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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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ANUJ KUMAR

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👉उनतालीसवां अपडेट
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दो हफ्ते बाद
सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी
विश्व अंदर आता है l अंदर वैदेही हैरानी और गुस्से भरी नजर से उसको देखती है l विश्व की दाढ़ी बढ़ी हुई है और विश्व के माथे पर निको प्लास्टर की पट्टी चिपकी हुई है और होंठ के किनारे का हिस्सा, आँखों के नीचे का हिस्सा काला दिख रहा है l विश्व वैदेही के पास जाने के वजाए खिड़की के पास जा कर बाहर की ओर देखने लगता है l

वैदेही - यह क्या है विशु....
विश्व - क्या है... तुम यहाँ आई क्यूँ हो दीदी...
वैदेही - कुछ काम से आई थी... क्यूँ... तुझे मेरा यहाँ आना... बुरा लग रहा है.... या तुझे इस हालत में देखा... यह बुरा लग रहा है...
विश्व - मैंने आपसे कहा था.. यहाँ आ कर मुझ से ना मिलने के लिए...
वैदेही - कोई वादा... नहीं किया था... और मैं तुझसे... मिलूँ क्यूँ ना...
विश्व - xxx(चुप रहता है)
वैदेही - अब चुप क्यूँ है... एक तु ही तो है... जिसे देख कर... जिंदा हूँ... और सुन... मैं आती रहूँगी... अब यह तुझ पर है... तु मुझसे... मिलना चाहता है या नहीं...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - वैसे... तुने किन लोगों के साथ मार पीट की...है...
विश्व - मैंने किसी के साथ मार पीट नहीं की है... हाँ... कुछ लोगों ने मुझे... मारा ज़रूर है... पर.... तुमको पता कैसे चला...
वैदेही - आई थी सुपरिटेंडेंट सर से... तेरी खैर खबर लेने... उन्होंने ही बताया मुझे...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु.... तु... क्यूँ किसीसे... दुश्मनी ले रहा है... हमारे दुश्मन कम हैं क्या...
विश्व - दीदी... मैंने.. किसीसे दुश्मनी नहीं की है... कुछ लोग थे... जिनके दुश्मनी के बीच आ गया... वह लोग डैनी भाई को मारने आए थे.... मैंने उनका प्लान चौपट कर दिया.... जब उनको पता चला... तो उन्होंने... अपने प्लान के नाकाम होने का गुस्सा... मुझ पर उतारा...
वैदेही - यह... डैनी भाई कौन है... और तु... उनके लिए... अपनी जान खतरे में... क्यूँ डाला...
विश्व - xxxx(चुप रहता है)
वैदेही - विशु....
विश्व - दीदी... (वैदेही की तरफ मुड़ कर) जैसे... कोर्ट रूम के अंदर.... मेरे लिए जयंत सर थे.... यहाँ... इस जैल के अंदर... डैनी भाई... मेरे लिए उतने ही मान रखते हैं... इसलिए... उनके लिए कुछ भी....

वैदेही की आँखे बड़ी हो जाती है l वह हैरानी भरी नजर से विश्व को देखने लगती है l

वैदेही - यह डैनी भाई साहब कौन हैँ... उनके बारे में... पहले कभी तुने.. मुझे बताया नहीं...
विश्व - बस उनका जिक्र हो... ऐसी हालात भी... कभी आया ही नहीं था... अच्छा दीदी... तुमने बताया कि.. कुछ काम से आईं थी...
वैदेही - वह मैं... चगुली साबत की घर को पांच साल के लिए... भाड़े पर लेने के लिए... एक एग्रीमेंट करने आई थी....
विश्व - उसके घर को... भाड़े में... क्यूँ....
वैदेही - तो क्या करूँ.... हमारी सारे खेत पर.... भैरव सिंह के पालतू कुत्ते... कब्जा लिए हैं.... मुझे गांव में रहना है.... कुछ करना है.... इसलिए... उसका घर... पांच साल के लिए..... भाड़े पर ले लिया है....
विश्व - और वह... कहाँ जाएगा....
वैदेही - दुबई... उसे दुबई जाना था.... घर कोई खरीद नहीं रहा था... भैरव सिंह के डर से....
विश्व - मैंने भी खरीदा कहाँ है.... मैंने भाड़े पर लिया है....
विश्व - ओ... अच्छा... ठीक है दीदी.... मैं चलता हूँ... अपना खयाल रखना....
वैदेही - विशु... विशु...

वैदेही पुकारते रह जाती है, पर विश्व नहीं रुकता है l विश्व के जाते ही वैदेही तापस के रूम की और जाति है l

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पिनाक, महांती और वीर एक कमरे में बैठे हुए हैं l पिनाक और महांती के चेहरे पर जहां तनाव दिख रहा है वही वीर इन दोनों के चेहरे पर आ रहे पल पल बदलते भावों को देख कर मन ही मन खीज रहा है l

पिनाक - महांती... यह अचानक...
महांती - अब हम और क्या कर सकते हैं...
पिनाक - ह्म्म्म्म... अच्छा हुआ... तुमने.. प्रोग्राम में आने वाले... गेस्ट के बारे में... कहीं पर खुलासा नहीं किया.... था...
महांती - हाँ... पर... राजा साहब चाहेंगे... तो... शायद कुछ हो सकता है...
पिनाक - नहीं महांती... इस बार.. वह भी मज़बूर हैं....
महांती - वैसे... प्रोग्राम में.. ऐन मौके पर जो... तब्दीली हुई है... उससे प्रोग्राम की... वैल्यू कम भी नहीं हुई है.... हाँ... राजा साहब होते तो बहुत अच्छा होता... तब चीफ मिनिस्टर भी आते... पर...
पिनाक - देखो महांती... प्रोग्राम... तुमने... और युवराज ने... डिजाईन किया था... राजा साहब उस समय... किसी और काम में... व्यस्त थे...
महांती - हाँ... वह मैं... जानता हूँ...
पिनाक - पर उन्होंने कहा है... कुछ भी रुकना नहीं चाहिए....
महांती - नहीं रुकेगा... राजा साहब ना सही... आप तो हैं.... प्रोग्राम बहुत ही... जबरदस्त होगा....
पिनाक - हाँ.... करना ही पड़ेगा...(वीर की ओर देख कर) राजकुमार आप जा कर... युवराज जी को कल की प्रोग्राम के लिए... मनाएं... और उन्हें... तैयार कीजिए....

वीर यह सुन कर वहाँ से उठ जाता है और एक कमरे की ओर चला जाता है l कमरे में पहुंच कर देखता है विक्रम एक कुर्सी पर बैठ कर बालकनी से बाहर की ओर देख कर गहरी सोच में डूबा हुआ है l

वीर - (अपने मन में) अब मजनूँ को... कौन समझाए... (अपने चेहरे पर हँसी लाने की कोशिश करते हुए) युवराज जी... कल हमारे डेविल आर्मी की.... ऑफिशियल इनागुरेशन है.... और यहाँ डेविल किंग... किसी लुटे हुए... आशिक की तरह बैठे हैं हैं....

विक्रम, वीर की ओर देखता है और फिर अपना मुहँ फ़ेर कर बाहर देखने लगता है l वीर उसके सामने एक चेयर डाल कर बैठ जाता है l

वीर - युवराज जी... कुछ तो कहिए... शायद मैं आपकी कुछ मदत कर सकूँ....
विक्रम - हम कलकत्ते से जब यहाँ पर आए.... तब हमे... छोटे राजा जी से एक मिशन मिला... के.. राजधानी में... क्षेत्रपाल के नाम का सिक्का जमाना है... पर इसकी शुरुवात के प्रोग्राम में ही... क्षेत्रपाल के मुखिया... नहीं आ रह रहे हैं....
वीर - क्या सिर्फ़ यही वजह है....

विक्रम कुछ नहीं कहता l वह बालकनी से बाहर की ओर देख कर कुछ सोचे जा रहा है l

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वैदेही विजिटर्स रूम में बैठी हुई है और बार बार सलाखों के पर दरवाजे की ओर देखती है l थोड़ी देर बाद एक कैदी संत्री के साथ आते देखती है l वैदेही उठ कर सलाखों के पास मीटिंग पॉइंट तक जाती है l वह कैदी भी उस पॉइंट तक आता है और वह संत्री को मुड़ कर देखता है l संत्री उन दोनों को छोड़ वहाँ से चला जाता है l वैदेही उसे गौर से देखती है लगभग पैंतालीस साल का आदमी, अपने उम्र से पांच सात साल कम दिख रहा है, उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है l ऊँचा कद और स्वस्थ दिख रहा है l उसे देख कर लगता है वह जरूर वर्जिश करता होगा l वैदेही की ध्यान टूटती है l

कैदी - कहिए... आप... कौन हैं... और मुझसे क्यूँ मिलना चाहती थी....
वैदेही - आ... आप... डैनी भाई साहब हैं...
डैनी - डैनी भाई साहब नहीं... सिर्फ़ डैनी...
वैदेही - पर विशु तो... आपको डैनी भाई साहब ही कहता है ना...
डैनी - (वैदेही को घूर कर देखते हुए) यह... विशु कौन है....
वैदेही - मेरा भाई... विश्व प्रताप...
डैनी - ओ... तो आप.. विश्व की... बड़ी बहन... वैदेही जी हैं...
वैदेही - जी...
डैनी - पर आप मुझसे... क्यूँ मिलना चाहती थीं...
वैदेही - मैं... उस शख्सियत को... देखना चाहती थी.... जैल के भीतर... जिसे विशु... जयंत सर के... बराबर का दर्जा... दिया है....
डैनी - क्या... यह क्या बकवास कर रही हैं...
वैदेही - आप को... कोई मारने आया था... पर विशु के वजह से.. नहीं मार पाया.... इसलिए.. उसने... विशु पर अपना गुस्सा उतारा...
डैनी - देखिए... वैदेही जी... कोई एक मारने नहीं.... बल्कि चार चार लोग मुझे मारने आए थे.... मैं हूँ ही... क्रिमिनल... मेरे हज़ारों दुश्मन हैं... आपके विशु का एक उपकार रहेगा मुझ पर... उसने मेरे दुश्मन की पहचान की... और मुझे आगाह किया.... पर मैंने उसे समझाया था... मेरे और उनके बीच ना आने के लिए....
वैदेही - विशु है ही ऐसा... जिसको वह... अपना मान लेता है... उसके लिए... वह कुछ भी कर जाता है....

