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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Amazing update hai bhai maza aa gaya superb
धन्यबाद Rajesh भाई बहुत बहुत धन्यबाद
Raja sahab ka samrajya to abhi se dagmagane laga
हाँ अब धीरे धीरे उसका पतन आरंभ हो चुका है
 

Kala Nag

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Gazab ki update Kala Nag Bhai,
धन्यबाद Ajju Landwalia भाई
Pehli baat bap bete ke aankho ek darr dekha,
हाँ दोनों की दुश्मनी की वजह भी अलग अलग है
Vikram fir bhi realistic bate kar raha he........leking Bherav Singh ka ahankar hi use le dubega
वह इसलिए क्यूंकि विक्रम की दुनिया अलग है और भैरव सिंह की दुनिया अलग है
Keep Posting Bhai
धन्यबाद फिरसे
 

Kala Nag

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My God ! What is this ! Maine sahi hi decision liya ki abb se long review ki aisi ki taisi...mera to himmat hi nahi ho raha hai kuch likhne ki ! :wth:
भाई आप कभी रिव्यू देना ना छोडें
Nobeless भाई को अभी कहानी पसंद आने लगी है और आप लोग कहानी की गति, पात्रों के भाव और वक्तव्य और घटनाओ के बारे में सविशेष विश्लेषण देते हैं मुझे उससे ऊर्जा व प्रेरणा मिलता है आगे लिखने के लिए
धन्यबाद
 

Kala Nag

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Arey ek hi toh story h jisme अपना review deta hu main toh कमी kyu छोड़ू कोई? बाकी stories me toh reviewers ki kmi नहीं है पर जब यह स्टोरी start की थी पढ़ना तब bht km comment होते the इस पर पर अब इस कहानी को वो प्यार मिल Rha h जो इसे मिलना चाहिए ❤️

Aur SANJU ( V. R. ) bhai aap toh लगभग हर achchi स्टोरी मे comment krte h is forum ki toh whi शुभ काम krte रहिए और writers का motivation bnaye rkhe🙏🙏.
Nobeless भाई बहुत बहुत धन्यबाद
क्यूंकि आप जैसे मित्रों के वजह से ही कहानी और चरित्रों को गति मिल रहा है
इस कहानी में शुरुआत में बहुत कमी और खामी थी पर धीरे धीरे आकार में आने के बाद मेरे मित्र avsji भाई जी ने एक बार इसे उपन्यास की शकल देने के लिए कहा था l इसलिए मेरा भरसक प्रयास यही है कि यहीं कहानी उपन्यास की सीमाओं को ना लांघे और जब पुर्ण हो तब मैं इसे कुछ सुधार के बाद एक किताबी शकल दे सकूं
इसलिए आप लोग साथ जुड़े रहें
धन्यबाद
 

Kala Nag

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Waiting for the next update
आज संभव नहीं हो सकता है मित्र पर मेरी प्रयास है कल रात दस बजे तक प्रस्तुत करने की
 

