इस अपडेट का प्रमुख खुलासा ' रूप ' नंदिनी का कमलाकांत के साथ शादी करने की बात थी ।
कहते हैं गीदड़ की मौत जब आती है तो वह शहर की ओर भागता है ऐसा ही कुछ कमलाकांत उर्फ के के साहब के साथ भी हो रहा है । उनकी मौत उन्हे रूप के पास ले गई है ।
वैसे और भी खुलासे हुए हैं इस अपडेट मे जैसे डैनी का भैरव सिंह से दुश्मनी का कारण और नभ वाणी की खुबसूरत रिपोर्टर सुप्रिया की सतपती साहब के साथ चुपके चुपके आशनाई ।
लेकिन यह अपडेट पुरी तरह से भैरव सिंह के नाम ही रहा । ऐसा असंवेदनशील , क्रूर , व्यभिचारी , बेरहम और निर्दई इंसान भी हो सकता है यह कल्पना करना भी बहुत कठीन है । ना अपने एकलौते पुत्र से लगाव है इसे और न ही अपनी एकमात्र पुत्री की कोई फिक्र है और इस व्यक्ति ने अपनी ही पत्नी का कत्ल भी किया है यह भी किसी से छुपा हुआ नही है ।
इस किरदार को बहुत ही बेहतरीन तरीके से गढ़ा है आपने बुज्जी भाई ।
विश्वा को भैरव सिंह केस के मामले मे कुछ मिसिंग लग रहा था , एक ऐसा गवाह जो इस केस पर उसका पकड़ मजबूत कर दे ।
मुझे लगता है भैरव सिंह के खिलाफ सभी सगे संबंधियों का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे विक्रम , पिनाक साहब , शुभ्रा और रूप नंदिनी ।
इतने करीबी लोगों की गवाही अदालत झुठला नही सकती । और उस मिसिंग गवाह पर मगज तो अवश्य ही लगाना चाहिए ।
विश्वा और डैनी का कन्वर्सेशन , तापस साहब और प्रतिभा मैडम का कन्वर्सेशन , विश्वा का सतपती साहब और उनके टीम के साथ का गुप्त मिटिंग बहुत ही बेहतरीन था ।
पर जैसा मैने कहा यह अध्याय भैरव सिंह पर अधिक फोकस था तो इन साहब ने क्रमानुसार विश्वा , विक्रम - पिनाक , वैदेही और रूप के साथ जो मनोवैज्ञानिक खेल खेला वह वास्तव मे अद्भुत था ।
भैरव सिंह के इस क्रूर और निरंकुश स्वभाव पर हमारे ग्रेट कवि रामधारी सिंह ' दिनकर ' जी एक कविता पेश करता हूं --
सदियों की ठंडी - बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह , समय के रथ का घरघर - नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता ( विश्वा ) आती है ।
हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
सांसो के बल से ताज हवा मे उड़ता है
जनता की रोके राह , समय मे ताव कहां ?
वह जिधर चाहती , काल उधर ही मुड़ता है ।
शानदार अपडेट बुज्जी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।