डैनी यह सुन कर वैदेही को हैरानी से देखता है l

वैदेही -(अपनी हाथ जोड़कर) हाँ भाई साहब... उसने दिल से... आपको... अपना माना है... आपका बहुत सम्मान करता है.... बस इस बहन की... इच्छा है... आप जब तक यहाँ हैं... उसे अपने छोटे भाई की तरह ही... देखें... भले ही... अपने पन से ना सही.... पर उसका खयाल रखिएगा.....

डैनी कुछ नहीं कहता, वह इधर उधर देखता है फिर हाथ जोड़ कर नमस्कार कर वहाँ से चल देता है l

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वीर - ठीक है युवराज जी... मुझे लगा... के हम एकदूसरे के सहारा हैं... क्यूंकि यह रस्मों रिवाजों के ढोंग ढोते ढोते... हम अकेले हो गए हैं... आप फिर भी... बाहर जाते हैं... किसीसे बात भी करते हैं.... पर हमारा क्या... हम किस से बात करें... ठीक है... हम बाहर जा रहे हैं... (उठ कर जाने लगता है)
विक्रम - रुकिए... राजकुमार..जी.... रुकिए... प्लीज...
वीर - (रुक जाता है, और वहीँ बैठ जाता है) अब दिल में जो भी है... उगल दीजिए... देखिएगा... आपको अच्छा भी लगेगा... और हल्का भी लगेगा....
विक्रम - कल के प्रोग्राम के लिए.... हमारे लिए... गेस्ट लिस्ट में... तीन खास लोग शामिल होने चाहिए थे... पर कल वह लोग... नहीं आ पा रहे हैं....
वीर - हम्म... पहले कौन हैं....
विक्रम - हमारे राजा साहब... हमे जिनके नाम का डंका बजाने का... जिम्मा दिया गया है....
वीर - और वह... क्यूँ नहीं आ रहे हैं....
विक्रम - मुख्य मंत्री जी ने... वाइब्रेंट ओड़िशा के लिए... इंवेस्टर्स को रिझाने अपने साथ डेलिगेशन ले कर जा रहे हैं.... उसके लिए कुछ खास लोगों को चुना है... उन लोगों में... हमारे राजा साहब भी हैं...
वीर - अच्छा... हम्म.... प्रोग्राम... पोस्टपॉन कर दें तो...
विक्रम - नहीं.. नहीं.. हो सकता है... हमने जोर शोर से... एडवर्टाइजिंग किया है... नाक का सवाल है...
वीर - और दुसरा...
विक्रम - दुसरा मतलब...
वीर - वही आपके गेस्ट लिस्ट वाले...
विक्रम - अरे हाँ... उसका नाम.. यश वर्धन चेट्टी है.... पहली बार किसी से हाथ मिलाकर... दोस्ती की है... पर वह भी मुख्यमंत्री के.... डेलिगेशन में जा रहा है...
वीर - क्यूँ... वह कोई... पोलिटिकल लीडर है क्या...
विक्रम - नहीं... वह एक.. इंडस्ट्रियलिस्ट है...
वीर - ह्म्म्म्म... और तीसरी शायद.. भाभी....
विक्रम - वह भी नहीं आ पा रही है.... क्या... क.. क... कौन... क्या पुछा तुमने....
वीर - (शरारत भरा हँसी हँसते हुए) भाभी क्यूँ नहीं आ रही हैं....

विक्रम वहाँ से उठ कर जाने लगता है l वीर भी उसके साथ उठ कर उसके सामने खड़ा हो जाता है l विक्रम फिर वापस आ कर चेयर पर बैठ जाता है l

वीर - आप बताना नहीं चाहते.... तो बात अलग है... पर अगर आप मुझे कुछ कहेंगे... तो मेरे खुराफाती दिमाग में से... कुछ आईडीया निकलेगा.... वह आपके काम आ सके...
विक्रम - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...
वीर - मत भूलिए... भाभी जी का नंबर... आपको मैंने दी है....

विक्रम अपना चेहरा घुमा लेता है l वीर उसके चेहरे पर आए भाव पढ़ लेता है l

वीर - ऑए.. होए... आपके गाल... टमाटर के जैसे... लाल हो गए हैं...

विक्रम - (अपनी मुस्कराहट को जबरदस्ती छुपाने की कोशिश करते हुए) चलिए राजकुमार जी.... आज आपको लॉन्ग ड्राइव के लिए... लिए चलते हैं....

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लंच के समय का हुटर बजता है l सारे कैदी अपना काम छोड़ कर डायनिंग हॉल के तरफ बढ़ जाते हैं l विश्व भी अपना काम छोड़ कर हाथ मुहँ धो कर डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व हॉल में पहुंच कर थाली हाथ में लिए लाइन में खड़ा हो जाता है l विश्व को देख कर कुछ कैदी कानाफूसी करने लगते हैं l विश्व उनकी बातों को सुनता है पर ध्यान नहीं देता l अपना खाना ले कर हमेशा की तरह कोने के टेबल पर जा कर बैठ जाता है l

डैनी - क्या बात है... हीरो... क्या हाल है....
विश्व - (डैनी को देख कर मुस्कराने करने की कोशिश करते हुए) अच्छा हूँ...
डैनी - देखा... इंसान की इज़्ज़त कैसे गिर जाता है...
विश्व - मैं समझा नहीं... इज़्ज़त... किसकी...
डैनी - जब तु.... जैल में आया था... तब तु... तास की गड्डी में एक्स्ट्रा पत्ता था... फिर खेल में नहला पर दहला बना... पर अब... तु... उसी खेल में... एक्स्ट्रा बन गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुने जब रंगा का... पिछवाड़े में चीरा लगाया... तो तेरा इज़्ज़त होने लगा था... अब चार चिरकुट तेरे चेहरे का... भूगोल क्या बदला... यही लोग... तेरे इतिहास का बंटा धार हो गया.... अब सब... तेरे नाम पर जोक मारने लगे हैं...
विश्व - (इस बार भी चुप रहता है)
डैनी - (विश्व को गौर से देखता है) विश्व... (विश्व डैनी को देखता है) तुझे कैसे मालुम हुआ... उनका टार्गेट मैं था... तुझे तेलगु भाषा समझ में आता है क्या....
विश्व - जी... समझ सकता हूँ.... पर बोल नहीं सकता....
डैनी - ह्म्म्म्म... ठीक है... मैंने तुझे.... पहले ही बता दिया था... यहाँ... कोई... किसीके फटे में... टांग नहीं अड़ाता... इतना ज्ञान देने के बावजूद तु... उनके और मेरे बीच में आया... अब देख आखिर... उसके लिए... उन लोगों ने... तुझसे पेनल्टी वसूला....
विश्व - ह्म्म्म्म...
डैनी - तुझे... तेलुगु... समझ में.. कैसे आता है... तु.. तो.. राजगड़ से बाहर.. कभी गया ही नहीं होगा....
विश्व - वह... मेरे.... गुरु थे... मेरे प्राथमिक विद्यालय के... प्रधान आचार्य...उनसे और उनके पोते से... उनसे थोड़ा थोड़ा.. सीखा था...
डैनी - स्कुल के... प्रधान आचार्य... वह भी... तेलुगु...
विश्व - नहीं... वह थे तो.. ओडिया ही... पर वह पारलाखेमुंडी से थे... आंध्र ओड़िशा सीमांत क्षेत्र से... इसलिए उन्हें... तेलुगु.. बहुत अच्छी तरह से आता था....
डैनी - ह्म्म्म्म... तुने.. जानने की... कोशिश.. नहीं की... के वह.. लोग मुझे क्यूँ मारना... चाहते थे....
विश्व - वे लोग इस बारे में... ज्यादा बात नहीं की... बस आपको मार देने की ही बात कर रहे थे.... इसलिए मैंने आकर आपको आगाह भी किया.... पर जब देखा कि... वह आपको बैरक तीन के... गार्डन में अकेला देख कर... आपके ओर बढ़ रहे हैं.... मैं तब... सिक्युरिटी रूम में... साफ सफाई कर रहा था... आप को उनके चपेट में आने से बचाने के लिए... मैंने लंच का हुटर बजा दी.... ताकि आप अलर्ट हो जाएं और सारे कैदी... काम छोड़ कर उधर से गुजरे...
डैनी - मुझे बचाने के चक्कर में... तेरी सुताई कर दी... उन्होंने.... क्यूँ....
विश्व - कोई बात नहीं... आप तो बच गए ना...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब वक्त आ गया है... तुझे... मेरे बारे में.. जानने का... मेरे इतिहास और वर्तमान के बारे में.... पर उससे पहले... तुझे कुछ दिखाना है.... एक काम कर.... मुझसे आज शाम... बैरक पांच के... गेम हॉल में... मिल...


