मुस्कराता है l विश्व को महसूस होता है जयंत के मुस्कराहट में एक अद्भुत तेज है l विश्व उसकी मुस्कराहट के जबाव में विश्व भी मुस्करा देता है l
फिर जयंत मूड कर वापस बाहर चला जाता है l
विश्व और तापस कन्फ्यूज हो कर थोड़ी देर वहीँ खड़े रहते हैं l फिर वापस अपने अपने रास्ते लौट जाते हैं l

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विक्रम अपने कार से **** कॉलेज जा रहा है l बगल में वीर भी बैठा हुआ है l वीर अपने मोबाइल फोन पर टेंपल रन गेम खेल रहा है और विक्रम कार ड्राइविंग कर रहा है l तभी विक्रम की फोन बजने लगती है l
विक्रम - हैलो छोटे राजा जी.... कहिए क्यूँ याद कर रहे हैं....
पिनाक - हमने ब्रोकर से बात कर ली है.... दो दिन बाद प्रॉपर्टी का ओनर शिप ट्रांसफर हो जाएगा... आपको परसों रजिस्ट्रार ऑफिस में ठीक दस बजे पहुंचना है...
विक्रम - जी और कुछ...
पिनाक - हाँ युवराज... वह आपके डेविल आर्मी के लिए ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर कहाँ तक पहुंचा....
विक्रम - मेरा आदमी लगा हुआ है... बहुत जल्द खबर करेगा...
पिनाक - और आपके कॉलेज इलेक्शन....
विक्रम - कुछ ही दिनों में... नॉमिनेशन फाइल शुरू हो जाएगी...
पिनाक - अच्छी बात है... इलेक्शन कैंपेनिंग के लिए कुछ चमचे बनाए हैं... या नहीं....
विक्रम - नहीं... उसके लिए मैंने कुत्ते पाले हैं... और उन्हीं कुत्तों को छोड़ा है... इस काम के लिए....
पिनाक - अच्छा ठीक है... हम अब पार्टी ऑफिस को जा रहे हैं... कुछ ज़रूरत पड़े तो कॉल कीजिएगा....
विक्रम - जी बेहतर...
यह कह कर विक्रम फोन काट देता है l इतने में कॉलेज भी आ जाती है l कॉलेज में पहुंचते ही वीर अपने क्लास के तरफ निकल जाता है l विक्रम अपना गाड़ी पार्किंग में लगा कर महांती को फोन लगाता है l
विक्रम - हैलो...
महांती - बोलिए युवराज...
विक्रम - महांती... हमारे नए ऑफिस के लिए... जगह का क्या हुआ....
महांती - युवराज जी... जगह सिलेक्शन हो चुका है... एक छोटा सा लिटिगेशन है... मैं आज एक आखिरी कोशिश करता हूँ.... वरना... एक... नया जगह फाइनल करेंगे... वह सहर के बाहर है... इसलिए उसे होल्ड पर रखा है....
विक्रम - ठीक है... जो भी डेवेलपमेंट हो... मुझे खबर करना...
महांती - जी युवराज जी...
विक्रम अपना फोन काट कर जेब में रखता है l विक्रम अपने चारो तरफ नजर घुमाता है, तो पाता है कि बहुत सी आँखे उसकी ओर नजरें गड़ाए उसे ही देख रही हैं l वह अपना गॉगल निकाल कर पहनता है, तो बहुतों की आह निकल जाता है l विक्रम एक ओर चला जा रहा है, तो उसके कदमों को एक आवाज़ रोक देता है l वह पलट कर देखता है, आवाज देने वाला प्रिन्सिपल ऑफिस का पियोन है l
विक्रम उसके पास जाता है,
पीयोन - विक्रम सर.. आपको प्रिन्सिपल सर ने बुलाया है...
विक्रम कुछ नहीं कहता पियोन को आगे चलने का इशारा करता है और उसके पीछे प्रिन्सिपल ऑफिस की ओर जाता है l विक्रम सीधे प्रिन्सिपल ऑफिस के अंदर घुस जाता है l विक्रम को यूँ अंदर घुस आने पर प्रिन्सिपल,
प्रिन्सिपल - देखिए विक्रम, यह आपकी महल नहीं है... कॉलेज है.. और प्रिन्सिपल के कैबिन में आने से पहले परमिशन मांगी जाती है... इतना मैनर्स तो आप में होनी चाहिए..
विक्रम - सुनिए.. प्रिन्सिपल जी... आपको अभी 'जी' कहा... मतलब इसको मैनर्स कहते हैं...
हमे युवराज कहा जाता है... यह आप भी ध्यान रखिए.... और रही मांगने की बात.... तो मांगना हमारी फ़ितरत नहीं है..... छीनना या दे देना हमारी आदत है...
जैसे अभी मैं तुम्हारी इज़्ज़त तुमको दे रहा हूँ... कोशिश करो छीनने की नौबत ना आए.. क्यूंकि जिस दिन फाड़ुंगा... उस दिन ओड़िशा के सारे टेक्सटाइल उद्योग भी तुम्हारी इज़्ज़त नहीं बचा पाएगी....
प्रिन्सिपल इतना सुनने के बाद क्या कहे कुछ समझ नहीं पाता क्यूंकि जिस रौब के साथ विक्रम ने इतना सुनाया, वह डर के मारे पसीने से लथपथ हो जाता है l
विक्रम - कहिये.. किस लिए याद किया...
प्रिन्सिपल - वह... आप इलेक्शन में कांटेस्ट कर रहे हैं....
विक्रम - यह अब तक किसीको नहीं पता... आपको कैसे मालुम हुआ....
प्रिन्सिपल अगल बगल झांकने लगता है
विक्रम - सुनो प्रिन्सिपल... तुमको जिसके साथ अपना कंफर्ट जोन मैंटैंन करना है करो.... पर हमेशा कोशिश में रहना मेरे कंफर्ट जोन की लाइन तुमसे गलती से भी क्रॉस ना हो....
इतना कह कर विक्रम विनय को फोन लगाता है l
विक्रम - कहाँ है...
विनय - वह.. युवराज जी... मैं कैन्टीन में हूँ... यहाँ कुछ लड़के और लड़की... इलेक्शन में खड़े होने की बात कर रहे हैं.... उन्हें समझा रहा हूँ...
विक्रम - ह्म्म्म्म उनको मेरे बारे में कुछ बताया तो नहीं...
विनय - जी नहीं युवराज...
विक्रम - ठीक है... हम अभी कैन्टीन में आ रहे हैं... और खबरदार किसीको अभी मालूम नहीं होनी चाहिए... हमारे बारे में...
विनय - जी जैसा आप कहें....
विक्रम फोन कट कर सीधे कैन्टीन की ओर चल देता है l उसे कॉलेज के बहुत सी आंखें फॉलो कर रही हैं l उसकी चाल और व्यक्तित्व सब पर छाप छोड़ रही है l
विक्रम कैन्टीन में पहुंचता तो उसे महसूस होता है जैसे उसके जिस्म को एक मीठी सी, मखमली सी, सुगंध भरी हवा छू गई l वह देखता है सलवार कुरती पहने विक्रम की तरफ पीठ कर एक लड़की और विनय बहस कर रहे हैं l
विनय - देखिए... मैं आप सब स्टूडेंट्स की भलाई के लिए कह रहा हूँ.... आप सब यहाँ पढ़ने आए हो तो पढ़ो.... यह इलेक्शन के चक्कर में क्यों पढ़ रहे हो...
