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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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ANUJ KUMAR

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👉अड़तालीसवां अपडेट
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फ़्लैशबैक में स्वल्प वीराम

खान - ह्म्म्म्म... तो जयंत सर की हत्या की गई थी...
तापस - हाँ...
खान - पर मेडिकल रिपोर्ट अलग ही थी....
तापस - हाँ...
खान - कैसे...
तापस - फॉरेंसिक साइंस जितनी आगे निकल चुकी है... जुर्म के तरीके उससे भी आगे निकल चुके हैं.... जानते हो पुलिस क्राइम होने के बाद पहुंचती है और केस को क्रैक करती है... तो अगली बार जुर्म एक अलग तरीके से होती है... ताकि पुलिस पुराने तरीके को फॉलो करती रहे और गुनहगार आसानी से बच कर निकल जाए.... क्राइम हमेशा आगे रहता है और पुलिस हमेशा पीछे.... यही सच है....
खान - ह्म्म्म्म... बात भले ही कड़वी कही है.... पर सच कहा है.... यार बुरा मत मानना... तुम्हें कैसे पता चला... वैदेही ने जयंत की मौत की वजह लिख कर विश्व को दिया है...
तापस - तुम भूल रहे हो... इससे पहले भी जयंत सर की आखिरी लेटर भी मैंने पढ़ा था....
खान - हाँ...
तापस - और वैदेही ने लेटर को जगन के हाथों सौंपा था... जगन विश्व को देने से पहले... मेरे पास पहुंचाया था... मैंने पढ़ने के बाद... वह लेटर विश्व तक पहुंचा...
खान - यार यह गलत बात है... किसीका लेटर पढ़ना...
तापस - जानता हूँ... पर रिजल्ट निकलने के बाद..... विश्व के पास होना चाहिए था... उसका ना आना... विश्व से ना मिलना... मुझे किसी अनहोनी की अंदेशा हुआ था... इसलिए उत्सुकता वश वह चिट्ठी पढ़ ली थी...
खान - ह्म्म्म्म... पर तुम्हें मालुम कब हुआ... डैनी विश्व को टॉर्चर नहीं... ट्रेन कर रहा था...
तापस - कुछ ही महीनों बाद... मतलब डैनी के जैल से जाने के... कुछ महीने बाद.... क्यूंकि डैनी के जाने के बाद विश्व, विश्व रहा नहीं... धीरे-धीरे विश्वा भाई.... बन गया...
खान - ओ... अच्छा... मतलब कुछ महीने बाद... विश्व... विश्वा भाई बन गया... ह्म्म्म्म... पर एक बात मेरे समझ में नहीं आ रहा है... साढ़े छह साल की सजा में पहले डेढ़ साल में विश्व की ग्रेजुएशन खतम हो गई... पर लॉ पढ़ने के लिए उसे एक साल और इंतजार करना पड़ा...
तापस - हाँ पहले विश्व कुछ दिन मातम में था... जब विश्व मानसिक रूप से तैयार हुआ... तब हम... (आवाज़ भर्रा जाता है) हम मातम में थे...

तभी किचन से प्रेशर कुकर की सीटी बजती है l खान तापस की आँखों में नमी देखता है l तापस अपने हाथों से आँख साफ करता है और खान से

तापस - खान हमारे जीवन में एक तूफान का आना बाकी था.... उस तूफान के गुजरने के बाद हमे संभलना भी था...
खान क्या तुम्हें उस गाने के बोल याद हैं...

तूफ़ान को आना है
आ कर चले जाना है बादल है ये कुछ पल का

छा कर ढल जाना है परछाईयाँ रह जाती
रह जाती निशानी है
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है

यह बोल हमारे लिए ही शायद लिखी गई थी...

खान - फ़िर क्या हुआ...
तापस - फ़िर वह हुआ... जिसकी हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था....

फ्लैशबैक फ़िर से शुरू होती है

तापस की सरकारी क्वार्टर

डायनिंग टेबल पर तापस को आवाज़ देता है

तापस - (प्रतिभा से) क्यूँ लाट साहब को... आज नाश्ता नहीं करना है क्या...
प्रतिभा - पता नहीं दो दिन से वह कुछ खोया खोया हुआ है...
तापस - माँ हो... पता होना चाहिए तुम्हें...
प्रतिभा - दो दिन से खोया खोया हुआ है... यह मैं जानती हूँ... आप बताइए... आप बाप हैं... आपको कब मालुम हुआ...
तापस - ह्म्म्म्म... बस आपने बताया तब...
प्रतिभा - मैंने थोड़ा उसे... स्पेस दिया है...
तापस - एक काम करो... उसे अभी बुलाओ... बात करते हैं...
प्रतिभा - ठीक है... (आवाज़ देती है) प्रत्युष... बेटा नाश्ता लगा दिया है...
प्रत्युष - (अंदर से) आया माँ...

प्रत्युष अपनी कमरे से बाहर निकल कर डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l और सीधे नाश्ता खाना शुरू कर देता है l

तापस - क्यूँ भई लाट साहब... सुबह सुबह सीधे खाने पर... नो हाय... नो हैलो... गुड मॉर्निंग नहीं.... क्या बात है...
प्रत्युष - कुछ नहीं डैड... ओ सॉरी... गुड मॉर्निंग डैड... गुड मॉर्निंग माँ...
दोनों - गुड मॉर्निंग...
प्रतिभा - क्या बात है बेटा... दो दिन से कुछ खोए खोए से हो...
प्रत्युष - वह माँ... वह बात यह है कि... (रुक जाता है)
तापस - ह्म्म्म्म कहते कहते रुक गया मतलब... इसकी शादी करानी पड़ेगी...

प्रत्युष के गले में खाना अटक जाता है वह खांसने लगता है l प्रतिभा जल्दी से उसे पानी पिलाती है l उसकी खांसी रुकने के बाद l

प्रतिभा - (तापस से) आप भी ना... खाने के समय कोई ऐसी बात करता है क्या... देखा खांस खांस के मेरे बच्चे की आंखों में पानी आ गए...
तापस - तुम्हारा बच्चा... तो मेरा क्या है....
प्रतिभा - ठीक है... आपका भी बच्चा खुश...
तापस - खुश... मतलब...
प्रतिभा - ओह ओ...(थोड़े चिल्लाते हुए) ठीक है... आपका बच्चा... मगर फिर भी आपने उसकी खाने पर नजर डाली...
तापस - मैंने नजर डाली...
प्रत्युष - एक मिनट आप दोनों लड़ क्यूँ रहे हैं... जरा सी खांसी ही तो थी...
तापस - यह मुझे नहीं... अपनी माँ को बता...
प्रतिभा - हाँ हाँ.. अब बाप बेटे मिल जाओ और मुझे ही दोष दो...
प्रत्युष - क्या माँ... आप भी बच्चों की तरह बात करने लगी...
प्रतिभा - बच्चों की तरह... और कौन बच्चा है यहाँ...
प्रत्युष - डैड...
तापस - हाँ हाँ... अब हम बच्चे ही तो हैं... और आप महाशय बुजुर्ग....
प्रतिभा - खबरदार जो मेरे बच्चे को फ़िर से नजर लगाया तो...
प्रत्युष - ओह ओ... आप दोनों फिर से शुरू मत हो जाना...
तापस - अच्छा... छोड़ तेरी माँ की बातों को... चल बता... किस सोच में डूबा हुआ है... तान्या ने कुछ कहा क्या...
(तान्या प्रत्युष की गर्ल फ्रेंड और डाक्टर विजय की बेटी है, जिसकी इस कहानी में कोई भूमिका नहीं है)

