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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Jaguaar

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👉उनतालीसवां अपडेट
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दो हफ्ते बाद
सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी
विश्व अंदर आता है l अंदर वैदेही हैरानी और गुस्से भरी नजर से उसको देखती है l विश्व की दाढ़ी बढ़ी हुई है और विश्व के माथे पर निको प्लास्टर की पट्टी चिपकी हुई है और होंठ के किनारे का हिस्सा, आँखों के नीचे का हिस्सा काला दिख रहा है l विश्व वैदेही के पास जाने के वजाए खिड़की के पास जा कर बाहर की ओर देखने लगता है l

वैदेही - यह क्या है विशु....
विश्व - क्या है... तुम यहाँ आई क्यूँ हो दीदी...
वैदेही - कुछ काम से आई थी... क्यूँ... तुझे मेरा यहाँ आना... बुरा लग रहा है.... या तुझे इस हालत में देखा... यह बुरा लग रहा है...
विश्व - मैंने आपसे कहा था.. यहाँ आ कर मुझ से ना मिलने के लिए...
वैदेही - कोई वादा... नहीं किया था... और मैं तुझसे... मिलूँ क्यूँ ना...
विश्व - xxx(चुप रहता है)
वैदेही - अब चुप क्यूँ है... एक तु ही तो है... जिसे देख कर... जिंदा हूँ... और सुन... मैं आती रहूँगी... अब यह तुझ पर है... तु मुझसे... मिलना चाहता है या नहीं...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - वैसे... तुने किन लोगों के साथ मार पीट की...है...
विश्व - मैंने किसी के साथ मार पीट नहीं की है... हाँ... कुछ लोगों ने मुझे... मारा ज़रूर है... पर.... तुमको पता कैसे चला...
वैदेही - आई थी सुपरिटेंडेंट सर से... तेरी खैर खबर लेने... उन्होंने ही बताया मुझे...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु.... तु... क्यूँ किसीसे... दुश्मनी ले रहा है... हमारे दुश्मन कम हैं क्या...
विश्व - दीदी... मैंने.. किसीसे दुश्मनी नहीं की है... कुछ लोग थे... जिनके दुश्मनी के बीच आ गया... वह लोग डैनी भाई को मारने आए थे.... मैंने उनका प्लान चौपट कर दिया.... जब उनको पता चला... तो उन्होंने... अपने प्लान के नाकाम होने का गुस्सा... मुझ पर उतारा...
वैदेही - यह... डैनी भाई कौन है... और तु... उनके लिए... अपनी जान खतरे में... क्यूँ डाला...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु....
विश्व - दीदी... (वैदेही की तरफ मुड़ कर) जैसे... कोर्ट रूम के अंदर.... मेरे लिए जयंत सर थे.... यहाँ... इस जैल के अंदर... डैनी भाई... मेरे लिए उतने ही मान रखते हैं... इसलिए... उनके लिए कुछ भी....

वैदेही की आँखे बड़ी हो जाती है l वह हैरानी भरी नजर से विश्व को देखने लगती है l

वैदेही - यह डैनी भाई साहब कौन हैँ... उनके बारे में... पहले कभी तुने.. मुझे बताया नहीं...
विश्व - बस उनका जिक्र हो... ऐसी हालात भी... कभी आया ही नहीं था... अच्छा दीदी... तुमने बताया कि.. कुछ काम से आईं थी...
वैदेही - वह मैं... चगुली साबत की घर को पांच साल के लिए... भाड़े पर लेने के लिए... एक एग्रीमेंट करने आई थी....
विश्व - उसके घर को... भाड़े में... क्यूँ....
वैदेही - तो क्या करूँ.... हमारी सारे खेत पर.... भैरव सिंह के पालतू कुत्ते... कब्जा लिए हैं.... मुझे गांव में रहना है.... कुछ करना है.... इसलिए... उसका घर... पांच साल के लिए..... भाड़े पर ले लिया है....
विश्व - और वह... कहाँ जाएगा....
वैदेही - दुबई... उसे दुबई जाना था.... घर कोई खरीद नहीं रहा था... भैरव सिंह के डर से....
विश्व - मैंने भी खरीदा कहाँ है.... मैंने भाड़े पर लिया है....
विश्व - ओ... अच्छा... ठीक है दीदी.... मैं चलता हूँ... अपना खयाल रखना....
वैदेही - विशु... विशु...

वैदेही पुकारते रह जाती है, पर विश्व नहीं रुकता है l विश्व के जाते ही वैदेही तापस के रूम की और जाति है l

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पिनाक, महांती और वीर एक कमरे में बैठे हुए हैं l पिनाक और महांती के चेहरे पर जहां तनाव दिख रहा है वही वीर इन दोनों के चेहरे पर आ रहे पल पल बदलते भावों को देख कर मन ही मन खीज रहा है l

पिनाक - महांती... यह अचानक...
महांती - अब हम और क्या कर सकते हैं...
पिनाक - ह्म्म्म्म... अच्छा हुआ... तुमने.. प्रोग्राम में आने वाले... गेस्ट के बारे में... कहीं पर खुलासा नहीं किया.... था...
महांती - हाँ... पर... राजा साहब चाहेंगे... तो... शायद कुछ हो सकता है...
पिनाक - नहीं महांती... इस बार.. वह भी मज़बूर हैं....
महांती - वैसे... प्रोग्राम में.. ऐन मौके पर जो... तब्दीली हुई है... उससे प्रोग्राम की... वैल्यू कम भी नहीं हुई है.... हाँ... राजा साहब होते तो बहुत अच्छा होता... तब चीफ मिनिस्टर भी आते... पर...
पिनाक - देखो महांती... प्रोग्राम... तुमने... और युवराज ने... डिजाईन किया था... राजा साहब उस समय... किसी और काम में... व्यस्त थे...
महांती - हाँ... वह मैं... जानता हूँ...
पिनाक - पर उन्होंने कहा है... कुछ भी रुकना नहीं चाहिए....
महांती - नहीं रुकेगा... राजा साहब ना सही... आप तो हैं.... प्रोग्राम बहुत ही... जबरदस्त होगा....
पिनाक - हाँ.... करना ही पड़ेगा...(वीर की ओर देख कर) राजकुमार आप जा कर... युवराज जी को कल की प्रोग्राम के लिए... मनाएं... और उन्हें... तैयार कीजिए....

वीर यह सुन कर वहाँ से उठ जाता है और एक कमरे की ओर चला जाता है l कमरे में पहुंच कर देखता है विक्रम एक कुर्सी पर बैठ कर बालकनी से बाहर की ओर देख कर गहरी सोच में डूबा हुआ है l

वीर - (अपने मन में) अब मजनूँ को... कौन समझाए... (अपने चेहरे पर हँसी लाने की कोशिश करते हुए) युवराज जी... कल हमारे डेविल आर्मी की.... ऑफिशियल इनागुरेशन है.... और यहाँ डेविल किंग... किसी लुटे हुए... आशिक की तरह बैठे हैं हैं....

विक्रम, वीर की ओर देखता है और फिर अपना मुहँ फ़ेर कर बाहर देखने लगता है l वीर उसके सामने एक चेयर डाल कर बैठ जाता है l

वीर - युवराज जी... कुछ तो कहिए... शायद मैं आपकी कुछ मदत कर सकूँ....
विक्रम - हम कलकत्ते से जब यहाँ पर आए.... तब हमे... छोटे राजा जी से एक मिशन मिला... के.. राजधानी में... क्षेत्रपाल के नाम का सिक्का जमाना है... पर इसकी शुरुवात के प्रोग्राम में ही... क्षेत्रपाल के मुखिया... नहीं आ रह रहे हैं....
वीर - क्या सिर्फ़ यही वजह है....