वह लड़की - क्यूँ... हम तो पढ़ने आते हैं.... पर तुम यहाँ क्या करने आते हो.... गुंडागर्दी....
विनय - ऐ लड़की... नई लगती हो.... कॉलेज के बारे में कुछ नहीं जानती हो.... यूँ बीच में मत घूसो....
लड़की - डिग्री में अभी आई हूँ... पर यहाँ के स्टूडेंट्स से पता किया है.... तुम कितने कमीने हो...
विनय - मैं तुझसे... इज़्ज़त देके बात कर रहा हूँ... तु गाली देने पर उतर आयी.... कमीनी...
लड़की - ऑए... अपना जुबान सम्भाल... वरना तेरी वह पिटाई होगी... के तुझे तेरी नानी याद आ जाएगी....
विनय - यहाँ... इतने स्टूडेंट्स हैं.... किसी के मुहँ में जु नहीं रेंग रही.... तुझे बड़ी चूल मची है...
यह कह कर विनय उस लड़की की तरफ बढ़ता है l
लड़की - देखो... मैं कह देती हूँ... मेरे पास आओगे... तो बहुत पचताओगे....
तभी विक्रम उन दोनों के बीच पहुंचता है और विनय से
विक्रम - क्यूँ भई.... क्या परेशानी है इस लड़की से...
विनय - यह मुझे कमीना बोल रही है....
तभी वह लड़की विक्रम को खिंच कर अपने पीछे लाती है और,
लड़की - कमीने को कमीना बोल रही हूँ... समझा...
विक्रम उस लड़की के बगल में आता है और उसे देखता है, उस देखते ही हैरानी से उसकी आँखे चौड़ी हो जाती हैं l विक्रम को अंदर ही अंदर खुशी महसूस होती l
विक्रम - (अपने मन में) अरे... यह लड़की... इस कॉलेज में है... मेरी लकी चार्म.... (लड़की से) जी आपने इसे कमीना क्यूँ कहा....
लड़की - कमीने को कमीना ना कहूँ तो और क्या कहूँ....
विक्रम - क्या मैं... वजह... जान सकता हूँ...
लड़की - यह कह रहा था... इस बार इस कॉलेज में इलेक्शन ऑनकंटेस्ट होगा.... जैसे इसीने जीवन भर कॉलेज की प्रेसिडेंट बनने की ठान रखी है....
विक्रम - अच्छा... तो यह बात है... (विनय से) क्यूँ भई.. यह लड़की तो बात सही कह रही हैं..... भाई देश में डेमोक्रेसी है... किसीको भी चुनाव कहीं भी लड़ने का अधिकार है.... तुम ऐसे कैसे किसीकी डेमोक्रेटिक राइट्स छिन सकते हो... नहीं नहीं यह गलत बात है... मैं तो इनका साथ दूँगा...
विनय को कुछ समझ में नहीं आता, वह बेवकुफों की तरह सर खुजाता है, वह तो यहाँ किसीको भी नॉमिनेशन ना डालने के लिए मनाने की कोशिश में आया था, ताकि आगे चलकर विक्रम से किसीकी टकराव ना हो l फिर उसके दिमाग की ट्यूब लाइट जलती है l वह बिना कुछ कहे वहाँ से अपने चमचों के साथ कैन्टीन से निकल लेता है l
विक्रम - लीजिए आप की परेशानी वह चला जा रहा है....
लड़की - थैंक्यू... वैसे क्या आप इस कॉलेज में पढ़ते हैं...
विक्रम - हाँ... अभी कुछ ही दिन हुए हैं... कॉमर्स फाइनल ईयर....
लड़की - वाव.... वैसे आपका नाम क्या है...
विक्रम - विक्रम... विक्रम सिंह क...
लड़की - (बड़ी आवाज़ से) तो डियर स्टूडेंट्स... यह रहे आपके नए प्रेसिडेंट कैंडिडेट श्री विक्रम सिंह.....
सभी स्टूडेंट्स ताली मारने लग जाते हैं l विक्रम हक्का-बक्का सा रह जाता है पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता l
तभी कैन्टीन में बैठी और एक दूसरी लड़की इस लड़की को अपने पास खिंच कर एक कोने में ले जाती है l विक्रम देखता है दुसरी लड़की इस पहली लड़की से कुछ कहती है पर पहली वाली लड़की विक्रम की ओर देख कर कुछ ऐसी प्रतिक्रिया देती है जैसे उसे कुछ फर्क़ नहीं पड़ा l विक्रम उससे अपनी नजर फ़ेर कर एक खाली टेबल की ओर बढ़ता है l तभी ब्रेक खतम होने की बेल बजती है l पांच मिनिट में पूरी कैन्टीन खाली हो जाती है l विक्रम देखता है पूरी कैन्टीन खाली हो गई है और वह लड़की भी जाने की तैयारी कर रही है l विक्रम उठ कर उसके पास जाने की सोचता है l पर जा नहीं पाता है और वापस अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है l लड़की बाहर जाने को होती है कि उसकी नजर विक्रम पर पड़ती है l वह विक्रम के पास आती है,
लड़की - अरे.... आप गए नहीं अपने क्लास में...(मजाकिया अंदाज में) डर लग रहा है क्या....
विक्रम हंस देता है l
विक्रम - आप भी तो नहीं गई... अपनी क्लास में....
लड़की - (खिल खिला कर हंसते हुए) मैं इस कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हूँ... (विक्रम के टेबल के पास एक कुर्सी पर बैठ जाती है)
विक्रम - क्या.. (हैरानी से अपनी कुर्सी से उछल पड़ता है) क्या... आ.. आप इस.... कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हो...
लड़की - (उसी अंदाज में हंसते हुए) जी नहीं...
विक्रम - फिर.. यह... मतलब इलेक्शन...
लड़की - अच्छा वह... वह तो मैं अपनी सहेली से मिलने आयी थी यहाँ..... तो उसने ही मुझे कैन्टीन ले आयी.... और यहां का हॉट टॉपिक था... इस बार की कॉलेज इलेक्शन..... सब विनय से नाराज़ थे... क्यूंकि वह एक गुंडा टाइप का है... कॉलेज में सिवाय गुंडागर्दी के कुछ नहीं करता..... और यह मैं नहीं... इस कैन्टीन में बैठा हर शख्स कह रहा था.... सब चेंज चाह रहे थे.... चेंज की बात भी कर रहे थे... पर हिम्मत कोई नहीं कर रहा था... तभी वह कमीना आया और... इलेक्शन अब इस बार ऑनकंटेस्ट होगा... ऐसा बोला... इसलिए मैं उससे झगड़ा कर रही थी........
विक्रम उसे हैरानी से देखे जा रहा है और मुहँ फाड़े सुन रहा है l
लड़की - (विक्रम के आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए) हैलो.... क्या सोचने लगे...