प्रत्युष - नहीं... ऐसी कोई बात नहीं....
तापस - तो फिर... किस बात को लेकर तु परेशान है....
प्रत्युष - वह मेरे सारे दोस्त... पीजी करना चाहते हैं... यहां तक तान्या भी... इसलिए मैं भी यही सोच रहा था...
तापस - यह तो अच्छी बात है... तुने पीजी के लिए कुछ सोचा है क्या...
प्रत्युष - सोच रहा हूँ... मेडिसन पर करूँ...
तापस - गुड वेरी गुड... तान्या किसमें करना चाहती है....
प्रत्युष - वह गायनोकोलॉजी में करना चाहती है...
तापस - यह तो और भी अच्छी बात है... मैं तो कहता हूँ... तुम और तान्या शादी कर लो... और दोनों मिलकर... पीजी करो... क्यूँ भाग्यवान.... (प्रतिभा कुछ कहती नहीं, चुपचाप अपना खाना खाती है) अरे भाग्यवान मैं तुमसे कुछ पुछ रहा हूँ...

प्रतिभा फ़िर भी कुछ नहीं कहती है, अपना खाना खा रही है, तापस अपनी आंखों से इशारा कर प्रत्युष से पूछता है

तापस - क्या हुआ इसे...
प्रत्युष - (अपनी कंधे उचका कर इशारे से) मुझे नहीं पता...
तापस - (इशारे से) तु पूछ ना... क्या हुआ...
प्रत्युष - (इशारे में) ठीक है... (फ़िर प्रतिभा से, प्यार से) माँ... ए माँ... बोलो ना... क्या हुआ...
प्रतिभा - (गुस्से से) अच्छा तो अब मालुम हुआ... तेरी माँ भी यहाँ बैठी है...
तापस - अरे भाग्यवान...
प्रतिभा - आप तो बिलकुल मुझसे बात हो मत करो...
तापस - क्यूँ क्यूँ...
प्रतिभा - हूं ह... (अपना मुहँ घुमा लेती है)

तापस इशारे से प्रत्युष से बिनती करता है प्रतिभा को मनाने के लिए l तापस को प्रत्युष इशारे से दिलासा देता है और फिर प्रतिभा से

प्रत्युष - माँ... ओ माँ... मेरी अच्छी माँ... मेरी प्यारी माँ...
प्रतिभा - देख आज तु मुझसे मार खाएगा...
प्रत्युष - वह क्यूँ भला...
प्रतिभा - तुझसे सबसे पहले मैंने पुछा... दो दिन से तुझे हुआ क्या है... मुझे तो बताया नहीं तुने... पर अपने बाप के पास... अपना पोथी पुराण ले कर बैठ गया... और मुझे भूल गया...
प्रत्युष - क्या बात करती हो माँ... मैं और आपको भूल जाऊँ... उससे पहले मुझे मौत ना आ जाए...
प्रतिभा - (प्रत्युष के गाल पर चपत लगाते हुए) शुभ शुभ बोल...
प्रत्युष - सॉरी माँ... पर आप गुस्सा भी तो मत करो ना माँ... वह डैड बात बात पर तान्या को बीच में ला रहे थे... इसलिए उस बात को एवोइड करने के लिए... सारी बातेँ कह दी....
प्रतिभा - चुप कर.. डैड के चमचे... मुझे सब मालुम है... तु... मुझसे ज्यादा... अपने डैड से प्यार करता है...
प्रत्युष - क्या माँ... आप भी ना... मैं सच में आप से बहुत प्यार करता हूँ.. (कह कर बगल से प्रतिभा को गले लगा लेता है)
प्रतिभा - वैसे तेरे डैड... कह तो सही रहे हैं.... तु शादी के बाद भी... तो पीजी कर सकता है...
तापस - यह हुई ना बात... भाग्यवान थैंक्यू...
प्रत्युष - क्या थैंक्यू... अभी मैं सिर्फ़ बाइस साल का हूँ... क्या यह उम्र है... शादी करने की...
तापस - क्यूँ मेजर तो हो... और मेरी भी तो शादी तेईस की उम्र में हुआ था...
प्रतिभा - और नहीं तो क्या....
प्रत्युष - ओह ओ... तब कि बात और थी... आप थोड़ा पीछे और जाओगे तो... बाल विवाह भी होता था... पर आज की जेनेरेशन में इतनी जल्दी शादियाँ नहीं होती...
प्रतिभा - यह किसने कहा तुझे...
प्रत्युष - किसने कहा मतलब.... मालुम है मुझे और हम देख भी रहे हैं... आप लोग मेरी शादी के लिए... इतनी जल्दी में क्यूँ हैं...
तापस - अरे भई... तुम अपने प्रोफेशन में बिजी रहोगे.... हम अपने पोते पतियों में बिजी हो जाएंगे....
प्रत्युष - फ्रैंकली... डैड... मैं मेडिसन खतम होने तक... कोई डिस्टर्बान्स नहीं चाहता...
प्रतिभा - ठीक है फिर... वैसे कहाँ करना चाहते हो पीजी तुम दोनों...
प्रत्युष - हम दोनों मतलब...
तापस - ओ हो... क्या बात है.. हम दोनों मतलब... अरे तुम दोनों... तुम और तान्या...
प्रत्युष - मैंने अभी तक एप्लाइ नहीं किया है...
प्रतिभा - और तान्या...
प्रत्युष - नहीं उसने भी नहीं... पर वह ओड़िशा से बाहर जाना चाहती है...
तापस - ओ.. तो इसलिए मजनूँ के चेहरे पर उदासी छाई हुई है...
प्रत्युष - ओह... कॉम ऑन डैड... मैं उस बारे में बिल्कुल भी वरीड नहीं हूँ... एक्चुएली एक ऑफर है...
प्रतिभा - कैसा ऑफर... किसका ऑफर...
प्रत्युष - वह हमारे ही कॉलेज से... एमबीबीएस खतम होने पर... मुझे गोल्ड मेडल देते वक्त... खुद हमारे एमडी सर ने निरोग हस्पताल में हाउस सर्जन के रूप में जॉइन करने के लिए ऑफर की है... और पैरालली तीन विषयों पर पीजी के लिए चइस मांगा है... मेडिसन, ऑर्थोपेडीक, और ऐनेस्थोलोजी पर...
तापस - इतने बड़े इंस्टीट्यूट के एमडी ने ऑफर किया है... यह एक ऑनर और प्राइड की बात है... क्यूंकि तुमने गवर्नमेंट की फ्री सीट में... एमबीबीएस किया है... पर उन्होंने पीजी के लिए ऑफर किया है और पैरालली हाउस सर्जन की भी... यह तो बहुत ही अच्छी खबर है.... तुम यहीँ रहोगे और... हमारे आँखों के सामने रहोगे...
प्रतिभा - हाँ... तो तुम सोच किस विषय पर रहे हो...
प्रत्युष - यही की... किस विषय पर करूँ.... क्यूंकि तीनों ही बहुत स्पेशल हैं और डीमांडींग भी है....
प्रतिभा - ठीक है... इन पांच सालों के एमबीबीएस में.... तुम किसमें खुद को कंफर्टेबल महसूस कर रहे हो... वह करो ना...
तापस - हाँ भई... तुम्हारी माँ की बात तो... मुझे भी सही लगती है...
प्रत्युष - मैं ऐनेस्थोलोजीस्ट बनना चाहता हूँ...
तापस - पर अभी तो कह रहा था मेडिसन करेगा...
प्रत्युष - इसलिए तो कंफ्युज था... पर अब सोच रहा हूँ ऐनेस्सथोलोजी पढ़ुं.... इससे दो काम हो जाएगा... मेडिसन पर भी आइडिया आ जाएगा...
प्रतिभा - देखो जो तुम करना चाहो... वह करो... पर हम डॉक्टर विजय से बात कर... तुम दोनों की... अटलीस्ट... एंगेजमेंट तो करा दें... क्यूँ सेनापति जी...
तापस - बिल्कुल.. बिल्कुल...
प्रत्युष - बिल्कुल नहीं... हम और चार साल... अपने अपने डिग्री हासिल करने के बाद ही... शादी की सोचेंगे...

