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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Kala Nag

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Kala Nag bhai toh shuruaat हो चुकी है मिशन राजगढ़ की अब तक जो हुआ "विश्व के जैल से छूटने के बाद से पार्टी की रात" वो preparation and teaser था asli picture तो अब start hui है अब lgta है 70-30 ka thriller-drama ratio रहने वाला है जैसे इस अपडेट मे था अनु - रानी साहिबा "ड्रामा part" and the rest is thriller.
हाँ भाई अब कहानी में रोमांस का भाग कम होता जाएगा
नयी subah new शुरुआत के साथ यह अपडेट शुरू हुआ है विश्व ने तो सुप्रिया रथी morning surprise दे दिया सुबह सुबह ही, भाई मुझे तो समझ नहीं एक अकेली लड़की ऐसे किसी अनजान लड़के को अचानक से साइड मे monkey mask पहने डरी कैसे नहीं HAHAHA पर कुछ भी बोलो supriya है bht smart जो बिना बताये ही समझ गयी कि विश्व ने उसे इस तरह से ऐसी कोई जगह मे ही kyu वार्तालाप करने के लिए मिला अपने आसपास की चीजों पर भी najar बनाए हुई थी सतर्कता के लिए और अब वो प्रवीण रथ की फॅमिली मेंबर है कैसे नहीं पता है क्षेत्रपाल परिवार को अपने आप मे उसके लोगों की निगाहों मे नहीं आने का हुनर दिखाता है। पर वह नादान लड़की विश्व को अब भी आंक नहीं पायी है उसके इतने सारे कारनामे दिखाने के बाद भी जो कि lazmi भी है जब सामने राजा shahab ho शत्रु के रूप मे तो विश्व की बड़ी से बड़ी काबिलियत bhi नगण्य ही लगना है और उसका लास्ट पॉइंट की इतने बड़ी लड़ाई मे प्रेस मीडिया की पावर साथ मे होना bht बड़ा factor सिद्ध हो सकता है जो शायद विश्व पहले ही अपनी नीतियों मे सोच चुका है। दोनों का samvaad भी bht अच्छे से प्रस्तुत किया है नाग भाई अगर यह कहानी सिर्फ थ्रिलर ना होकर adultary थ्रिलर होती तो अभी अब रीडर सुप्रिया - विश्व के लिए "भी" रूट करने लगते HAHAHA.
Joel Mchale Lol GIF by NETFLIX

चौंकी इसलिए नहीं क्यूंकि वह एक रिपोर्टर है, वेल शायद यह लॉजिक फिट ना बैठे
पर फिर भी इन दोनों का मुलाकात आगे खूब रंग लाने वाला है
Anu toh hai hi नीरी बुद्धि कुछ समझ ही नहीं पायी की सामने जो महिला है वो उसकी होने वाली सास है। इतना भोलापन हाय कभी कभी bht नुकसान दे जाता है पर anu को सही और बुरे लोग कि parakh करना अच्छे से आता है या यह कहे कि इंसान के अंदर की achchhai को उससे बाहर निकालना आता है। जैसा कि रानी साहिबा ने कहा कि जिस दिन वीर उसके पास गया tha एक बेटे के तौर पर ना कि एक क्षेत्रपाल की तरह उसी दिन अनु उसके लिए बहु हो चुकी थी जो ladki एक माँ को उसका बेटा लौटा दे उससे अच्छी बहु कहाँ हो सकती ही है और दुनिया मे। दादी ने तो एक झटके मे पहचान लिया रानी साहिबा जो कि होना ही था बस कोई भोला ही ना पहचानने की गलती कर सकता है ऐसी वेषभूषा को देखकर जो रानी जी ने धारण की हुई थी और उन भोले लोगों की लिस्ट मे अनु आ जाती है पर अपने सीधे सेवाभाव और संस्कार से अच्छा इम्प्रेशन डाला रानी जी पर और शादी की भी timeline लगभग फिक्स हो चुकी है दादी की शंका भी दूर कर चुकी h रानी जी की प्रॉब्लम तो bht आनी है पर वीर के प्रेम के आगे सबको Jhukna ही होगा बहुत प्यारा था यह पैराग्राफ नाग भाई।
हाँ अनु की चरित्र की यही तो खासियत है जो वीर जैसे वहशी को भी उसका दिवाना बना दिया

Vikram अब bht अच्छे से जानने lga है कि विश्व क्या है क्या औकात है उसकी और यह भी कि अभी उसको डराना उनके लिए नामुमकिन है क्यूंकि विश्व उनसे bht आगे चल Rha है जिस केस के बारे मे वो jaante तक नहीं Acche से विश्व उस केस का मुख्य बिंदु है जो कई सालों से अपनी तैयारी कर रखा है अभी sirf वो log डर सकते है डरा नहीं सकते विश्व को। और इससे यह भी साफ़ हो जाता है कि विक्रम भी कोई kam chij नहीं h अपने दुश्मन को इतनी गहराई से समझना कुछ मिनिटों की मुलाकात मे ही काबिले तारीफ है। वो तो अच्छा है कि अभी राजा सहाब ने अभी inko घसीटा नहीं h इस मामले मे नहीं तो धर्मसंकट हो जाना था विक्रम के लिए अभी भी शुभ्रा की जान बचाने का उधार है उस पर विश्व का। अब सवाल यह है कि क्या वो उधार चुका पाएगा या नहीं क्यूंकि एक ना एक दिन विक्रम को मैदान मे तो आना ही होगा विश्व के सामने दोबारा तब शायद वो उधार जरूर ना रहे उस पर, पर वो तब भी मझधार मे ही होगा क्यूंकि बदलाव की नींव तो वीर rkh चुका है जिसके चपेट मे विक्रम तो आएगा ही तब हृदय परिवर्तन भी होगा और विद्रोह भी।
विक्रम भी विद्रोह करेगा जब उसके अंदर का विक्रम का सब्र टुट जाएगा
अभी वह आंशिक क्षेत्रपाल है
Raja-वैदेही samvaad तो अपने आप मे सेल्फ explanatrory है राजा का स्वाभिमान ही उसका काल बन Rha है जिसकी शुरुआत भी गाड़ी की बीच रास्ते मे खराब होने से हो चुकी h संकेत तो मिल chuka है उसके बुरे waqt के आरंभ का अब देखना यह है कि हमारे राजा shahab अब भी अपना स्वाभिमान का गुणगान krte हुए इसे एक normal तरीके से ही handle krte है इसे जैसे कि बाकी चीजों को या फिर खुद मैदान मे उतर कर पारी अपने हाथ मे लेते हैं जिसकी संभावना अब bht ज्यादा है वैदेही से मिलने के बाद उसकी आँखों मे जो आत्मविश्वास उसने देखा है राजा shahab के लिए भूलना या अनदेखा krna सम्भव ही नहीं है। नाग भाई bht खुसी मिली वैदेही को देखकर अपडेट मे एक अलग ही जगह बना ली है इस Character ने दिल मे जैसी ही इसके flashback वाले chapter याद आते है प्रतिभा को बताते हुए पूरे शरीर मे एक shihran दौड़ जाती है A tragic character with so minimum screen time but still tops the other 95% character and tops the all written female character in this story 🙏👏🙏🙏👏🙏🙏.

