बावनवां अपडेट
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दो दिन बाद
तापस अपनी कैबिन में बैठ कर किसी सोच में खोया हुआ है l तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है l
- मे आई कम इन सर...
तापस - हूँ... हाँ दास... प्लीज.. अंदर आ जाओ... (दास अंदर आता है) बैठ जाओ...
दास - (बैठते हुए) सर... आप किसी गहरी सोच में डुबे हुए हैं... कोई खास बात....
तापस - हाँ... मैं यह सोच रहा हूँ... इंसान और हालात को समझने की तुममे... गजब की काबिलियत है... फ़िर तुम इस जैल में क्या कर रहे हो... तुम्हें तो फ़ील्ड में होना चाहिए... तुम अपना टैलेंट बरबाद कर रहे हो... चाहो तो मैं तुम्हारा सिफारिश कर सकता हूँ...
दास - नहीं सर... मुझे कोई सिफारिश की जरूरत नहीं है... जहां हूँ.. जैसा हूँ... अच्छा हूँ...
तापस - क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
दास - सर... यह वह नौकरी है... जहां क़ाबिलियत के हिसाब से ओहदा नहीं होता... और मुझे मेरी ओहदे की सीमा मालुम है...
तापस - खैर... फिरभी मैं तुम्हें सजेस्ट करूंगा... तुम अपनी अगली प्रमोशन के बाद... फ़ील्ड पर काम करो...
दास - सर.. मैं इतना तो कह ही सकता हूँ... आप मेरे बारे में सोच नहीं रहे थे... बात कुछ और है...
तापस - देखा... आख़िर सही अंदाजा लगाया लिया तुमने... हाँ मैं कुछ और ही सोच रहा था...
दास - क्या सोच रहे थे सर...
तापस - यही... रंगा की बात पर गौर किया जाए तो... मुठभेड़ सिर्फ़ एक मिनट का हुआ होगा... उस एक मिनट में... रंगा ने विश्व का ऐसा कौनसा रूप देख लिया.... के वह... अंदर से हिल गया... और विश्व इतना बड़ा फाइटर कब और कैसे बनगया... हमें पता भी नहीं चला...
दास - बात तो आपकी सही है... जैल के भीतर... एक बंदा कॉमबैट ट्रेनिंग लेता है... पर किसी को खबर तक नहीं होती... वह भी डेढ़ साल तक... कोई शक़ नहीं... हम इस मामले में फैल हो गए....
तापस - हाँ दास... मुझे भी इसी बात की खीज है...
दास - सर सच कहूँ तो... मुझे भी...
तापस - खैर... कहो दास... यहाँ... इस वक्त...
दास - सर यह आपका टूर अप्रूवल लेटर... आपको डेपुटेशन पर दिल्ली जाना है... आज रात को ही... राजधानी एक्सप्रेस में...
तापस - ओह... आज ही निकलना है... ओह माय गॉड... तैयार होने के लिए वक्त भी नहीं है...
दास - सर... यह... ऑल ऑफ सडन... दिल्ली..
तापस - वह मेरा एक काम बाकी रह गया है... पुरा करना है... इसलिए दिल्ली जाना जरूरी है... पर सोचा नहीं था... इतनी जल्दी अप्रूवल आ जाएगा...
दास - ओके सर... आई मे लिव नाउ... (कह कर सैल्यूट दे कर चला जाता है)
दास के जाते ही तापस प्रतिभा को फोन लगाता है l
तापस - हैलो... जान.. मुझे आज शाम को निकालना है... टूर अप्रूव हो गया है...
प्रतिभा - क्या... वाव... पर आज ही... तो फिर अब हम क्या करेंगे...
तापस - सुनो... आज क्या अभी... तुम वापस आ जाओ... और प्रत्युष को भी पीक कर लो... मैं घर पर तुम लोगों का इंतजार कर रहा हूँ... ओके...
प्रतिभा - ओके....
कह कर प्रतिभा फोन काट देती है और अपनी आँखे बंद कर भगवान को प्रार्थना करने लगती है l फ़िर अपनी ऑफिस से सभी काम समेट कर निकलती है l बाहर कार पार्किंग में पहुंच कर कार को स्टार्ट करती है l थोड़ी देर बाद गाड़ी को हाइकोर्ट के परिसर से बाहर निकाल कर मेन रोड पर आ जाती है l पर थोड़ी ही दूर उसकी गाड़ी रुक जाती है क्यूंकि बाहर रास्ते में कोई प्रदर्शन हो रहा है l प्रतिभा हॉर्न बजा कर रास्ता मांगती है l पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कोई असर नहीं होता l प्रतिभा चिढ़ कर हॉर्न बजाती रहती है, तो थोड़ा रास्ता मिल जाता है l उसी रास्ते से गाड़ी थोड़ी जल्दी निकालने की कोशिश करती है पर तभी उसकी गाड़ी से कोई टकरा जाता है, जिससे वह आदमी छिटक कर दुर गिरता है l उस आदमी के गिरते ही सारी भीड़ प्रतिभा के कार के तरफ हमलावर हो जाता है l तभी कुछ नौजवान बीच बचाव करते हुए वहाँ आकर भीड़ को रोकते हैं l उन नौजवानों में से एक प्रतिभा के तरफ आ कर कार की ग्लास नीचे करने के लिए कहता है l प्रतिभा ग्लास नीचे करती है तो वह नौजवान
नौजवान - मैंम... आप घबराए नहीं... हम यहाँ सब सम्भाल लेंगे... एक्चुऐली हमारा लीडर आपके गाड़ी से टकरा कर गिर गया है... आप बस एक काम कीजिए... उसे एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाइए... हम यहाँ भीड़ को नियंत्रित कर लेंगे....
