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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Mind blowing update bhai
बहुत बहुत धन्यबाद मित्र
आपकी भी रचनाएं अद्भुत हैं
पर रंग तेरे इश्क़ की बात ही कुछ और है
 
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Kala Nag

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मित्रों आप सबका पेज पर आना व पढ़ कर विश्लेषण के साथ कॉमेंट करना मेरे उत्साह को दुगना कर देता है
धन्यबाद
 
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Kala Nag

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Sauravb

Victory 💯
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मित्रों अगले अपडेट पूर्व आपकी कमेंट्स की प्रतीक्षा है
Bhai abhi thoda busy hnu kal starting se padhunga review ka😍😍
 
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Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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👉तीसरा अपडेट
------------------------

रूप के कमरे में एक नौकरानी के साथ शुभ्रा प्रवेश करती है l एक छोटे से रोलिंग टेबल पर खाना लेकर आती है
नौकरानी खाना दे कर चली जाती है l
शुभ्रा - रूप चलो खाना खाते हैं l
रूप - चाची माँ को आने दो ना l कल से आपके साथ ही तो खाना व रहना है l
शुभ्रा - चाची माँ बड़े राजा जी को खिलाने गए हैं l और उन्हें आते आते देर हो जाएगी....
रूप - ह्म्म्म्म चलिए फिर खाना शुरू करते हैं....
दोनों ने खाना खतम किया तो रूप ने सेबती को प्लेट ले जाने को बोला l
सेबती के जाने के बाद रूप ने दरवाजा अंदर से लॉक किया और पूछा - हाँ तो भाभी कहिए आप मुझसे क्या कहाना चाहती हैं l
शुभ्रा - म... मैं मैं क्या कहना चाहती हूं... क क कुछ नहीं....
रूप - भाभी छोटी हूँ पर बच्ची नहीं हूँ.... खाना खाते वक़्त मैंने महसूस किया है कि आप मुझसे कुछ कहना चाह रही हैं l
शुभ्रा चुप रहती है और अपना सर झुका देती है...
रूप - भाभी आज आपने वादा किया था कि आप मेरे साथ डट कर खड़ी रहेंगी l अब ऐसे ही साथ छोड़ देंगी क्या....?
शुभ्रा - नहीं रूप नहीं मैंने तुमसे जो वादा किया है उसे जान दे कर भी निभाउंगी l पर इससे पहले कल कोई बात तुम्हारे सामने आए मैं आज तुम्हारे पास कुछ कंफैस करना चाहती हूँ l बस वादा करो के यह बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहेगी l
रूप उसे गौर से देख रही है.....
शुभ्रा - देखो मेरे कह लेने के बाद तुम मेरे वारे में कुछ भी सोच सकती हो पर मुझे लगता है कि तुमसे वह बात शेयर करूँ जो शायद मुझे तुम्हारी नजरों में गिरा दे...