Thnx for the update नाग bhai
थैंक्स भाई
अब वैदेही का आना होना ही होना है
क्यूंकि दो दिन बाद विश्व राजगड़ पहुँचने वाला है
उसके बाद राजा साहब के लोगों पर कहर टूटने वाला है
 

Rajesh

Well-Known Member
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👉 एक सौ दो अपडेट
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कटक शहर
सुबह का समय पूर्व दिशा की आकाश में छोटे छोटे नन्हें नन्हें टुकड़ों में बंटे बादलों के बीच, सुरज अपनी लालिमा को बिखरते हुए निकल रहा था l अपने स्वस्थ्य के लिए सचेत हर उम्र के लोग महानदी के रिंग रोड पर कोई वकींग तो कोई जॉगिंग कर रहे हैं l उन लोगों के बीच एक लड़की शरीर पर चिपकी हुई ट्रैकिंग शूट पहने जॉगिंग कर रही थी l तभी एक लड़का मुहँ पर मंकी कैप लगाए हुए उस लड़की के बगल में बराबर भागने लगता है l लड़की भागते हुए हैरानी के साथ अपने बाजू में देखती है I लड़का उस लड़की की असमंजस स्थिति समझ जाता है, वह बिना देरी किए अपना मंकी कैप निकाल देता है l लड़की उसे पहचान जाती है और मुस्कराते हुए l

लड़की - ओह.. विश्वा... तुम...
विश्व - (चुप चाप उसके साथ साथ भागने लगता है)
लड़की - यह इत्तेफाक है... या तुमने... मुझे... ढूंढ लिया...
विश्व - तुमने कल मुझे अपना कार्ड दिया था... मैंने रात को ही... तुम्हारे बारे में पता कर लीआ...
लड़की - व्हाट... (हैरानी के साथ रुक जाती है, अपनी सांसे दुरुस्त करते हुए) कल ही तो... पार्टी में मिले थे... कुछ घंटे ही हुए हैं... तुमने.. मेरे बारे में क्या पता कर लीआ... वैसे भी कुछ ही सेकंड की मुलाकात थी... पर तुमने उतने में ही मुझे चौंका दिया था... कौनसी मीडिया से हूँ पुछ कर...
विश्व - मिस सुप्रिया रथ... आपका पहनावा, बातेँ करने का अंदाज और आपको अप्रोच... काफी था... आपके प्रफेशन को जानने के लिए...
सुप्रिया - मैं फेक भी तो हो सकती थी...
विश्व - हाँ हो सकती थी... पर अब तक मुझे... मेरे सिक्स्थ सेंस ने धोका नहीं दिया है....
सुप्रिया - वेल.. वेल.. वेल... खैर... मुझे इस वक़्त... यहाँ... कैसे ढूँढा...
विश्व - बताया ना... कल आपने अपना कार्ड दिया था... उसी को वेरीफाय कर लिया... और आपके बारे में... बहुत कुछ जानकारी भी जुटा लिया...
सुप्रिया - वाव... इम्प्रेसीव... लेट्स मूव... (कह कर फिर से दौड़ने लगी, विश्व भी उसके बराबर साथ दौड़ने लगता है, हांफते हुए) कुछ ही घंटे में... मेरी इतनी जानकारी जुटा लिया तुमने... के जॉगिंग के वक़्त... मैं यहाँ मिलूंगी...
विश्व - यह बहुत ही छोटी जानकारी है... की आप मुझे यहाँ मिल गई...
सुप्रिया - अच्छा... तो इसका मतलब... तुमने कोई बड़ी जानकारी... जुटाया है... वैसे (हँसते हुए) क्या जानकारी... जुटाए हैं तुमने...

दोनों साथ साथ दौड़ते हुए गड़गड़ीया के रेतीली मैदान में पहुँचते हैं l वहाँ पर एक स्कूटी पहले से ही पार्क थी और उसके बगल में एक सीमेंट की बेंच था, उस पर दोनों बैठ जाते हैं l थोड़ी सांस दुरुस्त कर लेने के बाद सुप्रिया पार्क की हुई अपनी स्कूटी के डिक्की से एक टर्किस टावल निकाल कर अपना पसीना पोंछती है और ग्लूकोज़ की बोतल निकाल कर ग्लूकोज़ पीती है l

सुप्रिया - पीना चाहोगे...
विश्व - जी नहीं शुक्रिया...
सुप्रिया - ओह... सॉरी... जूठा हो गया.. शायद इसलिए ना..
विश्व - नहीं... तुमने जो पिया... वह डायट ग्लूकोज़ है... नॉर्मली सभी पीते हैं... फिरभी... है तो... प्रिजरवेटीव... इसलिए मना किया... मैं नेचर पैथी पर यकीन करता हूँ...
सुप्रिया - ओ.. बहुत हेल्थ कंसीयस हो तुम...
विश्व - सभी हैं... बस अपना अपना तरीका है...
सुप्रिया - ह्म्म्म्म... (विश्व के पास बैठते हुए) तुम... मुझसे मेरे घर में... या फिर ऑफिस में भी... आकर मिल सकते थे... यहाँ इस तरह... वह भी... मेरे बारे में... कुछ ही घंटों में जानकारी जुटा कर... पूछ सकती हूँ... किस लिए...
विश्व - बेशक... पूछिये..
सुप्रिया - पूछ तो लिया... ओके फिर से पूछती हूँ... तुमने मुझसे मिलने के लिए... यह वक़्त... और यह जगह क्यूँ चुनी...
विश्व - सेम सवाल... मैं भी पूछना चाहता हूँ... मेरे बारे में... इतनी जानकारी निकाल लेने के बाद.... मुझसे किसी और तरह से... कंटेक्ट कर सकते थे... पार्टी में ही क्यूँ...
सुप्रिया - हाँ... कर तो सकती थी... तुम्हारे इस सवाल का जवाब... शायद मेरे इस सवाल में हो... के तुम... मुझे फोन कर सकते थे... मेरे घर पर... या फिर ऑफिस में मिल सकते थे... तो तुम यहाँ... सुबह सुबह... का वक़्त क्यूँ चुना...

कुछ देर की खामोशी दोनों के बीच छा जाती है l सुप्रिया पहले सतर्कता के साथ अपनी चारों और नजर घुमाती है और खामोशी को तोड़ते हुए

