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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
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बहेलिया ने जाल बिछाया...परिंदे आए...दाना चुगे... और फुर्र हो गए । भैरव सिंह और रूप नंदिनी की छठी गैंग की कहानी इस बहेलिए और परिन्दे की तरह ही थी ।
अपनी ताकत और बुद्धि पर हद से अधिक विश्वास करना कभी-कभार घातक सिद्ध हो जाता है । जिस छठी गैंग को भैरव सिंह एक रद्दी का टुकड़ा समझता था उसी छठी गैंग ने उसे दिन मे तारे दिखा दिए ।
वैसे यह सारी प्लानिंग विश्वा की ही थी पर इन छठी गैंग और इंस्पेक्टर दास के सपोर्ट के बिना वह इसे धरातल पर उतार नही सकता था ।
कमलाकांत इस पुरे प्रकरण के दौरान ताश का एक जोकर साबित हुआ । न खुदा मिला न विशाल-ए-सनम । मगरमच्छ का आहार उसके नसीब मे मिला ।

भैरव सिंह के दो रत्न - बेजुबान रत्न - अपने प्राकृतिक कारणो से और अपने सुरक्षित मांद मे रहने की वजह से रत्न बने हुए हैं । शायद इनका सामना हमे विश्वा के साथ होता हुआ देखने को मिले !

कोर्ट की कार्रवाई एक हफ्ते तक स्थगित कराना भैरव सिंह की मात मानी जायेगी । और यह मात की श्रृखंला नाॅन स्टाप जारी रहेगी । ले देकर वल्लभ प्रधान नाम का एक वकील बचा है जो उसे कानूनी कवच प्रदान कर रखा है ।

एक और खुबसूरत अपडेट बुज्जी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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तो मेरा शक़ कुछ हद तक सही था - रूप के मित्रों को एक तरह से collateral जैसा इस्तेमाल किया था भैरव ने।
लेकिन उनका अन्य इस्तेमाल भी था, जो इस अपडेट से स्पष्ट हो गया।

लेकिन भैरव सिंह की हालत उस कहावत जैसी हो गई - खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़े बारह आने!
सबसे मज़े की बात ये थी कि रूप के दोस्तों ने ही भैरव का बलात्कार कर दिया।

केके बिना वजह ही सस्ती मौत मारा गया।

फ़िलहाल तो विश्व का पलड़ा भारी प्रतीत होता है। भैरव के खेमे में धन, सिस्टम, पुराना डर और वल्लभ हैं, और उधर विश्व के खेमे में सेनानी बढ़ते जा रहे हैं।
लेकिन भैरव को न्यायिक प्रणाली से मात देने में वो अभी भी कोसों दूर है।

बहुत बढ़िया लिखा है भाई। ये कहानी, और Raj_sharma भाई की "वो सर्द रात" बहुत पसंद आ रही हैं मुझको!
मिलते हैं :)
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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तो मेरा शक़ कुछ हद तक सही था - रूप के मित्रों को एक तरह से collateral जैसा इस्तेमाल किया था भैरव ने।
लेकिन उनका अन्य इस्तेमाल भी था, जो इस अपडेट से स्पष्ट हो गया।

लेकिन भैरव सिंह की हालत उस कहावत जैसी हो गई - खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़े बारह आने!
सबसे मज़े की बात ये थी कि रूप के दोस्तों ने ही भैरव का बलात्कार कर दिया।

केके बिना वजह ही सस्ती मौत मारा गया।

फ़िलहाल तो विश्व का पलड़ा भारी प्रतीत होता है। भैरव के खेमे में धन, सिस्टम, पुराना डर और वल्लभ हैं, और उधर विश्व के खेमे में सेनानी बढ़ते जा रहे हैं।
लेकिन भैरव को न्यायिक प्रणाली से मात देने में वो अभी भी कोसों दूर है।

बहुत बढ़िया लिखा है भाई। ये कहानी, और Raj_sharma भाई की "वो सर्द रात" बहुत पसंद आ रही हैं मुझको!
मिलते हैं :)
Bohot bohot Aabhar Sir 🙏🏼 waise or bhi update Aa chike hai or aapki pratikha rahegi, waise maine pahle bhi kaha tha, mai koi writer nahi hu bas aap jaise lekhako se seekh raha hu kuch samajh me sayad aajaye likhna to☺️ kaala naag bhai acha likh rahe hai waise :applause: Fursat nikaal kar padhunga👍
 