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विक्रम अपनी कार को भगा रहा है l गाड़ी में बगल में वीर भी बैठा हुआ है l

वीर - आप हमे ले कहाँ जा रहे हैं... युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ.... डर लग रहा है.....
वीर - डर... जब तक युवराज हैं... राजकुमार का बाल भी कोई.... बांका नहीं कर सकता....
विक्रम - इतनी कन्फीडेंट...
वीर - अपने ऊपर नहीं.... आप पर... है... क्यूँ के.... हमारे लिए आप हैं... और आपके लिए... हम....

विक्रम ब्रेक लगाता है l गाड़ी रुक जाती है l वीर देखता है रास्ता खतम हो गया है आगे सिर्फ़ रेत ही रेत दिख रहा है और उसके आगे एक नदी की धार दिख रहा है l

वीर - यह आप हमे कहाँ ले कर आ गए हैं....
विक्रम - मुंडुली है... इस जगह का नाम...
वीर - मतलब आप पहले भी.... यहाँ आ चुके हैं...
विक्रम - जानते हैं.... यहाँ से... हम ने... आपकी भाभी से... पहली बार... फोन पर बात की थी....
वीर - अच्छा इस जगह पर... इतना महात्म्य है....
विक्रम - हाँ...
वीर - तो इसका मतलब... मैंने पहेली को सुलझा लिया था... पर यह क्या.... युवराज जी... आपने हमे इसका... पुरस्कार भी नहीं दिया....
विक्रम - कहिए... आपको क्या चाहिए...
वीर - वह.. हम बाद में... मांग लेंगे....पहले यह बताइए... इजहार किसने पहले की....आप या भाभी....
विक्रम - अरे कहाँ... अभी तक सिर्फ़ दोस्ती और.. चैटिंग तक.... ही हैं... अभी मुलाकात भी नहीं हुई है....
वीर - मतलब फोन नंबर तो पक्का है ना....
विक्रम - हाँ हाँ वही है... अपने तरीके से... कंफर्मेशन कर चुके हैं...
वीर - (विक्रम को देख कर) युवराज जी... आप कितने सिरीयस हैं....
विक्रम - सिरीयस मतलब..... हम उनसे शादी करना चाहते हैं.... पर आपने यह क्यूँ पुछा....
वीर - बतायेंगे... पहले यह बताएं... आपको पूरी दुनिया में... सिर्फ़ भाभी... ही अच्छी क्यूँ लगी....
विक्रम - पता नहीं... राजकुमार... पता नहीं... वह जब... हमारे आस पास होती हैं.... ऐसा लगता है... जैसे हम महक रहे हैं... आसमान में उड़ते एक आजाद परिंदे की तरह.... महसूस करते हैं... जब वह हमसे बात करते हैं.... वह चुलबुली हैं... जैसे बन में... उछलती कुदती हिरनी... और क्या कहूँ....
वीर - जानते हैं.... दो प्रेमी... एक दूसरे के... पूरक होते हैं... एक दूसरे में जो कमियां होती हैं.. वह एक दुसरे की खूबियों से पूरी करते हैं...

विक्रम, वीर को हैरानी भरी नजर से देखने लगता है l जैसे बातेँ वीर नहीं कोई और कर रहा है l

वीर - उनकी खूबियाँ... उनकी आज़ादी है.... और यही आपकी कमियाँ है... आप बंदिश में हैं...
विक्रम - राज कुमार.... आप कहना क्या चाहते हैं....
वीर - आप उन्हें... भूल जाएं.... राजा साहब जहां कहें... आप वहीँ.. विवाह कीजिए...
विक्रम - यह आप क्या कह रहे हैं.... राजकुमार...
वीर - क्यूंकि... आप अगर उनसे विवाह करेंगे... तो... (अपनी नजर नदी की ओर करते हुए) क्षेत्रपाल महल में... स्वर्गीय रानी माँ.... और छोटी रानी माँ... और अब भाभी....(विक्रम सुन हो जाता है) भाभी सहर की हैं... उनकी लाइफ स्टाइल... सहरी है... क्षेत्रपाल परिवार की घमंड को घूंघट बना कर... रह नहीं पाएंगी.... पर उससे भी पहले... क्या राजा साहब... इस विवाह के लिए.... सहमत होंगे...

वीर की बातेँ सुन कर विक्रम का चेहरा उतर जाता है l

वीर - युवराज जी... हमारा प्रॉब्लम यह है कि.... हम क्षेत्रपाल हैं.... आप अच्छी तरह से जानते हैं... रंग महल के बारे में... जानने के बाद... बड़ी रानी माँ ने क्या किया.... और छोटी रानी माँ... वह कैसी हैं... क्या आप कभी भी... भाभी जी को... रंग महल के बारे में... बता पाओगे...

विक्रम चुप रहता है और वह भी रेत की पठार और नदी के धार को देखता रहता है l


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विश्व अपना काम निपटा कर गेम हॉल में पहुंचता है l वहाँ एक कोने में डैनी बैठ कर अकेला कैरम खेल रहा है l विश्व को देखते ही,

डैनी - आजा ... विश्व आ... कैरम खेलना जानता है....
विश्व - नहीं...
डैनी - ऑए... क्या कह रहा है.... कोई यकीन नहीं करेगा... के तुझे कैरम खेलना नहीं आता...
विश्व - सच कह रहा हूँ... मैं सच में कैरम खेलना नहीं जानता...
डैनी - (विश्व की ओर देखते हुए) कभी गांव में... बैठ कर क्या खेलते थे...
विश्व - बाघ बकरी... कबड्डी.... लुका छुपी... वगैरह...
डैनी - आ बैठ... चल मैं तुझे... कैरम... सिखाता हूँ...

विश्व बैठ जाता है l डैनी कैरम के बारे में बताने लगता है l रानी, स्ट्राइकर, काली गोटियाँ सफ़ेद गोटियाँ, सब समझाने के बाद l डैनी गोटियाँ बोर्ड पर सजा देता है और विश्व को स्ट्राइकर देता है l

डैनी - ले... पहला स्ट्राइक तु कर...

विश्व पहला शॉट मारता है l गोटियाँ बिखर जाती हैं l डैनी स्ट्राइकर ले कर शॉट खेलता है l तीन काली गोटियाँ खानों में गिर जाते हैं l

विश्व - वाव... आप को... इस खेल में... महारत हासिल है...
डैनी - (अपना स्ट्राइक लेते हुए) अब तुमको भी महारत बनना है...(अब कोई गोटी नहीं गिरती)
विश्व - ठीक है... हम बाद में खेलेंगे... आपने बताया कि... मुझे आपका इतिहास जानने का टाइम आ गया....
डैनी - हाँ पर उससे पहले... तेरे को... कुछ दिखाना है....
विश्व - क्या....देखना है...
डैनी - अब पहले यह बता.... वह चार मुझे क्यूँ मारना चाहते हैं...
विश्व - (अपना सर हिलाते हुए) नहीं जानता...
डैनी - जानता है... वह अब भी... इसी जैल में हैं... और मुझे मारने की ताक में हैं...
विश्व - क्या... मैंने... इस बारे में... सुपरिटेंडेंट साहब को... बताया था...
डैनी - हाँ तुने बताया था... इसलिए... सुपरिटेंडेंट साहब ने... उन्हें... दो नंबर बैरक में बंद कर रखा है....
विश्व - यह तो... उन्होंने अच्छा किया...
डैनी - पर उन चारों ने एक संत्री को पैसे खिलाए हैं... कुछ समय के लिए... उनको मेरे पास आने देने के लिए...
विश्व - (चौंक कर) क्या... आ.. आपको... कैसे मालुम हुआ...
डैनी - मैं यहाँ हूँ... मतलब हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ हूँ... कब कहाँ क्या हो रहा है... मुझे खबर मिल जाती है...
विश्व - तो फ़िर... इन चारों की खबर आपको कैसे... नहीं लगी....
डैनी - क्यूँकी... मुझे अंदाजा नहीं था... के.. मेरे दुश्मन... आंध्र प्रदेश से... मेरे लिए कातिल ला सकते हैं... यहाँ पर जो भी नया कैदी आता है... मैं उसकी खोज ख़बर ले लेता हूँ... इनके विषय में... मात खा गया... पर अब ग़लती... सुधारना है... इसलिए... मैं उन चारों का... यहाँ पर इंतज़ार कर रहा हूँ....
विश्व - क्या... (अपने जगह से ऐसे उठ खड़ा होता है, जैसे बिजली का झटका लगा हो) वह लोग यहाँ पर आयेंगे... और आप उनका इंतजार कर रहे हैं...
डैनी - ह्म्म्म्म... अब.. उन्होंने... जैल के एक स्टाफ को... पैसा खिलाया की.... मेरी खबर उन तक पहुंचाए.... और उनके लिए एक मौका बनाए.... मैंने अपने तरीके से... जैल के उस स्टाफ के पास.... मेरे यहाँ होने की खबर पहुंचा दिया है.... अब कुछ ही देर में... वह लोग यहाँ पर.... आ जाएंगे...