विक्रम कुछ नहीं कहता l वह बालकनी से बाहर की ओर देख कर कुछ सोचे जा रहा है l

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वैदेही विजिटर्स रूम में बैठी हुई है और बार बार सलाखों के पर दरवाजे की ओर देखती है l थोड़ी देर बाद एक कैदी संत्री के साथ आते देखती है l वैदेही उठ कर सलाखों के पास मीटिंग पॉइंट तक जाती है l वह कैदी भी उस पॉइंट तक आता है और वह संत्री को मुड़ कर देखता है l संत्री उन दोनों को छोड़ वहाँ से चला जाता है l वैदेही उसे गौर से देखती है लगभग पैंतालीस साल का आदमी, अपने उम्र से पांच सात साल कम दिख रहा है, उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है l ऊँचा कद और स्वस्थ दिख रहा है l उसे देख कर लगता है वह जरूर वर्जिश करता होगा l वैदेही की ध्यान टूटती है l

कैदी - कहिए... आप... कौन हैं... और मुझसे क्यूँ मिलना चाहती थी....
वैदेही - आ... आप... डैनी भाई साहब हैं...
डैनी - डैनी भाई साहब नहीं... सिर्फ़ डैनी...
वैदेही - पर विशु तो... आपको डैनी भाई साहब ही कहता है ना...
डैनी - (वैदेही को घूर कर देखते हुए) यह... विशु कौन है....
वैदेही - मेरा भाई... विश्व प्रताप...
डैनी - ओ... तो आप.. विश्व की... बड़ी बहन... वैदेही जी हैं...
वैदेही - जी...
डैनी - पर आप मुझसे... क्यूँ मिलना चाहती थीं...
वैदेही - मैं... उस शख्सियत को... देखना चाहती थी.... जैल के भीतर... जिसे विशु... जयंत सर के... बराबर का दर्जा... दिया है....
डैनी - क्या... यह क्या बकवास कर रही हैं...
वैदेही - आप को... कोई मारने आया था... पर विशु के वजह से.. नहीं मार पाया.... इसलिए.. उसने... विशु पर अपना गुस्सा उतारा...
डैनी - देखिए... वैदेही जी... कोई एक मारने नहीं.... बल्कि चार चार लोग मुझे मारने आए थे.... मैं हूँ ही... क्रिमिनल... मेरे हज़ारों दुश्मन हैं... आपके विशु का एक उपकार रहेगा मुझ पर... उसने मेरे दुश्मन की पहचान की... और मुझे आगाह किया.... पर मैंने उसे समझाया था... मेरे और उनके बीच ना आने के लिए....
वैदेही - विशु है ही ऐसा... जिसको वह... अपना मान लेता है... उसके लिए... वह कुछ भी कर जाता है....

डैनी यह सुन कर वैदेही को हैरानी से देखता है l

वैदेही -(अपनी हाथ जोड़कर) हाँ भाई साहब... उसने दिल से... आपको... अपना माना है... आपका बहुत सम्मान करता है.... बस इस बहन की... इच्छा है... आप जब तक यहाँ हैं... उसे अपने छोटे भाई की तरह ही... देखें... भले ही... अपने पन से ना सही.... पर उसका खयाल रखिएगा.....

डैनी कुछ नहीं कहता, वह इधर उधर देखता है फिर हाथ जोड़ कर नमस्कार कर वहाँ से चल देता है l

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वीर - ठीक है युवराज जी... मुझे लगा... के हम एकदूसरे के सहारा हैं... क्यूंकि यह रस्मों रिवाजों के ढोंग ढोते ढोते... हम अकेले हो गए हैं... आप फिर भी... बाहर जाते हैं... किसीसे बात भी करते हैं.... पर हमारा क्या... हम किस से बात करें... ठीक है... हम बाहर जा रहे हैं... (उठ कर जाने लगता है)
विक्रम - रुकिए... राजकुमार..जी.... रुकिए... प्लीज...
वीर - (रुक जाता है, और वहीँ बैठ जाता है) अब दिल में जो भी है... उगल दीजिए... देखिएगा... आपको अच्छा भी लगेगा... और हल्का भी लगेगा....
विक्रम - कल के प्रोग्राम के लिए.... हमारे लिए... गेस्ट लिस्ट में... तीन खास लोग शामिल होने चाहिए थे... पर कल वह लोग... नहीं आ पा रहे हैं....
वीर - हम्म... पहले कौन हैं....
विक्रम - हमारे राजा साहब... हमे जिनके नाम का डंका बजाने का... जिम्मा दिया गया है....
वीर - और वह... क्यूँ नहीं आ रहे हैं....
विक्रम - मुख्य मंत्री जी ने... वाइब्रेंट ओड़िशा के लिए... इंवेस्टर्स को रिझाने अपने साथ डेलिगेशन ले कर जा रहे हैं.... उसके लिए कुछ खास लोगों को चुना है... उन लोगों में... हमारे राजा साहब भी हैं...
वीर - अच्छा... हम्म.... प्रोग्राम... पोस्टपॉन कर दें तो...
विक्रम - नहीं.. नहीं.. हो सकता है... हमने जोर शोर से... एडवर्टाइजिंग किया है... नाक का सवाल है...
वीर - और दुसरा...
विक्रम - दुसरा मतलब...
वीर - वही आपके गेस्ट लिस्ट वाले...
विक्रम - अरे हाँ... उसका नाम.. यश वर्धन चेट्टी है.... पहली बार किसी से हाथ मिलाकर... दोस्ती की है... पर वह भी मुख्यमंत्री के.... डेलिगेशन में जा रहा है...
वीर - क्यूँ... वह कोई... पोलिटिकल लीडर है क्या...
विक्रम - नहीं... वह एक.. इंडस्ट्रियलिस्ट है...
वीर - ह्म्म्म्म... और तीसरी शायद.. भाभी....
विक्रम - वह भी नहीं आ पा रही है.... क्या... क.. क... कौन... क्या पुछा तुमने....
वीर - (शरारत भरा हँसी हँसते हुए) भाभी क्यूँ नहीं आ रही हैं....

विक्रम वहाँ से उठ कर जाने लगता है l वीर भी उसके साथ उठ कर उसके सामने खड़ा हो जाता है l विक्रम फिर वापस आ कर चेयर पर बैठ जाता है l

वीर - आप बताना नहीं चाहते.... तो बात अलग है... पर अगर आप मुझे कुछ कहेंगे... तो मेरे खुराफाती दिमाग में से... कुछ आईडीया निकलेगा.... वह आपके काम आ सके...
विक्रम - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...
वीर - मत भूलिए... भाभी जी का नंबर... आपको मैंने दी है....

विक्रम अपना चेहरा घुमा लेता है l वीर उसके चेहरे पर आए भाव पढ़ लेता है l

वीर - ऑए.. होए... आपके गाल... टमाटर के जैसे... लाल हो गए हैं...

विक्रम - (अपनी मुस्कराहट को जबरदस्ती छुपाने की कोशिश करते हुए) चलिए राजकुमार जी.... आज आपको लॉन्ग ड्राइव के लिए... लिए चलते हैं....

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लंच के समय का हुटर बजता है l सारे कैदी अपना काम छोड़ कर डायनिंग हॉल के तरफ बढ़ जाते हैं l विश्व भी अपना काम छोड़ कर हाथ मुहँ धो कर डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व हॉल में पहुंच कर थाली हाथ में लिए लाइन में खड़ा हो जाता है l विश्व को देख कर कुछ कैदी कानाफूसी करने लगते हैं l विश्व उनकी बातों को सुनता है पर ध्यान नहीं देता l अपना खाना ले कर हमेशा की तरह कोने के टेबल पर जा कर बैठ जाता है l