Kala Nag

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बहेलिया ने जाल बिछाया...परिंदे आए...दाना चुगे... और फुर्र हो गए । भैरव सिंह और रूप नंदिनी की छठी गैंग की कहानी इस बहेलिए और परिन्दे की तरह ही थी ।
हा हा हा
बिल्कुल सही कहा आपने
पर सच यह भी है कि लगातार हार भैरव सिंह को हिंसक बनाता जाएगा
अपनी ताकत और बुद्धि पर हद से अधिक विश्वास करना कभी-कभार घातक सिद्ध हो जाता है । जिस छठी गैंग को भैरव सिंह एक रद्दी का टुकड़ा समझता था उसी छठी गैंग ने उसे दिन मे तारे दिखा दिए ।
गलत फ़हमी पाल बैठा था भैरव सिंह
अपनी रौब या अहंकार के चलते विश्व को हर ओर से घेरने की कोशिश की पर अनजाने में ही उसने छटी गैंग को मौका दे दिया रुप को मनाने उसके लिए कुछ करने l उन्होंने भी मौके को सही भुनाया l
वैसे यह सारी प्लानिंग विश्वा की ही थी पर इन छठी गैंग और इंस्पेक्टर दास के सपोर्ट के बिना वह इसे धरातल पर उतार नही सकता था ।
विश्वा की प्लानिंग सिर्फ केके को एक या दो प्रहर तक गायब करने की थी l बाकी जो भी हुआ है वह विक्रम और वैदेही की प्लानिंग थी
कमलाकांत इस पुरे प्रकरण के दौरान ताश का एक जोकर साबित हुआ । न खुदा मिला न विशाल-ए-सनम । मगरमच्छ का आहार उसके नसीब मे मिला ।
हाँ बेचारा निकला l एक ऐसा चरित्र जिसके लिए कोई सम्वेदना भी नहीं है
भैरव सिंह के दो रत्न - बेजुबान रत्न - अपने प्राकृतिक कारणो से और अपने सुरक्षित मांद मे रहने की वजह से रत्न बने हुए हैं । शायद इनका सामना हमे विश्वा के साथ होता हुआ देखने को मिले !
भैरव सिंह के रत्न बदलते रहते हैं पर यह दोनों कभी नहीं बदले
कोर्ट की कार्रवाई एक हफ्ते तक स्थगित कराना भैरव सिंह की मात मानी जायेगी । और यह मात की श्रृखंला नाॅन स्टाप जारी रहेगी । ले देकर वल्लभ प्रधान नाम का एक वकील बचा है जो उसे कानूनी कवच प्रदान कर रखा है ।
कभी कभी ताकतवर लोग अपनी रुतबे के तहत कोर्ट को प्रभावित करने लगते हैं l पर एक हद तक l क्यूँकी जन भावना और जन आक्रोश भी कभी कभी कोर्ट को प्रभावित करता है l
एक और खुबसूरत अपडेट बुज्जी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
शुक्रिया SANJU ( V. R. ) भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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तो मेरा शक़ कुछ हद तक सही था - रूप के मित्रों को एक तरह से collateral जैसा इस्तेमाल किया था भैरव ने।
लेकिन उनका अन्य इस्तेमाल भी था, जो इस अपडेट से स्पष्ट हो गया।
जी बिल्कुल कुछ कहानियों की अंजाम Predictable हो जाती हैं l बस उन कहानियों में अपना एक्जिक्युशन की छाप होनी चाहिए
लेकिन भैरव सिंह की हालत उस कहावत जैसी हो गई - खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़े बारह आने!
सबसे मज़े की बात ये थी कि रूप के दोस्तों ने ही भैरव का बलात्कार कर दिया।
रुप ने जब भुवनेश्वर छोड़ा था तब वह अपनी गैंग से नाराज थी l अब छटी गैंग को मौका मिला उसके लिए कुछ करने के लिए l सो उन्होंने अपना सहयोग पूरी तरह से दिया l
केके बिना वजह ही सस्ती मौत मारा गया।
हाँ पर वह ऐसा चरित्र तो था नहीं जिसके अंजाम पर कोई सम्वेदना प्रकट किया जाए l अति दुराशा किसी को भी यहाँ तक पहुँचा सकता है
फ़िलहाल तो विश्व का पलड़ा भारी प्रतीत होता है। भैरव के खेमे में धन, सिस्टम, पुराना डर और वल्लभ हैं, और उधर विश्व के खेमे में सेनानी बढ़ते जा रहे हैं।
लेकिन भैरव को न्यायिक प्रणाली से मात देने में वो अभी भी कोसों दूर है।
वैदेही ने उसे श्राप दिया था
भैरव सिंह अकेला हो गया है तो जाहिर है विश्वा का कुनवा बढ़ता जा रहा है l
हाँ अभी भी व्यवस्था में भैरव सिंह कुछ प्रभाव रखा हुआ है l
पर विश्व भैरव सिंह के बनाए हर तिलस्म को तोड़ेगा l जैसे ही भैरव सिंह को अपना प्रभाव कम होता दिखेगा l भैरव सिंह और भी आक्रामक और घातक हो जाएगा
बहुत बढ़िया लिखा है भाई। ये कहानी, और Raj_sharma भाई की "वो सर्द रात" बहुत पसंद आ रही हैं मुझको!
मिलते हैं :)
❤️शुक्रिया avsji भाई आपने कहा है तो निसंदेह कहानी पढ़ने और प्रशंसा के योग्य होगी l मेरी यह कहानी ज्यादा से ज्यादा चार या पाँच अपडेट का रह गया है l उसके खत्म होते ही मैं एक अज्ञात वास में रहना चाहूँगा l लेखन से एक विश्राम लेकर आपकी कहानी को पहले पढ़ूंगा फिर Raj_sharma जी की लिखी कहानी अवश्य पढ़ूंगा l
 