विश्व का सर चकराने लगता है l वह हैरान और परेशान हो कर डैनी को देख रहा है l पर डैनी बेफिक्र हो कर अपना शॉट खेल रहा है l रानी के गिरते ही

डैनी - जाओ... (हाथ से इशारा करते हुए) वहाँ पर छुप जाओ... उन लोगों के आने का वक्त हो गया है.....
विश्व - न ना.. नहीं... मैं आपको ऐसे... छोड़ कर नहीं जा सकता....
डैनी - श् श् श् श्... विश्व... मैंने कहा था.... आज तेरे को कुछ दिखाना है... इसलिए जा.... वहाँ से छिप कर देख यहाँ.... क्या होता है...
विश्व - अगर ऐसी बात है... तो मैं छुप नहीं सकता.... आने दीजिए... आप तक... पहुंचने से पहले... उन लोगों को... मुझसे गुज़रना होगा....

डैनी खड़ा हो जाता है और विश्व के कलर पकड़ कर उसे खड़ा कर देता है l

डैनी - सुन... मैं जो कहता हूँ... वह चुप चाप कर.... मैंने कहा है ना... तुझे कुछ दिखाऊंगा... तो पहले देख... फिर मेरे फटे में घुसने की सोचना... (विश्व को छोड़ देता है)

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विक्रम के मोबाइल पर एक मैसेज आती है l अपना मोबाइल खोल कर मैसेज पढ़ता है l एक फीकी मुस्कान आकर चेहरे से ग़ायब हो जाती है l

विक्रम - (अपनी चुप्पी तोड़ कर) यह आपने ठीक नहीं किया... राजकुमार... यह आपने ठीक नहीं किया...

वीर कुछ नहीं कहता है l वह भी रेतीली पठारों के पर बहती नदी को देख रहा है l

विक्रम - हम.. भ्रम में... थे... भ्रम में ही रहने देते...
वीर - हम... भ्रम को जी रहे हैं.... युवराज जी... वास्तव उससे भी कडवा है.....
विक्रम - हम क्या करें.... अब... हम... उनके बिना... जी नहीं पाएंगे... राजकुमार.... आप ठीक कह रहे हैं..... वह चिड़िया की तरह चहकती हैं... क्षेत्रपाल महल एक पिंजरा है.... वह हिरनी की तरह... चंचल हैं... क्षेत्रपाल महल एक... एक चिड़िया घर है.... (वीर विक्रम कि ओर देखता है, विक्रम का चेहरा उतरा हुआ है और सर झुका हुआ है) आपने सही कहा.... हममे जो... कमियां हैं... खामियाँ है.... उनमें वह भरपूर है.... एक छोटे बच्चे की मासूमियत भरा हुआ है.... उनसे विवाह करना मतलब... उन पर ज़ुल्म करना.... यह आपने ठीक नहीं किया... राज कुमार... य़ह आपने ठीक नहीं किया...

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विश्व डैनी के बताए जगह पर छुपा हुआ है l वहाँ से छुप कर वह हॉल के अंदर देख रहा है l
चार तगड़े बंदे अंदर आते हैं उनको देख कर डैनी अपनी जगह से उठ कर डरने लगता है l डैनी को डरते देख वह चार लोग हँसने लगते हैं और चारों आपस में इशारा करते हुए डैनी पर झपटते हैं l
डैनी अपनी जगह से हट जाता है और तुरंत अपना पोजिशन बदल लेता है l बंदा एक ज्यूं ही मुड़ता है एक जोरदार घुंसा उसके नाक पर लगती है l वह चिल्ला के गिर जाता है l बाकी बंदे रुक जाते हैं l बंदा एक उठ खड़ा होता है, पर कुछ ही सेकंड खड़ा हो पाता है वह बंदा अपने नाक से बहते हुए खून को अपने हाथ से पोंछ कर देखते हुए फिर नीचे गिर जाता है l अब तीन बंदे आपस में इशारा करते हुए तीन दिशाओं से घेर लेते हैं l पर डैनी बंदा दो को अपना लात आगे से उठा कर मारता हुआ दिखा कर साइड पर बंदा तीन को किक मारता है l बंदा एक पीछे से पकडने के अपनी बांह बढ़ाता है तो उसकी कलाई को डैनी अपने बाएं हाथ से पकड़ लेता है और दाएं हाथ से उसके गर्दन को पकड़ दाएं कोहनी को बंदा एक के काख में फंसा कर उठा कर कैरम के बोर्ड पर फेंक देता है l फिर एक स्पिन किक घुमा कर बंदा दो के चेहरे पर मारता है l वह भी अपने साथियों के तरह नीचे गिर जाता है l
चारों बंदे गिर चुके हैं और कराह रहे हैं l सब धीरे धीरे उठते हैं फ़िर से डैनी के तरफ बढ़ते हैं l पर डैनी की फुर्ती के आगे वह चार टिक नहीं पाते कुछ ही सेकेंड में चिल्लाते हुए गिर जाते हैं l डैनी विश्व को इशारे से बाहर निकलने को कहता है l
विश्व बाहर आकर उन्हें देखता है l और हैरानी से मुहँ फाड़े डैनी को देखता है l
डैनी - अब यह लोग हस्पताल जाएंगे... क्यूंकि इनकी ट्रीटमेंट यहाँ संभव नहीं है...
विश्व - क्यूँ....
डैनी - दो बंदों के हाथ.... कंधे के जोड़ से खिसक गए हैं.... और एक बंदे का घुटना अपनी जोड़ से खिसक गया है और लास्ट बंदे का कोहनी अपनी जोड़ से खिसक गया है....
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Jaguaar

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तीन महीने बाद
ESS ऑफिस में विक्रम, पिनाक और वीर बैठे हुए हैं l महांती उस कैबिन के दीवार पर लगे मैप पर पिन लगा कर लाल घागा बांध कर तीनों के तरफ मुड़ता है l

महांती - सो वेलकम जेंटलमेन... मैं आज आपको गुड न्यूज दे रहा हूँ... ऑल मोस्ट ऑल ऑर्गनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउसेस, मीडिया हाउसेस, बैंक और इंस्टिट्यूशन्स सभी को... भुवनेश्वर में हम... सिक्युरिटी प्रोवाइड करेंगे.... वह भी हमारी सर्विलांस के साथ....
पिनाक - वाह... बहुत अच्छे... युवराज जी वाह... आपका प्लान वर्क आउट कर गया...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आगे क्या सोचा है....
विक्रम - (महांती के ओर देख कर) महांती... यह स्पाय बग क्या होता है...
महांती - ट्रांसमीटर, ट्रैकर... बहुत कुछ....
विक्रम - देखो महांती... हम से जो भी सर्विस लेंगे... उनके अपने टर्मस एंड कंडीशनस होंगे... पर... हमे अग्रीमेंट के बीयंड जाना है...
महांती - समझ गया... युवराज...
वीर - क्या समझ गया... हम भी इस टीम में हैं... तो हमे भी थोड़ा समझाओ...
महांती - राजकुमार जी... युवराज जी के कहने का मतलब... हम उनके पर्सनल और प्रोफेशनल सारे डिटेल्स तक पहुंचेंगे... उनकी प्राइवेट और सीक्रेट सब हमारे पास सीक्रेट नहीं रहेगा... और उसके आड़ में बहुत कुछ हासिल हो सकता है...
वीर - मतलब...
विक्रम - मतलब यह है कि.... हम राजधानी में प्रभाव बढ़ाने जा रहे हैं... हम कोई बिजनैस नहीं करेंगे पर... सभी बिजनैस में हम ही हम होंगे... या तो प्यार से... या फ़िर जोर से...
वीर - ओ... मतलब हर बिजनैस में... हमारा हिस्सा होगा... पर इसके लिए... हमे बहुत हाईटेक होना होगा... हमे सबमें बेस्ट होना होगा....
महांती - हाँ हमारे गार्ड्स के ट्रेनिंग... उसी लेवल का हो रहा है... यकीन मानिए राजकुमार जी... आने वाले समय में... ESS की इंटेलिजंस भी.. सीआईडी या सीबीआई जैसी होगी... उनसे उन्नीस तो बिल्कुल नहीं होगी...
पिनाक - वाव...
विक्रम - छोटे राजा जी... डेविल आर्मी तैयार हो गई है... अब हैल की डिवेलपमेंट कहाँ तक पहुँची है....
पिनाक - शायद और दो महीने बाद... हम गृह प्रवेश कर पाएंगे...
विक्रम - ठीक है... महांती... हमारी रेपुटेशन कुछ उस लेवल तक हो... की लोग थाने के वजाए हमारी ESS के पास आए... और वह सब हम खुद डील करेंगे...
महांती - जी युवराज... हो जाएगा... पर ख़र्चे भी उस लेवल का होगा... और एक बात... अब आप, राजकुमार और छोटे राजा जी सब ESS की सिक्युरिटी लेकर चलें....
वीर - यह सिक्युरिटी लेकर चलना आपको मुबारक... हम नहीं लेकर जाने वाले...
विक्रम - क्यूँ....
वीर - फ़िलहाल हम स्टूडेंट लाइफ एंजॉय करेंगे... जब हम भी डायरेक्ट पालिटिक्स में आयेंगे... तब देखेंगे... आप बस महांती को पैसे की बात देखिए...
पिनाक - आप उसकी फ़िक्र मत करो.... जो भी है... वन टाइम इंवेस्टमेंट है... वैसे महांती क्या करोगे...
महांती - एक बहुत बड़ा सर्वर रूम... कंट्रोल रूम...
पिनाक - ठीक है.. ठीक है... जो भी है... उस पर काम शुरू कर दो...
विक्रम - महांती... यह बग के इंस्टालेशन जितना सीक्रेट हो उतना अच्छा...
महांती - उसकी फ़िक्र आप ना करें... वह सब सीक्रेट ही रहेगा...