विक्रम - हाँ...(होश में आते हुए) हाँ.... आप इस कॉलेज की नहीं हो... इस कॉलेज इलेक्शन की कैंडिडेट से... झगड़ा मोल ले लिए हो... और तो और.... इलेक्शन के शूली पर... मुझे चढ़ा भी दिया.... मेरी आपसे ऐसी क्या दुश्मनी है...
वह लड़की फिर से हंसने लगती है और कैन्टीन के एक लड़के को इशारे से दो कॉफी के लिए कहती है l
लड़की - सॉरी... हाँ... सॉरी... लेकिन इसका मतलब यह नहीं.... की आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे...
विक्रम - क्यूँ... क्यूँ...
लड़की - अगर आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे.... अभी आपने जितनी तालियां बटोरे हैं .... उससे कई गुना गालियाँ बटोरेंगे... मर्जी आपकी.... चॉएस आपकी....
इतने में कॉफी आ जाती है, लड़की विक्रम को कॉफी पीने के लिए इशारा करती है l कॉफी का एक सीप लेते ही विक्रम का मुहँ बिगड जाता है l लड़की फिर से हंसती है l
लड़की - लगता है.... इलेक्शन ने दिमाग को ठिकाने लगा दी है....

कह कर हंसती है, विक्रम से उसकी कॉफी का कप लेती है और शुगर पाउच फाड़ कर कॉफी में डाल कर कॉफी स्टिक से घोलने के बाद विक्रम को कॉफी का कप बढ़ाती है l विक्रम किसी रोबोट की तरह उससे कॉफी लेकर पीने लगता है l
लड़की - अब ठीक है...
विक्रम सर हिला कर हाँ कहता है l
लड़की - (अपनी कॉफी पीते हुए) अब और कुछ पूछना है...
विक्रम - हाँ... यह कॉलेज आपका नहीं है... आप यहां अपनी दोस्त से मिलने आते हो... किसी और के मामले में घुस जाते हो... और लड़ाई झगड़ा भी करते हो.... फिर इस कॉलेज में आपको कोई नहीं दिखता.... आप मुझे बकरा बना देती हो... यह मेरे साथ क्या हुआ....
लड़की कॉफी पी कर टेबल पर कप रख देती है, कॉफी पी लेने के बाद वह लड़की के होठों पर एक सफेद रंग की लाइन दिखती है, उस सफेद लाइन को देख कर विक्रम का दिल मचलने लगती है, क्यूँ पर उसे समझमें नहीं आता l वह लड़की विक्रम की आँखों में देखते हुए, टीसु पेपर से अपने होठों को पोंछती है, विक्रम उसकी चेहरे को देख कर खोया हुआ है l
लड़की - अच्छा मैं चलती हूँ...
विक्रम - जी... सुनिए... आपकी यह दोस्त वही हैं ना... जिसके घर के लिए मुझसे उस रात को लिफ्ट मांगी थी....
लड़की - हाँ....
विक्रम - इसका मतलब... मैं आपको याद हूँ....
लड़की - हाँ... न... नहीं तो तो...
विक्रम - क्या.. अभी तो कहा आपने लिफ्ट ली थी...
लड़की - हाँ आप से ली थी... यह कब कहा....
विक्रम - ओह... ह्म्म्म्म... इत्तेफाकन यह हमारी... तीसरी मुलाकात है...
लड़की - तीसरी.... ओ हैलो... हम आज पहली बार मिल रहे हैं.......
विक्रम - आपके जनम दिन में.. होटल ऐरा के लॉबी में... टकराए थे... और आपने हमे गिरा भी दिया था...
लड़की - क्या... हाथ बढ़ा कर उठाया भी था...
विक्रम - अच्छा...
लड़की अपनी दांतों तले जीभ दबा देती है और होठों पर हंसी को लाते हुए अपनी आँखे बंद कर देती है l उसकी यह एक्सप्रेशन देख कर
विक्रम - मतलब मैं याद हूँ....
लड़की अपने होठों को सिकुड़ कर अपनी मुस्कान को छिपाते हुए
लड़की - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आपने कहा था... फिर संयोग से मुलाकात हुई... तो आप अपना नाम बतायेंगे...
लड़की - इतनी जल्दी क्या है..... क्यूँ ना और एक इत्तेफाक का इंतजार किया जाए.... तब तक एक और बार अजनबी बन कर देखते हैं....

कह कर लड़की वहाँ से उठ कर जाने लगती है और फ़िर पीछे मुड़ कर विक्रम से कहती है
- कॉफी का बिल पे कर दीजिएगा....
कह कर वह लड़की वहाँ से चली जाती है l
विक्रम उसको जाते हुए देखता है l फिर काउंटर पर जा कर बिल पे कर देता है l उसके फोन पर रिंग सुनाई देती है, विक्रम फोन पर देखता है महांती का कॉल है l
विक्रम - हाँ... खुश खबरी है.. है ना... जल्दी से बोलो महांती...
महांती - युवराज जी...आपको कैसे मालूम हुआ... खुश खबरी है...
विक्रम - वह... इंट्युशन...
महांती - ओह... गुड न्यूज... है युवराज जी... वह जो जगह... हमारी सिक्युरिटी सर्विस के ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर के लिए देखी थी... उसकी लिटिगेशन भी आज दूर हो गई.... अब जब चाहे हम उस जगह की रजिस्ट्रेशन अपने नाम कर कर सकते हैं...
विक्रम के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है l
विक्रम - ठीक है... महांती.... शुभस्य शीघ्रम... परसों ही रजिस्ट्रेशन रखते हैं... रजिस्ट्रार ऑफिस में दस बजे...
महांती - जी बहुत अच्छा... मैं सारी बंदोबस्त करता हूँ....
विक्रम फोन काट कर अपने चाचा पिनाक को फोन लगाता है l
पिनाक - हाँ.. युवराज.. कहिए क्या खबर है....
विक्रम - परसों हम डेविल हाउस और डेविल आर्मी ऑफिस..... दोनों जगहों का रजिस्ट्रेशन करेंगे....
पिनाक - वाह.. वाह... क्या बात है... युवराज... और आपके कॉलेज इलेक्शन का क्या हुआ...
विक्रम - आज सारे काम ऑनएक्सपेक्टेडली सारे काम हो गए.....
पिनाक - गुड वेरी गुड.... भुवनेश्वर में अपनी हुकूमत की नींव की ईंट रख दिया आपने... मैं यह राजा साहब को बताना चाहूँगा.... ओके.. मैं फ़ोन रख रहा हूँ...
पिनाक के फोन रखते ही विक्रम अपनी अंगुठी को देख कर कहने लगता है
मेरे ख्वाबों के रंग में रंगी एक तस्वीर हो तुम..
तुम चाहे मानों या ना मानों मेरी तकदीर हो तुम...
Superbbb Updateee
 

parkas

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नाश्ते के टेबल से बर्तन समेट रही है प्रतिभा, तापस अपने यूनीफॉर्म पहन रहा है और प्रत्युष घर से अपने कॉलेज के लिए निकलने की तैयारी कर रहा है l
प्रत्युष - बाइ माँ, बाइ डैड...