तापस और प्रतिभा एक दूसरे के मुहँ देखते हैं और अपना सर हिला कर दोनों प्रत्युष के फैसले पर अपनी रजामंदी देते हैं l

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कुछ दिन बाद
सेंट्रल जैल
रात की डिनर का समय

विश्व अब टेबल पर अकेला खा रहा है l पिछले डेढ़ साल में कभी कभार ही आना हुआ क्यूंकि चित्त की स्ट्रिक्ट डायट प्लान के चलते वह यहाँ कभी कभी ही आ सकता था l पर उन सबके जाने के बाद विश्व अकेला ही कोने में पड़े टेबल पर खाना खा रहा है l डैनी और उसके गैंग ने कुछ ऐसा हौवा बनाया था कि विश्व अपनी बदतमीजी के चलते डैनी के छूटने तक गुलामी कर रहा है l इसलिए साथी कैदी सब उसे ऐसे देख रहे थे जैसे वह किसी चिड़िया घर से छुटा है l उन कैदियों में कुछ कैदी ऐसे भी हैं जो इस जैल के रेगुलर और पर्मनेंट हैं और अपना आना जाना बरकरार रखे हुए हैं, वह लोग कुछ दिनों से लगातार विश्व को ताना मार रहे हैं l

कैदी एक - अरे भाई... कभी तो हमे भी फोड़ो... ताकि हम तुम्हारी सेवा को याद रख सकें...
कैदी दो - यार उस दिन क्या हुआ था... डैनी भाई के यह चिरकुट पहुंचा.. तब बात आगे बढ़ी...
कैदी तीन - ओ.. इसका मतलब हम अछूते तो नहीं... कभी तो हमारे पास बैठो.. तभी हमको फोड़ो...

सारे कैदी जो वहाँ पर बैठे हुए थे, सभी हँसने लगते हैं l पर विश्व उन पर ध्यान देने के वजाए अपना खाना खा रहा है l

कैदी चार - देखो जी देखो... मेरे पैर दुख रहे हैं... कम से कम एक झापड़ तो लगाओ... और शाम तक मेरे पैर की उत्तम मालिश कर दो...
कैदी एक - अबे चुप... मेरा तो पूरा बदन ही दर्द कर रहा है... ऑए... चिरकुट... मेरा बम्पर ऑफर... चल आजा मेरा पूरा बदन की मालिश करदे... अगले वीरवार को... मेरे हिस्से का अंडा तुझे फ्री में दे दूँगा...

फिर से सारे कैदी हँसने लगते हैं l विश्व अपना खाना खतम कर थाली लेकर उठ जाता है l वश रूम तक जाते जाते पीछे लोगों की हँसी और सिटी सुनाई देती है l विश्व पहले थाली को माँजता है फिर अपना हाथ मुहँ साफ कर सामने लगे आईने में अपने आपको देखता है l उसे डैनी की कही एक बात याद आता है इज़्ज़त जितनी तेजी से बनती है, उतनी ही तेजी से उतरती भी है l फिर अपना थाली लेकर डाइनिंग हॉल में पहुंचता है और जमा कर जाने को होता है l तभी कैदी एक उसका रास्ता रोकता है

कैदी एक - क्यूँ भई... हमे मार कर अगर गुलामी नहीं कर सकते... तो फ्री में गुलामी कर लो... यह ले मेरा थाली ले जा और साफ करके जमा कर दे...
कैदी चार - अगर फ्री में भी तकलीफ़ होती है... तो... कोई गल नहीं... हम तुझे हर प्लेट के बदले चवनी देंगे... देख कितने लोग हैं यहाँ पर... सबके प्लेट साफ करेगा तो....
कैदी एक - तो इतने पैसे मिलेंगे के तेरा बुढ़ापा संवर जाएगा....

सभी मौजूद कैदी वहाँ पर ठहाका लगाते हैं l डायनिंग हॉल कैदियों के ठहाके से गूंजने लगती है l विश्व हॉल के दुसरे सिरे में आता है l वहाँ के दीवारों पर काले ग्रेनाइट की फर्निशिंग है l सभी कैदी खड़े हो गए और विश्व को सुनाई दे ऐसे जोर जोर से हँस रहे हैं l विश्व मुड़ कर सब को एक नजर देखता है l सबसे आगे वह कैदी एक दिखता है बाकी सारे कैदी उसके पीछे खड़े हँस रहे हैं l विश्व अपनी आँखे बंद करता है और एक गहरी साँस लेता है और अपने मुहँ से साँस छोड़ता है l फिर अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी बना कर भींचता है l उसके मुट्ठी भींचते ही सभी कैदियों की हँसी रुक जाती है, क्यूँकी विश्व की मुट्ठी भींचने से उसके हाथों की धमनियां उभर कर साफ दिखने लगते हैं और जबड़े सख्त हो जाते हैं, उसके गाल थर्राने लगता है l फ़िर विश्व घुम कर एक घुसा जड़ देता है उस दीवार पर लगे काले ग्रेनाइट पर l धढास्स्स् की आवाज़ गूंजती है l चार बाई तीन कि उस ग्रेनाइट के बीचों-बीच घुसा मारा था विश्व ने l उस धढास्स्स् की आवाज़ के साथ साथ उस ग्रेनाइट के एड्ज से सफेद रंग की धुल उड़ कर निकल जाती है l सब विश्व को आँखे और मुहँ फाड़े देखे जा रहे हैं l फिर विश्व वहाँ पर नहीं रुकता उनके बगल से निकल कर बाहर चला जाता है l सब उसे जाते हुए देख रहे हैं कि तभी ठड़-ड़क्-डाक-कड़ाक आवाज़ सुन कर सभी उस ग्रैनाइट को देखते हैं l उस ग्रैनाइट में विश्व की मुट्ठी साफ दिख रहा है और उसी मुट्ठी के चारो ओर मकड़े की जाल जैसा बनने लगता है l फिर अचानक छोटे छोटे टुकड़ों में वह ग्रेनाइट पूरा का पूरा टुट कर नीचे गिर जाता है l सभी कैदी एक साथ अपनी अपनी हलक से थूक निकलते हैं l सबसे बुरा हाल उस कैदी एक का हो गया l उसकी मूत निकल जाती है और वह ऐसे कांपने लगता है कि उसके घुटने आपस में टकराने लगते हैं..