इतने में पिनाक का फोन बजने लगता है l पिनाक वह फोन देख कर थोड़ा मुस्कराता है और

पिनाक - मुझे पार्टी ऑफिस जाना होगा... बाकी यह प्रोजेक्ट और यह प्लान आपका है... युवराज.... इसलिए आगे क्या हो सकता है और आप क्या कर सकते हैं... यह आप सोचिए... हम चले अपने प्रोजेक्ट पर....
वीर - आपका प्रोजेक्ट...
पिनाक - हाँ... क्यूँ हमारा कोई प्रोजेक्ट नहीं हो सकता है क्या....
वीर - क्यूँ नहीं हो सकता... पर युवराज जी का रंगमहल प्रवेश हो चुका है...(विक्रम के ओर देखते हुए) तो क्या उनको पता है... आपके प्रोजेक्ट के बारे में...
विक्रम - नहीं... हमे नहीं पता...
पिनाक - हमारा यह प्रोजेक्ट पुरी तरह से पर्सनल है... इसलिए युवराज नहीं जानते....

इतना कह कर पिनाक वहाँ से निकल जाता है l पिनाक के जाने के बाद महांती भी विक्रम से इजाजत लेकर बाहर चला जाता है l

वीर - तो हम चलें...
विक्रम - राजकुमार जी... अब आप गाड़ी चलाना सीख लीजिए... आप पूरी तरह इंडिपेंडेंट बन जाइए....
वीर - ह्म्म्म्म... आइडिया अच्छा है... पर अब तो मेरे ड्राइवर आप हैं....
विक्रम - ठीक है राजकुमार.... आज के लिए ही हम आखिरी बार... गाड़ी ड्राइव करेंगे... क्यूंकि कल से... हम गार्ड्स से घिरे रहेंगे... पुरे वीवीआईपी के जैसे...
वीर - ठीक है...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

गाड़ी के पीछली सीट पर प्रतिभा और प्रत्युष बैठे हुए गप्पे लड़ा रहे हैं और रेअर मिरर से उन दोनों को मजे से गप्पे लड़ाता देख चिढ़ा हुआ तापस गाड़ी ड्राइविंग कर रहा है l

प्रतिभा - हाँ तो ड्राईवर... गाड़ी को जरा महानदी व्यू होटल ले चलो...
तापस - यह बहुत हो रहा है... तुम माँ बेटे... मुझसे ऐसे बदला ले रहे हो... जिस दिन मेरी बारी आएगी... उस दिन देखलेना...
प्रत्युष - देखो ड्राइवर... आप बस कार ड्राइव करो... हमारे पचड़े में मत पड़ो...
तापस - तो बिल भी आप दे देना मालिक...
प्रत्युष - कौनसा बिल...
तापस - क्यूँ... होटल में बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा...
प्रतिभा - कोई नहीं... बाप नहीं... इस बार बिल माँ भरेगी...
प्रत्युष - देखा... हो गया ना आपका पोपट...
तापस - हाँ बेटे... तुम माँ बेटे मिलकर मुझसे चीटिंग कर... पत्ते में हराया है... और ड्राइवर बना कर... लिए जा रहे हो...
प्रत्युष - हाँ तो... आपने ही तो चैलेंज लिया था... के हॉकी के चक्कर में... मैं इंटरेंशिप भी नहीं कर पाऊँगा...
प्रतिभा - और नहीं तो... इंटेरेंशिप तक पहुंच गए तो ड्राइवर बन कर ट्रीट दोगे बोले भी थे... बचने के लिए तास की पत्ते का गेम चैलेंज दिया... आपने लिया...
प्रत्युष - इसलिए ड्राइवर... ट्रीट तो माँ ही देगी... आप बस टीप दे देना...
तापस - हम्म... याद रखूँगा...
प्रतिभा - वाकई यह दिन याद रखने लायक है... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस... मिस्टर तापस कुमार सेनापति... आज ड्राइवर बन गए हैं...

दोनों माँ बेटे हँसने लगते हैं l तापस गुस्से से उनको रेअर मिरर से देखता है और मुहँ बना कर गाड़ी चलाता है l उसी होटल के एक टेबल पर पिनाक और यश आमने सामने बैठे हुए हैं l

पिनाक - यश बाबु... आपका कहिए... कैसे याद किया... हमने आपके लिए एक मीटिंग को पेंडिंग कर आए हैं...
यश - वह क्या है कि... बड़े लोग कह गए हैं... उपकार किया तो भूल जाओ और.... पर काम किया हो तो कीमत जरूर माँगों...
पिनाक - हमारे भी बड़े कह गए हैं... उपकार लिया है तो याद रखो... काम लिया है तो कीमत अदा करो.... कहिए यश बाबु... क्या कीमत चाहिए....
यश - एक बहुत बड़ा ज़मीन... मैं पहली बार वाईआईसी फार्मास्यूटिकल्स को कटक से बाहर ले जाना चाहता हूँ... और इस बीच मैं कई बार... राजगड़ जा कर आ चुका हूँ... मुझे वह जगह बहुत पसंद आई है... चूंकि हस्पताल का एक एक्सटेंशन जा रहा है... लगे हाथ फैक्ट्री का भी कल्याण कर दीजिए...
पिनाक - हूँ... पर फैक्ट्री के लिए राजगड़ ही क्यूँ...
यश - फ़िक्र ना करें छोटे राजा जी... मैं जानता हूँ... राजगड़ में आपके सिवाय कोई इंडस्ट्री लगा नहीं सकता... मैं खुद वह बाउंड्री लाइन क्रॉस नहीं करना चाहता... आपका हमारा पार्टनरशिप रहेगा... ज़मीन आपकी इंफ्रास्ट्रक्चर और इंवेस्टमेंट मेरा...
पिनाक - हूँ... प्रपोजल तो अच्छा है... पर फ़िर भी... राजगड़ ही क्यूँ...
यश - वेरी सिम्पल... पूरे राजगड़ और यशपुर... और उसके आस पास जहां भी क्षेत्रपाल एंड कंपनी की फैक्ट्रियाँ हैं... वहाँ पर लेबर कॉस्ट... पूरी दुनिया में सबसे कम है... और सोने पे सुहागा... इस मैटर पर कोई हिम्मत नहीं करता... अपना सर खपाने के लिए...
पिनाक - हाँ... यह तो है...
यश - वैसे कैसा है... अपना हीरो... आपका युवराज...
पिनाक - बढ़िया है... वैसे... उसके लिए थैंक्स... हाँ....
यश - नो मेनशन... कितनी डोज दिया है उसे...
पिनाक - दो डोज... जिस दिन रंगमहल प्रवेश हुआ... उस दिन तो क्या कहने... और दो डोज दिए हैं.... अभी इन तीन महीने में... पर उसका आउट कॉम क्या हुआ... यह मालुम नहीं हुआ....
यश - तो और मत दीजिए... एक बात याद रखिए... छोटे राजा जी... जिसके मन में सेक्स डिजायर होता है... या बायोलॉजीकल नीड होता है... यह दवा उस डिजायर या नीड को बूस्ट करता है... अगर यह दवा खाने वाला... ख़ुद को... सेक्स से दूर रखेगा... तो उस दवा के साइड इफेक्ट से.... उसका फ्रस्ट्रेशन लेवल एलीवेट होगा... जो उसे धीरे धीरे आपके युवराज को.. वाइलेंट करेगा... करता ही जाएगा...
पिनाक - ओ... यश बेटा... क्या सेक्स तुम्हारा भी डिजायर है या नीड....
यश - सेक्स मेरा... ना तो नीड है... ना ही डिजायर... सेक्स तो मेरा पैशन है.....
पिनाक - हूँ... खैर उसकी नौबत नहीं आयेगी.... क्षेत्रपाल है... वह अपना डिजायर फुल फिल कर लेगा...
यश - तो सैंपैन मंगवाये...
पिनाक - हाँ मंगवा लो...

यश फोन पर सैंपैन ऑर्डर करता है l और कुछ देर बाद एक वेटर सैंपैन का बॉटल और दो ग्लास रख कर चला जाता है l

बाहर कुछ देर बाद सेनापति परिवार गाड़ी से पहुंचते हैं l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतर कर सीधे होटल में घुस जाते हैं l तापस गाड़ी पार्क करके अंदर पहुंचता है l तो देखता है एक बहुत बड़े ग्राउंड में कुछ कॉटेज नुमा शेड है तापस ग्यारह नंबर कॉटेज में पहुंचता है l वहाँ लगे टेबल पर पहले से ही प्रतिभा और प्रत्युष दोनों बैठे हुए हैं l तापस उनके पास आकर बैठ जाता है l

तापस - वाह बच्चू... होटल पहुंचते ही अपने बाप को भूल गए...
प्रत्युष - डेड आप मेरा इंसल्ट कर रहे हैं... मैं इतना नामाकूल, नामुराद, नालायक नहीं हूँ...
तापस - तो क्या हो...
प्रतिभा - होनेवाला एमबीबीएस डॉक्टर... प्रत्युष सेनापति...
प्रत्युष - थैंक्स माँ... देखा डैड... डोंट बी सैड...
तापस - (माँ बेटे की जुगलबंदी देख कर मुहँ बना कर चुप बैठता है) वेटर... (बुलाता है)
एक वेटर आकर - यस सर...
प्रत्युष - अरे वेटर... ऑर्डर मैं दूँगा...
वेटर - ठीक है सर... (मेन्यू कार्ड देता है)
प्रत्युष - अरे यह मेन्यू कार्ड हटाओ... मैं जो ऑर्डर करूँ वह लाओ... मेरे लिए... एक मटका बिरियानी और एक बैंबु मटन... माँ के लिए... दो बटर नान चिल्ली पनीर और कढ़ाई मशरूम... और डैड के लिए तीन तंदुर रोटी और एक डाल फ्राय... सिंपल... जाओ...
वेटर - सर स्टार्टर में कुछ...
प्रत्युष - ठीक है... हमारे लिए.. मसाला पापड़ और डैड के लिए ग्रीन सलाद... अब जाओ...

