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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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डैनी विश्व के शरीर के हर हिस्से को मजबूत बनवा रहा है।नई नई टास्क्स और फिर अच्छी खुराक। वैदेही भी अपने पूरे रंग में आ चुकी है। शुभ्रा के साथ धोखा हो चुका है और बाद में उसको पता चला होगा जिसकी वजह से वो विक्रम से अपना प्यार और विश्वास खो चुकी है।
थैंक्यू दोस्त बहुत सही कहा है आपने
 

ANUJ KUMAR

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👉बत्तीसवां अपडेट
--------------------

जज - मिस्टर डिफेंस.... आप जिन लोगों का जिक्र कर रहे हैं.... उनमे से एक की हत्या हो चुकी है.... दो फरार हैं.... और एक गायब है....
जयंत - हाँ... पांचवां अदालत में... मुल्जिम के कटघरे में खड़ा है....
जज - मिस्टर डिफेंस... आप जिन चारों पर... षडयंत्र रचने का आरोप लगा रहे हैं.... वह चार फिलहाल कानून के गिरफ्त से दूर हैं...
जयंत - जी... मायलर्ड... इस षडयंत्र में... एक प्यादा फंस गया है... जबकि वज़ीर, घोड़ा हाथी सब फरार हैं... इस मनरेगा के शतरंज में.... खेल ऐसा खेला गया है... की सबका ध्यान... उन पांचो के इर्द-गिर्द ठहर रही है.... जबकि पर्दे के पीछे खिलाड़ी कोई और है....

जयंत के इतना कहते ही कोर्ट रूम में ख़ामोशी पसर जाती है l
तभी वैदेही को कट कट की आवाज़ सुनाई देती है l वह मुड़ कर देखती है भैरव सिंह की बांया भौंवा तन गया है, जबड़ा भींच गई है और दांत पीस रहा है जिससे कट कट की आवाज़ सुनाई दे रही है l वैदेही को अपने भीतर एक ठंडी सिहरन अनुभव होती है l वैदेही भैरव सिंह के नजरों का पीछा करती है तो पाती है, भैरव सिंह गुस्से से सिर्फ़ जयंत को देखे जा रहा है l

जज - मिस्टर डिफेंस... क्या आप कहना चाहते हैं... की इस घोटाले का मास्टर माइंड कोई और है....
जयंत - शायद....
जज - यह कैसा ज़वाब है....

जयंत - मायलर्ड.... रूप के अकाउंट में पैसा आया.... और रूप के पांच प्रमुख सभ्य में से सिर्फ़ एक आदमी यहाँ मौजूद है.... और चारों गायब हैं.... मतलब... आई एम सॉरी टू से... बट आई एम अफ्रैड... शायद उनमें से कोई जिवित ना हो....
जज - व्हाट... क्या एसआईटी रिपोर्ट गलत है...
जयंत - मे बी... मायलर्ड.... जैसे एसआईटी की फॉरेंसिक तथ्य अधुरी थी... उसी तरह उनकी यह भाग जाने रिपोर्ट की तथ्य अधुरी हो....
जज - क्या इस विषय पर आप.... परीडा जी को... फिरसे जिरह करना चाहेंगे....
जयंत - जी... योर ऑनर... बस थोड़ी देर के लिए...
जज - क्या... प्रोसिक्यूशन को कोई एतराज है...
प्रतिभा - नो... मायलर्ड...
जयंत - थैंक्यू मायलर्ड.... थैंक्यू प्रोसिक्यूशन...

फिर हॉकर के बुलाने पर परीडा विटनेश बॉक्स में आता है l

जयंत - हाँ तो परीडा जी... आपके पहले सरकारी गवाह.. तो बड़े.. झूठे निकले... इस पर आप क्या कहना चाहेंगे...
परीडा - जी वो... मैं... (कुछ कह नहीं पाता)
जयंत - परीडा जी... अगर आपका सर्व प्रथम सरकारी गवाह... जिसके गवाही पर यह केस टिकी हुई है... वह झूठा निकले तो.... इसका मतलब आपकी इन्वेस्टीगेशन झूठ की दिशा में मुड़ गई थी... क्यूँ परीडा जी... क्या मैंने सही कहा...


परीडा के मुहँ से कुछ नहीं निकल पाता और वह अपना अगल बगल झांकने लगता है l

जयंत - मायलर्ड... एसआईटी के प्रमुख परीडा जी अभी द्वंद में हैं... कहें तो क्या कहें... खैर परीडा जी आप यह बताएं.. आपने अदालत में यह बयान दिया कि... भुवनेश्वर में आपने अपनी इन्वेस्टीगेशन की रिपोर्ट सबमिट करते वक्त जब मालुम हुआ... शक के दायरे में शामिल लोगों की हत्याएँ होने लगी.... इसलिए आपने देवगड़ के मजिस्ट्रेट से विश्व की गिरफ्तारी का आदेश निकलवाया....
परीडा - जी..
जयंत - क्यूँ... परीडा जी... वारंट सिर्फ़ विश्व के नाम पर निकली... उन पर नहीं.... जिन्हें आपने अपने रिपोर्ट में अभियुक्त ठहराया है....
परीडा - जी वो... हमारे इन्वेस्टीगेशन के दौरान ही... वह तहसीलदार और बीडीओ फरार हो गए.... और आरआई ग़ायब थे...
जयंत - वह फरार हो गए... और आरआई ग़ायब... कैसे मालूम हुआ और इसका मतलब...
परीडा - चश्मदीद गवाह थे... जिनके जरिए मालुम हुआ... के बीडीओ और तहसीलदार अपने परिवार समेत फरार हो गए हैं.... पर आरआई के परिवार अभी भी राजगड़ में हैं... और उनके फरार होने की... कोई चश्मदीद गवाह हमे मिला ही नहीं...
जयंत - क्या उन्हें ढूंढने के लिए.... पुलिस को कोई आदेश दिया गया था....


परीडा कुछ नहीं कह पाता है l अपना सर झुका कर वहीँ खड़ा रहता है l

जयंत - आप जा सकते हैं.... परीडा जी.....

परीडा गर्दन झुकाए अपनी जगह पर जाकर बैठ जाता है l

जयंत - योर ऑनर... रिपोर्ट के मद्देनजर... वारंट पांचो..... अभियुक्तों के विरुद्ध लानी चाहिए थी.... एसआईटी को... पर... उसके बाद... मृतक की घोषणा और फरार होने की पुष्टी होनी चाहिए थी.... योर ऑनर... जो कि इस केस में नहीं हुआ.... क्यूंकि पहले से ही... यह निर्धारित किया जा चुका था.... या हो चुका था... के विश्व ही... प्रमुख व एकमात्र अभियुक्त होगा.... और ऐसा अब तक हुआ है... योर ऑनर.... अब मैं... विटनेश बॉक्स में... राजगड़ थाना के प्रभारी... श्री अनिकेत रोणा से जिरह करना चाहूँगा.... विथ योर परमीशन... मायलर्ड....
जज - आज... रूटीन के अनुसार... श्री रोणा जी की क्रॉस एक्जामिनेशन होना है.... प्रोसिक्यूशन क्या आप डिफेंस के जिरह से पहले... श्री रोणा जी का गावही लेने चाहेंगी....
प्रतिभा - नो... मायलर्ड...(अपनी हाथों में कुछ कागजात लेकर पढ़ते हुए) प्रोसिक्यूशन के लिए... श्री रोणा जी की गवाही... वही अंतिम है.... जो उन्होंने.... एसआईटी को दिया है.... जिरह दौरान अगर मुझे कुछ अखरता है... तब प्रोसिक्यूशन इंटरप्ट करेगी....
जज - वेल... देन... मिस्टर डिफेंस... परमीशन.... ग्रांटेड...

हॉकर रोणा को विटनेश बॉक्स में आने को कहता है l रोणा आकर विटनेश बॉक्स में खड़ा हो जाता है, और गीता पर हाथ रखकर सच बोलने की कसम खाता है l

जयंत - आपका स्वागत है... रोणा बाबु...

पर रोणा कुछ ज़वाब नहीं देता है और घूरते हुए जयंत को देखता है l

जयंत - ह्म्म्म्म... लगता है.... आपको यहाँ आकर... अच्छा नहीं लग रहा है....

रोणा इस पर भी कुछ नहीं कहता है l सर झुका कर दांत पिसते हुए कटघरे के रेलिंग को अपने हाथों से कस कर पकड़ कर इधर उधर देखने लगता है l जयंत अपना सर ऐसे हिलाता है जैसे उसे सब समझ में आ रहा है l

जयंत - ह्म्म्म्म... अच्छा यह बात है... ह्म्म्म्म...