प्रतिभा - श्योर श्योर... एंड थैंक्यू...
नौजवान - कोई बात नहीं मैम... हम आपको जानते हैं... आप बस इसे ले जाइए...
प्रतिभा - ओके ओके... उन्हें जल्दी से अंदर ले आइए...
कुछ नौजवान उस आदमी को उठा कर प्रतिभा की गाड़ी की पिछली सीट पर बिठा देते हैं l प्रतिभा देखती है उस आदमी की घुटनों के नीचे से पेंट फट गया है और थोड़ा खुन भी बह रहा है l उस आदमी के बैठते ही लोग तुरंत प्रतिभा की गाड़ी को रास्ता दे देते हैं l प्रतिभा गाड़ी को कटक के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की ओर भगाती है l गाड़ी के अंदर वह आदमी खामोश बैठा हुआ है l
प्रतिभा - आ.. आई... आई एम सॉरी...
आदमी - कोई बात नहीं है... मैडम... ऐसा हो जाता है... लगता है आप बहुत जल्दी में थीं...
प्रतिभा - हाँ... नहीं... मेरा मतलब है... हाँ भी और नहीं भी... वैसे किस बात की प्रदर्शन हो रहा है...
आदमी - अब केंद्र सरकार जेनेरिक मेडिसन को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है... हम केंद्र सरकार के इस कदम के समर्थन में... राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं...
प्रतिभा - ओह यह तो अच्छी बात है... पर राजनीतिक धरना या प्रदर्शन तो भुवनेश्वर में होना चाहिए... आप लोगों को कटक में क्यूँ कर रहे हैं....
आदमी - हम लोग कटक से भुवनेश्वर.... राज भवन तक रैली कर जाने वाले थे.... इसलिए लोगों को इकट्ठा कर रहे थे...
प्रतिभा - ओ अच्छा...
प्रतिभा एससीबी मेडिकल कॉलेज में पहुंच जाती है l जैसे ही गाड़ी की दरवाज़ा खोलती है तो उसे एहसास होता है कि मदत के लिए उस आदमी के पास कोई आया नहीं है l इसलिए वह अंदर जा कर एक वार्ड बॉय को बुलाती है l वह वार्ड बॉय एक व्हीलचेयर लेकर आता है और उस आदमी को व्हीलचेयर में बिठा कर अंदर कैजुअलटी में ले जाते हैं l डॉक्टर उस आदमी को चेक कर एक्सरे के लिए भेज देता है l प्रतिभा उस वार्ड बॉय के साथ साथ उस आदमी को ले कर चलती है l एक्सरे रिपोर्ट में उस आदमी की पैर की हड्डी टूटने की बात पता चलता है l डॉक्टर प्लास्टर करने के लिए ड्रेसिंग रूम भेज देता है l पुरे एक घंटे के बाद उस आदमी के टांग पर प्लास्टर चढ़ा जा चुका है l उस आदमी को जनरल वार्ड में एक बेड में सुला दिया गया है l अब चूँकि प्रतिभा ही अब तक सारी फर्मालीटी के वक्त साथ रही इसलिए डॉक्टर ने एडमिशन फॉर्म में पहले से ही प्रतिभा के दस्तखत ले लिए थे l जब उस आदमी को बेड तक पहुंचा दिया जाता है, प्रतिभा उसके पास आती है और उसके पास बैठ कर
प्रतिभा - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी... आपके साथ जो हुआ...
आदमी - कोई बात नहीं है मैडम.... आपने भी मेरी प्लास्टर चढ़ने तक यहाँ मेरे पास रह कर सब कुछ हैंडल किया... उसके लिए दिल से थैंक्स...
प्रतिभा - अरे यह कह कर... मुझे शर्मिदा ना करो... वैसे क्या आपने अपने परिवार वालो को इंफॉर्म कर दिया है कि नहीं...
आदमी - पता नहीं... मेरे दोस्तों ने किया होगा या.. शायद नहीं...
प्रतिभा - कोई नहीं... आप मुझे अपने पेरेंट्स के नंबर दीजिए... मैं उनसे बात कर लेती हूँ...
आदमी - पहली बात आप मुझे आप ना कहें... आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं... आप या तो तुम कहें या तु... और रही मेरे परिवार को बात तो... मेरी माँ अब इस दुनिया में नहीं है... पर आप मेरे पिताजी को फोन कर इंफॉर्म कर दीजिए...
प्रतिभा - ओह... तुम्हारी माँ नहीं हैं... सॉरी... ठीक है तुम अपने पिताजी की नंबर दो...
आदमी - जी उनका नंबर है xxxxxxxxxx
प्रतिभा उस नंबर पर डायल करती है और जवाब का इंतजार करने लगती है l फोन पर रिंग सुनाई देती है, फिर एक मर्दाना आवाज़ गूँजती है..