रूप - भाभी मैंने आपको भाभी कहा है और भाभी हमेशा माँ की जगह होती है...
अगर आपको लगता है कि मुझे बुरा लगेगा आपको मेरी नजर से गिरा देगा तो मत कहिए l मैं कभी भी आपसे नहीं पूछूँगी.... आप पर मुझे इतना भरोसा है कि आप अगर जहर को जहर कहकर देंगी तो भी आपकी कसम मैं खा लुंगी....
शुभ्रा-(रूप के मुहँ पर हाथ रखकर चुप कराते) नहीं रूप नहीं तुम्हें मेरी उमर लग जाए... भगवान तुम्हें हर बुरी नजर से बचाए रखे.. मुझे इतनी इज़्ज़त देने के लिए शुक्रिया...
एक लंबी सांस छोड़ते हुए शुभ्रा उठती है और खिड़की के पास रुकती है, फिर पीछे मुड़ कर रूप से पूछती है - रूप देखो बुरा मत मानना... तुम्हें कभी दुःख नहीं होता के तुम अपनों को उनके रिश्तों से नहीं बुला पा रही हो....
रूप - सच पूछो तो नहीं.... बिल्कुल नहीं l जब छोटी थी तब दुख हुआ करता था पर जैसे जैसे बड़ी होती गई मुझे एहसास हुआ कि बचपन से मुझे सही कहा गया था.... वह मेरा बाप नहीं राजा साहब है, वह दादा नहीं बड़े राजा है, वह चाचा नहीं छोटे राजा है और भाई नहीं युवराज व राजकुमार हैं....
शुभ्रा - तुम और चाची माँ इस परिवार से जुड़े हुए हो पर मैं तो डेढ़ सालों से आई हूँ l और मैं किसी रजवाड़े से नहीं
रूप - हाँ तो...
शुभ्रा - रूप क्या तुम जानती हो किन हालातों में मेरी शादी हुई थी....
रूप - ओह तो यह बात है.... भाभी मैं जानती हूँ... हाँ भाभी जानती हूँ..
शुभ्रा - इसलिए मैं शायद वफादार नहीं हो सकती...
रूप - भाभी मैंने आपको माँ का दर्जा दिया है.. आप तो बाहर से हैं पर हम तो इस घर के हैं...
बेशक आपके जैसी हालात नहीं है मगर हम इस घर के मर्दों के लिए कुछ मायने रखते नहीं है...भाभी सारी बातें छोड़ो मुझे जरा भी गिला नहीं है आप मेरे बारे में या इस घर के मर्दों के बारे में क्या राय रखते हैं... आप मेरे लिए भाभी हैं और मेरी सबसे प्यारी सहेली भी रहेंगी...
शुभ्रा-थैंक्स रूप आज मुझे बहुत हल्का लग रहा है... फिर भी एक टीस चुभ रही है दिल में..
रूप - भाभी अगर मुझ पर विश्वास
है तो बेझिझक कह दीजिए...
शुभ्रा - जानती हो रूप आज सुबह से मुझे रोना आ रहा है...
रूप - किस बात के लिए भाभी...
शुभ्रा- नभ वाणी न्यूज चैनल के बारे क्या तुमने सुना है...
रूप - हाँ सुना है..
शुभ्रा - मैंने इस परिवार से बदला लेने के लिए किसी के जरिए उस चैनल के एक रिपोर्टर से राजगड़ रिपोर्ट बनाने के लिए उकसाया था....
मुझे कुछ दिनों पहले मालूम हुआ कि वह रिपोर्टर अपने परिवार सहित लापता है...
रूप - आप धीरज रखें भाभी भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - मेरे मन को पाप छू रहा है... अगर उनके परिवार को कुछ हुआ तो मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाऊँगी

रूप- भाभी अगर आपकी आशंका सही निकली तो समझ लो उनकी पाप का घड़ा भर चुका है सिर्फ़ फुटना बाकी रह गया है...
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तभी पुरी रास्ते पर एक कार भुवनेश्वर की और दौड़ रही थी l कार के भीतर तापस व प्रतिभा बैठे हुए थे l
दोनों एक दूसरे से मज़ाक करते हुए लौट रहे थे l तभी प्रतिभा को रास्ते में एक राखी की दुकान दिखती है तो वह अचानक से बोलने लगती है- ओह माय गॉड... (कार के डैश बोर्ड पर हाथ पटकते हुए कहा) ओह शीट शीट शीट...
तापस- क्या हुआ टेंपल सिटी के साइट पर होंडा सिटी के सीट पर तुम सीट हुए हो फ़िर भी शीट शीट शीट चिल्ला रहे हो....
प्रतिभा - हो गया आपका...
तापस - हाँ हो गया...
प्रतिभा - अरे आज वैदेही भुवनेश्वर आई होगी... छी... मुझे याद भी नहीं रहा कल रक्षा बंधन है और वह अपने भाई के लिए रखी लाई होगी...
तापस-अरे हाँ इस साल रक्षा बंधन थोड़ी जल्दी आ गया नहीं...
प्रतिभा - अच्छा एक काम करना प्लीज.... वैदेही जरूर राम मंदिर में मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी l चलिए ना उसे मिल लेते हैं...
तापस - देखिए वकील साहिबा आज मैंने आधी दिन की छुट्टी ली थी जिसकी टाइम खतम हो गया है इसलिए मुझे ड्यूटी जॉइन करनी है और वैसे भी जब से आपकी उससे बनने लगी है वह सिर्फ़ आपसे मिलने ही आती है, वैसे भी मैंने आज आधी दिन की छुट्टी ली थी इसलिए उससे आप मिल लीजिए मैं कार और आपको छोड़ कर ड्यूटी जा रहा हूं l
प्रतिभा - क्यूँ ऐसा क्यूँ.. अब आपको ड्यूटी बजाने की क्यूँ पड़ी है जब VRS क्लीयरेंस मिल चुकी है....
तापस - अरे समझा करो VRS क्लीयरेंस हुआ है अभी रिटायर्मेंट को टाइम है...और जब तक ड्यूटी पर हुँ l ड्यूटी के लिए तन मन से समर्पित हूँ....
प्रतिभा - ठीक है...
तापस गाड़ी को राम मंदिर के बाहर पार्किंग में लगा देता है, फिर उतर कर चाबी प्रतिभा को देता है और ऑटो कर जैल को निकाल जाता है l
आँखों से ऑटो ओझल होते ही प्रतिभा मंदिर के अंदर जाती है l मुख्य द्वार पार करते ही वह देखती है कुछ लोग पुजारी को हड़का रहे हैं l प्रतिभा सीधे जा कर उनके पास पहुंचती है और उन लोगों को गौर से देखती है वे सारे लोग किसी प्राइवेट सिक्युरिटी गार्डस लग रहे थे l उनके बाज़ुओं में ESS लिखा था मतलब सब एक्जीक्यूटिव सिक्युरिटी सर्विस से थे l
प्रतिभा - रुको तुम सब
(सब चुप हो गए) तुम लोग पुजारी जी को क्यूँ परेशान कर रहे हो l
उन गार्ड्स में से एक बोला - तु कौन होती है बुढ़िया हमसे सवाल करने की....
पुजारी - देखिए वकील जी यह लोग कैसे गुंडागर्दी दिखा रहे हैं l अभी भगवान के विश्राम का समय है पर यह लोग जबरदस्ती द्वार खुलवाना चाहते हैं.......
एक गार्ड - तु चुप कर बे बुड्ढे I और सुन बुढ़िया यहां तेरी पंचायत नहीं चलेगी निकल यहाँ से l
प्रतिभा - ह्म्म्म्म तुम लोगों की बातों से तो तमीज झलक रही है...
वैसे मेरे बारे में बता दूँ मेरा नाम प्रतिभा सेनापति है, हाई कोर्ट बार काउंसिल में असिस्टैंट सेक्रेटरी हूँ और वुमन लयर एसोसिएशन की प्रेसिडेंट हूँ l अब आगे तुम लोग क्या करोगे या कहोगे थोड़ी तमीज रख कर करना l मत भूलो यह पब्लिक प्लेस है....
गार्ड्स प्रतिभा के बारे में जानने के बाद सभी एक दूसरे को देख कर चुप चाप चले जाते हैं l उनके जाने के बाद प्रतिभा - किस बात के लिए पुजारी जी यह लोग इतने जिद पर अड़े थे l
पुजारी - क्या बताऊँ वकील साहेब मंदिर में दोपहर की सारी रस्में खतम होने के बाद मंदिर का गर्भ गृह द्वार बंद कर रहा था कि वैदेही भागते हुए आई और मुझे छुपा देने के लिए अनुरोध कर रही थी l मैंने देखा वह हाँफ रही थी और बदहवास लग रही थी इसलिए मैंने उसे अंदर छुपा कर मुख्य द्वार बंद कर ही रहा था कि वह गार्ड्स ना जाने कहाँ से आकर झगड़ा करने लगे और मंदिर का द्वार खोलने के लिए दबाव देने लगे थे के ऐन मौके पर आप आ गईं l