Kala Nag

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Bohot bohot Aabhar Sir 🙏🏼 waise or bhi update Aa chike hai or aapki pratikha rahegi, waise maine pahle bhi kaha tha, mai koi writer nahi hu bas aap jaise lekhako se seekh raha hu kuch samajh me sayad aajaye likhna to☺️ kaala naag bhai acha likh rahe hai waise :applause: Fursat nikaal kar padhunga👍
प्रिय Raj_sharma जी मैं कहानी लिख कर यहाँ तक पहुँच पाया हूँ कारण अच्छे पाठकों के कारण l चूँकि avsji भाई ने आपकी प्रशंसा की है तो निःसंदेह आपकी कहानी पढ़ने योग्य होगी l मेरी कहानी द्रुत समाप्ति की ओर अग्रसर है l जैसे ही समाप्त होगी मैं निरंतर आपकी कहानी पढ़ कर अपनी समीक्षा प्रदान करूँगा l
 

Raj_sharma

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जी बिल्कुल कुछ कहानियों की अंजाम Predictable हो जाती हैं l बस उन कहानियों में अपना एक्जिक्युशन की छाप होनी चाहिए

रुप ने जब भुवनेश्वर छोड़ा था तब वह अपनी गैंग से नाराज थी l अब छटी गैंग को मौका मिला उसके लिए कुछ करने के लिए l सो उन्होंने अपना सहयोग पूरी तरह से दिया l

हाँ पर वह ऐसा चरित्र तो था नहीं जिसके अंजाम पर कोई सम्वेदना प्रकट किया जाए l अति दुराशा किसी को भी यहाँ तक पहुँचा सकता है

वैदेही ने उसे श्राप दिया था
भैरव सिंह अकेला हो गया है तो जाहिर है विश्वा का कुनवा बढ़ता जा रहा है l
हाँ अभी भी व्यवस्था में भैरव सिंह कुछ प्रभाव रखा हुआ है l
पर विश्व भैरव सिंह के बनाए हर तिलस्म को तोड़ेगा l जैसे ही भैरव सिंह को अपना प्रभाव कम होता दिखेगा l भैरव सिंह और भी आक्रामक और घातक हो जाएगा