आवाज़ - हैलो...
प्रतिभा - जी मैं... एडवोकेट प्रतिभा सेनापति बोल रही हूँ...
आवाज़ - जी कहिए...
प्रतिभा - जी वह आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है...
आवाज़ - क्या... कैसे.. कब... कहाँ है मेरा बेटा...
प्रतिभा - जी जी आप घबराए नहीं.. वह अब ठीक है... आप बस यहाँ आकर उसे ले जाइए...
आवाज़ - हाँ हाँ अभी आता हूँ... कौनसे हस्पताल में है...
प्रतिभा - जी एससीबी मेडिकल कॉलेज कटक में....
आवाज़ - थैंक्स.. थैंक्यू वेरी मच...
प्रतिभा - (उस नौजवान से) अच्छा... अब मैं चलती हूँ... मेरे घर पर मेरा इंतजार हो रहा होगा...
आदमी - ठीक है मैंम... एंड थैंक्यू अगेन...
प्रतिभा - ओके.. अच्छा... वैसे तुम मेरे बारे में तो जान ही गए... पर मुझे तुम्हारा परिचय नहीं मिला अब तक....
आदमी - जब ठीक हो जाऊँगा... तब आपसे मिलने आऊंगा... वादा रहा... तब तक के लिए... धन्यबाद...
उस आदमी के इस तरह की जबाव, प्रतिभा को पसंद नहीं आया इसलिए प्रतिभा वहाँ से चली जाती है और गाड़ी को भुवनेश्वर की और दौड़ा देती है l जब प्रतिभा घर पहुँचती है तो घर में दोनों बाप बेटों को उसका इंतजार करते हुए पाती है l
तापस - यह क्या भाग्यवान... कब से आने को फोन किया था और तुम अब आ रही हो... और कितनी बार तुमको फोन लगाया... पर तुमने उठाया नहीं....
प्रतिभा - क्या करूँ सेनापति जी... आपने बुलाया और मैंने भी निकलने में देरी नहीं की पर... जल्दी जल्दी में... मेरी गाड़ी से किसी की टक्कर हो गई.... उसके इलाज के चक्कर में... फोन गाड़ी में ही रह गया था...
प्रत्युष - क्या....(हैरान हो कर)
प्रतिभा - ओह ओ... इतना बड़ा रिएक्शन मत दो... ठीक है बेचारा...
तापस - अच्छा... पर वह एक्सीडेंट हुई कैसे...
फिर प्रतिभा उसे सब कुछ बताती है l कैसे क्या और कब हुआ l बाप बेटे ध्यान से सुनने के बाद l
प्रत्युष - माँ... जो भी हुआ... पर आपने अपनी ड्यूटी बराबर निभाई...
तापस - हाँ भाग्यवान... जो भी हुआ अच्छा ही हुआ... इसी बहाने तुमसे एक नेक काम हो गया...
प्रतिभा - हाँ... भगवान उसे शीघ्र स्वस्थ करें और उसे लंबी उम्र दें... पता नहीं क्यूँ जब से उस आदमी को देखा है... ऐसा लग रहा है जैसे... मैं उसे पहचानती हूँ... पर याद नहीं कर पा रही हूँ....
तापस - ठीक है... अब ध्यान से सुनो... आज शाम साढ़े सात बजे... राजधानी में मैं जा रहा हूँ... ठीक रात के दो बजे खडकपुर में... उतर जाऊँगा... कल दिन भर उसी काम में लगा रहूँगा... और शाम को पहली फ्लाइट पकड़ कर पहुंच जाऊँगा... मतलब तुम लोगों को... कल शाम को ही... प्रेस कांफ्रेंस रखना है.... और मैं वहाँ पर सबूतों के साथ पहुँचुंगा...
प्रतिभा - ओके... डन...
तापस - इसलिए... कल (प्रतिभा से) ना तुम कोर्ट जाओगी... ना तुम (प्रत्युष से) कल मेडिकल कॉलेज जाओगे... आज मुझे रिलीज कर दिया गया है.... हम तीनों... आज दिन भर घर पर रहेंगे... और रात को तुम दोनों मुझे स्टेशन पर छोड़ कर आओगे....
दोनों - ठीक....
तापस - हमारे इस कदम से मामला बहुत भड़केगा... इसलिए हम माहौल थोड़ा शांत होने पर ही ड्यूटी रिजॉइन करेंगे....
दोनों - ठीक...
इस तरह वह दिन बीत जाता है और शाम को माँ बेटे तापस को लेकर रेल्वे स्टेशन पर छोड़ने जाते हैं l स्टेशन पर तापस प्रत्युष को बहुत देर तक अपने गलेसे लगा कर रखता है l ट्रेन की हॉर्न सुनने के बाद उसे खुद से अलग करता है l तीनों के आँखों में आंसू आ जाते हैं l
तापस - ना जाने कितनी बार मैं टूर पर गया हूँ... पर कभी आंसू नहीं निकले...
प्रतिभा - हाँ.... पर पता नहीं क्यूँ आज आंसू रुक ही नहीं रहे हैं....
तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष से - तु कुछ नहीं कहेगा...