डैनी - क्या बात है... हीरो... क्या हाल है....
विश्व - (डैनी को देख कर मुस्कराने करने की कोशिश करते हुए) अच्छा हूँ...
डैनी - देखा... इंसान की इज़्ज़त कैसे गिर जाता है...
विश्व - मैं समझा नहीं... इज़्ज़त... किसकी...
डैनी - जब तु.... जैल में आया था... तब तु... तास की गड्डी में एक्स्ट्रा पत्ता था... फिर खेल में नहला पर दहला बना... पर अब... तु... उसी खेल में... एक्स्ट्रा बन गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुने जब रंगा का... पिछवाड़े में चीरा लगाया... तो तेरा इज़्ज़त होने लगा था... अब चार चिरकुट तेरे चेहरे का... भूगोल क्या बदला... यही लोग... तेरे इतिहास का बंटा धार हो गया.... अब सब... तेरे नाम पर जोक मारने लगे हैं...
विश्व - (इस बार भी चुप रहता है)
डैनी - (विश्व को गौर से देखता है) विश्व... (विश्व डैनी को देखता है) तुझे कैसे मालुम हुआ... उनका टार्गेट मैं था... तुझे तेलगु भाषा समझ में आता है क्या....
विश्व - जी... समझ सकता हूँ.... पर बोल नहीं सकता....
डैनी - ह्म्म्म्म... ठीक है... मैंने तुझे.... पहले ही बता दिया था... यहाँ... कोई... किसीके फटे में... टांग नहीं अड़ाता... इतना ज्ञान देने के बावजूद तु... उनके और मेरे बीच में आया... अब देख आखिर... उसके लिए... उन लोगों ने... तुझसे पेनल्टी वसूला....
विश्व - ह्म्म्म्म...
डैनी - तुझे... तेलुगु... समझ में.. कैसे आता है... तु.. तो.. राजगड़ से बाहर.. कभी गया ही नहीं होगा....
विश्व - वह... मेरे.... गुरु थे... मेरे प्राथमिक विद्यालय के... प्रधान आचार्य...उनसे और उनके पोते से... उनसे थोड़ा थोड़ा.. सीखा था...
डैनी - स्कुल के... प्रधान आचार्य... वह भी... तेलुगु...
विश्व - नहीं... वह थे तो.. ओडिया ही... पर वह पारलाखेमुंडी से थे... आंध्र ओड़िशा सीमांत क्षेत्र से... इसलिए उन्हें... तेलुगु.. बहुत अच्छी तरह से आता था....
डैनी - ह्म्म्म्म... तुने.. जानने की... कोशिश.. नहीं की... के वह.. लोग मुझे क्यूँ मारना... चाहते थे....
विश्व - वे लोग इस बारे में... ज्यादा बात नहीं की... बस आपको मार देने की ही बात कर रहे थे.... इसलिए मैंने आकर आपको आगाह भी किया.... पर जब देखा कि... वह आपको बैरक तीन के... गार्डन में अकेला देख कर... आपके ओर बढ़ रहे हैं.... मैं तब... सिक्युरिटी रूम में... साफ सफाई कर रहा था... आप को उनके चपेट में आने से बचाने के लिए... मैंने लंच का हुटर बजा दी.... ताकि आप अलर्ट हो जाएं और सारे कैदी... काम छोड़ कर उधर से गुजरे...
डैनी - मुझे बचाने के चक्कर में... तेरी सुताई कर दी... उन्होंने.... क्यूँ....
विश्व - कोई बात नहीं... आप तो बच गए ना...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब वक्त आ गया है... तुझे... मेरे बारे में.. जानने का... मेरे इतिहास और वर्तमान के बारे में.... पर उससे पहले... तुझे कुछ दिखाना है.... एक काम कर.... मुझसे आज शाम... बैरक पांच के... गेम हॉल में... मिल...


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विक्रम अपनी कार को भगा रहा है l गाड़ी में बगल में वीर भी बैठा हुआ है l

वीर - आप हमे ले कहाँ जा रहे हैं... युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ.... डर लग रहा है.....
वीर - डर... जब तक युवराज हैं... राजकुमार का बाल भी कोई.... बांका नहीं कर सकता....
विक्रम - इतनी कन्फीडेंट...
वीर - अपने ऊपर नहीं.... आप पर... है... क्यूँ के.... हमारे लिए आप हैं... और आपके लिए... हम....

विक्रम ब्रेक लगाता है l गाड़ी रुक जाती है l वीर देखता है रास्ता खतम हो गया है आगे सिर्फ़ रेत ही रेत दिख रहा है और उसके आगे एक नदी की धार दिख रहा है l

वीर - यह आप हमे कहाँ ले कर आ गए हैं....
विक्रम - मुंडुली है... इस जगह का नाम...
वीर - मतलब आप पहले भी.... यहाँ आ चुके हैं...
विक्रम - जानते हैं.... यहाँ से... हम ने... आपकी भाभी से... पहली बार... फोन पर बात की थी....
वीर - अच्छा इस जगह पर... इतना महात्म्य है....
विक्रम - हाँ...
वीर - तो इसका मतलब... मैंने पहेली को सुलझा लिया था... पर यह क्या.... युवराज जी... आपने हमे इसका... पुरस्कार भी नहीं दिया....
विक्रम - कहिए... आपको क्या चाहिए...
वीर - वह.. हम बाद में... मांग लेंगे....पहले यह बताइए... इजहार किसने पहले की....आप या भाभी....
विक्रम - अरे कहाँ... अभी तक सिर्फ़ दोस्ती और.. चैटिंग तक.... ही हैं... अभी मुलाकात भी नहीं हुई है....
वीर - मतलब फोन नंबर तो पक्का है ना....
विक्रम - हाँ हाँ वही है... अपने तरीके से... कंफर्मेशन कर चुके हैं...
वीर - (विक्रम को देख कर) युवराज जी... आप कितने सिरीयस हैं....
विक्रम - सिरीयस मतलब..... हम उनसे शादी करना चाहते हैं.... पर आपने यह क्यूँ पुछा....
वीर - बतायेंगे... पहले यह बताएं... आपको पूरी दुनिया में... सिर्फ़ भाभी... ही अच्छी क्यूँ लगी....
विक्रम - पता नहीं... राजकुमार... पता नहीं... वह जब... हमारे आस पास होती हैं.... ऐसा लगता है... जैसे हम महक रहे हैं... आसमान में उड़ते एक आजाद परिंदे की तरह.... महसूस करते हैं... जब वह हमसे बात करते हैं.... वह चुलबुली हैं... जैसे बन में... उछलती कुदती हिरनी... और क्या कहूँ....
वीर - जानते हैं.... दो प्रेमी... एक दूसरे के... पूरक होते हैं... एक दूसरे में जो कमियां होती हैं.. वह एक दुसरे की खूबियों से पूरी करते हैं...

विक्रम, वीर को हैरानी भरी नजर से देखने लगता है l जैसे बातेँ वीर नहीं कोई और कर रहा है l

वीर - उनकी खूबियाँ... उनकी आज़ादी है.... और यही आपकी कमियाँ है... आप बंदिश में हैं...
विक्रम - राज कुमार.... आप कहना क्या चाहते हैं....
वीर - आप उन्हें... भूल जाएं.... राजा साहब जहां कहें... आप वहीँ.. विवाह कीजिए...
विक्रम - यह आप क्या कह रहे हैं.... राजकुमार...
वीर - क्यूंकि... आप अगर उनसे विवाह करेंगे... तो... (अपनी नजर नदी की ओर करते हुए) क्षेत्रपाल महल में... स्वर्गीय रानी माँ.... और छोटी रानी माँ... और अब भाभी....(विक्रम सुन हो जाता है) भाभी सहर की हैं... उनकी लाइफ स्टाइल... सहरी है... क्षेत्रपाल परिवार की घमंड को घूंघट बना कर... रह नहीं पाएंगी.... पर उससे भी पहले... क्या राजा साहब... इस विवाह के लिए.... सहमत होंगे...

वीर की बातेँ सुन कर विक्रम का चेहरा उतर जाता है l

वीर - युवराज जी... हमारा प्रॉब्लम यह है कि.... हम क्षेत्रपाल हैं.... आप अच्छी तरह से जानते हैं... रंग महल के बारे में... जानने के बाद... बड़ी रानी माँ ने क्या किया.... और छोटी रानी माँ... वह कैसी हैं... क्या आप कभी भी... भाभी जी को... रंग महल के बारे में... बता पाओगे...

विक्रम चुप रहता है और वह भी रेत की पठार और नदी के धार को देखता रहता है l


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विश्व अपना काम निपटा कर गेम हॉल में पहुंचता है l वहाँ एक कोने में डैनी बैठ कर अकेला कैरम खेल रहा है l विश्व को देखते ही,

डैनी - आजा ... विश्व आ... कैरम खेलना जानता है....
विश्व - नहीं...
डैनी - ऑए... क्या कह रहा है.... कोई यकीन नहीं करेगा... के तुझे कैरम खेलना नहीं आता...
विश्व - सच कह रहा हूँ... मैं सच में कैरम खेलना नहीं जानता...
डैनी - (विश्व की ओर देखते हुए) कभी गांव में... बैठ कर क्या खेलते थे...
विश्व - बाघ बकरी... कबड्डी.... लुका छुपी... वगैरह...
डैनी - आ बैठ... चल मैं तुझे... कैरम... सिखाता हूँ...

विश्व बैठ जाता है l डैनी कैरम के बारे में बताने लगता है l रानी, स्ट्राइकर, काली गोटियाँ सफ़ेद गोटियाँ, सब समझाने के बाद l डैनी गोटियाँ बोर्ड पर सजा देता है और विश्व को स्ट्राइकर देता है l

डैनी - ले... पहला स्ट्राइक तु कर...