Kala Nag

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बहुत बहुत बढ़िया! 👍👍 अंततः कहानी सही तरह से अपनी पटरी पर आ ही गई लगती है!
हाँ क्यूंकि विश्व की कटक भुवनेश्वर वाली लीला खतम होने को है
विक्रम की शैली बुद्धिमानों वाली लगती है, लेकिन उसकी हरकतें पूरी मूर्खों और मूढ़ दम्भियों वाली है। अपने परिवार और परिवारजनों को सुरक्षित रखना, एक अलग बात है। लेकिन अपने परिवार के पाप का पोषण करना गलत है - हर तरीके से। चाहिए तो उसको यह था कि अपने बाप को समझाता, और न समझने पर उससे दूरी बना लेता। लेकिन उल्टा ही वो अपने बाप के पापों का पोषण करता हुआ दिखाई देता है। अहंकार तो है उसमें। अहंकार को अपनी माँ को दिए गए वचन के आँचल से छुपा रखा है - बस!
हाँ उसके इस भूल से रुप ही अवगत कराएगी पर बगावत की मशाल पहले वीर उठाएगा और आगे चलकर उसे विक्रम बुलंद करेगा
उसके मुकाबले वीर ठीक लगता है। ब्लैक एंड व्हाईट किरदार (कम से कम अभी तक तो ऐसा ही है)। जब तक चूतिया था, तब तक था। लेकिन अनु के प्यार ने उसको एक अलग ही धरातल पर ला कर खड़ा कर दिया है। और उसको अपनी इस नई सच्चाई को स्वीकारने में कोई दिक्कत या शर्म नहीं। खैर!
क्यूंकि वीर की चरित्र विक्रम से अलग है l वह बचपन से ही ऐसा है सोच और समझ एक ही दिशा में काम करता है l उसके जीवन में अनु का आना, धीरे धीरे उसके प्रति आकर्षित होना और अब उससे प्यार हो जाना, वीर की चरित्र को जुनूनी बना दे रहा है l
उपडेट की शुरुवात सुप्रिया रिपोर्टर और विश्व की मुलाकात से हुई। ये तो आज कल की न्यूज़ रिपोर्टरों जैसी बिलकुल ही नहीं है। नहीं तो नाच नाच कर और चीखते चिल्लाते किसी बकवास की रिपोर्टिंग कर रही होती। तेज है। लेकिन न जाने क्यों ऐसा लगता है कि इसका कोई पर्सनल एंगल है - खेत्रपालों से कोई पर्सनल खुन्नस होगी शायद! लम्बी कहानी हो गई, इसलिए सभी तथ्य याद नहीं हैं अब। लेकिन कुछ है ऐसा - यह पक्की बात है।
हाँ उसके भाई और भाभी को रंग महल के आखेट गृह में लकड़बग्घों और मगरमच्छों के बीच फिकवा दिया था
लीक से हट कर लड़के की माँ, लड़की का हाथ माँगने उसके घर जाती है। बड़ी बात है। खास तौर पर तब, जब वो खुद रानी है। अनु की दादी को वीर को ले कर कोई संशय रहा हो, तो वो समाप्त हो जाना चाहिए अब। सुषमा जी अच्छी लगीं - हाँलाकि उनका अभी तक बहुत ही छोटा छोटा ही रोल रहा है।
चूंकि वीर पहली बार उसे छोटी रानी की वजाए माँ कहा था, अपना दुख फोन पर कहा था, और पहली बार अपनी जवानी के दिन में उसकी गोद को ढूंढते हुए आया था और उसकी वजह एक लड़की थी जो उसके चरित्र की पुर्ण विपरित थी
उधर अनु के भोलेपन का एक और उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत है। बहुत पहले भी मैंने यह बात लिखी थी - भोले लोगों के साथ अच्छा होता है। सभी को लगता है कि उनका भयंकर नुकसान होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। अपने साथ साथ वीर का भी भला कर दिया उसने। और कहीं न कहीं, सुषमा को भी अपने परिवार को ले कर आशा की एक किरण दिखाई देने लगी है।
हाँ अनु की चरित्र वास्तविक है l मैं उस चरित्र से रुबरु हो चुका हूँ l उस चरित्र को देख कर कभी कभी सोचता रहता हूँ इस फाइव जी काल में क्या ऐसा चरित्र संभव है पर चूंकि मैंने वास्तव में देखा है l इसलिए इसे इस कहानी में डाला है
बहुत समय बाद वैदेही का ज़िक्र हुआ। अच्छा लगा। मुझे याद है कि असल में वैदेही ही इस कहानी की नायिका होनी चाहिए थी, लेकिन बाद में यह नायक प्रधान कहानी बन गई। इसलिए यह कोई आश्चर्य नहीं कि वैदेही एक ठोस किरदार के रूप में दिखाई देती है। भैरव की गाड़ी खराब होना एक तरह का forebodance (भविष्य की आपदाओं की आहट) है - ऐसा मुझे लगता है। किसी महान ज्ञानी ने एक बार कहा था कि अपने शत्रु को किसी कोने में इतना न दबाओ कि उसके पास प्रतिवार करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प ही न बचे। अपने ठसके में भैरव सिंह ने बहुतों के साथ यही किया है। उसकी दिक्कत यह हो गई है कि वो सभी शत्रु अब एक साथ हो कर उसकी झंड करने को तत्पर हैं।
जी बिलकुल
एक छोटा सा स्पयलर देता हूँ
राजनीती में भले ही ओंकार दुश्मनी छेड़ा हुआ है पर वास्तव में पर्दे के पीछे रूलिंग पार्टी के कुछ पॉलिटिशियन और कुछ सरकारी ऑफिसर होंगे जो आगे चलकर वीर के साथ हो लेंगे
कुल मिला कर इस खेल के सभी मुख्य खिलाड़ी अब हमारे सामने हैं। पिछली बार खेत्रपाल ने वार किया था, इसलिए लगता है कि इस बार पहला वार विश्व की तरफ से होने वाला है। बहुत ही मनोरंजक और बढ़िया अपडेट। आनंद आ गया!
धन्यबाद और बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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अनु और शुभ्रा के बीच का अंतर भी इसका कारण है.. जहां, अनु ने वीर से कोई प्रश्न नहीं किया, उसके अतीत को लेकर कोई शंका तक नहीं जताई, अपनी दादी तक के कहने पर वीर पर संदेह नहीं किया। वहीं शुभ्रा ने विक्रम को सफाई का मौका तक नहीं दिया था, और बच्चा गिरा दिया... :dazed:
जैसे विक्रम और वीर के चरित्र और व्यक्तित्व अलग हैं उसी तरह शुभ्रा और अनु की चरित्र और व्यक्तित्व अलग है
 
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