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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Danny aur bhairav sing ki mulakat kamaal ka tha
Great update bhai
डैनी की भूमिका सीमित जरूर है पर अंतिम नहीं है
आगे भी वह अपने चेले के लिए समाने आएगा
 
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Kala Nag

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ग़ज़ब भाई, ग़ज़ब! क्या शानदार अपडेट है भाई! 👏👏👏
वाह! पिछले कुछ समय में ये सबसे शानदार, कसा हुआ अपडेट!
कहानी ने गति पकड़ी है अब। अब मज़ा आएगा!
इसीलिए किसी की मत सुना करिए - अपने हिसाब से, समय ले कर लिखिए! 👏👏



ये तो ख़ैर हमको पता ही है कि टुटपूँजियों के भरोसे राजा की हुकूमत नहीं चलती।
नहीं तो गली के गुण्डे और राजा में फ़र्क़ क्या रह जाएगा! लेकिन भैरव के असली सिपहसालार कौन हैं, ये तो नई बात हो गई।
क्या नए पात्र जुड़ने वाले हैं कहानी में? क्या पुराने प्यादे ग़ायब होने वाले हैं?



ये तो धमकी हो गई सरासर! पिनाक का रोल अलग रहेगा, वो तो आपने बता दिया।
लेकिन क़यास नहीं लगा पा रहा हूँ कि कैसा? इतना तो है कि वो अवसर मिलने पर भैरव की गद्दी पर खुद बैठना चाहेगा।
लेकिन उसको भैरव का डर है - उस डर की वज़ह क्या है, अभी ये हम पर ज़ाहिर नहीं है!



चलो - विक्रम की मूर्खता का कोई निवारण तो मिला।



भैरव ने जिस जिस को छोड़ा है, वो अब उसका काँटा बन कर वापस आ गया है मैदान में।
एक बहुत प्राचीन, नीति-शास्त्री रहे हैं - नहीं चाणक्य नहीं, उनसे भी पहले - सन त्सु (चीन के हैं)..
उन्होंने कहा था कि जब किसी शत्रु को परास्त कर दो, तो उसको इज़्ज़त के साथ रिट्रीट करने का अवसर दो। उसको इतना मत दबा दो कि उसके पास प्रतिवार करने के अतिरिक्त अन्य कोई उपाय ही न बचे। भैरव ने अपनी शक्ति के मद में चूर हो कर यही गलती करी है (आज की राजनीति में भी यही दिख रहा है)!
जब किसी के पास खोने के लिए कुछ नहीं बचता, तब उससे अधिक घातक शायद ही कोई हथियार हो।



अब डर लगा पट्ठे को। अब समझ आया कि जिसको अभी भी हल्के (?) में ले रहा है, वो बहुत भारी चीज़ है।
बढ़िया।



डैनी ने भी ले ली!



अब ई का स्यापा लग गया भाई!
रोचक होती जा रही है कहानी बड़ी तेजी से!

आनंद आ गया दोस्त! आनंद आ गया। :)
सबसे शानदार अपडेट!
जी बिलकुल
भैरव सिंह जितना कमीना है उतना ही अधिक शातिर भी है l उसके व्यक्तित्व के बहुत से आयाम है जिससे पिनाक अनभिज्ञ है
नए और पुराने चरित्र हैं उनकी भूमिका सीमित होगी

भैरव सिंह अपना जागीर या स्टेट ही नहीं घर के सदस्यों को भी अपने अनुरुप चलाना चाहता है इसलिये पिनाक को पूछने के बहाने चेतावनी दे दी
कम से कम भैरव सिंह के इस व्यक्तित्व से पिनाक अच्छी तरह से परिचित है

विक्रम अब इस प्रयास में रहेगा कि भैरव सिंह उसे घर से जीवन से निकल जाने के लिए कह दे

हाँ यह उसकी बदकिस्मती है
पहल dडैनी को छोड़ा था वह डॉन बन गया और दुसरी बार विश्व को छेड़ा वह उसका काल बन जाने वाला है