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तापस ऑफिस में पहुंच कर अपनी कैबिन की ओर जाता है l रास्ते में उसे दास और सतपती दिखते हैं l तापस को देख कर दोनों सैल्यूट करते हैं l

तापस - क्यूँ भई... क्या होगया... आज दिन और रात एक साथ...
दास - सर... समझमें नहीं आया....
तापस - अरे दास... इस हफ्ते तुम्हारा नाइट ड्यूटी चल रहा है ना... और सतपती का दिन का... इसलिए पूछा...
दास - सर.. एक्चुऐली कुछ दिखाना था आपको... इसलिए रुक गया...
तापस - ह्म्म्म्म... क्यूँ कुछ सिरीयस है क्या...
सतपती - सर आप पहले देख लीजिए... फिर डिसाइड कीजिए...
तापस - देन.. चलो फिर...

तीनों सर्विलांस रुम में आते हैं l वहाँ पर दास ऑपरेटर को कैन्टीन की वीडियो चलाने के लिए कहता है l ऑपरेटर बीते रात की वह वीडियो चलाता है जिसमें विश्व ग्रेनाइट पर घुसा जड़ता है और ग्रैनाइट टुट जाता है l यह देख कर तापस भी हैरान रह जाता है l

तापस - व्हाट द हैल... दिस इज़... य... यह क्या है...
दास - सर कल से मैं भी हैरान हूँ... इसलिए मैंने आपको यह देखने के लिए कहा...
सतपती - सर मैंने विश्व को बुलाने के लिए संत्री को भेज दिया है....
तापस - क्यूँ... किसलिए...
सतपती - (हिचकिचाते हुए) सर... मुझे लगा... आप शायद उससे बात करेंगे...
तापस - हाँ ठीक है... पर उससे क्या बात करूंगा... (दास और सतपती दोनों एक दुसरे को देखते हैं) ओके.. लेट्स गो टू माय कैबिन...

तीनों तापस के कैबिन में पहुंचते हैं l तापस अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है और दास और सतपती को बैठने के लिए कहता है l दोनों बैठ जाते हैं l तापस कुछ सोच में डुब जाता है l कुछ देर बाद

विश्व - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...
तापस - आओ विश्व आओ... बैठो...

विश्व देखता है दास और सतपती दोनों तापस के सामने बैठे हुए हैं l

विश्व - नहीं सर मैं ठीक हुँ....
तापस - क्यूँ क्या हुआ...
विश्व - कानून के अधिकारी के सामने... टेबल के पार... मैं बैठ सकता हूँ... पर साथ नहीं...

तापस - (अपनी कुर्सी पर आराम से पीछे की ओर बैठते हुए) कल रात क्या हुआ विश्व...
विश्व - कुछ नहीं... कुछ भी तो नहीं...

तापस - व्हाट कुछ भी नहीं... तुमने जैल की प्रॉपर्टी डैमेज किया है... अगर इसकी रिपोर्ट बनी... बुरे स्वभाव के कारण तुम्हारा सज़ा बढ़ भी सकता है...
विश्व - सॉरी... आगे से ध्यान रखूँगा... फ़िर ऐसा नहीं होगा...
तापस - ठीक है... पर ऐसा हुआ क्यूँ था...
विश्व - किसीने मुझसे कहा था... जब कोई कमजोर होता है... उस पर ताकत आजमानेकी कोशिश होती है...
तापस - तो...
विश्व - तो... उन्हें समझाने के लिए जो उस वक्त सूझा... वही किया...
तापस - हम्म... ठीक है... तुम जा सकते हो... और यह मेरी तुमको आखिरी चेतावनी है... आइंदा कोई प्रॉपर्टी की... नुकसान नहीं होनी चाहिए...
विश्व - जी...

इतना कह कर विश्व चला जाता है l उसके जाते के बाद तीनों को उस कैबिन में घोर सन्नाटा महसूस होती है l

दास - सर कुछ समझ में आया....
तापस - नहीं.... क्यूँ...
दास - सर विश्व ने जब डैनी को पंच किया था... डैनी पांच फुट दुर जाकर गिरा था... वह वीडियो भी आपने देखा होगा...
तापस - हाँ...
दास - तब विश्व के हाथ में थोड़ी सूजन आ गई थी... और उसे डॉक्टर ने क्रेप्ट बैंडेज बांधा था.... अब एक ग्रैनाइट टुट गया है... पर उसके हाथ सही सलामत है
तापस - तुम कहना क्या चाहते हो दास...
दास - यही की... मुझे लग रहा था... की विश्व पर बेइंतहा जुल्म हो रहा था.... इसलिए विश्व के बिहेवियर और एटीट्यूड बदल गया है... पर अब लगता है... कुछ और ही हुआ है....
तापस - दास... तुम अपने क्वार्टर जाओ... और आराम करो....
दास - सर मैं वह...
तापस - नो दास नो... तुमने जुल्म की बात कही वह सच है... विश्व भी जो कहा... वह भी सच है... हर कमजोर पर ताकतवर अपना ताकत जाहिर करता ही है... यह इंसानी फ़ितरत है... विश्व ने डैनी का लिहाज इसलिए किया... क्यूंकि डैनी उसके स्टडी का स्पॉन्सरर था... सो टेक इट इज़ी...
दास - सर...

तापस - नो... दास... अब तुम जाओ... और सतपती तुम भी... डिसमिस...

दोनों खड़े होते हैं और सैल्यूट दे कर बाहर चले जाते हैं l उधर जब विश्व तापस के कैबिन से निकला तो सीधे अपने सेल की ओर जाते हुए रास्ते में वही चार कैदी मिलते हैं
विश्व उन कैदियों को घूर कर देखता है l कैदी एक विश्व को घूरते हुए देख उसकी फटने लगती है l वह कैदी चार के पीछे छुपने लगता है l

विश्व - क्या हुआ... तुम लोग यहाँ क्यूँ आए हो... क्या चाहिए तुम्हें...
कैदी चार - हम सब यहाँ आ... आ... (आवाज़ हलक में घुटने लगती है) आप से...
विश्व - हाँ मुझसे...
कैदी चार - (जल्दी से) माफी मांगने आए हैं...
विश्व - ठीक है... जाओ यहाँ से...
कैदी तीन - भाई क्या हम आप से कुछ बात करें...

विश्व वहाँ पर एक बरगत के पेड़ के पास जाकर नीचे बनें चबूतरे पर बैठ जाता है और इशारे से सबको अपने पास बुलाता है l सब उसके पास जाते हैं l

विश्व - कहो क्या बात करना चाहते हो....
कैदी एक - वह भाई... क्या आपने सचमुच हमे माफ कर दिया है...
विश्व - (उसे घूरते हुए) हाँ कोई शक....
कैदी एक - (रीलैक्स होते हुए) थैंक्स भाई...
विश्व - पहले यह बताओ... (सबको इशारे से अपने पास बैठने के लिए कहता है) तुम लोग ऐसे करते क्या हो... जो हर पांच छह महीने में पहुँच जाते हो... फिर निकल जाते हो... वह भी इस जैल में...