वेटर चला जाता है, वेटर के जाने के बाद प्रत्युष तापस की ओर देखता है, तापस प्रत्युष को ऐसे देख रहा है जैसे वह कच्चा चबा जाएगा l

प्रत्युष - (डरने की ऐक्टिंग करते हुए) क्य.. क्या हुआ डैड... आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
तापस - कमीने... तेरी और तेरी माँ की ऑर्डर देख और मेरी ऑर्डर देख... मैंने क्या बिगाड़ा तेरा... जो मुझे घास फुस खिलाएगा...
प्रत्युष - डैड... जब माँ को बिल पे करना है... तो ऑर्डर स्पेशल होना चाहिए कि नहीं...
तापस - यानी अगर मैं बिल पे करूँ... तो ऑर्डर बदल सकता है...
प्रत्युष - ना... वह अगली बार के लिए...

इतने में वेटर स्टार्टर लाकर टेबल पर सर्व कर देता है l वेटर के जाते ही

तापस - क्या बात है भाग्यवान.... हम बात बेटे में इतना तर्क हुआ... पर तुमने हिस्सा नहीं लिया...
प्रतिभा - हाँ वह... दोनों वहाँ पर जो बैठे हुए हैं... क्या हम उन्हें जानते हैं...
प्रत्युष - ( उस तरफ देखते हैं) हाँ माँ वह जो शूट बूट और फ्रेंच कट दाढ़ी के साथ बैठे हैं... वह हमारे निरोग हस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं... पर उनके बगल में जो बैठे हैं... उन्हें नहीं जानता...
तापस - वह... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल हैं...
प्रतिभा - तभी..... तभी मेरी नज़र बार बार उस तरफ जा रहा है...
प्रत्युष - एक मिनट... (इतना कह कर प्रत्युष उठ जाता है और यश के बैठे शेड तक जाता है, यश से ) गुड इवनींग सर...
यश - (हैरान हो कर) गुड इवनींग... आप कौन हो बरखुरदार... क्या मैं आपको जनता हूँ...
प्रत्युष - नो सर... पर मैं आपको जनता हूँ... सर मैं आप ही के कॉलेज में मेडिकल पढ़ रहा हूँ... इस साल इंटरैंनशीप में जा रहा हूँ...
यश - ओह... कंग्रैचुलेशन... एंड केरी ऑन...
प्रत्युष - थैंक्यू सर...
यश - यहाँ कैसे... माय बॉय...
प्रत्युष - वह सर माँ और डैड के साथ पार्टी करने आया था... आपको देखा तो रहा नहीं गया... इसलिए चला आया... क्यूँ की आप हम सबके... आइडल हैं... आइकॉन हैं... आप तक मीडिया वाले भी नहीं पहुंच पाते... पर आज मैं बहुत लकी हूँ... आपसे मेरी बात हो पा रही है...
यश - थैंक्यू.. थैंक्यू...
प्रत्युष - सर अगर आप बुरा ना माने तो..
यश - क्या...
प्रत्युष - सर यहीँ... मेरे मोम डैड हैं... ईफ यु डोंट माइंड...
यश - ओके...
प्रत्युष - (हाथ से इशारा करते और आवाज देकर) माँ... डैड... प्लीज यहाँ आइए... (प्रतिभा और तापस उस शेड में पहुंचते हैं) सर... यह मेरी माँ हैं... एक लयर और यह मेरे डैड... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस....
यश - (वहीँ बैठे बैठे) हैलो... हैलो...
दोनों - हैलो...
यश - कैन यु जॉइन वीथ अस...
तापस - नो सर... यु प्लीज कैरी ऑन... हमारी ऑर्डर हो चुका है...
प्रतिभा - हाँ आप बड़े लोग... कोई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे होंगे... इसलिए हमे इजाज़त दीजिए... थैंक्यू..
यश - ओके... नाइस मीटिंग यु...

तीनों अपने शेड में लौट आते हैं l तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष पर भड़कते हैं l

प्रतिभा - क्या जरूरत थी... उनके पास जाने की...
प्रत्युष - क्यूँ क्या हुआ माँ...
तापस - देखो प्रत्युष... उनको हमारा वहाँ जाना पसंद नहीं आया...
प्रत्युष - ओह डैड... यह आप कैसे कह सकते हैं...
प्रतिभा - तेरे डैड ठीक कह रहे हैं... वह जो तेरे बॉस के साथ बैठा हुआ है... पिनाक सिंह.... उसने एक बार धमकाया था मुझे... और तुने देखा नहीं उन्होंने हमें फौरन बाय भी कहा... ना दिलसे स्वागत किया ना दिलसे बाय कहा....
प्रत्युष - व्हाट... ओ
प्रतिभा - यह व्हाट किस लिए... ओर ओ... किसलिए...
प्रत्युष - पिनाक सिंह ने आपको धमकी दी.... इसके लिए व्हाट और हमारे एमडी ने ना दिलसे स्वागत किया और ना बाय दिलसे... इसके लिए ओ...
तापस - ओह स्टॉप ईट... हम क्यूँ अपना शाम खराब कर रहे हैं...
प्रतिभा - ठीक है... नो मोर डिस्कशन

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व सुबह तड़के स्पेशल बैरक पहुंचता है lइस बार प्रणब उसका स्वागत करता है l

प्रणब - और विश्व... कैसा गया तुम्हारा एक्जाम...
विश्व - जी बहुत अच्छा गया... वैसे आप सबको थैंक्स... यह दस दिन मुझे छुट्टी देने के लिए...
चित्त - ऑए... थैंक्स या धन्यबाद जो भी करना है... डैनी भाई से बोल... (उधर से चित्त आते हुए) उनके अदालत में मुजरिम तु है...
विश्व - जी वह तो मैं कह ही दूँगा....
प्रणब - चल तु अपने रूटीन में लग जा... पानी निकाल और पेड़ पौधों को पेट भर पीला... चल
विश्व - ठीक है भाई...

इतना कह कर विश्व हांडी को कुए में डाल कर, अपनी दोनों हाथों के तीन तीन उंगलियों के सहारे बाकी दिनों के तुलना में जल्दी जल्दी पानी निकालने लगा और पौधों में भाग भाग कर पानी डालने लगा l प्रणब और चित्त दोनों उसकी आज की फुर्ती देख कर हैरान रह जाते हैं l पौधों में पानी डालने के बाद कुए से सटे सीमेंट की टंकी भी पानी से भर कर विश्व उन दोनों के सामने खड़ा हो जाता है l

विश्व - भाई अब क्या...
प्रणब - हूँ... ओ हाँ... (तीन महीनों में पहली बार विश्व की स्फूर्ति देख कर हैरान हुआ है) वह.. एक मिनट...

प्रणब कुछ दूर जा कर चित्त से बात करता है फ़िर अंदर जा कर बाल्टी लाता है l वह उस बाल्टी को टंकी में उड़ेल देता है l बाल्टी से दो मछलियाँ गिर कर टंकी में गिरते हैं l

प्रणब - चल यह मछली पकड़...

विश्व उस टंकी के पास आकर खड़ा होता है l उसे पानी में दो मछली दिखते हैं l विश्व टंकी में उतरता है l पानी उसके घुटनों के बराबर है l विश्व पानी के टंकी में निश्चल खड़ा रहता है l पांच मिनट बाद मछलीयाँ उसके पैर के पास पहुंचते हैं l अचानक विश्व बारी बारी से पहले दाहिने हाथ फिर बाएं हाथ से दोनों मछलीयाँ पलक झपकते ही पकड़ कर टंकी से बाहर फेंक देता है l अब समीर भी प्रणब और चित्त के पास पहुंच जाता है l विश्व की मछली पकड़ना देख तीनों हैरान हो जाते हैं क्यूंकि विश्व इस बार मछलियों को पकड़ने के लिए वही तीन उँगलियों का इस्तमाल किया था जिन उंगलियों को पानी निकालने के लिए इस्तेमाल किया करता है l विश्व टंकी से निकल कर तीनों के सामने खड़ा हो जाता है l तीनों उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहे हैं l

विश्व - हाँ भाई... अब क्या करना है...
समीर - वैसे डे अल्टरनेट में... या तो मछली पकड़ना है या फिर मुर्गी... पर तेरी स्पीड देख कर आज... मुर्गी पकडने का टास्क भी करले....
विश्व - ठीक है...