कह कर दरवाज़े तक पहुंचता है तभी कॉलिंग बेल बजती है, प्रत्युष झट से दरवाजा खोल देता है तो बाहर दो अजनबियों को देखता है l
एक - क्या... प्रतिभा सेनापति जी घर में हैं...
प्रत्युष - हाँ जी हैं... माँ कोई आए हैं... आपसे मिलने...
प्रतिभा किचन से दरवाजे के पास आती है तो वह दो अजनबियों को देख कर हैरान हो जाती है l
प्रतिभा - (प्रत्युष से) अब तुझे टाइम नहीं हो रहा है क्या.... जा जल्दी अपने कॉलेज... (प्रत्युष चला जाता है, तो उनको देख कर) जी कहिए... मुझसे आपको क्या काम है....
एक - क्या हम अंदर आ कर बात करें.....
प्रतिभा - ठीक है... आइए...
प्रतिभा बैठक के अंदर आती है और उसके पीछे पीछे वह दोनों भी आते हैं l
प्रतिभा - बैठिए... (वह दोनों बैठ जाते हैं) हाँ तो अब बताइए.... आप लोग कौन हैं और... मुझसे आप लोगों का क्या काम है...
एक - जी मेरा नाम बल्लभ प्रधान है... मैं पेशे से आपके ही बिरादरी से हूँ... आई मिन मैं एडवोकेट हूँ यशपुर से.... और यह हैं अनिकेत रोणा आई.आई.सी मेरा मतलब इंस्पेक्टर इन चार्ज राजगड़....
इतने में तापस अपने यूनीफॉर्म पहने बैठक में आता है l आते ही उसकी नजर रोणा पर पड़ता है l तो उसकी भोवैं सिकुड़ जाती हैं l रोणा भी तापस को देख कर थोड़ा नर्वस हो जाता है l
प्रतिभा - कमाल है... आप इतने बड़े लोगों का... मेरे पास क्या काम आन पड़ा....
बल्लभ - जी कोर्ट में आपके केस के प्रेजेंटेशन के बाद गवाहों की क्रॉस एक्जामीन होगी.... चूंकि सारे गवाह या तो राजगड़ या यश पुर से ही हैं.... तो उन गवाहों से कम्युनिकेशन सहित सभी प्रकार के सहायता के लिए.... हमे राजा साहब जी ने आपकी मदत के लिए भेजा है...
और जब तक केस की सुनवाई व कारवाई पूरी नहीं हो जाती हम इसी सहर में हैं... और आप हमसे जो भी मदत चाहें ले सकते हैं....
प्रतिभा - ठीक है... इस केस में... आपके राजा साहब जी की.... कोई निजी दिलचस्पी है क्या....
बल्लभ - जी पूरी... ओड़िशा को हिला देने वाली.... हो कांड हुआ है... इससे हमारा प्रांत की छबी खराब हुई है.... इसलिए राजा साहब ने हमे कहा है कि आपकी पूरी तरह से मदद करने के लिए....
प्रतिभा - जी बेहतर... मुझे जरूरत हुई तो... मैं आपसे कंटैक्ट करूंगी... आप अपना फोन नंबर दे कर जाइए...

बल्लभ - जी जरूर... (कह कर एक काग़ज़ निकाल कर उसमें दोनों का नंबर लिख कर प्रतिभा को देता है) अच्छा प्रतिभा जी धन्यबाद.... अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होती ही रहेंगी....
प्रतिभा - जरूर...
फिर दोनों उठ कर बाहर चले जाते हैं l तापस कुछ सोच में डूबा हुआ है l
प्रतिभा - सेनापति जी क्या हुआ.... आप किस गहरी सोच में पड़ गए...
तापस - हाँ... ह्म्म.. यह दोनों.. मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... उस इंस्पेक्टर से पहले भी मिल चुका हूँ... बहुत ही कमीना किस्म का है.... चुकी यह वकील उसके साथ है... इसलिए दोनों के गठजोड़ साफ नहीं लग रहा है....
प्रतिभा - कर दी ना पुलिस वाली बात... उस पुलिस वाले का नाम मैंने रिपोर्ट में पढ़ा है... इसको वैसे भी समन जाने वाला था... तो आ गया... अगर कोर्ट में मुझे मदद कर सकते हैं... इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है...

तापस चुप रहता है, फिर कुछ सोच कर अपना सर हिलाता है और जैल के लिए निकल जाता है l प्रतिभा दरवाज़ा बंद कर अपनी फाइलें खोल कर बैठ जाती है l

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त्रिशूलीया ब्रिज के पास लेकर अपनी गाड़ी को रोक देता है इंस्पेक्टर रोणा l बल्लभ देखता है रोणा कुछ चिढ़ा हुआ है l
बल्लभ - क्या हुआ... इतने चिढ़े हुए क्यूँ हो...
रोणा - जल्दबाजी में... एक गलती हो गई....
बल्लभ - क्या... कौनसी गलती....
रोणा - कहते हैं... फर्स्ट इंप्रेशन इस अल्वेज लास्ट इंप्रेशन....
इससे पहले... उस वकील की पति से मुलाकात हो चुकी है.... और अच्छी नहीं गई थी... वह मुलाकात....
बल्लभ - मतलब...
रोणा गाड़ी से उतर कर ब्रिज के फुटपाथ पर बनें सिमेंट की कुर्सी पर बैठ जाता है, बल्लभ भी आकर उसके पास बैठ जाता है l
बल्लभ - क्या हुआ
रोणा अपनी जेब से सिगरेट निकालता है, एक खुद लेता है और एक बल्लभ को देता है और लाइटर निकाल कर दोनों के सिगरेट सुलगा देता है l
बल्लभ - क्या हुआ...
रोणा - अररे.. यार... तुम वकील हो... इतना भी अनुमान लगा नहीं पा रहे हो.... वह जैल सुपरिटेंडेंट है... और विश्व को मैंने उसके हवाले किया था....
बल्लभ - ह्म्म्म्म... तो यह बात है....
रोणा - हाँ...
बल्लभ - कोई नहीं... हमे उस सुपरिटेंडेंट से कोई मतलब नहीं है... उसे उतने सिरीयसली मत लो.... अब सारा ध्यान केस पर समेटो.... राजा साहब गुस्से में है... हमे यहाँ रह कर कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट लगाना होगा... कोर्ट के हर कम्युनिकेशन को अपने कंट्रोल में लेना होगा....
रोणा - बड़े बड़े बांध टूटते हैं... छोटे छोटे कमजोर ईंटों के वजह से...
बल्लभ - मतलब...
रोणा - हम.. छोटे छोटे कर्मचारियों को हाथ में लेंगे... तो सारे कम्युनिकेशन को हम ही हैंडल कर पाएंगे... हमारे जानकारी के बगैर... कोई मूवमेंट ना हो...
बल्लभ - ठीक बिल्कुल ठीक....
रोणा - क्या हम... छोटे राजा जी से मदद ले सकते हैं....
बल्लभ - नहीं... फ़िलहाल तो नहीं...