विश्व पहला शॉट मारता है l गोटियाँ बिखर जाती हैं l डैनी स्ट्राइकर ले कर शॉट खेलता है l तीन काली गोटियाँ खानों में गिर जाते हैं l

विश्व - वाव... आप को... इस खेल में... महारत हासिल है...
डैनी - (अपना स्ट्राइक लेते हुए) अब तुमको भी महारत बनना है...(अब कोई गोटी नहीं गिरती)
विश्व - ठीक है... हम बाद में खेलेंगे... आपने बताया कि... मुझे आपका इतिहास जानने का टाइम आ गया....
डैनी - हाँ पर उससे पहले... तेरे को... कुछ दिखाना है....
विश्व - क्या....देखना है...
डैनी - अब पहले यह बता.... वह चार मुझे क्यूँ मारना चाहते हैं...
विश्व - (अपना सर हिलाते हुए) नहीं जानता...
डैनी - जानता है... वह अब भी... इसी जैल में हैं... और मुझे मारने की ताक में हैं...
विश्व - क्या... मैंने... इस बारे में... सुपरिटेंडेंट साहब को... बताया था...
डैनी - हाँ तुने बताया था... इसलिए... सुपरिटेंडेंट साहब ने... उन्हें... दो नंबर बैरक में बंद कर रखा है....
विश्व - यह तो... उन्होंने अच्छा किया...
डैनी - पर उन चारों ने एक संत्री को पैसे खिलाए हैं... कुछ समय के लिए... उनको मेरे पास आने देने के लिए...
विश्व - (चौंक कर) क्या... आ.. आपको... कैसे मालुम हुआ...
डैनी - मैं यहाँ हूँ... मतलब हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ हूँ... कब कहाँ क्या हो रहा है... मुझे खबर मिल जाती है...
विश्व - तो फ़िर... इन चारों की खबर आपको कैसे... नहीं लगी....
डैनी - क्यूँकी... मुझे अंदाजा नहीं था... के.. मेरे दुश्मन... आंध्र प्रदेश से... मेरे लिए कातिल ला सकते हैं... यहाँ पर जो भी नया कैदी आता है... मैं उसकी खोज ख़बर ले लेता हूँ... इनके विषय में... मात खा गया... पर अब ग़लती... सुधारना है... इसलिए... मैं उन चारों का... यहाँ पर इंतज़ार कर रहा हूँ....
विश्व - क्या... (अपने जगह से ऐसे उठ खड़ा होता है, जैसे बिजली का झटका लगा हो) वह लोग यहाँ पर आयेंगे... और आप उनका इंतजार कर रहे हैं...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब.. उन्होंने... जैल के एक स्टाफ को... पैसा खिलाया की.... मेरी खबर उन तक पहुंचाए.... और उनके लिए एक मौका बनाए.... मैंने अपने तरीके से... जैल के उस स्टाफ के पास.... मेरे यहाँ होने की खबर पहुंचा दिया है.... अब कुछ ही देर में... वह लोग यहाँ पर.... आ जाएंगे...

विश्व का सर चकराने लगता है l वह हैरान और परेशान हो कर डैनी को देख रहा है l पर डैनी बेफिक्र हो कर अपना शॉट खेल रहा है l रानी के गिरते ही

डैनी - जाओ... (हाथ से इशारा करते हुए) वहाँ पर छुप जाओ... उन लोगों के आने का वक्त हो गया है.....
विश्व - न ना.. नहीं... मैं आपको ऐसे... छोड़ कर नहीं जा सकता....
डैनी - श् श् श् श्... विश्व... मैंने कहा था.... आज तेरे को कुछ दिखाना है... इसलिए जा.... वहाँ से छिप कर देख यहाँ.... क्या होता है...
विश्व - अगर ऐसी बात है... तो मैं छुप नहीं सकता.... आने दीजिए... आप तक... पहुंचने से पहले... उन लोगों को... मुझसे गुज़रना होगा....

डैनी खड़ा हो जाता है और विश्व के कलर पकड़ कर उसे खड़ा कर देता है l

डैनी - सुन... मैं जो कहता हूँ... वह चुप चाप कर.... मैंने कहा है ना... तुझे कुछ दिखाऊंगा... तो पहले देख... फिर मेरे फटे में घुसने की सोचना... (विश्व को छोड़ देता है)

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विक्रम के मोबाइल पर एक मैसेज आती है l अपना मोबाइल खोल कर मैसेज पढ़ता है l एक फीकी मुस्कान आकर चेहरे से ग़ायब हो जाती है l

विक्रम - (अपनी चुप्पी तोड़ कर) यह आपने ठीक नहीं किया... राजकुमार... यह आपने ठीक नहीं किया...

वीर कुछ नहीं कहता है l वह भी रेतीली पठारों के पर बहती नदी को देख रहा है l

विक्रम - हम.. भ्रम में... थे... भ्रम में ही रहने देते...
वीर - हम... भ्रम को जी रहे हैं.... युवराज जी... वास्तव उससे भी कडवा है.....
विक्रम - हम क्या करें.... अब... हम... उनके बिना... जी नहीं पाएंगे... राजकुमार.... आप ठीक कह रहे हैं..... वह चिड़िया की तरह चहकती हैं... क्षेत्रपाल महल एक पिंजरा है.... वह हिरनी की तरह... चंचल हैं... क्षेत्रपाल महल एक... एक चिड़िया घर है.... (वीर विक्रम कि ओर देखता है, विक्रम का चेहरा उतरा हुआ है और सर झुका हुआ है) आपने सही कहा.... हममे जो... कमियां हैं... खामियाँ है.... उनमें वह भरपूर है.... एक छोटे बच्चे की मासूमियत भरा हुआ है.... उनसे विवाह करना मतलब... उन पर ज़ुल्म करना.... यह आपने ठीक नहीं किया... राज कुमार... य़ह आपने ठीक नहीं किया...

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विश्व डैनी के बताए जगह पर छुपा हुआ है l वहाँ से छुप कर वह हॉल के अंदर देख रहा है l
चार तगड़े बंदे अंदर आते हैं उनको देख कर डैनी अपनी जगह से उठ कर डरने लगता है l डैनी को डरते देख वह चार लोग हँसने लगते हैं और चारों आपस में इशारा करते हुए डैनी पर झपटते हैं l
डैनी अपनी जगह से हट जाता है और तुरंत अपना पोजिशन बदल लेता है l बंदा एक ज्यूं ही मुड़ता है एक जोरदार घुंसा उसके नाक पर लगती है l वह चिल्ला के गिर जाता है l बाकी बंदे रुक जाते हैं l बंदा एक उठ खड़ा होता है, पर कुछ ही सेकंड खड़ा हो पाता है वह बंदा अपने नाक से बहते हुए खून को अपने हाथ से पोंछ कर देखते हुए फिर नीचे गिर जाता है l अब तीन बंदे आपस में इशारा करते हुए तीन दिशाओं से घेर लेते हैं l पर डैनी बंदा दो को अपना लात आगे से उठा कर मारता हुआ दिखा कर साइड पर बंदा तीन को किक मारता है l बंदा एक पीछे से पकडने के अपनी बांह बढ़ाता है तो उसकी कलाई को डैनी अपने बाएं हाथ से पकड़ लेता है और दाएं हाथ से उसके गर्दन को पकड़ दाएं कोहनी को बंदा एक के काख में फंसा कर उठा कर कैरम के बोर्ड पर फेंक देता है l फिर एक स्पिन किक घुमा कर बंदा दो के चेहरे पर मारता है l वह भी अपने साथियों के तरह नीचे गिर जाता है l
चारों बंदे गिर चुके हैं और कराह रहे हैं l सब धीरे धीरे उठते हैं फ़िर से डैनी के तरफ बढ़ते हैं l पर डैनी की फुर्ती के आगे वह चार टिक नहीं पाते कुछ ही सेकेंड में चिल्लाते हुए गिर जाते हैं l डैनी विश्व को इशारे से बाहर निकलने को कहता है l
विश्व बाहर आकर उन्हें देखता है l और हैरानी से मुहँ फाड़े डैनी को देखता है l
डैनी - अब यह लोग हस्पताल जाएंगे... क्यूंकि इनकी ट्रीटमेंट यहाँ संभव नहीं है...
विश्व - क्यूँ....
डैनी - दो बंदों के हाथ.... कंधे के जोड़ से खिसक गए हैं.... और एक बंदे का घुटना अपनी जोड़ से खिसक गया है और लास्ट बंदे का कोहनी अपनी जोड़ से खिसक गया है....
Awesome Updateee
 

Mastmalang

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👉उनतालीसवां अपडेट
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दो हफ्ते बाद
सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी
विश्व अंदर आता है l अंदर वैदेही हैरानी और गुस्से भरी नजर से उसको देखती है l विश्व की दाढ़ी बढ़ी हुई है और विश्व के माथे पर निको प्लास्टर की पट्टी चिपकी हुई है और होंठ के किनारे का हिस्सा, आँखों के नीचे का हिस्सा काला दिख रहा है l विश्व वैदेही के पास जाने के वजाए खिड़की के पास जा कर बाहर की ओर देखने लगता है l