तीनों विश्व को लेकर सात नंबर रुम के पीछे पहुंचते हैं l उस रूम के पीछे बीस बाय बीस के एक वर्ग क्षेत्र को तार की जाली से घेरा गया है l जाली वाली वर्ग के भीतर एक मुर्गा चर रहा है l विश्व उस वर्ग में घुसता है l विश्व के घुसते ही मुर्गा सतर्क हो जाता है l विश्व अपनी दोनों बाहें फैला कर मुर्गे को एक कोने तक पहुंचा देता है l कोने में पहुंच कर जब मुर्गे को घिर जाने का एहसास होता है l मुर्गा विश्व को दाएं बाएं छका कर विश्व के सर के ऊपर जंप लगा देता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती से पलट कर मुड़ते हुए छलांग लगाता है l मुर्गे के दोनों पैर विश्व के उंगलियों में फंस जाती है l सिर्फ कुछ ही मिनट में मुर्गा विश्व के कब्जे में थी l इस बार भी विश्व को कोई परेशानी नहीं हुई l मुर्गा हाथ में आने के बाद विश्व इन तीनों के सामने आ कर खड़ा हो जाता है lवह तीनों हक्के बक्के हो कर विश्व को देखते हैं l दस दिन ही तो हुए हैं l डैनी ने विश्व को एक्जाम के लिए छुट्टी दी थी, और यह दस दिन विश्व ने सिर्फ़ पढ़ाई ही किया है l पर आज दस दिन बाद एक अलग विश्व को देख रहे हैं l

समीर - जा पांच नंबर रूम में जा... हम डैनी भाई से पुछ कर आते हैं...

विश्व पांच नंबर रूम की ओर चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है उस कमरे में कोई नहीं है l वह उस कमरे में लगे सभी इंस्ट्रूमेंट्स को उत्सुकता से देखता है l उन पर सिर्फ डैनी को ही कसरत करते देखा है उसने l ऐसे रूम में घुमते घुमते विंग-चुंग के सामने आ कर खड़ा होता है l वह डैनी को विंग-चुंग पर हाथ आजमाते देखा है l विश्व इधर उधर देखता है l उसे कोई नहीं दिखता है l अपनी मन की उत्सुकता को दबा नहीं पाता l इतने दिनों से डैनी जिस तरह से विंग-चुंग पर हाथ चला रहा था उसे याद करते हुए विश्व भी हाथ चलाने लगता है l पहले याद करते करते धीरे धीरे उसका हाथ चलने लगता है l फिर उसके हाथ ज़ोर ज़ोर से चलने लगता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे डैनी के हाथ चल रहा था l विश्व के हाथ तेजी से चलने लगते हैं बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह l क़रीब आधे घंटे बाद उसे लगता है कमरे में वह अकेला नहीं है l विश्व विंग-चुंग से हाथ हटा लेता है और पीछे मुड़ कर देखता है l डैनी अपने पंटरों के साथ खड़ा है और विश्व को सब देख रहे हैं l डैनी को छोड़ बाकी सब विश्व को आँखे फाड़ देख रहे हैं l

डैनी - वाह लौंडे... आज तो तुने कमाल ही करदिया.... आज तुने सारे टास्क वक्त से पहले खतम कर दिया... पर... तुझे मेरे इंस्ट्रूमेंट्स को हाथ लगाना नहीं चाहिए था....
विश्व - वह... स.. सॉरी डैनी भाई.... सॉरी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ी... मिल सकती है... बशर्ते मैं तुझे मारूँगा... पर तुझे मेरी मार लगनी नहीं चाहिए....
विश्व - जी.... जी (हैरानी से)...
डैनी - हाँ जी.... चल तैयार हो जा...

विश्व जाना नहीं चाहता पर वसंत और हरीश उसके पास पहुंचते हैं और धक्का दे कर डैनी के पास भेज देते हैं l पांचो ऐसे घेरे खड़े रहते हैं कहीं विश्व भाग ना जाए l डैनी एक पंच मारता है, विश्व के हाथ अपने अपने उस पंच को रोक देता है l फ़िर डैनी के पंचेस की स्पीड बढ़ती जाती है विश्व के रीफ्लेक्सेस उतनी ही तेजी से बढ़ जाती है l अपने रीफ्लेक्सेस देख खुद विश्व भी हैरान हो जाता है, पर कुछ देर बाद डैनी अपनी वार बदलता है l जिस हाथ का पंच विश्व ब्लॉक करता है उसी हाथ को डैनी मोड़ कर कोहनी से मारता है l इस बार विश्व को लग जाती है l अब कि बार विश्व को डैनी छका कर घुम कर कोहनी से मारता है l विश्व मुहँ के बल गिर जाता है l विश्व फिर संभल कर बैठ जाता है और डैनी को देखता है l डैनी जीम टेबल पर बैठ कर विश्व को देख रहा है l

डैनी - वाह लौंडे वाह... बहुत जल्द पकड़ लिया...

विश्व अपनी जगह से उठता है और सीधे डैनी के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर झुक कर डैनी के पैरों पर गिर जाता है l

डैनी - अरे यह... यह क्या कर रहा है...
विश्व - आप... आप मुझे सीखा रहे थे... लड़ना... मुझे समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ गया है.... पर जो मैंने माँगा नहीं... वह आप मुझे क्यूँ दे रहे हैं....
डैनी - वह इसलिए के तुने..... अपनी भावनाओं के चलते मुझे वहाँ ला खड़ा कर दिया... जिसकी मैं... मुझ जैसा इंसान लायक ही नहीं है... (विश्व को खड़ा करता है)
विश्व - आप क्या कह रहे हैं... मैं कुछ समझा नहीं...
डैनी - तुने अपनी दीदी से कहा है ना... के तु मुझे उतना ही मान देता है... जितना जयंत सर को देता है...
विश्व - जी...
डैनी - तो मुझे... जयंत सर को फॉलो करना पड़ा....
विश्व - (हैरान होकर) फॉलो करना पड़ा... म.. मतलब...
डैनी - तुने मांगा नहीं फिरभी.... उन्होंने अपनी खुद की खुन पसीने की कमाई तुझे दे दी... है ना...
विश्व - जी...
डैनी - तो मैं भी तुझे अपनी खुन पसीने की कमाई दे रहा हूँ... भले ही तुने माँगा नहीं... पर मैं जानता हूँ... तेरी लड़ाई में... यह ज़रूरत पड़ेगी....

विश्व कुछ नहीं कह पाता है उसके आंखों में कृतज्ञता दो बूंद आँसू गिर जाते हैं l

डैनी - विश्व तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी तुम्हारा जज्बाती होना है.... तुम्हें अपने ज़ज्बात पर कोई काबु नहीं है... खुशी हो या ग़म... तुम जफ्त नहीं कर पाते... जाहिर कर देते हो... इसलिए पहले अपने ज़ज्बात पर काबु पाओ.... (विश्व अपनी आँखे साफ करता है) विश्व तुम जो सीखने जा रहे हो... उसे मार्शल आर्ट्स कहते हैं... यानी युद्ध कला... उसके साथ साथ आत्म नियंत्रण और अन्य विषयों में भी तुम को सिखाया जाएगा... और तुम सिखोगे भी... (विश्व अब डैनी को हैरान हो कर देखता है) इन तीन महीनों में जो सीखा और लगातार जिसमें काम किया... उससे तुम्हारा स्टेमिना बढ़ा और अटैक पर ब्लॉक करना नैचुरली एडप्ट कर लिया... और सबसे खास बात... तुमने आज मछली और मुर्गे को पकड़ने के लिए सही तरीका चुना.... यानी तुम्हारे अंदर का शिकारी जाग रहा है.... अब आओ तुम्हें तुम्हारे प्रोफेसरों से मिलवाता हूँ...
इनसे मिलो... समीर मल्लिक... इसके पास एक जबरदस्त क्वालिटी है... अपनी पारखी नजर और बातों से... सामने वाले की प्रोफेशन और कैरेक्टर स्कैन कर सकता है....
अब इनसे मिलो... हरीश बाडत्या... इनके पास भी ग़ज़ब का हुनर है... सच झूठ बोल कर सामने वाले के अंदर की बातों उगलवा सकते हैं.... अगर मान लो किसी इंटरव्यू को जाए... तो बिना तकलीफ के सिलेक्ट हो जाए... इतना इम्प्रेस कर सकता है... इसको टॉकींग स्किल कहते हैं...
औऱ यह हैं प्रणब... यह तुम्हें लठबाजी से लेकर छुरी चाकू तक चलाना सीखा देंगे... सिवाय बंदूक के...
और यह हैं वसंत... इनके ख़ासियत यह है कि ऐसा कोई जेब नहीं जिसको इसने काटा नहीं...
विश्व - जेब काटना...
डैनी - तुझे लगता है... जेब काटना जरूरी नहीं है... पर यह हाथ की सफ़ाई है... पता नहीं कब काम आ जाए...
और अंत में यह... इनसे मिलो चित्त रंजन... इसे अक्सर तुमने खाना सर्व करते हुए देखा है... (विश्व अपना सर हिलाता है) आज से... बल्कि अभी से तुम्हारा डाएट चार्ट इनके हवाले...
सबसे परिचय करवाने के बाद डैनी जीम टेबल पर बैठ जाता है l और विश्व से पूछता है

डैनी - तो विश्व... क्या तुम सीखना चाहोगे...
विश्व - जी...
डैनी - ठीक है चित्त.. तुम्हारे लिए रूटीन बना चुका है... (चित्त से) बताओ इसे....
चित्त - देखो विश्व... दिन रात मिलाकर चौबीस घंटे हुए... तुम आठ घंटे सोने और बाथरुम के लिए इस्तेमाल करोगे... आठ घंटे मे... सुबह चार घंटे और शाम को चार घंटे सिर्फ़ ट्रेनिंग होगी... बाकी के आठ घंटे में तुम्हारा खाना पीना पढ़ना और दूसरे कैदियों से मिलना होगा...
डैनी - समझ गया... (विश्व अपना सर हिलाकर हाँ कहता है) विश्व एक बात जान लो... तुम शायद सीखते सीखते थक जाओगे... पर यह लोग तुम्हें सीखाते सीखाते नहीं थकेंगे... (विश्व फिरसे अपना सर हिलाता है) तो.... लग जाओ ट्रेनिंग पर....
Jabardasttt Updateee

Toh Vishwa ki training start hochuki hai. Ab Vishwa ko woh hatiyaar banaya jaa raha hai jisse pura chetrapal samrajya tabah hogaaa.
 