रोणा - यार एक बात समझ में नहीं आ रहा.... यह राजा साहब कभी कभी हम कहते हैं... और कभी कभी मैं....
बल्लभ - जब अहं में होते हैं... हम कहते हैं... जब अंदर का जानवर बाहर निकलने को होता है... तब मैं कहते हैं... जब वह हम कहते हैं... कोई खतरा नहीं होता है... पर जब वह मैं में होते हैं... तब खतरा बहुत होता है...
रोणा - ओ....
बल्लभ - फ़िर क्या हुआ...
रोणा - उस हराम खोर विश्व को... किसी मर्डर केस में फंसा कर ठोक दिए होते... तो साला यह झंझट ही नहीं रहता... कहीं उसे फंसान के चक्कर में... हम ही फंस तो नहीं रहे...
बल्लभ - देख.... विश्व... जिन गड़े मुर्दों को उखाड़ रहा था.... राजा साहब ने... उन्हीं मुर्दों के साथ उसे लपेट दिया.... अब चाहे कुछ भी हो.... विश्व को सज़ा दिलाना ही होगा....
रोणा - यह बुढ़ा जयंत... आदमी कैसा है... क्यूँ ना हम उसे... अपने पाले में ले लेते...

बल्लभ - नहीं... यह पूरी तरह से.. आत्मघाती होगा... बुढ़ा बहुत ही ईमानदार है.... मैंने उसकी रिपोर्ट ली है... देखा नहीं पहले ही दिन क्या तमाशा बना दिया...
रोणा - राजा साहब का स्टेट पालिटिक्स में इतना दखल है.... तो सरकारी वकील के लिए उन्हों ने कुछ किया क्यूँ नहीं....
बल्लभ - वह... इसलिए के उन्हें अपने जुबान पर नियंत्रण भले ही न हो.... पर उनके बनाए टीम पर उन्हें भरोसा है.... वह अपनी हुकूमत में हुकुम देते हैं.... और उनके वफादार राजा साहब के हुकुम की तामील करते हैं....


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तापस जैल पहुंच कर देखता है जयंत दो लोगों को साथ लिए ऑफिस में उसीका इंतजार कर रहे हैं l
तापस - अरे सर आप... इतनी सुबह...
जयंत - आज एक वकील नहीं.... एक विजिटर की तरह आया हूँ... अपने क्लाइंट से मिलने...
तापस - अच्छा.. तो विजिटिंग हॉल में मिलेंगे.. या और कहीं व्यवस्था करूँ...
जयंत - इस बात पर मैं आपसे छोटा सा फेवर लेना चाहता हूँ....
तापस - जी कहिए...
जयंत - मैं विश्व से आपके जैल के लाइब्रेरी में मिलना चाहता हूँ... जहां पहली बार उससे मिला था... पर्सनल तो है पर.... अगर आप चाहें तो साथ रह सकते हैं....
तापस - अगर बात पर्सनल है तो मैं क्यूँ.... वैसे आप तीनों मिलना चाहेंगे क्या...
जयंत - अरे... नहीं.. नहीं... यह मेरे बॉडीगार्ड्स हैं... जो सरकार ने मुझे मुहैया किया है.... यह लोग यहीं मेरी प्रतीक्षा करेंगे...
तापस - ठीक है सर.... आप लाइब्रेरी में प्रतीक्षा कीजिए... मैं विश्व तक खबर पहुंचाता हूँ...
जयंत अपनी जगह से उठ कर लाइब्रेरी में पहुंचता है l जयंत को विश्व के आने तक कुछ देर इंतजार करना होगा, इसलिए इधर उधर नजर दौड़ा रहा है l कभी घड़ी देख रहा है तो कभी दीवारों पर टंगे महापुरुषों की तस्वीरों को देख रहा है l
नमस्ते सर...
आवाज़ आती है l जयंत उस तरफ मूड कर देखता है l विश्व दरवाजे पर खड़ा है l
जयंत - आओ विश्व आओ... मैं तुमसे ही मिलने आया हूँ...
विश्व - जी कहिए....
जयंत - विश्व... कल से आधिकारिक तौर पर तुम्हारे केस की सुनवाई शुरू होगी....
विश्व - जी...
जयंत - देखो विश्व... तुम अब बाइस के होने वाले हो... सिर्फ़ तीन दिन बाद.... तुम्हारे भीतर अब परीपक्वता आनी चाहिए... तुमको कोर्ट रूम में... प्रोवोक किया जा सकता है.... पर तुम उन पर ध्यान मत देना... उत्तेजित मत हो जाना.... और अपनी जवाब कभी भी... बीच में बात काट कर कभी मत देना..... जब तुमसे पूछा जाए.... तभी तुम अपना जबाव देना.....
विश्व - जी...
जयंत - अच्छा विश्व... अगर मैं अपनी इच्छा से कुछ दूँ... क्या तुम लोगे....
विश्व कुछ समझ नहीं पाता और कहता है
विश्व - ठीक है... पर आप देना क्या चाहते हैं...
जयंत - कुछ निजी है... पर अभी नहीं... पर जब दूँ तो ले लेना....
विश्व - जी... ठीक है...
जयंत - देखो विश्व तुम्हारा यह केस... मेरी नौकरी पेशा जीवन की अंतिम केस है...
विश्व यह सुन कर उसे मुहँ फाड़े देखे जाता है l
जयंत - अरे भाई... मैं कुछ महीनों बाद... रिटायर होने जा रहा हूँ.... इसलिए यह आखिरी केस लेने को तैयार हुआ....
विश्व - ओ...तो क्या इसलिए आप कुछ देना चाहते हैं....
जयंत - अरे नहीं... तुम चूंकि मेरे अंतिम क्लाइंट हो... इसलिए जो भी दूँ उसे रख लेना....
विश्व - आप दिलसे दे रहे हैं... तो जरूर रख लूँगा...
जयंत - हाँ.. अब यह तो वक्त ही बतायेगा... इस केस में क्या होगा...
विश्व - आप शायद कुछ और कहना चाहते हैं.... पर कह नहीं पा रहे हैं...
जयंत - हाँ... यही लक्षण होते हैं... परिपक्व होने के... जानते हो... अगर मैंने शादी कर ली होती... तो मेरा पोता तुम्हारे उम्र का होता ....
विश्व - क्या...
जयंत - इसमें चौंकने की क्या बात है... हाँ मतलब... तुमसे बहुत छोटा होता.... आठ दस साल.... खैर वह सब छोड़ो.... क्या तुम मुझे छोड़ने गेट तक आओगे....
विश्व - जी जरूर...
जयंत और विश्व लाइब्रेरी से उतर कर नीचे आते हैं l
जयंत - थैंक्यू... सुपरिटेंडेंट साहब... थैंक्यू... बस और एक छोटा सा फेवर कर दीजिए....
तापस - जी जरूर....
जयंत - मुझे गेट तक छोड़ने तक विश्व को इजाज़त दें...