वैदेही - यह क्या है विशु....
विश्व - क्या है... तुम यहाँ आई क्यूँ हो दीदी...
वैदेही - कुछ काम से आई थी... क्यूँ... तुझे मेरा यहाँ आना... बुरा लग रहा है.... या तुझे इस हालत में देखा... यह बुरा लग रहा है...
विश्व - मैंने आपसे कहा था.. यहाँ आ कर मुझ से ना मिलने के लिए...
वैदेही - कोई वादा... नहीं किया था... और मैं तुझसे... मिलूँ क्यूँ ना...
विश्व - xxx(चुप रहता है)
वैदेही - अब चुप क्यूँ है... एक तु ही तो है... जिसे देख कर... जिंदा हूँ... और सुन... मैं आती रहूँगी... अब यह तुझ पर है... तु मुझसे... मिलना चाहता है या नहीं...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - वैसे... तुने किन लोगों के साथ मार पीट की...है...
विश्व - मैंने किसी के साथ मार पीट नहीं की है... हाँ... कुछ लोगों ने मुझे... मारा ज़रूर है... पर.... तुमको पता कैसे चला...
वैदेही - आई थी सुपरिटेंडेंट सर से... तेरी खैर खबर लेने... उन्होंने ही बताया मुझे...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु.... तु... क्यूँ किसीसे... दुश्मनी ले रहा है... हमारे दुश्मन कम हैं क्या...
विश्व - दीदी... मैंने.. किसीसे दुश्मनी नहीं की है... कुछ लोग थे... जिनके दुश्मनी के बीच आ गया... वह लोग डैनी भाई को मारने आए थे.... मैंने उनका प्लान चौपट कर दिया.... जब उनको पता चला... तो उन्होंने... अपने प्लान के नाकाम होने का गुस्सा... मुझ पर उतारा...
वैदेही - यह... डैनी भाई कौन है... और तु... उनके लिए... अपनी जान खतरे में... क्यूँ डाला...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु....
विश्व - दीदी... (वैदेही की तरफ मुड़ कर) जैसे... कोर्ट रूम के अंदर.... मेरे लिए जयंत सर थे.... यहाँ... इस जैल के अंदर... डैनी भाई... मेरे लिए उतने ही मान रखते हैं... इसलिए... उनके लिए कुछ भी....

वैदेही की आँखे बड़ी हो जाती है l वह हैरानी भरी नजर से विश्व को देखने लगती है l

वैदेही - यह डैनी भाई साहब कौन हैँ... उनके बारे में... पहले कभी तुने.. मुझे बताया नहीं...
विश्व - बस उनका जिक्र हो... ऐसी हालात भी... कभी आया ही नहीं था... अच्छा दीदी... तुमने बताया कि.. कुछ काम से आईं थी...
वैदेही - वह मैं... चगुली साबत की घर को पांच साल के लिए... भाड़े पर लेने के लिए... एक एग्रीमेंट करने आई थी....
विश्व - उसके घर को... भाड़े में... क्यूँ....
वैदेही - तो क्या करूँ.... हमारी सारे खेत पर.... भैरव सिंह के पालतू कुत्ते... कब्जा लिए हैं.... मुझे गांव में रहना है.... कुछ करना है.... इसलिए... उसका घर... पांच साल के लिए..... भाड़े पर ले लिया है....
विश्व - और वह... कहाँ जाएगा....
वैदेही - दुबई... उसे दुबई जाना था.... घर कोई खरीद नहीं रहा था... भैरव सिंह के डर से....
विश्व - मैंने भी खरीदा कहाँ है.... मैंने भाड़े पर लिया है....
विश्व - ओ... अच्छा... ठीक है दीदी.... मैं चलता हूँ... अपना खयाल रखना....
वैदेही - विशु... विशु...

वैदेही पुकारते रह जाती है, पर विश्व नहीं रुकता है l विश्व के जाते ही वैदेही तापस के रूम की और जाति है l

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पिनाक, महांती और वीर एक कमरे में बैठे हुए हैं l पिनाक और महांती के चेहरे पर जहां तनाव दिख रहा है वही वीर इन दोनों के चेहरे पर आ रहे पल पल बदलते भावों को देख कर मन ही मन खीज रहा है l

पिनाक - महांती... यह अचानक...
महांती - अब हम और क्या कर सकते हैं...
पिनाक - ह्म्म्म्म... अच्छा हुआ... तुमने.. प्रोग्राम में आने वाले... गेस्ट के बारे में... कहीं पर खुलासा नहीं किया.... था...
महांती - हाँ... पर... राजा साहब चाहेंगे... तो... शायद कुछ हो सकता है...
पिनाक - नहीं महांती... इस बार.. वह भी मज़बूर हैं....
महांती - वैसे... प्रोग्राम में.. ऐन मौके पर जो... तब्दीली हुई है... उससे प्रोग्राम की... वैल्यू कम भी नहीं हुई है.... हाँ... राजा साहब होते तो बहुत अच्छा होता... तब चीफ मिनिस्टर भी आते... पर...
पिनाक - देखो महांती... प्रोग्राम... तुमने... और युवराज ने... डिजाईन किया था... राजा साहब उस समय... किसी और काम में... व्यस्त थे...
महांती - हाँ... वह मैं... जानता हूँ...
पिनाक - पर उन्होंने कहा है... कुछ भी रुकना नहीं चाहिए....
महांती - नहीं रुकेगा... राजा साहब ना सही... आप तो हैं.... प्रोग्राम बहुत ही... जबरदस्त होगा....
पिनाक - हाँ.... करना ही पड़ेगा...(वीर की ओर देख कर) राजकुमार आप जा कर... युवराज जी को कल की प्रोग्राम के लिए... मनाएं... और उन्हें... तैयार कीजिए....

वीर यह सुन कर वहाँ से उठ जाता है और एक कमरे की ओर चला जाता है l कमरे में पहुंच कर देखता है विक्रम एक कुर्सी पर बैठ कर बालकनी से बाहर की ओर देख कर गहरी सोच में डूबा हुआ है l

वीर - (अपने मन में) अब मजनूँ को... कौन समझाए... (अपने चेहरे पर हँसी लाने की कोशिश करते हुए) युवराज जी... कल हमारे डेविल आर्मी की.... ऑफिशियल इनागुरेशन है.... और यहाँ डेविल किंग... किसी लुटे हुए... आशिक की तरह बैठे हैं हैं....

विक्रम, वीर की ओर देखता है और फिर अपना मुहँ फ़ेर कर बाहर देखने लगता है l वीर उसके सामने एक चेयर डाल कर बैठ जाता है l

वीर - युवराज जी... कुछ तो कहिए... शायद मैं आपकी कुछ मदत कर सकूँ....
विक्रम - हम कलकत्ते से जब यहाँ पर आए.... तब हमे... छोटे राजा जी से एक मिशन मिला... के.. राजधानी में... क्षेत्रपाल के नाम का सिक्का जमाना है... पर इसकी शुरुवात के प्रोग्राम में ही... क्षेत्रपाल के मुखिया... नहीं आ रह रहे हैं....
वीर - क्या सिर्फ़ यही वजह है....