जयंत के ऐसे बोलने पर रोणा हैरान हो कर जयंत को देखता है,

रोणा - पर वकील साहब... मैंने तो अभीतक कुछ कहा भी नहीं....
जयंत - तो मैंने कब कहा कि आपने कुछ जवाब दिया.... मैं तो बस आपकी हरकत पर जवाब दिया...
रोणा - जी.... जी... वह... मैंने ऐसा क्या किया...
जयंत - मैंने आपसे कुछ पूछा था.... रोणा बाबु...
रोणा - वह.... व.. नहीं.. मेरा मतलब है... हाँ... वह... आपने क्या पूछा था....
जयंत - अगली बार सवाल ध्यान से सुनें... रोणा बाबु.... आप यहाँ... विशेष अदालत में हैं... यहाँ आपका हर ज़वाब मायने रखता है....
रोणा - ज... जी.... मैं आगे से ध्यान रखूँगा...
जयंत - हाँ तो... रोणा बाबु.... कैसा लग रहा है...
रोणा - जी... अच्छा तो नहीं लग रहा है.... पर हम कानून के नुमाइंदे हैं... कानून की सेवा के लिए हरदम तैयार रहते हैं.....
जयंत - वाह... क्या बात कही.... वाकई... आपका रेकार्ड भी कुछ ऐसा ही कह रहा है.... आप की उम्र क्या होगी...
रोणा - जी... जी... पैंतीस साल....
जयंत - वाह... वाकई... इस उम्र में... आपने जो मुक़ाम हासिल किया है.... बहुत लोग वह कभी हासिल नहीं कर पाते.... आपकी थाने ने... दो बार ओड़िशा सरकार से जीरो क्राइम मॉडल पोलिस स्टेशन का... राज्यपाल से अवार्ड जीता है... वाह क्या कहने... वैसे आप कितने सालों से... राजगड़ थाना क्षेत्र में प्रभारी हैं...
रोणा - जी तकरीबन छह सालों से...
जयंत - ह्म्म्म्म और आपकी नौकरी.... कितनी साल की उम्र में लगी...
रोणा - जी अपनी चौबीसवें साल में.... मेरी पहली पोस्टिंग.... रेढाखोल में हुई थी...
जयंत - वाह चौबीसवें साल में पहली पोस्टिंग.... और उनतीसवें साल में.... राजगड़ में... पोस्टिंग... वैसे... रोणा बाबु... बीच के इन पांच सालों में... आपकी कितनी बार बदली हुई....
रोणा - जी.... जी वह... त.. ती.. तीन बार...
जयंत - ह्म्म्म्म.... पहले के पांच सालों में... आपकी तीन बार बदली हुई.... पर बाद के छह सालों में.... एक ही थाने में जमे हुए हैं.... क्या बात है.... लगता है आपको पोस्टिंग देने के बाद.... डिपार्टमेंट आपको भूल गई है....
रोणा - ऐसी बात नहीं है.... आखिर डिपार्टमेंट की सिफारिश पर ही... हमारे थाने को... राज्यपाल पुरस्कार मिला है....
जयंत - तो फिर आप इतने दिन.... कैसे एक ही थाने का इंचार्ज बन कर रहे.... कोई ट्रांसफ़र क्यूँ नहीं हुई....
रोणा - यह... मैं... कैसे कह सकता हूँ...
जयंत - मिस्टर रोणा बाबु.... आपके कंधे पर कितने स्टार्स हैं...
रोणा - जी.... तीन...
जयंत - योर.. ऑनर... किसी भी पुलिस ऑफिसर का... एक ही थाने में तीन साल से ज्यादा कार्यकाल नहीं हो सकता.... यह एक आम सरकारी प्रक्रिया है... यदि ऐसा हो तो उस ऑफिसर की पोस्ट और पोस्टिंग दोनों... भीजिलांस इंक्वायरी में आता है... पर यहाँ चूंकि दो बार बेस्ट मॉडल पुलिस स्टेशन का पुरस्कार जीते हैं... शायद इसीलिए... उनकी पोस्टिंग उसी थाने में... बहाल रखी गई है.... (जयंत इतना जज से कह कर रोणा के पास आता है) रोणा जी... आपने विश्व कैसे, क्यूँ और किसलिए गिरफ्तार किया... क्या विस्तार से बताएंगे...
रोणा - जी... उस दिन... मैं अपने थाने में था... तभी थाने पर एक फैक्स आया... देवगड़ मजिस्ट्रेट ऑफिस से.... विश्व प्रताप को गिरफ्तार करने के लिए.... फ़िर हमने फोन पर कंफर्म किया... हमे फोन पर कंफर्मेशन मिलने पर... विश्व को गिरफ्तार करने के लिए निकल पड़े... और मायलर्ड वह फैक्स की कॉपी.... हमने एसआईटी को सौंप दी थी....
जयंत - ह्म्म्म्म... तो विश्व को गिरफ्तार करने के लिए... आपको बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी...
रोणा - जी... बहुत....
जयंत - अच्छा... विश्व... छुपा हुआ था... क्या...
रोणा - जी हाँ...
जयंत - कमाल है... विश्व की गिरफ्तारी की समन देवगड़ से आया.... क्या विश्व को खबर हो गई थी...

रोणा चुप रहता है, कुछ नहीं कहता है तो जयंत उसे पूछता है

जयंत - हैलो रोणा बाबु... मैंने आपसे कुछ पुछा है...
रोणा - जी वह मुझे लगता है.... उसके सारे साथियों के अंडरग्राउंड होने से... शायद खुदको अंडरग्राउंड करने की तैयारी में था....
जयंत - ओ..... वाह क्या थ्योरी है... यह बात आपने एसआईटी तो नहीं बताई.... क्यूँ...
रोणा - क्यूँकी... एसआईटी ने यह सवाल पूछा ही नहीं..
जयंत - ह्म्म्म्म... तो यह बात है... फ़िर आपने उसे कहाँ और कब गिरफ्तार किया....
रोणा - जी उस दिन दोपहर को हमें.... फैक्स मिला... हमने विश्व को उस दिन बहुत खोजा... वह हमे रात के साढ़े दस बजे.... खेतों के बीचों-बीच... बस स्टैंड की ओर भागते हुए गिरफ्तार किया....
जयंत - फ़िर अपने उसे... उसी दिन गोली मारी क्यूँ....
रोणा - नहीं वकील साहब.... विश्व को... गोली अगले दिन देर रात को लगी... जब वह पुलिस को छका कर... थाने से भाग रहा था... और यह मैंने.... एसआईटी को भी बताया है... योर ऑनर....
जयंत - अरे हाँ... लगता है... मैंने ठीक से... रिपोर्ट नहीं पढ़ी... कोई बात नहीं.... अगर मैं कहीं गलत हो जाऊँ.... आप उसे सही कर दीजिएगा....

रोणा जयंत से कुछ नहीं कहता है बस अपने जबड़े भींच कर जयंत को घूरता है और ज़वाब में जयंत उसे मुस्करा कर देखता है l

जयंत - तो रोणा बाबु.... आपने जिस दिन विश्व को गिरफ्तार किया.... और जिस दिन गोली मारी.... उतने समय उसे कहाँ रखा.....
रोणा - अपनी कस्टडी मैं...
जयंत - क्यूँ...
रोणा - क्यूँ मतलब... हमे अरेस्ट करने के लिए के कहा गया था... इसलिए...
जयंत - वाह रोणा बाबु वाह.... किसी भी मुल्जिम को गिरफ्तार करने के बाद.... उसे चौबीस घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है... आपने वैसा कुछ भी नहीं किया.... उल्टा चौबीस घंटे बाद गोली ही मार दी...
रोणा - (हड़बड़ा जाता है और हकलाके) जी.. जी... व... वह... श... शायद अगले दिन छुट्टी था....
जयंत - कमाल करते हैं.... आप भी रोणा बाबु... एकदम कमाल करते हैं.... धोती बची नहीं आपकी... उसे फाड़ के रुमाल करते हैं...
रोणा - क... क्य... क्या मतलब है आ.. आपका..

जयंत अपने टेबल पर जा कर कुछ कागजात उठाता है और वापस रोणा के पास आता है,

जयंत - हाँ तो रोणा साहब... आपने विश्व की गिरफ्तारी साल **** महीना **** तारीख **** मंगल वार को दिखाया है.... और आपकी बदकिस्मती से उस हफ्ते कोई छुट्टी का दिन नहीं था.....

रोणा का चेहरा सफ़ेद पड़ जाता है l वह अपनी जेब से रुमाल निकाल कर चेहरा पोछने लगता है l और पीछे बल्लभ एंड ग्रुप के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है l पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भी भाव नजर नहीं आती है l

जयंत - हाँ तो रोणा साहब... मॉडल पुलिस थाने के... मॉडल इंचार्ज... आपने किस अधिकार से..... विश्व को जुडिशल कस्टडी में भेजने के वजाए..... अपनी यानी पुलिस कस्टडी में रखा.... जब कि आपके थाने में... विश्व के खिलाफ.... कोई आधिकारिक एफआईआर भी दर्ज नहीं हुआ था.... फिर भी अपने विश्व को अपनी कस्टडी में रखा... क्यूँ..
रोणा - जी वो... वह बस पूछताछ करने के लिए...
जयंत - बस... पूछताछ करने के लिए.... कैसे पूछताछ की आपने... की विश्व पर अगले दिन गोली चलानी पड़ी....
रोणा - जी सर... वह... असल में... हमने.....
जयंत - (बीच में रोणा को टोकते हुए) आपने विश्व पर किस अधिकार से... थर्ड डिग्री टॉर्चर की...
रोणा - जी हमने...
जयंत - (फिर बीच में टोकते हुए) क्या आपको... देवगड़ मजिस्ट्रेट ऑफिस से... या एसआईटी से कोई आदेश प्राप्त हुआ था....
रोणा - जी नहीं...
जयंत - फिर आपने... विश्व पर.... टॉर्चर क्यूँ किया....
रोणा - (झल्लाहट से) मायलर्ड ... डिफेंस लॉयर मुझे बरगला रहे हैं... हमने कोई टॉर्चर नहीं किया योर ऑनर...
जयंत - मायलर्ड.... रोणा साहब सफेद झूठ बोल रहे हैं....
जज - मिस्टर डिफेंस... तो आप साबित कीजिए....
जयंत - जरूर.... योर ऑनर... जरूर....

इतना कह कर जयंत अपने टेबल के पास आता है और कुछ कागजात उठा कर जज को दिखा कर

जयंत - मायलर्ड.... यह है... कैपिटल हॉस्पिटल के डॉक्टर. विजय.... के रिपोर्ट.... जब भुवनेश्वर सेंट्रल जैल के सुपरिटेंडेंट... श्री तापस सेनापति जी ने कटक हॉस्पिटल से विश्व को स्थानांतरित किया... तब विश्व की हालत बहुत ही खराब था योर ऑनर... उसका का चेहरा सूजा हुआ था.... और आँखे भी सूजी हुई थी....