सुप्रिया - विश्वा... तुम्हारे क़ाबिलियत पर... अब मुझे कोई शक नहीं रहा... जिस तरह से... कुछ ही घंटों में... मेरे बारे में जानकारी जुटा लिया... मुझसे मिलने भी यहाँ आ गए... पर यह भी सच है कि तुम अब... इंटेलिजंस के रेडार में हो...
विश्व - जानता हूँ... आखिर मैंने होम मिनिस्ट्री के पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिस में... आरटीआई जो दाख़िल की है... और इस बात का कंफर्मेशन भी... कुछ ही घंटे पहले... किसी और ने किया है...
सुप्रिया - माइंड ब्लोइंग... तुम कमाल के हो... वाव...
विश्व - फिर भी... मुझे मेरे सवालों का जवाब नहीं मिला अब तक...
सुप्रिया - ठीक है... बता दूंगी... पहले यह बताओ... तुम मेरे बारे में कितनी जानकारी रखते हो... ताकि... आगे की मैं तुम्हें बता सकूँ...
विश्व - तुम... इस वक़्त नभवाणी न्यूज एजेंसी में... दो महीने पहले जॉइन किया है... असिस्टेंट एडिटर के पोस्ट पर... वजह तुम्हारे भैया प्रवीण कुमार रथ और भाभी की... और तुम्हारे माता पिता के अचानक हुए गुमशुदगी के कारण... पर मुझे जहां तक मालुम था... प्रवीण की कोई बहन नहीं थी...
सुप्रिया - हाँ... यहाँ पर सबको ऐसा लगता था... पर ऐसा नहीं है... मैं अपनी मीडिया मैनेजमेंट की इंटर्नशिप लंदन में कर रही थी... और स्टाइपेंड पर बीबीसी में... कुछ दिनों के लिए रुक गई थी... अपने परिवार की गुमशुदगी की खबर मिलने के बाद... इंडिया लौट आई... इसलिए... मेरे परिवार को गायब करने वालों को... मेरे बारे में... कोई जानकारी नहीं थी...
विश्व - ह्म्म्म्म...
सुप्रिया - मेरे बारे में... इतना इनफॉर्मेशन जुटाया है... तो इतना तो समझ सकते ही हो.. मैं तुम्हें पार्टी में कंटेक्ट क्यूँ की...
विश्व - हाँ... तुम जंग लड़ना चाहती हो... पर सामने आना नहीं चाहती...
सुप्रिया - हाँ काफी हद तक सही हो...
विश्व - अब मेरे सवाल का जवाब....
सुप्रिया - जवाब मैं दे चुकी हूँ... पर लगता है... तुम मुझे परखना चाहते हो... तो सुनो... तुम्हारे आरटीआई दाखिल करने से... पुरा का पुरा तंत्र... ऐक्टिव हो गया है... तुम्हारे आरटीआई दाख़िल करने से... सारे तंत्र के आँखों से नींद गायब हो गई है... और कान खड़े हो गए हैं... अब तक तो शायद भैरव सिंह तक भी खबर पहुँच चुकी होगी... बेशक तुमने खुद को... आरटीआई ऐक्टिविस्ट के तौर पर... सिक्युर कर लिया हो.... पर फिर भी... तुम अब उस नदी में तैर रहे हो... जहां पर मगरमच्छों का भरमार है...
विश्व - ह्म्म्म्म... तो... होम मिनिस्ट्री से आपको... खबर हाथ लगी है... ठीक है... मुझसे क्या काम पड़ रहा है...
सुप्रिया - हम दोनों एक दुसरे के काम आ सकते हैं...
विश्व - कैसे काम आ सकते हैं...
सुप्रिया - विश्वा... एक कड़वी बात... बुरा मत मानना... तुम जिस केस में फंसे हुए थे... वह केस तुम दोबारा उछाल तो सकते हो... पर ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर सकते....
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे...
सुप्रिया - रुप फाउंडेशन बेशक पुराना हो गया है... पर अभी रुप फाउंडेशन के ऊपर नए नए करप्शन की इमारतें खड़े हो गए हैं... रुप फाउंडेशन से भी बड़ा... बहुत बड़ा स्कैम चल रहा है... तुम उन्हें टार्गेट करो... तब जाकर तुम रुप फाउंडेशन स्कैम तक पहुँच पाओगे....
विश्व - ह्म्म्म्म... और कुछ...
सुप्रिया - विश्वा... आज कल की लड़ाई में... मीडिया सपोर्ट की बहुत जरूरत होती है... खास कर तब... जब किसी बड़े हस्ती का मामला हो... उस वक़्त... मीडिया तुम्हें विलेन बनाया था... इस बार की लड़ाई में... तुम्हें... मीडिया सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी...
विश्व - (कुछ देर चुप रहता है, उसे चुप देख कर )
सुप्रिया - देखो विश्वा... उस वक़्त सिस्टम... तुम्हारे खिलाफ थे... पर अब ऐसा नहीं है... भैरव सिंह ने... सिस्टम को ठेंगे पर रखा है.... इसलिए जाहिर है... कुछ लोग ऐसे भी हैं... जो सिस्टम की ना कामयाबी से... जिनका दम घुट रहा है.... पर प्रॉब्लम यह है कि... वे लोग खुल कर... सामने नहीं आ सकते...
विश्व - हूँ... समझ सकता हूँ...
सुप्रिया - भैरव सिंह ने... सिस्टम पर एकाधिकार भले ही कर लिया हो... पर उसके दुश्मनों की तादात कम नहीं है... भैरव सिंह धीरे धीरे... जितना घिरता जाएगा... वे लोग धीरे धीरे सामने आते रहेंगे...
विश्व - हूँ...
सुप्रिया - तो क्या सोचा है तुमने...
विश्व - मिस सुप्रिया रथ... बहुत ही अच्छा ऑफर दिया है तुमने... पर फिर भी... मुझे सोचने के लिए.. कुछ वक़्त चाहिए...
सुप्रिया - ओह श्योर... टेक योर टाइम... कोई जल्दबाजी नहीं है...
विश्व - ओके थैंक्स... (कह कर उठता है और जाने के लिए मुड़ता है)
सुप्रिया - विश्वा... (विश्व रुक जाता है और मुड़ कर देखता है) थैंक्स... तुमने मेरी सेफ्टी की सोचा... और ऑफिस या घर के वजाए... यहाँ मिलने आए...

विश्व मुस्कराता है और वहाँ से मुड़ कर जॉगिंग करते हुए चला जाता है l

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दादी सुबह की पूजा करने में व्यस्त है l अनु अपनी छोटी सी रोसेई में नाश्ता बनाने में व्यस्त है l अनु खुश है बहुत ही खुश l वीर से मुलाकात के बाद दादी उसी दिन शाम को अनु को लेकर घर वापस आ गई थी l दो दिन हो गए हैं इस घटना को l सब कुछ सही जा रहा था पर हाँ दो दिन से वीर की कोई खबर ही नहीं है l और अनु के पास फोन तक नहीं है वीर से बात करने के लिए l फिर भी अनु बार बार वीर के ख़्यालों में खो जाती है और बात बार पर मुस्कराते हुए शर्मा भी जा रही है l उसके गालों में लाली छा रही है l इतने में दादी की चिल्लाने की आवाज आती है l

दादी - आरे.. रोसेई में क्या कर रही है... कोई दरवाजा खटखटा रहा है कब से... मुई... जाकर देख तो सही....कौन है...
अनु - (रोसेई से चिल्लाते हुए) ठीक है दादी...

अपनी कमर से पल्लू निकाल कर चेहरा पोछते हुए दरवाजे पर पहुँचती है I वहाँ पर एक औरत को देखती है l उस औरत की वेश भूषा से बहुत अमीर और ऊँचे घराने की प्रतीत हो रही थी l अनु को देख कर खुश होते हुए

औरत - अनु... अनु हो ना तुम...
अनु - (उसे हैरानी भरे नजरों से देखते हुए) जी... कहिए...
औरत - क्या अंदर आने को नहीं कहोगे...
अनु - (अपना हाथ सिर पर मार कर)ओह... माफ लीजिए... आइए... अंदर आइए...