विक्रम कुछ नहीं कहता l वह बालकनी से बाहर की ओर देख कर कुछ सोचे जा रहा है l

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वैदेही विजिटर्स रूम में बैठी हुई है और बार बार सलाखों के पर दरवाजे की ओर देखती है l थोड़ी देर बाद एक कैदी संत्री के साथ आते देखती है l वैदेही उठ कर सलाखों के पास मीटिंग पॉइंट तक जाती है l वह कैदी भी उस पॉइंट तक आता है और वह संत्री को मुड़ कर देखता है l संत्री उन दोनों को छोड़ वहाँ से चला जाता है l वैदेही उसे गौर से देखती है लगभग पैंतालीस साल का आदमी, अपने उम्र से पांच सात साल कम दिख रहा है, उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है l ऊँचा कद और स्वस्थ दिख रहा है l उसे देख कर लगता है वह जरूर वर्जिश करता होगा l वैदेही की ध्यान टूटती है l

कैदी - कहिए... आप... कौन हैं... और मुझसे क्यूँ मिलना चाहती थी....
वैदेही - आ... आप... डैनी भाई साहब हैं...
डैनी - डैनी भाई साहब नहीं... सिर्फ़ डैनी...
वैदेही - पर विशु तो... आपको डैनी भाई साहब ही कहता है ना...
डैनी - (वैदेही को घूर कर देखते हुए) यह... विशु कौन है....
वैदेही - मेरा भाई... विश्व प्रताप...
डैनी - ओ... तो आप.. विश्व की... बड़ी बहन... वैदेही जी हैं...
वैदेही - जी...
डैनी - पर आप मुझसे... क्यूँ मिलना चाहती थीं...
वैदेही - मैं... उस शख्सियत को... देखना चाहती थी.... जैल के भीतर... जिसे विशु... जयंत सर के... बराबर का दर्जा... दिया है....
डैनी - क्या... यह क्या बकवास कर रही हैं...
वैदेही - आप को... कोई मारने आया था... पर विशु के वजह से.. नहीं मार पाया.... इसलिए.. उसने... विशु पर अपना गुस्सा उतारा...
डैनी - देखिए... वैदेही जी... कोई एक मारने नहीं.... बल्कि चार चार लोग मुझे मारने आए थे.... मैं हूँ ही... क्रिमिनल... मेरे हज़ारों दुश्मन हैं... आपके विशु का एक उपकार रहेगा मुझ पर... उसने मेरे दुश्मन की पहचान की... और मुझे आगाह किया.... पर मैंने उसे समझाया था... मेरे और उनके बीच ना आने के लिए....
वैदेही - विशु है ही ऐसा... जिसको वह... अपना मान लेता है... उसके लिए... वह कुछ भी कर जाता है....

डैनी यह सुन कर वैदेही को हैरानी से देखता है l

वैदेही -(अपनी हाथ जोड़कर) हाँ भाई साहब... उसने दिल से... आपको... अपना माना है... आपका बहुत सम्मान करता है.... बस इस बहन की... इच्छा है... आप जब तक यहाँ हैं... उसे अपने छोटे भाई की तरह ही... देखें... भले ही... अपने पन से ना सही.... पर उसका खयाल रखिएगा.....

डैनी कुछ नहीं कहता, वह इधर उधर देखता है फिर हाथ जोड़ कर नमस्कार कर वहाँ से चल देता है l

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वीर - ठीक है युवराज जी... मुझे लगा... के हम एकदूसरे के सहारा हैं... क्यूंकि यह रस्मों रिवाजों के ढोंग ढोते ढोते... हम अकेले हो गए हैं... आप फिर भी... बाहर जाते हैं... किसीसे बात भी करते हैं.... पर हमारा क्या... हम किस से बात करें... ठीक है... हम बाहर जा रहे हैं... (उठ कर जाने लगता है)
विक्रम - रुकिए... राजकुमार..जी.... रुकिए... प्लीज...
वीर - (रुक जाता है, और वहीँ बैठ जाता है) अब दिल में जो भी है... उगल दीजिए... देखिएगा... आपको अच्छा भी लगेगा... और हल्का भी लगेगा....
विक्रम - कल के प्रोग्राम के लिए.... हमारे लिए... गेस्ट लिस्ट में... तीन खास लोग शामिल होने चाहिए थे... पर कल वह लोग... नहीं आ पा रहे हैं....
वीर - हम्म... पहले कौन हैं....
विक्रम - हमारे राजा साहब... हमे जिनके नाम का डंका बजाने का... जिम्मा दिया गया है....
वीर - और वह... क्यूँ नहीं आ रहे हैं....
विक्रम - मुख्य मंत्री जी ने... वाइब्रेंट ओड़िशा के लिए... इंवेस्टर्स को रिझाने अपने साथ डेलिगेशन ले कर जा रहे हैं.... उसके लिए कुछ खास लोगों को चुना है... उन लोगों में... हमारे राजा साहब भी हैं...
वीर - अच्छा... हम्म.... प्रोग्राम... पोस्टपॉन कर दें तो...
विक्रम - नहीं.. नहीं.. हो सकता है... हमने जोर शोर से... एडवर्टाइजिंग किया है... नाक का सवाल है...
वीर - और दुसरा...
विक्रम - दुसरा मतलब...
वीर - वही आपके गेस्ट लिस्ट वाले...
विक्रम - अरे हाँ... उसका नाम.. यश वर्धन चेट्टी है.... पहली बार किसी से हाथ मिलाकर... दोस्ती की है... पर वह भी मुख्यमंत्री के.... डेलिगेशन में जा रहा है...
वीर - क्यूँ... वह कोई... पोलिटिकल लीडर है क्या...
विक्रम - नहीं... वह एक.. इंडस्ट्रियलिस्ट है...
वीर - ह्म्म्म्म... और तीसरी शायद.. भाभी....
विक्रम - वह भी नहीं आ पा रही है.... क्या... क.. क... कौन... क्या पुछा तुमने....
वीर - (शरारत भरा हँसी हँसते हुए) भाभी क्यूँ नहीं आ रही हैं....

विक्रम वहाँ से उठ कर जाने लगता है l वीर भी उसके साथ उठ कर उसके सामने खड़ा हो जाता है l विक्रम फिर वापस आ कर चेयर पर बैठ जाता है l

वीर - आप बताना नहीं चाहते.... तो बात अलग है... पर अगर आप मुझे कुछ कहेंगे... तो मेरे खुराफाती दिमाग में से... कुछ आईडीया निकलेगा.... वह आपके काम आ सके...
विक्रम - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...
वीर - मत भूलिए... भाभी जी का नंबर... आपको मैंने दी है....

विक्रम अपना चेहरा घुमा लेता है l वीर उसके चेहरे पर आए भाव पढ़ लेता है l

वीर - ऑए.. होए... आपके गाल... टमाटर के जैसे... लाल हो गए हैं...

विक्रम - (अपनी मुस्कराहट को जबरदस्ती छुपाने की कोशिश करते हुए) चलिए राजकुमार जी.... आज आपको लॉन्ग ड्राइव के लिए... लिए चलते हैं....

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लंच के समय का हुटर बजता है l सारे कैदी अपना काम छोड़ कर डायनिंग हॉल के तरफ बढ़ जाते हैं l विश्व भी अपना काम छोड़ कर हाथ मुहँ धो कर डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व हॉल में पहुंच कर थाली हाथ में लिए लाइन में खड़ा हो जाता है l विश्व को देख कर कुछ कैदी कानाफूसी करने लगते हैं l विश्व उनकी बातों को सुनता है पर ध्यान नहीं देता l अपना खाना ले कर हमेशा की तरह कोने के टेबल पर जा कर बैठ जाता है l

डैनी - क्या बात है... हीरो... क्या हाल है....
विश्व - (डैनी को देख कर मुस्कराने करने की कोशिश करते हुए) अच्छा हूँ...
डैनी - देखा... इंसान की इज़्ज़त कैसे गिर जाता है...
विश्व - मैं समझा नहीं... इज़्ज़त... किसकी...
डैनी - जब तु.... जैल में आया था... तब तु... तास की गड्डी में एक्स्ट्रा पत्ता था... फिर खेल में नहला पर दहला बना... पर अब... तु... उसी खेल में... एक्स्ट्रा बन गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुने जब रंगा का... पिछवाड़े में चीरा लगाया... तो तेरा इज़्ज़त होने लगा था... अब चार चिरकुट तेरे चेहरे का... भूगोल क्या बदला... यही लोग... तेरे इतिहास का बंटा धार हो गया.... अब सब... तेरे नाम पर जोक मारने लगे हैं...
विश्व - (इस बार भी चुप रहता है)
डैनी - (विश्व को गौर से देखता है) विश्व... (विश्व डैनी को देखता है) तुझे कैसे मालुम हुआ... उनका टार्गेट मैं था... तुझे तेलगु भाषा समझ में आता है क्या....
विश्व - जी... समझ सकता हूँ.... पर बोल नहीं सकता....
डैनी - ह्म्म्म्म... ठीक है... मैंने तुझे.... पहले ही बता दिया था... यहाँ... कोई... किसीके फटे में... टांग नहीं अड़ाता... इतना ज्ञान देने के बावजूद तु... उनके और मेरे बीच में आया... अब देख आखिर... उसके लिए... उन लोगों ने... तुझसे पेनल्टी वसूला....
विश्व - ह्म्म्म्म...
डैनी - तुझे... तेलुगु... समझ में.. कैसे आता है... तु.. तो.. राजगड़ से बाहर.. कभी गया ही नहीं होगा....
विश्व - वह... मेरे.... गुरु थे... मेरे प्राथमिक विद्यालय के... प्रधान आचार्य...उनसे और उनके पोते से... उनसे थोड़ा थोड़ा.. सीखा था...
डैनी - स्कुल के... प्रधान आचार्य... वह भी... तेलुगु...
विश्व - नहीं... वह थे तो.. ओडिया ही... पर वह पारलाखेमुंडी से थे... आंध्र ओड़िशा सीमांत क्षेत्र से... इसलिए उन्हें... तेलुगु.. बहुत अच्छी तरह से आता था....
डैनी - ह्म्म्म्म... तुने.. जानने की... कोशिश.. नहीं की... के वह.. लोग मुझे क्यूँ मारना... चाहते थे....
विश्व - वे लोग इस बारे में... ज्यादा बात नहीं की... बस आपको मार देने की ही बात कर रहे थे.... इसलिए मैंने आकर आपको आगाह भी किया.... पर जब देखा कि... वह आपको बैरक तीन के... गार्डन में अकेला देख कर... आपके ओर बढ़ रहे हैं.... मैं तब... सिक्युरिटी रूम में... साफ सफाई कर रहा था... आप को उनके चपेट में आने से बचाने के लिए... मैंने लंच का हुटर बजा दी.... ताकि आप अलर्ट हो जाएं और सारे कैदी... काम छोड़ कर उधर से गुजरे...
डैनी - मुझे बचाने के चक्कर में... तेरी सुताई कर दी... उन्होंने.... क्यूँ....
विश्व - कोई बात नहीं... आप तो बच गए ना...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब वक्त आ गया है... तुझे... मेरे बारे में.. जानने का... मेरे इतिहास और वर्तमान के बारे में.... पर उससे पहले... तुझे कुछ दिखाना है.... एक काम कर.... मुझसे आज शाम... बैरक पांच के... गेम हॉल में... मिल...