एक बढ़िया विश्लेषण के लिए धन्यवाद व तह दिल से आभार
 

Kala Nag

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Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update....
शुक्रिया कश्यप भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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Lajawaab update
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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एक बार फिर से बेहद ही जबरदस्त अपडेट ।
कभी-कभार आप ऐसा कुछ लिख देते हो कि पढ़कर जोश डबल ट्रिपल हो जाता है। कुछ समझ मे नही आता कि इतनी खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट के लिए क्या रिव्यू लिखा जाए !
भाई आपका यह लिख देना ही काफी है
शुरुआत आपने वीर के हताशा और उदासीन रवैए से किया और उसके बाद विश्व - रूप का वीर के लिए चिंतित होने पर और फिर वहां से सीधे कोलकात्ता जा पहुंचे।
कोलकात्ता प्रवास के दौरान राजा साहब और पिनाक सिंह का जो कन्वर्सेशन हुआ , वह पिनाक साहब के लिए चिन्ताजनक और हैरानी भरा था ही , हम रीडर्स के लिए भी अचंभित भरा रहा।
भैरव सिंह को पंचायत कांड की पुरी खबर मालूम थी और साथ मे उन्होने पिनाक साहब को यह कहकर भी भौचक्का कर दिया कि उनके पास एक अलग से महारथियों की फौज भी है।
यह हमारे लिए भी आश्चर्य की बात थी कि पिनाक साहब बड़े राजा जी के छोटे भाई के अलावा उनके काफी करीबी भी थे। लेकिन फिर भी उन्हे इसके बारे मे कुछ भी नही पता।
पिनाक साहब के हाव-भाव और उनकी बोली बहुत कुछ बयां कर रही थी। शायद पुत्र प्रेम ने उन्हे कुछ सोचने के लिए मजबूर कर ही दिया। शायद वीर की आंसुओ ने उन्हे थोड़ा-बहुत द्रवित तो जरूर ही किया है।
लेकिन यह भी देखना है कि वो भैरव सिंह के खिलाफ कितने दूर तक जा सकते है !
वीर बचपन से ही विक्रम के करीब रहा है
दोस्त और छोटे भाई की तरह
जाहिर है कि वीर की चिंता है पर विक्रम की मज़बूरी यह है कि अभी वह एका एक भैरव सिंह के खिलाफ नहीं जा सकता
इसके बाद का प्रसंग वही था जिसके बारे मे मैने पिछले रिव्यू मे लिखा था। विक्रम और रूप के दरम्यान उनकी दिवंगत मां से सम्बंधित बातें। सबसे अच्छी बात यह थी कि विक्रम को सत्य का ज्ञान हुआ। भैरव सिंह की सच्चाई मालूम पड़ी। और उसके उस अज्ञानता का बोध हुआ जिसकी वजह से वो खुद को अपने पिता से बंधा हुआ पाता था। मुझे विश्वास है वो अब खुद को पिंजरे मे बंधा हुआ तोता महसूस नही करेगा।
हाँ अब विक्रम केवल और केवल इस प्रयास में रहेगा कि कैसे भैरव सिंह उसे घर से और जीवन से दुत्कारते हुए निकल जाने के लिए कहेगा
इसके बाद का अध्याय राजा साहब और डैनी का था।
वैसे तो इस अपडेट का हर प्रसंग बेहतरीन था लेकिन यह प्रसंग मुझे बहुत ही पसंद आया।
बहुत दिनो के बाद डैनी की एन्ट्री हुई और एन्ट्री मारते ही राजा साहब की बखिया भी उधेड़ दी।
बहुत बहुत ही बेहतरीन संवाद लेखन था। दोनो के ही डायलॉग उनके रसूख के अनुसार थे। उनकी पर्सनलटी के अनुसार थी। उनके हैसियत के अनुसार थी।
डैनी और उसके फैमिली के साथ भी राजा साहब ने अन्याय किया था। यह एक नई खबर थी।
धन्यवाद SANJU ( V. R. ) भाई यह प्रसंग भैरव सिंह को विश्व के बारे में फिर से अच्छे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है
अंतिम पैराग्राफ मे स्टोरी सस्पेंस मोड पर खड़ा हो गया। अब रूप और भाश्वती के साथ कोई गलत करने की हिमाकत कर रहा है या यह किसी की शरारत , यह तो नेक्स्ट अपडेट मे ही मालूम होगा।

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट बुज्जी भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग अपडेट।
अब कहानी थ्रिलर की है तो थोड़ा रोमांच पर रोकना आवश्यक था
पर्दा अगले अपडेट पर उठेगा
थैंक्स शुक्रिया आभार मेरे भाई बहुत बहुत शुक्रिया
 
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