वह औरत अंदर आती है l उसके अंदर आते ही अनु एक टूटी हुई प्लास्टिक की कुर्सी लाकर उसे बैठने के लिए देती है l वह औरत भी बिना हिचकिचाये कुर्सी पर बैठ जाती है l

औरत - तुम्हारी दादी... कहाँ है...
अनु - बस थोड़ी देर... दादी पुजा में बैठी हुई है... (अनु कुछ देर रुक कर) अच्छा आप पानी पीयेंगी...
औरत - तुम्हारी हाथ से... जरूर...
अनु - एक मिनट...

अनु अंदर जाती है एक ग्लास में पानी और एक कप चाय को एक थाली में लाकर उस औरत को देती है l वह औरत मुस्कराते हुए अनु को देखते हुए पहले पानी पी लेती है और चाय की कप लेकर चाय की चुस्की लेने लगती है l

औरत - उम्म्म्म... बहुत बढ़िया चाय बनाया है तुमने..
अनु - (मुस्कराते हुए) जी शुक्रिया...
औरत - क्या बात है अनु... थोड़ी परेशान लग रही हो..
अनु - जी कुछ नहीं... (झिझकते हुए) (अटक अटक कर) वह बात दरसल... मैंने आपको पहले कभी... देखा नहीं है... मुझे मालुम भी नहीं है... की मुझे या दादी को ढूंढते हुए... कभी कोई आया हो...
औरत - हाँ... वह कहते हैं ना... नगीने के पास... जौहरी को जाना ही पड़ता है... है ना...

अनु को उसकी बात कुछ समझ में नहीं आता, वह हैरानी भरे भाव से अपना सिर हिला कर हाँ में जवाब देता है l तभी पुजा खतम कर दादी उस कमरे में आती है l दादी उस औरत को देख कर चौंकती है l उस औरत के पहनावे को गौर से देखती है फिर

दादी - र... रा.. रानी साहिबा... आ आ आ आप... (अनु के सिर पर टफली मारते हुए) पहचान नहीं पाई... रानी साहिबा हैं... राजकुमार जी की माँ...

अनु इतना सुनते ही अपना जीभ दांतों तले दबा कर घर के अंदर भाग भाग जाती है l अनु के भागते ही सुषमा हँसने लगती है l

दादी - (अपना हाथ जोड़ कर) माफ कर दीजिए रानी साहिबा... वह है ही इतनी बेवक़ूफ़... आपको पहचान नहीं पाई...
सुषमा - (हँसते हुए) कोई नहीं... पर आपने मुझे कैसे पहचाना...
दादी - इतनी सुबह सुबह... हमें ढूंढते हुए... इतनी क़ीमती लिबास और गहनों से लदे हुए... कोई राज घराने की रानी ही तो आ सकती हैं... पर क्या आप अकेली आयी हैं...
सुषमा - नहीं... ड्राइवर और गार्ड सब... बस्ती के बाहर हैं... मैं तो बस लोगों से पूछते हुए... यहाँ तक आ गई...

दादी देखती है, घर से थोड़ी दूर लोगों का जमावड़ा हो रहा था l लोग आँखे फाड़ कर दादी के घर की ओर देख रहे थे I

सुषमा - आप उन लोगों के तरफ ध्यान मत दीजिए.... (अनु छिप कर देखते हुए देख कर, मुस्कराते हुए ) बहुत ही खूबसूरत और भोली है आपकी पोती... और सबसे बड़ी बात... बहुत ही अच्छी है.... (थोड़ी सीरियस हो कर) माँ जी... मैं घुमा फिरा कर... बात नहीं करना चाहती... मैं अपने वीर के लिए... आपकी अनु को मांगने आई हूँ...
दादी - (अपना हाथ जोड़ कर) रानी साहिबा... मैंने तो पहले से ही अपनी मंजूरी दे दी है... पर आप बड़े लोग... (झिझकते हुए) क्या अनु को... (चुप हो जाती है)
सुषमा - देखिए... माँ जी... झूठ नहीं कहूँगी... अनु और वीर की प्रेम की राह... आसान तो नहीं रहेगी... क्षेत्रपाल खानदान के मर्द कैसे होते हैं... यह सब जानते हैं... मुझे कहते हुए... कोई हिचक नहीं... वीर भी वैसा ही था... पर कुछ दिन पहले.... जब वीर अपनी माँ की गोद ढूंढते हुए आया... तब मुझे मालुम हो गया... उसके जीवन में कोई लड़की तो आई है... जिसके रंग में... वह खुद को रंग दिया है... मैंने उसी दिन... उसके प्यार को मंजूरी दे दी थी...
दादी - (आवाज़ भर्रा जाती है) यह.. यह तो आपका... बड़प्पन है...
सुषमा - नहीं माँ जी... मेरा वीर अब... क्षेत्रपाल जैसा नहीं रहा... यही मेरे लिए... बहुत है... इसलिए मैं अब आपके सामने हाथ जोड़ते हुए... (हाथ जोड़ कर) अपने वीर के लिए अनु को मांगती हूँ...
सुषमा - रानी साहिबा... मैं... आपके भावनाओं का सम्मान करती हूँ... पर क्या... (चुप हो जाती है)
सुषमा - माँ जी... मैंने पहले ही कह दिया है... इनकी प्रेम की राह शायद आसान नहीं होगी... पर यह भी सच है... वीर के बड़े भाई ने भी... प्रेम विवाह किया है... वीर की प्रेम और जिद के आगे... क्षेत्रपाल झुकेंगे... उन्हें झुकना होगा... जरूर झुकेंगे.... क्यूंकि वीर... अकेला नहीं है... मैं... उसका भाई... उसकी भाभी... और उसकी बहन... सब... वीर के इस फैसले के साथ डट कर खड़े हैं... इसलिए आप विश्वास के साथ... यह रिश्ता कबूल लीजिए...

दादी सुषमा के हाथों को पकड़ कर अपने माथे पर लगाते हुए रो देती है l और सुबकते हुए कहती है

दादी - आप लोग वाकई... बहुत अच्छे हैं... मेरी अनु ने जरूर कोई पुण्य लिया होगा... जो उसे ऐसा रिश्ता मिल रहा है... रानी साहिबा... राजकुमार ने वादा किया था... जब तक... आप अनु की हाथ नहीं मांगने आयेंगी... तब तक... वह अनु से मिलेंगे भी नहीं... आज वह अपनी बातों पर... खरे उतरे...
सुषमा - (अपनी हाथ छुड़ा कर) तो ठीक है... मेरी बहु को तो बुलाईये...
दादी - (भर्राइ आवाज में) आरे मुई... बाहर तो आ...

अनु बड़ी शर्म के साथ बाहर निकलती है और बड़ी मुश्किल से अपनी दादी के पीछे छिप कर खड़ी होती है l

सुषमा - यह क्या माँ जी... वीर तो कह रहा था... अनु वीर को पसंद करती है... पर यह क्या... ह्म्म्म्म... लगता है.. वीर को बताना पड़ेगा... वीर को गलत फहमी है...
अनु - (झट से सामने आ कर) नहीं रानी माँ... उन्हें कोई गलत फहमी नहीं है...
सुषमा - ओ अच्छा... (कहकर हँसने लगती है) हा हा हा हा... (अनु शर्म से आँखे बंद कर सिर झुका कर वहीँ खड़ी रहती है)
दादी - (हँसते हुए) देखा रानी साहिबा... ऐसी है अनु...
सुषमा - (अनु के गाल पर हाथ फेरते हुए) हाँ बिल्कुल... यही है... वीर की अनु... (अनु से) मैं.. वीर की माँ हूँ... क्या तुम... मेरे गले नहीं लगोगी...