सारे कैदी विश्व के पास बैठ जाते हैं और कैदी एक सबकी पहचान करते हुए बात शुरू करता है l

कैदी एक - भाई... मैं शैलेन्द्र... पर मुझे पहचान ने वाले सीलु कहते हैं... (कैदी दो को दिखा कर) यह है मिलन... इसको हम मिलु कहते हैं.... (कैदी तीन को दिखा कर) यह है तरुण... हम सब इसे टीलु कहते हैं.. (कैदी चार को दिखा कर) यह है जितेंद्र... पर हम सब इसे...
विश्व - जीलु...
सीलु - वाह भाई... आपको तो मालुम हो गया...
विश्व - तुम लोगों के इस नाम से... असली नामों की कोई मैचींग नहीं है... यह नाम तुम लोगों ने आपस में ही रखे हैं ना...
मिलु - हाँ भाई आपने सही अंदाजा लगाया है....
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे बढ़ो...
सीलु - किधर भाई...
विश्व - यह जैल... तुम लोगों के लिए... छुट्टी मनाने के लिए कोई ठिकाना है क्या... पांच या छह महीने के लिए अंदर आते हो... फिर दो तीन महीनों के लिए गायब हो जाते हो....

विश्व की इस सवाल पर चारों हँसते हैं l फ़िर सीलु कहता है

सीलु - भाई असल में हम चारों अनाथ हैं... हम सब बचपन से ही अनाथालय में पले बढ़े और जब अठारह साल के हुए... निकाल दिए गए... पेट के लिए रोटी की तलाश शुरू कर दिए... कुली मजदूरी के लिए हम अपना पेट भरते रहे... एक दिन एक पुलिस वालों ने हमे उठा लिया और थाने में बंद कर दिया.... फ़िर हमसे पुछताछ कर हमारे बारे में सब जानकारी जुटा ली... फ़िर हम चारों को एक ऑफर किया....
विश्व - कैसा ऑफर...
मिलु - एक बड़े आदमी के बेटे ने... अपनी गाड़ी से किसीकी एक्सीडेंट कर दी थी.... वह अपने बेटे को हर हाल में में बचाना चाहता था... इंस्पेक्टर ने हमे वह इल्ज़ाम अपने ऊपर ले जाने को कहा.... बदले में हमारा बैंक में अकाउंट खुलवा कर उसमें हर एक के नाम पचास पचास हजार देने की बात कही....
टीलु - और वह हर हाल में हमें छह महीने में छुड़ा देगा बोला....
जीलु - और यह लोंग टर्म डील हुआ...

विश्व - मतलब...
जीलु - विश्वा भाई... यह जो बड़े लोग होते हैं... कुछ छोटे मोटे जुर्म हो जाते हैं उनसे... तो खुद को बचाने के लिए... अपनी एड़ियां रगड़ते हैं... ऐसे लोगों के लिए वह पुलिस वाला रखवाला बन जाता है... उनसे पैसे लेकर हमे गिरफ्तार कर लेता है... फिर कोर्ट में कुछ दिनों बाद केस फलस् हो जाता है... और हम छूट जाते हैं...
सीलु - इस तरह हमारी दुकान और इनकम दोनों चलती रहती है....
विश्व - तुम लोग जितने बार अंदर बाहर हुए हो... तुम लोगों को सभी जज वकील और पुलिस पहचानते होंगे...
टीलु - (सभी शर्माते हैं) हाँ भाई...
विश्व - फ़िर भी तुम लोगों की दुकान चलती रहती है...
सीलु - क्यूंकि हमारे साथ साथ... उनकी भी दुकान चल रही है ना...
विश्व - ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ... तुम लोग मुझसे क्या चाहते हो...

चारों एक दुसरे को ताकते हैं l विश्व समझ जाता है वह लोग झिझक रहे हैं l

विश्व - कोई बात नहीं... कहो...
जीलु - वह भाई... हम इतनी बार यहाँ आए हैं... पर कोई हमे भाव देता ही नहीं है... इसलिए आप हमे अपना पट्ठा या चमचा... कुछ भी बना लीजिए...

यह सुनते ही विश्व की चेहरे पर गुस्सा चढ़ने लगता है l विश्व को गुस्से में देख कर चारों डर के मारे खड़े हो जाते हैं l

विश्व - बैठो चुपचाप यहाँ पर... (चारों डर के मारे बैठ जाते हैं) पहली बात... मैं कोई क्रिमिनल नहीं हूँ... और मुझे चमचों की शौक नहीं है... (चारों फिर एक दुसरे को देखते हैं) तुम लोग चाहो तो मुझसे दोस्ती कर सकते हो... मुझे तुम लोगों से दोस्ती करने से... कोई परहेज नहीं है... पर वादा करो की तुम लोग यह काम छोड़ दोगे.... वरना तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते....

चारों फिर एक दुसरे को देखते हैं l फ़िर सीलु कहना शुरू करता है

सीलु - भाई... आपने दोस्त कहा... ऐसा मान हमे आज तक किसीने नहीं दी है... हम यह काम छोड़ना भी चाहें तो हम सबकी कुंडली उस पुलिस वाले के पास है... हम अगर कभी आनाकानी की... तो हमें वह लंबा नाप देगा... आप बोलिए हम क्या करें...

विश्व सोचता है, सीलु ने बात तो सही की है l यह एक ऐसा सिस्टम है जहां सब इनको कुछ पैसे दे कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं l

विश्व - ठीक है... अगर मेरी दोस्ती चाहते हो... तो मेरे निकलने तक तुम लोगों को इसकी इजाजत है.... पर मेरे निकलने के बाद बिल्कुल नहीं....

चारों एक दुसरे को देखते हैं, विश्व अपना हाथ बढ़ाता है और कहता है

विश्व - जो विश्वास लेकर मेरे पास आए थे... उसका वास्ता लेकर कहता हूँ... तुम लोगों को मैं इस दलदल से निकालूँगा.... आगे तुम्हारी मर्ज़ी...

चारों अपना अपना हाथ बढ़ा कर विश्व के हाथ थाम लेते हैं l

सीलु - कहो भाई... अब हम क्या करें...
विश्व - आज से नहीं अभी से... तुम लोग मेरे इंफॉर्मेशन नेटवर्क के हिस्सा हो... तुम लोग जैल में फैल जाओ और और हर अच्छी बुरी खबर मुझ तक पहुंचाओ... आज से हम एक दूसरे को अभिवादन में नमस्ते कहेंगे... पर जिस दिन खबर विशेष हो... उस दिन तुम लोग नमस्कार कहना...
चारों - ठीक है भाई... आज से नहीं अभी से ऐसा होगा...
विश्व - ठीक है अब तुम लोग जाओ... खाने के टेबल पर मिलेंगे...