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विक्रम अपनी कार को भगा रहा है l गाड़ी में बगल में वीर भी बैठा हुआ है l

वीर - आप हमे ले कहाँ जा रहे हैं... युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ.... डर लग रहा है.....
वीर - डर... जब तक युवराज हैं... राजकुमार का बाल भी कोई.... बांका नहीं कर सकता....
विक्रम - इतनी कन्फीडेंट...
वीर - अपने ऊपर नहीं.... आप पर... है... क्यूँ के.... हमारे लिए आप हैं... और आपके लिए... हम....

विक्रम ब्रेक लगाता है l गाड़ी रुक जाती है l वीर देखता है रास्ता खतम हो गया है आगे सिर्फ़ रेत ही रेत दिख रहा है और उसके आगे एक नदी की धार दिख रहा है l

वीर - यह आप हमे कहाँ ले कर आ गए हैं....
विक्रम - मुंडुली है... इस जगह का नाम...
वीर - मतलब आप पहले भी.... यहाँ आ चुके हैं...
विक्रम - जानते हैं.... यहाँ से... हम ने... आपकी भाभी से... पहली बार... फोन पर बात की थी....
वीर - अच्छा इस जगह पर... इतना महात्म्य है....
विक्रम - हाँ...
वीर - तो इसका मतलब... मैंने पहेली को सुलझा लिया था... पर यह क्या.... युवराज जी... आपने हमे इसका... पुरस्कार भी नहीं दिया....
विक्रम - कहिए... आपको क्या चाहिए...
वीर - वह.. हम बाद में... मांग लेंगे....पहले यह बताइए... इजहार किसने पहले की....आप या भाभी....
विक्रम - अरे कहाँ... अभी तक सिर्फ़ दोस्ती और.. चैटिंग तक.... ही हैं... अभी मुलाकात भी नहीं हुई है....
वीर - मतलब फोन नंबर तो पक्का है ना....
विक्रम - हाँ हाँ वही है... अपने तरीके से... कंफर्मेशन कर चुके हैं...
वीर - (विक्रम को देख कर) युवराज जी... आप कितने सिरीयस हैं....
विक्रम - सिरीयस मतलब..... हम उनसे शादी करना चाहते हैं.... पर आपने यह क्यूँ पुछा....
वीर - बतायेंगे... पहले यह बताएं... आपको पूरी दुनिया में... सिर्फ़ भाभी... ही अच्छी क्यूँ लगी....
विक्रम - पता नहीं... राजकुमार... पता नहीं... वह जब... हमारे आस पास होती हैं.... ऐसा लगता है... जैसे हम महक रहे हैं... आसमान में उड़ते एक आजाद परिंदे की तरह.... महसूस करते हैं... जब वह हमसे बात करते हैं.... वह चुलबुली हैं... जैसे बन में... उछलती कुदती हिरनी... और क्या कहूँ....
वीर - जानते हैं.... दो प्रेमी... एक दूसरे के... पूरक होते हैं... एक दूसरे में जो कमियां होती हैं.. वह एक दुसरे की खूबियों से पूरी करते हैं...

विक्रम, वीर को हैरानी भरी नजर से देखने लगता है l जैसे बातेँ वीर नहीं कोई और कर रहा है l

वीर - उनकी खूबियाँ... उनकी आज़ादी है.... और यही आपकी कमियाँ है... आप बंदिश में हैं...
विक्रम - राज कुमार.... आप कहना क्या चाहते हैं....
वीर - आप उन्हें... भूल जाएं.... राजा साहब जहां कहें... आप वहीँ.. विवाह कीजिए...
विक्रम - यह आप क्या कह रहे हैं.... राजकुमार...
वीर - क्यूंकि... आप अगर उनसे विवाह करेंगे... तो... (अपनी नजर नदी की ओर करते हुए) क्षेत्रपाल महल में... स्वर्गीय रानी माँ.... और छोटी रानी माँ... और अब भाभी....(विक्रम सुन हो जाता है) भाभी सहर की हैं... उनकी लाइफ स्टाइल... सहरी है... क्षेत्रपाल परिवार की घमंड को घूंघट बना कर... रह नहीं पाएंगी.... पर उससे भी पहले... क्या राजा साहब... इस विवाह के लिए.... सहमत होंगे...

वीर की बातेँ सुन कर विक्रम का चेहरा उतर जाता है l

वीर - युवराज जी... हमारा प्रॉब्लम यह है कि.... हम क्षेत्रपाल हैं.... आप अच्छी तरह से जानते हैं... रंग महल के बारे में... जानने के बाद... बड़ी रानी माँ ने क्या किया.... और छोटी रानी माँ... वह कैसी हैं... क्या आप कभी भी... भाभी जी को... रंग महल के बारे में... बता पाओगे...

विक्रम चुप रहता है और वह भी रेत की पठार और नदी के धार को देखता रहता है l


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विश्व अपना काम निपटा कर गेम हॉल में पहुंचता है l वहाँ एक कोने में डैनी बैठ कर अकेला कैरम खेल रहा है l विश्व को देखते ही,

डैनी - आजा ... विश्व आ... कैरम खेलना जानता है....
विश्व - नहीं...
डैनी - ऑए... क्या कह रहा है.... कोई यकीन नहीं करेगा... के तुझे कैरम खेलना नहीं आता...
विश्व - सच कह रहा हूँ... मैं सच में कैरम खेलना नहीं जानता...
डैनी - (विश्व की ओर देखते हुए) कभी गांव में... बैठ कर क्या खेलते थे...
विश्व - बाघ बकरी... कबड्डी.... लुका छुपी... वगैरह...
डैनी - आ बैठ... चल मैं तुझे... कैरम... सिखाता हूँ...

विश्व बैठ जाता है l डैनी कैरम के बारे में बताने लगता है l रानी, स्ट्राइकर, काली गोटियाँ सफ़ेद गोटियाँ, सब समझाने के बाद l डैनी गोटियाँ बोर्ड पर सजा देता है और विश्व को स्ट्राइकर देता है l

डैनी - ले... पहला स्ट्राइक तु कर...