यह सुन कर अनु फफकते हुए सुषमा के गले लग जाती है l सुषमा की भी पलकें भीग जाती हैं l

सुषमा - मैं जानती हूँ मेरी बच्ची... तुने बचपन में अपनी माँ को खोया था... और जानती है... मेरी भी बड़ी ख्वाहिश थी... की मेरी कोई बेटी हो... पर भगवान की लीला देख... हम दोनों की इच्छा... ऐसे पुरी कर दी...
अनु - (रोते हुए) माँ...
सुषमा - (दुलारते हुए) ना... रो मत... अब तो खुशियां ही खुशियां है सामने... (कह कर अनु को अलग करती है, फिर अपने हाथ से कंगन निकाल कर अनु को पहना देती है) यह रहा माँ जी... मेरी बहु की मुहँ दिखाई की सगुन... (और अपनी वैनिटी बैग से एक मोबाइल निकाल कर देते हुए) यह लो... इसे मैं दे रही हूँ... और हाँ... ऑफिस बराबर जाना ठीक है...

अनु शर्म से गड़ जाती है फिर से दुबक कर अपनी दादी के पीछे छिप जाती है l दादी और सुषमा दोनों के चेहरे पर मुस्कराहट छा जाती है l

सुषमा - माँ जी... अगले दो महीने बाद... कोई अच्छा सा मुहुर्त देख कर.. इन दोनों की शादी करा देंगे...

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यशपुर की रास्ते से हो कर राजगड़ की ओर सड़क पर एक सफेद रंग की रॉल्स रॉयस तेजी से भाग रहा है l उसके पीछे तीन गाडियों में गार्ड्स जीप अनु गमन कर रही है l कुछ देर बाद गाड़ियाँ राजगड़ के सरहद में प्रवेश करती हैं l लोग गाडियों को पहचान लेते हैं और सब के सब दुबक कर ऐसे गायब होने लगते हैं, जैसे गधे के सिर से सिंग l जाहिर है, गाड़ी के अंदर राजगड़ का राजा भैरव सिंह बैठा हुआ था l अपने सीट पर बैठे बैठे टेक लगाए सोया हुआ था I चूंकि आधी रात के बाद सुबह होने के कुछ ही घंटे पहले बारंग रिसॉर्ट से निकल गए थे, इसलिए ड्राइवर की आँखे उसका साथ नहीं दे रहे थे फिर भी वह बड़ी सावधानी के साथ गाड़ी चला रहा था l अचानक भैरव सिंह झटके के साथ आगे की ओर झुकता है, जिससे उसका बैलेंस बिगड़ जाता है l भैरव सिंह की नींद टुट जाती है और आँखे खुल जाती है l भैरव सिंह देखता है गाड़ी रुकी हुई है तो वह गाड़ी का दरवाजा खोल कर उतरता है l वह देखता है उसके गाड़ी के पीछे तीन और गाडियाँ जिसमें उसके गार्ड्स हैं, उनकी भी गाड़ियां रुक गई हैं l भैरव सिंह अपनी गाड़ी को देखता है, बोनेट से धुआँ निकल रहा था l

भैरव सिंह - (ड्राइवर से) क्या हुआ...
ड्राइवर - (डरते हुए) जी... हुकुम... ल.. लगता है... इंजन सीज हो गया है...
भैरव सिंह - क्या कहा... इंजन सीज हो गया है... कैसे..
ड्राइवर - (डरते हुए रोनी सूरत बना कर) वह लगता है... रास्ते में कहीं... टकरा कर... ऑइल सील फट गई थी... मालुम नहीं पड़ा...

तभी पीछे से एक गार्ड आता है और भैरव सिंह के आगे झुक कर

गार्ड - हुकुम... आप इन तीनों गाडियों में से किसी एक गाड़ी में चले जाइए...

भैरव सिंह की जबड़े भींच जाती हैं, उसके दाँतों से कड़ कड़ की आवाज़ आने लगती है l पास मौजूद सभी को वह आवाज साफ सुनाई देती है, गार्ड डर के मारे एक किनारे हो जाता है l

भैरव सिंह - (ड्राइवर से) भुवनेश्वर से... इसकी मैकेनिक को बुलाओ... और गाड़ी ठीक करने के लिए कहो...
ड्राइवर - जी हुकुम...
गार्ड - गुस्ताखी माफ हुकुम... आप अब महल कैसे जाएंगे...
भैरव सिंह - (गुर्राते हुए) अपाहिज नहीं हैं हम... हुकूमत है यहाँ हमारी... राजा हैं... क्षेत्रपाल हैं हम... इस क्षेत्र के पालन हार... चल कर जाएंगे हम अपनी महल में.... अपनी ही मिल्कियत पर पैदल जाने से... ना हमारी हैसियत घट जाएगी... ना रुतबा...

भैरव सिंह की यह बात सुन कर सभी ख़ामोश हो जाते हैं l भैरव सिंह पैदल चलना शुरू करता है l उसके आगे कुछ गार्ड्स और पीछे कुछ गार्ड्स घेरते हुए चलने लगते हैं l कुछ दूर चलने के बाद भैरव सिंह वैदेही को अपने तरफ देख कर मुस्कराते हुए देखते हुए पाता है l वैदेही के चेहरे पर मुस्कान जैसे उसकी खिल्ली उड़ा रही थी l भैरव सिंह की कलेजे को जैसे वैदेही की मुस्कान छलनी कर रही थी l भैरव सिंह वैदेही के पास आकर रुक जाता है l

वैदेही - (डरने की ऐक्टिंग करते हुए) क्या हुआ राजा साहब... आप चलते हुए जा रहे हैं... पैदल... खयाल रखियेगा... कहीं जमीन मैली ना हो जाए...
गार्ड - (वैदेही को हाथ दिखाते हुए) ऐ...
भैरव सिंह - (गुर्राते हुए) गार्ड...

बस इतना सुनते ही वह गार्ड चुप हो जाता है l भैरव सिंह वैदेही की ओर देखता है l वैदेही के चेहरे पर वैसे ही मुस्कान सजी हुई थी l

भैरव सिंह - गार्ड्स... तुम सब जाओ यहाँ से.... महल से... बड़े राजा साहब की... बग्गी लेकर आना... हम तुम लोगों को यहीँ मिल जाएंगे... (गार्ड्स हैरान हो कर एक दुसरे को देखने लगते हैं)(भैरव सिंह थोड़ी ऊंची आवाज में) जाओ...

सभी गार्ड्स वहाँ से दुम दबा कर भाग जाते हैं l भैरव सिंह वैदेही के पास जाता है l

भैरव सिंह - यहाँ क्या कर रही है... राजगड़ की रंडी...
वैदेही - अपनी दुकान को जा रही हूँ... व्यापार का मामला है... चलो तुम भी क्या याद करोगे... अपनी हाथों की गरमागरम चाय की प्याली पिलाती हूँ... वह भी फ्री में... चलो...
भैरव सिंह - (अपनी दांत पिसते हुए) कहाँ है तेरा भाई...
वैदेही - क्यूँ... तेरी बेटी को व्याहना है उससे...