जयंत की यह हरकत ना विश्व के ना तापस के, किसीके समझ में कुछ भी नहीं आया l जयंत अपने बॉडीगार्ड्स के साथ बाहर की ओर जाता है और उनके पीछे तापस और विश्व गेट तक पहुंचते हैं l जयंत गेट के पास रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है l विश्व को देख कर मुस्कराता है l विश्व को महसूस होता है जयंत के मुस्कराहट में एक अद्भुत तेज है l विश्व उसकी मुस्कराहट के जबाव में विश्व भी मुस्करा देता है l
फिर जयंत मूड कर वापस बाहर चला जाता है l
विश्व और तापस कन्फ्यूज हो कर थोड़ी देर वहीँ खड़े रहते हैं l फिर वापस अपने अपने रास्ते लौट जाते हैं l

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विक्रम अपने कार से **** कॉलेज जा रहा है l बगल में वीर भी बैठा हुआ है l वीर अपने मोबाइल फोन पर टेंपल रन गेम खेल रहा है और विक्रम कार ड्राइविंग कर रहा है l तभी विक्रम की फोन बजने लगती है l
विक्रम - हैलो छोटे राजा जी.... कहिए क्यूँ याद कर रहे हैं....
पिनाक - हमने ब्रोकर से बात कर ली है.... दो दिन बाद प्रॉपर्टी का ओनर शिप ट्रांसफर हो जाएगा... आपको परसों रजिस्ट्रार ऑफिस में ठीक दस बजे पहुंचना है...
विक्रम - जी और कुछ...
पिनाक - हाँ युवराज... वह आपके डेविल आर्मी के लिए ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर कहाँ तक पहुंचा....
विक्रम - मेरा आदमी लगा हुआ है... बहुत जल्द खबर करेगा...
पिनाक - और आपके कॉलेज इलेक्शन....
विक्रम - कुछ ही दिनों में... नॉमिनेशन फाइल शुरू हो जाएगी...
पिनाक - अच्छी बात है... इलेक्शन कैंपेनिंग के लिए कुछ चमचे बनाए हैं... या नहीं....
विक्रम - नहीं... उसके लिए मैंने कुत्ते पाले हैं... और उन्हीं कुत्तों को छोड़ा है... इस काम के लिए....
पिनाक - अच्छा ठीक है... हम अब पार्टी ऑफिस को जा रहे हैं... कुछ ज़रूरत पड़े तो कॉल कीजिएगा....
विक्रम - जी बेहतर...
यह कह कर विक्रम फोन काट देता है l इतने में कॉलेज भी आ जाती है l कॉलेज में पहुंचते ही वीर अपने क्लास के तरफ निकल जाता है l विक्रम अपना गाड़ी पार्किंग में लगा कर महांती को फोन लगाता है l
विक्रम - हैलो...
महांती - बोलिए युवराज...
विक्रम - महांती... हमारे नए ऑफिस के लिए... जगह का क्या हुआ....
महांती - युवराज जी... जगह सिलेक्शन हो चुका है... एक छोटा सा लिटिगेशन है... मैं आज एक आखिरी कोशिश करता हूँ.... वरना... एक... नया जगह फाइनल करेंगे... वह सहर के बाहर है... इसलिए उसे होल्ड पर रखा है....
विक्रम - ठीक है... जो भी डेवेलपमेंट हो... मुझे खबर करना...
महांती - जी युवराज जी...
विक्रम अपना फोन काट कर जेब में रखता है l विक्रम अपने चारो तरफ नजर घुमाता है, तो पाता है कि बहुत सी आँखे उसकी ओर नजरें गड़ाए उसे ही देख रही हैं l वह अपना गॉगल निकाल कर पहनता है, तो बहुतों की आह निकल जाता है l विक्रम एक ओर चला जा रहा है, तो उसके कदमों को एक आवाज़ रोक देता है l वह पलट कर देखता है, आवाज देने वाला प्रिन्सिपल ऑफिस का पियोन है l
विक्रम उसके पास जाता है,
पीयोन - विक्रम सर.. आपको प्रिन्सिपल सर ने बुलाया है...
विक्रम कुछ नहीं कहता पियोन को आगे चलने का इशारा करता है और उसके पीछे प्रिन्सिपल ऑफिस की ओर जाता है l विक्रम सीधे प्रिन्सिपल ऑफिस के अंदर घुस जाता है l विक्रम को यूँ अंदर घुस आने पर प्रिन्सिपल,
प्रिन्सिपल - देखिए विक्रम, यह आपकी महल नहीं है... कॉलेज है.. और प्रिन्सिपल के कैबिन में आने से पहले परमिशन मांगी जाती है... इतना मैनर्स तो आप में होनी चाहिए..
विक्रम - सुनिए.. प्रिन्सिपल जी... आपको अभी 'जी' कहा... मतलब इसको मैनर्स कहते हैं...
हमे युवराज कहा जाता है... यह आप भी ध्यान रखिए.... और रही मांगने की बात.... तो मांगना हमारी फ़ितरत नहीं है..... छीनना या दे देना हमारी आदत है...
जैसे अभी मैं तुम्हारी इज़्ज़त तुमको दे रहा हूँ... कोशिश करो छीनने की नौबत ना आए.. क्यूंकि जिस दिन फाड़ुंगा... उस दिन ओड़िशा के सारे टेक्सटाइल उद्योग भी तुम्हारी इज़्ज़त नहीं बचा पाएगी....
प्रिन्सिपल इतना सुनने के बाद क्या कहे कुछ समझ नहीं पाता क्यूंकि जिस रौब के साथ विक्रम ने इतना सुनाया, वह डर के मारे पसीने से लथपथ हो जाता है l
विक्रम - कहिये.. किस लिए याद किया...
प्रिन्सिपल - वह... आप इलेक्शन में कांटेस्ट कर रहे हैं....
विक्रम - यह अब तक किसीको नहीं पता... आपको कैसे मालुम हुआ....
प्रिन्सिपल अगल बगल झांकने लगता है
विक्रम - सुनो प्रिन्सिपल... तुमको जिसके साथ अपना कंफर्ट जोन मैंटैंन करना है करो.... पर हमेशा कोशिश में रहना मेरे कंफर्ट जोन की लाइन तुमसे गलती से भी क्रॉस ना हो....
इतना कह कर विक्रम विनय को फोन लगाता है l
विक्रम - कहाँ है...
विनय - वह.. युवराज जी... मैं कैन्टीन में हूँ... यहाँ कुछ लड़के और लड़की... इलेक्शन में खड़े होने की बात कर रहे हैं.... उन्हें समझा रहा हूँ...
विक्रम - ह्म्म्म्म उनको मेरे बारे में कुछ बताया तो नहीं...
विनय - जी नहीं युवराज...
विक्रम - ठीक है... हम अभी कैन्टीन में आ रहे हैं... और खबरदार किसीको अभी मालूम नहीं होनी चाहिए... हमारे बारे में...
विनय - जी जैसा आप कहें....