चारों - ठीक है भाई


कहकर चले जाते हैं l विश्व वहीँ बैठा डैनी कि कही बातेँ याद करने लगा l

डैनी - जहां भी रहो.. उस जगह पर अपना इंफॉर्मेशन नेटवर्क डेवलप करो... ताकि उस जगह पर अपना नियंत्रण रख सको.... यह इसलिए नहीं कि तुम अपना भाई गिरी कायम कर सको... यह इसलिए जरूरी है कि तुम सुरक्षित रहो और शांति से रहो....
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ANUJ KUMAR

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कुछ दिनों के बाद
सेंट्रल जैल
अब सिर्फ़ जीलू और मिलू दोनों जैल में हैं l सीलु और टीलु पर चल रहे केस फॉलस् हो गया इसलिए अब वे दोनों बाहर हैं l
एक रात डायनिंग हॉल में
डिनर के टेबल पर विश्व के साथ जीलू बैठ कर खाना खा रहा है l

जीलू - (वगैर विश्व के तरफ देखे) भाई एक खबर है...
विश्व - ह्म्म्म्म... (विश्व भी जीलू के तरफ बिना देखे) कहो...
जीलू - सीलु ने आपको आगाह करने के लिए कहा है...
विश्व - बात को लंबा मत खिंचो... मुद्दे पर आओ...
जीलू - परसों पटीया पुलिस स्टेशन से सीलु के लिए खबर आया था... ऑफिसर इनचार्ज.... सीलु से मिलना चाहता था... इसलिए सीलु ओर टीलु दोनों मिलने गए थे...
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे...
जीलू - ऑफिसर इनचार्ज... सीलु को तैयार रहने को बोला... हो सकता है... अगले हफ्ते सीलु यहाँ हो...
विश्व - (अब जीलू की ओर देखते हुए) तुम कहना क्या चाहते हो... तब से बेवजह बात को घुमा फिरा कर खिंच रहे हो...
जीलू - (बेशर्मों की तरह हंसते हुए) सॉरी भाई... तुम मेरे तरफ देख नहीं रहे हो... सोचा तुमको थोड़ा सिरीयस कर दूँ...
विश्व - हाँ बोलो... अब मैं सिरीयस हूँ...
जीलू - हाँ नहीं तो.... बात ही इतनी सिरीयस है... इसलिये आपको सिरीयस होना ही पड़ेगा...
विश्व - अब बोलोगे भी...
जीलू - हाँ बोलता हूँ ना... तो इनचार्ज से सीलु और टीलु मिलने पहुंचे... तो वहाँ पर रंगा का वकील... पहले से ही बैठ कर... थाने के इनचार्ज से बातेँ कर रहा था....
विश्व - हाँ तो...
जीलू - भाई... रंगा अभी यहाँ आने की तैयारी कर रहा है....
विश्व - अच्छा...
जीलू - हाँ भाई... और इसबार वह अकेला नहीं आ रहा है.... अपने साथ चार चार हाती, सांढ भालू और गेंडा भी ला रहा है...
विश्व - मतलब....
जीलू - ओह ओ... भाई समझा करो... वह अपने साथ चार चार हट्टे कट्टे लंबे-चौड़े तगड़े मुस्टंडे ला रहा है... तुमसे बदला लेने....
विश्व - ह्म्म्म्म अच्छी बात है...
जीलू - क्या अच्छी बात है... तुम जानते नहीं भाई... इन बीते दो सालों में... रंगा खुद को एक सांढ जैसा बनाया है... वह वकील... उस इनचार्ज से कह रहा था... रंगा इसबार विश्व को मसल कर रख देगा...
विश्व - तो ठीक है... वह वही करने आ रहा है... जो उसे करना चाहिए... और वापस कंधे पर जाने के लिए... साथ में गिन गिन कर चार लोगों को भी ला रहा है...
जीलू - भाई जो भी हो... तुम्हें सावधान रहना होगा उनसे... जब तुम आए थे... तब वह लोग छुप छुप कर उकसा रहे थे... पर अब आर या पार का इरादा लेकर आ रहा है... वह सबके सामने उकसाने से भी नहीं चुकेगा...
विश्व - ठीक है... जो भी होगा... देखा जाएगा....
जीलू - क्या भाई... इतना हलके में क्यूँ ले रहे हो...
विश्व - अब कि बार... रंगा मुझे छेड़ेगा, उकसायेगा, मार भी सकता है... पर तब... जब मैं चाहूँगा... वहाँ... जहां मैं चाहूँगा... पर उसका अंजाम वह होगा... जो मैं तय करूंगा....

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आधी रात को तापस अपने बिस्तर पर करवट बदल कर जब बगल में प्रतिभा को नहीं पाता है तो झट से उठ कर बिस्तर पर बैठ जाता है l प्रतिभा उसको बाल्कनी में छत को घूरते हुए दिखती है l तापस उसके पास आकर खड़ा होता है l प्रतिभा को एहसास हो जाता है कि तापस उसके पास खड़ा है l वह तापस की ओर बिना देखे

प्रतिभा - सेनापति जी.... क्या मैंने सही किया...
तापस - जान... तुमने जो भी किया सब सही किया है... सोच समझ कर किया है... हमारा बेटा अंधेरे में भटक रहा था... तुमने उसे रौशनी दिखाई है... कुछ देर के लिए ही सही... वह अब हमारा बेटा लग रहा है...
प्रतिभा - थैंक्स सेनापति जी... आप मुझे समझते हैं....
तापस - जान... मैं और तुम ना अलग हैं... ना जुदा हैं... हम पति पत्नी हैं... साथी हैं... एक दूसरे के पूरक हैं...
प्रतिभा - फिर भी मुझे डर लग रहा है...
तापस - जान डरा हुआ तो मैं भी हूँ... पर तुमने कम से कम प्रत्युष को... फ्रस्ट्रेशन से... डिप्रेशन से निकाला है.... तुम नहीं जानती... वह मुझे खुद को कुछ कर लेने की बात कह रहा था... अटलीस्ट तुमने उसे टार्गेट दिया है... वह कुछ करे या ना करे... मगर हम उसे भँवर से निकलेंगे... जरूर निकलेंगे....
प्रतिभा - (थोड़ी राहत की साँस लेते हुए) आप ने कुछ पता किया है...
तापस - हाँ... और तुमने...
प्रतिभा - हाँ मैंने भी थोड़ा बहुत खबर... निकलने की कोशिश की है...
तापस - तो तुमने... डिनर पर बताया क्यूँ नहीं...
प्रतिभा - मैं... प्रत्युष के दिमाग पर बोझ नहीं डालना चाहती थी...
तापस - हम यूहीं फार्म पर या किसी दुकान पर रैड नहीं करा सकते हैं... यहाँ तक हस्पताल में भी नहीं...
प्रतिभा - क्यूँ... काउन्टर फैट ड्रग के विरुद्ध... सीएफएसआई एक्शन क्यूँ ले नहीं सकती...
तापस - तुम अब माँ बन कर सोच रही हो... वकील बन कर सोचो... वह भी क्रिमिनल वकील की तरह...
प्रतिभा - क्या मतलब...
तापस - खुदको तुम क्यूँ इतना असहाय बना रही हो... हमने जिसके खिलाफ मोर्चा खोला है... एक वेल ऑर्गनाइज्ड तरीके से क्राइम करता है.... हर क्राइम के परफेक्शन के लिए बैकअप भी रखता है....
प्रतिभा - (एक फीकी सी मुस्कान मुस्कराते हुए) लगता है... आपने अपनी तरीके से खूब रिसर्च किया है...
तापस - हाँ... कह सकती हो... असल में.. हम बाप बेटे मिलकर... हर पहलू पर गौर किया है...
प्रतिभा - तो क्या हम कामयाब होंगे....
तापस - जान... कोशिश कर रहे हैं... वैसे तुमने क्या किया है...
प्रतिभा - यही की... यश अपना काला बिजनैस कटक से समेट रहा है... और यशपुर शिफ्ट कर रहा है....
तापस - तुम्हें कैसे पता...
प्रतिभा - आपने न्यूज में सुना या देखा होगा... दो साल पहले ही... निरोग हस्पताल की चेन को... यशपुर एक्शटेंड कर रहा है... उसकी सारी फर्मालीटी अब हाल ही में पूरी हुई है... साथ ही साथ... फार्मास्यूटिकल्स की ब्रांच भी राजगड़ ले जाने की कोशिश में है...
तापस - ओ... राजगड़ मतलब... कानून और प्रशासन की पहुंच से दूर...
प्रतिभा - हाँ....
तापस - तब तो खेल बहुत पेचीदा हो जाएगा...
प्रतिभा - इसलिए मैं... रैड की बात कह रही थी...
तापस - मैंने भी देख लिया है... वह हर तरह की... वोर्स्ट सिचुएशन के लिए... तैयार है...
उसके फार्म में... दो तरह की दवाई बनती हैं... एक इंडियन मेडिकल स्टैंडर्ड पर... और एक उसके अपने मतलब के स्टैंडर्ड पर... वह अपनी दवाएं... बड़ी चालाकी से खपा रहा है.... हमे बहुत ही पुख्ता सबूत चाहिए... यश वर्धन जैसे हस्ती को सरे आम नंगा करने के लिए....
प्रतिभा - हाँ... यह आपने सही कहा...
तापस - अब तक उसे पता भी नहीं है... की हम उसके पीछे लगे हुए हैं...
प्रतिभा - यही डर मुझे सोने नहीं दे रही है... जो क्षेत्रपाल के लिए... जयंत सर की मौत को... एक दुखद हादसा बना दिया... वह अपने लिए क्या कर जाएगा... (तापस चुप रहता है) जब उसे पता चलेगा... उसकी सल्तनत की नींव को कोई खरोंच रहा है... क्या करेगा वह... (तापस की ओर देखती है, तापस अब आसमान की ओर देख रहा है) सेनापति जी... हम आग से... तेजाब से खेल रहे हैं... हैं ना...
तापस - जान... अब हम पीछे नहीं हट सकते... सवाल बेटे का है... प्रत्युष अपने आपसे लड़ रहा है.... तुमने उसकी लड़ाई को डाइवर्ट किया है.... अब उस लड़ाई में... हमे उसका साथ देना है... चाहे कुछ भी हो... अंजाम हम तीनों भुगतेंगे... उसके लिए खुद को तैयार करना होगा....