प्रत्युष - क्या कहूँ डैड... बस.... आज आप दोनों के मन में जो पीड़ा है... वह मेरे वजह से है... मुझे माफ़ कर दीजिए... मेरे वजह से आपके आँखों में आंसू आ गए... सॉरी डैड... सॉरी माँ....
प्रतिभा - (सिसकते हुए) देख मैं कहती हूँ... तुझे सच में मरूंगी....
फिर तीनों एक दुसरे के गले लग जाते हैं l ट्रेन अपनी आखिरी हॉर्न देती है l तापस अपना कंपार्टमेंट चढ़ जाता है और
तापस - मैंने जो कहा है... वैसा ही करना... कॉन्फ्रेंस के लिए... मेरे फोन का इंतजार करना...
दोनों - ठीक है...
फिर तापस हाथ हिला कर बाय बाय करता है l प्रत्युष उसे एक फ्लाइंग किस देते हुए
प्रत्युष - लव यू डैड... लव यू...
तापस - (ट्रेन रफ्तार पकड़ चुकी है) लव यू माय सन... (पर प्रत्युष तक यह शब्द पहुंच नहीं पाते)
ट्रेन के जाने के बाद दोनों माँ बेटे कुछ देर वहीँ खड़े रहते हैं l फ़िर दोनों गाड़ी लेकर अपने घर की ओर चलते हैं l गाड़ी में दोनों खामोश बैठे हुए हैं l कोई किसीसे बात नहीं कर रहा है l गाड़ी जैल कॉलोनी में प्रवेश करती है l पर दोनों को महसूस होता है जैसे पुरी कॉलोनी विरान हो गई है l कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा है l दोनों को थोड़ा डर लगने लगता है l प्रतिभा घड़ी देखती है तो सिर्फ़ आठ ही बजे हैं l गाड़ी क्वार्टर के सामने पहुँचती है l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतरते नहीं है l थोड़ी देर बाद एक गहरी सांस छोड़ते हुए
प्रत्युष - देखा माँ... अपने ही घर में जाने के लिए भी... कैसे डर लग रहा है...
प्रतिभा - हाँ... इस डर की उम्र थोड़ी ही देर की है बेटा... (एक गहरी सांस छोड़ कर) चलो कल तेरे डैड के आने तक हम खुदको घर में... बंद कर लेते हैं....
दोनों गाड़ी से उतरते हैं, चारों ओर नजर घुमाते है l रात के आठ बजे पुरी की पुरी कॉलोनी सुनसान लग रही है l एक डरावनी ख़ामोशी पसर रही है l दोनों एक दूसरे के हाथ थाम कर दरवाजे के सामने खड़े होते हैं के तभी लाइट्स चली जाती है l एक क्षण के लिए चीख़ निकलते निकलते दोनों के हलक में रुक जाती है l
प्रतिभा - अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन कर....
प्रत्युष - (चुप रहता है)
प्रतिभा - प्रत्युष.. ऐ प्रत्युष....
प्रत्युष - हाँ... हाँ... माँ.. क्या कहा...
प्रतिभा - चल मोबाइल का टॉर्च ऑन कर... ताला खोलना है...
प्रत्युष मोबाइल निकालकर टॉर्च जलाता है l प्रतिभा ताला खोल कर अंदर आती है उसके पीछे पीछे प्रत्युष भी अंदर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है l दोनों ड्रॉइंग रूम में हैं l
प्रतिभा - तु यहीं पर कहीं बैठ जा... मैं किचन से कैंडल लाती हूँ...
प्रत्युष - ठीक है माँ... (प्रतिभा जाने को होती है) माँ..
प्रतिभा - ह... हाँ बेटा...
प्रत्युष - पता नहीं क्यूँ... मुझे डर सा लग रहा है... मैं भी आपके साथ किचन में चलूँ...
प्रतिभा - अच्छा चल...
दोनों किचन की ओर जा रहे होते हैं के तभी ड्रॉइंग रूम की टीवी चलने लगती है l दोनों माँ बेटे वहीँ रुक जाते हैं l
प्रतिभा - लगता है... लाइट्स वापस आ गई.... प्रत्युष तुने टीवी बंद नहीं किया था...
प्रत्युष - पर आज... टीवी मैंने ऑन ही किया कब था...
प्रतिभा - ठीक है... शायद भूल गया होगा... चल लाइट जला...
प्रत्युष - ओके माँ...
प्रत्युष स्विच बोर्ड तक जाता है और लाइट ऑन करता है l तभी प्रतिभा की नजर टीवी पर चल रहे न्यूज पर अटक जाती है l
प्रतिभा - ओह माय गॉड... यह... यह यश है...
प्रत्युष - (टीवी की ओर देखता है) हाँ... यही यश वर्धन है... क्यूँ.. क्या हुआ माँ... आप चौंकी क्यूँ...
प्रतिभा - यही तो आज मेरे गाड़ी से टकराया था... और मैंने ही उसे हस्पताल पहुंचायी थी...
प्रत्युष - व्हाट...(कह कर न्यूज देखने लगता है)
"न्यूज - आज केंद्र सरकार की जेनेरिक दवाओं पर लिए गए कदम की सराहना करते हुए यश वर्धन चेट्टी ने कटक में एक समर्थन रैली में हिस्सा ले कर प्रदर्शन कर रहे थे l पर अचानक उनकी तेज रफ़्तार से जा रही गाड़ी से एक्सीडेंट हो गई l आनन-फानन में उनको एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया l आज शाम को उनके पिताजी ओंकार चेट्टी उनको लेकर उनकी अपनी निरोग हस्पताल में आगे की चिकित्सा के लिए भर्ती करा दिया है l हमारी सम्वाददाता इस बारे में उनसे बात कि...