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जैसा कि सभी रीडर्स ने अनुमान लगाया था कि डैनी विश्वा को सजा नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से ट्रेंड कर रहा है वैसा ही इस अपडेट में जाहिर हुआ ।
इसमें कोई शक नहीं कि यह ट्रैनिंग सेशन काफी हार्ड और कठोर होने वाला है । उसे एक ऐसा ट्रैनिंग दिया जा रहा है जैसा आमतौर पर एक ब्लैक कमांडो को दिया जाता है ।
हम जानते हैं सोना को जितना अधिक तपाया जाता है उतना ही वह और भी खरा बनकर उभरता है । विश्व के साथ वही किया जा रहा है ।
उसने चपलता , स्टैमिना , दर्द सहने की क्षमता में अद्भुत उपलब्धियां हासिल कर ली है लेकिन सिखने के लिए अभी भी काफी लम्बी रास्ते तय करनी है ।
डैनी चाहता है कि वो हर तरह के हथियार चलाने में माहिर हो....नजर गिद्ध की तरह और पारखी हो... बातें स्मार्ट टाॅक की तरह हो...जेब काटने में भी महारथ हासिल कर ले.... मार्शल आर्ट्स में ब्रूस ली की तरह दक्षता हासिल कर ले.... भोजन के लिए मात्रा संतुलित और पौष्टिक हो ।

क्या बात है ब्लैक नाग भाई ! बहुत बढ़िया होम वर्क किया है इस स्टोरी पर । कोई अन्य राइटर्स होता तो थोड़े बहुत शब्दों में इस पुरे परिदृश्य को निपटा देता लेकिन आपने जरा सा भी स्किप नहीं किया है ।

वैसे तो जैसा जूनून अभी तक विश्व ने दिखाया है उससे यह श्योर लगता है कि वो इन सारी विद्याओं में पारंगत हो जायेगा ।

विक्रम के लिए उसकी मरहूम मां ने धर्मसंकट जैसी परिस्थितियां खड़ा कर गई है । सब कुछ जानते बूझते हुए भी वो अपने पिता का साथ दे रहा है । अगर उसकी मां ने उससे भैरव सिंह का हर अच्छे बुरे कामों में साथ देने की वादा नहीं ली होती तो बहुत पहले ही वो अपने बाप के साये से खुद को दूर कर लेता ।
उसकी मां ने आत्महत्या की थी और वजह हंड्रेड परसेंट उसके पति रहे होंगे । वो जानती थी कि उनका पति इंसान के रूप में एक भेड़िया है । फिर ऐसा वाहियात वादे लेने की क्या जरूरत थी ? जिस लड़के ने कभी शराब और सिगरेट नहीं पिया हो उसे एक रेपिस्ट बना दिया । और यह सिर्फ उनके गलत वादे के चलते हुआ । भले ही विक्रम एक अबला की इज्जत लूटते वक्त नशे में रहा होगा पर उससे क्या ! बलात्कारी तो बन ही गया वो ।

भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि अगर कोई गलत कार्य करता है और उसके गलत कार्यों में अप्रत्यक्ष रूप से भी तुम्हारी रजामंदी शामिल है तो तुम भी गलत ही कहलाये जाओगे । मुझे विक्रम की मां की वह सोच बिल्कुल ही नहीं जंची । वो शायद पिता के प्रति पुत्र के कर्तव्यों का निर्वाह करने की नसीहत दे रही थी । उनका मानना था कि जब तक तुम्हारा बाप अपने कर्तव्य से विमुख न हो जाए तब तक तुम अपने कर्तव्य निभाते रहना ।
लेकिन भक्त प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकशिपु के विरुद्ध सच्चाई का साथ दिया था । परमपिता परमेश्वर का पूजन किया था ।

दोनों अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे ब्लैक नाग भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 
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Kala Nag

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Jabardasttt Updateee

Toh Vishwa ki training start hochuki hai. Ab Vishwa ko woh hatiyaar banaya jaa raha hai jisse pura chetrapal samrajya tabah hogaaa.
बिल्कुल जो दिमाग़ से कानून को अच्छी तरह से समझेगा और उसके दायरे में खुद को रख कर क्षेत्रपाल के साम्राज्य को तबाह करेगा
 

Kala Nag

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जैसा कि सभी रीडर्स ने अनुमान लगाया था कि डैनी विश्वा को सजा नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से ट्रेंड कर रहा है वैसा ही इस अपडेट में जाहिर हुआ ।
इसमें कोई शक नहीं कि यह ट्रैनिंग सेशन काफी हार्ड और कठोर होने वाला है । उसे एक ऐसा ट्रैनिंग दिया जा रहा है जैसा आमतौर पर एक ब्लैक कमांडो को दिया जाता है ।
हम जानते हैं सोना को जितना अधिक तपाया जाता है उतना ही वह और भी खरा बनकर उभरता है । विश्व के साथ वही किया जा रहा है ।
उसने चपलता , स्टैमिना , दर्द सहने की क्षमता में अद्भुत उपलब्धियां हासिल कर ली है लेकिन सिखने के लिए अभी भी काफी लम्बी रास्ते तय करनी है ।
डैनी चाहता है कि वो हर तरह के हथियार चलाने में माहिर हो....नजर गिद्ध की तरह और पारखी हो... बातें स्मार्ट टाॅक की तरह हो...जेब काटने में भी महारथ हासिल कर ले.... मार्शल आर्ट्स में ब्रूस ली की तरह दक्षता हासिल कर ले.... भोजन के लिए मात्रा संतुलित और पौष्टिक हो ।

क्या बात है ब्लैक नाग भाई ! बहुत बढ़िया होम वर्क किया है इस स्टोरी पर । कोई अन्य राइटर्स होता तो थोड़े बहुत शब्दों में इस पुरे परिदृश्य को निपटा देता लेकिन आपने जरा सा भी स्किप नहीं किया है ।

वैसे तो जैसा जूनून अभी तक विश्व ने दिखाया है उससे यह श्योर लगता है कि वो इन सारी विद्याओं में पारंगत हो जायेगा ।

विक्रम के लिए उसकी मरहूम मां ने धर्मसंकट जैसी परिस्थितियां खड़ा कर गई है । सब कुछ जानते बूझते हुए भी वो अपने पिता का साथ दे रहा है । अगर उसकी मां ने उससे भैरव सिंह का हर अच्छे बुरे कामों में साथ देने की वादा नहीं ली होती तो बहुत पहले ही वो अपने बाप के साये से खुद को दूर कर लेता ।
उसकी मां ने आत्महत्या की थी और वजह हंड्रेड परसेंट उसके पति रहे होंगे । वो जानती थी कि उनका पति इंसान के रूप में एक भेड़िया है । फिर ऐसा वाहियात वादे लेने की क्या जरूरत थी ? जिस लड़के ने कभी शराब और सिगरेट नहीं पिया हो उसे एक रेपिस्ट बना दिया । और यह सिर्फ उनके गलत वादे के चलते हुआ । भले ही विक्रम एक अबला की इज्जत लूटते वक्त नशे में रहा होगा पर उससे क्या ! बलात्कारी तो बन ही गया वो ।

भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि अगर कोई गलत कार्य करता है और उसके गलत कार्यों में अप्रत्यक्ष रूप से भी तुम्हारी रजामंदी शामिल है तो तुम भी गलत ही कहलाये जाओगे । मुझे विक्रम की मां की वह सोच बिल्कुल ही नहीं जंची । वो शायद पिता के प्रति पुत्र के कर्तव्यों का निर्वाह करने की नसीहत दे रही थी । उनका मानना था कि जब तक तुम्हारा बाप अपने कर्तव्य से विमुख न हो जाए तब तक तुम अपने कर्तव्य निभाते रहना ।
लेकिन भक्त प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकशिपु के विरुद्ध सच्चाई का साथ दिया था । परमपिता परमेश्वर का पूजन किया था ।

दोनों अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे ब्लैक नाग भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
https://xforum.live/members/sanju-v-r.12292/ भाई आपके समीक्षा का हरदम प्रतीक्षा रहती है इसलिए बहुत बहुत धन्यबाद
विक्रम की माँ ने उसे कहा था साथ दे या ना दे पर उनको छोड़ना नहीं जब तक वह खुद अपने तरफ से ना कह दें उनको छोड़ने के लिए जिसका मिस इंटर्पीटेशन विक्रम के दिमाग ने किया है जो आगे चलकर उसे कोई समझाएगा
वैसे धन्यबाद फिरसे
 
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sunoanuj

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Bahut hi behtarin kahani… or last wale update me sab khulasa ho gaya Vishv ko uska master mil gaya jo usko ab training dega …

Bahut jabardast update…
 

Kala Nag

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Bahut hi behtarin kahani… or last wale update me sab khulasa ho gaya Vishv ko uska master mil gaya jo usko ab training dega …

Bahut jabardast update…
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
 

Kala Nag

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