भैरव सिंह कुछ देर के लिए अपनी आँखे गुस्से से बंद कर लेता है l मुट्ठीयाँ उसकी भींच जाते हैं और सांसे तेजी से चलने लगती हैं l मुश्किल से खुद पर काबु करता है l

वैदेही - क्या हुआ... राजा... भैरव सिंह... गुस्सा आ रहा है... लगता है... इस बार... शहर की आबो हवा... रास नहीं आया...
भैरव सिंह - (खुद को संभालने के बाद) बड़ी गेम खेल गए हो तुम भाई बहन... विश्व अब पोस्ट ग्रेजुएट बन गया है...
वैदेही - है ना खुशी की बात... राजगड़ मिट्टी का बेटा... क्षेत्रपाल खानदान से बाहर... किसी और ने डिग्री हासिल की है... वह भी बीए एलएलबी...
भैरव सिंह - हाँ... बीए एलएलबी... पर बिल्ली ज्यादा से ज्यादा क्या करेगी... खिसियायेगी... खंबा ही नोचेगी...
वैदेही - चु... चु... चु... भैरव सिंह... हर एक चीज़ का... एक्सपायरी डेट होता है... अब देखो ना... चालीस करोड़ी गाड़ी... मेक ऑन ऑर्डर वाली... अब ऑउट ऑफ ऑर्डर है... उसी तरह.. जिन खम्भों पर यह क्षेत्रपाल का अहं का महल खड़ा है... उनकी भी एक्सपायरी डेट आ चुकी है... वह भी गिरेगी....
भैरव सिंह - एक डिग्री क्या हासिल कर ली... तिनका चली बरगत को उखाड़ने... किसी माई के जने में... इतनी हिम्मत ही नहीं है... जो गर्दन उठा कर... हमारी हुकूमत की ओर देख सके...
वैदेही - भैरव सिंह... पुरे स्टेट में... सिर्फ दो ही तो प्राणी हैं... जो तुम्हारे आँखों में आँखे डाल कर बातेँ कर सकते हैं... सिर्फ दो ही लोग... और जानते हो... और अभी तुम्हें देख कर ऐसा लग रहा है... जैसे तुम राजधानी से... अपनी दुम दबा कर... भाग आए हो...
भैरव सिंह - (दांत पिसते हुए वैदेही को देखते हुए चुप रहता है)
वैदेही - अफ़सोस हो रहा है ना तुम्हें... के क्यूँ... अपने बड़बोले पन के चलते... विश्व की कोई खबर नहीं रखेगा... बोला था...
भैरव सिंह - अफ़सोस... उसका मतलब क्या है... यह अफसोस जैसा लफ्ज़... तुम जैसों कीड़े मकोड़ों के लिए होता है... क्षेत्रपालों के लिए नहीं... हम क्षेत्रपाल हैं... अपनी साँसों के करवट से हवाओं के रुख बदल देते हैं...
वैदेही - हा हा हा हा... (हँसते हुए) भैरव सिंह... महल जाकर... अपनी आवाज की वजन को नाप लेना... कांप रही है... विश्वा... कोई हवा को झोंका नहीं रहा... अब तूफ़ान बन चुका है... तुम हवाओं के बारे सोचते रह जाओगे... वह तुम्हारे महलों के साथ साथ क्षेत्रपाल भी... तिनके की तरह उड़ा ले जाएगा...
भैरव सिंह - (हँसता है) हा हा हा हा... दिल बहलाने के लिए... खयाल अच्छा है...
वैदेही - खयाल नहीं... इरादे.. वह भी सच्चे हैं...
भैरव सिंह - ओ हो... इतने सच्चे इरादे रखने वाले... तेरा भाई आखिर छुपा क्यूँ है...
वैदेही - वाह.. क्या बात है... भैरव सिंह.. वाह... अपनी ही तबाही से मिलने के लिए... इतना बेताब...
भैरव सिंह - याद है... हमने कहा था... हम चींटियों को तब तक नहीं मसलते... जब तक... वह हमें काटने के लायक ना हो जाएं...
वैदेही - तुझे देखती हूँ तो... सच में... बहुत तरस आता है मुझे... भैरव सिंह... अपनी आँखों से... यह क्षेत्रपाल वाला ऐनक उतार... और गौर से देख... विश्वा... तुझे नहीं काटेगा... वह तेरी फाड़ के रख देगा...
भैरव सिंह - सात साल मैंने अपनी आँखे क्या मूँद ली... तु खुद को... अपना खुदा समझने लगी... तुम कीड़े हो... हद में रहना... वरना ज़द में आ जाओगे... वैसे भी... यह तो ना भूली होगी तुम... विश्व का अभी भी... इस गांव में हुक्का पानी बंद है...
वैदेही - जानती हूँ... भैरव सिंह... याद है मुझे... तो फिर तुम किस खुशी में... उसे ढूंढ रहे हो... क्या तुम भूल गए थे...
भैरव - याद उसे रखा जता है... जो याद रखने के लायक हो...
वैदेही - क्या बात कर रहे हो भैरव सिंह... वह विश्वा ही था... जिसने तुम्हारी हुकूमत को ललकारा था... तुम्हें वह याद नहीं है... कोई नहीं... आज से तुम विश्व के सिवा... कुछ भी याद नहीं रख पाओगे... यह वादा है मेरा....

तभी घोड़ों की हीनहीनाने की आवाज सुनाई देती है l पर दोनों एक दुसरे को घूरे जा रहे थे l तभी कुछ गार्ड्स बग्गी के साथ वहाँ पहुँचते हैं l कुछ गार्ड्स बग्गी से उतर कर भैरव सिंह के पीछे सिर झुका कर खड़े हो जाते हैं l

वैदेही - जाइए राजा साहब... आपकी डमडम ने बीच रास्ते में आपको उतार दिया... यह टमटम आपको महल तक जरुर साथ देगी... जाइए राजा साहब...

वैदेही की आत्मविश्वास से भरी बातों से घायल भैरव सिंह अपने भीतर की भावों पर काबु करते हुए बग्गी की तरफ बढ़ जाता है l

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ESS ऑफिस
ट्रेनिंग ग्राउंड के एक किनारे खड़े हो कर विक्रम गार्ड्स के ट्रेनिंग का जायजा ले रहा है l तभी उसके बगल में महांती आकर खड़ा होता है l


विक्रम - तो... क्या ख़बर लाए हो..
महांती - आप उस गाड़ी के बारे में... क्यूँ जानना चाहते हैं...
विक्रम - (महांती की ओर देखते हुए) आओ महांती... चलते हुए ग्राउंड की चक्कर लगाते हुए... बात करते हैं...
महांती - ठीक है युवराज....

दोनों चलना शुरु करते हैं l विक्रम अपनी सोच में खोया हुआ था और चुप था I

महांती - युवराज... क्या कुछ खास बात है...
विक्रम - हाँ महांती... पता नहीं.. समझ नहीं पा रहा हूँ... कहाँ से... शुरु करूँ... कैसे शुरु करूँ...
महांती - क्या बात... इतनी सीरियस है...
विक्रम - पता नहीं...