विक्रम फोन कट कर सीधे कैन्टीन की ओर चल देता है l उसे कॉलेज के बहुत सी आंखें फॉलो कर रही हैं l उसकी चाल और व्यक्तित्व सब पर छाप छोड़ रही है l
विक्रम कैन्टीन में पहुंचता तो उसे महसूस होता है जैसे उसके जिस्म को एक मीठी सी, मखमली सी, सुगंध भरी हवा छू गई l वह देखता है सलवार कुरती पहने विक्रम की तरफ पीठ कर एक लड़की और विनय बहस कर रहे हैं l
विनय - देखिए... मैं आप सब स्टूडेंट्स की भलाई के लिए कह रहा हूँ.... आप सब यहाँ पढ़ने आए हो तो पढ़ो.... यह इलेक्शन के चक्कर में क्यों पढ़ रहे हो...
वह लड़की - क्यूँ... हम तो पढ़ने आते हैं.... पर तुम यहाँ क्या करने आते हो.... गुंडागर्दी....
विनय - ऐ लड़की... नई लगती हो.... कॉलेज के बारे में कुछ नहीं जानती हो.... यूँ बीच में मत घूसो....
लड़की - डिग्री में अभी आई हूँ... पर यहाँ के स्टूडेंट्स से पता किया है.... तुम कितने कमीने हो...
विनय - मैं तुझसे... इज़्ज़त देके बात कर रहा हूँ... तु गाली देने पर उतर आयी.... कमीनी...
लड़की - ऑए... अपना जुबान सम्भाल... वरना तेरी वह पिटाई होगी... के तुझे तेरी नानी याद आ जाएगी....
विनय - यहाँ... इतने स्टूडेंट्स हैं.... किसी के मुहँ में जु नहीं रेंग रही.... तुझे बड़ी चूल मची है...
यह कह कर विनय उस लड़की की तरफ बढ़ता है l
लड़की - देखो... मैं कह देती हूँ... मेरे पास आओगे... तो बहुत पचताओगे....
तभी विक्रम उन दोनों के बीच पहुंचता है और विनय से
विक्रम - क्यूँ भई.... क्या परेशानी है इस लड़की से...
विनय - यह मुझे कमीना बोल रही है....
तभी वह लड़की विक्रम को खिंच कर अपने पीछे लाती है और,
लड़की - कमीने को कमीना बोल रही हूँ... समझा...
विक्रम उस लड़की के बगल में आता है और उसे देखता है, उस देखते ही हैरानी से उसकी आँखे चौड़ी हो जाती हैं l विक्रम को अंदर ही अंदर खुशी महसूस होती l
विक्रम - (अपने मन में) अरे... यह लड़की... इस कॉलेज में है... मेरी लकी चार्म.... (लड़की से) जी आपने इसे कमीना क्यूँ कहा....
लड़की - कमीने को कमीना ना कहूँ तो और क्या कहूँ....
विक्रम - क्या मैं... वजह... जान सकता हूँ...
लड़की - यह कह रहा था... इस बार इस कॉलेज में इलेक्शन ऑनकंटेस्ट होगा.... जैसे इसीने जीवन भर कॉलेज की प्रेसिडेंट बनने की ठान रखी है....
विक्रम - अच्छा... तो यह बात है... (विनय से) क्यूँ भई.. यह लड़की तो बात सही कह रही हैं..... भाई देश में डेमोक्रेसी है... किसीको भी चुनाव कहीं भी लड़ने का अधिकार है.... तुम ऐसे कैसे किसीकी डेमोक्रेटिक राइट्स छिन सकते हो... नहीं नहीं यह गलत बात है... मैं तो इनका साथ दूँगा...
विनय को कुछ समझ में नहीं आता, वह बेवकुफों की तरह सर खुजाता है, वह तो यहाँ किसीको भी नॉमिनेशन ना डालने के लिए मनाने की कोशिश में आया था, ताकि आगे चलकर विक्रम से किसीकी टकराव ना हो l फिर उसके दिमाग की ट्यूब लाइट जलती है l वह बिना कुछ कहे वहाँ से अपने चमचों के साथ कैन्टीन से निकल लेता है l
विक्रम - लीजिए आप की परेशानी वह चला जा रहा है....
लड़की - थैंक्यू... वैसे क्या आप इस कॉलेज में पढ़ते हैं...
विक्रम - हाँ... अभी कुछ ही दिन हुए हैं... कॉमर्स फाइनल ईयर....
लड़की - वाव.... वैसे आपका नाम क्या है...
विक्रम - विक्रम... विक्रम सिंह क...
लड़की - (बड़ी आवाज़ से) तो डियर स्टूडेंट्स... यह रहे आपके नए प्रेसिडेंट कैंडिडेट श्री विक्रम सिंह.....
सभी स्टूडेंट्स ताली मारने लग जाते हैं l विक्रम हक्का-बक्का सा रह जाता है पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता l
तभी कैन्टीन में बैठी और एक दूसरी लड़की इस लड़की को अपने पास खिंच कर एक कोने में ले जाती है l विक्रम देखता है दुसरी लड़की इस पहली लड़की से कुछ कहती है पर पहली वाली लड़की विक्रम की ओर देख कर कुछ ऐसी प्रतिक्रिया देती है जैसे उसे कुछ फर्क़ नहीं पड़ा l विक्रम उससे अपनी नजर फ़ेर कर एक खाली टेबल की ओर बढ़ता है l तभी ब्रेक खतम होने की बेल बजती है l पांच मिनिट में पूरी कैन्टीन खाली हो जाती है l विक्रम देखता है पूरी कैन्टीन खाली हो गई है और वह लड़की भी जाने की तैयारी कर रही है l विक्रम उठ कर उसके पास जाने की सोचता है l पर जा नहीं पाता है और वापस अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है l लड़की बाहर जाने को होती है कि उसकी नजर विक्रम पर पड़ती है l वह विक्रम के पास आती है,
लड़की - अरे.... आप गए नहीं अपने क्लास में...(मजाकिया अंदाज में) डर लग रहा है क्या....
विक्रम हंस देता है l
विक्रम - आप भी तो नहीं गई... अपनी क्लास में....
लड़की - (खिल खिला कर हंसते हुए) मैं इस कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हूँ... (विक्रम के टेबल के पास एक कुर्सी पर बैठ जाती है)
विक्रम - क्या.. (हैरानी से अपनी कुर्सी से उछल पड़ता है) क्या... आ.. आप इस.... कॉलेज की स्टूडेंट नहीं हो...
लड़की - (उसी अंदाज में हंसते हुए) जी नहीं...
विक्रम - फिर.. यह... मतलब इलेक्शन...
लड़की - अच्छा वह... वह तो मैं अपनी सहेली से मिलने आयी थी यहाँ..... तो उसने ही मुझे कैन्टीन ले आयी.... और यहां का हॉट टॉपिक था... इस बार की कॉलेज इलेक्शन..... सब विनय से नाराज़ थे... क्यूंकि वह एक गुंडा टाइप का है... कॉलेज में सिवाय गुंडागर्दी के कुछ नहीं करता..... और यह मैं नहीं... इस कैन्टीन में बैठा हर शख्स कह रहा था.... सब चेंज चाह रहे थे.... चेंज की बात भी कर रहे थे... पर हिम्मत कोई नहीं कर रहा था... तभी वह कमीना आया और... इलेक्शन अब इस बार ऑनकंटेस्ट होगा... ऐसा बोला... इसलिए मैं उससे झगड़ा कर रही थी........