प्रतिभा-क्या वैदेही के पीछा करते हुए वह गार्ड्स आए थे....
पुजारी - जी...
प्रतिभा - ठीक है पुजारी जी पर अब हम मुख्य द्वार से नहीं पीछे की द्वार से जाएंगे...
हो सकता है कि हम पर नजर रखी जा रही हो...
पुजारी - जी वकील जी जैसा आपको ठीक लगे...
प्रतिभा - पुजारी जी आपका धन्यबाद करना तो भूल ही गई जो आपने वैदेही के लिए किया... (हाथ जोड़ते हुए) धन्यबाद...
पुजारी - यह क्या कर रही हैं वकील जी वैदेही को मैं सात वर्षों से जानता हूँ l वह हर दस या पंद्रह दिन में आती रहती है l और भगवान के घर में भक्तों के साथ कुछ बुरा नहीं होनी चाहिए, इसलिए मैंने बस इतना ही किया l
प्रतिभा - फिर भी आपका धन्यबाद...
दोनों मंदिर के पीछे पहुंचते हैं और पुजारी मंदिर की रसोई के अंदर ले जाता है l उस रसोई से एक भूतल रास्ता मंदिर के गर्भ गृह तक जाता है l उसी रास्ते से प्रतिभा को लेकर मंदिर के भीतर जाता है l दोनों देखते हैं कि बड़ी फैन के नीचे दीवार के सहारे बैठी हुई थी वैदेही (एक बहुत ही सुंदर पर अड़तीस वर्षीय औरत)
प्रतिभा - वैदेही.....
वैदेही - (खुश होते हुए) अरे मासी आप कब आईं...
प्रतिभा - मेरी छोड़ यह बता आज क्या कर आई के तेरे पीछे कुछ फैनस हाथ धोखे पूछे पड़ गए थे ह्म्म्म्म..
वैदेही - (मुस्कराकर) क्या मासी आप भी न...यह लीजिये (एक राखी को बढ़ाती है) मेरे भाई तक पहुंचा दीजिए...
प्रतिभा - (राखी को लेते हुए) पहले यह बता क्या बखेड़ा कर आई है...
वैदेही पुजारी को देखती है तो पुजारी उनसे इजाजत ले कर बाहर चला जाता है l
पुजारी के जाते ही वैदेही - मासी वह मैं किसी का पता लगा रही थी तो यह सब हो गया l
प्रतिभा - चल अब दोनों बैठ जाते हैं और तू मुझे इत्मीनान से सारी बातें बता l
वैदेही - मासी आज से ढाई महीने पहले मैं जब यश पुर ट्रेन से जा रही थी तब एक आदमी मेरे ही बर्थ के पास आ कर बैठा l मुझसे पूछने लगा कि मैं कहाँ जा रही हूँ तो मैंने उसे राजगड़ बताया तो वह मुझसे क्षेत्रपाल के परिवार से लेकर कारोबार तक बहुत से सवाल किया था l मैंने उसे झिड़क दिआ था l बीच सफर में वह टॉयलेट गया तब उसके सीट पर मुझे उसका ID कार्ड मिला जिससे मुझे मालूम हुआ कि वह एक रिपोर्टर था l उसके आने के बाद मैंने उसे उसका कार्ड थमाते हुए पूछा था कि वह क्यूँ राजगड़ जा रहा है और क्षेत्रपाल के बारे में क्या रिपोर्टिंग करने वाला है l तो उसने मुझे बताया था कि वह क्षेत्रपाल जो ओड़िशा में किंग मेकर बना हुआ है उसकी पोल पट्टी खोल कर दुनिया के सामने क्षेत्रपाल की असलीयत लाएगा l
मैं यह सुन कर उसे समझाया था कि वह इन सब से दूर रहे और अपनी जान व परिवार की फिक्र करे l
पर वह नहीं सुना था, वह राजगड़ गया था वहाँ दो तीन दिन रुका फिर वापस भुवनेश्वर आ गया था l पर उसके बाद उसका या उसके परिवार का पता नहीं चल रहा है l मैं उसके ऑफिस में पिछले डेढ़ महीने से खबर लेने की कोशिश कर रही थी तो आज यह लोग मेरे ऊपर हमला कर पकड़ने की कोशिश किए तो वहाँ से भाग निकली l
प्रतिभा - तू क्यूँ हर मामले में अपनी मुंडी घुषेड़ती रहती है...
वैदेही - उसे देखा तो भाई की याद आ गई इसलिए उसकी खैरियत जानना चाहा l
प्रतिभा - देख हो सकता है कि वह डर के मारे कहीं बाहर चला गया हो..
अछा चल शाम होने को है थोड़ा नाश्ता वगैरह करते हैं और तुझे स्टेशन पर छोड़ दूंगी...
वैदेही - ह्म्म्म्म ठीक है
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इधर राजगड़ में रंग महल में खाने पीने की महफ़िल अभी भी रंग में है l क्षेत्रपाल परिवार के कोई सदस्य नहीं है बस सारे सरकारी अधिकारी व भीमा और उसके साथी चुपचाप वहीं पर खड़े थे l