इतना कह कर जयंत वह मेडिकल रिपोर्ट राइटर को देता है और राइटर वह रिपोर्ट जज को बढ़ा देता है, जज मेडिकल रिपोर्ट को गौर से देखता है और फिर रोणा को देखता है l

रोणा - योर ऑनर... मैं कुछ... कंफेश करना चाहता हूँ....

रोणा के मुहँ से यह सुनते ही बल्लभ के चेहरे पर पसीना छूटने लगता है l

जज - कहिए....
रोणा - मायलर्ड.... जब हम विश्व को गिरफ्तार करने गए थे.... तब विश्व हमसे पहले लोगों के हत्थे चढ़ गया था..... गांव के लोग.... उसे भगा भगा कर मार रहे थे... हमने किसी तरह उसे वहाँ से बचा कर थाने लाए थे..... यह केस मनरेगा से संबंधित था.... इसलिए गांव को लोगों का नाम... ना उछले.... इसलिए मैंने ऐसा रिपोर्ट बनाया था.... चूंकि विश्व की हालत खराब थी... इसलिए हमने उसे जुडिशल कस्टडी में कुछ दिन... अपनी तरफ से देर करके भेजने का फैसला किया.... पर इतने में विश्व थाने से भागने की कोशिश की.... मजबूरन मुझे गोली चलानी पड़ी.... पर मैंने गोली घुटने के नीचे.... टांग पर निशाना लगाया था.... पर बदकिस्मती से उसके जांघ पर लगी... यही सच है.... योर ऑनर.... यही सच है.... (पूरे एक ही सांस में रोणा कह देता है)
जज - आपका क्या कहना है... मिस्टर डिफेंस....
जयंत - (मुस्कराते हुए) मायलर्ड.... रोणा बाबु अभी भी... झूठ कह रहे हैं.....
रोणा - (चिल्लाते हुए) नहीं नहीं योर ऑनर.... मैंने अभी जो भी कहा..... वह सब सौ फीसद सच ही कहा है....
जज- मिस्टर डिफेंस....
जयंत - जी मायलर्ड.... रोणा बाबु अभी भी झूट ही बोल रहे हैं....
रोणा - क्या झूट बोला है मैंने.... मैंने अभी अभी तो कंफेश किया है.... और सब सच कहा है योर ऑनर...
जयंत - अगर आपका कंफेश को सच मान लिया जाए.... तो आप सच में... निहायत ही नाकारा और नालायक पुलिस ऑफिसर हैं....

ज़वाब में रोणा कुछ नहीं कहता, बस गुस्से से जयंत को घूरे जा रहा है l

जयंत - मायलर्ड.... अगर रोणा बाबु की बात सही है... की भीड़ ने विश्व पर हमला किया.... तो भीड़ के हाथों में पुलिस की लाठी और बेल्ट जरूर पुलिस ने ही दी होगी.....
रोणा - यह सरासर इल्ज़ाम है मुझपर योर ऑनर... बिना सबूत के बचाव पक्ष के वकील... मुझ जैसे रेस्पांसिबल ऑफिसर पर.... ऐसे घटिया इल्ज़ाम नहीं लगा सकते...
जयंत - रेस्पांसिबल ऑफिसर.... आपने विश्व को गिरफ्तार करने के बाद... मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया.... उल्टा भीड़ के हवाले कर दिया.... और भीड़ को अपनी लाठियां और बेल्ट दे दी.... और आप कह रहे हैं रेस्पांसिबल ऑफिसर हैं आप....
रोणा - आप किस बिनाह पर.... मुझ पर यह तोहमत लगा रहे हैं....
जयंत - मायलर्ड... जब रोणा बाबु.... विश्व के हस्तांतरण श्री तापस सेनापति जी को किया... तब विश्व की हालत बहुत ही खराब थी... इसलिए सेनापति जी... कैपिटल हॉस्पिटल के डाक्टर विजय को... विश्व पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा था.... उस रिपोर्ट में... डॉ. विजय ने... वीडियो बनाया था और फोटो भी लिया था.... (इतना कह कर कुछ फोटोस जज को बढ़ाता है) इन फोटो को गौर से देखिए योर ऑनर.... विश्व के पुट्ठ पर अशोक स्तम्भ के निसान दिख रहे हैं.... अशोक स्तम्भ का चिन्ह... या तो पुलिस या फिर आर्मी वालों के कैप और बेल्ट पर होता है.... अब सवाल यह है... की भीड़ के पास वह बेल्ट कहाँ से आया.... या फिर कोई भीड़ था ही नहीं.... विश्व को पुलिस लॉकअप के भीतर टॉर्चर किया गया... क्यूँ रोणा बाबु.... इस पर आप क्या कहेंगे...

रोणा क्या कहे उसे समझ में नहीं आता, वह इधर उधर देखता रहता है l वह सबसे अपना नजर चुराने लगता है l तभी घड़ी में टन टन की आवाज़ आती है l जज लंच ब्रेक की घोषणा करता है l सभी अपने निर्धारित चैम्बर में चले जाते हैं l गवाहों के चैम्बर में भैरव सिंह बैठा हुआ है l उसके सामने सिर झुकाए, हाथ पर हाथ बांधे रोणा खड़ा है l बल्लभ भी एक कोने में खड़ा है और परीडा दरवाजे के पास खड़ा है l कमरे में सबके चेहरे पर टेंशन झलक रहा है पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिख रहा है l शायद यही वजह है कि रोणा और भी ज्यादा डरा हुआ है l कमरे की ख़ामोशी को तोड़ते हुए

भैरव - जानते हो... वह युद्ध राजा हमेशा हार जाता है... जब वह इस बात से बेफिक्र हो जाए... के फौज उसकी हिम्मत है... उसके पास.... उसके एक बात पर जान देने व जान लेने वालों की फौज है... वह राजा कभी भी युद्ध हार सकता है... युद्ध जितने के लिए फौज तो चाहिए.... पर फौज की हिम्मत अगर राजा हो... तो वह फौज कभी जंग नहीं हारती.... अब तक मैं पीछे था.... इसलिए परिणाम ऐसा आया है... अब मैं तुम लोगों के आगे हूँ.... फिक्र मत करो.... तुम लोगों को कुछ होने नहीं दूँगा.....

भैरव सिंह के इतने कह देने से रोणा को कुछ अच्छा महसूस होता है l बल्लभ आकर रोणा के कंधे पर हाथ रखकर उसका हिम्मत बढ़ाता है l
उधर दुसरे तरफ अलग कमरे में जयंत, विश्व और वैदेही बैठे हुए हैं l जयंत देखता है दोनों के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा है l

जयंत - क्या बात है.... सब कुछ तो सही जा रहा है.... फिर तुम दोनों अपना मुहँ क्यूँ लटकाए बैठे हुए हो....
विश्व - जब तक भैरव सिंह दिख नहीं रहा था.... तब तक चिंता की कोई बात नहीं थी.... पर अब उसका आना.... मुझे किसी खतरे का आभास हो रहा है.... हमारे लिए नहीं..... आपके लिए....
जयंत - देखो.... मैं जानता हूँ.... वह इस केस में... तुम्हें फंसा कर इतना दूर लाया है.... तो आखिरी मौके पर हाथ से कैसे जाने देगा.... पर मैं हर सिचुएशन के लिए तैयार हूँ....
वैदेही - मैं जानती हूँ.... सर.... पर जब तक वह इस पटल में नहीं था.... तब तक ठीक था.... पर जैसे ही भैरव सिंह आया है.... मुझे आपकी चिंता हो रही है.... मैं जानती हूँ... वह अपनी अहंकार के लिए.... किसी भी हद तक गुजर सकता है....
जयंत - मैंने जब इस केस को हाथ में लिया था... तभी मुझे अंदाजा हो गया था... याद है... मैंने कहा था.... बहुत से वकीलों की इस केस को ना लेने की वजह.... पैसा नहीं है.... कुछ और है.... वह वजह यही है.... इसी को ध्यान में रख कर... मैंने अदालत से अपनी सुरक्षा की मांग की थी.....
विश्व - आप ने जो भी किया ठीक किया.... पर अब तक.... वार पे वार.... आप की तरफ से हुआ है... वह किस तरह का पलट वार करेगा.... इसका अंदाजा हमे नहीं है.....
जयंत - (मुस्कराते हुए) मेरे लिए तुम्हारा फिक्रमंद होना अच्छा लग रहा है.... यही तो मेरी फीस है.... हा हा हा....

वैदेही और विश्व उसे ऐसे बेफ़िकर हो कर हसते हुए हैरान हो कर देखे जा रहे हैं l और एक कमरे में तापस और प्रतिभा दोनों बैठे हुए हैं l

तापस - क्या आज जानबूझकर तुमने.... उस रोणा की स्टेटमेंट नहीं लिया ना....
प्रतिभा - हाँ... अपने सही कहा.... मुझे उन झूठों की स्टेटमेंट ले कर.... उस मासूम के खिलाफ... (प्रतिभा और कुछ नहीं कह पति)
तापस -( प्रतिभा की हाथ पर अपना हाथ रख कर) रिलैक्स....
प्रतिभा - थैंक्स (मुस्कराते हुए)