फिर कुछ देर के लिए, दोनों के बीच खामोशी छा जाती है l

विक्रम - मैं देर रात... उससे मिला...
महांती - कौन.. किससे...
विक्रम - वही... जिसे मैं... पागलों की तरह... ढूंढ रहा था... और महांती... जानते हो... यह शख्स वही है... विश्व प्रताप महापात्र... जिसने... रुप फाउंडेशन स्कैम पर आरटीआई फाइल किया हुआ है...
महांती - ओ.. तो क्या आप... उससे मुलाकात के वजह से... अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर रखे थे...
विक्रम - हाँ...
महांती - तो अब आप... क्या करना चाहते हैं...
विक्रम - हा हा हा हा हा हा... (हँसने लगता है) महांती... तकदीर लिखने वाले ने... मेरी तकदीर भी क्या लिखा है... जब भी मंजिल सामने होती है... मैं खुद को हमेशा... दो राहे पर खड़ा पाता हूँ...
महांती - (चुप रहता है)
विक्रम - पहले यह बताओ... तुम उस गाड़ी के बारे में क्या खबर निकाले हो...
महांती - आप से ख़बर मिलने के बाद... मैंने पुरी टीम के साथ... शहर की हर सीसीटीवी अच्छी तरह से खंगालने के बाद... मालुम हुआ... वह गाड़ी... जिससे विश्व आपसे मिलने आया था... वह कुछ देर के लिए... चोरी हुई थी...
विक्रम - ह्म्म्म्म... और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ... विश्वा वह चोर नहीं है...
महांती - नहीं.. विश्वा चोर नहीं है... इनफैक्ट... गाड़ी हैंडल करते वक़्त... विश्वा थर्ड पर्सन था...
विक्रम - ह्म्म्म्म... वाकई...(मुस्कराते हुए) बहुत चालाक है विश्वा... और यह भी मैं... दावे के साथ कह सकता हूँ... गाड़ी के मालिक को... इस बात का इल्म तक नहीं होगा... के रात को कुछ देर के लिए... उसकी गाड़ी चोरी हुई थी....
महांती - जी... जी बिलकुल... सही कहा आपने... पर इससे... जाहिर क्या होता है... युवराज...
विक्रम - महांती... मैं उसे... जांच रहा था... तोल रहा था... परख रहा था...
महांती - (चुप रहता है)
विक्रम - वह... जिसने क्षेत्रपाल की सल्तनत को... चैलेंज करने की हिमाकत की है... वह क्या सिर्फ अपने वकालत के दम पर की है... या उसके इस बुलंद इरादे के पीछे... कुछ और भी है...
महांती - ह्म्म्म्म... मतलब... वह पुरी तैयारी में है...
विक्रम - हाँ... जरा सोचो... मुझसे मिलने आया भी तो एक चोरी की गाड़ी से... वह भी थर्ड पर्सन बन कर... साले हरामी लोग गाड़ी खरीद लेते हैं... घर में पार्किंग नहीं होती... तो रोड पर पार्किंग करते हैं... वह दिमाग से भी तेज है... मैं सिर्फ़ इसी सोच में था... यूहीं कोई कैसे... राजा साहब के खिलाफ जा सकता है...
महांती - क्या राजा साहब उसके बारे में... जानते होंगे...
विक्रम - हाँ... ज़रूर... उसीके लिए ही तो... रोणा और प्रधान... यहाँ पर आए थे...
महांती - हाँ.. यह बात आपने सही कहा... पर वह हमसे मदत क्यूँ नहीं ली...
विक्रम - मदत... इसलिए नहीं ली... के हो सकता है... यह राजा साहब का निजी मामला हो... बहुत ही निजी... क्यूंकि... मैंने जब विश्व के बारे में पूछा था... तब राजा साहब बड़े गुस्से में... आकर कहा... की वह एक एहसान फरामोश कुत्ता था...
महांती - ओ.. अच्छा... हाँ... यह हो सकता है...
विक्रम - यह तो अच्छा हुआ... के राजा साहब ने अभी तक... उस विश्वा के खिलाफ... हमें कुछ जानकारी जुटाने के लिए कहा नहीं है... अगर कह देते... तो... बड़ी धर्म संकट हो जाती...
महांती - पर एक दिन... ऐसी परिस्थिति... आ भी सकती है...
विक्रम - हाँ... ऐसी परिस्थिति आ भी सकती है... उसी के लिए हमें भी पुरी तैयारी करनी होगी...
महांती - तो हमें... क्या करना चाहिए...
विक्रम - (रुक जाता है, एक गहरी सांस छोड़ते हुए, महांती की ओर देखते हुए) महांती... मुझे रुप फाउंडेशन स्कैम के बारे में... हर छोटी से छोटी जानकारी चाहिए...
महांती - यह तो बहुत बड़ा टास्क हो जाएगा... इतना आसान नहीं होगा...
विक्रम - मैं जानता हूँ... महांती... उसके लिए वक़्त है... फिलहाल... तुम वह जानकारी जुटाओ... विश्वा ने जिसे... आरटीआई के जरिए मांगा है...
महांती - ठीक है... यह जानकारी हम निकाल लेंगे... पर उसका आप... करेंगे क्या...
विक्रम - अभी तक राजा साहब ने... हमसे कहा कुछ नहीं है... वजह मैं नहीं जानता... पर एक ना एक दिन हमें.. इनवाल्व होने को कहा जाएगा... उससे पहले हमें अपनी तैयारी करनी होगी...
महांती - ठीक है.. हो जाएगा... पर एक बात पूछूं...
विक्रम - हाँ... पूछो...
महांती - वह विश्वा... क्या इतनी हैसियत रखता है... की राजा साहब से टकराए...
विक्रम - (महांती के तरफ देखता है और फीकी हँसी हँसते हुए) मैंने कहा ना... मैं उससे मिला... बात की... उसके आँखों में आग ही आग था... बातों में जैसे जलजला था... गजब का कंफीडेंस था... उसकी बातों से मुझे लगा... जैसे वह यह लड़ाई.. अभी नहीं छेड़ी है... पता नहीं कब से... पर उसने अपनी तैयारी कर रखी है... लड़ाई छेड़ रखी है... जिसकी भनक... हम क्षेत्रपाल ही नहीं... बल्कि सिस्टम में से किसी को भी नहीं है... वह हमला करेगा... कैसे करेगा... कहाँ से करेगा... इसका अंदाजा किसी को नहीं है...
महांती - अहेम.. अहेम... (खरासते हुए) युवराज... क्या आप... मेरा मतलब है... (बात को दबा कर कहते हुए) क्या आपको... (थोड़ा रुक जाता है, तो विक्रम उसकी ओर सवालिया नजरों से देखता है) डर लग रहा है...
विक्रम - डर... हाँ... शायद... हाँ... तुम इसे डर कह सकते हो... दुश्मन से सतर्क होना अगर डर है... तो हाँ इसे डर का नाम दे सकते हो... महांती... कौन है इस दुनिया में... जिसे डर ना लगता हो... हर जितने वाला... हार से डरता है... ऊचाईयों पर रहने वाला... नीचे गिरने से डरता है... महांती... हर इंसान के अंदर डर होता है... जिसे वह बनावटी हिम्मत के चादर के पीछे... छुपा रखा होता है... पर विश्वा की बात कुछ और है... विश्वा की हिम्मत... सामने वाले की डर में भी सिहरन दौड़ा सकता है... वी शुड गीव रेस्पेक्ट टु आवर औन फियर...
महांती - तो क्या हम विश्वा को... डरा नहीं सकते...
विक्रम - फ़िलहाल नहीं... इस वक़्त नहीं... क्यूंकि... उसने लड़ाई की तैयारी बहुत पहले ही कर रखा है... इसीलिए तो मुझे... रुप फाउंडेशन स्कैम की... हर पहलु की जानकारी चाहिए....
Amazing update hai bhai maza aa gaya superb
Raja sahab ka samrajya to abhi se dagmagane laga
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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Gazab ki update Kala Nag Bhai,

Pehli baat bap bete ke aankho ek darr dekha, Vikram fir bhi realistic bate kar raha he........leking Bherav Singh ka ahankar hi use le dubega


Keep Posting Bhai
 
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Kala Nag bhai toh shuruaat हो चुकी है मिशन राजगढ़ की अब तक जो हुआ "विश्व के जैल से छूटने के बाद से पार्टी की रात" वो preparation and teaser था asli picture तो अब start hui है अब lgta है 70-30 ka thriller-drama ratio रहने वाला है जैसे इस अपडेट मे था अनु - रानी साहिबा "ड्रामा part" and the rest is thriller.