सबसे ज्यादा खुश व नशे में सुधांशु मिश्र दिख रहा था l बल्लभ प्रधान से रहा नहीं जाता और पूछता है - अबे साले कुत्ते मिश्र तु तेरे साथ हमको भी फंसा कर माना... साले तेरा प्लान अगर पसंद नहीं आई राजा साहब को तो पता नहीं क्या होगा...
मिश्र - रिलाक्स सब दिमाग का खेल है l और दिमाग से कुछ भी किया जा सकता है...
दिमाग से पैसा बनाया जा सकता है और ताक़त को झुकाया भी जा सकता है...
देख लेना आज मैं राजा साहब को अपने दिमाग़ का कायल ना बनाया तो कहना....
तभी एक नौकर भीमा के कान में कुछ कहता है तो भीमा सबसे कहता है - राजा साहब अभी पांच मिनट में पहुंच रहे हैं l आप लोग अपना हालत ठीक कर लें l
यह सुनते ही मिश्र को छोड़ सब भाग कर बाथरूम में अपना हालत सुधार कर कमरे में पहुंचते हैं l
भैरव सिंह अपना भाई पिनाक, विक्रम
व वीर के साथ अंदर आता है l
शुभ संध्या राजा साहब कह कर हाथ जोड़ कर मिश्र कहता है l ज़वाब में भैरव - लगता है दावत का सही लुफ्त आपने ही उठाया है...
मिश्र - राजा साहब आपके महल का खाना वाह क्या कहना.... उस पर यह शराब और कबाब.... म्म्म्म्म्म् वाह...
भैरव सिंह - शराब व कबाब के साथ जो मिसीं है वह है सबाब....
चलिए उससे भी मिल लीजिए....aaa
इतना सुनते ही मिश्र की आंखे चौड़ी हो जाती है... हवश के मारे आँखे और भी लाल हो जाती हैं l भैरव सिंह सबको अपने पीछे आने को कहता है
सब एक बालकनी में पहुंचते हैं l सब देखते हैं कि बालकनी के नीचे एक बड़ा सा स्वीमिंग पूल है l कुछ देर बाद नीचे एक किनारे भीमा एक आदमी को लाकर एक चेयर पर बिठाता है l उस आदमी के चेयर पर बैठते ही वहीँ पर मरघट की शांति छा जाती है... I क्यूंकि ऐसा दिख रहा था जैसे वह आदमी बहुत दिनों से टॉर्चर हो रहा है l उसके बाल जैसे खींचे गए हैं और जहाँ से उसके
सर से जहां जहां बाल उखड़ गए हैं वहाँ पर खुन बह कर जम गया है और उसके सारे हाथ व पैरों की उँगलियों से नाखुन खींचे गए हैं ऐसा दिख रहा है, और आदमी आधी बेहोश जैसे चेयर पर बैठा है
मिश्र की नशा अब काफूर हो चुकी थी, हिम्मत करके पूछता है - यह क्या है राजा साहब और यह कौन है....
पिनाक कहता है - मिश्र जी यह है आखेट l अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे देखिये होता क्या है...
तभी दूसरे किनारे पर दूसरा नौकर एक नंगी मगर खूबसूरत औरत को लाकर फेंक देता है l वह औरत शायद नशे की हालत में है l कोई होश नहीं है जैसे, वह स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर वैसे ही पड़ी हुई है l तभी वह घायल आदमी चिल्लाने की कोशिश करता है - विजया....
पर उस औरत पर कोई असर नहीं पड़ा वह वैसे ही वहीँ पड़ी रही l भैरव सिंह उस दूसरे नौकर को इशारा करता है तो वह नौकर स्वीमिंग पूल से थोड़ी दूर हट जाता है और एक दीवार के पास आकर कोई स्वीच दबाता है l दो लोहे की बड़ी बड़ी गेट नुमा दीवार सरक कर बाहर स्वीमिंग पूल तक आती हैं और नीचे पड़ी हुई औरत के दोनों तरफ खड़ी हो जाती हैं l इतना देख कर मिश्र पसीने से डूब चुका था वह पीछे हटने लगता है पर वह पीछे वीर से टकरा जाता है l वीर उसके कंधे पर हाथ रख कर जबरदस्ती बालकनी पर मिश्र को अपने साथ खड़ा रखता है l
तभी मिश्र देखता है कि जिस दीवार से वह दो लोहे की गेट निकलीं थी वही एक छोटा सा दरवाजा खुल जाता है l थोड़ी देर बाद दो लकड़बग्घे आ जाते हैं यह देखकर दो लोग चिल्लाते हैं पहला मिश्र-आ.... और दूसरा स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर बदहवास बैठा वह आदमी - विजया....
पर तब तक वह लकड़बग्घे उस बेहोश पड़ी औरत पर झपटते हैं, एक लकड़बग्घा उस औरत की जांघ पर जबड़ा लगाता है तो औरत को होश आती है तो वह चिल्लाती है - प्रवीण...