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अगली सुबह
नाश्ते के टेबल पर
सब चुपचाप अपने नाश्ते में लगे हुए हैं l

प्रतिभा - अच्छा प्रत्युष... तुमने कितने पेशेंट से... लैब टेस्ट के लिए फर्म भरवाया है...
प्रत्युष - सिर्फ़ एक ही अंकल से भरवाया है...
प्रतिभा - क्या... (हैरानी से) पर तो मैंने तुझसे... एक से ज्यादा कहा था....
प्रत्युष - हाँ पर... मैं किसी को अंधेरे में रख कर और उनके कंधे पर बंदूक रख कर... लड़ना नहीं चाहता...
प्रतिभा - तो इस अंकल को तैयार कैसे किया...
प्रत्युष - वह एक एक्ससर्विस मेन हैं... मैं उन्हें पांच सालों से जनता हूँ... इसलिए... मैंने उनसे बात कर सब समझा दिया... तो वह सारे प्रेसक्रीप्शन मेरे हवाले कर दिया है... और तीनों लैब के फॉर्म में साइन कर दिया है... और मैंने उनके लिए दी जाने वाली दवाओं के सैंपल को... भेज भी दिया है...
तापस - इस मिशन में... तु अकेला है... या कोई और भी है... साथ में...
प्रत्युष - हाँ हैं तो... पर उनके बारे में... किसी से भी... कुछ भी रिवील नहीं करूंगा.... आप से भी नहीं...
तापस - क्यूँ...
प्रत्युष - माँ... डैड... सॉरी पर... कल रात... मैंने आप दोनों की सारी बातेँ सुन ली थी...

दोनों हैरान हो कर प्रत्युष को देखने लगते हैं l पर प्रत्युष बिना किसी रिएक्शन के अपना नाश्ता कर रहा है l तापस और प्रतिभा दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं l

प्रत्युष - कल मैं आपके कमरे के पास से गुज़रा.... तो पाया दरवाज़ा खुला था... अंदर झांका तो आप दोनों बाल्कनी में थे... तब पीछे रह कर मैंने सारी बात सुन लिया था... मैं डैड की इस बात से सहमत हूँ... अंजाम जो भी हो... हम तीनों उसे भुगतेंगे...

प्रत्युष की यह बात दोनों पर बम की तरह गिरा l दोनों की मुहँ खुला रह गया l

प्रत्युष - माँ... आग हो या तेजाब... कमर कस ली है... मैं एक डॉक्टर हूँ.. जिंदगी बांट सकता हूँ... जहर तो हरगिज नहीं... मैंने गलत इंसान को अपना आइडल माना... अब लड़ाई उसके मुखौटे को नोच कर उतार फेंकने की है... माँ थैंक्स... आपने मुझे एक मोटीव दिया है... और डैड थैंक्स... आपने मुझे जिंदगी का फलसफा समझाया... अब मुझे माँ की दी हुई लक्ष को साधना है... बस...

इतना कह कर प्रत्युष वहाँ से उठ कर चला जाता है l पीछे टेबल पर तापस और प्रतिभा शॉक से उबरने की कोशिश करते हैं l

प्रतिभा - ये... यह क्या... कह रहा था... प्रत्युष
तापस - चाहे कुछ भी कहा है... उसे अकेला नहीं छोड़ना है...

प्रतिभा जल्दी से अपना नाश्ता खतम करती है और तैयार हो कर गाड़ी निकालती है l प्रत्युष आकर गाड़ी में बैठ जाता है l दोनों निकल जाते हैं l तापस भी तैयार हो कर जैल की तरफ चला जाता है l प्रतिभा प्रत्युष को लेकर पहले लिंगराज मंदिर में जाति है l वहाँ पहुँच कर पूजा की सामान लेकर अंदर जाती है l वह पुजारी से अपना पुजा कराने के बाद प्रत्युष को लेकर जल्दी मंदिर से जाने लगती है l प्रतिभा इतनी जल्दी में होती है कि उसे किसीका ध्यान ही नहीं रहता l जल्दी जल्दी में वह किसीसे टकरा जाती है, प्रतिभा की सामान गिरने को होती है कि वह औरत थाम लेती है l

औरत - संभलकर...(प्रतिभा को देख कर) आरे... वकील मासी जी... आप..
प्रतिभा - (उस औरत को देखती है) आप ...(हैरानी से) जानी-पहचानी लग रही हैं... पर याद नहीं आ रहा है...
औरत - जी कोई बात नहीं.... मैं वैदेही...
प्रतिभा - व... वैदेही... (प्रतिभा याद करने की कोशिश करते हुए) ना... नहीं... मुझे...
वैदेही - कोई बात नहीं... आपको जयंत सर याद हैं ना... वह जिसके केस लड़ते हुए चल बसे... मैं उसकी बहन हूँ....
प्रतिभा - ओ... ठी... ठीक है... कैसी हो... और यहाँ... तुम...
वैदेही - आज मैं अपने भाई से मिलने आई थी... मिलने से पहले... भगवान लिंगराज की दर्शन करने आई हूँ...
प्रतिभा - ओह... अच्छा... ठीक है... जाओ दर्शन कर लो... मैं चलती हूँ... हो सका तो बाद में मिलते हैं...
वैदेही - जी अच्छा....