❤️शुक्रिया avsji भाई आपने कहा है तो निसंदेह कहानी पढ़ने और प्रशंसा के योग्य होगी l मेरी यह कहानी ज्यादा से ज्यादा चार या पाँच अपडेट का रह गया है l उसके खत्म होते ही मैं एक अज्ञात वास में रहना चाहूँगा l लेखन से एक विश्राम लेकर आपकी कहानी को पहले पढ़ूंगा फिर Raj_sharma जी की लिखी कहानी अवश्य पढ़ूंगा l
Sukriya bhai, Aapka badappan hai bhai, baki aapki kahanike aage mere wali ki kya bisaat, mai avasya intjaar karunga aapke sabdo ka bhai😊
 
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Raj_sharma

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प्रिय Raj_sharma जी मैं कहानी लिख कर यहाँ तक पहुँच पाया हूँ कारण अच्छे पाठकों के कारण l चूँकि avsji भाई ने आपकी प्रशंसा की है तो निःसंदेह आपकी कहानी पढ़ने योग्य होगी l मेरी कहानी द्रुत समाप्ति की ओर अग्रसर है l जैसे ही समाप्त होगी मैं निरंतर आपकी कहानी पढ़ कर अपनी समीक्षा प्रदान करूँगा l
Kala Nag bhai aapke pyar bhare sabdo ka intzaar rahega, waise aapka or mere koi mukabla nahi hai, ye to avsji bhai ka badappan hai jo unhone is layak samjha, waise meri kahani bhi samapti ki aur hi badh rahi hai, wo jyada badi nahi hai.🙏🏼
☺️
 
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Raj_sharma

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👉पहला अपडेट
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मित्रों चूंकि रवि वार को मैं बहुत व्यस्त रहने वाला हूँ इसलिए मैं आज ही पहला अपडेट प्रस्तुत कर रहा हूं l


सेंट्रल जेल भुवनेश्वर
आधी रात का समय है l बैरक नंबर 3 कोठरी नंबर 11 में फर्श पर पड़े बिस्तर पर एक कैदी छटपटा रहा है बदहवास सा हो रहा है जैसे कोई बुरा सपना देख रहा है....


सपने में......

एक नौजवान को दस हट्टे कट्टे पहलवान जैसे लोग एक महल के अंदर दबोच रखे हुए हैं
इतने में एक आदमी महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l शायद वह उस महल का मालिक है, जिसके पहनावे, चाल व चेहरे से कठोरता व रौब झलक रहा है l

वह आदमी उस नौजवान को देख कर कहता है
आदमी - तेरी इतनी खातिरदारी हुई फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई तेरी गर्मी भी नहीं उतरी l अबे हराम के जने पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं l तुने हिम्मत कैसे की इसे लांघ कर भीतर आने की l

वह नौजवान उन आदमियों के चंगुल से छूटने की फ़िर कोशिश करता है l इतने में एक आदमी जो शायद उन पहलवानों का लीडर था एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह नौजवान का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l

जिसे देखकर उस घर का मालिक के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर उस नौ जवान को कहता है - बहुत छटपटा रहा है मुझ तक पहुंचने के लिए l बे हरामी सुवर की औलाद तू मेरा क्या कर लेगा या कर पाएगा l

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और उन आदमियों से इशारे से उस नौजवान को छोड़ने के लिए कहता है l

वह नौजवान छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर उस घर के मालिक की तरफ देखता है l
जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत से कुर्सी पर बैठे आदमी पर छलांग लगा देता है l पर यह क्या उसका शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वह दस लोग फिरसे दबोच लिया है l वह नौजवान हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे आदमी तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर कुर्सी पर बैठा उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे वह नौजवान भड़क कर चिल्लाता है - भैरव सिंह......