तभी दूसरा लकड़बग्घा उस औरत की पेट फाड़ देता है इस बार औरत चिल्ला नहीं पाती छटपटाती रहती है, पर दूसरे किनारे पर बैठे आदमी से रहा नहीं जाता और स्विमिंग पुल में छलांग लगा कर तैर कर उस औरत वाली किनारे की जाता है l किनारे पर पहुंच कर स्विमिंग पुल से निकलने कोशिश कर ही रहा था कि एक बड़े से मगरमच्छ के जबड़े में उसका कमर आ जाता है और वह मगरमच्छ के साथ पानी में गिर जाता है l यह देखकर बालकनी में मिश्र फर्श पर गिर जाता है...
Awesome superb update
 
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Kala Nag

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Death Kiñg

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Sorry Brother... Kuchh kaarnon se har update ke oopar revo nahi de paaya par aage se har update par revo dene ki koshish rahegi... Kherr, ye ek koshish hai sameeksha karne ki iss behatreen kahani ki...

Kahani ka plot Odisha ke ird gird set kiya gaya hai aur achhi baat ye lagi ke sabhi kirdaaron ke naam wahaan se mel khaate hain... Saath hi sabhi drishyon aur scenes ko bahut hi khubsoorti se likha hai aapne jo darshaata hai ke aap ek bahut hi kaabil lekhak hain...

Baat karen kahani ki to nischit hi Vishwa Pratap Mahapatra urf Vishwaa kahani ka naayak hai aur uski seedhi takkar hone waali hai Bhairav Singh Kshetrapaal se jisse aaj ke zamaane ka Raakshas bhi kaha jaa sakta hai... Bhairav ke kirdaar ko bahut hi shaaleenta se likha hai aapne... Jab tak ke Villain aur Negative end strong na ho tab tak kahani mein Hero ki shaksiyat poori tarah nahi ubhar paati... Par aapki kahani mein kahin bhi iss cheez ki kami nahi lagi...