विश्व पहला शॉट मारता है l गोटियाँ बिखर जाती हैं l डैनी स्ट्राइकर ले कर शॉट खेलता है l तीन काली गोटियाँ खानों में गिर जाते हैं l

विश्व - वाव... आप को... इस खेल में... महारत हासिल है...
डैनी - (अपना स्ट्राइक लेते हुए) अब तुमको भी महारत बनना है...(अब कोई गोटी नहीं गिरती)
विश्व - ठीक है... हम बाद में खेलेंगे... आपने बताया कि... मुझे आपका इतिहास जानने का टाइम आ गया....
डैनी - हाँ पर उससे पहले... तेरे को... कुछ दिखाना है....
विश्व - क्या....देखना है...
डैनी - अब पहले यह बता.... वह चार मुझे क्यूँ मारना चाहते हैं...
विश्व - (अपना सर हिलाते हुए) नहीं जानता...
डैनी - जानता है... वह अब भी... इसी जैल में हैं... और मुझे मारने की ताक में हैं...
विश्व - क्या... मैंने... इस बारे में... सुपरिटेंडेंट साहब को... बताया था...
डैनी - हाँ तुने बताया था... इसलिए... सुपरिटेंडेंट साहब ने... उन्हें... दो नंबर बैरक में बंद कर रखा है....
विश्व - यह तो... उन्होंने अच्छा किया...
डैनी - पर उन चारों ने एक संत्री को पैसे खिलाए हैं... कुछ समय के लिए... उनको मेरे पास आने देने के लिए...
विश्व - (चौंक कर) क्या... आ.. आपको... कैसे मालुम हुआ...
डैनी - मैं यहाँ हूँ... मतलब हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ हूँ... कब कहाँ क्या हो रहा है... मुझे खबर मिल जाती है...
विश्व - तो फ़िर... इन चारों की खबर आपको कैसे... नहीं लगी....
डैनी - क्यूँकी... मुझे अंदाजा नहीं था... के.. मेरे दुश्मन... आंध्र प्रदेश से... मेरे लिए कातिल ला सकते हैं... यहाँ पर जो भी नया कैदी आता है... मैं उसकी खोज ख़बर ले लेता हूँ... इनके विषय में... मात खा गया... पर अब ग़लती... सुधारना है... इसलिए... मैं उन चारों का... यहाँ पर इंतज़ार कर रहा हूँ....
विश्व - क्या... (अपने जगह से ऐसे उठ खड़ा होता है, जैसे बिजली का झटका लगा हो) वह लोग यहाँ पर आयेंगे... और आप उनका इंतजार कर रहे हैं...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब.. उन्होंने... जैल के एक स्टाफ को... पैसा खिलाया की.... मेरी खबर उन तक पहुंचाए.... और उनके लिए एक मौका बनाए.... मैंने अपने तरीके से... जैल के उस स्टाफ के पास.... मेरे यहाँ होने की खबर पहुंचा दिया है.... अब कुछ ही देर में... वह लोग यहाँ पर.... आ जाएंगे...

विश्व का सर चकराने लगता है l वह हैरान और परेशान हो कर डैनी को देख रहा है l पर डैनी बेफिक्र हो कर अपना शॉट खेल रहा है l रानी के गिरते ही

डैनी - जाओ... (हाथ से इशारा करते हुए) वहाँ पर छुप जाओ... उन लोगों के आने का वक्त हो गया है.....
विश्व - न ना.. नहीं... मैं आपको ऐसे... छोड़ कर नहीं जा सकता....
डैनी - श् श् श् श्... विश्व... मैंने कहा था.... आज तेरे को कुछ दिखाना है... इसलिए जा.... वहाँ से छिप कर देख यहाँ.... क्या होता है...
विश्व - अगर ऐसी बात है... तो मैं छुप नहीं सकता.... आने दीजिए... आप तक... पहुंचने से पहले... उन लोगों को... मुझसे गुज़रना होगा....

डैनी खड़ा हो जाता है और विश्व के कलर पकड़ कर उसे खड़ा कर देता है l

डैनी - सुन... मैं जो कहता हूँ... वह चुप चाप कर.... मैंने कहा है ना... तुझे कुछ दिखाऊंगा... तो पहले देख... फिर मेरे फटे में घुसने की सोचना... (विश्व को छोड़ देता है)

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विक्रम के मोबाइल पर एक मैसेज आती है l अपना मोबाइल खोल कर मैसेज पढ़ता है l एक फीकी मुस्कान आकर चेहरे से ग़ायब हो जाती है l

विक्रम - (अपनी चुप्पी तोड़ कर) यह आपने ठीक नहीं किया... राजकुमार... यह आपने ठीक नहीं किया...

वीर कुछ नहीं कहता है l वह भी रेतीली पठारों के पर बहती नदी को देख रहा है l

विक्रम - हम.. भ्रम में... थे... भ्रम में ही रहने देते...
वीर - हम... भ्रम को जी रहे हैं.... युवराज जी... वास्तव उससे भी कडवा है.....
विक्रम - हम क्या करें.... अब... हम... उनके बिना... जी नहीं पाएंगे... राजकुमार.... आप ठीक कह रहे हैं..... वह चिड़िया की तरह चहकती हैं... क्षेत्रपाल महल एक पिंजरा है.... वह हिरनी की तरह... चंचल हैं... क्षेत्रपाल महल एक... एक चिड़िया घर है.... (वीर विक्रम कि ओर देखता है, विक्रम का चेहरा उतरा हुआ है और सर झुका हुआ है) आपने सही कहा.... हममे जो... कमियां हैं... खामियाँ है.... उनमें वह भरपूर है.... एक छोटे बच्चे की मासूमियत भरा हुआ है.... उनसे विवाह करना मतलब... उन पर ज़ुल्म करना.... यह आपने ठीक नहीं किया... राज कुमार... य़ह आपने ठीक नहीं किया...

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विश्व डैनी के बताए जगह पर छुपा हुआ है l वहाँ से छुप कर वह हॉल के अंदर देख रहा है l
चार तगड़े बंदे अंदर आते हैं उनको देख कर डैनी अपनी जगह से उठ कर डरने लगता है l डैनी को डरते देख वह चार लोग हँसने लगते हैं और चारों आपस में इशारा करते हुए डैनी पर झपटते हैं l
डैनी अपनी जगह से हट जाता है और तुरंत अपना पोजिशन बदल लेता है l बंदा एक ज्यूं ही मुड़ता है एक जोरदार घुंसा उसके नाक पर लगती है l वह चिल्ला के गिर जाता है l बाकी बंदे रुक जाते हैं l बंदा एक उठ खड़ा होता है, पर कुछ ही सेकंड खड़ा हो पाता है वह बंदा अपने नाक से बहते हुए खून को अपने हाथ से पोंछ कर देखते हुए फिर नीचे गिर जाता है l अब तीन बंदे आपस में इशारा करते हुए तीन दिशाओं से घेर लेते हैं l पर डैनी बंदा दो को अपना लात आगे से उठा कर मारता हुआ दिखा कर साइड पर बंदा तीन को किक मारता है l बंदा एक पीछे से पकडने के अपनी बांह बढ़ाता है तो उसकी कलाई को डैनी अपने बाएं हाथ से पकड़ लेता है और दाएं हाथ से उसके गर्दन को पकड़ दाएं कोहनी को बंदा एक के काख में फंसा कर उठा कर कैरम के बोर्ड पर फेंक देता है l फिर एक स्पिन किक घुमा कर बंदा दो के चेहरे पर मारता है l वह भी अपने साथियों के तरह नीचे गिर जाता है l
चारों बंदे गिर चुके हैं और कराह रहे हैं l सब धीरे धीरे उठते हैं फ़िर से डैनी के तरफ बढ़ते हैं l पर डैनी की फुर्ती के आगे वह चार टिक नहीं पाते कुछ ही सेकेंड में चिल्लाते हुए गिर जाते हैं l डैनी विश्व को इशारे से बाहर निकलने को कहता है l
विश्व बाहर आकर उन्हें देखता है l और हैरानी से मुहँ फाड़े डैनी को देखता है l
डैनी - अब यह लोग हस्पताल जाएंगे... क्यूंकि इनकी ट्रीटमेंट यहाँ संभव नहीं है...
विश्व - क्यूँ....
डैनी - दो बंदों के हाथ.... कंधे के जोड़ से खिसक गए हैं.... और एक बंदे का घुटना अपनी जोड़ से खिसक गया है और लास्ट बंदे का कोहनी अपनी जोड़ से खिसक गया है....
Ab aayga visva ka naya roop
 

Kala Nag

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Ab aayga visva ka naya roop
जी बिलकुल
अब विश्व अपनी शख्सियत के बदलाव की ओर है
चूंकि विश्व सबसे टकराएगा बल, विद्या और बुद्धि से
 
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Kala Nag

Mr. X
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Dono hi updates shandar hain Bhai, flashback me story ka base pata chalta he, aise hi dheere dheere flashback dete rahe hain

Waiting for next update
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
विश्व में बदलाव हो रहा है
क्यूंकि ताकत और दिमाग दोनों लेकर उसे क्षेत्रपाल से टकराना है
 

Kala Nag

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Super update hai bhai
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
आपकी हौसला आफजाई के वजह से इतने दूर पहुंचे हैं
साथ बने रहें और जुड़े रहें
 
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