भैरव सिंह उन पहलवानों के लीडर को पूछता है - भीमा,
भीमा-ज - जी मालिक l
भैरव सिंह - हम कौन हैं l


भीमा- मालिक, मालिक आप हमारे माईबाप हैं, अन्न दाता हैं हमारे, आप तो हमारे पालन हार हैं l

भैरव सिंह - देख हराम के जने देख यह है हमारी शख्सियत, हम पूरे यशपुर के भगवान हैं और हमारा नाम लेकर हमे सिर्फ वही बुला सकता है जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी l वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है l तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते, गंदी नाली के कीड़े l

वह नौजवान चिल्लाता है - आ - आ हा......... हा.. आ

भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है l जब चीटियों के पर निकल आने से उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए l
छिपकली अगर पानी में गिर जाए तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए ना कि मगरमच्छ को ललकारे l तेरी औकात क्या है बे....
ना हमसे दोस्ती की हैसियत है और ना ही दुश्मनी के लिए औकात है तेरी
तु किस बिनाह पर हम से दुश्मनी करने की सोच लिया l हाँ आज अगर हमे छू भी लेता तो हमारे बराबर हो जाता कम-से-कम दुश्मनी के लिए l

इतना कह कर भैरव सिंह खड़ा होता है और सीढियों के तरफ मुड़ कर जाने लगता है l सीढ़ियां चढ़ते हुए कहता है

भैरव सिंह - अब तू जिन के चंगुल में फंसा हुआ है वह हमारे पालतू हैं जो हमारी सुरक्षा के पहली पंक्ति हैं l हमारे वंश का वैभव, हमरे नाम का गौरव पूरे राज्य में हमे वह रौब वह रुतबा व सम्मान प्रदान करते हैं कि समूचा राज्य का शासन व प्रशासन का सम्पूर्ण तंत्र न केवल हमे राजा साहब कहता है बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं l तू जानता है हमारा वंश के परिचय ही हमे पूरे राज्य के समूचा तंत्र वह ऊचाई दे रखा है.....

इतना कह कर भैरव सिंह सीढ़ियों पर रुक जाता है और मुड़ कर फिर से नौजवान के तरफ देख कर बोलता है

भैरव सिंह - जिस ऊचाई में हमे तू तो क्या तेरे आने वाली सात पुश्तें भी मिलकर सर उठा कर देखने की कोशिश करेंगे तो तुम सब के रीढ़ की हड्डीयां टुट जाएंगी l
देख हम कहाँ खड़ा हैं देख, सर उठा कर देख सकता है तो देख l

नौजवान सर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l
वह नौजवान के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l


भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी यह दशा है l तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा l चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी मिलेगी l तुझे मालूम था तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है पर मालूम नहीं था कि वह हस्ती वह शख्सियत क्या है l आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा l तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा l

नहीं...


कह कर वह कैदी चिल्ला कर उठ जाता है l उसके उठते ही हाथ लग कर बिस्तर के पास कुछ किताबें छिटक कर दूर पड़ती है और इतने में एक संत्री भाग कर आता है और कोठरी के दरवाजे पर खड़े हो कर नौजवान से पूछता है - क्या हुआ विश्वा l

विश्वा उस संत्री को बदहवास हो कर देखता है फ़िर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ले कर कहता है - क.. कुछ नहीं काका एक डरावना सपना आया था इसलिए थोड़ा नर्वस फिल हुआ तो चिल्ला बैठा l

संत्री - हा हा हा, सपना देख कर डर गए l चलो कोई नहीं यह सुबह थोड़े ही है जो सच हो जाएगा l हा हा हा हा

विश्वा धीरे से बुदबुदाया - वह सच ही था काका जो सपने में आया था l एक नासूर सच l

संत्री - कुछ कहा तुमने

विश्वा - नहीं काका कुछ नहीं l

इतने में दरवाजे के पास पड़ी एक किताब को वह संत्री उठा लेता है और एक दो पन्ने पलटता है फिर कहता है

संत्री - वाह विश्वा यह चौपाया तुमने लिखा है l बहुत बढ़िया है..