विक्रम उसे हैरानी से देखे जा रहा है और मुहँ फाड़े सुन रहा है l
लड़की - (विक्रम के आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए) हैलो.... क्या सोचने लगे...
विक्रम - हाँ...(होश में आते हुए) हाँ.... आप इस कॉलेज की नहीं हो... इस कॉलेज इलेक्शन की कैंडिडेट से... झगड़ा मोल ले लिए हो... और तो और.... इलेक्शन के शूली पर... मुझे चढ़ा भी दिया.... मेरी आपसे ऐसी क्या दुश्मनी है...
वह लड़की फिर से हंसने लगती है और कैन्टीन के एक लड़के को इशारे से दो कॉफी के लिए कहती है l
लड़की - सॉरी... हाँ... सॉरी... लेकिन इसका मतलब यह नहीं.... की आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे...
विक्रम - क्यूँ... क्यूँ...
लड़की - अगर आप इलेक्शन नहीं लड़ोगे.... अभी आपने जितनी तालियां बटोरे हैं .... उससे कई गुना गालियाँ बटोरेंगे... मर्जी आपकी.... चॉएस आपकी....
इतने में कॉफी आ जाती है, लड़की विक्रम को कॉफी पीने के लिए इशारा करती है l कॉफी का एक सीप लेते ही विक्रम का मुहँ बिगड जाता है l लड़की फिर से हंसती है l
लड़की - लगता है.... इलेक्शन ने दिमाग को ठिकाने लगा दी है....

कह कर हंसती है, विक्रम से उसकी कॉफी का कप लेती है और शुगर पाउच फाड़ कर कॉफी में डाल कर कॉफी स्टिक से घोलने के बाद विक्रम को कॉफी का कप बढ़ाती है l विक्रम किसी रोबोट की तरह उससे कॉफी लेकर पीने लगता है l
लड़की - अब ठीक है...
विक्रम सर हिला कर हाँ कहता है l
लड़की - (अपनी कॉफी पीते हुए) अब और कुछ पूछना है...
विक्रम - हाँ... यह कॉलेज आपका नहीं है... आप यहां अपनी दोस्त से मिलने आते हो... किसी और के मामले में घुस जाते हो... और लड़ाई झगड़ा भी करते हो.... फिर इस कॉलेज में आपको कोई नहीं दिखता.... आप मुझे बकरा बना देती हो... यह मेरे साथ क्या हुआ....
लड़की कॉफी पी कर टेबल पर कप रख देती है, कॉफी पी लेने के बाद वह लड़की के होठों पर एक सफेद रंग की लाइन दिखती है, उस सफेद लाइन को देख कर विक्रम का दिल मचलने लगती है, क्यूँ पर उसे समझमें नहीं आता l वह लड़की विक्रम की आँखों में देखते हुए, टीसु पेपर से अपने होठों को पोंछती है, विक्रम उसकी चेहरे को देख कर खोया हुआ है l
लड़की - अच्छा मैं चलती हूँ...
विक्रम - जी... सुनिए... आपकी यह दोस्त वही हैं ना... जिसके घर के लिए मुझसे उस रात को लिफ्ट मांगी थी....
लड़की - हाँ....
विक्रम - इसका मतलब... मैं आपको याद हूँ....
लड़की - हाँ... न... नहीं तो तो...
विक्रम - क्या.. अभी तो कहा आपने लिफ्ट ली थी...
लड़की - हाँ आप से ली थी... यह कब कहा....
विक्रम - ओह... ह्म्म्म्म... इत्तेफाकन यह हमारी... तीसरी मुलाकात है...
लड़की - तीसरी.... ओ हैलो... हम आज पहली बार मिल रहे हैं.......
विक्रम - आपके जनम दिन में.. होटल ऐरा के लॉबी में... टकराए थे... और आपने हमे गिरा भी दिया था...
लड़की - क्या... हाथ बढ़ा कर उठाया भी था...
विक्रम - अच्छा...
लड़की अपनी दांतों तले जीभ दबा देती है और होठों पर हंसी को लाते हुए अपनी आँखे बंद कर देती है l उसकी यह एक्सप्रेशन देख कर
विक्रम - मतलब मैं याद हूँ....
लड़की अपने होठों को सिकुड़ कर अपनी मुस्कान को छिपाते हुए
लड़की - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आपने कहा था... फिर संयोग से मुलाकात हुई... तो आप अपना नाम बतायेंगे...
लड़की - इतनी जल्दी क्या है..... क्यूँ ना और एक इत्तेफाक का इंतजार किया जाए.... तब तक एक और बार अजनबी बन कर देखते हैं....

कह कर लड़की वहाँ से उठ कर जाने लगती है और फ़िर पीछे मुड़ कर विक्रम से कहती है
- कॉफी का बिल पे कर दीजिएगा....
कह कर वह लड़की वहाँ से चली जाती है l
विक्रम उसको जाते हुए देखता है l फिर काउंटर पर जा कर बिल पे कर देता है l उसके फोन पर रिंग सुनाई देती है, विक्रम फोन पर देखता है महांती का कॉल है l
विक्रम - हाँ... खुश खबरी है.. है ना... जल्दी से बोलो महांती...
महांती - युवराज जी...आपको कैसे मालूम हुआ... खुश खबरी है...
विक्रम - वह... इंट्युशन...
महांती - ओह... गुड न्यूज... है युवराज जी... वह जो जगह... हमारी सिक्युरिटी सर्विस के ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर के लिए देखी थी... उसकी लिटिगेशन भी आज दूर हो गई.... अब जब चाहे हम उस जगह की रजिस्ट्रेशन अपने नाम कर कर सकते हैं...
विक्रम के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है l
विक्रम - ठीक है... महांती.... शुभस्य शीघ्रम... परसों ही रजिस्ट्रेशन रखते हैं... रजिस्ट्रार ऑफिस में दस बजे...
महांती - जी बहुत अच्छा... मैं सारी बंदोबस्त करता हूँ....
विक्रम फोन काट कर अपने चाचा पिनाक को फोन लगाता है l
पिनाक - हाँ.. युवराज.. कहिए क्या खबर है....
विक्रम - परसों हम डेविल हाउस और डेविल आर्मी ऑफिस..... दोनों जगहों का रजिस्ट्रेशन करेंगे....
पिनाक - वाह.. वाह... क्या बात है... युवराज... और आपके कॉलेज इलेक्शन का क्या हुआ...
विक्रम - आज सारे काम ऑनएक्सपेक्टेडली सारे काम हो गए.....
पिनाक - गुड वेरी गुड.... भुवनेश्वर में अपनी हुकूमत की नींव की ईंट रख दिया आपने... मैं यह राजा साहब को बताना चाहूँगा.... ओके.. मैं फ़ोन रख रहा हूँ...
पिनाक के फोन रखते ही विक्रम अपनी अंगुठी को देख कर कहने लगता है
मेरे ख्वाबों के रंग में रंगी एक तस्वीर हो तुम..
तुम चाहे मानों या ना मानों मेरी तकदीर हो तुम...
Nice and awesome update...
 
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