नयी subah new शुरुआत के साथ यह अपडेट शुरू हुआ है विश्व ने तो सुप्रिया रथी morning surprise दे दिया सुबह सुबह ही, भाई मुझे तो समझ नहीं एक अकेली लड़की ऐसे किसी अनजान लड़के को अचानक से साइड मे monkey mask पहने डरी कैसे नहीं HAHAHA पर कुछ भी बोलो supriya है bht smart जो बिना बताये ही समझ गयी कि विश्व ने उसे इस तरह से ऐसी कोई जगह मे ही kyu वार्तालाप करने के लिए मिला अपने आसपास की चीजों पर भी najar बनाए हुई थी सतर्कता के लिए और अब वो प्रवीण रथ की फॅमिली मेंबर है कैसे नहीं पता है क्षेत्रपाल परिवार को अपने आप मे उसके लोगों की निगाहों मे नहीं आने का हुनर दिखाता है। पर वह नादान लड़की विश्व को अब भी आंक नहीं पायी है उसके इतने सारे कारनामे दिखाने के बाद भी जो कि lazmi भी है जब सामने राजा shahab ho शत्रु के रूप मे तो विश्व की बड़ी से बड़ी काबिलियत bhi नगण्य ही लगना है और उसका लास्ट पॉइंट की इतने बड़ी लड़ाई मे प्रेस मीडिया की पावर साथ मे होना bht बड़ा factor सिद्ध हो सकता है जो शायद विश्व पहले ही अपनी नीतियों मे सोच चुका है। दोनों का samvaad भी bht अच्छे से प्रस्तुत किया है नाग भाई अगर यह कहानी सिर्फ थ्रिलर ना होकर adultary थ्रिलर होती तो अभी अब रीडर सुप्रिया - विश्व के लिए "भी" रूट करने लगते HAHAHA.

Anu toh hai hi नीरी बुद्धि कुछ समझ ही नहीं पायी की सामने जो महिला है वो उसकी होने वाली सास है। इतना भोलापन हाय कभी कभी bht नुकसान दे जाता है पर anu को सही और बुरे लोग कि parakh करना अच्छे से आता है या यह कहे कि इंसान के अंदर की achchhai को उससे बाहर निकालना आता है। जैसा कि रानी साहिबा ने कहा कि जिस दिन वीर उसके पास गया tha एक बेटे के तौर पर ना कि एक क्षेत्रपाल की तरह उसी दिन अनु उसके लिए बहु हो चुकी थी जो ladki एक माँ को उसका बेटा लौटा दे उससे अच्छी बहु कहाँ हो सकती ही है और दुनिया मे। दादी ने तो एक झटके मे पहचान लिया रानी साहिबा जो कि होना ही था बस कोई भोला ही ना पहचानने की गलती कर सकता है ऐसी वेषभूषा को देखकर जो रानी जी ने धारण की हुई थी और उन भोले लोगों की लिस्ट मे अनु आ जाती है पर अपने सीधे सेवाभाव और संस्कार से अच्छा इम्प्रेशन डाला रानी जी पर और शादी की भी timeline लगभग फिक्स हो चुकी है दादी की शंका भी दूर कर चुकी h रानी जी की प्रॉब्लम तो bht आनी है पर वीर के प्रेम के आगे सबको Jhukna ही होगा बहुत प्यारा था यह पैराग्राफ नाग भाई।

Vikram अब bht अच्छे से जानने lga है कि विश्व क्या है क्या औकात है उसकी और यह भी कि अभी उसको डराना उनके लिए नामुमकिन है क्यूंकि विश्व उनसे bht आगे चल Rha है जिस केस के बारे मे वो jaante तक नहीं Acche से विश्व उस केस का मुख्य बिंदु है जो कई सालों से अपनी तैयारी कर रखा है अभी sirf वो log डर सकते है डरा नहीं सकते विश्व को। और इससे यह भी साफ़ हो जाता है कि विक्रम भी कोई kam chij नहीं h अपने दुश्मन को इतनी गहराई से समझना कुछ मिनिटों की मुलाकात मे ही काबिले तारीफ है। वो तो अच्छा है कि अभी राजा सहाब ने अभी inko घसीटा नहीं h इस मामले मे नहीं तो धर्मसंकट हो जाना था विक्रम के लिए अभी भी शुभ्रा की जान बचाने का उधार है उस पर विश्व का। अब सवाल यह है कि क्या वो उधार चुका पाएगा या नहीं क्यूंकि एक ना एक दिन विक्रम को मैदान मे तो आना ही होगा विश्व के सामने दोबारा तब शायद वो उधार जरूर ना रहे उस पर, पर वो तब भी मझधार मे ही होगा क्यूंकि बदलाव की नींव तो वीर rkh चुका है जिसके चपेट मे विक्रम तो आएगा ही तब हृदय परिवर्तन भी होगा और विद्रोह भी।

Raja-वैदेही samvaad तो अपने आप मे सेल्फ explanatrory है राजा का स्वाभिमान ही उसका काल बन Rha है जिसकी शुरुआत भी गाड़ी की बीच रास्ते मे खराब होने से हो चुकी h संकेत तो मिल chuka है उसके बुरे waqt के आरंभ का अब देखना यह है कि हमारे राजा shahab अब भी अपना स्वाभिमान का गुणगान krte हुए इसे एक normal तरीके से ही handle krte है इसे जैसे कि बाकी चीजों को या फिर खुद मैदान मे उतर कर पारी अपने हाथ मे लेते हैं जिसकी संभावना अब bht ज्यादा है वैदेही से मिलने के बाद उसकी आँखों मे जो आत्मविश्वास उसने देखा है राजा shahab के लिए भूलना या अनदेखा krna सम्भव ही नहीं है। नाग भाई bht खुसी मिली वैदेही को देखकर अपडेट मे एक अलग ही जगह बना ली है इस Character ने दिल मे जैसी ही इसके flashback वाले chapter याद आते है प्रतिभा को बताते हुए पूरे शरीर मे एक shihran दौड़ जाती है A tragic character with so minimum screen time but still tops the other 95% character and tops the all written female character in this story 🙏👏🙏🙏👏🙏🙏.

Thnx for the update नाग bhai
My God ! What is this ! Maine sahi hi decision liya ki abb se long review ki aisi ki taisi...mera to himmat hi nahi ho raha hai kuch likhne ki ! :wth:
 
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