यश - (एक व्हीलचेयर में बैठा हुआ है) मैं सरकार की इस फैसले का पुरजोर समर्थन करता हूँ... हर तरह की जेनेरिक दवाइयाँ... आम नागरिकों तक आसानी से पहुँचे और किसी की भी जेब पर भारी ना पड़े....
रिपोर्टर - विश्व भर की फार्मा लॉबी.. हर उस सरकार के विरुद्ध हैं... जो इस तरह की फैसले का स्वागत कर रहे हैं... अपना रहे हैं... आप भी तो फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को बिलौंग करते हैं...
यश - हाँ करता हूँ... पर मैं पैसों का भूखा नहीं हूँ... मुझे प्रॉफिट मिल रहा है... तभी तो सरकार की इस कदम का सराहना करते हुए प्रदर्शन में भाग लिया था...
रिपोर्टर - क्या यह एक्सीडेंट प्लान्ड था... या हो गया...
यश - यह कह कर आप उस महिला की अपमान कर रहे हैं.... जिन्होंने आज दिन भर पास रह कर मेरी फर्स्ट ऐड और प्राइमरी ट्रीटमेंट कराया...
रिपोर्टर - सर और एक...
यश - नो.. नो मोर क्वेश्चन...
तो यह थे हमारे राज्य के युथ आइकन श्री यश वर्धन चेट्टी l
अचानक टीवी बंद हो जाती है l
प्रत्युष - अरे.. आपने टीवी बंद क्यूँ की...
प्रतिभा - मैंने कब बंद की... मेरे पास रिमोट ही कहाँ है...
प्रत्युष - फ़िर...
एक आवाज़ सुनाई देती है
- टीवी मैंने बंद की.... रिमोट मेरे पास है...
दोनों उस आवाज़ की तरफ देखते हैं l वहाँ पर यश दिखता है l जो धीरे धीरे चलते हुए सोफ़े पर बैठ जाता है l प्रतिभा और प्रत्युष के होश उड़ जाते हैं l यश के सामने माँ बेटे ऐसे खड़े हुए हैं, जैसे कोई मुज़रिम अदालत में खड़ा होता है और यश जज को तरह अभी उनका फैसला करने वाला है l
प्रतिभा - ओ.. तो तुम.. यश हो...
यश - हाँ... (एक शैतानी हँसी चमक उठती है उसके चेहरे पर) मैं ही हूँ... इस राज्य का आदर्शवादी... युवा नायक बिजनेसमैन... यश वर्धन चेट्टी...
प्रत्युष - युवा नायक... माय फुट...
यश - अभी... कुछ देर पहले... डर के मारे एक छोटा सा बच्चा... अपनी माँ की गोद में घुसा जा रहा था... मीमीया रहा था.... अब देखो कैसे दहाड़ रहा है...
प्रतिभा - त... तुम्हारा तो... पैर टुट गया था ना...
यश - हाँ... पर आपने मेरी ऐसी सेवा की के... मेरा पैर अभी जुड़ गया है... तभी तो मिलने आया हूँ... वादा जो किया था...
प्रतिभा फोन करने की कोशिश करती है पर फोन नहीं लगती l वह लैंडलाइन पर कोशिश करती है तो उसे लाइन डेड मिलती है l फ़िर प्रत्युष भाग कर दरवाज़ा खोलने की कोशिश करता है तो उसे दरवाज़ा बाहर से बंद मिलता है l दोनों अब खौफ़जादा हो कर यश को देखने लगते हैं l
यश - मैं तुझको पहले रिवार्ड दिया... फिर अपनी हॉस्पिटल में जॉब के साथ साथ पीजी करने की छूट भी दी... पर तुम... तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया... मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था... तुमने ऐसा सिला दिया...
(प्रतिभा की बार बार फोन करने की कोशिश को देखते हुए) ना... नहीं मैडम... आपका फोन काम नहीं करेगा.... मेरे आदमियों ने यहाँ बाहर जैमर लगा दिए हैं... और जंक्शन बॉक्स से लैंडलाइन की कनेक्शन निकाल दिए हैं... इसलिए बेकार की कोशिश ना करें...
प्रतिभा - (चिल्ला कर) बचाओ... हेल्प... हेल्प... बचाओ.... आ.. आ आआआआ... बचाओ...
यश - कमाल है... अभीतक मैंने कुछ भी किया नहीं... बचाने के लिए लोगों को बुला रही हैं... जबकि मैंने थोड़े ही दूर पर फ़िल्म स्टार अतुल साहू की लाइव परफॉर्मेंस करवा रहा हूँ... और जैल कॉलोनी वालों को... पास के नाम पर सबको यहाँ से रफा-दफा कर चुका हूँ... इसलिए इस वीराने में आप दोनों, मैं और मेरे आदमी हैं... बस और कोई नहीं है...