_____×_____×_____×_____×_____×_____×


कोर्ट रूम
विश्व मुल्जिम के कटघरे में और रोणा वीटनेस बॉक्स में खड़े हैं l
जज - मिस्टर डिफेंस आप आगे की कार्रवाई को आगे बढ़ाएं...
जयंत - जी मायलर्ड... वीटनेस बॉक्स में खड़े यह शख्स.... अनिकेत रोणा.... एक नाकारा व नाकाबिल ऑफिसर हैं... पहली बात इन्हें... विश्व को सिर्फ़ गिरफ्तार करने के लिए आदेश मिला था... और इन्होंने मंगलवार को रात दस बजे गिरफ्तार भी किया... पर उसके बाद... एक कानून के जिम्मेदार मुलाजिम होने के बावजूद..... उन्होंने कानून की अवहेलना की... विश्व को अपने कस्टडी में रख कर.... बिना रिमांड में लेकर.... पूछताछ करने के नाम पर... बेइंतहा टॉर्चर भी की.... और फाइनली गोली भी मारी....इस बात की पुष्टि खुद डॉक्टर ने की है.... अदालत चाहे तो उन्हें गवाही के लिए बुला सकती है... उनकी रिपोर्ट साफ कह रही है.... टॉर्चर के बाद गोली मारी गई है.... और इस तरह के टॉर्चर के बाद कोई भी आम इंसान भागना तो दूर चल भी नहीं सकता.... और अपनी इस करनी को.... लोगों के मत्थे मढ कर खुदको बचाने की कोशिश करने लगे.... उससे भी इनकी अंतरात्मा को शांति नहीं मिली..... के शुक्रवार तक सेंट्रल जैल के अधिकारी श्री तापस सेनापति जी के.... हवाले करने तक... विश्व के टांग में गोली धंसी रही.... पता नहीं इनके आधीन जो थाना आता है... कैसे उसे मॉडल पुलिस स्टेशन का पुरस्कार मिला.... जब कि मैं दावे के साथ कह सकता हूँ.... अगर थाने में कोई... रिपोर्ट दर्ज कराने आता भी हो... तो यह महाशय रिपोर्ट स्वीकार ही नहीं करते होंगे....
जज - यह अदालत डिफेंस लॉयर के दलील पर इत्तेफाक रखती है.... श्री अनिकेत रोणा.... डिफेंस के द्वारा रखी दलील पर आप क्या कहना चाहेंगे....
रोणा - (जज को हाथ जोड़कर) मायलर्ड... इस न्यायपालिका में... झूठ अगर टिक पाता.... तो उस दीवार पर "सत्य मेव जयते" कभी लिखा ना होता.... इस केस में मेरी भूमिका अब तक संदेह के घेरे में है.... इसलिए मैं अब सब सच कह कर... कानून व सत्य की जीत का आश्वासन देता हूँ....

रोणा की इस तरह रंग बदल कर कहना जहां विश्व, वैदेही को अचरज में डाल दिया, वहीँ बल्लभ और भैरव के चेहरे पर शैतानी मुस्कराहट नाचने लगती है l

रोणा - मायलर्ड.... मेरा नाम श्री अनिकेत रोणा है... मैं पिछले छह वर्ष से राजगड़ थाना का प्रभारी हूँ.... मुझे इस बात का गर्व है... की मेरी कुशलता के चलते... राजगड़ थाना को दो बार मॉडल थाना के लिए राज्यपाल पुरस्कार मिला है.... इसलिए राजगड़ से खास लगाव है.... राजगड़ बेशक मेरी जन्म भूमि नहीं है.... पर मेरी कर्म भूमि है... यहाँ के हर आम जनता से ही नहीं.... हर कंकर कंकर से मुझे लगाव है.... इतना लगाव है कि राजगड़ के सम्मान के लिए कुछ भी कर जाऊँ....

इतना कह कर रोणा जयंत को देखता है और फिर जज को देख कर

रोणा - मेरे इतने वर्ष के सेवा में... राजगड़ में कोई चोरी डकैती या लूटपाट की घटना नहीं हुई थी.... पर अचानक बैंक अधिकारी और तहसील ऑफिस के एक कर्मचारी को ट्रक कुचल देती है.... तहकीकात में हत्या का अंदेशा होता है... फ़िर अचानक से तहसीलदार और बीडीओ ग़ायब हो जाते हैं.... और हमे आदेश मिलता है... देवगड़ तहसील ऑफिस से... एक मामूली आदमी विश्व की गिरफ्तारी के लिए.... वह भी भुवनेश्वर राज भवन से आई आदेश के आधार पर.... तब मुझे यह समझ में आया.... जरूर बहुत बड़ा खेल हुआ है... यह बात मेरी अंतरात्मा को झिंझोड कर रख दिया योर ऑनर.... मुझे वाकई बर्दास्त नहीं हुआ.... मुझे लगा.... जो दो बार राज्यपाल पुरस्कार मिला है.... वह दो शूल बन कर मेरे दिल को चुभो रहा है.... बस इसी आवेश में... मैंने विश्व के गिरफ्तारी के बाद टॉर्चर की.... पर सिर्फ़ मंगलवार की रात को.... पर चूंकि मार थोड़ी ज्यादा हो गयी थी.... इसलिए मैंने यह निर्णय लिया कि विश्व को गुरुवार को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करूंगा.... पर होनी को कुछ और ही मंजूर था.... विश्व भले ही थाने में था.... पर उसे बांध कर नहीं रखा गया था.... योर ऑनर.... डॉक्टर भी इंसान होते हैं योर ऑनर.... जरूरी नहीं कि उनकी रिपोर्ट पूरी तरह सही हो.... चूंकि विश्व बंधा हुआ नहीं था.... इसलिए मौका देख कर वह वहाँ से भाग निकला.... तब जाकर मैंने उसपर गोली चलाई.... अगर इरादतन गोली चलाई होती.... तो शायद आज यहाँ केस की सुनवाई नहीं हो रही होती.... हाँ मुझसे जो भी हुआ वह आवेश में हुआ... इसके लिए अदालत मुझे जो भी सजा देगी... मुझे स्वीकार होगी.... बस मायलर्ड बस.... यही सच है....

रोणा का बयान ख़त्म होते ही अदालत में ख़ामोशी छा जाती है, विश्व और वैदेही का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l जयंत भी कुछ सोच में पड़ जाता है l पर बल्लभ एंड कंपनी और भैरव सिंह के चेहरे पर शैतानी मुस्कराहट नाच उठती है l

जज - मिस्टर डिफेंस... क्या आप और कुछ पूछना चाहेंगे....
जयंत - (हैरानी के साथ रोणा को देखते हुए) नो... योर ऑनर... नो...
जज - प्रोसिक्यूशन... रोणा जी की बयान पूरी तरह से बदल गई है... क्या आप इस पर जिरह करना चाहेंगे...
प्रतिभा - जी नहीं... योर ऑनर.... मैं इस बदले हुए बयान को.... अगली सुनवाई तक पढ़ कर समझना चाहूँगी.....
जज - ठीक है.... इस हफ्ते की सारी कारवाई पूरी की जा चुकी है... अगले हफ्ते.... श्री भैरव सिंह जी की गवाही शेष है.... उसके बाद.... प्रोसिक्यूशन और डिफेंस अपना अपना मत रखेंगे.... फिर अदालत अपना निर्णय सुनाएगी.... तब तक के लिए आज की यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ द कोर्ट इज़ एडजर्न...

सब खड़े हो जाते हैं l तीनों जज चले जाते हैं l फिर धीरे धीरे कोर्ट का वह रूम खाली हो जाती है, सिर्फ़ दो लोग वहीँ बैठे रह जाते हैं l जयंत और वैदेही l वैदेही देखती है जयंत को गहरी सोच में डूबे हुए l फिर कुछ देर बाद जयंत अपना सर हिलाते हुए अपनी जगह से उठता है l वैदेही भी उसके पीछे उठ कर जयंत के पीछे पीछे बाहर निकल जाती है l