वैदेही मंदिर के भीतर चली जाती है l प्रतिभा भी जल्दी जल्दी बाहर निकल जाती है l बाहर गाड़ी के पास पहुंच कर पीछे मुड़ कर देखती है, वैदेही को जाते हुए l फिर कार में बैठ कर प्रत्युष और वह, वहाँ से निकल जाते हैं l उधर तापस ऑफिस पहुँचता है तो देखता है उसके कैबिन में दास इंतजार कर रहा है l

तापस - क्या बात है दास... कोई इमर्जेंसी है क्या... मेरे कैबिन में.. मेरा ही इंतजार कर रहे हो...
दास - सर... एक खबर है... कितनी इमर्जेंसी है... यह आप निर्णय कीजिए...
तापस - अच्छा... लगता है.. बीपी बढ़ाने वाली खबर है...
दास - जी सर...
तापस - ठीक है.. बताओ क्या खबर है...
दास - सर आज ही खबर आई है... रंगा और उसके चार साथियों को... पुलिस ने फरदर इंट्रोगेशन के लिए... अपनी कस्टडी में डिमांड किया है... और अदालत ने... चौदह दिनों की हिरासत में लेने के लिए... पुलिस को परमीशन दी है.... इसलिए शायद कल उन पांचो को यहाँ लाकर पुलिस हैंड ओवर करेगी...
तापस - व्हाट द हैल इज़ गोइंग ऑन दास...
दास - अब इसमें हम क्या कर सकते हैं... रंगा अपना हिसाब चुकाने आ रहा है... सिर्फ़ चौदह दिनों में अपना काम तमाम करने...
तापस - ओह गॉड... विश्व को उनसे दुर रखना पड़ेगा... वरना... (अपना हाथ टेबल पर मारते हुए) दास गिव मी सम आइडिया... रंगा... खुन खराबा के उदेश्य से आ रहा है.... पिछली बार जब वह हस्पताल में था... मैंने उसके आंखों में बदले की आग देखा था... वह उसके लिए... किसी भी हद तक जाएगा...
दास - सर अगर आप बुरा ना माने तो...
तापस - हाँ हाँ... कहो...
दास - मेरे हिसाब से... हमे इस मैटर को इतना भी... सिरीयसली लेना नहीं चाहिए....
तापस - क्या... आर यु गॉन मैड... तुम जानते भी हो क्या कह रहे हो...
दास - सर अगर मेरा अंदाजा सही है... तो... जो आप नहीं जान पा रहे हैं... और रंगा नहीं जानता... वह होने वाला है....
तापस - पहेलियाँ ना बुझाओ... दास खुलकर कहो क्या कहना चाहते हो...
दास - सर... मैं यह कह रहा हूँ... जो हो रहा है... उसे होने देते हैं... हम नजर रखेंगे... कुछ गलत होने लगा तो... रंगा का एनकाउंटर कर देंगे... हमारे पास सीसीटीवी है... पहले ऑब्जर्व करते हैं... फ़िर कुछ करते हैं... वह चौदह दिनों के लिए... आ रहा है... हो सकता है... अपने ऊपर वह और चार्जर्स ना ले...
तापस - मैं दुआ करूंगा... तुम्हारा अंदाजा सही निकले... लेट हाव क्रॉस फिंगर... एंड होप फॉर बेस्ट...
दास - यस सर....
तापस - दास.... वैसे कब तक हैंड ओवर होगा...
दास - सर... आज शाम तक या.... कल सुबह तक हो जाना चाहिए...
तापस - ओके... यु मे लिव नाउ... (कह कर बेल बजाता है, जगन भागते हुए आता है, और सैल्यूट करता है) जगन... जाओ विश्व को बुला कर लाओ...

जगन और दास दोनों बाहर चले जाते हैं l तापस के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिखने लगता है l वह अपने कैबिन में एक सिरे से दुसरे सिरे तक चलने लगता है l तभी विश्व आता है l

तापस - विश्व... आओ...
विश्व - जी कहिए... आपने बुलाया है...
तापस - जानते हो... कभी कभी जो हम बोते हैं... वही वक्त आने पर काटते हैं...
विश्व - जी यह बहुत दार्शनिक बात है... इस बात का मुझसे क्या सम्बंध....
तापस - रंगा शायद आज... जैल में आ रहा है...
विश्व - तो...
तापस - तो... तुम्हें फिक्र नहीं है...
विश्व - किस बात की फिक्र... क्यूँ की रंगा आ रहा है... इसलिये...
तापस - कमाल के आदमी हो तुम... जिससे बचने के लिए मारे फिर रहे थे... आज जब वही आ रहा है... तुम्हें कोई फिक्र ही नहीं है...बस इतना जान लो... वह सिर्फ़ तुम्हारे लिए आ रहा है... क्यूंकि वह यहाँ चौदह दिनों की रिमांड के नाम पर आ रहा है...
विश्व - अच्छा ऐसा भी होता है...
तापस - हाँ ऐसा होता है... मेरा मतलब है... ऐसा हो सकता है...
विश्व - तो आप मुझे यह क्यूँ बता रहे हैं....
तापस - ताकि यह चौदह दिन तुम रंगा से... थोड़ा सावधान रहो....
विश्व - और आप क्या करेंगे...
तापस - क्या मतलब है तुम्हारा...
विश्व - अगर आपको किसी अनहोनी का अंदेशा है... तो आप उसे कानूनन रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं कर रहे हैं...
तापस - वह हम कोशिश करेंगे... पर तुमको भी हमारा साथ देना चाहिए... देखो विश्व... पिछली बार उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया था... पर मैंने नकार दिया था... अब वह कानून का सहारा लेकर... मेरा मतलब है कानून का आड़ लेकर आ रहा है... वह बार बार मौके की तलाश करेगा... बस तुम सावधान रहना...
विश्व - कितना बेबस है आपका कानून... सुपरिटेंडेंट सर.... अनहोनी का अंदेशा है... पर रोकने के लिए असमर्थ... जो गुनाह करने के लिए अंदर आने के लिए... कानून का सहारा ले रहा है... पर कानून मदत उससे मांग रहा है जो पीड़ित होने वाला है....

यह बात सुन कर तापस कुछ और सोच में खो जाता है l विश्व उसे किसी सोच में डूबा हुआ देखता है तो वह वहाँ से जाने लगता है तभी तापस को होश आता है l

तापस - हाँ विश्व.. कुछ कह रहे थे...
विश्व - यही... की.. मैं ध्यान रखूँगा... सावधान रहूँगा...
तापस - हाँ ठीक है जाओ....

विश्व चला जाता है l पर तापस फ़िर से अपनी सोच में खो जाता है l उसकी सोच तब टूटती है जब दास की आवाज उसके कानों में पड़ता है l तापस दास की ओर देखता है

तापस - हाँ दास... क्या कह रहे थे...
दास - सर आप कुछ सोच रहे थे... मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया...
तापस - अरे नहीं... कहो.. क्या हुआ...
दास - सर वह... रंगा को आज शाम को हैंड ओवर करने वाले हैं....
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Kala Nag

Mr. X
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कुछ दिन हुए मुझे इस साइट पर यह दिख रहा है इसलिए थोड़ा कंफ्यूज था और एक नेटवर्क की सहायता से इस साइट पर पहुंच पाया हूँ
 
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