प्रतिभा प्रत्युष के पास भाग कर जाती है उसे अपने पीछे ले लेती है और यश से कहती है
प्रतिभा - खबरदार जो मेरे बेटे को कुछ किया तो...
यश - अभी तो मैं कुछ नहीं करने वाला... बस बताना चाहता हूँ... और दिल से एक डील करना चाहता हूँ...
प्रतिभा - कैसी डील...
यश - अरे आप बैठिए तो सही... बैठिए बैठिए...
दोनों माँ बेटे यश के सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
यश - तुम दिल्ली गए... जैसे ही मेरी दवाओं का लैब टेस्ट कराया... मुझे खबर मिल गई... चूँकि फॉर्म में... मेरी कंपनी का नाम नहीं था... इसलिए मैंने उन्हें असली रिपोर्ट देने को कहा... उसके बाद मैंने तुम पर नजर रखने लगा... अरे हाँ... तुम्हारे वह अंकल... वह कल से ही अपने भगवान प्यारे हो गए हैं... उनकी सढी गली लाश आज सुबह ही मिली... बीएमसी वालों ने इलेक्ट्रिक चूले में अंतिम संस्कार कर दिया... चु चु चु चु.. कितना बुरा हुआ नहीं...
(प्रतिभा के चेहरे पर पसीना उभरने लगती है l यश कहना चालू रखता है)
मैंने फ़िर भी तुमको मौका दिया... देता रहा... पर तुम निकले हरामी... तुमने हर जगह मेरी दवाओं की परीक्षण के लिए सैंपल भेजे... मैंने अपने कनेक्शन इस्तमाल करके... नीट एंड क्लिंन हो गया... फिर भी तुम बाज नहीं आए... अपने बाप को कलकत्ते भेज दिया....
प्रत्युष और प्रतिभा हैरान हो कर एक दुसरे को देखने लगते हैं l
प्रतिभा - त.. तुम्हें कैसे मालुम हुआ... वह कलकत्ता गए हैं...
यश - प्रत्युष के दिल्ली से आने के बाद... तुम्हारे घर में जो इलेक्ट्रिक वाइरिंग का काम हुआ था... वह मैंने ही करवाया था.... तभी मैंने अपने आदमी के जरिए तुम्हारे घर में यह (पॉकेट से कुछ माइक्रो माइक निकालता है) लगवा दिए थे... इसलिए आप सबकी बातों को सुन पा रहा था...
प्रतिभा - (रोते हुए हाथ जोड़ कर) प्लीज... मेरे बेटे को कुछ मत करो... मैं हाथ जोड़ती हूँ... पांव पड़ती हूँ...
यश - पर मैडम आपने अभी तक... मेरे पांव पड़े नहीं हैं...
प्रतिभा भाग कर आती है और यश के पैरों पर गिर जाती है l
यश - हाँ... यह ठीक तो है... पर... पर बेकार जाएगा... (प्रतिभा उसे हैरान हो कर ना समझने वाली भाव से देखती है) क्यूंकि आज यहाँ पर... हत्या और डकैती दोनों होंगी...
प्रतिभा - क्या.. (कह कर उठ जाती है)
प्रतिभा जैसे ही उठ खड़ी होती है यश भी उठ खड़ा होता है और प्रतिभा को चटाक से एक ज़ोरदार चाटा मार देता है l प्रतिभा दो घेरा घुम कर सोफ़े पर गिरती है l प्रत्युष माँ कहकर चिल्ला कर प्रतिभा के पास पहुंचता है और देखता है प्रतिभा के गालों पर यश के उंगलियों छाप पड़ गए हैं और होठों के किनारे से खुन बह रहा है l
प्रत्युष - कमीने यश...
(चिल्ला कर यश की तरफ बढ़ता है)
प्रतिभा - नहीं... प्रत्युष (चिल्लाती है)
देर हो जाती है l यश अपनी आस्तीन से एक चाकू निकाल कर पहले प्रत्युष के पेट में घोंप देता है l प्रत्युष का जिस्म यश पर लुढ़क जाता है l प्रतिभा की आवाज़ उसके गले में अटक जाता है l इधर प्रत्युष का जिस्म जो यश पर लुढ़का हुआ है छटपटाने लगता है l प्रतिभा की आँखें फटी रह जाती है l यश ज़ख्मी प्रत्युष को प्रतिभा की तरफ घुमाता है और फिर प्रत्युष के गले पर चाकू चला देता है l प्रतिभा और बर्दास्त नहीं कर पाती वहीँ बेहोश हो जाती है l
(फ्लैशबैक में स्वल्प विराम)
तापस चुप हो जाता है थोड़ी देर के लिए खान भी चुप हो जाता है l खान तापस की चेहरे पर नजर डालता है l अब तक कहानी को एक अलग भाव से कहने वाले की आंखे जैसे बुझ सी गई हैं l चेहरे पर दर्द छलक कर बाहर आने को लग रहे हैं पर आँखों ने जैसे ज़बरदस्ती रोक लिया है l खान ख़ामोशी को तोड़ते हुए
खान - तापस... (तापस के हाथ पर हाथ रखकर) आर यु ओके....
तापस - हूँ.. ह... हाँ.. मैं ठीक हुँ...
खान - अच्छा... तो... तुम्हें... कब पता चला... प्रत्युष की इंतकाल के बारे में....