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नमस्कार, प्रणाम, और शुभ संध्या..... आज शाम की प्राइम टाइम खबर के लिए ख़बर ओड़िशा में आप सबका स्वागत है..... मैं अरुंधति..... आज सप्ताहांत विशेष में भारत की न्यायपालिका और न्याय व्यवस्था.... इस विषय पर हमारे साथ चर्चा करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व न्यायधीश श्री निरंजन पटनायक जी हमारे साथ हैं.... हाँ तो पटनायक जी... आज का पहला सवाल.... क्या हमारी न्याय व्यवस्था सुदृढ़ है...
पटनायक - अरुंधति जी... यह बहुत ही पेचीदा सवाल है... जिसका ज़वाब बहुत ही मुश्किल है....
अरुंधति - ऐसा क्यूँ... मैंने तो सीधा सा सवाल पूछा है कि... क्या भारत में न्याय व्यवस्था या न्याय तंत्र सुदृढ़ है...
पटनायक - मैं इसका जवाब अवश्य दूँगा.... पर पहले यह प्रश्न आपने किस सन्दर्भ में उठाया है... यह पहले साफ करें...
अरुंधति - आज हमारे राज्य के.... हर जागरूक नागरिक का ध्यान.... अदालत में.. हाल ही में चल रहे मनरेगा आर्थिक घोटाले पर.... रोज हो कारवाई पर लगी हुई है... तो कुछ प्रक्रिया पर लोग नाराज दिख भी रहे हैं... इसलिए मैंने यह प्रश्न उठाया है...
पटनायक - देखिए... न्याय व्यवस्था.... एक प्रक्रिया है... जो कि बलिष्ठ प्रमाण व गवाहों पर निर्भर रहता है... यह केवल हमारी न्याय व्यवस्था ही नहीं... बल्कि दुनिया के हर मुल्क में यही मुख्य न्याय प्रक्रिया है.... यह वकीलों की प्रस्तुत की जाने वाली दलीलों पर निर्भर करता है....
अरुंधति - जी पटनायक सर.... पर हाल ही में... जब मनरेगा घोटाला सामने आया... तब लोगों के आक्रोश को देख कर... सरकार ने जल्दी सुनवाई के लिए ना सिर्फ़ नियमित सुनवाई की व्यवस्था की.... बल्कि तीन जजों की पैनल भी बनाया...
पटनायक - हाँ... कभी कभी... जन आक्रोश का सम्मान भी करना चाहिए... क्यूंकि सरकार अखिर जनता की है...
अरुंधति - पर अब जनता में.. एक दुसरा आक्रोश फैल रहा है...
पटनायक - कैसा... आक्रोश...
अरुंधति - इसके लिए चलिए हम सीधे अपने सम्वाददाता प्रज्ञा के पास चलते हैं.... हाँ तो प्रज्ञा.... लोगों में... इस केस को लेकर और अब तक हुई कारवाई पर... क्या प्रतिक्रिया है....
प्रज्ञा - जी अरुंधति... अब तक केस की जिस तरह से सुनवाई चल रही है... लोगों ने अलग अलग राय दी है... किसीको इस केस में हुए... प्रगति पर कोई संतुष्टि नहीं है... और कुछ कुछ लोग तो इस बात से नाराज हैं.... की सरकार ने अभियुक्त की बचाव के लिए वकील नियुक्त किया है...
अरुंधति - आइए इस बारे में.... हम पटनायक सर जी से पूछते हैं... तो पटनायक सर... आप इस बारे में क्या कहेंगे...
पटनायक - देखिए.... न्याय प्रक्रिया में अगर नियमित सुनवाई हो रही है.... यही मुख्य है... वरना किसी कसी केस में... फैसला आते आते बीस से पच्चीस साल तक लग जाते हैं.... और रही सरकार का किसी अभियुक्त के लिए वकील नियुक्त करना.... तो एक बात याद रखें... न्याय पर सबका समान अधिकार होता है.... आर्टिकल 22 के अंतर्गत राइट टू काउन्सल के तहत.... न्याय व्यवस्था में.... अदालत ऐसे किसी अभियुक्त को सजा नहीं दे सकती है... जब तक उसकी पैरवी कोई वकील नहीं करता हो... यह संविधान में दिया गया... एक अधिकार है... और हम सब संविधान से जुड़े हुए हैं.... तो संविधान के विरूद्ध कोई जागरूक नागरिक कैसे जा सकता है....
अरुंधति - कह तो आप सही रहे हैं... पर लोगों का आक्रोश का क्या...
पटनायक - देखिए... जन आक्रोश के आड़ में... संविधान की बेदी पर... बगैर सुनवाई के किसीकी बलि चढ़ाना... यह कौनसे सभ्य समाज को शोभा देगा...
अरुंधति - प्रज्ञा... इस बारे में.. लोग क्या प्रतिक्रिया दे रहे हैं...
प्रज्ञा - जी अरुंधति... मेरे साथ कुछ लोग हैं... जो अपनी राय... हमारे चैनल के जरिए... लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं... हाँ तो आपने जस्टिस पटनायक जी को सुना... इस पर आप क्या कहना चाहेंगे...
लोग 1- कहना क्या है... ठीक है संविधान कहता है.. तो इसलिए सरकार ने वकील नियुक्त किया... पर वकील उस केस में अपना जान क्यूँ लगा रहे हैं... जिसे एसआईटी ने बड़ी मेहनत से पकड़ा है...
अरुंधति - हाँ तो पटनायक जी... इनके इस सवाल के जवाब में... आप क्या कहाना चाहेंगे...
पटनायक - सिर्फ़ इतना... के कानून भावनात्मक रूप से कभी नहीं सोचता है... बलिष्ठ दलील और प्रमाण के चलते न्याय किया जाता है....
प्रज्ञा - (किसी दुसरे आदमी से) अब आप... क्या कहना चाहेंगे...
लोग 2 - अब सरकार के वकील नियुक्त से... उन सरकारी संस्थानों के विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लग रहा है... जिन्होंने दिन रात एक कर.... तहकीकात की... और अंत में अपराधी को धर दबोचा....
अरुंधति - यह तो जायज प्रश्न है.... पटनायक सर... एक सरकारी अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान को.... एक सरकारी वकील आ कर जूठा साबित करे... क्या यह उचित है....
पटनायक - देखिए... आज भी लोग... अनुसंधान मूल उपन्यास के नाम पर.... शेरलॉक होम्स, व्योमकेश बक्शी या करमचंद की कहानियाँ या उपन्यास पढ़ते हैं.... क्यूँ... क्यूंकि कहीं ना कहीं... अनुसंधान में कुछ कमी रह जाती है... उसी कमी को... तर्क व वितर्क के द्वारा अदालत में.... पूरी की जाती है...
प्रज्ञा - (एक तीसरे आदमी से) आप का क्या विचार है.... इस बात पर..
लोग 3 - चाहे कुछ भी हो.... पर हमे वह वकील... जरा भी पसंद नहीं आया.... हमे बस इतना मालूम है.... अपनी जीत के लिए... किसी भी हद तक जा रहा है... अपनी जिरह से सरकारी गवाह को बेहोश तक कर दिया उसने.... इससे हम कैसे न्याय की उम्मीद कर सकते हैं....
अरुंधति - तो पटनायक सर.... यह जनाब बहुत ही आक्रोश में लग रहे हैं.... आप इनके लिए क्या कहेंगे....
पटनायक - देखिए... आपको न्याय व्यवस्था में विश्वास रखना होगा.... न्याय की अपनी एक प्रक्रिया है... प्रणाली है.... और सब अपने अपने कर्तव्य से अवगत हैं... अगर कोई निजी वकील होते तो... यह लांछन लगा सकते थे... यह ना भूलें... इस केस में डिफेंस लॉयर भी सरकारी हैं... केस जितने से... सरकार उन्हें कोई एक्स्ट्रा इंसेंटिव नहीं देगी.... मैं इतना कहूँगा आप ऐसे आरोप लगाने से बचें....
टीवी बंद कर देता है तापस l उसके टीवी बंद कर देने से प्रतिभा और प्रत्युष दोनों तापस की ओर देखते हैं l तापस रिमोट को सोफ़े के ऊपर फ़ेंक देता है l
प्रतिभा - क्या हुआ...
तापस - कुछ नहीं...
प्रतिभा - तो फिर आपने टीवी बंद क्यूँ कर दिया...
तापस - पता नहीं भाग्यवान तुमको भान हुआ या नहीं.... पर मुझे एक अलग सा षड़यंत्र की बु आ रही है....
प्रतिभा - मतलब....
तापस - असली खिलाड़ी जो... इस घोटाले के पीछे है.... वह पहले भीड़ और मीडिया को विश्व के खिलाफ इस्तेमाल किया.... अब भीड़ वही है... मीडिया भी वही है... पर निशाना अब विश्व नहीं.... जयंत सर हैं.....
Amazing update
 

Kala Nag

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Kala Nag

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Bahut hi shandar update hain Bhai, gazab ka likh rahe ho aap

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धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
अगला अपडेट कल देर शाम तक आ जाएगा
 
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धन्यबाद धन्यबाद और धन्यबाद
अगला अपडेट कल देर शाम तक आ जाएगा
शाम गुजरने को है और रात होने को है,
अपडेट कब तक आ रहा है।
 

Kala Nag

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👉पैंतालीसवां अपडेट
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तीन महीने बाद
ESS ऑफिस में विक्रम, पिनाक और वीर बैठे हुए हैं l महांती उस कैबिन के दीवार पर लगे मैप पर पिन लगा कर लाल घागा बांध कर तीनों के तरफ मुड़ता है l

महांती - सो वेलकम जेंटलमेन... मैं आज आपको गुड न्यूज दे रहा हूँ... ऑल मोस्ट ऑल ऑर्गनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउसेस, मीडिया हाउसेस, बैंक और इंस्टिट्यूशन्स सभी को... भुवनेश्वर में हम... सिक्युरिटी प्रोवाइड करेंगे.... वह भी हमारी सर्विलांस के साथ....
पिनाक - वाह... बहुत अच्छे... युवराज जी वाह... आपका प्लान वर्क आउट कर गया...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आगे क्या सोचा है....
विक्रम - (महांती के ओर देख कर) महांती... यह स्पाय बग क्या होता है...
महांती - ट्रांसमीटर, ट्रैकर... बहुत कुछ....
विक्रम - देखो महांती... हम से जो भी सर्विस लेंगे... उनके अपने टर्मस एंड कंडीशनस होंगे... पर... हमे अग्रीमेंट के बीयंड जाना है...
महांती - समझ गया... युवराज...
वीर - क्या समझ गया... हम भी इस टीम में हैं... तो हमे भी थोड़ा समझाओ...
महांती - राजकुमार जी... युवराज जी के कहने का मतलब... हम उनके पर्सनल और प्रोफेशनल सारे डिटेल्स तक पहुंचेंगे... उनकी प्राइवेट और सीक्रेट सब हमारे पास सीक्रेट नहीं रहेगा... और उसके आड़ में बहुत कुछ हासिल हो सकता है...
वीर - मतलब...
विक्रम - मतलब यह है कि.... हम राजधानी में प्रभाव बढ़ाने जा रहे हैं... हम कोई बिजनैस नहीं करेंगे पर... सभी बिजनैस में हम ही हम होंगे... या तो प्यार से... या फ़िर जोर से...
वीर - ओ... मतलब हर बिजनैस में... हमारा हिस्सा होगा... पर इसके लिए... हमे बहुत हाईटेक होना होगा... हमे सबमें बेस्ट होना होगा....
महांती - हाँ हमारे गार्ड्स के ट्रेनिंग... उसी लेवल का हो रहा है... यकीन मानिए राजकुमार जी... आने वाले समय में... ESS की इंटेलिजंस भी.. सीआईडी या सीबीआई जैसी होगी... उनसे उन्नीस तो बिल्कुल नहीं होगी...
पिनाक - वाव...
विक्रम - छोटे राजा जी... डेविल आर्मी तैयार हो गई है... अब हैल की डिवेलपमेंट कहाँ तक पहुँची है....
पिनाक - शायद और दो महीने बाद... हम गृह प्रवेश कर पाएंगे...
विक्रम - ठीक है... महांती... हमारी रेपुटेशन कुछ उस लेवल तक हो... की लोग थाने के वजाए हमारी ESS के पास आए... और वह सब हम खुद डील करेंगे...
महांती - जी युवराज... हो जाएगा... पर ख़र्चे भी उस लेवल का होगा... और एक बात... अब आप, राजकुमार और छोटे राजा जी सब ESS की सिक्युरिटी लेकर चलें....
वीर - यह सिक्युरिटी लेकर चलना आपको मुबारक... हम नहीं लेकर जाने वाले...
विक्रम - क्यूँ....
वीर - फ़िलहाल हम स्टूडेंट लाइफ एंजॉय करेंगे... जब हम भी डायरेक्ट पालिटिक्स में आयेंगे... तब देखेंगे... आप बस महांती को पैसे की बात देखिए...
पिनाक - आप उसकी फ़िक्र मत करो.... जो भी है... वन टाइम इंवेस्टमेंट है... वैसे महांती क्या करोगे...
महांती - एक बहुत बड़ा सर्वर रूम... कंट्रोल रूम...
पिनाक - ठीक है.. ठीक है... जो भी है... उस पर काम शुरू कर दो...
विक्रम - महांती... यह बग के इंस्टालेशन जितना सीक्रेट हो उतना अच्छा...
महांती - उसकी फ़िक्र आप ना करें... वह सब सीक्रेट ही रहेगा...