काल के द्वार पर इतिहास खड़ा है
प्राण निरास जीवन कर रहा हाहाकार है
अंधकार चहुंओर घनघोर है
प्रातः की प्रतीक्षा है चंद घड़ी दूर भोर है

वाह क्या बात है बहुत अच्छे पर विश्वा यह कानून की किताब है इसे ऐसे तो ना फेंको l


विश्वा - सॉरी काका अगली बार ध्यान रखूँगा क्यूंकि वह सिर्फ कानून की किताब नहीं है मेरे लिए भगवत गीता है l

संत्री - अच्छा अच्छा अब सो जाओ l कल रात ड्यूटी पर भेंट होगी l शुभरात्रि l

विश्वा - शुभरात्रि

इतना कहकर विश्वा संत्री से किताब लेकर अपने बिस्तर पर आके लेट जाता है l

×××××××××××××××××××××
सुबह सुबह का समय एक सरकारी क्वार्टर में प्रातः काल का जगन्नाथ भजन बज रहा है l एक पचास वर्षीय व्यक्ति दीवार पर लगे एक नौजवान के तस्वीर के आगे खड़ा है l इतने में एक अड़तालीस वर्षीय औरत आरती की थाली लिए उस कमरे में प्रवेश करती है और उस आदमी को कहती है - लीजिए आरती ले लीजिए l

आदमी का ध्यान टूटता है और वह आरती ले लेता है l फ़िर वह औरत थाली लेकर भीतर चली जाती है l
वह आदमी जा कर सीधे डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद वह औरत भी आकर उसके पास बैठ जाती है और कहती है - क्या हुआ सुपरिटेंडेंट साब अभी से भूक लग गई क्या आपको l अभी तो हमे पूरी जाना है फ़िर जगन्नाथ दर्शन के बाद आपको खाना मिलेगा l
आदमी - जानता हूँ भाग्यवान तुम तो जनती हो l आज का दिन मुझे मेरे नाकामयाबी याद दिलाता रहता है l

औरत - देखिए वक्त ने हमसे एक बेटा छीना तो एक को बेटा बना कर लौटाया भी तो है l और आज का दिन हम कैसे भूल सकते हैं l उसीके याद में ही तो हम आज बच्चों के, बूढ़ों के आश्रम को जा रहे हैं l

आदमी - हाँ ठीक कह रहे हो भाग्यवान l अच्छा तुम तो तैयार लग रही हो l थोड़ा चाय बना दो मैं जा कर ढंग के कपड़े पहन कर आता हूँ l फिर पीकर निकालते हैं l

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से अपने कमरे को निकाल जाता है l
इतने में वह औरत उठ कर किचन की जा रही थी कि कॉलिंग बेल बजती है l तो अब वह औरत बाहर के दरवाजे के तरफ मुड़ जाती है l दरवाजा खोलती है तो कोई नहीं था नीचे देखा तो आज का न्यूज पेपर मिला उसे उठा कर मुड़ती है तो उसे दरवाजे के पास लगे लेटते बॉक्स पर कुछ दिखता है l वह लेटर बॉक्स खोलते ही उसे एक खाकी रंग की सरकारी लिफाफा मिलता है l जिस पर पता तापस सेनापति जेल सुपरिटेंडेंट लिखा था, और वह पत्र डायरेक्टर जनरल पुलिस के ऑफिस से आया था l

वह औरत चिट्ठी खोल कर देखती है l चिट्ठी को देखते ही उसकी आँखे आश्चर्य से बड़ी हो जाती है l वह गुस्से से घर में घुसती है और अपने पति चिठ्ठी दिखा कर पूछती है यह क्या है...?
Kala naag bhai, pehle update ko padh kar hi lag raha hai ki ye kahani kaisi hogi👌🏻👌🏻👌🏻 wo aadmi kon tha jo viswaroop dikha raha tha? Aur wo nojwan kon tha jo use marna chahta tha? In sabka jabaab janne ke liye to aage padhna padega, per aapka lekhan badhiya laga mujhe 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

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शुक्रिया Raj_sharma मित्र
मेरी कहानी में बस चार या पाँच अपडेट ही शेष हैं
और मैं कोई लेखक भी नहीं हूँ और सच कहूँ तो इस फोरम के योग्य भी नहीं हूँ
कहानी को खत्म कर एक लंबी विश्राम लेना चाहता हूँ l इस बीच कुछ कहानियाँ पढ़ना चाहता हूँ उनमें आपकी भी कहानी होगी
 
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