तापस - मैं खडकपुर में पहुँचा ही था कि... मुझे दास ने फोन कर प्रत्युष के बारे में जानकारी दी... मैं वहीँ पर उतरकर... टैक्सी से वापस भुवनेश्वर आ गया... सुबह जब पहुँचा तो देखा... प्रतिभा एक गुमसुम सी पत्थर की मुरत बन गई है... रो रो कर जैसे उसकी आँखे सुख गई हों... पुलिस अपनी तफ़तीश को अंजाम दे चुकी थी... मेरे पास आकर एक ऑफिसर ने मुझसे कहा कि यह डकैती और खुन का मामला है... अनजान लोगों के विरुद्ध...
खान - ओ... मतलब कोई सबूत नहीं मिले...
तापस - नहीं...
खान - अच्छा तुम्हारे पास तो... दवाओं के सैंपल थे ना... उसके जरिए तुम मर्डर की लिंक स्थापित करने की कोशिश की होगी....
तापस - नहीं... नहीं कर सका...
खान - क्यूँ...
तापस - क्यूंकि मैं जिस टैक्सी से पहुँचा था... वह टैक्सी मुझे वहीँ छोड़ कर चली गई थी...
खान - व्हाट... मतलब... वह टैक्सी...
तापस - पहले से ही... मेरे लिए... खडकपुर में खड़ी थी... मुझे मेरे मंजिल तक पहुँचा कर... बिना किराये लिए... मेरे समान के साथ चली गई...
खान - तो फ़िर... एफआईआर तो दर्ज कराया था ना तुमने...
तापस - हाँ... पर तहकीकात में ही... केस मार खा गई...
खान - कैसे...
तापस - यश वर्धन बहुत बड़ा इंडस्ट्रीयलीस्ट था... उसके गिरेबान पर हाथ डालने के लिए... पक्के सबूतों की दरकार थी... क्यूंकि प्रतिभा के बयान के मुताबिक जिस वक्त... यश मेरे घर पर था... निरोग हस्पताल के बुलेटिन और सीसीटीवी के मुताबिक... यश उस वक़्त निरोग हस्पताल के वीआईपी कैबिन में था.... और उसी समय यश से मिलने भुवनेश्वर के मेयर पिनाक सिंह क्षेत्रपाल भी मौजूद थे... पुरे दो घंटे तक.... उन्होंने अपनी गवाही में उस बात को पुष्टि की.... और यह बात... सीसीटीवी में भी पुष्टि हो गई.... पिनाक सिंह एक डॉक्टर के साथ अंदर कैबिन में जाता है... फिर पांच मिनट बाद डॉक्टर पिनाक सिंह को उसी कैबिन में छोड़ कर बाहर चला जाता है.... पिनाक सिंह दो घंटे तक यश के साथ उस कैबिन में बैठा रहा... दो घंटे बाद डॉक्टर अंदर जाता है... फिर पांच मिनट के बाद... पिनाक सिंह डॉक्टर के साथ बाहर निकल जाता है....
खान - या अल्लाह... कितना ख़तरनाक प्लान था... मर्डर की कोई भी थ्योरी यहाँ काम नहीं आया होगा...
तापस - हाँ...
खान - कैसे मैनेज किया उसने...
तापस - पुलिस वाले हो... दिमाग पर थोड़ा जोर डालो... और... थ्योरी एस्टाब्लीश करो...
खान - (कुछ देर सोचता है) ह्म्म्म्म... तो प्रत्युष के मर्डर में... मेयर पिनाक सिंह की मदत ली गई थी... निरोग हस्पताल यश की अपनी थी... सीसीटीवी के कैमरे करिडर में लगे होंगे... तो हुआ यूँ होगा... यश के कद और काठी के बराबर एक आदमी को डॉक्टर की लिबास में... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगाए हुए.... पिनाक सिंह के साथ... वीआईपी कैबिन में ले जाया गया होगा... कैबिन में उस आदमी के साथ यश ने लिबास अदला-बदली कर... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगा कर... बाहर निकल गया होगा.... पुरी तैयारी के साथ... और अपना काम खत्म करने के बाद... उसी डॉक्टर के लिबास में वापस अपने कमरे में आकर उस आदमी से लिबास की अदला-बदली किया होगा.... फिर पिनाक सिंह उस डॉक्टर के लिबास पहने आदमी के साथ बाहर निकल गया... यही हुआ होगा...
तापस - परफेक्ट... पर हम यह... साबित नहीं कर पाए.... और यश को क्लीन चिट मिल गया....
खान - फ़िर यश ने पलट वार किया क्या...
तापस - नहीं... उसने बहुत बड़ा दिल दिखाया... हमे माफ कर दिया... हमारी कभी ना खतम होने वाली दुख और पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की... और फिर हमे हमारी हाल पर छोड़ दिया... यह एहसास दिला कर... के हम उसका कभी भी... कुछ भी... उखाड़ नहीं पाएंगे....
खान - ह्म्म्म्म... फिर भाभी... और तुम... तुमने खुद को कैसे संभाला...