इतने में पिनाक का फोन बजने लगता है l पिनाक वह फोन देख कर थोड़ा मुस्कराता है और

पिनाक - मुझे पार्टी ऑफिस जाना होगा... बाकी यह प्रोजेक्ट और यह प्लान आपका है... युवराज.... इसलिए आगे क्या हो सकता है और आप क्या कर सकते हैं... यह आप सोचिए... हम चले अपने प्रोजेक्ट पर....
वीर - आपका प्रोजेक्ट...
पिनाक - हाँ... क्यूँ हमारा कोई प्रोजेक्ट नहीं हो सकता है क्या....
वीर - क्यूँ नहीं हो सकता... पर युवराज जी का रंगमहल प्रवेश हो चुका है...(विक्रम के ओर देखते हुए) तो क्या उनको पता है... आपके प्रोजेक्ट के बारे में...
विक्रम - नहीं... हमे नहीं पता...
पिनाक - हमारा यह प्रोजेक्ट पुरी तरह से पर्सनल है... इसलिए युवराज नहीं जानते....

इतना कह कर पिनाक वहाँ से निकल जाता है l पिनाक के जाने के बाद महांती भी विक्रम से इजाजत लेकर बाहर चला जाता है l

वीर - तो हम चलें...
विक्रम - राजकुमार जी... अब आप गाड़ी चलाना सीख लीजिए... आप पूरी तरह इंडिपेंडेंट बन जाइए....
वीर - ह्म्म्म्म... आइडिया अच्छा है... पर अब तो मेरे ड्राइवर आप हैं....
विक्रम - ठीक है राजकुमार.... आज के लिए ही हम आखिरी बार... गाड़ी ड्राइव करेंगे... क्यूंकि कल से... हम गार्ड्स से घिरे रहेंगे... पुरे वीवीआईपी के जैसे...
वीर - ठीक है...

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गाड़ी के पीछली सीट पर प्रतिभा और प्रत्युष बैठे हुए गप्पे लड़ा रहे हैं और रेअर मिरर से उन दोनों को मजे से गप्पे लड़ाता देख चिढ़ा हुआ तापस गाड़ी ड्राइविंग कर रहा है l

प्रतिभा - हाँ तो ड्राईवर... गाड़ी को जरा महानदी व्यू होटल ले चलो...
तापस - यह बहुत हो रहा है... तुम माँ बेटे... मुझसे ऐसे बदला ले रहे हो... जिस दिन मेरी बारी आएगी... उस दिन देखलेना...
प्रत्युष - देखो ड्राइवर... आप बस कार ड्राइव करो... हमारे पचड़े में मत पड़ो...
तापस - तो बिल भी आप दे देना मालिक...
प्रत्युष - कौनसा बिल...
तापस - क्यूँ... होटल में बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा...
प्रतिभा - कोई नहीं... बाप नहीं... इस बार बिल माँ भरेगी...
प्रत्युष - देखा... हो गया ना आपका पोपट...
तापस - हाँ बेटे... तुम माँ बेटे मिलकर मुझसे चीटिंग कर... पत्ते में हराया है... और ड्राइवर बना कर... लिए जा रहे हो...
प्रत्युष - हाँ तो... आपने ही तो चैलेंज लिया था... के हॉकी के चक्कर में... मैं इंटरेंशिप भी नहीं कर पाऊँगा...
प्रतिभा - और नहीं तो... इंटेरेंशिप तक पहुंच गए तो ड्राइवर बन कर ट्रीट दोगे बोले भी थे... बचने के लिए तास की पत्ते का गेम चैलेंज दिया... आपने लिया...
प्रत्युष - इसलिए ड्राइवर... ट्रीट तो माँ ही देगी... आप बस टीप दे देना...
तापस - हम्म... याद रखूँगा...
प्रतिभा - वाकई यह दिन याद रखने लायक है... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस... मिस्टर तापस कुमार सेनापति... आज ड्राइवर बन गए हैं...

दोनों माँ बेटे हँसने लगते हैं l तापस गुस्से से उनको रेअर मिरर से देखता है और मुहँ बना कर गाड़ी चलाता है l उसी होटल के एक टेबल पर पिनाक और यश आमने सामने बैठे हुए हैं l

पिनाक - यश बाबु... आपका कहिए... कैसे याद किया... हमने आपके लिए एक मीटिंग को पेंडिंग कर आए हैं...
यश - वह क्या है कि... बड़े लोग कह गए हैं... उपकार किया तो भूल जाओ और.... पर काम किया हो तो कीमत जरूर माँगों...
पिनाक - हमारे भी बड़े कह गए हैं... उपकार लिया है तो याद रखो... काम लिया है तो कीमत अदा करो.... कहिए यश बाबु... क्या कीमत चाहिए....
यश - एक बहुत बड़ा ज़मीन... मैं पहली बार वाईआईसी फार्मास्यूटिकल्स को कटक से बाहर ले जाना चाहता हूँ... और इस बीच मैं कई बार... राजगड़ जा कर आ चुका हूँ... मुझे वह जगह बहुत पसंद आई है... चूंकि हस्पताल का एक एक्सटेंशन जा रहा है... लगे हाथ फैक्ट्री का भी कल्याण कर दीजिए...
पिनाक - हूँ... पर फैक्ट्री के लिए राजगड़ ही क्यूँ...
यश - फ़िक्र ना करें छोटे राजा जी... मैं जानता हूँ... राजगड़ में आपके सिवाय कोई इंडस्ट्री लगा नहीं सकता... मैं खुद वह बाउंड्री लाइन क्रॉस नहीं करना चाहता... आपका हमारा पार्टनरशिप रहेगा... ज़मीन आपकी इंफ्रास्ट्रक्चर और इंवेस्टमेंट मेरा...
पिनाक - हूँ... प्रपोजल तो अच्छा है... पर फ़िर भी... राजगड़ ही क्यूँ...
यश - वेरी सिम्पल... पूरे राजगड़ और यशपुर... और उसके आस पास जहां भी क्षेत्रपाल एंड कंपनी की फैक्ट्रियाँ हैं... वहाँ पर लेबर कॉस्ट... पूरी दुनिया में सबसे कम है... और सोने पे सुहागा... इस मैटर पर कोई हिम्मत नहीं करता... अपना सर खपाने के लिए...
पिनाक - हाँ... यह तो है...
यश - वैसे कैसा है... अपना हीरो... आपका युवराज...
पिनाक - बढ़िया है... वैसे... उसके लिए थैंक्स... हाँ....
यश - नो मेनशन... कितनी डोज दिया है उसे...
पिनाक - दो डोज... जिस दिन रंगमहल प्रवेश हुआ... उस दिन तो क्या कहने... और दो डोज दिए हैं.... अभी इन तीन महीने में... पर उसका आउट कॉम क्या हुआ... यह मालुम नहीं हुआ....
यश - तो और मत दीजिए... एक बात याद रखिए... छोटे राजा जी... जिसके मन में सेक्स डिजायर होता है... या बायोलॉजीकल नीड होता है... यह दवा उस डिजायर या नीड को बूस्ट करता है... अगर यह दवा खाने वाला... ख़ुद को... सेक्स से दूर रखेगा... तो उस दवा के साइड इफेक्ट से.... उसका फ्रस्ट्रेशन लेवल एलीवेट होगा... जो उसे धीरे धीरे आपके युवराज को.. वाइलेंट करेगा... करता ही जाएगा...
पिनाक - ओ... यश बेटा... क्या सेक्स तुम्हारा भी डिजायर है या नीड....
यश - सेक्स मेरा... ना तो नीड है... ना ही डिजायर... सेक्स तो मेरा पैशन है.....
पिनाक - हूँ... खैर उसकी नौबत नहीं आयेगी.... क्षेत्रपाल है... वह अपना डिजायर फुल फिल कर लेगा...
यश - तो सैंपैन मंगवाये...
पिनाक - हाँ मंगवा लो...