Baat ki jaaye Superintendent saahab aur unki biwi ki to lagta hai ke unhone apna beta khoya hai aur aaj tak uss gum ko apne seene mein liye huye hain... Aur ho bhi kyon naa jab Maa Baap ko apne bachon ki laash dekhne mile uss se bura manzar kya hi ho sakta hai sansaar mein... Kherr unhone VRS liya hai aur iska kaaran shayad Vishwa hi hai... Wo dono usse apna beta hi maante hain... Par fir jaisa ki Khan Saahab ko hawaldaar ne bataya ke Advocate Saahiba ne hi Vishwa ko jail karwayi thi uska matlab kya hai... Kya kaaran tha uske peechhe...

Vishwa ka past jaan na bhi kaafi rochak rehne waala hai aur dekhna hoga ke kya hua tha uske saath... Uske Mata Pita jo ab iss duniya mein nahi hain unki maut ka kaaran bhi kya Bhairav hi tha??

Vaidaihi iska kirdaar abhi tak mujhe sabse behatreen laga... Ek zinda dilli aur bahaduri ki misaal bankar ubhri hai ye naari jo Kshetrapaal jaise samaaj ke keedon ko door karna chahti hai... Par Update 7 mein jiss prakaar uss Sharaabi ne Vaidaihi ke liye apshabd istemaal kiye aur Rang Mahal se uska naata joda uss se to yahi lagta hai ke Vaidaihi ka ateet bhi kaafi dukh daayi raha hai... Usne kaha ke teen mahine baad koyi aane waala hai... Nischit hi wo Vishwa ki baat kar rahi thi...

Roop Kshetrapaal urf Nandini, ye apne baap aur bhaiyon se bilkul juda hai... Shayad ye wo panchhi banegi jo in logon ka banaya pinjra todkar khule aakash mein udd jaayegi... Par kya Nandini hi kahani ki heroine hai?? Idhar Rocky Kshetrapaal pariwaar ki taakat jaante huye bhi ek Jawalamukhi mein kood raha hai joki usse aage chalkar bahut mehenga pad sakta hai...

Shubhra ne kiya to prem vivaah tha par shayad usne apne liye galath saathi ko chun liya... Jo logon ki jaan ki koyi keemat nahi samajhta wo insaan hi nahi hai aur jo insaan hi nahi ho wo kya kisi se pyaar karega... Kherr, lagta to yahi hai ke Shubhra ke jeewan se jude bhi kuchh Raaz hain joki uski shaadishuda zindagi ke hi honge...

Bahut hi achhe dhang se aap kahani ko aage badha rahen hain... Kahani ki gati bhi bahut sahi hai... Naa to dheemi aur naa hi zyada tezz... Umeed hai ke aap aage bhi issi tarah behatreen updates dete rahenge aur ham paathakon ko iss VISHWAROOP ke darshan hote rahenge...

Outstanding Story Brother & Waiting For Next Update...

:yourock::yourock::yourock:
 
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Kala Nag

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Sorry Brother... Kuchh kaarnon se har update ke oopar revo nahi de paaya par aage se har update par revo dene ki koshish rahegi... Kherr, ye ek koshish hai sameeksha karne ki iss behatreen kahani ki...

Kahani ka plot Odisha ke ird gird set kiya gaya hai aur achhi baat ye lagi ke sabhi kirdaaron ke naam wahaan se mel khaate hain... Saath hi sabhi drishyon aur scenes ko bahut hi khubsoorti se likha hai aapne jo darshaata hai ke aap ek bahut hi kaabil lekhak hain...

Baat karen kahani ki to nischit hi Vishwa Pratap Mahapatra urf Vishwaa kahani ka naayak hai aur uski seedhi takkar hone waali hai Bhairav Singh Kshetrapaal se jisse aaj ke zamaane ka Raakshas bhi kaha jaa sakta hai... Bhairav ke kirdaar ko bahut hi shaaleenta se likha hai aapne... Jab tak ke Villain aur Negative end strong na ho tab tak kahani mein Hero ki shaksiyat poori tarah nahi ubhar paati... Par aapki kahani mein kahin bhi iss cheez ki kami nahi lagi...