तापस - हमारी लड़ाई दो महीने तक चली.... यश को क्लीन चिट मिल जाने के बाद... मीडिया और पब्लिक ने हमारा जीना हराम कर के रख दिया... किसीने हम पर ही इल्ज़ाम लगा दिया... के हम... हमने.. अपने ही बेटे को मार डाला.. वगैरह वगैरह... इससे प्रतिभा और भी टुट गई... उसे दौरे पड़ने लगे... वह रो रो कर बेहोश हो जाने लगी... उसने कोर्ट जाना बंद कर दिया था....
खान - ओह...
तापस - कुछ मामलों में... हम मर्द वाकई बहुत कमजोर और स्वार्थी होते हैं... मुझसे प्रतिभा का दुख देखा नहीं जा रहा था... और उसके पास रुक कर दुख बांटा भी नहीं जा रहा था... इसलिए मैं ऑफिस चला जा रहा था... एक दिन प्रतिभा को हमारे जुड़वे बच्चों की तस्वीर लिए गुमसुम बैठे देखा तो मुझसे रहा नहीं गया...
(तापस के द्वारा फ्लैशबैक का अंतिम दौर)
तापस - (खीज कर) यह क्या है जान... आखिर कब तक... कब तक इन तस्वीरों में खोई रहोगी... वी आर फैल्ड... एज पेरेंट्स... एंड... वी आर रिजेक्टेड... फ्रॉम सोसाईटी...
प्रतिभा - (चुप रहती है)
तापस - (धीरे से) कहो तो... हम गांव चले जाएं... सब कुछ छोड़ छाड़ कर...
प्रतिभा - नहीं... (चीखते हुए) हरगिज़ नहीं... ( फोटो से ध्यान हटा कर तापस की ओर देखते हुए) मुझे उस यश वर्धन का अंत देखना है... (आवाज़ कठोर हो जाता है) उसका साथ देने वाला क्षेत्रपाल का अंत देखना है... या फिर घुट घुट के... एड़ियां रगड़ रगड़ कर मर जाना है... (तापस प्रतिभा का यह रूप देख कर हैरान हो जाता है) मुझे समाज से कोई मतलब नहीं है... ना ही भगवान से शिकायत है... पर मैं यश की अंत देखे बिना... हरगिज नहीं मरने वाली.... (फिर सिसक सिसक कर रोते हुए) जानते हैं सेनापति जी... मुझे बहुत पहले... उस वैदेही और उस विश्व से माफी मांग लेनी चाहिए थी... भगवाने मुझे मौका भी दिया था... मंदिर में... पर अपनी झूठी अहंकार की मुखौटे के पीछे खुद को छुपा कर... उससे माफ़ी नहीं मांगी.... इसलिए मैंने अपने प्रत्युष को खो दिया.... (रो देती है)
तापस - (उसे गले से लगा कर) तुम कबसे ऐसा सोचने लगी...
प्रतिभा - (बिलख बिलख कर) नहीं सेनापति जी... ऐसा ही है...
तापस - तुम प्रत्युष की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मान रही हो... और वैदेही खुदको जिम्मेदार मान रही है...
प्रतिभा - (हैरान हो कर तापस को देखने लगती है) क्या... यह आप क्या कह रहे हैं....
तापस - हाँ जान... प्रत्युष के बारे में जानने के बाद... वह एक बार तुमसे मिलने आई थी... पर तुम इस कदर बदहवास थी के... मैंने उसे तुमसे मिलने से रोका... वह बहुत गिड़गिड़ाई और माफी भी मांगने लगी... जब मैंने वजह पूछी तो उसने कहा कि... उसने कोई भी श्राप नहीं दी थी... फिर भी प्रत्युष के लिए वह खुद को दोषी मान रही है... क्यूंकि उसने हमारे पहली मुलाकात में कहा था... की "भगवान ना करे... किसी दिन इंसाफ़ की बिजली आपके घर पर गिरे"...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ जान... इस बात उसने अपने मन में गांठ बांध कर... तुमसे माफी मांगने आई थी...
प्रतिभा - तो... तो आपने... मिलने क्यूँ नहीं दिया...
तापस - (चिढ़ते हुए) क्यूंकि मैं... मैं... उस बात को सच मान कर ज़ज्बात के रॉ में बह गया... खूब खरी खोटी सुनाया.... और उसे निकाल दिया....
प्रतिभा - यह आपने ऐसा क्यूँ किया... उसने सच ही तो कहा था... विश्व निर्दोष था... पर कानून के चंगुल में फंस गया... वह उसके इंसाफ़ के लिए दर दर भटक रही थी.... हमारे पास भी आई थी... मैंने दुत्कारते उसे भगा दिया था... और हम... हम तो... कानून के दो मुहाफिज हैं... फिर भी हम... अपने बेटे को इंसाफ़ ना दिला पाए.... वैदेही ने तो... हमे आगाह किया था... ना कि अभिशाप दिया था... आपने उस बिचारी को... और भी दुखी कर दिया...
तापस - (खुद को संभाल कर) सॉरी जान... आई एम रियली सॉरी... मैं... मैं... तुम्हारी तरह नहीं सोच पाया... सॉरी... मैं... अगली बार... उसे तुम्हारे सामने लाउंगा... जरूर लाउंगा....
Awesome Updateee. Maza aagaya padhke.
Ab lagta hai flashback khatam hogaa. Par uske pehle Vishwa Law ki taiyaari karega jisme uski madad Senapati couples karengee.
Dekhte hai aage kya hota hai.