यश फोन पर सैंपैन ऑर्डर करता है l और कुछ देर बाद एक वेटर सैंपैन का बॉटल और दो ग्लास रख कर चला जाता है l

बाहर कुछ देर बाद सेनापति परिवार गाड़ी से पहुंचते हैं l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतर कर सीधे होटल में घुस जाते हैं l तापस गाड़ी पार्क करके अंदर पहुंचता है l तो देखता है एक बहुत बड़े ग्राउंड में कुछ कॉटेज नुमा शेड है तापस ग्यारह नंबर कॉटेज में पहुंचता है l वहाँ लगे टेबल पर पहले से ही प्रतिभा और प्रत्युष दोनों बैठे हुए हैं l तापस उनके पास आकर बैठ जाता है l

तापस - वाह बच्चू... होटल पहुंचते ही अपने बाप को भूल गए...
प्रत्युष - डेड आप मेरा इंसल्ट कर रहे हैं... मैं इतना नामाकूल, नामुराद, नालायक नहीं हूँ...
तापस - तो क्या हो...
प्रतिभा - होनेवाला एमबीबीएस डॉक्टर... प्रत्युष सेनापति...
प्रत्युष - थैंक्स माँ... देखा डैड... डोंट बी सैड...
तापस - (माँ बेटे की जुगलबंदी देख कर मुहँ बना कर चुप बैठता है) वेटर... (बुलाता है)
एक वेटर आकर - यस सर...
प्रत्युष - अरे वेटर... ऑर्डर मैं दूँगा...
वेटर - ठीक है सर... (मेन्यू कार्ड देता है)
प्रत्युष - अरे यह मेन्यू कार्ड हटाओ... मैं जो ऑर्डर करूँ वह लाओ... मेरे लिए... एक मटका बिरियानी और एक बैंबु मटन... माँ के लिए... दो बटर नान चिल्ली पनीर और कढ़ाई मशरूम... और डैड के लिए तीन तंदुर रोटी और एक डाल फ्राय... सिंपल... जाओ...
वेटर - सर स्टार्टर में कुछ...
प्रत्युष - ठीक है... हमारे लिए.. मसाला पापड़ और डैड के लिए ग्रीन सलाद... अब जाओ...

वेटर चला जाता है, वेटर के जाने के बाद प्रत्युष तापस की ओर देखता है, तापस प्रत्युष को ऐसे देख रहा है जैसे वह कच्चा चबा जाएगा l

प्रत्युष - (डरने की ऐक्टिंग करते हुए) क्य.. क्या हुआ डैड... आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
तापस - कमीने... तेरी और तेरी माँ की ऑर्डर देख और मेरी ऑर्डर देख... मैंने क्या बिगाड़ा तेरा... जो मुझे घास फुस खिलाएगा...
प्रत्युष - डैड... जब माँ को बिल पे करना है... तो ऑर्डर स्पेशल होना चाहिए कि नहीं...
तापस - यानी अगर मैं बिल पे करूँ... तो ऑर्डर बदल सकता है...
प्रत्युष - ना... वह अगली बार के लिए...

इतने में वेटर स्टार्टर लाकर टेबल पर सर्व कर देता है l वेटर के जाते ही

तापस - क्या बात है भाग्यवान.... हम बात बेटे में इतना तर्क हुआ... पर तुमने हिस्सा नहीं लिया...
प्रतिभा - हाँ वह... दोनों वहाँ पर जो बैठे हुए हैं... क्या हम उन्हें जानते हैं...
प्रत्युष - ( उस तरफ देखते हैं) हाँ माँ वह जो शूट बूट और फ्रेंच कट दाढ़ी के साथ बैठे हैं... वह हमारे निरोग हस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं... पर उनके बगल में जो बैठे हैं... उन्हें नहीं जानता...
तापस - वह... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल हैं...
प्रतिभा - तभी..... तभी मेरी नज़र बार बार उस तरफ जा रहा है...
प्रत्युष - एक मिनट... (इतना कह कर प्रत्युष उठ जाता है और यश के बैठे शेड तक जाता है, यश से ) गुड इवनींग सर...
यश - (हैरान हो कर) गुड इवनींग... आप कौन हो बरखुरदार... क्या मैं आपको जनता हूँ...
प्रत्युष - नो सर... पर मैं आपको जनता हूँ... सर मैं आप ही के कॉलेज में मेडिकल पढ़ रहा हूँ... इस साल इंटरैंनशीप में जा रहा हूँ...
यश - ओह... कंग्रैचुलेशन... एंड केरी ऑन...
प्रत्युष - थैंक्यू सर...
यश - यहाँ कैसे... माय बॉय...
प्रत्युष - वह सर माँ और डैड के साथ पार्टी करने आया था... आपको देखा तो रहा नहीं गया... इसलिए चला आया... क्यूँ की आप हम सबके... आइडल हैं... आइकॉन हैं... आप तक मीडिया वाले भी नहीं पहुंच पाते... पर आज मैं बहुत लकी हूँ... आपसे मेरी बात हो पा रही है...
यश - थैंक्यू.. थैंक्यू...
प्रत्युष - सर अगर आप बुरा ना माने तो..
यश - क्या...
प्रत्युष - सर यहीँ... मेरे मोम डैड हैं... ईफ यु डोंट माइंड...
यश - ओके...
प्रत्युष - (हाथ से इशारा करते और आवाज देकर) माँ... डैड... प्लीज यहाँ आइए... (प्रतिभा और तापस उस शेड में पहुंचते हैं) सर... यह मेरी माँ हैं... एक लयर और यह मेरे डैड... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस....
यश - (वहीँ बैठे बैठे) हैलो... हैलो...
दोनों - हैलो...
यश - कैन यु जॉइन वीथ अस...
तापस - नो सर... यु प्लीज कैरी ऑन... हमारी ऑर्डर हो चुका है...
प्रतिभा - हाँ आप बड़े लोग... कोई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे होंगे... इसलिए हमे इजाज़त दीजिए... थैंक्यू..
यश - ओके... नाइस मीटिंग यु...

तीनों अपने शेड में लौट आते हैं l तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष पर भड़कते हैं l

प्रतिभा - क्या जरूरत थी... उनके पास जाने की...
प्रत्युष - क्यूँ क्या हुआ माँ...
तापस - देखो प्रत्युष... उनको हमारा वहाँ जाना पसंद नहीं आया...
प्रत्युष - ओह डैड... यह आप कैसे कह सकते हैं...
प्रतिभा - तेरे डैड ठीक कह रहे हैं... वह जो तेरे बॉस के साथ बैठा हुआ है... पिनाक सिंह.... उसने एक बार धमकाया था मुझे... और तुने देखा नहीं उन्होंने हमें फौरन बाय भी कहा... ना दिलसे स्वागत किया ना दिलसे बाय कहा....
प्रत्युष - व्हाट... ओ
प्रतिभा - यह व्हाट किस लिए... ओर ओ... किसलिए...
प्रत्युष - पिनाक सिंह ने आपको धमकी दी.... इसके लिए व्हाट और हमारे एमडी ने ना दिलसे स्वागत किया और ना बाय दिलसे... इसके लिए ओ...
तापस - ओह स्टॉप ईट... हम क्यूँ अपना शाम खराब कर रहे हैं...
प्रतिभा - ठीक है... नो मोर डिस्कशन

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व सुबह तड़के स्पेशल बैरक पहुंचता है lइस बार प्रणब उसका स्वागत करता है l

प्रणब - और विश्व... कैसा गया तुम्हारा एक्जाम...
विश्व - जी बहुत अच्छा गया... वैसे आप सबको थैंक्स... यह दस दिन मुझे छुट्टी देने के लिए...
चित्त - ऑए... थैंक्स या धन्यबाद जो भी करना है... डैनी भाई से बोल... (उधर से चित्त आते हुए) उनके अदालत में मुजरिम तु है...
विश्व - जी वह तो मैं कह ही दूँगा....
प्रणब - चल तु अपने रूटीन में लग जा... पानी निकाल और पेड़ पौधों को पेट भर पीला... चल
विश्व - ठीक है भाई...

इतना कह कर विश्व हांडी को कुए में डाल कर, अपनी दोनों हाथों के तीन तीन उंगलियों के सहारे बाकी दिनों के तुलना में जल्दी जल्दी पानी निकालने लगा और पौधों में भाग भाग कर पानी डालने लगा l प्रणब और चित्त दोनों उसकी आज की फुर्ती देख कर हैरान रह जाते हैं l पौधों में पानी डालने के बाद कुए से सटे सीमेंट की टंकी भी पानी से भर कर विश्व उन दोनों के सामने खड़ा हो जाता है l

विश्व - भाई अब क्या...
प्रणब - हूँ... ओ हाँ... (तीन महीनों में पहली बार विश्व की स्फूर्ति देख कर हैरान हुआ है) वह.. एक मिनट...

प्रणब कुछ दूर जा कर चित्त से बात करता है फ़िर अंदर जा कर बाल्टी लाता है l वह उस बाल्टी को टंकी में उड़ेल देता है l बाल्टी से दो मछलियाँ गिर कर टंकी में गिरते हैं l

प्रणब - चल यह मछली पकड़...

विश्व उस टंकी के पास आकर खड़ा होता है l उसे पानी में दो मछली दिखते हैं l विश्व टंकी में उतरता है l पानी उसके घुटनों के बराबर है l विश्व पानी के टंकी में निश्चल खड़ा रहता है l पांच मिनट बाद मछलीयाँ उसके पैर के पास पहुंचते हैं l अचानक विश्व बारी बारी से पहले दाहिने हाथ फिर बाएं हाथ से दोनों मछलीयाँ पलक झपकते ही पकड़ कर टंकी से बाहर फेंक देता है l अब समीर भी प्रणब और चित्त के पास पहुंच जाता है l विश्व की मछली पकड़ना देख तीनों हैरान हो जाते हैं क्यूंकि विश्व इस बार मछलियों को पकड़ने के लिए वही तीन उँगलियों का इस्तमाल किया था जिन उंगलियों को पानी निकालने के लिए इस्तेमाल किया करता है l विश्व टंकी से निकल कर तीनों के सामने खड़ा हो जाता है l तीनों उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहे हैं l

विश्व - हाँ भाई... अब क्या करना है...
समीर - वैसे डे अल्टरनेट में... या तो मछली पकड़ना है या फिर मुर्गी... पर तेरी स्पीड देख कर आज... मुर्गी पकडने का टास्क भी करले....
विश्व - ठीक है...