Baat ki jaaye Superintendent saahab aur unki biwi ki to lagta hai ke unhone apna beta khoya hai aur aaj tak uss gum ko apne seene mein liye huye hain... Aur ho bhi kyon naa jab Maa Baap ko apne bachon ki laash dekhne mile uss se bura manzar kya hi ho sakta hai sansaar mein... Kherr unhone VRS liya hai aur iska kaaran shayad Vishwa hi hai... Wo dono usse apna beta hi maante hain... Par fir jaisa ki Khan Saahab ko hawaldaar ne bataya ke Advocate Saahiba ne hi Vishwa ko jail karwayi thi uska matlab kya hai... Kya kaaran tha uske peechhe...

Vishwa ka past jaan na bhi kaafi rochak rehne waala hai aur dekhna hoga ke kya hua tha uske saath... Uske Mata Pita jo ab iss duniya mein nahi hain unki maut ka kaaran bhi kya Bhairav hi tha??

Vaidaihi iska kirdaar abhi tak mujhe sabse behatreen laga... Ek zinda dilli aur bahaduri ki misaal bankar ubhri hai ye naari jo Kshetrapaal jaise samaaj ke keedon ko door karna chahti hai... Par Update 7 mein jiss prakaar uss Sharaabi ne Vaidaihi ke liye apshabd istemaal kiye aur Rang Mahal se uska naata joda uss se to yahi lagta hai ke Vaidaihi ka ateet bhi kaafi dukh daayi raha hai... Usne kaha ke teen mahine baad koyi aane waala hai... Nischit hi wo Vishwa ki baat kar rahi thi...

Roop Kshetrapaal urf Nandini, ye apne baap aur bhaiyon se bilkul juda hai... Shayad ye wo panchhi banegi jo in logon ka banaya pinjra todkar khule aakash mein udd jaayegi... Par kya Nandini hi kahani ki heroine hai?? Idhar Rocky Kshetrapaal pariwaar ki taakat jaante huye bhi ek Jawalamukhi mein kood raha hai joki usse aage chalkar bahut mehenga pad sakta hai...

Shubhra ne kiya to prem vivaah tha par shayad usne apne liye galath saathi ko chun liya... Jo logon ki jaan ki koyi keemat nahi samajhta wo insaan hi nahi hai aur jo insaan hi nahi ho wo kya kisi se pyaar karega... Kherr, lagta to yahi hai ke Shubhra ke jeewan se jude bhi kuchh Raaz hain joki uski shaadishuda zindagi ke hi honge...

Ek sawaal tha Lekhak Saahab, Superintendent saahab ki biwi ne jail mein kisi ko Raakhi baandhi thi joki Vaidaihi ne bheji thi... Par wahaan shayad uss vyakti ka naam Pratap likha tha aapne... Wo koyi aur tha ya fir Vishwa hi tha... Meri ye shanka door kar dijiyega...

Bahut hi achhe dhang se aap kahani ko aage badha rahen hain... Kahani ki gati bhi bahut sahi hai... Naa to dheemi aur naa hi zyada tezz... Umeed hai ke aap aage bhi issi tarah behatreen updates dete rahenge aur ham paathakon ko iss VISHWAROOP ke darshan hote rahenge...

Outstanding Story Brother & Waiting For Next Update...

:yourock::yourock::yourock:
क्या बात है
🙏🙏🙏
 

Death Kiñg

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Ek sawaal tha Lekhak Saahab, Superintendent saahab ki biwi ne jail mein kisi ko Raakhi baandhi thi joki Vaidaihi ne bheji thi... Par wahaan shayad uss vyakti ka naam Pratap likha tha aapne... Wo koyi aur tha ya fir Vishwa hi tha... Meri ye shanka door kar dijiyega...
 
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