तीनों विश्व को लेकर सात नंबर रुम के पीछे पहुंचते हैं l उस रूम के पीछे बीस बाय बीस के एक वर्ग क्षेत्र को तार की जाली से घेरा गया है l जाली वाली वर्ग के भीतर एक मुर्गा चर रहा है l विश्व उस वर्ग में घुसता है l विश्व के घुसते ही मुर्गा सतर्क हो जाता है l विश्व अपनी दोनों बाहें फैला कर मुर्गे को एक कोने तक पहुंचा देता है l कोने में पहुंच कर जब मुर्गे को घिर जाने का एहसास होता है l मुर्गा विश्व को दाएं बाएं छका कर विश्व के सर के ऊपर जंप लगा देता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती से पलट कर मुड़ते हुए छलांग लगाता है l मुर्गे के दोनों पैर विश्व के उंगलियों में फंस जाती है l सिर्फ कुछ ही मिनट में मुर्गा विश्व के कब्जे में थी l इस बार भी विश्व को कोई परेशानी नहीं हुई l मुर्गा हाथ में आने के बाद विश्व इन तीनों के सामने आ कर खड़ा हो जाता है lवह तीनों हक्के बक्के हो कर विश्व को देखते हैं l दस दिन ही तो हुए हैं l डैनी ने विश्व को एक्जाम के लिए छुट्टी दी थी, और यह दस दिन विश्व ने सिर्फ़ पढ़ाई ही किया है l पर आज दस दिन बाद एक अलग विश्व को देख रहे हैं l

समीर - जा पांच नंबर रूम में जा... हम डैनी भाई से पुछ कर आते हैं...

विश्व पांच नंबर रूम की ओर चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है उस कमरे में कोई नहीं है l वह उस कमरे में लगे सभी इंस्ट्रूमेंट्स को उत्सुकता से देखता है l उन पर सिर्फ डैनी को ही कसरत करते देखा है उसने l ऐसे रूम में घुमते घुमते विंग-चुंग के सामने आ कर खड़ा होता है l वह डैनी को विंग-चुंग पर हाथ आजमाते देखा है l विश्व इधर उधर देखता है l उसे कोई नहीं दिखता है l अपनी मन की उत्सुकता को दबा नहीं पाता l इतने दिनों से डैनी जिस तरह से विंग-चुंग पर हाथ चला रहा था उसे याद करते हुए विश्व भी हाथ चलाने लगता है l पहले याद करते करते धीरे धीरे उसका हाथ चलने लगता है l फिर उसके हाथ ज़ोर ज़ोर से चलने लगता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे डैनी के हाथ चल रहा था l विश्व के हाथ तेजी से चलने लगते हैं बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह l क़रीब आधे घंटे बाद उसे लगता है कमरे में वह अकेला नहीं है l विश्व विंग-चुंग से हाथ हटा लेता है और पीछे मुड़ कर देखता है l डैनी अपने पंटरों के साथ खड़ा है और विश्व को सब देख रहे हैं l डैनी को छोड़ बाकी सब विश्व को आँखे फाड़ देख रहे हैं l

डैनी - वाह लौंडे... आज तो तुने कमाल ही करदिया.... आज तुने सारे टास्क वक्त से पहले खतम कर दिया... पर... तुझे मेरे इंस्ट्रूमेंट्स को हाथ लगाना नहीं चाहिए था....
विश्व - वह... स.. सॉरी डैनी भाई.... सॉरी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ी... मिल सकती है... बशर्ते मैं तुझे मारूँगा... पर तुझे मेरी मार लगनी नहीं चाहिए....
विश्व - जी.... जी (हैरानी से)...
डैनी - हाँ जी.... चल तैयार हो जा...

विश्व जाना नहीं चाहता पर वसंत और हरीश उसके पास पहुंचते हैं और धक्का दे कर डैनी के पास भेज देते हैं l पांचो ऐसे घेरे खड़े रहते हैं कहीं विश्व भाग ना जाए l डैनी एक पंच मारता है, विश्व के हाथ अपने अपने उस पंच को रोक देता है l फ़िर डैनी के पंचेस की स्पीड बढ़ती जाती है विश्व के रीफ्लेक्सेस उतनी ही तेजी से बढ़ जाती है l अपने रीफ्लेक्सेस देख खुद विश्व भी हैरान हो जाता है, पर कुछ देर बाद डैनी अपनी वार बदलता है l जिस हाथ का पंच विश्व ब्लॉक करता है उसी हाथ को डैनी मोड़ कर कोहनी से मारता है l इस बार विश्व को लग जाती है l अब कि बार विश्व को डैनी छका कर घुम कर कोहनी से मारता है l विश्व मुहँ के बल गिर जाता है l विश्व फिर संभल कर बैठ जाता है और डैनी को देखता है l डैनी जीम टेबल पर बैठ कर विश्व को देख रहा है l

डैनी - वाह लौंडे वाह... बहुत जल्द पकड़ लिया...

विश्व अपनी जगह से उठता है और सीधे डैनी के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर झुक कर डैनी के पैरों पर गिर जाता है l

डैनी - अरे यह... यह क्या कर रहा है...
विश्व - आप... आप मुझे सीखा रहे थे... लड़ना... मुझे समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ गया है.... पर जो मैंने माँगा नहीं... वह आप मुझे क्यूँ दे रहे हैं....
डैनी - वह इसलिए के तुने..... अपनी भावनाओं के चलते मुझे वहाँ ला खड़ा कर दिया... जिसकी मैं... मुझ जैसा इंसान लायक ही नहीं है... (विश्व को खड़ा करता है)
विश्व - आप क्या कह रहे हैं... मैं कुछ समझा नहीं...
डैनी - तुने अपनी दीदी से कहा है ना... के तु मुझे उतना ही मान देता है... जितना जयंत सर को देता है...
विश्व - जी...
डैनी - तो मुझे... जयंत सर को फॉलो करना पड़ा....
विश्व - (हैरान होकर) फॉलो करना पड़ा... म.. मतलब...
डैनी - तुने मांगा नहीं फिरभी.... उन्होंने अपनी खुद की खुन पसीने की कमाई तुझे दे दी... है ना...
विश्व - जी...
डैनी - तो मैं भी तुझे अपनी खुन पसीने की कमाई दे रहा हूँ... भले ही तुने माँगा नहीं... पर मैं जानता हूँ... तेरी लड़ाई में... यह ज़रूरत पड़ेगी....

विश्व कुछ नहीं कह पाता है उसके आंखों में कृतज्ञता दो बूंद आँसू गिर जाते हैं l

डैनी - विश्व तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी तुम्हारा जज्बाती होना है.... तुम्हें अपने ज़ज्बात पर कोई काबु नहीं है... खुशी हो या ग़म... तुम जफ्त नहीं कर पाते... जाहिर कर देते हो... इसलिए पहले अपने ज़ज्बात पर काबु पाओ.... (विश्व अपनी आँखे साफ करता है) विश्व तुम जो सीखने जा रहे हो... उसे मार्शल आर्ट्स कहते हैं... यानी युद्ध कला... उसके साथ साथ आत्म नियंत्रण और अन्य विषयों में भी तुम को सिखाया जाएगा... और तुम सिखोगे भी... (विश्व अब डैनी को हैरान हो कर देखता है) इन तीन महीनों में जो सीखा और लगातार जिसमें काम किया... उससे तुम्हारा स्टेमिना बढ़ा और अटैक पर ब्लॉक करना नैचुरली एडप्ट कर लिया... और सबसे खास बात... तुमने आज मछली और मुर्गे को पकड़ने के लिए सही तरीका चुना.... यानी तुम्हारे अंदर का शिकारी जाग रहा है.... अब आओ तुम्हें तुम्हारे प्रोफेसरों से मिलवाता हूँ...
इनसे मिलो... समीर मल्लिक... इसके पास एक जबरदस्त क्वालिटी है... अपनी पारखी नजर और बातों से... सामने वाले की प्रोफेशन और कैरेक्टर स्कैन कर सकता है....
अब इनसे मिलो... हरीश बाडत्या... इनके पास भी ग़ज़ब का हुनर है... सच झूठ बोल कर सामने वाले के अंदर की बातों उगलवा सकते हैं.... अगर मान लो किसी इंटरव्यू को जाए... तो बिना तकलीफ के सिलेक्ट हो जाए... इतना इम्प्रेस कर सकता है... इसको टॉकींग स्किल कहते हैं...
औऱ यह हैं प्रणब... यह तुम्हें लठबाजी से लेकर छुरी चाकू तक चलाना सीखा देंगे... सिवाय बंदूक के...
और यह हैं वसंत... इनके ख़ासियत यह है कि ऐसा कोई जेब नहीं जिसको इसने काटा नहीं...
विश्व - जेब काटना...
डैनी - तुझे लगता है... जेब काटना जरूरी नहीं है... पर यह हाथ की सफ़ाई है... पता नहीं कब काम आ जाए...
और अंत में यह... इनसे मिलो चित्त रंजन... इसे अक्सर तुमने खाना सर्व करते हुए देखा है... (विश्व अपना सर हिलाता है) आज से... बल्कि अभी से तुम्हारा डाएट चार्ट इनके हवाले...
सबसे परिचय करवाने के बाद डैनी जीम टेबल पर बैठ जाता है l और विश्व से पूछता है

डैनी - तो विश्व... क्या तुम सीखना चाहोगे...
विश्व - जी...
डैनी - ठीक है चित्त.. तुम्हारे लिए रूटीन बना चुका है... (चित्त से) बताओ इसे....
चित्त - देखो विश्व... दिन रात मिलाकर चौबीस घंटे हुए... तुम आठ घंटे सोने और बाथरुम के लिए इस्तेमाल करोगे... आठ घंटे मे... सुबह चार घंटे और शाम को चार घंटे सिर्फ़ ट्रेनिंग होगी... बाकी के आठ घंटे में तुम्हारा खाना पीना पढ़ना और दूसरे कैदियों से मिलना होगा...
डैनी - समझ गया... (विश्व अपना सर हिलाकर हाँ कहता है) विश्व एक बात जान लो... तुम शायद सीखते सीखते थक जाओगे... पर यह लोग तुम्हें सीखाते सीखाते नहीं थकेंगे... (विश्व फिरसे अपना सर हिलाता है) तो.... लग जाओ ट्रेनिंग पर....
 
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